RBSE Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 11 ऑक्सीजन युक्त क्रियात्मक समूह वाले यौगिक (भाग-1)
RBSE Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 11 ऑक्सीजन युक्त क्रियात्मक समूह वाले यौगिक (भाग-1)
Rajasthan Board RBSE Class 12 Chemistry Chapter 11 ऑक्सीजन युक्त क्रियात्मक समूह वाले यौगिक (भाग-1)
RBSE Class 12 Chemistry Chapter 11 अभ्यास प्रश्न
RBSE Class 12 Chemistry Chapter 11 बहुविकल्पीय प्रश्न
1. ऐथेनॉल तथा सान्द्र H2SO4 की क्रिया द्वारा किसी भी अवस्था में निम्न में से कौन प्राप्त नहीं होता है
(A) CH3CHO
(B) CH3CH2HSO4
(C) C2H4
(D) CH3CH2OCH2CH3
2. ऐल्कोहॉल का सामान्य सूत्र है
(A) Cn H2n+2 O
(B) Cn H2n+1 O
(C) Cn+1 H2n O
(D) Cn+2 Hn O
4. ऐल्कोहॉल की अभिक्रिया फॉस्फोरस पेन्टा क्लोराइड के साथ करवाने पर उत्पाद बनता है।
(A) क्लोरो ऐल्कीन
(B) डाइक्लोरो ऐल्कीन
(C) क्लोरो ऐल्केन
(D)डाइक्लोरो ऐल्केन
5. निम्नलिखित फोनॉल में सबसे प्रबल है
(A) o-नाइट्रो फोनॉल
(B) m-नाइट्रोफीनॉल
(C) o-नाइट्रोफीनॉल
(D) p-क्लोरों फीनॉल
6. विक्टर मेयर परीक्षण नहीं दिया जाता है
(A) C2H5OH
(B) (CH3)3COH
(C) (CH3)2CHOH
(D) CH3CH2CH2OH
7. निम्न में प्रबल अम्ल हैं
(A) फीनॉल
(B) pm-क्लोरोफीनॉल
(C) बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(D) साइक्लो हेक्सेनॉल
8. सेलिसिलिक अम्ल को सोडा लाइम के साथ गर्म करने पर बनने वाला उत्पाद है
(A) मेथिल ऐल्कोहॉल
(B) ईथर
(C) ऐथिल ऐल्कोहॉल
(D) फोनॉल
9. फोनॉल क्लोरोफॉर्म + क्षार → मुख्य उत्पाद मुख्य उत्पाद है
(A) सैलिसैल्डिहाइड
(B) फॉर्मेल्डिहाइड
(C) कीटोन
(D) ऎसीटेल्डिहाइड
10. ईथर को ऐलुमिना पर 653 K ताप पर प्रवाहित करने पर बनने वाला उत्पाद है
(A) ऐल्कीन
(B) ऐल्केन
(C) ऐल्कोहॉल
(D) फनॉल
उत्तरमाला:
1. (A)
2. (B)
3. (A)
4. (C)
5. (C)
6. (B)
7. (B)
8. (D)
9. (A)
10. (A)
RBSE Class 12 Chemistry Chapter 11 अतिलघुत्त्रात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ऐल्कोहॉल का सामान्य सूत्र है
उत्तर:
CnH2n + OH
प्रश्न 2.
ऐथिल ऐल्कोहॉल का IUPAC नाम लिखिए।
उत्तर:
ऐथेनॉल
प्रश्न 3.
ग्रीन्यार अभिकर्मक की अभिक्रिया फॉर्मेल्डिहाइड से कराने पर बनने वाले उत्पाद का नाम लिखिए।
उत्तर:
प्राथमिक ऐल्कोहॉल
प्रश्न 4.
प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉलों की अम्लता का क्रम लिखिए।
उत्तर:
प्राथमिक > द्वितीयक > तृतीयक।
प्रश्न 5.
