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RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 22 वस्त्रों का चुनाव

RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 22 वस्त्रों का चुनाव

Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Chapter 22 वस्त्रों का चुनाव

RBSE Class 12 Home Science Chapter 22 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनें –
(i) एक लम्बे कद वाले व्यक्ति को शोभा देते हैं –
(अ) खड़ी रेखा वाले वस्त्र
(ब) समतल रेखा वाले वस्त्र
(स) तिरछी रेखा वाले वस्त्र
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) समतल रेखा वाले वस्त्र

(ii) शिशुओं के लिए वस्त्र चयन करने चाहिए –
(अ) रेशमी एवं गहरे रंग
(ब) कृत्रिम रेशे एवं मोटे
(स) सूती, हल्के एवं मुलायम
(द) ऊनी एवं भारी।
उत्तर:
(स) सूती, हल्के एवं मुलायम

(iii) आग बुझाने वाले व्यक्ति के लिए वस्त्र होने चाहिए –
(अ) टेरीलीन
(ब) ऊनी
(स) पानी अवरोधी
(द) आग अवरोधी।
उत्तर:
(द) आग अवरोधी।

(iv) दुःख एवं शोक के समय वस्त्र होने चाहिए
(अ) गहरे रंग
(ब) सफेद एवं हल्के
(स) चटकीले रंग
(द) विशेष डिजाइन वाले।
उत्तर:
(ब) सफेद एवं हल्के

(v) वस्त्रों की खरीददारी करते समय जानना आवश्यक है –
(अ) वस्त्र की मात्रा
(ब) गुणवत्ता
(स) कीमत
(द) ये तीनों
उत्तर:
(द) ये तीनों

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. गहरे रंग की त्वचा वाले को………….के वस्त्र पहनने चाहिए।
2. ठण्डे प्रदेशों में रहने वालों के लिए………..वस्त्र उपयुक्त रहते हैं।
3. व्यक्ति के व्यवसाय की पहचान उसके……….से होती है।
4. फैशन का सबसे अधिक प्रभाव…………के वस्त्रों में देखने को मिलता है।
5. परिवार की……….वस्त्रों की चयन प्रक्रिया को प्रभावित करती है।
6. वस्त्र पर लगे………..को देखकर वस्त्र के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

उत्तर:
1. हल्के रंग
2. गर्म एवं ऊनी
3. वस्त्रों
4. किशोर-किशोरी
5. आर्थिक स्थिति
6. लेबल।

प्रश्न 3.
वस्त्र की उपयुक्तता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वस्त्र की उपयुक्तता (Adequacy of cloth):
किसी भी वस्त्र की उपयुक्तता कई कारकों पर निर्भर करती है। वस्त्र की उपयुक्तता के प्रमुख तत्वों का विवेचन हम निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर कर सकते हैं –

1. व्यक्तित्व (Personality):
वस्त्रों की उपयुक्तता में व्यक्ति के व्यक्तित्व का महत्त्वपूर्ण स्थान है। सभी व्यक्ति कद, काठी तथा भार में समान नहीं होते। वस्त्र व्यक्ति के व्यक्तित्व के अनुरूप होने चाहिए। जो वस्त्र व्यक्ति के व्यक्तित्व को उभारें तथा आकर्षण प्रदान करें, वे ही उपयुक्त वस्त्र हैं; जैसे-ठिगने तथा मोटे व्यक्ति पर लम्बवत् रेखा आकृति वाले वस्त्र अच्छे लगते हैं, वहीं लम्बे तथा पतले व्यक्तियों पर समतल रेखा के डिजाइन अच्छे लगते हैं। बच्चों के लिए सूती तथा हल्के वस्त्र उपयुक्त रहते हैं।

2. जलवायु (Climate):
वस्त्रों की उपयुक्तता के निर्धारण में जलवायु भी एक महत्त्वपूर्ण कारक है। वस्त्रों का चयन करते समय हमें जलवायु को भी ध्यान में रखना चाहिए। उदाहरणार्थ-गर्म जलवायु वाले स्थान पर हल्के तथा सूती वस्त्र उपयुक्त रहते हैं, जबकि ठण्डे प्रदेशों में गर्म एवं ऊनी वस्त्रों का अधिक प्रयोग होता है। अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में ऐसे सिंथेटिक वस्त्र अधिक उपयुक्त रहते हैं जो शीघ्र सूख जाते हैं।

3. अवसर (Occasion):
वस्त्रों की उपयुक्तता का निर्धारण अवसर के अनुरूप भी किया जाता है। यदि वस्त्र हमारे अवसर के अनुसार नहीं होंगे तो वह हमें गरिमा प्रदान करने के स्थान पर हँसी का पात्र बना देंगे। जैसे-शोकाकुल अवसर पर श्वेत तथा हल्के वस्त्र पहने जाते हैं। शादी-विवाह के अवसर पर चटकीले रंग, जैसे लाल व गुलाबी को प्राथमिकता दी जाती है। जन्मदिन उत्सव में बच्चों के लिए खिलते हुए रंगों के वस्त्र उपयुक्त रहते हैं।

4. लिंग (Sex):
वस्त्रों की उपयुक्तता में लिंग एक महत्त्वपूर्ण आधार है। जैसे-लड़कियों तथा महिलाओं द्वारा धारण किए जाने वाले सलवार-कमीज, साड़ी इत्यादि पुरुषों के वस्त्रों से भिन्न होते हैं।

5. टिकाऊपन (Durability):
वस्त्र की उपयुक्तता उसके टिकाऊपन पर आधारित होती है। वस्त्र वही अधिक उपयुक्त होता है जो मजबूत हो तथा अधिक दिन तक चले।

6. ताप संवाहकता (Resist-ability of heat):
वस्त्रों की उपयुक्तता में ताप की संवहन क्षमता भी महत्त्वपूर्ण है। मौसम के अनुसार ऐसे वस्त्र उपयुक्त होते हैं जो मौसमानुकूल ताप के संवाहक हों; जैसे—गर्मी में ठण्डे वस्त्र तथा सर्दियों में गर्म वस्त्र उपयुक्त होते हैं।

7. आयु (Age):
प्रत्येक आयु के व्यक्ति के लिए एकसमान वस्त्र उपयुक्त नहीं होते हैं। अतः आयु के अनुसार वस्त्र भी भिन्न होते हैं; जैसे-छोटे बच्चों पर हल्के तथा सूती वस्त्र अच्छे लगते हैं, वृद्धों पर सादे डिजाइन के वस्त्र उचित लगते हैं, जबकि किशोरों के वस्त्र गहरे एवं चटक रंग वाले होते हैं।

8. व्यवसाय (Occupation):
व्यक्ति के व्यवसाय का उसके वस्त्रों पर गहन प्रभाव होता है; किसी व्यक्ति के वस्त्रों को देखकर उसके व्यवसाय का ज्ञान हो जाता है; जैसे-साड़ी बाँधने के तरीके से ही पता चल जाता है कि अमुक महिला शिक्षिका है, गृहिणी है अथवा मजदूर है।

9. फैशन (Fashion):
आज का युग-परिवर्तन का युग है तथा आज के इस परिवर्तन का प्रभाव फैशन पर भी पड़ा है। किशोर-किशोरियाँ फैशन से सर्वाधिक प्रभावित होते हैं तथा फैशनानुकूल वस्त्रों का चयन करते हैं।

10. आय (Income):
आय भी व्यक्ति के वस्त्रों की उपयुक्तता निर्धारण का महत्त्वपूर्ण कारक है। व्यक्ति को वस्त्र का क्रय करने से पूर्व यह देखना पड़ता है कि यह वस्त्र उसकी क्रय क्षमता के अनुकूल है अथवा नहीं।

11. अवशोषण (सोखने )की क्षमता (Absorbing capacity):
भारत की जलवायु गर्म है तथा यहाँ वही वस्त्र उपयुक्त है, जिसकी अवशोषण क्षमता अधिक हो। ऐसे में सूती वस्त्र अधिक उपयुक्त हैं। .

12. धोने की सुविधा (Easy to wash):
वस्त्रों की प्रतिदिन ड्राई क्लीनिंग कराना किसी के लिए संभव नहीं होता। अत: वस्त्र ऐसे होने चाहिए जिन्हें आसानीपूर्वक घर में ही धोया जा सके।

प्रश्न 4.
वस्त्र का चयन स्थान विशेष एवं जलवायु के अनुकूल होना चाहिए, क्यों?
उत्तर:
वस्त्रों का चयन स्थान विशेष एवं जलवायु के अनुकूल होना अति आवश्यक होता है। वस्त्र ने केवल हमें गरिमा प्रदान करते हैं, अपितु मानसिक संतोष भी पहुंचाते हैं। वस्त्रों का प्रथम कार्य है – सुरक्षा प्रदान करना। गर्म जलवायु में हल्के तथा सूती वस्त्र अच्छे रहते हैं, क्योंकि ये पसीने को सोखने में अधिक सक्षम होते हैं तथा ये ताप के कुचालक होते हैं। वहीं दूसरी ओर सर्दी के मौसम में ऊनी तथा फर वाले वस्त्र उपयुक्त रहते हैं, क्योंकि ये गर्म होने के साथ-साथ ताप के अच्छे अवशोषक होते हैं।

वर्षा ऋतु में ऐसे सिंथेटिक वस्त्र अधिक उपयुक्त रहते हैं जो शीघ्र सूख जाते हैं। वस्त्रों के चयन में स्थान विशेष का भी ध्यान रखना चाहिए। खुशी के अवसरों पर विशिष्ट प्रकार की वेशभूषा धारण करनी चाहिए जो देखने में सुन्दर व आकर्षक भी हो। रात्रि भोज के अवसरों पर साटन या वेलवेट के वस्त्र धारण किये जा सकते हैं। दुःख या शोक के स्थानों पर सफेद एवं हल्के रंगों के वस्त्रों का चयन करना चाहिए।

प्रश्न 5.
प्रौढ़ एवं वृद्ध व्यक्ति के लिए किस प्रकार के वस्त्र उपयुक्त रहते हैं?
उत्तर:
प्रौढ़ एवं वृद्ध व्यक्ति के लिए वस्त्रों का चयन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें-वस्त्रों का चुनाव करते समय व्यक्ति की आयु की ओर विशेष ध्यान रखना चाहिए। जहाँ बच्चों के लिए चमकीले एवं भड़कीले रंगों वाले वस्त्र लेने चाहिए, वहीं दूसरी ओर प्रौढ़ एवं वृद्ध व्यक्ति के लिए चमकीले एवं भड़कीले रंग वाले वस्त्रों का चयन नहीं करना चाहिए। प्रौढ़ एवं वृद्ध व्यक्तियों के लिए सफेद, सलेटी, क्रीम तथा बादामी आदि हल्के रंग उत्तम होते हैं। अत्यधिक वृद्ध व्यक्तियों के लिए केवल सफेद वस्त्र ही उत्तम माने जाते हैं।

प्रश्न 6.
वस्त्र के चयन में आर्थिक स्थिति पर बल दिया जाता है। समझाइए।
उत्तर:
यह सत्य है कि वेशभूषा के लिए चुने जाने वाले वस्त्र सुन्दर भी होने चाहिए तथा इनमें वस्त्रोपयोगी गुण भी विद्यमान होने चाहिए। परन्तु इन कारकों के साथ ही वस्त्र के चयन में आर्थिक स्थिति का भी ध्यान रखना चाहिए। वस्त्र का चुनाव करते समय वस्त्रों की उपयोगिता तथा मूल्य के आपसी सम्बन्ध का ध्यान रखना चाहिए। अधिक मजबूत एवं टिकाऊ वस्त्रों का मूल्य यदि अधिक भी हो तो भी उसे सार्थक माना जा सकता है। इन कारकों के अतिरिक्त कुछ व्यक्तिगत कारकों का भी ध्यान रखना चाहिए। प्रत्येक परिवार द्वारा गृह-बजट तैयार किया जाता है। इस बजट में वस्त्रों पर किये जाने वाले कुल व्यय को भी निर्धारित कर लिया जाता है।

व्यय के इस प्रावधान को ध्यान में रखते हुए परिवार के सदस्यों की वस्त्र सम्बन्धी आवश्यकता की पूर्ति के लिए वस्त्र खरीदने चाहिए। वस्त्रों के मूल्य को एक अन्य धारणा भी प्रभावित करती है। यदि कम संख्या में वस्त्र खरीदकर ही आपकी वस्त्र सम्बन्धी आवश्यकता की पूर्ति हो सकती है तो आप कुछ महँगे वस्त्र भी खरीद सकती हैं। इससे भिन्न यदि आपकी परिस्थितियाँ ऐसी हैं कि आपको अनिवार्य रूप से अधिक संख्या में वस्त्रों की आवश्यकता हो तो आप महँगे वस्त्र न खरीदकर मध्यम मूल्य वाले या कम मूल्य वाले ही वस्त्र खरीदें।

प्रश्न 7.
फैशन का सबसे अधिक प्रभाव वस्त्र चयन पर पड़ता है, समझाइये।
उत्तर:
वस्त्र चयन पर फैशन का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि आज के इस परिवर्तनशील युग में दिन-प्रतिदिन नये-नये फैशन के वस्त्रों का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। सभी व्यक्ति चाहे वह पुरुष हो अथवा महिला समयानुसार प्रचलित डिजाइन एवं रंग के अनुसार वस्त्रों का चयन करना पसंद करते हैं। हरे अथवा गुलाबी रंग का फैशन आने पर सभी उस ही रंग का अधिक उपयोग करने लगते हैं। बाजार में ‘जीन्स’ का फैशन आने पर अधिकतर लोग जीन्स ही खरीदते हैं।

लम्बे सलवार सूट का फैशन होने पर बालिकाएँ/महिलाएँ लम्बे सलवार सूट खरीदना ही पसन्द करती हैं। कुछ समय पश्चात् जीन्स एवं लम्बे सलवार सूट छोड़कर बैलबाटम, शरारा, गरारा अथवा चूड़ीदार पायजामे का फैशन आता है तो वही वस्त्र खरीदना पसन्द करती हैं। फैशन के अनुसार वस्त्र खरीदते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि वस्त्र का डिजाइन एवं रंग आपके व्यक्तित्व के अनुसार हो।

प्रश्न 8.
विद्यालय जाने वाले बालक-बालिकाओं के वस्त्र चयन करते समय ध्यान रखने योग्य बिन्दुओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
बालक-बालिकाओं को प्रायः प्रतिदिन शिक्षा ग्रहण करने के लिए विद्यालय जाना पड़ता है। विद्यालय जाते समय बालक-बालिकाओं की वेशभूषा का निर्धारण प्रायः विद्यालय के नियमों के अनुसार ही होता है। प्रत्येक विद्यालय की यूनीफार्म निर्धारित होती है। विद्यालय जाने वाले बालक-बालिकाओं को सदैव यूनीफार्म में ही जाना चाहिए। निर्धारित यूनीफार्म (पोशाक) धारण करने से विद्यालय के सभी छात्रों में एकरूपता बनी रहती है। ऐसे में अमीर-गरीब का अन्तर उभरकर सामने नहीं आता है तथा सभी बच्चों का विकास समान रूप से होता है।

यदि बालकों की यूनीफार्म निर्धारित न हो तो उस स्थिति में इस बात की आशंका रहती है कि कुछ गरीब बच्चों में हीन भावना विकसित न हो जाए। विद्यालय जाने वाले बालक – बालिकाओं की यूनीफार्म अच्छी फिटिंग वाली होनी चाहिए। इस वेशभूषा के लिए ऐसे वस्त्र का चुनाव करना चाहिए जिसमें सलवटें न पड़ें। वस्त्र सिकुड़ने वाला न हो। साथ ही वस्त्र धोने में सरल होने चाहिए एवं इनका रंग भी पक्का होना चाहिए।

प्रश्न 9.
वस्त्र की गुणवत्ता उसकी कीमत को प्रभावित करती है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वस्त्र की गुणवत्ता उसकी कीमत को प्रभावित करती है, क्योंकि जो वस्त्र अधिक समय तक चलते हैं अथवा उत्तम श्रेणी के होते हैं वे प्रायः मँहगे होते हैं। इसके विपरीत शीघ्र फटने वाले वस्त्र सस्ते होते हैं। अत: वस्त्र खरीदते समय वस्त्र की कीमत के साथ-साथ वस्त्र की गुणवत्ता की ओर भी ध्यान देना चाहिए। सस्ते वस्त्रों की अपेक्षा महँगे वस्त्र खरीदने चाहिए। यह कहावत भी है कि “सस्ता रोए बार-बार, महँगा रोए एक बार’! महँगे वस्त्र अधिक दिन तक न तो घिसते हैं और न ही शीघ्र फटते हैं। महँगे वस्त्रों में सभी वस्त्रोपयोगी गुण भी पाए जाते हैं।

प्रश्न 10.
वस्त्र खरीदते समय किन-किन प्रश्नों का विश्लेषण करेंगी?
उत्तर:
वस्त्र खरीदते समय निम्नलिखित बिन्दुओं का विश्लेषण करना या ध्यान रखना चाहिए –
1. वस्त्र की मात्रा:
वस्त्र खरीदते समय वस्त्र की मात्रा का निर्धारण कर लेना चाहिए। एक पोशाक बनाने के लिए शरीर के आकार के अनुसार कितने मीटर लम्बे वस्त्र की आवश्यकता होगी, यह जान लेना आवश्यक होता है। उदाहरणार्थ, एक कुर्ता बनाने के लिए यदि 2 – मीटर कपड़े की आवश्यकता होती है और यदि कुर्ता डिजाइनदार बनाना है तो 25 – 50 सेमी. कपड़ा अतिरिक्त लगेगा। वस्त्र की लम्बाई के साथ वस्त्र की चौड़ाई का भी ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि यह न केवल वस्त्रों के मूल्य बल्कि वस्त्र की मात्रा को भी प्रभावित करती है। एक साधारण सूती वस्त्र 36″ रेशमी 39″ ऊनी 54″ से 60″ एवं मानवीकृत रेशे वाले वस्त्र 35 – 72″ अर्ज (थान की चौड़ाई) वाले होते हैं।

2. वस्त्र की कीमत:
वस्त्र खरीदते समय वस्त्र की मात्रा का निर्धारण करने के साथ-साथ वस्त्र की कीमत जानना भी आवश्यक है। वस्त्र की प्रति मीटर कीमत जानकर यह पता लगाया जा सकता है कि वस्त्र की किस्म एवं कीमत में सामंजस्य है अथवा नहीं। उपयोगिता के अनुसार ही कपड़े की कीमत होनी चाहिए। जो कपड़े अधिक दिन तक चलते हैं अथवा उत्तम होते हैं, वे प्रायः महँगे होते हैं। इसके विपरीत शीघ्र फटने वाले कपड़े सस्ते होते हैं। वस्त्र की कीमत वस्त्र के प्रकार पर भी निर्भर करती है; जैसे – सूती वस्त्र की कीमत में रेशमी वस्त्र की कीमत की अपेक्षा प्रति मीटर अन्तर होता है। वस्त्र की कीमत का अन्दाज विभिन्न दुकानों पर भी जाकर किया जा सकता है।

3. वस्त्र की गुणवत्ता:
वस्त्र खरीदते समय वस्त्र की कीमत के साथ-साथ वस्त्र की गुणवत्ता की ओर भी ध्यान देना – चाहिए। वास्तव में वस्त्र खरीदने के लिए काफी धन का व्यय करना पड़ता है। इस स्थिति में मितव्ययता के दृष्टिकोण से उस ही वस्त्र को खरीदना चाहिए जो काफी दिन टिका रहे। भिन्न-भिन्न प्रकार के तन्तुओं से निर्मित वस्त्रों की मजबूती भिन्न-भिन्न होती है।

कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित आधुनिक वस्त्रों में अन्य वस्त्रों की तुलना में अधिक मजबूती पाई जाती है। ये अधिक दिन तक न तो घिसते हैं और न ही फटते हैं, परन्तु कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित वस्त्रों में कुछ असुविधाएँ भी होती हैं; जैसे – उनमें पसीना सोखने की क्षमता में न्यूनता होती है। इस स्थिति में प्रायः मिश्रित धागों (टैरीन तथा सूती) से निर्मित वस्त्रों का चुनाव किया जाता है। इन वस्त्रों में मजबूती भी पायी जाती है तथा प्रायः अन्य वस्त्रोपयोगी गुण भी विद्यमान होते हैं।

उपर्युक्त बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए निम्नलिखित प्रश्नों का विश्लेषण करना चाहिए –

  • क्या वस्त्रों की आवश्यकता अधिक है ?
  • क्या यह आवश्यकता को पूरा करता है?
  • क्या खरीदना बजट के अनुरूप है ?
  • क्या यह उपयोगी एवं उपयुक्त है?
  • यह विभिन्न अवसरों पर काम आयेगा या केवल विशेष अवसर पर ?
  • कितना टिकाऊ है ?
  • क्या फैशन के अनुसार है ?
  • क्या इसका रख-रखाव आसान है ?

प्रश्न 11.
वस्त्र की खरीदारी करते समय किन-किन बिन्दुओं का ध्यान रखना चाहिए? विस्तार से समझाइये।
उत्तर:
वस्त्र की खरीदारी करते समय अग्रलिखित बिन्दुओं का ध्यान रखना चाहिए –

(1) वस्त्र ऋतु एवं स्थानीय गर्मी –  सर्दी के अनुकूल हो:
कपड़ा ऐसा हो जो शरीर को ग्रीष्मकाल में बाहर की गर्मी तथा शीतकाल में बाहर की सर्दी से बचा सके। अत: ग्रीष्म में सूती और शीत ऋतु में ऊनी कपड़ा उपयुक्त रहता है। गर्मी के दिनों में हल्के वस्त्र आरामदायक लगते हैं और शीतकाल में गहरे रंगों के।

(2) व्यक्ति व वस्त्र विशेष के लिए कपड़े का प्रकार, रंग और छपाई का उपयुक्त नमूना चुनना:
पुरुषों, स्त्रियों व बालकों के वस्त्रों के रंगों, डिजाइनों तथा बुनाई में भिन्नता होती है। कपड़े का रेशा, रंग, बनावट तथा डिजाइन पहनने वाले व्यक्तियों की आयु, लिंग एवं व्यवसाय तथा व्यक्तिगत रुचि की दृष्टि से उपयुक्त होना चाहिए।

(3) वस्त्र सिकुड़न रहित हो:
कभी – कभी कोई वस्त्र देखने में सुन्दर लगता है और बिना सोचे-समझे खरीद लिया जाता है। परन्तु उनसे बना वस्त्र पहली धुलाई में ही सिकुड़ जाता है और पहनने के लिए अनुपयुक्त हो जाता है। अत: छानबीन करके ही वस्त्र खरीदना सिलाई से पूर्व कपड़े को कुछ घण्टे भिगो लेना चाहिए।

(4) वस्त्र का रंग पक्का हो:
वस्त्रों के गुणों में उसका पक्का रंग ही निहित है। वस्त्र का रंग पक्का होना चाहिए। कच्चे रंग का वस्त्र पहली धुलाई में ही बिगड़ जाता है और पहनने योग्य नहीं रहता।

(5) कपड़ा क्रीज मुक्त हो:
यदि वस्त्र में क्रीज पड़ती हो, तो उसे धोने के बाद सदैव लोहा प्रेस करना पड़ता है। इसलिए क्रीज-युक्त (Crease-resistant) वस्त्र ही खरीदना चाहिए।

(6) वस्त्र टिकाऊ हो:
वस्त्र का टिकाऊपन भी उसका महत्त्वपूर्ण गुण है। वस्त्र पक्का हो, धुलाई में उसका रूप-रंग न बिगड़े, तो उससे बनी पोशाक दीर्घकाल तक चलती है।

(7) आर्थिक क्षमता के अनुकूल हो:
वस्त्र खरीदने में सूझ – बूझ की आवश्यकता है, क्योंकि न तो आर्थिक क्षमता से बाहर जाना और न ही घटिया वस्त्र खरीदना उचित है, कभी-कभी शीत ऋतु की समाप्ति पर ऊनी कपड़ा सस्ता मिल जाता है। उस समय उसे खरीदना बुद्धिमानी है। क्रय करने से पहले विभिन्न प्रकार के कपड़ों के दामों व गुणों की जाँच कर लेनी चाहिए।

(8) सफाई में सरलता:
प्रतिदिन धोये जाने वाले वस्त्र टिकाऊ किस्म के होने चाहिए, विधिपूर्वक धोने से कपड़े अधिक सुन्दर और सुरक्षित रहते हैं। अतः वस्त्र ऐसे खरीदने चाहिए जिनकी सफाई सरलता से की जा सके।

(9) फैशन के अनुकूल:
वस्त्र – चयन परमावश्यक बन गया है। फैशन बदला कि बच्चों ने पुराने वस्त्रों को छिपाकर रख दिया। आजकल जीन्स और टॉप पहनना ही सर्वोत्तम समझा जाने लगा है।

प्रश्न 12.
“वस्त्रों का चुनाव” विषय पर निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
व्यक्ति के बाहरी व्यक्तित्व के निर्माण एवं विकास में वस्त्रों का विशेष योगदान रहता है। व्यक्ति यदि सुन्दर एवं अच्छे सिले हुए वस्त्र धारण करता है तो उसका व्यक्तित्व भी आकर्षक प्रतीत होने लगता है। इसके विपरीत, बेमेल एवं अस्त-व्यस्त वस्त्र धारण करने से व्यक्ति का व्यक्तित्व विघटित एवं असामान्य प्रतीत होने लगता है, अत: स्पष्ट है कि व्यक्ति के जीवन में वस्त्रों का विशेष महत्त्व है। व्यक्ति को खरीदते समय वस्त्रों का चयन सोच – समझकर करना चाहिए। सामान्यतः वस्त्रों का चयन निम्नलिखित बिन्दुओं को ध्यान में रखकर करना चाहिए –

1. व्यक्तित्व:
वस्त्रों का चयन करते समय प्रत्येक व्यक्ति को रंग, कद, आकार, शारीरिक गठन आदि का विशेष ध्यान रखना चाहिए। एक लम्बे कद वाली महिला खड़ी रेखाओं वाली, बड़े-बड़े फूलों वाली एवं बड़े प्रिन्ट वाली साड़ी धारण कर सकती है, जबकि छोटे कद एवं भारी शरीर वाली महिला को चाहिए कि वह बिल्कुल छोटा चैक अथवा प्रिन्ट वाले वस्त्र धारण करे। इसी प्रकार पुरुषों को भी अपने कद के अनुसार ही वस्त्रों का चुनाव करना चाहिए।

2. आयु एवं लिंग:
वस्त्रों का चुनाव करते समय सम्बन्धित व्यक्ति की आयु को ध्यान में रखना आवश्यक है। भिन्न-भिन्न आयु-वर्ग के लिए विभिन्न प्रकार के वस्त्र उपयुक्त समझे जाते हैं। बच्चों के लिए सदैव चमकीले एवं भड़कीले रंगों वाले वस्त्र लेने चाहिए। बच्चे ऐसे रंग के वस्त्र पहनकर प्रसन्न होते हैं। छोटे बच्चों के लिए सामान्य रूप से नर्म एवं मुलायम वस्त्र ही खरीदने चाहिए।

बच्चों को टेरीलीन आदि के कृत्रिम कपड़े नहीं पहनाने चाहिए। बच्चों को ऐसे वस्त्र पहनाने चाहिए जिनमें हवा आ-जा सके। वयस्क लोगों को सादे कपड़े पहनने चाहिए। ऐसे व्यक्तियों को चमकीले एवं भड़कीले वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। वयस्क पुरुषों के लिए सफेद, स्लेटी, क्रीम तथा बादामी आदि हल्के रंग उत्तम रहते हैं। अत्यधिक वृद्ध व्यक्तियों के लिए केवल सफेद वस्त्र ही उत्तम प्रतीत होते हैं।

3. जलवायु एवं मौसम:
वस्त्रों का चुनाव करते समय जलवायु तथा मौसम का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ठण्डे । प्रदेशों में रहने वाले लोगों के लिए गर्म एवं ऊनी वस्त्रों की अधिक आवश्यकता होती है, जबकि गर्म प्रदेशों में रहने वाले लोगों के लिए सूती एवं लिनेन जैसे ठण्डे वस्त्रों का चयन अधिक सुविधाजनक होता है। इसी प्रकार भिन्न-भिन्न मौसम में भिन्न – भिन्न प्रकार के वस्त्र ही लुभाते हैं। सामान्य रूप से गर्मी के मौसम में हल्के अथवा सफेद रंग के वस्त्र अच्छे लगते हैं। इन वस्त्रों में गर्मी भी कम लगती है। गर्मी में गहरे एवं चमकीले रंग के कपड़े आँखों को शान्ति नहीं प्रदान करते हैं। सर्दियों में सामान्य रूप से गर्म एवं गहरे रंग के ऊनी वस्त्र ही पहने जाते हैं।

4. व्यवसाय:
प्रत्येक व्यक्ति के व्यवसाय की पहचान उसके वस्त्रों द्वारा होती है। एक डॉक्टर की पहचान उसके सफेद कोट द्वारा एवं एक वकील की पहचान उसके काले कोट द्वारा होती है। फैक्ट्री अथवा वर्कशॉप में कार्य करने वाले व्यक्तियों को कार्य की प्रकृति के अनुरूप अपनी वेशभूषा निर्धारित करनी पड़ती है। प्रायः इस अवसर पर वे चुस्त पैंट-कमीज ही पहनना चाहते हैं। महिलाओं को भी अपने व्यावसायिक कार्यकाल में सौम्य वेशभूषा धारण करनी चाहिए। इसी प्रकार एक मैनेजर एवं ऑफिसर की औपचारिक पोशाक शर्ट, पैन्ट एवं टाई होती है। सेना, पुलिस एवं यातायात पुलिस की पहचान उसकी वेशभूषा के आधार पर होती है।

5. अवसर:
वस्त्रों का चुनाव अवसर के अनुकूल करना चाहिए। सामान्य रूप से विभिन्न खुशी के अवसरों पर मित्रजनों को रात्रिभोज पर आमन्त्रित करने पर विशिष्ट प्रकार की वेशभूषा धारण की जा सकती है। इस अवसर पर ऐसी वेशभूषा धारण की जानी चाहिए जो दिखने में सुन्दर एवं आकर्षक हो। ऐसे अवसरों पर समुचित वेशभूषा का प्रदर्शन भी किया जा सकता है। रात्रिभोज के अवसर पर साटन तथा वेलवेट के वस्त्र धारण किये जा सकते हैं। इसी प्रकार त्योहार के अवसर पर रंग-बिरंगे, भड़कीले एवं महिलाओं द्वारा लहँगा, ओढ़नी, गरारा, शरारा आदि का चयन किया जा सकता है। दुःख या शोक के समय सफेद एवं हल्के रंग के वस्त्रों का एवं खुशी के समय भड़कीले एवं गहरे रंग के वस्त्रों का चयन करना चाहिए।

6. फैशन:
वस्त्रों का चयन फैशन के अनुकूल होना चाहिए। फैशन का सबसे अधिक प्रभाव किशोर-किशोरियों में देखने को मिलता है; जैसे-भूरे अथवा हरे रंग का फैशन आने पर सभी लोग उस ही रंग का अधिक उपयोग करने लगते हैं। घड़ी की सुई की तरह फैशन भी समयानुसार बदलते रहते हैं; जैसे-बाजार में ‘जीन्स’ का फैशन आने पर अधिकतर लोग जीन्स खरीदते हैं। कुछ समय पश्चात् जीन्स छोड़कर, बेलबाटम का फैशन आ जाता है। फैशन अपनाते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वस्त्र के डिजाइन एवं रंग के व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारते हैं अथवा नहीं।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 22 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Home Science Chapter 22 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
बच्चों के वस्त्र होने चाहिए –
(अ) गहरे चटकीले रंग के
(ब) हल्के रंग के
(स) जीन्स के
(द) सोवर डिजाइन के
उत्तर:
(अ) गहरे चटकीले रंग के

प्रश्न 2.
गर्मी वाले इलाकों में किस प्रकार के वस्त्र पहनने चाहिए? –
(अ) साटन के
(ब) घर के
(स) सूती वलिनन के
(द) टेरीलीन के
उत्तर:
(स) सूती वलिनन के

प्रश्न 3.
खुशी के अवसर पर किस प्रकार के वस्त्र पहनने चाहिए?
(अ) सफेद व हल्के रंग के
(ब) चटकीले रंग के
(स) सोवर वस्त्र
(द) काले रंग के
उत्तर:
(ब) चटकीले रंग के

प्रश्न 4.
एक साधारण कदकाठी की लड़की के करते बनाने में कितने मीटर कपडा लगेगा?
(अ) 2 से 2.5 मीटर
(ब) 1.5 से 2 मीटर
(स) 1 से 1.5 मीटर
(द) 2.50 से 3 मीटर
उत्तर:
(अ) 2 से 2.5 मीटर

प्रश्न 5.
ऊनी वस्त्रों का अर्ज होता है –
(अ) 35″ से 72″
(ब) 54″ से 60″
(स) 36″
(द) 39″
उत्तर:
(अ) 35″ से 72″

प्रश्न 6.
वस्त्र की कीमत किस हिसाब से लगाई जाती है?
(अ) गज के
(ब) फुट के
(स) मीटर के
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) मीटर के

RBSE Class 12 Home Science Chapter 22 आत लयूसराव प्रश्न

प्रश्न 1.
वस्त्रों के चयन पर किन प्रमुख कारकों का प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
आयु, जलवायु, लिंग, व्यवसाय, आय।

प्रश्न 2.
प्रत्येक व्यक्ति के व्यवसाय की पहचान वस्त्रों द्वारा किस प्रकार होती है?
उत्तर:
वस्त्रों का रूप तथा पहनने का ढंग व्यक्ति के व्यवसाय को दर्शाता है; जैसे – शिक्षिका की साड़ी, वकील का काला कोट आदि।

प्रश्न 3.
शिशुओं के लिए कैसे वस्त्रों का चयन करना चाहिए?
उत्तर:
शिशुओं के लिए सूती हल्के व मुलायम वस्त्रों का चयन करना चाहिए।

प्रश्न 4.
प्रौढ़ व वृद्ध के लिए किस रंग के वस्त्र खरीदने चाहिए?
उत्तर:
प्रौढ़ व वृद्ध के लिए सफेद, सलेटी क्राम तथा बादामी आदि हल्के रंग के वस्त्र खरीदने चाहिए।

प्रश्न 5.
प्रचलित फैशन किस आयु वर्ग के वस्त्रों को सर्वाधिक प्रभावित करता है?
उत्तर:
किशोर तथा किशोरियों के वस्त्रों को।

प्रश्न 6.
ग्रीष्म ऋतु में वस्त्र किस प्रकार के होने चाहिए?
उत्तर:
सूती तथा हल्के वस्त्र।

प्रश्न 7.
मौसमानुसार वस्त्रों को खरीदते समय उनके किस गुण का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
वस्त्रों की ताप संवाहकता का।

प्रश्न 8.
महिलाओं द्वारा कार्य – स्थल पर धारण की जाने वाली वेशभूषा किस प्रकार की होनी चाहिए?
उत्तर:
सौम्य तथा सादगी युक्त।

प्रश्न 9.
पार्टी, त्यौहार एवं विवाह के अवसर के लिए किस प्रकार के वस्त्रों का चयन करन चाहिए ?
उत्तर:
विशेष डिजाइन वाले एवं परिसज्जात्मक और आकर्षक रंगों वाले वस्त्र।

प्रश्न 10.
वस्त्रों का चुनाव करते समय सामान्य तौर पर कौन-सी बातें ध्यान में रखनी चाहिए?
उत्तर:
वस्त्रों का टिकाऊपन, गुण, सुंदरता तथा मूल्य आदि बातें ध्यान में रखनी चाहिए।

प्रश्न 11.
प्रतिदिन धारण किये जाने वाले वस्त्र किस प्रकार के होने चाहिए?
उत्तर:
मजबूत, टिकाऊ तथा सरलतापूर्वक धुलने योग्य वस्त्र होने चाहिए।

प्रश्न 12.
वस्त्र के टिकाऊपन की जाँच आप किस – प्रकार कर सकती हैं?
उत्तर:
वस्त्र को दोनों हाथों में लेकर हल्का – सा खींचें, मजबूत न होने की स्थिति में वस्त्र झिरझिरा जाएगा।

प्रश्न 13.
वस्त्र खरीदते समय किन तीन बातों का – विशेष ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
वस्त्र की मात्रा, वस्त्र का मूल्य, वस्त्र की – गुणवत्ता का ध्यान रखना चाहिए।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 22 लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वस्त्र व्यक्तित्व को किस प्रकार उभारते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वस्त्र व्यक्ति के व्यक्तित्व के अनुरूप ही होना चाहिए। जो वस्त्र व्यक्ति के व्यक्तित्व को उभारे और आकर्षण प्रदान करे, वे ही उत्तम व उपयुक्त वस्त्र होते हैं। उदाहरण के लिए बच्चों के लिए सूती व हल्के, पतले व्यक्तियों पर समतल, ठिगने तथा मोटे व्यक्ति पर लम्बवत रेखा आकृति वाले वस्त्र, व्यक्तित्व को उभारते हैं। इसके साथ – ही – साथ व्यक्ति की भावनाओं, स्वभाव और चरित्र को ध्यान में रखते हुए वस्त्र का चुनाव करें जैसे–चुलबुले स्वभाव वाले भड़कीले व चमकीले वस्त्र, सीधे स्वभाव वाले सादे व कम चमकदार वस्त्र पहनते हैं। त्वचा के रंग और शारीरिक आकृति व गठन के आधार पर वस्त्रों का चुनाव करना चाहिए। वस्त्र ही व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान होते हैं।

प्रश्न 2.
वस्त्रों के चुनाव को आयु किस प्रकार प्रभावित करती है?
उत्तर:
वस्त्रों के चुनाव पर आयु का प्रभाव:
वस्त्रों का चयन करते समय सम्बन्धित व्यक्ति की आयु को ध्यान में रखना अति आवश्यक है। आयु के अनुसार व्यक्ति के लिए वस्त्र भी भिन्न होते हैं। छोटे बच्चों के लिए चमकीले रंग के नर्म एवं मुलायम वस्त्र उपयुक्त रहते हैं। बच्चों के लिए ऐसे वस्त्र होने चाहिए, जिनमें आसानी से हवा आ – जा सके। वयस्क व्यक्तियों को सादे वस्त्र पहनने चाहिए। नव – विवाहित लड़कियों को गाढ़े रंग वाले तथा चमकीले वस्त्र अच्छे लगते हैं। वृद्धजनों को हल्के तथा सादे वस्त्र पहनने चाहिए।

प्रश्न 3.
अवसरानुकूल वस्त्रों का चयन आप किस प्रकार करेंगे? संक्षेप में बताइये।
उत्तर:
विभिन्न अवसरों के अनुरूप वस्त्रों का चयन हम निम्नलिखित प्रकार से करेंगे –

  • प्रतिदिन प्रयोग के वस्त्र – हल्के, टिकाऊ तथा धोने में आसान वस्त्र तथा साथ ही उनका मूल्य भी अधिक न हो।
  • विद्यालय की वेशभूषा – विद्यालय का निर्धारित पोशाक तथा उसका वस्त्र इस प्रकार का हो जो धुलने में आसान हो।
  • कार्यस्थल के वस्त्र – यदि व्यवसाय की कोई निर्धारित वेशभूषा है तो उसे ही धारण करें। कार्यस्थल के वस्त्र सौम्य तथा सादगीयुक्त हों।
  • उत्सव के लिए वस्त्र – उत्सव पर पहने जाने वाले वस्त्र चटक रंगों के हो सकते हैं। यहाँ आप मनचाहे रंग-बनावट के वस्त्र पहन सकते हैं।
  • पिकनिक या सैर – सपाटे के दौरान – पिकनिक या सैर-सपाटे पर अनौपचारिक वस्त्र; जैसे – जींस या सलवार-कमीज ही सुविधायुक्त रहते हैं। वस्त्रों का चयन करते समय ध्यान रखें, आपके वस्त्र कितने ही आकर्षक तथा आरामदायक क्यों न हों, यदि वह अवसर के अनुरूप नहीं हैं तो स्थिति हास्यास्पद हो सकती है।

प्रश्न 4.
वस्त्र की गुणवत्ता की जाँच आप किस प्रकार करेंगी?
उत्तर:
वस्त्र की गुणवत्ता की जाँच निम्न प्रकार से की जा सकती है –

  • सर्वप्रथम वस्त्र पर लगे हुए लेबिल को देखें जिससे उसके निर्माता के व्यापारिक चिह्न, कीमत आदि का ज्ञान हो जाएगा।
  • इसके पश्चात् यह देखें कि वस्त्र-निर्माण में किस प्रकार का रेशा प्रयुक्त हुआ है।
  • वस्त्र के टिकाऊपन की जाँच करने के लिए उसे दोनों हाथों में लेकर धीरे से खींचें; कमजोर होने पर वस्त्र झिरझिरा हो जाएगा।
  • वस्त्र की परिसज्जा को भली प्रकार देख लें।
  • वस्त्र की बनावट तथा बुनाई में देख लें कि कहीं कोई धागा बीच में टूटा तो नहीं है अथवा कहीं गाँठ तो नहीं है; क्योंकि ऐसा वस्त्र देखने में अच्छा नहीं लगता।
  • वस्त्र के रंग की जाँच करने के लिए साबुन के घोल का पानी रूमाल पर लेकर वस्त्र पर रगड़ें। यदि रंग कच्चा होगा तो वह रूमाल पर आ जाएगा।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 22 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आपकी बहिन मोटी व ठिगनी है। उसके लिए किस प्रकार के डिजाइन के वस्त्र का चयन करेंगी?
अथवा
एक ठिगनी एवं मोटी महिला हेतु किस प्रकार के डिजाइन का चुनाव करेंगी और क्यों?
उत्तर:
वस्त्र व्यक्तित्व को उभारता है अतः वस्त्रों का चुनाव व्यक्ति की कद – काठी, त्वचा के रंग तथा शारीरिक आकार एवं गठन के आधार पर करना चाहिए जिससे कि वस्त्र उन्हें प्रभावित न करें। यदि हम किसी ठिगनी एवं मोटी महिला के लिए बड़ी डिजाइन वाले वस्त्र का चयन करते. हैं तो वह महिला और भी अधिक ठिगनी एवं मोटी दिखायी पड़ेगी। इसी प्रकार यदि ठिगनी महिला के वस्त्र समतल डिजाइन वाले तथा ढीले-ढाले होंगे तो वह और अधिक ठिगनी दिखाई देगी। मोटी महिला के मामले में बड़े डिजाइन वाला तथा कसा हुआ वस्त्र उसके व्यक्तित्व को और अधिक दबा देगा।

एक मोटी व ठिगनी महिला के लिए दोनों परिस्थितियों में सामंजस्य बिठाते हुए वस्त्रों का चयन करना चाहिए। उसके लिए महीन एवं छोटी डिजाइन वाले, खड़ी रेखाओं वाले तथा मध्यम कसाव वाले वस्त्रों का चयन करना चाहिए। यदि महिला साड़ी पहनती है तो उसके लिए छोटी व बारीक डिजाइन वाली साड़ी उपयुक्त रहेगी। इस प्रकर यदि वह सलवार सूट पहनती है तो खड़ी रेखाओं तथा बारीक डिजाइन वाला कुर्ता व सादी सलवार उपयुक्त रहेगी।

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