RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 28 पारिवारिक आय
RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 28 पारिवारिक आय
Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Chapter 28 पारिवारिक आय
RBSE Class 12 Home Science Chapter 28 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनें –
(i) पारिवारिक आय के…………प्रकार हैं।
(अ) दो
(ब) एक
(स) तीन
(द) पाँच
उत्तर:
(स) तीन
(ii) पारिवारिक आय के स्रोत हैं –
(अ) लगान
(ब) ग्रेच्युटी
(स) मजदूरी
(द) सभी
उत्तर:
(द) सभी
(iii) वस्तुओं एवं सेवाओं का प्रवाह जो कि एक परिवार को निश्चित समय में उपयोग के लिए प्राप्त होता है –
(अ) वास्तविक आय
(ब) मौद्रिक आय
(स) पारिवारिक आय
(द) दैनिक आय
उत्तर:
(अ) वास्तविक आय
(iv) मानसिक आय का सम्बन्ध मुख्य रूप से होता है –
(अ) सेवाओं से
(ब) आत्मा के संतोष से
(स) मुद्रा से
(द) वस्तुओं से
उत्तर:
(ब) आत्मा के संतोष से
(v) आय वृद्धि के साधन हैं –
(अ) धन का उचित उपयोग
(ब) समय का सही उपयोग
(स) घरेलू उद्योग धन्धे
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करो –
1. विशेष अवधि में प्राप्त होने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं को ………… आय कहते हैं।
2. पुस्तक की बिक्री के अनुपात में प्रकाशक द्वारा दी गई धनराशि ………… कहलाती है।
3. मानव की ………… आवश्कताएँ हैं जिन्हें वह अपनी ………… आय द्वारा पूरा करता है।
4. ………… ही क्रय शक्ति एवं विनिमय का माध्यम है।
5. ………… आय के अन्तर्गत वस्तु अथवा सेवाओं को मुद्रा के बदले प्राप्त किया जाता है।
उत्तर:
1. वास्तविक / मौद्रिक आय,
2. रॉयल्टी
3. असीमित, सीमित
4. मुद्रा
5. अप्रत्यक्ष
प्रश्न 3.
पारिवारिक आय के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परिवार की आय एक निचित अवधि में अर्जित धनराशि, वस्तुएँ एवं सुविधाएँ हैं जिन्हें परिवार अपनी आवश्यकताओं व इच्छापूर्ति में व्यय करता है।
पारिवारिक आय को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है –
1. मौद्रिक आय:
मौद्रिक आय वह आय कहलाती है जो परिवार को आर्थिक कार्य करने पर मुद्रा के रूप में प्राप्त होती है। परिवार मौद्रिक आय को व्यवसाय, नौकरी, उद्योग आदि से प्राप्त करता है। यह परिवार को वेतन, मजदूरी, ब्याज, पेंशन, पुस्तकों की रॉयल्टी के रूप में प्राप्त होती है। कभी-कभी परिवार को आर्थिक कार्य किये बिना भी आय प्राप्त हो जाती है। यह परिवार के मकान व दुकान के किराये के रूप में प्राप्त होती है। ग्रॉस और क्रैण्डल के अनुसार, “मौद्रिक आय से तात्पर्य उस क्रय शक्ति से है जो मुद्रा के रूप में किसी निश्चित समय में एक परिवार को प्राप्त होती है।”
2. वास्तविक अमौद्रिक आय:
ग्रॉस और क्रैण्डल के अनुसार, “वास्तविक आय आर्थिक वस्तुओं एवं सेवाओं के उस प्रवाह को कहते हैं जो एक परिवार को निश्चित समय में उपयोग के लिए प्राप्त होते हैं।” किसी विशेष अवधि में प्राप्त होने वाले सामान या सेवा को वास्तविक आय कहते हैं। इन वस्तुओं और सेवाओं को परिवार या तो अपने परिवार के व्यक्तियों, मित्रों आदि से प्राप्त करता है या फिर बिना मुद्रा खर्च किये सुविधा प्राप्त करता है। जैसे-मुफ्त चिकित्सा सुविधाएँ, निःशुल्क शिक्षा, मकान इत्यादि। अन्यथा इन्हें प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अपनी मुद्रा व्यय करनी पड़ती है। वास्तविक आय दो प्रकार की होती है –
(i) प्रत्यक्ष आय:
इस प्रकार की आय वे अन्तर्गत वे वस्तुएँ एवं सेवाएँ आती हैं जो एक परिवार बिना मुद्रा व्यय किए प्राप्त करता है; जैसे—नौकरी के साथ मकान की सुविधा, चिकित्सा सुविधा, सुरक्षा गार्ड की सुविधा, घर के बगीचे की फल सब्जी, पैतृक सम्पत्ति आदि। इसके अन्तर्गत मकान का किराया, ब्याज का पैसा आदि आते हैं।
(ii) अप्रत्यक्ष आय:
यह वह आय होती है जो साधारणतः धन देने पर प्राप्त होती है या वस्तु के बदले वस्तु देने पर प्राप्त होती है। ग्रॉस एवं क्रैण्डल के शब्दों में, “अप्रत्यक्ष आय के अन्तर्गत वे वस्तुएँ एवं सेवाएँ आती हैं जो कि परिवार को किसी चीज के बदले में साधारणतः मुद्रा के बदले में ही प्राप्त होती है।” अत: अप्रत्यक्ष आय के अन्तर्गत धन के द्वारा खरीदी जाने वाली वस्तुओं का समावेश होता है।
3. मानसिक आय:
मानसिक आय अनुभव की जाती है। इसको देखा नहीं जा सकता है। जब परिवार के लिए आवश्यक वस्तुओं के उपभोग से सन्तुष्टि प्राप्त होती है तो वह मानसिक आय कहलाती है। विवेकपूर्ण तथा बुद्धिमत्ता से किया गया व्यय परिवार को अधिक सन्तुष्टि प्रदान करता है। अविवेकपूर्ण किया गया धन का व्यय परिवार में असन्तोष उत्पन्न कर देता है। मानसिक आय आत्मगत होती है। अतः मानसिक आय वह सन्तुष्टि है जो हम दैनिक अनुभवों धन के उपयोग से प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 4.
पारिवारिक आय के चार स्रोतों के बारे में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
परिवार अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यों में संलग्न रहता है जिसके माध्यम से वह धन अर्जित करता है। विभिन्न साधनों द्वारा प्राप्त आय भी भिन्न-भिन्न होती है। इनमें समय, मात्रा व ढंग में अन्तर पाया जाता है। पारिवारिक आय के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं –
(1) वेतन (Salary):
जिस कार्य में मानसिक परिश्रम अधिक लगता है, उस कार्य से प्राप्त आय वेतन के रूप में मिलती है। प्रत्येक व्यक्ति का वेतन भिन्न-भिन्न होता है। यह व्यक्ति की योग्यता, शिक्षा, पद, अनुभव आदि पर निर्भर करता है। वेतन सामान्यतया प्रतिमाह मिलता है। अधिक वेतन पाने के लिए मानसिक कुशलता का होना आवश्यक है। इसमें बढ़ने की प्रवृत्ति होती है। वेतन वृद्धि आमतौर पर वार्षिक होती है। वेतन में महंगाई भत्ता, मकान किराया, यात्रा भत्ता, वाहन सुविधा आदि सम्मिलित हैं।
(2) ब्याज (Interest):
परिवार में बची हुई पूँजी यदि बैंक या पोस्ट ऑफिस में जमा होती है तो उस पर ब्याज प्राप्त होता है। यह ब्याज कम या अधिक हो सकता है। यह जमा की हुई पूँजी पर निर्भर करता है।
(3) मजदूरी (Wages):
जिस कार्य को करने में शारीरिक परिश्रम करना होता है, उसके फलस्वरूप श्रमिक को मजदूरी प्राप्त होती है। सभी जगह मजदूरो की दर में भिन्नता पाई जाती है। यह श्रमिक की योग्यता एवं कुशलता पर निर्भर करता है। मजदूरी प्रतिदिन एवं सप्ताह के अनुसार दी जाती है। मजदूरी अधिकतर मुद्रा के रूप में तथा कभी-कभी वस्तु या सेवा के रूप में भी दी जाती है।
(4) रॉयल्टी (Royalty):
यह भी आय का अच्छा स्रोत है। एक लेखक को लिखी हुई पुस्तकों की बिक्री के अनुसार प्रकाशक द्वारा दिया जाने वाला धन रॉयल्टी कहलाता है।
(5) पेंशन एवं ग्रेच्युटी (Pension and Gratuity):
नौकरी करने वाले व्यक्तियों की जब सेवाएँ समाप्त हो जाती हैं तो उनको पेन्शन के रूप में तथा काटी गयी आय में से जो निश्चित आय दी जाती है, वह ग्रेच्युटी कहलाती है। पेंशन सेवानिवृत्ति के पश्चात प्रतिमाह दी जाती है। इसकी राशि सेवानिवृत्ति के समय मिलने वाले वेतन के अनुसार होती है।
सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी को संस्थान द्वारा दी जाने वाली राशि ग्रेच्युटी कहलाती है।
(6) लगान (Rent):
भूमि पर खेती करने के बदले में जो किराया दिया जाता है, वही लगान है। इसी प्रकार मकान मालिक स्वयं मकान अथवा दुकान का उपयोग न कर उसे दूसरे व्यक्ति को दे देता है जिसके बदले में वह प्रतिमाह एक निश्चित रकम प्राप्त करता है जो किराया कहलाता है। यह गृहस्वामी की आय का स्रोत है।
(7) लाभ (Profit):
कई व्यक्ति अपनी पूँजी का विनियोग कर व्यापार करते हैं। उद्योग-धन्धों में किसी वस्तु का उत्पादन कर उसे बेचते हैं। उत्पादन के साधनों की लागत का वितरण करने के बाद जो धन व्यापारी के पास बचता है उसे लाभ कहते हैं। यही लाभ व्यापारी की आय कहलाती है। लाभ उद्योग की प्रकृति, साहस एवं प्रबन्ध कुशलता पर निर्भर करता है। लाभ कभी कम व कभी ज्यादा भी हो सकता है। परिवार अपनी बचत को दूसरों के उद्योग-धन्धों में हिस्से के रूप में लगाकर भी लाभांश कमा सकता है।
(8) बोनस (Bonus):
बहुत से व्यावसायिक संस्थानों और उद्योगों में कार्यरत कर्मचारियों को वर्ष में एक बार वेतन के अतिरिक्त कुछ अंश कम्पनी अपने लाभ में से देती है जिसे बोनस कहा जाता है। यह राशि विशेषकर त्यौहारों पर दी जाती है, जैसे दीपावली पर कर्मचारियों को एक मास की अतिरिक्त आय दी जाती है।
(छात्र कोई भी चार बिन्दु लिख सकते हैं।)
प्रश्न 5.
आय वृद्धि के साधनों को समझाइए।
उत्तर:
औद्योगिकीकरण के युग में मानव की आश्यकताएँ बढ़ती जा रही हैं। हर व्यक्ति उच्च जीवन शैली की कल्पना करता है। मानव की असीमित आवश्यकताएँ सीमित आय में पूरा करने के लिए आर्थिक प्रयास किए जाते हैं। आय वृद्धि निम्न द्वारा की जा सकती है –
(1) लघु उद्योग – धन्धों द्वारा (By small scale industries):
वर्तमान समय में अनेक प्रकार के उद्योग-धन्धे हैं, जिनको अपनाकर व्यक्ति अपनी आय में वृद्धि कर सकता है। परिवार के अन्य सदस्यों की मदद से घरेलू उद्योग-धन्धे किये जायें तो पारिवारिक आय में अतिरिक्त वृद्धि की जा सकती है। आजकल घरेलू उद्योग-धन्धे अधिक प्रचलित हो रहे हैं, जैसे-टोकरी व चटाई बनाना, जैम, जैली व सॉस बनाना, दरी व कालीन बुनना, रंगाई व छपाई का कार्य, व्यर्थ की वस्तुओं से सजावटी वस्तुओं को तैयार करना, रस्सी बँटना, मुर्गीपालन आदि अनेक कार्य हैं, जिनको अपनाकर गृहिणी व परिवार के अन्य सदस्य परिवार की आय में सहयोग दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त आजकल नर्सरी स्कूल खोलना भी व्यवसाय के अन्तर्गत आ गया है।
(2) समय की बचत द्वारा (By proper use of time):
वर्तमान समय में, गृह कार्यों को सरल, सुगम बनाने में वैज्ञानिक अनुसन्धानों ने बहुत अधिक सहयोग दिया है। आजकल अनेक प्रकार के उपकरण प्रचलित हो गये हैं; जैसे-गैस, स्टोव, कुकर, फ्रिज, मिक्सर आदि जिनको अपनाकर गृहिणी कम समय में कार्य पूर्ण कर लेती है, जिससे समय की बचत होती है। इस बचे हुए समय को वह गृह में अन्य उद्योग खोलकर आय को बढ़ाने में परिवार की मदद कर सकती है।
(3) कार्यों का विभाजन (Work division):
यदि गृह कार्यों का उचित विभाजन करके कार्य किया जाये तो कार्य अधिक कुशलतापूर्वक किया जा सकता है तथा गृह कार्यों में अरुचि नहीं होगी। साथ ही समय, श्रम व धन की बचत भी की जा सकती है। उस बचे हुए समय को गृहिणी आय की वृद्धि के लिए उपयोग कर सकती है।
(4) गृहिणी के आर्थिक योगदान द्वारा (Economic contribution by women):
वर्तमान समय में गृहिणी के शिक्षित होने के कारण वह घरेलू जिम्मेदारियाँ निभाने के साथ-साथ धनोपार्जन हेतु घर के बाहर अथवा घर के अन्दर ही विभिन्न कार्यों को करके परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बनाने में सहायक है। अतः पारिवारिक आय में वृद्धि करने के लिए यह आवश्यक है कि अपनी नौकरी या व्यवसाय के साथ अन्य घरेलू उद्योग – धन्धे भी किये जायें ताकि पारिवारिक आय में वृद्धि की जा सके। साथ ही समय का सदुपयोग भी अच्छा होगा एवं परिवार का मनोरंजन भी होगा तथा परिवार की आवश्यकताओं की अधिक पूर्ति की जा सकती है, जिससे परिवार को अधिक मानसिक संतोष प्राप्त हो सकता है तथा जीवन – स्तर में सुधार होता है।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 28 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 12 Home Science Chapter 28 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
पारिवारिक आय निम्न में से किसे कहते हैं?
(अ) मुद्रा / धन
(ब) नि:शुल्क चिकित्सा सेवा
(स) उपहार
(द) ये सभी।
उत्तर:
(द) ये सभी।
प्रश्न 2.
मौद्रिक आय प्राप्त करने के स्रोत कौन-से हैं?
(अ) वेतन
(ब) घर का काम
(स) अपने बच्चों को पढ़ाना
(द) नि:शुल्क शिक्षा।
उत्तर:
(अ) वेतन
प्रश्न 3.
आय जो बिना मुद्रा व्यय किये वस्तु एवं सेवा के उपयोग द्वारा प्राप्त होती है, उसे कहते हैं।
(अ) मौद्रिक आय
(ब) मानसिक आय
(स) प्रत्यक्ष आय
(द) अप्रत्यक्ष आय।
उत्तर:
(स) प्रत्यक्ष आय
प्रश्न 4.
आय जो साधारणतया धन व्यय करने पर प्राप्त होती है उसे कहते हैं।
(अ) लाभांश
(ब) वेतन
(स) अप्रत्यक्ष आय
(द) पारिवारिक आय।
उत्तर:
(स) अप्रत्यक्ष आय
प्रश्न 5.
मानसिक आय का सम्बन्ध मुख्य रूप से होता है –
(अ) मुद्रा से
(ब) वस्तुओं से
(स) सेवाओं से
(द) आत्मा के संतोष से।
उत्तर:
(द) आत्मा के संतोष से।
प्रश्न 6.
वह आय जो मनुष्य को उसकी कुशलता, शिक्षा, अनुभव, परिश्रम एवं पद के अनुसार मिलती है, उसे कहते –
(अ) मजदूरी
(ब) वेतन
(स) ब्याज
(द) लाभांश।
उत्तर:
(ब) वेतन
प्रश्न 7.
परिवार की आय वृद्धि का साधन है –
(अ) लघु उद्योग
(ब) समय का उचित उपयोग
(स) धन की मितव्ययता
(द) ये सभी।
उत्तर:
(द) ये सभी।
प्रश्न 8.
परिवार आय होती है।
(अ) मौद्रिक
(ब) वास्तविक
(स) मानसिक
(द) ये सभी।
उत्तर:
(द) ये सभी।
प्रश्न 9.
ब्याज है –
(अ) प्रतिमाह प्राप्त होने वाला वेतन
(ब) प्रतिवर्ष कुछ प्रतिशत बढ़ने वाला वेतन
(स) जमा पूँजी पर मिलने वाला मूलधन
(द) वेतन के अतिरिक्त प्राप्त भत्ते
उत्तर:
(स) जमा पूँजी पर मिलने वाला मूलधन
प्रश्न 10.
बोनस है –
(अ) सेवानिवृत्ति के समय संस्थान द्वारा दी गई राशि
(ब) वर्ष में एक बार वेतन के अतिरिक्त संस्थान द्वारा दिया गया लाभ का कुछ अंश
(स) प्रतिवर्ष कुछ प्रतिशत बढ़ने वाला वेतन
(द) वेतन के अतिरिक्त प्राप्त सुविधाएँ एवं भत्ते
उत्तर:
(ब) वर्ष में एक बार वेतन के अतिरिक्त संस्थान द्वारा दिया गया लाभ का कुछ अंश
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. साधनों को प्राप्त करने हेतु…………की आवश्यकता होती है।
2. किसी कम्पनी ने एक इंजीनियर को रहने के लिए मकान दिया है तो यह उसकी…………आय का हिस्सा है।
3. किसी विशेष अवधि में प्राप्त होने वाले सामान या सेवा को…………आय कहते हैं।
4. वस्तुओं को खरीदने का समुचित ज्ञान…………आय का उदाहरण है।
5. उत्पादित साधनों का वितरण करने के बाद जो धन व्यापारी के पास बचता है………….कहलाता है।
6. धनार्जन हेतु भूमि सेवाएँ प्रदान करने के फलस्वरूप जो आय प्राप्त होती है उसे…………कहते हैं।
7. किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात परिवार को प्राप्त सम्पत्ति………… सम्पत्ति कहलाती है।
8. कर्मचारियों को वर्ष में एक बार प्राप्त कम्पनी के लाभ का कुछ अंश…………कहलाता है।
उत्तर:
1. धन
2. प्रत्यक्ष
3. वास्तविक
4. प्रत्यक्ष
5. लाभांश
6. लगान
7. पैतृक
8. बोनस।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 28 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
परिवार की आय की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
परिवारिक आय:
ग्रॉस एवं क्रैण्डल के अनुसार – “पारिवारिक आय मुद्रा, वस्तुओं, सेवाओं तथा सन्तोष का वह प्रवाह है जो परिवार की आवश्यकताओं तथा इच्छाओं को पूर्ण करने एवं उत्तरदायित्वों के निर्वाह हेतु उसके अधिकार में आता है।”
प्रश्न 2.
मौद्रिक आय से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मौद्रिक आय से तात्पर्य उस क्रय शक्ति से है जो मुद्रा के रूप में किसी निश्चित समय में एक परिवार को प्राप्त होती है।
प्रश्न 3.
मौद्रिक आय के स्रोत बताइये।
उत्तर:
मौद्रिक आय के स्रोत हैं-मजदूरी, वेतन, लगान, किराया, लाभ, बोनस, ब्याज, लॉटरी, पेंशन एवं ग्रेच्युटी, उपहार, रॉयल्टी, बीमारी और दुर्घटना में प्राप्त राशि इत्यादि।
प्रश्न 4.
वास्तविक आय से मानसिक आय कैसे भिन्न है?
उत्तर:
वास्तविक आय को किसी अवधि विशेष में प्राप्त होने वाले सामान या सेवा के रूप में मापा जाता है, जबकि मानसिक आय को उपभोग द्वारा प्राप्त सन्तुष्टि में मापा जाता है।
प्रश्न 5.
प्रत्यक्ष आय किसे कहते हैं?
उत्तर:
बिना मुद्रा व्यय किये हुए उपयोग होने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं को प्रत्यक्ष आय कहते हैं।
प्रश्न 6.
अप्रत्यक्ष आय किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
“अप्रत्यक्ष आय के अन्तर्गत वे वस्तुएँ एवं सेवाएँ आती हैं जो कि परिवार को किसी चीज के बदले में या मुद्रा के बदले में ही प्राप्त होती है।” उदाहरण के = लिए – सब्जी, फल, फर्नीचर, उपकरण, मकान आदि।
प्रश्न 7.
वास्तविक अमौद्रिक आय क्या है?
उत्तर:
विशेष अवधि में प्राप्त होने वाली वस्तुएँ एवं सेवाएँ वास्तविक आय कहलाती हैं जो बिना मुद्रा व्यय किए प्राप्त होती हैं। उदाहरणस्वरूप मुफ्त चिकित्सा सुविधा, आवास सुविधा, आहार इत्यादि।
प्रश्न 8.
मानसिक आय क्या है?
उत्तर:
मानसिक आय वह सन्तुष्टि है जो हम दैनिक अनुभवों, धन के उपभोग या वास्तविक आय से प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 9.
ब्याज से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जमा पूँजी को किसी बैंक या पोस्ट ऑफिस या उद्योग के विनियोग करने के पश्चात उस पर मिलने वाला मूलधन ब्याज कहलाता है।
प्रश्न 10.
लगान से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
धनार्जन हेतु भूमि सेवाएं प्रदान करने के फलस्वरूप जो आय प्राप्त होती है, उसे लगान कहते हैं।
प्रश्न 11.
मजदूरी किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति जीवनयापन हेतु परिश्रम करता है जिसके बदले में उसे धनराशि प्राप्त होती है, उसे मजदूरी कहते हैं।
प्रश्न 12.
रॉयल्टी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किसी लेखक द्वारा लिखी गई पुस्तक की बिक्री के अनुपात में प्रकाशक द्वारा दी जाने वाली धनराशि को रॉयल्टी कहते हैं।
प्रश्न 13.
भत्ता से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वेतन के अतिरिक्त कर्मचारियों को दी जाने वाली राशि: जैसे – मँहगाई भत्ता, यात्रा भत्ता आदि।
प्रश्न 14.
लॉटरी से प्राप्त धनराशि किस प्रकार की
उत्तर:
लॉटरी से प्राप्त धनराशि आर्थिक या मौद्रिक आय है।
प्रश्न 15.
पेंशन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
एक निश्चित आयु के पश्चात सेवानिवृत्ति होने पर सेवानिवृत्ति के बाद प्रतिमाह मिलने वाली मासिक राशि पेंशन कहलाती है जोकि सेवानिवृत्ति के समय मिलने वाले वेतन पर निर्भर करती है।
प्रश्न 16.
ग्रेच्युटी क्या है?
उत्तर:
सेवानिवृत्ति के समय संस्थान से प्राप्त एक निश्चित एकमुश्त राशि ग्रेच्युटी कहलाती है।
प्रश्न 17.
पैतृक सम्पत्ति किस प्रकार आय का स्रोत आय स्रोत है। ?
उत्तर:
किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसके परिवार / उत्तराधिकारियों को प्राप्त सम्पत्ति किराए पर देकर,स्रोत है।
प्रश्न 18.
परिवार के जीवन का स्तर किस प्रकार उठाया जा सकता है?
उत्तर:
वेतन के अतिरिक्त आय के अन्य स्रोत ढूँढ़कर समय का सदुपयोग करके, महिलाओं द्वारा आर्थिक योगदान होने से परिवार की आय बढ़ सकती है, जिससे परिवार का जीवन स्तर ऊँचा उठ सकता है।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 28 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
परिवार की आय के स्रोत केवल चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
परिवार की आय के विभिन्न स्रोत निम्नांकित हैं –
प्रश्न 2.
प्रत्यक्ष आय किसे कहते हैं? प्रत्यक्ष आय के स्रोतों के उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
प्रत्यक्ष आय उन समस्त वस्तुओं और सेवाओं को कहते हैं जो एक परिवार को बिना मुद्रा व्यय किए हुए प्रत्यक्ष रूप से उपयोग करने के लिए प्राप्त होती है। एक परिवार के प्रत्यक्ष आय के स्रोत कई हो सकते हैं; जैसे
- घर के बगीचे से प्राप्त फल व सब्जियाँ।
- गृहिणी द्वारा परिवार के सदस्यों के कपड़े सिलना।
- रहने के लिए मुफ्त मकान, चिकित्सा सुविधा।
- वस्तुओं को खरीदने का ज्ञान।
प्रश्न 3.
मानसिक आय से क्या तात्पर्य है? अपने सुझाव लिखिए।
उत्तर:
मुद्रा द्वारा खरीदी गई किसी वस्तु के उपभोग से जो संतुष्टि प्राप्त होती है, उसे मानसिक आय कहते हैं। मानसिक आय को देखा नहीं जा सकता बल्कि सिर्फ अनुभव किया जा सकता है। निकल एवं डार्सी के शब्दों में “मानसिक आय वह संतुष्टि है जो हमारे दैनिक अनुभवों, धन के उपयोग व वास्तविक आय से प्राप्त होती है।” सुझाव-व्यक्ति को मानसिक आय में वृद्धि के लिए किसी वस्तु पर व्यय सोच-समझकर करना चाहिए। मानसिक आय सिर्फ अत्यधिक मौद्रिक वस्तु के उपयोग से ही नहीं प्राप्त होती है।
प्रश्न 4.
वास्तविक अमौद्रिक आय से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वास्तविक आय वस्तुओं एवं सेवाओं का वह प्रवाह है जो एक परिवार को निश्चित समय में उपयोग के लिए प्राप्त होता है। वास्तविक आय दो प्रकार की होती है –
(i) प्रत्यक्ष आय:
बिना मुद्रा व्यय किए परिवार को प्राप्त वस्तुएँ एवं सेवाएँ प्रत्यक्ष आय के अर्न्तगत आती हैं। उदाहरणस्वरूप-नौकरी के दौरान प्राप्त मुफ्त आवास, चिकित्सा सुविधा, गार्ड सुरक्षा सुविधा, घर के बगीचे की फल-सब्जियाँ। इनके अतिरिक्त सार्वजनिक सेवाओं का उपयोग भी प्रत्यक्ष आय के अन्तर्गत आता है। जैसे – पुस्तकालय, पार्क, पुलिस व्यवस्था आदि।
(ii) अप्रत्यक्ष आय:
जब वस्तु अथवा सेवाओं को मुद्रा के बदले प्राप्त किया जाता है, अप्रत्यक्ष आय कहते हैं। जैसे-किराया देने पर मकान की प्राप्ति। साधारणतः धन के बदले उपलब्ध वस्तु या सेवा अथवा वस्तु के बदले वस्तु देने पर प्राप्त की जाने वाली आय अप्रत्यक्ष आय है।
प्रश्न 5.
उपहार क्या है? समझाइये।
उत्तर:
मित्रों एवं रिश्तेदारों द्वारा शुभ अवसरों पर दी गई धनराशि एवं वस्तुएँ जो उन्हें मुफ्त में प्राप्त होती हैं परिवार की आय में वृद्धि करती हैं; जैसे-जन्म दिन, शादी या सफलता प्राप्त करने पर प्राप्त धनराशि या वस्तुएँ उपहार (Gift) कहलाती हैं। उपहार की राशि निजी सम्बन्धों, अवसरानुकूल तथा आर्थिक क्षमता के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकती हैं।
प्रश्न 6.
आय वृद्धि के साधन केवल चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
RBSE Class 12 Home Science Chapter 28 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
किसी एक परिवार का उदाहरण देते हुए पारिवारिक आय पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति अपनी जीविका चलाने हेतु विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करता है। आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उसे विभिन्न प्रकार के साधनों का उपयोग करना पड़ता है। आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु साधनों की प्राप्ति के लिए धन की आवश्यकता होती है। यह धन व्यक्ति नौकरी व्यापार या उद्योग-धन्धों के माध्यम से प्राप्त करता है।
पारिवारिक आय का अर्थ:
“एक निश्चित अवधि में अर्जित धनराशि वस्तुएँ एवं सुविधाएँ जिन्हें परिवार अपनी आवश्यकताओं एवं इच्छाओं की पूर्ति हेतु उपयोग में लेकर सन्तोष प्राप्त करता है।” पारिवारिक आय की परिभाषाग्रॉस एवं क्रैण्डल के अनुसार, “पारिवारिक आय मुद्रा वस्तुओं, सेवाओं तथा सन्तोष का वह प्रवाह है जो परिवार की आवश्यकताओं तथा इच्छाओं को पूर्ण करने एवं उत्तरदायित्वों के निर्वाह हेतु उसके अधिकार में आता है।”
पारिवारिक आय उदाहरण द्वारा निम्न प्रकार स्पष्ट है:
एक परिवार की आय का अनुमान एक उदाहरण द्वारा लगाया जा सकता है। जैसे सुनील एक इंजीनियर है और वह एक कम्पनी में कार्य करता है। उसे हर महीने वेतन के रूप में ₹ 20,000 मिलते हैं। इसके अतिरिक्त कम्पनी ने उसे रहने के लिए एक घर दिया है। उसकी पत्नी विद्यालय में अध्यापक है तथा घर के कार्य भी करती है। समय मिलने पर वह बच्चों को पढ़ाती है।
इस परिवार की शहर में एक दुकान भी है जिसे उन्होनें ₹ 5,000 प्रतिमाह किराये पर दिया हुआ है। सुनील की पारिवारिक आय में उसका वेतन, उसकी पत्नी द्वारा प्राप्त वेतन, घर का किराया (जो उसे देना नहीं पड़ता) बच्चों को पढ़ाना (जिसके पैसे उसे देने नहीं पड़ते), दुकान का किराया और इन सबसे प्राप्त सन्तुष्टि, आय में आते हैं।
उदाहरण द्वारा स्पष्ट है कि पारिवारिक आय केवल वह है जो मुद्रा (Money) या नकद (Cash) रूप में प्राप्त की जाती है। पर यह तो कुल आय का एक भाग है। यदि कोई वस्तु या सेवा जैसे – मकान, शिक्षा, चिकित्सा-सेवा आदि मुफ्त में प्राप्त होती है तो वह भी परिवार की आय का एक हिस्सा है। साथ ही इनसे प्राप्त सन्तोष भी परिवार की आय का एक हिस्सा है।
अत: परिवार की आय एक निश्चित समयावधि में प्राप्त धनराशि, वस्तुएँ एवं सुविधाएँ हैं जिन्हें परिवार अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं की पूर्ति के लिए उनका उपभोग करके सन्तुष्टि प्राप्त करता है। उपर्युक्त उदाहरण में सुनील की पारिवारिक आय में उनका वेतन, उनकी पत्नी द्वारा अर्जित वेतन, मकान का किराया, बच्चों को पढ़ाना, दुकान का किराया तथा इनसे प्राप्त सन्तोष भी सम्मिलित है।
प्रश्न 2.
निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए –
(1) मानसिक आय
(2) अप्रत्यक्ष आय
(3) ब्याज
(4) धन की मितव्ययता
(5) धन का महत्त्व।
उत्तर:
(1) मानसिक आय:
मनुष्य मुद्रा को व्यय करके किसी वस्तु को प्राप्त कर उसका उपभोग करता है। उपभोग द्वारा उसे संतोष प्राप्त होता है। यही संतुष्टि मानसिक आय कहलाती है। उदाहरणार्थ, विनोद ने पढ़ने के लिए 25 रुपये खर्च करके किताब खरीदी। उस पुस्तक को पढ़ने से उसे अत्यधिक संतुष्टि मिली क्योंकि पुस्तक के अध्ययन द्वारा वह प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ। प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने से प्राप्त हुई संतुष्टि का आंकलन असंभव होने के कारण इसे मानसिक आय कहा जाता है। कभी – कभी परिवार को आर्थिक कार्य किये बिना भी आय प्राप्त हो जाती है। मानसिक आय को देखा नहीं जा सकता है बल्कि अनुभव किया जाता है।
निकिल एवं डॉर्सी के शब्दों में, “मानसिक आय वह संतुष्टि है जो हमारे दैनिक अनुभवों, धन के उपयोग या वास्तविक आय से प्राप्त होती है।” यह आय व्यक्ति की कुशलता पर निर्भर करती है। यदि गृहिणी परिवार के प्रत्येक सदस्य की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए घर खर्च सोच समझकर करती है तो परिवार की मानसिक आय में वृद्धि होती है। मानसिक आय का सम्बन्ध प्रमुख रूप से आत्मा की संतुष्टि से होता है। यही कारण है कि एक समय में समान वस्तुओं के उपयोग से प्राप्त होने वाला संतोष अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग होता है।
(2) अप्रत्यक्ष आय:
यह वह आय होती है जो सामान्यतया धन देने पर अथवा वस्तु के बदले वस्तु देने पर प्राप्त की जा सकती है। जैसे – किराया देने पर मकान उपलब्ध होना। ग्रॉस एवं क्रेण्डल के शब्दों में, “अप्रत्यक्ष आय के अन्तर्गत वे वस्तएँ आती हैं- जो एक परिवार को किसी चीज के बदले में साधारणतः मुद्रा के बदलने में ही प्राप्त होती हैं।” अप्रत्यक्ष आय के अन्तर्गत धन के द्वारा खरीदी जाने वाली वस्तुओं का समावेश होता है। जैसे – बिना किराये का मकान, मुफ्त यातायात व मुफ्त चिकित्सा आदि।
(3) ब्याज:
बैंक या पोस्ट ऑफिस में जमा पूँजी के विनियोग के बदले में मूल धन के अतिरिक्त जो कुछ प्रतिदिन के रूप में मिलता है, उसे ब्याज कहते हैं। यह ब्याज कम व अधिक हो सकता है। यह जमा की हुई पूँजी पर निर्भर करता है। उदाहरणार्थ, गीता ने अपनी आय में ₹ 20,000 बचाकर किसी बैंक में 1 वर्ष निश्चित अवधि के लिए जमा कर दिए। 4% ब्याज की दर से उसे ₹ 800 ब्याज प्राप्त हुआ अर्थात् एक वर्ष बाद वह अपनी मूल राशि ₹ 20,000 के अतिरिक्त ₹ 800. ब्याज सहित ₹ 20,800 प्राप्त करेगी। इस प्रकार ₹ 800 की आय का स्रोत ब्याज है।
(4) धन की मितव्ययता:
आर्थिक स्तर को ऊँचा उठाने के लिए आय को मितव्ययतापूर्ण तरीके से व्यय करना अति अनिवार्य है। इसके अभाव में अधिक आय होते हुए भी पारिवारिक स्तर को उन्नत नहीं किया जा सकता है। आय में से मितव्ययतापूर्ण तरीके से व्यय करने वाले परिवार कम आय होने पर भी पारिवारिक स्तर को उन्नत कर सकते हैं। यदि धन का उपयोग योजनाबद्ध तरीके से किया जाय तभी पारिवारिक आय में वृद्धि की जा सकती है।
उदाहरणार्थ, श्यामा बाजार से घरेलू सामान लाने से पूर्व सामान की सूची तैयार करती है। साथ ही यदि बैंकों आदि का भी कार्य है तो पहले सामान खरीद कर तत्पश्चात् बैंक के कार्य को करके एक ही समय में दो कार्य करके समय, शक्ति व धन तीनों की बचत कर लेती है। इसके अतिरिक्त मौसम के अनुसार वर्ष में एक ही बार गेहूँ, चावल, अन्य खाद्य वस्तुएँ जब उनकी कीमत कम एवं गुणवत्ता श्रेष्ठ हो, खरीदकर धन की बचत कर लेती है।
(5) धन का महत्त्व:
परिवार का जीवन – स्तर एवं सुख बहुत कुछ धन पर आधारित होता है। गृह व्यवस्था में धन का अत्यधिक महत्त्वपूर्ण स्थान है। केवल धन की प्राप्ति होना ही सुख – समृद्धि का प्रतीक नहीं है वरन् पारिवारिक आय अथवा धन का उपयोग अत्यधिक सोच समझ कर परिवार के सदस्यों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किया जाता है तो परिवार के प्रत्येक सदस्य को सन्तुष्टि मिल जाती है। परिवार की सम्पूर्ण व्यवस्था का संचालन धन पर आश्रित है।
धन के द्वारा गृहिणी एवं गृहस्वामी शिक्षा, मनोरंजन एवं अनिवार्य आवश्यकताओं की पूर्ति द्वारा समाज में पारिवारिक स्तर को उन्नत श्रेणी में ला सकते हैं। किसी परिवार का खान-पान, रहन-सहन, वस्त्रों का स्तर धन से ही सुनिश्चित किया जा सकता है। यदि किसी परिवार के पास धन की कमी है तो उस परिवार के लिए दोनों समय का भोजन जुटा पाना भी एक कठिन समस्या है। परिवार में धन के महत्त्व को निम्न बिन्दुओं द्वारा समझा जा सकता है –
प्रश्न 3.
धन व्यवस्थापन तथा धन के उचित विनियोग से किस प्रकार परिवार की आय में वृद्धि की जा सकती है?
उत्तर:
धन व्यवस्थापन (Money Management):
धन एक सीमित साधन है। परिवार की सम्पूर्ण व्यवस्था का संचालन धन पर आश्रित है। व्यक्ति के व्यय की परिसीमा बहुत कुछ आय की राशि पर निर्भर करती है। यदि घर में खर्च करने हेतु योजना बनाई जाए तथा अनावश्यक क्रय न किया जाए, बजट बनाकर खर्च किया जाए तो परिवार के सदस्यों को अधिक तथा उच्च श्रेणी की सुविधाएँ उपलब्ध हो सकती हैं। धन व्यवस्थापन द्वारा व्यक्ति बुद्धिमत्तापूर्ण व्यय करेगा तथा अधिकतम संतोष प्राप्त करेगा जिससे उसके परिवार की मौद्रिक, वास्तविक तथा मानसिक तीनों प्रकार की आय में वृद्धि होगी।
धन का उचित विनियोग (Proper investment of money):
प्रत्येक गृहिणी को अपने भविष्य की सुरक्षा हेतु अपनी आय में से कुछ हिस्सा बचाकर रखना चाहिए तथा इस बचे हुए धन को इस प्रकार निवेश करना चाहिए जिससे कि मूलधन की सुरक्षा के साथ – साथ कुछ धनराशि ब्याज अथवा लाभांश के रूप में प्राप्त होती रहे। इस प्रकार धन के उचित विनियोग से परिवार की आय में वृद्धि की जा सकती है।
प्रश्न 4.
आय वृद्धि में गृहिणी की भूमिका समझाइए।
उत्तर:
घर की गृहिणी भिन्न – भिन्न कार्य द्वारा, समझदारी एवं सूझबूझ से परिवार की आय वृद्धि एवं जीवन स्तर को ऊँचा बनाने में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। आजकल महिलाएँ घरेलू कार्य तक सीमित न रहकर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं व आर्थिक सहयोग प्रदान कर रही हैं। परिवार की आय वृद्धि में महिलाओं की भागीदारी निम्नलिखित है –
1. आर्थिक योगदान:
घरेलू जिम्मेदारियाँ निभाने के साथ – साथ महिलाएँ नौकरी, व्यवसाय आदि करके आर्थिक योगदान प्रदान करती हैं। शिक्षित एवं अशिक्षित अनेक महिलाएं अपने परिवार की आय वृद्धि में कार्यरत रहती हैं। वे धनोपार्जन हेतु घर के बाहर या घर के अन्दर ही विभिन्न कार्यों द्वारा परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बनाने में सहायक हैं।
गृहिणी को धनोपार्जन करने में गृह उद्योग विभाग सहायता, प्रशिक्षण, ऋण सुविधाएँ उपलब्ध कराता है। दूध से बनी वस्तुएँ उत्पादित करना, मुर्गीपालन, रेशम के कीड़े का पालन आदि प्रमुख है। फल व सब्जियों का संरक्षण, साबनु बनाना, बड़ी, मंगौड़ी, ट्यूशन, सिलाई आदि कर बड़ी कुशलता से आय अर्जित कर सकती हैं।
2. समय का उचित उपयोग:
महिलाएँ घरेलू काम के बाद बचे अतिरिक्त समय को किसी कार्य में लगाकर धर्नाजन कर – सकती हैं। वह समय व्यर्थ बरबाद करने के बजाय उतने समय में ट्यूशन पढ़ाना, सिलाई-बुनाई केन्द्र चलाना, ब्यूटीशियन, डेली नीड्स की दुकान इत्यादि करके परिवार की आय वृद्धि में सहायक हो सकती हैं।
3. मितव्ययता:
गृहिणी अपनी सूझबूझ से धन का योजनाबद्ध व्यय करके पारिवारिक आय में वृद्धि कर सकती हैं। यदि वस्तुओं एवं घर खर्च को मितव्ययता एवं सोच समझ कर किया जाए तो आर्थिक स्तर ऊँचा उठ सकता है एवं आवश्यकताएँ पूरी करने में कोई परेशानी नहीं होती है। धन व्यवस्थापन द्वारा सीमित आय में गृहिणी परिवार को मानसिक सन्तुष्टि प्रदान कर सकती है।
4. धन का उचित विनियोग:
धन के उचित व्यवस्थापन एवं मितव्ययता से खर्च कर गृहिणी भविष्य के लिए कुछ धन बचाकर रख सकती है जो कभी भी आवश्यकता पड़ने पर परिवार के पास होता है एवं उन्हें सुदृढ़ता देता है। ये बचत राशि बैंक में, डाक खाने में व अन्य कोई निवेश करके की जा सकती है जो भविष्य की सुरक्षा निधि के रूप में संचित रहती है एवं समय के साथ-साथ मूलधन प्राप्त करके बढ़ती रहती है।