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RBSE Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार

RBSE Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार

पाठ-सार

बाजार में उपभोक्ता — बाजार में हमारी भागीदारी उत्पादक एवं उपभोक्ता दोनों रूपों में होती है। उपभोक्ता वह होता है जो अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं का उपभोग करता है। बाजार में उत्पादकों द्वारा उपभोक्ताओं का शोषण कई प्रकार से किया जाता है, जैसे-कम तोलना, अधिक मूल्य लेना, मिलावटी वस्तु देना, गलत विज्ञापन आदि। जब उत्पादक थोड़े और शक्तिशाली होते हैं तथा उपभोक्ता कम मात्रा में खरीदारी करते हैं और बिखरे हुए होते हैं, तो बाजार उचित तरीके से कार्य नहीं करता है । विशेष रूप से यह स्थिति तब होती है जब इन वस्तुओं का उत्पादन बड़ी कंपनियाँ कर रही हों तो वे चालाकीपूर्ण ढंग से बाजार को प्रभावित करती हैं, उपभोक्ताओं को मीडिया प्रचार द्वारा गलत सूचना देकर आकर्षित करती हैं। अतः उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियम और विनियमों की आवश्यकता है।
उपभोक्ता आंदोलन —(i) उपभोक्ता आंदोलन का आरंभ उपभोक्ताओं के असंतोष के कारण हुआ, क्योंकि विक्रेता कई अनुचित व्यवहारों में शामिल होते थे । बाजार में उपभोक्ता को शोषण से बचाने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था नहीं थी ।
(ii) भारत में सामाजिक बल के रूप में उपभोक्ता आंदोलन का जन्म अनैतिक और अनुचित व्यवसाय कार्यों से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और प्रोत्साहन करने की आवश्यकता के साथ हुआ।
भारत में 1960 के दशक में अत्यधिक खाद्य कमी, जमाखोरी, कालाबाजारी, खाद्य पदार्थों एवं खाद्य तेलों में मिलावट की वजह से व्यवस्थित रूप से उपभोक्ता आन्दोलन का उदय हुआ। 1970 के दशक में उपभोक्ता संस्थाएँ सक्रिय हुईं। उन्होंने अनुचित व्यावसायिक कार्यों पर नजर रखने के लिए उपभोक्ता दल बनाया। इन उपभोक्ता दलों की भारी संख्या में वृद्धि हुई, फलतः यह आंदोलन अनुचित व्यवसाय शैली को सुधारने के लिए व्यावसायिक कंपनियों और सरकार दोनों पर दबाव डालने में सफल रहा । परिणामतः उपभोक्ताओं के संरक्षण हेतु 1986 में ‘उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम’ नामक कानून बनाया गया ।
उपभोक्ता अधिकार – (1) उपभोक्ताओं के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण सुरक्षा का अधिकार है। हमें उत्पाद खरीदते समय सुरक्षा सम्बन्धी पूरी जाँच करनी चाहिए।
(2) उपभोक्ता का दूसरा महत्त्वपूर्ण अधिकार सूचना पाने का अधिकार है। उपभोक्ता जब वस्तुओं एवं सेवाओं को खरीदता है तो उसे उसके सम्बन्ध में पूरी जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है।
(3) उपभोक्ता को वस्तु अथवा सेवा के चुनाव का अधिकार होता है ।
(4) उपभोक्ताओं को अनुचित सौदेबाजी और शोषण के विरुद्ध क्षतिपूर्ति निवारण का अधिकार है ।
(5) उपभोक्ता के रूप में उपभोक्ता न्यायालय में प्रतिनिधित्व का अधिकार ।
(6) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार ।
न्यायिक तन्त्र- ‘उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम’ के अन्तर्गत उपभोक्ता विवादों के निपटारे के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तरों पर एक त्रिस्तरीय न्यायिक तंत्र स्थापित किया गया है। इस अधिनियम ने उपभोक्ता के रूप में उपभोक्ता न्यायालय में प्रतिनिधित्व का अधिकार देकर हमें समर्थ बनाया है। हमें एक जागरूक उपभोक्ता बनना होगा, सरकार द्वारा भी उपभोक्ता को जागरूक बनाने हेतु कई प्रयास किए जा रहे हैं ।
उपभोक्ता आंदोलन को आगे बढ़ाने के संबंध में – 24 दिसम्बर को भारत में ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस’ के रूप में मनाया जाता रहा है। भारत में उपभोक्ता संरक्षण के सम्बन्ध में निरन्तर प्रयास हो रहे हैं तथा तरक्की हो रही है। भारत में अनेक उपभोक्ता संगठन कार्यरत हैं। उपभोक्ता संरक्षण हेतु उपभोक्ताओं की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। उपभोक्ता के अधिकारों को मजबूती देने हेतु कोपरा ‘उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम’ में 2019 में संशोधन हुआ था । जिसमें अब इंटरनेट के माध्यम से खरीद भी शामिल है।

RBSE Class 10 Social Science उपभोक्ता अधिकार InText Questions and Answers

पृष्ठ 77 (आओ इन पर विचार करें)

प्रश्न 1.
वे कौनसे विभिन्न तरीके हैं, जिनके द्वारा बाजार में लोगों का शोषण हो सकता हैं?
उत्तर:
बाजार में उत्पादकों एवं व्यापारियों द्वारा अनेक तरीकों से शोषण किया जाता है जो निम्न प्रकार है-

  • व्यापारियों तथा दुकानदारों द्वारा प्रायः कम तोलकर उपभोक्ताओं का शोषण किया जाता है।
  • कई बार दुकानदार या व्यापारी उपभोक्ताओं से वस्तुओं एवं सेवाओं की अधिक कीमत ले लेते हैं।
  • व्यापारी तथा दुकानदार द्वारा उपभोक्ताओं को मिलावटी वस्तु दे दी जाती है।
  • कई बार कम्पनियों द्वारा गलत या उपभोक्ताओं को भ्रमित करने वाले विज्ञापन दिए जाते हैं तथा जिनके माध्यम से उपभोक्ताओं का शोषण होता है।
  • कई बार कम्पनियाँ कीमत में कई गुप्त अथवा छुपी हुई मदों को जोड़कर भी उपभोक्ताओं का शोषण करती हैं।
  • कई बार व्यापारी वस्तुओं की जमाखोरी द्वारा कृत्रिम अभाव उत्पन्न कर बढ़े हुए मूल्य पर उन्हें उपभोक्ताओं को बेचकर उनका शोषण करते हैं।
  • कई बार विक्रेता विक्रय के उपरान्त सन्तोषजनक सेवाएँ न देकर भी उपभोक्ताओं का शोषण करते हैं।
  • विक्रेता द्वारा उपभोक्ताओं को नकली वस्तुएँ देकर भी शोषण किया जाता है।

प्रश्न 3.
आपकी राय में उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए सरकार की क्या भूमिका होनी चाहिए?
उत्तर:

  • उपभोक्ताओं की सुरक्षा हेतु सरकार को उपभोक्ता सम्बन्धी कानूनों का व्यापक प्रचार-प्रसार करना चाहिए तथा उपभोक्ता कानूनों का कड़ाई से पालन करवाने का प्रयास करना चाहिए।
  • सरकार उत्पादकों के लिए यह अनिवार्य करे कि प्रत्येक उत्पाद पर कीमत, निर्माण तिथि, प्रयोग की अन्तिम तिथि, गारण्टी/वारण्टी अवधि, उत्पाद के गुण, उत्पादक का नाम, पता तथा टेलीफोन नम्बर भी हो।

पृष्ठ 78 (आओ इन पर विचार करें)

प्रश्न 1.
उपभोक्ता दलों द्वारा कौन-कौनसे उपाय अपनाए जा सकते हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता दलों द्वारा उपभोक्ताओं को जागरूक करने हेतु अनेक उपाय किए जा सकते हैं। यथा-

  • उपभोक्ता दलों द्वारा उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों से अवगत कराना चाहिए।
  • उपभोक्ता सम्बन्धित कानूनों की जानकारी दी जानी चाहिए।
  • उपभोक्ताओं को उपभोक्ता अदालतों तथा शिकायत करने की प्रक्रिया की पूरी जानकारी दी जानी चाहिए।
  • समय-समय पर उपभोक्ताओं को जागरूक बनाने हेतु अपने-अपने क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।

प्रश्न 2.
नियम एवं कानून होने के बावजूद उनका अनुपालन नहीं होता है। क्यों? विचार-विमर्श करें।
उत्तर:
नियम एवं कानून होने के बावजूद उनका अनुपालन नहीं हो पाता, इसका सबसे मुख्य कारण यह है कि उपभोक्ता जागरूक नहीं है तथा बहुत से उपभोक्ता तो अपने अधिकारों से ही अवगत नहीं हैं। इसके अतिरिक्त कई उपभोक्ता कानूनी कार्यवाही में नहीं पड़ना चाहते तथा सब जानकारी होने के पश्चात् भी ऐसे उपभोक्ता शिकायत नहीं करते हैं। इसके अतिरिक्त अधिकारियों के असहयोग एवं भ्रष्टाचार के कारण भी नियम एवं कानून की अनुपालना नहीं हो पाती है।

पृष्ठ 79 (आओ इन पर विचार करें)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित उत्पादों/सेवाओं (आप सूची में नया नाम जोड़ सकते हैं) पर चर्चा करें कि इनमें उत्पादकों द्वारा किन सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए
(क) एल. पी. जी. सिलिंडर
(ख) सिनेमा थिएटर
(ग) सर्कस
(घ) दवाइयाँ
(च) खाद्य तेल
(छ) विवाह पंडाल
(ज) एक बहुमंजिली इमारत।
उत्तर:
(क) एल. पी. जी. सिलिंडर-कम्पनी में सिलिंडर भरते समय पूरी सावधानी बरतनी चाहिए तथा आधुनिक उपकरणों को काम में लेना चाहिए। सिलिंडर पर सभी आवश्यक सूचनाएँ लिखी होनी चाहिए। सिलिंडर की पूरी जाँच होनी चाहिए कि कहीं गैस निकल तो नहीं रही है। वजन पूरा होना चाहिए तथा कम्पनी की सील लगी होनी चाहिए।

(ख) सिनेमा थिएटर-सिनेमा थिएटरों की समय-समय पर लाइसेन्स एवं अन्य जाँच होनी चाहिए। थिएटर में पार्किंग की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। आग लगने पर बचाव हेतु सभी आवश्यक उपकरण होने चाहिए। आपातकालीन निकास द्वार भी होना चाहिए। सिनेमा थिएटर में सुरक्षा के पूरे इन्तजाम होने चाहिए तथा प्रवेश के समय सभी दर्शकों की पूरी जाँच होनी चाहिए। शौचालय की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। थिएटर में कैन्टीन में सफाई होनी चाहिए तथा खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की पूरी जाँच की जानी चाहिए तथा कीमतें भी सही निर्धारित की जानी चाहिए।

(ग) सर्कस सर्कस लगाते समय स्थान का ध्यान से निर्धारण किया जाना चाहिए तथा वहाँ पर्याप्त जगह होनी चाहिए। लोगों द्वारा पार्किंग के लिए बड़ा स्थान होना चाहिए। सुरक्षा का पूरा इन्तजाम होना चाहिए, प्रवेश के समय सभी दर्शकों की सही तरीके से जाँच की जानी चाहिए। जंगली जानवरों को रखने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए, उनके खान-पान की उचित व्यवस्था होनी चाहिए तथा जानवरों हेतु प्रशिक्षित लोग होने चाहिए। आग लगने पर बचाव के पूरे इन्तजाम होने चाहिए।

(घ) दवाइयाँ उत्पादकों द्वारा दवाई बनाते समय स्वास्थ्य एवं सुरक्षा सम्बन्धी सभी नियमों को ध्यान में रखना चाहिए। सही मात्रा में एवं शुद्ध रसायनों का उपयोग किया जाना चाहिए। किसी भी प्रतिबन्धित दवाई का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। दवाइयों पर उनकी कीमत, फार्मूला, उत्पादन तिथि, समाप्ति तिथि, कम्पनी का नाम एवं पता सभी सही लिखा होना चाहिए।

(च) खाद्य तेल-खाद्य तेल का उत्पादन करते समय उत्पादकों को ध्यान रखना चाहिए कि सभी सामग्री शुद्ध होनी चाहिए तथा खाद्य तेल की सही पैकिंग होनी चाहिए। डिब्बे पर उत्पादन तिथि, कीमत, समाप्ति तिथि आदि की प जानकारी दी जानी चाहिए। खाद्य तेल में किसी प्रकार की मिलावट नहीं होनी चाहिए। उत्पादक द्वारा उपयुक्त ट्रेडमार्क लिया जाना चाहिए।

(छ) विवाह पंडाल-विवाह पंडाल हेतु पर्याप्त जगह होनी चाहिए तथा वहाँ पानी-बिजली की उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए। विवाह पंडाल में आगन्तुकों के वाहनों की पार्किंग हेतु भी पर्याप्त जगह अवश्य होनी चाहिए। पंडाल में आग बुझाने की उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए।

(ज) एक बहुमंजिली इमारत-बहुमंजिली इमारत का निर्माण पारित मानचित्र के अनुरूप ही किया जाना चाहिए। इमारत में पानी, बिजली, सुरक्षा, अग्निशमन गैस आदि की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए। इमारत में पार्किंग की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए तथा लिफ्ट की व्यवस्था भी होनी चाहिए।

पृष्ठ 81 (आओ इन पर विचार करें)

प्रश्न 1.
“जब हम वस्तुएँ खरीदते हैं तो पाते हैं कि कभी-कभी पैकेट पर छपे मूल्य से अधिक या कम मूल्य लिया जाता है।” इसके संभावित कारणों पर बात करें। क्या उपभोक्ता समूह इस मामले में कुछ कर सकते हैं? चर्चा करें।
उत्तर:
यह सत्य है कि विक्रेता कई बार छपे मूल्य से कम या ज्यादा कीमत पर अपनी वस्तुएँ बेचता है। कम मूल्य पर वस्तु बेचने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार विक्रेता ग्राहकों को आकर्षित करने हेतु अपने लाभ में कुछ कमी करके कम कीमत ले लेते हैं किन्तु कई बार विक्रेता बहुत कम कीमत पर वस्तुएँ बेचता है, ऐसी स्थिति में नकली माल का भय रहता है। इसके अतिरिक्त कई बार विक्रेता उपभोक्ता की अज्ञानता, अशिक्षा या लापरवाही का फायदा उठाकर ऊँची कीमत पर अपना माल बेचता है।

यदि उपभोक्ता समूह विक्रेता द्वारा ली गई कीमत से सन्तुष्ट नहीं हैं तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उन्हें कई अधिकार प्राप्त हैं। उपभोक्ता विक्रेता के खिलाफ उपभोक्ता मंच अथवा अदालत में अपील कर सकते हैं।

प्रश्न 3.
लोग नागरिकों की समस्याओं, जैसे-खराब सड़कों या दूषित पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में शिकायतें करते हैं, लेकिन कोई नहीं सुनता। अब RTI कानून आपको प्रश्न पूछने का अधिकार देता है। क्या आप इससे सहमत हैं? विचार कीजिए।
उत्तर:
यह सत्य है कि RTI कानन हमें प्रश्न पछने का अधिकार देता है। हम हमारे हित से सम्बन्धित सभी प्रश्न सरकार अथवा सरकारी विभाग अथवा निजी कम्पनी से पूछ सकते हैं तथा सम्बन्धित विभाग द्वारा उन प्रश्नों के उत्तर अथवा चाही गई सूचना देना अनिवार्य है तथा निर्धारित समय में चाही गई सूचना देना आवश्यक है अन्यथा उपभोक्ता उनके खिलाफ शिकायत कर सकता है।

पृष्ठ 84 ( आओ इन पर विचार करें)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित को सही क्रम में रखें-
(क) अरिता जिला उपभोक्ता अदालत में एक मुकदमा दायर करती है।
(ख) वह शिकायत के लिए पेशेवर व्यक्ति से मिलती है।
(ग) वह महसूस करती है कि दुकानदार ने उसे दोषयुक्त सामग्री दी है।
(घ) वह अदालती कार्यवाहियों में भाग लेना शुरू कर देती है।
(ङ) वह शाखा कार्यालय जाती है और डीलर के विरुद्ध शिकायत दर्ज करती है, लेकिन कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
(च) अदालत के समक्ष पहले उससे बिल और वारंटी प्रस्तुत करने को कहा गया।
(छ) वह एक खुदरा विक्रेता से दीवाल घड़ी खरीदती है।
(ज) कुछ ही महीनों के भीतर, न्यायालय ने खुदरा विक्रेता को आदेश दिया कि उसकी पुरानी दीवाल घड़ी की जगह बिना कोई अतिरिक्त मूल्य लिए उसे एक नयी घड़ी दी जाए।
उत्तर:
(छ ) अरिता एक खुदरा विक्रेता से दीवाल घड़ी खरीदती है।
(ग) वह महसूस करती है कि दुकानदार ने उसे दोषयुक्त सामग्री दी है।
(ड) वह शाखा कार्यालय जाती है और डीलर के विरुद्ध शिकायत दर्ज करती है, लेकिन कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
(ख) वह शिकायत के लिए पेशेवर व्यक्ति से मिलती है।
(क) अरिता जिला उपभोक्ता अदालत में एक मुकदमा दायर करती है।
(घ) वह अदालती कार्यवाहियों में भाग लेना शुरू कर देती है।
(च) अदालत के समक्ष पहले उससे बिल और वारंटी प्रस्तुत करने को कहा गया।
(ज) कुछ ही महीनों के भीतर, न्यायालय ने खुदरा विक्रेता को आदेश दिया कि उसकी पुरानी दीवाल घड़ी की जगह बिना कोई अतिरिक्त मुल्य लिए उसे एक नयी घडी दी जाए।

पृष्ठ 86 ( आओ इन पर विचार करें)

प्रश्न 3.
उपभोक्ता संरक्षण परिषद् एवं उपभोक्ता अदालत में क्या अंतर है?
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण परिषद-उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की व्यवस्था के अनुसार केन्द्रीय, राज्य तथा जिला स्तर पर उपभोक्ता संरक्षण परिषद् का गठन किया जाता है। केन्द्रीय स्तर पर केन्द्र के उपभोक्ता मामलों के मंत्री की, राज्य में राज्य के उपभोक्ता मामलों के मंत्री की तथा जिला स्तर पर जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में इनका गठन किया जाता है। इनमें सरकारी एवं गैर सरकारी दोनों तरह के सदस्य होते हैं। ये परिषदें विभिन्न तरीकों से उपभोक्ता के हितों की रक्षा का कार्य करती हैं।

उपभोक्ता अदालत-उपभोक्ता विवादों के निपटारे हेतु उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत एवं त्रिस्तरीय न्यायिक तंत्र स्थापित किया गया है। इन्हें जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता अदालत कहा जाता है।

प्रश्न 4.
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 एक उपभोक्ता को निम्नलिखित अधिकार प्रदान करता है-
(क) चयन का अधिकार
(घ) प्रतिनिधित्व का अधिकार
(ख) सूचना का अधिकार
(च) सुरक्षा का अधिकार
(ग) निवारण का अधिकार
(छ) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार
निम्नलिखित मामलों को उनके सामने दिए गए खानों में अलग शीर्षक और चिह्न के साथ श्रेणीबद्ध करें-
(क) लता को एक नये खरीदे गए आयरन-प्रेस से विद्युत का झटका लगा। उसने तुरन्त दुकानदार से शिकायत की। ( )
(ख) जॉन विगत कुछ महीनों से एम.टी.एन.एल / बी.एस.एन.एल / टाटा इंडीकॉम द्वारा दी गई सेवाओं से असंतुष्ट है। उसने जिला स्तरीय उपभोक्ता फोरम में मुकदमा दर्ज किया। ( )
(ग) तुम्हारे मित्र ने एक दवा खरीदी, जो समाप्ति तारीख (एक्सपायरी डेट) पार कर चुकी है और तुम उसे शिकायत दर्ज करने की सलाह दे रहे हो। ( )
(घ) इकबाल कोई भी सामग्री खरीदने से पहले उसके आवरण पर दी गई सारी जानकारियों की जाँच करता है। ( )
(च) आप अपने क्षेत्र के केबल ऑपरेटर द्वारा दी जाने वाली सेवाओं से असंतुष्ट हैं, लेकिन आपके पास कोई विकल्प नहीं है। ( )
(छ) आपने ये महसूस किया कि दुकानदार ने आपको खराब कैमरा दे दिया है। आप मुख्य कार्यालय में दृढ़ता से शिकायत करते हैं। ( )
उत्तर:
(क) सुरक्षा का अधिकार
(ख) निवारण का अधिकार
(ग) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार
(घ) सूचना का अधिकार
(च) चयन का आधिकार।
(छ) प्रतिनिधित्व का अधिकार।

प्रश्न 5.
यदि मानकीकरण वस्तुओं की गुणवत्ता को सुनिश्चित करता है, तो क्यों बाजार में बहुत सी वस्तुएँ बिना आई.एस.आई. अथवा एगमार्क प्रमाणन के मौजूद हैं?
उत्तर:
कुछ उत्पाद जो उपभोक्ता की सुरक्षा और स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं या जिनका उपयोग बड़े पैमाने पर होता है, उनके उत्पादन के लिए आई.एस.आई. अथवा एगमार्क प्रमाणन अनिवार्य होता है। सभी उत्पादकों के लिए इन मानदण्डों का पालन करना जरुरी नहीं होता है। इसके अतिरिक्त कुछ लालची लोग जो नकली उत्पाद बनाकर कम कीमत पर माल बेचते हैं, वे भी इनका उपयोग नहीं करते हैं।

RBSE Class 10 Social Science उपभोक्ता अधिकार Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
बाजार में नियमों तथा विनियमों की आवश्यकता क्यों पड़ती है? कुछ उदाहरणों के द्वारा समझाएँ।
अथवा
“उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियमों और उपनियमों की आवश्यकता है।” दो तर्क देकर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
बाजार में उपभोक्ताओं, श्रमिकों आदि को संरक्षण प्रदान करने हेतु विभिन्न नियमों तथा विनियमों की आवश्यकता होती है क्योंकि-
(i) प्रायः देखा जाता है कि विभिन्न नियोक्ता एवं उत्पादकों द्वारा श्रमिकों का शोषण किया जाता है। विक्रेताओं तथा दुकानदारों द्वारा उपभोक्ताओं का शोषण किया जाता है। अतः उपभोक्ताओं, श्रमिकों आदि को शोषण से बचाने के लिए नियम एवं विनियमों की आवश्यकता होती है।

(ii) अधिकतर बड़ी कम्पनियाँ बाजार की क्रियाओं का उल्लंघन करती हैं। उदाहरण के लिए एक कम्पनी ने दावा किया कि उनका डिब्बाबन्द दूध का पाउडर माता के दूध से बेहतर है। यह सफेद झूठ है। अतः ऐसे विज्ञापनों से उपभोक्ता को बचाने के लिए नियम एवं विनियम आवश्यक हैं।

प्रश्न 2.
भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की शुरुआत किन कारणों से हुई? इसके विकास के बारे में पता लगाइए।
अथवा
भारत में उपभोक्ता आन्दोलन क्यों प्रारम्भ हुआ? इस आन्दोलन का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में उपभोक्ता आंदोलन के लिए उत्तरदायी किन्हीं तीन कारणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत किन कारणों से हुई? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
उपभोक्ता आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता आंदोलन के प्रारम्भ होने के कारण-

  • भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत उपभोक्ताओं के असन्तोष के कारण हुई क्योंकि विक्रेता कई प्रकार के अनुचित व्यावसायिक व्यवहार करते थे तथा उपभोक्ताओं का शोषण करते थे।
  • बाजार में उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी।
  • भारत में सामाजिक बल के रूप में उपभोक्ता आन्दोलन का जन्म, अनैतिक एवं अनुचित व्यावसायिक कार्यों से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता के साथ हुआ।
  • भारत में अत्यधिक खाद्य कमी, जमाखोरी, कालाबाजारी, खाद्य पदार्थों एवं खाद्य तेल में मिलावट की वजह से 1960 के दशक में व्यवस्थित रूप में उपभोक्ता आन्दोलन का उदय हुआ।

उपभोक्ता आंदोलन का विकास-
(1) 1970 के दशक तक उपभोक्ता संस्थाएँ वहद स्तर पर उपभोक्ता अधिकार से सम्बन्धित आलेखों के लेखन और प्रदर्शनी का आयोजन का कार्य करने लगी थीं। उन्होंने कई उपभोक्ता दलों का निर्माण किया जिनकी संख्या में निरन्तर वृद्धि होती गई।

(2) उपभोक्ता आन्दोलन के फलस्वरूप सरकार ने 1986 में उपभोक्ताओं के संरक्षण हेतु सबसे महत्वपूर्ण ‘उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम 1986’ कानून बनाया जो COPRA के नाम से विख्यात है।

प्रश्न 3.
दो उदाहरण देकर उपभोक्ता जागरूकता की जरूरत का वर्णन करें।
उत्तर:
उदाहरण (1) आज भी अनेक दकानदार तथा विक्रेता अपने उपभोक्ताओं को खराव, कम वजन की वस्तुएँ तथा अप्रमाणित वस्तुएँ बेच देते हैं जिससे उनके स्वास्थ्य एवं धन का नुकसान होता है।

उदाहरण (2) आज भी हम अखबार में कई नीम-हकीमों के विज्ञापन देखते हैं जो लोगों को भ्रमित करने हेतु कई लोगों के उदाहरण देते हुए कई असंभव दावे करते हैं जो वास्तव में चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से संभव नहीं हैं अथवा जिन पर शोध चल रहा है।

उपर्युक्त उदाहरणों की भाँति अनेक उदाहरण हैं जिनमें उत्पादक तथा विक्रेता उपभोक्ताओं का कई प्रकार से शोषण कर रहे हैं। इन सबका मुख्य कारण उपभोक्ताओं की अशिक्षा तथा अज्ञानता है। आज भी बहत से उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों का ज्ञान नहीं है तथा सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों एवं उपभोक्ता से सम्बन्धित कानूनों की जानकारी नहीं है अतः वे शोषण का शिकार हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं को जागरूक बनाना अत्यन्त आवश्यक है।

प्रश्न 4.
कुछ ऐसे कारकों की चर्चा करें, जिनसे उपभोक्ताओं का शोषण होता है।
अथवा
कुछ ऐसे कारकों की चर्चा कीजिए, जिनसे उपभोक्ताओं का शोषण होता है। किन्हीं तीन कारकों का उल्लेख करें।
अथवा
दो कारकों का वर्णन कीजिए, जिनसे उपभोक्ताओं का शोषण होता है।
उत्तर:
उपभोक्ता के शोषण हेतु अनेक कारक जिम्मेदार हैं, जो निम्न प्रकार हैं-

  • उपभोक्ता की अज्ञानता, अशिक्षा तथा लापरवाही उपभोक्ताओं के शोषण का सबसे महत्त्वपर्ण कारक है।
  • आज भी अधिकांश उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों एवं अधिनियमों की जानकारी नहीं है जिससे उनक शोषण होता है।
  • उपभोक्ता संरक्षण से सम्बन्धित नियम एवं विनियमों का भी सही क्रियान्वयन नहीं किया जाता है तथा प्राय: इनकी प्रक्रिया भी लम्बी होती है अतः उपभोक्ता अपील करने में रुचि नहीं रखते।

प्रश्न 5.
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 के निर्माण की जरूरत क्यों पड़ी?
उत्तर:
भारत में उपभोक्ता आन्दोलन बढ गया तथा उपभोक्ता दलों की संख्या भी बढ़ती गई, जिससे सरकार पर दबाव बढ़ा एवं उसने उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 का निर्माण किया। सरकार को इसके निर्माण की जरूरत पड़ने के अन्य कारण ये थे-

  • उपभोक्ताओं के हितों का संरक्षण करना।
  • व्यापारियों द्वारा किये जा रहे उपभोक्ताओं के शोषण को रोकना।

प्रश्न 6.
अपने क्षेत्र के बाजार में जाने पर उपभोक्ता के रूप में अपने कुछ कर्त्तव्यों का वर्णन करें।
उत्तर:
उपभोक्ताओं को शोषण से बचने हेतु निम्न कर्त्तव्यों का पालन करना चाहिए-

  • उपभोक्ताओं को प्रायः अधिकृत दुकान से ही सामान खरीदना चाहिए।
  • वस्तु या सेवा क्रय करने से पूर्व विक्रेता से वस्तु या सेवा की पूरी जानकारी लेनी चाहिए तथा उससे सम्बन्धित सभी शर्तों को ध्यान से पढ़ना चाहिए।
  • वस्तु अथवा सेवा की कीमत, उत्पादन तिथि, समाप्ति तिथि, कम्पनी, ट्रेडमार्क आदि की पूरी जानकारी लेनी चाहिए।
  • विक्रेता से विज्ञापन सम्बन्धी सभी जानकारी ले लेनी चाहिए तथा विज्ञापन शर्तों को भी ध्यान से जान लेना चाहिए। .
  • वस्तु खरीदने पर वस्तु की अच्छी तरह जाँच कर लेनी चाहिए।
  • वस्तु या सेवा की गारन्टी अथवा वारन्टी की पूरी जानकारी ले लेनी चाहिए।
  • विक्रेता से बिल अवश्य लेना चाहिए।

प्रश्न 7.
मान लीजिए, आप शहद की एक बोतल और बिस्किट का एक पैकेट खरीदते हैं। खरीदते समय आप कौन-सा लोगो या शब्द चिन्ह देखेंगे और क्यों?
उत्तर:
हमें गुणवत्ता सम्बन्धी चिन्ह देखना चाहिए जो एगमार्क के रूप में होता है। यह चिन्ह गुणवत्ता का प्रतीक होता है अर्थात् शुद्धता का प्रतीक होता है।

प्रश्न 8.
भारत में उपभोक्ताओं को समर्थ बनाने के लिए सरकार द्वारा किन कानूनी मापदंडों को लागू करना चाहिए?
उत्तर:
भारत में उपभोक्ता संरक्षण हेतु सरकार ने कई अधिनियम बनाए हैं जिन्हें सही रूप से क्रियान्वयन किया जाना चाहिए। सरकार द्वारा उत्पादों एवं कारखानों सम्बन्धी भी कई कानून बनाए गए हैं जिनका पालन किया जाना चाहिए। इन सभी कानूनों का व्यापक प्रचार-प्रसार करना चाहिए।

प्रश्न 9.
उपभोक्ताओं के कुछ अधिकारों को बताएँ और प्रत्येक अधिकार पर कुछ पंक्तियाँ लिखें।
उत्तर:
उपभोक्ता के प्रमुख अधिकार निम्न प्रकार हैं-

  • सुरक्षा का अधिकार-कुछ वस्तुएँ गंभीर आघात पहुँचा सकती हैं। ये वस्तुएँ हैं-प्रेशर कुकर, गैस सिलिंडर, विद्युत की वस्तुएँ आदि। यदि इन वस्तुओं में कोई भी निर्माण की खराबी पाई जाती है तो उपभोक्ता के पास इन घातक खतरों के विरुद्ध संरक्षण के अधिकार प्राप्त हैं।
  • सूचना पाने का अधिकार-एक उपभोक्ता के पास उत्पाद की किस्म, मात्रा और कीमत संबंधी जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होता है।
  • चुनाव का अधिकार उपभोक्ता के पास दूसरे उपलब्ध वैकल्पिक उत्पादों में से अपनी पसंद का उत्पाद चुनने का अधिकार होता है। यह अधिनियम उपभोक्ता को चुनाव करने का अधिकार प्रदान करता है।
  • क्षतिपूर्ति नवारण का अधिकार प्रत्येक उपभोक्ता को सुने जाने का अधिकार प्रदान किया जाना चाहिए। उसे यह विश्वास दिलाना चाहिए कि उत्पादों और सेवाओं से संबंधित उसकी शिकायतों तथा तकलीफ को सुना जाएगा तथा इस पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उपभोक्ता को उत्पादक एवं विक्रेता के कारण हुई क्षति के सम्बन्ध में क्षतिपूर्ति निवारण का अधिकार है। .
  • प्रतिनिधित्व का अधिकार- उपभोक्ता के पास उत्पादकों द्वारा शोषित या ठगे जाने के मामले में अपने पक्ष में दावा स्वीकार कराने का अधिकार होता है। सरकार ने इस विशेष उद्देश्य के लिए अनेक उपभोक्ता अदालतें स्थापित की हैं।
  • उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार- उपभोक्ता को वस्तुओं, सेवाओं एवं उनके उपयोग की विधि आदि के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है।

प्रश्न 10.
उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन कैसे कर सकते हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन कई प्रकार से कर सकते हैं। वे किसी उपभोक्ता संगठन या दल का निर्माण करके अपने अधिकारों के लिए लड़ सकते हैं तथा अन्य उपभोक्ताओं को भी जागरूक बना सकते हैं। उपभोक्ता किसी उत्पाद या कम्पनी के खिलाफ भी एकजुट होकर प्रदर्शन कर सकते हैं। उपभोक्ता पहले से चल रहे उपभोक्ता संगठनों से भी जुड़ सकते हैं।

प्रश्न 11.
भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की प्रगति की समीक्षा करें।
उत्तर:
भारत में 1960 के दशक में व्यवस्थित रूप से उपभोक्ता आन्दोलन का उदय हुआ तथा 1970 के दशक तक उपभोक्ता संस्थाएँ वृहद् स्तर पर उपभोक्ताओं के अधिकार से सम्बन्धित आलेखों के लेखन और प्रदर्शनी का आयोजन का कार्य करने लगी थीं। इसके पश्चात् उपभोक्ता दलों की संख्या में निरन्तर वृद्धि होती गई तथा सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण हेतु वर्ष 1986 में ‘उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 जारी किया। आज देश में 700 से अधिक उपभोक्ता संगठन हैं किन्तु उनमें से मात्र 20-25 ही पूर्ण संगठित एवं मान्यता प्राप्त हैं।

भारत में उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम के तहत उपभोक्ता अदालतों का गठन किया गया किन्तु अभी भी लोगों को इसके सम्बन्ध में पूरी जानकारी नहीं है तथा इन अदालतों की कार्यप्रणाली भी अत्यन्त जटिल एवं लम्बी है, जिससे लोग अपील करने में रुचि नहीं लेते हैं।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित को सुमेलित करें-

(1) एक उत्पाद के घटकों का विवरण (क) सुरक्षा का अधिकार
(2) एगमार्क (ख) उपभोक्ता मामलों से संबंध
(3) स्कूटर में खराब इंजन के कारण हुई दुर्घटना (ग) अनाज और खाद्य तेल का प्रमाण
(4) जिला उपभोक्ता अदालत विकसित करने वाली एजेंसी (घ) उपभोक्ता कल्याण संगठनों की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था
(5) उपभोक्ता इंटरनेशनल (ङ) सूचना का अधिकार
(6) भारतीय मानक ब्यूरो (च) वस्तुओं और सेवाओं के लिए मानक

उत्तर:

(1) एक उत्पाद के घटकों का विवरण (ङ) सूचना का अधिकार
(2) एगमार्क (ग) अनाज और खाद्य तेल का प्रमाण
(3) स्कूटर में खराब इंजन के कारण हुई दुर्घटना (क) सुरक्षा का अधिकार
(4) जिला उपभोक्ता अदालत विकसित करने वाली एजेंसी (ख) उपभोक्ता मामलों से संबंध
(5) उपभोक्ता इंटरनेशनल (घ) उपभोक्ता कल्याण संगठनों की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था
(6) भारतीय मानक ब्यूरो (च) वस्तुओं और सेवाओं के लिए मानक

प्रश्न 13.
सही या गलत बताएँ।
(क) कोपरा केवल सामानों पर लागू होता है।
(ख) भारत विश्व के उन देशों में से एक है, जिसके पास उपभोक्ताओं की समस्याओं के निवारण के लिए विशिष्ट अदालतें हैं।
(ग) जब उपभोक्ता को ऐसा लगे कि उसका शोषण हुआ है, तो उसे जिला उपभोक्ता अदालत में निश्चित रूप से मुकदमा दायर करना चाहिए।
(घ) जब अधिक मूल्य का नुकसान हो, तभी उपभोक्ता अदालत में जाना लाभप्रद होता है।
(ङ) हॉलमार्क, आभूषणों की गुणवत्ता बनाए रखने वाला प्रमाण है।
(च) उपभोक्ता समस्याओं के निवारण की प्रक्रिया अत्यन्त सरल और शीघ्र होती है।
(छ) उपभोक्ता को मुआवजा पाने का अधिकार है, जो क्षति की मात्रा पर निर्भर करता है।
उत्तर:
(क) गलत
(ख) सही
(ग) सही
(घ) गलत
(ङ) सही
(च) गलत
(छ) सही।

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