RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 13 किशोरावस्था में पोषण
RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 13 किशोरावस्था में पोषण
Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Chapter 13 किशोरावस्था में पोषण
RBSE Class 12 Home Science Chapter 13पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनें –
(i) किशोरावस्था सामान्यतः मानी जाती है –
(अ) 14 से 18 वर्ष तक
(ब) 13 से 21 वर्ष तक
(स) 12 से 20 वर्ष तक
(द) 10 से 15 वर्ष तक।
उत्तर:
(ब) 13 से 21 वर्ष तक
(ii) किशोर के संवेग होते हैं –
(अ) ढीले-ढाले
(ब) सुस्त व लम्बे
(स) तीव्र व क्षणिक
(द) सामान्य।
उत्तर:
(स) तीव्र व क्षणिक
(iii) 13 से 15 वर्षीय सामान्य बालिका को लौह तत्व की आवश्यकता होती है –
(अ) 30 मिग्रा.
(ब) 28 मिग्रा.
(स) 40 मिग्रा.
(द) 32 मिग्रा.
उत्तर:
(ब) 28 मिग्रा.
(iv) किशोरावस्था के समय रक्त में हीमोग्लोबिन के स्तर में गिरावट आती है। इस रोग को कहते हैं –
(अ) मोटापा
(ब) बेरी – बेरी
(स) रक्ताल्पता
(द) घंघा।
उत्तर:
(स) रक्ताल्पता
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. लड़कियों में किशोरावस्था…………….वर्ष से प्रारम्भ होकर 17 – 18 वर्ष तक बनी रहती है।
2. …………….अपने स्वास्थ्य व शारीरिक रचना को लेकर अधिक शंकित रहती हैं।
समूह की आवश्यकताएँ ऊर्जा की आवश्यकता के साथ-साथ बढ़ती जाती हैं।
3. ………..समूह की आवश्यकताएँ ऊर्जा की आवश्यकता के साथ – साथ बढ़ती जाती हैं।
4. किशोर किशोरियों को प्रतिदिन…………….गिलास जल का सेवन पानी गिलास जल का सेवन पानी एवं अन्य तरल भोज्य पदार्थों के रूप में करना चाहिए।
5. किशोरों के लिए आहार व्यवस्था उनके…………….एवं अन्य…………….के अनुरूप होनी चाहिए।
उत्तर:
1. 10 – 11
2. किशोरियाँ
3. विटामिन-बी
4. 8 -10
5. स्कूल / कॉलेज, क्रियाकलापों।
प्रश्न 3.
किशोरावस्था में हो रहे निम्न परिवर्तनों पर चर्चा कीजिए –
1. शारीरिक वृद्धि
2. संज्ञानात्मक परिवर्तन
3. सामाजिक परिवर्तन।
उत्तर:
1. शारीरिक वृद्धि:
किशोरावस्था वास्तव में परिवर्तनों की अवस्था होती है। इस अवस्था में विकास की गति अत्यन्त तीव्र हो जाती है। शारीरिक विकास के साथ ही किशोरों की लम्बाई बढ़ने लगती है। माँसपेशियों की मात्रा में वृद्धि होने लगती है। कोमल तन्तुओं में वसा का संग्रहित होना प्रारम्भ हो जाता है। किशोरियों के भार में वृद्धि प्रथम रक्तस्राव के ठीक पूर्व से लेकर इसके ठीक पश्चात् तक होती है। लड़कों के भार में वृद्धि 13-16 व वर्ष में होती है।
2. संज्ञानात्मक परिवर्तन:
किशोरावस्था में सोचने-समझने व तर्क-वितर्क करने की क्षमता का विकास तीव्रता से होता है। किशोरावस्था में अधिकतम विकास की अवस्था होती है। किशोर तर्क-वितर्क करते। समय व परिस्थितियों के अनुसार सही व गलत का निर्णय करने लगता है। वे अपनी पढ़ाई व कैरिअर के प्रति सजग व गंभीर हो जाते हैं तथा अपना निर्णय स्वयं लेना पसन्द करते हैं।
3. सामाजिक परिवर्तन:
किशोरावस्था को आत्मनिर्भरता की अवस्था भी कहते हैं। इस अवस्था में बालक बालिकाएँ शारीरिक व मानसिक रूप से इतने परिपक्व हो जाते हैं कि वे अपना प्रत्येक का कार्य स्वयं ही कर सकते हैं। वे अपने कार्यो में दूसरे लोगों का हस्तक्षेप करना भी पसन्द नहीं करते हैं। लड़कपन की शैतानियों को छोड़ देते हैं तथा समाज में एक वयस्क की तरह शान्त व सौम्य व्यवहार करते हैं। परिवार के सदस्यों के प्रति स्नेह, निष्ठा, विचारशीलता एवं सम्मान प्रकट करते हैं साथ ही अपने नागरिक कर्तव्यों को निष्ठा के साथ पूरा करते हैं तथा अपने मित्रों के प्रति भी निष्ठावान रहते हैं। ये विपरीत परिस्थितियों में भी प्रसन्न रहते हैं।
प्रश्न 4.
किशोरावस्था के समय पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता अधिक होती है। क्यों?
उत्तर:
किशोरावस्था के समय पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता अधिक होती है। इसकी विवेचना हम निम्न बिन्दुओं के आधार पर कर सकते हैं
1. ऊर्जा (Energy)-किशोरावस्था में ऊर्जा की आवश्यकता उनकी लम्बाई, भार, क्रियाशीलता तथा उपापचय के अनुसार होती है। किशोरों तथा किशोरियों की ऊर्जा की आवश्यकता में भी अन्तर होता है। किशोरियों की तुलना में किशोरों को ऊर्जा की आवश्यकता अधिक होती है। किशोर तुलनात्मक रूप में शारीरिक श्रम अधिक करते हैं, अत: इसके लिए उन्हें अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
2. प्रोटीन (Proteins):
मानव शरीर की प्रत्येक कोशिका की संरचना का आधार प्रोटीन है। किशोरावस्था में वृद्धि तथा विकास की दर अत्यधिक तीव्र होती है, जिसे बनाए रखने के लिए प्रोटीन अति आवश्यक है। अस्थियों तथा माँसपेशियों के विकास के लिए भी प्रोटीन अति आवश्यक है। आरम्भ में बालकों की अपेक्षा बालिकाओं को प्रोटीन की आवश्यकता अधिक होती है। उत्तम एवं पूर्ण प्रोटीन की प्राप्ति अंडा, मांस, मछली, दूध व दूध से बने पदार्थ दही, खोआ, पनीर (चीज), दालें, सोयाबीन आदि द्वारा की जा सकती है।
3. वसा (Fats):
राष्ट्रीय पोषण संस्थान ने किशोरावस्था में वसा (घी-तेल) की कुल मात्रा 25 ग्राम प्रतिदिन प्रस्तावित की है। यह मात्रा दिनभर में किशोरों द्वारा ग्रहण किए जाने वाले कुल भोजन के लिए निर्धारित है।
4. विटामिन (Vitamin):
किशोरावस्था में विकास हेतु सभी विटामिनों की उपयुक्त एवं पर्याप्त मात्रा किशोरों के लिए अति आवश्यक है। विटामिन-बी समूह-थायमिन, राइबोफ्लेविन व नियासिन की आवश्यकता ऊर्जा की आवश्यकता के अनुपात में बढ़ती है-ये तीनों विटामिन कार्बोज, वसा व प्रोटीन से प्राप्त होने वाली ऊर्जा के उपापचय का कार्य करते हैं।
5. खनिज लवण (Minerals):
किशोरावस्था में अस्थियों की वृद्धि एवं विकास के लिए विशेष रूप से कैल्सियम, फॉस्फोरस एवं लौह लवण की आवश्यकता होती है। इस आयु में किशोरों में हीमोग्लोबिन का स्तर 2 ग्राम/100 मिली. तथा किशोरियों में 1 ग्राम /100 मिली. के अनुसार बढ़ता है जिसके लिए लौह लवण की आवश्यकता होती है। किशोरियों में मासिक स्राव से होने वाले नुकसान के लिए भी लौह लवण की आवश्यकता होती है।
6. जल (Water):
किशोर-किशोरियों को अपने भोजन में पर्याप्त मात्रा में जल एवं तरल भोज्य पदार्थों, जैसे-दूध, दही, छाछ, फलों के रस, दाल व सब्जियों के सूप आदि का प्रयोग करना चाहिए। इन्हें 8-10 गिलास जल का सेवन पानी या तरल पदार्थों के रूप में करना चाहिए।
किशोरावस्था में वृद्धि की दर अत्यधिक तीव्र हो जाती है। लड़कियों की वृद्धि 11 से 14 वर्ष तथा लड़कों की वृद्धि 13 से 16 वर्ष के मध्य तीव्र होती है। शारीरिक विकास के अन्तर्गत अस्थियों की वृद्धि, माँसपेशियों की दृढ़ता, कोमल पेशी तंतुओं में वसा एकत्र होने आदि के लिए पौष्टिक तत्त्वों की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 5.
