RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 11 विकास की अवधारणा
RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 11 विकास की अवधारणा
Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Chapter 11 विकास की अवधारणा
पाठगत प्रश्न
(गतिविधि-पृष्ठ संख्या 86)
प्रश्न 1.
अपने शिक्षक की सहायता से विकसित एवं विकासशील देशों के 5-5 नामों की सूची बनाइए।
उत्तर:
विकसित देश हैं-
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- जापान
- रूस
- इंग्लैण्ड
विकासशील देश हैं-
- भारत
- ब्राजील
- इण्डोनेशिया
- चीन
- श्रीलंका
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
सही विकल्प को चुनिए
(A) निम्नलिखित में से विकसित देश है-
(अ) भारत
(ब) ब्राजील
(स) इण्डोनेशिया
(द) अमेरिका
उत्तर:
(द) अमेरिका
(B) भावी पीढ़ियों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान पीढी कीआवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कहलाता है-
(अ) मानव विकास
(ब) आर्थिक विकास
(स) औद्योगिक विकास
(द) सतत् विकास
उत्तर:
(द) सतत् विकास
प्रश्न 2.
किन्हीं तीन विकसित देशों के नाम बताइए।
उत्तर:
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- फ्रांस
- इंग्लैण्ड
प्रश्न 3.
विकासशील देशों के विकास में कौनसी बाधाएँ हैं?
अथवा
विकासशील देशों के विकास में आने वाली बाधाओं में से किन्हीं दो बाधाओं के नाम लिखो।
उत्तर:
विकासशील देशों के विकास में ये बाधाएँ आती हैं-पूँजी की कमी, जनसंख्या की बहुलता, उत्पादन की पिछड़ी हुई तकनीक, गरीबी का दुष्चक्र, कृषि पर अत्यधिक निर्भरता, आर्थिक असमानता, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का निम्न स्तर तथा परिवहन, संचार एवं मूलभूत संसाधनों का अभाव।
प्रश्न 4.
मानव विकास सूचकांक से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मानव विकास सूचकांक में शिक्षा, जीवने प्रत्याशा एवं व्यक्ति की क्रय-शक्ति को प्रमुखता दी जाती है अर्थात् लम्बा एवं स्वस्थ जीवन, शिक्षा एवं शैक्षिक योग्यताओं में अभिवृद्धि तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि किसी भी देश के मानव विकास को दर्शाते हैं।
प्रश्न 5.
आर्थिक विकास की नवीन अवधारणा को समझाइये।
उत्तर:
समय के साथ आर्थिक विकास की नवीन संकल्पना की गयी है। विकास की नवीन अवधारणा में आर्थिक विकास का मुख्य उद्देश्य गरीबी, बेरोजगारी और असमानता का निवारण रखा गया है। अतः अब यह माना जाने लगा है कि यदि देश में गरीबी के स्तर में कमी आ रही हो, बेरोजगारी का स्तर कम हो रहा हो तथा आर्थिक असमानताएँ कम हो रही हों, तो निश्चित ही देश का आर्थिक विकास हो रहा है।
प्रश्न 6.
समावेशी विकास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
समावेशी विकास – समावेशी विकास में समाज के सभी वर्गों को विशेषकर वंचित, पिछड़े एवं सीमान्त वर्गों को साथ लेकर विकास किये जाने पर बल दिया जाता है क्योंकि विकास का होना तभी माना जायेगा जब उसका लाभ सभी वर्गों तक समान रूप से पहुँचे।
प्रश्न 7.
