RBSE Solutions for Class 7 Science Chapter 2 प्राणियों में पोषण
RBSE Solutions for Class 7 Science Chapter 2 प्राणियों में पोषण
Rajasthan Board RBSE Class 7 Science Chapter 2 प्राणियों में पोषण
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
सही विकल्प का चयन कीजिए
प्रश्न 1.
मनुष्य की मुखगुहा में कुल तक दाँतों की संख्या होती
(अ) 2
(ब) 4
(स) 6
(द) 8
उत्तर:
(द) 8
प्रश्न 2.
पचे हुए भोजन का मुख्य रूप से अवशोषण जिस अंग में होता है, वह है
(अ) आमाशय
(ब) क्षुद्रांत्र
(स) बृहद्रांत्र
द) मुख
उत्तर:
(ब) क्षुद्रांत्र
प्रश्न 3.
हमारे शरीर में पाचन की मुख्य क्रिया जिस अंग में पाई। जाती है, वह है
(अ) बृहदांत्र
(ब) मैलाशय
(स) आमाशय
(द) ग्रसिका
उत्तर:
(द) ग्रसिका
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
प्रश्न 1.
अमीबा………. की सहायता से भोजन पकड़ता है।
प्रश्न 2.
रूमिनेन्टस में क्षुद्रांत्र एवं बृहदांत्र के बीच ………. पाई जाती है।
प्रश्न 3.
जीभ पर स्थित …………. द्वारा स्वाद का पता चलता है।
उत्तर:
1. पादाभ,
2. अंधनाल,
3. स्वाद कलिकाओं।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अन्तर्ग्रहण की क्रिया क्या है ?
उत्तर:
भोजन को मुख द्वारा शरीर के अन्दर लेने की क्रिया को अन्तर्ग्रहण कहते हैं। अमीबा में मुख नहीं होता है।
अतः उसमें इस क्रिया को एण्डोसाइटोसिस कहते हैं।
प्रश्न 2.
यदि जीभ पर स्वाद कलिकाएँ न हों तो कौन-सी क्रिया प्रभावित होगी ?
उत्तर:
जीभ पर स्थित स्वाद कलिकाएँ हमें भोजन के स्वाद का ज्ञान कराती हैं। भोजन के अच्छे स्वाद से भूख बढ़ती है। यदि स्वाद कलिकाएँ नहीं हों तो हम भोजन का स्वाद नहीं ले पायेंगे और इसका भूख पर प्रभाव पड़ेगा।
प्रश्न 3.
रूमिनेन्टस में यदि अंधनाल नहीं होगी तो क्या होगा ?
उत्तर:
रूमिनेन्टस (जुगाली करने वाले जन्तु) की आहार नाल में स्थित अंधनाल में कुछ जीवाणु पाए जाते हैं जो भोजन की सेल्युलोज को पचाने का कार्य करते हैं। यदि इन जन्तुओं में अन्धनाल नहीं होगी तो सेल्युलोज का पाचन नहीं होगा।
प्रश्न 4.
मनुष्य के विभिन्न प्रकार के दाँतों के नाम व कार्य लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य के दाँत एवं उनके कार्य
- कृन्तक- भोजन को कुतरने का कार्य करते हैं।
- रदनक- भोजन को चीरने-फोड़ने का कार्य करते हैं।
- अग्र चर्वणक- भोजन को चबाने का कार्य करते हैं।
- चर्वणक- भोजन को चबाने का कार्य करते हैं। |
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
आमाशय में भोजन का पाचन कैसे होता
उत्तर:
आमाशय में भोजन का पाचन- आमाशय में भोजन के पहुँचने पर आमाशय की मोटी भित्तियों में पेशीय संकुचन होता है जिससे भोजन मसलता जाता है। आमाशयी ग्रन्थियों में जठर रस तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) का स्रावण होता है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल आमाशय के माध्यम को अम्लीय कर देता है तथा भोजन के साथ आए सूक्ष्म | जीवाणुओं को मार देता है। यह आमाशयी रस के स्रावण को भी प्रेरित करता है।
जठर रस या अमाशयी रस में कुछ पाचक एन्जाइम होते हैं जो प्रोटीन को सरल अवयवों में तोड़ देते हैं। ये एन्जाइम आमाशय के अम्लीय माध्यम में कार्य करते हैं। आमाशय में भोजन लुगदी जैसा हो जाता है, जिसे क्षुद्रांत्र में धकेल दिया जाता है।
प्रश्न 2.
अमीबा के भोजन ग्रहण करने व पाचन की विधि का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अमीबा में संभरण एवं पाचन-अमीबा (Amoeba) जलाशयों में पाया जाने वाला एककोशिकीय जीव है। अमीबा की कोशिका को घेरे हुए एककोशिका | झिल्ली होती है। कोशिका में एक गोल, सघन केन्द्र एवं | कोशिका द्रव में बुलबुले के समान अनेक संकुचनशील । रसधानियाँ पायी जाती हैं। अमीबा निरन्तर अपनी आकृति एवं स्थिति बदलता रहता है। यह एक अथवा अधिक अँगुली के समान प्रवर्ध निकालता रहता है, जिन्हें पादाभ | (Pseudopodia) कहते हैं, जो इसे गति करने में एवं भोजन पकड़ने में सहायता करते हैं।
अमीबा कुछ सूक्ष्मजीवों को आहार के रूप में ग्रहण करता है। जब इसे भोजन का आभास होता है तो यह खाद्य कण के चारों ओर पादाभ विकसित करके उसे निगल लेता है। खाद्य पदार्थ उसकी खाद्यधानी में फंस जाते हैं। यह प्रक्रिया एण्डोसाइटोसिस कहलाती है। खाद्यधानी में ही पाचक रस स्रावित होते हैं। ये खाद्य पदार्थ पर क्रिया करके उन्हें सरल पदार्थों में बदल देते हैं। पचा हुआ खाद्य धीरे-धीरे अवशोषित हो जाता है। अवशोषित पदार्थ अमीबा की वृद्धि, रखरखाव एवं गुणन में काम आते हैं। बिना पचा अपशिष्ट पदार्थ खाद्यधानी द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।
प्रश्न 3.
मनुष्य के पाचन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
पाठगत प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
क्या आपने कभी यह जानने का प्रयास किया है। कि शरीर के अन्दर भोजन का पाचन कैसे होता है ? (पृष्ठ 15)
उत्तर:
भोजन के पाचन के लिए शरीर में एक पाचन तंत्र पाया जाता है जो विभिन्न अंगों; जैसे-मुख, दाँत, जीभ, ग्रसिका, आमाशय, आंत्र, मलाशय एवं सहायक ग्रन्थियों से | मिलकर बना होता है। भोजन का पाचन, पाचन तंत्र की अनेक भौतिक एवं रासायनिक क्रियाओं द्वारा होता है।
प्रश्न 2.
क्या सभी दाँत एक जैसे दिखाई देते हैं ? दाँतों | की बनावट में क्या अन्तर है ? क्या इनके कार्यों में भी अन्तर है ? (पृष्ठ 16)
उत्तर:
नहीं, सभी दाँत एक जैसे दिखाई नहीं देते हैं। दाँतों की बनावट तथा कार्यों में अन्तर होते हैं। कुछ दाँत नुकीले तथा कुछ दाँत चौड़े होते हैं। दाँत कुतरने, चीड़-फाड़ करने, | चबाने जैसे अलग-अलग कार्य करते हैं।
प्रश्न 3.
क्या आपको जीभ के कार्य पता है ? (पृष्ठ 18)
उत्तर:
जीभ भोजन को स्वाद लेती है। यह लार को भोजन में मिलाती है तथा भोजन को चबाने में सहायता करती है। यह दाँतों की सफाई करती है और बोलने में मदद करती है।
प्रश्न 4.
दीर्घ रोम की आंत्र में क्या भूमिका है? (पृष्ठ 19)
उत्तर:
दीर्घ रोम आंत्र के अवशोषण तल को बढ़ा देते हैं।
क्रियात्मक कार्य
प्रश्न 1.
पाचन तंत्र का चार्ट तैयार कर कक्षा-कक्ष में लगाना।
उत्तर:
उपर्युक्त क्रियात्मक कार्य को छात्र स्वयं करें।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प का चयन कीजिए
प्रश्न 1.
अमीबा में भोजन का पाचन होता है|
(अ) संकुचनशील धानी में
(ब) कोशिका झिल्ली में ।
(स) केन्द्रक में
(द) पादाभ में
उत्तर:
(अ) संकुचनशील धानी में
प्रश्न 2.
मिनेन्टस में सेल्युलोस का पाचन होता है
(अ) आमाशय में
(ब) अंधनाल में
(स) बृहदांत्र में
(द) मलाशय में
उत्तर:
(ब) अंधनाल में
प्रश्न 3.
मनुष्य की मुखगुहा में रदनक दाँतों की संख्या होती
(अ) 2
(ब) 4
(स) 8
(द) 12
उत्तर:
(ब) 4
प्रश्न 4.
जठर रस का स्रावण होता है
(अ) मुखगुहा में
(ब) ग्रासनली में
(स) आमाशय में
(द) आंत्र में
उत्तर:
(स) आमाशय में
प्रश्न 5.
शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि है
(अ) अग्न्याशय
(ब) पित्ताशये
(स) लार ग्रन्थि
(द) यकृत
उत्तर:
(द) यकृत
रिक्त स्थान
निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
प्रश्न 1.
जटिल खाद्य पदार्थों के सरल पदार्थों में परिवर्तित होने यो टूटने के प्रक्रम को ………. कहते हैं।
प्रश्न 2.
अमीबा ……….. को आहार के रूप में लेता है।
प्रश्न 3.
घास में…………….की प्रचुरता होती है, जो एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट है।
प्रश्न 4.
………… जटिल पदार्थों को उनके सरल रूप में परिवर्तित कर देते हैं।
प्रश्न 5.
आमाशय की आंतरिक सतह श्लेष्मा, ………..तथा पाचक रस स्रावित करती है।
उत्तर:
1. पाचन
2. सूक्ष्मजीवों
3. सेल्युलोज
4. पाचक रस
5. हाइड्रोक्लोरिक अम्ल।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मानव तथा अन्य प्राणी भोजन कैसे प्राप्त करते
उत्तर:
मानव तथा अन्य प्राणी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से | भोजन पादपों से प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 2.
एण्डोसाइटोसिस किसे कहते हैं ?
उत्तर:
अमीबा द्वारा सूक्ष्मजीवों को कोशिका के अन्दर लेने की क्रिया एण्डोसाइटोसिस कहलाती हैं।
प्रश्न 3.
रूमेन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
रोमन्थी प्राणियों का प्रथम आमाशय जिसमें ये भोजन को निगलकर इकट्ठा करते हैं, रूमेन कहलाता है।
प्रश्न 4.
जुगाल या कड किसे कहते हैं ?
उत्तर:
रोमन्थी प्राणियों के रूमेन में भोजन का आंशिक पाचन होता है, जिसे जुगाल या कड कहते हैं।
प्रश्न 5.
आहार नाल क्या है ?
उत्तर:
मनुष्य में भोजन एक सतत् नली से गुजरता है, जो | मुख गुहिका से प्रारम्भ होकर गुदा तक जाती है, यह नली आहार नाल कहलाती है।
प्रश्न 6.
मनुष्य में कुल कितने प्रकार के दाँत पाए जाते हैं ?
उत्तर:
मनुष्य में कुल चार प्रकार के दाँत पाए जाते हैं।
प्रश्न 7.
अन्तर्ग्रहण किसे कहते हैं ?
उत्तर:
आहार को शरीर के अन्दर लेने की क्रिया को अन्तर्ग्रहण कहते हैं।
प्रश्न 8.
ग्रसिका में भोजन किस प्रकार नीचे की ओर सरकता है ?
उत्तर:
ग्रसिका की भित्ति के संकुचन से इसमें भोजन नीचे की ओर सरकता है।
प्रश्न 9.
पित्त रस का निर्माण एवं संग्रहण कहाँ होता है ?
उत्तर:
पित्त रस का निर्माण यकृत में तथा संग्रहण पित्ताशय में होता है।
प्रश्न 10.
मनुष्य की क्षुद्रान्त्र तथा बृहदान्त्र की लम्बाई बताइए।
उत्तर:
क्षुद्रान्त्र लगभग 6-8 मीटर तथा बृहदान्त्र लगभग 1:5 मीटर लम्बी होती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
रोमन्थन क्या है ? समझाइए।
उत्तर:
गाय, भैंस तथा अन्य घास खाने वाले शाकाहारी जन्तु उस समय भी लगातार जुगाली करते रहते हैं, जब वे घास नहीं खा रहे होते हैं। वास्तव में वे पहले घास को जल्दी-जल्दी निगलकर आमाशय के एक भाग में इकट्ठा कर लेते हैं। आमाशय का यह भाग रूमेन (Rumen) प्रथम आमाशय कहलाता है।
इसमें भोजन का आंशिक पाचन होता है, जिसे जुगाल (कड) कहते हैं। परन्तु बाद में जन्तु इनको छोटे-छोटे पिण्डकों में पुनः मुख में लाता है। तथा चबाता रहता है। इस प्रक्रम को रोमन्थन (Rumination) या जुगाली करना कहते हैं तथा ऐसे जन्तु रोमन्थी या रूमिनैन्ट (Ruminants) कहलाते हैं।
प्रश्न 2.
मनुष्य के पाचन तंत्र के विभिन्न भागों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य का पाचन तंत्र आहार नाल तथा संबद्ध पाचक ग्रन्थियों से मिलकर बना होता है।
आहार नाल के भाग-
- मुख गुहा,
- ग्रीसनली या ग्रसिका,
- आमाशय,
- क्षुद्रान्त्र (छोटी आँत),
- बृहदान्त्र (बड़ी आँत),
- मलाशय एवं मलद्वार गुदा)
संबद्ध ग्रन्थियाँ-
- लार ग्रन्थियाँ
- जठर ग्रन्थियाँ
- यकृत
- अग्न्याशय।
प्रश्न 3.
लार ग्रन्थियाँ कहाँ स्रावित होती हैं ? लार का महत्व लिखिए।
उत्तर:
लार ग्रन्थियाँ मुखगुहा में स्रावित होती हैं। इनसे लार स्रावित होती है। जब हम भोजन को चबाते हैं तो लार ग्रन्थियों से लार निकल कर भोजन में मिलती है। लार मिलने से भोजन लुगदीनुमा एवं लसलसा हो जाता है। लार में एक पाचन एन्जाइम भी होता है। इससे भोजन का आंशिक पाचन भी होता है। लसलसे भोजन को निगलना भी आसान हो जाता है।
प्रश्न 4.
जीभ ,या है ? यह कहाँ स्थित होती है ? इसके कार्य बताइए।
उत्तर:
जीभ एक माँसल पेशीय अंग है, जो मुखगुहा में स्थित होती है। जीभ पीछे की ओर मुखगुहा के अधर तल से जुड़ी होती है। इसका अग्र भाग स्वतंत्र होता है और किसी भी दिशा में मुड़ सकता है। जीभ बोलने, भोजन का स्वाद लेने, दाँतों की सफाई करने, भोजैन को निगलने तथा चबाने व लार मिलाने में मदद करती है।
प्रश्न 5.
मनुष्य की आहारनाल के ग्रसिका एवं आमाशय भाग का चित्र बनाइए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
यकृत एवं अग्न्याशय की संरचना तथा कार्य बताइए।
उत्तर:
यकृत (Liver)-यकृत गहरे लाल भूरे रंग की ग्रन्थि है जो उदर के ऊपरी भाग में दाहिनी ओर अवस्थित | होती है। यह शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि है। यह पित्त रस स्रावित करती है, जो एक थैली में संग्रहित होता रहता है, इसे पित्ताशय (Gall bladder) कहते हैं।
पित्त रस वसा के पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अग्न्याशय (Pancreas)-अग्न्याशय हल्के पीले रंग की बड़ी ग्रन्थि है जो आमाशय के ठीक नीचे स्थित होती है। इससे अग्नाशयी रस स्रावित होता है। अग्नाशय रस, कार्बोहाइड्रेट एवं प्रोटीन को पचाकर उनके सरल रूपों में परिवर्तित कर देता है।
प्रश्न 7.
बृहदांत्र की संरचना को चित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर:
बृहदांत्र, क्षुद्रांत्र की अपेक्षा चौड़ी एवं छोटी होती है। यह लगभग 1:5 मीटर लम्बी होती है। इसका मुख्य कार्य जल एवं कुछ लवणों का अवशोषण करना है।
प्रश्न 8.
दस्त किसे कहते हैं ? इसका सरल उपचार बताइए।
उत्तर:
कभी-कभी जल रूप में पतले मल का बार-बार निष्कासन होता है। इस स्थिति को दस्त कहते हैं। यह संक्रमण, खाद्य विषाक्तता अथवा अपच के कारण होता है। भारत में, विशेषकर बच्चों में यह अति सामान्य स्थिति है। चरमावस्था में यह घातक भी हो सकता है।
इसका मुख्य कारण शरीर से जल एवं लवणों की अत्यधिक क्षति होना है। इसे सहजता से नहीं टालना चाहिए। चिकित्सक के पास | जाने से पूर्व ही रोगी को उबले जल में एक चुटकी नमक – एवं चीनी का घोल पिलाना चाहिए। इसे जीवन रक्षक घोल | या ओ. आर. एस. कहते हैं जो सरकारी अस्पतालों में भी प्राप्त किया जा सकता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
गाय के पाचन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
मनुष्य की मुखगुहा में दाँतों की संख्या, प्रकार एवं इनके कार्यों को सारणीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
सारणी : दाँतों के प्रकार उनकी संख्या एवं मुँह में उपस्थिति
प्रश्न 3.
हमें दाँतों की नियमित साफ-सफाई व देखभाल की आवश्यकता क्यों होती है ? दाँतों की सफाई कैसे करनी चाहिए ? अथवा बँत क्षय क्या है? इससे कैसे बचा जा सकता है।
उत्तर:
सामान्यतः हमारे मुख में जीवाणु पाए जाते हैं, परंतु उनसे हमें कोई हानि नहीं होती। फिर भी खाने के पश्चात् यदि हम दाँत एवं मुख साफ न करें, तो मुख में अनेक हानिकारक जीवाणु वास करके वृद्धि करने लगते हैं। ये जीवाणु दाँतों के बीच फंसे भोजन की शर्करा का विघटन कर अम्ल निर्माण करते हैं। यह अम्ल धीरे-धीरे दाँत को क्षति पहुँचाते हैं, इसे दंत क्षय कहते हैं। यदि समय रहते इसका उपचार न किया जाए, तो दाँतों में असह्य पीड़ा होने लगती है तथा चरम अवस्था में टूट कर गिर जाते हैं।
चॉकलेट, ठंडे पेय तथा चीनीयुक्त मिठाइयाँ व अन्य पदार्थ दंत क्षय के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी होते हैं। अतः प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन कम-से-कम दो बार ब्रश अथवा दातुन करनी चाहिए तथा कुछ भी खाने के तुरंत बाद कुल्ला करना चाहिए। मुख के अंदर गंदी अँगुली अथवा बिना धुली वस्तु नहीं डालनी चाहिए।
प्रश्न 4.
क्षुद्रान्त्र की संरचना, इसमें पाचन क्रिया तथा अवशोषण क्रिया को समझाइए।
उत्तर:
क्षुद्रान्त्र लगभग 6 से 8 मीटर लम्बी अत्यधिक कुण्डलित नली है। यह यकृत एवं अग्न्याशय से स्राव प्राप्त करती है। इसके अतिरिक्त इसकी भित्ति से भी कुछ रस स्रावित होते हैं। क्षुद्रान्त्र में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट एवं वसा का पूर्ण पाचन, अग्न्याशयी रस तथा पित्त रस के प्रभाव से हो जाता है। पचा हुआ भोजन क्षुद्रान्त्र में अवशोषित होता है। क्षुद्रान्त्र की आंतरिक भित्ति पर उँगली के समान उभरी हुई संरचनाएँ होती हैं, जिन्हें दीर्घ रोम या ग्रंकुर कहते हैं। दीर्घ रोम पचे हुए भोजन अवशोषण हेतु तल क्षेत्र बढ़ा देते हैं।
प्रत्येक दीर्घ रोम में सूक्ष्म रुधिर वाहिकाओं का जाल फैला रहता है। दीर्घ रोम की सतह से पचे भोजन का अवशोषण होता है तथा यह रुधिर वाहिकाओं में चला जाता है। अवशोषित पदार्थ का स्थानान्तरण रुधिर वाहिकाओं द्वारा शरीर के विभिन्न भागों तक होता है। जहाँ उनका उपयोग जटिल पदार्थों को बनाने में किया जाता है। इस प्रक्रम को स्वांगीकरण (Assimilation) कहते हैं। कोशिकाओं में उपस्थित ग्लूकोज का विघटन ऑक्सीजन की सहायता से कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल में होता है और ऊर्जा मुक्त होती है। भोजन का वह भाग, जिसका पाचन नहीं हो पाता है अथवा अवशोषण नहीं होता है, बृहदान्त्र में भेज दिया जाता है।
प्रश्न 5.
भोजन सम्बन्धी अच्छी आदतों को लिखिए, जिनके कारण हम स्वस्थ रह सकते हैं ?
उत्तर:
भोजन सम्बन्धी निम्नांकित बातों पर ध्यान देकर
हम स्वस्थ रह सकते हैं
- भोजन करने से पहले व बाद में हाथ और मुँह अच्छी तरह ३ साफ करें।
- भोजन स्वच्छ स्थान पर बैठकर करें।
- हमेशा ताजा और ढका हुआ भोजन करें।
- निश्चित समय पर भोजन करें।
- भोजन स्वस्थ मन से तनावमुक्त रहकर, धैर्यपूर्वक करें।
- सन्तुलित भोजन करें।
- भोजन को अच्छी तरह चबाएँ।
- भोजन में रेशेदार पदार्थ तथा हरी सब्जी का गलाद के रूप में सेवन करें।
- आवश्यकता से अधिक भोजन नहीं करें।
- सभी प्रकार का भोजन रुचिपूर्वक करें।
- भोजन करते समय बातें नहीं करें।
- भोजन करने के लगभग एक घण्टे बाद पानी पीएँ।
- भोजन झूठा नहीं छोड़ें क्योंकि भारतीय ग्रन्थों में इसे अन्न देवता कहा गया है।
प्रश्न 6.
वज्रासन क्यों उपयोगी है ? इसको करने की विधि लिखिए।
उत्तर:
वज्रासन- आजकल लोगों में पांचन से जुड़ी समस्याएँ; जैसे-अपच, एसीडिटी, कब्ज, गैस, मोटापा इत्यादि तेजी से बढ़ती जा रही हैं। इस समस्या से निबटने के लिए बेहद सरल और उपयोगी योगासन वज्रासन है।
विधि-
- भोजन करने के 5 मिनट बाद एक समतल जगह पर दरी या कम्बल का आसन बिछा दें।
- दोनों पैर सामने की तरफ फैलाकर बैठ जाएँ।
- इसके बाद बाएँ पैर के घुटने को मोड़कर इस तरह बैठे । कि पैरों के पंजे पीछे और ऊपर की ओर हो जाएँ।
- अब दाएँ पैर का घुटना भी इसी तरह मोड़ लें।
- दोनों पैर के अंगूठे एक-दूसरे से मिलाकर रखें।
- शरीर को सीधा रखें।
- अपने दोनों हाथों को घुटने पर रखें।