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RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 33 उपभोक्ता संरक्षण एवं सहायता

RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 33 उपभोक्ता संरक्षण एवं सहायता

Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Chapter 33 उपभोक्ता संरक्षण एवं सहायता

RBSE Class 12 Home Science Chapter 33 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर (PART-I)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनें –
(i) उपभोक्ता शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है –
(अ) सस्ती वस्तु उपलब्ध कराना
(ब) बाजार में वस्तु उपलब्ध कराना
(स) उपभोक्ता को संरक्षण देना
(द) कोई नहीं
उत्तर:
(स) उपभोक्ता को संरक्षण देना

(ii) उपभोक्ता को वस्तु कहाँ से खरीदनी चाहिये?
(अ) राशन की दुकान से
(ब) सुपर मार्केट से
(स) पंजीकृत व अधिकृत दुकान से
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

(iii) उपभोक्ता शिक्षा अर्जित की जा सकती है –
(अ) पड़ोसी से
(ब) पत्र-पत्रिकाओं से
(स) टीवी से
(द) ये सभी
उत्तर:
(ब) पत्र-पत्रिकाओं से

(iv) निम्न में से कौन-सा उपभोक्ता अधिकार नहीं है?
(अ) सुनवाई का
(ब) सजा का
(स) चयन का
(द) सूचना का
उत्तर:
(द) सूचना का

(v) ग्राहक के साथ धोखाधड़ी का मुख्य कारण है –
(अ) औद्योगिकीकरण
(ब) आय में कमी
(स) वस्तुओं में कमी
(द) अज्ञानता
उत्तर:
(द) अज्ञानता

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. उपभोक्ता अपने हितों की रक्षा करता है उसे…………कहते हैं।
2. त्योहारों और पर्वो पर व्यापारी अधिक बिक्री हेतु…………लगाते हैं।
3. बाजार का चयन करने के पश्चात् उपभोक्ता को…………चयन करनी चाहिये।
4. खाद्य पदार्थों में मिलावट जानने के अधिकार का नाम…………है।
5. …………की कमी से उपभोक्ता का शोषण होता आ रहा है।
उत्तर:
1. उपभोक्ता संरक्षण
2. सेल
3. दुकान
4. सुरक्षा का अधिकार
5. उपभोक्ता शिक्षा।

प्रश्न 3.
निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए –
(1) उपभोक्ता शिक्षा का महत्त्व
(2) चयन का अधिकार
(3) कब खरीदें
(4) उपभोक्ता संरक्षण का अर्थ
उत्तर:
(1) उपभोक्ता शिक्षा का महत्त्व:
उपभोक्ता शिक्षा प्रत्येक उपभोक्ता के लिए आवश्यक है। उपभोक्ता को वस्तु के क्रय से पहले सारी जानकारी होनी चाहिए, जिससे वह किसी कम्पनी के लुभावने ऑफर अथवा विज्ञापन या विक्रेता के कहने पर कम गुणवत्ता की एवं महँगी वस्तु का क्रय नहीं करे। उपभोक्ता शिक्षा हेतु कोई औपचारिक संस्था नहीं होती है बल्कि स्वयं के ज्ञान एव बुद्धि, पत्र-पत्रिकाएं, इंटरनेट, दूसरों के अनुभव, प्रचार माध्यम का उपयोग करके हम उत्तम वस्तुएं क्रय कर सकते हैं।

अपने पैसे को सही स्थान पर व्यय कर करके उचित वस्तु की खरीद से अधिकतम सुख,आनन्द एवं सन्तुष्टि की प्राप्ति होती है। उपभोक्ता शिक्षा द्वारा उपभोक्ता को अपने दायित्वों का बोध होता है। वे यदि कभी ठगी का शिकार होते हैं, तो उपभोक्ता मंच के माध्यम से विक्रेता से क्षतिपूर्ति ले सकते हैं।

(2) चयन का अधिकार:
उपभोक्ता अपनी आवश्यकता के अनुरूप कौन सी वस्तु खरीदना चाहता है, वह अपनी आय के अनुसार व पसन्द के अनुसार सही वस्तु का चयन स्वयं कर सकता है। इसके लिए विक्रेता या प्रचारक उसे बाध्य करके अपने उत्पाद को नहीं बेच सकते। उत्पाद निम्न स्तर का पाए जाने पर उपभोक्ता को उसे वापस करने का अधिकार है। यदि विक्रेता उसको वापस नहीं लेता है तो उपभोक्ता शिकायत कर सकता है।

(3) कब खरीदें:
उपभोक्ता शिक्षा द्वारा उपभोक्ता को यह जानकारी दी जाती है कि वह वस्तुएँ कब खरीद सकता है। वैसे मनुष्य की आवश्यकताएँ पूरे वर्ष ही रहती हैं परन्तु मौसम की वस्तुएँ उचित समय पर खरीदी जा सकती हैं। इससे उपभोक्ताओं को कम दाम में अच्छी वस्तु मिल जाती है। जैसे अप्रैल माह में यदि गेहूँ पूरे वर्ष का खरीद लिया जाए तो उत्तम किस्म का कम दाम में मिलेगा व उपभोक्ता की बचत होगी। इस प्रकार अनेक ऐसी वस्तुएँ है जो अपने मौसम में कम दाम में मिलती हैं।

कुछ विद्युत उपकरण जैसे सर्दियों में कूलर, ए.सी., फ्रिज, पंखे तथा गर्मियों में गीजर, हीटर आदि काफी कब दामों में मिलते हैं। कभी-कभी त्योहारों व विभिन्न अवसरों पर अधिक बिक्री हेतु व्यापारी भी माल कुछ दाम कम करके बेचते हैं। अत: उपभोक्ताओं को मौसम व समय के अनुसार खरीददारी करनी चाहिए।

(4) उपभोक्ता संरक्षण का अर्थ:
उपभोक्ता के समक्ष आजकल अनेक कठिनाइयाँ हैं-मिलावट, जमाखोरी, चुनाव की समस्या, विज्ञापनों का आकर्षण, लुभावने ऑफर आदि। अक्सर पूरी कीमत देने के बाद भी उत्तम वस्तु नहीं प्राप्त होती। विक्रेता, व्यापारी, निर्माता उत्पादक उसे विभिन्न उपायों से बनाते हैं। अत: उपभोक्ता को इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए जागरूक होने की आवश्यकता है। उपभोक्ता जिन तरीकों की अपने हितों की रक्षा करता है, उसे उपभोक्ता संरक्षण कहते हैं।

प्रश्न 4.
कोई भी दो उपभोक्ता अधिकारों के बारे में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
उपभोक्ता के दो अधिकार निम्नलिखित है –
1. चयन का अधिकार:
उपभोक्ता को अधिकार है कि वह किसी के बहकावे में न आकर अपने विवेक से स्वयं अपने लिए वस्तु का चयन करे। विक्रेता की लुभावनी बातों को न मानते हुए स्वयं देखे कि क्या उचित है। यदि वस्तु की गुणवत्ता में कमी है तो वह वस्तु को लौटा सकता है। यदि वापसी किसी कारणवश मना कर दी जाए तो वह शिकायत कर सकता है।

2. क्षतिपूर्ति का अधिकार:
यदि उपभोक्ता को विक्रेता किसी प्रकार ठगते हैं; जैसे-कम तोल कर, मूल्य अधिक लेकर, मिलावटी सामान देकर, नकली सामान देकर तो उपभोक्ता मंच पर वह शिकायत कर सकता है तथा उपभोक्ता मंच के माध्यम से क्षतिपूर्ति प्राप्त कर सकता है।

प्रश्न 5.
उपभोक्ता को वस्तु खरीदते समय क्या-क्या बातें ध्यान में रखनी चाहिए?
उत्तर:
उपभोक्ता को वस्तु खरीदते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान देना चाहिए –

  • सर्वप्रथम उपभोक्ता को वस्तु की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए फिर वस्तु को उसके दाम तथा गुण में तालमेल देखते हुए निर्णय लेना चाहिए।
  • वस्तु खरीदते समय भ्रामक विज्ञापनों तथा विक्रेता की मीठी बातों से प्रभावित नहीं होना चाहिए। अपनी बुद्धि एवं विवेक का उपयोग करना चाहिए।
  • वस्तु लेते समय उसके लेबल पर जानकारी को पढ़ लेना चाहिए जिससे प्रमुख है-ब्राण्ड, वजन, मूल्य, पैकिंग की तिथि, आदि।
  • वस्तु – समय, गारंटी एवं वारंटी वाली वस्तुओं को प्राथमिकता देते हुए कार्ड – तिथि डालवा कर विक्रेता से ले लेना चाहिए।
  • वस्तु खरीदने के बाद विक्रेता से बिल लेकर बिल सँभालकर रखना चाहिए।
  • उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहकर खरीददारी करनी चाहिए। नुकसान होने की स्थिति में उपभोक्ता मंच की मदद से क्षतिपूर्ति लेनी चाहिए।

प्रश्न 6.
उपभोक्ता को जागरूक व संगठित कैसे बनना चाहिए?
उत्तर:
उपभोक्ता को जागरूक रहने के लिए सर्वप्रथम आवश्यक है उपभोक्ता शिक्षा द्वारा जानकारी होना। इसके अन्तर्गत उपभोक्ता को पता रहता है कि उसे क्या खरीदना है, कहाँ से खरीदना है एवं कब खरीदना है एवं उसका बजट क्या है। इस उपभोक्ता शिक्षा के पश्चात् उसे अपने अधिकारों का पता होना चाहिए। उपभोक्ता को चयन, सुरक्षा, क्षतिपूर्ति सुनवाई आदि का अधिकार है।

खरीदी गई वस्तु की गुणवत्ता में कमी होने पर अधिक दाम में घटिया वस्तु प्राप्त होने पर अथवा नकली वस्तु प्राप्त होने पर, मिलावटी व कम माप की वस्तु प्राप्त होने पर उपभोक्ता को उपभोक्ता संरक्षण नियम के अर्न्तगत उपभोक्ता मंच पर शिकायत दर्ज करने का क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकार है। यदि उपभोक्ता को अपने अधिकारों की जानकारी है तथा वह खरीददारी अपनी सूझ-बूझ व विवेक से करता है तो वह जागरूक एवं संगठित उपभोक्ता बन सकता है।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 33 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (PART-I)

RBSE Class 12 Home Science Chapter 33 वस्तुनिष्ठ प्रश्न (PART-I)

प्रश्न 1.
ग्राहक के साथ धोखाधड़ी का मुख्य कारण है –
(अ) वस्तुओं का अभाव
(ब) आय की कमी
(स) औद्योगिकीकरण
(द) उपभोक्ता शिक्षा का अभाव।
उत्तर:
(द) उपभोक्ता शिक्षा का अभाव।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता शिक्षा द्वारा हम अर्जित कर सकते हैं –
(अ) डिग्री
(ब) वस्तु की संपूर्ण जानकारी
(स) आय
(द) मुफ्त उपहार।
उत्तर:
(ब) वस्तु की संपूर्ण जानकारी

प्रश्न 3.
उपभोक्ता शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है –
(अ) बाजार में वस्तु उपलब्ध कराना ।
(ब) वस्तुओं को सस्ते दामों पर खरीदना
(स) उपभोक्ता को संरक्षण प्रदान करना
(द) ये सभी।
उत्तर:
(स) उपभोक्ता को संरक्षण प्रदान करना

प्रश्न 4.
उपभोक्ता को कैसी वस्तु खरीदनी चाहिए?
(अ) जो दिखने में सुंदर हो
(ब) जो सस्ती हो
(स) जिस पर मुफ्त उपहार योजना हो
(द) जो गुणवत्ता वाली हो।
उत्तर:
(द) जो गुणवत्ता वाली हो।

प्रश्न 5.
उपभोक्ता को वस्तु कहाँ से खरीदनी चाहिए?
(अ) उचित मूल्य की दुकान से
(ब) सहकारी उपभोक्ता भंडार से
(स) पंजीकृत व अधिकृत दुकान से
(द) ये सभी।
उत्तर:
(द) ये सभी।

प्रश्न 6.
निम्न में से ऐसी कौन-सी वस्तु है जो मौसम में सस्ती व अच्छी मिलेगी?
(अ) गेहूँ
(ब) कूलर
(स) दूध
(द) पंखा।
उत्तर:
(अ) गेहूँ

प्रश्न 7.
वस्तु की मात्रा कितनी खरीदी जाए यह निर्भर करता है –
(अ) सदस्यों की आवश्यकताओं पर
(ब) पारिवारिक आय पर
(स) मौसम तथा संग्रहण सुविधाओं पर
(द) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 8.
उपभोक्ता संरक्षण नियम के अन्तर्गत उपभोक्ता को प्राप्त अधिकार है –
(अ) सुरक्षा का
(ब) चयन का
(स) क्षतिपूर्ति का
(द) ये सभी।
उत्तर:
(द) ये सभी।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. …………विज्ञापनों के जाल में न फंसते हुए उपभोक्ता को अपनी बुद्धि का प्रयोग कर वस्तु खरीदनी चाहिए।
2. जहाँ तक संभव हो वस्तु को…………दाम देकर ही खरीदना चाहिए।
3. वस्तु खरीदने हेतु उपभोक्ता किस प्रकार अपनी आय को व्यय करना चाहता है, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उसके पास कितनी…………उपलब्ध है?
4. त्योहारों एवं पर्यों पर व्यापारी अधिक बिक्री हेतु…………लगाते हैं।
5. बाजार का चयन करने के पश्चात् उपभोक्ता को…………का चयन करना चाहिए।
6. …………उपभोक्ता को दुकान का चयन करने में आसानी रहती है।
7. उपभोक्ता का शोषण रोकने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, पर ये सफल नहीं हो सके। इसका मुख्य कारण…………की कमी है।
8. …………द्वारा उपभोक्ता ठगे जाने पर क्षतिपूर्ति प्राप्त कर सकता है।
उत्तर:
1. भ्रामक / झूठे
2. नगद
3. धनराशि
4. सेल
5. दुकान
6. सजग / शिक्षित / जागरूक
7. उपभोक्ता शिक्षा
8. उपभोक्ता मंच।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 33 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (PART-I)

प्रश्न 1.
उपभोक्ता शिक्षा क्या है?
उत्तर:
उपभोक्ता को वस्तुओं तथा सेवाओं के संदर्भ में आवश्यक सम्पूर्ण जानकारी का ज्ञान ही उपभोक्ता शिक्षा है।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता शिक्षा का ज्ञान क्यों आवश्यक
उत्तर:
उपभोक्ता को जागरूकता तथा संरक्षण प्रदान करने के लिए उपभोक्ता शिक्षा का ज्ञान आवश्यक है।

प्रश्न 3.
वस्तु खरीदने से पहले सूची बनाने से क्या लाभ है?
उत्तर:
सूची बनाने से वस्तुएँ खरीदते समय व्यक्ति पारिवारिक आय एवं बजट के अनुसार व्यय करता है।

प्रश्न 4.
उपभोक्ता को किस प्रकार की वस्तुएँ खरीदनी चाहिए?
उत्तर:
उपभोक्ता को प्रमाणीकृत वस्तुएँ खरीदनी चाहिए।

प्रश्न 5.
उपभोक्ता को वस्तु कहाँ से खरीदनी चाहिए?
उत्तर:
उपभोक्ता को वस्तु पंजीकृत दुकान से ही खरीदनी चाहिए।

प्रश्न 6.
वस्तु कब खरीदनी चाहिए?
उत्तर:
वस्तु एक उत्तम समय व मौसम के अनुसार खरीदनी चाहिए।

प्रश्न 7.
किस वस्तु पर कितना खर्च करना चाहिए?
उत्तर:
यह उपभोक्ता की सामर्थ्य, आवश्यकता तथा तीव्रता पर निर्भर करता है कि उसे किस वस्तु पर कितना खर्च करना है।

प्रश्न 8.
उपभोक्ता संरक्षण किसे कहते हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता अपने हितों की रक्षा जिन तरीकों से कर सकता है। उसे उपभोक्ता संरक्षण कहते हैं।

प्रश्न 9.
शिक्षित उपभोक्ता के क्या गुण है?
उत्तर:

  • भ्रामक विज्ञापन से दिग्भ्रमित न होना
  • वस्तु की पूरी जानकारी प्राप्त करना
  • क्रय करते समय लेबल चेक करना
  • गारंटी-वारंटी पर ध्यान देना
  • खरीद के बाद विक्रेता से बिल लेना
  • ठगे जाने पर उपभोक्ता मंच की मदद लेना
  • अपने उत्तरदायित्त्वों एवं अधिकारों को समझाना

प्रश्न 10.
चयन का अधिकार क्या है?
उत्तर:
उपभोक्ता द्वारा सही मूल्य पर सही वस्तु का चयन करना उसका अधिकार है।

प्रश्न 11.
सुरक्षा का अधिकार क्या है?
उत्तर:
उपभोक्ता को जीवन एवं सम्पत्ति के लिए हानिकारक वस्तुओं के क्रय-विक्रय के विरुद्ध संरक्षण प्राप्त करने का अधिकार है।

प्रश्न 12.
क्षतिपूर्ति का अधिकार क्या है?
उत्तर:
विक्रेता / निर्माता द्वारा धोखा देकर मिलावटी, नकली, कम दाम की वस्तु अधिक दाम में देकर, निम्न गुणवत्ता की वस्तु उपभोक्ता को बेचने पर उपभोक्ता को उपभोक्ता मंच द्वारा क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकार है।

प्रश्न 13.
सुनवाई का अधिकार क्या है?
उत्तर:
उपभोक्ता मंच पर उपभोक्ता की समस्या की सुनवाई होना, उपभोक्ता का सुनवाई का अधिकार है।

प्रश्न 14.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 क्या है?
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 वह अधिनियम है, जिसके अन्तर्गत उपभोक्ताओं को कई अधिकार प्राप्त हैं। इसके तहत उपभोक्ता मंच द्वारा उपभोक्ता क्षतिपूर्ति प्राप्त कर सकता है।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 33 लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उपभोक्ता शिक्षा क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
उपभोक्ता शिक्षा की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है –

  • उपभोक्ता को संरक्षण प्रदान करने हेतु।।
  • उपभोक्ता को बाजार दशाओं के पूर्ण ज्ञान के लिए।
  • धोखा खाने तथा व्यापारियों के चंगुल से बचने के लिए।
  • क्रय की गई वस्तु का पूर्ण मौद्रिक लाभ प्राप्त करने में सहायता हेतु।
  • वस्तुओं की गुणवत्ता तथा टिकाऊपन की जानकारी प्रदान करने के लिए।
  • उपभोक्ता शिक्षा से उपभोक्ता को इस बात की जानकारी होती है कि कौन-सी वस्तु कहाँ से खरीदना उचित रहेगा।
  • उपभोक्ता को किस मौसम में कौन-सी वस्तु खरीदना किफायती रहेगा, इसकी जानकारी भी उपभोक्ता शिक्षा द्वारा हो जाती है।
  • उपभोक्ता शिक्षा द्वारा इस बात की जानकारी भी होती है कि वस्तु कितनी मात्रा में खरीदनी चाहिए तथा किन-किन वस्तुओं पर कितना व्यय करना उचित है।

प्रश्न 2.
‘वस्तु को कब खरीदें से आपका क्या तात्पर्य है? किन्हीं दो वस्तुओं का उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
वस्तु कब खरीदें? – वस्तु कब खरीदें का तात्पर्य है-वस्तु की प्रकृति तथा मूल्य देखते हुए इस बात का निर्धारण करना कि अमुक वस्तु को खरीदने के लिए कौन-सा समय तथा मौसम उत्तम रहेगा? कुछ ऐसी वस्तुएँ होती हैं जो किसी विशिष्ट मौसम में ही उपलब्ध होती हैं तथा उस मौसम में उनकी गुणवत्ता तथा मूल्य भी उचित रहता है। इसके अतिरिक्त जब दुकान पर भीड़ कम हो तब वस्तु खरीदनी चाहिए ताकि आप दुकानदार से पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकें।

उदाहरणार्थ:

  • गर्मियों में गीजर तथा हीटर सस्ते हो जाते हैं तथा पर्व अथवा त्यौहार के अवसर पर व्यापारी वस्तुओं की सेल लगाते हैं जिससे वस्तुएँ अपेक्षाकृत उचित दामों पर व अच्छी मिल जाती हैं।
  • गर्मियों के मौसम में यदि गोभी खरीदी जाए तो एक तो वह महँगी मिलेगी साथ ही वह रसायनों की अधिकता में तैयार होती है तथा कीड़े भी पाए जाते हैं, वहीं सर्दियों में उसका मूल्य सामान्य होता है तथा गुणवत्ता की दृष्टि से भी ताजी तथा अच्छी होती है।

प्रश्न 3.
किन्हीं पाँच लक्षणों के बारे में लिखिए, जिन्हें आप एक शिक्षित एवं जागरूक उपभोक्ता में देख सकते
उत्तर:
शिक्षित एवं जागरूक उपभोक्ता के लक्षण निम्नलिखित हैं –

  • शिक्षित एवं जागरूक उपभोक्ता कोई भी वस्तु खरीदते समय गारन्टी वाली वस्तुएँ खरीदने को प्राथमिकता देता है तथा गारन्टी कार्ड को ध्यानपूर्वक पढ़ता है।
  • शिक्षित तथा जागरूक उपभोक्ता भ्रामक विज्ञापनों से प्रभावित न होकर वस्तुएँ खरीदने के संदर्भ में स्वविवेक का प्रयोग करता है।
  • वस्तु को खरीदते समय उसके ब्राण्ड, लेबल, मूल्य, वजन आदि की पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लेता है।
  • व्यापारी अथवा विक्रेता के दबाव में नहीं आता तथा उसकी बात को सुनता तो है किन्तु उनके आधार पर राय नहीं बनाता।
  • वस्तुओं को सहकारी उपभोक्ता भंडार अथवा उचित दाम की दुकान से खरीदने को प्राथमिकता देता है।

प्रश्न 4.
वस्तु कितनी मात्रा में खरीदी जाए, यह किन बातों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
वस्तु कितनी मात्रा में खरीदी जाए, यह निम्न बातों पर निर्भर करता है –

  • परिवार में विभिन्न सदस्यों की आवश्यकताएँ किस प्रकार की हैं?
  • आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कितनी आय उपलब्ध है?
  • वर्षभर की आवश्यकतानुसार वस्तुएँ आवश्यक धनराशि उपलब्ध होने पर इकट्ठी ही खरीद लेनी चाहिए।
  • वस्तु की मात्रा धन की उपलब्धता के साथ-साथ संग्रहण सुविधाओं पर भी निर्भर करती है।

प्रश्न 5.
कोई भी वस्तु खरीदते समय उपभोक्ता को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
1. विज्ञापनों से भ्रमित होने की अपेक्षा स्वविवेक का सहारा लें।
2. गारन्टी वाली वस्तुओं को प्राथमिकता दें।
3. वस्तु का मूल्य तथा गुण अनेक स्थानों तथा दुकानों से पता करके ही वस्तु खरीदें।
4. वस्तु अपनी आय तथा क्रय क्षमता के अनुरूप ही खरीदें।
5. वस्तु सदैव पंजीकृत दुकान अथवा उपभोक्ता भंडार से ही खरीदें।

प्रश्न 6.
उपभोक्ता शिक्षा किसे कहते हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
उपभोक्ता शिक्षा:
उपभोक्ता शिक्षा से अभिप्राय ऐसी शिक्षा से है जिससे किसी भी वस्तु अथवा सेवा के सन्दर्भ में उपभोक्ता को सम्पूर्ण आवश्यक ज्ञान प्राप्त होता है ताकि वह खरीददारी के समय वस्तु या सेवा का उचित चयन कर सके तथा व्यय की गयी राशि से प्राप्त वस्तु या सेवा द्वारा उसे अधिकतम सन्तोष प्राप्त हो सके। उपभोक्ता शिक्षा का उद्देश्य-उपभोक्ता शिक्षा के निम्नलिखित उद्देश्य है –

  • उपभोक्ता शिक्षा का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता को संरक्षण प्रदान करना है।
  • बाजार समस्याओं से अवगत कराना।
  • समस्याओं के समाधान हेतु सुझाव बताना।
  • उपभोक्ताओं को सुरक्षा प्रदान करना।
  • उपभोक्ताओं को धोखेबाज व्यापारियों से बचाना।

प्रश्न 7.
उपभोक्ता शिक्षा के अनुसार वस्तु कितनी मात्रा में खरीदनी चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वस्तु कितनी मात्रा में खरीदें:
वस्तु कितनी मात्रा में खरीदी जाये यह इस बात पर निर्भर करता है कि पारिवारिक सदस्यों की आवश्यकताएँ किस प्रकार की हैं और इसको पूरा करने के लिए कितनी आय है। कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिनकी आवश्यकता अधिक मात्रा में होती है और इनके लिए आवश्यक धनराशि भी प्राप्त होती है। वस्तुओं को पूरे साल के लिए एक साथ, छ: माह, तीन माह या एक माह की आवश्यकतानुसार खरीद लें।

वस्तुओं को आवश्यकता से ज्यादा न खरीदा जाए; जैसे – दूध, फल व सब्जियाँ प्रतिदिन आवश्यकतानुसार खरीदे जाते हैं। महीने भर के लिए एक साथ नहीं अन्यथा ये खराब होकर नष्ट हो जायेंगे। वस्तु की मात्रा धन की उपलब्धता के साथ-साथ संरक्षण सुविधाओं पर भी निर्भर करती है। जिन स्थानों पर नमी युक्त हवा अधिक होती है वहाँ वस्तुओं का संग्रहण बहुत कठिन होता है। अतः आवश्यकता व सुविधानुसार वस्तुओं को खरीदना उचित रहता है।

प्रश्न 8.
उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम, 1986 क्या है?
उत्तर:
उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण हेतु भारत सरकार द्वारा 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 लागू किया गया। इसके अन्तर्गत उपभोक्ता, काउंसलर एवं अन्य उच्च अधिकारी नियुक्त किए गए उपभोक्ता संबंधी ठगी एवं जालसाजी के मामले सुलझाने हेतु इस अधिनियम के अर्न्तगत उपभोक्ता को निम्न अधिकार प्राप्त हैं –

