RBSE Solutions for Class 8 Hindi Chapter 4 सुदामा चरित
RBSE Solutions for Class 8 Hindi Chapter 4 सुदामा चरित
Rajasthan Board RBSE Class 8 Hindi Chapter 4 सुदामा चरित
RBSE Class 8 Hindi Chapter 4 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
पाठ से
सोचें और बताएँ
प्रश्न 1.
सुदामा के मित्र कौन थे?
उत्तर:
सुदामा के मित्र द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण थे।
प्रश्न 2.
किसके कहने पर सुदामा द्वारका गये थे ?
उत्तर:
अपनी पत्नी के कहने पर सुदामा द्वारका गये थे।
RBSE Class 8 Hindi Chapter 4 लिखेंबहुविकल्पी प्रश्न
प्रश्न 1.
पाठ में ‘वसुधा’ शब्द आया है-
(क) श्रीकृष्ण के लिए
(ख) द्वारका के लिए
(ग) सुदामा की पत्नी के लिए
(घ) अंगोछा के लिए
उत्तर:
1. (ख)
RBSE Class 8 Hindi Chapter 4 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
श्रीकृष्ण कहाँ के राजा थे ?
उत्तर:
श्रीकृष्ण द्वारिका के राजा थे।
प्रश्न 2.
सुदामा श्रीकृष्ण के लिए भेंट-स्वरूप क्या ले गये थे?
उत्तर:
सुदामा श्रीकृष्ण के लिए भेंट-स्वरूप थोड़े से पोटली में चावल ले गये थे।
प्रश्न 3.
द्वारपाल ने सुदामा का चित्रण किसके सामने किया?
उत्तर:
द्वारपाल ने अपने स्वामी श्रीकृष्ण के सामने सुदामा का चित्रण किया।
RBSE Class 8 Hindi Chapter 4 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
द्वारपाल ने सुदामा के आगमन की सूचना किसको तथा क्या दी?
उत्तर:
द्वारपाल ने सुदामा के आने की सूचना अपने स्वामी श्रीकृष्ण को दी। उसने कहा कि द्वार पर एक गरीब ब्राह्मण आया हुआ है। उसके सिर पर न तो पगड़ी है और न शरीर पर कोई कुरता या अंगरखा है। उसकी धोती फटी हुई है, कन्धे पर एक पुराना दुपट्टा है, परन्तु पैरों में जूते नहीं हैं। वह अपना नाम सुदामा बता रहा है और आपके महल का पता पूछ रहा है।
प्रश्न 2.
श्रीकृष्ण ने सुदामा के पाँव कैसे धोए ? उक्त क्रिया वाली पंक्तियाँ सवैया में से छाँटकर लिखिए।
उत्तर:
श्रीकृष्ण ने सुदामा की दीन-दशा एवं कष्टमय जीवन देखा, तो उनके आँसू निकल पड़े। उन्होंने उन आँसुओं से ही सुदामा के पैर धोए। इस क्रिया वाली पंक्तियाँ
पानी परात को हाथ छुयो नहिं,
नैनन के जल सौं पग धोए।
RBSE Class 8 Hindi Chapter 4 दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
पाँच सुपारि बिचारु तू देखिके,
भेंट को चारि न चाउर मेरे।
उत्तर:
प्रसंग:
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ नरोत्तमदास द्वारा रचित ‘सुदामा चरित’ शीर्षक से ली गयी हैं। पत्नी के बार-बार द्वारिका जाने की जिद पर सुदामा अपनी गरीबी पर विचार करते हुए अपनी पत्नी को अपनी विवशता बता रहे हैं। व्याख्या-सुदामा ने अपनी पत्नी से कहा कि किसी से मिलने जाने पर कुछ भेंट भी ले जानी पड़ती है। श्रीकृष्ण तो द्वारिका के राजा हैं। उनसे मिलने के लिए कोई-न-कोई भेंट अवश्य ले जानी चाहिए। तुम अच्छी तरह विचार कर लो कि उनसे भेंट के लिए पाँच सुपारी तो ले जानी ही चाहिए। परन्तु मेरे पास पाँच सुपारी तो दूर रही, थोड़े से चावल भी नहीं हैं। अर्थात् सुपारी जैसी कीमती चीज के स्थान पर साधारण-सी चीज चार मुट्ठी चावल भी नहीं हैं। फिर द्वारिकाधीश से मेरी भेंट कहाँ तक ठीक है और भेंट की वस्तु की व्यवस्था कहाँ से हो सकेगी।
प्रश्न 2.
सुदामा की दुर्दशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या स्थिति हुई ? लिखिए।
उत्तर:
सुदामा की दुर्दशा देखकर श्रीकृष्ण अत्यधिक दु:खी हुए। वे अपने मित्र सुदामा के पैरों पर फटी बिवाइयाँ देखकर रोने लगे और उन पर चुभे काँटों को देखकर उनके कष्टों का अनुमान लगाने लगे। उन्होंने कहा कि हे मित्र, तुमने इतने कष्ट सहे, इतने दु:ख झेले, तो इतने दिनों तक कहाँ रहे और मेरे पास आने में इतनी देर क्यों कर दी? पहले ही आ जाते, तो तुम्हें ऐसी दुर्दशा नहीं झेलनी पड़ती। हाय मित्र! मुझसे आपकी दुर्दशा नहीं देखी जाती। ऐसे वचन कहकर श्रीकृष्ण आँसू बहाने लगे और दया से पूरी तरह द्रवित हो गये ।
प्रश्न 3.
श्रीकृष्ण-सुदामा के मिलन का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
जब द्वारपाल ने कहा कि द्वार पर सुदामा नाम का ब्राह्मण खड़ा है और द्वारिकाधीश से मिलना चाहता है, तो यह सुनकर श्रीकृष्ण स्वयं द्वार तक गये और सुदामा को बड़े
आदर और प्रेम से अन्दर ले आये। वे मित्र सुदामा के गले मिले, उन्हें आसन पर बैठाया। और कुशल-समाचार पूछे। तब उन्होंने कहा कि आपकी हालत ठीक नहीं है। आपके पैरों में बिवाइयाँ फटी हैं, काँटे चुभे हुए हैं। आपके पास उचित वस्त्र एवं जूते भी नहीं हैं। हे मित्र, ऐसी दुर्दशा होने पर भी आप पहले क्यों नहीं आये? तब सुदामा ने संकोच से कुछ नहीं कहा और सारा दोष अपने भाग्य को दिया। श्रीकृष्ण ने मित्र का पूरा सत्कार किया और रानियों से उनका परिचय भी कराया।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों में कर्ता और क्रियापदों को छाँटकर लिखिए
( क ) सुदामा कृष्ण से मिलने जा रहे थे।
(ख) सुदामा अपने साथ चावल की पोटली लेकर गए।
(ग) सेवक ने सुदामा के बारे में कृष्ण को बताया।
(घ) कृष्ण सुदामा का नाम सुनकर दौड़ आए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
दिए गए वाक्यों में क्रिया सकर्मक है या अकर्मक। वाक्यों को अपनी कॉपी में लिखकर क्रिया का भेद लिखिए।
1. द्वारपाल बोला।
2. कृष्ण ने चावल खाएं।
3. कृष्ण ने सुदामा के पैर धोए।
उत्तर:
1. बोला – अकर्मक क्रिया।
2. खाए – सकर्मक क्रिया।
3. धोए – सकर्मक क्रिया।
पाठ से आगे
प्रश्न 1.
सुदामा कृष्ण से मिलने बहुत पहले भी जा सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कारण जानिए और लिखिए।
उत्तर:
सुदामा भले ही गरीब ब्राह्मण थे, परन्तु कुछ स्वाभिमानी और कुछ संकोची भी थे। वे मित्र से सहायता माँगना या अपनी गरीबी बताना अपने स्वाभिमानी स्वभाव से उचित नहीं मानते थे । सुदामा संकोची प्रवृत्ति के कारण हर किसी के सामने हाथ फैलाना नहीं चाहते थे। इसी कारण वे पहले कृष्ण के पास नहीं आये। अपनी पत्नी की जिद्द पर और उसके द्वारा बार-बार मित्रता की बातें कहनेपर ही सुदामा द्वारिका आये थे। परन्तु उन्होंने अपने मुख से | याचना नहीं की और बिना कुछ माँगे ही वहाँ से चले गये थे। भगवान् श्रीकृष्ण ने उनके हृदयगत भाव को समझकर परोक्ष रूप में सब कुछ दे दिया था।
प्रश्न 2.
जे गरीब पर हित करे, ते रहीम बड़ लोग।
कहा सुदामा बापुरी, कृष्ण मितायी जोग॥
उपर्युक्त दोहे का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भावार्थ:
कवि रहीम कहते हैं कि जो गरीबजनों अथवा दूसरों की भलाई करते हैं, वे ही बड़े लोग कहलाते हैं। सुदामा बेचारा अत्यन्त गरीब था, परन्तु श्रीकृष्ण ने मित्रता निभाते हुए उसका उद्धार किया। आशय यह है कि उन्होंने अपने मित्र सुदामा का बड़ा उपकार किया और उसे अपने समान ही सुदामापुरी का स्वामी व ऐश्वर्यशाली बना दिया।
प्रश्न 3.
आपने कभी अपने मित्र की मदद की होगी, उस घटना का वर्णन लिखिए।
उत्तर:
हमारा एक मित्र हमारी ही कक्षा का सहपाठी था। उसके पास पाठ्यपुस्तकों एवं अभ्यास-पुस्तिकाओं की कमी थी। वह गरीब घर का होने से पाठ्य-सामग्री खरीद नहीं पा रहा था। हम तीन-चार साथियों से उसकी दशा देखी नहीं गई। तब हमने अपने-अपने माता-पिता से परामर्श कर उसकी पूरी सहायता की, उसे पाठ्यसामग्री खरीदकर दी और कुछ आर्थिक मदद भी की।
संकलन
प्रश्न.
श्रीकृष्ण-सुदामा मित्रता की कहानी है। ऐसी कहानियों का संकलन कीजिए।
उत्तर:
पुस्तकालय की सहायता लेकर स्वयं करें ।
यह भी करें
प्रश्न.
निम्नांकित संवाद को आगे बढ़ाइये।
द्वारपाल – महाराज की जय हो। महाराज द्वार पर एक ब्राह्मण खड़ा है। आपसे मिलना चाहता है।
श्रीकृष्ण – मुझसे मिलना चाहता है? मगर क्यों? क्या नाम है उसका और कहाँ से आया है?
उत्तर-द्वारपाल – उसका नाम सुदामा है। वह अपने गाँव सुदामापुरी से आया है।
श्रीकृष्ण – क्या नाम बताया? सुदामा ! याद आया, वह तो हमारा पुराना मित्र है!
द्वारपाल – महाराज! क्या उन्हें अन्दर प्रवेश कराऊँ?
श्रीकृष्ण – नहीं, नहीं, हम स्वयं उनके स्वागत के लिए। जायेंगे। ऐसे मित्र का स्वागत हमें ही करने दो।
तब और अब-
प्रश्न.
नीचे लिखे शब्दों के मानक रूप लिखियेद्वारका, कह्यो, द्विज, द्वार, रह्यो।
उत्तर:
द्वारिका – द्वारका
कह्यो – कयो,
द्विज – विज,
द्वार – द्वार,
रह्यो – रह्यो
RBSE Class 8 Hindi Chapter 4अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
RBSE Class 8 Hindi Chapter 4 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सुदामा के मित्र कौन थे ?
(क) श्रीराम
(ख) श्रीकृष्ण
(ग) श्रीगणेश
(घ) श्री परशुराम
प्रश्न 2.
श्रीकृष्ण ने सुदामा के पैर धोए
(क) परात में लाये पानी से ।
(ख) आँसुओं के जल से
(ग) दूध मिले जल से
(घ) गीले कपड़े से।
प्रश्न 3.
‘आठहूँ जाम यही जक तेरे’-ये बचन किसने कहे?
(क) श्रीकृष्ण ने
(ख) सुदामा की पत्नी ने
(ग) सुदामा की माँ ने
(घ) सुदामा ने।
प्रश्न 4.
‘जहाँ भूपति जान न पावत नेरे’-इस वाक्य में ‘भूपति’ का अर्थ है
(क) राजा
(ख) कृषक
(ग) ब्राह्मण
(घ) द्वारपाल
प्रश्न 5.
‘भेंट को चारि नै चाउर मेरे’-इससे प्रकट हुई है-
(क ) सुदामा की चालाकी
(ख) सुदामा की नादानी
(ग) सुदामा की गरीबी
(घ) सुदामा की वाचालता।
प्रश्न 6.
मित्र को भेंट करने के लिए सुदामा ले जाना चाहते थे
(क) चने की पोटली
(ख) चार मुट्ठी चावल ।
(ग) सुन्दर पगड़ी
(घ) पान-सुपारी। ( )
उत्तर:
1. (ख) 2. (ख) 3. (घ) 4. (क) 5. (ग) 6. (ख)
सुमेलन
प्रश्न 7.
‘अ’ एवं खण्ड’ब’ में दी गई पंक्तियों का मिलान कीजिए
उत्तर:
पंक्तियों का मिलान-
(क) सीस पगी न झगा तन पै प्रभु।
(ख) जाने को अहि बसै केहि ग्रामा।
(ग) धोती फटी-सी लटी दुपटी अरु।
(घ) पाँव उपानहूँ की नहीं सामा।
प्रश्न 8.
नीचे दी गई पंक्तियों का मिलान कर लिखिए-
(क) सीस पगा न, झगा तन पै प्रभु – कंटक जाल गड़े पग जोये ।
(ख) पूछत दीन दयाल को धाम – जाने को आहि बसै केहि ग्रामा।
(ग) कैसे विहाल बिवाइन सौं भये – नैनन के जल सौं पग धोये।
(घ) पानी परात को हाथ छुयो नहिं – बतावत अपनो नाम सुदामा।
उत्तर:
सुमेलन
सीस पगा न, झगा तन पै प्रभु
जाने को आहि बसै केहि ग्रामा ।
पूछत दीन दयाल को धाम ।
बतावत अपनो नाम सुदामा ।
कैसे विहाल बिवाइन सौं भये
कंटक जाल गड़े पग जोये।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं।
नैनन के जल सौं पग धोये।
RBSE Class 8 Hindi Chapter 4 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए
सीस पगा न झगा तन पै प्रभु,
जाने को आहि बसै केहि ग्रामा।
उत्तर:
भाव:
सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिका पहुँच जाते हैं। द्वारपाल ने उन्हें रोक कर श्रीकृष्ण के पास जाकर निवेदन किया कि हे प्रभु! दरवाजे पर एक ब्राह्मण खड़ा है जिसके सिर न पगड़ी है और न शरीर पर झगा (कुरता) है। वह न जाने कहाँ से आया है। तथा किस गाँव का रहने वाला है। इन शब्दों में द्वारपाल ने श्रीकृष्ण से सुदामा की गरीब स्थिति का वर्णन किया है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) पूछत दीन दयाल को धाम, बतावत अपनो नाम सुदामा ।
(ख) पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सौं पग धोये।
उत्तर:
( क ) भाव:कवि नरोत्तम दास वर्णन करते हुए कह रहे हैं कि द्वारपाल ने श्रीकृष्ण के पास जाकर निवेदन कर रहा है कि दरवाजे पर एक दुर्बल ब्राह्मण खड़ा है। वह दीनों पर दया करने वाले श्रीकृष्ण अर्थात् आपका निवास स्थान पूछ रहा है और अपना नाम सुदामा बता रहा है।
(ख) भाव:कवि वर्णन करता है कि श्रीकृष्ण दीन मित्र सुदामा को देखकर इतने भाव-विह्वल हो गये कि उन्होंने परात में लाये गये पानी को हाथ से भी नहीं छुआ और अपने आँसुओं से ही मित्र सुदामा के पैर धो दिए।
प्रश्न 11.
सुदामा को उनकी पत्नी द्वारिका क्यों भेजना चाहती थी ?
उत्तर:
द्वारिकाधीश को अपने पति का मित्र जानकर वह अपनी गरीबी मिटाने के लिए सुदामा को द्वारिका भेजना चाहती थी।
प्रश्न 12.
‘पाँच सुपारि विचारि तू देखिके, भेंट कोइत्यादि कथन से क्या भाव व्यक्त हुआ है?
उत्तर:
किसी राजा या बड़े व्यक्ति के पास जाने पर कुछ भेंट देने की परम्परा है।
सुदामा इस परम्परा को कैसे निभाये?
प्रश्न 13.
सुदामा की दीन दशा के बारे में श्रीकृष्ण को किसने बताया?
उत्तर:
द्वारपाल ने आकर श्रीकृष्ण से सुदामा की दीन दशा के बारे में बताया।
प्रश्न 14.
सुदामा की दीन दशा को देखकर कौन रो पड़े थे?
उत्तर:
सुदामा की दीन दशा को देखकर श्रीकृष्ण रो पड़े थे।
प्रश्न 15.
‘पानी परातपग धोए’ से किस शिष्टाचार की व्यंजना हुई है?
उत्तर:
इससे भारतीय संस्कृति में घर आये मेहमान के सर्वप्रथम पैर धोने की शिष्टाचार परम्परा की व्यंजना हुई है।
RBSE Class 8 Hindi Chapter 4 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 16.
द्वारपाल ने श्रीकृष्ण के पास जाकर क्या कहा?
उत्तर:
द्वारपाल ने श्रीकृष्ण के पास जाकर कहा कि द्वार पर | एक दीन-हीन एवं गरीब ब्राह्मण आया हुआ है। उसके पास ढंग के वस्त्र भी नहीं हैं और यहाँ की शोभा को देखकर वह आश्चर्यचकित हो रहा है। वह अपना नाम सुदामा बताता है और आपसे मिलना चाहता है।
प्रश्न 17.
‘सुदामाचरित’ पाठ की कविताओं से क्या सन्देश दिया गया है?
उत्तर:
इस पाठ से सन्देश दिया गया है कि गरीबी और विपत्ति आने पर सच्चे मित्र के पास ही जाना चाहिए। सच्चे मित्र को भी गरीब मित्र की पूरी सहायता करनी चाहिए।
यदि मित्र धन-वैभव से सम्पन्न है और बड़ा आदमी है, तो | उसे मित्रता में बराबरी का व्यवहार करना चाहिए। बड़े और छोटे का भेद मानने पर मित्रता टूट जाती है।
प्रश्न 18.
यदि सुदामा की तरह कोई गरीब घनिष्ठ मित्र मिलने आवे, तो आप कैसा व्यवहार करेंगे ?
उत्तर:
यदि सुदामा की तरह कोई गरीब घनिष्ठ मित्र वर्षों बाद हमसे मिलने आवे, तो हमें अपने घनिष्ठ मित्र के आने से अपार खुशी होगी। उसके आने पर हम उससे बहुत ही आत्मीयता का व्यवहार करेंगे। पुरानी बातों को याद करके मनोविनोद करेंगे। उसे अपनी सामर्थ्य के अनुसार पूरा सत्कार देंगे, उसकी पूरी सहायता करेंगे।
RBSE Class 8 Hindi Chapter 4 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 19.
श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता को ध्यान में रखते हुए उनकी मित्रता और आज की मित्रता के बारे में अपने | विचार लिखिए।
उत्तर:
श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता बेमिसाल मानी जाती है। श्रीकृष्ण ने सुदामा की दीन दशा को दूर कर उसे अपने समान सुदामापुरी का वैभव-सुख प्रदान किया। आज के युग में ऐसी मित्रता नहीं दिखाई देती है। अब मित्रता स्वार्थ पर निर्भर करती है, इसमें हृदय की पवित्रता एवं निर्मलता नहीं रहती है। गरीब लोगों से कोई मित्रता नहीं करता है और जरा-जरा बात पर मित्रता तोड़ देते हैं। मित्रता निभाने में अब सच्चाई, ईमानदारी, त्याग-भावना एवं प्रेम-व्यवहार आदि सब समाप्त हो गये हैं।
प्रश्न 20.
“विपत्ति के समय ही सच्ची मित्रता की परख होती है।” इस दृष्टि से श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता कितनी खरी उतरती है? लिखिए।
उत्तर:
यह कथन पूरी तरह सत्य है कि विपत्ति के समय ही सच्ची मित्रता और सच्चे मित्र की परख होती है। सम्पत्ति में तो कई मित्र बन जाते हैं, परन्तु विपत्ति आने पर मित्र लोग मुँह फेर लेते हैं। परन्तु श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता खरी उतरती है। अपने सहपाठी मित्र सुदामा की गरीब दशा को देखकर श्रीकृष्ण ने जिस तरह स्वागतसत्कार किया, उस पर जो दया दिखाई और अप्रत्यक्ष रूप से उसे सुदामापुरी का राजा बना दिया, उससे श्रीकृष्ण को सच्चा मित्र माना गया है। उन्होंने अपने गरीब मित्र को पूरा सम्मान दिया और गरीब ब्राह्मण के स्वाभिमान को कोई ठेस भी नहीं पहुँचायी।
सुदामाचरित – पाठ-सार
इस पाठ में कवि नरोत्तम दास द्वारा रचे गये ‘सुदामाचरित’ काव्य से तीन सवैये संकलित हैं। इसमें । सुदामा की गरीबी का, पत्नी के आग्रह पर द्वारिका जाने का तथा श्रीकृष्ण की मित्रता का वर्णन किया गया है। सप्रसंग व्याख्याएँ सवैये
(1) सुदामा–द्वारिका जाहुजू ……………………………………. चाउर मेरे॥
कठिन शब्दार्थ-जाहुजू = जाइए। याम = प्रहर। जक = रट, बार-बार कहना । हेरे = देखी जावे। छड़िया = छड़ीदारे पहरे वाले। भूपति = राजा। पावत = पाते हैं। नेरे = निकट। चाउर = चावल।
प्रसंग-यह सवैया कवि नरोत्तम दास द्वारा रचित ‘सुदामाचरित’ पाठ से लिया गया है। गरीब सुदामा से उनकी पत्नी अपने मित्र श्रीकृष्ण के पास जाने का आग्रह करती है। तब सुदामा पत्नी को समझाते हुए जो कुछ कहने लगा, इसमें उसी का वर्णन है।
व्याख्या-कवि वर्णन करता है कि सुदामा ने अपनी पत्नी से कहा, आठों प्रहर तुम यही रट लगा रही हो कि द्वारिका जाइए, द्वारिका अपने मित्र के पास जाइए। यदि मैं तुम्हारा कहा नहीं करता हूँ, तो तुम्हें भी और मुझे भी काफी दुःख होता है, पर अपनी ऐसी दुर्दशा या गरीबी देखकर कहाँ जाऊँ, किसे अपनी बुरी दशा बताऊँ? वहाँ द्वारिका में श्रीकृष्ण के महल के दरवाजे पर छड़ीदार पहरे वाले खड़े रहते हैं, बड़े-बड़े राजी भी उनके पास नहीं जा पाते हैं। यदि मैं मित्र श्रीकृष्ण से मिलने जाऊँ भी, तो तुम विचार करके देख लो कि मेरे पास उन्हें भेंट देने के लिए पाँच सुपारियाँ तो दूर की बात रही चार चावल (थोड़े से चावल) तक नहीं हैं। अर्थात् मित्र को भेंट देने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है, तो फिर मैं उनसे कैसे मिलें।
(2) सीस पगा न ……………………………………. नाम सुदामा॥
कठिन शब्दार्थ-सीस = सिर। पगा = पगड़ी। झगा = चोगा, वस्त्र। तन = शरीर। केहि = किस। ग्रामा = गाँव। दुपटी = दुपट्टा। उपानहुँ = जूते। द्विज = ब्राह्मण। चकि सों = आश्चर्यचकित। वसुधा = धरती। अभिरामा = सुन्दर। दीनदयाल = दोनों के प्रभु श्रीकृष्ण। धाम = भवन। बतावत = बताता है।
प्रसंग-यह सवैया नरोत्तम दास द्वारा रचित ‘सुदामाचरित’ पाठ से लिया गया है। सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर द्वारिका गये। वहाँ पर द्वारपाल ने उन्हें रोक दिया और द्वारिकाधीश के पास जाकर सुदामा के आने की सूचना दी। इसमें उसी घटना का वर्णन है।
व्याख्या–कवि वर्णन करता है कि द्वारपाल ने श्रीकृष्ण के पास जाकर निवेदन किया कि हे प्रभु ! दरवाजे पर एक दुर्बल ब्राह्मण खड़ा है। उसके सिर पर न पगड़ी है और न शरीर पर कुरता झगा है। वह न जाने कहाँ से आया है तथा किस गाँव का रहने वाला है। उसकी धोती फटी हुई है और उसके कन्धे पर फटा हुआ दुपट्टा पड़ा हुआ है। उसके पैरों में जूते भी नहीं हैं। दरवाजे पर एक दुर्बल ब्राह्मण खड़ा है जो द्वारिका के महलों और यहाँ की धरती की सुन्दरता को देखकर आश्चर्यचकित हो रहा है। वह दोनों पर दया करने वाले श्रीकृष्ण का धाम (निवास स्थान) पूछ रहा है और अपना नाम सुदामा बताता है।
(3) कैसे बिहाल ……………………………………. पग धोये।
कठिन शब्दार्थ-बिहाल = बुरे हाल। बिवाइन = बिवाइयाँ, फटी एड़ियाँ। कंटक = काँटे। जोये = देखने। इतै = यहाँ। कितै = कितने, कहाँ। सखा = मित्र। करुणा = दया। करुणानिधि = दया के भंडार, श्रीकृष्ण। छुयो = छुआ। नैनन = नेत्रों। सौं = से।
प्रसंग-यह सवैया कवि नरोत्तम दास द्वारा रचित ‘सुदामाचरित’ पाठ से लिया गया है। सुदामा की दीन दशा को देखकर श्रीकृष्ण काफी दुःखी हुए। इसमें उसी घटना का वर्णन है।।
व्याख्या-कवि वर्णन करता है कि श्रीकृष्ण ने जब सुदामा को देखा, तो वे भाव-विह्वल हो गये। उन्होंने देखा कि सुदामा के पैरों में बिवाइयाँ फटी हुई हैं, उनके पैरों की बुरी हालत है और उन पर काफी काँटे भी चुभे हुए हैं जो कि साफ दिखाई दे रहे हैं। श्रीकृष्ण ने सुदामा से कहा कि हे मित्र ! तुमने बहुत ही दु:ख भोगा है। होय ! तुम इतने दिनों तक यहाँ क्यों नहीं आये? कहाँ इतने दिन बिता दिये? अपने मित्र सुदामा की दुर्दशा देखकर सब पर दया करने वाले श्रीकृष्ण द्रवित होकर रोने लगे। उन्होंने सुदामा के पैर धोने के लिए परात में लाया हुआ जल छुआ तक नहीं और अपने आँसुओं से ही मित्र सुदामा के पैर धो दिये। अर्थात् इतने रोये, इतने अधिक आँसू बहाये कि उनसे ही सुदामा के पैर पूरे गीले हो गये। मानो आँसू से ही सुदामा के पैर धो लिये।