RBSE Class 10 Hindi Vyakaran पद-भेद-संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया और अव्यय
RBSE Class 10 Hindi Vyakaran पद-भेद-संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया और अव्यय
RBSE Class 10 Hindi Vyakaran पद-भेद-संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया और अव्यय
- अर्थ के आधार पर पद-भेद
- रचना या व्युत्पत्ति के आधार पर पद-भेद
- उत्पत्ति के आधार पर पद-भेद
- ध्वनि के आधार पर पद-भेद
- रूप-परिवर्तन के आधार पर पद-भेद
- वाचक-लोक-व्यवहार, व्याकरण, कोश आदि के आधार पर मुख्य अर्थ के लिए प्रयुक्त होने वाला पद ‘वाचक’ कहलाता है।
- लक्षक-प्रसिद्ध अर्थ के अतिरिक्त उससे सम्बन्धित अन्य अर्थ प्रकट करने वाला शब्द या पद ‘लक्षक’ कहलाता है।
- व्यंजक-जब किसी पद से वाच्यार्थ और लक्ष्यार्थ से भिन्न कोई अन्य अर्थ व्यंग्य रूप में व्यक्त होता है, तो उस पद को ‘व्यंजक’ कहते हैं।
- रूढ़-जो शब्द किसी अन्य शब्द के योग से नहीं बनते हैं तथा मौलिक प्रकृति के होते हैं, वे रूढ़ कहलाते _____ हैं। जैसे धर्म, अर्थ, मोक्ष, ग्रन्थ आदि।
- यौगिक-जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दांशों अथवा शब्दों के योग से बनते हैं, वे यौगिक कहलाते हैं। जैसे-दशानन (दश + आनन), विद्यालय (विद्या + आलय) आदि।
- योगरूढ़-जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने हों, किन्तु साधारण अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ को व्यक्त करते हों, वे योगरूढ़ कहलाते हैं। जैसे-जलज (जल + ज), मण्डप, घनश्याम, लम्बोदर, चक्रधर आदि।
- तत्सम-तत्सम शब्द दो शब्दों तत् + सम से बना है जिसका अर्थ है-उसके समान अथ समान। इसलिए बिना परिवर्तन के संस्कृत से हिन्दी में आए शब्द तत्सम कहलाते हैं। यथा-मातृ, गृह, ज्ञान, पुष्प, कर्म, स्नेह, यौवन आदि।
- तद्भव-तद्भव शब्द दो शब्दों तत् + भव से बना है जिसका अर्थ है-उससे यानि संस्कृत से उत्पन्न होने वाला। उच्चारण की सुविधा के कारण जो शब्द संस्कृत से हिन्दी में कुछ बदलाव के साथ चलन में आए हैं, वे तद्भव कहलाते हैं। जैसे – दूध, खेत, कान, सोना, साँप, काम आदि।
- देशज-स्थानीय बोलियों के प्रभाव से अथवा जरूरत के अनुसार बनाकर जिनका प्रयोग किया जाता है, उन्हें देशज शब्द कहते हैं। जैसे – पेट, पगड़ी, खिड़की, गाड़ी, पिल्ला आदि।
- विदेशज-हिन्दी में जो शब्द फारसी, अरबी, अंग्रेजी आदि विदेशी भाषाओं से अपनाये गये हैं, उन्हें। विदेशज (शब्द) कहते हैं। जैसे – आदमी, इम्तिहान, गिलास, रेल, स्कूल, टिकिया आदि।
- वर्णात्मक-जिस शब्द या पद के वर्गों का अलग-अलग स्पष्ट उच्चारण किया जा सके, वे वर्णात्मक कहलाते हैं। जैसे – ज्ञान, अमर, करुणा, चन्द्रमा आदि।
- ध्वन्यात्मक-जिन शब्दों, वर्गों का विभाजन नहीं किया जा सके और किसी ध्वनि के अनुकरण पर उनकी रचना होवे, वे ध्वन्यात्मक पद कहलाते हैं। जैसे-नगाड़े की टंकार, वीणा की झंकार, कुत्ते का भौंकना, पक्षी का कूकना आदि।
वस्तुतः वाक्य-प्रयोग में लिंग, वचन, कारक आदि के कारण शब्दों के रूपों में परिवर्तन हो जाता है। ये विकारी शब्द या पद चार प्रकार के होते हैं
(1) संज्ञा, (2) सर्वनाम, (3) विशेषण, और (4) क्रिया।
