RB 9 Hindi

RBSE Class 9 Hindi Rachana पत्र-लेखन

RBSE Class 9 Hindi Rachana पत्र-लेखन

RBSE Class 9 Hindi Rachana पत्र-लेखन

सामाजिक प्राणी होने से मनुष्य को अपने सम्बन्धियों, मित्रों, पारिवारिकजनों तथा विभिन्न अधिकारियों को पत्र लिखने की आवश्यकता पड़ती है। पत्र-लेखन एक कला है। यह विचार-विनिमय का अच्छा, सरल और सस्ता साधन है। यद्यपि आजकल दूरभाष, तार, ई-मेल, इंटरनेट, मोबाइल फोन आदि के द्वारा भी विभिन्न सूचनाओं एवं समाचारों का आदान-प्रदान सरलता से किया जाता है। फिर भी पत्रों का अपना ही महत्त्व है। लेखन के कारण इनका अपना स्थायी महत्त्व है। इसके साथ ही पत्रों के द्वारा हम अपनी बात विस्तार से, प्रभावी ढंग से, आत्मीयता से व्यक्त कर देते हैं। जिसे पढ़ने वाला अच्छी तरह से समझ लेता है।

अधिकारियों तक अपनी बात पहुँचाने, शिकायत करने, आवेदन या प्रार्थना आदि के लिए केवल पत्रों का ही सहारा लिया जा सकता है, अन्य साधन उपयुक्त नहीं माने जाते हैं। इसलिए भी पत्रों का अपना ही महत्त्व है। पत्र-लेखन की कुछ महत्त्वपूर्ण बातें-पत्र-लेखन की कुछ महत्त्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं

  1. सरलता-पत्र की भाषा सरल, सुबोध तथा स्पष्ट होनी चाहिए। पत्र में लेखक का आशय पूरी तरह से व्यक्त होना अपेक्षित है।
  2. संक्षिप्तता-पत्र लेखन में अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए। बात को स्पष्ट, संक्षेप में लिखना चाहिए। लिखने वाला कह जाए और पढ़ने वाला अच्छी तरह से समझ जाए।
  3. निश्चयात्मकता-पत्र में लेखक को अपनी बात निश्चयपूर्वक कहनी चाहिए। इसके साथ ही सभी बातों को क्रम से लिखना चाहिए, ताकि कोई बात लिखने से छूट न जाए।
  4. शिष्टता-पत्र-लेखन में विनम्र और शिष्ट शब्दावली का ही प्रयोग किया जाना चाहिए।

पत्रों के प्रकार :

आवश्यकता और स्थिति के अनुसार पत्र कई प्रकार के होते हैं, किन्तु उन्हें मोटे तौर पर दो वर्गों में विभक्त किया जा सकता है
(1) औपचारिक पत्र (Formal letter)
(2) अनौपचारिक पत्र (Informal letter)

1. औपचारिक पत्र-जो पत्र सरकारी कार्यालयों तथा अधिकारियों को अथवा व्यावसायिक कार्यों को लेकर लिखे जाते हैं, उन्हें औपचारिक पत्र कहते हैं। यथा –

2. अनौपचारिक पत्र-ये पत्र उन लोगों को लिखे जाते हैं जिन लोगों के साथ लेखक का व्यक्तिगत संबंध होता है। जैसे –

पत्रों के अंग

  1. पत्र-लेखक का पता और दिनांक-यह पत्र के ऊपरी सिरे पर प्रायः दायीं ओर लिखा जाता है, लेकिन आजकल इसे बाईं ओर लिखने का प्रचलन भी हो गया है।
  2. संबोधन तथा अभिवादन-ये पत्र के बाईं ओर लिखे जाते हैं। पहले सम्बोधन शब्द लिखा जाता है, बाद में अभिवादन लिखा जाता है। औपचारिक-पत्रों में अभिवादन शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता है।
  3. पत्र की विषय-सामग्री-पत्र के इस मुख्य भाग में पत्र-द्वारा प्रेषित की जाने वाली सूचना, समाचार, निवेदन, आदेश, शिकायत या विषयानुसार बातें लिखी जाती हैं।
  4. पत्र की समाप्ति-पत्र की समाप्ति पर लिखने वाले और पत्र प्राप्त करने वाले के संबंधों के अनुसार दाहिनी ओर शब्दावली का प्रयोग किया जाता है; जैसे तुम्हारा मित्र, भवदीय, प्रार्थी, आपका आज्ञाकारी, तुम्हारा शुभचिन्तक आदि।
  5. पत्र पाने वाले का पता-दोनों प्रकार के पत्रों में यह सबसे अन्त में लिखा जाता है। पते के साथ पिन कोड अवश्य लिखा जाना चाहिए।

संबोधन, अभिवादन तथा पत्र के अंत में प्रयुक्त होने वाले शब्दों की तालिका :


निर्देश – पाठ्यक्रम में औपचारिक और अनौपचारिक पत्रों का समावेश किया गया है। अनौपचारिक पत्रों के अन्तर्गत व्यक्तिगत पत्र तथा औपचारिक के अन्तर्गत कार्यालयी एवं व्यावसायिक आदि समस्त पत्रों के नमूने यहाँ दिये जा रहे हैं।

अनौपचारिक पत्र :

व्यक्तिगत-पत्र

(बहिन को पत्र)

प्रश्न 1.
स्वयं को मथुरा निवासी पंकज पाण्डे मानते हुए नवविवाहिता बहिन को पत्र लिखकर ज्ञात कीजिए कि ससुराल के नवीन वातावरण में वह कैसा अनुभव कर रही है?
उत्तर :

मथुरा
दिनांक : 25 अप्रैल, 20xx

चिरंजीवी बहिन,
सस्नेह अभिनन्दन!
हम सब यहाँ सकुशल हैं और तुम्हारी अपने नये परिवार के साथ सदैव कुशलता की कामना करते हैं।
जब से तुम्हें अपने ससुराल के लिए विदा किया है, यहाँ कुछ सूना-सूना सा लग रहा है, परन्तु तुम्हारे लिए यह सौभाग्य का विषय है कि जैसा वर और घर हम चाहते थे, वैसा ही तुम्हें मिला है। तुम्हारी ससुराल के लोग अच्छे, सभ्य और सम्पन्न हैं तथा तुम्हें वहाँ किसी बात की कमी नहीं होगी, फिर भी नये-नये वातावरण में कुछ अटपटा और अपरिचित-सा अवश्य लगता होगा। तुम पत्र द्वारा लिखना कि वहाँ का वातावरण कैसा अनुभव कर रही हो? तुम्हारे साथ सास-ससुर, देवर-ननद का व्यवहार कैसा है और तुम्हारे पति का बर्ताव कैसा है? क्या तुम्हें वहाँ किसी बात की दिक्कत तो नहीं होती है? अपने पत्र द्वारा लिखना और वहाँ के पूर्ण समाचार भेजना।
अपने ससुराल के सभी लोगों को हमारी तरफ से यथायोग्य वंदन आदि कहना। मम्मी-पापाजी तुम्हें आशीर्वाद कह रहे हैं तथा प्रमोद प्रणाम कह रहा है। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में।

तुम्हारा शुभेच्छु,
पंकज पाण्डे

(माता को पत्र)

प्रश्न 2.
आप कमला हैं। आपके गाँव में उच्च माध्यमिक विद्यालय न होने से आपने आगरा शहर के विद्यालय में प्रवेश लिया है। उस विद्यालय के वातावरण, शिक्षण-व्यवस्था एवं अपनी निवास-व्यवस्था के सम्बन्ध में अपनी माता को पत्र लिखिए।
उत्तर :

आगरा
दिनांक : 25 जुलाई, 20xx

परम पूज्या माताजी,
सादर चरण स्पर्श!

आपके आशीर्वाद से मैं यहाँ कुशल हूँ और आप सबकी प्रसन्नता की सदैव कामना करती हूँ।
हमारे विद्यालय का वातावरण बहुत ही अच्छा है। हमारे सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाएँ अतीव स्नेही स्वभाव की हैं। विद्यालय का अनुशासन बहुत अच्छा है, सभी छात्र-छात्राएँ अनुशासन का पालन करती हैं और शिक्षण के अतिरिक्त खेल-कूद तथा अन्य प्रवृत्तियों में भी भाग लेती हैं।
यहाँ मेरे निवास की व्यवस्था कन्या छात्रावास में हो गई है। यह छात्रावास शहर की भीड़-भाड़ से कुछ दूर और हमारे विद्यालय के समीप शान्त वातावरण में स्थित है। इसमें सुबह चाय-नाश्ता, दोपहर और सन्ध्या को भोजन की अच्छी व्यवस्था है। यहाँ मुझे किसी प्रकार की असुविधा नहीं है। अतः इस सम्बन्ध में भी आपको मेरी चिन्ता नहीं करनी चाहिए।
आलोक और दीप्ति को मेरा आशीष-प्यार। आप मेरी जरा भी चिन्ता न करें। पत्रोत्तर शीघ्र दें।

आपकी पुत्री,
कमला

(छोटे भाई को पत्र)

प्रश्न 3.
आप इटावा निवासी महेन्द्र हैं। अपने छोटे भाई सुरेन्द्र को, जो आगरा के गाँधी छात्रावास में रहकर अध्ययनरत है, एक पत्र लिखिए, जिसमें अपव्यय से बचने एवं बचत के सम्बन्ध में उपयोगी सुझाव दीजिए।
उत्तर :

इटावा
दिनांक : 15 अगस्त, 20xx

प्रिय अनुज सुरेन्द्र,
शुभाशीष!
यहाँ सब सकुशल हैं और तुम्हें सदा सानन्द चाहते हैं। दो दिन पूर्व तम्हारा कुशल-पत्र मिला। समाचार ज्ञात हुए। तुमने कुछ पुस्तकें खरीदने तथा अन्य खर्चे हेतु रुपये भेजने के लिए लिखा है, इसलिए तुम्हारे लिए आठ सौ रुपये मनीआर्डर से भेज रहा हूँ। ऐसा मालूम होता है कि तुम अधिक खर्चा कर रहे हो। अभी से अपनी आदत सुधार लो और अपव्यय से बचने की चेष्टा करो। प्रत्येक कार्य में आवश्यकता के अनुसार ही व्यय करो। यदि तुम अभी से बचत करना सीख जाओगे, तो तुम आगे चलकर स्वावलम्बी बन सकोगे। अपव्यय की आदत पड़ने से कई बुरे व्यसन भी लग जाते हैं, जबकि बचत करने से मन में शान्ति एवं विश्वास पनपता है। अतः तुम अभी से अपव्यय से बचकर बचत का ध्यान रखो।

अपनी पढ़ाई पर विशेष ध्यान रखना। कुशल पत्र भेजते रहना। पिताजी व माताजी तुम्हें आशीष कह रहे हैं।

तुम्हारा शुभेच्छु,
महेन्द्र

(छोटे भाई को पत्र)

प्रश्न 4.
आप भरतपुर निवासी श्यामलाल हैं। बीकानेर में अध्ययनरत अपने छोटे भाई नगेन्द्र को पत्र लिखकर नियमित रूप से अध्ययन में मन लगाने की सलाह दीजिए।
उत्तर

भरतपुर
दिनांक : 20 अगस्त, 20xx

प्रिय अनुज नगेन्द्र,
शुभाशीष !
अभी कुछ दिन पूर्व तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। उसमें तुमने लिखा कि तुम्हारा मन बीकानेर में कम लगता है। यह तो निश्चित है कि राजस्थान में बीकानेर की जलवायु गर्म है। अपने यहाँ भरतपुर की जलवायु ज्यादा अच्छी है। इसी कारण तुम्हें वहाँ परेशानी भी हो रही है। परन्तु यह सूत्र याद रखना कि संघर्ष व कठिन परिश्रम से ही सफलता मिलती है। वहाँ से अधिक अपने अध्ययन में मन लगाना चाहिए। प्रारम्भ से ही अध्ययन करोगे तो परीक्षा के टेस्टों में अच्छे नम्बर आएँगे तथा वार्षिक परीक्षा में भी अच्छे नम्बर प्राप्त करके प्रथम श्रेणी बना लोगे। निश्चित कार्यक्रम बनाकर सुबह से सायंकाल तक अपने समय का सदुपयोग करो। पढ़ाई के साथ थोड़ा खेलकूद एवं व्यायाम भी आवश्यक है। यह अच्छी बात है कि तुम्हारे विद्यालय में खेलकूद अनिवार्य कर रखे हैं।
माताजी व पिताजी का तुम्हें आशीर्वाद।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,

तुम्हारा शुभेच्छु,
श्यामलाल

(सहेली को पत्र)

प्रश्न 5.
आप नाम से कुमारी रश्मि, निवासी आगरा हैं। अपनी सहेली कुमारी ललिता, निवासी कोलकाता को अपने यहाँ ग्रीष्मावकाश व्यतीत करने हेतु पत्र लिखिए।
उत्तर :

23, आनन्द भवन, संजय पैलेस,
आगरा
दिनांक : 25 अप्रैल, 20xx

प्रियं ललिता,
सप्रेम नमस्ते !
यहाँ पर हम सभी प्रसन्न हैं और आशा करती हूँ कि तुम भी वहाँ पर प्रसन्न होंगी। बहुत दिनों से तुम्हारा कोई पत्र नहीं आया। अब परीक्षा भी समाप्त हो गई है।

मेरा आग्रह है कि इस बार ग्रीष्मावकाश व्यतीत करने के लिए तुम यहाँ आगरा चली आओ। तुम पहले भी कई बार यहाँ के ताजमहल, किला और सीकरी के ऐतिहासिक दर्शनीय स्थलों को देखने की इच्छा व्यक्त करती रही हो। अब यहाँ आ जाने से तुम्हारी इस इच्छा की पूर्ति भी हो जाएगी तथा बहुत दिनों के बाद हम दोनों सहेलियों को साथ-साथ रहने का सुअवसर भी मिल जाएगा। तुम्हारे साथ रहने से ग्रीष्मावकाश व्यतीत करने में खूब आनन्द मिलेगा। इस सम्बन्ध में मैंने मम्मी-पापा से भी बात की है, वे भी बड़े आग्रह के साथ तुम्हें आगरा आने के लिए कह रहे हैं।

‘अपने पूज्य माता-पिता को मेरी ओर से प्रणाम तथा छोटे भाई-बहिन को प्यार। शीघ्र पत्र लिखकर अपने आगमन की तिथि और कार्यक्रम की सूचना भेजना।

पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,

तुम्हारी सहेली,
रश्मि

(पिता को पत्र)

प्रश्न 6.
स्वयं को जयपुर निवासी रमेश मानकर बीकानेर निवासी अपने पिताजी को एक पत्र लिखिए, जिसमें अपनी परीक्षा की तैयारी आदि का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :

जयपुर
दिनांक : 22 फरवरी, 20xx

पूजनीय पिताजी,
सादर चरण स्पर्श !
मैं यहाँ पर सकुशल हूँ और आपकी सपरिवार कुशलता के लिए ईश्वर से सदैव प्रार्थना करता हूँ।
आपका भेजा हुआ पत्र तथा मनीआर्डर दोनों एक ही दिन मिले हैं। इस समय मेरी पढ़ाई अच्छी तरह से चल रही है। अब वार्षिक परीक्षा के लिए लगभग एक माह रह गया है। मैं आजकल सभी विषयों का नियमित अध्ययन कर रहा हूँ। अंग्रेजी और हिन्दी की तीन बार आवृत्ति कर चुका हूँ। सामान्य विज्ञान और सामाजिक ज्ञान का कोर्स भी दो बार पूरा कर लिया है। अब गणित की विशेष तैयारी में लगा हुआ हूँ। आजकल मैं रात में साढ़े दस बजे तक पढ़ता हूँ और फिर सो जाता हूँ। प्रातःकाल चार बजे उठकर अध्ययन करने लग जाता हूँ। इस तरह मेरा अध्ययन-क्रम नियमित एवं सुव्यवस्थित चल रहा है और आपके आशीर्वाद से मुझे प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने की पूर्ण आशा है।
पूज्या माताजी को चरण-स्पर्श तथा सुनीता व सुनील को प्यार।
कुशल पत्र की प्रतीक्षा में,

आपका आज्ञाकारी पुत्र,
रमेश

(सहेली को पत्र)

प्रश्न 7.
सुषमा जौहरी, माणक चौक, भोपाल की ओर से प्रिय सहेली प्रभावती, उदयपुर को टिड्डी दल के आक्रमण के समय किये गये कार्यों का वर्णन करते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर :

भोपाल
दिनांक : 7 अप्रैल, 20xx

प्रिय प्रभावती,
सप्रेम नमस्कार ! यहाँ पर हम सभी प्रसन्न हैं और आशा करती हूँ कि तुम वहाँ पर प्रसन्न होंगी।
गत.महीने हमारे यहाँ टिड्डी दल आ गया था। शहर के सभी पेड़-पौधों के पत्तों और कोंपलों को टिड्डी दल चट कर गया है। उपवन एवं बगीचों की हरियाली भी उनके आक्रमण से नष्ट हो गई है। इस अवसर पर हमने भी अपने विद्यालय के पेड़-पौधों की रक्षा की। हम सभी ने मिलकर उपले जलाकर धुआँ किया, डी.डी.टी. का छिड़काव किया तथा कपड़े के पुतले हिलाकर टिड्डियों को भगाया। इस प्रकार सप्ताह भर तक हमारा यही कार्यक्रम रहा। हमारे शहर के अन्य विद्यालयों की भी यही स्थिति रही।
अब यहाँ का वातावरण ठीक है। तुम्हारा अध्ययन कैसे चल रहा है? पत्रोत्तर अवश्य अवश्य भेजना। अपने पूज्य . पिताजी-माताजी को मेरा प्रणाम और छोटे भाई-बहिनों को प्यार।

तुम्हारी सहेली,
सुषमा

(बड़े भाई को पत्र)

प्रश्न 8.
स्वयं को दिल्ली निवासी राजेश गुप्ता मानकर अपने बड़े भाई सुरेन्द्र गुप्ता को एक पत्र लिखिए, जिसमें अपनी माताजी के अस्वस्थ हो जाने की सूचना भेजी गई हो।
उत्तर :

58, जनकपुरी,
नई दिल्ली
दिनांक : 5 अगस्त, 20xx

आदरणीय भाई साहब,
सादर प्रणाम !

मैं यहाँ सकुशल हूँ और आपकी कुशलता की ईश्वर से सदैव प्रार्थना करता हूँ। मैंने पिछले सप्ताह आपको पत्र भेजा था, तब तक माताजी की तबीयत ठीक थी, परन्तु अचानक ही पिछले चार दिन से माताजी की तबीयत खराब हो गई है। इन्हें तेज बुखार है और पीठ एवं पेट में दर्द बता रही हैं। मैं लगातार तीन दिन से. इन्हें डॉक्टर के पास ले जा रहा हूँ
और दवा भी दे रहा हूँ, परन्तु इनके स्वास्थ्य की स्थिति में कोई सुधार नहीं दिखाई दे रहा है। अपने पड़ोस के डॉक्टर साहब की राय है कि इन्हें किसी बड़े अस्पताल में भर्ती कराना पड़ेगा और इनकी आँतों पर आई सूजन का इलाज करवाना होगा। इस कारण आप पत्र मिलते ही अवकाश लेकर आ जावें, तभी इनका सही इलाज सम्भव हो सकेगा।

माताजी अस्वस्थता की हालत में बार-बार आपको याद कर रही हैं। भाभीजी को मेरा प्रणाम तथा बच्चों को प्यार। आपके आगमन की प्रतीक्षा में।

आपका अनुज,
राजेश गुप्ता

(माता को पत्र)

प्रश्न 9.
स्वयं को विमला, निवासी भरतपुर मानकर अपनी माताजी को एक पत्र लिखिए, जिसमें दशहरा अवकाश पर शैक्षणिक भ्रमण पर जाने के कार्यक्रम की सूचना दी गई हो।
उत्तर

भरतपुर
दिनांक : 12 अक्टूबर, 20xx

परम पूजनीया माताजी,
सादर प्रणाम !

मैं यहाँ सकुशल हूँ और आप सबकी कुशलता के लिए सदैव ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ।
मेरे विद्यालय की सभी छात्राएँ दशहरा अवकाश पर शैक्षणिक भ्रमण के लिए बस द्वारा आगरा, मथुरा-वृन्दावन जा रही हैं। हमारे साथ दो शिक्षक एवं तीन शिक्षिकाएँ, दो चतुर्थ श्रेणी महिला कर्मचारी और व्यायाम प्रशिक्षक भी जा रहे हैं। भ्रमण का कार्यक्रम दो दिन तक आगरा के दर्शनीय स्थलों एवं ऐतिहासिक स्मारकों को देखने का है और एक दिन मथुरा तथा एक दिन वृन्दावन व आसपास के क्षेत्रों का भ्रमण करने का है। इस शैक्षणिक भ्रमण से हमारे ज्ञान की वृद्धि होगी और हमें नये स्थानों को देखने, वहाँ की बोली-भाषा, रहन-रहन और संस्कृति आदि का ज्ञान होगा।
इस शैक्षणिक भ्रमण से लौटने के बाद जब भी अवकाश मिलेगा, मैं आपके पास आ जाऊँगी। सुदर्शन और रंजना को मेरी ओर से प्यार। पत्रोत्तर अवश्य भेजना।

आपकी आज्ञाकारिणी पुत्री,
विमला

(सहेली के लिए)

प्रश्न 10.
आप दिल्ली निवासी मीनाक्षी हैं। अपनी सहेली कुमारी रंजना को एक पत्र लिखिए कि वह आगामी गणतन्त्र दिवस समारोह आपके साथ ही मनाये।
उत्तर :

पालम विहार,
दिल्ली
दिनांक : 10 जनवरी, 20xx

प्रिय रंजना,
सप्रेम अभिनन्दन !
तुम्हें यह जानकर खुशी होगी कि दिल्ली में गणतन्त्र दिवस विशाल स्तर पर मनाया जाता है और इसमें लाखों लोग भाग लेते हैं। हमारे विद्यालय में भी इस अवसर पर विज्ञान एवं चित्रकला प्रदर्शनी लगाई जा रही है, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ‘अमर शहीद’ नाटक का अभिनय किया जाएगा। समारोह की तैयारी अभी से बड़े उत्साह और लगन से की जा रही है। मेरा आग्रह है कि इस अवसर पर तुम यहाँ आ जाओ तथा इस वर्ष यह समारोह हमारे साथ मनाओ। मैं तुम्हारे लिए पिताजी से कहकर जनपथ पर होने वाले सरकारी समारोह के ‘पास’ भी मँगवा लूंगी। सुबह के समय हम इस समारोह को देखेंगी, तत्पश्चात् हम विद्यालय के समारोह में सम्मिलित हो जाएंगी।
मुझे विश्वास है कि तुम अवश्य आओगी। मैं तुम्हारे आगमन की प्रतीक्षा में रहूँगी। इसी आशा के साथ,

तुम्हारी सहेली,
मीनाक्षी

(छोटी बहिन को पत्र)

प्रश्न 11.
स्वयं को दीपशिखा, विज्ञान नगर, कोंटा की निवासिनी मानते हुए अजमेर में अध्ययनरत अपनी छोटी बहिन को अस्वस्थ रहने से उचित इलाज कराने के साथ ही व्यायाम करने की सलाह देते हुए एक पत्र लिखिए।
उत्तर :

15 क, विज्ञान नगर,
कोटा
दिनांक : 22 दिसम्बर, 20xx

चिरंजीवी अनुजा,
सस्नेह आशीष !
यहाँ सब कुशल हैं, तुम्हारी कुशलता की कामना करते हैं। दो दिन पूर्व तुम्हारा पत्र मिला। तुम्हारी अस्वस्थता का समाचार पढ़कर चिन्ता हो रही है। तुम अपना इलाज किसी अच्छे डॉक्टर से करवाना। इस काम में लापरवाही नहीं करना। साथ ही प्रतिदिन सुबह-शाम को व्यायाम भी करते रहना, क्योंकि व्यायाम करने से शरीर का रक्त संचार उचित गति से होता है तथा स्फूर्ति भी आ जाती है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उपचार और प्रतिदिन नियमित व्यायाम दोनों का अत्यधिक महत्त्व है। इसलिए मेरी सलाह का ध्यान रखना और अपने समाचार शीघ्रातिशीघ्र भेजती रहना।

पूज्य पिताजी तुम्हें आशीष कह रहे हैं। शेष कुशल, तुम्हारे पत्र की प्रतीक्षा में,

तुम्हारी शुभेच्छु
दीपशिखा

(मित्र को पत्र)

प्रश्न 12.
अपने मित्र को एक पत्र लिखिए, जिसमें उसे जिला प्रशासन द्वारा सम्मानित करने के उपलक्ष्य में प्रसन्नता व्यक्त की गई हो।
उत्तर

1251, सोजती गेट,
जोधपुर
दिनांक : 27 फरवरी, 20xx

प्रिय मित्र माधवेन्द्र,
सप्रेम नमस्कार !
हम यहाँ सकुशल हैं और तुम्हें परिजनों सहित सदैव कुशल चाहते हैं। आज के ‘दैनिक भास्कर’ में प्रकाशित समाचार से ज्ञात हुआ कि जिला प्रशासन ने ‘गणतन्त्र दिवस’ पर तुम्हें सम्मानित किया है। इस समाचार से मुझे अतीव प्रसन्नता हो रही है। मैं अपनी प्रसन्नता का शब्दों में वर्णन नहीं कर सकता। जिला स्तर पर साक्षरता अभियान में तुमने रात-दिन परिश्रम करके जो सराहनीय कार्य किया है, उससे हजारों निरक्षरों को अक्षर-ज्ञान के साथ वह ज्योति मिली है, जिससे उन्हें पढ़ने-लिखने की योग्यता प्राप्त हुई है। वस्तुतः यह कार्य बहुत ही पवित्र तथा मानवता का कल्याण करने वाला है। सीकर जिला प्रशासन ने तुम्हें इस कार्य के लिए सम्मानित कर तुम्हारा गौरव बढ़ाया है। मैं इसके लिए तुम्हें अपनी ओर से प्रसन्नता व्यक्त करते हुए हार्दिक बधाई देता हूँ।

अपने पूज्य माताजी-पिताजी को मेरा प्रणाम कहना और अन्य पारिवारिक जनों को यथायोग्य अभिनन्दन। पत्रोत्तर अवश्य भेजना।

तुम्हारा शुभाकांक्षी मित्र,
अखिलेन्द्र

(छोटी बहिन को पत्र)

प्रश्न 13.
स्वयं को बीकानेर की एकता मानकर जयपुर में रह रही अपनी छोटी बहिन प्रतिभा को सी.पी.एम.टी. की परीक्षा में सफल होने पर अपनी प्रसन्नता का एक पत्र लिखिए।
उत्तर

रानी बाजार,
बीकानेर
दिनांक : 28 मई, 20xx

प्रिय अनुजा प्रतिभा,
सस्नेह आशीष !
आज ही अखबार में सी.पी.एम.टी. का रिजल्ट देखने को मिला, उसमें तुम्हारा रोल नम्बर देखकर बहुत खुशी हुई कि तुम इसमें केवल उत्तीर्ण ही नहीं हुई हो, अपितु मैरिट में भी तुमने अच्छा स्थान पाया है। इस खुशी के अवसर पर मेरी ओर से प्यार भरी बहुत-बहुत बधाई। इस समय मेरा मन अत्यधिक प्रसन्नता का अनुभव कर रहा है और तुमसे मिलने की तीव्र इच्छा हो रही है। पिताजी की हार्दिक इच्छा रही कि तुम डॉक्टर बनो। उनकी इच्छा अब पूरी हो जाएगी। हमारे लिए यह बड़े गौरव की बात है और ऐसी अनुभूति हो रही है कि तुम पिताजी का नाम रोशन करोगी और परिवार का भविष्य उज्ज्वल बनाओगी। मैं अगले सप्ताह तुमसे मिलने आ रही हूँ, साथ में तुम्हारे लिए उपहार लेकर आऊँगी। मेरी भगवान् से यही प्रार्थना है कि तुम्हें सदैव इसी प्रकार सफलता मिलती रहे। माताजी तथा पिताजी को मेरा प्रणाम कहना। शेष कुशल हैं।

तुम्हारी शुभेच्छु अग्रजा,
एकता

बधाई-पत्र
(मित्र को बधाई-पत्र)

प्रश्न 14.
बीकानेर निवासी अपने मित्र जितेन्द्र को राष्ट्रीय खेलों की तैराकी प्रतियोगिता में रजत पदक प्राप्त करने के उपलक्ष्य में बधाई-पत्र लिखिए।
उत्तर :

4 बी, आदर्श नगर,
जयपुर
दिनांक : 27 अक्टूबर, 20xx

प्रिय मित्र जितेन्द्र,
सप्रेम नमस्ते!
यह समाचार सुनकर मुझे अपार हर्ष हुआ कि आपने राष्ट्रीय खेलों के अन्तर्गत आयोजित तैराकी प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन कर रजत पदक प्राप्त करने में सफल रहे हो। यह आपके लिए अत्यधिक गौरव का अवसर है। आपने लगातार तैराकी अभ्यास में जो प्रयास किये, उसका परिणाम आज सामने आया है। इस सफलता से न केवल अपने प्रदेश का नाम गौरवान्वित हुआ है, अपितु देश का भी गौरव बढ़ा है। आपके इस सम्मान से हमारा पूरा परिवार आह्लादित है। मैं इस शुभ अवसर पर हार्दिक बधाई प्रेषित करता हूँ और आशा करता हूँ कि अगली बार आपको स्वर्ण-पदक की प्राप्ति होगी।
अपने पूज्य पिताजी को मेरा चरण-स्पर्श कहना। इस सम्मान के लिए पुनः बधाई।

तुम्हारा अभिन्न मित्र,
अभिनव

(छोटे भाई को बधाई-पत्र)

प्रश्न 15.
अजमेर निवासी सोमदत्त की ओर से अपने छोटे भाई रामदत्त को राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा में सफल रहने पर बधाई देते हुए प्रेरणास्पद पत्र लिखिए।
उत्तर :

अजमेर
दिनांक : 11 जुलाई, 20xx

प्रिय अनुज रामदत्त,
सस्नेह आशीष!
यह समाचार जानकर अत्यधिक प्रसन्नता हो रही है कि राष्ट्रीय प्रतिभा खोज में तुम सफल रहे हो। तुम्हारी इस सफलता पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई। तुमने अध्ययन में जो रुचि रखी और निरन्तर जो परिश्रम किया, यह उसी का शुभ परिणाम है। भविष्य में भी यदि तुम इसी प्रकार परिश्रम करते रहोगे, तो तुम्हारा भविष्य अवश्य ही उज्ज्वल बन जायेगा। तुम्हारी इस सफलता से हमारे परिवार का गौरव बढ़ा है। आगे भी तुमसे यही अभिलाषा रखते हैं।
मेरे सभी साथी भी तुम्हें इस उपलक्ष्य में बधाई दे रहे हैं। अपना कुशल-पत्र शीघ्र भेजना। शेष कुशल।

तुम्हारा अग्रज,
सोमदत्त

निमन्त्रण-पत्र
(विवाह का निमन्त्रण-पत्र)

प्रश्न 16.
स्वयं को आत्मप्रकाश भारद्वाज मानते हुए अपनी छोटी बहिन के शुभ-विवाह का निमन्त्रण-पत्र लिखिए।
उत्तर :
मान्यवर श्री……………….
परमपिता परमात्मा की असीम अनुकम्पा और पूर्वजों के आशीर्वाद से मेरी सौभाग्यकांक्षिणी अनुजा करुणा का शुभ विवाह चिरंजीवी वरुणेश, निवासी कोटा के साथ दिनांक 10 मई, 20xx को सम्पन्न होना निश्चित हुआ है।
कृपया इस शुभ-माँगलिक अवसर पर पधारकर नव वर-वधू को आशीर्वाद देकर कृतार्थ करें।

विनीत :
आत्मप्रकाश भारद्वाज

दर्शनाभिलाषी :
कमल, विजय
एवं समस्त भारद्वाज परिवार

[विवाह का परम्परागत निमन्त्रण-पत्र]

प्रश्न 17.
स्वयं को प्रदीपकुमार सक्सेना, वाराणसी निवासी मानकर अपने ज्येष्ठ पुत्र के शुभ-विवाह का निमन्त्रण-पत्र [प्रचलित परम्परागत शैली में] लिखिए।
उत्तर :
॥श्री गणेशाय नमः॥
आते हैं जिस भाव से भक्तों के घर भगवान्।
उसी भाव से पधार कर दर्शन दें श्रीमान्।
मान्यवर,
परम आराध्य आशुतोष भगवान् की कृपा से अपने सुपुत्र
चि. विकास सक्सेना
(सुपौत्र स्व. उदयनारायण सक्सेना)
संग
आयुष्मती शर्मिला
(सुपुत्री श्री रामेश्वरदयाल माथुर, निवासी शिव कालोनी, कानपुर)
के शुभ पाणिग्रहण संस्कार
की मांगलिक बेला पर आपको कार्यक्रमानुसार सपरिवार सादर आमन्त्रित करते हैं।
कृपया पधार कर वर-वधू को आशीर्वाद प्रदान करें।

दर्शनाकांक्षी :

श्रीमती एवं श्री सुदीपकुमार सक्सेना
प्रेमलाल, बनारसीलाल
गौरवकुमार, अमित कुमार
एवं समस्त सक्सेना परिवार

विनीत :
प्रदीप कुमार सक्सेना
17-20, अवधपुरी कालोनी, सारनाथ, वाराणसी

॥ वैवाहिक कार्यक्रम।।

प्रीति-भोज का निमन्त्रण-पत्र
(सम्बन्धियों एवं मित्रों को पत्र)

प्रश्न 18.
स्वयं को योगेश मानते हुए अपने अनुज कपिल को भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रथम स्थान प्राप्त होने के उपलक्ष्य में आयोजित प्रीतिभोज का निमन्त्रण-पत्र लिखिए।
उत्तर :

4 अ-153, कावेरी पथ,
मानसरोवर,
जयपुर

बन्धुवर श्रीमान्……..
परम हर्ष का विषय है कि मेरे अनुज कपिल ने इस वर्ष आयोजित भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। अपार प्रसन्नता के इस अवसर पर समस्त शुभचिन्तकों एवं मित्रों के साथ एक संक्षिप्त समारोह का आयोजन रखा गया है। इस निमित्त दिनांक 25.7.20xx को हमारे आवास पर सायंकाल सात बजे प्रीति-भोज आयोजित है। इसमें सपरिवार समय पर पधारकर हमें अनुगृहीत करने की कृपा करें।
आपके स्वागत के लिए समुत्सुक,

विनीत :
योगेश

नोट – (i) छात्रों के लिए यह ज्ञातव्य है कि विवाह एवं प्रीति-भोज से सम्बन्धित निमन्त्रण-पत्र पारिवारिक श्रेणी के होते हैं। इसलिए उन्हें अनौपचारिक-पत्र माना जाता है।
(ii) परन्तु गणतन्त्र दिवस, स्वतन्त्रता-दिवस, विद्यालय के वार्षिकोत्सव, किसी सम्मेलन, सभा या गोष्ठी के लिए जो निमन्त्रण पत्र लिखे जाते हैं, वे सार्वजनिक पत्र होते हैं तथा उन्हें औपचारिक-पत्र माना जाता है।

संवेदना-पत्र
(परिचित को पत्र)

प्रश्न 19.
आप कोटा निवासी अजयकुमार हैं। आपके सुपरिचित अनिल शर्मा एक सड़क दुर्घटना में घायल हो गये हैं। इस निमित्त उन्हें एक संवेदना-पत्र लिखिए।उत्तर :

7/25, विज्ञान नगर,
कोटा
दिनांक : 25 अगस्त, 20xx

प्रिय मित्र अनिल,
सप्रेम नमस्ते !
यह समाचार सुनकर बहुत ही दुःख हुआ कि आपकी मोटर-साइकिल को पीछे से एक ट्रक ने टक्कर मार दी और आप दुर्घटनाग्रस्त हो गये। यह तो भगवान् की कृपा और परिवार के बड़े-बूढ़ों का आशीर्वाद रहा कि आप बच गये। इस दुर्घटना से आपके बायें पैर की हड्डी टूट गई। इस बात से काफी दुःख हो रहा है।

इस समाचार को सुनकर मैं आपके पास आना चाहता हुआ भी विशेष कार्यवश नहीं आ सका। इसलिए संवेदना पत्र भेज रहा हूँ। आपके पैर में प्लास्टर चढ़ा हुआ है, इससे आपको नित्यकर्म करने में काफी परेशानी हो रही होगी। परन्तु ऐसे में क्या किया जा सकता है। ईश्वर आपको कष्ट सहने की क्षमता प्रदान करे।

मैं समय मिलते ही आपसे मिलने का पूर्ण प्रयास करूंगा। मेरी ओर से आपके परिजनों का अभिवादन एवं पुनः संवेदना-निवेदन।

आपका,
अजय कुमार

(मित्र को संवेदना-पत्र)

प्रश्न 20.
अपने मित्र के पिताजी का असामयिक निधन होने पर एक संवेदना-पत्र लिखिए।
उत्तर :

बी-4, प्रताप कुंज,
बापू नगर, जयपुर
दिनांक : 16 अगस्त, 20xx

प्रिय मित्र सुशील,
आपका पत्र पाकर हृदय पर आघात-सा लगा। मैं सोच भी नहीं सकता था कि आपके पिताजी का इस प्रकार अकस्मात् देहावसान हो जायेगा। दो मास पूर्व जब मैं आपके यहाँ आया था, तो उस समय उनका स्वास्थ्य एकदम अच्छा’ दिखाई दे रहा था, परन्तु जैसा कि आपने लिखा है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा। मित्र, यह रोग ही ऐसा है, हृदयाघात का पहले से मालूम होना कठिन रहता है। इस संसार में जन्म और मृत्यु तो ईश्वर की इच्छा पर निर्भर है। किसका जीवनान्त कब और किस प्रकार होगा, यह ईश्वर ही जानता है।
अब आपसे मैं यही कह सकता हूँ कि आप इस मार्मिक आघात को सहने का साहस एकत्र करें और सभी पारिवारिक जनों को सान्त्वना प्रदान करें।
मैं भगवान् से प्रार्थना करता हूँ कि वह दिवंगत आत्मा को शान्ति एवं सद्गति प्रदान करे और पारिवारिक जनों को शोक सहन करने की क्षमता प्रदान करें।

आपका स्नेही,
सुशान्त

शुभकामना-पत्र
(छोटी बहिन की सहेली को पत्र)

प्रश्न 21.
आपकी छोटी बहिन की एक प्रिय सहेली के जन्म-दिवस के उपलक्ष्य में उसे शुभकामना-पत्र लिखिए।
उत्तर :

डी-40; कृष्णा नगर,
भरतपुर
दिनांक : 22 जून, 20xx

चिरंजीवी अमृता,
सस्नेह आशीष!
जन्म-दिवस के उपलक्ष्य में तुम्हारा निमन्त्रण-पत्र मिला। इस शुभ-अवसर पर मेरी ओर से कोटिशः मंगल कामना। ईश्वर से प्रार्थना है कि तुम्हें लम्बी आयु प्रदान करे और जन्म-दिवस मनाने का निरन्तर अवसर मिलता रहे। तुम्हारा जन्म-दिवस मंगलमय हो, इसी शुभ-कामना के साथ छोटी बहिन के हाथों प्रेषित भेंट स्वीकार करना।

तुम्हारी शुभचिन्तक,
अनुराधा

(मित्र को शुभकामना-पत्र)

प्रश्न 22.
विदेश यात्रा पर जाने वाले अपने मित्र को उसकी मंगलमय यात्रा के लिए एक शुभकामना-पत्र लिखिए।
उत्तर :

कल्याण-भवन,
सीकर रोड,
जयपुर
दिनांक : 25 जुलाई, 20xx

प्रिय मित्र सुधीर,
सप्रेम नमस्ते!
तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ, पढ़कर पता चला कि तुम अपने पिताजी के साथ एक सप्ताह की विदेश-यात्रा पर जा रहे हो। इस समाचार से मझे अत्यधिक प्रसन्नता एवं हर्ष हो रहा है। तम्हारी विदेश-भ्रमण की इच्छा पूरी होने जा रही है। इसलिए इस अवसर पर मेरी ओर से हार्दिक शुभकामना। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि तुम्हारी यह यात्रा मंगलमय तथा उल्लासपूर्ण होवे।
अपने पूज्य पिताजी-माताजी को मेरा प्रणाम कहना। विदेश-यात्रा से लौटने पर अपने सुखद अनुभवों को पत्र द्वारा अवश्य प्रेषित करना। पुनः शुभकामना के साथ,

तुम्हारा मित्र,
राजीव सिंह

धन्यवाद-पत्र
(खेल-शिक्षक को पत्र)

प्रश्न 23.
आपके विद्यालय में खेल-दिवस मनाया गया। आपने कई खेल-प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर पुरस्कार जीते। अपने पूर्व खेल-शिक्षक को पत्र लिखकर अपनी उपलब्धि के बारे में बताइए तथा आगे भी उनके दिशा-निर्देश एवं आशीर्वाद की इच्छा व्यक्त कीजिए।
उत्तर :

सरस-निकुंज, मोती मगरी,
उदयपुर
दिनांक.: 28 नवम्बर, 20xx

पूजनीय गुरुवर,
सादर प्रणाम!
आशा है आप सपरिवार सानन्द होंगे। यहाँ से कुछ विलम्ब से पत्र भेज रहा हूँ, अतएव क्षमा चाहता हूँ। इस वर्ष अपने विद्यालय में खेल-दिवस धूमधाम से मनाया गया। इसमें अनेक खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। मैंने सभी प्रमुख प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और पुरस्कार भी जीते। यह सब आपकी कृपा एवं शिक्षा का सुपरिणाम रहा, जो मैं आपके बताये अनुसार खेलों में विशेष प्रयास कर भाग लेता रहा। आपकी इस कृपा के लिए मैं अपना हार्दिक आभार एवं धन्यवाद व्यक्त करता हूँ। मैं आगे भी खेल प्रतियोगिताओं में सफलता पाना चाहता हूँ। इसके लिए आपसे दिशा निर्देश प्राप्त करना चाहता हूँ। आपका मार्गदर्शन मेरे लिए आगे भी शुभ आशीर्वाद के रूप में अवश्य फलित होगा।
आपके स्नेहिल व्यवहार का बार-बार स्मरण हो आता है। शीतकालीन अवकाश पर मैं आपके दर्शन करने अवश्य आऊँगा। आपके दिशा-निर्देश सहित आशीर्वाद के पत्र की प्रतीक्षा में,

आपका आज्ञाकारी,
महावीर सिंह

(स्वच्छता अभियान में पार्षद को पत्र)

प्रश्न 24.
आपके कस्बे के पार्षद ने खुला शौच मुक्त स्वच्छता अभियान में जो प्रशंसनीय कार्य किये, उस सन्दर्भ में उन्हें धन्यवाद का प्रशंसा-पत्र लिखिए।
उत्तर

25 बी, पटेल नगर, मन्दिर मार्ग,
उदयपुर
दिनांक : 25 अप्रैल, 20xx

प्रिय महेन्द्रजी,
राजस्थान के सभी प्रमुख समाचार-पत्रों में प्रकाशित विवरण के अनुसार ज्ञात हुआ कि आपने अपने कस्बे में खुला शौच मुक्ति का अभियान चलाकर सराहनीय कार्य किया। इस कार्य में आपको जो सफलता मिली, उसके लिए हमारी ओर से साधुवाद!

साथ ही आपने स्वच्छता अभियान को नयी गति देकर अपने कस्बे का जो गौरव बढ़ाया, वह प्रशंसायोग्य तथा अनुकरणीय कार्य है। आप जैसे कर्मठ, सेवाभावी लोगों से ही देश में प्रचलित खुला शौच मुक्त स्वच्छता अभियान सफल हो सकेगा। इस प्रयास के लिए आपको धन्यवाद। आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि आप जीवन में इसी तरह सामाजिक कार्यों का सफलता से संचालन करते रहेंगे।

आपका शुभेच्छु,
घनश्याम राजावत

औपचारिक-पत्र
प्रार्थना-पत्र
(अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र)

प्रश्न 25.
स्वयं को राजकीय सीनियर माध्यमिक विद्यालय, जोधपुर का छात्र मानकर स्वयं के अस्वस्थ होने से तीन दिन के अवकाश हेतु प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर :
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय सीनियर माध्यमिक विद्यालय,
जोधपुर।
विषय – अस्वस्थ होने के कारण अवकाश के संबंध में।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मुझे कल सायंकाल से तेज बुखार आ गया है। रात में चिकित्सक से दवा ली, उन्होंने मुझे तीन दिन तक विश्राम करने की सलाह दी है। इस कारण मैं आज से तीन दिन तक अर्थात् 22.8.20xx से 24.8.20xx तक अपनी कक्षा में उपस्थित नहीं रह सकूँगा।
अतः प्रार्थना है कि उक्त तीन दिनों का अवकाश प्रदान करने की महती कृपा करें।

दिनांक : 22 अगस्त, 20xx

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
अमित
कक्षा IX (अ)

(शुल्क मुक्ति के लिए प्रार्थना-पत्र)

प्रश्न 26.
अपने विद्यालय के प्रधानाध्यापकजी को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए जिसमें शिक्षण शुल्क मुक्ति की प्रार्थना की गई हो।
उत्तर :
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक महोदय,
विवेकानन्द माध्यमिक विद्यालय,
अलवर।
मान्यवर महोदय,
सादर निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा नवम (ब) का। मेरे माता-पिता बहुत गरीब हैं और मेहनत-मजदूरी से किसी तरह परिवार का खर्चा चलाते हैं। इसलिए वे शिक्षण शुल्क देने में असमर्थ हैं।

अतः प्रार्थना है कि आप कृपा करके मेरा शिक्षण शुल्क माफ कर दें तो मुझ पर बड़ा अनुग्रह होगा। इस सम्बन्ध में यह स्मरण दिलाना चाहता हूँ कि गत वर्ष भी मुझे शुल्क-मुक्ति प्राप्त हुई थी और मैं अपनी कक्षा में वार्षिक परीक्षा में प्रथम आया था।

मुझे पूर्ण विश्वास है कि मेरी गरीब हालत तथा अध्ययन सम्बन्धी रुचि को ध्यान में रखते हुए आप मेरा शिक्षण शुल्क अवश्य ही माफ कर देंगे।

दिनांक : 14.7.20xx

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
रामरतन
कक्षा-IX (ब)

(प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र)

प्रश्न 27.
स्वयं को महात्मा गाँधी उच्च माध्य. विद्यालय, चूरू का छात्र मानकर प्रधानाचार्यजी को एक , प्रार्थना-पत्र लिखिए जिसमें अपने विद्यालय में बढ़ते हुए जल-प्रदूषण की ओर उनका ध्यान आकृष्ट किया गया हो।
उत्तर :
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
महात्मा गाँधी उच्च माध्य. विद्यालय,
चूरू।
विषय-विद्यालय में जल-प्रदूषण के सम्बन्ध में।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि हमारे विद्यालय में विगत काफी समय से टंकियों की सफाई नहीं होने से उनमें गन्दगी बढ़ रही है तथा उनमें ढक्कन भी नहीं हैं। ऊपर से जो भी वस्तु उनमें गिरती है, वह सड़-गलकर गन्दगी का रूप ले लेती है। कबूतरों आदि की बीट से भी पानी बदबूदार हो गया है। इस तरह विद्यालय में जल-प्रदूषण निरन्तर बढ़ रहा है।

निवेदन है कि एक सहायक कर्मचारी को प्रति माह में दो बार पन्द्रह दिनों के अन्तराल से टंकियों की सफाई के लिए निर्देश दिया जाए। टंकियों के नये ढक्कन बनवा दिये जाएँ। पानी की शुद्धि के लिए संबंधित दवाई का प्रयोग भी समय-समय पर किया जाए और टंकियों को अन्य प्रकार के प्रदूषण से मुक्त रखने के कारगर उपाय किये जाएँ।

अतः प्रार्थना है कि आप विद्यालय में जल-प्रदूषण की समस्या का अविलम्ब समाधान करने की कृपा करें।

दिनांक : 15 मार्च, 20xx

प्रार्थी,
मुकुन्द पाराशर
कक्षा-IX (स)

(जुर्माना-माफी के लिए प्रार्थना-पत्र)

प्रश्न 28.
आप कक्षा नवम-ब के छात्र हो। आपने समय पर शिक्षण शुल्क जमा नहीं कराया। इसका कारण बताते हुए इस निमित्त जुर्माना माफी के लिए एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर :
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक महोदय,
आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय,
सवाईमाधोपुर।
मान्यवर महोदय,
सादर निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा 9(ब) का छात्र हूँ। घर से मनीआर्डर आने में विलम्ब हो जाने के कारण मैं समय पर शिक्षण-शुल्क जमा नहीं करा सका, इसलिए मुझसे पाँच रुपये जुर्माना माँगा जा रहा है। इस सम्बन्ध में आपको विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि इस बार शुल्क जमा कराने में जो देरी हुई, उसमें मेरी कोई लापरवाही नहीं, बल्कि मनीआर्डर देर से मिलना ही कारण था। भविष्य में मैं शिक्षण-शुल्क समय पर जमा करवाने का पूर्ण प्रयास करूँगा।

अतः आपसे प्रार्थना है कि उक्त जुर्माना माफ करने की महती कृपा कर अनुगृहीत करें।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
अशोक शर्मा
कक्षा-9 (ब)

दिनांक : 29.9.20xx

(स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र के लिए प्रार्थना-पत्र)

प्रश्न 29.
माना कि आपके पिताजी का स्थानान्तरण जोधपुर हो गया है, आपको भी उनके साथ वहाँ जाकर अध्ययन करना है। अतः प्रधानाचार्यजी को स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र प्रदान करने के लिए एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर :
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
संजय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
भरतपुर।
महोदय,
सादर निवेदन है कि मेरे पिताजी का स्थानान्तरण यहाँ से जोधपुर हो गया है। मुझे भी उनके साथ वहीं जाकर अपना अध्ययन करना है। मैं मजबूरी में अब यहाँ अपनी पढ़ाई नहीं कर सकता हूँ।
अतः प्रार्थना है कि मुझे स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र (टी.सी.) प्रदान करने की कृपा करें। टी.सी. का शल्क मैंने कार्यालय में जमा करा दिया है। मेरी तरफ विद्यालय का कुछ भी बकाया नहीं है।

दिनांक : 17 अगस्त, 20xx

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
महेन्द्र कुमार असवाल
कक्षा-IX (स)
पुत्र श्री लालचन्द असवाल

(चरित्र प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए)

प्रश्न 30.
अपने प्रधानाचार्य को चरित्र प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर :
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
अजमेर।
महोदय,
निवेदन है कि मुझे समाज कल्याण विभाग कार्यालय में आर्थिक सहायता प्राप्त करने हेतु अपना चरित्र प्रमाण-पत्र जमा कराना है। मैं कक्षा सप्तम से आपके विद्यालय का नियमित छात्र हूँ तथा इस समय नवम कक्षा में अध्ययन कर रहा हूँ।
अतः प्रार्थना है कि मुझे चरित्र प्रमाण-पत्र प्रदान करने की कृपा करें।

प्रार्थी,
बाबूलाल मीणा
कक्षा-9 (अ)

दिनांक 18.10.20xx

(छात्रवृत्ति के लिए प्रार्थना-पत्र)

प्रश्न 31.
स्वयं को अत्यन्त गरीब परिवार का मानकर अपने प्रधानाचार्यजी को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए, जिसमें पाठन सामग्री के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करने का निवेदन किया गया हो।
उत्तर :
सेवा में:
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
सीकर।

विषय – छात्र-कल्याण कोष से छात्रवृत्ति दिलाने के सम्बन्ध में।
महोदय,
नम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा नवम (ब) का छात्र हूँ। मैंने अष्टम कक्षा इसी वर्ष आपके विद्यालय से प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की है। दुर्भाग्य से इस वर्ष मेरे पूज्य पिताजी का असामयिक निधन हो गया। इस कारण मेरे सामने पाठन-सामग्री खरीदने के लिए धन का अभाव है। आर्थिक स्थिति ठीक न होने से पाठन-सामग्री खरीदने में असमर्थ हूँ। राजस्थान सरकार के आदेशानुसार प्रथम श्रेणी के अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को योग्यता के आधार पर छात्रवृत्ति दी जाती है। कक्षा अष्टम के परीक्षा परिणाम के अनुसार मैं इस योग्यता को रखता हूँ। मुझे किसी अन्य स्रोत से भी छात्रवृत्ति नहीं मिलती है।
अतः प्रार्थना है कि मुझे छात्र-कल्याण कोष से छात्रवृत्ति दिलाने की कृपा करें, ताकि मैं अपनी शिक्षा नियमित रख सकूँ।

प्रार्थी,
दिनांक : 11 अगस्त, 20xx
रमेश चन्द्र
कक्षा-IX (ब)

प्रश्न 32.
आपके बड़े भाई का शुभ विवाह है। इस कारण आपको तीन दिन का अवकाश चाहिए। इसके लिए अपने प्रधानाध्यापकजी को प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक महोदय,
आदर्श विद्या मन्दिर,
अलवर।
महोदय,
सादर निवेदन है कि मेरे बड़े भाई का शुभ-विवाह दिनांक 17 नवम्बर, सन् 20xx को हो रहा है। मैं इस विवाह में सम्मिलित होने के लिए तारीख 15 नवम्बर, 20xx को घर जाना चाहता हूँ। अतः प्रार्थना है कि आप मुझे तारीख 15 नवम्बर, 20xx से 18 नवम्बर, 20xx तक चार दिन का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें।
मैं श्रीमान् का बड़ा कृतज्ञ होऊँगा।

दिनांक : 14 नवम्बर, 20xx

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
सोहनलाल यादव
कक्षा-IX (स)

(बुक-बैंक से पुस्तकें प्राप्त करने हेतु)

प्रश्न 33.
अपने विद्यालय के प्रधानाचार्यजी को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए जिसमें बुक बैंक से पाठ्य-पुस्तकें दिलवाने का निवेदन किया गया हो।
उत्तर :
सेवा में
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उ. मा. विद्यालय,
टोंक।
विषय – बुक-बैंक से पाठ्य-पुस्तकें दिलवाने के सम्बन्ध में।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में कक्षा नवम (स) का छात्र हूँ। मैं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग का गरीब परिवार का हूँ। इस कारण न तो मुझे किसी से पाठ्य-पुस्तकें प्राप्त हुई हैं और न मैं खरीद सका हूँ। बिना पाठ्य पुस्तकों के मेरी पढ़ाई सही नहीं हो रही है। मुझे बुक-बैंक से कक्षा की सभी पाठ्य-पुस्तकें उपलब्ध हो जाएँ, तो मेरा अध्ययन सुचारु चल सकता है।

अतः प्रार्थना है कि मुझे कक्षा की सभी विषयों की पाठ्य-पुस्तकें विद्यालय के बुक बैंक से दिलवाने की महती कृपा करें।

दिनांक : 28 जुलाई, 20xx

प्रार्थी,
रामेश्वर बुनकर
कक्षा-IX (स)

(नियमित शिक्षण के सम्बन्ध में)

प्रश्न 34.
अपने प्रधानाचार्य को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए, जिसमें हिन्दी के अध्यापक की कमी के कारण नियमित शिक्षण-कार्य न होने का निवेदन किया गया हो।
उत्तर :
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उ. मा. विद्यालय, अलवर।
विषय-नियमित शिक्षण-कार्य न होने के सम्बन्ध में।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि लगभग एक महीने से हमारी कक्षा में हिन्दी विषय की कक्षा नियमित नहीं चल रही है। विद्यालय से एक अध्यापक महोदय का स्थानान्तरण हो गया तथा हिन्दी के दूसरे अध्यापक महोदय को राज्य सरकार के आदेश से जन-गणना कार्य पर भेज दिया गया है। इस कारण हिन्दी विषय के अध्यापन में व्यवधान आ गया है और अभी तक सारा पाठ्यक्रम पढ़ाना शेष है। इससे हम सभी छात्रों को चिन्ता हो रही है और वे विद्यालय के अनुशासन का ध्यान रखकर शान्त बैठे हुए हैं। इसलिए अतिशीघ्र कोई वैकल्पिक व्यवस्था करके हिन्दी विषय के नियमित शिक्षण के उपाय किये जावें।
अतः प्रार्थना है कि उक्त विषय के अध्यापकजी की अविलम्ब व्यवस्था कराकर हमारा शिक्षण नियमित चले-ऐसा करके हमें अनुगृहीत करें।

दिनांक : 9 सितम्बर, 20xx

प्रार्थी,
नाथूलाल गुर्जर
कक्षा प्रतिनिधि-IX (ब)

(विद्यालय व्यवस्था के सम्बन्ध में)

प्रश्न 35.
अत्यधिक गर्मी के कारण प्रार्थना-सभा में आपकी कक्षा का एक विद्यार्थी बेहोश हो गया। तेज धूप में विद्यालय आने-जाने की वजह से कई विद्यार्थियों को लू भी लग चुकी है। पत्र लिखकर प्रधानाचार्य से अनुरोध कीजिए कि गर्मी की छुट्टियाँ पूर्व निर्धारित समय से दो सप्ताह पहले कर दी जाएँ।
उत्तर :
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय महाराज उ.मा. विद्यालय,
जयपुर।
विषय-गर्मियों की छुट्टियों के सम्बन्ध में।
महोदय,
सादर निवेदन है कि इस वर्ष अप्रैल माह में इतनी अधिक गर्मी पड़ रही है और लू चल रही है कि इससे कई विद्यार्थी बीमार पड़ गये हैं। गर्मी के अत्यधिक प्रकोप के कारण विद्यालय आने-जाने में काफी परेशानी हो रही है। आज तो प्रार्थना सभा में हमारा एक सहपाठी लू लगने से बेहोश हो गया। इस कारण हम चाहते हैं कि गर्मियों की छुट्टियाँ अपेक्षा 1 मई से कर दी जायें। इस तरह दो सप्ताह पूर्व छुट्टियाँ कर देने से जहाँ विद्यार्थियों को लू-गर्मी से राहत मिलेगी, वहीं हमारे स्वास्थ्य पर भी बुरा असर नहीं पड़ेगा।

अतः प्रार्थना है कि इस बार गर्मियों की छुट्टियाँ पूर्व निर्धारित समय से दो सप्ताह पूर्व कर देने की कृपा करें। यह मेरा ही नहीं, अपितु समस्त छात्रों का विनम्र अनुरोध है।

दिनांक : 30.4.20xx

प्रार्थी,
पंकज राठौड़
कक्षा प्रतिनिधि IX (अ)

आवेदन-पत्र
(नौकरी के लिए आवेदन-पत्र)

प्रश्न 36.
जिला शिक्षा अधिकारी, उदयपुर को एक आवेदन-पत्र लिखिए, जिसमें शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए प्रार्थना की गई हो।
उत्तर :
सेवा में,
श्रीमान् जिला शिक्षा अधिकारी महोदय,
जिला शिक्षा कार्यालय,
उदयपुर।
विषय – शिक्षक के पद के लिए प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
दिनांक 17 जून, 20xx को ‘राजस्थान पत्रिका’ में प्रकाशित विज्ञापन को देखने से ज्ञात हुआ कि उदयपुर जिले की राजकीय प्राथमिक शालाओं के लिए तृतीय श्रेणी के कुछ अध्यापकों की आवश्यकता है। अतः उक्त पदों में से एक पद के लिए मैं भी आवेदन-पत्र आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरी योग्यता का विवरण निम्न प्रकार है –
(1) मैंने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान से माध्यमिक एवं सीनियर सैकण्डरी परीक्षा क्रमशः 20xx व 20xx में प्रथम श्रेणियों में उत्तीर्ण की है।
(2) मैंने बी. ए. परीक्षा नियमित परीक्षार्थी के रूप में राजस्थान विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में हिन्दी साहित्य, अंग्रेजी साहित्य और अर्थशास्त्र विषयों में सन् 20xx में उत्तीर्ण की है।
(3) मैंने बी. एड. परीक्षा राजस्थान विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में सन् 20xx में उत्तीर्ण की है।
(4) मैं सदैव अपने अध्ययनकाल में प्रथम स्थान पाता रहा हूँ। मुझे समय-समय पर पारितोषिक भी मिले हैं। इसका प्रमाण-पत्र साथ संलग्न है।
(5) मैं तेईस वर्ष का स्वस्थ युवक हूँ। पढ़ने के साथ-साथ खेलों में भी मेरी बड़ी रुचि है। फुटबाल व क्रिकेट का तो मैं दक्ष खिलाड़ी हूँ। अन्य खेलों में भी मेरी बड़ी रुचि रही है। इनका भी प्रमाण-पत्र संलग्न है।
आशा है कि आप इस आवेदन-पत्र पर विचार कर सेवा करने का अवसर देंगे। मैं यथासम्भव अपने कार्य व चरित्र से आपको पूर्ण सन्तुष्ट करने का प्रयत्न करूँगा।
संलग्न-6 प्रमाण-पत्र

दिनांक : 15.9.20xx

भवदीय,
रामलाल अग्रवाल
50, कृष्णा कॉलोनी,
उदयपुर।

(नौकरी के लिए आवेदन-पत्र)

प्रश्न 37.
जिला विद्यालय निरीक्षक को एक आवेदन-पत्र लिखिए, जिसमें उनके कार्यालय में अस्थायी लिपिक के पद पर नियुक्ति हेतु प्रार्थना की गई हो।
उत्तर :

सेवा में,
श्रीमान् विद्यालय निरीक्षक महोदय,
जिला शिक्षा निरीक्षणालय,
अलवर।

विषय – अस्थायी लिपिक की नियुक्ति हेतु प्रार्थना।
महोदय,
निवेदन है कि ‘दैनिक नवज्योति’ समाचार-पत्र में प्रकाशित विज्ञप्ति के अनुसार मैं आपके कार्यालय में अस्थायी लिपिक पद के लिए अपना आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरी शैक्षणिक योग्यता आदि का विवरण इस प्रकार है –
1. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान, अजमेर से सैकण्डरी परीक्षा उत्तीर्ण (प्रथम श्रेणी, सन् 20xx)
2. उपर्युक्त बोर्ड से सीनियर सैकण्डरी उत्तीर्ण विषय-विज्ञान-गणित वर्ग (प्रथम श्रेणी सन् 20xx)
मैं इक्कीस वर्ष का स्वस्थ एवं कर्मठ युवक हूँ। मैंने उक्त सभी परीक्षाएँ नियमित परीक्षार्थी के रूप में उत्तीर्ण की हैं। मैं शिक्षा-काल में सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेता रहा हूँ।
मुझे हिन्दी टंकण एवं कम्प्यूटर संचालन का अच्छा अभ्यास है तथा तीन माह तक रसद कार्यालय, जयपुर में अस्थायी लिपिक पद पर कार्य करने का अनुभव भी प्राप्त है। यदि मेरी अस्थायी लिपिक पद पर नियुक्ति की जाती है तो मैं पूर्ण ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से कार्य कर सभी को संतुष्ट रखने का पूरा प्रयास करूंगा।
अतः प्रार्थना है कि मुझे उक्त पद पर नियुक्ति प्रदान कर अनुगृहीत करें।

संलग्न –
1. योग्यता प्रमाण – पत्र
2. चरित्र प्रमाण – पत्र
3. अनुभव प्रमाण – पत्र
दिनांक : 11.8.20xx

विनीत,
विकास राजपुरोहित
पता-15, होप सर्कस, अलवर

[नौकरी के लिए निर्धारित फार्म (प्रपत्र) भरना]

प्रश्न 38.
आप अनिता असवाल हैं। आप हिन्दी अध्यापक पद के लिए निर्धारित फार्म (प्रपत्र) पर आवेदन पत्र भरिए।
उत्तर :
पद का नाम – हिन्दी अध्यापक (टी.जी.टी.)

1. प्रत्याशी का नाम – अनिता असवाल
2. पिता का नाम – श्री नानगराम असवाल
3. पिता का व्यवसाय – बागवानी
4. जन्म तिथि (अंकों में) – 15-09-19xx
5. वर्तमान पता – सी-215, शिप्रापथ, मानसरोवर, जयपुर-20
6. स्थायी पता – गाँव मोरीजा, गुर्जरों की ढाणी, चौमूं, जयपुर
7. क्या आप अनुसूचित जाति/जनजाति/पिछड़ी जाति हैं? – हाँ-पिछड़ी जाति
8. क्या आप भारतीय नागरिक हैं? – हाँ
9. योग्यताओं का विवरण: –

मैं प्रमाणित करती हूँ कि आवेदन-पत्र में दी गई जानकारी व सूचनाएँ मेरी जानकारी के अनुसार सही हैं।

10 अध्यापन अनुभव एक वर्ष
11. पोस्टल ऑर्डर संलग्न (संख्या 4215)
12. संलग्न प्रमाण-पत्रों की प्रतिलिपियाँ-

1. सेकण्डरी परीक्षा
2. सीनियर सेकण्डरी परीक्षा
3. बी.ए परीक्षा
4. बी.एड. परीक्षा
5. पिछड़ी जाति का प्रमाण-पत्र
6. अनुभव प्रमाण-पत्र

दिनांक 18 जून, 20xx

आवेदक/प्रार्थिनी
(हस्ताक्षर ……..)
अनिता असवाल

शिकायती-पत्र
(पुलिस को शिकायती-पत्र)

प्रश्न 39.
स्वयं को जोधपुर निवासी मानकर स्थानीय पुलिस अधिकारी को मोहल्ले में हो रही गुण्डागदी की ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिए एक शिकायती पत्र लिखिए।
उत्तर :
सेवा में,
थाना अधिकारी महोदय,
पुलिस थाना-चौपासनी रोड,
जोधपुर।
विषय – मोहल्ले में व्याप्त गुण्डागर्दी के सम्बन्ध में।
महोदय,
निवेदन है कि आजकल हमारे मोहल्ले में कुछ गुण्डों ने काफी उत्पात मचा रखा है। ये गुण्डे चौराहों और गलियों के नुक्कड़ों पर खड़े रहते हैं तथा आने-जाने वाली युवतियों से छेड़खानी करते हैं। इस कारण युवतियों एवं अन्य औरतों का घर से निकलना कठिन हो गया है। इन गुण्डों से मोहल्ले के दुकानदार भी परेशान हैं। ये दुकानदारों से मनचाहा सामान माँगते हैं, परन्तु कीमत नहीं चुकाते हैं।

ये लोग रात में खुलेआम शराब पीते हैं और हो-हल्ला मचाते हैं। इन पर बड़े-बूढ़े लोगों के द्वारा समझाने का कोई असर नहीं होता, उल्टे ये उन्हें अपमानित कर देते हैं। इस प्रकार हमारे मोहल्ले में गुण्डागर्दी बढ़ जाने से भय और अशान्ति फैल रही है। . अतः आप से प्रार्थना है कि इस सम्बन्ध में शीघ्र उचित कार्यवाही करें, ताकि मोहल्ले के निवासियों से मुक्ति मिल सके।

दिनांक : 22.8.20XX

प्रार्थी,
हरिसिंह चौहान, श्यामलाल सारण,
दुर्गाराम, परसादीलाल
एवं अन्य नागरिक

(गन्दगी के सम्बन्ध में शिकायती-पत्र)

प्रश्न 40.
अपने मोहल्ले में व्याप्त गन्दगी के सम्बन्ध में नगरपालिका के अधिकारी को एक शिकायती पत्र लिखिए। –
उत्तर :
सेवा में,
श्रीमान् प्रशासक महोदय,
नगरपालिका, ब्यावर।
विषय – मोहल्ले में व्याप्त गन्दगी के सम्बन्ध में।
महोदय,
निवेदन है कि हमारे मोहल्ले विष्णुपुरी में गन्दगी का फैलाव दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है। सफाई कर्मचारी गन्दगी उठाने के बजाय स्थान-स्थान पर उसके ढेर लगा जाते हैं। उनके जाते ही कुत्ते, सुअर आदि उन ढेरियों को पुनः फैला देते हैं। इस सम्बन्ध में हमने सफाई कर्मचारियों एवं उनके जमादार से बात की, तो वे चाय-पानी के लिए पैसों की माँग करते हैं। सफाई-निरीक्षक तो इस मोहल्ले में कभी आता ही नहीं है।
इस तरह की लापरवाही से मोहल्ले के निवासियों का स्वास्थ्य संकट में है। गन्दगी पर मक्खियाँ एवं कीड़े भिनभिनाते रहते हैं, नालियों का पानी सड़क पर फैल रहा है। इससे अनेक संक्रामक बीमारियों के फैल जाने की पूरी आशंका है।
अतः प्रार्थना है कि हमारे मोहल्ले में सफाई की समुचित व्यवस्था करवाने की कृपा करें।

दिनांक : 8.10.20xx

प्रार्थी,
क, ख, ग
18, केकड़ी रोड, ब्यावर

(जल-संकट का शिकायती-पत्र)

प्रश्न 41.
जलदाय विभाग, अजमेर के अधिकारी के नाम एक शिकायती पत्र लिखिए जिसमें नगर में व्याप्त जल-संकट का विवरण हो।
उत्तर :
सेवा में,
श्रीमान् मुख्य अधिकारी महोदय,
जलदाय विभाग, अजमेर।
विषय-नगर में व्याप्त जल-संकट के सम्बन्ध में।
महोदय,
निवेदन है कि पिछले पन्द्रह दिनों से नगर में पेयजल की समस्या विकराल रूप में उभर रही है। एक तो तीन चार दिनों में एक ही बार पानी दिया जा रहा है, उसमें भी केवल आधा घण्टे और कम दबाव के साथ दिया जा रहा है। इस कारण घरों में उचित जलापूर्ति नहीं हो रही है और आम नागरिक पानी के लिए तरस रहे हैं। नगर की रिहायशी बस्तियों के गरीब लोग अत्यधिक परेशान हैं। टैंकरों से जो पानी सप्लाई किया जाता है, उस पर काफी भीड़ लगी रहती है और वह पानी पूर्णतया स्वच्छ भी नहीं है।
अतः प्रार्थना है कि नगर में जलापूर्ति की उचित व्यवस्था की जाये। इस कार्य को प्राथमिकता देकर ऐसे उपाय किये जावें, जिनसे आम जनता को जल संकट से मुक्ति मिल सके।

दिनांक : 12 मई, 20xx

प्रार्थी,
क, ख, ग
संभ्रान्त नागरिक

(पत्र-सम्पादक को पत्र)

प्रश्न 42.
आप स्वयं को बीकानेर निवासी अनिल कुमार मानते हुए परीक्षा के दिनों में नगर में हो रहे शोरगुल की शिकायत का एक पत्र किसी समाचार-पत्र के सम्पादक को लिखिए।
उत्तर :
श्रीमान् सम्पादक महोदय, राजस्थान पत्रिका,
जवाहरलाल नेहरू मार्ग, जयपुर। महोदय,

मैं आपके सम्मानित पत्र के द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ कि आजकल परीक्षा के दिनों में हमारे नगर में रात-दिन लाउडस्पीकर बजते रहते हैं। रात में दो-तीन बजे तक जागरण और भजन कीर्तन के कार्यक्रम होते रहते हैं। विज्ञापनों का प्रसार-प्रचार करने वाले वाहनों से भी शोर-गुल बढ़ता रहता है। इन सभी कारणों से यहाँ के परीक्षार्थियों को शान्त वातावरण नहीं मिलता है और हमें परीक्षा की तैयारी करने में कठिनाई हो रही है। गत वर्षों तक परीक्षा के दिनों में लाउडस्पीकरों को बजाने की निषेधाज्ञा प्रसारित हो जाती थी, परन्तु इस बार अधिकारीगण अभी तक चुप बैठे हैं।
हमें आशा है कि स्थानीय अधिकारीगण इस तथ्य की ओर ध्यान देकर अविलम्ब ध्वनि-प्रदूषण करने वालों के विरुद्ध निषेधाज्ञा प्रसारित करेंगे तथा परीक्षार्थियों को परीक्षा हेतु शान्त वातावरण उपलब्ध करायेंगे।

दिनांक : 243.20xx

निवेदक,
अनिल कुमार
गंगासर रोड, बीकानेर

(छात्रवृत्ति न मिलने की शिकायत)

प्रश्न 43.
आप स्वयं को अनुसूचित जाति का छात्र मानते हुए निदेशक, समाज कल्याण विभाग से छात्रवृत्ति न मिलने पर कारण सहित एक शिकायती पत्र लिखिए।
उत्तर :
सेवा में,
श्रीमान् निदेशक महोदय,
समाज कल्याण विभाग,
राजस्थान सरकार, जयपुर।
द्वारा – श्रीमान् प्रधानाध्यापक महोदय, राजकीय मा. विद्यालय, बीकानेर।
विषय-छात्रवृत्ति न मिलने के सम्बन्ध में।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं अनुसूचित जाति का छात्र हूँ और वर्तमान में राजकीय मा. विद्यालय, बीकानेर में कक्षा नवम (अ) में पढ़ रहा हूँ। मैंने सत्र के प्रारम्भ में ही आपके समाज कल्याण विभाग के लिए छात्रवृत्ति प्राप्त करने का फार्म भर दिया था। उसमें मूल जाति प्रमाण-पत्र व पिताजी का आय प्रमाण-पत्र भी लगा दिया था। मैंने यह फार्म अपने विद्यालय के मार्फत भेजा था। परन्तु मुझे अभी तक छात्रवृत्ति नहीं मिली है, जबकि मेरे साथ पढ़ने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों को छात्रवृत्ति की राशि प्राप्त हो गई है। इस कारण मुझे आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है।

अतः प्रार्थना है कि मेरे आवेदन-पत्र पर तुरन्त निर्णय लेकर मेरी छात्रवृत्ति स्वीकृत करने की कृपा करें। इस सम्बन्ध में जाति प्रमाण-पत्र एवं पिछली कक्षा उत्तीर्ण का प्रमाण-पत्र पुनः भेजा जा रहा है। आप आवश्यक कार्यवाही कर अनुगृहीत करें।

दिनांक : 22 फरवरी, 20xx

प्रार्थी,
रामनारायण बैरवा
(पुत्र श्री रामकिशन बैरवा)
कक्षा नवम (अ)

(मनरेगा कार्यों में अनियमितताओं की शिकायत)

प्रश्न 44.
जिला कलेक्टर, सीकर को एक शिकायती पत्र लिखिए जिसमें गाँव में चल रहे मनरेगा कार्यों में बरती जा रही अनियमितताओं का उल्लेख हो।
उत्तर :
सेवा में,
श्रीमान् जिला कलेक्टर महोदय,
जिला सीकर,
राजस्थान।
विषय-मनरेगा कार्यों के सम्बन्ध में शिकायत।
महोदय,
निवेदन है कि हमारे गाँव में मनरेगा योजना के अन्तर्गत एक पंचायत भवन एवं सड़क का निर्माण कराया जा रहा है। इन दोनों कार्यों में अनेक कमियाँ और अनियमितताएँ देखने को मिल रही हैं, जैसे –
1. काम करने वाले लोगों को समय पर मजदूरी नहीं दी जा रही है।
2. काम पर केवल तीन आदमी लगे हैं तथा आठ लोगों की हाजिरी गुपचुप लगाई जा रही है।
3. मजदूरी का भुगतान निर्धारित रेट पर नहीं किया जा रहा है।
4. गाँव के जरूरतमन्द लोगों को काम नहीं दिया जा रहा है।
5. दोनों कामों में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
अतः प्रार्थना है कि आप इस सम्बन्ध में किसी वरिष्ठ अधिकारी को भेजकर जाँच करवाने की कृपा करें तथा उचित दण्डात्मक कार्यवाही कर इस समस्या का समाधान करें।
सधन्यवाद!

दिनांक 12 अक्टूबर, 20xx

निवेदक,
मूलचन्द जाट
ग्राम-क-ख-ग
सीकर

सार्वजनिक-पत्र
(स्वतन्त्रता-दिवस समारोह पर आमन्त्रण)

प्रश्न 45.
स्वामी दयानन्द सरस्वती उच्च माध्यमिक विद्यालय, अजमेर में आयोजित होने वाले स्वतन्त्रता दिवस समारोह हेतु सार्वजनिक आमन्त्रण-पत्र तैयार कीजिए।
उत्तर :
स्वामी दयानन्द सरस्वती उच्च माध्यमिक विद्यालय, अजमेर
स्वतन्त्रता-दिवस समारोह
महोदय,
प्रतिवर्ष की भाँति विद्यालय प्रांगण में स्वतन्त्रता दिवस समारोह निम्न कार्यक्रमानुसार आयोजित किया जा रहा है –

14 अगस्त स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या : कवि सम्मेलन
अध्यक्षता : श्री देवव्रत कविशिरोमणि
समय : सायं सात बजे
15 अगस्त स्वतन्त्रता दिवस समारोह : प्रातः 8 बजे झण्डारोहण
अध्यक्षता : माननीय शिक्षा मन्त्रीजी, राजस्थान
मुख्य अतिथि : स्थानीय लोकसभा सदस्य
छात्रों के द्वारा प्रस्तुत : विविध रंगारंग कार्यक्रम

आप सभी महानुभाव उक्त दोनों कार्यक्रमों में सम्मिलित होकर समारोह की शोभा और छात्रों का उत्साह बढ़ाने की कृपा करें। आग्रह,

विनीत,
संयोजक

अध्यक्ष
विद्यालय छात्रसंघ

प्रधानाचार्य
स्वामी द. स. उ. मा. विद्यालय

(विद्यालय के वार्षिकोत्सव का आमन्त्रण)

प्रश्न 46.
आपके विद्यालय में वार्षिकोत्सव आयोजित किया जा रहा है। इसमें होने वाले कार्यक्रम का विवरण देते हुए एक सार्वजनिक आमन्त्रण-पत्र का प्रारूप तैयार कीजिए।
उत्तर :
राजकीय कमला नेहरू बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय,
अलवर
विद्यालय का वार्षिकोत्सव
महोदय,
प्रतिवर्ष की भाँति हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव दिनांक 25 जनवरी, 20xx को मनाया जा रहा है। इस अवसर पर विद्यालय परिवार की ओर से आप सादर आमन्त्रित हैं।

व्यावसायिक-पत्र
(प्रकाशक को आदेश-पत्र)

प्रश्न 47.
प्रधानाचार्य, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, रतनगढ़ की ओर से आदर्श प्रकाशन, जयपुर को पाठ्य-पुस्तकें मँगवाने के लिए आदेश-पत्र लिखिए।
उत्तर :

कार्यालय, प्रधानाचार्य,
राजकीय उ.मा. विद्यालय,
रतनगढ़।
दिनांक : 12 जुलाई, 20xx

पत्रांक पु. 25/104-20xx
श्रीमान् व्यवस्थापकजी,
आदर्श प्रकाशन,
जयपुर।
महोदय,

कृपया निम्नलिखित पुस्तकें उचित कमीशन काटकर वी.पी.पी. द्वारा भिजवा दें –

कृतिका (संकलित) – 10 प्रतियाँ
साकेत काव्य – 10 प्रतियाँ
हिन्दी व्याकरण-रचना – 5 प्रतियाँ
भार्गव हिन्दी शब्दकोश – 2 प्रतियाँ

पुस्तकें उचित पैकिंग द्वारा भेजें तथा बिल की दो प्रतियाँ अवश्य संलग्न करें।

भवदीय,
प्रधानाचार्य

(आदेशित माल प्रेषण की सूचना)

प्रश्न 48.
आदर्श प्रकाशन, जयपुर की ओर से प्रधानाचार्य, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, रतनगढ़ को आदेशित माल प्रेषण की सूचना का पत्र लिखिए।
उत्तर :
आदर्श प्रकाशन,
जयपुर।
पत्रांक 944/20xx

दिनांक : 22 जुलाई, 20xx

प्रिय महोदय,
आपके कार्यालय आदेश-पत्र पु. 25/104-20xx दिनांक 12.7.2xx के क्रम में सूचित किया जाता है कि आपके आदेशानुसार समस्त पुस्तकें आज ही वी.पी.पी. द्वारा भेजी जा रही हैं। सम्बन्धित बिल को स्वीकार कर प्राप्ति की सूचना प्रेषित करें।

भवदीय,
कृते-आदर्श प्रकाशन,
व्यवस्थापक

(सूची-पत्र मँगवाने हेतु पत्र)

प्रश्न 49.
निदेशक, नेशनल बुक ट्रस्ट, इण्डिया को दिसम्बर, 20xx के पश्चात् प्रकाशित हिन्दी साहित्य की पुस्तकों का सूची-पत्र मँगवाने के लिए एक पत्र लिखिए।
उत्तर :

कार्यालय : प्रधानाचार्य,
दरबार उच्च माध्यमिक विद्यालय,
जोधपुर।
दिनांक : 3 सितम्बर, 20xx

श्रीमान् निदेशकजी,
नेशनल बुक ट्रस्ट इण्डिया,
ए-5 ग्रीन पार्क, नई दिल्ली-16
महोदय,
आपके संस्थान द्वारा प्रकाशित हिन्दी साहित्य की कुछ महत्त्वपूर्ण पुस्तकें देखने का अवसर मिला। हमारी संस्था के पुस्तकालय हेतु हिन्दी साहित्य की कुछ पुस्तकें क्रय की जानी हैं। अतः दिसम्बर, 20xx के पश्चात् प्रकाशित अपनी पुस्तकों का सूची-पत्र अवलोकनार्थ यथाशीघ्र भिजवा दें।

भवदीय,
……………
प्रधानाचार्य

प्रश्न 50.
विक्रेता द्वारा माल विलम्ब से भेजने तथा पैकिंग सही न करने के सम्बन्ध में क्रेता की ओर से एक, पत्र लिखिए।
उत्तर :
प्रधानाचार्य, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, बीकानेर प्रेषिति-चौखम्भा प्रकाशन मन्दिर, 22, शक्तिनगर, नयी दिल्ली।

दिनांक 09 जुलाई, 20xx

क्रमांक: 97/16/20xx
महोदय,

हमारे आदेश-पत्र के अनुसार आपने जो पुस्तकें भेजी हैं, वे काफी विलम्ब से भेजी हैं। साथ ही पुस्तकों के पार्सल की पैकिंग ठीक ढंग से नहीं की गई है, जिस कारण कुछ पुस्तकें भीगी हुई तथा फटी हुई हालत में मिली हैं। ऐसी पुस्तकों को पुस्तकालय में रख पाना असम्भव है। इस कारण ये पुस्तकें वापिस भेजी जा रही हैं। आप यथाशीघ्र उनके बदले अन्य पुस्तकें उचित पैकिंग करके भेजने का कष्ट करें।
बिल का भुगतान माल-प्राप्ति के बाद ही किया जा सकेगा।
सधन्यवाद।

भवदीय,
प्रधानाचार्य (हस्ताक्षर)

(आपूर्तिकर्ता को पत्र)

प्रश्न 51.
प्रधानाचार्य, राजकीय सीनियर सैकण्डरी विद्यालय, तारानगर की ओर से स्पोर्ट सर्विसेज, दरियागंज, दिल्ली को खेलकूद सम्बन्धी सामान की आपूर्ति के लिए एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
कार्यालय : प्रधानाचार्य,
राजकीय सीनियर सैकण्डरी विद्यालय,
तारानगर (राजस्थान)
पत्रांक : 25/12/20xx

दिनांक 17 अगस्त, 20xx

श्रीमान् व्यवस्थापक,
स्पोर्ट सर्विसेज,
दरियागंज, दिल्ली।
विषय – खेलकूद के सामान की आपूर्ति के क्रम में।

महोदय,
कृपया निम्नलिखित सामान उचित/मान्य कमीशन काटकर यथाशीघ्र भेजने की व्यवस्था करें –
लेदर फुटबाल 11 नम्बर किट सहित – 10 नग
वॉलीबॉल 7 नम्बर किट सहित – 12 नग
हॉकी स्टिक श्रेष्ठ क्वालिटी की – 25 नग
वॉलीबॉल नेट-सेट – 10 नग
हॉकी बॉल (लाल + सफेद) – 30 नग
बैडमिण्टन रैकट सैट – 15 नग

उक्त सामान अपने प्रतिनिधि के मार्फत उचित पैकिंग में भेजें। बिल की दो प्रतियाँ उचित टैक्स-निर्देश के अनुसार कार्यालय में प्रस्तुत करें।

भवदीय,
हस्ताक्षर (…………)
प्रधानाचार्य

(आपूर्तिकर्ता द्वारा माल-प्रेषण के सम्बन्ध में)

प्रश्न 52.
स्पोर्ट सर्विसेज, दरियागंज, दिल्ली की ओर से प्रधानाचार्य, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, तारानगर को माल आपूर्ति के सम्बन्ध में पत्र लिखिए।
उत्तर :
प्रबन्धक,
स्पोर्ट सर्विसेज,
दरियागंज, दिल्ली,
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
तारानगर (राजस्थान)।
पत्रांक : 22/20xx दिनांक 12 सितम्बर, 20xx

महोदय,
आपके पत्रांक 25/12/20xx दिनांक 17-8-20xx के क्रम में सूचित किया जाता है कि आदेशित सामान की आपूर्ति डेढ़ माह बाद ही की जा सकेगी। क्योंकि इनमें से कुछ सामान उत्पादक कम्पनियों से अभी नहीं मिल रहा है। अतः निर्धारित समय तक सामान की आपूर्ति सम्भव नहीं है। एतदर्थ खेद है।
उत्पादक कम्पनियों से सामान मिलते ही आपके आदेश का सामान प्रतिनिधि के मार्फत तुरन्त भेज दिया जायेगा।

भवदीय,
(हस्ताक्षर…………)
व्यवस्थापक

The Complete Educational Website

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *