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RBSE Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

RBSE Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

पाठ-सार

लोकतन्त्र के परिणामों का मूल्यांकन कैसे करें
लोकतंत्र शासन की अन्य व्यवस्थाओं से बेहतर है क्योंकि यह
(1) नागरिकों में समानता को बढ़ावा देता है;
(2) व्यक्ति की गरिमा को बढ़ाता है;
(3) इससे फैसलों में बेहतरी आती है;
(4) यह टकरावों को टालने सँभालने का तरीका देता है तथा
(5) इसमें गलतियों को सुधारने की गुंजाइश होती है ।
सैद्धान्तिक रूप में तो लोकतंत्र को अच्छा माना जाता है पर व्यवहार में इसे इतना अच्छा नहीं माना जाता। आज विश्व के लगभग 100 देशों में किसी न किसी तरह की लोकतांत्रिक व्यवस्था है। इनका औपचारिक संविधान है; इनके यहाँ चुनाव होते हैं और राजनीतिक दल भी हैं। वे अपने नागरिकों को कुछ मूल अधिकारों की गारंटी भी देते हैं लोकतंत्र के ये तत्व अधिकांश देशों में समान हैं, लेकिन सामाजिक स्थिति, अपनी आर्थिक उपलब्धि तथा संस्कृतियों के मामले में ये देश एक-दूसरे से काफी भिन्न हैं । इन सबका लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के परिणामों पर प्रभाव पड़ता है।
लोकतंत्र के परिणामों का मूल्यांकन करते समय यह भी ध्यान रखना होगा कि लोकतंत्र सभी सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता क्योंकि लोकतंत्र शासन का एक स्वरूप भर है। इसका ऐसी अनेक चीजों से कोई सरोकार नहीं है जिनको हम मूल्यवान मानते हैं । यह हमारी सभी बुराइयों को मिटा देने वाली कोई जादू की छड़ी भी नहीं है ।
उत्तरदायी, जिम्मेवार और वैध शासन
(i) लोकतन्त्र में फैसले कायदे-कानूनों के अनुसार होते हैं। यदि कोई नागरिक यह जानना चाहे कि फैसले लेने में नियमों का पालन हुआ है या नहीं, तो वह इसका पता कर सकता है । अतः लोकतंत्र पारदर्शी शासन है । यह चीज प्रायः गैर लोकतांत्रिक सरकारों में नहीं होती। इसलिए यह कहा जा सकता है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसी सरकार का गठन होता है जो कायदे-कानूनों को मानती है और लोगों के प्रति उत्तरदायी होती है । यह सरकार नागरिकों को निर्णय प्रक्रिया में हिस्सेदार बनाने तथा स्वयं को उनके प्रति जवाबदेह बनाने वाली कार्यविधियाँ अपनाती है ।
(ii) लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था अन्य शासन व्यवस्थाओं की तुलना में इस दृष्टि से बेहतर है कि यह वैध शासन व्यवस्था है; यह लोगों की अपनी शासन व्यवस्था है। इसमें नियमित चुनाव होते हैं तथा सार्वजनिक चर्चा खुले रूप में होती है।
आर्थिक संवृद्धि और विकास – आर्थिक संवृद्धि के मामले में तानाशाही वाले शासनों का रिकार्ड थोड़ा बेहतर है। दोनों प्रकार के शासनों में आर्थिक विकास की दर में अन्तर है ।
असमानता और गरीबी में कमी– यद्यपि लोकतांत्रिक व्यवस्था राजनीतिक समानता पर आधारित होती है,  तथापि यहाँ आर्थिक असमानता में वृद्धि होती रही है। वास्तविक जीवन में लोकतान्त्रिक व्यवस्थाएँ आर्थिक असमानताओं को कम करने में ज्यादा सफल नहीं हुई हैं। ये सरकारें गरीबी के प्रश्न पर भी ध्यान देने को अधिक तत्पर नहीं दिखाई देतीं ।
सामाजिक विविधताओं में सामञ्जस्य–लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ आमतौर पर अपने अन्दर की प्रतिद्वन्द्विताओं को सँभालने की प्रक्रिया विकसित कर लेती हैं। इससे इन टकरावों के विस्फोटक या हिंसक रूप लेने का अंदेशा कम हो जाता है। सामाजिक अंतर, विभाजन और टकरावों को सँभालना लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं का गुण है। यह गुण गैरलोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में नहीं पाया जाता।
नागरिकों की गरिमा और आजादी-व्यक्ति की गरिमा और आजादी के मामले में लोकतांत्रिक व्यवस्था किसी अन्य शासन प्रणाली से काफी आगे है। दुनियाभर की लोकतांत्रिक सरकारें कम से कम सिद्धान्त के तौर पर नागरिकों की गरिमा और आजादी को स्वीकार करती हैं। और एक बार जब सिद्धान्त रूप में इस बात को स्वीकार कर लिया गया है, तो फिर औरतों के लिए वैधानिक और नैतिक रूप से अपने प्रति गलत मान्यताओं और व्यवहारों के खिलाफ संघर्ष करना आसान हो गया है । अलोकतांत्रिक व्यवस्था में यह बात संभव नहीं थी । यही बात जातिगत असमानता पर लागू होती है।
लोकतंत्र से बढ़ती उम्मीदें – लोगों को जब लोकतंत्र से थोड़ा लाभ मिल जाता है तो वे और लाभों की माँग करने लगते हैं; वे अन्य अपेक्षाएँ करने लगते हैं और शिकायतों का अंबार लगा देते हैं। शिकायतों का बने रहना भी लोकतंत्र की सफलता की गवाही देता है। इससे लोगों की बढ़ती जागरूकता का पता लगता है।

