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RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 21 वस्त्रों की बुनाई

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 21 वस्त्रों की बुनाई

Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Chapter 21 वस्त्रों की बुनाई

RBSE Class 11 Home Science Chapter 21 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों के सही उत्तर चुनें –
(i) वस्त्र का निर्माण किया जाता है –
(अ) रेशे द्वारा
(ब) सूत द्वारा
(स) रेशे एवं सूत दोनों से
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) रेशे एवं सूत दोनों से।

(ii) करघे के भाग हैं –
(अ) कार्डिंग
(ब) कताई
(स) वार्य बीम एवं क्लॉथ बीम
(द) बुनाई
उत्तर:
(स) वार्प बीम, एवं क्लॉथ बीम।

(iii) वस्त्र की गुणवत्ता निर्भर करती है –
(अ) ताने एवं बाने के धागे की संख्या पर
(ब) निटिंग क्रिया पर
(स) क्लाथ एवं वार्प बीम की मजबूती पर
(द) किनारी पर
उत्तर:
(अ) ताने एवं बाने के धागे की संख्या पर।

(iv) सबसे मजबूत कपड़े की बुनाई हेतु उपयोगी बुनाई है –
(अ) सादी बुनाई
(ब) ट्वील बुनाई
(स) साटिन बुनाई
(द) फैन्सी बुनाई
उत्तर:
(ब) ट्वील बुनाई

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. ऊनी रेशों के उपयोग से बने वस्त्र ……… कहलाते हैं।
2. शेडिंग, पीकिंग, बैटनिंग आदि प्रक्रिया ……… द्वारा वस्त्र की बुनाई में उपयोग लाई जाती है।
3. …………प्रक्रिया से बने वस्त्र पहनने के उपरान्त शरीर रचना के अनुरूप फिट हो जाते हैं।
4. बुनाई के दौरान नई भरी गई पंक्तियों को ठोकने का ……… कार्य करता है।
उत्तर:
1. नमदा
2. करघे
3. निटिंग
4. रीड।

प्रश्न 3.
वस्त्र का निर्माण कितने प्रकार से किया जाता है?
उत्तर:
वस्त्र निर्माण तीन प्रकार से किया जाता है –
1. बिना रेशों द्वारा वस्त्र का निर्माण – इस विधि से निर्मित वस्त्र कम टिकाऊ तथा कम उपयोगी होते हैं, इसके अन्तर्गत कागज, प्लास्टिक फिल्म, प्लास्टिक शीट, पॉलियूरिथेन फोम, टापा वस्त्र आदि का निर्माण होता है।

2. रेशों के उपयोग द्वारा वस्त्र का निर्माण – इस विधि से नमदा सूई द्वारा पंच करके जालीनुमा वस्त्र, ब्रॉण्डेड बिना वस्त्र, यांत्रिक ब्रॉण्डेड वस्त्र, लेमिनेटेड वस्त्र बनाए जाते हैं।

3. सूत या धागे द्वारा वस्त्र का निर्माण गूंथना (दो – तीन धागों को आपस में गूंथना) – इस विधि का प्रयोग करके लैस, पैराशूट, कॉर्ड आदि, निटिंग विधि द्वारा बना वस्त्र, जाली या लैस द्वारा बना वस्त्र, बुनाई द्वारा वस्त्र बनाना आदि आते हैं।

प्रश्न 4.
नमदा कैसे तैयार होता है?
उत्तर:
नमदा तैयार करना (नमदा बनाना):
नमदा रेशों के द्वारा वस्त्र निर्माण की विधि है। नमदा बनाने के लिए अधिकांशत: ऊनी रेशों का उपयोग किया जाता है, क्योंकि इनमें ताप एवं दाब के प्रभाव से जम जाने का गुण होता है। अतः नमदा वह विधि है जिसमें छोटे – छोटे ढीले, नमीयुक्त तन्तुओं को उलझाकर आपस में जोड़ते हैं, फिर ताप एवं दाब के प्रभाव से ज़माकर वस्त्र का रूप दिया जाता है। आजकल नमदा बनाने के लिए स्वचालित मशीनों का भी उपयोग किया जाता है। नमदा की लम्बाई एवं चौड़ाई इच्छानुसार होती है, परन्तु मोटाई अधिक-से-अधिक 3” एवं कम से कम 0.01” रखी जाती है, इससे कम्बल, पटू, शॉल, कोट, दुशाला, टोपी आदि बनाए जाते हैं।

