RB 10 SST

RBSE Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

RBSE Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

पाठ-सार

राजनीतिक दल का अर्थ–राजनीतिक दल लोगों का एक ऐसा संगठित समूह होता है जो चुनाव लड़ने और सरकार में राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य से काम करता है तथा समाज के सामूहिक हित को ध्यान में रखकर कुछ नीतियाँ और कार्यक्रम तय करता है। किसी दल की पहचान उसकी नीतियों और सामाजिक आधार से तय होती। है। राजनीतिक दल के तीन प्रमुख हिस्से हैं—(i) नेता (ii) सक्रिय सदस्य और (iii) अनुयायी का समर्थक।
राजनीतिक दल के कार्य
(1) दल चुनाव लड़ते हैं । हैं
(2) वे अलग-अलग नीतियों और कार्यक्रमों को मतदाताओं के सामने रखते हैं।
(3) दल कानून निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
(4) दल ही सरकार बनाते और चलाते हैं ।
(5) विपक्षी दल शासक दल के विरोधी पक्ष की भूमिका निभाते हैं।
(6) जनमत निर्माण में दल महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
( 7 ) वे सरकार के कल्याण कार्यक्रमों को लोगों तक पहुँचाते हैं।
राजनीतिक दल की आवश्यकता— राजनीतिक दल लोकतंत्र की एक अनिवार्य शर्त है । राजनीतिक दलों की | आवश्यकता निम्न कार्यों के लिए है
(1) देश चलाने का उत्तरदायित्व निभाने हेतु ।
(2) विभिन्न मुद्दों पर अलग-अलग विचारों को सामने लाने हेतु ।
(3) विभिन्न मुद्दों पर अलग-अलग विचारों को सरकार तक पहुँचाने हेतु ।
(4) ये एक जिम्मेदार सरकार का गठन करते हैं।
(5) ये सरकार पर अंकुश रखते हैं।
कितने राजनीतिक दल— लोकतंत्र में नागरिकों का कोई भी समूह राजनैतिक दल बना सकता है। इस अर्थ में सभी देशों में बहुत से राजनैतिक दल हैं। भारत में ही चुनाव आयोग में नाम पंजीकृत कराने वाले दलों की संख्या 750 से ज्यादा है। लेकिन हर दल चुनाव में गंभीर चुनौती देने की स्थिति में नहीं होता। चुनावी होड़ में कितनी पार्टियाँ गंभीर रूप से सक्रिय हैं, इस आधार पर विश्व में तीन प्रकार की दलीय व्यवस्था पाई जाती है –
( 1 ) एकदलीय व्यवस्था — जिस देश में केवल एक ही दल को सरकार बनाने और चलाने की अनुमति होती है, उसे एकदलीय शासन व्यवस्था कहा जाता है। जैसे–चीन में केवल कम्युनिस्ट पार्टी को ही शासन करने की अनुमति है। हम एकदलीय व्यवस्था को अच्छा विकल्प नहीं मान सकते क्योंकि यह लोकतांत्रिक विकल्प नहीं है।
( 2 ) द्विदलीय व्यवस्था— कुछ देशों में सत्ता आमतौर पर दो मुख्य दलों के बीच ही बदलती रहती है। उसे द्विदलीय व्यवस्था कहते हैं। अमरीका और ब्रिटेन में ऐसी ही द्विदलीय व्यवस्था है।
( 3 ) बहुदलीय व्यवस्था – जब अनेक दल सत्ता के लिए होड़ में हों और दो दलों से ज्यादा दलों के लिए अपने दम पर या दूसरों से गठबन्धन करके सत्ता में आने का ठीक-ठीक अवसर हो तो उसे बहुदलीय व्यवस्था कहते हैं। भारत में ऐसी ही बहुदलीय व्यवस्था है। अक्सर बहुदलीय व्यवस्था बहुत घालमेल वाली लगती है और देश को राजनीतिक अस्थिरता की तरफ ले जाती है, पर इसके साथ ही इसमें विभिन्न हितों और विचारों को राजनैतिक प्रभुत्व | मिल जाता है ।
