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RBSE Class 10 Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत

RBSE Class 10 Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत

पाठ सार एवं पारिभाषिक शब्दावली (SUMMARY OF THE CHAPTER AND GLOSSARY)

1. ऊर्जा (Energy) किसी वस्तु द्वारा कार्य करने की क्षमता को उसकी ऊर्जा कहते हैं। ऊर्जा के विविध रूप होते हैं | ऊर्जा को एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है।
2. विद्युत के उपकरणों को चलाने के लिए विद्युत ऊर्जा तथा शारीरिक कार्यों के लिए पेशीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
3. प्राचीनकाल में ऊर्जा के प्रमुख स्रोत के रूप में लकड़ी का प्रयोग होता था, पवन और बहते हुए जल की ऊर्जा का भी थोड़ा बहुत प्रयोग होता था।
4. कोयले के उपयोग के द्वारा औद्योगिक क्रान्ति हुई, ऊर्जा की बढ़ती माँग की पूर्ति जीवाश्मी ईंधन, कोयला और | पेट्रोलियम पदार्थों के माध्यम से की जाने लगी । ।
5. जीवाश्म (Fossils) जीव जन्तुओं व पेड़ पौधों के अवशेष जो लाखों वर्षों से पृथ्वी के अन्दर दबे हुए हैं जीवाश्म | कहलाते हैं। जीवाश्मी ईंधन को जलाने से अनेक प्रकार का प्रदूषण होता है।
6. विद्युत संयंत्रों में विशाल मात्रा में जीवाश्मी ईंधन को जलाकर जल को गर्म करके भाप बनाई जाती है जिसके द्वारा टरबाइनों को घुमाकर विद्युत उत्पन्न की जाती है। ।
7. हमारी ऊर्जा की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए हमें ऊर्जा के उपयोग की दक्षता में सुधार का प्रयास करना है चाहिए। साथ ही हमें ऊर्जा के नए वैकल्पिक स्त्रोतों का परीक्षण तथा उनका प्रयोग करना चाहिये । हमारे पारंपरिक । ऊर्जा स्रोत, जैसे- जीवाश्मी ईंधन अत्यन्त सीमित हैं और शीघ्र ही समाप्त हो जाएँगे। जल विद्युत ऊर्जा एक | नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। जीवाश्मी ईंधन को जलाने से कम ऊष्मा और अधिक धुआँ उत्पन्न होता है। चारकोल ! अधिक ऊष्मा उत्पन्न कर बिना ज्वाला के जलता है तथा धुआँ भी कम देता है ।
8. जैव मात्रा (Bio-mass) – जन्तु एवं पौधों से प्राप्त ऐसे उत्पाद जिनका प्रयोग ईंधन के रूप में किया जाता है जैव मात्रा कहलाते हैं।
बायो गैस (Bio gas) — जैव मात्रा के विघटन से उत्पन्न गैस जैव गैस या बायो गैस कहलाती है। बायोगैस को प्रायः । गोबर गैस कहते हैं। इसमें 75% मीथेन गैस होती है। जैव गैस संयंत्र से उप-उत्पाद के रूप में स्लरी निकलती है | जो एक उत्तम कोटि की खाद है जिसमें प्रचुर मात्रा में नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस होती है।
9. पवन ऊर्जा का उपयोग पवन चक्कियों द्वारा यांत्रिक कार्यों को करने में होता है। जिस स्थान पर अनेक पवन चक्कियाँ | लगाई जाती हैं उस क्षेत्र को पवन ऊर्जा फार्म कहते हैं ।
10. सौर ऊर्जा, असीमित ऊर्जा का एक विशाल वैकल्पिक स्त्रोत है। सौर ऊर्जा का एक बहुत छोटा हिस्सा ही पृथ्वी के ! वायुमण्डल की बाहरी परत तक पहुँच पाता है। इसका लगभग आधा भाग वायुमण्डल से गुजरते समय अवशोषित हो जाता है तथा शेष भाग पृथ्वी की सतह पर पहुँचता है। हमारा देश प्रतिवर्ष 5000 ट्रिलियन किलोवॉट घण्टा सौर ऊर्जा प्राप्त करता है ।
11. पृथ्वी के किसी क्षेत्र में प्रतिदिन प्राप्त होने वाली सौर ऊर्जा का औसत परिमाप 4 से 7 kWh/m2, के बीच होता है।। सौर कुकर, सौर जल तापक, सौर सैल, सौर पैनल आदि सभी सूर्य की ऊर्जा पर आधारित यन्त्र हैं। जिनका प्रयोग | विद्युत उत्पादन तथा अन्य उपयोगी कार्यों में होता है। सौर सैल बनाने के लिए सिलिकॉन का उपयोग किया जाता है।
12. ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा, सागरीय तापीय ऊर्जा के पूर्ण व्यापारिक दोहन में कुछ कठिनाइयाँ हैं। महासागरों की ऊर्जा की क्षमता अति विशाल है। ।
13. महासागरीय तापीय ऊर्जा (Ocean Thermal energy) — सूर्य के प्रकाश की गर्मी से सागर के जल में तापान्तर से | प्राप्त ऊर्जा महासागरीय तापीय ऊर्जा कहलाती है।
14. तप्त स्थल (Hot spots) — भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भू पर्पटी की गहराइयों में तप्त क्षत्रों में पिघली चट्टानें | ऊपर धकेल दी जाती हैं जो कुछ क्षेत्रों में एकत्र हो जाती हैं। इन क्षेत्रों को तप्त स्थल कहते हैं।
15. नाभिकीय विखण्डन (Nuclear Fission) — किसी बड़े नाभिक का दो छोटे नाभिकों में विखण्डित होना नाभिकीय विखण्डन कहलाता है। इसमें अपार ऊर्जा मुक्त होती है।
16. हमारे देश में विद्युत उत्पादन क्षमता की केवल 3% आपूर्ति नाभिकीय विद्युत संयंत्रों से होती है। विकसित देश अपनी आवश्यकता की 30% से भी अधिक विद्युत शक्ति की आपूर्ति नाभिकीय विद्युत सयन्त्रों से कर रहे हैं।
17. तारापुर, राणाप्रताप सागर, कलपक्कम, नरौरा, काकरापार तथा कैगा में हमारे देश के नाभिकीय विद्युत संयंत्र स्थापित हैं ।
18. प्राकृतिक पर्यावरण में नवीकरणीय ऊर्जा बड़ी मात्रा में उपलब्ध है। इसके भंडार असीमित हैं तथा भंडार खाली होने की बात व्यावहारिक दृष्टि से नगण्य है।

RBSE Class 10 Science Chapter 14 उर्जा के स्रोत InText Questions and Answers

पृष्ठ 273.

प्रश्न 1.
ऊर्जा का उत्तम स्रोत किसे कहते हैं?
उत्तर:
निम्न लक्षणों वाला ऊर्जा स्रोत ऊर्जा का उत्तम / आदर्श स्रोत कहलाता है।

  1. प्रति एकांक आयतन अथवा प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करे।
  2.  इसका संग्रहण सरल होना चाहिए।
  3. इसका स्थानान्तरण सरलता से किया जा सकता है।
  4. यह सस्ती होनी चाहिए अर्थात् मितव्ययी होनी चाहिए।
  5. यह पर्यावरण में न्यूनतम प्रदूषण उत्पन्न करे।
  6. यह सरलता से उपलब्ध अथवा सुलभ हो।

प्रश्न 2.
उत्तम ईंधन किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह ईंधन जो बिना प्रदूषण उत्पन्न किए अधिक मात्रा में ऊष्मा ऊर्जा देता है, उत्तम ईंधन कहलाता है। इसके निम्न लक्षण होने चाहिए।

  1. ज्वलन ताप मध्यम होना चाहिए।
  2. दहन के बाद हानिकारक गैसें नहीं उत्पन्न करता हो।
  3. ईंधन सस्ता हो और रख-रखाव आसान हो।
  4. दहन के पश्चात् ठोस अवशेष न छोड़ता हो।
  5. ईंधन का कैलोरी मान अधिक होना चाहिए।

प्रश्न 3.
यदि आप अपने भोजन को गरम करने के लिए किसी भी ऊर्जा – स्रोत का उपयोग कर सकते हैं तो आप किसका उपयोग करेंगे और क्यों?
उत्तर:
हम अपने भोजन को गरम करने के लिए रसोई गैस या माइक्रोवेव ओवन का प्रयोग करेंगे, क्योंकि।

  1. यह प्रति एकांक आयतन या प्रति एकांक द्रव्यमान से अधिक ऊर्जा की मात्रा उपलब्ध कराते हैं।
  2. इन्हें आसानी से प्रयोग किया जा सकता है।
  3. इनका भण्डारण तथा परिवहन आसान होता है।
  4. यह कोई भी प्रदूषण नहीं फैलाते हैं।

पृष्ठ 279.

प्रश्न 1.
जीवाश्मी ईंधन की क्या हानियाँ हैं?
उत्तर:
जीवाश्म ईंधन – यह ऊर्जा युक्त कार्बन यौगिकों के वे अणु हैं, जिनका निर्माण मूलतः सौर ऊर्जा का उपयोग करते हुए वनस्पतियों ने किया है।
जीवाश्मी ईंधन उपयोग करने की निम्नलिखित हानियाँ हैं।

  1. इनसे पर्यावरण प्रदूषित होता है।
  2.  ये ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं।
  3. जीवाश्म ईंधन बनने में लाखों वर्ष लगते हैं और इनके भण्डार सीमित होते हैं।
  4. इनके जलने पर मुक्त होने वाले कार्बन, सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड, अम्लीय ऑक्साइड होते हैं।

अतः इनसे अम्लीय वर्षा होती है, जो जल तथा मृदा संसाधनों को भी दूषित करते हैं तथा मनुष्य में श्वसन सम्बन्धी रोग तथा शरीर के खुले अंगों में जलन पैदा करते हैं।

प्रश्न 2.
हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे हैं?
उत्तर:
जैसे – जैसे तकनीकी का विकास हुआ है वैसे – वैसे ऊर्जा की खपत भी बढ़ रही है। हमारे जीवन के प्रत्येक कार्य में ऊर्जा की आवश्यकता होती है। जैसे – खाना पकाने, बिजली उत्पन्न करने, कल – कारखानों को चलाने हेतु ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिन्हें परम्परागत ऊर्जा स्रोतों से पूरा किया जा रहा है। यदि परम्परागत ऊर्जा स्रोतों का उपयोग वर्तमान दर से होता रहा तब परम्परागत स्रोत किसी भी दिन समाप्त हो जायेंगे और यह ऊर्जा की माँग की आपूर्ति परम्परागत ऊर्जा स्रोतों से पूरी नहीं हो पायेगी। अतः हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

प्रश्न 3.
हमारी सुविधा के लिए पवनों तथा जल ऊर्जा के पारंपरिक उपयोग में किस प्रकार के सुधार किये गये हैं?
उत्तर:
जल और पवनें ऊर्जा के परम्परागत स्रोत हैं। शुरू में इनकी ऊर्जा का उपयोग बहुत सीमित था लेकिन आजकल तकनीकी विकास के कारण ये एक मुख्य ऊर्जा स्रोत की तरह विकसित हो रहे हैं। इनमें निम्नलिखित सुधार किये गये हैं।
(i) पवन ऊर्जा एक प्रदूषण मुक्त ऊर्जा स्रोत है। पवन चक्की की सहायता से पवन ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है और इसका उपयोग यांत्रिक कार्य जैसे कुएँ से जल निकालना और विद्युत जनित्र चलाकर विद्युत उत्पादन में किया जा रहा है। इसके लिए समुद्रतट के समीप के स्थानों में बहुत-सी पवन – चक्कियाँ एक साथ लगाकर बड़े – बड़े ऊर्जा फार्म स्थापित किए गए हैं, जहाँ पर्याप्त विद्युत ऊर्जा का उत्पादन होता है।

(ii) इसी प्रकार प्राचीन काल में बहते जल का उपयोग सामान्यतः यातायात के लिए किया जाता था लेकिन अब बाँध बनाकर इस ऊर्जा को जल विद्युत ऊर्जा में बदलकर विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जा रहा है | बाँधों में एकत्रित जल को ज़नित्र के टरबाइन पर डालकर विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है।

पृष्ठ 285 I.

प्रश्न 1.
सौर कुकर के लिए कौन – सा दर्पण – अवतल, उत्तल अथवा समतल सर्वाधिक उपयुक्त होता है? क्यों?
उत्तर:
सौर कुकर के लिए अवतल दर्पण सर्वाधिक उपयुक्त होता है क्योंकि यह अपने ऊपर गिरने वाली सम्पूर्ण सौर ऊर्जा को अपने फोकस पर सूक्ष्म बिन्दु के रूप में केन्द्रित कर देता है, जिससे उस बिन्दु का तापमान बढ़ जाता है अर्थात् उच्च ऊष्मा उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2.
महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर:
महासागरों से निम्न ऊर्जायें प्राप्त होती हैं, जिनकी सीमाएँ निम्न हैं।

  1. ज्वारीय ऊर्जा – ज्वारीय ऊर्जा का दोहन सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बाँध का निर्माण करके किया जाता है। इसमें बाँध निर्मित किये जा सकने वाले स्थान सीमित होते हैं।
  2. तरंग ऊर्जा – तरंग ऊर्जा का वहीं पर व्यावहारिक उपयोग हो सकता है जहाँ तरंगें अत्यन्त प्रबल होती हैं। कम प्रबल तरंगों से तरंग ऊर्जा उत्पन्न नहीं की जा सकती है।
  3. महासागरीय तापीय ऊर्जा – सागरीय तापीय ऊर्जा रूपान्तरण विद्युत संयंत्र (OTEC) केवल तभी प्रचलित होते हैं जब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2Km तक की गहराई पर जल के ताप में 20°C का अन्तर हो।

इस प्रकार महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की अति विशाल क्षमता होने के बावजूद इसके दक्षतापूर्ण व्यापारिक दोहन की अनेक सीमाएँ हैं।

प्रश्न 3.
भू – तापीय ऊर्जा क्या होती है?
उत्तर:
भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भू – पर्पटी की गहराइयों से तप्त स्थल और भूमिगत जल से बनी भाप से उत्पन्न ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा कहलाती है।

प्रश्न 4.
नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्त्व है?
उत्तर:

  1.  यह ऊर्जा का एक गैर – परम्परागत स्रोत है।
  2. नाभिकीय ईंधन की अल्प मात्रा से ऊर्जा की विशाल मात्रा प्राप्त होती है |
  3. नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र में, नाभिकीय ईंधन का एक बार निवेश करने के उपरान्त काफी समय तक उससे ऊर्जा प्राप्त की जाती है।

पृष्ठ 285 II.

प्रश्न 1.
क्या कोई ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
नहीं, कोई ऊर्जा स्रोत ऐसा नहीं है जो प्रदूषण मुक्त हो। उदाहरणस्वरूप, जल विद्युत संयंत्र से जल प्रदूषित होता है। तापीय विद्युत गृह में कोयला जलाकर भाप उत्पन्न की जाती है, जिससे कि वायु प्रदूषित होती है। इसी प्रकार नाभिकीय विद्युत गृहों का कचरा हानिकारक विकिरणों का उत्पादन करते हैं। केवल सौर सेल विद्युत ऊर्जा का उत्पादन करते समय किसी प्रकार का प्रदूषण उत्पन्न नहीं करते हैं, परन्तु इनके निर्माण के समय प्रदूषण उत्पन्न होता है। इस प्रकार कोई स्रोत ऊर्जा उत्पन्न करते समय प्रदूषण उत्पन्न करता है तो किसी स्रोत के निर्माण के समय प्रदूषण उत्पन्न होता है। इस प्रकार कोई भी ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त नहीं होता है।

प्रश्न 2.
रॉकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता रहा है। क्या आप इसे CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते हैं? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
हाइड्रोजन CNG की अपेक्षा एक स्वच्छ ईंधन माना जाता है क्योंकि CNG में हाइड्रोकार्बन होता है। इसमें उपस्थित कार्बन प्रदूषक के रूप में होती है जो CNG के जलने पर CO2 का निर्माण करती है। जबकि हाइड्रोजन के संलयन से किसी भी तरह के अपशिष्ट नहीं बनते हैं। इसलिए रॉकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता है।

पृष्ठ 286.

प्रश्न 1.
ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर:
दो नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत हैं।
(a) पवन ऊर्जा।
(b) जल ऊर्जा।

(a) पवन ऊर्जा – पवन ऊर्जा तीव्र गति से बहने वाली वायु से प्राप्त करते हैं। वायु में यह गति सूर्य के विकिरणों द्वारा भूखण्डों तथा जलाशयों के असमान तप्त होने के कारण उत्पन्न होती है। चूंकि भूखण्ड और जलाशयों का तप्त होना सूर्य पर निर्भर है। इस कारण से यह ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है।

(b) जल ऊर्जा – बहते जल में उपस्थित ऊर्जा को जल ऊर्जा कहते हैं। बहते हुए जल की ऊर्जा भी सौर ऊर्जा का स्रोत है, क्योंकि सूर्य की ऊष्मा से बादल तथा बादल से वर्षा होती है। इसलिए बहते हुए जल को ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत मान लिया गया है।

प्रश्न 2.
ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप समाप्य मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर:
कोयला तथा पेट्रोलियम, ऊर्जा के समाप्य स्रोत हैं, क्योंकि कोयला तथा पेट्रोल की उत्पत्ति करोड़ों वर्ष पूर्व वनस्पति तथा जीवों के पृथ्वी में दब जाने के फलस्वरूप हुई है। इनकी मात्रा सीमित है तथा यह जल्दी ही समाप्त हो जायेंगे। अतः ये दोनों ऊर्जा के समाप्य स्रोत हैं।

RBSE Class 10 Science Chapter 14 उर्जा के स्रोत Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
गर्म जल प्राप्त करने के लिए हम सौर जल तापक का उपयोग किस दिन नहीं कर सकते।
(a) धूप वाले दिन
(b) बादलों वाले दिन
(c) गरम दिन
(d) पवनों (वायु) वाले दिन
उत्तर:
(b) बादलों वाले दिन।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन जैव मात्रा ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है।
(a) लकड़ी
(b) गोबर गैस
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d) कोयला
उत्तर:
(c) नाभिकीय ऊर्जा।

प्रश्न 3.
जितने ऊर्जा स्रोत हम उपयोग में लाते हैं, उनमें से अधिकांश सौर ऊर्जा को निरूपित करते हैं। निम्नलिखित में से कौन – सा ऊर्जा स्रोत अंततः सौर ऊर्जा से व्युत्पन्न नहीं है।
(a) भूतापीय ऊर्जा।
(b) पवन ऊर्जा।
(c) नाभिकीय ऊर्जा।
(d) जैव मात्रा।
उत्तर:
(c) नाभिकीय ऊर्जा ।

प्रश्न 4.
ऊर्जा स्रोत के रूप में जीवाश्मी ईंधनों तथा सूर्य की तुलना कीजिए और उनमें अन्तर लिखिए।
उत्तर:

जीवाश्मी ईंधन सूर्य/सौर ऊर्जा
1. अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। 1. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है।
2. इससे किसी भी समय ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। 2. ऊर्जा तभी प्राप्त की जा सकती है जब सूर्य चमकता है।
3. प्रदूषण उत्पन्न करता है। 3. प्रदूषण रहित है।
4. इनका भण्डार सीमित है। 4. इसका असीमित भण्डार है।
5. इनसे ऊर्जा कहीं भी प्राप्त की जा सकती है। 5. इससे ऊर्जा प्राप्त करना वहीं लाभदायक है जहाँ वर्ष के अधिकांश दिनों में सूर्य चमकता हो।

प्रश्न 5.
जैव मात्रा तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैद्युत की तुलना कीजिए और उनमें अन्तर लिखिए।
उत्तर:

जैव मात्रा जल विद्युत
1. जैव मात्रा से प्राप्त ऊर्जा को जलाने से प्रदूषण होता है। 1. जल विद्युत से प्रदूषण नहीं होता है।
2. जैव मात्रा (Bio-mass) से ऊर्जा उसे प्रत्यक्ष रूप में जलाकर अथवा गोबर गैस संयंत्र से प्राप्त की जा सकती है। 2. जल विद्युत ऊर्जा बहुमूल्य बाँध की रचना करके प्राप्त की जा सकती है।
3. जैव मान्रा नवीकरणीय एवं परंपरागत ऊर्जा स्रोत है। 3. जल विद्युत भी नवीकरणीय एवं परम्परागत ऊर्जा स्रोत है।
4. जैव मात्रा का प्रयोग पारिस्थितिकीय असंतुलन उत्पन्न नहीं करता है। 4. जल विद्युत के लिए बाँध बनाने पर पारिस्थितिकीय असंतुलन उत्पन्न होता है।
5. जैव मात्रा सस्ता ऊर्जा स्रोत है। 5. जल विद्युत अपेक्षाकृत महाँगा ऊर्जा स्रोत है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित से ऊर्जा निष्कर्षित करने की सीमाएँ लिखिए।
(a) पवनें
(b) तरंगें
(c) ज्वार – भाटा
उत्तर:
(a) पवन ऊर्जा की सीमायें।

  1. पवन ऊर्जा फार्म केवल उन्हीं क्षेत्रों में स्थापित किए जा सकते हैं, जहाँ वर्ष के अधिकांश दिनों में तीव्र पवन चलती हों। टरबाइन की आवश्यक चाल को बनाये रखने के लिए पवन की चाल भी 15 km / h से अधिक होनी चाहिए।
  2. ऊर्जा फार्म स्थापित करने के लिए एक विशाल भूखण्ड की आवश्यकता होती है। IMW के जनित्र के लिए पवन फार्म को लगभग 2 हेक्टेयर भूमि चाहिए।
  3.  पवन – चक्कियों के दृढ़ आधार तथा पंखुड़ियाँ वायुमण्डल में खुले होने के कारण अंधड़, चक्रवात, धूप, वर्षा आदि को सहन करते हैं। अतः उनके लिए उच्च स्तर के रखरखाव की आवश्यकता होती है।

(b) तरंग ऊर्जा की सीमाएँ।

  1. तरंग हर समय विद्युत उत्पादन के लिए उपलब्ध नहीं होती है।
  2. तरंग ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने हेतु उपकरण स्थापित करना महँगा होता है।
  3.  समुद्रतल पर जल तरंगें तीव्र वेग से चलने वाली समुद्री हवाओं के कारण उत्पन्न होती हैं। केवल कुछ ही स्थानों पर ये तरंगें इतनी शक्तिशाली होती हैं कि उनसे सम्बद्ध ऊर्जा का दोहन किया जा सके।

(c) ज्वार ऊर्जा (ज्वार – भाटा) की सीमाएँ।

  1. ज्वार ऊर्जा हेतु बाँध बनाने के लिए उपयुक्त स्थान बहुत सीमित है।
  2. ज्वार ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने के लिए बाँध बनाना अधिक खर्चीला होता है।

प्रश्न 7.
ऊर्जा स्रोतों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में किस आधार पर करेंगे।
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय।
(b) समाप्य तथा अक्षय। क्या
(a) तथा
(b) के विकल्प समान हैं?
उत्तर:
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत – ऊर्जा के नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत वें हैं जो प्रकृति से निरन्तर प्राप्त होते रहते.हैं। जैसे – जल ऊर्जा, पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा आदि। ये स्रोत बार – बार उपयोग किए जा सकते हैं, लेकिन वे ऊर्जा स्रोत, जिनके भण्डार सीमित हैं और जिनके पुनःस्थापित होने में लाखों वर्ष लगते हैं, उन्हें अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहते हैं। जैसे-कोयला और पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस आदि।

(b) समाप्य तथा अक्षय ऊर्जा स्रोत – ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत जैसे – पवन, जल और सौर ऊर्जा का उपयोग बारबार और लम्बे समय तक किया जा सकता है, अतः ये असमाप्य अथवा अक्षय ऊर्जा स्रोत हैं। इसके विपरीत यदि कोई ऊर्जा स्रोत निश्चित समय तक ऊर्जा प्रदान करने के बाद समाप्त हो जाए तथा उसे पुनः प्राप्त न किया जा सके, तो उसे समाप्य ऊर्जा स्रोत कहते हैं।

उदाहरण के लिए – जीवाश्म ईंधन:
उपर्युक्त तथ्य के आधार पर हम कह सकते हैं कि (a) और (b) के विकल्प समान हैं।

प्रश्न 8.
ऊर्जा के आदर्श स्रोत में क्या गुण होते हैं?
उत्तर:
ऊर्जा के आदर्श स्रोत में निम्न गुण होने चाहिए।

  1. प्रति एकांक आयतन अथवा प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करें।
  2.  सरलता से सलभ हो सके।
  3.  भण्डारण तथा परिवहन में आसान हो।
  4. वह सस्ता होना चाहिए।

प्रश्न 9.
सौर कुकर का उपयोग करने के क्या लाभ तथा हानियाँ हैं? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है?
उत्तर:
सौर कुकर के लाभ।

  1. सौर कुकर के द्वारा भोजन बनाने के व्यय बहुत ही कम हैं; क्योंकि धन केवल कुकर को खरीदने में ही व्यय किया जाता है।
  2.  इसमें किसी प्रकार का ईंधन न जलने के कारण इससे किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता। सौर कुकर से हानियाँ
  3.  यह रात्रि में, बरसात में तथा बादल वाले दिनों में काम नहीं करते।
  4.  कम समय में भोजन नहीं बनाया जा सकता है; क्योंकि सौर कुकर भोजन बनाने में अधिक समय लेता है।
  5.  परावर्तक दर्पण की दिशा बार – बार बदलनी पड़ती है, जिससे वह सूर्य के समक्ष ही बना रहे।
  6. सौर कुकर के सीमित उपयोगिता वाले क्षेत्र – हाँ, कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ पर सौर कुकर की सीमित उपयोगिता है।

उदाहरण के लिए: ध्रुवों पर जहाँ पर सूर्य आधे वर्ष तक नहीं दिखाई देता है वहाँ सौर कुकर का उपयोग सीमित है। पहाड़ी क्षेत्रों में जहाँ सूर्य की किरणें कुछ समय के लिए और काफी तिरछी पड़ती हैं वहाँ सौर कुकर का उपयोग बहुत कठिन है। इसी प्रकार अधिकांश समय बादल छाये रहने वाले स्थानों में भी इसका प्रयोग सीमित है।

प्रश्न 10.
ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए।
उत्तर:
ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम – ऊर्जा की माँग जनसंख्या वृद्धि के साथ निरन्तर बढ़ती जा रही है। ऊर्जा किसी भी स्रोत से प्राप्त की जा रही हो, उसका पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव अवश्य ही पड़ता है। सामान्यतः ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम निम्न प्रकार से हैं।

  1. ऊर्जा की बढ़ती माँग के कारण ऊर्जा के स्रोतों का अधिक मात्रा में दोहन किया जा रहा है, जो पर्यावरण में असन्तुलन पैदा करता है।
  2. LPG तथा CNG जिन्हें साफ – सुथरा ईंधन माना जाता है, उनके भी निष्कर्षण तथा परिवहन से पर्यावरण प्रदूषित होता है।
  3. जीवाश्मीय ईंधनों को जलाने पर ये वायु प्रदूषण फैलाते हैं, जिस कारण पृथ्वी का तापमान तेजी से बढ़ रहा है।
  4. सौर – सेल जैसी युक्तियों का वास्तविक उपयोग प्रदूषण मुक्त हो सकता है परन्तु इन युक्तियों के संयोजन में पर्यावरणीय क्षति होती है।

इस प्रकार स्पष्ट है कि ऊर्जा की बढ़ती माँग पर्यावरण संतुलन को बिगाड़ रही है। ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय।

  1. ऊर्जा के दुरुपयोग को यथासम्भव रोकना चाहिए।
  2. कम विद्युत खपत वाली तकनीकी के उपकरण काम में लेने चाहिए।
  3. ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग करके भी ऊर्जा की खपत को कम किया जा सकता है।

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