प्रश्न 5.
क्लॉथ बीम क्या है?
उत्तर:
क्लॉथ बीम करघे का एक भाग होता है जो करघे के अगले भाग में स्थित होता है। पहले तो वार्प बीम से आते हुए ताने के धागे का अन्तिम छोर इस पर लपेटा जाता है जिससे ताने के धागे दोनों बीम पर अच्छे से कस जाएँ। जैसे ही कपड़ा बुनना शुरू होता है, वैसे ही इस बीम पर तैयार कपड़ा लिपटता जाता है। इसीलिए इसे क्लॉथ बीम कहते हैं।

प्रश्न 6.
फैन्सी बुनाई के कोई पाँच प्रकारों के नाम लिखो।
उत्तर;
फैन्सी बुनाई के प्रकार:
पाइल या रोंयेदार, डॉबी बुनाई, द्विवस्त्र बुनाई, क्रेप बुनाई, कार्डराय बुनाई, मखमली बुनाई, लीनो बुनाई, पैकार्ड बुनाई, स्वीवेल बुनाई।

प्रश्न 7.
ट्वील बुनाई के बारे में लिखो।
उत्तर:
ट्वील बुनाई:
यह सादी बुनाई के बाद दूसरी आधारभूत बुनाई है। ट्वील बुनाई से बने वस्त्र में तिरछी धारियाँ दिखाई देती हैं। इस बुनाई में बाने का एक धागा ताने के निश्चित संख्या (दो या अधिक) में धागे को लाँघकर वस्त्र की बुनाई की जाती है। अगली क्रिया में यह स्थिति ताने के एक सूत को छोड़कर होती है, जिससे तिरछी सीढ़ी की रचना बन जाती है। ट्वील बुनाई में लहर के समान धारियाँ बायीं से दायीं ओर अथवा दायीं से बायीं ओर जाती हुई दिखाई देती है। इस प्रकार की बुनाई जीन्स, वर्सटेड आदि में होती है। इस बुनाई से बने वस्त्र सर्वाधिक मजबूत एवं टिकाऊ होते हैं, तथा अधिक घर्षण एवं रगड़ सहन कर सकते हैं।

प्रश्न 8.
करघा क्या है? उसके विभिन्न भागों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
करघा वस्त्र बुनने का एक सरल उपकरण है। हाथ से चलाए जाने वाले करघे को हस्त करघा तथा विद्युत से चलाए जाने वाले करघे.को विद्युत चालित करघा कहते हैं। दोनों प्रकार के करघे के समान भाग होते हैं। ये निम्न प्रकार हैं –

1. वार्प बीम:
यह हथकरघे के पिछले छोर पर बेलनाकार सिलिण्डर के रूप में स्थित होता है। इस पर ताने के धागों को समानान्तर लपेटा जाता है। ताने के धागे का अन्तिम छोर क्लॉथ बीम से बँधा होता है। वार्प बीम लगातार घूमता रहता है, बाने के धागे भर जाने पर हल्की गति से घूम कर लपेटे हुए धागे को ढीला छोड़ता है जिससे बाने की ओर धागे भरे जा सकें तथा वस्त्रों की बुनाई लगातार हो सके।
RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 21 वस्त्रों की बुनाई-1

2. क्लाथ बीम:
यह करघे के अगले भाग में स्थित होता है। पहले तो वार्प बीम से आते हए ताने का अन्तिम छोर इस पर लपेटा जाता है, जिससे ताने के धागे दोनों बीम पर अच्छे से कस जाएँ। जैसे ही कपड़ा बुनना शुरू होता है, वैसे ही इस बीम पर तैयार कपड़ा लिपटता जाता है। इसीलिए इसे क्लॉथ बीम कहा जाता है।

3. हारनेस:
यह ताने के धागे को नियंत्रित करके वस्त्र की बुनाई में सहायक होता है। यह करघे में लगा हुआ असंख्य तारयुक्त, जिन्हें हीडल (Heddle) कहते हैं, फ्रेम होता है। हीडल में एक छोटा छिद्र होता है, इसी छिद्र से ताने का धागा वार्प बीम की तरफ आता है, एक हीडल छिद्र से एक ही धागा गुजरता है। हारनेस ताने के धागे को ऊपर नीचे करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
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4. शटल:
इस पर बाने के धागे को लपेटा जाता है। शटल दायें से बायें एवं बायें से दायीं ओर घूमती रहती है। इस पर घूमने से वस्त्र पंक्तिवार बुनता जाता है एवं तैयार होकर क्लाथ बीम पर लिपट जाता है। शटल द्वारा एक पंक्ति बुनने की क्रिया को एक पिक (Pick) कहते हैं।
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5. रीड:
करघे में पतले तार से बना कंघी के आकार का भाग है, जब शटल द्वारा पंक्ति बुनकर तैयार हो जाती है, तब ये रीड बुने भाग को ठोककर ठीक से बैठा देता है। जिससे वस्त्र की रचना हो जाती है।

प्रश्न 9.
बुनाई की प्रक्रिया समझाते हुए बुनाई के प्रकार लिखो।
उत्तर:
बुनाई की प्रक्रिया:
वस्त्र निर्माण क्रिया में करघे पर धागों को तानकर वस्त्र बुनते समय विभिन्न क्रियाएँ एक के बाद एक निरन्तर दोहराते हुए की जाती हैं। ये क्रियाएँ निम्न प्रकार हैं –
1. शेडिंग-हारनेस द्वारा ताने के धागे को ऊपर उठाना जिससे शटल को गुजरने के लिए शेड बन जाए।

2. पीकिंग-बने हुए शेड से शटल दाएँ से बाएँ ओर जाती है, जिससे ताने के धागे में बाने का धागा फँसता है, एक – पंक्ति बुनती है, पुन: दूसरी पंक्ति में शटल बाएँ से दाएँ ओर जाता है, दूसरी पंक्ति बुनती है। वस्त्र को पंक्ति दर पंक्ति बुनना पीकिंग कहलाता है।

3. बेटनिंग (ठोकना) – पीकिंग क्रिया के बाद रीड ताने व बाने के धागे को सटाकर ठीक से ठोक देता है, जिससे सघन रचना वाला वस्त्र तैयार होता है, यह बेटनिंग (ठोकना) कहलाता है।

4. लपेटना व छोड़ना – यह वस्त्र निर्माण की अन्तिम प्रक्रिया है। पीकिंग एवं बेटनिंग के पश्चात वार्प बीम हल्का सा घूमकर ताने के धागे को ढीला छोड़ देती है, क्लॉथ बीम उसी समय हल्का सा घूमकर बुना वस्त्र लपेट लेता है। इस प्रकार उपरोक्त चारों प्रक्रियाओं की क्रमबद्ध पुनरावृत्ति से वस्त्र का निर्माण होता है।

बुनाई के प्रकार:
बुनाई दो प्रकार की होती है –
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प्रशन 10.
सादी व साटिन बुनाई को चित्र सहित समझाइए।
उत्तर:
सादी बुनाई:
यह सरल एवं साधारण बुनाई है। इसमें बुनाई के लिए दो हारनेस का उपयोग होता है। एक सम धागों को, दूसरा विषम धागों को नियंत्रित करता है। इसमें ताने के सूत क्रमशः बाने के सूत से ऊपर-नीचे से गुजरते हैं। बुनाई में जो धागा पहले ऊपर था, दूसरी बार में नीचे हो जाता है और जो धागा पहले नीचे जाता था, अब वह ऊपर हो जाता है।

इसी क्रम में सम्पूर्ण वस्त्र बनकर तैयार किया जाता है, सादी बुनाई से बने वस्त्र दोनों तरफ से एक-समान दिखते हैं। सादी बनाई में भेद लाने के लिए धागे की विभिन्न मोटाइयों या ताने और बाने में विभिन्न प्रकार के रेशों का प्रयोग भी किया जाता है। इस बुनाई से बने वस्त्र मजबूत एवं टिकाऊ होते हैं। सादी बुनाई से वायल, लॉन, मलमल, केनवास, आदि वस्त्र बनाए जाते हैं।
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साटिन बुनाई:
इस बुनाई से चिकने चमकदार वस्त्र बुने जाते हैं। इस विधि से बुने वस्त्रों में वस्त्र की सतह पर मुख्य रूप से ताने के धागे दिखाई देते हैं। बाने के धागे छिप जाते हैं। इससे सतह चिकनी दिखाई देती है। बुनाई विधि में बाने के धागे ताने के चार से अधिक धागों को फाँद कर निकाले जाते हैं, जिससे बाने के धागे छिप जाते हैं और ताने के धागे ही दिखाई देते हैं। इस प्रकार की बुनाई से रेशम, रेयॉन तथा रासायनिक पदार्थों से निर्मित धागों से वस्त्र बनाए जाते हैं। ये वस्त्र सुन्दर एवं आकर्षक होते हैं एवं विशेष अवसरों एवं समारोहों पर पहने जाते हैं। बुनाई झीनी होने से ये वस्त्र अधिक मजबूत नहीं होते हैं।
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प्रश्न 11.
वस्त्र की किनारी, वस्त्र गुणांक एवं वस्त्र संतुलन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वस्त्र की किनारी:
वस्त्र के दोनों सिरों को मजबूती से बाँधने एवं वस्त्र से धागे निकलने व छिटकने से रोकने के लिए ताने के धागों को तानते समय वार्प बीम पर दोनों ओर 2 सेमी. तक मजबूत एवं मोटे धागों को लगाया जाता है। ताने के धागे की मोटाई एवं मजबूती के कारण ही वस्त्र के दोनों सिरों पर सघन रचना बन जाती है। इसी को वस्त्र की सेल्वेज (Selvage) कहते हैं। रचना विधि के आधार पर वस्त्र की किनारी निम्न प्रकार होती है –
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वस्त्र का गुणांक:
वस्त्र की गुणात्मकता (Quality), टिकाऊपन एवं कार्यक्षमता, वस्त्र की सघन एवं घनी बुनाई पर निर्भर करती है। यह सघन बुनाई ताने एवं बाने की संख्या पर निर्भर करती है, ताने एवं बाने की संख्या जितनी अधिक होगी, वस्त्र उतना ही टिकाऊ, मजबूत, चिकना, घना एवं अच्छा तैयार होगा। एक वर्ग इंच के कपड़े में विद्यमान ताने एवं बाने की संख्या को वस्त्र का गुणांक कहा जाता है।
ताना के धागों की संख्या + बाना के धागों की संख्या = वस्त्र गुणांक

कपड़े का संतुलन:
वस्त्र निर्माण में ताने व बाने के सूत का अनुपात वस्त्र संतुलन कहलाता है। ताने व बाने के धागे अगर बराबर संख्या में हैं तो अच्छा संतुलन होता है। संख्या में कमी-बेशी होने पर वस्त्र का संतुलन बिगड़ जाता है तथा वस्त्र निर्माण घटिया किस्म का होता है।

RBSE Class 11 Home Science Chapter 21 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Home Science Chapter 21 बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प का चयन कीजिए –

प्रश्न 1.
निटिंग की विधि में प्रयुक्त धागों की संख्या होती है –
(अ) एक
(ब) दो
(स) तीन
(द) चार
उत्तर:
(अ) एक

प्रश्न 2.
बुनाई की प्रक्रिया में ताने के धागों की भराई करता है –
(अ) वार्प बीम
(ब) क्लॉथ बीम
(स) रीड
(द) शटल
उत्तर:
(द) शटल

प्रश्न 3.
विशिष्ट समारोहों के लिए आकर्षक परिधान बनाए जाते हैं –
(अ) सादी बुनाई से
(ब) साटिन बुनाई से
(स) फैल्टेड वस्त्र
(द) ब्रेडेड वस्त्र
उत्तर:
(ब) साटिन बुनाई से

प्रश्न 4.
बुनाई के दौरान नई भरी पंक्तियों को ठोकने का कार्य करता है –
(अ) हारनेश
(ब) क्रोशिया
(स) रीड
(द) हीडल
उत्तर:
(स) रीड

प्रश्न 5.
शटल के गुजरने के लिए सुगम रास्ता बनाता है –
(अ) हारनेश
(ब) क्लॉथ बीम
(स) वार्प बीम
(द) रीड
उत्तर:
(अ) हारनेश

रिक्त स्थान भरिए:
निम्नलिखित वाक्यों में खाली स्थान भरिए –
1. बुनाई की प्रक्रिया में ताने व बाने के धागे एक-दूसरे के ………… फँसाए जाते हैं।
2. साटिन बुनाई में वस्त्र की सतह पर ताने के लम्बे-लम्बे ………… दिखाई देते हैं।
3. एक वर्ग इंच के कपड़े में विद्यमान ताने एवं बाने की संख्या को वस्त्र का ……… कहते हैं।
4. करघे में लगा हुआ, असंख्य तार युक्त फ्रेम ……… कहलाता है।
5. ……… विधि में छोटे-छोटे तन्तुओं को ताप एवं दाब के प्रभाव से जोड़कर वस्त्र बनाया जाता है।
उत्तर:
1. लम्बवत
2. फ्लोट्स
3. गुणांक
4. हीडल
5. नमदा।

सुमेलन
स्तम्भ A तथा स्तम्भ B के शब्दों का मिलान कीजिए –
स्तम्भ A                                   स्तम्भ B
1. नमदा                              (a) सजावटी वस्त्र
2. निटिंग                             (b) शॉल, कोट, कम्बल
3. ब्रेडिंग                              (c) रेयॉन, रेशम से बने वस्त्र
4. बुनाई                              (d) मोजे, स्वेटर, शॉल
5. साटिन                             (e) सामान्य वस्त्र
उत्तर:
1. (b) शॉल, कोट, कम्बल
2. (d) मोजे, स्वेटर, शॉल
3. (a) सजावटी वस्त्र
4. (e) सामान्य वस्त्र
5. (c) रेयॉन, रेशम से बने वस्त्र

RBSE Class 11 Home Science Chapter 21 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सामान्यतया वस्त्रों का निर्माण किस विधि द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
बुनाई (Weaving) द्वारा।

प्रश्न 2.
फैल्टिंग विधि से कैसे वस्त्र बनाए जाते हैं?
उत्तर:
छोटे – छोटे रेशों से ऊनी वस्त्र; जैसे-कम्बल।

प्रश्न 3.
नमदा से बने दो वस्त्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कम्बल, दुशाला।

प्रश्न 4.
एक धागे से वस्त्र निर्माण की विधि का नाम बताइए।
उत्तर:
निटिंग (Knitting)।

प्रश्न 5.
नमदा बनाने के लिए अधिकतर ऊनी रेशों का प्रयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
क्योंकि ऊनी रेशों में ताप एवं दाब के प्रभाव से जम जाने का गुण होता है।

प्रश्न 6.
बेटनिंग प्रक्रिया के लिए करघे का कौन-सा भाग प्रयुक्त होता है?
उत्तर:
बेटनिंग प्रक्रिया रीड द्वारा सम्पन्न की जाती है।

प्रश्न 7.
करघे में हारनेस का क्या कार्य है?
उत्तर:
हारनेस ताने के धागों को ऊपर नीचे करता है।

प्रश्न 8.
एक पिक किसे कहते हैं?
उत्तर:
शटल की एक पंक्ति बुनने की प्रक्रिया को एक पिक कहते हैं।

प्रश्न 9.
वस्त्र निर्माण की प्रचलित एवं पुरातन विधि कौन-सी है?
उत्तरा:
बुनाई।

प्रश्न 10.
किस बुनाई से बने वस्त्र में तिरछी धारियाँ दिखाई देती हैं?
उत्तरा:
ट्विल बुनाई से बने वस्त्र में।

RBSE Class 11 Home Science Chapter 21 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बुनाई के टाँकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
बुनाई के टाँके चार प्रकार के होते हैं –

  • उल्टा
  • सीधा
  • टक
  • मिस।

प्रश्न 2.
बुनाई की सामान्य गुंथने की विधि का नमूना चित्र बनाइए।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 21 वस्त्रों की बुनाई-8

प्रश्न 3.
वस्त्र बनाने की निटिंग विधि को लिखिए।
उत्तर:
निटिंग:
यह एक धागे के उपयोग से वस्त्र निर्माण की विधि है। एक ही धागे से फंदे डालकर फिर उस फंदे में से फंदे निकाल कर वस्त्र पंक्ति दर पंक्ति बुना जाता है। इस विधि से सूती धागों से अन्त: वस्त्र, ऊनी व कृत्रिम धागों से स्वेटर, मोजे, शाल आदि बुने जाते हैं। इन वस्त्रों में प्रत्यास्थता का गुण अच्छा होने से ये पहनने पर शरीर रचना के अनुरूप हो जाते हैं।

प्रश्न 4.
लैस तथा जाली के प्रकार बताइए।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 21 वस्त्रों की बुनाई-9

RBSE Class 11 Home Science Chapter 21 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बुनाई की निम्न विधियों का विवरण दीजिए –
1. ब्रेडिंग या लेस
2. बुनाई
उत्तर:
1. ब्रेडिंग या लेस:
ब्रेडस का अर्थ है गुँथा हुआ फीता। इस विधि से तीन या तीन से अधिक धागों को गूंथ कर चपटी, पतली या गोलाकार पट्टियाँ बनाकर कश्मीरी शाँलों पर लम्बाई में किनारों पर लगाया जाता है। लैस हाथ और मशीनों दोनों से बनाई जाती है। इसे बनाने के लिए क्रोशिया, टेटिंग व अन्य विशिष्ट सूइयों का प्रयोग किया जाता है। सुन्दर आकर्षक एवं वैभवपूर्ण सजावटी वस्त्रों में लैस व ब्रेडस का उपयोग किया जाता है।
RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 21 वस्त्रों की बुनाई-3

2. बुनाई:
यह वस्त्र निर्माण की प्रचलित एवं प्राचीन विधि है। इसमें एक लम्बवत एवं एक क्षैतिज धागे का प्रयोग करते हैं, जिसे क्रमश: ताना व बाना कहते हैं। बुनाई के लिए सबसे पहले लम्बवत धागे को बीम पर समान्तर सटा हुआ कस कर ताना जाता है। ताने के धागे की लम्बाई बनाए जाने वाले वस्त्र की लम्बाई पर निर्भर करती है। फिर बाने के धागे को शटल पर लपेट कर ताने के धागे के बीच में से होकर चौड़ाई में फंसाकर निकाला जाता है। इससे वस्त्र बुना जाता है, और इसे भराई विधि कहते हैं।

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