RBSE Solution for Class 8 Hindi Chapter 12 कुण्डलियाँ छंद
RBSE Solution for Class 8 Hindi Chapter 12 कुण्डलियाँ छंद
Rajasthan Board RBSE Class 8 Hindi Chapter 12 कुण्डलियाँ छंद
RBSE Class 8 Hindi Chapter 12 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
पाठ से
सोचें और बताएँ
प्रश्न 1.
कुंडलियाँ’ पाठ के लेखक का नाम बताइए।
उत्तर:
‘कुंडलियाँ’ पाठ के लेखक का नाम गिरधर कविराय है।
प्रश्न 2.
”बिना बिचारे जो. ” कुण्डलियाँ को यदि हम जीवन में उतार लें, तो हमें क्या-क्या लाभ होगा?
उत्तर:
इससे यह लाभ होगा कि बाद में पछताना नहीं पड़ेगा, काम नहीं बिगड़ेगा और लोगों की हँसी का पात्र नहीं बनना पड़ेगा। इससे मन को शान्ति मिलेगी तथा कष्ट
भी नहीं झेलने पड़ेंगे।
RBSE Class 8 Hindi Chapter 12 लिखेंबहुविकल्पी प्रश्न
प्रश्न 1.
राँध्यो का अर्थ है-
(क) सेकना
(ख) पकाना
(ग) रमना
(घ) राग अलापना
प्रश्न 2.
पाठ में “पाछै” शब्द का अर्थ है-
अथवा
‘कुंडलियाँ’ पाठ में ‘पाछै’ शब्द का अर्थ है-
(क) पीछा करना
(ख) पिछवाड़े रहना
(ग) बाद में
(घ) वापस करना
उत्तर:
1. (ख) 2. (ग)
प्रश्न.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. खान-पान सम्मान, …….मनहिं न भावै।
2. गुन…….घटि गई, यहै कहि रोयो हीरा।
3. मीठे वचन……..विनय, सब ही की कीजै।
4. नदिया नाला जहाँ पड़े, तहाँ….अंग।
उत्तर:
1. राग-रंग
2. कीमत
3. सुनाय
4. बचावत
RBSE Class 8 Hindi Chapter 12 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
दौलत पाकर मनुष्य को क्या न करने की सलाह दी गई है?
उत्तर:
धन-दौलत पाकर मनुष्य को घमण्ड या अभिमान न करने की सलाह दी गई है।
प्रश्न 2.
आदमी की जगहँसाई कब होती है?
उत्तर:
जब आदमी बिना सोचे-विचारे काम करता है, तब उसकी जगहँसाई होती है।
प्रश्न 3.
हीरा को छेद कर कमर में बाँधने पर हीरे को कैसा लगता है?
उत्तर:
हीरा को छेद कर कमर में बाँधने पर उसे ऐसा लगता है कि जैसे किसी गंवार आदमी ने बिना हल्दी-नमक के साग उबाल दिया हो।
RBSE Class 8 Hindi Chapter 12 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
हीरा किस बात पर पछताने लगा?
उत्तर:
हीरा अपनी खान से या अपने घर से निकलकर जब नासमझ लोगों के हाथ में बिकने के लिए आया और उस पर छेद करके कमर में बाँधा गया, तब उस अपमानजनक बात पर हीरा पछताने लगा।
प्रश्न 2.
कुण्डलियाँ में लाठी के क्या-क्या गुण बताये गये हैं?
अथवा
‘कुण्डलियाँ’ छन्द में लाठी को उपयोगी बताया है। कैसे? कोई चार तर्क लिखिए।
उत्तर:
कुण्डलियाँ में बताया गया है कि नदी-नाला पार करते समय लाठी सहारा देती है। यदि कहीं पर कुत्ते झपट पड़े, काटने आवें, तो उन्हें लाठी से मारकर भगाया जा सकता है। कोई शत्रु आवे या कोई चोर-लम्पट आवे, लाठी उसका सामना करने में काम आती है। बुढ़ापा आने पर लाठी सहारे के लिए उपयोगी रहती है।
प्रश्न 3.
किसी काम को बिना सोचे-समझे करने पर क्या परिणाम होते हैं ?
उत्तर:
किसी काम को बिना सोचे-समझे करने पर वह काम बिगड़ जाता है। इससे स्वयं को भी पछताना पड़ता है। और लोगों की हँसी का पात्र बनना पड़ता है। इससे मन को चैन नहीं मिलता है जिससे खान-पान, मान-सम्मान और हँसी-खुशी के क्षण भी अच्छे नहीं लगते हैं। इस तरह बिना सोचे-विचारे काम करने का परिणाम सदा कष्टदायी रहता है।
प्रश्न 4.
कवि गिरधर ने दौलत को मेहमान क्यों कहा है?
उत्तर:
जिस प्रकार मेहमान दो-चार दिन रुक कर चले जाता है, उसी प्रकार दौलत भी व्यक्ति के पास कुछ ही दिन रहती है और चली जाती है। धन-दौलत किसी के पास स्थिर या सदा के लिए नहीं रहती है। उसका स्वभाव चंचल माना गया है। इसी कारण कवि गिरधर ने दौलत को मेहमान कहा है।
RBSE Class 8 Hindi Chapter 12 दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कुंडलियाँ ”हीरा अपनी खानि को,..यहै कहि रोयो हीरा” पंक्तियों की अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सप्रसंग व्याख्या पहले दी गई है, उसे देखिए।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
”पाहुन निसि-दिन चारि, रहत सब ही के दौलत” में निसि-दिन से तात्पर्य निशा ( रात ) व दिन से है। उक्त ‘कुंडलियाँ’ पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
यश, हँसाय, बिगाड़ना, सम्मान, गुण।
उत्तर:
यश – अपयश
हँसाय – रुलाय
बिगाड़ना – बनाना
सम्मान – अपमान
गुण – अवगुण
प्रश्न 2.
दो या दो से अधिक पदों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है द्वन्द्व समास। इसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। जैसे-
माता और पिता = मातापिता
इसमें ‘और’ शब्द का लोप होकर योजक चिह्न (-) आ जाता है। ऐसे ही द्वंद्व समास के दस उदाहरण लिखिए।
जैसे-दाल और रोटी = दाल-रोटी।
उत्तर:
अन्न और जल – अन्न-जल
गुण और दोष – गुण-दोष
राजा और रंक – राजा-रंक
पाप और पुण्य – पाप-पुण्य
दिन और रात – दिन-रात
गुरु और शिष्य – गुरु-शिष्य
राम और सीता – राम-सीता
जन्म और मृत्यु – जन्म-मृत्यु
रोटी और कपड़ा – रोटी-कपड़ा
सर्दी और गर्मी – सर्दी-गर्मी
प्रश्न 3.
पाठ में आए निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए-
जस, गुन, छेद, माथा।
उत्तर:
जस – यश
गुन – गुण
छेद – छिद्र
माथा – मस्तक
प्रश्न 4.
पाठ में आए निम्नलिखित कारकों के विभक्ति चिह्नों को लिखिए
1. अधिकरण कारक
2. संबोधन कारक
3. कर्म कारक
4. संबंध कारक
उत्तर:
1. अधिकरण कारक – में, पे, पर
2. संबोधन कारक – हे, अरे, भो !
3. कर्म कारक – को
4. संबंध कारक – का, की, के
पाठ से आगे
प्रश्न 1.
‘बातन हाथी पाइए, बातन हाथी पाँव’ उक्ति पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
कक्षा में चर्चा करें कि केवल बातों से कुछ नहीं होता। बड़ी-बड़ी बातें करो तो वैसा प्रयास भी करो और वैसा काम भी करो।
प्रश्न 2.
पाठ से संबंधित दोहे व पंक्तियों का संकलन कीजिए। जैसे-
तुलसी मीठे वचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर।
वशीकरण एक मंत्र हैं, तजिए वचन कठोर ॥
उत्तर:
बोली एक अमोल है, जो कोई बोले जानि ।
हिए तराजू तौलिके, तण मुख बाहर आनि।
यह भी करें
प्रश्न 1.
‘कुंडलियाँ’ छंद के सस्वर वाचन का अभ्यास कीजिए और बाल-सभा में सुनाइए।
उत्तर:
शिक्षक की सहायता लेकर अभ्यास करें।
प्रश्न 2.
पाठ में लाठी के अनेक उपयोग बताए गए हैं। कक्षा में एक रूमाल रखकर बिना बोले हाव-भाव से प्रत्येक विद्यार्थी एक उपयोग बताए।
उत्तर:
स्वयं करें।
यह भी जानें
प्रश्न.
कुंडलियाँ छंद-जिस प्रकार साँप कुंडली लगाकर बैठता है तब उसके फन और पूँछ एक ही रेखा ( सीध) में होते हैं, इसी प्रकार ये छंद जिस शब्द से प्रारंभ होता है, उसी शब्द पर ही आकर खत्म होता है। इसमें प्रथम दो पंक्तियाँ दोहे की और शेष चार पंक्तियाँ रोला छंद की होती हैं।
उत्तर:
कुण्डलियाँ छन्द का यह लक्षण या परिभाषा है। इसे याद रखिए।
RBSE Class 8 Hindi Chapter 12 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
RBSE Class 8 Hindi Chapter 12 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
”ठाऊँ न रहत निदान, जियते जग में जस लीजे।” उक्त पंक्ति में ‘ठाऊँ’ शब्द का अर्थ है-
(क) स्थिर
(ख) चल
(ग) चलायमान
(घ) गतिमान
प्रश्न 2.
‘कुंडलियाँ’ पाठ में ‘पाहुन’ शब्द का अर्थ है-
(क) मेहमान
(ख) मेजमान
(ग) भगवान
(घ) पतवार
प्रश्न 3.
‘अरे यह सब घट तौलत’-इसमें ‘यह’ का प्रयोग हुआ है-
(क) धनी व्यक्ति के लिए
(ख) दौलत के लिए
(ग) कविराय के लिए
(घ) अभिमान के लिए
प्रश्न 4.
‘ठाऊँ न रहत निदान’ कथन से दौलत को बताया गया है-
(क) चंचल
(ख) अचल
(ग) स्थिर
(घ) भारी
प्रश्न 5.
‘दुःख कछु टरत न टारे’-यह दशा कब होती है-
(क) सोच-विचार करते रहने से
(ख) दु:ख का चिन्तन करने से
(ग) बिना विचारे काम करने से
(घ) दूसरों को समझाने से
प्रश्न 6.
‘साग ज्यों फूहर राँध्यो’-इस पंक्ति में ‘फूहर’ का अर्थ है-
(क) सज्जन
(ख) दुर्जन
(ग) सभ्य
(घ) सँवार
प्रश्न 7.
लाठी किनके लिए सबसे अधिक उपयोगी रहती है?
(क) बच्चों के लिए
(ख) बूढ़ों के लिए।
(ग) राहगीरों के लिए
(घ) सिपाहियों के लिए
उत्तर:
1. (क) 2. (क) 3. (ख ) 4. (के) 5. (ग) 6. (घ) 7. (ख)
सुमेलन
प्रश्न 8.
खण्ड ‘अ’ एवं खण्ड ‘ब’ में दी गई पंक्तियों का मिलान कीजिए
उत्तर:
पंक्तियों का मिलान
(क) लाठी में गुन बहुत है, सदा राखिए संग।
(ख) नदियाँ नाला जहाँ पड़े, तहाँ बचावत अंग॥
(ग) तहाँ बचावत अंग, झपट कुत्ते को मारै।
(घ) दुश्मन, दामन गीर, ताहि को मस्तक फारै॥
RBSE Class 8 Hindi Chapter 12 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 9.
बिना सोचे-समझे कार्य करने पर क्या परिणाम होता है?
उत्तर:
बिना सोचे-समझे कार्य करने पर मनुष्य को पछताना पड़ता है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए
(क) दौलत पाय न कीजिए सपने में अभिमान।
(ख) बिना विचारे जो करै, सो पाछै पछताय।
अथवा
“बिना विचारे जो करे सो पाछै पछताय
काम बिगाड़े आपणो, जग में होत हँसाय।”
उक्त पंक्तियों के पक्ष में अपना मत दीजिए।
उत्तर:
(क) भाव:
गिरधर कविराय कहते हैं कि धनदौलत पाकर मनुष्य को सपने में भी घमण्ड नहीं करना चाहिए क्योंकि यह जल की तरह अस्थिर होने के कारण किसी भी व्यक्ति के पास हमेशा स्थिर नहीं रहती है।
(ख) भाव:
गिरधर कविराय कहते हैं कि मनुष्य को बिना सोचे-समझे कोई भी कार्य अपने जीवन में नहीं करना चाहिए, क्योंकि बिना सोचे-समझे किया गया कार्य बिगड़ जाता है और उसे जीवन में पछताना पड़ता है।
प्रश्न 11.
कवि ने कैसा व्यवहार करने के लिए कहा है?
उत्तर:
कवि ने दौलत पा लेने पर मीठे वचन कहने तथा सभी से विनम्र व्यवहार करने के लिए कहा है।
प्रश्न 12.
‘अरे यह सब घट तौलत’-इससे कवि का क्या आशय है?
उत्तर:
इसका आशय है कि दौलत प्रत्येक व्यक्ति के हृदय की परीक्षा लेती है, उसके अच्छे-बुरे स्वभाव को तोलती है।
प्रश्न 13.
राग-रंग किन्हें नहीं भाता है?
उत्तर:
बिना विचारे काम करने वालों का जब उपहास होता है, तो उन्हें राग-रंग जरा भी नहीं भाता है।
प्रश्न 14.
‘छेद करि कटि में बाँध्यो’ से क्या आशय है?
उत्तर:
हीरे को सिर की पगड़ी या मुकुट में रखा जाता है, उसे पूरा सम्मान दिया जाता है, परन्तु गंवार लोग उसके मूल्य को नहीं आँक पाते हैं।
प्रश्न 15.
‘सुनो हे धुर के साठी’ कथन से कवि ने किन्हें सम्बोधित किया है?
उत्तर:
इस कथन से कवि ने बूढ़े तथा अधिक उम्र के लोगों को सम्बोधित किया है।
RBSE Class 8 Hindi Chapter 12 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 16.
दौलत पाने पर क्या नहीं करना और क्या करना चाहिए?
उत्तर:
दौलत पाने पर घमण्ड यो अभिमान नहीं करना चाहिए। दौलत पाने पर विनम्र बनना चाहिए और सभी से मधुर-मीठा व्यवहार करना चाहिए। दौलत के वितरण से यश पाना चाहिए।
प्रश्न 17.
जग में हँसी होने का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
जिस व्यक्ति की जग में हँसी होती है, उसे अपने आचरण पर पछतावा होता है। इस कारण उसका मन अशान्त रहता है। उस हालत में उसे खान-पान, सम्मान, हँसी-खुशी आदि कुछ भी अच्छा नहीं लगता है। वह स्वयं को अपमानित एवं दु:खी मानता है और लोगों के सामने दबा-सा रहता है।
प्रश्न 18.
‘यहै कहि रोयो हीरा’-क्या सोचकर हीरा रोने लगा?
उत्तर:
हीरा सोचने लगा कि मैं ऐसे लोगों के हाथों में पड़ गया हूँ, जो मेरे गुणों को नहीं जानते हैं मेरी कीमत नहीं आँक पाते हैं और मेरा गलत ढंग से उपयोग करते हैं। हीरे की परख न जानने वालों की नादानी को देखकर और अपनी लाचारी की सोचकर हीरा रोने लगा।
प्रश्न 19.
‘हीरा अपनी खानि को…..’ कुण्डलियाँ में क्या व्यंग्यार्थ या क्या अन्योक्ति है?
उत्तर:
इस कुण्डलियाँ में यह व्यंग्यार्थ या अन्योक्ति है कि कोई गुणवान् व्यक्ति अपने घर से निकलकर मूर्खा के मध्य में गया। वहाँ पर मूर्खा ने उसे पूरा सम्मान नहीं दिया, उसके गुणों का महत्त्व नहीं समझा। इस तरह का आचरण देखकर उस गुणवान् व्यक्ति को काफी कष्ट हुआ और वह पछताने लगा कि मैं किन नासमझ लोगों के बीच में आ गया हूँ।
RBSE Class 8 Hindi Chapter 12 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 20.
निम्नांकित पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिएमीठे वचन सुनाय, विनय सब ही की कीजै।
उत्तर:
आशय:कवि गिरधर कविराय कहते हैं कि मनुष्य को धन पाकर अभिमान नहीं करना चाहिए क्योंकि धन जल की तरह अस्थिर होता है। वह कभी भी एक व्यक्ति के पास स्थिर नहीं रहता है। ऐसी स्थिति में मनुष्य को जीते जी यश प्राप्त करने के लिए सभी से मीठे अर्थात् अच्छे लगने वाले वचन कहने चाहिए और सभी के साथ विनम्र आचरण करना चाहिए। इससे सभी जन उससे प्रसन्न ही नहीं रहते हैं, उसके व्यवहार और आचरण की प्रशंसा भी एक-दूसरे से करते रहते हैं।
प्रश्न 21.
‘कुण्डलियाँ’ पाठ से क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
गिरधर कविराय की कुण्डलियाँ हिन्दी साहित्य में बहुत लोकप्रिय हैं, क्योंकि इनमें कवि ने अपने अनुभव के आधार पर नीति सम्बन्धी बातों का उल्लेख किया है। इनकी कुण्डलियों से सुन्दर शिक्षा एवं प्रेरणा मिलती है। पाठ में जो कुण्डलियाँ रखी गई हैं, उनसे शिक्षा मिलती है कि हमें धन-दौलत पाने पर स्वयं को बड़ा आदमी नहीं मानना चाहिए, घमण्ड नहीं करना चाहिए। धन-दौलत तो कुछ दिनों में समाप्त हो जाती है। इसी प्रकार हमें प्रत्येक काम काफी सोच-विचारकर करना चाहिए। बिना सोचेसमझे काम करने से अपनी ही हानि होती है और लोग हँसी उड़ाते हैं । निर्गुणी एवं नासमझ लोगों की संगति नहीं करनी चाहिए।
प्रश्न 22.
‘दौलत पाय न कीजिए, सपने में अभिमान’ गिरधर द्वारा रचित इस पंक्ति के भाव को तर्क सहित सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य के दौलत अर्थात् धन प्राप्त करके अभिमान या घमण्ड नहीं करना चाहिए, क्योंकि दौलत का स्वभाव पानी जैसा होता है जिस प्रकार पानी एक जगह पर स्थिर नहीं रहता है, उसी प्रकार धन भी मनुष्य के पास स्थिर नहीं रहता है। धन तो आता जाता रहता है। इसलिए धन को पाकर मनुष्य को घमण्ड नहीं करना चाहिए, बल्कि विनम्र ही बना रहना चाहिए। विनम्रता से ही यश की प्राप्ति होती है।
कुंडलियाँ पाठ-सार-
पाठ में गिरधर कविराय की चार कुंडलियाँ संकलित हैं। इन कुंडलियों में नीति-सम्बन्धी तथा शिक्षाप्रद बातों की सुन्दर प्रेरणा दी गई है। भावों की सरल अभिव्यक्ति एवं गेयता इनकी परम विशेषता है। सप्रसंग व्याख्याएँ
(1) दौलत पाय न ………………………….. दौलत।।
कठिन शब्दार्थ-अभिमान = घमण्ड। चंचल = सदा चलने वाला, अस्थिर। ठाऊँ न रहत = स्थिर नहीं रहता, एक स्थान पर नहीं रहता। निदान = अन्त। तौलत = तोलती है। पाहुन = मेहमान। निसि = रात।।
प्रसंग-यह पद्यांश गिरधर कविराय द्वारा रचित ‘कुंडलियाँ’ कविता पाठ से लिया गया है। इसमें धन-दौलत पाने पर घमण्ड न करने के लिए कहा गया है।
व्याख्या-गिरधर कविराय कहते हैं कि धन-दौलत पा लेने पर सपने में भी अभिमान अर्थात् स्वयं को बड़ा आदमी मानने का घमण्ड नहीं करना चाहिए, क्योंकि धन तो जल की तरह अस्थिर होता है, चार दिन (थोड़े समय) तक एक स्थान पर या एक व्यक्ति के पास नहीं रहता है, वह कहीं पर भी स्थिर नहीं रहता है। जब धन कहीं पर या किसी के पास स्थिर नहीं रहता है, तो व्यक्ति को जीते-जी यश प्राप्त करना चाहिए। सभी से मीठे या अच्छे लगने वाले वचन कहने चाहिए और सभी से विनम्र आचरण करना चाहिए। गिरधर कविराय कहते हैं कि यह धन-दौलत तो प्रत्येक व्यक्ति के हृदय को तोलती है, उसकी परीक्षा लेती है। यह तो हर किसी के पास मेहमान की तरह चार दिन-रात अर्थात् कुछ ही समय तक रहती है और फिर चली जाती है।
(2) बिना बिचारे जो ………………………….. बिचारे॥
कठिन शब्दार्थ-पछताय = पछताता है। आपनो = अपना। उनहिं = उन्हें। भावै = अच्छा लगे। टरत = टलना। जिय माहिं = अपने मन में। खटकत = बुरा लगना।।
प्रसंग-यह पद्यांश गिरधर कविराय द्वारा रचित ‘कुंडलियाँ’ शीर्षक कविता पाठ से लिया गया है। इसमें प्रत्येक काम सोच-विचार के बाद करने का संदेश दिया गया है।
व्याख्या-गिरधर कविराय कहते हैं कि अच्छी तरह सोचे-विचारे बिना जो व्यक्ति काम करता है, वह बाद में पछताता है, क्योंकि बिना सोचे-समझे किया गया काम प्राय: बिगड़ जाता है। वह अपना काम तो बिगाड़ता ही है, साथ ही जग में हँसी का पात्र भी बन जाता है। जब लोगों के द्वारा हँसी की जाती है तो मन में चैन नहीं रहता है। अर्थात् हृदय दुःखी हो जाता है, मन में अशान्ति रहती है। उस हालत में खाना, पीना, सम्मान, हँसी-खुशी आदि कुछ भी उस व्यक्ति को नहीं भाता है। गिरधर कविराय कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति के मन से दु:ख टालने पर भी नहीं टलता है। वह बिना विचारे किये गये काम के कारण दुःखी होता है और अपनी गलती उसे हृदय में खटकती रहती है। अर्थात् अपनी नादानी उसे बुरी लगती है।
(3) हीरा अपनी खानि : ………………………….. हीरा॥
कठिन शब्दार्थ-खानि = खान, घर। बिकानो = बिकने। कटि = कमर। लौन = नमक। फूहर = गॅवार।। राँध्यो = पकाया। कहाँ लगि = कहाँ तक।
प्रसंग-यह पद्यांश गिरधर कविराय द्वारा रचित ‘कुंडलियाँ’ शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसमें हीरा के माध्यम से गुणी व्यक्ति की लाचारी का वर्णन किया गया है।
व्याख्या-गिरधर कविराय वर्णन करते हैं कि हीरा अपनी खान (घर) से अलग होने से बार-बार पछताने लगा। वह सोचने लगा कि ये लोग मेरे गुणों और मूल्य को नहीं जानते हैं और इनके हाथ पड़कर मैं कहाँ बिकने आ गया हूँ। मैं कहाँ ऐसी दुर्गति में पड़ गया हूँ। ये लोग मुझ पर छेद करके कमर में बाँध लेते हैं, अर्थात् कष्ट देते हैं और अपमानित करते हैं। जैसे बिना हल्दी और बिना नमक के गॅवार लोग साग पका लेते हैं, वही स्थिति मेरे साथ भी हो रही है। गिरधर कविराय कहते हैं कि हीरा कहने लगा-मैं कहाँ तक धैर्य धारण करूं? ऐसे गंवार लोगों के हाथ पड़ने से मेरे गुण एवं मूल्य कम हो गये हैं, मेरा घोर अपमान हो रहा है। ऐसा कहकर हीरा रोने लगा या खूब रोया।
(4) लाठी में गुन ……………………………….. लाठी॥
कठिन शब्दार्थ-संग = साथ। बचावत = बचाता है। मारे = मारता है। दामनगीर = लम्पट, लुटेरे। फारै = फाड़ देता है। धुर = पक्का, अग्रणी।
प्रसंग-यह पद्यांश गिरधर कविराय द्वारा रचित ‘कुंडलियाँ’ से लिया गया है। इसमें कवि ने लाठी का महत्त्व बताया है।
व्याख्या-गिरधर कविराय कहते हैं कि लाठी या छड़ी में बहुत से गुण हैं, इसलिए लाठी को सदा अपने साथ रखना चाहिए। भाव यह है कि हाथ में लाठी लेकर चलना चाहिए। मार्ग में जहाँ कहीं भी नदी व नाला पड़ जाता है, तो लाठी वहाँ पर शरीर की रक्षा करती है, नदी-नाले को पार कराने में सहायता करती है। रास्ते में जहाँ कहीं कुत्ते झपट पड़ते हैं, वहाँ पर लाठी उसे मारकर शरीर की रक्षा करती है। यदि कोई शत्रु और लम्पट-लुटेरा मिल जावे, तो लाठी उनके सिर को फाड़ डालती है। गिरधर कविराय कहते हैं कि हे साठ वर्ष के अग्रणी वृद्ध! सुनो, तुम सब हथियारों को छोड़कर हाथ में लाठी पकड़े रखो। अर्थात् वृद्धों के लिए लाठी सब तरह से सहायता करती है तथा उपयोगी रहती है।