RB 6 Sanskrit

RBSE Class 6 Sanskrit व्याकरण कारक प्रकरणम्

RBSE Class 6 Sanskrit व्याकरण कारक प्रकरणम्

Rajasthan Board RBSE Class 6 Sanskrit व्याकरण कारक प्रकरणम्

कारक की परिभाषा – वाक्य में जिसका क्रिया के साथ सीधा सम्बन्ध होता है, उसे कारक कहते हैं। संस्कृत व्याकरण में कारक छह होते हैं-

  1. कत्त
  2. कर्म
  3. करण
  4. सम्प्रदान
  5. अपादान
  6. अधिकरण।

‘सम्बन्ध’ को कारक नहीं माना गया है, क्योंकि वह क्रिया से सीधे सम्बन्धित नहीं होता है। किन्तु वाक्य-निर्माण में उसकी आवश्यकता को देखते हुए उसे भी यहाँ दिया जा रहा

  1. कर्ता-किसी क्रिया को करने वाले व्यक्ति को कर्ता कहते हैं। कर्ता में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है। जैसे—’मोहन: ग्रामं गच्छति’ इस वाक्य में गाँव जाने वाला मोहन ‘कर्ता’ है। अत: ‘मोहन’ शब्द में प्रथमा विभक्ति होगी। कर्ता कारक का चिह्न ‘ने’ है।
  2. कर्म-कर्ता अपनी क्रिया द्वारा जिसको बहुत चाहता है, उसे कर्म कारक कहते हैं। कर्म में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है। इसका चिह्न ‘को’ है। जैसे—’देवदत्त: हरि भजति’। यहाँ ‘हरि’ कर्म कारक है, क्योंकि कर्ता ‘देवदत्त’ के द्वारा हरि को चाहा जा रहा है।
  3. करण कारक-किसी कार्य की सिद्धि में जो अत्यन्त सहायक हो, उसे ‘करण’ कहते हैं। करण में तृतीया विभक्ति होती है, जैसे-‘रामः कलमेन लिखति।’ (राम कलम से लिखता है।) उक्त वाक्य में लिखने के कार्य में कलम सहायक है, अत: कलम करण है। अत: उसमें तृतीया विभक्ति हुई है।
  4. सम्प्रदान कारक- जिसे कोई वस्तु दी जाये, उसको ‘सम्प्रदान’ कहते हैं। सम्प्रदान में चतुर्थी विभक्ति होती है। इसका चिह्न के लिए है, जैसे’सः विप्राय धनं ददाति’। (वह ब्राह्मण को धन देता है।) इस वाक्य में विप्न को धन दिया जा रहा है। अत: उसकी सम्प्रदान संज्ञा है और उसमें चतुर्थी विभक्ति हुई है।
  5. अपादान कारक – किसी व्यक्ति या वस्तु के अलग होने पर, जिससे वस्तु अलग होती है, उसकी अपादान संज्ञा होती है। अपादान में पञ्चमी विभक्ति होती है। इसका चिह्न ‘से’ है, जैसेरमेश: ग्रामात् आगच्छति। (रमेश गाँव से आता है।) इस वाक्य में रमेश ग्राम से अलग होता है। अत: ‘ग्राम’ में पञ्चमी विभक्ति हुई है।
  6. सम्बन्ध- सम्बन्ध में षष्ठी विभक्ति होती है। उसके चिह्न का, की, के, रा, री, रे हैं, जैसे यह राम का घर है। इदं रामस्य गृहम् अस्ति।
  7. अधिकरण कारक- किसी वस्तु का जो आधार है, उसको ‘ अधिकरण’ कहते हैं। अधिकरण में सप्तमी विभक्ति होती है। इसके चिह्न ‘में’ तथा ‘पर’ हैं, जैसे
    • वह चटाई पर बैठा है। स: कटें आस्ते।
    • तिलों में तेल है। तिलेषु तैलम् अस्ति।

अभ्यास

1. रेखांकित पदों में प्रयुक्त विभक्ति का क्रमाक्षर लिखिए

प्रश्न 1.
इदं रामस्य गृहम् अस्ति|
(अ) प्रथमा
(ब) पष्ठी
(स) पंचमी
(द) चतुर्थी।
उत्तर:
(ब) पष्ठी

प्रश्न 2.
इदं देवदत्तस्य पुस्तकम् अस्ति।
(अ) द्वितीया
(ब) तृतीया
(स) षष्ठी
(द) पंचमी।
उत्तर:
(स) षष्ठी

प्रश्न 3.
गंगायाः जल पवित्रं भवति
(अ) प्रथमा
(ब) षष्ठी
(स) सप्तमी
(द) तृतीया।
उत्तर:
(ब) षष्ठी

प्रश्न 4.
वृक्षात् पत्रं पतति।
(अ) पंचमी
(ब) षष्ठी
(स) तृतीया
(द) चतुर्थी।
उत्तर:
(अ) पंचमी

प्रश्न 5.
स: कटे आस्ते।
(अ) पंचमी
(ब) प्रथमा
(स) सप्तमी
(द) द्वितीया।
उत्तर:
(स) सप्तमी

प्रश्न 6.
सः रामाय क्रुध्यति
(अ) चतुर्थी
(ब) प्रथमा
(स) द्वितीया
(द) तृतीया।
उत्तर:
(अ) चतुर्थी

प्रश्न 7.
बालकाय मोदकं रोचते।।
(अ) प्रथमा
(ब) चतुर्थी
(स) सप्तमी
(द) पंचमी
उत्तर:
(ब) चतुर्थी

प्रश्न 8.
राम: ग्रामं गच्छति।।
(अ) द्वितीया
(ब) चतुर्थी
(स) षष्ठी
(द) तृतीया।
उत्तर:
(अ) द्वितीया

प्रश्न 9.
स: दण्डेन कुक्कुरं ताड्यति।
(अ) द्वितीया
(ब) षष्ठी
(स) सप्तमी
(द) तृतीया।
उत्तर:
(द) तृतीया।

प्रश्न 10.
सः नेत्रेण काणः अस्ति।
(अ) तृतीया
(ब) षष्ठी
(स) सप्तमी
(द) चतुर्थी।
उत्तर:
(अ) तृतीया

2. कोष्ठकस्य शब्दे चितविभक्तिं संयोज्य रिक्तस्थान पूरयत (कोष्ठक में दिए शब्द में उचित विभक्ति जोड़कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए)

प्रश्न 1.
सः …………… सह् क्रीडति। (मित्र)
उत्तर:
मित्रेण

प्रश्न 2.
ते …………. कन्दुकं क्षिपन्ति (पद)
उत्तर:
पादैन

प्रश्न 3.
पूजकः ……………. प्रसादं यच्छति। (सर्व)
उत्तर:
सर्वेभ्य

प्रश्न 4.
……….. नमो नमः। (देव)
उत्तर:
दैवाय

प्रश्न 5.
………………. धर्म: ततोसुखम्।। (धन)
उत्तर:
धनात्

प्रश्न 6.
……… प्रति तादृशं व्यवहारम् अकरोत्। (शृगाल)
उत्तर:
शृगालं

प्रश्न 7.
सः …………… जले अकर्दत। (वृक्ष)
उत्तर:
वृक्षात्

प्रश्न 8.
एतत् ……………. पुस्तकम् अस्ति। (अस्मद्)
उत्तर:
मम्

प्रश्न 9.
मनुष्यः …………… चलति। (पाद)
उत्तर:
पादेन

प्रश्न 10.
रामः …………… गच्छति। (ग्राम)
उत्तर:
ग्राम्

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