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RBSE Class 9 Social Science Solutions Geography Chapter 3 अपवाह

RBSE Class 9 Social Science Solutions Geography Chapter 3 अपवाह

पाठ-सार

( 1 ) अपवाह – अपवाह का अर्थ है बहाव । अपवाह द्वारा नदी तन्त्र की व्याख्या होती है ।
(2) नदी तंत्र – किसी नदी तथा उसकी सहायक नदियों को नदी तन्त्र कहा जाता है।
( 3 ) अपवाह द्रोणी- एक नदी तन्त्र द्वारा जिस क्षेत्र का जल प्रवाहित होता है उसे एक अपवाह द्रोणी कहते हैं।
(4) भारत में अपवाह तन्त्र- भारत के अपवाह तन्त्र का नियन्त्रण मुख्यतः भौगोलिक आकृतियों के द्वारा होता | है। इस आधार पर भारतीय नदियों को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया गया है– (i) हिमालय की नदियाँ, (ii) प्रायद्वीपीय नदियाँ। भारत के दो मुख्य भौगोलिक क्षेत्रों में उत्पन्न होने के कारण हिमालय तथा प्रायद्वीपीय नदियाँ एकदूसरे से भिन्न हैं ।
( 5 ) हिमालय की नदियाँ – हिमालय की अधिकतर नदियों में वर्षभर पानी रहता है। हिमालय से निकलने वाली नदियों में सिन्धु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र मुख्य हैं। इनका वर्णन निम्न प्रकार है—
(i) सिन्धु नदी तन्त्र – सिन्धु नदी का उद्गम मानसरोवर झील के निकट तिब्बत में है। इस नदी तन्त्र में सिन्धु व उसकी सहायक सतलुज, व्यास, रावी, चेनाब तथा झेलम आदि नदियाँ शामिल हैं। ये सभी नदियाँ आपस में मिलकर पाकिस्तान में मिठानकोट के पास सिन्धु नदी में मिल जाती हैं। सिन्धु नदी अरब सागर में गिरती है ।
(ii) गंगा नदी तन्त्र – गंगा की मुख्य धारा ‘भागीरथी’ गंगोत्री से निकलती है। इस नदी तन्त्र में गंगा की सहायक नदियों में उत्तर से निकलने वाली यमुना, घाघरा, गंडक, कोसी आदि तथा प्रायद्वीपीय उच्च भूमि से आने वाली चम्बल, बेतवा, काली सिंध, सोन आदि नदियाँ शामिल हैं। गंगा की प्रमुख सहायक यमुना नदी का उद्गम यमुनोत्री से होता है। गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में गिरने से पूर्व ब्रह्मपुत्र नदी से मिलकर डेल्टा का निर्माण करती है जो कि विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा माना जाता है ।
(iii) ब्रह्मपुत्र नदी तन्त्र – इसका उद्गम तिब्बत में कैलाश पर्वत से मानसरोवर झील के पास से होता है। इसकी सहायक नदियाँ – डिबांग, लोहित, केनुला, तिस्ता, जांझी, कुलसी, मानस व कपिली आदि हैं।
( 6 ) प्रायद्वीपीय नदियाँ – प्रायद्वीपीय भारत की अधिकतर नदियाँ मौसमी होती हैं। शुष्क मौसम में बड़ी नदियों का जल भी घटकर छोटी-छोटी धाराओं में बहने लगता है। इस क्षेत्र की अधिकांश नदियाँ पश्चिमी घाट से निकलती हैं तथा बंगाल की खाड़ी की तरफ बहती हैं । इस क्षेत्र की प्रमुख अपवाह द्रोणियाँ निम्न हैं—
(i) नर्मदा द्रोणी – अरब सागर में गिरती है ।
(ii) तापी द्रोणी – अरब सागर में गिरती है । –
(iii) गोदावरी द्रोणी- बंगाल की खाड़ी में गिरती है ।
(iv) महानदी द्रोणी- बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
(v) कृष्णा द्रोणी- बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
(vi) कावेरी द्रोणी – बंगाल की खाड़ी में गिरती है ।
( 7 ) झीलें – पृथ्वी की सतह के गर्त वाले भागों में जहाँ जल जमा हो जाता है, उसे झील कहते हैं। भारत में अनेक झीलें हैं। ये खारे पानी अथवा मीठे पानी की होती हैं। कुछ झीलें प्राकृतिक रूप से बनती हैं तो कुछ मानव निर्मित होती हैं ।
( 8 ) नदियों का अर्थव्यवस्था में महत्त्व – नदियों का अर्थव्यवस्था में बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। सिंचाई, नौ-संचालन, जलविद्युत निर्माण में नदियों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है।
( 9 ) नदी प्रदूषण – वर्तमान में विभिन्न कारणों से होने वाले नदी प्रदूषण द्वारा जल की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है । हमें नदियों को स्वच्छ रखना चाहिए। ।
( 10 ) राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना-नदियों के प्रदूषण को दूर करने तथा उन्हें साफ-स्वच्छ बनाये रखने के लिए राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना चलायी गयी हैं।

RBSE Class 9 Social Science अपवाह InText Questions and Answers

पृष्ठ 16

प्रश्न 1.
भारत में किस नदी की अपवाह द्रोणी सबसे बड़ी है?
उत्तर:
भारत में सबसे बड़ी अपवाह द्रोणी गंगा नदी की है।

पृष्ठ 21

प्रश्न 1.
भारत का सबसे बड़ा जलप्रपात कौनसा है?
उत्तर:
भारत का सबसे बड़ा जलप्रपात कावेरी नदी द्वारा निर्मित जोग जलप्रपात है।

पृष्ठ 22

प्रश्न 1.
एटलस की सहायता से प्राकृतिक तथा मानव निर्मित झीलों की सूची तैयार कीजिए।
उत्तर:
प्राकृतिक झील:

  • वूलर (जम्मू-कश्मीर)
  • डल (जम्मू-कश्मीर)
  • नैनीताल (उत्तराखंड)
  • भीमताल (उत्तराखंड)
  • लोकताक (मणिपुर)
  • बड़ापानी (मेघालय)
  • सांभर (राजस्थान)
  • चिल्का (ओडिशा)
  • पुलीकट (आंध्रप्रदेश)
  • कोलेरू (केरल)
  • लोनार (महाराष्ट्र)

मानव निर्मित झील:

  • गोबिन्द सागर (हिमाचल प्रदेश)
  • राणा प्रताप सागर (राजस्थान)
  • गाँधी सागर (मध्यप्रदेश)
  • नागार्जुन सागर (आंध्रप्रदेश)
  • निज़ाम सागर (महाराष्ट्र)
  • हीराकुण्ड (ओडिशा)
  • गोविन्द वल्लभ पंत सागर (उत्तर प्रदेश)
  • कृष्णराज सागर (कर्नाटक)

RBSE Class 9 Social Science अपवाह Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
दिए गए चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए।
(i) वूलर झील निम्नलिखित में से किस राज्य में स्थित है?
(क) राजस्थान
(ख) पंजाब
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) जम्मू-कश्मीर।
उत्तर:
(घ) जम्मू-कश्मीर।

(ii) नर्मदा नदी का उद्गम कहाँ से है?
(क) सतपुड़ा
(ख) अमरकंटक
(ग) ब्रह्मागिरी
(घ) पश्चिमी घाट के ढाल।
उत्तर:
(ख) अमरकंटक

(iii) निम्नलिखित में से कौनसी लवणीय जल वाली झील है?
(क) सांभर
(ख) वूलर
(ग) डल
(घ) गोबिंद सागर।
उत्तर:
(क) सांभर

(iv) निम्नलिखित में से कौनसी नदी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है?
(क) नर्मदा
(ख) गोदावरी
(ग) कृष्णा
(घ) महानदी।
उत्तर:
(ख) गोदावरी

(v) निम्नलिखित नदियों में से कौनसी नदी भ्रंश घाटी से होकर बहती है?
(क) महानदी
(ख) कृष्णा
(ग) तुंगभद्रा
(घ) तापी।
उत्तर:
(घ) तापी।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए-
(i) जल विभाजक का क्या कार्य है? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जल विभाजक वह पर्वत या उच्च भूमि होती है, जो दो पड़ोसी अपवाह द्रोणियों को एक-दूसरे से पृथक् करती है। इस प्रकार की उच्च भूमि को जलविभाजक कहते हैं। उदाहरण के लिए अंबाला नगर, सिन्धु और गंगा नदी तन्त्र के बीच जल विभाजक पर स्थित है।

(ii) भारत में सबसे विशाल नदी द्रोणी कौनसी है?
उत्तर:
गंगा द्रोणी भारत में सबसे विशाल नदी द्रोणी है।

(iii) सिन्धु एवं गंगा नदियाँ कहाँ से निकलती हैं?
उत्तर:
सिन्धु नदी तिब्बत में मानसरोवर झील के निकट से निकलती है। गंगा नदी हिमालय में गंगोत्री हिमानी से निकलती है।

(iv) गंगा की दो मुख्य धाराओं के नाम लिखिए। ये कहाँ पर एक-दूसरे से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं?
उत्तर:
गंगा की दो मुख्य धाराएँ भागीरथी और अलकनंदा हैं। ये उत्तराखण्ड राज्य के देवप्रयाग नामक स्थान पर मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं।

(v) लम्बी धारा होने के बावजूद तिब्बत के क्षेत्रों में ब्रह्मपुत्र में कम गाद (सिल्ट) क्यों है?
उत्तर:
लम्बी धारा होने के बावजूद तिब्बत के क्षेत्रों में ब्रह्मपुत्र में कम गाद (सिल्ट) इसलिए है क्योंकि यह एक ठण्डा व शुष्क क्षेत्र है अतः यहाँ नदी में जल की मात्रा काफी कम है, जिसके फलस्वरूप अपरदन अत्यधिक कम व धीमी गति से होता है।

(vi) कौनसी दो प्रायद्वीपीय नदियाँ गर्त से होकर बहती हैं? समुद्र में प्रवेश करने से पहले वे किस प्रकार की आकृतियों का निर्माण करती हैं?
उत्तर:
नर्मदा एवं तापी दो प्रायद्वीपीय नदियाँ हैं जो गर्त से होकर बहती हैं। समुद्र में प्रवेश करने से पहले वे ज्वारनदमुख का निर्माण करती हैं।

(vii) नदियों तथा झीलों के कुछ आर्थिक महत्त्व को बताएँ।
उत्तर:
नदियों के आर्थिक महत्त्व-

  • पेयजल, घरेलू कार्यों और सिंचाई के लिए नदियाँ जल उपलब्ध करवाती हैं, विशेषकर भारत जैसे देश में जहाँ फसल मानसून पर निर्भर होती है।
  • ये अपने साथ गाद और तलछट बहाकर लाती हैं, जो बाढ़ के मैदानों को उपजाऊ बनाते हैं और देश को उपजाऊ कृषि भूमि प्रदान करते हैं।
  • नदियाँ अपशिष्ट को गला देती हैं या बहाकर ले जाती हैं।
  • नदियों के साथ-साथ औद्योगिक विकास फलता-फूलता है क्योंकि अनेक औद्योगिक प्रक्रियाओं में जल की आवश्यकता होती है, जैसे शीतलक में और जलविद्युत उत्पादन में।
  • नदियाँ परिवहन के साधन और अन्तर्देशीय जलमार्ग उपलब्ध करवाती हैं।
  • तटीय नगरों के साथ-साथ मनोरंजन, पर्यटन प्रोत्साहन और मत्स्य व्यवसाय भी विकसित होते हैं।

झीलों का आर्थिक महत्त्व-

  • झीलें नदी के बहाव को सुचारु बनाने में सहायक होती हैं।
  • अत्यधिक वर्षा के समय ये बाढ़ को रोकती हैं।
  • सूखे के मौसम में ये पानी के बहाव को सन्तुलित करने में सहायता करती हैं।
  • झीलों का प्रयोग जलविद्युत उत्पन्न करने में भी किया जा सकता है।
  • ये आस-पास के क्षेत्रों की जलवायु को सामान्य बनाती हैं।
  • जलीय पारितन्त्र को सन्तुलित रखती हैं।
  • झीलें प्राकृतिक सुन्दरता व पर्यटन को बढ़ाती हैं।
  • झीलों से भूजल स्तर ऊँचा उठता है।

प्रश्न 3.
दीर्घउत्तरीय प्रश्न-
(i) नीचे भारत की कुछ झीलों के नाम दिए गए हैं। इन्हें प्राकृतिक तथा मानव निर्मित वर्गों में बाँटिए-
(क) वूलर
(ख) डल
(ग) नैनीताल
(घ) भीमताल
(ङ) गोबिंद सागर
(च) लोकताक
(छ) बारापानी (बड़ापानी)
(ज) चिल्का
(झ) सांभर
(ञ) राणा प्रताप सागर
(ट) निजाम सागर
(ठ) पुलिकट
(ड) नागार्जुन सागर
(ढ) हीराकुण्ड
उत्तर:
प्राकृतिक झीलें:
(क) वूलर
(ख) डल
(ग) नैनीताल
(घ) भीमताल
(च) लोकताक
(छ) बारापानी (बड़ापानी)
(ज) चिल्का
(झ) सांभर
(ठ) पुलिकट

मानव निर्मित झीलें:
(ङ) गोबिन्द सागर
(ञ) राणा प्रताप सागर
(ट) निज़ाम सागर
(ड) नागार्जुन सागर
(ढ) हीराकुण्ड

प्रश्न 4.
हिमालय तथा प्रायद्वीपीय नदियों के मुख्य अन्तरों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हिमालय तथा प्रायद्वीपीय नदियों में मुख्य अन्तर

हिमालयी नदियाँ प्रायद्वीपीय नदियाँ
1. ये अधिकतर बारहमासी नदियाँ हैं। इनमें वर्ष-पर्यन्त पानी बना रहता है क्योंकि इन्हें वर्षा के साथ-साथ पिघलती बर्फ से भी जल मिलता रहता है। 1. ये अधिकांशतः मौसमी नदियाँ होती हैं। इनका प्रवाह वर्षा पर निर्भर करता है।
2. अपने उद्गम से समुद्र में मिलने तक इनका अपवाह क्षेत्र बहुत लम्बा होता है। 2. प्रायद्वीपीय नदियों का अपवाह क्षेत्र छोटा होता है और ये अपेक्षाकृत छिछली होती हैं।
3. अपने ऊपरी मार्ग में ये अपरदन कार्य सक्रियता से करती हैं, फलतः अपने साथ बड़ी मात्रा में गाद और तलछट बहाकर लाती हैं। 3. धीमे ढलानों के कारण इनकी अपरदन क्षमता अपेक्षा कृत धीमी होती है।
4. मध्य और निचले प्रवाह मार्ग में नदियाँ गुंथी हुई धाराएँ धाराएँ और टेढ़े-मेढ़े आकार के साथ अपने बाढ़ मैदानों मैदानों में विसर्प जैसे कई अन्य निक्षेपित भू-लक्षणों का का निर्माण करती हैं। 4. ठोस चट्टानी तल और गाद तथा तलछट के अभाव के कारण किसी महत्त्वपूर्ण टेढ़ी-मेढ़ी स्थलाकृति को नहीं दर्शाती हैं।
5. ये विस्तृत डेल्टा बनाती हैं। 5. इन नदियों द्वारा बनाए गए डेल्टा अपेक्षाकृत छोटे होते हैं।
6. ये नदियाँ सिंचाई के लिए अधिक उपयोगी होती हैं। 6. सिंचाई के लिए इनका प्रयोग कम होता है।
7. इनमें सिन्धु, गंगा, ब्रह्मपुत्र मुख्य नदियाँ हैं। 7. इनमें नर्मदा, ताप्ती, गोदावरी, महानदी, कृष्णा, कावेरी मुख्य नदियाँ हैं।

प्रश्न 5.
प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व एवं पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों की तुलना कीजिए।
उत्तर:
प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व एवं पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों की तुलना

पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ
1. गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियाँ पश्चिमी घाट से निकलती हैं और पूर्व की ओर बहकर बंगाल की खाड़ी खाड़ी में समाप्त हो जाती हैं। महानदी भी पूर्व की और बहती है। 1. नर्मदा और तापी ही दो लम्बी नदियाँ हैं जो पश्चिम की ओर अरब सागर में गिरती हैं।
2. समुद्र में प्रवेश करते समय ये सभी नदियाँ अपने मुहाने पर डेल्टा बनाती हैं। 2. ये नदियाँ ज्वारनदमुख बनाती हैं।
3. ये नदियाँ कम गहरी घाटियों से होकर बहती हैं। 3. ये नदियाँ भ्रंश घाटियों से होकर बहती हैं।
4. इनकी अपवाह द्रोणियाँ अपेक्षाकृत बड़ी हैं। 4. इनकी अपवाह द्रोणियाँ अपेक्षाकृत छोटी हैं।

प्रश्न 6.
किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए नदियाँ महत्त्वपूर्ण क्यों हैं?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था के लिए नदियों का महत्त्व-किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए नदियों का महत्त्व निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट है-

  • नदियों से हमें पीने के लिए, घरेलू कार्यों के लिए तथा सिंचाई के लिए जल मिलता है।
  • भारत जैसे कृषि प्रधान देश में नदियों द्वारा सिंचाई का बहुत महत्त्व है।
  • नदियाँ गाद और तलछट बहाकर लाती हैं जो बाढ़ के मैदानों को उपजाऊ बनाते हैं और देश को उपजाऊ भूमि प्रदान करती हैं।
  • नदियाँ अपशिष्ट को गला देती हैं अथवा बहाकर ले जाती हैं।
  • नदियों के साथ-साथ औद्योगिक विकास होता है क्योंकि अनेक औद्योगिक प्रक्रियाओं में जल की आवश्यकता होती है, जैसे शीतलक में और जलविद्युत उत्पादन में।
  • नदियाँ परिवहन के साधन और अन्तर्देशीय जलमार्ग उपलब्ध करवाती हैं।
  • नदियों के पास तटीय नगरों के साथ-साथ मनोरंजन, पर्यटन प्रोत्साहन और मत्स्य व्यवसाय भी विकसित होते हैं।

मानचित्र कौशल

(i) भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित नदियों को चिह्नित कीजिए तथा उनके नाम लिखिए-गंगा, सतलुज, दामोदर, कृष्णा, नर्मदा, तापी, महानदी, दिहांग।
(ii) भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित झीलों को चिह्नित कीजिए तथा उनके नाम लिखिए-चिल्का, सांभर, वूलर, पुलीकट तथा कोलेरू।
उत्तर:

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