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RBSE Class 9 Science Solutions Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई

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पाठ-सार

( 1 ) कोशिका की खोज – सन् 1665 में राबर्ट हुक ने कॉर्क की पतली काट में मधुमक्खी के छत्ते के समान प्रकोष्ठ देखे, इन्हें कोशिका नाम दिया गया। राबर्ट ब्राउन ने 1831 में कोशिका में केन्द्रक का पता लगाया तथा 1839  में जे.ई. पुरोकंज ने कोशिका में स्थित तरल जैविक पदार्थ जीवद्रव्य की खोज की। 1838-39 में स्लीडन व स्वान ने कोशिका सिद्धान्त दिया।
( 2 ) एक कोशिक जीव- कुछ जीव जैसे अमीबा, पैरामीशियम, क्लैमिडोमोनास आदि अपनी सम्पूर्ण क्रिया एक कोशिका में ही करते हैं। इस कारण इन सजीवों को एक कोशिक जीव कहते हैं।
( 3 ) बहुकोशिक जीव- फंजाई, पादप तथा जंतु बहुकोशिक जीव हैं। ये अनेक कोशिकाओं के समाहित होने से बनते हैं।
(4) कोशिकाओं की आकृति व आकार-इनका आकार व आकृति कार्य के अनुरूप होती है। कुछ कोशिकाएँ अपना आकार बदलती हैं, जैसे- अमीबा, जबकि कुछ का आकार स्थिर रहता है, जैसे – तंत्रिका कोशिका ।
( 5 ) कोशिका में श्रम विभाजन – प्रत्येक कोशिका के विशिष्ट अंग कोशिकांग कहलाते हैं। प्रत्येक कोशिकांग का कार्य विशिष्ट होता है। इनके कार्यों से ही कोशिका जीवित रहती है।
( 6 ) कोशिका संरचना – प्रत्येक कोशिकाओं के तीन – हैं—(i) प्लैज्मा झिल्ली (ii) केन्द्रक (iii) कोशिका द्रव्य। कोशिका के अन्दर होने वाले समस्त क्रियाकलाप तथा उसकी बाह्य पर्यावरण से पारस्परिक क्रियाएँ इन्हीं गुणों के कारण सम्भव है।
(i) प्लैज्मा झिल्ली–यह वर्णात्मक पारगम्यता का गुण रखती है। CO2 व O2 विसरण की प्रक्रिया से कोशिका झिल्ली से आर-पार जा सकते हैं। जल के अणु परासरण के माध्यम से इसमें प्रवेश करते हैं। यह क्रिया सान्द्रता पर आधारित है। कोशिका से विभिन्न अणुओं का अन्दर जाना व बाहर निकलना विसरण से ही सम्भव है। प्लैज्मा झिल्ली लचीली होती है तथा यह कार्बनिक अणुओं, जैसे- लिपिड तथा प्रोटीन की बनी होती है।
पादप कोशिकाओं में प्लैज्मा झिल्ली के अलावा कोशिका भित्ति भी होती है। पादप कोशिका भित्ति सेल्युलोज की बनी होती है। सेल्युलोज पौधों को संरचनात्मक दृढ़ता प्रदान करता है।
(ii) केन्द्रक – केन्द्रक के चारों तरफ दोहरी परत की केन्द्रक झिल्ली पाई जाती है। केन्द्रक में क्रोमोसोम होते हैं, जिनमें आनुवंशिक गुण होते हैं जो DNA के रूप में माता-पिता से संतानों में जाते हैं। DNA प्रोटीन के बने होते हैं । DNA के क्रियात्मक खंड को जीन कहते हैं। केन्द्रक झिल्ली के आधार पर कोशिकाएँ दो प्रकार की होती हैं –
(A) प्रोकैरियोट – इन कोशिकाओं के केन्द्रक में केन्द्रक झिल्ली का अभाव होता है। केन्द्रक क्षेत्र में केवल क्रोमैटिन पदार्थ होता है।
(B) यूकैरियोट – इन कोशिकाओं के केन्द्रक में केन्द्रक झिल्ली पाई जाती है। –
 (iii) कोशिका द्रव्य – प्लाज्मा झिल्ली के भीतर कोशिका द्रव्य एक तरल पदार्थ है। इसमें अनेक कोशिका अंगक होते हैं, जो कोशिका के लिए विशिष्ट कार्य करते हैं। कोशिका द्रव्य व केन्द्रक मिलकर जीवद्रव्य बनाते हैं।
( 7 ) कोशिका अंगक– कोशिका द्रव्य में पाए जाने वाले कोशिका के विशिष्ट घटक, कोशिका अंगक कहलाते हैं। कोशिका के विभिन्न कोशिका अंगक निम्न प्रकार से हैं –
(a) अन्तद्रव्यी जालिका (ER) – यह दो प्रकार की होती है – खुरदरी और चिकनी। खुरदरी अन्तर्द्रव्यी जालिका पर राइबोस होते हैं, जो प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होते हैं। चिकनी अन्तर्द्रव्यी जालिका वसा अथवा लिपिड अणुओं को बनाने में सहायता करती है। यह अंतः कोशिकीय परिवहन तथा उत्पादक सतह के रूप में भी कार्य करती है ।
 (b) गॉल्जी उपकरण – इनका सबसे पहले विवरण कैमिलोगॉल्जी ने दिया था । यह झिल्ली युक्त पुटिकाओं का स्तम्भ है । यह कोशिकाओं में बने पदार्थों का संचयन, रूपान्तरण तथा पैकेजिंग (बंद) करता है। इनसे लाइसोसोम भी बनाए जाते हैं ।
(c) लाइसोसोम – यह कोशिका का अपशिष्ट निपटाने वाला यंत्र है । यह बाहरी पदार्थ के कोशिका अंगकों के टूटे-फूटे भागों को पाचित कर कोशिका को साफ करता है। इसमें शक्तिशाली पाचनकारी एन्जाइम होते हैं, जो सभी कार्बनिक पदार्थों को तोड़ने में सक्षम हैं। कोशिका के क्षतिग्रस्त या मृतं होने पर यह फट जाते हैं और इसके एंजाइम अपनी ही कोशिका को पाचित कर देते हैं, इसलिए इनको कोशिका की ‘आत्मघाती थैली’ भी कहते हैं ।
(d) माइटोकॉण्ड्रिया – यह कोशिका का पावर हाउस होता है। जीवन के लिए आवश्यक रासायनिक क्रियाओं को सम्पन्न करने के लिए यह ATP के रूप में ऊर्जा देते हैं। यह दोहरी झिल्ली के बने होते हैं। इनके अपने DNA एवं राइबोसोम होते हैं ।
(e) प्लैस्टिड – ये केवल पादप कोशिका में ही पाये जाते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं – (i) क्रोमोप्लास्ट (रंगीन) (ii) ल्यूकोप्लास्ट (रंगहीन) । जिस प्लैस्टिड में क्लोरोफिल वर्णक होता है, वह क्लोरोप्लास्ट कहलाता है । यह प्रकाश संश्लेषण में सहायक है । प्लैस्टिड में भी अपने DNA व राइबोसोम होते हैं ।
(f) रसधानियाँ – ये ठोस अथवा तरल पदार्थों की संग्राहक थैलियाँ हैं। पादप कोशिका में ये बड़ी व स्पष्ट होती हैं। पौधों के लिए आवश्यक पदार्थ इन्हीं में संचित रहते हैं। ये जल नियमन में सहायक हैं। अतः कोशिका सजीवों की एक मूलभूत संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है।
( 8 ) कोशिका विभाजन – नई कोशिकाओं के बनने की प्रक्रिया को कोशिका विभाजन कहते हैं । कोशिका विभाजन दो प्रकार का होता है- (1) सूत्री विभाजन – इसमें संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या मातृकोशिका के समान होती है । (2) अर्द्धसूत्री विभाजन – संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या मातृ  कोशिका से आधी होती है ।

RBSE Class 9 Science Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई InText Questions and Answers

पृष्ठ 66.

प्रश्न 1.
कोशिका की खोज किसने और कैसे की?
उत्तर:
कोशिका की खोज रॉबर्ट हुक ने सन् 1665 में की थी। उन्होंने स्वनिर्मित सूक्ष्मदर्शी से कॉर्क की पतली काट को देखा, जिसमें उन्हें मधुमक्खी के छत्ते के समान संरचना दिखाई दी थी। इसमें छोटे – छोटे प्रकोष्ठ थे जिनको रॉबर्ट हुक ने कोशिका (cell) कहा। यह एक लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ ‘छोटा कमरा’ होता है।

प्रश्न 2.
कोशिका को जीवन की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई क्यों कहते हैं?
उत्तर:
प्रत्येक कोशिका की अपनी एक संरचना होती है। ये कोशिकाएं विभाजित होकर अपनी ही जैसी कोशिकाएं बनाती हैं। इस प्रकार सभी कोशिकाएँ अपनी पूर्ववर्ती कोशिकाओं से उत्पन्न होती हैं, जिससे अन्तत: जीवों के शरीर का निर्माण होता है। इसके साथ ही प्रत्येक कोशिका अपनी विशिष्ट संरचना के अनुरूप कार्य करती है, जैसेश्वसन, पोषण, अपशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन, प्रोटीन संश्लेषण आदि। इसलिए कोशिका को जीवन की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई कहा जाता है।

पृष्ठ 68.

प्रश्न 1.
CO2 तथा पानी जैसे पदार्थ कोशिका से कैसे अन्दर तथा बाहर जाते हैं? इस पर चर्चा करें।
उत्तर:
CO2 तथा पानी जैसे पदार्थ कोशिका झिल्ली के आर-पार विसरण प्रक्रिया द्वारा आ – जा सकते हैं। चूँकि श्वसन क्रिया के परिणामस्वरूप उत्पन्न CO2 एक अपशिष्ट पदार्थ है, इसलिए कोशिका से इसका निष्कासन आवश्यक होता है। जब कोशिका में CO2 एकत्र हो जाती है, तब कोशिका में इसकी सान्द्रता बाह्य पर्यावरण में उपस्थित CO2 की तुलना में बढ़ जाती है। तब उच्च सान्द्रता से निम्न सान्द्रता की ओर विसरण द्वारा CO2 बाहर निकल जाती है। इसी प्रकार प्लैज्मा झिल्ली से जल की गति जल में घुले पदार्थों की मात्रा के कारण होती है। इस कारण परासरण द्वारा जल के अणु वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा जल की उच्च सान्द्रता से जल की निम्न सान्द्रता की ओर जाते हैं।

प्रश्न 2.
प्लैज्मा झिल्ली को वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली क्यों कहते हैं?
उत्तर:
प्लैज्मा झिल्ली अत्यन्त विशिष्ट प्रकृति की होती है, जो कोशिका के घटकों को बाहरी पर्यावरण से अलग रखती है। यह केवल कुछ वांछित पदार्थों को ही कोशिका के अन्दर आने देती है और अवांछित पदार्थों को कोशिका के अन्दर आने से रोकती है। इसी प्रकार यह झिल्ली कोशिका से केवल अवांछित व हानिकारक पदार्थों को ही बाहर जाने देती है, वांछित पदार्थों को अन्दर ही रोके रखती है। इसीलिए प्लैज्मा झिल्ली को वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली कहते हैं।

पृष्ठ 70.

प्रश्न 1.
क्या अब आप निम्नलिखित तालिका में दिए गए रिक्त स्थानों को भर सकते हैं, जिससे कि प्रोकैरियोटी तथा यूकैरियोटी कोशिकाओं में अन्तर स्पष्ट हो।

प्रोकैरियोटी कोशिका यूकैरियोटी कोशिका
1. आकार प्रायः छोटा (1 – 10 µm) 1µm = 10-6µm
µm
1. आकार प्राय: बड़ा (5 – 100µm)
2. केन्द्रकीय क्षेत्र: ……….और उसे ………….. कहते हैं। 2. केन्द्रकीय क्षेत्र : सुस्पष्ट जो चारों ओर से केन्द्रकीय झिल्ली से घिरा रहता है।
3. क्रोमोसोम : एक 3. क्रोमोसोम : एक से अधिक
4. झिल्ली युक्त कोशिका अंगक अनुपस्थित। 4 ……………

उत्तर:

प्रोकैरियोटी कोशिका यूकैरियोटी कोशिका
1. आकार प्रायः छोटा (1 – 10 µm) 1µm = 10-6µm 1. आकार प्राय: बड़ा (5 – 100µm)
2. केन्द्रकीय क्षेत्र : बहुत कम स्पष्ट होता है। अस्पष्ट केन्द्रक क्षेत्र में केवल क्रौमेटिन पदार्थ होता है। ऐसे क्षेत्र को केन्द्रकाय कहते हैं। 2. केन्द्रकीय क्षेत्र : सुस्पष्ट, जो चारों ओर से केन्द्रकीय झिल्ली से घिरा रहता है।
3. क्रोमोसोम : एक 3. क्रोमोसोम : एक से अधिक
4. झिल्ली युक्त कोशिका अंगक अनुपस्थित। 4. केन्द्रकीय झिल्ली और झिल्लीयुक्त कोशिका अंगक उपस्थित।

पृष्ठ 73.

प्रश्न 1.
क्या आप दो ऐसे अंगकों का नाम बता सकते हैं, जिनमें अपना आनुवंशिक पदार्थ होता है?
उत्तर:
माइटोकॉन्ड्रिया तथा प्लैस्टिड ऐसे कोशिकांग हैं, जिनमें अपना आनुवंशिक पदार्थ DNA पाया जाता है।

प्रश्न 2.
यदि किसी कोशिका का संगठन किसी भौतिक अथवा रासायनिक प्रभाव के कारण नष्ट हो जाता है, तो क्या होगा?
उत्तर:
यदि किसी कोशिका का संगठन किसी भौतिक अथवा रासायनिक प्रभाव के कारण नष्ट हो जाता है, तो लाइसोसोम फट जाते हैं और एन्जाइम अपनी ही कोशिकाओं को पाचित कर देते हैं, जिससे कोशिका नष्ट हो जाती है।

प्रश्न 3.
लाइसोसोम को आत्मघाती थैली क्यों कहते हैं?
उत्तर:
कोशिकीय उपापचय (Metabolism) में व्यवधान के कारण जब कोशिका क्षतिग्रस्त हो जाती है, तब लाइसोसोम फट जाते हैं और इसमें उपस्थित एन्जाइम अपनी ही कोशिकाओं को पाचित कर देते हैं। इसीलिए लाइसोसोम को कोशिका की ‘आत्मघाती थैली’ (Suicide bags) कहा जाता है।

प्रश्न 4.
कोशिका के अन्दर प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ पर होता है?
उत्तर:
कोशिका के अन्दर प्रोटीन का संश्लेषण राइबोसोम में होता है।

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प्रश्न 1.
पादप कोशिकाओं और जंतु कोशिकाओं में तुलना करो।
उत्तर:

पाद्य कोशिका जन्तु कोशिका
1. इनमें सेल्यूलोज की बनी कोशिका भित्ति तथा प्लाज्मा झिल्ली दोनों पाई जाती हैं। इनमें केवल प्लाज्मा झिल्ली पाई जाती है।
2. इनमें सेन्ट्रोसोम नहीं पाये जाते हैं। इनमें सेन्ट्रोसोम पाए जाते हैं।
3. इनमें रसधानियाँ बड़ी एवं पूर्ण विकसित होती हैं। इनमें रसधानियाँ अनुपस्थित या बहुत छोटी होती हैं।
4. इनमें क्लोरोप्लास्ट उपस्थित होता है। इनमें क्लोरोप्लास्ट का अभाव होता है।
5. इनमें गॉल्जी उपकरण पूर्ण विकसित नहीं होता है। इनमें गॉल्जी उपकरण पूर्ण विकसित होता है ।
6. इनमें केन्द्रक, कोशिका की परिधि की ओर खिसका होता है। इनमें केन्द्रक, कोशिका के मध्य में होता है।

प्रश्न 2.
प्रोकैरियोटी कोशिकाएँ यूकैरियोटी कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न होती हैं?
उत्तर:

प्रोकैरियोटी यूकैरियोटी
1. कोशिकाएँ सामान्यत: छोटे आकार (1 – 10 µm)  की होती हैं। ये कोशिकाएँ अधिकतर बड़े आकार की होती हैं। (5µm – 100µm)
2. इनमें केन्द्रकीय झिल्ली नहीं होती। पूर्ण विकसित केन्द्रकीय झिल्ली उपस्थित होती है।
3. इनमें केवल एक क्रोमोसोम उपस्थित होता है। इनमें कई क्रोमोसोम्स उपस्थित रहते हैं।
4. इसमें केन्द्रिकाएँ अनुपस्थित होती हैं। इसमें केन्द्रिकाएँ पाई जाती हैं।
5. इनमें झिल्ली द्वारा अलग किए गए अंगक अनुपस्थित होते हैं। इनमें झिल्ली द्वारा बद्ध अंगक उपस्थित रहते हैं।
6. इनमें कोशिका विभाजन विखण्डन या मुकुलन द्वारा होता है। इनमें कोशिका विभाजन समसूत्री विभाजन द्वारा होता है।
7. इनमें क्लोरोफिल झिल्लीदार पुटिका के साथ होता है। इनमें क्लोरोफिल प्लैस्टिड में पाया जाता है।

प्रश्न 3.
यदि प्लैज्मा झिल्ली फट जाए अथवा टूट जाए तो क्या होगा?
उत्तर:
चूँकि प्लैज्मा झिल्ली वर्णात्मक पारगम्य होती है अर्थात् यह चयनित पदार्थों के आवागमन में ही सहायक होती है। यह.कोशिका के लिए वांछित पदार्थों को तो अन्दर आने देती है और अनावश्यक पदार्थों को बाहर जाने देती है, साथ ही अन्दर आने से रोकती भी है। इसलिए यदि प्लैज्मा झिल्ली फट जाए या टूट जायेगी, तो इसका वर्णात्मक कार्य समाप्त हो जायेगा। परिणामस्वरूप कोशिका क्षतिग्रस्त या मृत हो जायेगी।

प्रश्न 4.
यदि गॉल्जी उपकरण नहीं हो तो कोशिका के जीवन में क्या होगा?
उत्तर:
गॉल्जी उपकरण का कार्य कोशिका में उत्पन्न पदार्थों का संग्रहण, रूपान्तरण व बन्द (पैकिंग) करना है। यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो ये प्रक्रियाएँ रुक जाएँगी। साथ ही लाइसोसोम का निर्माण गॉल्जी उपकरण करते हैं, वह भी रुक जाएगा जिससे अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन नहीं होगा, परिणामस्वरूप कोशिका का जीवन कम हो जाएगा।

प्रश्न 5.
कोशिका का कौनसा अंगक बिजलीघर है? और क्यों?
उत्तर:
माइटोकॉन्ड्रिया कोशिका का बिजलीघर है; क्योंकि जीवन के लिए आवश्यक विभिन्न रासायनिक क्रियाओं को करने के लिए माइटोकॉन्ड्रिया भोजन का ऑक्सीकरण करके ऊर्जा मुक्त करते हैं, जो ATP (एडिनोसिन ट्राइफास्फेट) के रूप में माइटोकॉन्ड्रिया में संचित रहती है। इस प्रकार ऊर्जा उत्पन्न करने के कारण माइटोकॉन्ड्रिया को ‘कोशिका का बिजलीघर’ कहते हैं।

प्रश्न 6.
कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड तथा प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है?
उत्तर:
कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड तथा प्रोटीन अंतर्द्रव्यी जालिका (ER) में संश्लेषित होते हैं। खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका (RER) पर राइबोसोम होते हैं, जो प्रोटीन का निर्माण करते हैं तथा चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका (SER) लिपिड का संश्लेषण करती है।

प्रश्न 7.
अमीबा अपना भोजन कैसे प्राप्त करता है?
उत्तर:
‘एन्डोसाइटोसिस प्रक्रिया’ द्वारा अपना भोजन बाह्य वातावरण से प्राप्त करता है। भोजन ग्रहण करने की प्रक्रिया में अमीबा की लचीली कोशिका झिल्ली अन्दर की ओर मुड़कर कप के आकार का गड्ढा (Cavity) या पादाभ बनाकर अपने भोजन को घेर लेती है तथा एक खाद्य धानी का निर्माण कर भोजन को अपने अन्दर ले लेती है।

प्रश्न 8.
परासरण क्या है?
उत्तर:
परासरण – जल के अणुओं का वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा उच्च जल सान्द्रता से निम्न जल सान्द्रता की ओर गति करना परासरण कहलाता है।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित परासरण प्रयोग करें
छिले हुए आधे – आधे आलू के चार टुकड़े लो, इन चारों को खोखला करो जिससे कि आलू के कप बन जाएँ। इनमें से एक कप को उबले आलू में बनाना है। आलू के प्रत्येक कप को जल वाले बर्तन में रखो। अब
(a) कप ‘A’ को खाली रखो।
(b) कप ‘B’ में एक चम्मच चीनी डालो।
(c) कप ‘C’ में एक चम्मच नमक डालो।
(d) उबले आलू से बनाए गए कप ‘D’ में एक चम्मच चीनी डालो।
आलू के इन चारों कपों को दो घंटे तक रखने के पश्चात् उनका अवलोकन करो और निम्न प्रश्नों का उत्तर दो:
(i) ‘B’ तथा ‘C’ के खाली भाग में जल क्यों एकत्र हो गया? इसका वर्णन करो।
(ii) ‘A’ आलू का कप इस प्रयोग के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
(iii) ‘A’ तथा ‘D’ आलू के खाली भाग में जल एकत्र क्यों नहीं हुआ? इसका वर्णन करो।
उत्तर:
(i) चूँकि B और C कप कच्चे आलू से बनाये गये हैं, इसलिए इनकी कोशिका झिल्ली वर्णात्मक पारगम्यता का कार्य करती है, जिससे जल परासरण द्वारा कप B और C के अन्दर चला जाता है।
इसके अतिरिक्त कप B और C में क्रमशः एक-एक चम्मच चीनी और नमक डालकर एक जल वाले बर्तन में रखा गया है। इस कारण भी जल अल्पपरासरणी दाबी विलयन की तरह कार्य करता हुआ, कोशिका के अन्दर चला जायेगा।

(ii) A आलू का कप इस प्रयोग के लिए इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह कप यह दर्शाता है कि जब कोशिका को ऐसे माध्यम विलयन में रखा जाता है, जिसमें बाह्य जल की सान्द्रता कोशिका में स्थित जल की सान्द्रता के ठीक बराबर हो, तो कोशिका झिल्ली से जल के अणुओं की कोई शुद्ध गति नहीं होती है। चूंकि कप A को खाली रखा गया था, इसके बाहरी जल की सान्द्रता, इसके अन्दर की सान्द्रता के समान है, इसलिए कप A में जल की कोई शुद्ध गति नहीं होती है।

(iii) A और D कपों में जल एकत्रित नहीं हुआ; क्योंकि दोनों में बाहरी जल की सान्द्रता कपों में स्थित जल की सान्द्रता के समान थी। चूँकि कप A कच्चे आलू का था तथा भीतर से खाली था पर कप D उबले हुए आलू का था जिसमें एक चम्मच चीनी भी थी। परन्तु उबला होने के कारण वह वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली का गुण खो चुका था इसलिए इसमें जल की कोई शुद्ध गति नहीं हो सकी।

प्रश्न 10.
कायिक वृद्धि एवं मरम्मत हेतु किस प्रकार के कोशिका विभाजन की आवश्यकता होती है तथा इसका औचित्य बताएँ।
उत्तर:
कायिक वृद्धि एवं मरम्मत हेतु समसूत्री प्रकार के कोशिका विभाजन की आवश्यकता होती है। इस विभाजन में मातृ कोशिका विभाजित होकर दो समरूप संतति कोशिकाएँ बनाती है जिनमें गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिका के समान होती है।

प्रश्न 11.
युग्मकों के बनने के लिए किस प्रकार का कोशिका विभाजन होता है? इस विभाजन का महत्त्व बताएँ।
उत्तर:
युग्मकों के बनने के लिए अर्द्धसूत्री प्रकार का कोशिका विभाजन होता है। इस विभाजन में दो की जगह चार नई कोशिकाएँ बनती हैं तथा इसमें संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है।

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