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RBSE Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद

RBSE Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद

पाठ सार

संघवाद क्या है?
आधुनिक लोकतंत्रों में सत्ता की साझेदारी का एक आम रूप है शासन के विभिन्न स्तरों के बीच सत्ता ऊर्ध्वाधर बँटवारा। इसे आमतौर पर संघवाद कहा जाता है। आमतौर पर संघीय व्यवस्था में दो स्तर पर सरकारें होती है इसमें एक सरकार पूरे देश के लिए होती है जिसके जिम्मे राष्ट्रीय महत्त्व के विषय होते हैं और दूसरी सरकार, राज्य या प्रांतों के स्तर की सरकारें होती हैं जिनके जिम्मे स्थानीय महत्व के विषय होते हैं। सत्ता के इन दोनों स्तरों की सरकारें अपने अपने स्तर पर स्वतंत्र होकर काम करती हैं।
संघीय व्यवस्था की विशेषताएँ
(1) यहाँ सरकार दो या अधिक स्तरों वाली होती हैं ।
( 2 ) अलग-अलग स्तर की सरकारें एक ही नागरिक समूह पर शासन करती हैं, पर कानून बनाने, कर वसूलने और प्रशासन करने का उनका अपना अपना अलग अधिकार क्षेत्र होता है ।
(3) इनके अधिकार क्षेत्र संविधान में स्पष्ट रूप से वर्णित होते हैं
(4) संविधान के मौलिक प्रावधानों को किसी एक स्तर की सरकार अकेले नहीं बदल सकती। ऐसे बदलाव दोनों स्तर की सरकारों की सहमति से ही हो सकते हैं। ।
(5) विभिन्न स्तर की सरकारों के बीच अधिकारों के विवादों को निपटाने की शक्ति सर्वोच्च न्यायालय में निहित होती है।
(6) विभिन्न स्तर की सरकारों के लिए राजस्व के अलग-अलग स्रोत निर्धारित होते हैं।
(7) संघीय शासन व्यवस्था के दोहरे उद्देश्य हैं- (i) देश की एकता की सुरक्षा करना और उसे बढ़ावा देना तथा (ii) क्षेत्रीय विविधता का पूरा सम्मान करना ।
संघीय व्यवस्था का गठन – संघीय व्यवस्था के गठन और कामकाज के लिए दो चीजें आवश्यक हैं(1) आपसी भरोसा तथा (2) सत्ता के बँटवारे के नियमों पर सहमति । संघीय शासन व्यवस्थाएँ आमतौर पर निम्नलिखित दो तरीकों से गठित होती हैं
( 1 ) केन्द्र और प्रान्तों के समान अधिकार – जहाँ अलग-अलग स्वतंत्र राज्य मिलकर एक संघीय सरकार का गठन करते हैं, वहाँ प्रायः प्रान्तों को समान अधिकार प्राप्त होते हैं तथा वे केन्द्र की तुलना में ज्यादा शक्ति लिए होते हैं। संयुक्त राज्य अमरीका, स्विट्जरलैण्ड, आस्ट्रेलिया में ऐसी ही संघीय व्यवस्था है।
( 2 ) केन्द्र के प्रान्तों से अधिक अधिकार – जहाँ एक बड़ा देश अपनी आंतरिक विविधता को ध्यान में रखते हुए राज्यों का गठन करता है और फिर राज्य सरकार और राष्ट्रीय सरकार के बीच सत्ता का बँटवारा किया जाता है। ऐसी संघीय व्यवस्था में राज्यों की तुलना में केन्द्र सरकार अधिक ताकतवर होती है। भारत, बेल्जियम और स्पेन इसके उदाहरण हैं।
भारत में संघीय व्यवस्था – (1) भारतीय संविधान ने मौलिक रूप से दो स्तरीय शासन व्यवस्था का प्रावधान किया था – (i) संघ (केन्द्र) सरकार और (ii) राज्य सरकारें । केन्द्र सरकार को पूरे भारतीय संघ का प्रतिनिधित्व करना था। बाद में पंचायतों और नगरपालिकाओं के रूप में संघीय शासन का एक तीसरा रूप भी जोड़ा गया। यहाँ तीनों स्तरों की शासन व्यवस्थाओं के लिए अपने अलग-अलग अधिकार क्षेत्र हैं ।
(2) संविधान में स्पष्ट रूप से केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच विधायी अधिकारों को तीन हिस्सों में बाँटा गया है। इन्हें तीन सूचियों— संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची–के द्वारा विभाजित किया गया है। बाकी बचे (अवशिष्ट) विषय केन्द्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में रखे गये हैं।
(3) भारतीय संघ के सारे राज्यों को भी बराबर अधिकार नहीं हैं। भारत में कुछ राज्यों को विशेष दर्जा प्राप्त है।
(4) भारत में कुछ इकाइयाँ ‘ केन्द्र शासित प्रदेश’ कहलाती हैं। ये वे छोटे क्षेत्र हैं जो अपने आकार के चलते स्वतंत्र प्रान्त नहीं बन सकते। इनको राज्यों वाले अधिकार नहीं हैं। इनका शासन चलाने का विशेष अधिकार केन्द्र सरकार को है।
(5) केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच राता का यह बैटवारा हमारे संविधान की बुनियादी बात है। इस बँटवारे में बदलाव करना आसान नहीं है।
(6) संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों के क्रिया-जगन की देखरेख में न्यायपालिका महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वह सत्ता के बँटवारे से संबंधित सरकारों के बीच के विवाद का निपटारा करती है।
(7) सरकार चलाने और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करने के लिए जरूरी राजस्व की उगाही के सम्बन्ध में केन्द्र और राज्य सरकारों को कर लगाने तथा संसाधन जमा करने का अधिकार है।
संघीय व्यवस्था कैसे चलती है?
संघीय व्यवस्था के कारगर कामकाज के लिए संवैधानिक प्रावधान जरूरी हैं, लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं है भारत में संघीय व्यवस्था की सफलता का मुख्य श्रेय संवैधानिक प्रावधानों के साथ-साथ यहाँ की लोकतांत्रिक राजनीति के चरित्र को है। भाषायी राज्यों का गठन, भाषायी नीति तथा केन्द्र राज्य सम्बन्धों में लगातार आए बदलाव ने संघीय व्यवस्था को मजबूत बनाया है । यथा
भाषायी राज्य- 1950 के दशक में देश में भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ। –
इसके बाद कुछ राज्यों का गठन भाषा के आधार पर नहीं बल्कि संस्कृति, भूगोल अथवा जातीयताओं की
विभिन्नताओं को रेखांकित करने व उन्हें आदर देने के लिए किया गया। जैसे- नागालैण्ड, उत्तराखण्ड, झारखण्ड आदि ।
भाषावार राज्य बनाने से देश अधिक एकीकृत तथा मजबूत हुआ तथा इससे प्रशासन ज्यादा सुविधाजनक हो गया। भाषायी नीति- संविधान में किसी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया। हिन्दी को राजभाषा बनाया गया तथा अन्य भाषाओं को भी अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया। राज्यों की भी अपनी राजभाषाएँ हैं। राजभाषा के रूप में अंग्रेजी के प्रयोग को भी जारी रखा गया है। राजभाषा के रूप में हिन्दी को बढ़ावा देने की केन्द्र सरकार की नीति बनी हुई है लेकिन किसी राज्य पर हिन्दी को थोपा नहीं जायेगा। भारतीय राजनेताओं ने इस सम्बन्ध में जो लचीला रुख अपनाया उसी से हम श्रीलंका जैसी स्थिति में पहुँचने से बच गए।
– केन्द्र राज्य सम्बन्ध – केन्द्र राज्य सम्बन्धों में लगातार बदलाव आया है, लेकिन इससे संघवाद मजबूत हुआ है। इस सम्बन्ध में हम एकदलीय प्रभुत्व की व्यवस्था से प्रारंभ करके बहुदलीय व्यवस्था की तरफ बढ़े हैं। 1990 के बाद से देश में अनेक राज्यों में क्षेत्रीय दलों के उदय से केन्द्र और राज्यों में ‘गठबंधन सरकारों का दौर वर्तमान में जारी है। इससे सत्ता में साझेदारी और राज्य सरकारों की स्वायत्तता का आदर करने की नई संस्कृति पनपी। इसे सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले ने बल दिया कि केन्द्र सरकार मनमाने ढंग से राज्य सरकारों को भंग नहीं कर सकती।
भारत में भाषायी विविधता — भारत की 2011 की जनगणना में लोगों ने 1300 से ज्यादा अलग-अलग भाषाओं को अपनी मातृभाषा के रूप में दर्ज कराया था। इन्हें कुछ प्रमुख भाषाओं के साथ समूहबद्ध किये जाने के बावजूद जनगणना में 121 प्रमुख भाषाएँ पायी गयी हैं। इनमें 22 भाषाओं को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में रखा गया है। इसमें सबसे बड़ी भाषा हिंदी भी सिर्फ 44% लोगों की ही मातृभाषा है। समूहबद्ध करने के बावजूद 2011 में यह संख्या | 50 प्रतिशत से कम ही थी ।
भारत में विकेन्द्रीकरण — भारत में संघीय सत्ता की साझेदारी तीन स्तरों पर की गई है– (1) केन्द्रीय स्तर (2) राज्य स्तर और (3) स्थानीय स्तर | जब केन्द्र और राज्य सरकार से शक्तियाँ लेकर स्थानीय सरकारों को दी जाती हैं तो इसे सत्ता का विकेन्द्रीकरण कहते हैं। अनेक मुद्दों और समस्याओं का निपटारा स्थानीय स्तर पर अधिक बढ़िया ढंग से हो सकता है। इससे स्थानीय स्तर पर लोग सीधे फैसलों में भागीदार भी बनते हैं।
 – 1992 में संविधान संशोधन करके स्थानीय स्वशासन को अधिक शक्तिशाली व प्रभावी बनाया गया है; क्योंकि अब | इनके चुनाव नियमित रूप से होते हैं, अनुसूचित जातियों, जनजातियों, पिछड़ी जातियों तथा महिलाओं की सीटें आरक्षित की गई हैं; प्रत्येक राज्य में इन संस्थाओं के चुनाव हेतु चुनाव आयोग की व्यवस्था की गई है।
 – ग्राम स्तर के स्थानीय स्वशासन को पंचायती राज के नाम से जाना जाता है; जिसमें ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों तथा जिला परिषद् की व्यवस्था की जाती है।
-शहरों में स्थानीय शासन की संस्थाओं को नगरपालिका, नगरपरिषद् और नगर निगम के रूप में व्यवस्थित किया गया है।

RBSE Class 10 Social Science संघवाद InText Questions and Answers

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प्रश्न 1.
मैं थोड़ी उलझन में हूँ। आखिर भारत की शासन व्यवस्था को क्या नाम दिया जाये? यह एकात्मक है, संघात्मक है अथवा केन्द्रीकृत।
उत्तर:
भारत की संघीय व्यवस्था संघात्मक है। लेकिन इसमें राज्य सरकारों की तुलना में केन्द्र सरकार को अधिक शक्तिशाली बनाया गया है।

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प्रश्न 2.
संघीय व्यवस्था जब सिर्फ बड़े देशों के अनुकूल है तो बेल्जियम ने इसे क्यों अपनाया?
उत्तर:
बेल्जियम में भाषा के आधार पर अनेक विभिन्नताएँ मौजूद हैं और देश की एकता व अखंडता को बनाए रखने के लिए संघीय व्यवस्था को अपनाना आवश्यक था। इसीलिए बेल्जियम ने संघीय व्यवस्था को अपनाया।

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प्रश्न 3.
अगर कृषि और वाणिज्य राज्य के विषय हैं तो केन्द्र में कृषि और वाणिज्य मंत्री क्यों बनाए जाते हैं?
उत्तर:
कृषि और वाणिज्य राज्य के विषय होते हुए भी केन्द्र में कृषि और वाणिज्य मंत्री इसलिए बनाए जाते हैं ताकि वे राज्यों में समन्वय बनाए रखें और इन विषयों से संबंधित राज्यों के बीच होने वाले झगड़ों को निपटाने में सहायता कर सकें।

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प्रश्न 4.
क्या आपका गाँव या शहर आजादी के बाद से एक ही प्रांत के अंतर्गत रहा है? अगर नहीं तो इससे पहले के राज्य का क्या नाम था?
उत्तर:
हाँ, हमारा गाँव/शहर आजादी के बाद से एक ही प्रांत राजस्थान के अंतर्गत रहा है।

प्रश्न 5.
क्या आप 1947 के तीन राज्यों के ऐसे नामों को याद कर सकते हैं जो आज बदल गये हैं?
उत्तर:
राजपूताना, मैसूर और मद्रास राज्यों के नाम आज बदलकर क्रमशः राजस्थान, कर्नाटक और तमिलनाडु हो गये हैं।

प्रश्न 6.
तीन ऐसे राज्यों की पहचान करें जिन्हें तीन बड़े राज्यों को काटकर बनाया गया है।
उत्तर:
उत्तराखण्ड, झारखंड और छत्तीसगढ़ राज्यों को क्रमशः उत्तरप्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश से काटकर बनाया गया है।

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प्रश्न 7.
आप यह कह रहे हैं कि क्षेत्रवाद लोकतंत्र के लिए अच्छा है? क्या आप गंभीरता से ऐसा कह रहे हैं?
उत्तर:
क्षेत्रवाद लोकतंत्र के लिए अच्छा है क्योंकि इससे सत्ता में साझेदारी और राज्य सरकारों की स्वायत्तता का आदर करने की नई प्रवृत्ति पनपी है। अतः क्षेत्रवाद के कारण सत्ता की साझेदारी अधिक प्रभावी हुई है। इसलिए हम गंभीरता से यह कह रहे हैं कि क्षेत्रवाद लोकतंत्र के लिए अच्छा है।

प्रश्न 8.
प्रधानमंत्री देश चलाता है। मुख्यमंत्री राज्यों को चलाते हैं। इस तर्क से जिला परिषद् के प्रधान को जिले का शासन चलाना चाहिए। फिर, जिलों का शासन कलक्टर या जिलाधीश क्यों चलाते हैं?
उत्तर:
जिले का प्रशासन जिला-परिषद् के प्रधान को नहीं दिया जा सकता क्योंकि इस व्यवस्था में प्रत्येक जिले के अलग-अलग कानून तथा अलग-अलग नीति होगी जिससे राज्य में अव्यवस्था हो जायेगी। विभिन्न जिलों के अधिकारियों के बीच सड़क, पानी, बिजली आदि के मामलों में झगड़े होंगे। वर्तमान व्यवस्था में राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नीति के अनुसार सभी जिलों का प्रशासन जिलाधीश चलाते हैं जिससे शासन में एकरूपता और व्यवस्था बनी रहती है।

RBSE Class 10 Social Science संघवाद Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
भारत के खाली राजनीतिक नक्शे पर इन राज्यों की उपस्थिति दर्शाएँ-मणिपुर, सिक्किम, छत्तीसगढ़ और गोवा।
उत्तर:

प्रश्न 2.
विश्व के खाली राजनीतिक मानचित्र पर भारत के अलावा संघीय शासन वाले तीन देशों की अवस्थिति बताएँ।
उत्तर:
भारत के अलावा संघीय शासन वाले तीन देश ये बताये जा सकते हैं-

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. आस्ट्रेलिया
  3. बेल्जियम।

प्रश्न 3.
भारत की संघीय व्यवस्था में बेल्जियम से मिलती-जुलती एक विशेषता और उससे अलग एक विशेषता को बताएँ।
उत्तर:
भारत की संघीय व्यवस्था में बेल्जियम से मिलती-जुलती एक विशेषता यह है कि दोनों में राज्य सरकारें केन्द्रीय सरकार के अधीन नहीं हैं तथा अलग विशेषता यह है कि भारत में केन्द्रीय सरकार में पंत्रियों की संख्या बेल्जियम की तरह भाषायी समुदायों के आधार पर निर्धारित नहीं की गई है।

प्रश्न 4.
शासन के संघीय और एकात्मक स्वरूपों में क्या-क्या मुख्य अन्तर है? इसे उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट करें।
उत्तर:
(1) संघीय शासन व्यवस्था में दो स्तर पर सरकारें होती हैं और सत्ता के इन दोनों स्तर की सरकारें अपने-अपने स्तर पर स्वतंत्र होकर अपना कार्य करती हैं। इसमें राज्य (प्रान्तीय) सरकारों को भी शक्तियाँ संविधान से प्राप्त होती हैं। जबकि एकात्मक शासन व्यवस्था में शासन का एक ही स्तर होता है और प्रान्तीय सरकारें उसके अधीन होकर काम करती हैं।

(2) दूसरे, एकात्मक शासन में केन्द्रीय सरकार प्रान्तीय सरकारों को आदेश दे सकती है लेकिन संघीय व्यवस्था में केन्द्रीय सरकार राज्य या प्रान्तीय सरकार को कुछ खास करने का आदेश नहीं दे सकती।

(3) तीसरे, एकात्मक शासन में प्रान्तीय सरकारें अपने कार्यों के लिए केन्द्रीय सरकार के प्रति जिम्मेदार होती हैं, जबकि संघीय व्यवस्था में प्रान्तीय सरकारें अपने कार्यों के लिए केन्द्रीय सरकार के प्रति जिम्मेदार नहीं होती हैं। इसमें दोनों ही सरकारें अपने-अपने स्तर पर लोगों के प्रति जवाबदेह होती हैं।

उदाहरण के लिए, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, कैनेडा, स्विट्जरलैंड, आस्ट्रेलिया, ब्राजील आदि देशों में संघीय शासन है, लेकिन फ्रांस, ब्रिटेन, जापान आदि देशों में एकात्मक शासन व्यवस्था है।

प्रश्न 5.
1992 के संविधान संशोधन के पहले और बाद के स्थानीय शासन के दो महत्त्वपूर्ण अन्तरों को बताएँ।
उत्तर:
1992 के संविधान संशोधन के पहले और बाद के स्थानीय शासन के दो महत्त्वपूर्ण अन्तर निम्नलिखित हैं-
(1) संवैधानिक मान्यता- सन् 1992 से पहले स्थानीय शासन को संवैधानिक मान्यता प्राप्त नहीं थी, लेकिन 1992 के संशोधनों के बाद स्थानीय शासन संस्थाओं को संविधान की 11वीं तथा 12वीं अनुसूचियों में शामिल करके इन्हें संवैधानिक मान्यता प्रदान कर दी गई है।

(2 ) महिलाओं को आरक्षण की व्यवस्था- 1992 के पहले स्थानीय शासन संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं थी, जबकि 1992 के संविधान संशोधनों के बाद स्थानीय शासन संस्थाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है।

प्रश्न 6.
रिक्त स्थान भरें।
चूंकि अमरीका ………. (1)……….तरह का संघ है इसलिए वहाँ सभी इकाइयों को समान अधिकार है । संघीय सरकार के मुकाबले प्रान्त……….(2)……….हैं । लेकिन भारत की संघीय प्रणाली………..(3)………. की है और यहाँ कुछ राज्यों को औरों से ज्यादा शक्तियाँ प्राप्त हैं।
उत्तर:
(1) साथ आकर संघ बनाने की (Coming together)
(2) शक्तिशाली
(3) साथ रहकर (Holding together) संघ बनाने।

प्रश्न 7.
भारत की भाषा नीति पर नीचे तीन प्रतिक्रियाएँ दी गई हैं। इनमें से आप जिसे ठीक समझते हैं उसके पक्ष में तर्क और उदाहरण दें।
संगीता : प्रमुख भाषाओं को समाहित करने की नीति ने राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है।
अरमान : भाषा के आधार पर राज्यों के गठन ने हमें बाँट दिया है। हम इसी कारण अपनी भाषा के प्रति सचेत हो गए हैं।
हरीश : इस नीति ने अन्य भाषाओं के ऊपर अंग्रेजी के प्रभुत्व को मजबूत करने भर का काम किया है।
उत्तर:
हम संगीता की इस प्रतिक्रिया से सहमत हैं कि भारत की प्रमुख भाषाओं को समाहित करने की भाषा नीति ने राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है। एक व्यक्ति कन्नड़ और भारतीय या बंगाली और भारतीय अथवा तमिल और भारतीय, गुजराती और भारतीय जैसी दो-दो पहचानों से आसानी से जीता है। भाषावार राज्यों के गठन ने भारत को 14-15 राष्ट्रों में विभाजित होने से बचा लिया है। स्पष्ट है कि भारत की भाषा नीति ने सभी भाषाओं को आदर व सम्मान दिया है, जिससे राष्ट्रीय एकता मजबूत हुई है। यद्यपि हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित किया गया है, लेकिन उसे किसी राज्य पर जबरन नहीं थोपा जा सकता। राज्यों की अपनी-अपनी भाषाएँ हैं जिनमें वह राज्य सरकार का कामकाज करते हैं।

प्रश्न 8.
संघीय सरकार की एक विशिष्टता है :
(क) राष्ट्रीय सरकार अपने कुछ अधिकार प्रांतीय सरकारों को देती है।
(ख) अधिकार विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच बँट जाते हैं।
(ग) निर्वाचित पदाधिकारी ही सरकार में सर्वोच्च ताकत का उपयोग करते हैं।
(घ) सरकार की शक्ति शासन के विभिन्न स्तरों के बीच बँट जाती है।
उत्तर:
(घ) सरकार की शक्ति शासन के विभिन्न स्तरों के बीच बँट जाती है।

प्रश्न 9.
भारतीय संविधान की विभिन्न सूचियों में दर्ज कुछ विषय यहाँ दिए गए हैं। इन्हें नीचे दी गई तालिका में संघीय सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची वाले समूहों में लिखें।
(क) रक्षा; (ख) पुलिस; (ग) कृषि; (घ) शिक्षा; (ङ) बैंकिंग; (च) वन; (छ) संचार; (ज) व्यापार; (झ) विवाह।

संघीय सूची
राज्य सूची
समवर्ती सूची

उत्तर:

संघीय सूची (क) रक्षा (ङ) बैंकिंग (छ) संचार
राज्य सूची (ख) पुलिस (ग) कृषि (ज) व्यापार
समवर्ती सूची (घ) शिक्षा (च) वन (झ) विवाह

प्रश्न 10.
नीचे भारत में शासन के विभिन्न स्तरों और उनके कानून बनाने के अधिकार-क्षेत्र के जोड़े दिए। गए हैं। इनमें से कौन-सा जोड़ा सही मेल वाला नहीं है?
RBSE Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 2 संघवाद 3
उत्तर:
इनमें से (घ) स्थानीय सरकार और अवशिष्ट अधिकार वाला जोड़ा सही मेल वाला नहीं है; क्योंकि अवशिष्ट अधिकार केन्द्र सरकार को प्रदान किये गये हैं।

प्रश्न 11.
सूची I और सूची II में मेल ढूँढ़ें और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही उत्तर चुनें।
उत्तर:

सूची I सूची II
1. भारतीय संघ (अ) प्रधानमंत्री
2. राज्य (ब) सरपंच
3. नगर निगम (स) राज्यपाल
4. ग्राम पंचायत (द) मेयर

RBSE Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 2 संघवाद 4
उत्तर:
सही उत्तर है-(गा) अ स द ब

प्रश्न 12.
इन बयानों पर गौर करें :
(अ) संघीय व्यवस्था में संघ और प्रांतीय सरकारों के अधिकार स्पष्ट रूप से तय होते हैं।
(ब) भारत एक संघ है क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकार संविधान में स्पष्ट रूप से दर्ज हैं और अपने-अपने विषयों पर उनका स्पष्ट अधिकार है।
(स) श्रीलंका में संघीय व्यवस्था है क्योंकि उसे प्रांतों में बाँट दिया गया है।
(द) भारत में संघीय व्यवस्था नहीं रही क्योंकि राज्यों के कुछ अधिकार स्थानीय शासन की इकाइयों में बाँट दिए गए हैं।
ऊपर दिए गए बयानों में कौन-कौन सही हैं?
(सा) अ, ब और स (रे) अ, स और द (गा) अ और ब (मा) ब और स
उत्तर:
ऊपर दिए गए बयानों में (गा) सही है क्योंकि अ और ब बयान ही सही हैं।

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