फ्रीस पुर्नविन्यास लिखिए।
उत्तर:
फीनॉल की ऐसीटिल क्लोराइड के साथ अभिक्रिया कराने पर फेनिल ऐस्टर प्राप्त होता है। फेनिल ऐस्टर को नाइट्रोबेन्जीन में निर्जल AICl3 के साथ गर्म करने पर ऐसिल समूह पुर्नचिन्यासित होकर फीनोलिक समूह के ऑर्थों तथा पैरा स्थिति पर आ जाता है। 333 K या इससे निम्न ताप पर पैरा प्रतिस्थापी तथा 433 K या इससे उच्च ताप पर ऑर्थो प्रतिस्थापी मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 6.
फीनॉल वायु में खुला छोड़ने पर क्या बनाता है?
उत्तर:
फीनॉल वायु में खुला छेड़नेपर मन्दगति से ऑक्सीकृत होकर क्विनोन युक्त रंगीन मिश्रण बनाता है।
प्रश्न 7.
इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह का फीनॉल की अम्लता पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
फीनॉल में बेन्जीन वलय पर इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह उपस्थित होने पर फीनॉल की अम्लीयता बढ़ जाती है।
प्रश्न 8.
ईथर का सामान्य सूत्र लिखिए।
उत्तर:
CnH2n+2O
या
R-O-R
RBSE Class 12 Chemistry Chapter 11 लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 9.
हाइड्रोवोरोनन ऑक्सीकरण अभिक्रिया समझाइए।
उत्तर:
डाइबोरेन (B2H6) इलेक्ट्रॉन न्यून अणु (Electron deficient molecule) होता है। अतः यह इलेक्ट्रॉनरागी (electrophile) की तरह कार्य करता है, तथा एल्कीन के साथ अभिक्रिया करके ट्राइऐल्किल बोरेन बनाता है जोकि क्षारीय H2O2 की उपस्थिति में ऑक्सीकृत होकर ऐल्कोहॉल देते हैं। दो पदों की यह प्रक्रिया हाइड्रोबोरोनन ऑक्सीकरण (hydroboration-oxidation) कहलाती है। इसमें ऐल्कीन से जल का प्रति मॉर्कोनीकॉफ (Anti-Markovnikov) योग होता है।
प्रश्न 10.
ग्रीन्यार अभिकर्मक से प्राथमिक ऐल्कोहॉल बनाने की विधि लिखिए।
उत्तर:
फार्मेल्डिहाइड ग्रीन्यार अभिकर्मक से अभिक्रिया करके प्राथमिक ऐल्कोहॉल बनाता है।
प्रश्न 11.
ऐल्कोहॉल पानी में विलेय हैं तथा डाइ ऐथिल ईथर नहीं। कारण समझाइए।
उत्तर:
ऐल्कोहॉल जल के अणुओं के साथ अन्तराअणुक हाइड्रोजन आबन्धन बनाते हैं, इसलिए ऐल्कोहॉल जल में विलेय होते हैं। डाइऐथिल ईथर जल के अणुओं के साथ हाड्रोजन आबन्धन नहीं बनाता है, इसलिए यह जल में अविलेय होता है।
प्रश्न 12.
फीनॉल कार्बोक्सिलिक अम्ल की तुलना में कम अम्लीयता प्रदर्शित करते हैं। कारण समझाइए।
उत्तर:
कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा फीनॉल दोनों अम्लीय होते हैं। लेकिन फीनॉल कार्बोक्सिलिक अम्ल की तुलना में कम अम्लीय होते हैं। इसके अध्ययन के लिए कार्बोक्सिलेट आयन तथा फीनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाओं को समझना होगा-
फोनॉक्साइड आयन संरचनाओं (IV-VI) में कम विद्युत ऋणी कार्बन परमाणु पर ऋणावेश उपस्थित है। अत: फीनॉक्साइड आयन के अनुनाद स्थायीकरण में इनका योगदान अति अल्प है तथा आसानी से निरस्त हो जाता है। I तथा III संरचनाओं में कार्बोक्सिलेट आयन पर ऋणावेश दो ऑक्सीजन परमाणुओं पर विस्थानीकृत (Delocalized) है जबकि संरचनाओं III और IV में ऑक्सीजन परमाणु पर स्थानीकृत रहता है। केवल बेन्जीन वलय के इलेक्ट्रॉन विस्थानीकृत होते हैं। चूँकि बेन्जीनं वलय का विस्थानीकरण फीनॉक्साइड आयन के स्थायीकरण में अल्प योगदान देता है। अत: कार्बोक्सिलेट आयन फोनॉक्साइड आयन की तुलना में अधिक अनुनाद स्थायी होता है। इसके परिणामस्वरूप कार्बोक्सिलिक अम्लों से प्रोटॉन का निष्कासन फीनॉल की तुलना में आसान होता है अर्थात् कार्बोक्सिलिक अम्ल फीनॉल की तुलना में अधिक अम्लीय होते हैं।
प्रश्न 13.
निम्न अभिक्रियाएँ लिखिए
(i) गाटरमान अभिक्रिया
(ii) राइमर-टीमान अभिक्रिया
(iii) डफ अभिक्रिया
उत्तर:
(i) गाटरमान अभिक्रिया (Gattermann Reaction):
फीनॉल की ZnCl2 उत्प्रेरक की उपस्थिति में HCN तथा HCl के मिश्रण के साथ अभिक्रिया कराने पर मध्यवर्ती के रूप में ऐल्डेमीन प्राप्त होता है। ऐल्डेमीन जलअपघटित होकर p-हाइड्रॉक्सी बेन्जेल्डिहाइड देता है। यह अभिक्रिया गाटरमान अभिक्रिया (Gattermann Reaction) कहलाती है।
(ii) राइमर टीमैन अभिक्रिया (Reimmer Tiemann Reaction):
फीनॉल की अभिक्रिया क्षारों की उपस्थिति में क्लोरोफॉर्म के साथ कराने पर -CHO समूह ऑर्थो स्थिति पर प्रतिस्थापित हो जाता है, तथा सैलिसैल्डिहाइड प्राप्त होता है। यह अभिक्रिया राइमर टीमैन अभिक्रिया कहलाती है।
(iii) डफ अभिक्रिया (Duff Reaction):
फीनॉल को हैक्सामेथिलीन टेट्राऐमीन [(CH2)6N4) तथा बोरिक अम्ल (H3BO) के साथ ग्लिसरॉल की उपस्थिति में गर्म करने पर सैलिसैल्डिहाइड बनता है। यह अभिक्रिया डफ अभिक्रिया (Duff Reaction) कहलाती है।
प्रश्न 14.
डाइऐथिलईथर की हैलोजेनीकरण अभिक्रिया समझाइए।
उत्तर:
डाइऐथिल ईथर की हैलोजेनीकरण अभिक्रिया (Halogenation Reaction of Diethyl Ether):क्लोरीन अथवा ब्रोमीन के साथ गर्म करने पर डाइ ऐथिल ईथर के aकार्बन पर उपस्थित हाइड्रोजन परमाणु हैलोजन परमाणु से प्रतिस्थापित हो जाते हैं।
(i) अन्धेरे में हैलोजेनीकरण से α, α’-डाइ हैलो ईथर प्राप्त होता है।
(ii) सूर्य के प्रकाश में डाइऐथिल ईथर क्लोरीन से अभिक्रिया करके। परक्लोरो डाई ऐथिल ईथर बनाता है।
RBSE Class 12 Chemistry Chapter 11 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 15.
ऐल्कोहॉल निम्न से अभिक्रिया करके क्या बनाता है?
(i) PCl3
(ii) SOCl2
उत्तर:
(i) PCl3 से अभिक्रिया (Reaction with PCl3)
(ii) SOCl2 से अभिक्रिया (Reaction with SOCl2)
ऐल्कोहॉल पिरीडीन की उपस्थिति में थायोनिल क्लोराइड से अभिक्रिया करके ऐल्किल क्लोराइड बनाते हैं।
प्रश्न 16.
फनॉल निम्न से अभिक्रिया करके क्या बनाता है?
(i) HCN तथा HCl
(ii) NaOH अथवा KOH की उपस्थिति में क्लोरोफॉर्म से
उत्तर:
(i) HCN तथा HCl से अभिक्रिया (Reaction with HCN and HCl): फौनॉल की अभिक्रिया HCN तथा HCl के मिश्रण के साथ ZnCl2 उत्प्रेरक की उपस्थिति में होती है। इस क्रिया में ऐल्डेमौन मध्यवर्ती के रूप में प्राप्त होता है। ऐल्डेमींन को जल अपघटित करने पर – हाइड्रॉक्स बेन्जोल्डिहाइड प्राप्त होता है।
यह अभिक्रिया गाटरमान अभिक्रिया कहलाती है।
(ii) NaOH / KOH की उपस्थिति में फनॉल की अभिक्रिया क्लोरोफॉर्म से कराने पर – CHO समूह ऑर्थो स्थिति पर प्रतिस्थापित हो जाता है तथा सैल्सैिल्डिहाइड बनता है। यह अभिक्रिया राइमर टीमैन अभिक्रिया कहलाती हैं।
प्रश्न 17.
डाइ ऐथिल ईथर की प्रतिस्थापना अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर:
डाइ ऐधिल ईथर के रासायनिक गुण (Chemical Properties of Diethyl Ether):
डाइ ऐथिल ईथर (ऐथॉक्सी ऐथेन) की अभिक्रियाओं को चार वर्गों में बाँटा जा सकता है
- ऐथिल समूह की प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ।
- ईथर क्रियात्मक समूह के ऑक्सीजन परमाणु पर उपस्थित एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्मों के कारण अभिक्रियाएँ।
- C-Oआबन्ध विदलन की अभिक्रियाएँ।
- अन्य अभिक्रियाएँ।
1. ऐधिल समूहकी प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ (Substitution Reactions of Ethyl Group) हैलोजेनीकरण (Halogenation): क्लोरीन अथवा ब्रोमीन को साथ गर्म करने पर डाइ ऐभिल ईथर के α – कार्बन पर उपस्थित H – परमाणु हैलोजेन परमाणुओं से प्रतिस्थापित हो जाते हैं।
(i) अंधेरे में हैलोजेनीकरण (Halogenation in Dark)
(ii) सूर्य के प्रकाश में हैलोजेनीकरण (Halogenation in sun light): डाइ ऐथिल ईथर (ऐथक्सी ऐथेन) सूर्य के प्रकाश में क्लोरीन से अभिक्रिया करके पर क्लोरो डाइ ऐथिल ईथर बनाता है।
2. ईथर क्रियात्मक समूहकेऑक्सीजन परमाणु पर उपस्थित एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म के कारण अभिक्रियाएँ (Reactions due to lone pair electrons on oxygen atom of ether functional Group)
(i) परॉक्साइड का बनना (Formation of Peroxide): हाइ ऐथिल ईथर वायु की ऑक्सीजन या ओजोन से अभिक्रिया करके परॉक्साइड बनाता है।
यदि ईथर को वायु में दीर्घावधि तक रखा रहने दिया जाय तो यह स्वत: ऑक्सीकृत होकर 1-ऐक्सी ऐथिल हाइड्रो पॉक्साइड़ का निर्माण करता है, जो विस्फोटक प्रकृति (Explosive nature) का होता हैं।
(ii) ऑक्सोनियम लवण का बनना (Formation of Oxonium salt): अकार्बनिक अम्लों के साथ ईथर ब्रान्स्टैंड लॉरी क्षार समान व्यवहार करता है, तथा ऑसोनियम लवण बनाता है। उदाहरणार्थ-जब हाइ ऐथिल ईथर को सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म करते हैं। तव पहले ऑक्सौनियम लवण बनता है। जो अन्तत: ऐथिल हाइड्रोजन सल्फेट में बदल जाता है।
डाइ ऐथिल ईथर HCl गैस के साथ भी ऑक्सोनियम लवण बनाता है।
डाइ ऐऐथिल ऑक्सोनियम क्लोराइड डाइ ऐथिल ईथर इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिकों के साथ लुईस क्षार की भाँति कार्य करता है तथा ऑसोनियम लवण बनाता है।
3. C-O आबन्ध विखण्डन के कारण अभिक्रियाएँ (Reactions due to cleavage of C-O bond)
(i) हाइड्रोजन हैलाइड (HX) के साथ अभिक्रिया [Reaction with Hydrogen halide (HX)]: जब डाइ ऐथिल ईथर को हाइड्रोजन हैलाइड के साथ अधिकृत कराते हैं, तब ऐल्किल हैलाइड तथा ऐल्कोहॉल का निर्माण होता है।
हाइड्रोजन हैलाइड (HX) की अधिकता में अन्तिम उत्पाद ऐल्किल हैलाइड तथा जल प्राप्त होते हैं।
हाइड्रोजन हैलाइड्रों की अभिक्रियाशीलता निम्न क्रम में होती हैं।
HI > HBr > HCl
जीसल विधि:
मेथॉक्सी समूह के मात्रात्मक आकलन के लिए मेथिल ईथर की HI के साथ अभिक्रिया करायी जाती है। यह विधि जीसल विधि कहलाती है। जब मिश्रित ईथर कौअभिक्रिया हाइड्रोजन हैलाइड के साथ करायी जाती है तब ऐल्किल समूह की प्रकृति (प्राथमिक / द्वितीयक / तृतीयक) के अनुसार भिन्न-भिन्न उत्पाद प्राप्त होते हैं। मिश्रित ईथर में यदि एक ऐल्किल समूह प्राथमिक व दूसरा समूह तृतीयक ऐल्किल समूह है तो प्राथमिक समूह का ऐल्कोहॉल तथा तृतीयक ऐल्किल समूह का हैलाइड प्राप्त होता है। तथा अभिक्रिया SN1 क्रियाविधि द्वारा होती है।
यदि मिश्रित ईथर में लगे ऐल्किल समूह प्राथमिक अथवा द्वितीयक होते हैं, तब प्राथमिक या छेटे ऐल्किल समूह का हैलाइड निर्मित होता है, तथा अभिक्रिया SN2 क्रियाविधि द्वारा होती है।
यदि एक ऐल्किल समूह तृतीयक होता है तब तृतीयक ऐल्किल समूह से ऐल्किल हैलाइड निर्मित होता है।
(ii) जल अपघटन (Hydrolysis): जय डाइऐथिल ईथर को तनु H2SO4 के साथ उच्च दाब पर गर्म करते हैं। तब ऐथेनॉल प्राप्त होता है।
(iii) अपचयन (Reduction): डाइ ऐथिल ईथर द्रव अमोनिया में Na के साथ अपचयित होकर ऐल्कैन तथा ऐल्केनॉल देता है।
डाइपेथिल ईथर लाल फॉस्फोरस तथा HI के साथ गर्म करने पर ऐचेन देता है।
(iv) ऐसीटिल क्लोराइडके साथ अभिक्रिया (Reaction with Acetyl chloride): निर्जल (ZnCl2) की उपस्थिति डाइ पेथिल ईथर की ऐसीटिल क्लोराइड के साथ अभिक्रिया कराने पर ऐथिल ऐसीटेट तथा ऐथिल क्लोराइड बनते हैं।
(v) ऐसीटिक ऐनाइराइड के साथ अभिक्रिया (Reaction with Acetic Anhydride): हाइ ऐथिल ईथर को निर्जल ZnCl2 की उपस्थिति में ऐसीटिक ऐनहाइड्राइड के साथ गर्म करने पर ऐथिल ऎसीटेट बनता है।
4. अन्य अभिक्रियाएँ (Other Reactions)
(i) निर्जलीकरण (Dehydration): डाइ ऐथिल ईथर वाष्य को ऐलुमिना पर 653 K ताप पर प्रवाहित करने पर जल का अणु निष्कासित हो जाता है तथा ऐथन निर्मित होती है।
(ii) कार्बन मोनोऑक्साइड के साथ अभिक्रिया (Reaction with carbon monoxide): हाइऐभिल ईश्वर कार्बन मोनोऑक्साइड के साथ 500 atm तथा 398 – 423 K ताप पर उत्प्रेरक BF3 तथा जल की उपस्थिति में ऐस्टर बनाता है।
(iii) दहन (Combustion): डाइ ऐथिल ईथर वायु में प्रकाश युक्त ज्वाला के साथ जलकर जल तथा कार्बन डाइ ऑक्साइड बनाता है।