  • वस्तु के चयन का अधिकार।
  • खरीदी गई वस्तु स्वास्थ्य व जीवन के लिए हानिकारक न हो अर्थात सुरक्षा का अधिकार
  • वस्तु की पूर्ण जानकारी प्राप्त करने का अधिकार
  • क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकार
  • सुनवाई का अधिकार
  • स्वस्थ एवं सुरक्षित वातावरण का अधिकार

RBSE Class 12 Home Science Chapter 33 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उपभोक्ता शिक्षा द्वारा हम व्यय किए गये धन की उपयोगिता एवं जीवन-स्तर को किस प्रकार बढ़ा सकते
उत्तर:
उपभोक्ता शिक्षा के द्वारा उपभोक्ता को इस बात का पूर्ण ज्ञान हो जाता है कि बाजार की दशाएँ कैसी हैं। वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो जाता है तथा वस्तुएँ अथवा सेवाएँ क्रय करते हुए उनकी गुणवत्ता को प्राथमिकता देता है था कई दुकानों से उनके मूल्य तथा मोलभाव का पता लगाकर ही कोई वस्तु क्रय करता है। उपभोक्ता विज्ञापनों के भ्रामक जाल में नहीं फँसता है अपितु स्वविवेक से काम लेता है। इस प्रकार उपभोक्ता शिक्षा के द्वारा उपभोक्ता को व्यय की गई राशि अधिकतम संतुष्टि की प्राप्ति होती है जिससे धन की उपयोगिता तथा जीवन-स्तर को बढ़ाया जा सकता है।

जब उपभोक्ता अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त करता है तो उसका व्यवहार उत्तम कोटि का हो जाता है। उसमें बाजार मूल्य के प्रति ज्ञान में वृद्धि हो जाती है जिससे उसे न केवल स्वयं के हितों का ज्ञान होता है बल्कि उत्पादन, वितरण, उपयोग, माँग, आपूर्ति आदि की जानकारी हो जाती है, जिससे वह धोखेबाज दुकानदारों व व्यापारियों से सजग रहता है।

उपभोक्ता उचित मूल्य पर टिकाऊ, गुणवत्ता युक्त वस्तु खरीदकर धन का सदुपयोग करता है अन्यथा उसे धन की हानि झेलनी पड़ती है जिसके फलस्वरूप आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ जाता है। इस प्रकार एक उपभोक्ता उपभोक्ता – शिक्षा के माध्यम से कम खर्च पर उत्तम कोटि की वस्तु खरीद कर जीवन-स्तर को सुधार सकता है।

प्रश्न 2.
‘कहाँ से खरीदें ? का क्या अभिप्राय है? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कहाँ से खरीदें का अभिप्राय:
उपभोक्ता को वस्तु खरीदने के लिए यह निश्चित करना होता है कि वह वस्तु कहाँ से खरीदे। कुछ बाजार कुछ वस्तुओं के लिए विशेष प्रशिद्ध होते हैं जहाँ पर वस्तुएँ उत्तम और उचित कीमत पर उपलब्ध होती हैं।

उदाहरण के लिए:
मॉल की अपेक्षा बाहर के बाजारों में सभी वस्तुएँ सस्ती और अच्छी मिलती हैं। हर शहर में सदैव ऐसा होता है जहाँ बाजार में एक विशेष वर्गीय परिवारों की आवश्यकतानुसार वस्तुएँ मिलती हैं एवं हर शहर के थोक के सामान का भी बाजार होता है इससे वे अत्यधिक महँगी होती हैं। इसीलिए खरीदने से पहले बाजार के बारे में पूर्ण जानकारी पाप्त कर लेने के पश्चात् उपभोक्ता को वस्तु खरीदने के लिए बाजार का चुनाव करना चाहिए। जब बाजार का चुनाव ठीक से जाए उसके उपरान्त उस दुकान का चयन करना चाहिए जहाँ से वस्तु खरीदनी है।

अधिकांश उपभोक्ता को उसी दुकान से वस्तु खरीदनी चाहिए जोकि पंजीकृत हो और जिसके पास लाइसेंस हो या फिर गो वस्तुओं को उचित दाम पर बेचता हो और सही नीतियाँ अपनाता हो। अधिकतर वस्तुएँ थोक की दुकान या सहकारी उपभोक्ता भण्डार से खरीदनी चाहिये।

खरीददारी के लिए दुकान का चयन करते समय यह भी निश्चित कर लिया जाता है कि स्तु के खरीदने के बाद यदि किसी प्रकार की आवश्यकता पड़े तो व्यापारी मदद / उत्साह वर्धन कर सकता है या नहीं। जिकल विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ जैसे-उपहार, मुफ्त सेवा आदि दुकानदार अपने उपभोक्ताओं को प्रदान करता है। अत: मझदार, शिक्षित और जागरूक उपभोक्ता को दुकान का चयन करने में बहुत सरलता रहती है।

प्रश्न 3.
कितना खर्च करें? का क्या अभिप्राय है? समझाइये।
उत्तर:
किस वस्तु पर कितना खर्च करना है यह पारिवारिक आय पर निर्भर करता है। इसके अतिरिक्त यह व्यक्ति की आदत, जीवन स्तर तथा मानसिकता पर भी निर्भर करता है। उदाहरण के लिए एक व्यक्ति जिसकी कम आय है और उसे अपने काम पर कहीं दूर जाना होता है तो वह कार या बाइक खरीदने के स्थान पर या तो साइकिल खरीद ले या बस या अन्य केसी परिवहन का सहारा ले। आजकल उपभोक्तावाद को बढ़ावा देने के लिए व्यापारियों ने कई विक्रय प्रणालियाँ अपनायी हैं जिससे उत्पादक एवं उपभोक्ता दोनों को ही लाभ होता है।

जैसे कि वस्तु को उधार देना, वस्तु के बदले वस्तु, किस्तों में देना, आज खरीदों, उपयोग करो, कल पैसा दो आदि। परन्तु सलाहकारों का मानना है कि वस्तुओं को नकद ही खरीदा जाए। यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि उपभोक्ता अपनी आय और बजट के अनुसार ही विभिन्न वस्तुओं पर व्यय करे।

यदि किसी एक वस्तु पर अधिक खर्च आएगा तो दूसरी वस्तुओं के खर्च में कटौती करनी पड़ेगी जिससे लाभ के स्थान पर हानि ही होगी। ऐसी स्थिति में वैकल्पिक वस्तुओं का चयन किया जा सकता है। जैसे महँगी क्राकरी खरीदने के बजाय मिलती-जुलती सस्ती क्राकरी खरीद ली जाए। जो वस्तु अधिक आवश्यक है उस पर पहले खर्च किया जाना चाहिए।

प्रश्न 4.
निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए –
(1) उपभोक्ता शिक्षा
(2) क्या खरीदें?
(3) सजग उपभोक्ता
(4) उपभोक्ता का शोषण

उत्तर:
(1) उपभोक्ता शिक्षा:
आज के तीव्र प्रतियोगिता तथा अति उत्पादन के युग में उपभोक्ता को उचित तथा पूर्ण जानकारी के अभाव में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वस्तु परीक्षण तथा पूर्ण जानकारी के अभाव में अथवा विक्रेता के दबाव में आकर वह गलत वस्तु का चयन कर लेते हैं। अत: उपभोक्ता के संरक्षण हेतु उन्हें उपभोक्ता शिक्ष का ज्ञान होना अति आवश्यक है।

उपभोक्ता शिक्षा से तात्पर्य है-उपभोक्ता को किसी भी वस्तु अथवा सेवा का क्रय करने से पूर्व उसके संदर्भ में संपूर्ण आवश्यक जानकारी होना जिससे वह उचित वस्तु तथा सेवा के चयन द्वारा अपने धन का संपूर्ण मूल्य ज्ञात कर सके तथा अधिकतम संतुष्टि की प्राप्ति कर सके।

(2) क्या खरीदें?:
उपभोक्ता को किसी भी वस्तु को खरीदने से पूर्व भली प्रकार सोच – विचार करके, योजना बनाकर आवश्यकताओं की प्राथमिकता के अनुसार सूची बना लेनी चाहिए। सूची बनाते समय उपभोक्ता को यह ध्यान रखना चाहिा कि पारिवारिक आय, पारिवारिक बजट, जीवन – स्तर तथा आवश्यकताओं के अनुरूप किस स्तर तथा ब्राण्ड की वस्तुा खरीदना उचित रहेगा जिससे समस्त पारिवारिक सदस्यों की आवश्यकता की पूर्ति की जा सके।

साथ ही कोई भी वस्तु खरीद से पूर्व विभिन्न दुकानों से गुणवत्ता, मूल्य तथा टिकाऊपन की जानकारी प्राप्त करके ही वस्तु खरीदनी चाहिए तथा मानकीकृ वस्तुओं को प्राथमिकता देनी चाहिए। जहाँ तक सम्भव हो, प्रमाणीकृत वस्तुएँ जिन पर आई. एस. आई., एगमार्क, एफ. पी. अं आदि का चिह्न हो, उन्हें ही खरीदें।

(3) सजग उपभोक्ता:
सजग उपभोक्ता वह है जिसे अपने अधिकारों तथा बाजार दशाओं का पूर्ण ज्ञान होता है तथ वह किसी भी वस्तु को खरीदने में जल्दबाजी नहीं करता। सजग उपभोक्ता सदैव मानकीकृत वस्तुओं को खरीदने के प्राथमिकता देता है तथा वस्तु को जाँच – परखकर, विज्ञापनों से दिग्भ्रमित हुए बिना स्वविवेक से वस्तुएँ खरीदता है।

(4) उपभोक्ता का शोषण:
उपभोक्ता के अशिक्षित तथा जागरूक न होने की दशा में व्यापारी तथा विक्रेता उसक शोषण करते हैं। वस्तुओं के परीक्षण का ज्ञान न होने पर व्यापारी उपभोक्ता को मिलावटी व सस्ती वस्तुएँ दे देते हैं जिससे उर अपने धन का पूर्ण मूल्य नहीं मिल पाता। मोल-भाव करने तथा तोलने में, सही माप का ध्यान रखने के लिए पूछने प उपभोक्ता को विक्रेता तिरस्कृत करना अथवा उनकी उपेक्षा करना प्रारम्भ कर देते हैं।

प्रश्न 5.
उपभोक्ता शिक्षा से उपभोक्ता को क्या जानकारी प्राप्त होती है? शिक्षित उपभोक्ता के क्या गुण हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता शिक्षा द्वारा उपभोक्ता को निम्नलिखित जानकारी प्राप्त होती है –
1. क्या खरीदें:
व्यक्ति की उस समय क्या आवश्यकता है, उसका बजट क्या है। बाजार जाने से पूर्व उसे यह जान ज्यादा आवश्यक है। अत: उपभोक्ता को खरीददारी से पूर्व सामान की सूची बना लेनी चाहिए। उसके पश्चात् पारिवारिक बज के अनुरूप यह निश्चय लेना चाहिए कि कौन सी वस्तु उसके बजट एवं आवश्यकता के अनुरूप है। इसके लिए विभिन्न दुकान पर जाकर वस्तु का मूल्य, गुणवत्ता, मात्रा उपयोगिता, टिकाऊपन आदि की तुलनात्मक जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए। उसके पश्चात ही निर्णय लेना चाहिए की वस्तु कहाँ से खरीदनी है। सदैव प्रमाणीकृत वस्तुएँ ही खरीदनी चाहिए।

2. कहाँ से खरीदें:
हर शहर में हर तरह के बाजार होते हैं। स्थान के अनुसार वस्तु की कीमत सही व अधिक होती है अतः जागरूक उपभोक्ता को पता होना चाहिए कि कौन-सी वस्तु कहाँ से लेनी है। किस बाजार में किस दुकान पर वर उचित दामों पर मिलेगी। उपभोक्ता को पंजीकृत एवं लाइसेंसधारी दुकान से सामान खरीदना चाहिए। संभव हो तो लो व्यापारी या सहकारी उपभोक्ता भण्डार से सामान खरीदना चाहिए।

3. कब खरीदें:
कुछ वस्तुएँ कुछ विशिष्ट समय में ही एवं उचित मूल्य पर अधिक गुणवत्ता वाली मिलती हैं। जैसेअप्रैल माह में गेहूँ, दिसम्बर में मूंगफली का तेल आदि उत्तम किस्म के व सस्ते मिलते हैं। इसी प्रकार कुछ विद्युत उपकर जैसे फ्रिज, कूलर, एसी गर्मी के मौसम की अपेक्षा सर्दी के मौसम में सस्ते मिलते हैं। इसी प्रकार ऊनी वस्तु भी मौसम जाने के बाद कुछ कम दामों में मिल जाते हैं। कुछ विशेष अवसरों पर भी समान के दामों में कुछ कमी होती है। अतः एक जागरूक उपभोक्ता को यह मस्तिष्क में रखना चाहिए कि कौन-सी वस्तु कब खरीदनी है।

4. कितना खरीदें:
वस्तु सदैव आवश्यकतानुसार लेनी चाहिए। कुछ वस्तुओं का तो संग्रहण किया जा सकता है परन्तु कुछ वस्तुएँ लम्बे समय तक रखने पर खराब हो जाती हैं, जिससे व्यर्थ ही हानि होती है। इसके अतिरिक्त परिवार में सदस्यों की संख्या के अनुसार वस्तु की खरीद होती है। वस्तु की खरीद परिवार का बजट, आवश्यकता, संग्रहण योग्यता, वस्तु की प्रकृति आदि पर निर्भर करती है।

5. कितना खर्च करें:
जागरूक उपभोक्ता को अपने बजटानुसार यह पता होता है कि उसे किस वस्तु पर कितना खर्च करना है। उपभोक्ता को धन, समय व शक्ति की बचत करनी चाहिए। अतः उसे योजना बनाकर क्रय करना चाहिए। शिक्षित उपभोक्ता के गुण-शिक्षित उपभोक्ता के गुण निम्नलिखित हैं –

  • शिक्षित उपभोक्ता वस्तु से सम्बन्धित सारी जानकारी प्राप्त करके, वस्तु को आवश्कयतानुसार ही खरीदते हैं।
  • शिक्षित उपभोक्ता किसी आकर्षक विज्ञापन, लुभावनी योजना, विक्रेता के कथन आदि के वशीभूत न होकर अपने जवेक द्वारा अपनी आवश्यकता व बजट को देखते हुए निर्णय लेते हैं।
  • शिक्षित उपभोक्ता सदैव वस्तु को लेने से पहले उस पर लगा लेबल पढ़ते हैं तथा ब्राण्ड, मूल्य, वजन, तिथि आदि र विशेष ध्यान देते हैं।
  • शिक्षित उपभोक्ता सदैव गारंटी-वारंटी वाली वस्तुएँ ही लेते हैं तथा इन गारंटी व वारंटी कार्ड को भरवा कर सँभाल र रखते हैं।
  • शिक्षित उपभोक्ता खरीद के बाद सदैव विक्रेता से बिल प्राप्त करते हैं।
  • शिक्षित उपभोक्ता सदैव अपने अधिकारों एवं उत्तरदायित्वों के प्रति सजग रहते हैं। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की गनकारी रखते हैं तथा आवश्यकता पड़ने पर अपने नुकसान के लिए इसकी मदद लेते हैं।

प्रश्न 6.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत उपभोक्ता को क्या अधिकार प्राप्त हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत उपभोक्ता को निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हैं –
1. चयन का अधिकार:
हर उपभोक्ता को अपने विवेक के अनुसार सही मूल्य पर सही वस्तु के चयन का अधिकार . वस्तु को मूल्यानुसार सही नहीं पाए जाने की स्थिति में वह वस्तु को लौटा सकता है। :

2. सुरक्षा का अधिकार:
आजकल खाद्य पदार्थों एवं दैनिक उपयोग की वस्तुओं में मिलावट आम बात हो गई है। लावटी खाद्य पदार्थ अनेक बीमारियों को जन्म देते हैं परिणामस्वरूप स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याए उत्पन्न होती हैं। अत: पभोक्ता को जीवन एवं सम्पत्ति के लिए हानिकारक वस्तुओं के क्रय-विक्रय के विरुद्ध संरक्षण प्राप्त करने का अधिकार है।

3. सूचित किए जाने का अधिकार:
हर उपभोक्ता को अधिकार है कि वह वस्तु संबंधित सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करे। न जानकारी में कहीं भी झूठ या गुमराह किए जाने वाले तत्व पाकर वह अधिकारी को सूचना दे सकता है।

4. क्षतिपूर्ति का अधिकार:
यदि उपभोक्ता को विक्रेता द्वारा कोई धोखा दिया जाता है; जैसे-अधिक मूल्य लेकर कम ‘लना, मिलावटी सामान या नकली सामान देना, मूल्य अधिक लेकर कम गुणवत्ता की वस्तु देना तो वह विक्रेता निर्माता से भोक्ता मंच के माध्यम से क्षतिपूर्ति ले सकता है।

5. सुनवाई का अधिकार:
यदि उपभोक्ता कभी विक्रेता-निर्माता द्वारा ठगा जाता है तो उसे यह अधिकार है कि वह पनी समस्याओं को न्यायालय या उपभोक्ता मंच पर पहुँचाए एवं वहाँ उनकी सुनवाई हो। ।

6. स्वस्थ्य एवं सुरक्षित वातावरण का अधिकार:
यदि किसी व्यक्ति के आवास स्थल के आस-पास कोई ऐसा ‘रोबार या कारखाना चल रहा है जिससे प्रदूषण व स्वास्थ्य समस्याएँ है तो उसे पूरा अधिकार है कि वह उस कारखाना लिक के विरुद्ध उपभोक्ता मंच में शिकायत दर्ज कराए।

7. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार:
हर उपभोक्ता को वस्तु के बारे में पूरा ज्ञान प्राप्त करके, उपभोक्ता शिक्षा प्राप्त हने का अधिकार है।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 33 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर (PART-II)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनें –
(i) वस्तु के पैकेट पर उपभोक्ता सहायता हेतु निम्न में से किसका प्रयोग किया जाता है ?
(अ) विज्ञापन
(ब) प्रतिस्पर्धा
(स) लेबिल
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(स) लेबिल

(ii) निम्न में से किस पर लेबिल लगा होना चाहिए –
(अ) हरी सब्जियों पर
(ब) एक गिलास पानी पर
(स) ताजा गाय के दूध पर
(द) अचार की बोतल पर
उत्तर:
(द) अचार की बोतल पर

(iii) एक लेबिल पर निम्न में से क्या अंकित नहीं होता?
(अ) अधिकतम खुदरा मूल्य
(ब) थोक मूल्य
(स) सभी प्रकार के कर सहित
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) थोक मूल्य

(iv) पैकेट पर घोषणाएँ अंकित न होने पर दोषी कौन होगा ?
(अ) निर्माता जो इसे बनाता है
(ब) थोक व्यापारी जो एक साथ कई मात्रा में खरीदता है
(स) खुदरा व्यापारी जो इसे ग्राहकों को बेचता है
(द) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी।

(v) मांसाहारी खाद्य पदार्थों पर किस रंग का प्रतीक चिह्न लगाना अनिवार्य है ?
(अ) लाल
(ब) पीला
(स) काला
(द) हरा
उत्तर:
(अ) लाल

(vi) मानक द्वारा किसी वस्तु के किस बिन्दु पर सर्वाधिक ध्यान दिया जाता है ?
(अ) सुन्दरता
(ब) मात्रा
(स) गुणवत्ता
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(स) गुणवत्ता

(vii) अचार या मुरब्बे पर कौन-सा चिह्न लगाया जाता है?
(अ) आई०एस०आई०
(ब) एगमार्क
(स) एफ०पी०ओ०
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) एफ०पी०ओ०