हर देश अपनी विशेष परिस्थितियों के अनुरूप दलीय व्यवस्था विकसित करता है और इसमें समाज की प्रकृति, इसके राजनैतिक विभाजन, राजनीति का इतिहास और इसकी चुनाव प्रणाली अपनी-अपनी भूमिका निभाती हैं।
भारत में राजनीतिक दल – भारत में बहुदलीय व्यवस्था है। यहाँ दो तरह के राजनीतिक दल हैं— (1) राष्ट्रीय राजनीतिक दल (2) क्षेत्रीय राजनीतिक दल । यथा—
राष्ट्रीय राजनीतिक दल– चुनाव आयोग के नियम के अनुसार अगर कोई दल लोकसभा चुनाव में पड़े कुल | वोट का अथवा चार राज्यों के विधानसभाई चुनाव में पड़े कुल वोटों का 6 प्रतिशत हासिल करता है और लोकसभा के  चुनाव में कम-से-कम चार सीटों पर जीत दर्ज करता है तो उसे राष्ट्रीय दल की मान्यता मिलती है।
इस हिसाब से सन् 2019 में भारत में सात दल राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त थे । ये हैं— (1) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, (2) भारतीय जनता पार्टी, (3) बहुजन समाज पार्टी, (4) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी – मार्क्सवादी (सीपीआईएम), (5) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सी.पी.आई.) तथा (6) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी तथा (7) ऑल इण्डिया तृणमूल कांग्रेस ।
क्षेत्रीय दल – जब कोई पार्टी राज्य विधानसभा के चुनाव में पड़े कुल मतों का 6 प्रतिशत या उससे अधिक हासिल करती है और कम से कम दो सीटों पर जीत दर्ज करती है तो उसे अपने राज्य के राजनीतिक दल के रूप में मान्यता मिल जाती है। इन्हें प्रायः ‘प्रांतीय दल’ या ‘क्षेत्रीय दल’ कहा जाता है। 13 अप्रैल, 2018 के अनुसार इनमें प्रमुख समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, बीजू जनता दल, सिक्किम लोकतान्त्रिक मोर्चा, मिजो नेशनल फ्रंट, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, इण्डियन नेशनल लोकदल, जम्मू एण्ड कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, तेलुगुदेशम पार्टी, केरल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, शिव सेना, असम गण परिषद् आदि । राजनीतिक दलों के लिए चुनौतियाँ- राजनीतिक दलों की प्रमुख चुनौतियाँ ये हैं
(1) पार्टी के भीतर आन्तरिक लोकतन्त्र का न होना,
(2) वंशवाद की चुनौती,
(3) दलों में पैसा और अपराधी तत्त्वों की बढ़ती घुसपैठ,
(4) सार्थक विकल्पहीनता की चुनौती |
दलों को कैसे सुधारा जाए- उपर्युक्त चुनौतियों का सामना करने के लिए जरूरी है कि राजनीतिक दलों में सुधार हो । भारत में राजनैतिक दलों और उसके नेताओं के सुधार हेतु निम्न प्रयास किये गये हैं
(1) विधायकों और सांसदों को दल-बदल करने से रोकने के लिए संविधान में संशोधन किया गया।
( 2 ) उम्मीदवारों से अपनी संपत्ति का और अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों का ब्यौरा एक शपथ-पत्र के रूप में लिया जाता है।
(3) सभी दलों के लिए सांगठनिक चुनाव कराना तथा आयकर रिटर्न भरना आवश्यक कर दिया गया है।
 सुधार के सुझाव
(1) राजनीतिक दलों के आन्तरिक काम-काज को व्यवस्थित करने के लिए कानून बनाया जाए।
(2) महिलाओं को आरक्षण दिया जाए।
(3) चुनाव का खर्च सरकार उठाये ।
(4) राजनीतिक दलों पर लोगों द्वारा दबाव बनाया जाए।
(5) सुधार की इच्छा रखने वाले लोग स्वयं राजनीतिक दलों में शामिल हों।