किशोरों की भोजन सम्बन्धी समस्याओं को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
किशोरों में भोजन सम्बन्धी समस्याएँ निम्नलिखित होती हैं –
भोजन सम्बन्धी आदतों में परिवर्तन:
शहरी किशोर – किशोरियों की भोजन सम्बन्धी आदतों में तीव्रता से परिवर्तन होने लगता है। किशोर प्रायः परिवार के सदस्यों के साथ भोजन करने के स्थान पर अपने दोस्तों के साथ रेस्टोरेन्ट या होटल में खाना अधिक पसन्द करते हैं। वे दाल, रोटी, फल, सब्जी जैसा सादा भोजन करना पसन्द नहीं करते बल्कि बाजार में उपलब्ध पिज्जा, बर्गर, मैगी, चाऊमीन, सैण्डविच, इडली, डोसा, बिस्कुट, आलू के चिप्स, चाट – पकौड़ी आदि खाना अधिक पसन्द करते हैं।
ताजे फलों के रस के स्थान पर कोल्ड ड्रिंक एवं पेय पदार्थ जैसे सोडा वाटर, संश्लेषित पेय एवं मादक पेय पदार्थ पीना अधिक पसंद करते हैं। अतः साफ-सफाई, शुद्धता एवं स्वच्छता के अभाव में बाजार में उपलब्ध तुरन्त पका भोजन न तो पूर्णतः पौष्टिक होते हैं और न ही सेहत के लिये सुरक्षित होते हैं। पौष्टिक तत्वों की अनभिज्ञता की कमी किशोरों में होती है अत: कभी-कभी वे इस प्रकार का भोजन ग्रहण करते हैं जिससे उनमें मोटापा आने लगता है।
प्रश्न 6.
किशोरों के लिये आहार आयोजन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
किशोरों के लिये आहार आयोजन करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए –
1. कम उम्र के किशोर-किशोरियों (13 – 15 वर्ष) की आहार व्यवस्था के लिये दोपहर व रात्रि के भोजन में दी जाने वाली चपातियों की संख्या कम की जा सकती है। या नाश्ते में दिये जाने वाले व्यंजनों की मात्रा में कुछ कमी की जा सकती है। परन्तु अन्य व्यवस्था लगभग समान ही रखी जाती है। क्योंकि संतुलित आहार तालिका के अनुसार उम्र व लिंग के कारण केवल अनाज की उपभोग इकाइयों में ही विशेष परिवर्तन है; अन्य भोजन इकाइयों में नहीं।
2. किशोरों द्वारा ले जाये जाने वाले टिफिन में नाश्ते की मात्रा में कमी कर सकते हैं। या फिर दिन का भोजन हल्का ले सकते
3. जिन किशोरों की खुराक कम होती है तथा वे 3 – 4 चपाती एक बार में न खा सकें तो मुख्य आहारों के मध्य बिस्कुट, टोस्ट आदि जलपान लेकर उसकी पूर्ति कर सकते हैं।
4. आहार आयोजन इस प्रकार करना चाहिए जिससे किशोरों की पोषणिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती हो।
5. आहार व्यवस्था उनके स्कूल, कालेज एवं अन्य क्रियाकलापों के अनुकूल हो।
6. आहार में ऐसे व्यंजन सम्मिलित करने चाहिए जो कि शीघ्र बनाये व खाये जा सकें, पौष्टिक भी हों तथा उनके व्यस्त कार्यक्रमों में बाधा उत्पन्न न कर पायें।
7. नित्य प्रतिदिन टिफिन में नये-नये पौष्टिक व्यंजन देने चाहिए। जिससे कि वे बाहर का भोजन न खायें जैसे-इडली, डोसा, चाऊमीन, बर्गर, सैण्डविच आदि।
8. घर में हमेशा किशोरों की पसन्द के पौष्टिक व कुरकुरे स्नैक्स की व्यवस्था होनी चाहिए जिन्हें वे भोजन के मध्य खा सकें। इससे उनकी पौष्टिक आवश्यकताओं की पूर्ति भी होगी तथा समय भी कम लगेगा।
9. दूध व हरी पत्तेदार सब्जियों के प्रति किशोरों में अरुचि होती है इसके लिये उनका रूप बदलकर भी उन्हें दिया जा सकता है। दूध को दही, रायता, छाछ, पनीर, खोये की मिठाई आदि के रूप में दिया जा सकता है। इसी प्रकार हरी सब्जियों को पराठे, सैण्डविच, बर्गर, पकौड़े, पावभाजी, चाऊमीन आदि में सम्मिलित करके दे सकते हैं।
10. मौसमी फलों का समावेश दिनभर में अवश्य करना चाहिए।
11. भोजन को अधिक रुचिकर बनाने के लिये उनके रंग, रूप, बनावट, स्वाद व सुगंध में विविधता लायी जा सकती है। अत: आहार में उनकी मानसिक स्थिति के अनुसार लचीलापन होना चाहिए।
12. किशोरों में मित्रों के साथ पार्टी करने का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है अतः घर पर ही छोटी-छोटी पार्टियों का आयोजन करते रहना चाहिए जिसमें घर के बने व्यंजन पौष्टिक आहार के रूप में दिया जा सकते हैं।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 13 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 12 Home Science Chapter 13 वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
लड़कियों में किशोरावस्था किस उम्र तक बनी रहती है?
(अ) 14 – 15 वर्ष तक
(ब) 17 – 18 वर्ष तक
(स) 19 – 20 वर्ष तक
(द) 20 – 21 वर्ष तक
उत्तर:
(स) 19 – 20 वर्ष तक
प्रश्न 2.
किशोरावस्था में परिवर्तनों का मुख्य कारण होते हैं –
(अ) प्रोटीन
(ब) कार्बोज
(स) हॉर्मोन
(द) वसाएँ
उत्तर:
(स) हॉर्मोन
प्रश्न 3.
13 से 15 वर्ष के बालक को प्रतिदिन कितनी प्रोटीन की आवश्यकता होती है?
(अ) 60 ग्राम
(ब) 80 ग्राम
(स) 50 ग्राम
(द) 70 ग्राम
उत्तर:
(द) 70 ग्राम
प्रश्न 4.
16 से 18 वर्ष की बालिका को लौह तत्व की आवश्यकता होती है –
(अ) 20 मिग्रा.
(ब) 30 मिग्रा.
(स) 40 मिना.
(द) 50 मिग्रा.
उत्तर:
(ब) 30 मिग्रा.
प्रश्न 5.
बालिकाओं में किशोरवय किस उम्र में प्रारम्भ होती है?
(अ) 10 – 12 वर्ष
(ब) 12 – 14 वर्ष
(स) 14 – 16 वर्ष
(द) 16 – 18 वर्ष
उत्तर:
(स) 14 – 16 वर्ष
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. किशोरावस्था…………की अवस्था होती है, इसे पूर्ण वृद्धि की अवस्था भी कहते हैं।
2. किशोरावस्था में शारीरिक वृद्धि व…………की दर अति तीव्र होती है।
3. किशोरावस्था के दौरान पनपने वाला मोटापा युवावस्था में विभिन्न…………को आमन्त्रित करता है।
4. किशोरावस्था में रक्ताल्पता की समस्या…………की अपेक्षा अधिक होती है।
5. विटामिन…………वसा व प्रोटीन से प्राप्त होने वाली ऊर्जा का उपापचय करते हैं।
6. किशोरावस्था में आहार उनकी मानसिक स्थिति के…………होना चाहिए।
उत्तर:
1. परिवर्तनों
2. विकास
3. बीमारियों
4. बाल्यावस्था
5. कार्बोज
6. अनुरूप।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 13 अतिलघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
किशोरावस्था को किन दो भागों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
- पूर्व किशोरावस्था
- उत्तरकिशोरावस्था।
प्रश्न 2.
बाल्यावस्था को किशोरावस्था से जोड़ने वाली कड़ी कौन-सी है?
उत्तर:
यौवनारम्भ।
प्रश्न 3.
लड़कों में किशोरावस्था किस उम्र तक चलती है? .
उत्तर:
21 वर्ष की उम्र तक।
प्रश्न 4.
किशोरावस्था में भार में वृद्धि किन कारणों से होती है?
उत्तर:
- वसा में वृद्धि तथा अस्थियों के आकार तथा भार में वृद्धि के कारण।
- पेशीय ऊतकों में वृद्धि के कारण।
प्रश्न 5.
स्त्रियों में मासिक चक्र होने की आयु बताइये।
उत्तर;
मासिक चक्र 12 – 16 वर्ष में प्रारम्भ होता है।
प्रश्न 6.
किस अवस्था में सबसे अधिक बुद्धि व विकास की दर होती है?
उत्तर:
किशोरावस्था में।
प्रश्न 7.
अस्थियों की वृद्धि एवं विकास के लिये किन तत्वों की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
अस्थियों में वृद्धि एवं विकास के लिये कैल्सियम व फॉस्फोरस की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 8.
किशोरावस्था में होने वाले परिवर्तनों का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
किशोरावस्था में होने वाले परिवर्तनों का मुख्य | कारण हार्मोन का स्रावण है।
प्रश्न 9.
किशोरावस्था में भोजन सम्बन्धी कौन से तत्वों की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
किशोरावस्था में विकास के लिये लौह तत्व, विटामिन, खनिज लवण, वसा तथा प्रोटीन आदि की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 10.
किशोरावस्था में भोजन सम्बन्धी कौन सी समस्याएँ आती हैं?
उत्तर;
किशोरावस्था में भोजन सम्बन्धी समस्याएँ आती हैं। जैसे-रक्त की कमी, शारीरिक दुर्बलता, कीलमुहाँसे, मोटापा तथा भोजन सम्बन्धी आदतें।
प्रश्न 11.
किशोर के जीवन का सबसे कठिन एवं महत्वपूर्ण कार्य क्या है?
उत्तर:
किशोर के जीवन का सबसे कठिन एवं महत्वपूर्ण कार्य कैरियर चुनना है।
प्रश्न 12.
हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिये किस तत्व की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिये लौह तत्व की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 13.
भोजन में रुचि बनाये रखने के लिये क्या करना चाहिए?
उत्तर:
भोजन में रुचि बनाये रखने के लिये आहार की बनावट, स्वाद व सुगन्ध में विविधता लानी चाहिए।
प्रश्न 14.
किशोरावस्था में तेलीय ग्रन्थियों के अतिसक्रिय एवं संक्रमण से क्या समस्या आती है?
उत्तर:
किशोरावस्था में तेलीय ग्रन्थियों के अति सक्रिय एवं संक्रमण से चेहरे पर कील-मुहाँसे निकलने की समस्या आती है।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 13 लघूत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
किशोरावस्था की सामाजिक संवेगात्मक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
किशोरावस्था में किशोर आदर्शवादी होते हैं। वह स्वयं निर्णय लेना चाहते हैं। इस अवस्था में किशोर तर्कशीलता, अमूर्त विचारों, निर्णय विधियाँ आदि के बारे में सोचने में संलग्न रहते हैं। कभी-कभी दूरवर्ती उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु उतावले दिखाई देते हैं तथा व्यक्तिगत भय, चिन्ता, असुरक्षा की भावना से ग्रस्त रहते हैं। इस अवस्था में संवेग तीव्र व अस्थायी होते हैं, किन्तु धीरे-धीरे वह संवेगों पर नियन्त्रण करना सीख जाते हैं और वह सामाजिक परिस्थितियों से समायोजन आसानी से कर समाज में स्वयं का स्वतन्त्र अस्तित्व प्रकट करते हैं।
प्रश्न 2.
किशोरावस्था में कौन-से शारीरिक परिवर्तन दष्टिगोचर होते हैं ?
उत्तर:
किशोरावस्था में लम्बाई तथा वजन के साथ-साथ लड़कियों में मासिक धर्म का प्रारम्भ होना, स्तनों व नितम्बों के आकार में वृद्धि, आवाज पतली होना, बगल व जननांगों पर बालों का उगना आदि परिवर्तन होते हैं। लड़कों में आवाज भारी होना, दाढ़ी-मूंछ का उगना, माँस-पेशियों का सुदृढ़ होना, गुप्तांगों व बगल में बाल उगना तथा स्वप्नदोष आरम्भ होना आदि शारीरिक परिवर्तन होते हैं।
प्रश्न 3.
किशोरावस्था में होने वाले सामाजिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
किशोरावस्था में किशोर बच्चा नहीं रह जाता अतः समाज में उसके उठने-बैठने तथा विविध क्रियाकलापों में परिवर्तन आते हैं। उससे लड़कपन छोड़कर वयस्कों की भाँति शान्त तथा सौम्य व्यवहार की आशा की जाती है। उससे सामाजिक रीति-रिवाजों को मानने की अपेक्षा की जाती है। इसी कारण कुछ किशोर शर्मीले तथा अन्तर्मुखी हो जाते हैं।
प्रश्न 4.
किशोरावस्था में भोजन सम्बन्धी आदतों में क्या परिवर्तन होते हैं ?
उत्तर:
किशोरावस्था में भोजन सम्बन्धी आदतों में तीव्र परिवर्तन होते हैं। वे घर में परिवार के सदस्यों के साथ भोजन करने के बजाय होटल व रेस्टोरेन्ट में दोस्तों के साथ भोजन करना पसन्द करते हैं। वे दाल, रोटी, फल, सब्जी जैसा सादा खाना खाने के बजाय पिज्जा, बर्गर, मैगी, चाऊमीन, इडली, डोसा, केक, पेस्ट्री, बिस्कुट, नमकीन, आलू के चिप्स, चाट, पकौड़ी आदि खाना पसन्द करते हैं। ताजे फल तथा फलों के रस के स्थान पर सॉफ्ट ड्रिंक – सोडावाटर, मादक पेय पदार्थ-बीयर, स्कॉच, ह्विस्की, ब्राण्डी आदि पीना पसन्द करते हैं।
प्रश्न 5.
पोषण सम्बन्धी समस्या को कैसे सुलझाया जा सकता है? समझाइये।
उत्तर:
पोषण सम्बन्धी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए सन्तुलित आहार, शारीरिक क्रियाओं, व्यायाम, मनोरंजन आदि की आवश्यकता होती है, जिसके द्वारा ही पोषण सम्बन्धी समस्या का समाधान किया जा सकता है। आज के तकनीकी युग में किशोरों में शारीरिक क्रियाओं व व्यायाम का अभाव पाया जाता है।
अत: किशोरों की दिनचर्या में व्यायाम, योग, मनोरंजन को सम्मिलित करना चाहिए ताकि वह शारीरिक, मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकें और उन्नत व समृद्ध जीवन – यापन कर सकें। अतः कह सकते हैं कि किशोरों के लिए आहार इस प्रकार का होना चाहिए कि वह उनकी तीव्र शारीरिक वृद्धि व विकास के लिए पौषणिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाला तथा स्कूल, कॉलेज व अन्य क्रियाकलापों के अनुरूप हो जो शीघ्र बनाया जा सके।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 13 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
1. खेलकूद, व्यायाम सम्बन्धी आवश्यकता
2. आपसी सामंजस्य सम्बन्धी आवश्यकता
3. शिक्षा एवं रोजगार सम्बन्धी आवश्यकता
4. मनोरंजन सम्बन्धी आवश्यकता ।
उत्तर:
1. खेलकूद व्यायाम सम्बन्धी आवश्यकता:
आज के युग में किशोर शारीरिक क्रियाओं एवं व्यायाम से विरक्त रहकर प्रायः कम्प्यूटर, टेलीविजन, वार्तालाप आदि में अधिक दिलचस्पी लेते हैं। शैक्षणिक प्रतिस्पर्धा स्थान एवं समयाभाव के कारण किशोर खेलकूद में रुचि नहीं लेते हैं। खेलकूद मनोरंजन के साथ-साथ व्यायाम भी है। इसीलिए शहरी किशोरों में व्यायामशालाओं (Gym) में जाने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है जोकि मोटापा घटाने और शरीर को हृष्ट-पुष्ट बनाने का महँगा व अस्थाई तरीका है। अत: किशोरों को अपनी दिनचर्या में खेलकूद, व्यायाम, योग आदि को शामिल करना चाहिए। ये किशोरों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए आवश्यक है।
2. आपसी सामंजस्य सम्बन्धी आवश्यकता:
किशोर स्वयं को आत्मनिर्भर, परिपक्व, होशियार तथा प्रमुख निर्णयों को लेने में सक्षम समझने लगते हैं। माता-पिता या बड़ों द्वारा कही गई बातें उन्हें दखलन्दाजी लगती हैं। अत: किशोरों के साथ इस प्रकार का सामंजस्य स्थापित करना चाहिए ताकि वे अच्छे-बुरे में अन्तर कर सकें।
3. शिक्षा एवं रोजगार सम्बन्धी आवश्यकता:
किशोरावस्था आरम्भ होने के साथ ही अध्ययन और शिक्षा का महत्व बढ़ जाता है। किशोर अपनी योग्यता, कौशल-साधनों आदि को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त विषय का चुनाव करता है। शिक्षा एवं रोजगार के लिए वह स्वयं सूचना तकनीकी माध्यम द्वारा शिक्षा व व्यवसाय सम्बन्धी जानकारी प्राप्त कर सकता है।
4. मनोरंजन सम्बन्धी आवश्यकता:
किशोरावस्था चुनौतियों एवं प्रतिस्पर्धा से परिपूर्ण होती है जिसके कारण किशोरों में खिन्नता उत्पन्न हो सकती है। ऐसी स्थिति में मनोरंजन द्वारा संतुलन की स्थिति उत्पन्न की जा सकती है। किशोर तनाव एवं उदासी की स्थिति में मनोरंजन द्वारा सामंजस्य स्थापित कर लेते हैं।
प्रश्न 2.
किशोरावस्था की विशिष्ट आवश्यकताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
किशोरावस्था की विशिष्ट आवश्यकताएँ-किशोरावस्था में शारीरिक वृद्धि एवं विकास की दर अति तीव्र होती है। वृद्धि एवं विकास की इस तीव्रता को बनाये रखने के लिए पौष्टिक तत्वों की आवश्यकताएँ भी बढ़ जाती हैं। इसके अतिरिक्त किशोर स्वयं में होने वाली तीव्र शारीरिक वृद्धि, शारीरिक परिवर्तन, पढ़ाई एवं कैरियर की चिन्ता, समाज में स्वयं की बदलती हुई स्थिति आदि कारणों से तनावग्रस्त रहते हैं। पढ़ाई एवं कैरियर में बढ़ती रुचियों के कारण किशोर अधिकतर समय घर से बाहर रहते हैं।
घर से बाहर अधिक समय बिताने तथा दोस्तों में स्वयं की स्वीकार्यता के दबाव के कारण उनकी भोजन सम्बन्धी आदतों में तीव्र व अवांछनीय परिवर्तन आने के कारण उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रह पाता है। अत: किशोरावस्था के विकास की तीव्रता को देखते हुए प्रत्येक किशोर के लिए सन्तुलित आहार की विशेष आवश्यकता होती है जिससे वे ताकतवर एवं अच्छे कद और आकार को प्राप्त कर अपनी भावी कार्य-योजना व कार्यक्षमता को अपने अनुकूल कर सकें।
किशोरों की आवश्यकताओं एवं उचित जीवनचर्या के अनुसार उनको सन्तुलित एवं पौष्टिक भोजन अवश्य मिलना चाहिए जिससे उनकी पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति होती रहे।किशोर / किशोरी की विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु दैनिक सन्तुलित आहार की तालिका निम्नलिखित –
किशोर / किशोरी के लिए दैनिक सन्तुलित आहार की तालिका
संकेत:
1. माँसाहारी किशोर किशोरी 30 ग्राम दाल के बदले 50 ग्राम माँस / मछली / अण्डे आदि का उपभोग कर सकते हैं।
2. किशोर किशोरी तालिका में प्रस्तुत भोज्य समूहों में से अपनी आवश्यकता, पसन्द, उपलब्धता, पकाने के लिए उपलब्ध समय व साधन के आधार पर विभिन्न भोज्य पदार्थों का चुनाव प्रतिदिन के भोजन के लिए कर सकते हैं।
सन्तुलित भोजन के अतिरिक्त किशोर/किशोरियों के लिए खेलकूद, शारीरिक व्यायाम, योग, मनोरंजन आदि की भी आवश्यकता होती है। ये किशोर/किशोरियों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं। इससे उनको आत्मनिर्भर, परिपक्व, समझदार व परिस्थितियों का ज्ञान होने में सहायता मिलती है।
प्रश्न 3.
किशोरावस्था के लिए पौष्टिक तत्वों की दैनिक प्रस्तावित मात्राओं को एक तालिका द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
किशोरावस्था के लिए पौष्टिक तत्वों की दैनिक प्रस्तावित मात्राएँ
RBSE Class 12 Home Science Chapter 13 प्रयोगात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
किशोर – किशोरी के लिये सन्तुलित आहार तालिका बनाइये तथा एक 17-18 वर्षीय किशोर के लिये एक दिन की आहार आयोजना को तालिका द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
किशोरावस्था में तीव्र शारीरिक वृद्धि एवं विकास के कारण भोजन एवं पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ बढ़ जाती हैं। किशोर-किशोरी के लिये सन्तुलित आहार की तालिका निम्नवत् है –
किशोरावस्था के लिए सन्तुलित आहार (भोज्य इकाइयाँ)
नोट – माँसाहारी किशोर किशोरी 1 इकाई (30 ग्राम) दाल की जगह 1 इकाई (50 ग्राम) माँस/मछली / अण्डे का उपभोग कर सकते हैं।
17-18 वर्षीय किशोर के लिए एक दिन की आहार आयोजना
नोट – मसाले, हरी मिर्च, हरी धनिया, अदरक, लहसुन आदि का प्रयोग कम मात्रा में किया जाता है। अत: उपरोक्त – तालिका में इनका उल्लेख नहीं किया गया है।
दिनभर के भोजन में भोज्य इकाइयों का विभाजन एवं कुल योग:
उपरोक्त आहार में विभिन्न भोज्य समूहों की इकाइयों का प्रस्तावित मात्रा में समावेश किया गया है। उक्त आहार व्यवस्था के आधार पर अन्य किशोर वर्गों के लिए आहार आयोजन में किशोर की आयु व लिंग के अनुसार परिवर्तन किये जा सकते हैं। किशोर विशेष के लिए उक्त आहार नियत नहीं है। इसमें परिवर्तन अपरिहार्य है।
उदाहरण के लिए 17-18 वर्ष के एक किशोर बालक के लिए एक दिन के आहार में निम्न सुझावों के आधार आयोजन दिया गया है। एक किशोर अपने दिन – प्रतिदिन के आहार में निम्न सुझावों के आधार पर परिवर्तन कर विविधता ला सकता है।
1. कम उम्र के किशोर-किशोरियों (13 – 15 वर्ष) की आहार व्यवस्था के लिए दोपहर व रात्रि के भोजन में दी जाने वाली चपातियों की संख्या कम कर सकते हैं या नाश्ते में दिए जाने वाले व्यंजनों की मात्रा कुछ कम कर सकते हैं। लेकिन अन्य व्यवस्था लगभग समान ही रहेगी, क्योंकि सन्तुलित आहार तालिका के अनुसार उम्र व लिंग के कारण केवल अनाज की उपभोग इकाइयों में ही विशेष परिवर्तन है, अन्य भोज्य इकाइयों में नहीं।
2. कॉलेज, टिफिन लेकर जाने वाले किशोर नाश्ते की मात्रा में कमी कर सकते हैं या फिर दिन का भोजन हल्का ले सकते हैं।
3. ऐसे किशोर जिनकी खुराक कम हो और वे 3 – 4 चपाती. एक समय में न खा सकें तो वे मुख्य आहारों के मध्य बिस्किट, टोस्ट, मक्की या चावल के फुल्ले आदि जलपान (स्नैक्स) लेकर इसकी पूर्ति कर सकते हैं।
4. सुबह एवं शाम के नाश्ते में सैण्डविच के अतिरिक्त बर्गर, नूडल्स, चाउमिन, भरवां पराठा, पौष्टिक उपमा व दलिया, कचौड़ी चाट, मूंग चाट, इडली, डोसा, उत्तपम, फ्रूट चाट आदि ले सकते हैं।
5. दालों को विविध रूप से जैसे – साबुत दालों को अंकुरित करके चाट बनाकर, पकौड़े, लड्डू, पराठों के भरावन के रूप में, पापड़, हलुआ आदि बनाकर काम में ले सकते हैं।
6. दिनभर में कम – से – कम एक बार हरी पत्तेदार सब्जियों का उपयोग अवश्य करें। हरी पत्तेदार सब्जियों को विविध व्यंजनों में भरावन के रूप में, रायते के रूप में या चटनी इत्यादि के रूप में काम में ले सकते हैं।
7. दोपहर व रात्रि के भोजन में रोटी, सब्जी व दाल – चावल के अतिरिक्त दाल-बाटी, कढ़ी-चावल, मक्के की रोटी व सरसों का साग, इडली, डोसा व सांभर आदि मेनू भी आयोजित कर सकते हैं।
8. दिनभर में तले-भुने एवं गरिष्ठ भोज्य पदार्थ एक बार में अधिक न लेवें अन्यथा वसा की मात्रा बहुत अधिक हो जायेगी तथा कील-मुँहासे व मोटापे की सम्भावनाएँ भी बढ़ जायेंगी।
9. भोज्य पदार्थों के चुनाव में आय का विशेष ध्यान रखना चाहिए तथा आहार व्यवस्था अपने घर की आय के अनुरूप होनी चाहिए।
10. किशोर – किशोरियों के लिए आहार आयोजन करते समय उनकी रुचि का विशेष ध्यान रखना चाहिए।