विकसित एवं विकासशील देशों का आर्थिक दृष्टि से अन्तर समझाइये।
उत्तर:
विकसित देश तथा विकासशील देशों में अन्तर आर्थिक दृष्टि से विकसित और विकासशील देशों में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित है
- विकसित देशों की श्रेणी में वे देश आते हैं, जहाँ आर्थिक विकास तेजी से हुआ है, जबकि विकासशील देश वे हैं, जहाँ आर्थिक विकास की गति धीमी है।
- विकसित देशों में आवश्यक एवं भौतिक सुख-सुविधा की वस्तुएँ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, जबकि विकासशील देशों में आवश्यक वस्तुओं का अभाव दिखाई देता है।
- विकसित देशों में औद्योगिक विकास की गति तीव्र है, जबकि विकासशील देशों में औद्योगिक विकास की। गति धीमी है।
- विकसित देशों की प्रति व्यक्ति आय विकासशील देशों की तुलना में बहुत अधिक है।
- विकसित देशों की अधिकांश जनसंख्या गैर-कृषि कार्यों में लगी हुई है, जबकि विकासशील देशों में अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है।
- विकसित देशों में प्रमुख हैं-इंग्लैण्ड, अमेरिका, जापान, स्विट्जरलैण्ड आदि। विकासशील देशों के उदाहरण हैंभारत, ब्राजील, इण्डोनेशिया आदि।
प्रश्न 8.
आधुनिक विकास के परिणामस्वरूप हुए पर्यावरण प्रदूषण पर प्रकाश डालिए।
अथवा
विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन ने हमारे समक्ष क्या समस्याएँ खड़ी कर दी हैं? विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन ने आज हमारे समक्ष निम्न समस्याएँ खड़ी कर दी हैं-
- घटते खनिज संसाधन तथा मानसून की अनियमितता – यदि हम अपने राज्य में देखें तो खनिजों और भूमि के लालच में अरावली वन क्षेत्र को काफी नुकसान पहुँचाया है। यहाँ तक कि परिवहन मार्ग बनाने के नाम पर पहाड़ियों को काटा जा रहा है। इसका परिणाम हमें घटते खनिज संसाधन व मानसून की अनियमितता के रूप में भुगतना पड़ रहा है।
- मृदा प्रदूषण – धरती से अधिक अन्न उपजाने हेतु हमने उसमें रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के रूप में जहर घोल दिया है, जिससे कई क्षेत्रों में भूमि बंजर व दूषित हो गई है। इससे भूमि से उत्पन्न खाद्य पदार्थ प्रदूषित हो जाते हैं। उनके उपभोग से मानवीय स्वास्थ्य पर तथा पशुओं पर बुरा असर पड़ता है। वे कई प्रकार के रोगों का शिकार हो जाते हैं।
- भूमिगत जल का घटता स्तर व लवणीय जल – जल के अंधाधुंध प्रयोग ने कई क्षेत्रों, विशेषकर राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्रों में भूमिगत जल के घटते स्तर व लवणीय जल जैसी गम्भीर समस्याओं को जन्म दिया है।
- वायुमण्डलीय प्रदूषण – परिवहन साधनों, रेफ्रिजरेटर व एयर-कण्डीशनर के अत्यधिक प्रयोग से हानिकारक गैसों के अत्यधिक उत्सर्जन ने वायुमण्डलीय प्रदूषण व ओजोन परत में छेद जैसी मुसीबतें खड़ी कर दी हैं।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
बहुविकल्पात्मक
प्रश्न 1.
इनमें से कौनसा मानव-विकास का आयात नहीं है-
(अ) स्वस्थ वे लम्बा जीवन
(ब) शिक्षा-स्तर में वृद्धि
(स) प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि
(द) घर में गाड़ियों की घटती संख्या
उत्तर:
(द) घर में गाड़ियों की घटती संख्या
प्रश्न 2.
निम्न में कौनसा देश विकसित देश है?
(अ) भारत
(ब) ब्राजील
(स) इण्डोनेशिया
(द) जापान
उत्तर:
(द) जापान
प्रश्न 3.
विकसित देश की विशेषता है-
(अ) तीव्र औद्योगिक विकास
(ब) कम प्रति व्यक्ति आय
(स) कृषि पर निर्भरता
(द) अधिक जनसंख्या
उत्तर:
(अ) तीव्र औद्योगिक विकास
प्रश्न 4.
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) अपनी वार्षिक मानव विकास रिपोर्ट में मानव विकास सूचकांक’ का प्रयोग कर रहा है
(अ) वर्ष 1990 से
(ब) वर्ष 1976 से
(स) वर्ष 2012 से
(द) वर्ष 2001 से
उत्तर:
(अ) वर्ष 1990 से
प्रश्न 5.