RBSE Class 10 Social Science राजनीतिक दल InText Questions and Answers

पृष्ठ 74

प्रश्न 1.
ठीक है, मान लिया कि हम दलों के बगैर नहीं रह सकते। पर जरा यह बताइये कि किस आधार पर जनता किसी राजनीतिक दल का समर्थन करती है?
उत्तर:
जनता किसी राजनीतिक दल का समर्थन उसके सिद्धान्तों तथा नीतियों के आधार पर करती है। जो दल जनता की उम्मीदों एवं आकांक्षाओं पर खरा उतरता है, जनता उसी का समर्थन करती है। चुनावों में दल अपनी नीतियाँ तथा कार्यक्रम मतदाताओं के सामने रखते हैं। मतदाता अपनी पसन्द की नीतियों एवं कार्यक्रमों के अनुसार दल का चुनाव करते हैं। यदि चुना गया दल अपनी मनमानी करता है तो अगले चुनाव में मताधिकार द्वारा जनता उसे करारी जवाब देती है।

पृष्ठ 83

प्रश्न 2.
दल महिलाओं को पर्याप्त टिकट क्यों नहीं देते? क्या इसका कारण आन्तरिक लोकतन्त्र की कमी है?
उत्तर:
राजनीतिक दल महिलाओं को पर्याप्त टिकट नहीं देते क्योंकि-

  • बहुत कम संख्या में ऐसी महिलाएँ हैं जो राजनीति में दिलचस्पी लेती हैं।
  • महिलाएँ चुनावों के दौरान इतनी दौड़-धूप व मेहनत नहीं कर सकतीं जितनी कि पुरुष कर सकते हैं।
  • हमारी सामाजिक व्यवस्था में महिलाओं का कार्यक्षेत्र घर की चार-दीवारी के अन्दर ही माना जाता है।
  • हमारा समाज पुरुष-प्रधान समाज है और पुरुष-प्रधान समाज महिलाओं को आगे न बढ़ाकर पुरुष को ही आगे बढ़ाता है। उदाहरण के लिए पंचायतों में आरक्षण के कारण चुनी गई महिलाएं अपने कार्य घर के पुरुषों-पति, पिता, भाई आदि के कहने के अनुसार ही करती हैं।
  • दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र की कमी भी इसका महत्त्वपूर्ण कारण है।

पृष्ठ 85

प्रश्न 3.
क्या आप इस हिस्से में (पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 83 से 85 तक) दिये गये कार्टूनों में दर्शायी गई चनौतियों की पहचान कर सकते हैं? राजनीति में धन तथा बल के दुरुपयोग को रोकने के क्या तरीके हैं?
उत्तर:
जी हाँ, पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 83 से 85 तक दिये गये कार्टूनों में दर्शायी गयी चुनौतियों की हम पहचान कर सकते हैं। इन कार्टूनों में सत्ता पर धन तथा बल के प्रभाव को दर्शाया गया है। इनसे पार्टी के अन्दर लोकतन्त्र की कमी, पार्टी में वंशवाद, दलों में पैसा तथा अपराध की घुसपैठ तथा दलों के बीच विकल्पहीनता की चुनौती उत्पन्न होती है। इन चुनौतियों को पैदा करने में धन-बल का दुरुपयोग मुख्य भूमिका निभाता है।

राजनीति में धन तथा बल के दुरुपयोग को रोकने के प्रमुख तरीके निम्न प्रकार हैं-

  • भ्रष्टाचार के विरुद्ध कदम उठाये चाहिए।
  • सूचना के अधिकार द्वारा लोगों को जागरुक करना चाहिए।
  • भ्रष्टाचारियों तथा अपराधियों के चुनाव लड़ने पर रोक लगानी चाहिए।
  • दल-बदल कानून को सख्ती से लागू करना चाहिए।
  • सभी उम्मीदवारों को अपनी सम्पत्ति की जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए।
  • सभी दलों को आयकर रिटर्न भरना अनिवार्य किया जाना चाहिए।
  • चुनाव खर्च की सीमा तय की जानी चाहिए। उल्लंघन करने वालों पर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।
  • चुनाव का खर्च सरकार द्वारा भी उठाया जा सकता है।

RBSE Class 10 Social Science राजनीतिक दल Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
लोकतन्त्र में राजनीतिक दलों की विभिन्न भूमिकाओं की चर्चा करें।
उत्तर:
लोकतन्त्र में राजनीतिक दल के कार्य/भूमिकाएँ
लोकतन्त्र में राजनीतिक दल की विभिन्न भूमिकाओं को अग्रलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है-

  • चुनाव लड़ना अधिकांश लोकतान्त्रिक देशों में चुनाव राजनीतिक दलों द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवारों के बीच लड़ा जाता है। राजनीतिक दल उम्मीदवारों का चुनाव करते हैं।
  • नीतियों और कार्यक्रमों को सामने लाना-दल अलग-अलग नीतियों और कार्यक्रमों को मतदाताओं के सामने रखते हैं और मतदाता अपनी पसन्द की नीतियाँ और कार्यक्रम चुनते हैं।
  • कानूनों का निर्माण करना राजनैतिक दल कानून के निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
  • सरकार बनाना और चलाना राजनीतिक दल ही सरकार बनाते और चलाते हैं। जो भी राजनीतिक दल विधायिका में बहुमत प्राप्त करता है, वह सरकार बनाता है और अपनी विचारधारा के अनुसार सरकार को चलाता है तथा नीतियाँ बनाता है।
  • विपक्ष का निर्माण जो दल सरकार में सम्मिलित नहीं होते वे विपक्ष की भूमिका निभाते हैं।
  • जनमत का निर्माण राजनीतिक दल उन मुद्दों को जनता के सामने उछालते हैं, जिनका सरकार ठीक ढंग से प्रबन्ध नहीं कर पाती। इससे ये अपने पक्ष में और सरकारी दल के विरुद्ध जनमत का निर्माण करते हैं।
  • सरकारी मशीनरी तक पहुँच उपलब्ध करवाना–साधारण जनता की सरकारी मशीनरी अर्थात् सरकारी तंत्रों तथा कल्याणकारी योजनाओं तक पहुँच नहीं होती है परन्तु दल साधारण जनता को सरकारी मशीनरी तक ला खड़ा करते हैं।

प्रश्न 2.
राजनीतिक दलों के सामने क्या चुनौतियाँ हैं?
अथवा
भारत में राजनीतिक दलों के समक्ष किन्हीं चार चुनौतियों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
लोकतांत्रिक भारत में राजनीतिक दलों के समक्ष कौन-कौनसी चुनौतियाँ हैं?
उत्तर:
राजनीतिक दलों के समक्ष चुनौतियाँ
किसी भी लोकतन्त्र में राजनीतिक दल बहुत आवश्यक हैं क्योंकि वे यह बताते हैं कि लोकतन्त्र में क्या हो रहा है? लोकतांत्रिक भारत में राजनीतिक दलों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यथा-

  • दल में आन्तरिक लोकतन्त्र न होना- पार्टी के भीतर आन्तरिक लोकतन्त्र नहीं है। दल की सारी ताकत एक या कुछेक नेताओं के हाथ में सिमट जाती है।
  • वंशवाद- राजनीतिक दलों में वंशवादी उत्तराधिकार का चलन बढ़ गया है। यह लोकतन्त्र के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि इससे अनुभवहीन और जनाधारहीन लोग ताकत वाले पदों पर पहुंच जाते हैं।
  • धन और अपराधी तत्त्वों की घुसपैठ- राजनीतिक दल चुनाव जीतने के लिए धन एवं बल का प्रयोग करते हैं। कई बार पार्टियाँ चुनाव जीत सकने वाले अपराधियों का समर्थन करती हैं या उनकी मदद लेती हैं। यह लोकतंत्र के विकास में बाधक है।
  • विकल्पहीनता की स्थिति- हाल के वर्षों में दलों के बीच वैचारिक अन्तर कम होता गया है। अतः लोगों के सामने विकल्प कम हैं।

प्रश्न 3.
राजनीतिक दल अपना कामकाज बेहतर ढंग से करें, इसके लिए उन्हें मजबूत बनाने के कुछ सुझाव दें।
उत्तर:
राजनीतिक दलों के बेहतर कार्य करने हेतु निम्न सुझाव दिए जा सकते हैं-

  • दलों में आंतरिक लोकतंत्र की स्थापना करनी चाहिए।
  • दल जनता के सम्मुख चुनावों के समय किये गये वायदों को पूरा करें।
  • दलों को अपने कार्यकर्ताओं का सम्मान करना चाहिए।
  • आपराधिक छवि के लोगों को चुनाव में टिकट न देकर स्वच्छ छवि वाले लोगों को ही टिकट दें।

प्रश्न 4.
राजनीतिक दल का क्या अर्थ होता है?
उत्तर:
राजनीतिक दल का अर्थ राजनीतिक दल को लोगों के एक ऐसे संगठित समूह के रूप में समझा जा सकता है जो चुनाव लड़ने और सरकार में राजनीतिक सत्ता हासिल करने के उद्देश्य से काम करता है तथा समाज के सामूहिक हित को ध्यान में रखकर कुछ नीतियाँ और कार्यक्रम तय करता है।

प्रश्न 5.
किसी भी राजनीतिक दल के क्या गण होते हैं?
उत्तर:
एक राजनीतिक दल की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं-

  • संगठित समूह-एक राजनीतिक दल एक संगठित समूह होता है। संगठन के बिना वे एक राजनीतिक दल का रूप धारण नहीं कर सकते।
  • मौलिक सिद्धान्तों पर समझौता-इसके सदस्य एक जैसे कार्यक्रम पर विश्वास रखते हैं तथा उन पर सहमत भी होते हैं। ये प्रत्येक स्तर पर उन कार्यक्रमों को ऊपर ही रखते हैं।
  • शान्तिपूर्ण तथा संवैधानिक साधनों में विश्वास-राजनीतिक दल के सदस्य अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए शान्तिपूर्ण तथा संवैधानिक साधनों में विश्वास रखते हैं।
  • राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता- प्रत्येक राजनीतिक दल सदैव राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है।
  • सत्ता प्राप्त करने का एकमात्र उद्देश्य राजनीतिक दल चुनाव जीतकर सत्ता में भागीदारी करते हैं।

प्रश्न 6.
चुनाव लड़ने और सरकार में सत्ता संभालने के लिए एकजुट हुए लोगों के समूह को …………. कहते हैं।
उत्तर:
राजनीतिक दल।

प्रश्न 7.
पहली सूची (संगठन/दल) और दूसरी सूची (गठबन्धन/मोर्चा) के नामों का मिलान करें और नीचे दिए गए कूट नामों के आधार पर सही उत्तर ढूँढ़ें :

सूची-I सूची-II
1. इंडियन नेशनल कांग्रेस (क) राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन
2. भारतीय जनता पार्टी (ख) क्षेत्रीय दल
3. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मासिस्ट) (ग) संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन
4. तेलुगुदेशम पार्टी (घ) वाम मोर्चा


उत्तर:
(ग) ग क घ ख

प्रश्न 8.
इनमें से कौन बहुजन समाज पार्टी का संस्थापक है?
(क) कांशीराम
(ख) साहू महाराज
(ग) बी. आर. अम्बेडकर
(घ) ज्योतिबा फुले।
उत्तर:
(क) कांशीराम।

प्रश्न 9.
भारतीय जनता पार्टी का मुख्य प्रेरक सिद्धान्त क्या है?
(अ) बहुजन समाज
(ब) क्रान्तिकारी लोकतन्त्र
(स) समग्र मानवतावाद
(द) आधुनिकता।
उत्तर:
(स) समग्र मानवतावाद।

