RBSE Class 9 Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं
RBSE Class 9 Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं
पाठ-सार
RBSE Class 9 Science Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं InText Questions and Answers
पृष्ठ 200.
प्रश्न 1.
अच्छे स्वास्थ्य की दो आवश्यक स्थितियाँ बताइए।
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य की दो आवश्यक परिस्थितियाँ:
- उचित सामाजिक एवं भौतिक पर्यावरण होना चाहिए।
- पौष्टिक भोजन की आवश्यकता।
प्रश्न 2.
रोगमुक्ति की कोई दो आवश्यक परिस्थितियाँ बताइए।
उत्तर:
- हमारा व्यक्तिगत एवं सामाजिक पर्यावरण स्वच्छ हो।
- हमारा आहार स्वच्छ एवं संतुलित होना चाहिए।
प्रश्न 3.
क्या उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर एक जैसे हैं अथवा भिन्न, क्यों?
उत्तर:
उपर्युक्त दोनों प्रश्नों के उत्तर भिन्न हैं। इनमें यह असमानता है कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक एवं संतुलित भोजन के साथ – साथ स्वच्छ रहना भी आवश्यक है, जबकि रोग से मुक्ति पाने के लिए स्वच्छता के साथ – साथ अच्छी चिकित्सा अर्थात् औषधियों एवं चिकित्सक की भी आवश्यकता है। केवल एक ही परिस्थिति में रोग से मुक्ति पाना सम्भव नहीं होता है।
पृष्ठ 203.
प्रश्न 1.
ऐसे तीन कारण लिखिए जिनसे आप सोचते हैं कि आप बीमार हैं तथा चिकित्सक के पास जाना चाहते हैं। यदि इनमें से एक भी लक्षण हो तो क्या आप फिर भी चिकित्सक के पास जाना चाहेंगे? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
जब हमें कोई रोग होता है, तब शरीर के एक अथवा अनेक अंगों एवं तंत्रों में क्रिया अथवा संरचना में ‘खराबी’ परिलक्षित होने लगती है। ये बदलाव या परिवर्तन रोग के लक्षण दर्शाते हैं। रोग के लक्षण सिरदर्द, खाँसी, दस्त, किसी घाव में पस (मवाद) आना, आदि हो सकते हैं। इन लक्षणों से किसी न किसी रोग का पता लगता है। यदि हमारे शरीर में इनमें से कोई भी एक या अधिक लक्षण दिखाई दें तो हमें शीघ्र ही चिकित्सक के पास जाना चाहिए और अपने शरीर की जाँच करवानी चाहिए, जिससे हमें पता चल सके कि किस रोग के कारण हमारे शरीर के अंग ठीक तरह से कार्य नहीं कर रहे हैं। रोग और उसके होने के कारणों के पता चलने के बाद ही रोग का उपचार सम्भव हो सकता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से किसके लंबे समय तक रहने के कारण आप समझते हैं कि आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा तथा क्यों?
1. यदि आप पीलिया रोग से ग्रस्त हैं।
2. यदि आपके शरीर पर नँ (lice) हैं।
3. यदि आप मुहाँसों से ग्रस्त हैं।
उत्तर:
यदि हम पीलिया रोग से ग्रस्त हैं तो इसका लम्बे समय तक रहना हमारे लिए हानिकारक है क्योंकि यह यकृत सम्बन्धित रोग है जो हमारे शरीर के सभी तंत्रों को प्रभावित कर देता है। इस रोग के कारण स्वास्थ्य पर बड़ा बुरा प्रभाव पड़ता है और शरीर कमजोर हो जाता है। यदि इसका उपचार समय पर नहीं किया तो यह मृत्यु का भी कारण बन सकता है। तथा मुहाँसे शरीर पर कोई दीर्घकालिक प्रभाव नहीं छोड़ते। ये पर्यावरण तथा स्वच्छता से स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं।
पृष्ठ 210.
प्रश्न 1.
जब आप बीमार होते हैं तो आपको सुपाच्य तथा पोषणयुक्त भोजन करने का परामर्श क्यों दिया जाता है?
उत्तर:
जब हम बीमार होते हैं तो हमें सुपाच्य तथा पोषणयुक्त भोजन करने का परामर्श इसलिए दिया जाता है क्योंकि बीमार होने पर पोषक तत्वों की शरीर में कमी हो जाती है। साथ ही भोजन ही शरीर को ऊर्जा देता है, जिससे हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र रोगाणुओं से लड़ने की शक्ति प्राप्त करता है। अतः सुपाच्य तथा पोषणयुक्त भोजन लेने से हमारा शरीर जल्दी स्वस्थ हो जाता है।
प्रश्न 2.
संक्रामक रोग फैलने की विभिन्न विधियाँ कौन – कौन – सी हैं?
उत्तर:
बहुत से सूक्ष्मजीवीय कारक रोगी से अन्य स्वस्थ मनुष्य तक विभिन्न तरीकों से फैलते हैं अर्थात् वे संचारित हो सकते हैं अतः इन्हें संचारी रोग भी कहते हैं। संक्रामक रोग फैलने की प्रमुख विधियाँ निम्न हैं
(1) हवा द्वारा – जब कोई रोगी व्यक्ति खाँसता है या छींकता है तो उसके मुँह और नाक से छोटे – छोटे बूंदक बहुत वेग से बाहर निकलते हैं। जब उसके समीप कोई अन्य व्यक्ति होता है, तो उसके श्वास द्वारा ये बूंदक उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इनसे सूक्ष्म जीवों को नए संक्रमण करने का अवसर मिल जाता है। वायु द्वारा फैलने वाले रोग खाँसी, जुकाम, निमोनिया, क्षय रोग आदि हैं। अधिक भीड़ – भाड़ वाले एवं कम रोशनदान वाले घरों में वायुजनित रोग होने की सम्भावना अधिक होती है।
(2) पानी द्वारा – अनेक संक्रामक रोग पानी से फैलते हैं। जब बीमार व्यक्ति के अपशिष्ट पेयजल में मिल जाते हैं और कोई स्वस्थ व्यक्ति जाने – अनजाने उसे पी लेता है तो सूक्ष्म जीव उसके शरीर में प्रविष्ट हो जाते हैं और वह भी रोगग्रस्त हो जाता है। हैजा, पेचिश आदि रोग ऐसे ही फैलते हैं।
(3) लैंगिक संपर्क द्वारा – जब दो व्यक्ति शारीरिक रूप से लैंगिक क्रियाओं में एक – दूसरे के सम्पर्क में आते हैं तो सूक्ष्मजीवीय रोग संक्रमित व्यक्ति से दूसरे तक पहुँच जाते हैं। सिफलिस, गनोरिया, एड्स आदि रोग इस प्रकार एक से दूसरे तक स्थानान्तरित हो जाते हैं। AIDS, लैंगिक सम्पर्क के अतिरिक्त रक्त स्थानान्तरण द्वारा भी संक्रमित होता है, जैसे AIDS से ग्रसित व्यक्ति का रक्त स्वस्थ व्यक्ति को स्थानान्तरित किया जाये अथवा गर्भावस्था में रोगी माता से अथवा शिशु को स्तनपान द्वारा।
(4) जन्तुओं के द्वारा – कुछ रोग जन्तुओं द्वारा भी संचारित होते हैं। ये जन्तु रोगाणुओं (संक्रमण करने वाले कारक) को रोगी से लेकर अन्य नए पोषी तक पहुँचा देते हैं। अतः ये मध्यस्थ का काम करते हैं, जिन्हें रोगवाहक (वेक्टर) कहते हैं। मच्छर एक सामान्य रोगवाहक है। इनको पोषण समतापी प्राणी (मनुष्य) से मिलता है। इसी पोषण से ये परिपक्व अण्डे उत्पन्न करते हैं तथा इस क्रिया से ये रोगाणु एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में फैलाने का कार्य करते हैं।
इस प्रकार संक्रामक रोग, रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में दूषित जल, दूषित वायु, दूषित भोजन तथा कीट या शारीरिक सम्पर्क द्वारा फैलते हैं। ये रोग वायरस, बैक्टीरिया, फंजाई, प्रोटोजोआ वर्ग के सूक्ष्म जीवों के संक्रमण के कारण होते हैं।
प्रश्न. 3.
संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए आपके विद्यालय में कौन – कौनसी सावधानियाँ आवश्यक हैं?
उत्तर:
संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं:
- यदि कोई छात्र संक्रामक रोग से ग्रसित है तो उसे स्वस्थ होने तक घर रहने की सलाह देनी चाहिए।
- विद्यालय को साफ – स्वच्छ रखने के साथ व्यक्तिगत स्वच्छता रखने के लिए छात्रों को प्रेरित करना चाहिए।
- संतुलित व पौष्टिक आहार के बारे में बताना चाहिए तथा यह आहार लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए जिससे शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा मजबूत होती है।
- खुले स्थान पर मल – मूत्र त्यागने पर प्रतिबंध होना चाहिए तथा इनका निपटान ठीक प्रकार से होना चाहिए।
- विद्यालय कैंटीन में खाद्य पदार्थों की जाँच होनी चाहिए।
- समय – समय पर विद्यार्थियों को संक्रमण पर रोक के लिए टीकों का प्रबन्ध करना चाहिए।
- विद्यालय में पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध हो।
- खाँसते व छींकते समय छात्र रूमाल का प्रयोग करें।
प्रश्न 4.
प्रतिरक्षीकरण क्या है?
उत्तर:
प्रतिरक्षीकरण:
हमारे शरीर में प्रकृति ने प्रतिरक्षा तंत्र तैयार कर रखा ह। यह तंत्र बाहर से शरीर में प्रविष्ट होने वाले रोगाणुओं को नष्ट कर देता है। हमारा प्राकृतिक प्रतिरक्षा तंत्र जब यह कार्य करने में सक्षम नहीं होता तो हम उस रोग से ग्रसित हो जाते हैं। वैज्ञानिकों ने हमारे शरीर में विभिन्न रोगों से बचने के लिए कृत्रिम प्रतिरक्षा तंत्र तैयार किया है, जिसे टीकाकरण कहते हैं। इसके अन्तर्गत शरीर में विशिष्ट संक्रमण प्रविष्ट करवाते हैं। ये रोगाणु हमारे प्रतिरक्षा तंत्र पर प्रतिक्रिया करते हैं जिसका विरोध हमारा प्रतिरक्षा तंत्र करके उनको विशिष्ट रूप से स्मरण कर लेता है। जब वही रोगाणु या मिलता – जुलता रोगाणु संपर्क में आता है तो पूरी शक्ति से उन पर हमला करके उसे नष्ट कर देते हैं। इससे संक्रमण से मुक्ति मिल जाती है। यही प्रतिरक्षीकरण कहलाता है।
प्रश्न 5.
आपके पास स्थित स्वास्थ्य केन्द्र में टीकाकरण के कौन – से कार्यक्रम उपलब्ध हैं? आपके क्षेत्र में कौन – कौनसी स्वास्थ्य संबंधी मुख्य समस्याएँ हैं?
उत्तर:
हमारे पास स्थित स्वास्थ्य केन्द्र में निम्नलिखित टीकाकरण कार्यक्रम उपलब्ध हैं।
- DPT प्रतिरक्षी – बच्चों में डिफ्थीरिया, कुकर खाँसी (Pertussis) एवं टिटेनस (Tetanus) के लिए।
- पोलियो ड्रॉप्स – बच्चों में पोलियो रोकने के लिए।
- BCG प्रतिरक्षी – क्षय रोग के लिए।
- हेपेटाइटिस ‘A’ के लिए प्रतिरक्षी।
- TAB प्रतिरक्षी – खसरे के लिए।
हमारे क्षेत्र में स्वास्थ्य सम्बन्धी मुख्य समस्या मलेरिया, खसरा और रेबीज की है। जगह – जगह रुका हुआ पानी मच्छरों को बढ़ाने का कारण है तो सड़कों – गलियों में आवारा कुत्तों की भीड़ रेबीज का कारण बनती है।
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प्रश्न 1.
पिछले एक वर्ष में आप कितनी बार बीमार हुए? बीमारी क्या थी?
(a) इन बीमारियों को हटाने के लिए आप अपनी दिनचर्या में क्या परिवर्तन करेंगे?
(b) इन बीमारियों से बचने के लिए आप अपने पास-पड़ोस में क्या परिवर्तन करना चाहेंगे?
उत्तर:
पिछले वर्ष में मैं एक बार बीमार हुआ, बीमारी मलेरिया थी।
(a) दिनचर्या में परिवर्तन:
- शरीर को स्वस्थ तथा स्वच्छ रखने के लिए पौष्टिक व संतुलित आहार का उपयोग किया।
- सोते समय मच्छरदानी का उपयोग।
(b) पास-पड़ोस में परिवर्तन:
- मच्छरों को रोकने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव करवायेंगे।
- पास में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खुलवायेंगे, जिससे सभी रोगो के लिए टीकाकरण और अन्य स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हो सकें।
- लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता पैदा करेंगे।
- आसपास की गंदी नालियों को साफ करवायेंगे और इकट्ठे हो रहे पानी का निवारण करेंगे।
- अपने आसपास के वातावरण को साफ रखने के लिए लोगों को प्रेरित करेंगे।
प्रश्न 2.
डॉक्टर नर्स स्वास्थ्य कर्मचारी अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा रोगियों के संपर्क में अधिक रहते हैं। पता करो कि वे अपने – आपको बीमार होने से कैसे बचाते हैं?
उत्तर:
डॉक्टर नर्स स्वास्थ्य कर्मचारी अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा रोगियों के सम्पर्क में अधिक रहते हैं। वे अपने आपको बीमार होने से बचाने के लिए सभी उपाय करते हैं – जैसे व्यक्तिगत स्वच्छता, रोगी का परीक्षण व चिकित्सा करते समय, रोगाणुओं के प्रत्यक्ष सम्पर्क से बचने के लिए मास्क का उपयोग, परीक्षण के बाद ऐन्टीसेप्टिक रसायन से हाथों को साफ करना, पौष्टिक व संतुलित आहार लेना आदि।
प्रश्न 3.
अपने पास – पड़ोस में एक सर्वेक्षण कीजिए तथा पता लगाइए कि सामान्यतः कौन – सी तीन बीमारियाँ होती हैं ? इन बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए अपने स्थानीय प्रशासन को तीन सुझाव दीजिए।
उत्तर:
हमारे आस – पड़ोस में लोगों को सामान्यतः मलेरिया, अतिसार, टाइफॉयड, दस्त (डायरिया), वाइरल बुखार, हैजा आदि रोग होते हैं। इन बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि।
- सड़क के किनारों पर बनी नालियों की नियमित सफाई करायें। उनमें गंदा पानी इकट्ठा न होने दें।
- नागरिकों को दी जाने वाली जल आपूर्ति क्लोरीनयुक्त होनी चाहिए।
- तालाब एवं पोखरों के जल पर मिट्टी के तेल का छिड़काव करायें ताकि मच्छरों की वृद्धि रुक सके।
- खुले खाद्य पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगायें।
- रोगों से बचाव हेतु सामाजिक स्वच्छता एवं टीकाकरण कार्यक्रम का आयोजन करें।
प्रश्न 4.
एक बच्चा अपनी बीमारी के विषय में नहीं बता पा रहा है। हम कैसे पता करेंगे कि।
(a) बच्चा बीमार है?
(b) उसे कौन – सी बीमारी है?
उत्तर:
(a) बीमार होने की स्थिति में बच्चे का व्यवहार सामान्य नहीं रहेगा। वह तकलीफ के कारण रोयेगा, उल्टी – दस्त करेगा, बेचैन रहेगा, सुस्त रहेगा, कुछ भी नहीं खायेगा, उसके शरीर का तापमान बढ़ जायेगा आदि में से कोई भी लक्षण प्रदर्शित कर सकता है।
(b) प्रत्येक रोग के अपने कुछ खास लक्षण हैं, उनके द्वारा हम रोग का पता लगा सकते हैं। यदि बच्चा उल्टीदस्त, खाना न खाना, बुखार आना, सुस्त व बेचैन होना, तकलीफ के कारण रोना आदि लक्षण प्रदर्शित करता है, तो वह अतिसार रोग से पीड़ित हो सकता है।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित किन परिस्थितियों में कोई व्यक्ति पुनः बीमार हो सकता है? क्यों?
(a) जब वह मलेरिया से ठीक हो रहा है।
(b) वह मलेरिया से ठीक हो चुका है और वह चेचक के रोगी की सेवा कर रहा है।
(c) मलेरिया से ठीक होने के बाद चार दिन उपवास करता है और चेचक के रोगी की सेवा कर रहा है।
उत्तर:
परिस्थिति (c) में व्यक्ति पुनः बीमार हो सकता है, क्योंकि वह मलेरिया से ठीक होने के बाद चार दिन उपवास रखता है और चेचक के रोगी की सेवा कर रहा है। मलेरिया से ठीक होने के बाद भी वह शारीरिक रूप से कमजोर होता है और उपवास रखने के कारण उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता और कम हो जाती है। चूंकि चेचक एक संक्रामक रोग है, अतः चेचक के रोगाणुओं का संक्रमण ऐसे व्यक्ति पर आसानी से हो जायेगा, जो शारीरिक रूप से कमजोर है तथा जिसकी रोग प्रतिरक्षा क्षमता भी कम है।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किन परिस्थितियों में आप बीमार हो सकते हैं? क्यों?
(a) जब आपकी परीक्षा का समय है?
(b) जब आप बस तथा रेलगाड़ी में दो दिन तक यात्रा कर चुके हैं ?
(c) जब आपका मित्र खसरा से पीड़ित है?
उत्तर:
(c) जब हमारा मित्र खसरे से पीड़ित है तब हमारे बीमार होने के अवसर बढ़ जाते हैं। क्योंकि खसरा (मीजल्स) संक्रामक रोग है तथा रोगी के सम्पर्क में अधिक समय तक रहने से यह रोग स्वस्थ मनुष्य को भी रोगी कर देता है। इस रोग के रोगाणु सम्पर्क से एक – दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं।
प्रश्न 7:
यदि आप किसी एक संक्रामक रोग के टीके की खोज कर सकते हो तो आप किसको चुनते हैं?
(a) स्वयं की
(b) अपने क्षेत्र में फैले एक सामान्य रोग की। क्यों?
उत्तर:
(b) अपने क्षेत्र में फैले एक सामान्य रोग की क्योंकि यह रोग संक्रामक होने के कारण व्यापक रूप से फैलकर भयावह स्थिति पैदा कर सकता है। इसलिए इसके टीके की खोज को प्राथमिकता देंगे।