RBSE Solutions for Class 7 Science Chapter 10 कंकाल एवं संधियाँ
RBSE Solutions for Class 7 Science Chapter 10 कंकाल एवं संधियाँ
Rajasthan Board RBSE Class 7 Science Chapter 10 कंकाल एवं संधियाँ
पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर
सही विकल्प का चयन कीजिए।
प्रश्न 1.
ह्यूमरस के लम्बे मध्य भाग को क्या कहते हैं ?
(अ) शाफ्ट
(ब) मेखला
(स) सन्धि
(द) कार्पल।
उत्तर:
(अ) शाफ्ट
प्रश्न 2.
हाथ के अंगूठे में अस्थियों की संख्या होती है
(अ) 1
(ब) 2
(स) 3
(द) 4.
उत्तर:
(ब) 2
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए|
(i) हथेली में अस्थियों की संख्या ………… होती है।
(ii) कंधे की अस्थि को ………… कहते हैं।
(iii) हाथ और पैर की प्रत्येक अंगुली में ……….. अस्थियाँ होती हैं।
(iv) माँसपेशियों में ……एवं ……. की क्षमता होती है जो कि गति में सहायक है।
उत्तर:
(i) 5
(ii) अंशमेखला
(iii) तीन
(iv) सिकुड़ने, फैलने
लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
रेडियो अल्ना अस्थि के बारे में बताइए।
उत्तर:
रेडियो एवं अल्ना हमारे हाथ की कलाई की दो अस्थियाँ होती हैं। पहली हाथ के अन्दर की ओर तथा दूसरी हाथ के बाहर की ओर स्थित होती है। इनका कोहनी की तरफ का सिरा ह्यूमरस से एवं निचला सिरा कलाई की
अस्थियों से जुड़ा रहता है।
प्रश्न 2.
फीमर अस्थि का अग्र एवं पश्च सिरा कौन-सी अस्थि से जुड़ा होता है ?
उत्तर:
फीमर अस्थि का अग्र सिरा कूल्हे की अस्थि से तथा पश्च सिरा टिबिया फिबुला से जुड़ा होता है।
प्रश्न 3.
अंस मेखला एवं श्रोणि मेखला के बारे में बताइए।
उत्तर:
कंधे की अस्थि को अंस मेखला कहते हैं। अंस मेखला से हमारे हाथ की अस्थि जुड़ी होती है। कूल्हे की अस्थि को श्रोणि मेखला कहते हैं। पैर की फीमर अस्थि श्रोणि मेखला से जुड़ी होती है। ये दोनों मेखलाएँ हमारे कंकाल तन्त्र का आधार हैं।
प्रश्न 4.
रीढ़ की हड्डी में कितनी कशेरुकाएँ पायी जाती हैं ?
उत्तर:
रीढ़ की हड्डी में 33 कशेरुकाएँ पायी जाती हैं।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कंकाल तन्त्र किसे कहते हैं ? नामांकित चित्र बनाइए एवं कंकाल तन्त्र के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कंकाल तन्त्र (Skeleton system)- अस्थियों व उपास्थियों से मिलकर बने शरीर के ढाँचे को कंकाल तन्त्र कहते हैं। कंकाल तन्त्र के कार्य
(i) यह शरीर को निश्चित आकृति एवं आधार प्रदान करता है।
(ii) शरीर के आन्तरिक कोमल अंगों की बाह्य आधातों से रक्षा करता है।
(iii) कंकाल तन्त्र पेशियों की सहायता से सम्पूर्ण शरीर एवं शरीर के अंगों को गति प्रदान करता
(iv) शरीर को मजबूती प्रदान करता है।
प्रश्न 2.
सन्धियाँ किसे कहते हैं ? किन्हीं दो सन्धियों का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सन्धियाँ (Joints)- कंकाल तन्त्र की अस्थियाँ आपस में जिन स्थानों पर जुड़ती हैं, इन्हें सन्धियाँ कहते हैं।
1. कन्दुक खल्लिका संधि-इस प्रकार की सन्धि की रचना में एक अस्थि का सिरा गुहार्नुमा एवं दूसरी अस्थि का सिरा गोल होता है। गुहा को खल्लिका एवं गोल सिरे को कन्दुक (गेंद) कहते हैं। इस विशेष संरचना के कारण इस सन्धि को कन्दुक-खल्लिका सन्धि कहते हैं।
इस सन्धि पर गोल सिरे वाली अस्थि आसानी से सभी दिशाओं में घूम सकती है। उदाहरण
(i) अंस मेखला में हाथ की अस्थि-यूमरस ।
(ii) श्रोणि मेखला से पैर की अस्थि- फीमर ।।
2. कोर सन्धि– इस प्रकार की सन्धि में एक अस्थि का गोल सिरा दूसरी अस्थि के अवतल भाग से जुड़ा रहता है। उदाहरण-कोहनी एवं घुटने की सन्धि।
प्रश्न 3.
