RBSE Solutions for Class 7 Science Chapter 15 ताप एवं ऊष्मा
RBSE Solutions for Class 7 Science Chapter 15 ताप एवं ऊष्मा
Rajasthan Board RBSE Class 7 Science Chapter 15 ताप एवं ऊष्मा
पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर
सही विकल्प का चयन कीजिए।
प्रश्न 1.
प्रयोगशाला तापमापी में निम्नलिखित में से किस पदार्थ का उपयोग होता है ?
(अ) सोडियम
(ब) पारा
(स) पिघला ऐल्युमीनियम
(द) चमकीला पानी
उत्तर:
(ब) पारा
प्रश्न 2.
जब पदार्थ के अणु स्वयं चलकर ऊष्मा का एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरण करते हैं तो ऊष्मा . संचरण की यह विधि कहलाती है
(अ) चालन
(ब) संवहन
(स) विकिरण
(द) चालन व विकिरण दोनों
उत्तर:
(ब) संवहन
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. वस्तु के गर्मपन या ठण्डेपन की माप को ………….. कहतेहैं।
2. धातु के चम्मच को आइसक्रीम के प्याले में डुबोकर थोड़ी देर रखते हैं, तो वह …………. हो जायेगी।
3. स्टील की कड़ाही में ताँबे की तली लगाई जाती है, क्योंकि ताँबा ऊष्मा का अच्छा ……………….. है।
4. ऊष्मा का प्रवाह …………….. ताप वाली वस्तु से ताप वाली वस्तु की ओर होता है।
5. वायु तथा जल ऊष्मा के ………… हैं।
उत्तर:
1. ताप
2. ठण्डा
3. चालक
4. अधिक, कम
5. कुचालक
सत्य या असत्य
प्रश्न 1.
35°C के ताप पर एक लीटर जल में 55°C के ताप पर एक लीटर जल में मिला दिया जाए तो मिश्रण का ताप 30°C से कम हो जाएगा।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 2.
खाना पकाने के बर्तन धातुओं से बनाए जाते हैं, क्योंकि धातुएँ ऊष्मा की अच्छी चालक होती हैं।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 3.
घरों की बाहरी दीवारों पर सफेद रंग पोतने से घर गर्मियों में कम गर्म होगा।
उत्तर:
सत्य
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ऊष्मा के चालक एवं कुचालक में उदाहरण देकर अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वे पदार्थ, जिनमें ऊष्मा का चालन आसानी से हो जाता है, उन्हें ऊष्मा के चालक या सुचालक (Good conductors) कहते हैं। उदाहरणार्थ- धातुएँ; जैसेऐल्युमीनियम, लोहा, ताँबा आदि ऊष्मा के चालक हैं। इसके विपरीत वे पदार्थ, जिनमें ऊष्मा का चालन आसानी से नहीं हो पाता है, उन्हें ऊष्मा के कुचालक या ऊष्मारोधी (Insulator) कहते हैं। उदाहरणार्थ-लकड़ी, प्लास्टिक, एबोनाइट, ऊनी कपड़ा आदि ऊष्मा के कुचालक हैं।
प्रश्न 2.
ऊष्मा संचरण की कौन-सी विधियाँ हैं ? इनमें अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ऊष्मा संचरण की तीन विधियाँ हैं
- चालन (Conduction)
- संवहन (Convection)
- विकिरण (Radiation)
प्रश्न 3.
धूप में समान आकार वाली काली और चमकदार वस्तुएँ रखने पर काली वस्तु अधिक गर्म क्यों हो जाती है ?
उत्तर:
काली वस्तुएँ ऊष्मा की श्रेष्ठ अवशोषक होती हैं। तथा चदार वस्तुएँ ऊष्मा की श्रेष्ठ परावर्तक होती हैं अर्थात् काली वस्तुएँ आपतित अधिकांश ऊष्मीय विकिरणों को अवशोषित कर लेती हैं, जबकि चमकदार वस्तुएँ आपतित ऊष्मीय विकिरणों के अधिकांश भाग को परावर्तित कर देती हैं। अतः धूप में समान आकार वाली काली और चमकदार वस्तुएँ रखने पर काली वस्तुएँ अधिक ऊष्मीय विकिरणों को अवशोषित कर लेने के कारण अधिक गर्म हो जाती हैं।
प्रश्न 4.
समुद्र में गर्म जल की धाराएँ बनने का क्या कारण
उत्तर:
विषुवत रेखा के आसपास ध्रुवों की तुलना में सूर्य की किरणे अपेक्षाकृत सीधी पड़ती हैं। इस कारण महासागरों में ध्रुवों की तुलना में विषुवत् वृत्त का पानी अधिक गर्म हो जाता है। यह जल हल्का होने के कारण ऊपर ही ऊपर तैरता हुआ ध्रुवीय प्रदेशों की ओर बहता है। गर्म जल के इस प्रकार बहने को गर्म जल की धारा कहते हैं।
इसके विपरीत ध्रुवों के आसपास का जल ठण्डा होने के कारण भारी होता है तथा समुद्र के नीचे से ध्रुवों से विषवत् वृत्त की ओर बहता है। ये धाराएँ ठण्डे जल की धाराएँ कहलाती हैं।
प्रश्न 5.
खाना पकाने के बर्तनों में लकड़ी या ऐबोनाइट के हत्थे लगाए जाते हैं क्यों ?
उत्तर:
खाना बनाने के विभिन्न बर्तनों में लकड़ी या ऐबोनाइट के हत्थे इसलिए लगाए जाते हैं कि जब ये बर्तन गर्म हों तो उन्हें आसानी से पकड़ा जा सके। चूँकि लकड़ी या ऐबोनाइट ऊष्मा के कुचालक होते हैं। अत: लकड़ी या ऐबोनाइट के हत्थे गर्म नहीं होते हैं।
प्रश्न 6.
आवश्यक चित्र भी बनाते हुए प्रयोग द्वारा ऊष्मा की प्रक्रिया समझाइए।
उत्तर:
साइकिल की टूटी हुई तानी या लोहे का सीधा पतला तार लेकर उसके ऊपर समान दूरी पर मोम के छोटे-छोटे टुकड़े चिपकाते हैं। तार के एक सिरे को मेज पर रखकर उसके ऊपर पत्थर या ईंट रखकर चित्रानुसार व्यवस्थित कर देते हैं। छड़ के दूसरे सिरे को गर्म करने पर हम पाते हैं कि मोमबत्ती के सिरे की ओर स्थित मोम का टुकड़ा सबसे पहले नीचे गिरता है तथा अन्य टुकड़े भी पिघलना प्रारम्भ हो जाते हैं। तार के एक सिरे को गर्म करने पर ऊष्मा ठण्डे सिरे की ओर स्थानान्तरित होती है। ऊष्मा संचरण की यह विधि चालन कहलाती है। ठोस वस्तुओं में ऊष्मा का संचरण चालन विधि द्वारा होता है।
प्रश्न 7.
सर्दियों में ऊनी कपड़े पहनने से ठण्ड से बचाव क्यों होता है ? कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वायु ऊष्मा की कुचालक होती है। ऊनी कपड़ों के छोटे-छोटे छिद्रों में वायु भरी होती है। ऊन तथा वायु के ऊष्मा के कुचालक होने के कारण शरीर की ऊष्मा बाहर नहीं जा पाती है और हमारा सर्दी से बचाव हो जाता है।
क्रियात्मक कार्य
प्रश्न 1.
एक जैसे पात्रों में समान मात्रा में पानी, तेल, रेत, नमक आदि पदार्थ लेकर उन्हें समान समय तक धूप में रखिए।
उत्तर:
तापमापीं की सहायता से इनका ताप ज्ञात करके बताइए कि कौन जल्दी गर्म होता है और क्यों ? संकेत-समान पात्रों में समान मात्रा में पानी, तेल, रेत, नमक आदि लेकर धूप में रखा तो पाया कि सबसे पहले नमक, उसके बाद क्रमशः रेत, पानी व तेल गर्म हुए।
प्रश्न 2.
फॉरनेहाइट तथा सेल्सियस पैमाने वाले तापमापियों के चित्र का चार्ट बनाकर प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
संकेत- सेल्सियस तथा फॉरनेहाइट तापमानी का निम्न चित्र चार्ट पर बनाकर प्रदर्शित करें।
प्रश्न 3.
तापमापी की सहायता से बर्फ का गलनांक तथा दूध का क्वथनांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
संकेत- किसी ठोस को ऊष्मा देने से द्रव में परिवर्तित होने की क्रिया गलन (melting) कहलाती है तथा वह ताप जिस पर ठोस समग्र रूप से द्रव अवस्था में परिवर्तित होता है गलनांक (melting point) कहलाता है। बर्फ की गलनांक ज्ञात करना-एक बीकर में बर्फ लेकर उसे स्प्रिट लैम्प की सहायता से त्रिपाद स्टैण्ड पर रखकर गर्म करते हैं। जब बर्फ पूरी तरह पिघलकर जल में बदल जाय तब उसका तापमान तापमापी द्वारा ज्ञात कर लेते हैं। यह ताप ही बर्फ का गलनांक है। हम पाते हैं कि बर्फ का गलनांक 0°C है।
जब किसी द्रव को गरम किया जाता है तब वह उबलने लगता है। इस क्रिया को क्वथन (boiling) कहते हैं। जिस ताप पर कोई द्रव उबलता है उसे उस द्रव का क्वथनांक कहते हैं। दूध का क्वथनांक ज्ञात करना-एक बीकर में दूध लेकर उसे स्प्रिट लैम्प की सहायता से त्रिपाद स्टैण्ड पर रखकर गर्म करते हैं। जब दूध उबलने लगता है तब तापमापी से दूध का ताप ज्ञात कर लेते हैं। यह ताप ही दूध का क्वथनांक है।
प्रश्न 4.
सादे जल और शक्कर घुले जल का क्वथनांक ज्ञात कर दोनों की तुलना कीजिए।
उत्तर:
संकेत- एक बीकर में सादा जल तथा एक बीकर में शक्कर घुले जल को लेकर उन्हें त्रिपाद स्टैण्ड पर रखकर स्प्रिट लैम्प से गर्म करते हैं। जब दोनों बीकरों में जल उबलने लगे तब तापमापी की सहायता से दोनों बीकरों का ताप पृथक्-पृथक् नोट कर लेते हैं। सादे जल का क्वथनांक 100°C ज्ञात होता है जबकि शक्कर मिश्रित जल का क्वथनांक 100°C से अधिक प्राप्त होता है जो कि जल में घुली शक्कर की मात्रा पर निर्भर करता है।
पाठगत प्रश्नोत्तर
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ 146)
प्रश्न 1.
हम प्रतिदिन अनेक वस्तुओं के सम्पर्क में आते हैं, इनमें से कई वस्तुएँ गर्म होती हैं तो कुछ ठण्डी होती हैं। नीचे दी गई सारणी में कुछ वस्तुओं के नाम लिखिए तथा लिखिए कि वे गर्म हैं अथवा ठण्डी।
उत्तर:
सारणी
क्रियाकलाप
गतिविधि-1: (पृष्ठ 146)
प्रश्न 1.
आप क्या अनुभव करते हैं ?
उत्तर:
बाएँ हाथ को पानी गर्म एवं दाएँ हाथ को पानी ठण्डा महसूस होता है।
प्रश्न 2.
क्या पात्र B का पानी ठण्डा अथवा गर्म है ?
उत्तर:
पात्र B का पानी ठण्डा है अथवा गर्म यह हम निश्चित नहीं कर पाते हैं।
प्रश्न 3.
इस गतिविधि में दिया गया प्रयोग क्या दर्शाता है ?
उत्तर:
प्रयोग यह दर्शाता है कि स्पर्श करके वस्तु के गर्म होने या ठण्डी होने का पता लगाना विश्वसनीय नहीं है।
प्रश्न 4.
हम कैसे ज्ञात करें कि वस्तु वास्तव में कितनी गर्म है ?
उत्तर:
वस्तु का ताप तापमापी द्वारा ज्ञात करके हमें पता लगा सकते हैं कि वस्तु कितनी गर्म है।
प्रश्न 5.
ताप किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी वस्तु का अन्य वस्तु की तुलना में गर्म अथवा ठण्डा होने की स्थिति का जिस गुण से पता चलता है उसे वस्तु का ताप कहते हैं।
गतिविधि-2: (पृष्ठ 147)
प्रश्न 1.
इस तापमापी का ध्यानपूर्वक अवलोकन करके बताइए कि इसके पैमाने का अधिकतम एवं न्यूनतम मान कितना है ?
उत्तर:
प्रयोगशाला तापमापी के पैमाने का अधिकतम मान 110°C तथा न्यूनतम मान 10°C है। प्रयोगशाला तापमापी में प्रायः 10°C से लेकर 110°C तक चिन्ह लगे होते हैं। इसे तापमापी का परिसर (परास)
कहा जाता है।
प्रश्न 2.
तापमापी से ताप का मापन कैसे करते हैं ?
उत्तर:
तापमापी के बल्ब को द्रव में डुबोकर उसका पाठ्यांक नोट करके ताप का मापन करते हैं।
गतिविधि-3: (पृष्ठ 148)
प्रश्न 1.
स्वस्थ व्यक्ति के शरीर का ताप कितना होता है ?
उत्तर:
स्वस्थ व्यक्ति के शरीर का ताप 37°C होता है।
प्रश्न 2.
डॉक्टरी तापमापी को प्रयोग करने से पूर्व प्रतिरोधी | (ऐन्टीसेप्टिक) घोल से क्यों धोते हैं ?
उत्तर:
तापमापी को संक्रमण रहित करने के लिए इसका प्रयोग करने से पूर्व इसे प्रतिरोधी (ऐन्टीसेप्टिक) घोल से धोते हैं।
प्रश्न 3.
डॉक्टरी तापमापी को प्रत्येक बार ताप लेने से पूर्व हाथ में कसकर पकड़कर झटका क्यों देते हैं ?
उत्तर:
डॉक्टरी तापमापी में पारे का तल नीचा करने के लिए तापमापी को ताप लेने से पूर्व हाथ में कसकर पकड़कर झटका देते हैं।
गतिविधि-4: (पृष्ठ 150)
प्रश्न 1.
दोनों पानी के तापों में क्या अन्तर आया ?
उत्तर:
ठण्डे पानी का ताप बढ़ जाता है तथा गर्म पानी का ताप कुछ घट जाता है।
प्रश्न 2.
उपरोक्त गतिविधि में वर्णित प्रयोग से क्या निष्कर्ष प्राप्त होता है ?
उत्तर:
इस प्रयोग से यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि ऊष्मा | का प्रवाह अधिक ताप वाली वस्तु से कम ताप वाली वस्तु की ओर होता है।
प्रश्न 3.
गर्म पानी तथा ठण्डे पानी के ताप में क्या परिवर्तन होता है ?
उत्तर:
गर्म पानी का ताप कम हो जाता है तथा ठण्डे पानी
गतिविधि-5: (पृष्ठ 151)
प्रश्न 1.
छड़ के दूसरे सिरे को मोमबत्ती से गर्म कीजिए और बताइए क्या होता है ?
उत्तर:
पर मोम पिघलना प्रारम्भ हो जाता है।
प्रश्न 2.
मोम का कौन-सा टुकड़ा सबसे पहले नीचे गिरता
उत्तर:
मोमबत्ती के सिरे की ओर वाला मोम का टुकड़ा सबसे पहले गिरता है।
प्रश्न 3.
ठोस में ऊष्मा संचरण की विधि क्या कहलाती है?
उत्तर:
चालन (Conduction)
गतिविधि-6: (पृष्ठ 151)
प्रश्न 1.
कौन-सी वस्तुओं का ऊपर वाला सिरा गर्म हो गया हैं
उत्तर:
ऐल्यूमीनियम, लोहा, स्टील आदि धातुओं में ऊष्मा आसानी से प्रवाहित हो जाती है, इसलिए ये ऊपर तक गर्म = हो जाते हैं।
प्रश्न 2.
ऊष्मा के चालक किसे कहते हैं ?
उत्तर:
वे पदार्थ, जिनमें ऊष्मा का चालन आसानी से होता है, ऊष्मा के चालक कहलाते हैं।
प्रश्न 3.
लकड़ी, प्लास्टिक आदि के कम गर्म होने का क्या कारण है ?
उत्तर:
लकड़ी, प्लास्टिक आदि ऊष्मा के कुचालक हैं। अतः इनमें ऊष्मा का चालन आसानी से नहीं हो पाता है। इसलिए ये कम गर्म होते हैं।
प्रश्न 4.
खाना पकाने के बर्तन धातु के क्यों बनाए जाते हैं। तथा उनके हत्थे लकड़ी या ऐबोनाइट के क्यों बनाए जाते हैं?
उत्तर:
धातुएँ ऊष्मा की सुचालक होती हैं अतः इनमें खाना शीघ्र पकता है इसलिए खाना पकाने के बर्तन धातु के बनाए जाते हैं। लकड़ी या ऐबोनाइट ऊष्मा के कुचालक या ऊष्मारोधी होते हैं तथा गर्म बर्तनों को उठाने में हमारे हाथ नहीं जलते हैं इसलिए खाना पकाने के बर्तनों के हत्थे लकड़ी या ऐबोनाइट के बनाए जाते हैं।
प्रश्न 5.
स्टेनलेस स्टील की कड़ाही में प्रायः ताँबे की तली क्यों लगायी जाती है ?
उत्तर:
ताँबा विद्युत का श्रेष्ठ चालक है। अतः खाना शीघ्रता से पकाने के लिए स्टेनलेस स्टील की कड़ाही में प्रायः ताँबे की तली लगाई जाती है।
प्रश्न 6.
गर्मी के दिनों में धूप से गर्म हुए फर्श पर दरी या कालीन बिछाकर चलना कम कष्टदायक क्यों होता है ?
उत्तर:
कपड़ा ऊष्मा का कुचालक या ऊष्मारोधी होता है। तथा गर्म हुए फर्श से ऊष्मा ग्रहण नहीं करता है, इसलिए गर्मी के दिनों में गर्म हुए फर्श पर दरी या कालीन बिछाकर चलना कम कष्टदायक होता है।
गतिविधि-7: (पृष्ठ 152)
प्रश्न 1.
जल में रंगीन धाराएँ क्यों बनती हैं ?
उत्तर:
पात्र के पेंदे को गर्म करने पर जल के अणु ऊष्मा ग्रहण करके ऊपर की ओर चलते हैं तथा अपने साथ लाल दवा के क्रिस्टल या चाय के रंगीन कणों को ऊपर की ओर ले जाते हैं तथा ऊपर के ठण्डे अणु नीचे की ओर गति करते हैं। इसलिए जल में रंगीन धाराएँ बनती हैं।
प्रश्न 2.
ऊष्मा चालन की यह विधि क्या कहलाती है ?
उत्तर:
ऊष्मा चालन की यह विधि संवहन (convection) कहलाती है।
प्रश्न 3.
संवहन विधि में ऊष्मा संचरण किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
संवहन विधि में द्रव के अणु स्वयं चलकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ऊष्मा का संचरण करते हैं।
प्रश्न 4.
वायु में ऊष्मा संचरण किस विधि से होता है ?
उत्तर:
वायु में ऊष्मा संचरण संवहन (convection) विधि द्वारा होता है।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
ऊष्मा चालकता अधिक होती है
(अ) लकड़ी में
(ब) लोहे में।
(स) ताँबे में
(द) मिट्टी में
उत्तर:
(स) ताँबे में
प्रश्न 2.
ऊष्मा संचरण तीव्र गति से होता है
(अ) चालन में
(ब) संवहन में
(स) विकिरण में
(द) स्वतः
उत्तर:
(स) विकिरण में
प्रश्न 3.
सूर्य से पृथ्वी तक ऊष्मा पहुँचती है
(अ) चालन द्वारा
(ब) संवहन द्वारा
(स) विकिरण द्वारा
(द) चालन एवं संवहन द्वारा।
उत्तर:
(स) विकिरण द्वारा
प्रश्न 4.
ऊष्मा का कुचालक है|
(अ) लोहो
(ब) ताँबा
(स) ऐल्युमीनियम
(द) ऐबोनाइट
उत्तर:
(द) ऐबोनाइट
प्रश्न 5.
वायु में ऊष्मा संचरण किस विधि से होता है ?
(अ) चालन से
(ब) संवहन से
(स) विकिरण से
(द) चालन और संवहन से
उत्तर:
(ब) संवहन से
रिक्त स्थान
1. मौसम की रिपोर्ट में ……….. तापमापी का प्रयोग किया जाता है।
2. दो वस्तुओं में ऊष्मा का आदान-प्रदान तब तक होता है जब तक कि उनका ताप …………. न हो जाये।
3. ठोसों में ऊष्मा का संचरण …………… द्वारा होता है।
4. द्रव तथा गैसों में ऊष्मा का संचरण ……………….. द्वारा होता है।
उत्तर:
1. अधिकतम-न्यूनतम
2. समान
3. चालन
4. संवहन
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
ताप किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी वस्तु का अन्य वस्तु की तुलना में गर्म अथवा ठण्डा होने की स्थिति का जिस गुण से पता चलता है उसे वस्तु का ताप कहते हैं।
प्रश्न 2.
वस्तु का ताप किस उपकरण से ज्ञात करते हैं ?
उत्तर:
वस्तु का ताप तापमापी से ज्ञात करते हैं।
प्रश्न 3.
मनुष्य के शरीर का ताप किस तापमापी से ज्ञात करते हैं ?
उत्तर:
मनुष्य के शरीर का ताप डॉक्टरी थर्मामीटर (तापमापी) से ज्ञात करते हैं।
प्रश्न 4.
मानव शरीर का औसत ताप कितना होता है ?
उत्तर:
मानव शरीर का औसत ताप 37°C या 986°F होता है।
प्रश्न 5.
तापमापी का प्रयोग करते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?
उत्तर:
तापमापी के बल्ब को कभी भी सीधे ज्वालों पर या उसके पास अथवा धूप में अधिक देर तक नहीं रखना। चाहिए, अन्यथा तापमापी टूट सकता है।
प्रश्न 6.
ठोस वस्तुओं में ऊष्मा का संचरण किस विधि से होता है ?
उत्तर:
ठोस वस्तुओं में ऊष्मा का संचरण चालन विधि से होता है।
प्रश्न 7.
द्रव तथा गैसों में ऊष्मा का संचरण किस विधि से होता है ?
उत्तर:
द्रव तथा गैसों में ऊष्मा का संचरण संवहन विधि से होता है।
प्रश्न 8.
सूर्य से ऊष्मा पृथ्वी तक किस विधि से पहुँचती है?
उत्तर:
सूर्य से पृथ्वी तक ऊष्मा विकिरण विधि से पहुँचती है।
प्रश्न 9.
ऊष्मा संचरण की किस विधि में माध्यम आवश्यक नहीं होता है ?
उत्तर:
ऊष्मा संचरण की विकिरण विधि में माध्यम आवश्यक नहीं होता है।
प्रश्न 10.
ऊनी कपड़े हमारा सर्दी से बचाव क्यों करते हैं ?
उत्तर:
हवा और ऊनी कपड़े ऊष्मा के कुचालक होते हैं। इसी कारण ऊनी कपड़े हमारा सर्दी से बचाव करते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
तापमापी किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
वस्तुओं का ताप ज्ञात करने के लिए जिस उपकरण का प्रयोग किया जाता है उसे तापमापी (Thermometer) कहते हैं। तापमापी कई प्रकार के होते हैं-प्रयोगशाला तापमापी, गैस तापमापी, ऐल्कोहॉल तापमापी, डिजीटल (अंकीय) तापमापी आदि।
प्रश्न 2.
अंकीय (डिजीटल) तापमापी का प्रयोग अधिक सुरक्षित है क्यों ?
उत्तर:
पारा एक विषाक्त पदार्थ है और यदि पारे का तापमापी टूट जाए तो उसका पारा बिखर जायेगा जो किसी के खाने में आ जाने पर शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए पारे के तापमापी के स्थान पर अंकीय (डिजीटल) तापमापी का प्रयोग अधिक सुरक्षित है।
प्रश्न 3.
दो वस्तुओं के मध्य ऊष्मा का आदान-प्रदान कब तक होता है ?
उत्तर:
दो वस्तुओं के मध्य ऊष्मा का आदान-प्रदान तब तक होता रहता है जब तक कि दोनों वस्तुओं के ताप समान न हो जाएँ। दूसरे शब्दों में, ठण्डी और गर्म वस्तुओं में ऊष्मा का आदान-प्रदान तब तक होता रहेगा जब तक कि दोनों वस्तुओं के ताप समान न हों जाएँ।
प्रश्न 4.
मकानों में संवातन (रोशनदान) का क्या महत्व है ?
उत्तर:
हमारे श्वसन में निकाली गयी वायु सामान्य वायु से गर्म तथा कम घनत्व वाली होती है। ये ऊपर उठकर छत के पास बने रोशनदान से बाहर निकल जाती है तथा खिड़कियों और दरवाजे से स्वच्छ वायु अन्दर आ जाती है।
प्रश्न 5.
पवन किस प्रकार चलती है ?
उत्तर:
पवन (वायु) अधिक वायु दाब वाले स्थान से कम वायु दाब वाले स्थान की ओर चलती है। जब किसी स्थान पर ताप अधिक होता है तो उस स्थान की हवा गर्म होकर ऊपर उठती है और फैलती है। इस कारण उस स्थान का वायु दाब कम हो जाता है। तब ठण्डे स्थान से पवन गर्म स्थान की ओर चलने लगती है।
प्रश्न 6.
समुद्र समीर तथा थल समीर किसे कहते हैं ?
उत्तर:
दिन के समय स्थल भाग समुद्र के जल की अपेक्षा अधिक गर्म होता है। अतः समुद्र से वायु स्थल की ओर बहती है, इसे समुद्र समीर कहते हैं। किन्तु रात्रि में स्थलीय भाग जल्दी ठण्डा हो जाता है। अतः स्थल से समुद्र की ओर हवा चलती है जिसे थल समीर कहते हैं।
प्रश्न 7.
रेगिस्तान में दिन बहुत गर्म तथा रातें बहुत ठण्डी क्यों होती हैं ?
उत्तर:
रेत ऊष्मा का श्रेष्ठ अवशोषक तथा श्रेष्ठ उत्सर्जक है। दिन में रेत सूर्य की ऊष्मा का अवशोषण करके शीघ्र गर्म हो जाता है तथा रात्रि में अपनी ऊष्मा शीघ्र बाहर निकालकर ठण्डा हो जाता है। इसलिए रेगिस्तान में दिन बहुत गर्म तथा रातें बहुत ठण्डी होती हैं।
प्रश्न 8.
गर्मियों में सफेद कपड़े तथा जाड़ों में रंगीन कपड़े क्यों सुखदायी होते हैं ?
उत्तर:
सफेद कपड़े ऊष्मीय विकिरण का अधिकांश भाग परावर्तित कर देते हैं तथा कुछ भाग ही अवशोषित करते हैं। अत: गर्मियों में सफेद कपड़े पहनने पर हमें गर्मी कम लगती है। इसके विपरीत रंगीन कपड़े ऊष्मा के अच्छे अवशोषक होते हैं। अतः जाड़ों में रंगीन कपड़े पहनना सुखदायक होता है।
प्रश्न 9.
बादलों वाली रात में स्वच्छ आकाश वाली रात की तुलना में अधिक गर्मी क्यों होती है ?
उत्तर:
दिन में सूर्य से प्राप्त ऊष्मीय विकिरण द्वारा पृथ्वी गर्म हो जाती है तथा रात में विकिरण द्वारा ऊष्मा बाहर निकलती है। रात में जब आकाश साफ होता है तब ये विकिरण अन्तरिक्ष में चले जाते हैं तथा पृथ्वी पर ताप कम हो जाता है। परन्तु आकाश में बादल होने पर ऊष्मा पुनः बादलों से टकराकर पृथ्वी पर वापस आ जाती है तथा . वातावरण में गर्मी उत्पन्न करती है। अतः बादलों वाली रात में स्वच्छ आकाश वाली रात की तुलना में अधिक गर्मी होती है।
प्रश्न 10.
पहाड़ गर्मियों में भी ठण्डे रहते हैं, क्यों ?
उत्तर:
पर्वतों की सतह समतल नहीं होती है और उनके अधिकांश भाग छाया से ढंके रहते हैं एवं पहाड़ों पर सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं। अतः किरणें अधिक क्षेत्रफल पर फैल जाती हैं। पहाड़ों के प्रति इकाई क्षेत्रफल पर आपतित सौर विकिरण की मात्रा बहुत कम होती है। अतः पहाड़ गर्मी में भी ठण्डे रहते हैं।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ऊष्मा संचरण किसे कहते हैं ? ऊष्मा संचरण की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ऊष्मा संचरण (Transmission of Heat)- जब भिन्न-भिन्न तापों वाली वस्तुओं को परस्पर सम्पर्क में रखा जाता है तब ऊष्मा उच्च ताप वाली वस्तु से निम्न ताप वाली वस्तु की ओर प्रवाहित होती है। अतः “तापान्तर के कारण ऊष्मा का प्रवाह ऊष्मा का संचरण कहलाता है।”
ऊष्मा संचरण की विधियाँ (Methods of Heat Transmission) :
ऊष्मा संचरण की तीन विधियाँ हैं
- चालन (Conduction)
- संवहन (Convection)
- विकिरण (Radiation)
1. चालन (Conduction)- ऊष्मा संचरण की वह विधि जिसमें ऊष्मा एक अणु से दूसरे अणु में स्थानान्तरित होती है एवं अणु अपना स्थान नहीं छोड़ते हैं, चालन (conduction) कहलाती है। धातुओं तथा पारे में ऊष्मा का संचरण चालन विधि द्वारा होता है।
2. संवहन (Convection)- संवहन ऊष्मा संचरण की वह विधि है जिसमें माध्यम के कण ऊष्मा ग्रहण कर अपना स्थान छोड़कर कम ताप वाले स्थान की ओर चले जाते हैं। और ठण्डे स्थान से दूसरे कण उनके स्थान पर चले आते हैं। द्रवों तथा गैसों में ऊष्मा का संचरण संवहन विधि से होता है।
3. विकिरण (Radiation)- ऊष्मा संचरण की वह विधि जिसमें ऊष्मा उच्च ताप वाली वस्तु से बीच के माध्यम को प्रभावित किए बिना कम ताप वाली वस्तु की ओर संचरित होती है, विकिरण (Radiation) कहलाती है। अतः विकिरण द्वारा ऊष्मा संचरण में किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं पड़ती है। सूर्य से पृथ्वी तक ऊष्मा संचरण विकिरण द्वारा होता है।
प्रश्न 2.
ऊष्मा संचरण की संवहन विधि के क्या उपयोग हैं? समझाइए।
उत्तर:
संवहन के उपयोग (Uses of Convection)
1. संवातन (रोशनदान)- हमारे श्वसन से निकाली गई वायु सामान्य वायु से गर्म तथा कम घनत्व वाली होती है। ये ऊपर उठकर छत के पास बने हुए रोशनदान (संवातन) से बाहर निकल जाती है तथा खिड़कियों और दरवाजे से स्वच्छ वायु अन्दर आ जाती है।
2. चिमनियाँ- घरों तथा कारखानों से निकलने वाला धुआँ और गैसें गर्म होने के कारण ऊपर उठते हैं तथा चिमनी द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
3. महासागरीय धारा- विषुवत् रेखा के आसपास ध्रुवों की तुलना में सूर्य की किरणे अपेक्षाकृत सीधी पड़ती हैं। इस कारण महासागरों में ध्रुवों की तुलना में विषुवत् वृत्त का पानी अधिक गर्म होता है। यह जब हल्का होने के कारण ऊपर ही ऊपर तैरता हुआ ध्रुवीय प्रदेशों की ओर बहता है। गर्म जल के इस प्रकार बहने को गर्म जल की धारा कहते हैं। इसके विपरीत ध्रुवों के आसपास का जल ठण्डा होने के कारण भारी होता है तथा समुद्र के नीचे से ध्रुवों से विषुवत् वृत्त की ओर बहता है। इस प्रकार की धाराओं को ठण्डे जल की धारा कहते हैं।
4. पवन चलना- हवा अधिक वायु दाब वाले स्थान से कम वायु दाब की ओर चलती है। जब किसी स्थान पर ताप अधिक होता है तो उस स्थान की हवा गर्म होकर ऊपर उठती है और फैलती है। इस कारण उस स्थान का वायु दाब कम हो जाता है। तब ठण्डे स्थान से गर्म स्थान की ओर पवन चलने लगती है। दिन के समय स्थल भाग समुद्र के जल की अपेक्षा अधिक गर्म होता है। अतः समुद्र से वायु स्थल की ओर बहती है। इसे समुद्र समीर कहते हैं। किन्तु रात्रि में स्थलीय भाग जल्दी ठण्डा हो जाता है। अतः स्थल से समुद्र की ओर हवा चलती है जिसे ‘थल समीर’ कहते हैं। गर्मियों में समुद्र से मानसूनी हवाएँ भी इसी कारण चलती हैं और वर्षा होती है।
प्रश्न 3.
जब वस्तु पर ऊष्मीय विकिरण गिरते हैं तब कौन-सी क्रियाएँ होती हैं ? समझाइए।
उत्तर:
जब वस्तु पर ऊष्मीय विकिरण गिरते हैं तब निम्नलिखित क्रियाएँ होती हैं
1. परावर्तन- वस्तु पर आपतित होने वाले विकिरण ऊर्जा के कुछ भाग का वस्तु द्वारा परावर्तन हो जाता है। चमकीली वस्तुएँ अच्छी परावर्तक होती हैं; जैसे-धातुएँ।
2. अवशोषण- वस्तु पर आपतित होने वाले विकिरण के कुछ भाग का वस्तु द्वारा अवशोषण कर लिया जाता है। फलस्वरूप वस्तु गर्म हो जाती है और उसका ताप बढ़ जाता है। जब हम धूप में जाते हैं तो हमें गर्मी इसी कारण लगती है। इसी से बचने के लिए हम छाते का प्रयोग करते हैं अथवा छाया का सहारा लेते हैं। सफेद अथवा हल्के रंग की वस्तुओं की तुलना में काली रंग या गहरे रंग की वस्तुएँ विकिरण का अधिक अवशोषण करती हैं।
3. पारगमन- जब विकिरण किसी पारदर्शी वस्तु पर गिरते हैं तो अवशोषण व परावर्तन के साथ-साथ उनका पारगमन भी होता है।