RBSE Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोजेन व्युत्पन्न
RBSE Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोजेन व्युत्पन्न
Rajasthan Board RBSE Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोजेन व्युत्पन्न
RBSE Class 12 Chemistry Chapter 10 अभ्यास प्रश्न
RBSE Class 12 Chemistry Chapter 10 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा यौगिक हैलोफॉर्म अभिक्रिया देगा
(a) मेथेनॉल
(b) 1-प्रोपेनॉल
(c) ऐथेनॉल
(d) 1-व्युटेनॉल
प्रश्न 2.
फिन्केलस्टीन अभिक्रिया में होता है
(a) विहाइड्रोहेलोवेनीकरण
(b) हैलोजेन विनियम
(c) हाइड्रोजेनीकरण
(d) ऑक्सीकरण
प्रश्न 3.
हैलोऐरीन का उदाहरण है
(a) CH3Cl
(b) C6H6Cl6
(c) C6H5CH2Cl
(d) C6H5Cl
प्रश्न 4.
कौन-सा यौगिक AgNO3के साथ पीला अवक्षेप देगा
(a) CHI3
(b) CHCl3
(c) CH3I
(d) CH3 – CH2I
प्रश्न 5.
काबिलेमीन अभिक्रिया में मध्यवर्ती बनता है
(a) CN(-)
(b) :CCl2
(c) N = C(-)
(d) Cl(-)
प्रश्न 6.
SN2 अभिक्रिया में बनता है
(a) संक्रमण अवस्था
(b) कार्बनाइन्
(c) कार्बोनियम आयन
(d) मुक्त मूलक
प्रश्न 7.
निम्न में से किस यौगिक का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है
(a) CH3Cl
(b) CCl4
(c) CHCl3
(d) CHI3
उत्तरमाला:
1. (b)
2. (c)
3. (d)
4. (a)
5. (c)
6. (a)
7. (c)
RBSE Class 12 Chemistry Chapter 10 लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 8.
डी.डी.टी. एवं बी.एच.सी का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
डी.डी.टी.: p – p’ -डाइ क्लोरो हाइ फेनिल ट्राइ क्लोरो ऐथेन
बी.एच.सी.: बेन्जीन ऍक्सा क्लोराइड।
प्रश्न 9.
किसी एक तृतीयक ऐल्किल हैलाइड का नाम एवं सूत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 10.
हैलोफॉर्म अभिक्रिया देने वाले एक ऐल्कोहॉल एवं एक कीटोन का नाम व सूत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 11.
मेथिल क्लोराइड से मेथेनॉल बनाने के लिए किस अभिकर्मक का प्रयोग करते है?
उत्तर:
मेथिल क्लोराइड से मेथेनॉल बनाने के लिए जलीय KOH का प्रयोग करते हैं।
प्रश्न 12.
का IUPAC नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 13.
किन्हीं तीन नाभिक स्नेही एवं एक इलेक्ट्रॉन स्नेहीं का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
तीन नाभिक स्नेही अभिकर्मक – OH–, RO–, CN–
R-X+OH– → R-OH+X–
R-X+CN– → R-CN+X–
R-X+OR– → OR+X–
एक इलेक्ट्रॉन स्नेही अभिकर्मक-Cl+
प्रश्न 14.
अग्निशामक के रूप में किस यौगिक का उपयोग करते हैं?
उत्तर:
कार्बन टेट्रा क्लोराइड (CCl4) का प्रयोग अग्निशामक के रूप में करते हैं।
प्रश्न 15.
डी.डी.टी. व बी.एच.सी. का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 16.
प्रोपेन के सम्भावित डाइक्लोरो व्युत्पन्नों को लिखिए।
उत्तर:
प्रोपेन के विभिन्न डाइहैलोजन व्युत्पन्न
प्रश्न 17.
हुन्सडीकर अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
हुन्सडीकर अभिक्रिया
प्रश्न 18.
क्लोरोपिकरिन व क्लोरेटोन का सूत्र व उपयोग लिखिए।
उत्तर:
क्लोरोपिकरिन: नाइट्रेक्लोरोफॉर्म (Cl3CNO2)
इसका उपयोग कीटनाशी तथा रासायनिक हथियारों के रूप में होता है।
इसका उपयोग नींद कारक (Hypnotice Agent) के रूप में होता है।
प्रश्न 19.
शुद्ध क्लोरोफॉर्म प्राप्त करने के लिए कौन-सा श्रेष्ठ अभिकर्मक है।
उत्तर:
शुद्ध स्लोरोफॉर्म क्लोरल या जलायोजित क्लोरल का आसवन सान्द्र जलयोजित NaOH के साथ करने पर प्राप्त किया जा सकता है।
प्रश्न 20.
क्लोरोफॉर्म को वायु में खुला छोड़ने पर कौन-सी गैस बनती है?
उत्तर:
क्लोरोफॉर्म को वायु में खुला छोड़ने पर विषैली गैस फॉस्जीन बनती है।
प्रश्न 21.
मेथिल क्लोराइड एवं मेथिल आयोडाइड में कौन अधिक क्रियाशील है?
उत्तर:
मेथिल आयोडाइड
प्रश्न 22.
C5H12की संरचना लिखिए जो केवल एक मोनोक्लोरो व्युत्पन्न बनाते हैं।
उत्तर:
प्रश्न 23.
DDT का क्या उपयोग है?
उत्तर:
DDT का उपयोग कीटनाशी के रूप में करते हैं।
प्रश्न 24.
2° ऐल्किल हैलाइड के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 25.
निम्न के SN1 क्रिया की क्रियाशीलता के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर:
RBSE Class 12 Chemistry Chapter 10 लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 26.
C2H5Cl की अपेक्षा C6H5Cl नाभिक स्ने अभिक्रियाओं के प्रति कम क्रियाशील होता है। समझाइए।
उत्तर:
नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियायें (Nucleophilic Substitution Reaction): ऐरिल हैलाइड नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के प्रति निम्न कारणों से कम क्रियाशील होते है।
अनुनाद प्रभाव (Resonance effect) : हैलोऐरीन में हैलोजेन परमाणु पर उपस्थित एकाकी इलेक्ट्रॉन युगल वलय के 1 इलेक्ट्रॉनों के साथ संयुग्मन में होते हैं। इस कारण ये 7 इलेक्ट्रॉन अनुनाद प्रदर्शित करते हैं। हैलोऐरीन में पायी जाने वाली अनुनादी संरचनाएँ निम्न है।
उपर्युक्त दिखाये गये अनुनाद के कारण C – X आबन्ध में आंशिक द्विबन्ध के गुण आ जाते हैं जिसके कारण हैलोऐल्केन की तुलना में हैलोऐरीन में आबन्ध विदलन अपेक्षाकृत कठिन हो जाता है। अत: हैलोऐरीन नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के प्रति हैलोऐल्केनों की तुलना में कम क्रियाशील होती है।
प्रश्न 27.
ऐथिल ब्रोमाइड से ग्रिन्यार अभिकर्मक कैसे बनाते हैं?
उत्तर:
ऐथिल ब्रोमाइड की क्रिया शुष्क ईश्वर की उपस्थिति में Mg के साथ कराने पर ग्रिन्यार अभिकर्मक प्राप्त होता है।
प्रश्न 28.
बी.एच.सी. के निर्माण की रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 29.
क्लोरो बेन्जीन से निम्न कैसे प्राप्त करेंगे।
(a) फनॉल
(b) डाइ फेनिल
(c) टॉलूईन
उत्तर:
(a) क्लोरो बेन्जीन से फीनॉल
(b) डाइ फेनिल
(c) टॉलन
प्रश्न 30.
β -विलोपन को समझाइए।
उत्तर:
β -विलोपन (β -elimination): जब दो परमाणु या समूह का विलोपन पास-पास वाले परमाणुओं से होता है तो इसे β -विलोपन कहते हैं।
उदाहरण:
प्रश्न 31.
हॉफमॉन कार्बिल ऐमीन अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
कार्बिलेमीन अभिक्रिया (Carbylamine reaction): यह अभिक्रिया प्राथमिक ऐमीनों समूह के परीक्षण में प्रयुक्त होती है। क्लोरोफॉर्म को ऐल्कोहॉलीय KOH तथा प्राथमिक ऐमीन के साथ गर्म करने पर दुर्गन्धयुक्त एथिल आइसोसायनाइड बनता है।
इस अभिक्रिया से प्राथमिक एमीन एवं क्लोरोफॉर्म का परीक्षण किया जाता है। अतः इसे आइसोसायनाइड परीक्षण भी कहते हैं।
प्रश्न 32.
क्लोरोफॉर्म से निम्न कैसे प्राप्त करेंगे।
(अ) ऐसीटिलीन
(ब) CCl4
(स) ऐलिसिलिक एल्डिहाइड
उत्तर:
(अ) क्लोरोफॉर्म से ऐसीटिलीन
(b) CCl4
(c) सेलिसिलिक ऐल्डिहाइड
प्रश्न 33.
कार्बन टेट्राक्लोराइड के चार उपयोग लिखो?
उत्तर:
उपयोग (Uses):
- रेजिन, वसा, तेल आदि के विलायक के रूप में।।
- शुष्क धुलाई में।
- फ्रीऑन तथा सैलिसिलिक अम्ल के निर्माण में।
- प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में।
- अग्निशामक के रूप में पाइरीन (Pyrene) के नाम से।
- औषधियों के निर्माण में।
- विलायक के रूप में।
- टेपवर्म एवं हुकवर्म के इलाज में।
- कीटनाशी एवं धूमक के रूप में।
प्रश्न 34.
निम्न को ऐनिलीन से कैसे प्राप्त करेंगे।
(a) क्लोरोबेन्जीन
(b) ब्रोमोबेन्जन
(c) आयोडोबेन्जीन
उत्तर:
(a) क्लोरोबेन्जीन
(b) ब्रोमोबेन्जीन
(c) आयोड्रोबेन्जीन
प्रश्न 35.
निम्न के सूत्र लिखिए।
(a) फ़िऑन-11
(b) फ़िऑन-12
(c) फ़िऑन-111
उत्तर:
(a) फ़िऑन-11 : CFCl3
(b) फ़िऑन-12 : CF2Cl2
(c) फ़िऑन-111 : C2FCl5
प्रश्न 36.
क्या होता है जब
(a) ऐथिल ब्रोमाइड सिल्वर सायनाइड से क्रिया करता है।
(b) आयोडोफॉर्म को सिल्वर पाउडर के साथ गर्म करते हैं।
उत्तर:
(a) ऐथिल ब्रोमाइड की क्रिया alc AgCN से कराने पर आइसोसायनाइड का निर्माण होता है।
(b) आयोडोफॉर्म की क्रिया सिल्वर पाउडर के साथ कराने पर ऐसीटिलीन बनता है।
प्रश्न 37.
बेन्जिलिक क्लोराइड, क्लोरो बेन्जीन से अधिक क्रियाशील है। क्यों?
उत्तर:
बेन्जिलिक क्लोराइड, क्लोरो बेन्जीन से अधिक क्रियाशील हैं क्योंकि बेन्जिलिक क्लोराइड SN1 प्रकार की नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ देती हैं और अभिक्रिया में बनने वाला बेन्जीन कार्बोनियम आयन अनुनाद द्वारा स्थायी हो जाता है। यही कारण है कि यह अधिक क्रियाशील होते हैं।
RBSE Class 12 Chemistry Chapter 10 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 38.
निम्न को समझाइए।
(a) हैलोजेन व्युत्पन्नों का वर्गीकरण।
(b) हैलोजन व्युत्पन्नों में C-X बन्ध की प्रकृति
(c) हैलोएरीन में हैलोजेन परमाणु की दिशीय प्रवृत्ति
उत्तर:
(a) हैलोजन व्युत्पन्नों का वर्गीकरण
वर्गीकरण (Classification) हैलोऐल्केनों एवं हैलोऐरीनों को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है: हैलोजेन परमाणुओं की संख्या के आधार पर (On the Basis of Number of Halogen Atoms): यौगिकों की संरचनाओं में उपस्थित हैलोजेन परमाणुओं की एक, दो अथवा अधिक संख्या के आधार पर इन्हें मोनो, डाइ, अथवा पॉलिहैलोजेन (ट्राइ, टेट्रा, पेण्टा आदि) में वर्गीकृत किया जा सकता है।
उदाहरण:
(i) मोनोहेलो यौगिक: इस प्रकार के यौगिकों में केवल एक हैलोजेन परमाणु उपस्थित होता हैं।
(ii) धाइहलो यौगिक–इस प्रकार के यौगिकों में दो हैलोजेन उपस्थित होते हैं।
(iii) दाइहलो यौगिक-इस प्रकार के यौगिकों में तीन हैलोजेन परमाणु उपस्थित होते हैं।
(b) हैलोजन व्युत्पन्नों में C – X बन्ध की प्रकृति:
C – X आबन्ध की प्रकृति (Nature of C – X Bond) हैलोजेन परमाणु कार्बन परमाणु की तुलना में अधिक विद्युत-ऋणात्मक होता है अत: ऐल्किल हैलाइड का कार्बन-हैलोजेन आबन्ध ध्रुवित (Polarised) हो जाता है। इससे कार्बन परमाणु पर आंशिक धनावेश तथा हैलोजेन परमाणु पर आंशिक ऋणावेश आ जाता है।
आवर्त सारणी में वर्ग में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर हैलोजेन परमाणु का आकार बढ़ता जाता है परन्तु विद्युत-ऋणात्मकता कम हो जाती है। अतः फ्लुओरीन सबसे छोटे आकार का एवं सबसे अधिक विद्युत-ऋणात्मक तत्व होता है। इस कारण C – F आबन्ध अन्य C – X आबन्धों की तुलना में सबसे अधिक ध्रुवित होता है। अतः ध्रुवणता का क्रम निम्न प्रकार से है
(c) हैलोऐरीन में हैलोजेन परमाणु की दिशीय प्रवृत्ति:
हैलोएरीन या ऐरिल लाइड में C-X बंध की प्रकृति (Nature of C-X bond in haloarene or arylhalide) ऐरिल हैलाइड जैसे C6H5Cl में क्लोरीन परमाणु बेन्जीन वलय के sp2 -संकरित कार्बन से जुड़ा होता है। हैलोजेन परमाणु के अनुनाद प्रभाव (+R) के कारण कार्बन हैलोजेन बंध में आंशिक द्विबन्ध का गुण आ जाता है। अत: यह बंध आसानी से नहीं टूटता है। क्लोरोबेन्जीन में C-Cl बंध लम्बाई 1.60Å है जबकि C-Cl एकल बंध लम्बाई 1.77Å होती है। बंध लम्बाई के मान में आयी कमी C-Cl बंध में आंशिक द्विबन्ध की पुष्टि करती है। क्लोरो बेन्जीन की अनुनादी संरचना को निम्न प्रकार दर्शा सकते हैं।
इसी प्रकार वाइनिल क्लोराइड में भी C-Cl बंध में आंशिक द्विबन्ध गुण आ जाते हैं। वाइनिल क्लोराइड में C-Cl बंध लम्बाई का मान 1.69Å
है जबकि C-Cl एक बंध लम्बाई का मान 1.77Å होता है। वाइनिल क्लोराइड में भी हैलोजेन परमाणु sp2 -संकरित कार्बन से जुड़ा होता है। अतः अनुनाद के कारण आंशिक द्विबन्ध गुण आ जाता है।
प्रश्न 39.
निम्न में कैसे प्राप्त करेंगे
(a) ऐल्कोहॉल से ऐल्किल हैलाइड
(b) हैलोजेन विनिमय से ऐल्किल हैलाई
(c) ऐसीटोन से क्लोरोफॉर्म।
(d) कार्बन टेट्राक्लोराइड से सेलिसिलिक अम्ल
उत्तर:
(a) ऐल्कोहॉल से ऐल्किल हैलाइड
R – OH + HX → R – X + H2O
(b) हैलोजेन विनिमय से ऐल्किल लाइड
(i) फ्किल्स्टाइन अभिक्रिया
(ii) स्वास अभिक्रिया
R – Br + AgF → R – F + AgBr
(c) ऐसीटोन से क्लोरोफॉर्म
ऐसीटोन से (From Acetone) ब्लीचिंग चूर्ण तथा जल के पेस्ट की क्रिया ऐसीटोन से कराने पर क्लोरोफॉर्म प्राप्त होती है। यह भी एक प्रयोगशाला विधि है।
(d) कार्बन टेट्राक्लोराइड से सैलिसिलिक अम्ल
प्रश्न 40.
निम्न पर टिप्पणी लिखिए।
(a) हैलोफर्म अभिक्रिया
(b) काबिलेमीन अभिक्रिया
(c) द्वारजन अभिक्रिया
(d) सेंडमेयर अभिक्रिया
उत्तर:
(a) हैलोफॉर्म अभिक्रिया:
एथिल ऐल्कोहॉल से हेलोफॉर्म अभिक्रिया (From Ethyl Alcohol (Halo form reaction)) ऐथिल ऐल्कोहॉल पर 1.5 / KOH की क्रिया कराने पर आयोडोफॉर्म बनता है।
पूर्ण अभिक्रिया को हम इस प्रकार भी प्रदर्शित कर सकते हैं
यदि KOH के स्थान पर NaOH का प्रयोग करें तो यह अभिक्रिया निम्न प्रकार होगी
सोडियम हाइड्रॉक्साइड के स्थान पर सोडियम कार्बोनेट का भी । प्रयोग किया जा सकता है।
(b) कार्बिलेमीन अभिक्रिया:
यह अभिक्रिया प्राथमिक ऐमीनों समूह के परीक्षण में प्रयुक्त होती है। क्लोरोफॉर्म को ऐल्कोहॉलीय KOH तथा प्राथमिक ऐमीन के साथ गर्म करने पर दुर्गन्धयुक्त एथिल आइसोसायनाइड बनता है।
इस अभिक्रिया से प्राथमिक एमीन एवं क्लोरोफॉर्म का परीक्षण किया जाता है। अतः इसे आइसोसायनाइड परीक्षण भी कहते हैं।
(c) द्वारजन अभिक्रिया:
डार्जेन अभिक्रिया (Darzen’s reaction) ऐल्कोहॉलों को पिरीडीन की सूक्ष्म मात्रा की उपस्थिति में थायोनिल क्लोराइड के साथ आसवित करने पर ऐल्किल क्लोराइड बनते हैं। यह अभिक्रिया अन्य की अपेक्षा अधिक उत्तम है, क्योंकि यहाँ शेष दोनों
उत्पाद आसानी से निकल सकने वाली गैसें हैं अतः इस अभिक्रिया से शुद्ध ऐल्किले क्लोराइड प्राप्त होता है।
नोट: SOBr2 का स्थायित्व अत्यधिक कम होता है, जबकि SOI2 ज्ञात नहीं है। अतः यह अभिक्रिया केवल क्लोराइडों के निर्माण में प्रयुक्त होती है।
विशेष:
उपर्युक्त विधियाँ ऐरिल हैलाइड के विरचने के लिए उपयुक्त नहीं हैं, क्योंकि फीनॉल में कार्बन-ऑक्सीजन आबन्ध में आंशिक द्विआबन्ध के गुण होने के कारण यह एकल आबन्ध से अधिक मजबूत होता है। अत: इसे एकल आबन्ध की तुलना में तोड़ना कठिन होता है। इसका कारण फीनॉल में पायी जाने वाली अनुनादी संरचनाएँ हैं।
(d) सेडेमेयर अभिक्रिया:
डाइऐजोनियम लवण द्वारा-सैन्डमायर अभिक्रिया (Sandmeyer’s Reaction By Diazonium Salt)-जब ठण्डे जलीय खनिज अम्ल में घुली अथवा निलम्बित किसी प्राथमिक ऐमीन को सोडियम नाइट्राइट के साथ अभिकृत किया जाता है तो डाइऐजोनियम लवण बनते हैं। ताजा बने डाइऐजोनियम लवण तथा क्यूप्रस क्लोराइड अथवा क्यूप्रस ब्रोमाइड के विलयन को मिलाने पर डाइऐजोनियम समूह -Cl अथवा -Br के द्वारा प्रतिस्थापित हो जाता है।
ब्रोमोबेन्जीन उपर्युक्त अभिक्रियाएँ सैन्डमायर अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
प्रश्न 41.
