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RBSE Class 10 Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

RBSE Class 10 Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

पाठ सार एवं पारिभाषिक शब्दावली (SUMMARY OF THE CHAPTER AND GLOSSARY)

1. नियन्त्रण (Control)– पर्यावरण की अनुक्रिया के प्रति उत्पन्न गति को विशिष्टीकृत तंत्रिका तंत्र द्वारा नियन्त्रित करने की प्रक्रिया नियन्त्रण कहलाती है।
2. समन्वयन (Co-ordination) – उद्दीपक के प्रति उचित प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के लिए किसी जीव के विभिन्न अंगों का परस्पर सुसंगठित ढंग से कार्य करना, समन्वयन कहलाता है।
3. उद्दीपक (Stimulent)– वातावरण में परिवर्तन जिनके प्रति जीव प्रतिक्रिया दिखाते हैं और सक्रिय रहते हैं, उद्दीपक कहलाते हैं। उद्दीपक के प्रति जीवों की अनुक्रिया (Response) प्राय: उनके शरीर – अंग की किसी गति के रूप में होती है।
4. तंत्रिका तंत्र (Nervous System) — जन्तुओं के शरीर में तंत्रिकाओं का एक सघन जाल बिछा रहता है जो उद्दीपकों को ग्रहण करने तथा उनके प्रति अनुक्रिया करने की क्रियाओं का संचालन करता है, यह तंत्रिका तंत्र कहलाता है।
5. तंत्रिका कोशिका (Neuron) – तंत्रिका तंत्र की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई (unit) को तंत्रिका कोशिका अथवा न्यूरॉन कहते हैं ।
6. तंत्रिका कोशिका के तीन भाग होते हैं – कोशिका काय (Cell body), द्रुमिकाएँ (Dendrites) तथा एक्सॉन (Axon)।
7. कशेरुकी (मानव सहित) जैसे उच्चतर प्राणियों में नियन्त्रण तथा समन्वयन तंत्रिका तंत्र के साथ-साथ अन्त:स्रावी तंत्र नामक हॉर्मोनी तंत्र के द्वारा होता है ।
8. हमारे शरीर में पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ हैं- आँख, कान, नाक, जीभ तथा त्वचा । इनके द्वारा हम अपने चारों ओर के वातावरण से विभिन्न प्रकार की सूचनाएँ प्राप्त करते हैं ।
9. संवेदनग्राही (Effectors) शरीर का एक अंग होता है जो तंत्रिका तंत्र से भेजी गयी सूचनाओं के अनुसार उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया दर्शाता है। संवेदनग्राही मुख्यतः हमारे शरीर की पेशियाँ और ग्रन्थियाँ होती हैं।
10. शरीर के किसी भाग से सूचना एक तंत्रिका कोशिका के द्रुमाकृतिक (dendroite) सिरे द्वारा उपार्जित की जाती है।
11. तंत्रिका कोशिकाएँ निम्नलिखित तीन प्रकार की होती हैं –
(i) संवेदी तंत्रि कोशिकाएँ (Sensory Neurons) – ये आवेगों को संवेदी कोशिकाओं से केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र की ओर प्रेषित करती हैं ।
(ii) प्रेरक तंत्रि कोशिकाएँ (Motor Neurons) – ये आवेगों को केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र से पेशी कोशिकाओं की ओर प्रेषित करती हैं।
(iii) प्रसारण तंत्रि कोशिकाएँ (Relay Neurons) – ये केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र में पायी जाती हैं और दूसरी तंत्रि कोशिकाओं के बीच कड़ी का कार्य करती हैं ।
12. तंत्रिका आवेग (Nerve Impulse ) – तंत्रिका कोशिकाओं द्वारा रासायनिक या विद्युत् संकेतों का प्रसारण तंत्रिका आवेग कहलाता है।
13. युग्मानुबन्धन (Synaps) – वह सम्पर्क बिन्दु जो एक न्यूरॉन के एक्सॉन की अन्य शाखाओं एवं दूसरे न्यूरॉन के डेंड्राइटों के बीच बनता है, युग्मानुबन्धन कहलाता है।
14. प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Action) – तंत्रिका तंत्र में अनुक्रिया या प्रतिक्रिया का सबसे सरल रूप प्रतिवर्ती क्रिया है, | और यह वह क्रिया है जिसे हम यन्त्रवत् करते हैं। गर्म प्लेट छू जाने पर हमारे हाथ का दूर हटना प्रतिवर्ती क्रिया का एक उदाहरण है।
15. तंत्रिका तंत्र के मुख्यतः दो भाग होते हैं। केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र तथा परिधीय तंत्रिका तंत्र।
(i) केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) – मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु से बना तंत्रिका तंत्र केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र कहलाता है।
(ii) परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System) – मस्तिष्क से निकलने वाली कपाल तंत्रिकाओं तथा मेरुरज्जु से निकलने वाली मेरु तंत्रिकाओं से बना तंत्रिका तंत्र परिधीय तंत्रिका तंत्र कहलाता है।
16. परिधीय तंत्रिका तंत्र को पुनः दो भागों में बाँटा जा सकता है-स्वायत्त तंत्रिका तंत्र तथा ऐच्छिक तंत्रिका तंत्र।
(i) स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (Autonomic Nervous System) – स्वतः संचालित होने वाले तंत्रिका तंत्र को स्वायत्त तंत्रिका तंत्र कहते हैं ।
(ii) ऐच्छिक तंत्रिका तंत्र (Voluntary Nervous System) – ऐच्छिक क्रियाएँ जो मस्तिष्क के सचेतन द्वारा नियन्त्रण में होती हैं, के संचालन को ऐच्छिक तंत्रिका तंत्र कहते हैं।
17. मस्तिष्क (Brain) – शरीर में मस्तिष्क सर्वश्रेष्ठ समन्वयकारी केन्द्र है। मस्तिष्क कपाल गुहा (Cranial cavity) में बन्द होता है। मस्तिष्क तीन झिल्लियों से घिरा होता है जिन्हें मस्तिष्कावरण (Meninges) कहते हैं।
18. मस्तिष्क मुख्यतः तीन भागों में विभाजित होता है
(i) अग्र मस्तिष्क (Fore brain) – यह प्रमस्तिष्क (Cerebrum) का बना होता है। –
(ii) मध्य मस्तिष्क (Mid brain) – इसमें कोई विभाजन नहीं होता है ।
(iii) पश्च मस्तिष्क (Hind brain) – यह पॉन्स (Pons), अनुमस्तिष्क (Cerebellum) तथा मेड्यूला (Medulla) नामक तीन केन्द्रों का बना होता है ।
19. शरीर की सभी ऐच्छिक क्रियाएँ प्रमस्तिष्क द्वारा सम्पादित की जाती हैं ।
20. मध्य मस्तिष्क दृष्टि एवं श्रवण उद्दीपनों के प्रति अनुक्रिया करते हैं।
21. पॉन्स (Pons) श्वसन को नियन्त्रित करते हैं ।
22. अनुमस्तिष्क (Cerebellum) शरीर के आसन को स्थिर बनाये रखता है।
23. मेड्यूला (Medulla) विभिन्न अनैच्छिक क्रियाओं का नियन्त्रण करता है।
24. पादप गति (Plant Movement)-पौधे या इसके किसी भाग में किसी उद्दीपन के प्रति होने वाली गति पादप गति कहलाती है।
25. अनुवर्तन (Tropism)- किसी बाहरी उद्दीपक के प्रति अनुक्रिया में पौधे के किसी भाग की गति जिसमें उद्दीपन की दिशा अनुक्रिया की दिशा को निर्धारित करती है, अनुवर्तन कहलाता है।
26. गुरुत्वानुवर्तन (Geotropism) – पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण पौधों की जड़ों का पृथ्वी की ओर बढ़ना गुरुत्वानुवर्तन कहलाता है। ।
27. प्रकाशानुवर्तन (Phototropism)- पौधों की प्रकाश की दिशा में गति को प्रकाशानुवर्तन कहते हैं।
28. अनुकुंचन (Nastics)- किसी बाहरी उद्दीपक के प्रति अनुक्रिया में पौधे के अंग की गति जिसमें उद्दीपक की दिशा द्वारा अनुक्रिया की दिशा निर्धारित नहीं होती, अनुकुंचनी गति कहलाती है और इस घटना को अनुकुंचन कहते हैं।
29. स्पर्शानुकुंचन (Thigmonasty) – किसी वस्तु के स्पर्श के प्रति अनुक्रिया में पौधे के भाग की गति स्पर्शानुकुंचन कहलाती है।
30. प्रकाशानुकुंचन (Photonasty) – प्रकाश की अनुक्रिया में पौधे के अंग की अदिशात्मक गति प्रकाशानुकुंचन कहलाती है।
31. पौधे हॉर्मोन्स के द्वारा वातावरण के परिवर्तनों के प्रति अपने व्यवहार को समन्वित करते हैं।
32. पादप हॉर्मोन (Plant Hormones) – ये विशेष प्रकार के कार्बनिक पदार्थ हैं, जो पौधों के विभिन्न भागों से स्रावित होकर उनकी विभिन्न क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। पादप हॉर्मोन प्रमुखतः पाँच प्रकार के होते हैं-
(i) ऑक्सिन्स (Auxins) – यह पौधों में कोशिका विवर्धन तथा कोशिका विभेदन को प्रोत्साहित करते हैं।
(ii) जिबरेलिन्स (Gibberellins) – यह ऑक्सिन की उपस्थिति में कोशिका विवर्धन और कोशिका विभेदन को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ बीजों तथा नलिकाओं में प्रसुप्ति विच्छेद में सहायता करता है।
(iii) सायटोकायनिन्स (Cytokinins)- यह कोशिका विभाजन को उत्प्रेरित तथा काल प्रभावन को रोकता है।
(iv) एब्सिसिक अम्ल (Abscisic Acid) – यह बीजों तथा कलियों में प्रसुप्ति बढ़ाता है। यह रन्ध्रों को बन्द करने में भी सहायक होता है ।
33. इथाइलीन (Ethyline) – यह फलों के पकाने में सहायक गैसीय हॉर्मोन है ।
34. फाइटोक्रोम (Phytochrome) – पादपों के वे विशेष वर्णक जो दीप्तिकाल उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया करते हैं, उन्हें फाइटोक्रोम कहते हैं । ।
35. बसन्तीकरण (Venelization)-पौधों के पुष्पन पर शीत के प्रभाव का अध्ययन बसन्तीकरण कहलाता है।
36. दीप्तिकालिता (Photoperiodism) – प्रतिदिन पौधे पर पड़ने वाले प्रकाश की अवधि के प्रति उसकी वृद्धि तथा पुष्पन में होने वाले प्रभावों को दीप्तिकालिता कहते हैं ।
37. जन्तु हार्मोन (Animal hormones)—ये रासायनिक कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से स्रावित होकर शरीर की विभिन्न क्रियाओं का नियंत्रण करते हैं।
38. अन्तःस्रावी तंत्र (Endocrine System) – अन्तःस्रावी ग्रन्थियों का एक समूह जो विभिन्न हॉर्मोनों को उत्पन्न करता है, अन्त: स्रावी तंत्र कहलाता है । –
39. मानव शरीर में उपस्थित विभिन्न अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ निम्न प्रकार हैं
(i) पीयूष ग्रन्थि,
(ii) थायरॉइड ग्रन्थि,
(iii) थाइमस ग्रन्थि,
(iv) पैराथायरॉइड ग्रन्थि,
(v) अग्न्याशय,
(vi) अण्डाशय,
 (vii) वृषण तथा
(viii) एड्रीनल ग्रन्थि ।
40. पीयूष ग्रन्थि (Pituitary gland) को मास्टर ग्रन्थि कहते हैं। इससे स्रावित हॉर्मोन विभिन्न ग्रन्थियों को अन्य हॉर्मोन्स के स्रावण की प्रेरणा देते हैं । ।
41. एड्रीनल ग्रन्थि से स्रावित हॉर्मोन को आपातकालीन हॉर्मोन कहते हैं । यह हॉर्मोन एड्रीनल है जो संकट, क्रोध, आवेश | इत्यादि आपातकालीन परिस्थितियों के दौरान हमें अत्यधिक कार्यकुशलता से कार्य करने के लिए तैयार करता है।
42. थायरॉक्सिन हॉर्मोन की कमी से घेंघा (goitre) नामक रोग उत्पन्न होता है। थायरॉइड ग्रन्थि से थायरॉक्सिन के स्राव । को बनाये रखने के लिए भोजन में आयोडीन की आवश्यकता होती है ।
43. विभिन्न ग्रन्थियों द्वारा निर्मुक्त हॉर्मोनों के सा और मात्रा को पुनर्निवेशन प्रक्रिया (Feedback mechanism) द्वारा नियन्त्रित किया जाता है जो हमारे शरीर में अन्त: रचित होती हैं ।

RBSE Class 10 Science Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय InText Questions and Answers

पृष्ठ 132.

प्रश्न 1.
प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बीच क्या अन्तर है?
उत्तर:
प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बीच अन्तर:

प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex action) टहलना (Walking)
1.यह अनैच्छिक क्रिया होती है। 1. यह ऐच्छिक क्रिया होती है |
2. इसमें मेरुरज्जु तथा मस्तिष्क दोनों भाग लेते है। 2. यह मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होती है।
3. प्रतिवर्ती क्रिया की तीव्रता (Intensity) को परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।  3. परिवर्तित किया जा सकता है।
4. यह जीवन एवं सुरक्षात्मक महत्व रखती है। 4. जीवन एवं सुरक्षात्मक महत्व के अतिरिक्त विभिन्न कार्यकरता है।

प्रश्न 2.
दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) में क्या होता है?
उत्तर:
एक्सॉन के अंत में विद्युत आवेग कुछ रसायनों का विमोचन कराता है। ये रसायन रिक्त स्थान या सिनेप्स (सिनेप्टिक दरार) को पार करते हैं और अगली तंत्रिका कोशिका की द्रुमिका में इसी तरह का विद्युत आवेग प्रारंभ करते हैं।

प्रश्न 3.
मस्तिष्क का कौनसा भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है?
उत्तर:
मस्तिष्क का अनुमस्तिष्क (Cerebellum) भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है।

प्रश्न 4.
हम अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते हैं?
उत्तर:
हम अगरबत्ती की गंध का पता नासिका में स्थित घ्राण ग्राही (Olfactory receptors) द्वारा लगाते हैं। हमारी नाक के भीतर तंत्रिकाओं के सिरों के उत्तेजन से उत्पन्न संदेश मस्तिष्क के प्रमस्तिष्क भाग तक पहुँचता है जो अगरबत्ती के गंध का ज्ञान कराता है।

प्रश्न 5.
प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है?
उत्तर:
सामान्यतया दैहिक प्रतिवर्ती क्रियाएँ मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित की जाती हैं तथापि मध्य मस्तिष्क सिर, गर्दन एवं धड़ की प्रतिवर्ती क्रियाओं का नियंत्रण करता है। पश्च मस्तिष्क का मस्तिष्क पुच्छ (medulla oblongata), हृदय स्पंदन, श्वास दर, खांसना, छींकना, लार स्रवण, रुधिर दाब, वमन, पसीना आदि क्रियाओं का नियमन करता है।

पृष्ठ 136.

प्रश्न 1.
पादप हार्मोन क्या हैं?
उत्तर:
पादप हार्मोन (Phytohormones):
पौधों में उत्पन्न विशेष प्रकार के रासायनिक पदार्थ, जो पौधों की वृद्धि, विकास एवं अनुक्रियाओं का नियमन करते हैं, पादप हार्मोन कहलाते हैं। इन्हें वृद्धि नियामक (Growth regulators) भी कहते हैं। पादपों में मुख्यतः पाँच प्रकार के हार्मोन पाए जाते हैं  ऑक्सिन, जिब्बरेलिन, साइटोकाइनिन, एब्सिसिक अम्ल तथा इथाइलीन।

प्रश्न 2.
छुई – मुई पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
छुई – मुई पादप की पत्तियों की गति एवं प्रकाश की ओर प्ररोह की गति में भिन्नता:

छुई – मुई पादप की पत्तियों की गति प्रकाश की ओर प्ररोह की गति
1. स्पर्श करने पर छुई-मुई पादप की पत्तियों में  गति होती है। 1.  प्ररोह में गति प्रकाश के उद्दीपन से होती है।
2. इस प्रकार की गति को स्पर्शानुकुंचन कहते हैं। 2. जबकि इस प्रकार की गति को प्रकाशानुवर्तन (Phototropism) कहते हैं।
3. यह उद्दीपन की दिशा पर निर्भर नहीं होती है। 3. यह उद्दीपन की दिशा पर निर्भर करता है।
4. यह कोशिकाओं में से अचानक जल निकल जाने से उत्पन्न होती है। 4. यह प्ररोह की दोनों ओर असमान वृद्धि  से उत्पन्न होती है।
5. यह वृद्धि गति नहीं है। 5. यह वृद्धि गति है।
6. यह तीव्र गति से होती है। 6. यह धीमी गति से होती है।

प्रश्न 3.
एक पादप हार्मोन का उदाहरण दीजिए जो वृद्धि को बढ़ाता है।
उत्तर:
ऑक्सिन (Auxin) एक पादप हार्मोन है जो वृद्धि को बढ़ाता है।

प्रश्न 4.
किसी सहारे के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है?
उत्तर:
प्रतान (Tendril) स्पर्श के प्रति संवेदनशील है अर्थात् स्पर्शानुवर्तन (Thigmotropism) गति प्रदर्शित करता है। जब ये किसी आधार के सम्पर्क में आता है, तो इसमें स्थित ऑक्सिन स्पर्श के दूसरी ओर विसरित हो जाता है, जिससे दूसरी ओर की कोशिकाएँ अधिक विवर्धन करने लगती हैं और प्रतान विपरीत दिशा में मुड़ जाता है। इस प्रकार प्रतान सहारे के चारों ओर कुंडलित होकर वृद्धि करता है।

प्रश्न 5.
जलानुवर्तन दर्शाने के लिए एक प्रयोग की अभिकल्पना कीजिए।
उत्तर:
1. जलानुवर्तन (Hydrotropism):
जब पौधे के किसी अंग की गति जल के उददीपन के कारण होती है तो इसे जलानुवर्तन गति कहते हैं। जड़ें नमी की ओर बढ़ती हैं, अतः इसे धनात्मक जलानुवर्ती (Positively hydrotropic) कहते हैं।

2. प्रयोग:
एक गमला लेकर, उसके नीचे के छेद में कॉर्क लगा देते हैं और गमले को पानी से भर देते हैं। अब इसे बुरादा भरे एक बड़े बर्तन में रखते हैं तथा बुरादे में गमले से कुछ दूरी पर बीज बो देते हैं। हम देखते हैं कि कॉर्क द्वारा धीरे – धीरे बुरादे में पानी जाता है, जिससे बीज अंकुरित होने लगते हैं। अंकुरित होते हुए बीज की जड़ें गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के विपरीत जल स्रोत की तरफ वृद्धि करती हैं। अतः स्पष्ट है कि जड़ें जलानुवर्तन गति प्रदर्शित करती हैं।

पृष्ठ 139.

प्रश्न 1.
जन्तुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है?
उत्तर:
जन्तुओं में रासायनिक समन्वय अन्तः स्रावी ग्रन्थियों द्वारा स्रावित हार्मोन्स द्वारा होता है। ये हार्मोन्स विशिष्ट ग्रन्थियों से स्रावित होते हैं तथा रासायनिक संदेशवाहकों के रूप में लक्ष्य कोशिकाओं में पहुँचते हैं और उनके कार्यों पर नियंत्रण एवं समन्वय करते हैं।

प्रश्न 2.
आयोडीनयुक्त नमक के उपयोग की सलाह क्यों दी जाती है?
उत्तर:
आयोडीनयुक्त नमक के उपयोग की सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि अवटु ग्रन्थि (थॉयराइड ग्रन्थि) को थायरॉक्सिन हार्मोन बनाने के लिए आयोडीन आवश्यक है। थायरॉक्सिन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के उपापचय का, हमारे शरीर में नियंत्रण करता है, ताकि वृद्धि के लिए उत्कृष्ट संतुलन उपलब्ध कराया जा सके। यदि हमारे आहार में आयोडीन की कमी होगी तो थायरॉक्सिन का संश्लेषण नहीं हो पायेगा और हम गॉयटर (Goiter) नामक रोग से ग्रसित हो जायेंगे। इस बीमारी का लक्षण फूली हुई गर्दन या बाहर की ओर उभरे हुए नेत्र – गोलक हो सकते हैं। अतः इस रोग से बचने तथा शरीर में आयोडीन की कमी को दूर करने के लिए आयोडीनयुक्त नमक के उपयोग की सलाह दी जाती है।

प्रश्न 3.
जब एड्रीनलीन रुधिर में स्रावित होती है तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है?
उत्तर:
एड्रीनलीन (Adrenaline) हार्मोन सीधा रुधिर में स्रावित होता है एवं शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचा दिया जाता है। एड्रीनलीन हृदय सहित लक्ष्य अंगों या विशिष्ट ऊतकों पर कार्य करता है। परिणामस्वरूप हृदय की धड़कन बढ़ जाती है ताकि पेशियों को अधिक O2 की आपूर्ति हो सके। पाचन तन्त्र तथा त्वचा में रुधिर की आपूर्ति कम हो जाती है क्योंकि इन अंगों की छोटी धमनियों के आसपास की पेशियाँ सिकुड़ जाती हैं। यह रुधिर की दिशा हमारी कंकाल पेशियों की ओर कर देता है। डायाफ्राम तथा पसलियों की पेशी के संकुचन से श्वसन दर भी बढ़ जाती है। ये सभी अनुक्रियाएँ मिलकर शरीर को संकट से निपटने के लिए तैयार करती हैं।

प्रश्न 4.
मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर क्यों की जाती है?
उत्तर:
इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन अग्न्याशय में होता है। यह रुधिर में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में सहायता करता है। यदि यह उचित मात्रा में स्रावित नहीं होता है तो रुधिर में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है, जिस कारण शरीर पर. अनेक हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं। इसलिए मधुमेह के कुछ रोगियों को चिकित्सक इंसुलिन का इंजेक्शन देते हैं ताकि रुधिर में शर्करा का स्तर नियंत्रित रह सके।

RBSE Class 10 Science Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा पादप हार्मोन है?
(a) इंसुलिन
(b) थायरॉक्सिन
(c) एस्ट्रोजन
(d) साइटोकाइनिन
उत्तर:
(d) साइटोकाइनिन।

प्रश्न 2. दो तंत्रिका कोशिका के मध्य खाली स्थान को कहते हैं।
(a) द्रुमिका
(b) सिनेप्स
(c) एक्सॉन
(d) आवेग
उत्तर:
(b) सिनेप्स।

प्रश्न 3.
मस्तिष्क उत्तरदायी है।
(a) सोचने के लिए
(b) हृदय स्पंदन के लिए
(c) शरीर का संतुलन बनाने के लिए
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहे हों। क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं?
उत्तर:
हमारे शरीर में बाह्य वातावरण में होने वाले विभिन्न प्रकार के उद्दीपनों को ग्रहण करने के लिए विशेष प्रकार की संरचनाएँ पाई जाती हैं, जिन्हें ग्राही अंग या संवेदी अंग या ज्ञानेन्द्रियाँ (Sense organs) कहते हैं। ग्राही अंगों द्वारा उद्दीपनों को ग्रहण करने के पश्चात् संवेदी तंत्रिकाओं द्वारा केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को पहुँचाया जाता है। हमें गंध का ज्ञान घ्राणग्राही द्वारा, स्वाद का ज्ञान स्वादग्राही द्वारा, स्पर्श का ज्ञान त्वक्ग्राही (त्वचा) द्वारा, ध्वनि तथा संतुलन का ज्ञान श्रवणोसन्तुलनग्राही द्वारा होता है।

यदि ग्राही अपना कार्य सामान्य रूप से नहीं करते हैं, तो उपर्युक्त संवेदनाओं को ग्रहण नहीं किया जा सकेगा, जिससे कभी – कभी विषम परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। जैसे-गर्म वस्तु पर हाथ लगने से यदि ताप की पीड़ा का उद्दीपन संवेदी तंत्रिकाओं द्वारा केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को नहीं मिलेगा तो हाथ जल सकता है। सामान्य स्थिति में प्रतिवर्ती क्रिया के फलस्वरूप गर्म वस्तु पर हाथ लगने पर ताप का उद्दीपन संवेदी तंत्रिका द्वारा मेरुरज्जु में पहुँचता है और चालक तंत्रिका द्वारा सम्बन्धित कार्यकारी पेशी को पहुंचा दिया जाता है। कार्यकारी पेशी में संकुचन के फलस्वरूप हाथ गर्म वस्तु से हट जाता है।

प्रश्न 5.
एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की संरचना बनाइए तथा इसके कार्यों का वर्णन कीजिए:
उत्तर:

तंत्रिका कोशिका:
यह संदेशों का संवहन करने वाली मूल इकाई है। यह विशेष रूप से लम्बी होती है। एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) के द्रुमाकृतिक सिरे द्वारा सूचनाएँ उपार्जित की जाती हैं और एक रासायनिक क्रिया द्वारा यह एक विद्युत आवेग पैदा करती है। यह आवेग द्रुमिका से कोशिकाकाय (Cyton) तक जाता है और तब तंत्रिकाक्ष (Axon) में होता हुआ इसके अन्तिम सिरे तक पहुँच जाता है। एक्सॉन के अन्त में विद्युत आवेग कुछ रसायनों का विमोचन करता है। ये रसायन रिक्त स्थान या सिनेप्स (Synapse) को पार करते हैं और अगली तंत्रिका कोशिका की द्रुमिका में इसी तरह का विद्युत आवेग प्रारम्भ करते हैं। इसी तरह का एक अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) अन्ततः ऐसे आवेगों को तंत्रिका कोशिका से अन्य कोशिकाओं, जैसे कि पेशी कोशिकाओं या ग्रन्थि तक ले जाता है।

प्रश्न 6.
पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है?
उत्तर:
प्रकाशानुवर्तन (Phototropism):
पादप प्ररोह का प्रकाश की ओर गति करना प्रकाशानुवर्तन कहलाता है। प्ररोह तंत्र का प्रकाश के प्रति धनात्मक अनुवर्तन होता है और जड़ें ऋणात्मक अनुवर्तन दर्शाती हैं। जब वृद्धि करता पादप प्रकाश को संसूचित (detect) करता है, एक हॉर्मोन जिसे ऑक्सिन कहते हैं, प्ररोह के अग्रभाग (टिप) में संश्लेषित होता है तथा कोशिकाओं की लंबाई में वृद्धि में सहायक होता है। जब पादप पर एक ओर से प्रकाश आ रहा है तब ऑक्सिन विसरित होकर प्ररोह के छाया वाले भाग में आ जाता है। प्ररोह की प्रकाश से दूर वाली दिशा (साइड) में ऑक्सिन का सान्द्रण कोशिकाओं को लंबाई में वृद्धि के लिए उद्दीपित करता हैं। अतः पादप प्रकाश की ओर मुड़ता हुआ दिखाई देता है।

प्रश्न 7.
मेरुरज्जु आघात में किन संकेतों के आने में व्यवधान होगा?
उत्तर:
मेरुरज्जु (Spinal Cord) आघात में निम्न संकेतों के आने में व्यवधान होगा:

  1. संवेदी आवेगों को मस्तिष्क की ओर ले जाने हेतु मार्ग प्रदान करने में व्यवधान होगा।
  2. प्रेरक आवेगों को मस्तिष्क से ले जाने हेतु मार्ग प्रदान करने में व्यवधान होगा।
  3. ऐसी प्रतिवर्ती क्रियाओं (Reflex actions) के नियमन व संचालन में व्यवधान होगा जिनमें मस्तिष्क सम्बन्धित नहीं होता है।

प्रश्न 8.
पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है?
उत्तर:
पादप में रासायनिक समन्वय हार्मोन द्वारा होता है। पादपों में उद्दीपित कोशिकाएँ विभिन्न हार्मोन्स का स्रवण करती हैं। विभिन्न पादप हार्मोन वृद्धि, विकास तथा पर्यावरण के प्रति अनुक्रिया के समन्वय में सहायता करते हैं | इन हार्मोन का संश्लेषण का स्थान इनके क्रिया – क्षेत्र से दूर होता है और साधारण विसरण द्वारा वे क्रिया-क्षेत्र तक पहुँच जाते हैं। उदाहरण के लिए वृद्धि हार्मोन पादप प्ररोह के शीर्ष भाग में संश्लेषित होकर विभिन्न भागों में पहुँचता है, जो कि कोशिका प्रवर्धन, शीर्ष प्रभावन, जड़ों की वृद्धि में कमी उत्पन्न करता है। इसी प्रकार साइटोकाइनिन हार्मोन कोशिका विभाजन को उत्प्रेरित करता है। एब्सिसिक अम्ल वृद्धि का संदमन करने वाला हार्मोन होता है। यह पतझड़ के मौसम में पत्तियों के गिरने की दर को बढ़ाता है। एथिलीन हार्मोन फलों को पकने में सहायता करता है।

प्रश्न 9.
एक जीव में नियन्त्रण एवं समन्वय के तंत्र की क्या आवश्यकता है?
उत्तर:
जीवधारियों का शरीर कोशिकाओं का बना होता है। ये कोशिकाएँ समूह बनाते हुए विभेदित होकर ऊतक बनाती हैं और विभिन्न ऊतक मिलकर अंग बनाते हैं। विभिन्न अंग अपना – अपना कार्य सही समय पर करते हैं ताकि वे कारगर रूप में कार्य कर सकें। अतः जरूरी है कि उन पर किसी प्रकार का नियंत्रण हो ताकि वे समन्वय के साथ कार्य कर सकें।

उदाहरण:
के लिए, जब हम खाना खाते हैं तब हमारी आँखें देखती हैं कि भोजन कहाँ रखा हुआ है, नाक भोजन की गंध का पता लगा लेती है, हमारे हाथ भोजन को उठाकर मुँह में लाते हैं और हमारे जबड़ों की पेशियाँ दाँतों की सहायता करती हैं ताकि भोजन चबाया जा सके। ये सारे क्रियाकलाप एक समन्वित विधि से होते हैं और इनमें से कोई एक क्रियाकलाप किसी कारण नहीं हो पाता तो पोषण की प्रक्रिया में व्यवधान आ जाता है। अतः जीव में नियंत्रण एवं समन्वय तंत्र की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 10.
अनैच्छिक क्रियाएँ तथा प्रतिवर्ती क्रियाएँ एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
अनैच्छिक एवं प्रतिवर्ती क्रियाओं में भिन्नता:

अनैच्छिक क्रियाएँ (Involuntary Actions) प्रतिवर्ती क्रियाएँ (Reflex Actions)
1. ये मध्य मस्तिष्क व पश्च मस्तिष्क (Autonomous nervous system) द्वारा नियंत्रित होती हैं। 1. ये क्रियाएँ मेरुरज्जु (केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र) Central  nervous system द्वारा नियंत्रित होती हैं।
2. ये अचानक नहीं होती हैं । 2. ये अचानक होती हैं।
3. कभी-कभी उद्दीपन व अनुक्रिया के बीच गेप (Gap) होती हैं । 3. ये तुरन्त होती हैं अर्थात् इनमें गेप (Gap) नहीं होता है।
4. ये अनैच्छिक पेशियों (Smooth muscles) द्वारा होती हैं। 4. ये ऐच्छिक पेशियों तथा ग्रन्थियों द्वारा होती हैं।
5. ये बाह्य प्रतिबन्धों द्वारा प्रभावित नहीं होती हैं। 5. ये प्रतिबन्धित (Conditioned) हो सकती हैं।
6. उदाहरण – हृदय की क्रिया। 6. उदाहरण – सूई चुभ जाने पर हाथ को झटके से पीछे खींचना।

प्रश्न 11.
जन्तुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तथा हार्मोन क्रियाविधि की तुलना तथा व्यतिरेक (Contrast) कीजिए।
उत्तर:
जन्तुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तथा हार्मोन क्रियाविधि की तुलना एवं व्यतिरेक निम्न प्रकार है।

तंत्रिका  क्रियाविधि हार्मोन   क्रियाविधि
1. यह केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र, परिधीय तंत्रिका तंत्र के मध्य तंत्रिकीय आवेगों से मिलकर बनती है।  1. यह अन्तःस्रावी ग्रन्थियों द्वारा स्रावित हॉर्मोन्स से होती है।
2. इसमें प्रतिक्रिया समय अत्यन्त कम होता है। 2. इसमें प्रतिक्रिया समय लम्बा होता है।
3.  तंत्रिकीय आवेग कार्य में विशिष्टीकृत नहीं होते हैं। 3. प्रत्येक हॉर्मोन का विशिष्ट कार्य होता है।
4. इसमें सूचना का प्रवाह तीव्र होता है। 4. इसमें सूचना का प्रवाह धीमी गति से होता है।
5. तंत्रिकीय आवेग का उत्पन्न होना उद्दीपन की उपस्थिति पर निर्भर करता है। 5. हॉर्मोन का स्रवण पुनर्भरण क्रियाविधि द्वारा नियंत्रित होता है।
6. इसके द्वारा वृद्धि एवं विकास का नियंत्रण अल्प होता है। 6. यह तंत्र वृद्धि एवं विकास को नियंत्रित करता है।

प्रश्न 12.
छुई – मुई पादप में गति तथा हमारी टाँग में होने वाली गति के तरीके में क्या अन्तर है?
उत्तर:
छुई – मुई पादप में गति एवं हमारी टाँग में होने वाली गति में अन्तर:

छुई – मुई पादप में गति टाँग में गति
1. छुई-मुई पादप में गति आघात करने या स्पर्श  करने के फलस्वरूप होती है। 1. टाँग में गति हमारी इच्छाशक्ति एवं आवश्यकता के अनुसार होती है।
2. इसमें सूचना स्थानान्तरण हेतु विशिष्ट ऊतक का अभाव होता है। 2. तंत्रिकाएँ भाग लेती हैं अर्थात् तंत्रिकाएँ टाँग की गति के लिए  संदेश लेकर जाती हैं।
3. यह गति पर्णवृन्ततल्प (पलवीनस) की मृदूतक कोशिकाओं के श्लथ (Flaccid) होने के कारण  होती है। 3. टाँग को मोड़ना एवं फैलाना पेशियों की सहायता से किया जाता है।
4. छुई – मुई पादप में पाई जाने वाली गति को स्पर्शानुकुंचन गति कहते हैं। 4. टाँग में होने वाली गति को ऐच्छिक गति कहते हैं।
5. पादप कोशिकाओं में गति हेतु विशिष्ट प्रोटीन पेशी नहीं होते हैं। 5. कोशिकाओं में गति हेतु विशिष्ट प्रोटीन पाये जाते हैं।

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