प्रकार्य की दृष्टि से अविकारी शब्द भी चार प्रकार के माने जाते हैं –
- क्रिया विशेषण
- सम्बन्धबोधक अव्यय
- समुच्चयबोधक अव्यय और
- विस्मयादिबोधक अव्यय।
पद किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं? उनके नाम लिखिए।
अथवा
पद किसे कहते हैं? पद के भेदों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:
व्याकरण के नियमों के अनुसार वाक्य में प्रयोग करने की योग्यता जिस शब्द को प्रदान की जाती है, उसे पद कहते हैं। पद के दो भेद होते हैं – (1) विकारी और (2) अविकारी।
रूप-परिवर्तन के आधार पर शब्दों के नामोल्लेख करते हुए रूप-परिवर्तन के चार कारण भी लिखिए।
उत्तर:
रूप-परिवर्तन के आधार पर चार प्रकार के शब्द होते हैं – संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया। शब्दों का ‘ रूप-परिवर्तन लिंग, वचन, काल एवं कारक के कारण होता है।
अर्थ के आधार पर पद-भेदों के नाम बताइए।
उत्तर:
अर्थ के आधार पर तीन प्रकार के पद-भेद माने जाते हैं –
- वाचक
- लक्षक और
- व्यंजक।
यौगिक शब्द की परिभाषा व उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दांशों या शब्दों के योग से बनते हैं, वे यौगिक कहलाते हैं। जैसे विद्यालय, छात्रावास आदि।
तत्सम शब्द किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो शब्द संस्कृत से हिन्दी में बिना परिवर्तन किये अपनाये जाते हैं, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। जैसे-कर्म, कर्ण, सर्प, गृह आदि।
विकारी शब्दों में किन कारणों से विकार आ जाता है?
उत्तर:
विकारी शब्दों में लिंग, वचन, कारक आदि कारणों से विकार या परिवर्तन आ जाता है।
सर्प, कर्ण, क्षेत्र, चर्म, दुग्ध…इनके तद्भव शब्द लिखिए।
उत्तर:
सर्प-साँप, कर्ण-कान, क्षेत्र-खेत, चर्म-चाम, दुग्ध-दूध।
सार्थक शब्द किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
जिस शब्द का एक निश्चित अर्थ और सही उच्चारण होता है, उसे सार्थक शब्द कहते हैं। सार्थक शब्द भाषा का प्राण है। जैसे-हिमालय, गंगा, भारत आदि।।
देशज शब्द किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन शब्दों का निर्माण स्थानीय आवश्यकता की पूर्ति के लिए होता है तथा उनके मूल रूप का पता नहीं होता है, उन्हें देशज शब्द कहते हैं। जैसे-ठेठ, ढोर, डकार, लोटा, पगड़ी आदि।
प्रश्न 10.
ध्वनि के आधार पर पद-भेदों के नाम बताइए।
उत्तर:
ध्वनि के आधार पर शब्द या पद के दो भेद माने जाते हैं – (1) वर्णात्मक और (2) ध्वन्यात्मक।
संज्ञा की परिभाषा-किसी वस्तु, व्यक्ति या पदार्थ के गुण, धर्म, नाम, स्वभाव तथा स्थान के नाम को संज्ञा कहते हैं। जैसे-भारत, हिमालय, राम, जयपुर, मेज, पानी, बुढ़ापा, ममता, आम आदि।
- व्यक्तिवाचक संज्ञा
- जातिवाचक संज्ञा और
- भाववाचक संज्ञा।
इन उदाहरणों में ‘कमल’ एक पुष्प का नाम, रमेश’ एक व्यक्ति का नाम, ‘रमा’ एक स्त्री का नाम का बोध कराते हैं। इसलिए ये सब शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञा हैं।
संज्ञा की उचित परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान अथवा गुण के नाम को संज्ञा कहते हैं। जैसे – राम, मेज, दिल्ली, सजनता आदि।
संज्ञा के कितने भेद माने जाते हैं?