SN1 तथा SN2 क्रियाविधि को समझाइए।
उत्तर:
नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया की क्रियाविधि (Mechanism of Nucleophilic Substitution Reaction): यह अभिक्रिया दो भिन्न क्रियाविधियों के द्वारा सम्पन्न होती है। यह क्रियाविधि इस प्रकार हैं
(क) द्विअणुक नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन क्रियाविधि (SN2) (Bi-molecular nucleophilic substitution mechanism): अभिक्रिया में अभिक्रिया का वेग दोनों अभिक्रियकों की सान्द्रता पर निर्भर करता है। (CH3Cl) तथा हाइड्रॉक्साइड आयन जब आपस में किया करते हैं तो मैथेनॉल एवं क्लोराइड आयन प्राप्त होता है। अतः यहाँ अभिक्रिया का वेग (CH3Cl) तथा हाइड्रॉक्साइड आयन दोनों की सान्दता पर निर्भर करता है एवं अभिक्रिया द्वितीय कोटि बलगतिको का अनुसरण करती है अर्थात्
यह अभिक्रिया द्विअणुक नाभिकरागी प्रतिस्थापन (SN2) को प्रदर्शित करती हैं। अभिक्रिया में आक्रमणकारी नाभिकरागी (OH–) की ऐल्किल होलाइड़ से अन्योन्यक्रिया करके कार्बन-हैलाइड आबन्ध तोड़ता है तथा साथ ही एक नया कार्बन -OH आवन्ध बनता है। दोनों प्रक्रियाएँ एक
साथ एक ही पद में सम्पन्न होती हैं तथा कोई भी मध्यवर्ती नहीं बनता। जैसे-जैसे अभिक्रिया प्रगति करती हैं नाभिकरागी एवं कार्बन परमाणु के मध्य आबन्ध बनना प्रारम्भ हो जाता है तथा कार्बन परमाणु एवं अवशिष्ट समूह के मध्य आबन्ध दुर्बल होने लगता है। इस क्रिया के दौरान आक्रमण के लिए उपलब्ध कार्बन परमाणु का विन्यास प्रतीप हो जाता है, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कि तेज हवाओं में आता अन्दर की ओर से बाहर की और उलट जाता है। इसके साथ ही अवशिष्ट समूह (leaving group) निकल जाता है। इस प्रक्रिया को विन्यास का प्रतीपन (Inversion of configuration) कहते हैं।
संक्रमण अवस्था (Transition state) में कार्बन परमाणु एक ही समय पर आने वाले नाभिकरागी तथा निकलने वाले अवशिष्ट समूह दोनों के साथ जुड़ा रहता है। इस प्रकार की संरचना अस्थायी होती है तथा इसे पृथक् नहीं किया जा सकता। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि संक्रमण अवस्था में कार्बन परमाणु एक साथ पाँच परमाणुओं से आबन्धित रहता हैं, अतः अस्थायी होता है। अभिक्रिया के दौरान नाभिकरागी अवशिष्ट समूह युक्त कार्बन परमाणु के निकट आता है, अत: इस कार्बन परमाणु पर अथवा उसके निकट उपस्थित स्थूल समूह प्रभावशाली अवरोध (निरोधक प्रभाव) उत्पन्न करता है।
SN2 अभिक्रिया में नाभिकरागी को C-X आबन्ध में सम्मिलित चतुष्फलकीय कार्बन की और जाना पड़ता है। यदि इस कार्बन परमाणु के चारों ओर स्थूल समूह (Bulky group) उपस्थित हो, तो ये स्थूल समूह आगमनकारी नाभिकरागी के लिए अवरोध उत्पन्न करते हैं। इस अवरोध के फलस्वरूप तृतीयक हैलाइडों की क्रियाशीलता SN2 अभिक्रिया के द्वारा कम हो जाती है, जबकि सामान्य ऐल्किल हैलाइडों में मेथिल हैलाइड सबसे अधिक शीघ्रता से SN2 अभिक्रिया देता है, क्योंकि इसमें केवल तीन ओटे हाइड्रोजन परमाणु होते हैं। इसे हम द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैं।
अतः स्थूल समूहों के बढ़ने के साथ-साथ अभिक्रियाशीलता भी कम हो जाती है। अभिक्रियाशीलता का क्रम (SN2 क्रियाविधि के द्वारा)
प्राथमिक हैलाइड > द्वितीयक हैलाइड> तृतीयक हैलाइड
(ख) एकाण्विक नाभिकरागी प्रतिस्थापन क्रियाविधि (SN1) (Unirmolecular nucleophilic substitution mechanism): इस प्रकार की अभिक्रिया में अभिक्रिया का वेग केवल ऐल्किल हैंलाइड की सान्दता पर निर्भर करता है अर्थात्
अभिक्रिया को दूर = k [RX]
तृतीयक हैलाइ SN1 क्रियाविधि के द्वारा अभिक्रिया करते हैं। SN1 अभिक्रियाएँ सामान्यतः ध्रुवीय प्रोटिक विलायकों जैसे-जस, ऐल्कोहॉल, ऎसीटिक अम्ल आदि में सम्पन्न होती हैं। जब तृतीयक ब्यूटिल ब्रोमाइड की क्रिया हाइड्रॉक्साइड आयन के सार्थ कराई जाती है तो तृतीयक ब्यूटिल एल्कोहॉल प्राप्त होता है। यह अभिक्रिया प्रथम कोटि की चलगतिकी का अनुसरण करती है। अर्थात् अभिक्रिया का वेग तृतीयक ब्यूटिल ब्रोमाइड को सान्दता पर निर्भर करता है।
उपर्युक्त अभिक्रिया दो चरणों में सम्पन्न होती है।
प्रथम चरण:
इसमें ध्रुवीय C-Br का धीमा विदलन होता है जिसके फलस्वरूप एक कार्योधनायन तथा एक ब्रोमाइड आयन प्राप्त होता है।
द्वितीय चरण:
इस चरण में कार्बोधनायन पर नाभिकरागी आक्रमण करती है तथा प्रतिस्थापन अभिक्रिया पूर्ण होकर उत्पाद तृतीयक एल्कोहॉल प्राप्त होता है।
चरण 1 सबसे धीमा तथा अक्रमणीय होता है इसमें C-Br आबन्ध का विदलन होता है जिसके लिए ऊर्जा प्रोटिक विलायकों के प्रोटॉन द्वारा हुँलाइड आयन के विलायक योजन से प्राप्त होती है। चूंकि अभिक्रिया की दर सबसे धीमे चरण पर निर्भर करती है, इस कारण अभिक्रिया का वेग केवल ऐल्किल हैलाइड अर्थात् उपर्युक्त अभिक्रिया में तृतीयक ब्रोमाइड की सान्द्रता पर निर्भर करता है, न कि हाइड्रॉक्साइड आयन की सान्दता पर जैसा कि हम जानते हैं कि कार्बोधनायन का स्थायित्व जितना अधिक होगा, ऐल्किल हैलाइड से इसका विरचन उतना ही सरल होगा एवं अभिक्रिया का वेग उतना ही अधिक होगी। ऐल्कल हैलाइडों में तृतीयक ऐल्किल हैलाइड तीव्रता से SN1 अभिक्रिया देते हैं, क्योंकि तृतीयक या 3° कार्योधनायन का स्थायित्व सर्वाधिक होता है। अतः SN1 अभिक्रिया के लिए ऐल्किल हैलाइड की क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार हैं
तृतीयक हैलाइड > द्वितीयक हैलाइड > प्राथमिक हैलाइड > CH3X
इसी प्रकार ऐलिलिक तथा बेन्जिलिक हैलाइड SN1 अभिक्रिया के प्रति अधिक क्रियाशीलता प्रदर्शित करते हैं क्योंकि अभिक्रिया के दौरान निर्मित कार्योकैटायन अनुनाद के द्वारा अधिक स्थायी हो जाता है।
ऐलिलिक कैटायन में अनुनाद:
बेन्जिलिक कैटायन में अनुनाद:
दोनों क्रियाविधियों में दिये हुए ऐल्किल समूह के लिए हैलाइड R–X की क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होता है-
प्रश्न 42.
