RBSE Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 9 संगतकार
RBSE Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 9 संगतकार
RBSE Class 10 Hindi संगतकार Textbook Questions and Answers
संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है?
उत्तर :
संगतकार के माध्यम से कवि उन व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है जो दूसरों की सफलता की पृष्ठभूमि में रहकर अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं। योग्य एवं प्रतिभासम्पन्न होने पर भी वे स्वयं को महत्त्व न देकर मुख्य व्यक्ति या मुख्य कलाकार के महत्त्व को बढ़ाने में ही सहायक के रूप में अपनी भूमिका निभाना अपना धर्म समझते हैं।
संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं?
उत्तर :
संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा बड़े-बड़े नेताओं, अभिनेताओं और संत-महात्माओं के साथ भी इसी प्रकार का सहयोग करते दिखाई देते हैं। ये सभी सहायक के रूप में कार्य करते हुए अपने-अपने नेताओं, अभिनेताओं और संत-महात्माओं का महत्त्व बढ़ाने में लगे रहते हैं।
संगतकार किन-किन रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं?
उत्तर :
संगतकार निम्नलिखित रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं
- संगतकार मुख्य गायक-गायिकाओं के स्वर में अपना स्वर मिलाकर उनके स्वर को बल प्रदान करते हैं।
- मुख्य गायक-गायिकाओं के कहीं गहरे चले जाने पर उनके मुखड़े को पकड़कर वे उन्हें वापस मूल स्वर पर ले आते हैं।
- वे मुख्य गायक-गायिकाओं की थमी हुई, टूटती-बिखरती आवाज को बल देकर उनका सहयोग करते हैं। उन्हें अकेला नहीं पड़ने देते हैं।
भाव स्पष्ट कीजिए –
और उसकी आवाज़ में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
उत्तर :
भाव – संगतकार हरसंभव प्रयास करता है कि उसका स्वर मुख्य गायक के स्वर से ऊँचा और अधिक प्रखर न हो जाए। इसलिए उसके स्वर में थोड़ी ही हिचक समायी रहती है। उसकी इस हिचक को उसकी विफलता नहीं माननी चाहिए, बल्कि यह तो उसकी मनुष्यता की ही सूचक है। वह मुख्य गायक को आगे बढ़ाता है तथा योग्य एवं समर्थ होते हुए भी स्वयं को पीछे रखता है।
किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से अपना योगदान देते हैं। कोई एक उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से अपना योगदान देते हैं। वह सभी के योगदान से अपने जीवन की ऊँचाइयों को छूकर प्रसिद्धि को पा लेता है। उदाहरण के लिए आज भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्रसिंह धोनी को जो सफलता एवं यश मिल रहा है, उसमें उसके प्रशिक्षक का, टीम के कोच और सभी खिलाड़ियों का योगदान माना जाता है। उसकी टीम के खिलाड़ियों ने यदि तन-मन से उसका सहयोग नहीं किया होता, तो वह अकेले क्या कर सकता था। टीम के खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करते हैं, टीम विजयी होती है, तो यश या नाम कप्तान का होता है जबकि योगदान सभी सदस्यों का रहता है।
कभी-कभी तारसप्तक की ऊँचाई पर पहुँचकर मुख्य गायक का स्वर बिखरता नजर आता है उस समय संगतकार उसे बिखरने से बचा लेता है। इस कथन के आलोक में संगतकार की विशेष भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
जब मुख्य गायक अपना गीत गाते-गाते अपने स्वर को ऊँचाई पर ले जाता है तो ऐसी स्थिति में कभी कभी उसका स्वर बैठने और बिखरने लगता है। उसका उत्साह मंद पड़ने लगता है। उसकी रुचि और शक्ति समाप्त सी होने लगती है। तब संगतकार ही वह व्यक्ति होता है जो संकटमोचक बनकर गायक को उस स्थिति से उबार लेता है और उसके स्वर में अपना स्वर मिलाकर उसके स्वर को बिखरने से बचा लेता है। इस प्रकार उस समय वह अपनी विशिष्ट भूमिका का निर्वहन करता है।
सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ाता है तब उसे सहयोगी किस तरह सँभालते हैं?
उत्तर :
सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान कई बार व्यक्ति लड़खड़ा जाता है। यदि इस स्थिति में उसे कोई सहारा मिल जाए तो वह व्यक्ति अपने में सँभल जाता है, अन्यथा वह गिर जाता है। उसको इस लड़खड़ाती स्थिति से बचाने के लिए उसके सहयोगी ही अपनी अहम् भूमिका निभाते हैं। वे उसको ढाँढस बंधाते हैं। उसको उसकी शक्ति और क्षमतां से परिचित कराते हैं। उसके उत्साह का वर्धन करते हैं। उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।
कल्पना कीजिए कि आपको किसी संगीत या नृत्य समारोह का कार्यक्रम प्रस्तुत करना है लेकिन आपके सहयोगी कलाकार किसी कारणवश नहीं पहुँच पाएँ
(क) ऐसे में अपनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
(ख) ऐसी परिस्थिति का आप कैसे सामना करेंगे?
उत्तर :
(क) ऐसी स्थिति में घबरा जाना सहज-स्वाभाविक होता है, क्योंकि सहयोगी कलाकारों के बिना कार्यक्रम को उचित ढंग से प्रस्तुत करना सम्भव नहीं हो पाता है। अतः ऐसे वातावरण में हम अपनी स्थिति आयोजकों और दर्शकों के बीच स्पष्ट कर देंगे। न पहुंचने वाले सहयोगी कलाकारों की व्यस्तता या अन्य कारणों का उल्लेख कर हम उनको सन्तुष्ट कर देंगे।
आपके विद्यालय में मनाये जाने वाले सांस्कृतिक समारोह में मंच के पीछे काम करने वाले सहयोगियों की भूमिका पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर :
विद्यालय में जो सांस्कृतिक समारोह आयोजित किया जाता है उसमें मंच पर उतरने वाले कलाकारों की प्रस्तुति सफल बनाने में अन्य सहयोगियों की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण होती है। उनके सहयोग के बिना मंच का दृश्य अभिनीत नहीं हो सकता। वे सभी प्रकार की आवश्यक वस्तुओं को जुटाते हैं। मंच का निर्माण और उसकी साज-सज्जा करते हैं। कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करते हैं।
किसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी मुख्य या शीर्ष स्थान पर क्यों नहीं पहुँच पाते होंगे?
उत्तर :
किसी भी क्षेत्र में संगतकार जैसे सहयोगी व्यक्ति प्रतिभावान होते हुए भी मुख्य या शीर्ष स्थान पर इसलिए नहीं पहुंच पाते हैं, क्योंकि एक तो उन्हें उचित अवसर प्राप्त नहीं हो पाता, जिससे वे अपनी प्रतिभा का दूसरों के बीच प्रदर्शन कर सकें और उसकी वाहवाही लूट सकें। मुख्य कलाकार को सफलता दिलाना ही उनका लक्ष्य रहता है, उनके मन में शीर्ष स्थान पर पहुँचने की चाह नहीं जगती और जगती भी है तो उन्हें उनकी मनुष्यता ऐसा करने नहीं देती।
उत्तर :
फिल्म की सफलता में अभिनय करने वाले कलाकारों के अतिरिक्त इन लोगों का भी योगदान होता है. जैसे-स्क्रिप्ट लेखक का, संवाद लेखक का, कैमरामैन का, संगीतकार का, गायक और गायिका का, निर्देशक का, पोशाक निर्धारक का, एडीटर का, डंबिंग करने वाले आदि का।
(क) इस संबंध में सूचना पट्ट के लिए एक नोटिस तैयार कीजिए।
(ख) गायिका व उसके संगतकारों का परिचय देने के लिए आलेख (स्क्रिप्ट) तैयार कीजिए।
उत्तर :
सूचनापट्ट के लिए नोटिस –
(क) सुर-सम्राज्ञी लता मंगेशकर का गायन-समारोह-आप सभी को सहर्ष सूचित किया जाता है कि सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर का गायन-समारोह हमारे विद्यालय के सभागार में दिनांक 25 मार्च, 20XX को सायं 6.00 बजे आरम्भ होगा। आप सभी सादर आमन्त्रित हैं। समारोह में सभी अपना परिचय-पत्र लेकर आयें। बिना परिचय-पत्र के प्रवेश नहीं दिया जायेगा। साथ में विद्यालय-पोशाक में भी होना जरूरी है। कृपया बीस मिनट पूर्व उपस्थित होकर अपना स्थान ग्रहण कर लें। इसके बाद प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
आज्ञा से/प्रधानाचार्य
(ख) आज आपके सम्मुख प्रसिद्ध गायिका, सुर-सम्राज्ञी लता मंगेशकर अपना गायन कार्यक्रम प्रस्तुत करने जा रही हैं। यह सर्वविदित है कि वे किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। वे विश्वप्रसिद्ध गायिका हैं। यह हमारा सौभाग्य है कि वे हमारे बीच उपस्थित होकर हमारे मन को रंजित करने के लिए अपने सुमधुर गीतों की सुरभि फैलाने जा रही हैं। उनके साथ तबले पर संगति कर रहे हैं जाने-माने मशहर तबला-वादक गोपाल महाराज। उनके तबले की समधर थाप सनकर मन मयूर नृत्य करने को विवश हो उठता है। तबलावादन के क्षेत्र में उन्हें कई पुरस्कार अब तक प्राप्त हो चुके हैं। ढोलक पर संगति कर रहे हैं- श्री गिरधरजी; जो जाने-माने ढोलकवादक हैं। वीणा पर संगति कर रही हैं श्रीमती सीमा। वीणावादन के क्षेत्र में यह एक उभरता हुआ नाम है, पर इस क्षेत्र में उनका भी एक नया अंदाज है, मन को मोह लेना! इनकी वादन में अपनी कला है।
RBSE Class 10 Hindi संगतकार Important Questions and Answers
‘संगतकार’ कौन होता है?
उत्तर :
मुख्य गायक के साथ ताल एवं स्वर देने वाला संगतकार होता है।
‘संगतकार’ किस मुख्य गायक का साथ देता है?
उत्तर :
स्वर-लहरी के जंगलों में जब मुख्य गायक ऊँची तान छेड़ता है और उसका स्वर टूटने लगता है तब संगतकार साथ देता है।
संगतकार की आवाज कैसी होती है?
उत्तर :
संगतकार की आवाज मधुर, पतली तथा कम्पनयुक्त होती है जो मुख्य गायक की भारी-भरकम आवाज को कोमलता प्रदान करती है।
संगतकार लम्बे समय से क्या काम करता आया है?
उत्तर :
संगतकार, मुख्य गायक की भारी-भरकम आवाज में अपनी सुन्दर, कमजोर व कांपती आवाज मिलाता आया है।
संगतकार वर्तमान (स्थायी) को कब संभाले रखता है?
उत्तर :
जब मुख्य गायक सरगम की सीमा लाँघ, अनहद में चला जाता है, तब संगतकार स्थायी को संभाले रखता
स्थायी (वर्तमान) को सँभाले रखने से क्या आशय है?
उत्तर :
किसी गीत की मुख्य पंक्ति को गाते रहना, स्वर को बिखरने-बदलने से बचाना तथा उसकी गति, लय को कम या अधिक नहीं होने देना।
संगतकार मुख्य गायक का साथ क्यों देता है?।
उत्तर :
गायन शक्ति बढ़ाने के लिए, गायक के बुझते स्वर को उठाने के लिए तथा अकेलेपन के अहसास से बचाने में साथ देता है।
कई बार मुख्य गायक की दशा क्या होती है?
उत्तर :
मुख्य गायक का गला बैठने के कारण स्वर बुझने लगता है, उत्साह गिरने तथा प्रेरणा उसका साथ छोड़ती सी प्रतीत होती है।
‘संगतकार की यह विफलता नहीं’ कवि ऐसा क्यों कहते हैं?
उत्तर :
संगतकार सदैव अपनी आवाज का स्वर गुरु की आवाज से नीचा रखता है, सहायक की भूमिका निभाता है इसलिए यह उसकी विफलता नहीं है।
संगतकार की किस भावना को मनुष्यता कहा गया है?
उत्तर :
योग्य व समर्थ होते हुए भी अपने गुरु के स्वर को ऊँचाई व बल प्रदान करता है, गुरु की मान-प्रतिष्ठा बढ़ाता है। यही भावना मनुष्यता है।
कवि मंगलेश डबराल का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर :
सन् 1948 में टिहरी गढ़वाल (उत्तरांचल) के काफलपानी गाँव में हुआ।
मंगलेश डबराल के काव्य-संग्रह के नाम बताइये।
उत्तर :
‘पहाड़ पर लालटेन’, ‘घर का रास्ता’, ‘हम जो देखते हैं’ और ‘आवाज भी एक जगह है’ इत्यादि।
‘गायन की सफलता में अनेक लोगों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।’ ‘संगतकार’ पाठ के आधार पर इस कथन के पक्ष या विपक्ष में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
गायन की सफलता में निर्विवाद रूप से मुख्य गायक के साथ सहायकों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। वे अपने साज और स्वरों के माध्यम से मुख्य गायक की स्वर-लहरी में सन्तुलन बनाये रखते हैं और उसे भटकने नहीं देते हैं।
‘सरगम’ से आप क्या समझते हो? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
सरगम-संगीतशास्त्र के सात स्वर माने जाते हैं। शास्त्रीय गायन के सारे राग-रागनियों में इन्हें साधा जाता है। ये सात स्वर हैं – षडज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद। इन्हीं नामों के पहले अक्षर लेकर इन्हें सा, रे, . ग, म, प, ध और नि कहा गया है। यही सातों स्वर संगीत में ‘सरगम’ कहलाते हैं।
कवि ने संगतकार को मुख्य गायक का अनुज-सा क्यों कहा है?
उत्तर :
कवि ने संगतकार को मुख्य गायक का अनुज-सा इसलिए कहा है, क्योंकि संगतकार छोटे भाई की भाँति मुख्य गायक के स्वर का अनुसरण करता है तथा अपनी मधुर कमजोर आवाज से हमेशा उसका साथ देता है।
संगतकार कब स्थायी पंक्ति के स्वर को अलापता रहता है?
उत्तर :
जब मुख्य गायक गाते-गाते कठिन तानों में उलझ जाता है अर्थात् मुख्य स्वर से भटक कर कहीं और लीन हो जाता है, तब संगतकार स्थायी पंक्ति के स्वर को अलापता रहता है और मुख्य गायक को मूल स्वर में लौटा लाता है।
संगतकार प्राचीन काल से क्या काम करता आया है?
उत्तर :
संगतकार प्राचीन काल से मुख्य गायक के स्वर में अपना मन्द, मधुर स्वर मिलाता आया है। जब मुख्य गायक कठिन तालों के जंगल में भटक जाता है, ऐसी परिस्थिति में उसका साथ देता है और उसे संभालता है।
संगतकार का मुख्य धर्म क्या है?
उत्तर :
संगतकार का मुख्य धर्म है कि वह मुख्य गायक को महत्त्व दे, उसकी मान-प्रतिष्ठा को स्थापित करे। सच्चे मन से उसकी शागिर्दी को स्वीकार करे और उसकी आवाज को हर स्थिति में बल दे। अपनी आवाज को उसकी आवाज से ऊँची न होने दे।
आप अपने जीवन में मुख्य गायक की भूमिका निभाना पसन्द करेंगे या संगतकार की। तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
मनुष्य स्वभाव से ही महत्त्वाकांक्षी होता है। इस दृष्टि से मैं मुख्य गायक की भूमिका निभाना पसन्द करूँगा। इससे जहाँ प्रतिभा-प्रदर्शन एवं स्वर-साधना का अवसर मिलेगा, वहीं धन, सम्मान और यश की प्राप्ति होगी।
संगतकार अपना स्वर देकर क्या बताने का प्रयास करता है?
उत्तर :
संगतकार अपना स्वर देकर यह बताने का प्रयास करता है कि मुख्य गायक अकेला नहीं है, उसका साथ देने वाला कोई अन्य व्यक्ति भी है। वह यह भी बताता है कि गाए हुए राग को टेक की आवृत्ति से दोबारा भी गाया जा सकता है।
संगतकार की आवाज में हिचक क्यों सुनाई देती है?
उत्तर :
संगतकार की आवाज में हिचक इसलिए सुनाई देती है, क्योंकि वह कभी भी अपनी आवाज को मुख्य गायक की आवाज से ऊँचा नहीं उठाना चाहता है। वह तो मुख्य गायक की आवाज को ही ऊँचाई और बल देना चाहता है।
कवि किसे मनुष्य मानता है?
उत्तर :
कवि संगतकार द्वारा अपने स्वर को क्षमता एवं योग्यता रखते हुए भी गायक के स्वर से नीचा स्वर रखना मनुष्यता मानता है। अपने आप को पीछे रख कर किसी दूसरे के महत्त्व को बढ़ाना ही मनुष्यता की निशानी है।
‘संगतकार’ कविता का सन्देश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘संगतकार’ कविता में संगतकार का महत्त्व बताया गया है। वह मुख्य गायक के पीछे-पीछे चलता है, उसके स्वर को बिखरने नहीं देता है और उसे सफलता दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अतः उसे भी पूरा सम्मान मिलना चाहिए।
‘संगतकार’ कविता के माध्यम से कवि ने किन लोगों पर प्रकाश डाला है?
उत्तर :
‘संगतकार’ कविता मुख्य गायक के साथ गाने वाले, साथ देने वाले, शिष्य-परम्परा निभाने वाले उस छोटे गायक पर लिखी है, जो अपनी कमजोर, पतली व कांपती आवाज में मुख्य गायक का साथ देकर अपने धर्म का निर्वहन करता है। मनुष्यता और मानवीयता के मार्ग पर चलता है। प्रस्तुत कविता में कवि ने उन लोगों के बारे में विचार प्रस्तुत किया है जो हर बड़े काम के पीछे सहायक की भूमिका निभाते हुए कभी प्रसिद्धि का स्वाद नहीं चखते हैं।
संगतकार, मुख्य गायक का साथ देने के लिए क्या-क्या करता है और क्यों?
उत्तर :
संगतकार, मुख्य गायक की भारी आवाज का साथ अपनी कमजोर, सुंदर व काँपती आवाज से देता है ताकि मुख्य गायक की आवाज और भी प्रभाव उत्पन्न करे। उसे देखकर लगता है कि वह मुख्य गायक का छोटा भाई, रिश्तेदार या दूर से आया कोई रिश्तेदार है। जो मुख्य गायक को स्वर के जंगल में भटकने पर बाहर निकालने आया हो। जब गायक अपने ही सरगम को लाँघकर अनहद में चला जाता है तब संगतकार पीछे टूट गये सामान को समेटते हुए जैसा स्वर साधता है और अपने गुरु को वापस वर्तमान में खींच लाता है।
कवि मंगलेश डबराल का जीवन परिचय संक्षेप में दीजिए।
अथवा
कवि मंगलेश डबराल के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
कवि मंगलेश डबराल का जन्म सन् 1948 में टिहरी गढ़वाल (उत्तरांचल) के काफलपानी गाँव में हुआ। उनकी शिक्षा-दीक्षा देहरादून में ही हुई थी। दिल्ली आकर उन्होंने अनेक समाचार-पत्रों में सम्पादन का कार्य किया। भोपाल के भारत भवन से प्रकाशित ‘पूर्वग्रह’ इलाहाबाद और लखनऊ से प्रकाशित ‘अमृत प्रभात’ में सहायक सम्पादक का कार्य किया। जनसत्ता, सहारा समय आदि में भी कुछ समय तक कार्य भार संभाला। मंगलेश की कविताओं में सामंती बोध एवं पूँजीवादी छल-छदम दोनों का प्रतिकार है, उनका कविता सौन्दर्य-बोध सूक्ष्म है और भाषा पारदर्शी। उन्होंने ‘पहाड़ पर लालटेन’, ‘घर का रास्ता’, ‘हम जो देखते हैं’ और ‘आवाज भी एक जगह है’ जैसे काव्य संग्रह लिखे। आजकल वे नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े हुए हैं।
संगतकार Summary in Hindi
संगतकार
वह आवाज़ सुन्दर कमजोर काँपती हुई थी
वह मुख्य गायक का छोटा भाई है
या उसका शिष्य
या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदार
मुख्य गायक की गरज में
वह अपनी गूंज मिलाता आया है प्राचीन काल से।
- संगतकार = मुख्य गायक के साथ गायन करने वाला या कोई वाद्य बजाने वाला कलाकार।
- गरज = तेज आवाज में।
- प्राचीन = पराना।
- गँज = स्वर का विस्तार।
- संगतकार के सहयोग व साथ के महत्त्व को रेखांकित किया गया है।
- पद्यांश में हिन्दी खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है। ‘छन्द-मुक्त’ कविता है तथा अनुप्रास अलंकार प्रस्तुत है।
- भावों की सरल, सुन्दर व्यंजना की प्रस्तुति हुई है।
खो चुका होता है
या अपने ही सरगम को लाँघकर
चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में
तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है
जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान
जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन
जब वह नौसिखिया था
- अंतरा = स्थायी या टेक को छोड़कर गीत का चरण।
- जटिल = कठिन।
- तान = संगीत में स्वर का विस्तार।
- नौसिखिया = नया-नया सीखने वाला।
- कवि ने संगतकार को दिशा निर्देशक एवं यथार्थ में रहने वाले साथी के रूप में प्रकट किया है।
- खड़ी बोली हिन्दी का प्रयोग है, मुक्त छन्द एवं अनुप्रास अलंकारों की सहज अभिव्यक्ति प्रस्तुत हुई है।
- भावों का सहज रूपण हुआ है।
प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज़ से राख जैसा कुछ गिरता हुआ
तभी मुख्य गायक को ढाँढस बँधाता
कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर
कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
और यह कि फिर से गाया जा सकता है
गाया जा चुका राग।
- तारसप्तक = सरगम के ऊँचे स्वर।
- प्रेरणा = आगे बढ़ाने वाली इच्छा-शक्ति।
- अस्त = समाप्त, मंद।
- राख जैसा कुछ गिरता हुआ = बुझता हुआ स्वर।
- ढाँढ़स = तसल्ली, सांत्वना।
- कवि ने संगतकार की हिम्मत एवं हौंसलों का वर्णन किया है कि वह निराश हुए गायक को सांत्वना व जोश से भर देता है।
- खड़ी बोली हिन्दी का प्रयोग, मुक्त छन्द की रचना तथा अनुप्रास अलंकार का संजोग प्रस्तुत हुआ है।
- भावों की सरल-सहज अभिव्यक्ति हुई है।
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
- हिचक = संकोच।
- विफलता = असफलता।
- मनुष्यता = मानवता, मानवीय भावना।
- कवि ने संगतकार की मानवीय भावना को बताया है कि वह गुरु के सम्मान हेतु स्वयं को श्रेष्ठ बताने के लिए कभी प्रयत्न नहीं करता है।
- खड़ी बोली हिन्दी का प्रयोग, मुक्त छन्द की गेयता एवं अनुप्रास अलंकार की सहजता व्यक्त हुई है।
- मानवीय भावों को प्रस्तुत करने में कवि पूर्णतः सफल रहे हैं।
