RB 10 Hindi

RBSE Class 10 Hindi Rachana पत्र-लेखन

RBSE Class 10 Hindi Rachana पत्र-लेखन

RBSE Class 10 Hindi Rachana पत्र-लेखन

सामाजिक प्राणी होने से मनुष्य को अपने सम्बन्धियों, मित्रों, पारिवारिकजनों तथा विभिन्न अधिकारियों को पत्र लिखने की आवश्यकता पड़ती है। पत्र-लेखन एक कला है। यह विचार-विनिमय का अच्छा, सरल और सस्ता साधन है। यद्यपि आजकल दूरभाष, तार, ई-मेल, इंटरनेट, मोबाइल फोन आदि के द्वारा भी विभिन्न सूचनाओं एवं समाचारों का आदान-प्रदान सरलता से किया जाता है। फिर भी पत्रों का अपना ही महत्त्व है। लेखन के कारण इनका अपना स्थायी महत्त्व है। इसके साथ ही पत्रों के द्वारा हम अपनी बात विस्तार से, प्रभावी ढंग से, आत्मीयता से, व्यक्त कर देते हैं। जिसे पढ़ने वाला अच्छी तरह से समझ लेता है।

अधिकारियों तक अपनी बात पहुँचाने, शिकायत करने, आवेदन या प्रार्थना आदि के लिए केवल पत्रों का ही सहारा लिया जा सकता है, अन्य साधन उपयुक्त नहीं होते। इसलिए भी पत्रों का अपना ही महत्त्व है।
पत्र-लेखन की कुछ महत्त्वपूर्ण बातें-पत्र-लेखन की कुछ महत्त्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं –

  1. सरलता-पत्र की भाषा सरल, सुबोध तथा स्पष्ट होनी चाहिए। पत्र में लेखक का आशय पूरी तरह से व्यक्त होना अपेक्षित है।
  2. संक्षिप्तता-पत्र लेखन में अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए। बात को स्पष्ट, संक्षेप में लिखना चाहिए। लिखने वाला कह जाए और पढ़ने वाला अच्छी तरह से समझ जाए।
  3. निश्चयात्मकता-पत्र में लेखक को अपनी बात निश्चयपूर्वक कहनी चाहिए। इसके साथ ही सभी बातों को क्रम से लिखना चाहिए ताकि कोई बात लिखने से छूट न जाए।
  4. शिष्टता-पत्र-लेखन में विनम्र और शिष्ट शब्दावली का ही प्रयोग किया जाना चाहिए।

पत्रों के प्रकार

आवश्यकता और स्थिति के अनुसार पत्र कई प्रकार के होते हैं किन्तु उन्हें मोटे तौर पर दो वर्गों में विभक्त किया जा सकता है-

  1. औपचारिक पत्र (Formal letter)
  2. अनौपचारिक पत्र (Informal letter)

1. औपचारिक पत्र – जो पत्र सरकारी कार्यालयों तथा अधिकारियों को अथवा व्यावसायिक कार्यों को लेकर लिखे जाते हैं, उन्हें औपचारिक पत्र कहते हैं। जैसे – (1) प्रार्थना-पत्र (2) नौकरी के लिए आवेदन-पत्र (3) किसी अधिकारी को पत्र (4) सम्पादक को पत्र (5) व्यापारी या पुस्तक विक्रेता को पत्र (6) शिकायती पत्र (7) सार्वजनिक पत्र आदि।

2. अनौपचारिक पत्र – ये पत्र उन लोगों को लिखे जाते हैं जिन लोगों के साथ लेखक का व्यक्तिगत संबंध होता है। जैसे-पारिवारिक सदस्यों, संबंधियों या मित्रों के बीच होने वाला पत्र-व्यवहार अनौपचारिक-पत्रों के अन्तर्गत आता है। इन्हें निजी पत्र या पारिवारिक पत्र भी कहते हैं।
पत्रों के आवश्यक अंग-पत्रों के आवश्यक अंग निम्नलिखित माने गये हैं –

  • पत्र-लेखक का पता और दिनांक-यह पत्र के ऊपरी सिरे पर प्रायः दायीं ओर लिखा जाता है, लेकिन आजकल इसे बाईं ओर लिखने का प्रचलन भी हो गया है।
  • संबोधन तथा अभिवादन-ये पत्र के बाईं ओर लिखे जाते हैं। पहले सम्बोधन शब्द लिख जाता है, बाद में अभिवादन लिखा जाता है। औपचारिक-पत्रों में अभिवादन शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता है।
  • पत्र की विषय-सामग्री-पत्र के इस मुख्य भाग में पत्र द्वारा प्रेषित की जाने वाली सूचना, समाचार, निवेदन, आदेश, शिकायत या विषयानुसार बातें लिखी जाती हैं।
  • पत्र की समाप्ति-पत्र की समाप्ति पर लिखने वाले और पत्र प्राप्त करने वाले के संबंधों के अनुसार दाहिनी ओर शब्दावली का प्रयोग किया जाता है, जैसे तुम्हारा मित्र, भवदीय, प्रार्थी, आपका आज्ञाकारी, तुम्हारा शुभचिन्तक आदि।
  • पत्र पाने वाले का पता-दोनों प्रकार के पत्रों में यह सबसे अन्त में लिखा जाता है। पते के साथ पिन कोड अवश्य लिखा जाना चाहिए।

संबोधन, अभिवादन तथा पत्र के अंत में प्रयुक्त होने वाले शब्दों की तालिका

निर्देश – पाठ्यक्रम में औपचारिक और अनौपचारिक पत्रों का समावेश किया गया है। अनौपचारिक पत्रों के अन्तर्गत व्यक्तिगत पत्र तथा औपचारिक के अन्तर्गत कार्यालयी एवं व्यावसायिक आदि समस्त पत्रों के नमूने यहाँ दिये जा रहे हैं।

औपचारिक पत्र
(प्रार्थना-पत्र)

प्रश्न 1.
स्वयं को रा. उ. मा. वि. आसपुर का छात्र मान कर प्रधानाचार्य को विद्यालय में खेल सुविधाएँ बढ़ाने का निवेदन किया गया हो ऐसा पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्य. विद्यालय,
आसपुर।
विषय – विद्यालय में खेल सुविधाएँ बढ़ाने के सन्दर्भ में।
मान्यवर,
उपर्युक्त विषय क्रम में निवेदन है कि हमारा विद्यालय एक प्रतिष्ठित विद्यालय है। यहाँ छात्र संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है। इस कारण विद्यालय में उपलब्ध खेल-सामग्री कम पड़ने लगी है। अत: नई वांछित खेलकूद सामग्री क्रय की जानी चाहिए, साथ ही शारीरिक शिक्षक के अलावा वॉलीबॉल, फुटबॉल तथा क्रिकेट खेल के लिए अलग से कोच नियुक्त किए जाने चाहिए जो अपने-अपने निर्धारित समय पर आकर हम छात्रों को खिलाने के साथ-साथ विशेष प्रशिक्षण दे सकें ताकि हमारे विद्यालय के छात्र-खिलाड़ी चली आ रही विजेता की परम्परा को कायम रख सकें। आशा है, अविलम्ब विद्यालय में खेल सुविधाएं बढ़ाने पर ध्यान देकर कृतार्थ करेंगे।
ससम्मान!

प्रार्थी
राकेश बघेल
कक्षा-10

दिनांक 30/4/20XX

प्रश्न 2.
स्वयं को रजनीश निवासी रतलाम मानकर अपने क्षेत्र के विद्युत अभियन्ता को बोर्ड परीक्षा की तैयारी के कारण विद्युत आपूर्ति नियमित एवं पर्याप्त रूप से कराने हेतु अनुरोध पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
विद्युत अभियन्ता महोदय,
विद्युत-कार्यालय,
रतलाम।
विषय – बोर्ड परीक्षा की तैयारी के कारण विद्युत आपूर्ति नियमित एवं पर्याप्त रूप से करवाने के सम्बन्ध में।
मान्यवर,
उपर्युक्त विषय क्रम में निवेदन है कि हमारे क्षेत्र में बिजली की अनियमितता के कारण बहुत परेशानी हो रही है। अब अगले माह से हमारी बोर्ड परीक्षा प्रारम्भ हो रही है। हमारी वर्ष भर की मेहनत इन्हीं दिनों की पढ़ाई पर निर्भर है। इन दिनों बिजली बहुत बार आती-जाती है। इस कारण हमारी पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
अतः परीक्षा अवधि नज़दीक होने के कारण परीक्षा तैयारी को ध्यान में रखते हुए बिजली की आपूर्ति नियमित एवं पर्याप्त रूप से करवाने की कृपा कारों
धन्यवाद!

प्रार्थी
(हस्ताक्षर………………)
रजनीश
रतलाम।

दिनांक 10/4/20XX

प्रश्न 3.
प्रधानाचार्य, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, सोमपुर की ओर से अपने जिला रामपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिखिए जिसमें विद्यालय के छात्रों के स्वास्थ्य परीक्षण का निवेदन हो।
उत्तर:
क्रमांक-101/रा. उ. माध्य. वि./16
प्रेषक-
प्रधानाचार्य,

दिनांक 11 अप्रैल, 20XX

राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
सोमपुर।
सेवा में,
मुख्य चिकित्सा अधिकारी,
रामपुर।
विषय – छात्रों के स्वास्थ्य परीक्षण के संबंध में।
महोदय,
मैं आपका ध्यान विद्यालय में अध्ययनरत छात्रों के स्वास्थ्य परीक्षण की ओर दिलाना चाहता हूँ। प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी शिक्षा विभाग के आदेशानुपालना में छात्रों का स्वास्थ्य परीक्षण विद्यालय परिसर में करना अनिवार्य है।
इस संबंध में विद्यालय में अध्ययनरत 1100 छात्रों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए चिकित्सकों की एक टोली अति शीघ्र विद्यालय में भिजवाने की कृपा करें।

भवदीय
(हस्ताक्षर……….)
प्रधानाचार्य

प्रश्न 4.
स्वयं को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, शिवपुरा का कक्षा दसवीं का छात्र रितेश मानते हुए अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को खेल-कूद व्यवस्था सुचारू रूप से करवाने हेतु प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
शिवपुरा।
विषय-विद्यालय में खेलकूद व्यवस्था के सुचारु रूप से संचालन के संबंध में।
मान्यवर,
सविनय निवेदन है कि हमारे विद्यालय में खेलकूद संबंधी अनेक कठिनाइयाँ विद्यमान हैं। जिनकी वजह से हम सभी छात्रों को असुविधा हो रही है। हमारे विद्यालय के शारीरिक शिक्षक भी खेल-कूद करवाने में रुचि नहीं लेते हैं।
अभी तक खेल मैदान की सफाई नहीं हुई है। अगले माह क्षेत्रीय और जिला स्तरीय खेल-कूद प्रतियोगिताएँ प्रारम्भ होने जा रही हैं।

अत: आपसे प्रार्थना है कि सबसे पहले खेल के मैदान की सफाई करवायी जानी चाहिए और नई वांछित खेल-कूद की सामग्री क्रय की जानी चाहिए। शारीरिक-शिक्षक को भी खेल-कूद सम्बन्धित गतिविधि को सुचारु रूप से संचालित करवाने हेतु पाबन्द किया जाना चाहिए। इससे क्षेत्रीय एवं जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिताओं में भी भाग लेकर हम विद्यालय का नाम रोशन कर सकेंगे।
आशा है कि आप हमारी प्रार्थना पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देकर खेल-कूद व्यवस्था अविलम्ब सुचारु रूप से संचालित करवाने की कृपा करेंगे।
ससम्मान!