माँसपेशियाँ क्या होती हैं ? ये शरीर की गति में किस प्रकार सहायक होती हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
माँसपेशियाँ (Muscles)- माँसपेशियाँ संकुचनशील पेशियों से बनी होती हैं जिनमें सिकुड़ने एवं फैलने की क्षमता होती है।
किसी अस्थि को गतिमान करने के लिए दो प्रकार की पेशियाँ मिलकर कार्य करती हैं। जब एक पेशी सिकुड़ती है तो अस्थि उस दिशा में खिंच जाती है एवं दूसरी पेशी शिथिल अवस्था में आ जाती है। अस्थि को विपरीत दिशा में गति देने के लिए पूर्व में सिकुड़ी हुई पेशियाँ शिथिल एवं शिथिल हुई पेशियाँ सिकुड़ती हैं। शरीर को गति प्रदान करने के लिए दोनों प्रकार की पेशियाँ संयुक्त रूप से कार्य करती हैं। अस्थियों में गति माँसपेशियों के सिकुड़ने एवं फैलने से होती हैं।
क्रियात्मक कार्य
प्रश्न 1.
कंकाल तन्त्र से सम्बन्धित सभी अस्थियों की सूची चार्ट पर बनाकर कक्षा में लगाएँ।
उत्तर:
कंकाल तन्त्र की अस्थियाँ
प्रश्न 2.
हाथ तथा पैर की अस्थियों के चित्रों के चार्ट तैयार कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
सन्धियों की क्रियाविधि को कक्षाकक्ष में प्रदर्शन कीजिए।
उत्तर:
इसके लिए प्रयोगशालों से प्लास्टर आफ पेरिस की बनी हुई हड्डियाँ लेकर विद्यार्थी सन्धियों की क्रियाविधि बता सकते हैं।
पाठगत प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कंकाल तन्त्र क्या होता है ? (पृष्ठ91)
उत्तर:
अस्थियों एवं उपास्थियों से मिलकर बने ढाँचे को कंकाल तन्त्र कहते हैं।
प्रश्न 2.
कंकाल तन्त्र में मुख्य अस्थियाँ कौन-कौन सी होती हैं। (पृष्ठ91)
उत्तर:
कंकाल तन्त्र में मुख्य अस्थियाँ हैं-खोपड़ी की अस्थियाँ, जबड़े की अस्थियाँ, रीढ़ की अस्थियाँ, पसलियाँ, अंश मेखला, श्रोणिमेखला, हयूमरस, रेडियस अल्ना, पंजों की अस्थियाँ, फीमर, टिबिया-फिबुला आदि।
प्रश्न 3.
आप अपनी कोहनी एवं कंधे के बीच के भाग को दबाकर देखिए एवं अनुभव कीजिए। क्या अनुभव हो रहा है ? (पृष्ठ92)
उत्तर:
हमें एक कठोर एवं मजबूत अस्थि महसूस हो रही है। यह अस्थि ह्यूमरस है।
प्रश्न 4.
ह्यूमरस अस्थि का ऊपरी एवं निचला सिरा किससे जुड़ा है ? (चित्र 92)
उत्तर:
इस अस्थि का ऊपरी सिरा अंश मेखला से तथा निचला सिरा रेडियस व अल्ना से जुड़ा है।
प्रश्न 5.
अपने पैर के घुटने से कूल्हे के भाग तक हाथ फिराकर इसकी लम्बाई का अनुभव कीजिए। साथ ही इसकी स्थिति का भी पता लगाइए कि इसका ऊपरी एवं निचला सिरा कहाँ से जुड़ा हुआ है ? चित्र को देखकर निम्न सारणी भरिये (पृष्ठ93)
उत्तर:
यह फीमर अस्थि है और शरीर की सबसे लम्बी अस्थि है।
प्रश्न 6.
अपने पैर के घुटने से लेकर टखने के मध्य के भाग को छूकर अनुभव कीजिए एवं पैर की अस्थियों के चित्र की सहायता से सारणी की पूर्ति कीजिए। (पृष्ठ94)
उत्तर:
प्रश्न 7.
अपने पैर के टखने को देखिए, क्या अस्थियाँ नजर आ रही हैं ? (पृष्ठ95)
उत्तर:
हाँ।
प्रश्न 8.
अपनी कोहनी और घुटने को घुमाइए। क्या ये पूरे गोल घूम जाते हैं ? (पृष्ठ96)
उत्तर:
नहीं, ये एक ही दिशा में गति कर सकते हैं।
प्रश्न 9.
अपने सिर को घुमाकर देखिए, क्या अनुभव कर रहे हों ? (पृष्ठ96)
उत्तर:
यह दायें-बायें, ऊपर-नीचे निश्चित दिशा तक ही घूम सकता है।
प्रश्न 10.
माँसपेशियाँ क्या है ? (पृष्ठ97)
उत्तर:
माँसपेशियाँ संकुचनशील पेशियाँ हैं, जिनमें सिकुड़ने एवं फैलने की क्षमता होती है।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कंकाल तन्त्र में होती है
(अ) अस्थि
(ब) उपास्थि
(स) सन्धि
(द) ये सभी
उत्तर:
(स) सन्धि
प्रश्न 2.
मानव कंकाल तन्त्र को मुख्य रूप से बाँटा जा सकता
(अ) दो भागों में
(ब) तीन भागों में
(स) चार भागों में
(द) नहीं बाँटा जा सकता
उत्तर:
(ब) तीन भागों में
प्रश्न 3.
मनुष्य में पसलियों की कुल संख्या होती है ?
(अ) 6 जोड़ी
(ब) 9 जोड़ी।
(स) 12 जोड़ी
(द) 24 जोड़ी
उत्तर:
(स) 12 जोड़ी
प्रश्न 4.
अक्षीय कंकाल की अस्थि है
(अ) कशेरुक दण्ड
(ब) ह्यूमरस
(स) फीमर
(द) श्रोणि मेखला
उत्तर:
(अ) कशेरुक दण्ड
प्रश्न 5.
हमारे एक हाथ में हड्डियों की कुल संख्या होती है
(अ) 15
(ब) 20
(स) 30
(द) 60
उत्तर:
(स) 30
प्रश्न 6.
रेडियो-अल्ना है
(अ) खोपड़ी की अस्थि
(ब) वक्ष की अस्थि
(स) हाथ की अस्थि
(द) पैर की अस्थि
उत्तर:
(स) हाथ की अस्थि
प्रश्न 7.
शरीर की सबसे लम्बी अस्थि है
(अ) कशेरुक दण्ड
(ब) फीमर
(स) रेडियस
(द) पसली
उत्तर:
(ब) फीमर
प्रश्न 8.
अंस मेखला होती है
(अ) कंधे में
(ब) जाँघ में
(स) कूल्हे में
(द) उदर में
उत्तर:
(अ) कंधे में
प्रश्न 9.
सन्धियाँ मुख्यतः कितने प्रकार की होती हैं ?
(अ) दो
(ब) तीन
(स) चार
(द) पाँच
उत्तर:
(अ) दो
प्रश्न 10.
हमारी कोहनी में पायी जाने वाली सन्धि है
(अ) धुराग्र सन्धि
(ब) कोर सन्धि
(स) अचल सन्धि
(द)कन्दुक-खल्लिका सन्धि
उत्तर:
(ब) कोर सन्धि
रिक्त स्थान
1. ………”हमारे शरीर का आधारभूत ढाँचा बनाता है।
2. कशेरुक दण्ड छोटी-छोटी …………अस्थियों से मिलकर | बनी होती है।
3. ह्यूमरस के लम्बे मध्य भाग को………….कहते हैं।
4. टखना कुल …………..अस्थियों से मिलकर बना होता
5. अस्थियों में गति …………के सिकुड़ने एवं फैलने से ही होती है।
उत्तर:
1. कंकाल
2. 33
3. शाफ्ट
4. सात
5. माँसपेशियों
अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
हमारे कंकाल के तीन मुख्य भाग कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
(i) अक्षीय कंकाल
(ii) वक्षीय कंकाल
(iii) अनुबंधी कंकाल
प्रश्न 2.
रीढ़ की हड्डी किससे मिलकर बनी होती है ?
उत्तर:
रीढ़ की हड्डी छोटी-छोटी 33 कशेरुकाओं से मिलकर बनी होती है।
प्रश्न 3.
रीढ़ की हड्डी का अन्य नाम क्या है ?
उत्तर:
कशेरुक दण्ड।
प्रश्न 4.
पसलियों का मुख्य कार्य क्या है ?
उत्तर
पसलियों का मुख्य कार्य वक्ष पिंजर बनाकर हृदय व फेफड़े आदि की सुरक्षा करना है।
प्रश्न 5.
अनुबंधी कंकाल में कौन-कौन सी अस्थियाँ शामिल होती हैं ?
उत्तर:
अंस मेखला, श्रोणि मेखला, हाथ व पैर की अस्थियाँ ।
प्रश्न 6.
कलाई किसे कहते हैं ?
उत्तर:
रेडियो-अल्ना अस्थि जिस स्थान पर हथेली के पास जुड़ी होती है वह स्थान कलाई कहलाता है।
प्रश्न 7.
उँगलियों की अस्थियों को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
उँगलियों की अस्थियों को अंगुलास्थियाँ या कार्पल्स कहते हैं।
प्रश्न 8.
