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RBSE Solutions for Class 10 Physical Education Chapter 2 शारीरिक शिक्षा: आवश्यकता एवं महत्व

RBSE Solutions for Class 10 Physical Education Chapter 2 शारीरिक शिक्षा: आवश्यकता एवं महत्व

Rajasthan Board RBSE Class 10 Physical Education Chapter 2 शारीरिक शिक्षा: आवश्यकता एवं महत्व

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 2 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 2 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
किन्हीं दो दार्शनिकों द्वारा दी गई परिभाषाओं के आधार पर शारीरिक शिक्षा के महत्त्व को बताइये।
उत्तर:
आधुनिक संसार में स्वास्थ्य के अनेक संकट हैं। दूसरी ओर प्रत्येक क्षेत्र में मशीनीकरण हो चुका है। यदि हम स्वस्थ रहना चाहते हैं तो हमको शारीरिक शिक्षा की छत्रछाया में आना पड़ेगा। शारीरिक शिक्षा के महत्त्व पर अनेक दार्शनिकों ने बल दिया है। जिनमें से दो दार्शनिकों के विचार निम्नलिखित स्वामी विवेकानन्द के अनुसार शारीरिक शिक्षा व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए नितान्त आवश्यक है। इसके लिए व्यायामशालाओं एवं खेल मैदानों का होना अति आवश्यक है।” फोबेल के अनुसार यदि हम मनुष्य का सम्पूर्ण विकास चाहते हैं तो हमें उसके सभी अंगों की कसरत कराना अनिवार्य है। उपरोक्तानुसार हम यह कह सकते हैं कि शारीरिक शिक्षा के अभाव में शरीर क्रियाशील नहीं रह सकता है। स्वस्थ शरीर तथा कौशल विकास के लिए शारीरिक शिक्षा अतिआवश्यक है।

प्रश्न 2.
शारीरिक शिक्षा के बगैर मानव जीवन खतरे में पड़ सकता है। इसे उक्ति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा लोगों के जीवित रहने के लिए आवश्यक है। शारीरिक शिक्षा बालक के जन्म से लेकर अन्त तक चलने वाली सतत् प्रक्रिया है। एक बालक के सर्वांगीण विकास हेतु शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता है व स्वस्थ रहने के लिए शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता है क्योंकि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन निवास करता है।

प्रश्न 3.
शीतल व्यक्ति को गामक एवं क्रियाशील बनाने में कौनसी शिक्षा सहायक होती हैं ?
उत्तर:
शीतल व्यक्ति को गामक एवं क्रियाशील बनाने में शारीरिक शिक्षा संहायक होती है।

प्रश्न 4.
शारीरिक शिक्षा संवेगात्मक विकास में किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा अनेक शारीरिक क्रियाएँ तनाव, दबाव, संवेदनशीलता व आत्मसमर्पण के व्यवहार से व्यक्ति को मुक्त कराती है। निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
शारीरिक शिक्षा के महत्व को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
स्वस्थ शरीर तथा कौशल विकास के लिए शारीरिक शिक्षा अतिआवश्यक है। शारीरिक शिक्षा का विस्तृत महत्त्व निम्नानुसार है –

  1. सजग मस्तिष्क – शारीरिक शिक्षा मस्तिष्क की सजगता का विकास करती है।
  2. स्वास्थ्य तथा बीमारियों की जानकारी – शारीरिक शिक्षा शरीर के ज्ञान का स्रोत है। असंक्रामक व संक्रामक रोग स्वस्थ शरीर की बाधाएँ हैं यह ज्ञान जरूरी है।
  3. फालतू समय को उचित उपयोग शारीरिक क्रियाओं द्वारा जिसमें मनोरंजन क्रियाएँ सम्मिलित हैं द्वारा फालतू समय का उचित उपयोग होता है।
  4. शरीर को सुन्दर बनाती है – शारीरिक शिक्षा द्वारा मानव शरीर को सुडौल बनाया जाता है एवं सुन्दर शरीर बनाने के लिए यह एक उत्तम स्रोत है।
  5. मानवीय सम्बन्धों में सहायता – शारीरिक शिक्षा मानवीय सम्बन्धों को बढ़ाने में सहायक है। यह सामाजिक गुणों का विकास करती है जो एक अच्छे नागरिक के लिए जरूरी हैं। एक अच्छा खिलाड़ी हमेशा अच्छा नागरिक होता है।
  6. संवेगात्मक विकास शारीरिक शिक्षा संवेगात्मक विकास में भी सहायक है।कई शारीरिक क्रियाएँ तनाव, दबाव, संवेदनशीलता व आत्म समर्पण के व्यवहार से व्यक्ति को मुक्त कराती हैं।
  7. अनुशासन में सहायक – शारीरिक शिक्षा अनुशासन बनाने में मददगार होती है क्योंकि अनुशासन शारीरिक शिक्षा की रीढ़ की हड्डी है। इसे हर स्थिति में अनुशासन चाहिये जो खेलों द्वारा ही सम्भव है।
  8. यह सहन शक्ति को बढ़ाती है – सहन शक्ति मानव के लिए बहुत जरूरी है जिस व्यक्ति में सहन शक्ति है वह समाज में अच्छा समायोजित व्यक्ति होगा। यह गुण शारीरिक शिक्षा दे सकती है।
  9. अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण – शारीरिक शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार करती है। यह बालक में सद्गुणों का विकास करती है।
  10. चरित्रवान बनाती है शारीरिक शिक्षा से खुशी, स्वास्थ्य, कुशलता और चरित्र के विकास में मदद मिलती है।

यह बच्चों को खुश, स्थिर और प्रबुद्ध नागरिक बनाने में सहायक होती है। अत: यह कहा जा सकता है कि वर्तमान समय में शारीरिक शिक्षा की बहुत आवश्यकता है। वास्तव में शारीरिक शिक्षा व्यक्ति में भी वृद्धि करती है। यह नई पीढ़ी को सक्रिय तथा सृजनात्मक कार्य के लिए प्रेरित करती है।

प्रश्न 2.
शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता को समझाइये।
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता – जब मानव शरीर स्वस्थ और तन्दुरुस्त होगा तभी वह परिवार समाज और राष्ट्र के लिए एक वरदान साबित हो सकता है। जिस कारण मानव के लिए शिक्षा की आवश्यकता महत्त्वपूर्ण है। शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट होती है|

(1) सुदृढ़ शारीरिक दक्षता को बनाये रखना आज शारीरिक दक्षता 21वीं सदी के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तत्त्वों में से एक है। शारीरिक शिक्षा दिनचर्या में नियमित दक्षता क्रियाओं को सम्मिलित करने के महत्त्व को स्थापित करने में सहयोग प्रदान करती है। यह शारीरिक दक्षता को बनाये रखने, मांसपेशियों को मजबूत करने तथा सहनशीलता की अभिवृत्ति को बढ़ाती है। शारीरिक शिक्षा शारीरिक योग्यताओं को उच्च स्तर तक विकसित करती है। जिससे बालक खुश व ऊर्जावान बना रहता है।

(2) आत्म विश्वास को बढ़ाने में सहायक – शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता इसलिए भी है कि वह बालक में आत्म विश्वास को बढ़ावा देती है। जब बच्चा खेलता है तो वह खेल हार-जीत को स्वीकार करना सीखता है। टीम को साथ लेकर चलने की योग्यता विकसित करता है। खेल और खेल मैदान पर हार को स्वीकार करना, अपने स्वयं की क्षमताओं पर विश्वास करना, सकारात्मक सोच का निर्माण शारीरिक शिक्षा द्वारा ही पैदा होता है।

(3) स्वास्थ्य और पोषक तत्वों की जानकारी – स्वास्थ्य सम्बन्धी सम्पूर्ण जानकारी शारीरिक शिक्षा द्वारा प्राप्त होती है। वर्तमान में बालकों में मोटापा, एनिमिया, खान-पान सम्बन्धी विरूपता की समस्या बालकों में व्याप्त है जिसका निदान शारीरिक शिक्षा द्वारा सम्भव है। सन्तुलित भोजन करना, जंकफूड, फास्ट फूड के दुष्परिणामों का ज्ञान होता है। शारीरिक शिक्षा को उद्देश्य भोजन सम्बन्धी सही आदतों के विकास एवं पोषण के निर्देशों को प्रोत्साहित करना है।

(4) खेल और खेल भावना का विकास करने में सहायक शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता इसलिए भी है कि यह व्यक्ति में खेलों के द्वारा खेल भावना, मित्रता, भाईचारा तथा सद्भावना का विकास करती है। बच्चे खेलों के माध्यम से आपसे में मिलजुलकर रहना, दल निर्माण का गठन करना व संगठित रहने की प्रवृत्ति को सीखते हैं जो शारीरिक शिक्षा द्वारा ही सम्भव है।

(5) स्वच्छता के महत्त्व को प्रकट करना – शारीरिक शिक्षा कक्षाओं में बालक को व्यक्तिगत स्वच्छता और साफसफाई के महत्त्व के सम्बन्ध में प्रेरित करती है। बालक को स्वच्छ वातावरण में खेलने के लिये तथा स्वास्थ्य के प्रति सचेत करती है।

(6) नवोदित खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने में सहायक शारीरिक शिक्षा के माध्यम से नये व उभरते हुये पुरुष व महिला खिलाड़ी जो विश्व खेलों में अपना स्थान बनाना चाहते हैं के लिए एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती है। ऐसे खिलाड़ियों की रुचि जानने तथा विभिन्न खेलों में उनको अवसर प्रदान कर आगे बढ़ने के लिए शारीरिक शिक्षा अति आवश्यक

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 2 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 2 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
अपनी इच्छाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए क्या करना आवश्यक है
(अ) साफ वे स्वच्छ रहना
(ब) नियम व विधि का पालन
(स) नैतिकता धारण करना
(द) खेल खेलना
उत्तर:
(ब) नियम व विधि का पालन

प्रश्न 2.
मशीनों पर अत्यन्त निर्भरता ने मनुष्य को
(अ) शक्तिशाली बना दिया है।
(ब) बुद्धिमान बना दिया है।
(स) शारीरिक रूप से क्षीण व दुर्बल बना दिया है।
(द) शारीरिक रूप से सक्षम बना दिया है।
उत्तर:
(स) शारीरिक रूप से क्षीण व दुर्बल बना दिया है।

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 2 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
शारीरिक शिक्षा मानवीय सम्बन्धों को बढ़ाने में किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा मानवीय सम्बन्धों को बढ़ाने में सहायक है। यह सामाजिक गुणों का विकास करती है जो एक अच्छे नागरिक के लिए जरूरी हैं। एक अच्छा खिलाड़ी हमेशा अच्छा नागरिक होता है।

प्रश्न 2.
“प्रकृति में मजबूत शारीरिक नियम के बिना कोई राष्ट्र महान् नहीं बन सकता है।” यह कथन किस दार्शनिक का है ?
उत्तर:
यह कथन प्रसिद्ध दार्शनिक डॉ. राधाकृष्णन का

RBSE Class 10 Physical Education Chapter 2 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सुदृढ़ शारीरिक दक्षता को बनाये रखने के लिए शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता को समझाइये।
उत्तर:
आज शारीरिक दक्षता इक्कीसवीं सदी के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तत्त्वों में से एक है। शारीरिक शिक्षा दिनचर्या में नियमित दक्षता क्रियाओं को सम्मिलित करने के महत्त्व को स्थापित करने में सहयोग प्रदान करती है। यह शारीरिक दक्षता को बनाये रखने, माँसपेशियों को मजबूत करने तथा सहनशीलता की अभिवृत्ति को बढ़ाती है। शारीरिक शिक्षा शारीरिक योग्यताओं को उच्च स्तर तक विकसित करती है जिससे बालक खुश एवं ऊर्जावान बना रहता है।

प्रश्न 2.
शारीरिक शिक्षा चारित्रिक विकास में किस प्रकार सहायक है?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा से खुशी, स्वास्थ्य, कुशलता और चरित्र के विकास में मदद मिलती है। यह बच्चों को खुश, स्थिर और प्रबुद्ध नागरिक बनाने में सहायक होती है।

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