RBSE Class 10 Social Science लोकतंत्र के परिणाम InText Questions and Answers

पृष्ठ 95

प्रश्न 1.
लोकतंत्र का मतलब है-बहुमत का शासन। गरीबों का बहुमत है, इसलिए लोकतंत्र का मतलब हुआ गरीबों का राज। पर ऐसा होता क्यों नहीं है?
उत्तर:
लोकतंत्र में सत्ता प्राप्त करने के लिए चुनाव लड़ने पड़ते हैं । चुनाव लड़ना गरीब व्यक्तियों के लिए बड़ा कठिन कार्य है क्योंकि उसमें काफी धन खर्च करना पड़ता है। इसलिए केवल धनी व्यक्ति ही चुनाव लड़ सकते हैं और जीत सकते हैं अतः लोकतंत्र को धनी व्यक्तियों का शासन कहते हैं।

पृष्ठ 98

प्रश्न 2.
मुझे सिर्फ अपनी बोर्ड परीक्षा की चिंता है पर लोकतंत्र को इतनी सारी परीक्षाओं से गुजरना होता है और परीक्षा लेने वाले भी करोड़ों होते हैं।
उत्तर:
लोकतंत्र को देश में मौजूद अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लोकतांत्रिक सरकार की जाँचपरख और परीक्षा कभी खत्म नहीं होती। वह एक जाँच पर खरा उतरे तो अगली जाँच आ जाती है। लोगों को जब लोकतंत्र से थोड़ा लाभ मिल जाता है तो वे और लाभों की माँग करने लगते हैं। वे लोकतंत्र से और अच्छा काम चाहने लगते हैं।

RBSE Class 10 Social Science लोकतंत्र के परिणाम Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
लोकतंत्र किस तरह उत्तरदायी, जिम्मेवार और वैध सरकार का गठन करता है?
अथवा
क्या लोकतंत्र उत्तरदायी, जिम्मेवार और वैध शासन है? अपने दृष्टिकोण के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
लोकतंत्र एक उत्तरदायी, जिम्मेवार और वैध सरकार का गठन निम्न प्रकार से करता है-

  • उत्तरदायी सरकार लोकतंत्र एक उत्तरदायी सरकार का गठन करता है क्योंकि यह नियमित, स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से चुनाव सम्पन्न कराता है तथा सरकार का निर्माण जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि करते हैं।
  • जिम्मेवार सरकार-लोकतंत्र एक जिम्मेवार सरकार का गठन करता है क्योंकि लोकतंत्र में जनता को लिए गए निर्णयों के बारे में न सिर्फ जानने का अधिकार है बल्कि उसके पास इसके साधन भी उपलब्ध हैं।
  • वैध सरकार-लोकतांत्रिक सरकारें जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों की सरकारें होने के कारण वैध सरकारें होती हैं। इन्हें जनसामान्य की स्वाभाविक स्वीकृति मिली होती है।

प्रश्न 2.
लोकतंत्र किन स्थितियों में सामाजिक विविधता को सँभालता है और उनके बीच सामञ्जस्य बैठाता है?
उत्तर:
लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ निम्नलिखित स्थितियों में सामाजिक विविधता को सँभालती हैं और उनके बीच सामंजस्य बैठाती हैं-

  • लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई भी समाज अपने विभिन्न समूहों के बीच के अंतरों और विभेदों का आदर करना सीख लेते हैं और इनके बीच बातचीत से सामंजस्य बैठाने का तरीका विकसित कर लेते हैं।
  • लोकतंत्र में बहुमत को सदा ही अल्पमत का ध्यान रखना होता है। उसके साथ काम करने की जरूरत होती है। तभी, सरकार जन-सामान्य का प्रतिनिधित्व कर पाती है।
  • लोकतंत्र में सभी नागरिकों को समान अधिकार तथा अवसर प्राप्त होते हैं और लोगों में जाति, धर्म, वंश तथा भाषा आदि के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथनों के पक्ष या विपक्ष में तर्क दें-
(i) औद्योगिक देश ही लोकतांत्रिक व्यवस्था का भार उठा सकते हैं पर गरीब देशों को आर्थिक विकास करने के लिए तानाशाही चाहिए।
(ii) लोकतंत्र अपने नागरिकों के बीच की असमानता को कम नहीं कर सकता।
(ii) गरीब देशों की सरकार को अपने ज्यादा संसाधन गरीबी को कम करने और आहार, कपड़ा, स्वास्थ्य तथा शिक्षा पर लगाने की जगह उद्योगों और बुनियादी आर्थिक ढाँचे पर खर्च करने चाहिए।
(iv) नागरिकों के बीच आर्थिक समानता अमीर और गरीब, दोनों तरह के लोकतांत्रिक देशों में है।
(v) लोकतंत्र में सभी को एक ही वोट का अधिकार है। इसका मतलब है कि लोकतंत्र में किसी तरह का प्रभुत्व और टकराव नहीं होता।
उत्तर:
(i) हम इस कथन से सहमत नहीं हैं क्योंकि किसी देश का आर्थिक विकास इस बात पर निर्भर नहीं करता कि वहाँ पर लोकतंत्र है या तानाशाही। यह देश की जनसंख्या, प्राकृतिक साधन, शिक्षा तथा लोगों द्वारा सरकार को समर्थन तथा अन्य देशों से मिलने वाली सहायता आदि पर निर्भर करता है।

(ii) हम इस बात से सहमत हैं कि लोकतंत्र अपने नागरिकों के बीच की असमानता को कम नहीं कर सकता। लोकतंत्र में यद्यपि सिद्धान्त में राजनैतिक समानता, वैधानिक समानता पायी जाती है, लेकिन व्यवहार में वहाँ अमीरगरीब, शिक्षित-अशिक्षित लोगों में भारी अन्तर पाया जाता है।

(iii) हम इस कथन से सहमत नहीं हैं। यद्यपि उद्योग एवं बुनियादी आर्थिक ढाँचा आर्थिक विकास के आवश्यक तत्व हैं, लेकिन मानवीय स्रोत भी इसका एक महत्वपूर्ण तत्व है। उद्योगों एवं बुनियादी ढांचे के लिए भी मनुष्यों का विकास आवश्यक है। अच्छे नागरिकों तथा कार्यकुशलता के लिए मानव संसाधन का विकास आवश्यक है; इनके बिना उद्योग किसी काम के नहीं। अतः सरकार को विकास के सभी पक्षों पर ध्यान देना चाहिए।

(iv) पूर्ण आर्थिक समानता तो किसी भी देश में संभव नहीं है। लेकिन सापेक्षिक दृष्टि से गरीब लोकतांत्रिक देशों में आर्थिक असमानता की खाई अमीर लोकतांत्रिक देशों की तुलना में ज्यादा है। लेकिन इसका आधार लोकतंत्र नहीं है, बल्कि उन देशों के अन्य संसाधन हैं; जैसे—जनसंख्या, प्राकृतिक संसाधन, संस्कृति आदि।

(v) लोकतंत्र में यद्यपि सभी नागरिकों को समान रूप से एक ही मत का अधिकार दिया गया है, परन्तु यदि कोई सरकार अपने बहमत के बल पर समाज के किसी अल्पसंख्यक वर्ग की माँगों को दबाने का प्रयत्न करती है, तो तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। अतः केवल सार्वभौमिक मताधिकार दे देने मात्र से ही प्रभुत्व और टकराव की स्थितियों को रोकना संभव नहीं है।

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए ब्यौरों में लोकतंत्र की चुनौतियों की पहचान करें। ये स्थितियाँ किस तरह नागरिकों के गरिमापूर्ण, सुरक्षित और शांतिपूर्ण जीवन के लिए चुनौती पेश करती हैं। लोकतन्त्र को मजबूत बनाने के लिए नीतिगत-संस्थागत उपाय भी सुझाएँ
(i) उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद ओड़िसा में दलितों और गैर-दलितों के प्रवेश के लिए अलग-अलग दरवाजा रखने वाले एक मंदिर को एक ही दरवाजे से सबको प्रवेश की अनुमति देनी पड़ी।
(i) भारत के विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
(iii) जम्मू-कश्मीर के गंडवारा में मुठभेड़ बताकर जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा तीन नागरिकों की हत्या करने के आरोप को देखते हुए इस घटना के जाँच के आदेश दिए गए।
उत्तर:
(i) दलितों और गैर-दलितों के लिए मंदिर में प्रवेश के अलग-अलग दरवाजे रखना जाति के आधार पर समानता के अधिकार का उल्लंघन है। इससे दलितों के गरिमापूर्ण जीवन जीने को चुनौती मिलती है। उच्च न्यायालय के आदेश ने दलितों के सामाजिक समानता के अधिकार की रक्षा की है तथा उनके गरिमापूर्ण जीवन जीने के अधिकार की रक्षा की है।

(ii) भारत के विभिन्न राज्यों में किसानों की आत्महत्या की घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि किसान अत्यधिक गरीबी के कारण आत्महत्या करने को विवश हुए हैं। किसानों को गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह एक ऐसी नीति का निर्माण करे जिसके तहत किसानों की समस्याओं का समाधान हो सके।

(iii) यह स्थिति नागरिकों के सुरक्षित और शांतिपूर्ण जीवन के लिए चुनौती प्रस्तुत करती है। पुलिस संगठनों, सुरक्षा बलों को कानून के अनुसार ही कार्य करना चाहिए। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए एक उच्च स्तरीय न्यायिक जाँच की जानी चाहिए ताकि दोषी अफसरों को सजा दी जा सके।

प्रश्न 5.
लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के संदर्भ में इनमें से कौनसा विचार सही है लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं ने सफलतापूर्वक-
(i) लोगों के बीच टकराव को समाप्त कर दिया है।
(ii) लोगों के बीच की आर्थिक असमानताएँ समाप्त कर दी हैं।
(iii) हाशिये के समूहों से कैसा व्यवहार हो, इस बारे में सारे मतभेद मिटा दिए हैं।
(iv) राजनीतिक गैर बराबरी के विचार को समाप्त कर दिया है।
उत्तर:
(iv) राजनीतिक गैर-बराबरी के विचार को समाप्त कर दिया है।

प्रश्न 6.
लोकतंत्र के मूल्यांकन के लिहाज से इनमें कोई एक चीज लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के अनुरूप नहीं है। उसे चुनें-
(क) स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव
(ख) व्यक्ति की गरिमा
(ग) बहुसंख्यकों का शासन
(घ) कानून के समक्ष समानता।
उत्तर:
(ग) बहुसंख्यकों का शासन।

प्रश्न 7.
लोकतांत्रिक व्यवस्था के राजनीतिक और सामाजिक असमानताओं के बारे में किए गए अध्ययन बताते हैं कि-
(क) लोकतंत्र और विकास साथ ही चलते हैं।
(ख) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती हैं।
(ग) तानाशाही में असमानताएँ नहीं होती।
(घ) तानाशाहियाँ लोकतंत्र से बेहतर साबित होती हैं।
उत्तर:
(ख) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती हैं।

प्रश्न 8.
नीचे दिए गए अनुच्छेद को पढ़ें नन्नू एक दिहाड़ी मजदूर है। वह पूर्वी दिल्ली की एक झुग्गी बस्ती वेलकम मजदूर कॉलोनी में रहता है। उसका राशन कार्ड गुम हो गया और जनवरी 2006 में उसने इप्लीकेट राशन कार्ड बनाने के लिए अर्जी दी। अगले तीन महीनों तक उसने राशन विभाग के दफ्तर के कई चक्कर लगाए लेकिन वहाँ तैनात किरानी और अधिकारी उसका काम करने या उसकी अजी की स्थिति बताने की कौन कहे उसको देखने तक के लिए तैयार न थे। आखिरकार उसने सूचना के अधिकार का उपयोग करते हुए अपनी अर्जी की दैनिक प्रगति का ब्यौरा देने का आवेदन किया। इसके साथ ही उसने इस अर्जी पर काम करने वाले अधिकारियों के नाम और काम न करने की सूरत में उनके खिलाफ होने वाली कार्रवाई का ब्यौरा भी माँगा। सूचना के अधिकार वाला आवेदन देने के हफ्ते भर के अन्दर खाद्य विभाग का एक इंस्पेक्टर उसके घर आया और उसने नन्नू को बताया कि तुम्हारा राशन कार्ड तैयार है और तुम दफ्तर आकर उसे ले जा सकते हो। अगले दिन जब नन्नू राशन कार्ड लेने गया तो उस इलाके के खाद्य और आपूर्ति विभाग के सबसे बड़े अधिकारी ने गर्मजोशी से उसका स्वागत किया। इस अधिकारी ने उसे चाय की पेशकश की और कहा कि अब आपका काम हो गया है इसलिए सूचना के अधिकार वाला अपना आवेदन आप वापस ले लें।
(i) नन्नू का उदाहरण क्या बताता है?
(ii) नन्नू के इस आवेदन का अधिकारियों पर क्या असर हुआ?
(iii) अपने माँ-पिताजी से पूछिए कि अपनी समस्याओं के लिए सरकारी कर्मचारियों के पास जाने का उनका अनुभव कैसा रहा है ?
उत्तर:
(i) नन्नू का उदाहरण यह बताता है कि सूचना के अधिकार सम्बन्धी अधिनियम ने नागरिकों को बहुत ही सशक्त बना दिया है।
(ii) नन्न ने पहले जब डुप्लीकेट राशन कार्ड की अर्जी दी, तो तीन महीने तक इस आवेदन पर सरकारी अधिकारियों ने कोई काम नहीं किया। नन्नू के पूछने पर कोई भी अधिकारी उसकी अर्जी के सम्बन्ध में बात करने को तैयार नहीं था। लेकिन जैसे ही उसने सूचना के अधिकार का उपयोग करते हुए अपनी अर्जी की दैनिक प्रगति का ब्यौरा देने तथा उस पर काम करने वाले अधिकारियों के नाम तथा काम न करने की सूरत में उनके खिलाफ होने वाली कार्रवाई का ब्यौरा भी माँगा तो इस आवेदन के एक हफ्ते के अन्दर संबंधित इंस्पेक्टर ने नन्नू को घर आकर बताया कि तुम्हारा राशन कार्ड तैयार है और तुम दफ्तर आकर उसे ले जा सकते हो। इस प्रकार सूचना के अधिकार के आवेदन के साथ ही अधिकारियों के व्यवहार में अन्तर आ गया।
(iii) इसे विद्यार्थी स्वयं करें।

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