निम्न में कौनसा देश विकासशील है?
(अ) अमेरिका
(ब) जापान
(स) भारत
(द) फ्रांस
उत्तर:
(स) भारत
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. अधिकतर……देश पहले किसी अन्य देश के अधीन रहे हैं। (विकसित/विकासशील)
2. आर्थिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे सफल बनाने के लिए आज हर………देश प्रयास कर रहा है। (विकसित/पिछड़ा)
3. वर्तमान में विकास को……द्वारा मापा जाता है। (मानव विकास सूचकांक/सकल राष्ट्रीय उत्पाद-दर)
4. सतत् विकास को…….भी कहा जाता है। (समावेशी विकास/धारक विकास)
उत्तर:
1. विकासशील
2. पिछड़ा
3. मानव विकास सूचकांक
4. धारक विकास
निम्न में से सत्य/असत्य कथन छाँटिए :
1. सतत् विकास में समाज के सभी वर्गों को विशेषकर वंचित, पिछड़े वे सीमान्त वर्गों को साथ लेकर विकास किये जाने पर बल दिया जाता है।
2. सतत् विकास से तात्पर्य विकास की उस प्रक्रिया से है। जिसमें भावी पीढ़ियों को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जाता है।
3. सरकार की योजनाओं का मुख्य लक्ष्य समावेशी विकास होता है।
4. आर्थिक विकास का सम्बन्ध विकसित देशों से है।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य
3. सत्य
4. असत्य
स्तम्भ ‘अ’ को स्तम्भ ‘ब’ से सुमेलित कीजिए:
स्तम्भ ‘अ’ | स्तम्भ ‘ब’ |
(i) विकास के आर्थिक सूचक | शिक्षा, जीवन प्रत्याशी, व्यक्ति की क्रय शक्ति |
(ii) मानव विकास सूचकांक | स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रति व्यक्ति आय |
(iii) समावेशी विकास | भावी पीढ़ी की आवश्य कताओं को ध्यान रखते हुए विकास |
(iv) सतत् विकास | वंचित, पिछड़े एवं सीमान्त वर्गों को साथ लेकर विकास |
उत्तर:
स्तम्भ ‘अ’ | स्तम्भ ‘ब’ |
(i) विकास के आर्थिक सूचक | स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रति व्यक्ति आय |
(ii) मानव विकास सूचकांक | शिक्षा, जीवन प्रत्याशी, व्यक्ति की क्रय शक्ति |
(iii) समावेशी विकास | वंचित, पिछड़े एवं सीमान्त वर्गों को साथ लेकर विकास |
(iv) सतत् विकास | भावी पीढ़ी की आवश्य कताओं को ध्यान रखते हुए विकास |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
विकसित देश के कोई दो लक्षण बताइये।
उत्तर:
- तीव्र आर्थिक एवं औद्योगिक विकास
- प्रति व्यक्ति आय का उच्च स्तर।
प्रश्न 2.
विकासशील देश के कोई दो लक्षण बताइये।
उत्तर:
- विकास की धीमी गति
- कृषि क्षेत्र पर अधिक निर्भरता
प्रश्न 3.
आज विश्व के देशों को आर्थिक दृष्टि से कितने भागों में बाँटा जाता है?
उत्तर:
दो भागों में
- विकसित देश
- विकासशील देश
प्रश्न 4.
परम्परागत धारणा में आर्थिक विकास से क्या आशय
उत्तर:
परम्परागत धारणा में आर्थिक विकास एक ऐसी स्थिति है जिसमें कुल सकल राष्ट्रीय उत्पाद 5 से 7 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ता रहे।
प्रश्न 5.
वर्तमान में आर्थिक विकास का मुख्य उद्देश्य क्या रखा गया है?
उत्तर:
वर्तमान में आर्थिक विकास का मुख्य उद्देश्य गरीबी, बेरोजगारी और असमानता का निवारण रखा गया है।
प्रश्न 6.
किसी राष्ट्र के विकास को मापने के लिए कौनसे आर्थिक सूचक काम में लिये जाते हैं?
उत्तर:
किसी राष्ट्र के विकास को मापने के लिए ये आर्थिक सूचक काम में लिये जाते हैं-
- स्वास्थ्य
- शिक्षा तथा
- प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि
प्रश्न 7.
वर्तमान में विकास को किसके द्वारा मापा जाता है?
उत्तर:
वर्तमान में विकास को ‘मानव विकास सूचकांक द्वारा मापा जाता है।
प्रश्न 8.
मानव विकास सूचकांक में किन सूचकों को प्रमुखता दी जाती है?
उत्तर:
मानव विकास सूचकांक में शिक्षा, जीवन प्रत्याशा एवं व्यक्ति की क्रय शक्ति को प्रमुखता दी जाती है।
प्रश्न 9.
गाँव व शहर के बीच भारी अन्तर का क्या कारण
उत्तर:
गाँव व शहर के बीच भारी अन्तर होने का मुख्य कारण दोनों के विकास के स्तर में अन्तर का होना है।
प्रश्न 10.
भारत में हुए समावेशी विकास की संक्षिप्त समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
भारत में हुए समावेशी विकास में समाज के सभी वर्गों को, विशेषकर वंचित, पिछड़े और सीमान्त वर्गों को साथ लेकर विकास किये जाने पर बल दिया गया है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
विकासशील देशों की प्रमुख विशेषताएँ बतलाइए।
उत्तर:
विकासशील देशों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- जनसंख्या का बहुत अधिक होना।
- आर्थिक एवं औद्योगिक विकास की धीमी गति
- बहुत कम प्रति व्यक्ति आय।
- अधिकांश जनसंख्या की कृषि पर निर्भरती।
- आवश्यक वस्तुओं का अभाव।
प्रश्न 2.
आर्थिक विकास की भारतीय अवधारणा को समझाइये।
उत्तर:
आर्थिक विकास की भारतीय अवधारणा के अनुसार देश में उपलब्ध सभी संसाधनों का आवश्यकतानुसार दोहन करते हुए और राष्ट्रहित में उनको उपयोग में लाते हुए देश की आर्थिक संरचना और प्रौद्योगिकी में आवश्यक परिवर्तन लाना चाहिए जिससे उत्पादन, आय और रोजगार में वृद्धि हो तथा लोगों को उपयुक्त व उत्तम जीवन स्तर प्रदान किया जा सके। प्रकृति से प्राप्त निःशुल्क संसाधनों का अविवेकपूर्ण और अमर्यादित उपयोग करना राष्ट्रहित में नहीं है। प्रकृति को ईश्वर का अमूल्य उपहार मानकर उससे आवश्यकतानुसार वस्तुएँ प्राप्त कर संयमित उपयोग द्वारा जीवन-यापन करते हुए राष्ट्र को वैभव-सम्पन्न बनाना ही राष्ट्रहित है।
प्रश्न 3.
भारत, ब्राजील, इण्डोनेशिया आदि देशों को विकासशील देश क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
भारत, ब्राजील, इण्डोनेशिया आदि देश पहले किसी विकसित देश के अधीन रहे हैं। विदेशी शासन के दौरान इन देशों में आर्थिक पिछड़ापन विद्यमान है। अपने पिछड़ेपन से उबरने के लिए ये देश प्रयत्नशील हैं। इसलिए इन्हें विकासशील देश कहा जाता है।
प्रश्न 4.
देश में संसाधनों का किस प्रकार का दोहन वे उपयोग राष्ट्रहित में है?
उत्तर:
प्रकृति से प्राप्त निःशुल्क संसाधनों का अविवेकपूर्ण और अमर्यादित उपयोग करना राष्ट्रहित में नहीं है बल्कि इन संसाधनों का आवश्यकतानुसार दोहन कर उनका संयमित उपयोग करना राष्ट्रहित में है।
प्रश्न 5.
