RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 8 कार्यालय सम्प्रेषण
RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 8 कार्यालय सम्प्रेषण
Rajasthan Board RBSE Class 11 Business Studies Chapter 8 कार्यालय सम्प्रेषण
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 8 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 8 बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रभावी सम्प्रेषण होना चाहिए –
(अ) अप्रत्यक्ष
(ब) एक – मार्गीय
(स) द्वि – अर्थी
(द) द्वि – मार्गीय
उत्तरमाला:
(स) द्वि – अर्थी
प्रश्न 2.
कार्यालय आदेश उदाहरण है –
(अ) ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण का
(ब) अधोगामी सम्प्रेषण का
(स) अनौपचारिक सम्प्रेषण का
(द) विकर्णीय सम्प्रेषण का
उत्तरमाला:
(ब) अधोगामी सम्प्रेषण का
प्रश्न 3.
संगठन में अफवाहें फैलाने में निम्न में से कौन – सी सम्प्रेषण वाहिका प्रयुक्त होती है?
(अ) अधोगामी
(ब) विकर्णीय
(स) ऊर्ध्वगामी
(द) अंगूरीलता
उत्तरमाला:
(द) अंगूरीलता
प्रश्न 4.
अनौपचारिक सम्प्रेषण को निम्न में से किस नाम से जाना जाता है?
(अ) विकर्णीय सम्प्रेषण
(ब) समतल सम्प्रेषण
(स) जन प्रवाद सम्प्रेषण
(द) उपर्युक्त सभी नामों से
उत्तरमाला:
(स) जन प्रवाद सम्प्रेषण
प्रश्न 5.
अनौपचारिक समूहों में सन्देश का प्रवाह चलता है –
(अ) ऊपर से नीचे
(ब) आड़े – तिरछे
(स) नीचे से ऊपर
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 6.
किस प्रकार के सम्प्रेषण में सन्देह, भ्रम वे आशंकाओं का निवारण उसी समय हो जाता है?
(अ) लिखित सम्प्रेषण में
(ब) सांकेतिक सम्प्रेषण में
(स) मौखिक सम्प्रेषण में
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(स) मौखिक सम्प्रेषण में
प्रश्न 7.
निम्न में कौन – सा कथन असत्य है?
(अ) एकल मार्गीय सम्प्रेषण ऊर्ध्वगामी होता है।
(ब) एकल मार्गीय सम्प्रेषण लिखित व मौखिक होता है।
(स) सम्प्रेषण विचारों का आदान – प्रदान है।
(द) सम्प्रेषण एक प्रक्रिया है।
उत्तरमाला:
(अ) एकल मार्गीय सम्प्रेषण ऊर्ध्वगामी होता है।
प्रश्न 8.
उच्च अधिकारियों से अधीनस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों की ओर सन्देश का प्रवाह है –
(अ) ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण
(ब) अधोगामी सम्प्रेषण
(स) समतल सम्प्रेषण
(द) विकर्णीय सम्प्रेषण
उत्तरमाला:
(ब) अधोगामी सम्प्रेषण
प्रश्न 9.
भिन्न पदानुक्रम स्तरों के प्रबन्धकों के मध्य होने वाला सम्प्रेषण कहलाता है –
(अ) अधोगामी
(ब) समतल
(स) विकर्णीय
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तरमाला:
(स) विकर्णीय
प्रश्न 10.
निम्न में से कौन – सा गैर – शाब्दिक सम्प्रेषण नहीं है –
(अ) नोटिस
(ब) पीठ थपथपाना
(स) करतब
(द) कंधों का उचकाना
उत्तरमाला:
(अ) नोटिस
प्रश्न 11.
सम्प्रेषण की तकनीक है –
(अ) फैक्स
(ब) ई – मेल
(स) एस.एम.एस.
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 12.
जब प्रेषक एवं प्रेषिति सन्देश को अलग – अलग अर्थों में समझते हैं तो यह बाधा कहलाती है –
(अ) पद की बाधा
(ब) संगठन संरचना की बाधा
(स) भाषा की बाधा
(द) भावनात्मक बाधा
उत्तरमाला:
(स) भाषा की बाधा
प्रश्न 13.
प्रभावी सम्प्रेषण में प्रति – पुष्टि आवश्यक होती है क्योंकि –
(अ) यह सन्देश को गति प्रदान करती है।
(ब) यह सन्देश प्रेषित की बौद्धिक क्षमता को प्रदर्शित करती है।
(स) इससे समन्वय में आसानी रहती है।
(द) यह प्रेषक को यह बताती है कि प्राप्तकर्ता ने सन्देश का अर्थ समझा है या नहीं
उत्तरमाला:
(द) यह प्रेषक को यह बताती है कि प्राप्तकर्ता ने सन्देश का अर्थ समझा है या नहीं
प्रश्न 14.
एक व्यावसायिक पत्र में निम्न में से कौन – सा आवश्यक तत्त्व होना चाहिए?
(अ) स्पष्टता
(ब) नम्रता
(स) आकर्षण
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 15.
उद्धरण पत्र में विवरण होता है –
(अ) पत्र की स्वीकृति के बारे में
(ब) माल का भाव, प्रकार व मूल्य के बारे में
(स) माल की प्राप्ति के बारे में
(द) आदेश देने के बारे में
उत्तरमाला:
(ब) माल का भाव, प्रकार व मूल्य के बारे में
प्रश्न 16.
गश्ती पत्र लिखा जाता है –
(अ) नये साझेदार के प्रवेश पर
(ब) आर्थिक स्थिति जानने के लिए
(स) माल का नमूना मँगवाने के लिए
(द) आदेश देने के लिये
उत्तरमाला:
(अ) नये साझेदार के प्रवेश पर
प्रश्न 17.
विभिन्न ग्राहकों को एक ही प्रकार की सूचना प्रेषित करने के लिए लिखे जाने वाले पत्र को कहते हैं –
(अ) गश्ती पत्र
(ब) आदेश पत्रे
(स) तकादे का पत्र
(द) साख पत्र
उत्तरमाला:
(अ) गश्ती पत्र
प्रश्न 18.
तकादे को पत्र लिखने का उद्देश्य होता है –
(अ) सूचना भेजने के लिए
(ब) पूछताछ के लिए
(स) आदेश देने के लिए
(द) ऋण वसूली के लिए
उत्तरमाला:
(द) ऋण वसूली के लिए
प्रश्न 19.
जब माल आदेशानुसार नहीं भेजा गया हो तो निम्न में से किस प्रकार का पत्र लिखा जाता है?
(अ) पूछताछ का पत्र
(ब) शिकायती पत्र
(स) परिपत्र
(द) तकादे को पत्र
उत्तरमाला:
(ब) शिकायती पत्र
प्रश्न 20.
जो पत्र किसी बैंक, व्यापारी अथवा एजेन्ट के नाम से निश्चित व्यक्ति को एक निश्चित अवधि में धन प्रदान करने की आज्ञा देते हैं, कहलाते हैं –
(अ) बैंक सम्बन्धी पत्र
(ब) परिचय पत्र
(स) एजेन्सी सम्बन्धी पत्र
(द) साख पत्र
उत्तरमाला:
(द) साख पत्र
प्रश्न 21.
‘पुनश्च’ शब्द को तब लिखा जाता है, जबकि –
(अ) पूछताछ को उत्तर देना होता है।
(ब) विक्रय में वृद्धि करनी होती है।
(स) स्थान परिवर्तन करना होता है।
(द) कोई महत्वपूर्ण बात पत्र में लिखने से रह जाती है।
उत्तरमाला:
(द) कोई महत्वपूर्ण बात पत्र में लिखने से रह जाती है।
प्रश्न 22.
व्यापार का स्थान परिवर्तन होने पर इसकी सूचना देने हेतु लिखे जाने वाले पत्र को कहते हैं –
(अ) पूछताछ के पत्र
(ब) सन्दर्भ पत्र
(स) गश्ती पत्र
(द) परिचय पत्र
उत्तरमाला:
(स) गश्ती पत्र
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 8 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
सम्प्रेषण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सम्प्रेषण एक मानवीय द्वि – मार्गीय प्रक्रिया है। इसमें दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य विचारों, भावनाओं एवं आपसी समझ का विनिमय किया जाता है।
प्रश्न 2.
औपचारिक सम्प्रेषण किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह सम्प्रेषण जिसमें सन्देशों का प्रवाह पूर्व निर्धारित मार्ग द्वारा होता है तथा प्रेषक और प्रेषिति के मध्य औपचारिक सम्बन्ध विद्यमान होते है, उसे औपचारिक सम्प्रेषण कहते है।
प्रश्न 3.
ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण क्या है?
उत्तर:
जब सन्देश का प्रेषण अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा उच्च अधिकारियों को किया जाता है, तो इसे ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण कहा जाता है।
प्रश्न 4.
विकर्णीय संचार किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब सूचनाओं एवं आदेशों का आदान-प्रदान, विभिन्न स्तरों पर कार्यरत् व्यक्तियों के बीच होता है तथा सम्प्रेषण में सन्देश प्रवाह का कोई क्रम नहीं होता है, तो उसे विकर्णीय सम्प्रेषण कहते है।
प्रश्न 5.
आन्तरिक सम्प्रेषण से क्या आशय है?
उत्तर:
संस्था के मध्य व्यक्तियों, समूहों, विभागों एवं शाखाओं के बीच सन्देशों, सूचनाओं, भावनाओं तथा तथ्यों को आदान – प्रदान करना आन्तरिक सम्प्रेषण कहलाता है।
प्रश्न 6.
शारीरिक भाषा का उपयोग किस प्रकार के सम्प्रेषण में किया जाता है?
उत्तर:
गैर – शाब्दिक सम्प्रेषण में।
प्रश्न 7.
लिखित सम्प्रेषण की कोई दो तकनीकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- पत्रिकायें।
- सुझाव पुस्तिकायें।
प्रश्न 8.
मौखिक सम्प्रेषण के किन्हीं दो माध्यमों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- रेडियो।
- टेलीफोन।
प्रश्न 9.
प्रभावी सम्प्रेषण की दो आवश्यक बातें लिखिए।
उत्तर:
- सन्देश की सभी बातें स्पष्ट एवं पूर्ण होनी चाहिए।
- सन्देश की भाषा नम्र होनी चाहिए।
प्रश्न 10.
समतल सम्प्रेषण से क्या आशय है?
उत्तर:
जब संगठन में समान स्तर के कर्मचारियों, अधिकारियों या विभाध्यक्षों के मध्य सूचना अथवा सन्देशों का आदान – प्रदान होता है, तो उसे समतल सम्प्रेषण कहते हैं।
प्रश्न 11.
शिकायती पत्र कब लिखे जाते हैं?
उत्तर:
जब माल प्राप्तकर्ता को माल दोषयुक्त प्राप्त हो, आदेश सही नहीं होने तथा माल विलम्ब से पहुँचने आदि की शिकायत में लिखे जाते है।
प्रश्न 12.
व्यावसायिक पत्र में पत्र क्रमांक का प्रयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
प्राप्त पत्रों या भेजे गये पत्रों का सन्दर्भ देने के लिये पत्र क्रमांक का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 13.
तकादे के पत्र से आपको क्या आशय है?
उत्तर:
जब क्रेता नियत समयावधि के अन्तर्गत बिल का भुगतान नहीं कर पाती है तो बकाया राशि प्राप्त करने के सम्बन्ध में जो पत्र विक्रेता द्वारा लिखे जाते हैं, उन्हें तकादे का पत्र कहते हैं।
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 8 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अंगूरीलता सम्प्रेषण किसे कहते हैं?
उत्तर:
अंगूरीलता सम्प्रेषण से आशय ऐसे सम्प्रेषण से है जिसमें सन्देशों के आदान-प्रदान का कोई पूर्व निश्चित मार्ग नहीं हो है तथा व्यक्ति सन्देशों का प्रवाह व्यक्तिगत एवं सामाजिक सम्बन्धों के कारण करते है। इसमें संगठन चार्ट का कोई महत्व नहीं होता। है तथा ये निश्चित विधि व नियम के अधीन नहीं होते हैं। अनौपचारिक सम्प्रेषण को ही अंगूरीलता या जन प्रवाद के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 2.
बाह्य सम्प्रेषण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
संस्था के बाह्य पक्षकारों जैसे ग्राहकों, अंशधारियों, प्रतियोगी फर्मों, मध्यस्थों, नीय समुदाय, ऋणदाताओं, सरकार, बैंक, बीमा एवं अन्य संगठनों के बीच सूचनाओं के विनिमय की प्रक्रिया को बाह्य सम्प्रेषण कहा जाता है। प्रत्येक व्यावसायिक उपक्रम की प्रगति और विकास के लिये संस्था और बाहरी पक्षकारों के बीच प्रभावशाली सम्प्रेषण का होना आवश्यक है।
प्रश्न 3.
औपचारिक सम्प्रेषण के चार लाभ बतलाइए।
उत्तर:
औपचारिक सम्प्रेषण के चार लाभ निम्नलिखित है –
- इसमें सन्देशों का आदान – प्रदान पूर्व निर्धारित मार्गों से होता है।
- इसमें सूचना के स्रोत की जानकारी होने से सन्देश के लिये सम्बन्धित व्यक्ति को आसानी से उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
- इसमें पारस्परिक मतभेद उत्पन्न नहीं होते है।
- इसमें सन्देशों के विकृत होने की सवना कम हो जाती है।
प्रश्न 4.
अनौपचारिक सम्प्रेषण के चार दोष बतलाइए।
उत्तर:
अनौपचारिक सम्प्रेषण के चार दोष निभ्नवत् है –
- इनकी प्रकृति मौखिक होने के कारण कम विश्वसनीय होते है।
- इस सम्प्रेषण में नियन्त्रण करना कठिन होता है।
- इसमें कर्मचारी उत्तरदायित्व से बचने का प्रयास करते है।
- इसमें सूचना अपूर्ण होने से भ्रम और सन्देह बना रहता है।
प्रश्न 5.
सम्प्रेषण की चार बाधाएँ बतलाइए।
उत्तर:
सम्प्रेषण की चार बाधाएँ निम्न प्रकार है –
- भाषा की अस्पष्टता व कठिन शब्दों का प्रयोग करने के कारण सन्देश को सही अर्थों में समझने में कठिनाई होती है।
- शोर सम्प्रेषण की प्रमुख बाधा है। शोर के कारण सूचनाओं को प्राप्त करने में कठिनाई होती हैं।
- संचार को अधिक भार हो जाने से सूचनाओं का प्रसारण करना जटिल हो जाता है तथा त्रुटियों की सम्भावना बढ़ जाती है।
- कमजोर नेतृत्व के अभाव में भी सम्प्रेषण प्रक्रिया प्रभावित होती है।
प्रश्न 6.
तकादे को पत्र कब लिखा जाता है?
उत्तर:
आजकल व्यापार में बिना उधार के कार्य नहीं चलता है। यदि हम चाहें कि व्यापारिक व्यवहार नकदी पर होता रहे, यह असम्भव है इसलिये उधार माल तो देना ही पड़ता है। जब व्यापारी द्वारा उधार माल बेचा जाता है तथा ग्राहक समय पर उधारी का भुगतान नहीं कर पाता है तो उसे याद दिलाने के लिए तकादे का पत्र लिखा जाता है। इस प्रकार के पत्र कई बार लिखे जा सकते है। प्रारम्भ में पत्र भुगतान की याद दिलाने वाला तथा बाद के पत्रों में कठोर भाषा का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 7.
एक अच्छे व्यापारिक पत्र की चार विशेषताएँ बतलाइये।
उत्तर:
एक अच्छे व्यापारिक पत्र की चार विशेषताएँ निम्न हैं –
- व्यापारिक पत्र सरल, प्रचलित तथा स्पष्ट भाषा में लिखा जाना चाहिए।
- पत्र में स्वाभाविक रूप से एक के बाद दूसरा विचार जुड़ा होना चाहिए अर्थात् विचार प्रभावपूर्ण होना चाहिए।
- पत्र में लिखी गयी विषय सामग्री सत्य एवं विश्वसनीय होनी चाहिए।
- पत्र में रोचकता, सुन्दरता एवं स्वच्छता का गुण होने के साथ – साथ पत्र में पूर्णता के साथ संक्षिप्तता को भी अपनाना चाहिए।
प्रश्न 8.
व्यावसायिक पत्रों में पुनश्च क्यों लिखा जाता है?
उत्तर:
व्यवसाय में कभी – कभी व्यावसायिक पत्र लिखने के बाद कोई जरूरी बात लिखने से रह जाती है, तो ऐसी स्थिति में उस पत्र को दुबारा नये सिरे से न लिखकर पत्र के अन्त में पुनश्च लिखकर छूटी हुई बात को लिख दिया जाता है और लेखक अपने हस्ताक्षर पुनः कर देता है जिससे व्यापारी की समय एवं श्रम दोनों की बचत हो जाती है।
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 8 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 8 बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
“सम्प्रेषण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को विचारों अथवा सूचना के रूप में ‘अर्थ’ प्रेषित करने की प्रक्रिया है।” यह कथन है –
(अ) न्यूमैन एवं समर का
(ब) लुईस ए. ऐलन का
(स) कीथ डेविस का
(द) लियोन मैगिनसन का
उत्तरमाला:
(द) लियोन मैगिनसन का
प्रश्न 2.
‘सन्देश देने वाला व्यक्ति कहलाता है –
(अ) संप्रेषक
(ब) प्रेषिति (प्रापक)
(स) संकेतन
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(अ) संप्रेषक
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में कौन – सा कथन सत्य है?
(अ) सम्प्रेषण एक सतत् प्रक्रिया है।
(ब) सम्प्रेषण एक गतिशील प्रक्रिया है।
(स) सम्प्रेषण एक मानवीय क्रिया है।
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4.
सम्प्रेषण को सम्बन्धों के आधार पर कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है?
(अ) 4
(ब) 3
(स) 2
(द) 5
उत्तरमाला:
(स) 2
प्रश्न 5.
प्रवाह के आधार पर सम्प्रेषण का प्रकार नहीं है –
(अ) अधोगामी सम्प्रेषण
(ब) बाह्य सम्प्रेषण
(स) समतल सम्प्रेषण
(द) विकर्णीय सम्प्रेषण
उत्तरमाला:
(ब) बाह्य सम्प्रेषण
प्रश्न 6.
अंगूरीलता सम्प्रेषण इस सम्प्रेषण को कहा जाता है –
(अ) विकर्णीय सम्प्रेषण को
(ब) समतल सम्प्रेषण को
(स) अनौपचारिक सम्प्रेषण को
(द) अधोगामी सम्प्रेषण को
उत्तरमाला:
(स) अनौपचारिक सम्प्रेषण को
प्रश्न 7.
मौखिक सम्प्रेषण का लाभ नहीं है –
(अ) समय, श्रम की बचत
(ब) भ्रम व अस्पष्टता का तत्काल निवारण
(स) सन्देश की गोपनीयता
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(द) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 8.
लिखित सम्प्रेषण की तकनीक है –
(अ) फैक्स
(ब) रेडियो
(स) साक्षात्कार
(द) सभा
उत्तरमाला:
(अ) फैक्स
प्रश्न 9.
पूछताछ पत्र के उत्तर में लिखा जाने वाला पत्र कहलाता है –
(अ) सन्दर्भ पत्र
(ब) उद्धरण पत्र
(स) गश्ती पत्र
(द) परिचय पत्र
उत्तरमाला:
(ब) उद्धरण पत्र
प्रश्न 10.
एक व्यापारी दूसरे व्यापारी की आर्थिक स्थिति ज्ञात करने के लिए पत्र लिखता है, तो ऐसे पत्र को कहते है –
(अ) पूछताछ का पत्र
(ब) उद्धरण पत्र
(स) सन्दर्भ पत्र
(द) गश्ती पत्र
उत्तरमाला:
(स) सन्दर्भ पत्र
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 8 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
संप्रेषक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सम्प्रेषण की प्रक्रिया में सन्देश देने वाले व्यक्ति को सम्प्रेषक कहा जाता है।
प्रश्न 2.
सम्प्रेषण की दो विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
- सम्प्रेषण द्वि – मार्गीय प्रक्रिया है।
- सम्प्रेषण एक गतिशील प्रक्रिया है।
प्रश्न 3.
क्षेत्र के आधार पर सम्प्रेषण को कितने भागों में बाँटा जाता है? नाम बताइये।
उत्तर:
- आन्तरिक सम्प्रेषण।
- बाह्य सम्प्रेषण।
प्रश्न 4.
अनौपचारिक सम्प्रेषण में सन्देशों का आदान – प्रदान प्रायः कहाँ किया जाता है?
उत्तर:
अनौपचारिक सम्प्रेषण में सन्देशों का आदान – प्रदान प्रायः जलपान, दोपहर के भोजन एवं सामाजिक समारोह के दौरान होता है।
प्रश्न 5.
अनौपचारिक सम्प्रेषण के दो दोष बताइये।
उत्तर:
- इस प्रकार के सम्प्रेषण पर नियन्त्रण कठिन होता है।
- इसमें सन्देशों में क्रमबद्धता नहीं होती है।
प्रश्न 6.
बाह्य सम्प्रेषण से क्या आशय है?
उत्तर:
संस्था व बाह्य पक्षकारों (ग्राहकों, अंशधारियों, विभिन्न संस्थाओं आदि) के बीच सूचनाओं के आदान – प्रदान की प्रक्रिया को बाह्य सम्प्रेषण कहा जाता है।
प्रश्न 7.
अधोगामी सम्प्रेषण किसे कहते हैं?
उत्तर:
अधोगामी सम्प्रेषण में सन्देशों का प्रवाह उच्चाधिकारियों से अधीनस्थों की ओर किया जाता है जिसमें सन्देशों का सम्प्रेषण नीचे की ओर होता है।
प्रश्न 8.
अधोगामी सम्प्रेषण को किन अन्य नामों से जाना जाता है?
उत्तर:
आदेशात्मक अथवा कर्मचारी सम्प्रेषण।
प्रश्न 9.
ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण के दो लाभ बताइये।
उत्तर:
- इससे कर्मचारियों के मनोबेल व कार्य करने की क्षमता में वृद्धि होती है।
- इससे कर्मचारियों के सुझावों का लाभ उठाया जाता है।
प्रश्न 10.
समतल सम्प्रेषण के दो दोष बताइये।
उत्तर:
- उच्चाधिकारियों के अनावश्यक हस्तक्षेप से सम्प्रेषण में अवरोध उत्पन्न होता है।
- संगठन संरचना के निचले स्तर पर इस सम्प्रेषण को अभाव रहता है।
प्रश्न 11.
विकर्णीय सम्प्रेषण को किन – किन अन्य नामों से जाना जाता है?
उत्तर:
ड़िा, तिरछा अथवा बेड़ा सम्प्रेषण।
प्रश्न 12.
विकर्णीय सम्प्रेषण से होने वाले दो लाभ बताइये।
उत्तर:
- इसमें संदेशों का प्रवाह शीघ्र होता है।
- इसमें विभागों की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
प्रश्न 13.
शाब्दिक सम्प्रेषण को कितने भागों में बाँटा जाता है? नाम बताइये।
उत्तर:
- मौखिक सम्प्रेषण।
- लिखित सम्प्रेषण।
प्रश्न 14.
लिखित सम्प्रेषण से क्या आशय है?
उत्तर:
लिखित सम्प्रेषण से आशय ऐसे सम्प्रेषण से है जिसमें प्रेषक द्वारा सन्देश को लिखित रूप में प्रेषित किया जाता है।
प्रश्न 15.
लिखित सम्प्रेषण का प्रमुख लाभ क्या है? लिखिए।
उत्तर:
लिखित सम्प्रेषण प्रमाण के रूप में हमेशा उपलब्ध रहता है।
प्रश्न 16.
गैर – शाब्दिक भाषा में किन – किन भाषाओं का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
शरीर की भाषा, स्पर्श भाषा, कलात्मक भाषा, मौन भाषा एवं समय भाषा आदि।
प्रश्न 17.
संकेतन किस कहते हैं?
उत्तर:
संदेश अभिव्यक्ति के लिए प्रयुक्त भाषा संकेत को संकेतन कहते है।
प्रश्न 18.
संकेतवाचन किसे कहते है?
उत्तर:
सन्देश के निहित भाव को समझने की क्रिया को संकेतवाचन कहते है।
प्रश्न 19.
सम्प्रेषण के मार्ग में आने वाली दो बाधाओं को बताइये।
उत्तर:
- भाषा व अर्थ सम्बन्धी बाधायें।
- संचार के अधिक भार की बाधायें।
प्रश्न 20.
सम्प्रेषण की बाधा दूर करने हेतु दो सुझाव वताइये।
उत्तर:
- सम्प्रेषण का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए।
- सम्प्रेषण में सरल एवं समझने योग्य भाषा का प्रयोग होना चाहिए।
प्रश्न 21.
व्यावसायिक पत्र किसे कहते है?
उत्तर:
व्यावसायिक कार्यों के सम्बन्ध में दो पक्षों के मध्य लिखे जाने वाले पत्रों को व्यावसायिक पत्र कहते है।
प्रश्न 22.
एक अच्छे व्यावसायिक पत्र के दो गुण बताइये।
उत्तर:
- पत्र की स्पष्टता।
- पत्र की पूर्णता।
प्रश्न 23.
उद्धरण पत्र किसे कहते है?
उत्तर:
पूछताछ के पत्रों के उत्तर में लिखे जाने वाले पत्रों को उद्धरण पत्र कहते है।
प्रश्न 24.
जब किसी वस्तु का मूल्य ज्ञात करना हो तो कौन – सा पत्र लिखा जाता है?
उत्तर:
पूछताछ का पत्र।
प्रश्न 25.
गश्ती पत्र किसे कहते है?
उत्तर:
जो पत्र अनेक व्यक्तियों के पास एक ही विषय की सूचना देने के उद्देश्य से भेजे जाते है, उन्हें गश्ती पत्र कहते है।
प्रश्न 26.
एजेन्सी सम्बन्धी पत्र किसे कहते है?
उत्तर:
एजेन्सी लेने अथवा देने के लिए निर्माता एवं प्रतिनिधि के बीच जो पत्र व्यवहार होता है, उसे एजेन्सी सम्बन्धी पत्र कहते हैं।
प्रश्न 27.
पत्र में दिनांक के स्थान का उल्लेख कहाँ किया जाता है?
उत्तर:
पत्र में दिनांक का स्थान कार्यालय के पते के साथ नीचे दाहिनी ओर होता है।
प्रश्न 28.
पत्र में विषय शीर्षक का प्रयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
पत्र व्यवहार को शीघ्र समझने के लिए विषय शीर्षक यो विषय पंक्ति का प्रयोग किया जाता है।
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 8 लघु उत्तरीय प्रश्न (SA – I)
प्रश्न 1.
औपचारिक सम्प्रेषण के चार दोष बताइये।
उत्तर:
- सन्देशों के पूर्व निर्धारित मार्गों से होकर गुजरने के कारण प्रवाह में अवरोध उत्पन्न होता है।
- इसमें विलम्ब होने की सम्भावना रहती है।
- सम्प्रेषण की यह प्रक्रिया खर्चीली है।
- इसमें उच्चाधिकारियों के कार्यभार में वृद्धि हो जाती है।
प्रश्न 2.
अनौपचारिक सम्प्रेषण के चार लाभ बताइये।
उत्तर:
अनौपचारिक सम्प्रेषण के चार लाभ निम्नलिखित हैं –
- अनौपचारिक सम्प्रेषण में सन्देश तीव्र गति से सभी जगह पहुँच जाते हैं।
- अधीनस्थ कर्मचारियों की प्रतिक्रिया को आसानी से समझा जा सकता है।
- इसमें विचारों की स्वतन्त्र अभिव्यक्ति को प्रोत्साहन मिलता है।
- अधीनस्थों की भागीदारी के सहयोग से अच्छे निर्णय लिये जा सकते है।
प्रश्न 3.
अधोगामी सम्प्रेषण से क्या आशय है?
उत्तर:
अधोगामी सम्प्रेषण को आदेशात्मक या कर्मचारी सम्प्रेषण भी कहते है। इसमें सन्देश का प्रवाह उच्चाधिकारियों से अधीनस्थों की ओर किया जाता है अर्थात् सन्देशों का सम्प्रेषण नीचे की ओर होता है। इसमें उच्चाधिकारियों को ही आदेश देने का अधिकार होता है। कर्मचारी शीघ्र उनके आदेशों का पालन करते है।
प्रश्न 4.
प्रभावी सम्प्रेषण के लिए चार तत्वों को लिखिए।
उत्तर:
प्रभावी सम्प्रेषण के लिए चार तत्व निम्नलिखित हैं –
- सन्देश की सभी बातें स्पष्ट होनी चाहिए जिससे समझने में किसी प्रकार का कोई भ्रम न हो।
- प्रेषित की जाने वाली सूचना एवं सन्देश अपूर्ण नहीं होने चाहिए।
- सम्प्रेषण की प्रक्रिया की संख्या अधिक नहीं होना चाहिए।
- सन्देश प्रेषित करने के बाद उस सन्देश पर प्रेषित की प्रतिक्रियाओं को भी जानना चाहिए।
प्रश्न 5.
संगठन संरचना से सम्प्रेषण प्रक्रिया में किस प्रकार कठिनाई उत्पन्न होती है?
उत्तर:
संगठन संरचना सम्प्रेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सम्प्रेषण प्रक्रिया में सन्देश जितने अधिक स्तरों से गुजरेगा, उसमें उतनी ही अधिक बाधायें आती है। अधिक स्तर होने से प्रेषक और प्रेषिति के बीच दूरी बढ़ जाती है जिससे उनके मध्य सम्पर्क नहीं हो पाता है और सम्प्रेषण के मार्ग में कठिनाइयाँ उत्पन्न होती है।
प्रश्न 6.
सम्प्रेषण की बाधाओं को दूर करने के लिए चार सुझाव बताइये।
उत्तर:
सम्प्रेषण की बाधाओं को दूर करने के लिए सुझाव निम्न प्रकार हैं –
- सम्प्रेषण में सरल एवं समझने योग्य भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
- प्रभावी सम्प्रेषण हेतु संगठन स्तर न्यूनतम होना चाहिए।
- प्रेषक एवं प्रेषिति को पहले से ही कोई धारणा नहीं बनानी चाहिये।
- प्रबन्धक को औपचारिक सम्प्रेषण के साथ – साथ अनौपचारिक सम्प्रेषण को भी महत्व देना चाहिए।
प्रश्न 7.
व्यावसायिक पत्र से क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक पत्र का आशय:
व्यापारिक कार्यों के सम्बन्ध में दो पक्षों के मध्य लिखे जाने वाले पत्रों को व्यावसायिक पत्र कहा जाता है। ये व्यवसाय के विकास में सहायक होते है तथा विवाद की दशा में लिखित प्रमाण के रूप में बहुत ही उपयोगी माने जाते हैं। व्यावसायिक पत्रों के माध्यम से एक व्यापारी के अन्य व्यापारी से सम्पर्क आसानी से स्थापित हो जाते हैं। साथ ही नये – नये बाजारों की खोज एवं डूबे हुए ऋणों की वसूली में व्यावसायिक पत्रों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है।
प्रश्न 8.
पूछताछ सम्बन्धी पत्रों से क्या आशय है?
उत्तर:
जब कोई व्यक्ति या व्यापारी कुछ माल क्रय करना चाहता है तो वह दूसरे व्यक्ति या व्यापारी से उस माल की किस्म, माल की मात्रा, विभिन्न व्यापारिक शर्ते, भुगतान की शर्ते एवं नमूने आदि की जानकारी के लिए जो पत्र लिखता है, उसे पूछताछ सम्बन्धी पत्र कहा जाता है। क्रेता को जिन वस्तुओं के बारे में पूछताछ करनी है, उनके पूर्ण नाम तथा अन्य बातें जो वह जानना चाहता है, स्पष्ट रूप से लिखनी चाहिए।
प्रश्न 9.
आदेश पत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब सम्भावित क्रयकर्ता को उसके द्वारा लिखे गए पूछताछ के पत्र का उत्तर प्राप्त हो जाता है तो वह उसका अध्ययन करता है। यदि प्रस्तावित शर्ते व मूल्य उसे अनुकूल लगाते है तो वह माल के क्रय के लिए विक्रेता को एक पत्र लिखता है, उसे आदेश पत्र के नाम से जाना जाता है। आदेश पत्र तैयार करते समय पूर्ण सावधानी रखनी चाहिये।
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 8 लघु उत्तरीय प्रश्न (SA – II)
प्रश्न 1.
सम्प्रेषण से आप क्या समझते है? इसकी प्रकृति को समझाइये।
अथवा
सम्प्रेषण की विशेषताओं पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:
सम्प्रेषण:
सम्प्रेषण एक मानवीय द्वि-मार्गीय प्रक्रिया है। इसमें दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य विचारों, भावनाओं एवं आपसी समझ का विनिमय किया जाता है। कीथ डेविस के अनुसार, “सम्प्रेषण एक प्रक्रिया है जिसमें सन्देश एवं समझ को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाया जाता है।”
सम्प्रेषण की प्रकृति अथवा विशेषताएँ:
सम्प्रेषण की प्रकृति अथवा विशेषताएँ निम्नलिखित है –
- सम्प्रेषण एक नैत्यक एवं सतत् प्रक्रिया है।
- यह द्वि – मार्गीय एवं गतिशील प्रक्रिया है।
- सम्प्रेषण एक मानवीय क्रिया है, जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य विचारों, भावनाओं एवं आपसी समझ का आदान – प्रदान किया जाता है।
- सम्प्रेषण प्रक्रिया में सन्देशों का आदान – प्रदान मौखिक, लिखित, सांकेतिक, दृश्य – श्रव्य साधनों से किया जाता है।
- सम्प्रेषण प्रेषक एवं प्रेषिति के पारस्परिक विश्वास एवं सद्भावना पर आधारित है।
प्रश्न 2.
समतल सम्प्रेषण से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व को समझाइये।
उत्तर:
समतल सम्प्रेषण:
जब संगठन के समान स्तर के कर्मचारियों, अधिकारियों या विभागाध्यक्षों के मध्य सूचना अथवा सन्देशों का आदान – प्रदान होता है, तो उसे समतल सम्प्रेषण कहते है। इसे क्षैतिज या पाश्विक सम्प्रेषण के नाम से भी जाना जाता है। यह औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों प्रकार का हो सकता है। इस प्रकार का सम्प्रेषण संगठन के विभिन्न कार्यों एवं विभागों के मध्य उचित समन्वय स्थापित करता है।
समतल सम्प्रेषण का महत्व:
एक संगठन में समतल सम्प्रेषण का महत्व निम्न है –
- समतल सम्प्रेषण द्वारा संगठन में मानवीय मधुर सम्बन्धों की स्थापना होती है।
- समतल सम्प्रेषण द्वारा कार्य को शीघ्र सम्पन्न करने में सहायता मिलती है।
- इसके द्वारा विभिन्न विभागों एवं कार्यों में समन्वय स्थापित करने में सरलता मिलती है।
- इसमें समान स्तर के अधिकारी एवं अधीनस्थ समस्याओं का शीघ्र निवारण करने में सफल होते है।
- इसमें भ्रम एवं सन्देह का शीघ्र निवारण किया जा सकता है।
प्रश्न 3. विकर्णीय सम्प्रेषण किसे कहते हैं? इसके लाभ एवं दोषों को बताइये।
उत्तर:
विकर्णीय सम्प्रेषण:
विकर्णीय सम्प्रेषण को आड़ा, तिरछा अथवा बेड़ा सम्प्रेषण भी कहते है। इसमें सूचनाओं एवं आदेशों का आदान – प्रदान विभिन्न स्तरों पर कार्यरत् व्यक्तियों के बीच होता है तथा सम्प्रेषण में सन्देश का कोई क्रम निर्धारित नहीं होता है।
विकर्णीय सम्प्रेषण के लाभ:
विकर्णीय सम्प्रेषण के लाभ निम्न हैं –
- विकर्णीय सम्प्रेषण से कर्मचारियों के मनोबल में वृद्धि होती है।
- इसमें संगठन के सभी स्तरों पर समन्वय बना रहता है।
- इसमें सन्देशों के प्रवाह में शीघ्रता होती है।
- यह जटिल संगठनों में भी उपयोगी माना जाता है।
- इससे संगठन के विभागों की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
विकर्णीय सम्प्रेषण के दोष:
विकर्णीय सम्प्रेषण के दोष निम्न है –
- विकर्णीय सम्प्रेषण से उत्तरदायित्व का निर्धारण करने में कठिनाई आती है।
- विकर्णीय सम्प्रेषण से संगठन में औपचारिक सम्बन्धों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
- इससे संगठन में आन्तरिक अव्यवस्था उत्पन्न हो सकती है।
प्रश्न 4.
मौखिक सम्प्रेषण से आप क्या समझते है? इसके व्यावसायिक संगठन में क्या लाभ है?
उत्तर:
मौखिक सम्प्रेषण:
मौखिक सम्प्रेषण प्रक्रिया में प्रेषक एवं प्रेषिति सन्देश के समय आमने – सामने रहते है। इसमें शब्दों का उच्चारण करके सन्देशों का विनिमय किया जाता है। मौखिक सम्प्रेषण में संगोष्ठी, भाषण, विचार-विमर्श, रेडियो, एफ.एम. टेलीफोन एवं सम्मेलन आदि साधनों का प्रयोग किया जाता है।
मौखिक सम्प्रेषण के लाभ:
व्यावसायिक संगठन में मौखिक सम्प्रेषण से निम्न लाभ होते हैं –
- मौखिक सम्प्रेषण द्वारा संगठन में भ्रम व अस्पष्टता का निवारण तत्काल होता है।
- मौखिक सम्प्रेषण द्वारा संगठन में गोपनीयता बनी रहती है।
- इसमें प्रेषक एवं प्रेषिति के मध्य प्रत्यक्ष सम्पर्क स्थापित होता है।
- मौखिक सम्प्रेषण के माध्यम से संगठन में समय, धन एवं श्रम की बचत होती है।
- मौखिक सम्प्रेषण में आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जा सकता है।
- मौखिक सम्प्रेषण से कर्मचारियों का विश्वास बना रहता है जिससे उनके मनोबल में वृद्धि होती है।
प्रश्न 5.
व्यावसायिक पत्रों में अन्दर का पता लिखते समय किन – किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है?
उत्तर:
व्यावसायिक पत्रों में शीर्षक के नीचे बायीं तरफ तीन पंक्तियों में पता लिखा जाता है। प्रथम पंक्ति में पत्र प्राप्तकर्ता का नाम, दूसरी पंक्ति में गली मोहल्ला या बाजार का नाम तथा तीसरी पंक्ति में शहर या प्रदेश का नाम लिखा जाता है। भीतरी पता लिखने के लिए दो प्रकार की विधियों का प्रचलन है –
अमेरिकी रीति से
सर्वश्री घनश्याम एण्ड कम्पनी
15/3, बड़ा बाजार
अजमेर।
अंग्रेजी रीति से
सर्वश्री घनश्याम एण्ड कम्पनी
15/3 बड़ा बाजार
अजमेर।
पत्र प्राप्त करने वाले का पता लिखते समय आदर सूचक शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। साझेदारी फर्म के लिए मैसर्स शब्द का प्रयोग किया जाता है। पुरुषों के नाम के पहले श्री या श्रीयुत, विवाहित महिलाओं के लिए श्रीमती तथा अविवाहित महिलाओं के लिए कुमारी अथवा सुश्री आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। नाम के अन्त में “जी” शब्द का प्रयोग भी किया जाता है।
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 8 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रवाह के आधार पर सम्प्रेषण को कितने भागों में विभाजित किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
अधोगामी सम्प्रेषण एवं ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण से आप क्या समझते है? इनके लाभ एवं दोष बताइये।
उत्तर:
प्रवाह के आधार पर सम्प्रेषण को दो भागों में विभाजित किया जाता है –
- अधोगामी सम्प्रेषण
- ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण
1. अधोगामी सम्प्रेषण:
अधोगामी सम्प्रेषण को आदेशात्मक या कर्मचारी सम्प्रेषण भी कहते है। इसमें सन्देश का प्रवाह उच्चाधिकारियों से अधीनस्थों की ओर किया जाता है। इसमें उच्चाधिकारियों को ही आदेश देने का अधिकार होता है। कर्मचारी शीघ्र उनके आदेशों का पालन करते है। यह मौखिक एवं सांकेतिक किसी भी रूप में हो सकता है। इसमें कार्य के सम्बन्ध में आदेश व निर्देश एवं सूचना देना इत्यादि प्रकार के सन्देश शामिल होते है। किसी उपक्रम में अधोगामी सम्प्रेषण को इस प्रकार समझा जा सकता है।
अधोगामी सम्प्रेषण के लाभ:
अधोगामी सम्प्रेषण के निम्नलिखित लाभ हैं –
- अधोगामी सम्प्रेषण में उच्च अधिकारियों को ही आदेश देने का अधिकार होना है। कर्मचारी शीघ्र उनके आदेशों का पालन करते
- प्रभावशीलता के कारण अच्छे परिणामों की इकाई प्रबन्धक प्राप्ति होती है।
- इसमें अधीनस्थों द्वारा पर्याप्त महत्व दिया जाता है।
- कार्यों के निष्पादन में शीघ्रता रहती है।
अधोगामी सम्प्रेषण के दोष:
अधोगामी सम्प्रेषण के निम्नलिखित दोष हैं –
- अधोगामी सम्प्रेषण में कर्मचारियों के मनोबल वे कार्य करने की क्षमता पर अनुकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।
- सन्देश विभिन्न स्तरों से होता हुआ अधीनस्थ कर्मचारियों तक पहुँचता है जिससे विलम्ब होने की सम्भावना रहती है।
- अधीनस्थ कर्मचारियों की सलाह न ली जाने के कारण प्रबन्धकों एवं कर्मचारियों के अन्दर मधुर सम्बन्ध नहीं होते हैं।
- सन्देश का मार्ग में परिवर्तित होकर विकृत होने का भय रहता है।
2. ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण:
जब सन्देश का प्रेषण अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा उच्च अधिकारियों को किया जाता है, तो उसे ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण कहते है। इसमें सम्प्रेषण का प्रभाव नीचे से ऊपर की ओर होता है। इसमें कार्य प्रतिवेदन कार्य समस्यायें, शिकायतें, सुझाव, भावनायें, विचार एवं आपत्तियाँ इत्यादि प्रकार के सन्देश हो सकते है। ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण को सफल बनाने के लिए मीटिंग करना, पत्र व्यवहार, सहभागिता, खुला द्वार नीति आदि की व्यवस्था की जाती है। किसी उपक्रम में ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण को निम्न प्रकार समझा जा सकता है –
ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण के लाभ:
ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण के निम्नलिखित लाभ –
- ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण द्वारा प्रजातान्त्रिक वातावरण का निर्माण किया जा सकता है।
- इसके द्वारा कर्मचारियों के मनोबल एवं कार्य करने की क्षमता में वृद्धि होती है।
- इसमें कर्मचारियों के विचार, भावनाओं तथा समस्याओं की जानकारी प्राप्त हो जाती है।
- इसमें कर्मचारियों के सुझावों का लाभ उठाया जा सकता है।
- इसके द्वारा उपक्रम की प्रगति एवं विस्तार में सहायता मिलती है।
ऊर्ध्वगरमी सम्प्रेषण के दोष:
ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण के निम्नलिखित दोष हैं –
- ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण में कर्मचारी उच्चाधिकारी के सामने/संचालक मण्डल अपनी बात कहने से डरते है।
- उच्चाधिकारियों में अपने प्रतिकूल बात सुनने की क्षमता नहीं होती है।
- उच्चाधिकारियों द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के सुझावों को महत्व नहीं दिया जाता है।
- अधीनस्थ कर्मचारियों में हीनता पायी जाती है।
प्रश्न 2.
उपक्रम में सम्प्रेषण की बाधाओं को दूर करने के लिए सुझावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उपक्रम में सम्प्रेषण की बाधाओं को दूर करने हेतु सुझाव निम्न है –
1. उद्देश्यों की स्पष्टता – संस्थान में सम्प्रेषण प्रक्रिया के अन्तर्गत भेजी जाने वाली या प्राप्त को जाने वाली सूचनाओं के उद्देश्यों की स्पष्टता होनी चाहिए जिससे किसी भी स्तर पर भ्रम या असमंजस की स्थिति उत्पन्न न हो सके। सन्देशों की स्पष्ट व्याख्या होने पर ही उपक्रम के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
2. सरल भाषा – उपक्रम में संगठन के सभी स्तरों पर तकनीकी, भ्रामक व दो अर्थ वाले शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए जहाँ तक सम्भव हो सरल, प्रचलित तथा स्पष्ट भाषा का ही प्रयोग करना चाहिए जिससे सन्देश का एक ही अर्थ निकले। कभी – कभी अस्पष्ट सन्देश के कारण मतभेद की सम्भावना बन जाती है।
3. सम्प्रेषण योजना – सम्प्रेषण योजना के अन्तर्गत सन्देश में क्या, कब, कहाँ और कैसे आदि बातों का आवश्यक होता है। योजनाबद्ध सम्प्रेषण से प्रत्येक कार्य व्यवस्थित रूप से पूर्ण होता है। योजनाबद्ध सम्प्रेषण होने से अधस्थ कर्मचारी अपने समय का ठीक प्रकार से सदुपयोग करते हैं तथा सभी कार्यों को कुशलतापूर्वक व्यवस्थित रूप से करते हैं।
4. संगठन स्तरों में कमी – प्रभावी सम्प्रेषण के लिए संगठन स्तर न्यूनतम होना चाहिए जिससे सन्देश शीघ्रतापूर्वक एवं सही समय पर पहुँच जाता है। संगठन संरचना में जितने अधिक स्तर होंगे, सम्प्रेषण मार्ग में भी उतनी ही अधिक बाधा उपस्थित होती है।
5. आपसी विश्वास – उपक्रम में कार्य के कुशलतापूर्वक निष्पादन हेतु उच्चाधिकारियों एवं अधीनस्थों के बीच आपसी विश्वास की भावना होनी चाहिए। अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा प्रस्तुत सुझावों को गम्भीरतापूर्वक महत्व देना चाहिए। उच्च अधिकारियों द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को खुलकर अपनी बात रखने की स्वतन्त्रता प्रदान करनी चाहिए जिससे वे अपनी शिकायतों या सुक्षावों को निडरतापूर्वक दे सकें।
6. अच्छा श्रवण – उपक्रम में अच्छे सम्प्रेषण के माध्यम के साथ – साथ प्रेषक एवं प्रेषिति को एक अच्छा श्रोता होना चाहिए। प्रेषक एवं प्रेषिति में आपसी समझ हेतु दोनों को विश्वास एवं धैर्य के साथ बात सुननी चाहिए।
7. पूर्व धारणाओं का परित्याग – उपक्रम में प्रेषक एवं प्रेषिति के मध्य पहले से कोई धारणा नहीं बनानी चाहिए। बिना किसी पूर्वाग्रह के अच्छे वातावरण का निर्माण करके सम्प्रेषण करना चाहिए। यदि पहले से ही सम्प्रेषण के बारे में कोई अवधारणा या मान्यता बना ली लाए तो सम्प्रेषण अपने उद्देश्य प्राप्ति में सफल नहीं होगा।
8. व्यक्तिगत भिन्नताओं पर ध्यान – संगठन संरचना में कार्यरत् अधिकारियों एवं कर्मचारियों की योग्यता व स्थिति को ध्यान में रखकर ही सूचनाओं का प्रेषण करना चाहिए। यदि सम्प्रेषण के दौरान प्रेषक, प्रेषित की वैयक्तिक भिन्नताओं को ध्यान में रखकर सन्देश प्रेषित करता है तो सम्प्रेषण के मार्ग में आने वाली बाधाओं को कम किया जा सकता है।
9. प्रभावी नेतृत्व – नेतृत्व गुण के माध्यम से एक प्रबन्धक अपने अधीनस्थों में विश्वास पैदा कर सकता है। उनमें उत्साह भर सकता है तथा सम्प्रेषण को प्रभावशाली बना सकता है। संस्था द्वारा बनाई गई नीतियों एवं नियमों का सभी अधिकारियों द्वारा पालन करने से अच्छा प्रभाव पड़ता है।
10. अनुगमन एवं प्रतिपुष्टि – सन्देश को प्रेषित करने के बाद उस पर प्रेषित की प्रतिक्रिया को भी जानना एवं समझना चाहिए एवं उसके अन्दर उत्पन्न भ्रम, शंकाओं एवं समस्याओं को शीघ्र दूर करना चाहिए। उपक्रम में प्रभावी सम्प्रेषण के लिए अनुगमन एवं प्रतिपुष्टि की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 3.
व्यावसायिक पत्रों के विभिन्न भागों अथवा अंगों का वर्णन कीजिए।
अथवा
व्यावसायिक पत्र के स्वरूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक पत्र के निम्नलिखित भाग या अंग होते हैं –
1. शीर्षक – व्यावसायिक पत्र का शीर्षक सुन्दर व आकर्षक होना चाहिए। इसमें पत्र के शीर्ष पर पत्र भेजने वाली संस्था का नाम, पता, टेलीफोन नम्बर, फैक्स नम्बर, ई-मेल, वेबसाइट आदि का उल्लेख होता है।
2. पत्र संख्या – प्राप्त पत्रों या भेजे गये पत्रों का भविष्य में सन्दर्भ देने के लिए पत्र संख्या को प्रयोग किया जाता है। पत्र क्रमांक के माध्यम से फाइल किये गये पत्रों की शीघ्र जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
3. दिनांक – पत्र पर दिनांक डालना बहुत जरूरी होता है। इसका स्थान कार्यालय के पते के साथ नीचे दाहिनी ओर होता है। व्यापार के पते के साथ दिनांक को भी जोड़ दिया जाता है जिसका प्रारूप निम्नानुसार है –
बड़ा बाजार
भरतपुर
05 दिसम्बर, 2016
4. अन्दर का पता – व्यावसायिक पत्रों में शीर्ष के नीचे बायीं तरफ तीन पंक्तियों में पता लिखा जाता है। प्रथम पंक्ति में पत्र प्राप्तकर्ता का नाम, दूसरी पंक्ति में गली, मौहल्ला या बाजार का नाम तथा तीसरी पंक्ति में शहर या प्रदेश का नाम लिखा जाता है। भीतरी पता लिखने के लिए दो प्रकार की विधियों का प्रचलन है
अमेरिकी रीति से
सर्वश्री घनश्याम एण्ड कम्पनी
15/3, बड़ा बाजार
अजमेर।
अंग्रेजी नीति से
सर्वश्री घनश्याम एण्ड कम्पनी
15/3, बड़ा बाजार
अजमेर।
5. विषय – व्यापार में समय की बहुत कीमत होती है इसलिए पत्र व्यवहार को शीघ्र समझने के लिए विषय शीर्षक या विषय पंक्ति का प्रयोग किया जाता है। पत्र के शीर्षक को पढ़ने के बाद पत्र का भाव समझ में आ जाता है कि पत्र किस से सम्बन्धित है। जैसे विषय-माल टूटने से हुई हानि की क्षतिपूर्ति के सम्बन्ध में।
6. सम्बोधन – पत्रों को प्रारम्भ करने से पूर्व कुछ शिष्टाचार शब्द प्रयोग में लाये जाते है। व्यापारिक पत्रों में संबोधन हेतु श्रीमान्, प्रिय महोदय, माननीय महोदय, प्रिय महोदया, माननीय महोदया आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। प्रणाम या नमस्कार के साथ अभिवादन भी किया जा सकता है।
7. पत्र का मुख्य भाग – पत्र को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है –
(a) प्रारम्भिक भाग – विषय संक्षेप, पत्र संख्या एवं दिनांक
मुख्य भाग – वास्तविक सन्देश
(c) सारांश प्रेषित धन्यवाद, शुभकानाओं सहित आदि।
8. औपचारिक अन्त – पत्र के अन्त में कुछ आदर सूचक शब्दों को लिखकर समाप्त किया जाता है। जैसे – व्यावसायिक पत्रों में भवदीय, प्रार्थी, विनीत एवं आपका विश्वासपात्र इत्यादि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
9. हस्ताक्षर व पद नाम – पत्र के प्रशंसात्मक अन्त के नीचे ही हस्ताक्षर का स्थान होता है, जहाँ हस्ताक्षर करने के पश्चात् उसके नीचे अपना पद, विभाग व कम्पनी का नाम आदि लिखना चाहिए।
10. संलग्न – पत्र के साथ कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज (बीजक, चैक, बैंक ड्राफ्ट आदि) भेजे जाते है। इनकी संख्या का उल्लेख करते हुए पत्र के बांयीं ओर सबसे नीचे लिख दिया जाता है।
11. लिपिक के हस्ताक्षर – संलग्न के नीचे पत्र को लिखने या टाइप करने वाले लिपिक के भी लघु हस्ताक्षर कराये जाते है जिससे यदि पत्र लेखन में कोई गलती हुई हो, तो उसे जिम्मेदार ठहराया जा सके।
12. पुनश्च – कभी – कभी पत्र लिखने के बाद कोई जरूरी बात लिखने से रह जाती है तो ऐसी स्थिति में उस पत्र को दोबारा नये सिरे से न लिखकर पत्र के अन्त में पुनश्च लिखकर छूटी हुयी बात को लिख दिया जाता है और लेखक अपने हस्ताक्षर कर देता है।
13. अन्य निर्देश – पत्र के सम्बन्ध में अन्य आवश्यक निर्देश जैसे ‘गोपनीय’, ‘अति – आवश्यक या स्पीड पोस्ट आदि का उल्लेख भी किया जाता है।
प्रश्न 4.
रामलाल श्यामलाले, पुस्तक विक्रेता रेलवे रोड, जयपुर ने सर्वश्री गुप्ता प्रकाशन बड़ा बाजार, उदयपुर से कुछ पुस्तकों के सम्बन्ध में पूछताछ की थी। आप पुस्तकों की मूल्य सूची व व्यापारिक शर्तों को स्पष्ट करते हुए पत्रोत्तर लिखिए।
उत्तर:
गुप्ता प्रकाशन
प्रकाशक एवं थोक विक्रेता
दूरभाष : 4050228
फैक्स : 4051260
ई – मेल : gupta888@gmail.com
पत्र क्रमांक : पू./170/2016
बड़ा बाजार
उदयपुर
15 दिसम्बर, 2016
सर्वश्री रामलाल श्यामलाल
पुस्तक विक्रेता
बड़ा बाजार, जयपुर।
प्रिय महोदय,
हमें आपका पत्र क्रमांक 205/2016 दिनांक 10 दिसम्बर, 2016 को प्राप्त हुआ जिसके लिए आपको बहुत-बहुत धंन्यवाद । आपने हमारे यहाँ से प्रकाशित पुस्तकों को खरीदने में उत्साह दिखाया है उसके लिए हम कृतज्ञता प्रकट करते हैं। हम आपको अपने यहाँ से प्रकाशित स्कूल एवं महाविद्यालय स्तर की वाणिज्य एवं विज्ञान की पुस्तकों की नवीन संस्करण की सूची उनके मूल्य सहित प्रेषित कर रहे हैं। पुस्तकों पर छपे हुये मूल्यों पर हम अपने ग्राहकों को 20 प्रतिशत व्यापारिक छूट तथा 1 माह में सम्पूर्ण भुगतान करने पर 15 प्रतिशत नकद छूट प्रदान करते है।
हम आशा करते हैं कि हमारी शर्ते अनुकूल होंगी और आप अपना बहुमूल्य आदेश भेजकर सेवा का अवसर प्रदान करेंगे।
संलग्नः मूल्य सूची पत्र
भवदीय।
गुप्ता प्रकाशन
हरिमोहन
साझेदार
प्रश्न 5.
गश्ती पत्र या परिपत्र क्या है? गश्ती पत्र का एक नमूना दीजिये।
उत्तर:
गश्ती पत्र या परिपत्र – जो पत्र अनेक व्यक्तियों के पास एक ही विषय की सूचना देने के उद्देश्य से भेजे जाते हैं, उन्हें गश्ती पत्र या परिपत्र कहा जाता है। इसमें सूचनाएँ समान प्रकार की होती है किन्तु प्राप्तकर्ता व्यक्ति भिन्न – भिन्न होते है।
(गश्ती पत्र का नमूना)
साझेदार का अलग होना और नये साझेदार को प्रवेश
निश्चल कुमार एण्ड कम्पनी
स्टील फर्नीचर विक्रेता
दूरभाष : 2500429
फैक्स : 2500430
ई – मेल : nishchalkumarūgmail.com
पत्र क्रमांक : उ/503/2016
बड़ा बाजार
बीकानेर
30 दिसम्बर, 2016
सर्वश्री
प्रिय महोदय/महोदया,
आपको यह जानकर दु:ख होगा कि हमारी फर्म के साझेदार श्री मनोज कुमार ने वृद्धावस्था व बीमारी के कारण 20 जनवरी, 2017 से इस फर्म से अलग होने का निश्चय किया है। इन्होंने लगभग 25 वर्षों तक फर्म में परिश्रम एवं लगन के साथ कार्य किया है जिससे इस फर्म की ख्याति में निरन्तर वृद्धि हुई है। अत: उनके अलग होने का हमें बहुत खेद है।
आपको यह जानकर हर्ष होगा कि श्री मनोज कुमार के अलग होने के उपरान्त श्री दीपक कुमार ने हमारी फर्म का साझेदार बनने का निश्चय किया है। इस व्यापार में इनकी बहुत ख्याति है। अत: इनकी सेवाओं का लाभ मिलने से हमारा व्यापार पूर्व की भाँति कुशलतापूर्वक चलता रहेगा। आशा है कि आप सदैव की भाँति हमें अपना सहयोग देते रहेंगे।
भवदीय
निश्चल कुमार एण्ड कम्पनी
प्रबन्धक
प्रश्न 6.
एक ग्राहक को वर्ष में तीन बार भुगतान भेजने के लिए आप पत्र लिख चुके है। उसने किसी एक का भी उत्तर नहीं दिया है। भुगतान हेतु अन्तिम पत्र लिखिए।
उत्तर:
अमन कुमार धीरज कुमार
पुस्तक प्रकाशक एवं थोक विक्रेता
दूरभाष : 2700904
फैक्स : 2700906
ई – मेल : amandheeraj@gmail.com
पत्र क्रमांक : त/109/2016
निकट रेलवे स्टेशन
कोटा
30 दिसम्बर, 2016,
सर्वश्री मोहन एण्ड सन्स
डोरी बाजार
उदयपुर।
प्रिय महोदय,
हमें लिखते हुए दु:ख हो रहा है कि आपके नाम Rs.65,150 का हिसाब जनवरी, 2016 से बाकी चला आ रहा है। इस सम्बन्ध में आपने हमारे क्रमशः 15 मार्च, 20 जून, 28 अक्टूबर, 2016 को लिखे गये पत्र का न तो कोई जबाव दिया और न ही किसी प्रकार का कोई भुगतान किया। आप हमारे पुराने और प्रतिष्ठित ग्राहकों में से है तथा आप से इस प्रकार की आशा हमने कभी नहीं की थी।
हम एक बार आपको पुनः सूचित कर रहे है कि पुराने सम्बन्धों को ध्यान में रखते हुए अतिशीघ्र हमारा पूरा रुपया भिजवा दें। यदि अभी भी आपने रुपये नहीं भिजवाये तो हमें बाध्य होकर न्यायालय की शरण में जाना पड़ेगा जिसका उत्तरदायित्व आप पर होगा।
हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप हमें न्यायालय में जाने का अवसर नहीं देंगे और भुगतान भेजकर पूर्ववत् सम्बन्ध बनाये रखेंगे।
इसी आशा कि विश्वास के साथ भुगतान प्रतीक्षा में
भवदीय
अमन कुमार
साझेदार
प्रश्न 7.
मै. अग्रवाल प्रकाशन, प्रकाशक एवं पुस्तक विक्रेता, रेलवे रोड, भरतपुर ने आपको दीपक बुक डिपो, बड़ा बाजार, गंगापुर का नाम सन्दर्भ हेतु दिया है। आप उनको सन्दर्भ माँगते हुए एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
मै. अग्रवाल
प्रकाशन प्रकाशक एवं पुस्तक विक्रेता
दूरभाष : 7025955
फैक्स : 7025970
वेबसाइट : www.agrawalprakashan.com
पत्र क्रमांक : स./1050/2016
रेलवे रोड
भरतपुर
30 नवम्बर, 2016
मैसर्स दीपक बुक डिपो
बड़ा बाजार
गंगापुर।
प्रिय महोदय,
गंगापुर के मैसर्स आलोक एण्ड सन्स ने हमसे के Rs.1 लाख का उधार माल मांगा है उन्होंने लिखा है कि आपका और उनको गत बीस वर्षों से व्यापारिक सम्पर्क रहा है।
यदि आप उनकी आर्थिक स्थति, लेन – देन, व्यापारिक व्यवहार एवं प्रतिष्ठा के बारे पूर्ण विवरण भेज सके तो हमें प्रसन्नता होगी। हम आपको पूर्ण विश्वास दिलाते हैं कि इस सम्बन्ध में आप द्वारा दी गई जानकारी हम तक सीमित एवं गुप्त रहेगी।
आपके उत्तर की प्रतिक्षा में
भवदीय मैसर्स अग्रवाल प्रकाशन
आदित्य अग्रवाल
साझेदार
प्रश्न 8.
मनोहर लाल एण्ड कम्पनी, प्रकाशक एवं थोक विक्रेता, जयपुर रोड, अजमेर ने न्यू इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी, लिंक रोड, अजमेर द्वारा अपने पुस्तकों के गोदाम का 3 लाख की अग्नि बीमा कराया था। गोदाम में आग लग जाने से हुई हानि की क्षतिपूर्ति हेतु बीमा कम्पनी को एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
मनोहर लाल एण्ड कम्पनी
जयपुर रोड
अजमेर।
प्रकाशक एवं थोक विक्रेता
दूरभाष : 8025627
फैक्स : 8025928
ई – मेल : manoharlal&company@gmail.com
पत्र क्रमांक : इ./अ./501/2017
शाखा प्रबन्धक
न्यू इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी
लिंक रोड
अजमेर।
01 जनवरी, 2017
प्रिय महोदय,
हमने आपकी कम्पनी से अपने पुस्तकों के गोदाम का दिनांक 25 अगस्त, 2016 को 3 लाख की अग्नि बीमा कराया था जिसके सम्बन्ध में आपके द्वारा बीमा पॉलिसी संख्या 0125067 जारी की गई थी। हमें यह सूचित करते हुए अत्यन्त दु:ख हो रहा है कि दिनांक 31 दिसम्बर, 2016 को दिन में पुस्तकों के गोदाम में अचानक आग लग गई जिससे पूरा गोदाम आग की चपेट में आ गया
और पूरा माल जलकर भस्म हो गया। आग पर काबू पाने के लिए स्थानीय लोगों, कर्मचारियों तथा फायर ब्रिग्रेड का पूरा सहयोग होते हुए भी हम असफल रहे। इस आग की घटना से हमें लगभग Rs. 2.75 लाख की हानि हुई है। अतः आपसे निवेदन है कि आप शीघ्र ही गोदाम की जाँच कराकर उचित कार्यवाही करके क्षतिपूर्ति करवाने की व्यवस्था करें।
भवदीय
मनोहर लाल एण्ड कम्पनी
राजपाल सिंह
प्रबन्धक