प्रश्न 10.
पार्टियों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर गौर करें :
(अ) राजनीतिक दलों पर लोगों का ज्यादा भरोसा नहीं है।
(ब) दलों में अक्सर बड़े नेताओं के घोटालों की गूंज सुनाई देती है।
(स) सरकार चलाने के लिए पार्टियों का होना जरूरी नहीं।
इन कथनों में से कौन सही है?
(क) अ, ब और स
(ख) अ और ब
(ग) ब और स
(घ) अ और स।
उत्तर:
(ख) अ और ब सही हैं।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित उद्धरण को पढ़ें और नीचे दिए गए प्रश्नों का जवाब दें :
मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री हैं। गरीबों के आर्थिक और सामाजिक विकास के प्रयासों के लिए उन्हें अनेक अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। उन्हें और उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक को संयुक्त रूप से वर्ष 2006 का नोबेल शान्ति पुरस्कार दिया गया। फरवरी 2007 में उन्होंने एक राजनीतिक दल बनाने और संसदीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। उनका उद्देश्य सही नेतृत्व को उभारना, अच्छा शासन देना और नए बांग्लादेश का निर्माण करना है। उन्हें लगता है कि पारम्परिक दलों से अलग एक नए राजनीतिक दल से ही नई राजनीतिक संस्कृति पैदा हो सकती है। उनका दल निचले स्तर से लेकर ऊपर तक लोकतान्त्रिक होगा।
नागरिक शक्ति नामक इस नये दल के गठन से बांग्लादेश में हलचल मच गई है। उनके फैसले को काफी लोगों ने पसन्द किया तो अनेक को यह अच्छा नहीं लगा। एक सरकारी अधिकारी शाहेदुल इस्लाम ने कहा, “मुझे लगता है कि अब बांग्लादेश में अच्छे और बुरे के बीच चुनाव करना सम्भव हो गया है। अबःएक अच्छी सरकार की उम्मीद की जा सकती है। यह सरकार न केवल भ्रष्टाचार से दूर रहेगी बल्कि भ्रष्टाचार और काले धन की समाप्ति को भी अपनी प्राथमिकता बनाएगी।”
पर दशकों से मुल्क की राजनीति में रुतबा रखने वाले पुराने दलों के नेताओं में संशय है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के एक बड़े नेता का कहना है : “नोबेल पुरस्कार जीतने पर क्या बहस हो सकती है पर राजनीति एकदम अलग चीज है। एकदम चुनौती भरी और अक्सर विवादास्पद।” कुछ अन्य लोगों का स्वर और कड़ा था। वे उनके राजनीति में आने पर सवाल उठाने लगे। एक राजनीतिक प्रेक्षक ने कहा, “देश से बाहर की ताकतें उन्हें राजनीति पर थोप रही हैं।”
क्या आपको लगता है कि यूनुस ने नयी राजनीतिक पार्टी बनाकर ठीक किया?
क्या आप विभिन्न लोगों द्वारा जारी बयानों और अंदेशों से सहमत हैं? इस पार्टी को दूसरों से अलग काम करने के लिए खुद को किस तरह संगठित करना चाहिए? अगर आप इस राजनीतिक दल के संस्थापकों में एक होते तो इसके पक्ष में क्या दलील देते?
उत्तर:
(i) हाँ, मेरे विचार से मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में एक नई राजनीतिक पार्टी बनाकर ठीक किया है।
(ii) हाँ, मैं सभी प्रगतिशील लोकतान्त्रिक जनता की भलाई के लिए किए गए उन लोगों के बयानों और अंदेशों से सहमत हूँ जो किसी-न-किसी रूप में यूनुस के कार्यक्रम से सहमत हैं।
(iii) इस राजनैतिक दल को सभी लोगों के हित में काम करना चाहिए तथा ऐसी नीतियाँ बनानी चाहिए, जो सभी लोगों के हित में हों।
(iv) यदि मैं इस दल के संस्थापकों में से होता तो मैं लोगों को यह विश्वास दिलाने का प्रयत्न करता कि इस दल का उद्देश्य जनता की भलाई करना है। इस दल का स्वरूप नीचे से लेकर ऊपर तक लोकतान्त्रिक होगा।

The Complete Educational Website

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *