RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 6 स्वास्थ्यम्
RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 6 स्वास्थ्यम्
Rajasthan Board RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 6 स्वास्थ्यम्
RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 6 पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्नपदानाम् उच्चारणं कुरुत-(निम्न पदों के उच्चारण कीजिए-) ह्यः, क्षुधाभावः, उदरपीडा, मार्गदर्शनम्, स्वीकुरु, सिद्धासनम्, मनोनिग्रहार्थम्।
नोट-
छात्रा: स्वयमेव उच्चारणं कुर्वन्तु। (छत्र स्वयं उच्चारण करें)
प्रश्न 2.
निम्नलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत(निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक पद में दीजिये-)
(क) सरलायाः कृते औषधयोजना का अकरोत् ? (सरला के लिए औषधयोजना किसने की?)
(ख) शरीरं चित्तं च केन स्वस्थं भवति ? (शरीर और चित्त किससे स्वस्थ होता है ?)
(ग) कः कालः योगाय उचितः भवति ? (कौनसा समय योग के लिए उचित होता है ?)
(घ) श्वासोच्छवसेन केन नियन्त्रितं भवति ? (श्वास-प्रश्वास | (श्वास लेना और छोड़ना) किसके द्वारा नियन्त्रित होता है?)
उत्तर:
(क) अध्यापिका
(ख) प्राणायामेन
(ग) प्रात:कालः
(घ) प्राणायामेन।
प्रश्न 3.
मजूषातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत(मञ्जूषा से पदों को चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-)
(क) स्थगिते औषधे पुनः ……………….. प्रादुर्भवति।
(ख) योगशिक्षिकायाः …….. स्वीकुरु।
(ग) ……………….. अभ्यासेन अनेके लाभा: सम्भवन्ति ।
(घ) योग: ……………….. उपचारः।
उत्तर:
(क) पीडा,
(ख) मार्गदर्शनम्,
(ग) योगस्य,
(घ) प्राकृतिकः।
प्रश्न 4.
रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत(रेखाङ्कित पदों के आधार पर प्रश्नों का निर्माण कीजिए-)
(क) योगाभ्यासेन कार्ये कौशलं जायते। (योगाभ्यास सेकार्य में कुशलता पैदा होती है।)
(ख) आसनानि सन्धिरोगान् उन्मूलयन्ति। (आसन जोड़ों के रोगों को नष्ट करते हैं।)
(ग) अहं श्वः योगशिक्षिकया सह मेलिस्यामि। (मैं कल योगशिक्षिका से मिलूंगी।)
(घ) सर्वं गुरोः निर्देशने करणीयम् । (सब कुछ गुरु के निर्देशन में करने चाहिए।)।
उत्तर:
(क) केन कार्ये कौशलं जायते ?
(ख) कानि सन्धिरोगान् उन्मूलयन्ति?
(ग) अहं श्व: कया सह मेलिस्यामि?
(घ) सर्वं कस्य निर्देशने करणीयम् ?
प्रश्न 5.
विलोमपदानि योजयत-(विलोम पर्यों को मिलाइये-)
(क) उपस्थिताः सायङ्कालः
(ख) स्वस्थः दुष्कर
(ग) सुकरं हानयः
(घ) लाभाः अस्वस्थः
(ङ) प्रात:कालः अनुपस्थिताः।
उत्तर:
(क) उपस्थिताः अनुपस्थिताः
(ख) स्वस्थ:-अस्वस्थः
(ग) सुकरं-दुष्कर
(घ) लाभा:-हानयः
(ङ) प्रात:काल:- सायङ्कालः
प्रश्न 6.
निम्नपदानि आधारीकृत वाक्य निर्माणं कुरुत– (निम्न पदों के आधार पर वाक्यों का निर्माण कीजिए-) । [वैद्यः, औषधिः, रोगान्, सुकरं, अपश्यत्, कक्षायाम्]
उत्तर:
(क) वैद्यः परामर्श दत्तवान्।
(ख) औषधि: रोगान् उन्मूलयति।
(ग) रोगान् उन्मूलयितुम् औषधसेवनम् आवश्यकीयम्।
(घ) प्राणायामस्य अभ्यास सुकरं भवति ।
(ङ) सरला योगोपचारस्य प्रभावं स्वशरीरे अपश्यत् ।
(च) योगशिक्षिका सरला योगकक्षायाम् अनयत् ।
प्रश्न 7.
रेखाङ्कितपदानि आधृत्य रूपाणि परिवर्तयत- (रेखाङ्कित पदों के आधार पर रूपों को परिवर्तित कीजिए-)
बालकः कन्दुकेन क्रीडति
बालिका द्विचक्रिकया गच्छति
नापितः कर्तर्या केशान् कर्तयति।
(बालक गेंद से खेलता है, बालिका साइकिल से जाती है, नाई कैंची से बालों को काटता है।)
प्रश्न 8.
कोष्ठके प्रदत्तशब्दस्य चितरूपेण वाक्यं पूरयत(कोष्ठक में दिये गये शब्द का उचित प्रयोग करके वाक्य को पूरा कीजिये-)
(क) वृद्धः…….गच्छति । (दण्डः )
(ख) ……….: प्रकाशः भवति। (गोलदीपः)
(ग) भगिनी………..: शाकं कर्तयति। (छुरिका)
(घ) लेखिका………..लिखति। (लेखनी)
(ङ) अधिकारी कार्यालयं गच्छति। (कारयानम्)
उत्तर:
(क) दण्डेन,
(ख)गोलदीपेन,
(ग) छुरिकयो,
(घ) लेखन्या,
(ङ) कारयानेन।
प्रश्न 9.
तृतीयाविभक्तेः द्विवचने बहुवचने च रूपाणि परिवर्तयत-(तृतीया विभक्ति के द्विवचन और बहुवचन में रूप बदलिये-)
प्रश्न 10.
अधोलिखितानि रिक्तस्थानानि पूरयत-(निम्नलिखित रिक्तस्थानों को पूरा कीजिए-)
योग्यता-विस्तारः
1. हिन्दी अर्थ-
योगविद्या के प्रवर्तक महर्षिपतञ्जलि थे। इस मुनि के द्वारा शरीर के लिये आयुर्वेद की, वाणी की शुद्धि के लिये व्याकरण की और मन को रोकने के लिये योगशास्त्र के ग्रन्थों को लिखा है।
योग के आठ अंग होते हैं-
- यम
- नियम
- आसन
- प्राणायाम
- प्रत्याहार
- धारणा
- ध्यान और
- समाधि।
जीवन में योग के महत्व को विचार करते हुए संयुक्तराष्ट्रसंघ के द्वारा जून महीने की इक्कीसर्वी तारीख को अन्तर्राष्ट्रीय योग-दिवस घोषित किया गया।
2. शुद्ध और सात्विक भोजन ही करना चाहिए। श्रीकृष्ण भी श्रीमद्भगवद्गीता में लिखते हैं-रात के समय का भोजन, रसविहीन, दुर्गन्ध से भरा हुआ, किसी और के द्वारा खाया हुआ (जूठा) और अपवित्र तामसी प्रवृत्ति पैदा करने वाला होता है। जैसे पिज्जा, बर्गर आदि का व्यवहार में प्रयुक्त भोजन हानिकारक ही होता है।
3. इनको भी जानिये-स्वास्थ्य को बढ़ाने वाले फल और शाक-सब्जी इत्यादि-
RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 6 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 6 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
स्वस्थ शरीरे वसति…………
(क) सविचारः
(ख) विवेकः
(ग) स्वस्थं मनः
(घ) परोपकार।
प्रश्न 2.
सरलायाः मस्तके आसीत्…………..
(क) अर्धशिरोवेदना
(ख) पूर्णशिरोवेदना
(ग) अन्यमनस्कता
(घ) सामान्य वेदना।
प्रश्न 3.
यदा औषध सेवनं रोगान् न उन्मूलयति तदा………… कर्तव्यः
(क) आसनः ।
(ख) योगोपचारः
(ग) व्यायामः
(घ) चिन्तनं:
उत्तरम्:
1. (ग)
2. (क)
3. (ख)।
निम्नलिखितेषु प्रश्नेषु शुद्ध वाक्यानां समक्षम्’ आम्’, अशुद्ध वाक्यानाम् समक्षम् ‘न’ लिखत।
1. योगोपचारेण रोग: दूरीभवति। ( )
2. योगाभ्यास: स्वास्थ्याय हानिकरः भवति। ( )
3. प्राणायामेन हृदयरोगे, नासिकारोगे, श्वासरोगे च लाभाः भवति। ( )
4. प्रात:काले सूर्यः शान्तः न भवति। ( )
उत्तरम्:
1. आम्
2. न
3. आम्
4. न।
RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 6 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
सरलायाः मस्तके कीदृशी वेदना आसीत्?
उत्तरम्:
सरलाया: मस्तके अर्धशेरोवेदना आसीत् ।
प्रश्न 2.
योगोपचारः कथम् भवति?
उत्तरम्:
योगोपचारः विविधैः आसनै: प्राणायामेन च भवति ।
प्रश्न 3.
प्रातःकाले सूर्यः कीदृशः भवति।
उत्तरम्:
प्रात:काले सूर्यः शान्तः भवति।
पाठ-परिचय
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है। अत: शरीर को रोगों से रहित रखना बहुत आवश्यक है। प्रस्तुत पाठ में आरोग्य रक्षा के उपायों का ज्ञान कराया गया है। मूल अंश, शब्दार्थ, हिन्दी अनुवाद एवं प्रश्नोत्तर
(1) अध्यापिका – सरले! ह्यः त्वं कक्षायां किमर्थम् न उपस्थितवती?
सरला – महोदये ! रात्रौ महती अर्धशिरोवेदना आसीत्।
अध्यापिका – प्रथमवारम् एव जाता वा?
सरला – नहि महोदये ! वर्षत्रयाद् एषा पीड़ा अस्ति पूर्वम् सह्या आसीत् किन्तु इदानीं तु असह्या।
अध्यापिका – अतीव चिन्तनीयमिदम्। वैद्येन सह परामृष्टवती किम्?
सरली – आम्। परामृष्टवती किन्तु वैद्येने दत्तम् औषधम् खादामि तदा पीडा शाम्यति अनन्तरम् तु पुन: वर्धते।।
अध्यापिका – यदा औषधसेवनं रोगान् न उन्मूलयति, तदा योगोपचार : कर्तव्यः। योगकक्षां गत्वा योगशिक्षिकया मार्गदर्शन स्वीकुरु। सा चिकित्सां करिष्यति।
शब्दार्थाः- ह्यः = बीता हुआ कल; वैद्यः = चिकित्सक किमर्थम् न= क्यों नहीं; श्वः= आने वाला-कल; उपस्थितवती = उपस्थित हुई; रात्रौ = रात में; अर्धशिरोवेदना = आधे सिर का दर्द; प्रथमवारम् = पहली बार; वा = अथवा; वर्षत्रयाद् = तीन वर्ष से; एषा = यह; सह्या= सहन करने योग्य; असह्य = न सहन करने योग्य; इदानीं = इस समयः चिन्तनीयम् = चिन्ता का विषय है; परामृष्टवती = सलाह ली थी; आम् = हाँ; दत्तम् = दी जाने वाली; औषधम् = दवा; शाम्यति = शान्त हो जाती है; अनन्तरम् = इसके बाद; तु = तो; पुनः = फिर; वर्धते = बढ़ जाती है; यदा = जब; उन्मूलयति = जड़ से उखाड़ता है; तदा = तब; योगोपचारः = योग के द्वारा उपचार (इलाज); कर्तव्यः = करना चाहिये; गत्वा = जाकर; योगशिक्षकया = योग शिक्षिका से; स्वीकुरु = स्वीकार करो; चिकित्सा = इलाज; करिष्यति == करेगी।
हिन्दी अनुवाद–अध्यापिका-हे सरला! कल तुम कक्षा में उपस्थित क्यों नहीं हुई थी?
सरला-हे महोदया ! रात में आधे सिर में दर्द अधिक था।
अध्यापिका-(यह पीडा) पहली बार हुई थी अथवा (और पहले)।
सरला – नहीं महोदया! तीन वर्षों से यह पीड़ा है। पहले (तो) सही जाती थी, किन्तु इस समय तो असहनीय है।
अध्यापिका-यह (तो) अत्यन्त चिन्ता का विषय है। क्या वैद्य के साथ परामर्श किया था?
सरला-हाँ। परामर्श किया था, किन्तु वैद्य के द्वारा दी गयी औषधि खाती हैं तो पीड़ा शान्त हो जाती है, इसके बाद तो पुन: बढ़ जाती है।
अध्यापिका–जब औषधि का सेवन रोगों को जड़ से समाप्त नहीं करती तब योग के द्वारा उपचार करना चाहिये। योग की कक्षा में जाकर योगशिक्षिका से मार्गदर्शन स्वीकार करो। वह इलाज करेगी।
♦ अवबोध के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत
(क) स्वस्थं मनः कुत्र वसति?
(ख) अस्मिन् पाठे वयं कस्य उपायान् ज्ञास्यामः?
(ग) सरला कया पीड़िता आसीतू?।
(घ) वैद्येन सह का परामृष्टवती?
उत्तर:
(क) स्वस्थ शरीरे
(ख) आरोग्यस्य
(ग) अर्धशिरोवेदनाया
(घ) सरला।
प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) यदा औषधसेवन रोगान् न उन्मूलयति तदा किं कर्तव्यः?
उत्तर:
यदा औषधसेवनं रोगान् न उन्मूलयांत, तदा योगोपचार: कर्तव्यः।।
(ख) अध्यापिका सरलायै किं परामर्शम् अददात्?
उत्तर:
अध्यापिका सरलायै परामर्शम् अददात्- “योगकक्षा गत्वा योगशिक्षिकया मार्गदर्शनं स्वीकुरु।”
(2) सरला – योगोपचारः कथं भवति।।
अध्यापिका – विविधै: आसनै: प्राणायामेन च। यथा पद्मासनम्, भ्रामरी, अनुलोम-विलोमः, कपालभाति: इत्यादीनि।
सरला – तर्हि श्व: रविवासरः। अहं अः एव योगशिक्षिकया सह मेलिष्यामि। (रविवासरे सरला योगशिक्षिकासमीपम् गच्छति।)
सरला – नमस्ते भगवति! अहं सरला ! मम शिक्षिका देवी रमा भवत्या सह मेलितुं मां प्रेरितवती। मम शिरसि अर्धभागे वेदना भवति।
योगशिक्षिका = आगच्छ इदानीं योगकक्षा प्रचलति, त्वम् अपि भागं स्वीकुरु?
सरला – आम् आगच्छामि।
योगशिक्षिका – आदौ सिद्धासनं, पद्मासनं च कारयिष्यामि? एतेषाम् अभ्यासेन एकस्थितौ उपवेशनं स्थिरं भवति। तदा अध्ययने, कार्ये, प्राणायामे च कातिन्यं न स्यात्।।
शब्दार्था:-कथम् = कैसे; विविधै आसनैः= विभिन्न आसनों के द्वारा; यथाः = जैसे; रविवासरः = रविवार का दिन; मेलिष्यामि = मिलँगी; समीपम् = पास; मम = मेरी; भवत्या सह आपके साथ; मेलितुं = मिलने के लिये; मां = मुझको; प्रेरितवती = प्रेरित किया; शिरसि = शिर में; अर्धभागे = आधे भाग में; आगच्छ = आओ; इदानीम् = इस समय; प्रचलति = चल रही है; स्वीकुरु = स्वीकार करा; आदौ = प्रारम्भ में; कारयिष्यामि = कराऊँगी; एकस्थितौ = एक स्थिति में; उपवेशनं = समीप बैठना; स्थिरं स्थायी रूप से; काठिन्यं = कठिनाई; स्यात् = हो।
हिन्दी अनुवाद-सरला–योग के द्वारा उपचार कैसे होता है? अध्यापिका-विभिन्न प्रकार के आसनों और प्राणायाम के द्वारा। जैसे- पद्मासन, भ्रामरी, अनुलोम-विलोम, कपालभाती इत्यादि। सरला-तब कल रविवार हैं। मैं कल ही योगशिक्षिका के साथ मिलूंगी। (सरला रविवार के दिन योगशिक्षिका के पास जाती है। सरला-हे देवी! नमस्ते। मैं सरला हूँ। मेरी शिक्षिका रमा देवी ने आपके साथ मिलने के लिये मुझे प्रेरित किया। मेरे शिर के आधे भाग में दर्द (पीड़ा) होती है। योगशिक्षिका–आओ; इस समय योग की कक्षा चल रही है, तुम भी भाग स्वीकार करो? सरला-हाँ; आती हैं। योगशिक्षिका-शुरू में सिद्धासन और पद्मासन कराऊँगी इनके अभ्यास से एकस्थिति में स्थायी रूप से बैठना होता है। तब (जिससे) अध्ययन में कार्य में और प्राणायाम में कठिनाई न हो।
♦ अवबोध के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत
(क) विविधैः आसनैः प्राणायामेन च किं भवति?
(ख) योगशिक्षिकबा सह कः मेलिष्यति?
(ग) सरला योगशिक्षिकया सह कदा मिलति?
(घ) शिक्षिका रमा देवी योगशिक्षिकया सहमेलितुं को प्रेरितवती?
उत्तर:
(क) योगोपचार:
(ख) सरला
(ग) रविवारे
(घ)। सरलां।
प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) योगशिक्षिका आदौ के आसने कारयिष्यति?
उत्तर:
योगशिक्षिका आदौ सिद्धासनं, पद्मासनं च कारयिष्यति।
(ख) योगशिक्षिका सरलां किम् अकथयत्?
उत्तर:
योगशिक्षिका सरलाम् अकथयत् “आगच्छ, इदान योगकक्षा प्रचलति, त्वम् अपि भार्ग स्वीकुरु।”
(3) सरला – क: एष: प्राणायामः? किम् एतद् अपि आसनम्?
योगशिक्षिका – न प्राणायामेन श्वासोच्छ्वसनं नियन्त्रितं भवति। अनेन हृदयरोगे, नासिकारोगे, श्वासरोगे च लाभाः भवन्ति।
सरला – योगकक्षा किमर्थं प्रातरेव आयोज्यते?
योगशिक्षिका – प्रात:काले सूर्यः शान्तिः, वायुः शीतलः, निर्मल: च भवति। प्रात:काल: सुखकर; भवति। योग: प्राकृतिक उपचारःअतः प्रात:कालः योगाय उचित:।
सरला – तर्हि अहं योगाभ्यासाय प्रतिदिनम् आगमिष्यामि।
योगशिक्षिका – पुनरागमनाय गच्छतु भवती।
शब्दार्था:-कः = कौन: किम् = क्या; एतद = यह: अपि भी; अनेन प्राणायामेन = इस प्राणायाम से; श्वासोच्छ्वसनं = श्वास लेने और छोड़ने की क्रिया; नियन्त्रितं = संयमित; लाभाः = लाभ; किमर्थं = किसलिये; प्रातरेव = (प्रात: + एव)-प्रातः काल ही; आयोज्यते आयोजित किया जाता है; प्रात:काले = सुबह के समय; वायुः = हवा; सुखकरः = सुख देने वाली प्राकृतिकः = प्रकृति से सम्बन्धित; उपचारः = चिकित्सा; योगाय = योग के लिये; तहिं = तब; प्रतिदिनं = रोजाना; पुनरागमनाय पुनः आने के लिये; गच्छतु जाइये; भवती = आप।।
हिन्दी अनुवादसरला-यह कौनसा प्राणायाम है? क्या यह भी आसन हैं? योगशिक्षिका-इस प्राणायाम से श्वास लेने और श्वास छेड़ने की क्रिया नियन्त्रित होती है। इससे हृदय रोग में, नासिका रोग में और श्वास रोग में लाभ होते हैं। सरला–योग कक्षा सबेरे ही किसलिए आयोजित की जाती है? योगशिक्षिका-प्रात:काल में सूर्य शान्त (होता है) हवा शीतल (ईडी) और निर्मल होती है। सुबह का समय सुख देने वाला होता है। योग (एक) प्राकृतिक अर्थात् प्रकृति सम्बन्धी चिकित्सा है। अतः सुबह का समय योग के लिये उचित ( होता है)। सरला-तब (तो) मैं योगाभ्यास के लिये प्रतिदिन आऊँगी। योगशिक्षिका-पुनः आगमन के लिये आप जाइये।
♦ अवबोध के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत
(क) प्राणायामेन किं नियन्त्रितं भवति?
(ख) हृदयरोगे, नासिकारोगे, श्वासरोगे केन लाभाः भवन्ति?
(ग) प्रात:काले समयः कीदृशः भवति?
(घ) योगः कीदृशः उपचारः अस्ति?
उत्तर:
(क) श्वासोच्छ्वसनम्
(ख) प्राणायामेन
(ग) सुखकर
(घ) प्राकृतिकः।
प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) प्रातःकाले वातावरणः कीदृशः भवति?
उत्तर:
प्रात:काले सूर्यः शान्तः, वायुः शीतलः निर्मलः च भवति।
(ख) सरला योगशिक्षिकां किम् अकथयत्?
उत्तर:
सरला अकथयत्-“अहं योगाभ्यासाय प्रतिदिनम् आगमिष्यामि।”