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RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 6 शैशवावस्था से बाल्यावस्था तक विकास-I

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 6 शैशवावस्था से बाल्यावस्था तक विकास-I

Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Chapter 6 शैशवावस्था से बाल्यावस्था तक विकास-I

RBSE Class 11 Home Science Chapter 6 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों के सही उत्तर चुनें –
(i) शैशवावस्था को कितने भागों में विभक्त किया जा सकता है?
(अ) एक
(ब) दो
(स) तीन
(द) चार
उत्तर:
(ब) दो।

(ii) भाषा विकास में शिशु सर्वप्रथम कौन-सी क्रिया करता है?
(अ) हँसना
(ब) क्रंदन
(स) बोलना
(द) चिल्लाना
उत्तर:
(ब) क्रन्दन।

(iii) जन्म के समय कौन-सा संवेग नहीं पाया जाता है?
(अ) भय
(ब) प्रेम
(स) क्रोध
(द) ईर्ष्या
उत्तर:
(द) ईर्ष्या।

(iv) बबलाने की क्रिया शिशु किस आयु में करता है?
(अ) नवजात शैशवावस्था
(ब) शैशवावस्था
(स) पूर्व बाल्यावस्था
(द) उत्तर बाल्यावस्था
उत्तर:
(ब) शैशवावस्था।

(v) किस अवस्था को टोली-पूर्व अवस्था कहते हैं?
(अ) नवजात शैशवावस्था
(ब) शैशवावस्था
(स) उत्तर बाल्यावस्था
(द) पूर्व बाल्यावस्था
उत्तर:
(द) पूर्व बाल्यावस्था।

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करो –
1. सामाजिक विकास के साथ ……… विकास उसी क्रम मे होता है।
2. व्यक्तित्व प्रतिमानों का विकास ………तथा ……… का परिणाम है।
3. नवजात शैशवावस्था में शरीर का भार ……… हो जाता है।
4. ………वर्ष तक पूर्ण वाक्य क्षमता विकसित हो जाती है।
5. पूर्व बाल्यावस्था में ‘स्व’ का विकास ……… प्रतिमान के अनुसार होता है।
उत्तर:
1. सांवेगिक
2. आनुवांशिक, पर्यावरण
3. दुगुना
4. पाँच
5. सामाजिक।

प्रश्न 3.
शैशवावस्था के विकासात्मक कृत्य समझाइए।
उत्तर:
शैशवावस्था के विकासात्मक कृत्यों को निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है –

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 6 शैशवावस्था से बाल्यावस्था तक विकास-I-1

प्रश्न 4.
शैशवावस्था को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
शैशवावस्था (Infancy):
शिशु की प्रथम माह से 5 वर्ष तक की आयु की अवस्था शैशवावस्था कहलाती है। इसमें 1 माह से 2 वर्ष तक शैशवावस्था तथा 2 वर्ष से 5 वर्ष तक की अवस्था पूर्व-बाल्यावस्था कहलाती है।

प्रश्न 5.
पूर्व-बाल्यावस्था में सामाजिक विकास को समझाइए।
उत्तर:
पूर्व-बाल्यावस्था में सामाजिक विकास:
इस अवस्था में माता-पिता, परिवार के अन्य सदस्य, रिश्तेदार प्रमुख अभिकर्ता के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बालक जैसे-जैसे बाहरी लोगों से सम्पर्क बनाता है वैसे-वैसे उसकी सामाजिक दुनिया विस्तृत होती रहती है। माता-पिता पर बालक की निर्भरता कम होने लगती है। इस अवस्था को टोली-पूर्व अवस्था भी कहते हैं। बालकों में समूह के प्रति लगाव भी विकसित होता है तथा बालक संगठित खेल आरम्भिक रूप से दिखने लगते हैं।

प्रश्न 6.
शैशवावस्था में व्यक्तित्व विकास को समझाइए।
उत्तर:
शैशवावस्था में व्यक्तित्व विकास:
व्यक्तित्व विकास के लिए शैशवावस्था अत्यन्त महत्त्वपूर्ण “नाजुक आयु” होती है। इसमें व्यक्तित्व की आधारशिला का निर्माण होता है तथा इसी पर पूर्ण व्यक्तित्व का ढाँचा बनता है। बालक निरन्तर माता-पिता के साथ ही रहता है अत: जैसा इनका आपस में सम्बन्ध होता है उसका प्रभाव आगे चलकर उसके व्यक्तित्व पर पड़ता है।

यदि शिशु को अनुकूल वातावरण मिले, तो शिशु विकसित होकर एक सहयोगशील और अनुक्रियाशील व्यक्ति बनता है। शैशवावस्था में ही बच्चे में अहं प्रत्यय विकसित होता है, अहं प्रत्यय उसके व्यक्तित्व विकास में मूल (Core) का कार्य करता है। बच्चे का अहं प्रत्यय जितना स्थाई होगा उसके व्यक्तित्व में परिवर्तन की सम्भावना कम होती है। व्यक्तित्व विकास में शील गुणों की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।

प्रश्न 7.
शैशवावस्था को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 6 शैशवावस्था से बाल्यावस्था तक विकास-I-2

RBSE Class 11 Home Science Chapter 6 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

RBSE Class 11 Home Science Chapter 6 बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प का चयन कीजिए –
प्रश्न 1.
दो वर्ष से 5 वर्ष की आयु कहलाती हैं –
(अ) नवजात शैशवावस्था
(ब) पूर्व-बाल्यावस्था
(स) उत्तर-बाल्यावस्था
(द) किशोरावस्था
उत्तर:
(ब) पूर्व-बाल्यावस्था

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से विकासात्मक कृत्य है –
(अ) ठोस आहार लेना सीखना
(ब) पढ़ने के लिए तैयार होना
(स) चलना सीखना
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

प्रश्न 3.
किस अवस्था में बालक अपने लिए शब्द भण्डार निर्मित करता है?
(अ) नवजात शैशवावस्था में
(ब) शैशवावस्था में
(स) पूर्व-बाल्यावस्था में
(द) उत्तर-बाल्यावस्था में
उत्तर:
(स) पूर्व-बाल्यावस्था में

प्रश्न 4.
शारीरिक विकास नहीं है –
(अ) दौड़ना
(ब) मुस्कराना
(स) साइकिल चलाना
(द) चलना
उत्तर:
(ब) मुस्कराना

प्रश्न 5.
शिशु में सर्वप्रथम क्लेश व प्रसन्नता का उद्भव होता है –
(अ) नवजात शैशवावस्था में
(ब) शैशवावस्था में
(स) पूर्व-बाल्यावस्था में
(द) उत्तर-बाल्यावस्था में
उत्तर:
(ब) शैशवावस्था में

रिक्त स्थान भरिए
निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थान भरिए –
1. शैशवावस्था में विभिन्न प्रकार के ……… के मानक बनाए गए हैं।
2. शैशवावस्था में बालक ……… के आधार पर क्रियाओं का निष्पादन करता है।
3. पाँच वर्ष पूरे होने पर पूर्व ……… का विकास हो जाता है।
4. नवजात शैशवावस्था में प्रारम्भ में केवल ……… व ……… सम्बन्धी संवेग पाये जाते हैं।
5. व्यक्तित्व विकास के लिए ……… अत्यन्त महत्त्वपूर्ण नाजुक आयु होती है।
उत्तर:
1. विकासात्मक परिवर्तन
2. अनुभवों
3. वाक्य क्षमता
4. प्रिय, अप्रिय
5. शैशवावस्था।

सुमेलन
स्तम्भ A तथा स्तम्भ B को सुमेलित कीजिए।
स्तम्भ A                                   स्तम्भ B
1. पश्च परिपक्वता                   (a) शारीरिक कारक
2. विकासात्मक विलम्ब          (b) मनोवैज्ञानिक कारक
3. लैंगिक विभेद                    (c) नवजात शैशवावस्था
4. ‘स्व’ तथा ‘शील गुण            (d) विकासात्मक शैशवावस्था
5. भय, प्रेम, क्रोध                   (e) व्यक्तित्व विकास
उत्तर:
1. (b) मनोवैज्ञानिक कारक
2. (a) शारीरिक कारक
3. (d) विकासात्मक शैशवावस्था
4. (e) व्यक्तित्व विकास
5. (c) नवजात शैशवावस्था

RBSE Class 11 Home Science Chapter 6 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
शैशवावस्था के दो भाग कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
शैशवावस्था के दो भाग हैं –
नवजात शैशवावस्था तथा शैशवावस्था।

प्रश्न 2.
शैशवावस्था को पुन: किन विभागों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
दो भागों में-1 माह से 2 वर्ष की आयु तक शैशवावस्था तथा 2 वर्ष से 5 वर्ष की आयु तक पूर्व-बाल्यावस्था।

प्रश्न 3.
नवजात शिश में संज्ञानात्मक योग्यताएँ किस प्रकार की होती हैं?
उत्तर:
नवजात शिशु में संज्ञानात्मक योगयताएँ सीमित होती हैं।

प्रश्न 4.
किन्हीं दो विकासात्मक कृत्यों को लिखिए।
उत्तर:

  • शारीरिक व्यर्थ निष्कासन
  • सही गलत का अन्तर पहचानना।

प्रश्न 5.
नवजात शैशवावस्था में शारीरिक विकास समझाइए।
उत्तर:
इस अवस्था में शरीर का भार दोगुना (12 – 15 पौंड), सिर की लम्बाई पूरे शरीर की 1 होती है, त्वचा का रूप परिवर्तित होता है तथा सिर पर नये बाल आने लगते हैं।

प्रश्न 6.
शैशवावस्था में शारीरिक विकास समझाइए।
उत्तर:
इस आयु में शिशु की लम्बाई में 2 इंच तथा भार में 2 – 3 पौंड की वृद्धि हो जाती है। चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना इत्यादि क्रियाएँ सीखता है।

प्रश्न 7.
पूर्व-बाल्यावस्था में बालक अपने अनुभवों को किन माध्यमों से प्रस्तुत करता है।
उत्तर:
पूर्व-बाल्यावस्था में बालक अपने अनुभवों को प्रतीकों, कौशलों, प्रतिभाओं आदि के माध्यम से प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 8.
किस अवस्था में बालक उल्टे क्रम में चिन्तन तथा तार्किक क्रियाएँ कर सकता है?
उत्तर:
पूर्व – बाल्यावस्था में।

प्रश्न 9.
नवजात शैशवावस्था में भाषा विकास को समझाइए।
उत्तर:
नवजात शिशु भाषा विकास की प्रक्रिया में सबसे पहले क्रन्दन करता है जिसके लिए श्वसन तन्त्र का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 10.
शैशवावस्था में बालक किस प्रकार की ध्वनियाँ निकालता है?
उत्तर:
शैशवावस्था में शिशु बलबलाते हुए कुछ विशिष्ट ध्वनियों का उच्चारण करता है जिसके साथ वह हाव-भाव का उपयोग भी करता है।

प्रश्न 11.
नवजात शैशवावस्था के शिशु को अपनी माँ का स्पर्श अच्छा लगता है, यह किस प्रकार के विकास को प्रदर्शित करता है?
उत्तर:
सामाजिक विकास को।

प्रश्न 12.
व्यक्तित्व विकास में मूल का कार्य किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
व्यक्तित्व विकास में मूल (Core) का कार्य अहं प्रत्यय द्वारा किया जाता है।

RBSE Class 11 Home Science Chapter 6 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पूर्व-बाल्यावस्था में शारीरिक विकास को समझाइए।
उत्तर:
पूर्व-बाल्यावस्था में शारीरिक विकास-शैशवावस्था की तुलना में पूर्व-बाल्यावस्था में वृद्धि धीमी गति से होती है। इस आयु में औसतन 3 इंच की दर से लम्बाई में वृद्धि होती है। यह अवस्था कौशल विकास हेतु अत्यन्त उपयोगी होती है। बालक स्वयं खाना, कपड़े पहनना, बटन लगाना, बॉल फेंकना, मोती पिरोना इत्यादि कौशल सीखता है।

प्रश्न 2.
पूर्व-बाल्यावस्था में भाषा विकास को समझाइए।
उत्तर:
पूर्व-बाल्यावस्था में भाषा विकास-इस अवस्था में आयु में वृद्धि तथा अधिगम परिस्थितियों का लाभ मिलने के फलस्वरूप बच्चे अपने लिए शब्द भण्डार निर्मित करते हैं। आयु के साथ शब्द भण्डार बढ़ते हैं तथा पाँच वर्ष पूर्ण होते-होते पूर्ण वाक्य क्षमता का विकास हो जाता है।

प्रश्न 3.
नवजात शैशवावस्था में शिशु किस प्रकार के सामाजिक व्यवहार प्रारम्भ करता है? समझाइए।
उत्तर:
नवजात शिशु की शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले व्यक्ति के साथ ही उसका लगाव रहता है इसलिए बच्चे को माँ का स्पर्श अच्छा लगता है। जब नवजात शिशु लोगों को पहचानने योग्य हो जाता है तो वह लोगों के साथ रहकर प्रसन्न व सन्तुष्ट रहता है और जब उसे अकेला छोड़ दिया जाता है तो वह अप्रसन्न व असन्तुष्ट होकर रोने लगता है। यहीं से उसका सामाजिक व्यवहार प्रारम्भ होता है।

प्रश्न 4.
शैशवावस्था में बालक के सामाजिक व्यवहार पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
शैशवावस्था में सामाजिक व्यवहार-शैशवावस्था में बालक जिसे पहचानता है उसे मुस्कराकर अनुक्रिया प्रकट करता है। बालक ध्यान आकर्षित करने के लिए हाथ – पाँव चलाना, किलकारी भरना, जैसी क्रियाएँ करता है। अजनबी लोगों से डरकर शान्त होना और परिचित लोगों के सामने मुस्कराकर वह परिचित व अजनबी में भेद करता है।

प्रश्न 5.
पूर्व-बाल्यावस्था में बालक के व्यक्तित्व विकास को समझाइए।
उत्तर:
पूर्व-बाल्यावस्था में व्यक्तित्व विकास – व्यक्तित्व प्रतिमानों का विकास आनुवांशिक तथा पर्यावरण की अन्त:क्रिया का परिणाम होता है। प्रारम्भ में ‘स्व’ के विकास में परिवार की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। जैसे ही बालक विद्यालय जाने लगता है उसका सामाजिक दायरा बढ़ता है और ‘स्व’ का विकास सामाजिक प्रतिमानों के अनुसार होता है। बालक शील गुणों को अनुकरण द्वारा सीखते हैं। ‘स्व’ तथा ‘शील’ गुण दोनों मिलकर व्यक्तित्व का विकास करते हैं।

RBSE Class 11 Home Science Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
शिशु के जन्म से एक वर्ष के विकास को समझाइए।
अथवा
प्रारम्भिक शैशवावस्था को माह-वार विकास के रूप में प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
शिशु के जन्म से एक वर्ष तक का विकास
RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 6 शैशवावस्था से बाल्यावस्था तक विकास-I-3

प्रश्न 2.
बालक की विभिन्न अवस्थाओं में संज्ञानात्मक विकास का तुलनात्मक विवरण दीजिए।
अथवा
नवजात शैशवावस्था, शैशवावस्था तथा पूर्व – बाल्यावस्था के संज्ञानात्मक विकास को समझाइए
उत्तर:
नवजात शैशवावस्था, शैशवावस्था तथा पूर्व – बाल्यावस्था में संज्ञानात्मक विकास –

नवजात शैशवावस्था:
इस अवस्था में शिशु में विभिन्न संवेदनाओं के प्रति अनुक्रम विकसित होते हैं। शिशु गतिमान उद्दीपकों को ढूँढ़ने का प्रयास करता है। रंगों की तीव्रता व चमकीलेपन में विभेदन का विकास होता है तथा प्रत्येक तरफ देखना, पलक झपकाना तथा ध्वनि की तरफ मुड़ने की अनुक्रिया करता है।

शैशवावस्था:
शैशवावस्था में शिशु नैसर्गिक क्रियाएँ; जैसे-रोना, वस्तुएँ फैकना इत्यादि कार्य करता है। अनुभवों के आधार पर क्रियाओं का निष्पादन करता है। स्थिति से सामंजस्य बिठा कर उसके अनुकूल हो जाता है तथा अनुकरण जैसी क्रियाएँ करता है; जैसे-बड़ों को देख बाल बनाना, ब्रश करना आदि।

पूर्व-बाल्यावस्था:
पूर्व-बाल्यावस्था में बालक अपने अनुभवों को प्रतीकों, कौशलों, प्रतिभाओं आदि के माध्यम से प्रस्तुत करता है। स्वयं तथा अन्य लोगों में विभेदन, उल्टे क्रम में चिन्तन तथा तार्किक क्रियाएँ कर सकता है।

प्रश्न 3.
नवजात शैशवावस्था, शैशवावस्था तथा पूर्व-बाल्यावस्था में शिशु के सांवेगिक विकास को समझाइए।
उत्तर:
नवजात शैशवावस्था, शैशवावस्था तथा पूर्व-बाल्यावस्था में सांवेगिक विकास –

नवजात शैशवावस्था:
सामाजिक विकास के साथ-साथ सांवेगिक विकास उसी क्रम में होता है। प्रारम्भ में केवल प्रिय व अप्रिय सम्बन्धी संवेग पाए जाते हैं। जन्म के समय तीन प्रकार के संवेग ही पाए जाते हैं (भय, प्रेम, क्रोध)। जन्म के समय दिखायी देने वाली उत्तेजना के बाद आयु वृद्धि के साथ संवेगों का विकास होता है।

शैशवावस्था:
इस आयु के सम्बन्ध में ब्रिजेज ने बताया है कि पहले शिशु में क्लेश व प्रसन्नता का उद्भव होता है। पाँचवें माह में क्लेश, क्रोध, घृणा, भय आदि संवेग उत्पन्न होते हैं। चौदहवें माह में ईर्ष्या उत्पन्न होती है। बीस माह में आनन्द की उत्पत्ति होती है। दो वर्ष बाद परिपक्वता और अधिगम के आधार पर इन संवेगों की अभिव्यक्ति में धीरे-धीरे परिवर्तन परिमार्जन व संशोधन होने लगता है।

पूर्व-बाल्यावस्था:
पूर्व-बाल्यावस्था में संवेगात्मक अनुभूतियों का विस्तार, होता है। मुख्य रूप से उद्वेग, तीव्र भय, एवं ईर्ष्या ज्यादा व्यक्त होते हैं। खेलने, कूदने, दोड़ने जैसी शारीरिक क्रियाओं से उत्पन्न थकान से बच्चों में तीव्र संवेगशीलता उत्पन्न होती
है।

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