RB 11 Business Studies

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 10 वाणिज्य में रोजगार के अवसर

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 10 वाणिज्य में रोजगार के अवसर

Rajasthan Board RBSE Class 11 Business Studies Chapter 10 वाणिज्य में रोजगार के अवसर

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 10 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 10 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
रिटेलिंग का संबंध किस बाजार से है?
(अ) स्कंध बाजार
(ब) मुद्रा बाजार
(स) उपभोक्ता बाजार
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(स) उपभोक्ता बाजार

प्रश्न 2.
सॉफ्टवेयर क्या होता है?
(अ) खिलौना
(ब) मशीन
(स) समस्या निपटान कार्य प्रणाली
(द) विशेष प्रकार का वस्त्र
उत्तरमाला:
(स) समस्या निपटान कार्य प्रणाली

प्रश्न 3.
बीमा एजेन्ट बनने के लिए प्रशिक्षण किस संस्था से प्राप्त करना होता है?
(अ) व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान से
(ब) विश्वविद्यालय से
(स) बीमा नियामक प्राधिकरण से
(द) कम्प्यूटर प्रशिक्षण संस्था से
उत्तरमाला:
(स) बीमा नियामक प्राधिकरण से

प्रश्न 4.
दावों की क्षतिपूर्ति हेतु साधारण बीमा व्यापार कम्पनी किसको नियुक्त करती है?
(अ) सर्वेयर
(ब) एजेन्ट (स) एकच्यूरी
(द) विकास अधिकारी
उत्तरमाला:
(अ) सर्वेयर

प्रश्न 5.
जीवन बीमा में जोखिम दायित्व की गणना करता है –
(अ) एजेन्ट
(ब) एकच्यूरी
(स) लेखाधिकारी
(द) सर्वेयर
उत्तरमाला:
(ब) एकच्यूरी

प्रश्न 6.
कॉल सेंटर के माध्यम से अधिकतम कार्य होता है –
(अ) उपभोक्ता के प्रश्नों का उत्तर देना
(ब) विक्रय वृद्धि हेतु उपभोक्ताओं से सम्पर्क कराना
(स) उपभोक्ताओं की समस्याओं का निदान करना
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 7.
कहीं भी बैंकिंग विचार के प्रादुर्भाव का आधार है –
(अ) कोर कम्प्यूटर प्रणाली
(ब) ए.टी.एम. मशीन
(स) कार्ड प्रणाली
(द) संगठन संरचना
उत्तरमाला:
(अ) कोर कम्प्यूटर प्रणाली

प्रश्न 8.
स्व – रोजगार हेतु बैंक, राज्य एवं केन्द्र सरकार की तरफ से कार्यरत् “नॉडल एजेंसी” है –
(अ) सहकारी बैंक
(ब) जिला उद्योग केन्द्र
(स) जिला विकास अभिकरण
(द) कोई नहीं
उत्तरमाला:
(ब) जिला उद्योग केन्द्र

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 10 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ई – कॉमर्स का अर्थ बताइये।
उत्तर:
एक फर्म द्वारा अपने ग्राहकों और पूर्तिकर्ताओं के साथ इन्टरनेट पर सम्पर्क करके लेन – देन करना ही ई – कॉमर्स कहलाता है।

प्रश्न 2.
उद्यमिता की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
उद्यमिता अपना स्वयं का व्यवसाय स्थापित करने की एक प्रक्रिया है, जिसमें जोखिम का तत्त्व समाहित होता है।

प्रश्न 3.
सेवा क्षेत्र में आने वाले व्यापार के चार नाम लिखिए।
उत्तर:

  • बैंक
  • बीमा
  • उपभोक्ता बाजार
  • पूँजी बाजार

प्रश्न 4.
राजस्थान की प्रशासनिक सेवाओं में भर्ती प्रक्रिया का निष्पादन करने वाले कार्यालय का नाम लिखिए।
उत्तर:
राजस्थान लोक सेवा आयोग।

प्रश्न 5.
म्युचुअल फण्ड को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
छोटे – छोटे विनियोजकों के निवेशित धन से संग्रहित बड़ी पूँजी से पूँजी बाजार में कारोबार करना तथा अर्जित लाभ को आपस में बाँटना ही म्यूच्यूअल फण्ड कहलाता है।

प्रश्न 6.
लेखांकन सॉफ्टवेयर के चार नाम बताइये।
उत्तर:

  • टेली
  • नेक
  • फॉक्स प्रो
  • मुनीम जी

प्रश्न 7.
बीमा व्यवसाय के प्रकार बताइये।
उत्तर:
बीमा व्यवसाय को प्रमुख रूप से दो भागों में बाँटा जाता है –

  • जीवन बीमा
  • सामान्य बीमा

प्रश्न 8.
उद्यमिता विकास हेतु जिला स्तर पर कार्यरत विभाग का नाम बताइये।
उत्तर:
जिला उद्योग केन्द्र।

प्रश्न 9.
पी.एम.आर.वाई. योजना का पूरा नाम बताइये।
उत्तर:
प्रधानमन्त्री रोजगार योजना।

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 10 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बीमा व्यवसाय में ‘एकच्यूरी’ का कार्य बताइये।
उत्तर:
बीमा व्यवसाय में जोखिम की गणना करने के लिये विशिष्ट ज्ञान एवं प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति की आवश्यकता होती है, जो एकच्यूरी द्वारा कुशलतापूर्वक सम्पन्न किया जाता है, जिनके द्वारा विभिन्न जीवन बीमा पॉलिसियों की लम्बी अवधि की होने के कारण प्राप्त प्रीमियम में से जोखिम के लिये बीमा दायित्व की गणना आसानी से की जाती है। बीमा कम्पनियों में जोखिम की गणना करने में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहता है।

प्रश्न 2.
बैंक के “कहीं भी बैंक” का अभिप्राय समझाइये।
उत्तर:
संचार क्रान्ति ने बैंकों की कार्यप्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन ला दिया है, जिसके कारण इन्टरनेट युक्त कम्प्यूटर ने बैंकों को एक नई दिशा एवं गति प्रदान की है। आज हमें किसी भी बैंकिंग लेन-देन हेतु बैंक जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है, बल्कि नेट बैंकिंग, एटीएम मशीन एवं क्रेडिट कार्ड आदि के माध्यम से चौबीस घण्टे एवं सातों दिन किसी भी प्रकार का लेन – देन आसानी से किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
उपभोक्ता बाजार (रिटेलिंग) के वर्ग बताते हुए संभावित व्यापार के चार नाम बताइये।
उत्तर:
उपभोक्ता बाजार को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है –
(1) वस्तु विशेष क़ा उपभोक्ता बाजार –

  • गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और बच्चों सम्बन्धी उत्पाद।
  • स्वास्थ्य संरक्षण एवं पोषण सम्बन्धित वस्तुयें एवं उत्पाद।

(2) खाद्य पदार्थ या वस्तु बाजार –

  • त्वरित खाद्य पदार्थ (फास्ट फूड)।
  • डबल रोटी तथा बेकरी की खाद्य वस्तुए।

प्रश्न 4.
सरकार द्वारा लेखा, कोष नियन्त्रण एवं अंकेक्षण हेतु कार्यरत विभाग का नाम बताते हुए नियुक्त किये जाने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के पास अपने वित्त सम्बन्धी कार्यों का लेखा – जोखा रखने एवं नियन्त्रण करने के लिये “लेखा एवं अंकेक्षण परीक्षण विभाग” होता है। केन्द्र सरकार को महालेखा परीक्षक एवं नियन्त्रण विभाग तथा राज्य स्तर पर सरकार का लेखा एवं कोष निदेशालय तथा स्थानीय निधि एवं अंकेक्षण विभाग कार्यरत् है। इन विभागों में लेखा एवं अंकेक्षण सम्बन्धी कार्यों के लिये लेखाकार एवं अंकेक्षक – लेखाकार, सहायक लेखा अधिकारी, लेखा अधिकारी तीन स्तरों पर नियुक्त किये जाते हैं।

प्रश्न 5.
ई – कॉमर्स लेन – देन का अभिप्राय समझाइये।
उत्तर:
ई – कॉमर्स के अन्तर्गत विक्रेता और क्रेता बिना कागजों की अदली – बदली किये अथवा बिना एक – दूसरे से मिले इन्टरनेट के माध्यम से लेन – देन करते हैं। इसमें व्यापार कम्प्यूटर द्वारा किया जाता है और बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि सभी प्रकार के लेन – देनों का भुगतान बैंक के माध्यम से ही किया जाता है।

प्रश्न 6.
जिला उद्योग केन्द्र के कार्य बताइये।
उत्तर:
जिला उद्योग केन्द्र के कार्य निम्नलिखित हैं –

  1. उद्यमिता विकास प्रशिक्षण, कार्यक्रमों का आयोजन एवं क्रियान्वयन करना।
  2. जिला उद्योग केन्द्र उद्यमी की ऋण सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये उद्यमियों और जिले के अग्रणी बैंक के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है।
  3. उद्यमियों को समय – समय पर विभिन्न अवसरों से अवगत कराना और अवसर मार्गदर्शन करना।
  4. कच्चे माल की उपलब्धता के स्थानीय स्रोतों के बारे में जानकारी का संकलन करना।
  5. विभिन्न सरकारी योजनाओं, सब्सिडी, अनुदान और सहायता की अन्य निगमों, जिन्हें उद्योगों के विकास हेतु स्थापित किया गया हो, से जानकारी उपलब्ध कराना।

प्रश्न 7.
कॉल सेन्टर में प्रयुक्त होने वाले उपकरण बताइये।
उत्तर:
कॉल सेन्टर एक सर्विस फ्रेमवर्क है, जो उन्नत संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित है, जिसमें कम्पनी के ग्राहकों को उनके प्रश्नों का उत्तर देना तथा नये ग्राहक बनाने के लिये फोन पर विक्रय अभियान संचालित करने के लिये टेलीफोन एवं इन्टरनेट युक्त कम्प्यूटरों की आवश्यकता पड़ती है। साथ ही ग्राहकों को सूचना और सहायता मुहैया कराने के लिये प्रशिक्षित सलाहकार व्यापक डाटा तक पहुँच एवं अन्य ऑनलाइन सूचना सहायता की अवसंरचना की जरूरत होती है।

प्रश्न 8.
आउटसोर्सिंग का अभिप्राय समझाइये।
उत्तर:
जब कोई फर्म अपने प्रमुख एवं महत्वपूर्ण कार्यों को स्वयं करती है तथा कम महत्वपूर्ण कार्यों को करने के लिये दूसरी ऐसी फर्मों को सौंप देती है, जो इस कार्य में विशेषज्ञ होती है, तो इसे आउटसोर्सिंग कहते हैं। आउटसोर्सिंग के माध्यम से उत्पादित माल की लागत में कमी आती है तथा श्रम विभाजन एवं विशिष्टीकरण को प्रोत्साहन मिलता है।

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 10 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ई – कॉमर्स का अर्थ बताते हुए लेन – देनों का वर्गीकरण एवं प्रक्रिया समझाइये।
उत्तर:
ई – कॉमर्स का अर्थ:
ई – कॉमर्स में ‘ई’ शब्द इलेक्ट्रॉनिक के संक्षिप्त रूप में है तथा कॉमर्स से आशय व्यापारिक लेन-देनों से हैं। अतः ई – कॉमर्स से आशय ऐसे सौदे से है, जिसके अन्तर्गत विक्रेता और क्रेता बिना कागजों की अदला – बदली किये अथवा बिना एक – दूसरे से मिले इन्टरनेट के माध्यम से लेन – देन करते है अर्थात् उत्पाद और सेवाओं के लेन – देन की गतिविधि ऑनलाइन की जाती है।

ई – कॉमर्स के लेन – देनों का वर्गीकरण एवं प्रक्रिया:
ई-कॉमर्स के विभिन्न लेन – देनों का वर्गीकरण निम्नानुसार किया जा सकता है –
1. बिजनेस टू बिजनेस ई – कॉमर्स – दो व्यापारिक कम्पनियों के बीच वस्तुओं, सेवाओं या सूचनाओं के आदान – प्रदान को B2B ई – कॉमर्स कहते हैं, जिसमें दो व्यापारियों के मध्य लेन – देन किये जाते है।

2. बिजनेस टू कस्टमर ई – कॉमर्स – जब किसी व्यापारी या कम्पनी एवं ग्राहक के बीच वस्तुओं, सेवाओं या सूचनाओं का आदान – प्रदान किया जाता है, उसे बिजनेस – टू – कस्टमर कहते है।

3. कस्टमर टू बिजनेस ई – कॉमर्स – इसमें उपभोक्ता से व्यापारी अर्थात् वे लेन – देन जो ग्राहक द्वारा व्यापारी से किये जाते हैं, उन्हें कस्टमर टू बिजनेस ई – कॉमर्स कहा जाता है।

4. कस्टमर – टू – कस्टमर ई – कॉमर्स – उपभोक्ता से उपभोक्तो लेन – देन अर्थात् जब ग्राहकों के द्वारा आपस में लेन – देन किये जाते हैं, तो उसे कस्टमर टू कस्टमर ई – कॉमर्स कहते है।

ई – कॉमर्स में दो प्रकार की प्रक्रिया होती हैं – प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष। अप्रत्यक्ष में माल स्वयं सूचना मात्र है, जिसे कम्प्यूटर से भिजवा दिया जाता है, जैसे – अखबार। आज अनेक अखबार इन्टरनेट के द्वारा ही पढ़े जा सकते है। इसी प्रकार दस्तावेज, पुस्तक, डाक, मौखिक सन्देश, संगीत, फिल्म, फोटोग्राफ, वीडियो, प्रशिक्षण सामग्री, सॉफ्टवेयर, बाजार भाव, पैसा जमा करने या निकालने के निर्देश आदि सूचना मात्र है। इन्हें इन्टरनेट के द्वारा कहीं – से – कहीं भेजा जा सकता है।

प्रत्यक्ष लेन – देन में ऐसी वस्तुयें आती हैं, जो सूचनायें मात्र नहीं है। इन्टरनेट पर व्यापारी अपने सामान को आपको दिखा सकता है। इसमें कम्प्यूटर के माध्यम से लेन – देन होता है। उसके बाद माल घर पर भिजवा दिया जाता है। इसमें विज्ञापन दिये जाते हैं, माले के आदेश दिये जाते हैं। इसके द्वारा दुकानदार एक जगह पर बैठा हुआ अपने माल की सूचना दुनिया के किसी भी कोने में दे सकता है। अब व्यापारियों को जगह – जगह स्टोर एवं एजेन्ट नियुक्त करने की आवश्यकता नहीं है। इन्टरनेट पर रिवर्स विज्ञापन भी धड़ल्ले से चल रहा है, जिसमें क्रेता इन्टरनेट पर यह जानकारी डाल सकता है कि उसे अमुक विशेषताओं वाली अथवा रेंज की वस्तु की आवश्यकता है। ऐसी स्थिति में विक्रेता दिये गये पते पर तत्काल सम्पर्क करता है। ई – कॉमर्स में बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि सभी लेन – देनों का भुगतान बैंकों के माध्यम से ही होता है।

प्रश्न 2.
कॉल सेंटर क्या है? इसके कार्यों का वर्णन करते हुए भारत के परिप्रेक्ष्य में इसका महत्व समझाइये।
उत्तर:
कॉल सेंटर:
कॉल सेन्टर कम्पनियों, व्यापारिक संस्थाओं द्वारा उपभोक्ता की समस्या समाधान के लिये बनाये गये वे केन्द्र हैं, जहाँ से फोन द्वारा सम्पर्क करके जानकारी प्राप्त की जाती है या शिकायत दर्ज की जाती है तथा कम्पनी के ग्राहकों को उनका उत्तर दिया जाता है। इनका उपयोग विपणन, बिक्री, सूचना देना, सलाह एवं तकनीकी सलाह देने आदि ग्राहकों के. कार्य करने के लिये भी किया जाता है।

कॉल सेन्टर के कार्य:
कॉल सेन्टर द्वारा मुख्य रूप से निम्नलिखित कार्य सम्पन्न किये जा रहे हैं –

  1. कम्पनी के ग्राहकों को उनके प्रश्नों का उत्तर देना।
  2. नये ग्राहक बनाने के लिये फोन पर विक्रय अभियान संचालित करना।
  3. कम्पनी द्वारा अपने ग्राहकों को तकनीकी सहायता प्रदान करना।
  4. ग्राहकों की शिकायतों को दर्ज करना।
  5. ग्राहकों की समस्या का समाधान करना।
  6. ग्राहकों को विभिन्न प्रकार की सूचना देना।

भारत के परिप्रेक्ष्य में कॉल सेन्टर का महत्व:
भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, जहाँ विभिन्न प्रकार के औद्योगिक विकास के साथ – साथ तकनीकी विकास भी निरन्तर हो रहा है। भारत में विभिन्न कम्पनियों द्वारा उत्पाद की बिक्री की पेशकश के लिये टेलीमार्केटिंग, टेली बैंकिंग, टेलीविजन और होम शॉपिंग की सीधी प्रतिक्रिया की अवधारणा, सुविधाओं के बाजार का उदारीकरण एवं विपणन का पर्याप्त विकास हुआ है, इसलिये भारत में भी कॉल सेन्टरों का महत्वपूर्ण योगदान है। इसके अतिरिक्त टेली मार्केटिंग निरन्तर बढ़ रही है और सूचना लाइनें काफी अधिक उत्पाद सेवा की पेशकशों का एक भाग बन रही है। टेली बैंकिंग से वित्तीय सेवा क्षेत्र में भी कॉल सेन्टरों की विशेष भूमिका है।

भारत में दिल्ली, गुड़गाँव, बैंगलोर तथा हैदराबाद में आज अनेक कॉल सेन्टर खुले हुये हैं, जो इस प्रकार का कार्य करते हैं। भारत में कॉल सेन्टर के माध्यम से युवाओं के लिये रोजगार के अवसर भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो रहे हैं, जिसमें विभिन्न कॉल सेन्टरों पर उपभोक्ता सहायक अधिकारी, महिला दूरभाष परिचालक, तकनीकी सहायता अधिकारी, संग्रहण अधिकारी तथा दूरभाष आधारित भर्तीकर्ता आदि पदों की आवश्यकता पड़ती है। कॉल सेन्टरों पर समस्त कार्य टेलीफोन वे कम्प्यूटर पर आधारित है, इसीलिये भाषा ज्ञान एवं कम्प्यूटर संचालन कार्य आना अपेक्षित होता है, लेकिन भारतीय कॉल सेन्टर इसीलिये व्यापक स्तर पर सफल है, क्योंकि भारतीय युवा का अंग्रेजी भाषा का अच्छा ज्ञान तथा उच्चारण बहुत अच्छा तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य है।

प्रश्न 3.
प्रशासनिक क्षेत्र में उपलब्ध रोजगार संभावनाओं को स्पष्ट करते हुए इनकी व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के विभिन्न उपक्रमों तथा सरकार के विभागों में प्रबन्धकीय एवं प्रशासकीय नियन्त्रण के लिये उच्चस्तरीय पदों पर कुशल एवं पेशेवर व्यक्तियों को नियुक्त किया जाता है। सरकारी क्षेत्र में इन्हें राजपत्रित अधिकारी के रूप में जाना जाता है तथा सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र में इन्हें कार्यकारी अधिकारी के रूप में नियुक्ति दी जाती है।

सरकारी क्षेत्र में रोजगार:
केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा अपने विभागों में प्रबन्धकीय एवं प्रशासनिक नियन्त्रण के लिये कर राजस्व, सांख्यिकी, अंकेक्षण एवं वित्त सम्बन्धी आदि विभागों एवं मंत्रालयों में उच्च अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है। इसके अलावा सिविल सेवा में केन्द्र सरकार द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय विदेश सेवा, भारतीय रेल सेवा में रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं, जिसके लिये सरकारी (केन्द्र एवं राज्य) विभागों में नौकरी या सेवा अवसर के लिये प्रतियोगी परीक्षायें उत्तीर्ण करनी होती है, जिसमें प्राप्तांकों की मेरिट के आधार पर चयन किया जाता है।

केन्द्रीय सरकार सम्बन्धी विभागों में नौकरी के लिये संघ लोक सेवा आयोग द्वारा भर्ती के आवेदन माँगे जाते है। तथा वहीं इन परीक्षाओं का आयोजन कर चयनित उम्मीदवारों की सूची बनाकर सरकारों के पास नियुक्ति हेतु भेज दी जाती है। यह भर्ती व चयन प्रक्रिया राष्ट्रीय स्तर पर पूरे देश में होती है। सामान्यतः इस प्रकार की भर्तियों के लिये न्यूनतम योग्यता स्नातक है। राज्य सरकारों द्वारा भी प्रशासनिक क्षेत्रों में राज्य स्तरीय लोक सेवा आयोग द्वारा प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा, लेखा सेवा, बीमा, सहकारिता, विकास सेवा तथा बिक्री कर में प्रतियोगी परीक्षा तथा सलाहकार का आयोजन कर योग्य व्यक्तियों का चयन किया जाता है।

सार्वजनिक उपक्रमों में रोजगार:
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अपनी स्वयं की भर्ती प्रक्रिया होती है। यह क्षेत्र तकनीकी और गैर – तकनीकी कर्मियों के लिये रोजगार के अवसर प्रदान करता है। लोक उद्यम चयन बोर्ड, सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों में अध्यक्ष, प्रबन्ध निदेशक या अध्यक्ष – सह प्रबन्ध निदेशक (लेवल – I), कार्यात्मक निदेशक (लेवल – II) और सरकार द्वारा निर्दिष्ट किसी भी अन्य स्तर के रूप में कर्मियों के चयन और नियुक्ति के लिये जिम्मेदार होता है। भारत तथा राज्य सरकारों के विभिन्न उपक्रमों जैसे – NTPC, SAIL, GAIL, RTDC, RFC, RMMDC बिजली कम्पनी आदि में प्रशासनिक तथा वित्तीय व लेखा कार्यों हेतु रोजगार के विभिन्न अवसर उत्पन्न होते हैं, जो निम्न प्रकार हैं –
1. प्रबन्ध संचालक – भारत तथा राज्य सरकार के विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों में प्रशासनिक निर्णयों एवं नियन्त्रण हेतु प्रबन्ध संचालक की नियुक्ति की जाती है, जो भारतीय प्रशासनिक सेवा से सम्बन्धित होता है।

2. वित्तीय सलाहकार – सार्वजनिक उपक्रमों एवं सरकार की स्वायत्तशासी संस्थाओं में जहाँ सरकार अनुदान या वित्तीय सहायता देती है वहाँ वित्त सम्बन्धी निर्णयों एवं लेखा कार्यों के नियन्त्रण हेतु सरकार अपना प्रतिनिधि, जो लेखा सेवा से सम्बन्धित होता है, वित्तीय सलाहकार के रूप में नियुक्त करती है।

3. कम्पनी सचिव – सरकार के ऐसे विभाग, जो कम्पनी अधिनियम, 1950 के अन्तर्गत निर्मित है। तथा संचालित हो रहे हैं, उन विभागों में कम्पनी कानून के अनुसार पुस्तकों का संधारण, बैठकों का आयोजन तथा सम्बन्धित सूचनाओं को निर्धारित प्रारूप में तैयार कर प्रेषित करने के लिये कम्पनी सचिव की नियुक्ति की जाती है।

4. कर सलाहकार – केन्द्र सरकार या राज्य सरकार के राजस्व प्राप्ति विभागों में कर ढाँचा निर्धारण करने, कर संग्रहण हेतु तकनीकों का सुझाव देने तथा कर सम्बन्धी लेखा कार्य नियन्त्रण के लिये सरकार कर सलाहकार की नियुक्ति करती है।

5. लागत लेखाकार – सरकार के ऐसे विभाग तथा सार्वजनिक उपक्रम, जो निर्माण कार्य या सेवा व्यापार में संलग्न अपने यहीं लागत का निर्धारण तथा लागत का लेखा एवं नियन्त्रण कार्य के लिये लागत लेखापाल नियुक्त करते है। जैसे-भू-जल विभाग आदि।

प्रश्न 4.
स्व – रोजगार को समझाते हुए इसके विकास की विभिन्न योजनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्व – रोजगार:
स्व – स्वरोजगार एक उद्यमिता है, जिसमें व्यक्ति अपना धन्धा, उद्योग अथवा व्यापार करता है और उसमें आवश्यकतानुसार पूँजी लगाकर आर्थिक क्रिया कर लाभ कमाता है। इसमें वैतनिक रोजगार से हटकर स्वयं का व्यापार लगाकर लाभ कमाने या उपलब्धि प्राप्त करने के लिये स्वयं का उद्योग लगाकर रोजगार प्राप्ति के लिये अनेक विकल्प मौजूद रहते है तथा प्रारम्भिक अवस्था में सरकार की कई योजनायें प्रोत्साहित करती है।

स्वरोजगार योजनायें:
देश में स्वरोजगार के प्रति वातावरण बनाने के लिये देश के विभिन्न क्षेत्रों में वहाँ की आवश्यकता एवं समाज के अनुरूप निम्न योजनाओं को क्रियान्वित किया है, जो निम्न प्रकार है –
1. ग्रामीण युवा प्रशिक्षण योजना – सरकार द्वारा ग्रामीण युवाओं को शहरी पलायन रोकने तथा हस्तशिल्प को संरक्षित करने के लिये एक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया है। इसमें प्रशिक्षण के समय प्रशिक्षणार्थियों को खाने – पीने, ठहरने की व्यवस्था तथा Rs.3,000 की सहायता राशि भी प्रदान की जाती है। प्रशिक्षण कुशलतापूर्वक प्राप्त करने के पश्चात् ‘टूल किट’ दिया जाता है, जिससे वे अपना स्वयं का व्यवसाय कर सकें।

2. समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम – यह देश की सर्वाधिक व्यापक स्तर पर चलायी जाने वाली योजना है। इस योजना द्वारा मार्च, 1976 से गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले ग्रामीण परिवारों को ऊँचा उठाने के लिये इसमें प्रशिक्षण एवं वित्तीय सहायता की व्यवस्था की गई है।

3. महात्मा गाँधी रोजगार योजना – यह ग्रामीण गरीब परिवार के न्यूनतम एक सदस्य को रोजगार का अवसर प्रदान करने के लिये चलायी गई योजना है। इस योजना में सरकार पंचायत के माध्यम से सामान्य निर्माण कार्य, इन्दिरा आवास योजना, कुएँ योजना का संचालन करती है। यह योजना सन् 1989 में प्रारम्भ की गई थी।

4. शहरी गरीबों के लिये स्वरोजगार योजना – भारत सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से 10,000 से अधिक की आबादी वाले कस्बों व शहरों में बी.पी.एल. कार्डधारक परिवार के व्यक्तियों को अनुदान वे ऋण देकर स्वरोजगार अपनाने के लिये यह योजना सन् 1986 में प्रारम्भ की गई थी। इसमें ऋण की कोई गारन्टी या जमानत आवश्यक नहीं होती है तथा ऋण की राशि पर 25 प्रतिशत अनुदान भी प्रदान किया जाता है, लेकिन इसमें व्यक्ति का शिक्षित होना आवश्यक होता है।

5. नेहरू रोजगार योजना – यह योजना शहरी क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित करने के लिये नगर पालिकाओं के माध्यम से कार्य करवाने के लिये बनायी गयी थी, जिसमें प्रतिवर्ष 10 लाख रोजगार अवसर सृजित किये जाते हैं। इस योजना का प्रारम्भ वर्ष 1989 में हुआ था।

6. प्रधानमंत्री रोजगार योजना – प्रधानमन्त्री रोजगार योजना शिक्षित बेरोजगारों को वित्तीय सहायता प्रदान करके किसी उद्योग या व्यापार की स्थापना एवं संचालन के लिये प्रोत्साहित करने के लिये की गयी थी। यह योजना देश में 10 लाख की जनसंख्या से कम आबादी वाले सभी जिलों में लागू की गई थी। यह योजना पूर्व में संचालित ‘शिक्षित बेरोजगारों के लिये स्वरोजगार योजना 1983’ का विलय करके वर्ष 1993 में प्रारम्भ की गई थी।

इस योजना में ऋण उद्योग के लिये 1 लाख व व्यापार के लिये 75 हजार तक स्वीकृत किया जाता है तथा पुनर्भुगतान 3 से 7 वर्ष तक की अवधि में किया जाता है। इस योजना के लाभ के लिये व्यक्ति का मैट्रिक पास होना आवश्यक है। यह योजना प्रत्येक जिले में स्थित “जिला उद्योग केन्द्र द्वारा संचालित की जाती है, जिसमें बैंकों की सहायता से ऋण उपलब्ध कराया जाता है।”

प्रश्न 5.
सेवा क्षेत्र में रोजगार सम्भावनाओं पर लेख लिखिए।
उत्तर:
पिछले कुछ वर्षों से राष्ट्र औद्योगिक विकास की ओर निरन्तर प्रगति कर रहा है तथा आधारभूत ढाँचा मजबूत हो रहा है। और बैंक, बीमा, परिवहन, संचार, आउटसोर्सिंग एवं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में आशातीत वृद्धि हुई है, जिसके फलस्वरूप बैंक, बीमा, उपभोक्ता बाजार, पूँजी बाजार तथा कॉल सेन्टर क्षेत्र में विविध कार्यों तथा विक्रय संवर्द्धन के लिये रोजगार के अनेक अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। रोजगार के अवसरों को निम्न शीर्षकों द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

बीमा क्षेत्र में रोजगार के अवसर:
आज व्यक्तिगत जीवन एवं व्यापार जोखिमों से भरा हुआ है, प्रत्येक व्यक्ति अपने आपको सुरक्षित करना चाहता है, जिसमें बीमा क्षेत्र बहुत बड़ी भूमिका निभाता है, जिसके कारण आज बीमा व्यवसाय में रोजगार की सम्भावनायें बढ़ती जा रही है। बीमा व्यवसाय को मुख्य रूप से जीवन बीमा एवं सामान्य बीमा दो भागों में विभाजित किया जाता है। जीवन बीमा में भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा 1 केन्द्रीय कार्यालय, 8 क्षेत्रीय कार्यालय,105 सम्भागीय कार्यालय तथा 3,250 शाखा कार्यालयों के माध्यम से विभिन्न संवर्गों में रोजगार उपलब्ध कराये जा रहे है। इसके अतिरिक्त निजी क्षेत्र के 8,768 कार्यालयों के माध्यम से रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे है। जीवन बीमा क्षेत्र में लगभग 2 लाख 85 हजार कार्मिकों को रोजगार मिला हुआ है, वहीं लगभग 29 लाख 10 हजार वैयक्तिक अभिकर्ताओं को रोजगार प्राप्त हो रहा है। सामान्य बीमा के अन्तर्गत लिपिक, विकास अधिकारी, विपणन अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, एकच्यूरी, सर्वेयर, बीमा एजेन्टों के माध्यम से रोजगार के अवसर प्रदान किये जाते हैं।

बैंकिंग क्षेत्र में रोजगार के अवसर:
बैंकों को व्यापार उद्योग तथा अर्थव्यवस्था का आधार स्तम्भ माना जाता है, क्योंकि जनता से प्राप्त धन जमा करने एवं अग्रिम के रूप में धन उधार देने का कार्य बैंक द्वारा किया जाता है। सन् 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के पश्चात् सार्वजनिक बैंकों द्वारा दूरदराज के क्षेत्रों में बैंकों का विस्तार हुआ है। आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण से पूर्व बैंकों का कार्य सीमित था, किन्तु इसके बाद अन्तर्राष्ट्रीय मानकों, पारस्परिक प्रतिस्पर्धा तथा सरकारी नीतियों में हुये व्यापक परिवर्तनों के कारण बैंकों की कार्यशैली एवं बैंकिंग उत्पादों में तीव्र परिवर्तन एवं विकास हुआ है। उसी कारण, वर्तमान में सार्वजनिक बैंकों के अतिरिक्त कई विदेशी एवं निजी बैंक भी बैंकिंग व्यवसाय कर रहे हैं, जिसके फलस्वरूप बैंकिंग क्षेत्र में रोजगार की सम्भावनायें बढ़ती जा रही हैं।

वर्तमान में सार्वजनिक बैंकों की 70,421 शाखाओं के माध्यम से लगभग 6.48 लाख व्यक्तियों को रोजगार मिला हुआ है, वहीं निजी क्षेत्र की लगभग 14,584 शाखाओं के माध्यम से लाखों लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहे हैं। बैंकों में प्रमुख रूप से लिपिक – कम – रोकड़िया तथा प्रबन्धकीय वर्ग में प्रोबेशनरी ऑफीसर.पद पर भर्ती की जाती है। इसके अतिरिक्त कम्प्यूटर नेटवर्क प्रभारी, विपणन अधिकारी, बाह्य ऋण विक्रय अधिकारी, कर्मिक प्रशिक्षण अधिकारी, गृह ऋण विक्रय अधिकारी, कानूनी सलाहकार तथा क्रेडिट कार्ड विक्रय प्रतिनिधि के रूप में रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे है।

पूँजी बाजार में रोजगार के अवसर:
पूँजी बाजार के अन्तर्गत अंश, ऋणपत्र तथा प्रतिभूतियों का कारोबार होता है, जहाँ प्रतिदिन अरबों रुपये का व्यापार होता है। पूँजी बाजार प्रत्येक राष्ट्र की अर्थव्यवस्था का जीवन रक्त होता है। पूँजी बाजार के द्वारा स्कन्ध बाजार और म्युचुअल फण्ड कम्पनी के माध्यम से विभिन्न रोजगार के अवसरों की प्राप्ति होती है। स्कन्ध बाजार के द्वारा व्यक्तियों को दलाल या ब्रोकर, लीड मैनेजर या रजिस्ट्रार, वोल्ट ऑपरेटर, लेखाकार, प्रशिक्षक तथा स्वयं विनियोजक के रूप में रोजगार की प्राप्ति होती है। वहीं म्युचुअल फण्ड कम्पनियों में विनियोग विश्लेषक, पोर्टफोलियो मैनेजर, एजेन्ट, सलाहकार, मूल्यांकक, लिपिक, कम्प्यूटर ऑपरेटर, लेखाकार, सूचना संग्राहक आदि क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं।

उपभोक्ता बाजार में रोजगार के अवसर:
भारत में समाज की जीवन पद्धति तथा कार्यशैली में आये परिवर्तन के कारण सामान्य दैनिक जीवन की वस्तुयें, खाने – पीने की आदतें तथा तरीकों में तेजी से बदलाव आया है, जिससे उपभोक्ता बाजार में रोजगार की सम्भावनायें बढ़ती जा रही है। वस्तु विशेष उपभोक्ता बाजार में गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और बच्चों सम्बन्धी उत्पाद, ज्वैलरी बाजार, साड़ी एवं परम्परागत परिधान, फुटवियर, उपहार तथा कलात्मक वस्तुयें, स्वास्थ्य संरक्षण वस्तुयें तथा स्पोर्ट्स एवं अन्त:वस्त्र उत्पाद एवं खाद्य पदार्थ या वस्तु व्यापार में त्वरित खाद्य पदार्थ (फास्ट फूड), सलाद एवं सेंडविच पार्लर्स, आइसक्रीम व जूस पार्लर तथा स्नैक फूड, भारतीय मिठाईयाँ, नमकीन के क्षेत्र में रोजगार की सम्भावनाएँ बढ़ती जा रही हैं।

प्रश्न 6.
उपभोक्ता बाजार के संभावित व्यापार अवसरों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत का उपभोक्ता बाजार निरन्तर बदलाव की ओर बढ़ता जा रहा है, जिसका प्रमुख कारण है कि व्यक्तियों की जीवन – शैली, रहन – सहन में तीव्र गति से परिवर्तन। आज उभरते हुये हाइपर मार्केट तथा जाइंट, फूड वर्ल्ड और बिग बाजार जैसे फूड व ग्रॉसरी सुपर मार्केट में रोजगार की सम्भावनाओं को तलाशा जा सकता है। खान-पान सेवाओं में फूड सर्विसेज में हल्दीराम, कैफे कॉफी डे, यम, मैक्डोनोल्ड, निरूलार्ज व बरिस्ता उपभोक्ता बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भारत में अभी ज्यादातर ध्यान तीन तरह की बिजनेस सम्भावनाओं पर दिया जा रहा है। यह है – डिपार्टमेन्ट स्टोर्स, फूड व ग्रॉसरी सुपर मार्केट, हाइपर मार्केट। ये सभी व्यापार अपार सम्भावनाओं से भरे हुये हैं और निश्चित रूप से इन पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन भारत में अभी भी बहुत – से आकर्षक विकल्पों की व्यापक रेंज उपलब्ध है, जिनमें व्यापार की सम्भावनायें भी तलाशी जा सकती हैं। इसके अनुसार मोटे तौर पर दो वर्ग बनाये जा सकते है –

(1) वस्तु विशेष का उपभोक्ता बाजार – इस वर्ग में उन समस्त वस्तुओं व उत्पादों को सम्मिलित किया जाता है, जिनका प्रयोग सामान्य दैनिक जीवन में आम व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। इन वस्तुओं के व्यापार की अपार सम्भावना है, लेकिन सर्वाधिक संभावनाओं वाले बाजार के क्षेत्र निम्न हैं –

  1. आभूषण एवं फैशन के गहने – भारत में फैशन और दिखावे का चलन बहुतायत रूप से दिखाई देता है, जिसमें मध्यम व उच्च वर्ग में भी रोटी, कपड़ा और मकान की आवश्यकता के साथ ‘ज्वैलरी’ आवश्यक एवं लोकप्रिय हो गया है, जिसके फलस्वरूप शहरों व कस्बों में आभूषणों की दुकानों की संख्या अपेक्षाकृत बढ़ गई है। अत: इस ज्वैलरी के बाजार में भी व्यापार की सम्भावनायें बढ़ गई है।
  2. उपहार तथा कलात्मक वस्तुएँ – भारत में उपहार लेन – देन का प्रचलन तथा दायरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। जन्मदिन, विवाह, वर्षगाँठ, रजत – स्वर्ण जयन्ती, सफलता पर बधाई और प्रत्येक छोटे – बड़े अवसर पर उपहार लिये – दिये जाने लगे हैं। यही नहीं पाश्चात्य संस्कृति व फैशन के प्रभाव ने कई तरह के दिवसों का उत्सव मनाना प्रारम्भ कर दिया है। जैसे – फ्रेंड्स डे, वेलेन्टाइन डे, मदर डे आदि। स्थानीय व क्षेत्रीय कला की वस्तुयें एवं कंसेप्ट आधारित वस्तुओं के बाजार की अभी भी अपार संभावनायें है।
  3. खेल एवं अन्त:वस्त्र उत्पाद – भारत में निवास करने वाले व्यक्तियों की जीवन पद्धति से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन आया है। खेल – कूद के लिये विशेष परिधान तथा पुरुषों व महिलाओं के अन्त:वस्त्रों के उत्पादों की माँग भी बढ़ती जा रही है। अत: इस क्षेत्र में भी उपभोक्ता. बाजार के अधिक अवसर मौजूद है।
  4. स्वास्थ्य संरक्षण एवं पोषण उत्पाद – भारत में भले ही फास्ट फूड एवं विदेशी ब्राण्ड के पदार्थ (पिज्जा, बर्गर) का प्रचलन बढ़ा है, लेकिन विभिन्न शोध संस्थाओं के सर्वे, परिणामों से यह तथ्य सामने आया है कि भारत में लोग अंब स्वास्थ्य के प्रति बहुत सचेत होते जा रहे हैं, जिससे स्वास्थ्यवर्द्धक उत्पादों की रिटेलिंग का व्यापार बढ़ने की अच्छी संभावनायें है।

(2) खाद्य पदार्थ व्यापार – भारतीय व्यक्तियों की जीवन पद्धति तथा कार्यशैली में आये परिवर्तन के कारण खाने-पीने की आदतें, तरीकों एवं वस्तुओं में भी तेजी से बदलाव आया है। इस क्षेत्र में बाजार के अवसर निम्न हैं –

  1. भारतीय मिठाईयाँ एवं नमकीन – भारत में मेहमानों की आवभगत एवं शाम की चाय के साथ स्नैक्स व नमकीन का प्रचलन बढ़ गया है। स्थानीय नमकीन, पकौड़े या सेव या समौसे की अत्यधिक माँग रहती है तथा भारतीय नमकीन एवं मिठाईयों की भरमार है। इस प्रकार, क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर इन वस्तुओं की रिटेलिंग की अत्यधिक सफलता की संभावनायें है।
  2. त्वरित खाद्य पदार्थ – भारत में त्वरित खाद्य (फास्ट फूड) का चलन निरन्तर बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में बाजार बढ़ाने का काम भले ही विदेशी ब्रांड के पदार्थ – पिज्जा या बर्गर ने किया हो, परन्तु स्थानीय फास्ट फूड के ग्राहकों की संख्या अभी भी अधिक है। स्थानीय फास्ट फूड जैसे मिर्ची बडा, डोसा, इडली, पाव – भाजी, कचौड़ी, समौसा, भुजिया, सत्तू, भेलपूरी, दही – बड़ा आदि के अवसर अभी भी अधिक है।
  3. बेकरी की खाद्य वस्तुयें – फाज समाज में डबल रोटी तथा बेकरी की खाद्य वस्तुओं का प्रचलन निरन्तर बढ़ता जा रहा है। साथ ही ब्रेड (डबल रोटी) की भी विभिन्न किस्मों की माँग बढ़ रही है। अलग – अलग स्वाद तथा प्रोटीन आधारित ब्रेड को चलन भी बढ़ रहा है। उच्च वर्ग में स्टार होटलों की ब्रांड आधारित ब्रेड एण्ड मोर तथा हॉट ब्रेड्स की सफलता इस क्षेत्र की छिपी व्यावसायिक सम्भावनाओं को इंगित करती है।
  4. आइसक्रीम व जूस पार्लर – आज आम भारतीयों की खाने – पीने की आदतों में आ रहे परिवर्तनों के कारण आइसक्रीम एवं जूस की माँग निरन्तर बढ़ रही है। आजकल खाने के बाद आइसक्रीम, पार्क में शाम को घूमने जाने पर आइसक्रीम व जूस की आदत बढ़ गई है। अत: इस क्षेत्र में भी व्यापार की सम्भावनायें बढ़ गयी है।

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 10 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 10 बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रोजगार अवसर प्रभावित करने वाला तत्त्व है –
(अ) राष्ट्र की जनसंख्या
(ब) साक्षरता की स्थिति
(स) कराधान नीति
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 2.
सेवा क्षेत्र में रोजगार के अवसर सम्मिलित हैं –
(अ) बैंकों में
(ब) बीमा में
(स) उपभोक्ता बाजार में
(द) उपरोक्त सभी में
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी में

प्रश्न 3.
इंग्लैंड में लन्दन के विलियम गिबन्स का प्रथम जीवन बीमा किया गया था –
(अ) सन् 1583 में
(ब) सन् 1971 में
(स) सन् 1956 में
(द) सन् 1872 में
उत्तरमाला:
(अ) सन् 1583 में

प्रश्न 4.
भारत में पहली जीवन बीमा संस्था स्थापित हुई थी –
(अ) बॉम्बे म्युचुअल लाइफ एश्योरेंस सोसायटी
(ब) भारतीय जीवन बीमा निगम
(स) कोटक महिन्द्रा
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(अ) बॉम्बे म्युचुअल लाइफ एश्योरेंस सोसायटी

प्रश्न 5.
जीवन बीमा व्यवसाय का राष्ट्रीयकरण हुआ था –
(अ) 1872 ई. में
(ब) 1956 ई. में
(स) 1948 ई. में
(द) 1935 ई. में
उत्तरमाला:
(ब) 1956 ई. में

प्रश्न 6.
भारत में सामान्य बीमा का राष्ट्रीयकरण हुआ था –
(अ) सन् 1872 में
(ब) सन् 1956 में
(स) सन् 1971 में
(द) सन् 1948 में
उत्तरमाला:
(स) सन् 1971 में

प्रश्न 7.
एजेन्ट बनने के लिये इंश्योरेंस रेगूलेटरी डेवलपमेन्ट अथॉरिटी (इरडा) से व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त करना होता है –
(अ) 100 घण्टों का
(ब) 1 माह का
(स) 15 दिन का
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(अ) 100 घण्टों का

प्रश्न 8.
सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक नहीं है –
(अ) भारतीय स्टेट बैंक
(ब) इण्डियन बैंक
(स) एच.डी.एफ.सी.
(द) पंजाब नेशनल बैंक
उत्तरमाला:
(स) एच.डी.एफ.सी.

प्रश्न 9.
पूँजी बाजार में कारोबार होता है –
(अ) अंशों का
(ब) ऋणपत्रों का
(स) प्रतिभूतियों का
(द) उपरोक्त सभी का
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी का

प्रश्न 10.
स्कंध बाजार का कार्य है –
(अ) अंश एवं ऋणपत्रों का निर्गमन करना
(ब) लाभांश वितरण करना
(स) बोनस अंशों का निर्गमन करना
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 11.
स्टॉक एक्सचेंज का सदस्य बनकर क्रय – विक्रय का कार्य करने वाले व्यक्ति को कहा जाता है –
(अ) दलाल या ब्रोकर
(ब) लीड मैनेजर
(स) सर्वेयर
(द) एकच्यूरी
उत्तरमाला:
(अ) दलाल या ब्रोकर

प्रश्न 12.
म्युचुअल फंड कम्पनियों में रोजगार के अवसर उपलब्ध होते है –
(अ) विनियोग विश्लेषक के रूप में
ब) पोर्टफोलियो मैनेजर के रूप में
(स) एजेन्ट के रूप में
(द) उपरोक्त सभी रूपों में
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी रूपों में

प्रश्न 13.
कॉल सेन्टरों का कार्य नहीं है –
(अ) कम्पनी के ग्राहकों को उनका उत्तर नहीं देना
(ब) नये ग्राहक बनाने के लिये फोन पर विक्रय अभियान संचालित करना
(स) ग्राहकों की समस्या का समाधान करना
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(अ) कम्पनी के ग्राहकों को उनका उत्तर नहीं देना

प्रश्न 14.
केन्द्र सरकार सम्बन्धी विभागों में प्रशासनिक नौकरी के लिये परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है –
(अ) संघ लोक सेक आयोग द्वारा
(ब) राजस्थान बोर्ड द्वारा
(स) राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(अ) संघ लोक सेक आयोग द्वारा

प्रश्न 15.
ई – कॉमर्स में जो सौदे दो व्यापारियों के बीच किये जाते हैं, उन्हें कहते है –
(अ) बी2सी
(ब) बी2बी
(स) सी2बी
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(ब) बी2बी

प्रश्न 16.
वर्तमान में ई – कॉमर्स में सर्वाधिक लेन – देन होता है –
(अ) सी2सी में
(ब) सी2बी में
(स) बी2बी में
(द) बी2सी में
उत्तरमाला:
(स) बी2बी में

प्रश्न 17.
कम्प्यूटर की भाषा है –
(अ) COBOL
(ब) LUNIX
(स) JAVA
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 18.
वाणिज्य में लेखांकन कार्य का लोकप्रिय सॉफ्टवेयर है –
(अ) टेली
(ब) नेक
(स) मुनीम जी
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 19.
व्यापार एवं उद्योग क्षेत्र में नये युवाओं का प्रवेश कराना, उन्हें इस हेतु प्रशिक्षित तथा प्रोत्साहित करना कहलाता है –
(अ) उद्यमिता कार्यक्रम
(ब) उद्यमिता
(स) वैतनिक रोजगार
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(अ) उद्यमिता कार्यक्रम

प्रश्न 20.
“उद्यमिता से आशय समाज में नये उपक्रम स्थापित करने की सामान्य प्रवृत्ति से है।” यह शब्द है –
(अ) प्रो. उदय पारीक के
(ब) मनोहर नाडकर्णी के
(स) उपरोक्त दोनों के
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(स) उपरोक्त दोनों के

प्रश्न 21.
उद्यमिता की विशेषता है –
(अ) नवप्रवर्तन तथा सृजनात्मक कार्य करना
(ब) व्यवसाय के अवसरों को अधिकाधिक करना
(स) उत्पादन के साधनों का संयोजन एवं संगठन करना
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 22.
ऐसे व्यवसाय जिसमें बड़ी मात्रा में पूँजी निवेश कर वृहत् मशीनों का प्रयोग करते हुये बड़ी मात्रा में उत्पादन किया जाता है, कहलाते हैं –
(अ) कुटीर उद्योग
(ब) बड़े उद्योग
(स) लघु उद्योग
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(ब) बड़े उद्योग

प्रश्न 23.
जब व्यवसाय की जोखिम एक ही व्यक्ति द्वारा वहन की जाती है तथा पूँजी भी एक ही व्यक्ति विनियोजित करता है, कहलाता
(अ) संयुक्त साहस उद्यमिता
(ब) सहकारी उद्यमिता
(स) निजी उद्यमिता
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(स) निजी उद्यमिता

प्रश्न 24.
विकासशील देशों में स्व – रोजगार से समस्या दूर होती है –
(अ) बेरोजगारी की
(ब) गरीबी की
(स) भुखमरी की
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 25.
स्व – रोजगार योजना के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्र की योजना नहीं है –
(अ) नेहरू रोजगार योजना
(ब) ग्रामीण युवा प्रशिक्षण योजना
(स) समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम
(द) महात्मा गाँधी रोजगार योजना
उत्तरमाला:
(अ) नेहरू रोजगार योजना

प्रश्न 26.
“ग्रामीण युवा प्रशिक्षण योजना” के अन्तर्गत ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण उपरान्त कितने रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाती है?
(अ) Rs.4,000
(ब) Rs. 3,000
(स) Rs. 2,500
(द) Rs. 5,000
उत्तरमाला:
(ब) Rs. 3,000

प्रश्न 27.
“समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम” (IRDP) योजना प्रारम्भ की गई थी –
(अ) मार्च, 1976 में
(ब) मार्च, 1986 में
(ख) मार्च, 1977 में
(द) मार्च, 1996 में
उत्तरमाला:
(अ) मार्च, 1976 में

प्रश्न 28.
सन् 1989 में ग्रामीण गरीब परिवार के न्यूनतम एक सदस्य को रोजगार का अवसर प्रदान करने के लिये चलायी गयी योजना है?
(अ) मरूभूमि विकास योजना
(ब) नेहरू रोजगार योजना
(स) महात्मा गाँधी रोजगार योजना
(द) प्रधानमन्त्री रोजगार योजना
उत्तरमाला:
(स) महात्मा गाँधी रोजगार योजना

प्रश्न 29.
‘नेहरू रोजगार योजना’ की शुरुआत हुई थी –
(अ) सन् 1976 में
(ब) सन् 1989 में
(स) सन् 1972 में
(द) सन् 1992 में
उत्तरमाला:
(ब) सन् 1989 में

प्रश्न 30.
प्रधानमन्त्री रोजगार योजना (PMRY) सम्पूर्ण देश में कितनी आबादी से कर्म की जनसंख्या पर लागू की गई थी?
(अ) 10 लाख
(ब) 15 लाख
(स) 8 लाख
(द) 20 लाख
उत्तरमाला:
(अ) 10 लाख

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 10 अतिलघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्व – रोजगार अवसरों को प्रभावित करने वाले दो तत्त्व अथवा घटक बताइये।
उत्तर:

  • राष्ट्र की जनसंख्या
  • साक्षरता की स्थिति।

प्रश्न 2.
भारत में सर्वप्रथम कौन – सी जीवन बीमा संस्था स्थापित हुई थी?
उत्तर:
बॉम्बे म्युचुअल लाइफ एश्योरेंस सोसायटी।

प्रश्न 3.
सामान्य बीमा को कितने वर्गों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
सामान्य बीमा को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है –

  • अग्नि बीमा
  • सामुद्रिक बीमा
  • विविध बीमा (दुर्घटना, चिकित्सा, फसल, पशु आदि)

प्रश्न 4.
सामान्य बीमा का व्यवसाय करने वाली दो संस्थाओं के नाम बताइये।
उत्तर:

  • नेशनल इन्श्योरेंस कम्पनी लि.
  • न्यू इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लि.

प्रश्न 5.
बीमा कम्पनियों को सर्वेयर की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर:
बीमा कम्पनियों को क्षतिपूर्ति हेतु प्राप्त दावों की वस्तुस्थिति की जाँच एवं निरीक्षण कर रिपोर्ट देने के लिये सर्वेयर की आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 6.
बीमा व्यवसाय अभिकर्ताओं की क्या भूमिका होती है?
उत्तर:
बीमा अभिकर्ता (एजेन्ट), बीमा व्यवसाय के मूल आधार होते हैं। इनके द्वारा ही कम्पनी के विभिन्न उत्पादों (पॉलिसियों) का विक्रय किया जाता है।

प्रश्न 7.
बीमा कम्पनी का अभिकर्ता (एजेन्ट) बनने के लिये कितनी योग्यता की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
दसवीं अथवा बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण।

प्रश्न 8.
बैंकों को व्यापार, उद्योग तथा अर्थव्यवस्था का आधार स्तम्भ क्यों माना जाता है?
उत्तर:
जनता से प्राप्त धन जमा करने एवं अग्रिम के रूप में धन उधार देने का कार्य बैंक द्वारा किया जाता है। इसी कारण, बैंक को व्यापार, उद्योग तथा अर्थव्यवस्था का आधार स्तम्भ माना जाता है।

प्रश्न 9.
वर्तमान में सार्वजनिक बैंकों की लगभग कितनी शाखाएँ कार्यरत है?
उत्तर:
70,421 लगभग।

प्रश्न 10.
वर्तमान में सार्वजनिक बैंकों के माध्यम से कितने कार्मिकों को रोजगार मिला हुआ है?
उत्तर:
लगभग 6.48 लाख।

प्रश्न 11.
वर्तमान में निजी क्षेत्र की बैंकों की शाखायें कितनी है?
उत्तर:
14,584 लगभग।

प्रश्न 12.
बैंकों में प्रमुख रूप से किन – किन पदों पर भर्ती की जाती है?
उत्तर:
लिपिक – कम – रोकड़िया तथा प्रबन्धकीय वर्ग में प्रोबेशनरी ऑफिसर पदों पर प्रमुख रूप से भर्ती की जाती है।

प्रश्न 13.
पूँजी बाजार में रोजगार अवसरों के दो प्रमुख क्षेत्र कौन – से है?
उत्तर:

  • स्कन्ध बाजार
  • म्युचुअल फण्ड कम्पनी

प्रश्न 14.
स्कन्ध बाजार किसे कहते है?
उत्तर:
कम्पनियों के निर्गमित अंश एवं ऋणपत्रों के क्रय – विक्रय स्थल को स्कन्ध बाजार कहते है।

प्रश्न 15.
ब्रोकर किसे कहते हैं?
उत्तर:
स्टॉक एक्सचेंज के सदस्य बनकर अंशों, ऋणपत्रों तथा प्रतिभूतियों के क्रय – विक्रय का कारोबार करने वाले व्यक्तियों को ब्रोकर कहा जाता है।

प्रश्न 16.
पूँजी बाजार में विनियोग विश्लेषकों के क्या कार्य है?
उत्तर:
विनियोग विश्लेषक बाजार की विभिन्न सूचनाओं, कम्पनियों के परिणामों, सरकारी नीतियों का विश्लेषण कर राय प्रदान करते हैं।

प्रश्न 17.
म्यूचुअल फंड कम्पनियों में धन विनियोजन का श्रेणीकरण या वर्गीकरण किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
पोर्टफोलियो मैनेजर।

प्रश्न 18.
म्युचुअल फंड के उत्पादों का क्रय – विक्रय करने के लिए एजेन्सी कारोबार किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
एजेण्ट द्वारा।

प्रश्न 19.
भारतीय अर्थव्यवस्था में आउटसोर्सिंग का क्या महत्व है?
उत्तर:

  • विदेशी मुद्रा की प्राप्ति में सहायक।
  • देश की बेरोजगारी कम करने में सहायक।

प्रश्न 20.
आउटसोर्सिंग को वाणिज्य की भाषा में पूरा नाम बताइए।
उत्तर:
बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग।

प्रश्न 21.
बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिग किसे कहते है?
उत्तर:
व्यापारिक कार्यों या प्रक्रिया के लिए आवश्यक वस्तुएँ एवं सेवाएँ बाहरी स्रोतों से प्राप्त करने की कार्यविधि अथवा प्रणाली को बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग कहते है।

प्रश्न 22.
कॉल सेन्टर के द्वारा किए जाने वाले दो प्रमुख कार्य बताइए।
उत्तर:

  • कम्पनी के ग्राहकों को उनके प्रश्नों का उत्तर देना।
  • नए ग्राहक बनाने के लिए फोन पर विक्रय अभियान संचालित करना।

प्रश्न 23.
कॉल सेन्टरों का समस्त कार्य किन उपकरणों पर आधारित है?
उत्तर:
टेलीफोन वे कम्प्यूटर।

प्रश्न 24.
भारत का उपभोक्ता बाजार प्रतिवर्ष कितना है?
उत्तर:
Rs. 8 लाख करोड़ लगभग।

प्रश्न 25.
वस्तु विशेष उपभोक्ता बाजार से आप क्या समझते है?
उत्तर:
वस्तु विशेष उपभोक्ता बाजार में उन वस्तुओं व उत्पादों को सम्मिलित किया जाता है जिनका प्रयोग सामान्य दैनिक जीवन में आम व्यक्ति द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 26.
वस्तु विशेष उपभोक्ता बाजार के दो क्षेत्र बताइए।
उत्तर:

  • गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और बच्चों सम्बन्धी उत्पाद।
  • साड़ी एवं परम्परागत भारतीय परिधान।

प्रश्न 27.
उपभोक्ता बाजार में खाद्य पदार्थ क्षेत्र में उपलब्ध होने वाले दो अवसर बताइए?
उत्तर:

  • त्वरित खाद्य पदार्थ (फास्ट फूड)।
  • सलाद एवं सेंडविच पार्लर्स।

प्रश्न 28.
भारत सरकार द्वारा सिविल सेवा में रोजगार के कौन – कौन से पदों पर अवसर प्राप्त होते है?
उत्तर:
भारतीय प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा, विदेश सेवा, रेल सेवा आदि।

प्रश्न 29.
केन्द्र एवं राज्य सरकार अपने वित्त सम्बन्धी कार्यों का लेखा – जोखा रखने एवं नियन्त्रण करने के लिए कौन – सा विभाग संचालित करती है?
उत्तर:
लेखा एवं अंकेक्षण परीक्षण विभाग।

प्रश्न 30.
ई – कॉमर्स में उपभोक्ता से उपभोक्ता सौदा किसे कहते है?
उत्तर:
जब ग्राहकों के द्वारा आपस में सौंदे किए जाते हैं, तो उन्हें उपभोक्ता से उपभोक्ता सौदा (सी2सी) कहते है।

प्रश्न 31.
COBOL, JAVA क्या है?
उत्तर:
COBOL, JAVA कम्प्यूटर की भाषाएँ हैं जो सॉफ्टवेयर निर्माण एवं संचालन में सहायक होती है।

प्रश्न 32.
उद्यमिता कार्यक्रम किसे कहते है?
उत्तर:
व्यापार एवं उद्योग क्षेत्र में नए युवाओं का प्रवेश कराना, उन्हें इस हेतु प्रशिक्षित तथा प्रोत्साहित करना “उद्यमिता कार्यक्रम” कहलाता है।

प्रश्न 33.
आकार के आधार पर उद्यमिता को कितने भागों में बाँटा जाता है?
उत्तर:

  • बड़े उद्योग
  • लघु उद्योग

प्रश्न 34.
लघु उद्योग किसे कहते हैं?
उत्तर:
आत्मनिर्भर या रोजगार प्राप्ति के लिए सीमित साधनों का प्रयोग करते हुए व्यवसाय की स्थापना एवं संचालन को लघु उद्योग कहते हैं।

प्रश्न 35.
निजी उद्यमिता किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब व्यवसाय की जोखिम एक ही व्यक्ति द्वारा वहन की जाती है तथा पूँजी भी एक ही व्यक्ति द्वारा विनियोजित की जाती है, तो उसे एकाकी या निजी उद्यमिता कहते हैं।

प्रश्न 36.
नेतृत्व आधारित उद्यमिता के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर:
नेतृत्व आधारित उद्यमिता के दो प्रकार होते हैं –

  • वैयक्तिक उद्यमिता।
  • समूह उद्यमिता।

प्रश्न 37.
वैयक्तिक उद्यमिता से क्या आशय है?
उत्तर:
ऐसे उद्यम जिसमें समस्त निर्णय एक ही व्यक्ति को करने होते है, उसे वैयक्तिक उद्यमिता कहते हैं।

प्रश्न 38.
स्व – रोजगार से देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले दो प्रभाव बताइए।
उत्तर:

  • बेरोजगारी में कमी आती है।
  • प्राकृतिक साधनों का बेहतर प्रयोग होता है।

प्रश्न 39.
सरकार द्वारा समाज में स्व – रोजगार के प्रति वातावरण बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के लिए चलाई गई दो योजनाओं के नाम बताइए।
उत्तर:

  • ग्रामीण युवा प्रशिक्षण योजना।
  • समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम।

प्रश्न 40.
‘समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम’ योजना की शुरुआत किस वर्ष हुई थी?
उत्तर:
मार्च, 1976 में।

प्रश्न 41.
भारत सरकार द्वारा ग्रामीण गरीब परिवार के न्यूनतम एक सदस्य को रोजगार प्रदान हेतु चलाई गई योजना कौन – सी है?
उत्तर:
महात्मा गाँधी रोजगार योजना।

प्रश्न 42.
शहरी गरीबों के लिए योजना में ऋण का कितने प्रतिशत अनुदान दिया जाता है?
उत्तर:
25 प्रतिशत।

प्रश्न 43.
नेहरू रोजगार योजना में प्रतिवर्ष कितने रोजगार अवसर सृजित किए जाते हैं?
उत्तर:
10 लाख।

प्रश्न 44.
प्रधानमन्त्री रोजगार योजना (PMRY) के गठन के क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
शिक्षित बेरोजगारों को वित्तीय सहायता प्रदान करके किसी उद्योग या व्यापार की स्थापना एवं संचालन के लिए प्रोत्साहित करना इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है।

प्रश्न 45.
उद्यमिता के विकास हेतु वित्तीय संस्था स्तर पर क्या प्रयास किए जा रहे है? दो प्रयासों को बताइए।
उत्तर:

  • स्व – रोजगार हेतु बिना जमानत आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराके पूँजी सहायता प्रदान करना।
  • उद्यमिता किास संस्था द्वारा बड़े उद्योगों की स्थापना हेतु प्रशिक्षण प्रदान करना।

प्रश्न 46.
राजस्थान से सम्बन्ध रखने वाले विश्व के तीसरे सबसे धनी व्यक्ति कौन है?
उत्तर:
श्री लक्ष्मी मित्तल।

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 10 लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA – I)

प्रश्न 1.
रोजगार अवसरों को प्रभावित करने वाले तत्वों का उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
रोजगार अवसरों को प्रभावित करने वाले तत्त्व निम्नलिखित हैं –

  1. शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता।
  2. राष्ट्र की जनसंख्या।
  3. प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता।
  4. व्यापारिक एवं औद्योगिक कानून।
  5. राष्ट्र की औद्योगिक नीति।
  6. राष्ट्र की कर नीति।
  7. राष्ट्र को पूँजी निवेश।

प्रश्न 2.
सार्वजनिक क्षेत्र में सामान्य बीमा का कार्य कौन – सी बीमा कम्पनियों द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
सार्वजनिक क्षेत्र में सामान्य बीमा का कार्य भारतीय साधारण बीमा निगम एवं इसकी चार कम्पनियों द्वारा किया जाता है। इनमें नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, यूनाइटेड इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, दि ओरियन्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड सम्मिलित हैं। वर्तमान में उदारीकरण के तहत् बीमा क्षेत्र निजी कम्पनियों के लिए भी खोल दिया गया है।

प्रश्न 3.
बीमा व्यवसाय में सामान्यतः रोजगार के कौन – कौन से अवसर प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
बीमा व्यवसाय में सामान्यतः रोजगार के निम्न अवसर प्राप्त हो रहे हैं –

  1. लिपिक
  2. विकास अधिकारी
  3. विपणन अधिकारी
  4. प्रशासनिक अधिकारी
  5. एकच्यूरी
  6. सर्वेयर
  7. बीमा एजेण्ट आदि

प्रश्न 4.
बीमा व्यवसाय में अभिकर्ता (एजेन्ट) बनने की अर्हताओं को समझाइए।
उत्तर:
बीमा व्यवसाय क्षेत्र में अभिकर्ता बनने के लिए दसवीं अथवा बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है। साथ ही इन्हें बीमा नियामक प्राधिकरण (इरडा) से 100 घंटों का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त कर परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है। यह प्रशिक्षण जिला स्तर बीमा कम्पनियों द्वारा किया जाता है। प्रशिक्षण के पश्चात् ही किसी विकास अधिकारी से सम्बद्ध होकर अपना कार्य करना होता है।

प्रश्न 5.
‘स्कन्ध बाजार’ पर संक्षिप्त में टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
स्कन्ध बाजार:
कम्पनियों के निर्गमित अंश एवं ऋणपत्रों के क्रय – विक्रय स्थल को कहा जाता है। जहाँ कम्पनी के अंश, ऋण पत्र निर्गमन एवं हस्तान्तरण, लाभांश वितरण, अधिकार निर्गमन, बोनस अंश निर्गमन, सम्बन्धी कार्यों को सम्पन्न किया जाता है। स्टॉक बाजार में ऑनलाइन सोदे होते हैं जो इसके अधिकृत सदस्य ब्रोकर द्वारा ही किए जाते हैं।

प्रश्न 6.
स्टॉक बाजार में रोजगार के कौन – कौन से अवसर विद्यमान है?
उत्तर:
स्टॉक बाजार में रोजगार के निम्न अवसर विद्यमान है –

  1. दलाल या ब्रोकर के रूप में रोजगार अवसर।
  2. लीड मैनेजर या रजिस्ट्रार के रूप में रोजगार अवसर।
  3. संग्रहण केन्द्र के रूप में रोजगार अवसर।
  4. लेखाकार के रूप में रोजगार अवसर।
  5. बट्टा गृह के रूप में रोजगार के अवसर।
  6. निवेशक शिक्षा कार्यक्रम के तहत् प्रशिक्षक के रूप में अवसर।
  7. स्वयं विनियोजक के रूप में रोजगार का अवसर।

प्रश्न 7.
म्युचुअल फंड कम्पनियों में रोजगार की सम्भावनाओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
म्युचुअल फंड कम्पनी अपनी सूझ – बूझ से विनियोजकों की पूँजी को विनियोजित करती है तथा प्रतिभूतियों का क्रय – विक्रये कर लाभ अर्जित करती है और अर्जित लाभ को सदस्यों को बाँटती है। इस कार्य में म्युचुअल फंड कम्पनी में विनियोग विश्लेषक, पोर्टफोलियो मैनेजर, एजेन्ट, सलाहकार, मूल्यांकक, लिपिक, लेखाकार, कम्प्यूटर ऑपरेटर, सूचना संग्राहक आदि की आवश्यकता पड़ती है इससे रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 8.
कॉल सेन्टर के माध्यम से मुख्य रूप से कौन – कौन से कार्य किए जाते हैं?
उत्तर:
कॉल सेन्टर के माध्यम से निम्न कार्य किए जाते हैं –

  1. कम्पनी के ग्राहकों को उनके प्रश्नों के उत्तर देना।
  2. नए ग्राहक बनाने के लिए फोन पर विक्रय अभियान संचालित करना।
  3. कम्पनी द्वारा अपने ग्राहकों को तकनीकी सहायता प्रदान करना।
  4. ग्राहकों की शिकायतों को दर्ज करना।
  5. ग्राहकों की समस्या का समाधान करना।
  6. ग्राहकों को विभिन्न प्रकार की सूचना देना।

प्रश्न 9.
उपभोक्ता बाजार के अन्तर्गत वस्तु व्यापार के क्षेत्र में रोजगार के अवसर बताइए।
उत्तर:
भारतीय युवाओं की जीवन पद्धति और कार्यशैली में व्यापक परिवर्तन होने से खाने-पीने की आदतें, तरीकों एवं वस्तुओं में तेजी से बदलाव आया है। जिसके फलस्वरूप खाद्य पदार्थ या वस्तु व्यापार की सम्भावना भी बढ़ गई है। फास्ड फूड, सलाद एवं सेंडविच पार्लर्स, डबल रोटी तथा बेकरी की खाद्य वस्तुएँ, फूड कोट्स, आइसक्रीम व जूस पार्लर, स्नैक फूड, भारतीय मिठाईयाँ एवं नमकीन के व्यापार में रोजगार की अपार सम्भावना है।

प्रश्न 10.
सरकार द्वारा कम्पनी सचिवों की नियुक्ति क्यों की जाती है?
उत्तर:
सरकार के ऐसे विभाग जो कम्पनी अधिनियम, 1950 के अन्तर्गत निर्मित है तथा संचालित हो रहे है तो इन विभागों में कम्पनी कानून के अनुसार पुस्तकों का संधारण, बैठकों का आयोजन तथा सम्बन्धित सूचनाओं को निर्धारित प्रारूप में तैयार कर प्रेषित करने के लिए कम्पनी सचिव की नियुक्ति की जाती है।

प्रश्न 11.
ई – कॉमर्स में नेट पर कितने प्रकार के सौदे होते है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ई – कॉमर्स में नेट पर दो प्रकार के सौदे होते हैं जो निम्न हैं –

  1. ऐसे सौदे जिनमें खोज, आदेश एवं भुगतान आदि नेट के माध्यम से किए जाते हैं और माल की सुपुर्दगी भौतिक रूप से की जाती है।
  2. ऐसे सौदे जिनमें माल प्रायः भौतिक रूप में सुपुर्द किया जाता है लेकिन डिजिटल फार्म में भी सुपुर्द किया जा सकता है। इस श्रेणी में प्राय: मीडिया उत्पाद जैसे – फिल्म, प्रिंटेड सामग्री, विडियो गेम आदि शामिल होते हैं।

प्रश्न 12.
उद्यमिता में मूल रूप से कौन – कौन सी विशेषताएँ सम्मिलित होती है?
उत्तर:
उद्यमिता अपना स्वयं का व्यवसाय स्थापित करने की एक प्रक्रिया है जिसमें जोखिम का तत्त्व समाहित होता है। इसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. जोखिम उठाने की क्षमता।
  2. नवप्रवर्तन तथा सृजनात्मक कार्य।
  3. व्यवसाय के अवसरों को अधिकाधिक करना।
  4. उत्पादन के साधनों का संयोजन एवं संगठन करना।
  5. उच्च उपलब्धि प्राप्त करने की मनोवैज्ञानिक प्रेरणा से प्रयोग अथवा व्यापार स्थापित करना।

प्रश्न 13.
संयुक्त साहस उद्यमिता से क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ऐसे उद्योग या व्यवसाय जिसमें सरकार निजी उद्यमियों के साथ मिलकर एक निश्चित पूँजी का विनियोजन करती है, उसे संयुक्त साहस उद्यमिता कहते है। सरकार ऐसा प्रयास पिछड़े क्षेत्रों में विकास करने, नए उद्यमियों को प्रोत्साहित करने तथा आर्थिक विकास की गति तेज करने के लिए करती है।

प्रश्न 14.
सहकारी उद्यमिता किसे कहते है? समझाइए।
उत्तर:
ऐसे व्यक्तियों का समूह जो सहकारिता के उद्देश्य से उपक्रम प्रारम्भ करते है, संचालित करते है, जोखिम उठाते है तथा रोजगार की निश्चितता का प्रयास करते हैं, तो उसे सहकारिता उद्यमिता कहते है। महिला सहकारिता उद्यम का सर्वक्षेष्ठ उदाहरण लिज्जत पापड़ निर्माता सहकारी संघ है।

प्रश्न 15.
सरकार द्वारा स्व – रोजगार विकास हेतु चलाई गई ग्रामीण युवा प्रशिक्षण योजना को समझाइए।
उत्तर:
सरकार ने ग्रामीण युवाओं का शहर की तरफ पलायन रोकने के लिए तथा हस्तशिल्प को संरक्षित करने के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया है। इस व्यावसायिक प्रशिक्षण के दौरान खाने – पीने व ठहरने के लिए Rs. 3,000 की सहायता राशि भी प्रदान की जाती है तथा प्रशिक्षण सफलतापूर्वक प्राप्त करने के पश्चात् ‘टूल किट’ भी दिया जाता है जिससे वे अपना स्वयं का व्यवसाय कर सके।

प्रश्न 16.
शहरी गरीबों के लिए चलाई गई स्व – रोजगार योजना के मुख्य तत्त्व बताइए।
उत्तर:
भारत सरकार ने रिजर्व बैंक के परामर्श से 10,000 से अधिक की जनसंख्या वाले कस्बों वे शहरों में बी.पी.एल. परिवार के व्यक्तियों को अनुदान व ऋण देकर स्व – रोजगार अपनाने योग्य बनाने के लिए यह योजना प्रारम्भ की थी।
इस योजना के मुख्य तत्त्व निम्न हैं –

  1. व्यक्ति शहर में न्यूनतम 3 वर्ष से निवास कर रहा हो।
  2. किसी अन्य प्रकार का कोई ऋण बकाया नहीं होना चाहिए।
  3. इसमें ऋण का 25 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है।
  4. इस योजना में ऋण की गारन्टी या जमानत आवश्यक नहीं होती है।
  5. इसमें व्यक्ति का शिक्षित होना आवश्यक है।

प्रश्न 17.
उद्यमिता विकास के लिए सरकारी, शैक्षणिक संस्था एवं वित्तीय संस्थाओं के स्तर पर कौन – कौन से प्रयास किए जा रहे है?
उत्तर:
उद्यमिता विकास के लिए सरकारी, शैक्षणिक संस्था एवं वित्तीय संस्थाओं के स्तर पर निम्न प्रयास किए जा रहे हैं –

  1. सरकारी स्तर पर स्व – रोजगार के प्रति समुचित वातावरण बनाने एवं प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जा रहा है।
  2. विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा विद्यार्थियों में स्व – रोजगार के प्रति मानसिकता बदलने का प्रयास किया जा रहा है।
  3. वित्तीय संस्थाओं द्वारा स्व – रोजगार हेतु बिना जमानत आसान शर्तों पर ऋण प्रदान कर पूँजी सहायता का प्रयास किया जा रहा है।

प्रश्न 18.
राजस्थान सरकार ने रोजगार के अधिक अवसर उत्पन्न करने तथा उद्यमिता के विकास के लिए कौन – कौन से महत्वपूर्ण कदम उठाए है?
उत्तर:
राजस्थान सरकार ने रोजगार के अधिक अवसर उत्पन्न करने तथा उद्यमिता के विकास हेतु निम्न महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं –

  1. राजस्थान वित्तीय निगम की स्थापना।
  2. बीमार इकाइयों की सहायता करना।
  3. हस्तशिल्प मेलों एवं उत्सवों का आयोजन करना।
  4. अन्तर्राष्ट्रीय राजस्थानी सम्मेलन का आयोजन करना।
  5. आर्थिक विकास बोर्ड का गठन करना।
  6. एकल खिड़की निस्तारण योजना।
  7. महिला उद्यमी प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 10 लघूत्तरीय प्रश्न (SA – II)

प्रश्न 1.
रोजगार के अवसरों को कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है?
उत्तर:
जीवनयापन हेतु धनार्जन के उपलब्ध अवसरों को रोजगार अवसर कहते है। रोजगार अवसरों को दो प्रमुख भागों में विभक्त किया जा सकता है –

  1. वैतनिक रोजगार।
  2. स्व – रोजगार।

1. वैतनिक रोजगार – वैतनिक रोजगार के अन्तर्गत व्यक्ति अपनी योग्यतानुसार किसी संगठन में कार्य स्वीकार करता है और नियोक्ता के अधीन अपनी सेवायें देता है तथा इसके प्रतिफल स्वरूपे वेतन प्राप्त करता है।
2. स्व – रोजगार – स्व – रोजागार एक उद्यमिता है जिसमें व्यक्ति स्वयं अपना धन्धा, उद्योग अथवा व्यापार करता है और उसमें आवश्यकतानुसार पूँजी लगाकर आर्थिक क्रिया कर लाभ कमाता है। यह किसी नियोक्ता के अधीन रहकर कार्य नहीं करता है बल्कि स्वतन्त्र रूप से स्वयं कार्य करता है।

प्रश्न 2.
पूँजी बाजार में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष व्यापार को समझाइए।
उत्तर:
प्रत्यक्ष व्यापार – प्रत्यक्ष व्यापार के अन्तर्गत विनियोजक स्वयं सार्वजनिक निर्गमन में आवेदन करते हैं, स्टॉक बाजार में अंश एवं प्रतिभूतियों का क्रय – विक्रय करते हैं। इसमें लाभ-हानि की जोख़िम अधिक होती है।

अप्रत्यक्ष व्यापार – अप्रत्यक्ष व्यापार के अन्तर्गत म्युचुअल फंड आते हैं जिसमें विनियोजक स्वयं व्यापार नहीं करता, बल्कि फण्ड कम्पनियाँ उनके प्रतिनिधि स्वरूप बड़ी मात्रा में क्रय – विक्रय करती है, जिससे विनियोजकों की जोखिम कम एवं प्रतिफल निश्चित हो जाता है।

प्रश्न 3.
कॉल सेन्टर क्या है? इनसे कौन – कौन से रोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं?
उत्तर:
कॉल सेन्टर कम्पनियों, व्यापारिक संस्थाओं द्वारा उपभोक्ता की समस्या समाधान के लिए बनाए गए वे केन्द्र है जहाँ से फोन द्वारा सम्पर्क करके जानकारी प्राप्त की जाती है या शिकायत दर्ज की जाती है तथा कम्पनी के ग्राहकों को उनका उत्तर दिया जाता है। इनका उपयोग विपणन, बिक्री, सूचना देना, सलाह, तकनीकी सलाह देने आदि ग्राहकों के कार्यों करने के लिए भी किया जाता है। कॉल सेन्टर पर निम्न पदों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं –

  1. उपभोक्ता सहायता अधिकारी
  2. महिला दूरभाष परिचालक
  3. तकनीकी सहायता अधिकारी
  4. संग्रहण अधिकारी
  5. टेली बैंकिंग
  6. दूरभाष आधारित भर्ती कर्ता

प्रश्न 4.
उपभोक्ता बाजार के वस्तु विशेष उपभोक्ता वर्ग में सम्मानित व्यापार के क्षेत्र बताइए।
उत्तर:
वस्तु विशेष उपभोक्ता वर्ग में समस्त वस्तुओं के उत्पादों को सम्मिलित किया जाता है जिनका प्रयोग सामान्य दैनिक जीवन में आम व्यक्ति द्वारा किया जाता है। इन वस्तुओं के व्यापार की अपार संभावनाएँ है लेकिन सबसे अधिक संभावनाओं वाले वस्तु बाजार के क्षेत्र निम्न है –

  1. गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और बच्चों सम्बन्धी उत्पाद में एक बड़े बाजार की सम्भावना प्रत्यक्ष रूप से मौजूद है।
  2. आज भारत में आभूषण एवं फैशन के गहने अत्यन्त लोकप्रिय हो गए है जिससे ज्वैलरी के बाजार में भी अधिक सम्भावनाएँ बढ़ गई है।
  3. साड़ी एवं परम्परागत परिधान के उपभोक्ता बाजार में भी अत्यधिक अवसर है।
  4. भारत में उपहार तथा कलात्मक वस्तुओं का प्रचलन बढ़ने के कारण स्थानीय व क्षेत्रीय कला की वस्तुएँ एवं कंसेप्ट आधारित वस्तुओं के बाजार की अपार सम्भावनाएँ है।
  5. स्वास्थ्य संरक्षण एवं पोषण सम्बन्धित वस्तुओं अथवा उत्पाद की रिटेलिंग का व्यापार बढ़ने की अच्छी सम्भावनाएँ है।
  6. खेलकूद के लिए विशेष परिधान तथा पुरुष व महिला के अन्त:वस्त्रों के उत्पाद की माँग बढ़ने के कारण इस क्षेत्र में भी उपभोक्ता बाजार के अधिक अवसर मौजूद है।

प्रश्न 5.
राजस्थान में राज्य सरकार सम्बन्धी विभागों के प्रशासनिक क्षेत्र में रोजगार अवसरों की प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
राजस्थान में राज्य सरकार सम्बन्धी विभागों के प्रशासनिक क्षेत्र में रोजगार अवसरों की प्रक्रिया राजस्थान लोक सेवा आयोग करता है। यह राज्य सरकार की भर्ती व चयन एजेन्सी है। सरकार अपने विभिन्न विभागों के लिए आवश्यक प्रशासनिक अधिकारियों की आवश्यकता से राजस्थान लोक सेवा आयोग को सूचित कर देती है जिसके अनुसार राजस्थान लोक सेवा आयोग भर्ती हेतु विज्ञापन प्रसारित करता है। इसमें प्रतियोगी परीक्षा तथा साक्षात्कार का आयोजन कर योग्य व्यक्तियों का चयन करते हुए राज्य सरकार को सूची प्रेषित करता है। राजस्थान प्रशासनिक सेवाओं में मुख्य रूप से निम्नलिखित पद होते हैं –

  1. राजस्थान प्रशासनिक सेवा।
  2. राजस्थान पुलिस सेवा।
  3. राजस्था लेखा सेवा।
  4. राजस्थान बीमा सेवा।
  5. राजस्थान सहकारिता सेवा।
  6. राजस्थान विकास सेवा।
  7. राजस्थान बिक्री कर सेवा।

प्रश्न 6.
“स्व – रोजगार अर्थव्यवस्था को विकसित करने का सशक्त माध्यम है।” स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारतीय अर्थव्यवस्था में स्व-रोजगार का महत्व बताइए।
उत्तर:
भारत एक विकासशील देश है। यहाँ की प्रमुख समस्या गरीबी, भुखमरी, निम्न जीवन स्तर, अशिक्षा तथा बेरोजगारी है। इन सबसे बाहर निकलने का उपयोगी साधन स्व – रोजगार ही है। इसलिए जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में द्वितीय स्थान रखने वाले विशाल मानव शक्ति वाले भारत देश में अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए स्व – रोजगार को एक सशक्त माध्यम माना गया है। स्व – रोजगार के महत्व को निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है –

  1. स्व – रोजगार से बेरोजगारी की समस्या का समाधान होता है।
  2. प्राकृतिक संसाधनों का समुचित प्रयोग करने में मदद मिलती है।
  3. देश के आर्थिक विकास की गति में तेजी आती है।
  4. समाज के कमजोर वर्ग को आय का साधन उपलब्ध कराने में सहायता मिलती है।
  5. प्रबन्धकीय योग्यता एवं क्षमता का विकास होता है।
  6. स्व – रोजगार के माध्यम से क्षेत्र एवं ग्रामवासियों का विकास होता है।
  7. आत्मनिर्भर, समाज़ की परिकल्पना का सपना साकार होता है।
  8. स्व – रोजगार से आधारभूत सुविधाओं के विकास का मार्ग प्रशस्त होता है।

प्रश्न 7.
सरकार द्वारा स्व – रोजगार के प्रति वातावरण बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों हेतु चलाई गई योजनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के लिए चलाई गई योजनाएँ निम्न हैं –
1. ग्रामीण युवा प्रशिक्षण योजना – सरकार द्वारा यह योजना ग्रामीण युवाओं का शहर की तरफ पलायन रोकने तथा हस्तशिल्प को संरक्षित करने के लिए चलाई गई थी। इसमें युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है तथा सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात् टूल किट भी प्रदान की जाती है।

2. समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम – यह देश की सर्वाधिक व्यापक स्तर पर चलाई जाने वाली योजना है। इस योजना द्वारा मार्च, 1976 से गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले ग्रामीण परिवारों को ऊँचा उठाने के लिए इसमें प्रशिक्षण एवं वित्तीय सहायता की व्यवस्था की गई है।

3. महात्मा गाँधी रोजगार योजना – ग्रामीण गरीब परिवार के न्यूनतम एक सदस्य को रोजगार का अवसर प्रदान करने के लिए चलाई गई योजना है। इस योजना में सरकार पंचायत के माध्यम से सामान्य निर्माण कार्य, इन्दिरा आवास योजना, कुंए योजना का संचालन करती है। यह योजना सन् 1989 से प्रारम्भ की गई थी।

4. मरुभूमि विकास योजना – मरुस्थल की भूमि की उत्पादकता बढ़ाने तथा मरुस्थल विस्तार रोकने के मार्फत रोजगार के अवसर उत्पन्न करने के लिए यह योजना प्रारम्भ की गई थी।

प्रश्न 8.
प्रधानमन्त्री रोजगार योजना क्या है? इस योजना की मुख्य बातें बताइए।
उत्तर:
प्रधानमन्त्री रोजगार योजना शहरी व ग्रामीण शिक्षित बेरोजगारों को वित्तीय सहायता प्रदान करके किसी उद्योग या व्यापार की स्थापना एवं संचालन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए चलाई गई थी। यह योजना सम्पूर्ण देश में 10 लाख की जनसंख्या से कम आबादी वाले सभी जिलों में लागू की गई है जिसमें बैंकों की सहायता से ऋण प्रदान करवाया जाता है। इस योजना की मुख्य बातें निम्न हैं –

  1. इस योजना में व्यक्ति न्यूनतम मेट्रिक पास होना आवश्यक है।
  2. इस योजना के अन्तर्गत जिला उद्योग केन्द्र पर बनी समिति द्वारा व्यक्तियों (उद्यमियों) का चयन एवं उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है।
  3. इस योजना में बैकों को ऋण हेतु सिफारिश की जाती है।
  4. ऋण उद्योग के लिए 1 लाख व व्यापार के लिए है 75,000 तक स्वीकृत किया जाता है।
  5. ऋणों का पुनर्भुगतान 3 से 7 वर्ष तक की अवधि में किया जाता है।
  6. ऋण की किस्तें 18 माह बाद प्रारम्भ की जाती है।

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 10 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वाणिज्य विषय के विद्यार्थियों को अध्ययन के पश्चात् किन – किन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं? वर्णन कीजिए। उत्तर:
वाणिज्य विषय समाज की प्रत्येक गतिविधि से जुड़ा हुआ है। समाज की आर्थिक उन्नति के लिए कृषि उद्योग या सेवा क्षेत्र में या अन्य किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़े, प्रत्येक क्षेत्र में वाणिज्य आवश्यक हो गया है। समाज में गुणवत्ता, विशेषता एवं मूल्य नियन्त्रण के प्रति चिन्तन बढ़ा है। सामाजिक दायित्व तथा पारदर्शिता का विचार गति पकड़ रहा है। ये समस्त बातें पेशेवर ज्ञान व कुशलता को बढ़ावा देती है जिससे वाणिज्य में भी पेशेवर व कुशल व्यक्तियों CA, CS, MBA, ICWA की माँग निरन्तर बढ़ रही है। उपभोक्ता बाजार (रिटेलिंग) व सेवा बाजार में निरन्तर प्रगति व विस्तार हो रहा है जिसमें वाणिज्य स्नातकों की माँग निरन्तर बढ़ रही हैं। वाणिज्य विषय में रोजागार के अवसरों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है –
1. सेवा क्षेत्र में रोजगार के अवसर – वाणिज्य विषय के विद्यार्थियों के सेवा क्षेत्र में रोजगार के अवसर निरन्तर बढ़ते जा रहे हैं क्योंकि सेवा क्षेत्र का व्यापार तेज गति से बढ़ रहा है। जिसमें बैंक, बीमा, उपभोक्ता बाजार तथा कॉल सेन्टरों में विविध कार्यों तथा विक्रय संवर्धन के लिए रोजगार के अनेक अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। वर्ष 2020 तक लगभग 7.70 लाख बैंक कर्मचारियों की भर्ती होगी क्योंकि वर्तमान में कार्यरत् स्टॉफ में से 2015 से प्रतिवर्ष 30 – 40 प्रतिशत सेवानिवृत्त होंगे एवं बैंकिंग व्यवसाय का विस्तार भी निरन्तर हो रहा है। पिछले कई वर्षों में बीमा व्यवसाय की कार्य प्रणाली में भी परिवर्तन हो रहे हैं। परिणामस्वरूप नए क्षेत्रों में बीमा दलाल, पुनर्बीमा दलाल, बीमा परामर्शदाता, बैंक इन्श्योरेन्स जैसे नए। रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।

2. प्रशासनिक क्षेत्र में रोजगार के अवसर – सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के विभिन्न उपक्रमों तथा सरकार के विभागों में प्रबन्धकीय एवं प्रशासकीय नियन्त्रण के लिए उच्चस्तरीय पदों पर कुशल एवं पेशेवर व्यक्तियों को नियुक्त किया जाता है। सरकारी क्षेत्र में इन्हें राजपत्रित अधिकारी के रूप में तथा सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र में इन्हें कार्यकारी अधिकारी के रूप में नियुक्ति दी जाती है। सरकारी क्षेत्र के विभिन्न कार्यों के लिए कर राजस्व, सांख्यिकी, अंकेक्षण एवं वित्त सम्बन्धी विभागों में प्राथमिक रूप से वाणिज्य स्नातकों एवं पेशवरों को ही वरीयता दी जाती है।

3. तकनीकी क्षेत्र में रोजगार के अवसर – वाणिज्य स्नातकों जिन्हें कम्प्यूटर भाषा तथा सॉफ्टवेयर बनाने का ज्ञान हो उनका भाविष्य बहुत उज्जवल है क्योंकि लेखांकन के विभिन्न कार्यों के लिए आजकल सॉफ्टवेयर बनाने की माँग निरन्तर बढ़ती जा रही है, साथ ही लेखांकन एवं अंकेक्षण क्षेत्र में, प्रोग्रामर, सूचना प्रबन्धक या ई-कॉमर्स के अवसर भी उत्पन्न हो गये हैं।

4. स्व – रोजगार में अवसर – वैतनिक रोजगार से हटकर स्वयं का व्यापार लगाकर लाभ कमाने या उपलब्धि प्राप्त करने के लिए स्वयं का उद्योग लगाकर रोजगार प्राप्ति के अनेक विकल्प मौजूद रहते हैं तथा प्रारम्भिक अवस्था में सरकार की कई योजनाएँ प्रोत्साहित करती है। राजस्थान सरकार ने भी स्व-रोजगार के विकास हेतु बीमा इकाइयों को सहायता, महिला उद्यमी प्रशिक्षण हस्तशिल्प उत्सव एवं मेले का आयोजन जैसी योजनाओं को चलाया गया है।

प्रश्न 2.
पूँजी बाजार के क्षेत्र में उपलब्ध रोजगार सम्भावनाओं को स्पष्ट करते हुए इनकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पूँजी बाजार में अंश, ऋणपत्रों, ब्राण्ड तथा प्रतिभूतियों का कारोबार होता है जो प्रत्येक राष्ट्र की अर्थव्यवस्था का जीवन रक्त होता है, जहाँ प्रतिदिन अरबों – खरबों रुपए का व्यापार होता है। पूँजी बाजार में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष व्यापार किया जाता है। प्रत्यक्ष व्यापार के तहत् विनियोजक स्वयं स्टॉक बाजार में अंश और प्रतिभूतियों का क्रय – विक्रय करते हैं। इसमें जोखिम अधिक होती है। अप्रत्यक्ष बाजार में विनियोजक स्वयं व्यापार नहीं करते हैं बल्कि फण्ड कम्पनियाँ उनके प्रतिनिधि स्वरूप बड़ी मात्रा में क्रय – विक्रय करती है, जिससे विनियोजकों की जोखिमें कम एवं प्रतिफल निश्चित् हो जाता है। पूँजी बाजार में रोजगार के दो प्रमुख क्षेत्र हैं – स्कन्धे बाजार और म्युचुअल फण्ड कम्पनी।

(1) स्कन्ध बाजार – कम्पनियों के निर्गमित अंश एवं ऋणपत्रों के क्रय-विक्रय स्थल को स्कन्ध बाजार कहते हैं। कम्पनी के अंश, ऋणपत्र निर्गमन एवं हस्तान्तरण, लाभांश वितरण, बोनस अंश निर्गमन सम्बन्धी कार्यों से भी स्टॉक बाजार में ही सम्मिलित किया जाता है। स्टॉक बाजार में रोजगार के निम्न अवसर विद्यमान है –

  1. स्टॉक एक्सचेंज के सदस्य (दलाल या ब्रोकर) बनकर या ऐसे सदस्य के एजेन्ट (उप – दलाल) बनकर क्रय – विक्रय का कारोबार कर रोजगार प्राप्त किया जा सकता है।
  2. कम्पनी के अंश निर्गमन, आबंटन, हस्तांतरण सम्बन्धी कार्यों को कम्पनी के प्रतिनिधि के रूप में करने का अवसर ब्रोकर के रूप में प्राप्त होता है।
  3. संग्रहण केन्द्र, वोल्टे ऑपरेटर, लेखाकार, बट्टीग्रह, निवेशक शिक्षा कार्यक्रम के प्रशिक्षक तथा स्वयं विनियोजक के रूप में रोजगार के अवसरों की प्राप्ति होती है।

(2) म्युचुअल फण्ड कम्पनी – म्युचुअल फण्ड कम्पनियाँ छोटे – छोटे विनियोजकों के निवेशित धन से संग्रहित बड़ी पूँजी से पूँजी बाजार में कारोबार करती है तथा अर्जित लाभ को आपस में बाँटा जाता है। म्युचुअल फण्ड कम्पनियों में रोजगार के अग्र अवसर प्राप्त होते हैं –

  1. बाजार की विभिन्न सूचनाओं, कम्पनियों के परिणामों तथा सरकारी नीतिओं के लिए विनियोग विश्लेषक’ की आवश्यकता पड़ती है।
  2. पूँजी बाजार में ‘पोर्ट फोलियो मैनेजर’ बनकर रोजगार प्राप्त किया जा सकता है जो धन के विनियोजन का श्रेणीकरण या वर्गीकरण करते हैं।
  3. म्युचुअल फण्ड के उत्पादों का क्रय – विक्रय करने के लिए एजेन्सी कारोबार में एजेन्ट बनकर रोजगार के अवसर प्राप्त किए जा सकते हैं।
  4. सलाहकार के रूप में रोजगार के अवसर मौजूद रहते हैं।
  5. मूल्यांकन के रूप में पूँजी बाजार में रोजगार प्राप्त किया जा सकता है।
  6. कार्यालय में लिपिकीय एवं प्रबन्धकीय कार्य के अवसर तथा कम्प्यूटर ऑपरेटर, लेखाकार, सूचना संग्राहक आदि क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्राप्त किए जा सकते हैं।

प्रश्न 3.
उद्यमिता क्या है? इसके विभिन्न स्वरूपों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
उद्यमिता के विभिन्न प्रकारों को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
उद्यमिता:
उद्यमिता अपना स्वयं का व्यवसाय स्थापित करने की एक प्रक्रिया है, जिसमें जोखिम का तत्त्व समाहित होता है। प्रो. उदय पारीक तथा मनोहर नाडकर्णी ने सरल शब्दों में समझाते हुए लिखा है कि “उद्यमिता से आशय समाज में नए उपक्रम स्थापित करने की सामान्य प्रवृत्ति से है।”

उद्यमिता के स्वरूप/प्रकार:
उद्यमिता के स्वरूपों को निम्न प्रकार से बाँटा जा सकता है –
(1) आकार के आधार पर – आकार के आधार पर उद्यमिता को निम्न भागों में बाँटा जाता है –

  1. बड़े उद्योग – बड़े उद्योग विशेष प्रकृति के होते हैं जिसमें बड़ी मात्रा में पूँजी निवेश कर बड़ी मशीनों व श्रमिकों को प्रयोग करते हुए बड़ी मात्रा में उत्पादन किया जाता है तथा प्रबन्धकीय कार्यों के लिए पेशेवर प्रबन्धकों को नियुक्त किया जाता है।
  2. लघु उद्योग – लघु उद्योग में पूँजी अपेक्षाकृत कम विनियोजित की जाती है तथा परिवार के सदस्य मिलकर या कुछ श्रमिकों की सहायता से स्थानीय बाजार की माँग के अनुरूप या क्षेत्रीय बाजार के अनुरूप उत्पादन किया जाता है।

(2) पूँजी स्वामित्व के आधार पर – पूँजी स्वामित्व के आधार पर उद्यमिता को निम्न भागों में बाँटा जाता है –

  1. निजी उद्यमिता – जब व्यवसाय की जोखिम एक ही व्यक्ति द्वारा वहन की जाती है तथा पूँजी भी एक ही व्यक्ति विनियोजित करता है तो उसे एकाकी या निजी उद्यमिता कहते हैं।
  2. संयुक्त साहस उद्यमिता – ऐसे उद्योग या व्यवसाय जिसमें सरकार निजी उद्यमियों के साथ मिलकर एक निश्चित पूँजी का विनियोजन करती है, उसे संयुक्त साहस उद्यमिता कहते है। सरकार ऐसा प्रयास पिछड़े क्षेत्रों में विकास करने, नऐ उद्यमियों को प्रोत्साहित करने तथा आर्थिक विकास की गति तेज करने के लिए करती है।
  3. सहकारी उद्यमिता – ऐसे व्यक्तियों का समूह जो सहकारिता के उद्देश्य से उपक्रम प्रारम्भ करते है, संचालित करते है, जोखिम उठते है तथा रोजगार की निश्चितता का प्रयास करते हैं, इसे सहकारी उद्यमिता कहते हैं। महिला सहकारिता उद्यम का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण लिज्जत पापड़ निर्माता सहकारी संघ है।

(3) नेतृत्व के आधार पर – नेतृत्व के आधार पर उद्यमिता को निम्न भागों में बाँटा जा सकता है –

  1. वैयक्तिक उद्यमिता – ऐसे उद्यम जिसमें समस्त निर्णय एक ही व्यक्ति को करने होते हैं अर्थात् व्यवसाय के प्रबन्धन एवं संचालन के लिए केवल एक ही व्यक्ति उत्तरदायी होता है।
  2. समूह उद्यमिता – समूह उद्यमिता में एक से अधिक व्यक्ति (विशेषज्ञ) मिलकर उपक्रम का प्रबन्ध एवं संचालन करते हैं तथा निर्णय करते हैं। कम्पनी जैसे संगठन में प्रवर्तक तथा प्रबन्ध मण्डल विशेषज्ञ के रूप में होते हैं।

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