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RBSE Class 10 English Writing Formal Letters

RBSE Class 10 English Writing Formal Letters

 

Rajasthan Board RBSE Class 10 English Writing Formal Letters

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(B) FORMAL LETTERS
( औपचारिक पत्र)

Formal Letters (औपचारिक पत्र): ये पत्र औपचारिक संदर्भो में ही लिखे जाते हैं। जिन लोगों के साथ इस तरह का correspondence (पत्राचार किया जाता है, उनके साथ हमारे व्यक्तिगत संबंध नहीं होते। हम उन्हें जानते तक नहीं हैं। औपचारिक संदर्भ होने के कारण इन पत्रों में तथ्यों और सूचनाओं को अधिक महत्व दिया जाता है।

Parts Of Informal Letters
( औपचारिक पत्र के भाग)

  1. Address (पता): इसके अंतर्गत पत्र के ऊपरी भाग में बाईं ओर प्रेषक अपना पता लिखता है। परीक्षा भवन में यदि इस तरह के पत्र लिखे जाने का निर्देश दिया गया हो तो छात्र पते के स्थान पर केवल ‘परीक्षा भवन’ तथा नगर का नाम ही लिखेंगे; जैसे
    परीक्षा भवन
    …. विद्यालय
    दिल्ली / बनारस / मुंबई आदि
  2. Date (दिनांक): इसके नीचे दिनांक लिखा जाता है।
  3. Addressee (पत्र प्राप्तकर्ता का संक्षिप्त पता): शीर्ष के ठीक नीचे पत्र प्राप्त करनेवाले का पता लिखा जाना चाहिए।
    सामान्यतः इसे तीन पंक्तियों में लिखा जाता है; जैसे
    संपादक – प्रधानाचार्य – प्रबंधक
    नवभारत टाइम्स – मानव रचना विद्यालय – अरु प्रकाशन
    आई०टी०ओ०, नई दिल्ली – फरीदाबाद – दरियागंज, दिल्ली
  4. Salutation (संबोधन): प्राप्तकर्ता के पते के ठीक नीचे संबोधन लिखा जाता है। औपचारिक पत्रों में प्रायः महोदय/ महोदया, मान्यवर, श्रीमान आदि संबोधन लिखे जाते हैं।
  5. Body of the Letter (पत्र का कलेवर): पत्र का कलेवर औपचारिक पत्रों का सबसे प्रमुख भाग होता है। इसे तीन भागों में बाँटकर लिखा जा सकता है–
    (a) Beginning (प्रारंभ): यदि पत्र पहली बार लिखा जा रहा है तो प्रारंभिक वाक्य परिचयात्मक होंगे।
    यदि किसी पत्र के उत्तर में लिखा जा रहा है, तो पूर्व पत्र की संख्या, तिथि, विषय आदि का संदर्भ बताते हुए पत्र लिखना होगा।
    (b) Middle (मध्य): मध्य में पत्र लेखक उन सब बातों का उल्लेख करेगा, जिन्हें वह पत्र प्रेषित करना चाहता है।
    (c) End/Conclusion (अंत/समापन): यह पूरे पत्र का निष्कर्ष होता है। अतः जो कुछ पत्र के मध्य भाग में
    लिखा गया है, उसी का सार या संक्षिप्त रूप यहाँ एक-दो पंक्तियों में आना चाहिए। समापन के वाक्य इस प्रकार के हो सकते हैं
    • बिजली मीटर बदलवाए जाने का आदेश तत्काल जारी करें।
    • अपेक्षित पुस्तकों को तत्काल भिजवाने की व्यवस्था करें।
    • पत्र का उत्तर तत्काल भेजें।
    • हमारे अनुरोध पर जो भी कारेवाई की गई हो उससे तत्काल अवगत कराएँ।
  6. Subscription (स्वनिर्देश): पत्र के मुख्य कलेवर के बाद नीचे ‘स्वनिर्देश’ लिखा जाना चाहिए। व्यावसायिक पत्रों में गिने-चुने स्वनिर्देश लिखे जाते हैं; जैसे-‘भवदीय’, ‘उत्तरापेक्षी’, ‘आपका’ आदि।
  7. Signature (हस्ताक्षर): स्वनिर्देश के ठीक नीचे पत्र भेजनेवाला अपना हस्ताक्षर करता है तथा हस्ताक्षरों के ठीक नीचे कोष्ठक में अपना नाम भी लिखता है।
    परीक्षा भवन से भेजे गए पत्रों में छात्र न तो हस्ताक्षर करेंगे और न ही नाम लिखेंगे। वे क०ख०ग०/ अब०स० लिख सकते हैं।

उपर्युक्त अंगों के अतिरिक्त औपचारिक पत्रों में दो अंग और हो सकते हैं

  1. Letter Number (पत्र संख्या): जो भी पत्र भेजा जा रहा है, उसकी संख्या, फाइल संख्या आदि लिखी जाती है, जिससे उत्तर देनेवाला पत्र का संदर्भ दे सके। पत्र संख्या प्रेषक के नाम और पते के बाद बाईं ओर लिखी जानी चाहिए।
  2. Enclosures (संलग्नक): औपचारिक पत्रों के साथ अनेक प्रकार के संलग्नक लगाए जाते हैं। ये प्रमाण पत्रों, रसीदों, बिलों, चेक-ड्राफ्ट आदि की फोटो प्रतियाँ हो सकती हैं।
    संलग्नक शीर्षक लिखकर संक्षेप में जो भी सामग्री संलग्न की जा रही है उसका विवरण दिया जाता है; जैसे संलग्नकः
  • प्रमाण-पत्रों की फोटो प्रति
  • चेक संख्या …… की फोटो प्रति ।
  • कर जमा कराए जाने की रसीद की फोटो प्रति आदि।

Kinds Of Formal Letters
(औपचारिक पत्र के भाग)

औपचारिक पत्र प्रायः चार प्रकार के होते हैं।

  1. Applications (प्रार्थना पत्र/आवदेन पत्र)
    • प्रधानाचार्य/मुख्याध्यापक को पत्र
    • नौकरी के लिए आवेदन पत्र
  2. Complaint Letters (शिकायती पत्र)
    • विभिन्न सरकारी/अर्धसरकारी संस्थाओं को पत्र
    • संपादक के नाम पत्र
  3. Business Letters (व्यावसायिक पत्र)
  4. Official Letters (सरकारी पत्र)

1. Applications (प्रार्थना पत्र/आवदेन पत्र) को लिखते समय ध्यान देने योग्य बातें

  • प्रायः ये पत्र किसी उच्चाधिकारी को लिखे जाते हैं, अतः इनमें शिष्टता का प्रदर्शन किया जाना चाहिए।
  • अधिकारियों के पास समय की कमी तथा उनकी व्यस्तता को ध्यान में रखकर पत्र संक्षिप्त होना चाहिए।
  • पत्र में सारी बातों को समाहित करना चाहिए। ध्यान रखना चाहिए कि कोई तथ्य छूट न जाए।
  • पत्र तथ्यों पर आधारित होना चाहिए। तथ्यों की पुष्टि के लिए प्रमाण भी संलग्न किया जाना चाहिए।

2. complaints Letters ( शिकायती पत्र): शिकायती पत्रों में अपने आसपास के परिवेश में घटित होनेवाली
घटनाओं के संबंध में उच्चाधिकारियों को शिकायत की जाती है। Recommendations (प्रशंसा पत्र) में किसी
अधिकारी अथवा कर्मचारी के कार्यों की प्रशंसा संबंधित उच्चाधिकारी से की जाती है।
3. Business Letters (व्यावसायिक पत्र): विभिन्न व्यवसायियों द्वारा सामान की खरीद-फरोख्त के लिए इस तरह के पत्र लिखे जाते हैं। अनेक व्यावसायिक संस्थान भी एक-दूसरे को इस तरह के पत्र भेजते हैं। व्यावसायिक पत्रों में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए

  • clarity (स्पष्टता),
  • Brevity (संक्षिप्तता),
  • Courtesy (शिष्टता),
  • Perfection (पूर्णता),
  • Effectual (प्रभावोत्पादकता)।

4. Official Letters (सरकारी पत्र): इस प्रकार के पत्रों को शासकीय पत्र भी कहते हैं। ये पत्र सरकारी कार्यालयों द्वारा विभिन्न विभागों, सरकारी संस्थाओं, राज्य सरकारों आदि के बीच लिखे जाते हैं।

Format Of Formal Letters
(औपचारिक पत्र का प्रारूप)

  1. Sender’s Address (भेजने वाले का पता)
  2. Date (दिनांक)
  3. Addressee’s Address (प्राप्तकर्ता का पता)
  4. Subject (विषय-वस्तु)
  5. Salutation (प्रशस्ति या संबोधन)
  6. Contents or Body of the letter/message/contents (पत्र का मुख्य भाग/संदश/विषय वस्तु)
  7. Courteous Remark (स्वागत कथन)
  8. Conclusion (निष्कर्ष)
  9. Subscription (प्रियोक्ति)
  10. Signature (हस्ताक्षर)

Sample Of Formal Letters
(औपचारिक पत्र का नमूना)

Question 1.
You are Charu, living at 21, Sarojini Nagar, Kota. Write a letter to the Editor of a newspaper expressing your views on rash driving on the crowded roads of your city.
Answer.

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