प्रार्थी
रितेश
कक्षा-10

दिनांक : 3/8/20XX

प्रश्न 5.
अपने आपको राजकीय माध्यमिक विद्यालय, मन्दसौर का छात्र संजय मानकर अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को शैक्षणिक-भ्रमण का आयोजन करने के लिए एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय माध्यमिक विद्यालय,
मन्दसौर।
विषय – शैक्षिक-भ्रमण के सन्दर्भ में।
महोदय,
निवेदन है कि हमारी कक्षा के सभी छात्र शैक्षणिक-भ्रमण पर जाना चाहते हैं। गत वर्ष भी हमारे सभी सहपाठी शैक्षणिक-भ्रमण पर गये थे। इससे हमारा ज्ञानवर्द्धन तो होता ही है, साथ ही अन्य क्षेत्रों की विविधता का साक्षात् अनुभव प्राप्त होता है। हम इस बार आगरा, मथुरा एवं वृन्दावन का भ्रमण करना चाहते है अध्यापकजी एवं व्यायाम-शिक्षकजी का मार्ग-दर्शन हमें प्राप्त है।
अतः प्रार्थना है कि हमारे शैक्षणिक-भ्रमण का आयोजन करने की स्वीकृति प्रदान करें। इसके लिए सम्बन्धित गुरुजनों को उचित आदेश देकर हमें अनुगृहीत करें।

प्रार्थी
दिनांक : 17 अगस्त, 20XX
कक्षा – X
राजकीय माध्यमिक विद्यालय
मन्दसौर

प्रश्न 6.
स्वयं को मामराज, राजकीय उ. मा. विद्यालय; मकराना का छात्र मानते हुए अपने प्रधानाचार्य को विषयाध्यापकों की कमी के कारण बाधित अध्ययन व्यवस्था को अध्यापकों की वैकल्पिक व्यवस्था करवाकर सुचारु रूप से संचालित करवाने हेतु एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्यजी,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
मकराना।
विषय-अध्यापकों की वैकल्पिक व्यवस्था करने के सम्बन्ध में। महोदय,
निवेदन है कि लगभग दो माह से हमारी कक्षा में विषयाध्यापकों की कमी के कारण अध्ययन बाधित हो रहा है। कक्षा में पढ़ाई न होने के कारण कुछ विद्यार्थियों ने कक्षा में आना भी बन्द कर दिया है। जो आते भी हैं वे विषयाध्यापकों के अभाव में न तो पढ़ाई में रुचि लेते हैं और न कक्षा में बैठते ही हैं। वे पुस्तकालय में या कैन्टीन में जाकर अपना समय पूरा करते हैं।
अतः आपसे प्रार्थना है कि विषयाध्यापकों की कमी को दूर करने के लिए अध्यापकों की स्थायी व्यवस्था करने की कृपा करें, जिससे हमारा अध्ययन-कार्य सुचारु रूप से संचालित हो सके और समय पर हमारा विषय-पाठ्यक्रम भी पूरा हो सके।
आशा है कि आप हमारी इस प्रार्थना पर अविलम्ब ध्यान देकर हमें अनुगृहीत करेंगे।

निवेदक
मामराज
कक्षा-X
राज. उच्च माध्य. विद्यालय
मकराना।

दिनांक : 25 अक्टूबर, 20XX

प्रश्न 7.
स्वयं को मा. विद्यालय, वसन्तपुर का विद्यार्थी मयंक मानते हुए प्रधानाचार्य को पुस्तकालय की व्यवस्था-सुधार हेतु एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
माध्यमिक विद्यालय,
वसन्तपुर।
विषय – पुस्तकालय की व्यवस्था-सुधार हेतु।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि हमारे विद्यालय के पुस्तकालय की वर्तमान व्यवस्था सन्तोषप्रद नहीं है। कोई भी छात्र पुस्तकालय से पुस्तक लेने जाता है, तो उसे मना कर दिया जाता है। पुस्तकालय में नियुक्त कर्मचारियों का व्यवहार बहुत ही अशोभनीय एवं दायित्वहीन रहता है। नयी पुस्तकों पर नियमानुसार कार्ड एवं नम्बर भी नहीं लगाये गये हैं। कोई छात्र पुस्तकें जमा कराने जाता है तो उस दिन उसकी पुस्तकें जमा नहीं की जाती हैं तथा बाद में उससे जुर्माना लिया जाता है। छात्रों के पुस्तकालय कार्ड भी सही ढंग से नहीं बने हैं, जमा की गई पुस्तकों को भी यथास्थान नहीं रखा जाता है।
अतः प्रार्थना है कि पुस्तकालय की व्यवस्था में अविलम्ब सुधार करवाकर अनुगृहीत करें। सभी छात्र आपके आभारी रहेंगे।

प्रार्थी
मयंक

दिनांक 21-10-20XX

प्रश्न 8.
स्वयं को रा. सी. मा. विद्यालय, बरेली का छात्र राघवेन्द्र मानते हुए प्राचार्य को अपनी आर्थिक स्थिति बताते हुए बुक बैंक से पुस्तकें प्राप्त कराने हेतु एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् प्राचार्य महोदय,
राजकीय सी. मा. विद्यालय,
बरेली।
विषय-बुक बैंक से पाठ्य-पुस्तकें प्राप्त करने हेतु।
महोदय,
नम्र निवेदन है कि मैं कक्षा-X का छात्र हूँ। हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। मेरे पिताजी का देहान्त हुए दो साल हो गये हैं और माताजी अत्यधिक वृद्धा हैं। मेरा अन्य कोई सहारा नहीं है। मैंने प्रयत्न करके अपना प्रवेश शुल्क तो जमा करा दिया है, परन्तु मैं पाठ्य-पुस्तकें खरीदने में असमर्थ हूँ। यदि मुझे विद्यालय की बुक बैंक योजना से सभी पाठ्य-पुस्तकें उपलब्ध हो जायें, तो मेरा अध्ययन नियमित चल सकता है।
अतः प्रार्थना है कि इस वर्ष भी मुझे बुक बैंक से पाठ्य-पुस्तकें दिलवाकर अनुगृहीत करें। इसके लिए मैं आपका आभारी रहूँगा।

प्रार्थी
राघवेन्द्र
कक्षा-X

दि. 10 अगस्त, 20XX

प्रश्न 9.
स्वयं को रा. मा. विद्यालय, जसूरी का छात्र किशोर मानते हुए अपने प्रधानाचार्य को एक प्रार्थना पत्र लिखिए, जिसमें प्रयोगशाला कक्ष के अभाव की पूर्ति के लिए निवेदन किया गया हो।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राज. माध्यमिक विद्यालय,
जसूरी।
विषय – विद्यालय में प्रयोगशाला कक्ष की व्यवस्था के सम्बन्ध में।
महोदय,
निवेदन है कि हमारे विद्यालय में प्रयोगशाला कक्ष के अभाव में हम सभी छात्रों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। विज्ञान के सभी छात्रों को खुले बरामदे अथवा मैदान में प्रायोगिक कार्य करने के लिए विवश होना पड़ता है। इस कारण न तो उचित सामग्री उपलब्ध हो पाती है और न प्रायोगिक परीक्षण ही सही ढंग से हो पाता है। फलस्वरूप हमें विज्ञान-विषय में कम ही अंक मिल पाते हैं और हमारा परीक्षा परिणाम भी उतना श्रेष्ठ नहीं रहता है।

अतः प्रार्थना है कि हमारे लिये प्रयोगशाला कक्ष की व्यवस्था की जाये ताकि विज्ञान की प्रायोगिक कक्षाओं का संचालन सुचारु रूप से हो सके।
सधन्यवाद,

प्रार्थी
किशोर

दिनांक 15 सितम्बर, 20XX

प्रश्न 10.
स्वयं को आदर्श माध्यमिक विद्यालय, टूंडला का छात्र चतुर शर्मा मानते हुए अपने प्रधानाचार्य को विद्यालय में बन्द सह-शैक्षिक गतिविधियों को सुचारु रूप से संचालित करने की व्यवस्था के लिए एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
अथवा
स्वयं को अभिनव मा. विद्यालय, सोमपुर का छात्र मोनीसिंह मानते हुए अपने प्रधानाचार्य को विद्यालय में बन्द सह-शैक्षिक गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालन करने की व्यवस्था के लिए एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
अथवा
स्वयं को राजकीय माध्यमिक विद्यालय, गंगानगर का छात्र-अध्यक्ष तितिभ पणिकर मानते हुए अपने विद्यालय-प्रधान को विद्यालय में बन्द सह-शैक्षिक गतिविधियों को पुनः सुचारू रूप से संचालित करने की व्यवस्था के लिए एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
आदर्श माध्यमिक विद्यालय,
टूंडला।
विषय-विद्यालय में सह-शैक्षिक गतिविधियों के संचालन के क्रम में।
महोदय,
निवेदन है कि इस सत्र में हमारे विद्यालय में अधिकतर सह-शैक्षिक गतिविधियाँ बन्द हैं एवं जो चल भी रही हैं, उनका संचालन सुचारु रूप से नहीं हो रहा है। इनके संचालन में न तो शिक्षकों का पूरा सहयोग मिल रहा है और न छात्रों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। विभिन्न अन्तःकक्षा प्रतियोगिताओं और खेलकूद आदि का संचालन भी सही ढंग से नहीं किया जा रहा है। इस वर्ष समाज-सेवा एवं शैक्षिक भ्रमण का कार्यक्रम एकदम स्थगित-सा है। इससे शिक्षणेतर ज्ञानवर्द्धन में गिरावट आ रही है और योग्य छात्रों में असन्तोष भी बढ़ रहा है।
अतः प्रार्थना है कि बन्द हुई सह-शैक्षिक गतिविधियों को सुचारु रूप से पुनः प्रारम्भ किया जाये। इस सम्बन्ध में यथाशीघ्र उचित कार्यवाही कर अनुगृहीत करें।

सधन्यवाद,
प्रार्थी
चतुर शर्मा

दिनांक 28 सितम्बर, 20XX

प्रश्न 11.
अपने को राजकीय बालिका सीनियर माध्यमिक विद्यालय, मन्दसौर की छात्रा रमणबाला मानकर अपने विद्यालय की प्रधानाचार्या को छात्रावास की कमियों का वर्णन करते हुए उन्हें दूर करने के लिए एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
प्रधानाचार्या महोदया,
राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय,
मन्दसौर।
विषय – छात्रावास की कमियों के प्रसंग में।
महोदया,
सविनय निवेदन है कि वर्तमान में हमारे छात्रावास में सफाई-व्यवस्था ठीक नहीं है। जो सफाई कर्मचारी नियुक्त है, वह कभी तो आता ही नहीं और कभी आता भी है तो बिना सफाई किये चला जाता है। शौचालय बहुत ही गन्दे पड़े हैं और उनमें भयंकर बदबू आ रही है। शौचालयों में पानी की उचित व्यवस्था नहीं है। छात्रावास के प्रांगण में लाइट की व्यवस्था नहीं है, इस कारण रात्रि में चारों ओर अन्धकार व्याप्त रहता है। इससे रात्रि में असामाजिक तत्वों के अन्दर घुस’ आने का भय बना रहता है।

आपसे निवेदन है कि छात्रावास की उक्त कमियों को यथाशीघ्र दूर कर अनुगृहीत करें और एक बार स्वयं आकर छात्रावास का निरीक्षण करने की कृपा करें।

प्रार्थिनी
रमणबाला

दिनांक 24 सितम्बर, 20XX

प्रश्न 12.
स्वयं को राजकीय माध्यमिक विद्यालय, सहारनपुर का छात्र नीरज गुप्ता मानकर अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को खेल-सम्बन्धी कठिनाइयों का वर्णन करते हुए उन्हें दूर करने के लिए एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय माध्यमिक विद्यालय,
सहारनपुर।
विषय – खेल-सम्बन्धी कठिनाइयों के निवारण हेतु।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि हमारे विद्यालय में वर्तमान में खेलकूद सम्बन्धी अनेक कठिनाइयाँ विद्यमान हैं, जिनकी वजह से हम सभी छात्रों को असुविधा हो रही है। हमारे विद्यालय में जो व्यायाम प्रशिक्षक थे, उनका यहाँ से स्थानान्तरण हुए एक साल हो गया है, परन्तु अभी तक उनके स्थान पर किसी अन्य की नियुक्ति नहीं हुई है।
हमारे विद्यालय में इस समय खेल-कूद की सामग्री का भी नितान्त अभाव है। वॉलीबॉल, नेट, फुटबॉल तथा बैडमिंटन-रैकिट पुरानी टूटी-फूटी पड़ी हैं। जो सामान है भी, वह स्टोर में पड़ा खराब हो रहा है तथा हमें माँगने पर भी नहीं दिया जाता है। इससे विद्यार्थियों की खेल सम्बन्धी गतिविधियाँ लगभग बन्द पड़ी हैं।
अतः प्रार्थना है कि विद्यालय की खेल-सम्बन्धी उक्त कठिनाइयों का निवारण कर हमें अनुगृहीत करें।

प्रार्थी
नीरज गुप्ता

दिनांक 6 अगस्त, 20XX

प्रश्न 13.
छात्र कल्याण कोष या छात्र सहायता फण्ड से परीक्षा शुल्क की राशि प्राप्त करने के लिए अपने विद्यालय के प्राचार्य को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् प्राचार्य महोदय,
क, ख, ग विद्यालय,
अजमेर।
विषय – परीक्षा शुल्क के सम्बन्ध में।
महोदय,
मैं इस विद्यालय में कक्षा-X का विद्यार्थी हूँ। दो वर्ष पूर्व मेरे पिताजी का निधन हो गया था। अब परिवार में कमाने वाला सदस्य कोई नहीं है। वृद्धा माताजी घरेलू काम करके किसी प्रकार घर का खर्च आर्थिक स्थिति खराब होने से मैं परीक्षा शुल्क की व्यवस्था करने में असमर्थ हूँ। मैंने पिछली योग्यता परीक्षा में द्वितीय स्थान प्राप्त किया था और पूर्व विद्यालय से मुझे छात्र-कोष से आर्थिक सहायता मिल गई थी।
अतः प्रार्थना है कि इस वर्ष भी मुझे परीक्षा शुल्क की राशि ‘छात्र सहायता कोष’ से दिलाकर अनुगृहीत करें।

प्रार्थी
कमलेश

दिनांक : 14 अगस्त, 20XX

(कार्यालयी पत्र)

प्रश्न 14.
स्वयं को जिलाधीश, गया मानते हुए अपने जिले के समस्त राजकीय व गैर राजकीय विद्यालयों के संस्था प्रधान को एक पत्र लिखिए जिसमें अपने विद्यालय में गाँधीजी की 150वीं जयन्ती मनाने के आदेश दिए गए हों।
उत्तर:
प्रेषक – जिलाधीश,
जिला कोटा, राजस्थान।
प्रेषिति – समस्त प्रधानाचार्य,
राजकीय एवं गैर राजकीय विद्यालय,
जिला कोटा, राजस्थान।
पत्रांक – जि. सा. 1012/नि/ 20XX
दिनांक 25 सितम्बर, 20XX
विषय-गाँधीजी की 150वीं जयन्ती के सन्दर्भ में
महोदय,
इस वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती पड़ रही है तथा भारत सरकार के साथ ही राजस्थान सरकार. भी व्यापक स्तर पर गाँधीजी की जयन्ती मनाने की घोषणा कर चुकी है। अतएव समस्त राजकीय एवं गैर राजकीय विद्यालयों के संस्था-प्रधानों को निर्देश दिया जाता है कि वे अपनी-अपनी संस्थाओं में गाँधीजी की 150वीं जयन्ती का आयोजन करें तथा विविध कार्यक्रमों के माध्यम से उत्सव मनावें। इसकी तथ्यात्मक सूचना जिलाधीश कार्यालय को भी भेजें।

भवदीय,
(हस्ताक्षर………)
अभिषेक सिंह

प्रश्न 15.
स्वयं को तहसीलदार (भीण्डर) मानते हुए अपनी तहसील में जलसंकट के कारण जल व्यवस्था हेतु अतिरिक्त बजट की माँग के लिए अपने जिलाधीश, उदयपुर को पत्र लिखिए।
उत्तर:
पत्रांक – 6/22/20XX

दिनांक 22 जून, 20XX

श्रीमान् जिलाधीश महोदय,
उदयपुर।
विषय – जलसंकट निवारणार्थ अतिरिक्त बजट के सम्बन्ध में।
महोदय,
निवेदन है कि भीण्डर तहसील में पिछले वर्षों से अवर्षण के कारण जल-संकट निरन्तर बढ़ता रहा। इसे दूर करने के लिए सरकार की ओर से जो बजट दिया गया, वह पहले ही पूरा हो चुका है।

सभी नागरिक जल-संकट से अत्यन्त परेशान हैं। इसलिए इस कार्य हेतु अतिरिक्त बजट की आवश्यकता है। अतएव जिला अकाल सहायता या मनरेगा योजना या अन्य किसी मद से पाँच करोड़ रुपये अतिरिक्त बजट की व्यवस्था करवाने की कृपा करें तथा स्वीकृत राशि अविलम्ब विमुक्त करने का अनुग्रह करें।
जल संकट के निवारणार्थ हमारी ओर से प्रस्तावित विवरण संलग्न हैं।

भवदीय,
(हस्ताक्षर………) .
तहसीलदार, भीण्डर

प्रश्न 16.
जिला शिक्षा अधिकारी, बीकानेर की ओर से सचिव, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान, अजमेर को राजकीय माध्यमिक विद्यालय लालगढ़, बीकानेर में बोर्ड परीक्षा केन्द्र की स्वीकृति हेतु कार्यालयी पत्र लिखिए।
उत्तर:
क्रमांक : 517/जि.शि.अ./20XX
दिनांक : 21 जनवरी, 20XX
प्रेषक : जिला शिक्षा अधिकारी,
बीकानेर।
सेवा में,
सचिव,
माध्य. शिक्षा बोर्ड, राजस्थान,
अजमेर।
विषय – राजकीय माध्यमिक विद्यालय, लालगढ़ में बोर्ड परीक्षा-केन्द्र हेतु।
महोदय,
पूर्व में दिनांक 2-1-20XX को प्रेषित पत्र क्रमांक 511/XX के सम्बन्ध में निवेदन है कि बीकानेर में बोर्ड की परीक्षा का एक ही केन्द्र है। इससे व्यवस्था करने में काफी कठिनाइयाँ आती हैं। इसलिए बीकानेर में एक अन्य परीक्षा केन्द्र राजकीय माध्यमिक विद्यालय, लालगढ़ में स्थापित किया जाये, तो सभी तरह से उचित रहेगा। उक्त विद्यालय में सब सुविधाएँ पर्याप्त मात्रा में हैं। इसका पूर्ण विवरण संलग्न प्रपत्र में प्रेषित है।
अतः इस सम्बन्ध में अविलम्ब कार्यवाही कर सूचित करने की कृपा करें।

भवदीय
(हस्ताक्षर …………..)
जिला शिक्षा अधिकारी, बीकानेर।

प्रश्न 17.
जिलाधीश, इन्दौर की ओर से स्वास्थ्य सचिव, मध्यप्रदेश सरकार को अपने क्षेत्र में फैली अज्ञात बीमारी से राहत दिलवाने हेतु राजधानी से चिकित्सकों की एक टोली भिजवाने के लिए निर्धारित प्रारूप में एक कार्यालयी पत्र लिखिये।
उत्तर:

दिनांक : 10 नवम्बर, 20XX

क्रमांक : 180/3/88 सा./20XX
प्रेषक : जिलाधीश,
इन्दौर।
सेवा में,
स्वास्थ्य सचिव,
स्वास्थ्य विभाग, मध्यप्रदेश सरकार,
भोपाल।
विषय – अज्ञात बीमारी से राहत दिलवाने हेतु चिकित्सकीय सहायता के संदर्भ में।
महोदय,
सविनय सूचित किया जा रहा है कि इन्दौर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में एक अज्ञात बीमारी फैल रही है, जिससे कई लोग अचानक मौत के शिकार हो गये हैं। इस अज्ञात रोग से शरीर में कँपकँपी आती है तथा खाँसी आने पर श्वास रुक जाती है तथा चन्द घण्टों में व्यक्ति की मौत हो जाती है। इस अज्ञात बीमारी से जनता अत्यधिक संत्रस्त है। स्थानीय चिकित्सक इस बीमारी का निदान नहीं कर पा रहे हैं। अतएव राजधानी से विशेषज्ञ वरिष्ठ चिकित्सकों की एक टोली इन क्षेत्रों में भिजवाने की व्यवस्था यथाशीघ्र करवाने की कृपा करें।
इस सम्बन्ध में जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से यथासम्भव सहायता उपलब्ध करवायी जा सकती है। विशेषज्ञ वरिष्ठ चिकित्सकों की टोली आने से जनता को अज्ञात बीमारी से बचाया जा सके, एतदर्थ सूचित किया जा रहा हैं।

भवदीय
(हस्ताक्षर………….)
जिलाधीश, इन्दौर।

प्रश्न 18.
जिला शिक्षा अधिकारी, जैसलमेर की ओर से एक कार्यालयी पत्र प्रधानाचार्य, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, रामगढ़, जैसलमेर को लिखिए, जिसमें कक्षा-10 के कमजोर विद्यार्थियों को गणित, अंग्रेजी एवं विज्ञान विषयों के अध्यापन के लिए अतिरिक्त कक्षाओं का प्रावधान सुनिश्चित किया गया हो।
उत्तर:

दिनांक 5 जनवरी, 20XX

पत्रांक : 11/2/25 शि./20XX
प्रेषक : जिला शिक्षा अधिकारी,
जैसलमेर।
सेवा में,
प्रधानाचार्य,
राजकीय उच्च माध्य. विद्यालय,
रामगढ़, जैसलमेर।
विषय-कमजोर विद्यार्थियों के लिए अतिरिक्त कक्षाओं के सम्बन्ध में।
महोदय,
राज्य सरकार, शिक्षा विभाग के नवीनतम निर्देशों की अनुपालना में आपको सूचित किया जाता है कि बोर्ड की परीक्षा का परिणाम-स्तर न गिरे, इसके लिए कक्षा-10 के जो छात्र गणित, अंग्रेजी एवं विज्ञान विषयों में कमजोर हैं, उनके लिए इन विषयों की अतिरिक्त कक्षाओं की व्यवस्था की जाये।

अतिरिक्त कक्षाएँ विद्यालय समय के बाद या पहले लगाई जायें। इसके लिए यदि शिक्षकों की कमी हो तो गेस्ट फैकल्टी के रूप में अंशकालिक योग्य सेवानिवृत्त शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है। अविलम्ब उक्त विषयों के कमजोर विद्यार्थियों का चयन कर अतिरिक्त कक्षाएँ प्रारम्भ की जायें तथा इस सम्बन्ध में इस कार्यालय को सूचना भेज दी जायें।

भवदीय
(हस्ताक्षर ……………… )
जिला शिक्षा अधिकारी,
जैसलमेर

प्रश्न 19.
कम्प्यूटर शिक्षा की अनिवार्यता समाप्त करने के लिए प्रधानाचार्य, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, कुम्भलगढ़ की ओर से सचिव, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान, अजमेर को लिखे जाने हेतु कार्यालयीय पत्र तैयार कीजिए।
उत्तर:

दिनांक 27 जुलाई, 20XX

पत्रांक : 22/2/20XX
प्रेषक : प्रधानाचार्य,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
कुम्भलगढ़।
सेवा में,
सचिव महोदय,
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान,
अजमेर।
विषय-कम्प्यूटर शिक्षा की अनिवार्यता के सन्दर्भ में।
महोदय,
शिक्षा विभाग, राजस्थान सरकार तथा आपके कार्यालयीय निर्देश के अनुसार यद्यपि उच्च माध्यमिक कक्षाओं में कम्प्यूटर शिक्षा प्रारम्भ कर दी गई है। परन्तु उनके लिए शिक्षण-सामग्री, कम्प्यूटर एवं प्रशिक्षक आदि की समुचित व्यवस्था अभी तक नहीं हो पायी है। इस कारण विद्यार्थी परेशान हैं और कम्प्यूटर शिक्षा के लिए उन्हें प्राइवेट संस्थाओं का सहारा लेने में काफी व्यय करना पड़ रहा है। फिर भी वे पूर्णतया लाभान्वित नहीं हो रहे हैं।

अत: उच्च माध्यमिक कक्षाओं में कम्प्यूटर शिक्षा की अनिवार्यता समाप्त करना ही औचित्यपूर्ण है। वाणिज्य के विद्यार्थियों के लिए इसे ऐच्छिक विषय के रूप में चलाया जा सकता है। विद्यार्थी-हित को ध्यान में रखकर इस सम्बन्ध में शीघ्र उचित निर्णय एवं निर्देश अपेक्षित हैं।

निवेदक,
(हस्ताक्षर ………….. )
प्रधानाचार्य

प्रश्न 20.
स्वयं को भरतपुर निवासी अविनाश मानते हुए भरतपुर के नगर निगम के कार्यकारी अधिकारी को सड़कों पर बढ़ रहे अतिक्रमण को नियन्त्रित करने हेतु पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् कार्यकारी अधिकारी महोदय,
नगर निगम, भरतपुर।
विषय – सड़कों पर बढ़ रहे अतिक्रमण के सम्बन्ध में।
महोदय,
कुछ दिनों से नगर की सड़कों पर अतिक्रमण बढ़ रहा है। दुकानदार अपना सामान फुटपाथ तक फैला देते हैं, कुछ लोगों ने तो पक्के चबूतरे भी बना दिये हैं। कुछ ठेली वाले, खोमचे वाले बीच सड़क में खड़े हो जाते हैं। इस तरह सड़कों पर अतिक्रमण बढ़ रहा है, जिससे पैदल राहगीरों तथा वाहन चालकों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है और प्रायः जाम लग जाता है।

अतः निवेदन है कि शहर की सड़कों पर बढ़ रहे अतिक्रमण को तुरन्त हटाया और रोका जावे। इसके लिए सख्ती से नियमों के अनुसार अभियान चलाया जावे। आशा ही नहीं, पूरा विश्वास है कि नगर निगम इस दिशा में अविलम्ब उचित कार्यवाही कर जनता की सुविधा का ध्यान रखेगा।
भवदीय/निवेदक

अविनाश
लक्ष्मण मन्दिर गली, भरतपुर

दिनांक 27 अक्टूबर, 20XX

(शिकायती-पत्र)

प्रश्न 21.
आपका नाम ईशान्त है। आप लक्ष्मीनगर, जयपुर के हैं। आपके क्षेत्र में अक्सर अनियमित बिजली कटौती की समस्या रहती है। नियमित विद्युत सप्लाई हेतु मुख्य अभियन्ता विद्युत विभाग, जयपुर को एक शिकायती पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में
श्रीमान् मुख्य अभियन्ता महोदय,
विद्युत विभाग, राजस्थान, जयपुर।
विषय-अनियमित विद्युत सप्लाई के सम्बन्ध में।
महोदय,
निवेदन है कि पिछले सात-आठ महीनों से हमारे क्षेत्र लक्ष्मीनगर में विद्युत आपूर्ति में अनियमित कटौती हो रही है। इस समस्या से. हम सभी नागरिक परेशान हैं। विशेषकर विद्यार्थियों को सुबह-शाम अध्ययन करने में बाधा आती है। अनियमित विद्युत सप्लाई से लोगों के काम-धन्धे पर बुरा असर पड़ रहा है और पेयजल की आपूर्ति भी बाधित हो रही है।

अतएव प्रार्थना है कि हमारे क्षेत्र में विद्युत सप्लाई की व्यवस्था ठीक की जावे तथा नियमित सप्लाई करके इस समस्या का निवारण किया जावे। उसके लिए तुरन्त उचित व्यवस्था करवाने की कृपा करें।

निवेदक,
ईशान्त
लक्ष्मीनगर, जयपुर

दिनांक 20 अक्टूबर, 20XX

 

प्रश्न 22.
स्वयं को उदयपुर निवासी अर्पिता मानते हुए अपने जिला पुलिस अधीक्षक को सुरक्षा संबंधी पत्र लिखिए, जिसमें आपके मोहल्ले में बाहरी लोगों द्वारा की जा रही संदेहास्पद गतिविधियों का उल्लेख हो।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् पुलिस अधीक्षक महोदय,
जिला पुलिस विभाग, उदयपुर।
विषय-मोहल्ले में बाहरी लोगों की गतिविधियों के सम्बन्ध में।
महोदय,
निवेदन है कि पिछले कुछ दिनों से हमारे मोहल्ले में कुछ बाहरी लोगों का आवागमन बढ़ गया है। इन लोगों की गतिविधियाँ कुछ संदेहजनक लग रही हैं, क्योंकि रात में ये लोग तीन-चार के समूह में एकत्र होकर कुछ कानाफूसी करते रहते हैं और गलियों के नोकों पर खड़े होकर आने-जाने वालों को घूरते रहते हैं। इनके पास थैलों में कुछ भारी समान भी दिखाई देता है। ऐसा प्रतीत होता है कि ये लोग अपराधी प्रवृत्ति के हैं और मोहल्ले में कुछ अनर्थ करने की योजनाएँ गुपचुप बना रहे हैं।
अतः निवेदन है कि इन लोगों की सन्दिग्ध गतिविधियों को नियन्त्रित करने के लिए उचित कार्यवाही की जावे।

निवेदिका,
अर्पिता
नया मोहल्ला, उदयपुर

दिनांक 25 अक्टूबर, 20XX

प्रश्न 23.
स्वयं को नई सड़क, ब्यावर निवासी लक्ष्मण मानते हुए अपने मोहल्ले में व्याप्त गन्दगी एवं रात्रि में अँधेरा रहने से अवगत कराते हुए सफाई एवं रोशनी की नियमित व्यवस्था के लिए अध्यक्ष, नगरपालिका को शिकायती-पत्र लिखिये।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् अध्यक्ष महोदय,
नगरपालिका, ब्यावर।
विषय-हमारे मोहल्ले में सफाई एवं रोशनी व्यवस्था हेतु। महोदय,
निवेदन है कि हमारे मोहल्ले नई सड़क क्षेत्र में कई दिनों से सफाई नहीं हो रही है। इस कारण सड़कों एवं गलियों में कचरे के ढेर पड़े हुए हैं और नालियाँ अवरुद्ध होने से उनका गन्दा पानी सड़क पर फैल रहा है। इससे मुहल्लेवासियों को अत्यधिक असुविधा हो रही है तथा जनता के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। सफाई निरीक्षक से बार-बार शिकायत करने पर भी इस दिशा में कोई सुधार नहीं हो रहा है।

हमारे मोहल्ले में सार्वजनिक रोशनी की अव्यवस्था भी कुछ दिनों से चल रही है। कई खम्भों की लाइटें खराब पडी हैं। इस कारण मोहल्ले में रात्रि में अंधकार व्याप्त रहता है। इससे चोर-उचक्कों का आतंक अधिकारियों से कई बार निवेदन करने पर भी रोशनी की व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है।
निवेदन है कि आप हमारे मोहल्ले में व्याप्त गन्दगी एवं रात्रि में रोशनी की अव्यवस्था का यथाशीघ्र निवारण कर हमें अनुगृहीत करें।

प्रार्थी
लक्ष्मण
नई सड़क, ब्यावर

दिनांक 10 अगस्त, 20XX

प्रश्न 24.
स्वयं को आदर्श विद्याशाला, बालनगर का विद्यार्थी मयंक मानते हुए विद्यालय में फर्नीचर, प्रयोगशाला सामग्री एवं पत्र-पत्रिकाओं की कमी को लेकर अपने प्रधानाचार्य को एक शिकायती अनुरोध-पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् प्राचार्य महोदय,
आदर्श विद्याशाला,
बालनगर।
विषय – विद्यालय में फर्नीचर, प्रयोगशाला सामग्री एवं पत्र-पत्रिकाओं की पूर्ति हेतु अनुरोध-पत्र। महोदय,
सविनय निवेदन है कि हमारे विद्यालय में व्यवस्था सम्बन्धी कुछ कमियाँ हैं, इस ओर मैं आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ (1) हमारे विद्यालय में गत दो वर्षों से न तो नया फर्नीचर मँगवाया गया और न पुराने फर्नीचर की मरम्मत की गई। इस कारण विद्यार्थियों को कक्षा में बैठने में अत्यधिक असुविधा हो रही है। (2) प्रयोगशाला में पूरी सामग्री नहीं मिलने के कारण विद्यार्थियों को प्रायोगिक परीक्षण करने में अत्यधिक कठिनाई हो रही है। (3) वाचनालय कक्ष में प्रमुख पत्र-पत्रिकाएँ नहीं मिलती हैं। ऐसा विदित हुआ कि इनकी आपूर्ति रोक दी गई है। इस कारण विद्यार्थियों को अपने ज्ञान का विस्तार करने का सुअवसर नहीं मिल रहा है।
अतः प्रार्थना है कि विद्यालय में आवश्यकता के अनुसार फर्नीचर, प्रयोगशाला सामग्री तथा पत्र-पत्रिकाओं की पूर्ति के लिए अविलम्ब उपाय किये जावें। हम सभी विद्यार्थी आपके आभारी रहेंगे।

प्रार्थी
मयंक
कक्षा-X

दिनांक 4 अक्टूबर, 20XX

प्रश्न 25.
स्वयं को कपिल मानते हुए अपने क्षेत्र के पुलिस अधिकारी को मुहल्ले में आए दिन होने वाली चोरियों की शिकायत करते हुए एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् पुलिस अधीक्षक महोदय,
जिला कोतवाली-क-ख-ग
विषय-लगातार हो रही चोरियों की शिकायत।

महोदय,
निवेदन है कि हमारे मुहल्ले (कॉलोनी) में पिछले एक माह से आये दिन चोरियाँ हो रही हैं। चोरों का ऐसा गिरोह सक्रिय है जो रात में कई घरों में एकसाथ चोरी कर रहा है। वह पीतल की ट्रॅटियाँ, हत्थे एवं बिजली का कीमती सामान भी उखाड़कर ले जा रहा है। इस तरह चोरियाँ होने से मुहल्ले के लोग भारी दहशत में हैं और लगातार नुकसान झेल रहे हैं। इस सम्बन्ध में नजदीक की पुलिस चौकी और थाने में भी शिकायत की गई है, परन्तु कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है।
अतएव आपसे प्रार्थना है कि हमारे इलाके में हो रही चोरियों पर सख्ती से नियन्त्रण किया जावे तथा चोरियों का खुलासा भी किया जावे। अविलम्ब उचित कार्यवाही अपेक्षित है।

निवेदक,
कपिल
मुहल्ला-शिव कॉलोनी,
नया शहर।

प्रश्न 26.
मनीआर्डर ठीक समय पर न मिलने के कारण आपको जो असुविधा हुई, उसका विवरण देते हुए पोस्ट मास्टर को शिकायती पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् डाकपाल महोदय,
डाक-तार घर,
गांधीनगर, जयपुर-15
विषय-समय पर मनीआर्डर न मिलने के सम्बन्ध में।
महोदय,
निवेदन है कि हमारे सर्किल में मनीआर्डर वितरण करने वाला पोस्टमैन अपने कर्तव्य का उचित निर्वाह नहीं करता है। गाँव से पिताजी ने मेरे नाम से आठ सौ रुपये का मनीआर्डर भेजा था जो कि सम्पर्क करने पर अनेक बहाने बनाये गये। बड़ी खुशामद के बाद सात दिन बाद मुझे मनीआर्डर की राशि प्राप्त हुई है।

मनीआर्डर के इतने विलम्ब से मिलने के कारण मुझे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। मैं समय पर विद्यालय में अपना शुल्क जमा नहीं करा पाया हूँ, जिससे मुझे दण्ड की राशि चुकानी पड़ी है। साथ ही समय पर कुछ उपयोगी पुस्तकें भी नहीं खरीद पाया हूँ, जिससे मेरे अध्ययन में बाधा पड़ी है।
अतः आपसे निवेदन है कि हमारे सर्किल के इस पोस्टमैन के विरुद्ध उचित अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाये। आशा है कि आप इस शिकायत पर ध्यान देने की कृपा करेंगे।

दिनांक : 7 जनवरी, 20××

प्रार्थी
रमेशचन्द्र शर्मा
बी-129, मंगल मार्ग
बापूनगर, जयपुर

व्यावसायिक-पत्र

प्रश्न 27.
स्वयं को चौमू निवासी दवा विक्रेता हेमांग मानते हुए, किसी फार्मा कंपनी को पत्र लिखकर दवाइयाँ मंगाइए।
उत्तर:

चौमू,
दिनांक 25 मई, 20XX

श्रीमान् व्यवस्थापक महोदय,
सन फार्मा कम्पनी, अहमदाबाद

प्रिय महोदय,
हमें आपकी कम्पनी द्वारा उत्पादित कछ दवाइयों की शीघ्र आवश्यकता है। दवाइयों की सूची आदि विवरण अलग से तैयार कर पत्र के साथ भेजी गयी है। कृपया निर्दिष्ट सभी दवाइयाँ उचित कमीशन काटकर एस.बी.आई. बैंक की बिल्टी बनाकर भेजने की कृपा करें।
साथ ही अपनी कम्पनी का सूची-पत्र भी भेज दें।
संलग्न –
दवाइयों का विवरण एवं संख्या

भवदीय,
हेमांग
जनता दवा स्टोर, चौमू
पो.ओ. चौमू, जिला जयपुर

प्रश्न 28.
स्वयं को भरतपुर का पुस्तक विक्रेता अजय कुमार मानते हुए गीताप्रेस, गोरखपुर को एक पत्र लिखिए, जिसमें धार्मिक पुस्तकें खरीदने की माँग हो।
उत्तर:

दिनांक 13 नवम्बर, 20XX

श्रीमान् प्रबन्धक महोदय,
गीता प्रेस,
गोरखपुर।
प्रिय महोदय,
हम भरतपुर नगर में पुस्तक-विक्रय करते हैं। हमारे यहाँ पर धार्मिक पुस्तकों की काफी माँग रहती है। कृपया निम्नलिखित पुस्तकें उचित कमीशन काटकर यथाशीघ्र रेलवे बिल्टी द्वारा भेज दें –
1. रामचरितमानस (गुटका अर्थ सहित) 10 प्रतियाँ
2. रामाज्ञा प्रश्न                                  10 प्रतियाँ
3. दुर्गा सप्तसती (अर्थ सहित)             25 प्रतियाँ
4.  दैनिक पूजा-पद्धति (गुटका)            15 प्रतियाँ
पुस्तकें उचित पैकिंग द्वारा भेजें तथा अपने प्रकाशन का सूचीपत्र भी अवश्य भेज दें।

भवदीय,
अजय कुमार
क, ख, ग, भरतपुर

प्रश्न 29.
प्रधानाचार्य राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, रतनगढ़ की ओर से आदर्श प्रकाशन, जयपुर को एक आदेश-पत्र कुछ पाठ्य-पुस्तकें मँगवाने के लिए लिखिए।
उत्तर:

दि. 25 जुलाई, 20XX

पत्र क्रमांक 1945/2016
प्रेषक
कार्यालय, प्रधानाचार्य
राजकीय उ. माध्यमिक विद्यालय,
रतनगढ़।
श्रीमान् व्यवस्थापकजी,
आदर्श प्रकाशन,
जयपुर।
प्रिय महोदय,
कृपया निम्नलिखित पुस्तकें उचित कमीशन काटकर यथाशीघ्र वी.पी.पी. द्वारा भेज दें –
Sanjiv English Course Class XII      10 प्रतियाँ
संजीव डेस्क वर्क कक्षा X (English)        4 प्रतियाँ
Sanjiv English Course Class X        10 प्रतियाँ
संजीव डेस्क वर्क कक्षा IX (English)       4 प्रतियाँ

पुस्तकें उचित पैकिंग द्वारा भेजें तथा बिल की दो प्रतियाँ अवश्य संलग्न करें।

भवदीय
(हस्ताक्षर……….)
प्रधानाचार्य

प्रश्न 30.
नाग पब्लिकेशन, जवाहर नगर, दिल्ली को मार्च, 2020 के पश्चात् प्रकाशित पुस्तकों का सूची-पत्र मँगवाने के लिए एक पत्र लिखिए।
उत्तर:

दिनांक : 26 अगस्त, 20XX

पत्रांक 201/20XX
प्रेषक
प्रधानाचार्य,
शार्दूल उच्च माध्यमिक विद्यालय,
बीकानेर।
श्रीमान् व्यवस्थापकजी,
नाग पब्लिकेशन,
जवाहर नगर, दिल्ली – 7

प्रिय महोदय,
आपकी फर्म द्वारा प्रकाशित हिन्दी एवं संस्कृत से सम्बन्धित कुछ महत्त्वपूर्ण पुस्तकें देखने का अवसर मिला। हमारी संस्था के पुस्तकालय हेतु कुछ पुस्तकें खरीदनी हैं। अतः मार्च, 2020 के पश्चात् प्रकाशित पुस्तकों का सूची-पत्र अवलोकनार्थ यथाशीघ्र भेजें।

सधन्यवाद

भवदीय,
……………….
पुस्तकालय अध्यक्ष

प्रश्न 31.
आदर्श प्रकाशन, जयपुर की ओर से प्राचार्य, राजकीय माध्यमिक विद्यालय, जालौर को आदेशित माल भेजने की सूचना का पत्र लिखिए।
उत्तर:

दिनांक 15 जुलाई, 20XX

प्रेषक
आदर्श प्रकाशन,
चौड़ा रास्ता, जयपुर।
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय माध्यमिक विद्यालय,
जालौर।
महोदय,
आपके आदेश-पत्र सं. पु. 23/20XX दिनांक 10 जुलाई, 20XX के क्रम में सूचित किया जाता है कि आपके द्वारा चाही गई पुस्तकें आज ही सवारी गाड़ी द्वारा भेजी जा रही हैं। आशा है कि पुस्तकों के बण्डल आपको ठीक दशा में उपलब्ध हो जायेंगे। बिल्टी स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर शाखा जालौर द्वारा भेजी जा रही है। कृपया बिल स्वीकार कर, बैंक से बिल्टी छुड़ाने में शीघ्रता करें।

भवदीय
कृते-आदर्श प्रकाशन
व्यवस्थापक

प्रश्न 32.
विक्रेता द्वारा विलम्ब से माल भेजने के सम्बन्ध में एक पत्र लिखिये।
उत्तर:

पाटन पोल, कोटा
20 अगस्त, 20XX

सेवा में,
मैसर्स गुप्ता ट्रेडर्स,
सूरजपोल,
उदयपुर।
प्रिय महोदय,
आपके 8 अगस्त, 20XX को भेजे गये आदेश के लिए धन्यवाद। हमें यह सूचित करते हुए खेद है कि आदेशों की अधिकता और उत्पादन की न्यूनता से हम 30 अगस्त, 20XX से पूर्व आपके आदेश का माल नहीं भेज सकेंगे।
हमें पूर्ण आशा है कि शीघ्र ही हमारे पास नये माल की आपूर्ति हो जायेगी। कृपया यह लिखने का कष्ट करें कि क्या आप इस अवधि तक माल की प्रतीक्षा कर सकेंगे।

भवदीय
गुलाबचन्द
मैनेजर
वास्ते-श्रीराम एण्ड कम्पनी

अनौपचारिक पत्र।
व्यक्तिगत पत्र
(मित्र को पत्र)

प्रश्न 1.
स्वयं को बापूनगर निवासी हिमांशु मानकर शैक्षिक भ्रमण का वर्णन करते हुए अपने मित्र प्रियांशु को एक पत्र लिखिए।
उत्तर:

स्वास्तिक भवन,
बापूनगर।
दिनांक 12 जनवरी, 20XX

प्रिय मित्र प्रियांशु,
सप्रेम नमस्ते!
आशा है आप सपरिवार सानन्द होंगे। मैं यहाँ पर प्रसन्न एवं कुशल हूँ। पिछले सप्ताह हमारे विद्यालय के छात्रों का एक दल व्यायाम-शिक्षकजी के साथ शैक्षिक भ्रमण पर आगरा गया था। हमने वहां पर ताजमहल, पुराना किला, दयालबाग आदि प्रमुख स्थान देखे। विशेषकर वहाँ पर मुगल स्थापत्य-कला को देखने का अवसर मिला। वहाँ विश्वविद्यालय, हिन्दी संस्थान तथा वायुसेना का विशाल परिसर भी देखने का अवसर मिला। इस तरह हमें वहाँ पर सभी
बातों का मिला-जुला ज्ञान प्राप्त हुआ। साथ ही भ्रमण करने में सावधानी बरतने का अनुभव भी मिला।
मित्र, छात्रों के लिए शैक्षिक भ्रमण का विशेष महत्त्व रहता है। आपको भी ऐसे स्थानों का भ्रमण करना चाहिए।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,

तुम्हारा मित्र
हिमांशु

प्रश्न 2.
स्वयं को अलसीगढ़ निवासी ऋषि मानकर मित्र मनन को एक पत्र लिखिए जिसमें हाल ही सम्पन्न ‘ हुई क्रिकेट प्रतियोगिता में आपकी टीम द्वारा ट्राफी जीतने का उल्लेख किया गया हो।
उत्तर:

स्वराज भवन,
अलसीगढ़।
दिनांक 30 अप्रैल, 20XX

प्रिय मित्र मनन,
सप्रेम नमस्ते!

आशा है, तुम हमेशा की तरह स्वस्थ और प्रसन्न होंगे। मैं भी यहाँ प्रसन्न और कुशल हूँ। मैं तुम्हें प्रसन्नता का यह समाचार देना चाहता हूँ कि अभी हाल में ही राज्यस्तरीय क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन जयपुर के संवाई मानसिंह स्टेडियम में किया गया। इस क्रिकेट प्रतियोगिता में आठ टीमों ने भाग लिया। प्रत्येक टीम ने तीन-तीन मैच खेले और सेमीफाइनल में चार टीमों का चयन हुआ। खेलने के पश्चात् अन्त में दो टीमें फाइनल में पहुंचीं। उसमें हमारी भी टीम थी। फाइनल मुकाबले में हमारी टीम ने बीस रन से जीत हासिल कर ट्रॉफी जीती। हर्ष-उल्लास के बीच विजित ट्रॉफी माननीय मुख्यमन्त्री द्वारा हमारी टीम के कप्तान को प्रदान की गई। मैं इस जीत से बहुत उत्साहित हूँ।
काश! तुम भी मेरे साथ होते।

तुम्हारा मित्र
ऋषि

प्रश्न 3.
आप केशव शर्मा उज्जैन निवासी हैं। इन्दौर निवासी अपने मित्र को एक पत्र लिखिए जिसमें ग्रीष्मावकाश इस बार आपके साथ मुम्बई में बिताने का आग्रह हो।
उत्तर:

उज्जैन
दिनांक : 18 अप्रैल, 20XX

प्रिय मित्र राघवेन्द्र,
सप्रेम नमस्ते।
यहाँ पर हम सभी प्रसन्न हैं और आशा है कि तुम भी वहाँ पर कुशल होंगे।
मित्र, इस बार ग्रीष्मावकाश पर मैंने मुम्बई जाने का निश्चय किया है। मेरा आग्रह है कि तुम भी हमारे साथ मुम्बई चलो। वहाँ पर अनेक पर्यटन स्थल हैं। चौपाटी, इण्डिया गेट, चर्च गेट आदि कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जिन्हें देखने की तुमने पहले भी कई बार इच्छा व्यक्त की है। इस बार तुम्हारी यह इच्छा पूरी हो जायेगी तथा बहुत दिनों के बाद हम दोनों मित्रों को साथ-साथ घूमने का सुअवसर मिल सकेगा। अतएव मेरे इस आग्रह को मानकर चलने की तैयारी कर लेना-मैं यही आशा करता हूँ।
अपने परिवार के सभी लोगों को मेरा यथायोग्य अभिवादन।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,

तुम्हारा मित्र
केशव शर्मा

(छोटे भाई को पत्र)

प्रश्न 4.
स्वयं को शास्त्रीनगर का सुधांशु मानकर अपने छोटे भाई को धूम्रपान एवं नशे की लत से दूर रहने की समझाइश देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर:

गुलाब निकुंज,
शास्त्री नगर।
दिनांक 10 अगस्त, 20XX

प्रिय अनुज जितेन्द्र
सस्नेह शुभाशीष।
कल ही तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ तथा समाचार पढ़कर अतीव प्रसन्नता हुई। तुम अपनी पढ़ाई पर परिश्रम करते रहो, सफलता परिश्रम करने से ही मिलती है।
मैं तुम्हें एक खास बात से सचेत करना चाहता हूँ। कुछ बिगडैल लड़के धूम्रपान का शौक रखते हैं अथवा नशे की लत से ग्रस्त रहते हैं। धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए अतीव हानिकारी होता है। इससे गले एवं फेफड़ों में कैंसर हो जाता है, तपेदिक का रोग फैलता है। इसी प्रकार शराब-गाँजा आदि का नशा करना भी अनेक असाध्य रोगों का मूल माना जाता है। नशे की लत से धन का अपव्यय होता है, दुर्व्यसन बढ़ने से समाज में तिरस्कार मिलता है और स्वास्थ्य की हानि होती है। अतएव तुम ऐसे लोगों से सदा दूर रहने का प्रयास करना, इसी में भलाई है।
पत्रोत्तर एवं कुशलता का सारा वृत्तान्त भेजते रहना। यहाँ से भी परिजन तुम्हें शुभाशीष कह रहे हैं।

तुम्हारा शुभेच्छु
सुधांशु.

प्रश्न 5.
आप आगरा निवासी मनोहर हैं। अजमेर में अध्ययन कर रहे अपने छोटे भाई प्रभाकर को पत्र लिखिए, जिसमें अध्ययन के साथ-साथ खेलों में भी भाग लेने की सलाह दीजिए।
उत्तर:

आगरा
दिनांक : 12 अगस्त, 20XX

प्रिय अनुज प्रभाकर,
सस्नेह शुभाशीष !
अभी कुछ दिन पूर्व तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई कि तुम्हारी पढ़ाई अच्छी चल रही है। पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद, व्यायाम व मनोरंजन भी शारीरिक एवं बौद्धिक विकास के लिए आवश्यक हैं। यह अच्छी बात है कि तुम्हारे विद्यालय में खेलकूद अनिवार्य कर रखे हैं। तुम्हें भी अध्ययन के साथ-साथ खेलों में भी भाग लेना चाहिए। इससे हमारा सर्वांगीण विकास होता है।
अन्त में मेरा यही कहना है कि कक्षा में ध्यान लगाकर सुनना तथा पढ़ाये हुए पाठ को अच्छी तरह से पढ़कर याद करना। साथ ही खेलों में भी अवश्य भाग लेना।
पत्रोत्तर अवश्य देना।

तुम्हारा शुभेच्छु
मनोहर

प्रश्न 6.
आप जोधपुर निवासी नरेन्द्र हैं, उदयपुर निवासी अपने छोटे भाई सुरेन्द्र को एक पत्र लिखिए, जिसमें बिजली एवं पानी का अपव्यय न करने की सलाह दी गई हो।
उत्तर:

जोधपुर
दिनांक : 12 सितम्बर, 20XX

प्रिय सुरेन्द्र,
सस्नेह शुभाशीर्वाद !
यहाँ सब कुशलपूर्वक हैं और तुम्हारी कुशलता-कामना के लिए ईश्वर से सदैव प्रार्थना करते हैं। तुम्हारा पत्र कल ही मिला, पढ़कर समाचार ज्ञात हुए। इस बार तुमने अपने मासिक खर्च का जो हिसाब भेजा है, उससे लगता है कि तुम बिजली और पानी का अपव्यय कर रहे हो। तुम रात में सोते समय बल्ब जलता ही छोड़ देते होंगे, पंखे व इस्तरी का उपयोग भी असावधानी से करते होंगे।

इसी कारण बिजली का इतना अधिक बिल आया, अन्यथा एक बल्ब व एक पंखे पर इतना खर्चा सम्भव नहीं है। पानी को भी व्यर्थ नहीं बहाना चाहिए। ऐसी असावधानी रखने से व्यर्थ जा रहा है और आवश्यक वस्तुओं के दुरुपयोग से राष्ट्र को भी क्षति हो रही है। तुम्हें समझदारी से इस तरह के अपव्यय से बचना चाहिए।

शेष कुशल है। माता-पिताजी की ओर से तुम्हें आशीर्वाद तथा अनिता का प्रणाम।
पत्रोत्तर अवश्य भेजना।

तुम्हारा शुभचिन्तक
नरेन्द्र

(बड़े भाई को पत्र)

प्रश्न 7.
स्वयं को जयपुर निवासी भरतेश जैन मानकर चण्डीगढ़ निवासी अपने बड़े भाई विश्वेश जैन को एक पत्र लिखिए, जिसमें अपनी माताजी के अस्वस्थ हो जाने की सूचना दी गई हो।
उत्तर:

जयपुर
दिनांक : 22 अगस्त, 20XX

आदरणीय भाई साहब,
सादर प्रणाम !
मैं यहाँ सकुशल हूँ और आपकी कुशलता की ईश्वर से सदैव प्रार्थना करता हूँ।
अचानक ही पिछले चार दिन से माताजी की तबीयत ठीक नहीं है। इन्हें तेज बुखार है और सिर तथा पेट में दर्द बता रही हैं। मैं लगातार तीन दिन से इन्हें डॉक्टर के पास ले जा रहा हूँ और दवा भी दे रहा हूँ, परन्तु इनके स्वास्थ्य की स्थिति में कोई सुधार नहीं दिखाई दे रहा है। डॉक्टर साहब की राय है कि इन्हें किसी बड़े अस्पताल में भर्ती कराना पड़ेगा और इनकी आँतों पर आयी हुई सूजन का इलाज करवाना होगा। इस कारण आप पत्र मिलते ही अवकाश लेकर आ जाएँ।
भाभीजी को मेरा प्रणाम तथा बच्चों को प्यार। आपके आगमन की प्रतीक्षा में रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी अनुज
भरतेश जैन

(पिता को पत्र)

प्रश्न 8.
स्वयं को जूनागढ़ का निवासी जितेन्द्र मानते हुए अहमदाबाद में रह रहे अपने पिताजी को एक पत्र लिखिए जिसमें हाथ-धुलाई कार्यक्रम एवं पेट में कीड़ों की बीमारियों से बचने हेतु गोली खिलाने के कार्यक्रम द्वारा बालकों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के प्रयासों का उल्लेख हो।
उत्तर:

अशोक भवन,
जूनागढ़।
दिनांक 28 अप्रैल, 20XX

पूजनीय पिताजी,
सादर चरण-स्पर्श !
मैं यहाँ सकुशल हूँ और आपकी सपरिवार कुशलता के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ।
आपका भेजा हुआ पत्र मिला। पढ़कर प्रसन्नता हुई। आगे समाचार यह है कि हमारे विद्यालय में बालकों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने के लिए ‘स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों को स्वच्छता और सुस्वास्थ्य की दृष्टि से खाने से पूर्व और शौच जाने के पश्चात् साबुन से नित्य हाथ धोने की सलाह दी गई है। हमें बताया गया कि गन्दे हाथों से खाना खाने से अनेक प्रकार की पेट की बीमारियाँ हो जाती हैं, जैसे उल्टी, दस्त, पेट में कीड़े आदि।
हमें पेट में कीड़ों की बीमारियों से बचे रहने के लिए गोलियाँ खिलाने का कार्य दिया गया है। हम इस कार्य के माध्यम से विद्यार्थियों और आस-पास के क्षेत्र के बालक-बालिकाओं में पेट में कीड़ों की बीमारियों से बचने गोलियों का वितरण कर, उन्हें साबुन से नित्य हाथ धोने की आदत डालने का सन्देश देकर स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। आपके आशीर्वाद से इस कार्य में हमें आशातीत सफलता मिल रही है।
माताजी को प्रणाम व कृतिका को ढेर सा प्यार।

आपका प्रिय पुत्र
जितेन्द्र

प्रश्न 9.
स्वयं को जयपुर निवासी मानवेन्द्र मानकर अहमदाबाद निवासी अपने पिताजी को एक पत्र लिखिए, जिसमें अपनी परीक्षा की तैयारी एवं अध्ययन आदि का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

जयपुर
दिनांक : 15 फरवरी, 20XX

पूजनीय पिताजी,
सादर चरण-स्पर्श !
मैं यहाँ पर सकुशल हूँ और आपकी सपरिवार कुशलता के लिए ईश्वर से सदैव प्रार्थना करता हूँ।
मेरा अध्ययन अच्छी तरह से चल रहा है। अब बोर्ड की परीक्षा के लिए लगभग एक माह रह गया है। मैं सभी विषयों का नियमित अध्ययन कर रहा हूँ। अंग्रेजी और हिन्दी की तीन बार आवृत्ति कर चुका हूँ। भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान का कोर्स भी दो बार पूरा कर लिया है। अब गणित की विशेष तैयारी में लगा हुआ हूँ। रात में साढ़े दस बजे तक और प्रातः काल पाँच बजे उठकर अध्ययन करने लग जाता हूँ। इस तरह मेरा अध्ययन-क्रम नियमित चल रहा है और आपके आशीर्वाद से मझे प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने की पर्ण आशा है।
माताजी को चरण-स्पर्श तथा सुनीता व सुनील को प्यार।
कुशल पत्र की प्रतीक्षा में,
आपका आज्ञाकारी पुत्र
मानवेन्द्र

(माता को पत्र)

प्रश्न 10.
स्वयं को प्रियंका, निवासी संवाई माधोपुर मानकर अपनी माताजी को एक पत्र लिखिए, जिसमें दशहरा अवकाश पर शैक्षणिक भ्रमण पर आगरा, मथुरा-वृन्दावन जाने के कार्यक्रम की सूचना दी गई हो।
उत्तर:

सवाई माधोपुर
दिनांक : 21 सितम्बर, 20XX

पूजनीय माताजी,
सादर चरण-स्पर्श ! मैं यहाँ सकुशल हूँ और आप सबकी कुशलता के लिए सदैव ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ।
मेरे विद्यालय की सभी छात्राएँ दशहरा अवकाश पर बस द्वारा शैक्षणिक भ्रमण के लिए आगरा, मथुरा-वृन्दावन जा रही हैं। हमारे साथ दो शिक्षक एवं तीन शिक्षिकाएँ, दो चतुर्थ श्रेणी महिला कर्मचारी और व्यायाम प्रशिक्षक भी जा रहे हैं। भ्रमण का कार्यक्रम दो दिन तक आगरा के दर्शनीय स्थलों एवं ऐतिहासिक स्मारकों को देखने का है और एक दिन मथुरा तथा एक दिन वृन्दावन व आसपास के क्षेत्रों का भ्रमण करने का है। इस शैक्षणिक भ्रमण से हमारे ज्ञान की वृद्धि होगी और हमें नये स्थानों को देखने, वहाँ की बोली-भाषा, रहन-सहन और संस्कृति आदि का ज्ञान होगा।
इस शैक्षणिक भ्रमण से लौटने के बाद जब भी अवकाश मिलेगा, मैं आपके पास आ जाऊँगी।
सुदर्शन और रंजना को मेरी ओर से प्यार। पत्रोत्तर अवश्य भेजना।

आपकी आज्ञाकारिणी पुत्री
प्रियंका

(सहेली को पत्र)

प्रश्न 11.
स्वयं को आगरा निवासी विमला मानकर बीकानेर में रहने वाली अपनी सहेली को अपने यहाँ ग्रीष्मावकाश व्यतीत करने हेतु एक पत्र लिखिए।
उत्तर:

156, शाश्वत भवन,
ईदगाह कॉलोनी, आगरा
दिनांक : 14 अप्रैल, 20XX

प्रिय सखी सरला,
सप्रेम नमस्ते !

यहाँ पर हम सभी प्रसन्न हैं और आशा करती हूँ कि तुम भी वहाँ पर प्रसन्न होंगी।
परीक्षाएँ समाप्त हो चुकी हैं। मेरा आग्रह है कि इस बार ग्रीष्मावकाश व्यतीत करने के लिए तुम यहाँ आगरा चली आओ। यहाँ ताजमहल, किला, सीकरी के महल आदि दर्शनीय स्थलों को देखने की तुम पहले भी कई बार इच्छा व्यक्त कर चुकी हो। बहुत दिनों के बाद हम दोनों सहेलियों को साथ-साथ रहने का सुअवसर भी मिल जाएगा। तुम्हारे साथ रहने से ग्रीष्मावकाश व्यतीत करने में खूब आनन्द मिलेगा। इस सम्बन्ध में मैंने मम्मी-पापा से भी बात की है, वे भी बड़े आग्रह के साथ तुम्हें आगरा आने के लिए कह रहे हैं।
अपने पूज्य माता-पिता को मेरी ओर से प्रणाम तथा छोटे भाई-बहन को प्यार। शीघ्र पत्र लिखकर अपने कार्यक्रम की सूचना और आगमन की तिथि लिख भेजना।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,

तुम्हारी सहेली
विमला

(बहिन को पत्र)

प्रश्न 12.
आप कोटा निवासी अरविन्द शर्मा हैं। अपनी विवाहिता बहिन को रक्षाबन्धन के अवसर पर राखी बंधवाने के सम्बन्ध में एक पत्र लिखिए।
उत्तर:

24 क, तलवण्डी,
कोटा
दिनांक : 2 अगस्त, 20XX

चिरंजीवी बहिन रश्मि,
सस्नेह आशीष !
हम यहाँ सकुशल हैं और तुम्हें अपने परिवार के सभी लोगों के साथ सदैव कुशल चाहते हैं।
रक्षा-बन्धन का पवित्र त्योहार समीप आ रहा है। तुम्हारे पत्र से पता चला कि तुम अपने पारिवारिक कामों से व्यस्त रहने से नहीं आ पा रही हो, इसलिए हमने निर्णय लिया है कि मैं स्वयं ही तुम्हारे पास इस अवसर पर आ जाऊँगा और भाई बहिन के प्रेम की प्रतीक राखी स्नेहपूर्वक बंधवाऊँगा।
अपने परिवार के सभी लोगों को हमारी ओर से यथायोग्य अभिवादन कहना। माताजी आशीर्वाद कह रही हैं और मिन्नी प्रणाम कर रही है।
रक्षा-बन्धन पर मिलने की उत्सुकता के साथ,

तुम्हारा शुभेच्छु भाई
अरविन्द शर्मा

अन्य पत्र
निमन्त्रण-पत्र
(खेल-दिवस की अध्यक्षता हेत)

प्रश्न 13.
अपने आपको राजकीय माध्यमिक विद्यालय, गोकुलपुरा के छात्र-कल्याण-परिषद् का अध्यक्ष आदिकुमार मानते हुए अपने विद्यालय के सेवानिवृत्त भूतपूर्व प्राचार्य को विद्यालय में आयोजित खेल-दिवस के कार्यक्रम की जानकारी देते हुए उन्हें अध्यक्ष-पद हेतु निमन्त्रण-पत्र लिखिए।
उत्तर:

राजकीय माध्यमिक विद्यालय,
गोकुलपुरा
दिनांक : 25 नवम्बर, 20XX

आदरणीय महोदय,
आपको सहर्ष सूचित किया जाता है कि प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी हमारे विद्यालय में छात्र-कल्याण-परिषद् द्वारा खेल-दिवस का आयोजन किया जा रहा है। इस उपलक्ष में अनेक कार्यक्रम रखे गये हैं। इसमें अन्त:कक्षा कबड्डी प्रतियोगिता, वॉलीबॉल, हॉकी मैच के अलावा लम्बी दौड़, ऊँची कूद, भाला फेंक, तस्तरी एवं गोला फेंक आदि विभिन्न प्रतियोगिताएँ सम्पन्न की जायेंगी।
अतः छात्र-कल्याण-परिषद् के हम सभी सदस्य खेल-दिवस के इस कार्यक्रम में आपको अध्यक्ष रूप में आमन्त्रित करते हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला शिक्षा अधिकारी महोदय होंगे, जिनकी स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।
विनम्र निवेदन है कि आप हमारे आमन्त्रण को अवश्य स्वीकार कर अध्यक्षता हेतु पधारें और पहले की तरह हमारा उत्साहवर्धन करें।

स्थान : विद्यालय प्रांगण
दिनांक 28 नवम्बर, 20XX

निवेदक
आदिकुमार
अध्यक्ष
छात्र-कल्याण-परिषद्

समय : प्रातः नौ बजे

राज. माध्यमिक विद्यालय, गोकुलपुरा।

(सहेली के लिए)

प्रश्न 14.
आप दिल्ली की रहने वाली ममता हैं, अपनी सहेली कुमारी सरिता को एक निमन्त्रण-पत्र लिखिए कि वह आगामी गणतन्त्र-दिवस के अवसर पर आपके पास आये।
उत्तर:

दिल्ली
दिनांक : 12 जनवरी, 20XX

प्रिय सरिता,
सप्रेम अभिनन्दन !
तुम्हारा कुशल-पत्र मिला, समाचार ज्ञात हुए कि तुम्हारा अध्ययन बहुत अच्छा चल रहा है। हमारे विद्यालय में इन दिनों गणतन्त्र दिवस समारोह की तैयारी चल रही है। वैसे भी देश की राजधानी दिल्ली में यह दिवस विशाल स्तर पर मनाया जाता है और इसमें लाखों लोग भाग लेते हैं। मेरा आग्रह है कि इस अवसर पर तुम यहाँ आ जाओ तथा इस वर्ष यह समारोह हमारे साथ मनाओ। मैं तुम्हारे लिए पिताजी से कहकर जनपथ पर होने वाले गणतन्त्र दिवस समारोह के ‘पास’ भी मँगवा लूँगी। सुबह के समय हम इस समारोह को देखेंगी, तत्पश्चात् हमारे विद्यालय के समारोह में सम्मिलित हो जाएंगी।
पूरे विश्वास के साथ पत्र भेज रही हूँ कि तुम अवश्य आओगी।

इसी आशा के साथ,

तुम्हारी सहेली,
ममता

(वार्षिकोत्सव हेतु)

प्रश्न 15.
आप पोद्दार माध्यमिक विद्यालय, जयपुर के छात्र हैं। अपने विद्यालय के वार्षिकोत्सव में सम्मिलित होने के लिए एक निमन्त्रण-पत्र लिखिए। …
उत्तर:

जयपुर
दिनांक : 14 फरवरी, 20XX

श्रीमान् विनोदकुमारजी,
आपको यह जानकर अपार हर्ष होगा कि प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी पोद्दार माध्यमिक विद्यालय का वार्षिकोत्सव बड़ी धूमधाम से आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर विविध रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम रखे गये हैं और सर्वश्रेष्ठ छात्रों को वर्षभर की गतिविधियों हेतु पुरस्कार प्रदान किये जाएँगे।
वार्षिकोत्सव की अध्यक्षता श्री सज्जनसिंहजी शेखावत, क्षेत्रीय विकास अधिकारी, जयपुर करेंगे और मुख्य अतिथि जिला शिक्षा अधिकारी होंगे।
आपसे प्रार्थना है कि आप अपने इष्ट मित्रों सहित पधारकर इस समारोह की शोभा बढ़ावें और विद्यालय के छात्र-छात्राओं का उत्साह-वर्धन करें।

स्थान-विद्यालय भवन
समय-सायं 6 बजे

भवदीय,
सत्येन्द्र सोलंकी
अध्यक्ष-छात्र-कल्याण परिषद
एवं समस्त विद्यालय परिवार

(विवाह-निमन्त्रण-पत्र)

प्रश्न 16.
आप सीकर निवासी मनीष हैं। अपनी बहिन के शुभविवाह में आमन्त्रित करते हुए अपने मित्र . अभिषेक को एक निमन्त्रण-पत्र लिखिए।
उत्तर:

15, कल्याण कॉलोनी,
सीकर
दिनांक : 10 नवम्बर, 20XX

प्रिय अभिषेक,
नमस्कार !
आपको यह जानकर हर्ष होगा कि दिनांक 18 नवम्बर, 20×× को मेरी बहिन अनिता का शुभ-विवाह डॉ. सुधांशु भारद्वाज (सुपुत्र श्री हिमांशु भारद्वाज, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, सीकर) के साथ होने जा रहा है। आपसे प्रार्थना है कि इस शुभ-अवसर पर सपरिवार पधार कर नव-परिणीत वर-वधू को आशीर्वाद प्रदान करें।

आप इस निमन्त्रण को औपचारिक न समझें। आपको उक्त तिथि से एक दिन पूर्व अवश्य ही यहाँ पहुँचना चाहिए। आपके आ जाने से हमें उचित परामर्श एवं सहायता मिल सकेगी। आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि आप भाभीजी के साथ अवश्य ही पधारकर अनुगृहीत करेंगे।
आपकी प्रतीक्षा में,

स्नेही मित्र
मनीष

(प्रीतिभोज हेतु)

प्रश्न 17.
आप अवधेश कौशिक, निवासी भरतपुर हैं। अपने नये मकान में गृह-प्रवेश के उपलक्ष में आयोजित प्रीतिभोज में सम्मिलित होने के लिए अपने मित्र रमाकान्त पाण्डेय को एक निमन्त्रण-पत्र लिखिए।
उत्तर:

36, कृष्णा नगर,
भरतपुर
दिनांक : 11 जनवरी, 20XX

प्रिय मित्र रमाकान्त,
सप्रेम नमस्ते !
तुम्हें यह जानकर प्रसन्नता होगी कि कृष्णानगर में हमारा नया मकान बनकर तैयार हो गया है तथा 21 जनवरी, 20×× को नव-निर्मित मकान में गृह-प्रवेश का कार्यक्रम रखा गया है। इस अवसर पर दिन में गृह-पूजन एवं हवन आदि रखा गया है तथा सन्ध्या काल को प्रीतिभोज का आयोजन है। इस आयोजन में सम्मिलित होने के लिए मैं तुम्हें विशेष रूप से आमन्त्रित कर रहा हूँ। इस प्रसन्नता के अवसर पर अवश्य ही आकर सहयोग प्रदान करना। तुम्हारे आने से मुझे अतीव प्रसन्नता होगी।
आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि तुम अवश्य आओगे। मैं तुम्हारी प्रतीक्षा में रहूँगा।

तुम्हारा मित्र
अवधेश कौशिक

बधाई-पत्र

प्रश्न 18.
स्वयं को सहारनपुर निवासी रामावतार मानते हुए अपने बड़े भाई महेन्द्र को अध्यापक पात्रता परीक्षा में सफल होने पर बधाई-पत्र लिखिए।
उत्तर:

जयभवन, सहारनपुर
दिनांक 11 अप्रैल, 20XX

आदरणीय अग्रज,
सादर प्रणाम!
आज के समाचार-पत्र में ‘अध्यापक पात्रता परीक्षा’ का परिणाम देखने को मिला उसमें आपका अनुक्रमांक देखकर अति प्रसन्नता हुई। आपने ‘अध्यापक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है, बेहद प्रसन्नता की बात है। इस खुशी के अवसर पर मेरी ओर से आपको बहुत-बहुत बधाई।
आपने अपनी योग्यता, लगन और परिश्रम से इस परीक्षा को उत्तीर्ण कर अध्यापक बनने की योग्यता प्राप्त कर ली है। यह मेरे लिए भी प्रेरणास्प्रद है।
मेरी भगवान से यही प्रार्थना है कि आपको हमेशा इसी प्रकार सफलता मिलती रहे। आप अपनी मेहनत से जीवन में आगे बढ़ें और माता-पिता का नाम रोशन करें। आप जैसे भाई को पाकर मैं गौरवान्वित हूँ। माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना। शेष कुशल।

आपका स्नेहाकांक्षी
रामावतार

प्रश्न 19.
स्वयं को सुमति मानते हुए अपने मित्र संजय को ‘गणतन्त्र दिवस’ समारोह में राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्राप्त करने पर बधाई-पत्र लिखिए। .
उत्तर:

गांधी छात्रावास,
आदर्श नगर, जयपुर।
दिनांक 10 फरवरी, 20XX

प्रिय मित्र संजय,
सप्रेम नमस्ते।

समाचार सुनकर अत्यधिक प्रसन्नता हुई कि तुम्हें इस वर्ष गणतन्त्र दिवस समारोह में ‘राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। इस सुखद समाचार के।
ओर से हार्दिक बधाई। तुमने नदी बालक को अपनी जान की परवाह किये बिना जिस तरह से सुरक्षित निकालं कर बचाया, वह वास्तव में अत्यधिक साहसी एवं . प्रशंसनीय वीरतापूर्ण कार्य था। तुम्हारी कर्तव्यनिष्ठा एवं साहस का जितना बखान किया जाये, वह कम है। इस सम्मान- . प्राप्ति के लिए मेरी तथा हमारे परिवार की ओर से पुनः बधाई-साधुवाद!
अपने पूज्य माता-पिता को मेरा प्रणाम कहें तथा अन्य परिजनों को यथायोग्य अभिवादन।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,

तुम्हारा शुभचिन्तक
सुमतिं

प्रश्न 20.
अलवर में रहने वाली सुशीला की ओर से अपनी छोटी बहिन आभा को पी.एम.टी. की परीक्षा में सफल हो जाने पर बधाई-पत्र लिखिए।
उत्तर:

होप सर्कस, अलवर
दिनांक : 25 जून, 20XX

प्रिय अनुजा आभा,
सस्नेह आशीष !
आज ही अखबार में सी.पी.एम.टी. का रिजल्ट देखने को मिला, उसमें तुम्हारा रोल नम्बर देखकर बहुत खुशी हुई कि, तुम इसमें केवल उत्तीर्ण ही नहीं हुई हो, अपितु मैरिट में भी तुमने अच्छा स्थान पाया है। इस खुशी के अवसर पर मेरी ओर से बहुत-बहुत प्यार भरी बधाई एवं शुभकामनाएँ। इस समय मेरा मन अतीव प्रसन्न हो रहा है और तुमसे मिलने की तीव्र इच्छा हो रही है। हमारे लिए यह बड़े गौरव की बात है और ऐसी अनुभूति हो रही है कि तुम पिताजी का नाम रोशन करोगी तथा परिवार का भविष्य उज्ज्वल बनाओगी।
माताजी तथा पिताजी को मेरा प्रणाम कहना। शेष कुशल है।

तुम्हारी शुभेच्छु अग्रजा
सुशीला

 

प्रश्न 21.
जयपुर निवासी सुधीर कुमार की ओर से अपने मित्र प्रवीण कुमार को उसके जन्म-दिवस के उपलक्ष में बधाई-पत्र लिखिए।
उत्तर:

बी-4, कानन कुंज,
आदर्शनगर, जयपुर
दिनांक : 25 जुलाई, 20XX

प्रिय मित्र प्रवीण,
सप्रेम नमस्ते !
कल तुम्हारा पत्र मिला तथा समाचार ज्ञात किये। तुमने अपने जन्म-दिवस के अवसर पर आयोजित पार्टी में मुझे सम्मिलित होने के लिए लिखा है। मैं ऐसे अवसर पर सहर्ष आना चाहता था, परन्तु यहाँ माताजी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, इस कारण आने में असमर्थ हूँ। मैं तुम्हारे जन्म-दिवस की मधुर बेला पर तुम्हें बधाई देता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना। करता हूँ कि तुम्हें जीवन में सैकड़ों वर्षों तक यह दिन देखने का अवसर मिले। इस अवसर पर मैं अपनी ओर से तुच्छ भेंट भेज रहा हूँ, इसे अवश्य स्वीकार करना और मेरी अनुपस्थिति पर नाराज मत होना।
पुनः बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ। स्नेह-कुशलपत्र की आकांक्षा के साथ,

तुम्हारा मित्र
सुधीर कुमार

प्रश्न 22.
अजमेर निवासी आलोक की ओर से अपने छोटे भाई विवेक को राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाने पर बधाई-पत्र लिखिए।
उत्तर:

अजमेर
दिनांक : 16 मई, 20XX

प्रिय अनुज विवेक,
सस्नेह आशीष !
यह समाचार जानकर अत्यधिक प्रसन्नता हो रही है कि तुम्हारा राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा में चयन हुआ है। तुम्हारी इस सफलता पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई। तुमने अध्ययन में जो रुचि रखी और निरन्तर जो परिश्रम किया, यह उसी का शुभ परिणाम है। भविष्य में भी तुम इसी प्रकार परिश्रम करते रहोगे, तो तुम्हारा भविष्य अवश्य ही उज्ज्वल बन जाएगा। तुम्हारी इस सफलता पर हमारे परिवार का गौरव बढ़ा है। वस्तुतः तुम्हारे जैसे प्रतिभाशाली व्यक्ति से ही परिजनों का सम्मान बढ़ता है। आगे भी हम तुमसे यही अभिलाषा रखते हैं।
मेरे सभी साथी भी तुम्हें इस सफलता पर बधाई दे रहे हैं। अपना कुशल-पत्र शीघ्र भेजना, शेष कुशल।

तुम्हारा अग्रज
आलोक

(विवाहोत्सव पर शुभकामना)

प्रश्न 23.
आप उदयपुर निवासी जितेन्द्रकुमार हैं, भरतपुर निवासी अपने मित्र कुन्दनसिंह को एक शुभकामना पत्र लिखिए, जिसमें उसके छोटे भाई के विवाहोत्सव हेतु बधाई दी गई हो।
उत्तर:

उदयपुर
दिनांक : 28 नवम्बर, 20XX

प्रिय मित्र कुन्दनसिंह,
सप्रेम अभिनन्दन !
आपके छोटे भाई चि. चन्दनसिंह के शुभ-विवाह का निमन्त्रण-पत्र प्राप्त हुआ। इस समाचार से हृदय को अत्यधिक प्रसन्नता हुई। मेरा स्वास्थ्य ठीक न रहने से इस मांगलिक वेला पर मैं उपस्थित नहीं हो सकूँगा। अतः मेरी ओर से हार्दिक शुभकामना स्वीकार करें। वर-वधू दोनों चिरंजीवी हों और उनका दाम्पत्य-जीवन सदा सुखी एवं समृद्ध रहे, यह मेरी मंगल-कामना है।
भगवान् से यही प्रार्थना है कि आपका परिवार इसी प्रकार आनन्दित होता रहे। पुनः अनेक शुभ-कामनाओं के साथ।

आपका
जितेन्द्र कुमार

(संवेदना-पत्र)

प्रश्न 24.
आपके.किसी परिचित के पिता की मृत्यु का समाचार पाकर उसे सान्त्वना प्रदान करने वाला एक संवेदना-पत्र लिखिए।
उत्तर:

जोशी सदन,
रानी बाजार, बीकानेर
दिनांक : 3 मार्च, 20XX

प्रिय नीरज,
हार्दिक संवेदना!
आज अभी आपके पूज्य पिताजी के असामयिक स्वर्गवासी होने का दुःखद समाचार सुना। पिछले महीने तुम्हारा पत्र आया था, तब वे पूरी तरह स्वस्थ थे, फिर यह अप्रत्याशित कैसे हो गया? तुम्हारे पिताजी का हम सभी से स्नेहपूर्ण व्यवहार था, जो कभी नहीं भुलाया जा सकता।
प्रिय मित्र, मृत्यु सृष्टि का अटल नियम है, पृथ्वी पर जो जन्मा है, उसकी एक-न-एक दिन मृत्यु अवश्य होती है। विधि के विधान और नियति के निर्णय से कोई नहीं बच पाता है। इसलिए ईश्वर के विधान का चिन्तन कर मन में धैर्य रखना और परिवार के दायित्वों को पूरा करना ही उचित है।
परमपिता परमात्मा से प्रार्थना है कि वह स्वर्गीय आत्मा को चिरशान्ति प्रदान करे तथा तुम्हें व तुम्हारे परिवारजनों को इस असह्य शोक को सहने की शक्ति प्रदान करे। इसी संवेदना एवं विश्वास के साथ।

तुम्हारा शुभेच्छु
राजेश जोशी

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