निम्न पर टिप्पणी लिखें।
A. फ़िऑन
B. डी.डी.टी.
C. बी.एच.सी.
उत्तर:
A. फ़िऑन
फ्रीऑनयाडाइक्लोरोडाडफ्लुओरामेथेन (Freonor Dichlorodifluoromethane or CCl2F2) मेथेन, एथेन के क्लोरो-फ्लुओरो व्युत्पन्न फ्रीऑन कहलाते हैं। ये अज्वलनशील, रंगहीन तथा कम क्वथनांक के द्रव हैं जो प्रशीतक (refrigerant) एवं वातानुकूलन (air-conditioner) के लिए प्रयोग होते हैं। ये अत्यधिक स्थायी, निष्क्रिय तथा निराविष (non-toxic), अंसक्षारक (non-corrosive) तथा आसानी से द्रवित हो सकने वाली गैस हैं। इनमें फ्रीऑन-12 (CF2Cl2) एक मुख्य व सर्वाधिक प्रयोग होने वाली गैस है।
फ्रीऑन का निर्माण (Synthesis of Freon) इसे निम्न प्रकार बना सकते हैं
मेथेन एवं ऐथेन के क्लोरोफ्लुओरो व्युत्पन्न कार्बन टेट्राक्लोराइड (CCl5) या हेक्साबलोरी ऐथेन की SbCl5 की उपस्थिति में IF से अभिक्रिया द्वारा प्राप्त किए जाते हैं। जैसे
फ्रीऑन का नामकरण (Nomenclature of Freons) :फ्रिऑन के अणुसूत्र में उपस्थित कार्बन, हाइड्रोजन एवं फ्लोरीन परमाणुओं की संख्या का निम्नानुसार प्रयोग करते हुए फ्रिऑन का नामकरण करते हैं, जैसे
फ्रिऑन – XYZ
यहाँ X = फ्रिऑन के अणु में उपस्थित कार्बन परमाणु की संख्या से एक कम अर्थात् (C – 1)
Y = फ्रिऑन अणु में उपस्थित हाइड्रोजन परमाणु की संख्या + 1 अर्थात् (H+ 1)
Z = फ्रिऑन अणु में उपस्थित फ्लोरीन परमाणु की संख्या
मुख्य फ्रिऑन का नामकरण
फ्रिऑन के गुण:
फ्रिऑन रंगहीन, गंधहीन, वाष्पशील द्रव होते हैं। ये अत्यधिक निष्क्रिय होते हैं एवं उच्च दाब व ताप पर भी स्थायी होते हैं।
B. डी.डी.डी.
डी.डी.टी. p, p’ डाईक्लोरो डाइफेनिल ट्राइ क्लोरो ऐथेन यह क्लोरोबेन्जीन तथा क्लोरल के मिश्रण को सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में गरम करने पर बनता है।
डी.डी.टी. एक सफेद ठेस यौगिक होता है। इसका उपयोग कीटनाशी (Insecticide) के रूप में मच्छरों, खटमलों आदि को नियन्त्रित करने में किया जाता है। DDT अत्यधिक स्थायी होती है तथा यह शीघ्रता से उपापचयित (metabolised) नहीं होती है। यह वसीय ऊतकों में एकत्र तथा संग्रहीत हो जाती है। यदि इसका अन्तर्ग्रहण लगातार स्थायी गति से होता है तो जन्तुओं में DDT की मात्रा समय के साथ बढ़ती जाती है। कई राज्यों में DDT पर प्रतिबन्ध लगा है, परन्तु अनेक स्थानों पर इसका उपयोग आज भी हो रहा है।
C. बी.एच.सी.
बी.एच.सी. (बेन्जीन हेक्साक्लोराड) इसके अनेक व्यापारिक नाम है जैसे-गैमेसेन, लिण्डेन, 666 आदि। इसका IUPAC नाम 1, 2, 3, 4, 5, 6-हेक्साक्लोरो साइक्लोहेक्सेन है। यह पराबैंगनी प्रकाश की उपस्थिति में बेन्जीन की क्लोरीन से अभिक्रिया द्वारा प्राप्त होता है।
यह अनेक समावयों (α, β, γ, δ, ε, η एवं θ ) का मिश्रण है। बी.एच. सी. का उपयोग कृषि क्षेत्र में कीटनाशी (Insecticide) के रूप में किया जाता है। कीटनाशी सक्रियता गामा-समावयव (γ-BHC) में सबसे अधिक होती है। दूसरे समावययों की तुलना में γ-समावयवी आकार में अपेक्षाकृत छोटा होने से इसकी भेदन शक्ति (Penetrating Power) अधिक होती है।
प्रश्न 43.
क्लोरो बेन्जीन की इलेक्ट्रॉन स्नेहीं एवं नाभिक स्नेही अभिक्रियाओं को समझाइए।
उत्तर:
1. नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियायें (Nucleophilic Substitution Reaction): ऐरिल हैलाइड नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के प्रति निम्न कारणों से कम क्रियाशील होते है।
अनुनाद प्रभाव (Resonance effect) : हैलोऐरीन में हैलोजेन परमाणु पर उपस्थित एकाकी इलेक्ट्रॉन युगल वलय के 1 इलेक्ट्रॉनों के साथ संयुग्मन में होते हैं। इस कारण ये 7 इलेक्ट्रॉन अनुनाद प्रदर्शित करते हैं। हैलोऐरीन में पायी जाने वाली अनुनादी संरचनाएँ निम्न है।
उपर्युक्त दिखाये गये अनुनाद के कारण C – X आबन्ध में आंशिक द्विबन्ध के गुण आ जाते हैं जिसके कारण हैलोऐल्केन की तुलना में हैलोऐरीन में आबन्ध विदलन अपेक्षाकृत कठिन हो जाता है। अत: हैलोऐरीन नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के प्रति हैलोऐल्केनों की तुलना में कम क्रियाशील होती है।
2. इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ (Electrophllie Substitution Reactions): हैलोऐरीन बेन्जीन की भाँति इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ जैसे-हैलोजेनीकरण, नाइट्रीकरण, सल्फोनीकरण तथा फ्रीडल-क्राफ्ट आदि अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करती हैं। हैलोजेन परमाणु O– तथा P– निर्देशक होते हैं। अत: यह अगला प्रतिस्थापन हैलोजेन की ऑर्थों-तथा पैरा- स्थितियों पर होता है। हैलोजन के ऑर्थों तथा पैरा-निर्देशक प्रभाव को हम अनुनादी संरचना द्वारा समझ सकते हैं।
जैसा कि अनुनादी संरचना से स्पष्ट है कि मेटा-स्थिति की तुलना मैं ऑर्थों- तथा पैरा-स्थितियों पर इलेक्ट्रॉन घनत्व अधिक बढ़ जाता है। – I प्रभाव के कारण हैलोजेन परमाणु की प्रकृति बेन्जीन वलय के इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करने की होती है, अत: बेन्जीन की अपेक्षा हैलोऐरीन की वलय कुछ मात्रा में निष्क्रिय हो जाती है। -I प्रभाव के कारण हैलोरीन इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन मन्द गति से करता है, अतः अभिक्रिया के लिए कुछ कठिन परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। हैलोऐरीनों के द्वारा प्रदर्शित की जाने वाली कुछ इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ-
(i) हैलोजेनीकरण (Halogenation): निर्जल AlCl3 या FeCl3 या आयरन उत्प्रेरक की उपस्थिति में हैलोऐरीन हैलोजेनीकरण अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करती है। यहाँ आक्रमणकारी स्पीशीज Cl+ होती है।
(ii) नाइट्रीकरण (Nitration): सान्द्र HNO3 तथा सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में नाइट्रीकरण की अभिक्रिया होती है। यहाँ आक्रमणकारी स्पीशीज NO2+ होती है।
(iii) सल्फोनीकरण (Sulphonation): क्लोरो बेन्जीन को सधूम H2SO4 या सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म करने पर सल्फोनीकरण की क्रिया होती है। यहाँ आक्रमणकारी स्पीशीज SO3H+ होती है।
(iv) फ्रीडल-क्राफ्ट ऐल्कलीकरण (Friedel-Craft’s Alkylation): निर्जल AlCl3 की उपस्थिति में हैलोऐरीन ऐल्किल हैलाइड के साथ ऐल्कलीकरण की अभिक्रिया प्रदर्शित करते हैं। यहाँ आक्रमणकारी स्पीशीज CH3+ होती है।
(v) फ्रीडल क्राफ्ट ऐसिलीकरण (Friedel-Craft’sAcylation): निर्जल AlCl3 की उपस्थिति में हैलोऐरीन ऐसिल हैलाइड के साथ ऐसिलीकरण अभिक्रिया प्रदर्शित करती है। यहाँ आक्रमणकारी स्पीशीज COCH3+ होती है।
प्रश्न 44.