सन्धियों के दो मुख्य प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) चल सन्धियाँ
(ii) अचल सन्धियाँ
लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मनुष्य में पाए जाने वाले कंकाल का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
हाथ की विभिन्न अस्थियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
हाथ में निम्नलिखित अस्थियाँ होती हैं
- ह्यूमरस
- रेडियो-अल्ना
- कलाई की अस्थियाँ
- हाथ के पंजे, अंगुलियाँ एवं अंगूठे की अस्थियाँ।
प्रश्न 3.
हाथ के पंजे, अंगुलियाँ एवं अंगूठे की अस्थियों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
हथेली में कुल पाँच अस्थियाँ होती हैं जो पंजा बनाती हैं। अंगुलियों एवं अंगूठे में भी अस्थियाँ होती हैं जिन्हें क्रमशः अंगुलास्थियाँ एवं अंगुठास्थियाँ कहते हैं। प्रत्येक अंगुली में तीन तथा अंगूठे में दो अस्थियाँ होती हैं।
प्रश्न 4.
पैर की प्रमुख अस्थियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
पैर की प्रमुख अस्थियाँ-
- फीमर
- टिबिया फिबुला
- टखने की अस्थियाँ
- तलवे, अंगुलियों एवं अंगूठे की अस्थियाँ।
प्रश्न 5.
पैर की अस्थियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
श्रोणिमेखला से घुटने तक की लम्बी अस्थि को फीमर कहते हैं। यह शरीर की सबसे लम्बी अस्थि होती है। घुटने से टखने के बीच टिबिया फिबुला अस्थि पायी जाती है। जो दो अस्थियों टिबिया तथा फिबुला से मिलकर बनी होती है। टिबिया अन्दर तथा फिबुला बाहर की ओर स्थित होती है। टखना कुल सात हड़ियों से मिलकर बना होता है जो ऐड़ी का निर्माण करता है। पैर के तलवे में पाँच अस्थियाँ होती हैं जिन्हें प्रपदिकाएँ कहते हैं। पैर की प्रत्येक अंगुली में तीन व अंगूठे में दो अस्थियाँ होती हैं।
प्रश्न 6.
धुराग्र सन्धि का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हमारा सिर मेरुदण्ड के ऊपरी सिरे से जिस सन्धि द्वारा जुड़ा होता है उसे धुराग्र सन्धि कहते हैं। इस सन्धि के कारण मेरुदण्ड की स्थिर अस्थि पर खोपड़ी का चला सिरा आसानी से दाएँ-बाएँ, ऊपर-नीचे घूम सकता हैं।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
हाथ के भाग में पायी जाने वाली अस्थियों के नाम व संख्या की तालिका बनाएँ।
उत्तर:
सारेणी-हाथ का भाग एवं उसमें पाई जाने वाली अस्थियों के नाम एवं संख्या क
प्रश्न 2.
पैर के विभिन्न भागों में पायी जाने वाली अस्थियों के प्रकार एवं उनकी संख्या को सारणी द्वारा दर्शाइए।
उत्तर:
पैर के विभिन्न भागों की अस्थियाँ एवं उनकी संख्या
प्रश्न 3.
केंचुआ, घोंघा, तिलचट्टा, पक्षी, मछली तथा सर्प पक्षी उड़कर या | पक्षियों में पेशियाँ दृढ़ एवं किस प्रकार गति करते हैं ? समझाइए।
उत्तर:
प्रश्न 4.
जयपुर फुट पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
जयपुर फुट-जयपुर फुट को जयपुर लेग के नाम से भी जाना जाता है। इसे घुटने के नीचे की तरफ पहना जाता है। यह उच्च गुणवत्ता युक्त रबर से तैयार किया जाता है। सवाई मानसिंह चिकित्सालय, जयपुर (भारत) में कार्यरत डॉ. पी. के. सेठी ने विकलांगों की समस्याओं को अनुभूत करते हुए श्रीराम चन्द्र शर्मा को जयपुर फुट बनाने का सुझाव दिया। इसे श्री देवेन्द्र राज मेहता द्वारा स्थापित भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति द्वारा जरूरतमंद व्यक्तियों को निःशुल्क लगाया जाता है।
जयपुर फुट की अन्य जानकारियाँ
- जयपुर फुट ठीक उसी तरह कार्य करता है, जैसे स्वस्थ व्यक्ति का पैर कार्य करता है।
- यह दिखने में सामान्य पैर जैसा ही प्रतीत होता है।
- इस पर पानी, नमी का कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता।
- इसको जूतों सहित या बिना जूते भी पहना जा सकता
- सामान्यतः एक जयपुर फुट तीन वर्ष तक कार्य करता है।
- यह वजन में बहुत हल्का होता है।