RB 10 Hindi

RBSE Class 10 Hindi Vyakaran समास

RBSE Class 10 Hindi Vyakaran समास

RBSE Class 10 Hindi Vyakaran समास

दो या दो से अधिक शब्दों (पदों) के परस्पर संयोग को समास कहते हैं। वास्तव में जब शब्दों के मध्य में प्रयुक्त विभक्ति-चिह्नों और प्रत्ययों का लोप हो जाने पर दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर एक नया शब्द बनाते हैं, तो उस मेल (योग) को समास और मिले हुए शब्दों (पदों) को समस्त-पद (अर्थात् समास किया हुआ) कहते हैं। जैसे –

विद्या का मन्दिर = विद्यामन्दिर।
राम और कृष्ण = रामकृष्ण।

समास के भेद-समास के 6 भेद होते हैं –

1. अव्ययीभाव समास-जिन समास में पहला पद अव्यय और दूसरा संज्ञा हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। जैसे – प्रतिदिन, यथाशक्ति, अभियोग, प्रत्येक आदि।

उक्त शब्दों के विग्रह इस प्रकार होते हैं –

प्रतिदिन – दिन दिन।
प्रतिवर्ष – वर्ष वर्ष।
यथाविधि – विधि के अनुसार।
यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार।
अभियोग – योग के योग्य।
प्रत्येक – एक एक।
आजन्म – जन्मपर्यन्त।
रातों-रात – रात ही रात।
बखूबी – खूबी के साथ।
पहले पहल – पहले ही पहल।
बेमतलब – मतलब के बिना।

2. तत्पुरुष समास-जिस समास में पहले पद की विभक्ति का लोप हो और दूसरा पद प्रधान हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इस समास में जिस कारक का विभक्ति का लोप होता है, उसी कारक के नाम पर इस समास का नामकरण होता है, जैसे –

कर्म तत्पुरुष –
हस्त को गत = हस्तगत।
स्वर्ग को प्राप्त = स्वर्गप्राप्त।

करण तत्पुरुष –
हस्त से लिखित = हस्तलिखित।
भाव से पूर्ण = भावपूर्ण।

सम्प्रदान तत्पुरुष –
गुरु के लिए दक्षिणा = गुरुदक्षिणा।
देश के लिए भक्ति = देशभक्ति।

अपादान तत्पुरुष –
भय से भीत = भयभीत।
पथ से भ्रष्ट = पथभ्रष्ट।

सम्बन्ध तत्पुरुष –
राजा का पुत्र = राजपुत्र।
गंगा का जल = गंगाजल।

अधिकरण तत्पुरुष – वन में वास = वनवास।
जल में मग्न = जलमग्न।

तत्पुरुष सम्बन्ध के अन्य भेद-तत्पुरुष के अन्य दो भेद माने जाते हैं.अलुक् और नञ्।

(i) अलुक् समास-जहाँ समास करने पर पूर्व पर की विभक्ति का लोप नहीं होता है, उसे अलुक् तत्पुरुष कहते हैं। जैसे –
मनसिज-मनसि (मन में) + ज उत्पन्न = कामदेव।
सेचर-से (आकाश) में + च (विचरने वाला) = पक्षी।

(ii) नञ् समास-जहाँ निषेध अर्थ में ‘न’ के समान पर शब्द के प्रारम्भ में ‘अ’ अथवा ‘अन्’ प्रयुक्त होता है, उसे नञ् तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे-


3. कर्मधारय समास-जिस समास में पहला पद विशेषण अथवा उपमान होता है तथा दूसरा पद विशेष्य अथवा उपमेय होता है, वह कर्मधारय समास कहलाता है। जैसे – नीलकमल, महापुरुष, चरणकमल, महाजन आदि। इन शब्दों का विग्रह इस प्रकार होता है –

नीलकमल – नील है जो कमल
सर्वोत्तम – सर्व में है जो उत्तम
महापुरुष – महान् हैं जो पुरुष
चरणकमल – चरण जैसे (ही) कमल
महाजन – महान् है जो जन
महात्मा – महान् है जो आत्मा।

4. द्विगु समास-जिस समास में पहला पद संख्यावाचक होता है, वहाँ द्विगु समास होता है। जैसे – चौराहा, पंचवटी, त्रिभुवन, सप्तसिन्धु, षट्कोण आदि। इसमें विग्रह करते समय संख्यावाचक शब्द के साथ ‘समाहार’ या ‘समूह’ लिखना पड़ता है। जैसे

एकलिंग – एक ही लिंग
दोपहर – दो पहरों का समाहार
चतुर्वेद – चार वेदों का समूह या समाहार
त्रिभुवन – तीन भुवनों का समूह
सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह
नवरात्र – नौ (नव) रात्रों का समूह
सप्तसिन्धु – सात सिन्धुओं का समूह
सप्ताह – सप्त अहन् (दिन) का समूह
दशाब्दी – दश अब्दों (वर्षों) का समूह
शताब्दी – शत अब्दों का समूह

5. द्वन्द्व समास-जिस समस्त पद में दोनों पद प्रधान हों तथा उनके बीच के ‘और’ शब्द का लोप हो गया हो, उसे द्वन्द्व समास कहते हैं। जैसे –

दिन और रात = दिन-रात
दाल और रोटी = दाल-रोटी
धर्म और अधर्म = धर्माधर्म
माता और पिता = माता-पिता
आकाश और पाताल = आकाश-पाताल
गुण और दोष = गुण-दोष
सीता और राम = सीता-राम
देश और विदेश = देश-विदेश
भाई और बहन = भाई-बहन
नर और नारी = नर-नारी

6. बहुव्रीहि समास-जहाँ कोई पद प्रधान न हो और समस्त पद के दोनों शब्द मिलकर कोई विशेष अर्थ प्रकट करें, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। जैसे –

चतुरानन – चतुर् (चार) हैं आनन जिसके, वह (ब्रह्मा)।
चतुर्भुज – चार हैं भुजाएँ जिसकी, वह (विष्णु)।
वीणापाणि – वीणा है पाणि में जिसके, वह (सरस्वती)।
दशानन – दश हैं आनन जिसके (रावण)।
त्रिनेत्रं – तीन हैं नेत्र जिसके (शिव)।
पीताम्बरं – पीत हैं अम्बर जिसके (विष्णु)।
लम्बोदर – लम्बा है उदर जिसका (गणेश)।
दिगम्बर – दिग् (दिशाएँ) हैं अम्बर जिसके (शिव)।

इसी प्रकार चक्रपाणि, षडानन, वज्रायुध, हलायुध, चन्द्रशेखर, निर्जन आदि पदों में बहुव्रीहि समाप्त हुआ है।

समास-विग्रह

समस्त पदों में प्रयोग किये गये शब्दों को अलग-अलग करके उनके विश्लेषण करने को समास-विग्रह कहते हैं। इसके कुछ उदाहरण निम्न हैं –

अभ्यास प्रश्न
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित सामसिक पदों का विग्रह कर उनमें निहित समास का नाम लिखिए
(i) सुहासिनी
(ii) राजमाता
उत्तर:
(i) सुहासिनी – सुष्ठु हासिनी-कर्मधारय समास।
(ii) राजमाता – राजा की माता-तत्पुरुष समास।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह कर उनमें निहित समास का नाम लिखिए
(i) गृहागत
(ii) प्रत्यक्ष।
उत्तर:
(i) गृहागत-गृह को आगत-तत्पुरुष समास।
(ii) प्रत्यक्ष-अक्ष अक्ष-अव्ययीभाव समास।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित सामसिक पदों का विग्रह कर उनमें निहित समास का नाम लिखिए।
(i) रणक्षेत्र
(ii) ज्ञानौषधि।
उत्तर:
(i) रणक्षेत्र – रण का क्षेत्र-षष्ठी तत्पुरुष समास।
(ii) ज्ञानौषधि – ज्ञान ही है औषधि – कर्मधारय समास।

प्रश्न 4.
द्विगु समास की परिभाषा तथा उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
जिस समास में पहला पद संख्यावाचक होता है, वह द्विगु समास होता है। जैसे – सप्तर्षि, शताब्दी।

प्रश्न 5.
कर्मधारय समास की परिभाषा तथा उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
जिस समास में पहला पद विशेष तथा दूसरा पद विशेष्य होता है, वह कर्मधारय समास कहलाता है। जैसे – नीला कमल-नीलकमल।

प्रश्न 6.
‘नीला आकाश’ तथा ‘दाल-रोटी’ शब्द किस-किस समास के उदाहरण है?
उत्तर:
‘नीला आकाश’ कर्मधारय समास का तथा ‘दाल-रोटी’ द्वन्द्व समास का उदाहरण है।

प्रश्न 7.
द्विगु समास की परिभाषा तथा उसका एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जिस समास में पहला पद संख्यावाचक रहता है, वह द्विगु समास होता है। जैसे – त्रिभुवन, नवरात्र।

प्रश्न 8.
‘हवन-सामग्री’ तथा ‘नरश्रेष्ठ’ शब्द किस समास के उदाहरण हैं?
उत्तर:
हवन-सामग्री’ तथा ‘नरश्रेष्ठ’ दोनों पद तत्पुरुष समास के उदाहरण हैं।

प्रश्न 9.
‘त्रिभुवन’ तथा ‘दिगम्बर’ शब्द किस-किस समास के उदाहरण हैं?
उत्तर:
‘त्रिभुवन’ द्विगु समास का, ‘दिगम्बर’ बहुव्रीहि समास का उदाहरण है।

प्रश्न 10.
द्वन्द्व समास की परिभाषा तथा उसका एक उदहरण लिखिए।
उत्तर:
जिस समस्त पद में दोनों पद प्रधान हों उसे द्वन्द्व समास कहते हैं। यथा – दिन-रात = दिन और रात।

प्रश्न 11.
‘नेत्र-सुखद’ तथा ‘रत्नजड़ित’ किस समास के उदाहरण हैं?
उत्तर:
‘नेत्र-सुखद’ तथा ‘रत्नजड़ित’ दोनों तत्पुरुष समास के उदाहरण हैं।

प्रश्न 12.
‘राजमाता’ सामासिक पद में समास का नाम बताइए और समास-विग्रह भी कीजिए।
उत्तर:
(i) समास का नाम-तत्पुरुष।
(ii) समास-विग्रह – राजा की माता।

प्रश्न 13.
बहुव्रीहि समास की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जिस समास में कोई पद प्रधान न हो और समस्त पद मिलकर कोई विशेष अर्थ प्रकट करें, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह कीजिए

  1. प्रतिपल
  2. अकालपीड़ित
  3. महात्मा।

उत्तर:

  1. पल-पल
  2. अकाल से पीडित
  3. महान है जो आत्मा।

प्रश्न 15.
अग्रलिखित शब्दों के सामासिक पद बनाइए

  1. मुनियों में श्रेष्ठ
  2. कमल के समान नयन
  3. तीन भुजाओं वाला।

उत्तर:

  1. मुनियों में श्रेष्ठं
  2. कमलनयन
  3. त्रिभुज।

प्रश्न 16.
‘सप्तसिन्धु’ तथा ‘दशानन’ शब्द किस-किस समास के उदाहरण हैं?
उत्तर:
सप्तसिन्धु-द्विगु समास, दशानन – बहुव्रीहि समास।

प्रश्न 17.
अव्ययीभाव समास की परिभाषा तथा उसका एक उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
जिस समास में पहला शब्द अव्यय और दसरा संज्ञा हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। जैसे प्रतिदिन, यथाशक्ति।

प्रश्न 18.
‘हस्तलिखित’ तथा ‘सेवानिवृत्त’ शब्द किस समास के उदाहरण हैं?
उत्तर:
दोनों तत्पुरुष समास के उदाहरण हैं।

प्रश्न 19.
‘त्रिभुवन’ सामासिक पद का नाम बताइए तथा समास-विग्रह भी कीजिए।
उत्तर:
(i) समास का नाम-द्विग।
(i) समास विग्रह-तीन भवनों का समाहार।

प्रश्न 20.
‘नवरात्र’ सामसिक पद का नाम बताइए व समास-विग्रह भी कीजिए।
उत्तर:
(i) समास का नाम द्विगु समास।
(ii) समास विग्रह-नौ रात्रों का समाहार या समूह।

प्रश्न 21.
‘धर्माधर्म’ सामाजिक पद का विग्रह कीजिए तथा समास का नाम बताइए।
उत्तर:
(i) समास विग्रह-धर्म और अधर्म।
(ii) समास का नाम द्वन्द्व समास।

प्रश्न 22.
समस्त पद किसे कहते हैं?
उत्तर:
समास के नियमों से निर्मित शब्द को समस्त पद या सामासिक शब्द कहते हैं।

प्रश्न 23.
समास विग्रह किसे कहते हैं?
उत्तर:
सामासिक शब्दों के बीच के सम्बन्ध को स्पष्ट करना समास विग्रह कहलाता है।

प्रश्न 24.
तत्पुरुष समास के कितने भेद होते हैं? उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
तत्पुरुष समास के दो भेद होते हैं – (1) नञ् तत्पुरुष और (2) अलुक् तत्पुरुष।

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