ऐल्किल हैलाइड से निम्न कैसे प्राप्त करेंगे।
(i) ऐल्किल आइसों सायनाइड
(ii) ऐल्किल सायनाइड
(iii) नाइदो ऐल्केन
(iv) ऐल्किल नाइट्राइट
(v) आइसों प्रोपिल बेन्जीन
(vi) टेट्रामेथिल अमोनियम क्लोराइड
उत्तर:
(i) ऐल्किल हैलाइड से ऐल्किल आइसो सायनाइड
(ii) ऐल्किल हैलाइड से ऐल्किल सायनाइड
(iii) ऐल्किल हैलाइड से नाइट्रो ऐल्केन
(iv) ऐल्किल हैलाइड से ऐल्किल नाइट्राइट R-X-KNO+R-0-=0+KX
(v) ऐल्किल हैलाइड से आइसो प्रोपिल बेन्जीन
(vi) ऐल्किल हैलाइड से टेट्रामेथिल अमोनियम क्लोराइड
RBSE Class 12 Chemistry Chapter 10 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर
RBSE Class 12 Chemistry Chapter 10 अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
ऐल्कोहॉलों से ऐल्किल क्लोराइड बनाने के लिए थायोनिल क्लोराइड विधि को वरीयता क्यों दी जाती है ?
उत्तर:
क्योंकि इस अभिक्रिया में प्राप्त होने वाले सह- उत्पाद SO2 तथा HCl गैसीय अवस्था में होते हैं जिसके कारण वे वायुमण्डल में मुक्त हो जाते हैं तथा शुद्ध ऐल्किल क्लोराइड प्राप्त होता है।
प्रश्न 2.
ऐल्किल हैलाइडों की सामान्य अभिक्रियाएँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ।
प्रश्न 3.
फ्रीऑन क्या है?
उत्तर:
क्लोरोफ्लोरोकार्बन फ्रीऑन कहलाता है।
प्रश्न 4.
C3H7Cl के सम्भावित समावयवी लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
समपक्ष-2-ब्यूटीन पर Brके योग से बनने वाले समावयवियों की संरचनाएँ लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
C2H4Cl2 के समावयवियों के IUPAC नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 7.
ऐथेनॉल की आयोडीन तथा NaOH के साथ क्रिया कराने पर प्राप्त मुख्य उत्पाद है।
उत्तर:
पीले रंग का CHI3 का अवक्षेप।
प्रश्न 8.
सहीं पद में कैसे परिवर्तित करेंगे?
(i) व्यूटीन-1 से 1-प्रोमोख्यूटेन
(ii) प्रोपीन से ऐलिल क्लोराइड
(iii) प्रोपीन से आइसोप्नोपिल ब्रोमाइड
उत्तर:
प्रश्न 9.
निम्न के IUPAC नाम लिखिए तथा इनका वर्गीकरण ऐल्किल, ऐलिलिक, बेन्जिलिक (प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक), वाइनिल अथवा ऐरिल हैलाइड के रूप में कीजिए
(i) (CH3)3CCH2CH(Cl)CH3
उत्तर:
2 क्लोरो-4, 4-डाइमेबिल पेण्टेन (द्वितीयक ऐल्किल हैलाइड)।
(ii) CH3CH2CH = CHCH2Cl
उत्तर:
1-क्लोरो पेन्ट-2-ईन। (प्राथमिक ऐलिलिक हैलाइड)।
उत्तर:
ब्रोमोफेनिलमेधेन (प्राथमिक बेन्जिलिक हैलाइड)
उत्तर:
3-क्लोरो-6-मेथिल हेप्ट-3-ईन (वाइनिलिक हैलाइड़)।
उत्तर:
4-ब्रोमो-5-मैथिल हेक्स-2-ईन (द्वितीयक ऐलिलिक हैलाइड)।
उत्तर:
2-ब्रोमो-2, 4, 4-ट्राइमेथिल पैप्टेन (तृतीयक ऐल्किल हैलाइड)।
उत्तर:
2-क्लोरो-2-फेनिल प्रोपेन (तृतीयक बेन्जिलिक हैलाइड)।
उत्तर:
1-क्लोरो-4-आइसोप्रोपिल बेन्जीन (ऐरिल हैलाइड)
प्रश्न 10.
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए
उत्तर:
(i) क्लोरोफेनिल मैथेन
(ii) 1-ब्रोमो-3-फेनिल प्रोपेन
(iii) 1, 1-डाइक्लोरो-2-फेनिल ऐथेन
(iv) 3-क्लोरोटॉलईन
(v) ट्राईक्लोरोफेनिल मेथेन
(vi) 1-म्रोमो-3-क्लोरोबेन्जन
(vii) 2-क्लोरो-2-फेनिल ब्यूटेन
(viii) 1,4-डाक्लोरोवेन्जीन
(ix) 1, 1-डाइन्नोम-1- (4-ब्रोमोफेनिल) मेथेन
(x) 3-ब्रोमो-1-फेनिल प्रोपीन
(xi) 2-क्लोरो-2-मेथिल प्रोपेन
प्रश्न 11.
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए
उत्तर:
4-क्लोरोपेन्ट-2-ईन।
उत्तर:
2-क्लोरो-3-ऐथिल पैन्ट-1, 4-डाइईन।
उत्तर:
1-ब्रोम-5-क्लोरो-3-(क्लोरोमेथिल) पेण्टेन।
उत्तर:
3-आयोडौ प्रोप-1-ईन।
उत्तर:
क्लोरो-2, 2-डाइमेथिल प्रोपेन
उत्तर:
2-आयोड़ो-2-मेथिल व्यूटेन।
उत्तर:
2, 3-डाइब्रोमो-1, 4-डाइक्लोरो ब्यूट-2-ईन।
(viii) (C2H5)3CBr
उत्तर:
3-ब्रोम-3-ऐधिल पेण्टेन।
(ix) (CH3)3C-CHCH-CH3
उत्तर:
2-क्लोरो-3, 3-डाइमेथिल ब्यूटेन।
उत्तर:
3-ओमो-5-क्लोरो-3, 5-डाइमेथिल हेप्टेन।
उत्तर:
1-क्लोरो पेन्ट-1-ईन-4-आइन।
उत्तर:
3-ब्रोमो प्रोप-I-आइन।
उत्तर:
4-क्लोरो पेन्ट-2-आइन।
उत्तर:
3-ब्रोमो हेक्स-1, 3, 5-ट्राइईन।
उत्तर:
4-ब्रोमो-3-फ्लुओरो-5-आयडो-6, 7, 7-टाइमेथिल ऑक्ट-1-ईन।
प्रश्न 12.
निम्न की संरचना व IUPAC नाम लिखिए
(i) sec-ब्यूटिल क्लोराइड
(ii) iso-व्यूटिल क्लोराइड
(iii) tert-व्यूटिल क्लोराइड
(iv) tert-ऐमिल ब्रोमाइड
(v) neo-पेन्टिल क्लोराइड
उत्तर:
प्रश्न 13.
निम्न के IUPAC नाम लिखिए
उत्तर:
2-ब्रोमोब्यूटेन।
उत्तर:
1-क्लोरो-3-मेथिल ब्यूटेन।
उत्तर:
2-ब्रोमो-2-मेथिल प्रोपेन।
उत्तर:
4-क्लोरो-4-मेथिल पेन्ट-2-ईन।
उत्तर:
3-आयोडोप्रोपीन।
उत्तर:
4-तृतीयक व्यूटिल-3-आयोडोहेप्टैन।
उत्तर:
2-क्लोरो-3-मेथिल पैन्टैन।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित यौगिकों की संरचनाएँ बनाइए
(i) p-ब्रोमो क्लोरोबेन्जीन।
उत्तर:
(ii) 1-आयोडो-4-मेथिल साइक्लोहेक्सेन।
उत्तर:
(iii) 4-sec-व्यूटिल-2-ऐधिल-1-आयोडोबेन्जीन।
उत्तर:
(iv)1-ब्रोमो-3-मैथिल पैन्ट-2-ईन।
उत्तर:
(v) परफ्लोरोएथिलीन
उत्तर:
(vi) 2-3-क्लोरोफेनिल) ब्यूट-2-इंन
उत्तर:
प्रश्न 15.
निम्न संरचनाओं के IUPAC नाम लिखिए
उत्तर:
3-क्लौरो-4-आयौडौ हैक्सैन
उत्तर:
3-ब्रोमो-4-क्लोरो हेक्सैन।
उत्तर:
3-ऐथिल-4-आयोडो हेक्सेन।
उत्तर:
8-ब्रोमो-2, 7-डाइमेथिल डेकेन।
उत्तर:
7-(1, 2-डाइफ्लुओरोब्यूटिल)-5-ऐथिल ट्राइडेकेन।
उत्तर:
4-(1-क्लोरोऐथिल)-5, 7-विस (2-क्लोरोपेथिल) डेकेन।
उत्तर:
4-(ट्राइक्लोरोमेथिल)-5-(डाइक्लोरोमेथिल) ऑक्टेन।
उत्तर:
4-(2.ब्रोमो-1-क्लोरोऐथिल)-5-( 1,1-डाइक्लोरोऐथिल) ऑक्टेन।
उत्तर:
4-(1-ब्रोमो-2-क्लोरोपेथिल)-5-( 2-ब्रोमो-1-क्लोरोऐथिल) ऑक्टेन
1,1,1, 3, 3, 3-ऐक्साक्लोरो-2, 2-बिस (टाइक्लोरोमैथिल) प्रोपैन
प्रश्न 16.
क्या होता है जब क्लोरीन को उबलते हुए टॉलुईन से प्रवाहित कराते हैं?
उत्तर:
-CH3 समूह के हाइड्रोजन परमाणु एक-एक करके क्लोरीन परमाणुओं से प्रतिस्थापित हो जाते हैं।
प्रश्न 17.
C4H8Cl2 से सम्भावित जैम बाइसैलाइड्स की संख्या व संरचनात्मक सूत्र लिखिए।
उत्तर:
C4H8Cl2 में कुल 3 जैम डाइलाइड्स सम्भव हैं, जो इस प्रकार हैं
प्रश्न 18.
C2H3Cl3 के सम्भावित समावयव बनाइए।
उत्तर:
प्रश्न 19.
क्या होता है जब बेन्जल क्लोराइड को जलीय NaOH विलयन के साथ बालते हैं?
उत्तर:
बेन्जेल्डिहाइड बनता है।
प्रश्न 20.
हिन्सबर्ग अभिकर्मक का रासायनिक नाम एवं सूत्र लिखिये।
उत्तर:
प्रश्न 21.
Br– तथा I– आयनों में से कौन-सा उत्तम नाभिक स्नेही हैं?
उत्तर:
ब्रोमाइड आयन (Br–) की तुलना में आयोडाइड आयन (I–) उत्तम नाभिकस्नेही होता है क्योंकि आयोडीन की विद्युत-ऋणात्मकता बहुत ही कम होती है इसलिए Br– आयनों की तुलना में I– अधिक आसानी से इलेक्ट्रॉन युग्म मुक्त करता है।
RBSE Class 12 Chemistry Chapter 10 लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ऐल्कोहॉल से आप निम्न को किस प्रकार बनाएँगे?
(i) sec-ब्यूटिल क्लोराइड
(ii) फ्लु ओरोऐथेन
(iii) ter-ब्यूटिल ब्रोमाइड
उत्तर:
प्रश्न 2.
C5H11Br आण्विक सूत्र वाले यौगिक के सभी समावयवियों की संरचना बनाइए एवं उनके IUPAC नाम लिखिए। निम्न में से कौन धुवणे घूर्णन प्रदर्शित करते हैं?
उत्तर:
C5H11Br के समावयवी
उपर्युक्त समावयवियों में ध्रुवण घूर्णन प्रदर्शित करने वाले समावयवी 2, 4 तथा 7 हैं।
प्रश्न 3.
निम्न अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए
उत्तर:
प्रश्न 4.
निम्नलिखित आण्विक सूत्र वाले समावयवियों की संरचना व IUPAC नाम लिखिए
(a) C4H9Br
(b) C3H6Cl2
(c) C2H4Cl2
(d) C8H10
(e)C7H7Br
(f)C6H4Cl2
उत्तर:
(a) C4H9Br के निम्न समावयवी होंगे
(b) C3H6Cl2 के निम्न समावयवी होंगे
(c) C2H4Cl2 के निम्न समावयवी होंगे
(i) CH3CHCl2 (1,1-डाइक्लोरोऐथेन)
(ii) Cl-CH2-CH2-Cl (1,2-डाइक्लोरोऐथेन)
(d) C8H10 के समावयवी एवं उनके IUPAC नाम- इसके कुल 4 समावयवी सम्भव हैं
(e)C7H7Br के विभिन्न समावयव एवं उनके IUPAC नाम-
(f) C6H4Cl2 के विभिन्न समावयव एवं उनके IUPAC नाम-
प्रश्न 5.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
CH3CH2Cl + KCN → CH3CH2CN + KCl
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
उत्तर:
प्रश्न 6.
क्या होता है जब (केवल समीकरण दीजिए)
(i) क्लोरोबेन्जीन की क्रिया नाइट्रीकारी मिश्रण से कराई जाती
(ii) ऐथिल ब्रोमाइड मैग्नीशियम से किया करता है।
(iii) बलोरोफॉर्म की प्रकाश की उपस्थिति में O2 से क्रिया होती
(iv) ऐरिल लाइड सोडियम से क्रिया करता है।
उत्तर:
(i) क्लोरोबेन्जीन की क्रिया नाइट्रीकारी मिश्रण से कराई जाती है तो ऑर्थों तथा पैरा क्लोरो नाइट्रोबेन्जीन प्राप्त होता है।
(ii) ऐथिल ब्रोमाइड मैग्नीशियम से क्रिया करके ग्रीन्यार अभिकर्मक बनाता है।
(iii) क्लोरोफॉर्म को प्रकाश को उपस्थिति में O2 से क्रिया करके फॉस्जीन या कार्बोनिल क्लोराइड बनाता है।
(iv) ऐरिल हैलाइड सोडियम से क्रिया करके डाइफेनिल बनाता है।
प्रश्न 7.
क्या होता है जब “”” (केवल अभिक्रियाएँ दीजिए)
(i) क्लोरीन CS2 से निर्जन AlCl3 की उपस्थिति में अभिक्रिया करती है?
(ii) ऐथिल ऐल्कोहॉल को आयोडीन एवं सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गर्म करते हैं?
(iii) क्लोरल जलीय सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ क्रिया करता है?
(iv) सिल्वर आइसोब्यूटाइरेट का आसवन Br2 के साथ CCl4 की उपस्थिति में करते हैं?
(v) ऐथिल क्लोराइड की क्रिया मरक्यूरस फ्लुओराइड के साथ की जाती हैं?
(vi) ऐसीटिलीन की क्रिया HCl के साथ मरक्यूरिक क्लोराइड की उपस्थिति में करते हैं?
(vii) ऐथेनॉल की क्रिया फॉस्फोरस ट्राइब्रोमाइड के साथ कराते हैं?
उत्तर:
(i) CCl4 बनता है।
(ii) आयोडोफॉर्म बनता है।
(iii) क्लोरोफॉर्म बनता है।
(iv) आइसोप्रोपिल ब्रोमाइड बनता है।
(v) फ्लु ओरोऐश्वेन बनता है।
(vi) क्लोरोऐथीन बनता है।
(vii) ऐथिल ब्रोमाइड बनता है।
प्रश्न 8.
आप किस प्रकार बनायेंगे?
(i) n-प्रोपिल ब्रोमाइड से आइसोप्रोपिल ब्रोमाइड
(ii) आइसोप्रोपिल ब्रोमाइड से H-प्रोपिल ब्रोमाइड
(iii) 1-क्लोरोप्रोपेन से 1-ब्रोमोप्रोपेन
(iv) ऐथिल एल्कोहॉल से क्लोरोफॉर्म
(v) प्रोपीन से 1-म्रोमोप्रोपेन
(vi) ऐसीटोन से आयोडोफॉर्म
(vii) 1-व्यूटीन से 1-आयोडोब्यूटेन
(viii) प्रोपेन से ऐलिल क्लोराइड
(ix) ऐथिल ऐल्कोहॉल से फ्लुओरोऐथेन
(x) मेचेन से मेथिल आयोडाइड
(xi) ऐसीटिलीन से आयोडोफॉर्म
(xii) ऐथिल ऐल्कोहॉल से वेनिल ब्रोमाइड
उत्तर:
प्रश्न 9.
निम्नलिखित यौगिकों को क्वथनांकों के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए
- ब्रोमोमेथेन, ब्रोमोफॉर्म, क्लोरोमेथेन, डाइब्रोमोमेथेन।
- 1-क्लोरोप्रोपेन, आइसोप्नोपिल क्लोराइड, 1-क्लोरोथ्यूटेन्।
उत्तर:
- क्लोरोमैथैन < ब्रोमोमेथेन < डाइब्रोमोमेथेन < ब्रोमौफॉर्म (अणुभार बढ़ने पर क्वथनांक बढ़ता जाता है।)
- आइसोप्रोपिल क्लोराइड < 1-क्लोरोप्रोपेन < 1-क्लोरोब्युटेन (शाखित होने के कारण आइसोप्रोपिल क्लोराइड का गलनांक 1-क्लोरोप्नौपैन से कम होगा।)
प्रश्न 10.
निम्नलिखित युगलों में से आप कौन-से ऐल्किल हैलाइड द्वारा SN2 क्रियाविधि से अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करने की अपेक्षा करते हैं? अपने उत्तर को समझाइए।
उत्तर:
(i) CH3CH2CH2CH2Br अधिक तीव्रता से SN2 क्रियाविधि द्वारा अभिक्रिया करता है, क्योंकि प्राथमिक हैलाइड होने के कारण इसमें कोई त्रिविम बाधा उत्पन्न नहीं होगी।
अधिक तीव्रता से SN2 क्रियाविधि द्वारा अभिक्रिया करेगा, क्योंकि द्वितीयक हैलाइड, तृतीयक हैलाइड की तुलना में अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करता है।
अधिक तीव्रता से SN2 क्रियाविधि द्वारा अभिक्रिया करेगा, क्योंकि यहाँ मैथिल समूह हैलाइड समूह से दूर होने के कारण कम त्रिविम बाधा को उत्पन्न करेगा तथा इसमें अभिक्रिया का वेग अधिक होगा।
प्रश्न 11.
हॅलोजेन यौगिकों के निम्नलिखित युगलों में से कौन-सा अधिक तीव्रता से SN1 अभिक्रिया करेगा ?
उत्तर:
तीव्रता से SN1 अभिक्रिया करेगा। यह एक तृतीयक हैलाइड है और तृतीयक हैलाइड के द्वारा बने तृतीयक काब धनायन का स्थायित्व भी अधिक होगा। अत: इसकी अभिक्रियाशीलता द्वितीयक हैलाइड से अधिक होगी।
अधिक तीव्रता से SN1 अभिक्रिया करेगा, क्योंकि प्राथमिक ईलाइड की तुलना में द्वितीयक कार्योधनायन का स्थायित्व अधिक होगा।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित में A, B, C, D, E, R तथा Rl को पहचानिए
उत्तर:
प्रश्न 13.
निम्नलिखित हैलाइडों के नाम आईंयूपीएसी (IUPAC) पद्धति से लिखिए तथा उनका वर्गीकरण ऐल्किल, ऐलिलिक, बेन्जिलिक (प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक), चाइनिल अथवा ऐरिल हैलाइड के रूप में कीजिए-
(i) (CH3)2CHCH(Cl)CH3
(ii) CH3CH2CH(CH3)CH(C2H5)Cl
(iii) CH3CH2C(CH3)2CH3I
(iv) (CH3)2CCH2CH(Br)C6H5
(v) CH3CH(CH3)CH(Br)CH3
(vi) CH3C(C2H5)2CH2Br
(vii) CH3C(Cl)(C2H5)CH2CH3
(viii) CH3CH=C(Cl)CH2CH(CH3)2
(ix) CH3CH=CHC(Br)(CH3)2
(x) p-ClC6H4CH2CH(CH3)2
(xi) m-ClCH2C6H4CH2C(CH3)3
(xii) o-Br-C6H4CH(CH3)CH2CH3
उत्तर:
प्रश्न 14.
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम दीजिए
उत्तर:
प्रश्न 15.
निम्नलिखित कार्बनिक हैलोजेन यौगिकों की संरचना दीजिए
(i) 2-क्लोरो-3-मेथिलपेन्टेन
(ii) p-ब्रोमोक्लोरो बेन्जीन
(iii) 1-क्लोरो-4-ऐथिलसाइक्लोहेक्सेन
(iv) 2-(2-क्लोरोफेनिल)-1-आयोडोऑक्टेन
(v) परफ्लुओरोबेन्जीन
(vi) 4-तृतीयक-व्यूटिल-3-आयोडोहेप्टेन
(vii) 1-बोमो-4-द्वितीयक-व्यूटिल-2 मेथिल बेन्जन
(viii) 1, 4-डाइम्रोमोव्यूट-2-ईन
उत्तर:
(i) 2-लोरो-3-मेथिल पैन्टेन
(ii) p-ब्रोमोक्लोरो बेन्जीन
(iii) 1-क्लोरो-4-एथिल साइक्लोहेक्सैन
(iv) 2-(2-क्लोरोफेनिल)-1-आयोडो ऑक्टैन
(v) परफ्लुओरो बेन्जीन
(vi) 4-तृतीयक च्यूटिल-3-आयोडो हेप्टेन
(vii) 1-ब्रोमो-4-द्वितीयक व्यूटिल-2-मेथिल वेन्जीन
(viii) 1, 4-डाइब्रोम ब्यूट-2-ईन
BrCH2CH = CHCH2Br
प्रश्न 16.
पूर्ण करें।
उत्तर: