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RBSE Class 10 Science Solutions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

RBSE Class 10 Science Solutions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

पाठ सार एवं पारिभाषिक शब्दावली (SUMMARY OF THE CHAPTER AND GLOSSARY)

1. अपररूप (Allotropes) –किसी तत्व के वे भिन्न-भिन्न रूप जिनके रासायनिक गुणधर्म एक समान होते हैं जबकि भौतिक गुणधर्म भिन्न होते हैं, अपररूप कहलाते हैं। उदाहरण-कार्बन के दो अपररूप होते हैं, जैसे-हीरा एवं ग्रेफाइट |
2. सहसंयोजक आबन्ध (Covalent Bond)- सहसंयोजक आबन्ध इलेक्ट्रॉनों के साझे के द्वारा बनते हैं। कार्बन के यौगिक बहुत बड़ी संख्या में पाये जाते हैं इसका कारण सहसंयोजी आबन्ध है। यह आबन्ध दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन युग्म की सहभागिता के कारण बनता है।
3. संतृप्त यौगिक (Saturated Compound)–कार्बन परमाणुओं के मध्य जब केवल एकल बन्ध ही उपस्थित होते हैं, तो ऐसे यौगिकों को संतृप्त यौगिक कहते हैं। संतृप्त हाइड्रोकार्बनों को ऐल्केन (alkane) कहते हैं।
4. असंतृप्त यौगिक (Unsaturated Compounds) — ऐसे यौगिक जिनमें कार्बन परमाणुओं के मध्य द्वि या त्रि-बन्ध पाये जाते हैं, असंतृप्त यौगिक कहलाते हैं। असंतृप्त हाइड्रोकार्बनों में द्विबन्ध वाले यौगिक एल्कीन (Alkene) जबकि त्रि-बन्ध वाले यौगिक एल्काइन (Alkyne) कहलाते हैं ।
5. संरचनात्मक यौगिक (Structural Compounds) – एक समान रासायनिक सूत्र परन्तु विभिन्न संरचनाओं वाले यौगिकों को संरचनात्मक यौगिक कहते हैं ।
6. ताप भंजन (Thermal Cracking) — बहुत अधिक संख्या वाले कार्बन परमाणु युक्त किसी ऐल्केन को गर्म करने पर उसके अणु टूटकर निम्नतर हाइड्रोकार्बन बनाते हैं जिनके अणुओं में कार्बन परमाणुओं की संख्या कम होती है। इस प्रक्रिया को ताप भंजन (Thermal Cracking) कहते हैं ।
7. उत्प्रेरक भंजन (Catalytic Cracking)– यदि ताप भंजन की प्रक्रिया उत्प्रेरक की उपस्थिति में की जाती है तो इसे उत्प्रेरक भंजन (Catalytic Cracking) कहते हैं ।
8. क्रियात्मक समूह (Functional Group) – किसी कार्बनिक यौगिक में उपस्थित वह समूह जो यौगिक के गुणों का | निर्धारण करता है तथा जो किसी यौगिक में हाइड्रोजन को प्रतिस्थापित करने पर लगता है, क्रियात्मक समूह या प्रकार्यात्मक समूह या अभिलक्षणीय समूह कहलाता है।
9. प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ (Displacement Reactions) — वे अभिक्रियाएँ जिनमें किसी यौगिक के सभी परमाणु एक-एक करके अन्य परमाणुओं से विस्थापित हों, विस्थापन या प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण बिन्दु (Some Other Important Points) ।
(i) सभी सजीव संरचनाएँ कार्बन पर आधारित हैं। भूमण्डल एवं वायुमण्डल में कार्बन की मात्रा अत्यन्त अल्प होती | है। यह क्रमश: 0.2% व 0.3% है। |
(ii) कार्बन का परमाणु क्रमांक 6 है। इसके सबसे बाहरी कक्ष में चार इलेक्ट्रॉन होते हैं। इस प्रकार कार्बन चतु:संयोजक होता है।
(iii) मीथेन (Methane) कार्बन का यौगिक है। यह बायो गैस एवं कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) का प्रमुख घटक है। यह कार्बन के सरलतम यौगिकों में से एक है।
(iv) कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, सल्फर, क्लोरीन तथा अनेक अन्य तत्वों के साथ यौगिक बनाता है।
(v) कार्बन एवं हाइड्रोजन के संतृप्त यौगिक मीथेन, एथेन, प्रोपेन, ब्यूटेन, पेन्टेन आदि हैं।
(vi) सभी हाइड्रोकार्बन ऑक्सीजन की उपस्थिति में दहन करके ताप एवं प्रकाश के साथ CO, उत्सर्जित करते हैं।
(vii) कोयला तथा पेट्रोलियम जीवाश्मी ईंधन हैं जिनका निर्माण लाखों वर्ष पूर्व विभिन्न जैविक और भू-वैज्ञानिक प्रक्रियाओं के फलस्वरूप हुआ था ।
(viii) उत्प्रेरक की उपस्थिति में अभिक्रिया प्रभावित हुए बिना एक भिन्न दर से आगे बढ़ती है।
(ix) जन्तु वसा में संतृप्त वसा युक्त अम्ल होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माने जाते हैं। असंतृप्त वसायुक्त अम्लों वाले तेल स्वास्थ्यवर्धक होते हैं ।
(x) वायु की अनुपस्थिति में लकड़ी को गर्म करने पर मेथेनॉल बनता है जो विषाक्त होता है। इसे एथेनॉल में मिलाने पर विकृत स्पिरिट बनती है जिसका उपयोग स्पिरिट लैम्पों, लकड़ी की पॉलिश करने के लिए विलायक के रूप में किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसका उपयोग विलायक के रूप में, परफ्यूम बनाने में भी होता है।
(xi) समस्त ऐल्कोहॉलों में से, एथेनॉल सबसे अधिक उपयोगी होता है। इसे एंजाइमों की उपस्थिति में शक्कर या स्टार्च के किण्वन द्वारा बनाया जाता है।
(xii) एथिल ऐल्कोहॉल, बीयर, वाइन तथा अन्य शराबों का एक घटक है। इसका उपयोग घावों तथा सिरिंजों को रोगाणु रहित करने में भी होता है ।
(xiii) एथेनोइक अम्ल को ऐसीटिक अम्ल कहते हैं। इसके 3.4% विलयन को सिरका कहते हैं।
(xiv) अम्ल एवं ऐल्कोहॉल की अभिक्रिया द्वारा एस्टर तैयार होते हैं।
(xv) साबुन के अणु सोडियम तथा पोटैशियम लवण होते हैं जो लम्बी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्ल से बनते हैं। |
(xvi) साबुन ऐसे अणु होते हैं जिसके दोनों सिरों के गुणधर्म अलग-अलग होते हैं। जल में विलयशील एक सिरे को | जलरागी (हाइड्रोफिलिक) तथा हाइड्रोकार्बन में विलयशील दूसरे सिरे को जलविरागी (हाइड्रोफोबिक) कहते | हैं।
(xvii) कठोर जल में साबुन मैग्नीशियम और कैल्सियम लवणों से अभिक्रिया करता है जिससे इस प्रकार के पानी में झाग कम बनता है। इस समस्या का समाधान अपमार्जक जो कि लम्बी कार्बोक्सिलिक अम्ल शृंखला के अमोनियम या सल्फेट लवण होते हैं, का प्रयोग करके किया जाता है। इनका उपयोग शैम्पू और डिटरजेंट आदि में होता है।
(xviii) कुछ समय पूर्व रसायनशास्त्रियों द्वारा कार्बन के यौगिकों की गणना की गई है जो लगभग 3 मिलियन है। सभी तत्वों के यौगिकों की कुल संख्या भी इससे कम है।

RBSE Class 10 Science Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक InText Questions and Answers

पृष्ठ 68.

प्रश्न 1.
CO2 सूत्र वाले कार्बन डाइऑक्साइड की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना क्या होगी?
उत्तर:
CO2 की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना निम्न प्रकार है|

प्रश्न 2.
सल्फर के आठ परमाणुओं से बने सल्फर के अणु की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना क्या होगी? (संकेत : सल्फर के आठ परमाणु एक अंगूठी के रूप में आपस में जुड़े होते हैं।)
उत्तर:
सल्फर का परमाणु क्रमांक 16 होता है।
अतः

K L M
2 8 6

सल्फर के बाहरी कक्ष में 6 इलेक्ट्रॉन हैं। अतः इसे अष्टक पूर्ण करने के लिए 2 इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है। इसलिए प्रत्येक सल्फर परमाणु दो इलेक्ट्रॉनों की सहभागिता करेगा।

पृष्ठ 76.

प्रश्न 1.
पेन्टेन के लिए आप कितने संरचनात्मक समावयवों का चित्रण कर सकते हैं?
उत्तर:
पेन्टेन का अणुसूत्र C5H12 होता है। इसके तीन संरचनात्मक समावयवों का चित्रण किया जा सकता है

प्रश्न 2.
कार्बन के दो गुणधर्म कौनसे हैं, जिनके कारण हमारे चारों ओर कार्बन यौगिकों की विशाल संख्या दिखाई देती है?
उत्तर:
कार्बन के निम्न गुणों के कारण ही कार्बन यौगिकों की संख्या अत्यधिक होती है
1. श्रृंखलन (Catenation): कार्बन में कार्बन के ही अन्य परमाणुओं के साथ बन्ध बनाने की क्षमता होती है। इस गुण को श्रृंखलन’ कहते हैं। कार्बन के परमाणु एक, द्वि या त्रि आबंध के द्वारा आपस में जुड़ सकते हैं।

2. चतुःसंयोजकता: कार्बन की संयोजकता चार होती है। अतः इसमें कार्बन के चार अन्य परमाणुओं अथवा कुछ अन्य एक संयोजक तत्वों के परमाणुओं के साथ आबंधन की क्षमता होती है। ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, क्लोरीन तथा अनेक तत्वों के साथ कार्बन के अनेक यौगिक बनते हैं।

प्रश्न 3.
साइक्लोपेन्टेन का सूत्र तथा इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना क्या होंगे?
उत्तर:
साइक्लोपेन्टेन का अणुसूत्र C5H10 होता है। इसका संरचना सूत्र तथा इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना निम्न प्रकार है

प्रश्न 4.
निम्न यौगिकों की संरचनाएँ चित्रित कीजिए
(i) एथेनॉइक अम्ल
(ii) ब्रोमोपेन्टेन
(iii) ब्यूटेनॉन क्या ब्रोमोपेन्टेन के संरचनात्मक समावयव सम्भव हैं?
उत्तर:
(i) एथेनॉइक अम्ल: CH3COOH

उत्तर:
उपरोक्त यौगिकों का नामकरण निम्न प्रकार है
(i) CH3 – CH2 – Br को एथेन से प्राप्त किया जाता है। इसका अनुलग्न Br (ब्रोमीन) है एवं इसका उपसर्ग ब्रोमो है।
इसलिए इसका नाम है – ब्रोमोएथेन।
(ii) एल्डिहाइड वर्ग है। इसका अनुलग्न al है। इसलिए यह मेथेनैल है। इसे फॉर्मेल्डिहाइड भी कहते हैं।

(iii) दिए गए यौगिक में 6 कार्बन परमाणु हैं। इसलिए यह हैक्सेन है। यौगिक असंतृप्त है और इसमें तीन बन्ध हैं तथा तीसरा बन्ध श्रृंखला में कार्बन परमाणु के पहले स्थान पर है। इसलिए यौगिक हेक्साइन (या 1 – हेक्साइन) है।

पृष्ठ 79.

प्रश्न 1.
एथेनॉल से एथेनॉइक अम्ल में परिवर्तन को ऑक्सीकरण अभिक्रिया क्यों कहते हैं?
उत्तर:
एथेनॉल से एथेनॉइक अम्ल में परिवर्तन ऑक्सीकरण अभिक्रिया है क्योंकि इस परिवर्तन में ऑक्सीजन की वृद्धि हो रही है तथा यह ऑक्सीकारक KMnO4 या K2Cr2O7 द्वारा सम्पन्न होती है तथा एथेनॉल में से हाइड्रोजन निकलती है।

प्रश्न 2.
ऑक्सीजन तथा एथाइन के मिश्रण का दहन वेल्डिंग के लिए किया जाता है। क्या आप बता सकते हैं कि एथाइन तथा वायु के मिश्रण का उपयोग क्यों नहीं किया जाता?
उत्तर:
एथाइन (C2H2) में कार्बन की प्रतिशत मात्रा अधिक होती है तथा वायु में केवल 20% ऑक्सीजन होती है। शेष नाइट्रोजन (मुख्यतः) तथा अन्य गैसें होती हैं। अतः इसमें एथाइन के पूर्ण दहन के लिए ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा नहीं है तथा वेल्डिंग के लिए उच्च ताप की आवश्यकता होती है जो एथाइन और वायु को साथ जलाने पर वेल्डिंग हेतु पर्याप्त नहीं होता है। परन्तु ऑक्सीजन व एथाइन के मिश्रण को जलाने पर पूर्ण दहन होता है तथा वेल्डिंग हेतु पर्याप्त ऊष्मा का उत्पादन होता है।

पृष्ठ 83.

प्रश्न 1.
प्रयोग द्वारा आप ऐल्कोहॉल एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल में कैसे अन्तर कर सकते हैं?
उत्तर:
प्रयोगशाला में निम्न परीक्षणों द्वारा ऐल्कोहॉल (जैसे C2H5OH) एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल (जैसे CH3COOH) में अन्तर किया जा सकता है

  1. ऐल्कोहॉल में स्प्रिट के समान गंध आती है जबकि कार्बोक्सिलिक अम्ल में तीक्ष्ण गंध आती है।
  2.  ऐल्कोहॉल, नीले लिटमस पर कोई प्रभाव नहीं डालता जबकि कार्बोक्सिलिक अम्ल, नीले लिटमस को लाल कर देता है।
  3.  ऐल्कोहॉल, NaHCO3 से क्रिया नहीं करता जबकि कार्बोक्सिलिक अम्ल NaHCO3 से क्रिया कर CO2 उत्पन्न करता है जो चूने के पानी को दूधिया कर देती है।
    CH3COOH + NaHCO3 → CH3COONa + H2O + CO2

प्रश्न 2.
ऑक्सीकारक क्या है?
उत्तर:
वे पदार्थ जिनमें अन्य पदार्थों को ऑक्सीजन देने की क्षमता होती है, ऑक्सीकारक कहलाते हैं। जैसे KMnO4 (पोटेशियम परमैंग्नेट) तथा K2Cr2O7 (पोटेशियम डाइक्रोमेट), ऑक्सीकारक पदार्थ हैं, जो ऑक्सीकरण के लिए ऑक्सीजन प्रदान करते हैं।

पृष्ठ 85.

प्रश्न 1.
क्या आप डिटरजेंट का उपयोग कर बता सकते हैं कि कोई जल कठोर है अथवा नहीं?
उत्तर:
डिटरजेंट के उपयोग से यह ज्ञात नहीं कर सकते कि जल कठोर है अथवा नहीं क्योंकि डिटरजेंट कठोर जल के साथ भी झाग उत्पन्न करता है तथा कोई अवक्षेप भी नहीं देता।

प्रश्न 2.
लोग विभिन्न प्रकार से कपड़े धोते हैं। सामान्यतः साबुन लगाने के बाद लोग कपड़े को पत्थर पर पटकते हैं, डंडे से पीटते हैं, ब्रश से रगड़ते हैं या वाशिंग मशीन में कपड़े रगड़े जाते हैं। कपड़ा साफ करने के लिए उसे रगड़ने की क्यों आवश्यकता होती है?
उत्तर:
साबुन से कपड़ा साफ करने के लिए उसे रगड़ने की आवश्यकता इसलिए पड़ती है ताकि साबुन के अणु तेल के धब्बों, मैल के कण आदि को हटाने के लिए मिसेल बना सकें। मिसेल गन्दे मैल या तेल के धब्बों को हटाने में सहायक होता है। अतः विभिन्न प्रकार से कपड़ों को रगड़ने से कपड़े पर से गंदगी के कणों को निकालने में सहायता मिलती है।

RBSE Class 10 Science Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
एथेन का आण्विक सूत्र:  C2H6 है। इसमें:
(a) 6 सहसंयोजक आबंध हैं।
(b) 7 सहसंयोजक आबंध हैं।
(c) 8 सहसंयोजक आबंध हैं।
(d) 9 सहसंयोजक आबंध हैं।
उत्तर:
(b) 7 सहसंयोजक आबंध हैं।

प्रश्न 2.
ब्यूटेनॉन चतु: कार्बन यौगिक है जिसका प्रकार्यात्मक समूह है
(a) कार्बोक्सिलिक अम्ल।
(b) ऐल्डिहाइड।
(c) कीटोन।
(d) ऐल्कोहॉल।
उत्तर:
(c) कीटोन।

प्रश्न 3.
खाना बनाते समय यदि बर्तन की तली बाहर से काली हो रही है तो इसका मतलब है कि
(a) भोजन पूरी तरह नहीं पका है।
(b) इंधन पूरी तरह से नहीं जल रहा है।
(c) ईंधन आर्द्र है।
(d) ईंधन पूरी तरह से जल रहा है।
उत्तर:
(b) ईंधन पूरी तरह से नहीं जल रहा है।

प्रश्न 4.
CH3Cl में आबंध निर्माण का उपयोग कर सहसंयोजक आबंध की प्रकृति समझाइए।
उत्तर:
कार्बन के सबसे बाहरी कोश में चार इलेक्ट्रॉन होते हैं इसलिए इसे उत्कृष्ट गैस विन्यास को प्राप्त करने के लिए इसको चार इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने या खोने की आवश्यकता होती है। परन्तु ऐसा करना कार्बन परमाणु के लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता के कारण संभव नहीं है। इसलिए कार्बन अपने अन्य परमाणुओं अथवा अन्य तत्वों के परमाणुओं के साथ संयोजकता इलेक्ट्रॉन की साझेदारी करके इस समस्या को सुलझा लेता है।

इसलिए CH3Cl में सहसंयोजी आबंध पाए जाते हैं। कार्बन को अपना अष्टक पूर्ण करने के लिए 4 इलेक्ट्रॉनों की जबकि हाइड्रोजन को उत्कृष्ट गैस विन्यास प्राप्त करने के लिए एक इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता होती है। साथ ही क्लोरीन को भी एक इलेक्ट्रान की आवश्यकता होती है। इसीलिए ये सभी इलेक्ट्रानों का साझा करते हैं जिससे कार्बन हाइड्रोजन के साथ तीन व क्लोरीन के साथ एक आबंध निम्न प्रकार से बनाता है।

CH3Cl में आबन्ध संरचना एकल सहसंयोजक प्रकार की है।

प्रश्न 5.
इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना बनाइए
(a) एथेनॉइक अम्ल
(b) H2S
(c) प्रोपेनॉन
(d)F2
उत्तर:
उपरोक्त यौगिकों की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना निम्न प्रकार से है।
(a) एथेनॉइक अम्ल: (CH3COOH)

प्रश्न 6.
समजातीय श्रेणी क्या है? उदाहरण के साथ समझाइए।
उत्तर:
समजातीय श्रेणी – कार्बनिक यौगिकों की ऐसी श्रेणी जिसमें कार्बन श्रृंखला में स्थित हाइड्रोजन को एक ही प्रकार का प्रकार्यात्मक समूह प्रतिस्थापित करता है, उसे समजातीय श्रेणी कहते हैं। इस श्रेणी के सभी सदस्यों के रासायनिक गुण समान होते हैं क्योंकि क्रियात्मक समूह समान होता है और रासायनिक गुण क्रियात्मक समूह पर निर्भर करते हैं।

उदाहरण:
उदाहरण के लिए, ऐल्केन (संतृप्त हाइड्रोकार्बन) समजातीय श्रेणी का सामान्य सूत्र CnH2n+2 होता है। इस श्रेणी के सदस्य मिथेन CH4 इथेन C2H6, प्रोपेन C3H8, ब्यूटेन C4H10, पेंटेन C5H12, हैक्सेनं C6H14आदि हैं।

प्रश्न 7.
भौतिक एवं रासायनिक गुणों के आधार पर एथेनॉल एवं एथेनॉइक अम्ल में आप कैसे अन्तर करेंगे?
उत्तर:
एथेनॉल (C2H5OH एथिल ऐल्कोहॉल) तथा एथेनॉइक अम्ल (CH3COOH एसिटिक अम्ल) में अन्तर।
(a) भौतिक गुणों के आधार पर:

  1. एथेनॉल में स्प्रिट के समान गंध आती है जबकि एथेनॉइक अम्ल में तीक्ष्ण गंध आती है।
  2. एथेनॉल का गलनांक व क्वथनांक क्रमशः 156 व 351K है जबकि शुद्ध एथेनॉइक अम्ल का गलनांक व क्वथनांक 290 तथा 391K है।

(b) रासायनिक गुणों के आधार पर:

  1. एथेनॉल द्वारा नीले लिटमस पत्र पर कोई प्रभाव नहीं होता जबकि एथेनॉइक अम्ल, नीले लिटमस को लाल कर देता है।
  2. एथेनॉल, Na2CO3 तथा NaHCO3 से कोई क्रिया नहीं करता जबकि एथेनॉइक अम्ल इनसे क्रिया करके लवण, CO2 एवं H2O बनाता है।

प्रश्न 8.
जब साबुन को जल में डाला जाता है तो मिसेल का निर्माण क्यों होता है? क्या एथेनॉल जैसे दूसरे विलायकों में भी मिसेल का निर्माण होगा?
उत्तर:
जब साबुन को जल में डाला जाता है, तो उसके अणु के दो सिरे दो भिन्न गुणधर्मों को प्रदर्शित करते हैं । जल में विलयशील हाइड्रोफिलिक (जलरागी) और हाइड्रोकार्बन में विलयशील हाइड्रोफोबिक (जल विरागी) यह जल में घुलनशील नहीं होते । पानी में डालने पर साबुन का आयनिक सिरा जल के अन्दर होता है जबकि हाइड्रोकार्बन पूंछ (दूसरा सिरा) जल के बाहर होता है।

जल के अन्दर इन अणुओं की एक विशेष व्यवस्था होती है, जिससे इसका हाइड्रोकार्बन सिरा जल के बाहर बना होता है। ऐसा अणुओं का बड़ा गुच्छा बनने के कारण होता है; जिसमें हाइड्रोफोबिक पूंछ गुच्छे के आंतरिक हिस्से में होती है जबकि उसका आयनिक सिरा गुच्छे की सतह पर होता है। इस संरचना को मिसेल कहते हैं। मिसेल के रूप में साबुन स्वच्छ करने में सक्षम होता है क्योंकि तैलीय मैल मिसेल के केन्द्र में एकत्र हो जाते हैं।  साबुन एथेनॉल जैसे दूसरे विलायकों में घुल जाता है, इसलिए मिसेल का निर्माण नहीं करता है।

प्रश्न 9.
कार्बन एवं उसके यौगिकों का उपयोग अधिकतर अनुप्रयोगों में ईंधन के रूप में क्यों किया जाता है?
उत्तर:
कार्बन एवं उसके यौगिकों का उपयोग ईंधन के रूप में करने के निम्नलिखित कारण हैं।

  1. जब कार्बन एवं उसके यौगिकों को अधिक वायु या ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलाया जाता है, तो बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा ऊर्जा और प्रकाश की उत्पत्ति होती है।
  2. इन्हें एक बार जला दिए जाने के बाद ये निरन्तर जलते रहते हैं। इन्हें अधिक ऊष्मा ऊर्जा प्रदान करने की आवश्यकता नहीं होती।
  3. इनका कैलोरी मान उच्च होता है।

प्रश्न 10.
कठोर जल को साबुन से उपचारित करने पर झाग के निर्माण को समझाइए।
उत्तर:
कठोर जल को साबुन से उपचारित करने पर झाग मुश्किल से बनते हैं क्योंकि साबुन कठोर जल में उपस्थित कैल्सियम एवं मैग्नीशियम लवणों से अभिक्रिया करके अविलेय लवण बनाता है। इस अविलेय लवण को स्कम (Scum) कहते हैं। इस स्थिति में झाग उत्पन्न करने के लिए अधिक मात्रा में साबुन का उपयोग करना पड़ता है।

प्रश्न 11.
यदि आप लिटमस पत्र (लाल एवं नीला) से साबुन की जाँच करें तो आपका प्रेक्षण क्या होगा?
उत्तर:
साबुन का विलयन क्षारीय होता है क्योंकि यह दुर्बल अम्ल एवं प्रबल क्षार का लवण है। अतः यह लाल लिटमस को नीला कर देगा। नीले लिटमस पर कोई प्रभाव नहीं होगा।

प्रश्न 12.
हाइड्रोजनीकरण क्या है? इसका औद्योगिक अनुप्रयोग क्या है?
उत्तर:
हाइड्रोजनीकरण (Hydrogenation):
पैलेडियम (Pd) या निकल (Ni) उत्प्रेरक की उपस्थिति में असंतृप्त हाइड्रोकार्बन में हाइड्रोजन जोड़ने पर संतृप्त हाइड्रोकार्बन बनता है। इस अभिक्रिया को हाइड्रोजनीकरण कहते हैं।

प्रश्न 14.
संतृप्त एवं असंतृप्त कार्बन के बीच रासायनिक अन्तर समझने के लिए एक परीक्षण बताइए।
उत्तर:
मक्खन में संतृप्त वसा अम्ल होते हैं जबकि खाना बनाने वाले तेल में असंतृप्त वसा अम्ल होते हैं। ब्रोमीन विलयन द्वारा कार्बनिक यौगिकों में असंतृप्तता का परीक्षण किया जा सकता है। एक परखनली में 2 मिली. तेल तथा दूसरी परखनली में 2 मिली. पिघला हुआ मक्खन लेते हैं। अब दोनों परखनलियों में कुछ बूंदें ब्रोमीन जल की मिलाते हैं तो ब्रोमीन विलयन का नारंगी रंग, तेल द्वारा गायब हो जाता है जबकि मक्खन द्वारा नहीं होगा। इससे दोनों में अन्तर हो जाता है।

प्रश्न 15.
साबुन की सफाई प्रक्रिया की क्रियाविधि समझाइए।
उत्तर:
साबुन द्वारा सफाई प्रक्रिया की क्रियाविधि:
साबुन सफाई करने की विशेष प्रणाली पर आधारित होते हैं। इसके अणु ऐसे होते हैं, जिनके दोनों सिरों के विभिन्न गुणधर्म होते हैं। जल में विलेय एक सिरे को जलरागी (हाइड्रोफिलिक) कहते हैं। हाइड्रोकार्बन में विलयशील सिरे को जलविरागी (हाइड्रोफोबिक) कहते हैं। जब साबुन जल की सतह पर होता है तब इसके अणु अपने को इस प्रकार व्यवस्थित कर लेते हैं कि इसका आयनिक सिरा जल के अन्दर होता है जबकि हाइड्रोकार्बन पूंछ (दूसरा सिरा) जल के बाहर होती है।

जल के अन्दर इन अणुओं की एक विशेष व्यवस्था होती है, जिससे इसका हाइड्रोकार्बन सिरा जल के बाहर होता है। ऐसा अणुओं का बड़ा समूह (कलस्टर) या गुच्छा बनने के कारण होता है, जिसमें जलविरागी पूंछ समूह के आंतरिक हिस्से में होती है, जबकि उसका आयनिक सिरा गुच्छे की सतह पर होता है। इस संरचना को ‘मिसेल’ कहते हैं । मिसेल के रूप में साबुन सफाई करने में सक्षम होता है क्योंकि तैलीय मैल मिसेल के केन्द्र में एकत्र हो जाते हैं | मिसेल विलयन में कोलॉइड के रूप में बने रहते हैं तथा आयन-आयन विकर्षण के कारण वे अवक्षेपित नहीं होते। इस प्रकार मिसेल में तैरते मैल आसानी से हटाए जा सकते हैं।

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