उत्तर:
संज्ञा के मुख्य रूप से तीन तथा अन्य दो भेद माने जाते हैं। जैसे –
- व्यक्तिवाचक संज्ञा
- जातिवाचक संज्ञा
- भाववाचक संज्ञा। अन्य भेद
- समुदायवाचक संज्ञा
- द्रव्यवाचक संज्ञा।
जातिवाचक संज्ञा की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जिस संज्ञा से किसी एक जाति या एक वर्ग की सभी वस्तुओं का बोध होता है; उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
व्यक्तिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? लिखिए।
उत्तर:
जिस संज्ञा शब्द से किसी विशिष्ट व्यक्ति या स्थान का ज्ञान हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
व्यक्तिवाचक संज्ञा व जातिवाचक संज्ञा में अन्तर बताइए।
उत्तर:
वे संज्ञा शब्द जो किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम का बोध कराते हैं, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा तथा इसके विपरीत जो संज्ञा शब्द अपनी सामान्य जाति का बोध कराते हैं, उन्हें जातिवाचक संज्ञा शब्द
भाववाचक संज्ञा किसे कहते हैं? लिखिए।
उत्तर:
जिन संज्ञा शब्दों से किसी भाव, गुण, अवस्था या क्रिया के व्यापार आदि का बोध होता है, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
समूहवाचक संज्ञा की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जिन संज्ञा शब्दों से व्यक्तियों या वस्तुओं के समूह का बोध हो, उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।
निम्नलिखित शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए- मित्र, बच्चा, अपना, लघु।
उत्तर:
मित्र-मित्रता, बच्चा बचपन, अपना अपनापन, लघ-लघता।
व्यक्तिवाचक एवं जातिवाचक संज्ञा शब्दों को छाँटिए रमा, बन्दर, नदी, गंगा, कमल, अजमेर, देश, छात्र।
उत्तर:
व्यक्तिवाचक संज्ञा-रमा, गंगा, कमल, अजमेर। जातिवाचक संज्ञा-बन्दर, नदी, देश, छात्र।
व्यक्तिवाचक संज्ञा को जातिवाचक संज्ञा के रूप में लिखिए।
उत्तर:
‘आप तो पूरे विभीषण निकले।’ यहाँ ‘विभीषण’ शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञा होते हुए भी जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयुक्त हुआ है।
कक्षा, भीड़, सेना, झुण्ड, परिवार, गिरोह आदि शब्द संज्ञा के किस भेद के अन्तर्गत आते हैं?
उत्तर:
कक्षा, भीड़, सेना, झुण्ड, परिवार, गिरोह आदि शब्द समूहवाचक संज्ञा के अन्तर्गत आते हैं।
निम्नलिखित शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए अपना, बड़ा, भला, घबराना, खाना, मिलाना।
उत्तर:
भाववाचक संज्ञा-अपनत्व, बड़प्पन, भलाई, घबराहट, खाद्य, मिलावट।
सर्वनाम :
‘सर्वनाम’ का शाब्दिक अर्थ है-सबका नाम। अर्थात् वे शब्द जो सबके नाम हों और सबके लिए प्रयुक्त किये जाएँ, उन्हें सर्वनाम कहते हैं। उदाहरण के लिए, नरेश ने किसी से कहा कि ‘सुरेश घर जायेगा। इस वाक्य में ‘सुरेश’ के लिए ‘वह’ का प्रयोग हो सकता है और कहा जा सकता है कि ‘वह घर जायेगा। ‘मोहन ने कहा कि मोहन पढ़ेगा। इस वाक्य में ‘मोहन’ शब्द दो बार आया है, इससे पुनरुक्ति हो गई है। अतः ‘मोहन ने कहा कि वह पढ़ेगा’ कहने से संज्ञा के स्थान पर सर्वनाम का प्रयोग करने से वाक्य दोषपूर्ण नहीं रहेगा।
- पुरुषवाचक सर्वनाम
- निश्चयवाचक सर्वनाम
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम
- सम्बन्धवाचक सर्वनाम
- प्रश्नवाचक सर्वनाम
- निजवाचक सर्वनाम
पुरुषवाचक सर्वनाम का प्रयोग बोलने वाले, सुनने वाले और जिसके सम्बन्ध में कुछ कहा जाये उसके लिये होता है। इस कारण तीन प्रकार के पुरुषों के आधार पर इसके तीन भेद होते हैं
- उत्तम पुरुष-जिस सर्वनाम का प्रयोग बोलने वाला अपने नाम के स्थान पर करता है, उसे उत्तम पुरुष कहते हैं। जैसे- मैं, मेरा, मेरी, मेरे, हम, हमारा, हमारी, हमारे, हमें, हमको, मुझको, मुझे आदि।
- मध्यम पुरुष-जिस सर्वनाम का प्रयोग सुनने वाले के नाम के स्थान पर किया जाता है, उसे मध्यम पुरुष कहते हैं। जैसे – तू, तुम, तेरा, तुम्हारा, तुमको, तुझे, आप, आपका, आपकी, आपके आदि।
- अन्य परुष-जिसके सम्बन्ध में कुछ कहा जाता है, उसके नाम के स्थान पर वक्ता द्वारा जिस सर्वनाम का प्रयोग होता है, उसे अन्य पुरुष कहते हैं। जैसे-वह, उसका, उसकी, वे उनका, उसके, उसका, उसके आदि।
- जो पढ़ेगा सो पास होगा।
- जिसकी लाठी उसकी भैंस।
- जिनके खेत उनके बैल।
- तुम कहाँ जा रहे हो?
- आज कौन जायेगा?
- यहाँ क्या रखा है?
- मैं अपने-आप पढ़ता हूँ।
- मैं आप आ जाऊँगा या मैं स्वयं आ जाऊँगा।
- मैं मर गया। (पु.)
- मैं मर गयी। (स्त्री.)
- वह जा रहा था। (पु.)
सर्वनाम शब्द भाषा. को किस दोष से बचाते हैं?
उत्तर:
सर्वनाम शब्द भाषा को पुनरुक्ति दोष से बचाते हैं।
पुरुषवाचक सर्वनाम के कितने भेद होते हैं?
उत्तर:
पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद होते हैं – (1) उत्तम पुरुष, (2) मध्यम पुरुष, (3) अन्य पुरुष।
जो परिश्रम करेगा उसे ही सफलता मिलेगी। यह वाक्य किस सर्वनाम का उदाहरण है? उसकी परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
उपर्युक्त वाक्य सम्बन्धवाचक सर्वनाम का उदाहरण है। जो सर्वनाम शब्द सम्बन्ध बताने का कार्य करते हैं, उन्हें सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहते हैं।
निम्नलिखित में से अन्य, मध्यम एवं उत्तम पुरुष सर्वनाम अलग-अलग छाँटकर लिखिए वे, हम, तुम, मैं, हमारी, तू, वह, उनको, उन्हें।
उत्तर:
अन्य पुरुष-वे, उनको, उन्हें, वह। मध्यम पुरुष-तुम, तू। उत्तम पुरुष-हम, मैं, हमारी।
निजवाचक सर्वनाम की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जिस सर्वनाम शब्द का प्रयोग कर्ता स्वयं के लिए प्रयुक्त करता है, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे स्वयं, आप, अपना आदि।
अनिश्चयवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं? लिखिए।
उत्तर:
जिस सर्वनाम शब्द से किसी निश्चित वस्तु या व्यक्ति की ओर संकेत नहीं होता है, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे – कोई, कुछ आदि।
नीचे लिखे कुछ सर्वनाम शब्दों को बहुवचन रूपों में लिखिए। मैं/मैंने, तू/तूने/किसका, किससे।
उत्तर:
- मैं/मैंने – एकवचन, हम/हमने – बहुवचन।
- तू/तूने – एकवचन, तुम/तुमने – बहुवचन।
- किसका – एकवचन, किनका – बहुवचन।
- किससे – एकवचन, किनसे – बहुवचन।
‘तू’ और ‘तुम’ शब्द के स्थान पर शिष्टाचारवश अब किस शब्द का प्रयोग किया जाने लगा है?
उत्तर:
‘तू’ और ‘तुम’ शब्द के स्थान पर शिष्टाचारवश द्वारा ‘आप’ शब्द का प्रयोग होने लगा है।
अपने लिए प्रयोग होने वाले सर्वनाम को क्या कहते हैं?
उत्तर:
अपने लिए प्रयोग होने वाले सर्वनाम को निजवाचक सर्वनाम कहते हैं।
सर्वनाम किसे कहते हैं?
उत्तर:
संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं।
तुम्हारे को माताजी बला रही हैं। उचित सर्वनाम लगाकर वाक्य को शद्ध कीजिए।
उत्तर:
शुद्ध वाक्य-तुमको माताजी बुला रही है।
इनमें ‘सुन्दर’, ‘पीली’, ‘पाव भर’ और ‘दो’ विशेषण हैं।
- गुणवाचक विशेषण
- संख्यावाचक विशेषण
- परिमाणवाचक विशेषण
- सार्वनामिक या संकेतवाचक विशेषण
- गंधवाचक-दुर्गन्धयुक्त, सुगन्धित, खुशबूदार आदि।
- गुणबोधक-वीर, श्रेष्ठ, सत्यवादी, ईमानदार।
- दोषबोधक-अभिमानी, क्रूर, बुरा, दुष्ट, भीरू, कुरूप, डरपोक आदि।
- आकारबोधक-षट्कोण, नुकीला, तिकोना, चौकोर, गोल, आयताकार, लम्बा, चौड़ा आदि।
- दशाबोधक-स्वस्थ, रोगी, मोटा, पतला, कमजोर आदि।
- दिशाबोधक-उत्तरी, पश्चिमी, पूर्वी, दक्षिणी आदि।
- अवस्थाबोधक-बाल्य, युवा, प्रौढ़, वृद्ध आदि।
- रंगबोधक-सफेद, नीला, काला, हरा, पीला आदि।
- समयबोधक-रात्रि, निशीथ, संध्या, दोपहर, प्रात: आदि।
- स्थानबोधक-नीचा, ऊँचे, देशी, विदेशी, लखनवी, बनारसी, भारतीय आदि।
- स्पर्शबोधक-खुरदरा, कोमल, कठोर आदि।
- स्वादबोधक-चटपटा, मीठा, खट्टा, कड़वा, कसैला, तीखा आदि।
इस विशेषण के द्वारा निश्चित या अनिश्चित संख्या का बोध होता है। इस कारण संख्यावाचक विशेषण के दो भेद होते हैं
- गणनावाचक-जिससे गणना का बोध होता है। जैसे – एक, दो, चार, पाँच आदि।
- क्रमवाचक-जिससे क्रम का बोध हो। जैसे – पहला, दूसरा, पाँचवाँ, आठवाँ आदि।
- आवृत्तिवाचक-जिससे यह पता लगता है कि विशेष्य (संज्ञा या सर्वनाम) कितने गुना है। जैसे – दूना, चौगुना आदि।
- समुदायवाचक-जिससे संज्ञा के समूह का बोध हो। जैसे – दोनों, तीनों, पाँचों आदि। प्रत्येक वाचक-जैसे-एक-एक, दो-दो, तीन-तीन, हर चौथे आदि।
परिमाण भी निश्चित और अनिश्चित हो सकता है। इस कारण परिमाणवाचक विशेषण के निम्नलिखित दो भेद माने जाते हैं –
- निश्चित परिमाणवाचक विशेषण-एक, चार, दस आदि।
- अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण…कुछ, थोड़ा, बहुत आदि।
विशेषणं किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं। जिन वस्तुओं की विशेषता बतलाई जाती है उनमें न्यूनाधिक्य होना स्वाभाविक है। इस न्यूनाधिक्य को तुलना के रूप में समझा जा सकता है। तुलना की दृष्टि से विशेषण की तीन अवस्थाएँ होती हैं –
- मूलावस्था-विशेषण शब्द की मूल दशा को जिसमें वह सामान्य रूप में रहता है, मूलावस्था कहते हैं। जैसे-लघु, प्रिय, श्रेष्ठ आदि शब्द।
- उत्तरावस्था-जहाँ दो वस्तुओं या दो व्यक्तियों की तुलना करके एक-दूसरे से अधिक या कम बताया जाता है, वहाँ विशेषण की उत्तरावस्था होती है। जैसे – लघुतर, प्रियतर, श्रेष्ठतर। अथवा यों कहा जाए कि पिताजी सुरेश को महेश से श्रेष्ठतर समझते हैं।
- उत्तमावस्था-यह विशेषण की वह अवस्था है जिसमें अनेक वस्तुओं या व्यक्तियों की तुलना करके किसी एक को सबसे अधिक श्रेष्ठ या कम बताया जाता है। जैसे-लघुतम, प्रियतम, श्रेष्ठतम। जैसे – रमेश सभी छात्रों में चतुरतम है। गाय सभी पशुओं में श्रेष्ठतम पशु है।
- विशेषण की उक्त तीनों अवस्थाएँ केवल गुणवाचक विशेषण में होती हैं।
- विशेषण की मलावस्था में वह मल रूप में रहता है. उत्तरावस्था में दसरे की तुलना में एक को श्रेष्ठ या विशिष्ट बतलाया जाता है, लेकिन उत्तमावस्था में सबसे श्रेष्ठ या उत्तम बताया जाता है।
- तत्सम शब्दों की उत्तरावस्था में विशेषण के मूल रूप के साथ ‘तर’ और उत्तमावस्था में ‘तम’ प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है।
विशेषणों की रचना
प्रश्न 1.
विशेषण किसे कहते हैं?
उत्तर:
विशेषण जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता बताते हैं, उन्हें विशेषण कहते हैं।
विशेष्य किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
जिंस शब्द की विशेषता बताई जाए, उसे विशेष्य कहते हैं, जैसे – काली गाय। यहाँ काली विशेषण है तथा गाय विशेष्य है।
प्रतिशेषण की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
जो शब्द विशेषण शब्दों की विशेषता बताते हैं, उन्हें प्रतिशेषण कहते हैं। जैसे – मोहित बहुत सुन्दर लड़का है। यहाँ ‘सुन्दर’ शब्द विशेषण है और बहुत शब्द विशेषण शब्द की विशेष्यता बता रहा है।
यौगिक विशेषण किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
कुछ विशेषण संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया शब्दों में प्रत्यय लगाकर बनते हैं, उन्हें यौगिक विशेषण कहते हैं। जैसे – वर्ष-वार्षिक, दया – दयालु आदि।
परिमाणवाचक विशेषण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की नाप-तौल सम्बन्धी विशेषताओं का ज्ञान होता है, उन्हें परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
प्रश्न 6.
निम्न विशेषणों की उत्तरा एवं उत्तमा अवस्था बताइए बहुत, महत्, कनिष्ठ, श्रेष्ठ, मधुर, कुटिल।
उत्तर:
बहुत-बहुतर, बहुतम। महत्-महत्तर, महत्तम। कनिष्ठ-कनिष्ठतर, कनिष्ठतम। श्रेष्ठ श्रेष्ठतर, श्रेष्ठतम। मधुर मधुरतर, मधुरतम। कुटिल – कुटिलतर, कुटिलतम।
विशेषण की मूलावस्था किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन विशेषण शब्दों से सामान्य विशेषता प्रकट होती है, उन्हें विशेषण शब्दों की ‘मूलावस्था’ कहते हैं। जैसे-सुन्दर, सरल आदि।।
विशेषण की ‘उत्तमावस्था’ किसे कहा जाता है?
उत्तर:
जिन विशेषण शब्दों से दो अथवा दो से अधिक वस्तुओं की तुलना करके एक वस्तु को सबसे अधिक या सबसे कम बताया जाता है उसे उत्तमावस्था कहा जाता है।
संख्यावाचक विशेषण किसे कहते हैं?
उत्तर:
संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध कराने वाले विशेषण शब्दों को संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
विशेषण का लिंग किसके अनुसार होता है?
उत्तर:
विशेषण का लिंग विशेष्य के अनुसार होता है।
‘सा’ के प्रयोग से किस तरह के विशेषण का बोध होता है?
उत्तर:
‘सा’ के प्रयोग से तुलनाबोधक विशेषण का बोध होता है।
सार्वजनिक विशेषण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो सर्वनाम शब्द (पुरुषवाचक और निजवाचक सर्वनाम को छोड़कर) संज्ञा से पूर्व आते हैं, उन्हें। सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
क्रिया के भेद-कर्म के आधार पर क्रिया के मुख्य दो भेद होते हैं
(i) रमाकान्त पुस्तक पढ़ता है।
(ii) बालक दूध पीता है।
2. अकर्मक क्रिया-जिस क्रिया के साथ कर्म प्रयुक्त न हो तथा क्रिया का व्यापार और फल दोनों कर्त्ता पर ही पड़ें, अर्थात् वे कर्ता तक ही सीमित रहें और उनसे केवल कार्य का होना ज्ञात हो, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे –
- सुरेश सोता है।
- घोड़ा दौड़ता है।
- पेड़ से पत्ता गिरता है।
क्रिया के अन्य भेद-प्रयोग तथा संरचना की दृष्टि से क्रिया के अन्य पाँच भेद माने जाते हैं –
- संयुक्त क्रिया
- नामधातु क्रिया
- प्रेरणार्थक क्रिया
- र्वकालिक क्रिया
- आज्ञार्थक क्रिया
जो क्रियाएँ संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्दों में धात की तरह प्रत्यय लगाकर बनायी जाती हैं, उन्हें नामधातु क्रियाएँ कहते हैं। जैसे – हाथ, दुःख, झूठ, लात, फिल्म आदि शब्दों से क्रमशः हथियाना, दुःखाना,
अपना अपनाना
विशेष – प्रेरणार्थक क्रिया स्वयं के द्वारा दूसरों को प्रेरणा देने से दो प्रकार होती है। यथा –
- तुम सब घर चले जाओ।
- सारे देशवासी, राष्ट्रभाषा का सम्मान करें।
- आप खाना खाइए।
- जरा चुप बैठो।
(i) मैं पुस्तक पढ़ता हूँ।
(ii) जयशंकर प्रसाद ने कामायनी रची।
(i) मेरे द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है।
(ii) मुझ से आम खाया जाता है।
(i) मुझसे.पढ़ा नहीं जाता है।
(ii) मुझसे चला नहीं जाता है।
- कर्तृवाच्य सकर्मक और अकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं में होता है।
- कर्मवाच्य केवल सकर्मक क्रियाओं में होता है।
- भाववाच्य केवल अकर्मक क्रियाओं में होता है।
सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं? लिखिए।
उत्तर:
जिन क्रियाओं को कर्म की अपेक्षा होती है, उन्हें ‘सकर्मक’ किया कहते हैं।
एककर्मक क्रिया किसे कहते हैं? लिखिए।
उत्तर:
जिन क्रियाओं में एक कर्म होता है, उसे एककर्मक क्रिया कहते हैं।
द्विकर्मक क्रिया किसे कहते हैं? लिखिए।
उत्तर:
जिन क्रियाओं में दो कर्म होते हैं, उन्हें द्विकर्मक क्रिया कहते हैं।
सामान्य क्रिया किसे कहते हैं?
उत्तर:
वाक्य में अपने रूढ़ अर्थ में प्रयोग की जाने वाली क्रिया को ‘सामान्य क्रिया’ कहते हैं।
सहायक क्रिया किसे कहते हैं?
उत्तर:
वाक्य में मुख्य क्रिया की सहायता करने वाली क्रिया को सहायक क्रिया कहते हैं।
मूल क्रिया किसे कहते हैं? लिखिए।
उत्तर:
मूल क्रिया वह है, जो किसी दूसरे शब्द से न बनी हो, जैसे-खाना, करना, चलना आदि।
दादीजी थोड़ा ऊँचा सुनती है। वाक्य में मुख्य क्रिया और सहायक क्रिया बताइए।
उत्तर:
दादीजी थोड़ा ऊँचा सुनती- मुख्य क्रिया, हैं – सहायक क्रिया।
‘धातु’ किसे कहते हैं? लिखिए।
उत्तर:
क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं। जैसे – लिख, पढ़, चल, खा आदि।
निम्न वाक्य को कर्तृवाच्य से भाववाच्य में बदलिए वह नहीं हँसता है।
उत्तर:
भाववाच्य-उससे हँस नहीं जाता है।
अकर्मक क्रिया किसे कहते हैं? लिखिए।
उत्तर:
जिस क्रिया का व्यापार और फल दोनों कर्ता पर ही पड़ता है, क्रिया के साथ कर्म प्रयुक्त नहीं रहता है, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं।
पूर्वकालिक क्रिया किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब कोई कर्ता एक क्रिया समाप्त करके दूसरी क्रिया करता है तब पहली क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं।
प्रेरणार्थक क्रिया किसे कहते हैं? लिखिए।
उत्तर:
जब कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी अन्य को प्रेरणा देकर कार्य करवाता है, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।
नामधातु क्रिया किसे कहते हैं?
उत्तर:
मूल धातु से भिन्न-संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि शब्दों से बनने वाली धातुओं को नामधातु क्रिया कहते हैं।
- रमेश धीरे-धीरे जा रहा है।
- तुम कल शीघ्र आना।
- परसों हम शहर जायेंगे।
- कालवाचक क्रियाविशेषण
- स्थानवाचक क्रियाविशेषण
- रीतिवाचक क्रियाविशेषण
- परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
- स्वीकारवाचक क्रियाविशेषण
- निषेधवाचक क्रियाविशेषण
- कल वह दिल्ली जायेगा।
- प्रतिदिन विद्यार्थी अपना पाठ पढ़ते हैं।
(i) अँधेरे में उधर मत जाओ।
(ii) रमेश भीतर कमरे में है।
(i) रमेश धीरे-धीरे चलता रहा।
(ii) अचानक वर्षा प्रारम्भ हो गई।
(i) तुम थोड़ा-थोड़ा अब्यास करते रहो।
(ii) रमेश बहुत ज्यादा बोलता रहता है।
(i) मैं तुम्हारा काम अवश्य कर दूंगा।
(ii) हाँ, तुम्हारा कहना सभी को अच्छा लगता है।
(i) तुम आलस्य मत करो।
(ii) परिश्रम करने वाला कभी नहीं हारता है।
(2) यौगिक क्रियाविशेषण-जिन क्रियाविशेषणों का निर्माण प्रत्यय अथवा शब्द जोड़ने से होता है, वे यौगिक क्रियाविशेषण कहलाते हैं। जैसे –
- प्रत्यय के योग से – स्वभावतः, अक्षरशः आदि।
- संज्ञा व विशेषण के योग से – एक सार, एक बार आदि।
- उपसर्ग के योग से-आजीवन, आजन्म, प्रतिदिन आदि।
- परसर्ग के योग से -धीरे से, तेजी से, ध्यान से आदि।
- समास से – यथागति, दिन भर, रात-दिन आदि।
- द्विरुक्ति से – कभी-कभी, धीरे-धीरे आदि।
- अपूर्ण कृदन्त से-जाते-जाते, सोते-सोते, खाते-खाते, पीते-पीते आदि।
- पूर्वकालिक कृदन्त से – पीकर, सोकर, जाकर आदि।
- अनुकरणात्मक शब्दों की द्विरुक्ति से – झटपट, धड़ाधड़, फटाफट आदि।
- साधारण-इसमें क्रिया विशेषण शब्द स्वतन्त्र रूप से प्रयुक्त किए जाते हैं। जैसे क्या आप मोहन को कभी क्षमा नहीं करेंगे?
- संयोजक-इसमें क्रिया विशेषण शब्द अपने युग्म के साथ प्रयुक्त किए जाते हैं। जैसे – जैसा बोओगे वैसा काटोगे।
- अनुबद्ध-इसमें क्रिया विशेषण शब्द का प्रयोग बल देने हेतु किया जाता है। जैसे – वह तो आता ही नहीं।
(i) तुम्हारी कलम रमेश के पास है।
(ii) घर के सामने बड़ा चबूतरा है।
(2) अन्दर आओ (क्रिया विशेषण)।
(ii) मैं पढ़ता परन्तु पुस्तक नहीं थी।
(i) संयोजक अव्यय, और
(ii) विभाजक अव्यय। इन भेदों के अतिरिक्त वाक्यांशों और वाक्यों को सम्बद्ध तथा पृथक् करने वाले अव्ययों का वर्गीकरण अनेक उपभेदों में किया जा सकता है। इस दृष्टि से भी इसके निम्न दो भेद मान्य हैं
(ख) व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय।
- हाय! यह तुमने क्या कर डाला!
- अरे! तुमने तो अनर्थ कर दिया!
- वाह! तुम तो छिपे हुए रुस्तम निकले!
विशेष – (i) यद्यपि हिन्दी में मुख्य रूप से अव्यय के चार ही भेद माने जाते हैं, परन्तु शब्दों के प्रारम्भ में जुड़ने वाले संस्कृत उपसर्ग भी अव्यय के समान माने जाते हैं। वे उपसर्ग इस प्रकार हैं
प्र, परा, अप, सम्, अनु, अव, निस्, निर्, दुस्, दुर्, वि, ओ, नि, अधि, अपि, अति, सु, उत्, अभि, प्रति, परि और उप। इन्हें ‘प्रादि अव्यय’ कहा जाता है।
(ii) विस्मयादिबोधक अव्यय के साथ विस्मय का चिह्न (!) अवश्य लगाना पड़ता है, ऐसा करने पर ही उसकी सही अभिव्यक्ति होती है।
अविकारी पद किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस शब्द में लिंग, वचन, कारक आदि के कारण रूप-परिवर्तन नहीं होता है, उसे अविकारी या अव्यय कहते हैं।
अविकारी या अव्यय के कितने भेद होते हैं? लिखिए।
उत्तर:
अविकारी या अव्यय के चार भेद होते हैं –
- क्रियाविशेषण अव्यय
- सम्बन्धबोधक अव्यय
- समुच्चयबोधक अव्यय तथा
- विस्मयादिबोधक अव्यय।
क्रियाविशेषण अव्यय के दो उदाहरण-वाक्य लिखिए।
उत्तर:
1. कल वह घर जायेगा।
2. बालक धीरे-धीरे चलने लगा।
विस्मयादिबोधक अव्यय किसे कहते हैं? लिखिए।
उत्तर:
जिन अव्यय शब्दों के द्वारा हर्ष, शोक, घृणा, आश्चर्य, भय, ग्लानि आदि भावों को व्यक्त किया जाता है, उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं। .
प्रादि अव्यय के चार शब्द लिखिए।
उत्तर:
प्रति-प्रतिदिन, प्रत्येक। अति-अत्यावश्यक, अत्यन्त।
संयोजक और विभाजक अव्यय के चार-चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
संयोजक अव्यय-तथा, और, एवं, यथा। विभाजक अव्यय-किन्तु, परन्तु, वरना, अपितु।
अव्यय को अविकारी क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
अव्यय शब्दों में लिंग, वचन, कारक आदि के कारण रूप-परिवर्तन या कोई विकार उत्पन्न नहीं होता है, इसी कारण अव्यय को अविकारी शब्द कहा जाता है।
क्रिया विशेषण अव्यय किसे कहते हैं? लिखिये।
उत्तर:
क्रिया की विशेषता प्रकट करने वाले शब्दों को क्रिया विशेषण कहते हैं।
परिमाणवाचक क्रिया विशेषण के कितने भेद होते हैं? लिखिए।
उत्तर:
परिमाणवाचक क्रिया के पाँच भेद होते हैं –
- अधिकता बोधक
- न्यूनता बोधक
- पर्याप्त बोधक
- तुलना बोधक और
- श्रेणी बोधक।
रीतिवाचक क्रियाविशेषण किसे कहते हैं? लिखिए।
उत्तर:
जिन क्रिया विशेषण शब्दों से क्रिया की रीति (शैली) का पता चलता है, उन्हें रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।