समावेशी विकास और सतत विकास के अन्तर को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
समावेशी विकास में समाज के सभी वर्गों को, विशेषकर वंचित, पिछड़े एवं सीमान्त वर्गों को साथ लेकर, विकास का लाभ पहुँचाने का प्रयास किया जाता है; जबकि सतत विकास में भावी पीढ़ियों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्राकृतिक संसाधनों के संयमित दोहन पर बल दिया जाता है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अमेरिका और भारत में आर्थिक दृष्टि से विद्यमान अन्तर समझाइए। आधुनिक विकास के परिणामस्वरूप हुए पर्यावरण प्रदूषण पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
अमेरिका और भारत में आर्थिक दृष्टि से विद्यमान अन्तर-
- अमेरिका एक विकसित देश है जबकि भारत एक विकासशील देश है।
- अमेरिका में आर्थिक विकास तेजी से हुआ है, जबकि भारत में आर्थिक विकास की गति धीमी है।
- अमेरिका में आवश्यक एवं भौतिक सुख-सुविधा की वस्तुएँ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, जबकि भारत में आवश्यक वस्तुओं का अभाव दिखाई देता है।
- अमेरिका में औद्योगिक विकास की गति तीव्र है, जबकि भारत में औद्योगिक विकास की गति धीमी है।
- अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय भारत की तुलना में बहुत अधिक है।
- अमेरिका की अधिकांश जनसंख्या गैर-कृषि कार्यों में लगी हुई है, जबकि भारत में अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। आधुनिक विकास के परिणामस्वरूप हुआ पर्यावरण प्रदूषण
[नोट-इसके लिए पाठ्यपुस्तक के प्रश्नों में प्रश्न संख्या 8 का उत्तर देखें।]
प्रश्न 2.
सतत् विकास से क्या आशय है? सतत् विकास की अवधारणा के विकसित होने के क्या कारण रहे हैं?
अथवा
सतत् विकास के महत्त्व को कारण सहित बताइये
उत्तर:
सतत् विकास – सतत् विकास से तात्पर्य विकास की उस प्रक्रिया से है जिसमें भावी पीढ़ियों को ध्यान मेंरखते हुए वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्राकृतिक संसाधनों को दोहन किया जाता है। इसे धारक विकास भी कहा जाता है। सतत् विकास की अवधारणा के विकसित होने के कारण अथवा सतत विकास का कारण सहित महत्त्व-वर्तमान में सतत विकास की अवधारणा का अत्यधिक महत्त्व है। इस अवधारणा के विकसित होने के कारणों में ही इसका महत्त्व छिपा हुआ है।
1. विकास के कारण हुए पर्यावरण प्रदूषण ने भविष्य की सम्भावनाओं को नुकसान पहुंचाया है। प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से आज हमारे सामने बड़ी भारी समस्या खड़ी हो गई है। यदि हम राजस्थान में ही देखें तो खनिजों व भूमि के लालच में अरावली एवं वन क्षेत्रों को काफी नुकसान पहुंचाया गया है। इस सबके कारण खनिज संसाधनों में अत्यन्त कमी तथा मानसून की अनियमितता हमारे सामने
आई है। सतत् विकास की प्रक्रिया द्वारा इनका कुशलतम उपयोग करने की आवश्यकता है।
2. कृषि में रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग से धरती में जहर-सा घुल गया है। अनेक स्थानों पर भूमि बंजर एवं दूषित हो गई है। ऐसी भूमि पर उत्पन्न खाद्य पदार्थ प्रदूषित हो जाते हैं जिनका उपयोग मनुष्यों तथा पशुओं पर बुरा असर डालता है। सतत् विकास में ऐसी प्रवृत्तियों पर रोक लगाने का विचार है जिससे सतत् विकास का महत्त्व बढ़ जाता है।
3. जल के अनियंत्रित प्रयोग ने भी कई क्षेत्रों, विशेषकर राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्रों में भूमिगत जल के घटते स्तर तथा लवणीय जल जैसी गम्भीर समस्याओं को जन्म दिया है। इन समस्याओं को दूर करने हेतु भी सतत् विकास का अत्यधिक महत्त्व है।
4. परिवहन साधनों, रेफ्रीजरेटर एवं एयरकण्डीशनर के अत्यधिक प्रयोग से हानिकारक गैसों के अत्यधिक उत्सर्जन ने वायुमण्डलीय प्रदूषण एवं ओजोन परत में छेद जैसी समस्यायें उत्पन्न की हैं। उपर्युक्त तथा ऐसी ही अन्य समस्याओं के कारण सतत् विकास की अवधारणा विकसित हुई तथा इसका महत्त्व दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। सतत् विकास की अवधारणा का पालन करके ही इस उपयोगवादी संस्कृति पर अंकुश लगाया जा सकता है तथा संसाधनों का कुशल एवं अनुकूल दोहन किया जा सकता है ताकि विकास की प्रक्रिया अनवरत पल सके। सतत् विकास का महत्त्व इसीलिये है कि यह मानव के लिए खुशहाली एवं समृद्धि लायेगा जिसका लाभ वर्तमान ही नहीं भावी पीढ़ियों को भी मिलेगा।
प्रश्न 3.
आर्थिक विकास क्यों आवश्यक है ? आर्थिक विकास की परम्परागत एवं आधुनिक अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लोगों को उत्तम जीवन – स्तर प्रदान करने तथा राष्ट्र को वैभव-सम्पन्न बनाने हेतु आर्थिक विकास आवश्यक है। विश्व के विकसित और विकासशील देशों में आर्थिक विकास की होड़ लगी हुई है। विकासशील देशों में व्याप्त निर्धनता, बेरोजगारी व आर्थिक असमानता को समाप्त करने के लिये आर्थिक विकास आवश्यक है। दुनिया से भय, भूख और भेदभाव की समाप्ति और अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा की दृष्टि से भी आर्थिक विकास आधुनिक युग की सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है। आर्थिक विकास का सम्बन्ध पिछड़े हुए देशों से भी है, जहाँ पर साधनों का विकास एवं उपयोग नहीं हुआ है। आर्थिक विकास की अवधारणा आर्थिक विकास की अवधारणा को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है
1. आर्थिक विकास की परम्परागत धारणा – परम्परागत धारणा में आर्थिक विकास एक ऐसी स्थिति है जिसमें कुल राष्ट्रीय उत्पाद 5 से 7 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ता रहे और उत्पादन व रोजगार संरचना में इस प्रकार परिवर्तन हो कि उसमें कृषि का हिस्सा कम हो जाये और विनिर्माण क्षेत्र तथा सेवा क्षेत्र का हिस्सा बढ़ जाये अर्थात् कृषि के स्थान पर औद्योगीकरण की गति को तेज किया जा सके।
2. आर्थिक विकास की आधुनिक धारणा – वर्तमान में आर्थिक विकास का मुख्य उद्देश्य गरीबी, बेरोजगारी और असमानता का निवारण करना है। अतः अब यह माना जाने लगा है कि यदि देश में गरीबी के स्तर में कमी हो रही हो, बेरोजगारी का स्तर कम हो रहा हो तथा आर्थिक असमानताएँ कम हो रही हों तो निश्चित ही देश का आर्थिक विकास हो रहा है।
प्रश्न 4.
भारत में आर्थिक विकास पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
भारत में आर्थिक विकास – प्राचीन काल में धन| धान्य की प्रचुरता के कारण सम्पन्न एवं समर्थ राष्ट्र के रूप में भारत की प्रतिष्ठा विश्व में रही है। भारत आज विश्व में आर्थिक शक्ति के रूप में पुनः स्थापित हो रहा है। यथा-
- हमारे इंजीनियर, डॉक्टर, चार्टर्ड अकाउण्टेण्ट, मुख्य प्रबन्धक, व्यवसायी व प्रशासनिक अधिकारी विश्व के अधिकांश देशों में अपनी योग्यता व श्रम से प्रतिष्ठित स्थान पर कार्यरत है।
- वर्तमान में भारतीय वस्तुओं की माँग विश्व में बढ़ी है।
- हमारे अन्तरिक्ष अनुसन्धान, प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञों की भी माँग बढ़ रही है।
- भारत देश में उपलब्ध सभी संसाधनों का आवश्यकतानुसार दोहन करते हुए राष्ट्रहित में उनका उपभोग कर रहा है। इससे देश की आर्थिक संरचना एवं प्रौद्योगिकी में आवश्यक परिवर्तन करके उत्पादन, आय और रोजगार में वृद्धि की दिशा में प्रयासरत है।