(viii) बिस्कुट के पैकेट पर कौन-सा चिह्न लगाया जाता है?
(अ) एगमार्क
(ब) आई०एस०आई०
(स) एफ०पी०ओ०
(द) कोई भी एक।
उत्तर:
(ब) आई०एस०आई०

(ix) विज्ञापनों से किसको लाभ होता है?
(अ) व्यापारी को
(ब) उपभोक्ता को
(स) निर्माता को
(द) उपरोक्त सभी को
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी को

(x) यदि आपको विज्ञापन भ्रमित लगे तो आप कहाँ शिकायत करेंगे?
(अ) भारतीय मानक संस्थान
(ब) उपभोक्ता संरक्षण मंच
(स) भारतीय विज्ञापन मानक संस्थान
(द) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(स) भारतीय विज्ञापन मानक संस्थान

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. लुभावने ………… के साथ उपभोक्ता को भ्रमित किया जाता है।
2. कई वस्तुएँ घरेलू स्तर पर तैयार की जाती हैं। इन पर ………… लगाना अनिवार्य है।
3. 134 वस्तुएँ अनिवार्य मानकीकरण दायरे में आती हैं जिन्हें बिना ………… मार्क नहीं बेच सकते।
4. मसालों पर …………… का मानक चिह्न लगाया जाता है।
5. फल-सब्जियों से निर्मित खाद्य पदार्थों पर …………… मार्क लगाया जाता है।
6. विक्रेता के व्यक्तित्व के अभाव की पूर्ति …………… द्वारा की जाती है।
7. विज्ञापन ऐसा होना चाहिए कि आम उपभोक्ता आसानी से उस पर …………… कर सके।
8. विज्ञापनों में गलत शब्दों का उपयोग जैसे-सुपर पावर, एक्स्ट्रा रिच आदि का प्रयोग उपभोक्ता को …………… करते हैं।
9 वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य में …………… के कारण भारी कमी आई है।
उत्तर:
1. विज्ञापन
2. लेबिल
3. आई०एस०आई०
4. एगमार्क
5. एफ०पी०ओ०
6. विज्ञापन
7. विश्वास
8. भ्रमित
9. प्रतिस्पर्धा।

प्रश्न 3.
निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें –
(i) उपभोक्ता सहायता
(ii) भ्रामक विज्ञापन
(iii) प्रतिस्पर्धा
(iv) मानक।
उत्तर:
(i) उपभोक्ता सहायता-वे सभी स्रोत जो उपभोक्ताओं को वस्तुओं एवं सेवाओं के बुद्धिमत्तापूर्ण क्रय करने में तथा उन्हें निर्माताओं, दुकानदारों द्वारा शोषण से बचाते हैं, “उपभोक्ता सहायता” कहलाते हैं। मुख्य उपभोक्ता सहायता निम्न हैं –

  • लेबिल
  • मानक
  • विज्ञापन
  • मार्ग दर्शक पुस्तिका/पर्ण
  • उपभोक्ता संगठन
  • प्रतिस्पर्धा
  • उपभोक्ता संरक्षण कानून एवं अधिनियम।

(ii) भ्रामक विज्ञापन (Confusing advertisement):
आज की दुनिया को विज्ञापनों की दुनिया कहा जाता है। एक अच्छा विज्ञापन उपभोक्ता को सही-सही जानकारी देता है, जबकि भ्रामक विज्ञापन हानिकारक होता है। उपभोक्ता बाह्य दबाव में आकार अपनी रुचि व पसंद को खो बैठता है। निर्माता बार-बार एक ही वस्तु का विज्ञापन दिखाकर उपभोक्ताओं की मानसिकता पर इतना प्रभाव एवं दबाव डाल देते हैं कि एक उपभोक्ता आसानी से भ्रमित हो जाता है तथा उसे अपनी सोच एवं पसंद का ध्यान ही नहीं रह पाता और वह उस वस्तु को क्रय कर लेता है।

कुछ भ्रामक विज्ञापन निम्न हैं –
(1) जब विज्ञापन उपभोक्ताओं की मनोवैज्ञानिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हैं; जैसे – इस टूथपेस्ट से आपके दाँत मोती जैसे चमकने लगेंगे। इस शैम्पू से आपके बाल काले, रेशमी एवं चमकीले होंगे। इस टॉनिक की पीने आप में शेर जैसी ताकत आ जायेगी तथा इस साबुन से एक सप्ताह में आपका रंग गोरा हो जायेगा और आप सुन्दरी का खिताब जीतने में सक्षम हो जायेंगी।

(2) विक्रेता अपनी बिक्री बढ़ाने हेतु ज्यादातर उत्पादों के विज्ञापन में यह दर्शाते हैं कि इस उत्पाद के साथ एक अन्य उत्पाद मुफ्त। इसमें क्रेता भ्रमित हो जाते हैं; जैसे-चाय के साथ हीरा, साबुन के साथ सोना।

(3) कभी-कभी व्यापारी अपने विज्ञापन में इस बात को कहता है कि वह अपने उत्पादों पर कुछ विशेष प्रकार की छूट दे रहा है। उपभोक्ता इस बात को सुनकर वस्तु को खरीदने का मन बना लेता है। लेकिन दुकान पर अपनी पसंद की चीज लेने पर कहा जाता है ‘छूट सिर्फ गिने-चुने उत्पादों पर ही है सब पर नहीं।’

(iii) प्रतिस्पर्धा (Competition):
प्रतिस्पर्धा ऐसी गतिविधि है जिसके जरिए व्यक्ति अपनी सर्वोच्चता या सर्वश्रेष्ठता सिद्ध करने का प्रयास करता है। अपने प्रतिद्वन्द्वी से मुकाबला करता है तथा वह अपने उपभोक्ता को सबसे सुरक्षित, उत्तम गुणवत्ता वाली वस्तु देना चाहता है ताकि उपभोक्ता को उसके उत्पाद से किसी भी प्रकार की हानि न पहुँचे और वह हमेशा उसी के द्वारा निर्मित उत्पाद का ही सेवन करें। ऐसा करने के लिए वह हरसम्भव प्रयत्न करता है तथा अपने ग्राहक को उच्चकोटि की वस्तु देकर हमेशा के लिए एक नाता जोड़ लेता है। यही कारण है कि हम किसी एक ही दुकान से किसी विशेष ब्राण्ड की वस्तु का ही चयन करते हैं क्योंकि उसके उपयोग से हमें सुरक्षा का अहसास होता है।

(iv) मानक (Standerds):
उपभोक्ता वस्तुओं में बढ़ती हुई मिलावट के कारण जनता पर होने वाल कुप्रभावों से बचाने के लिए यह जरूरी हो गया है कि बाजार में बिकने वाले पदार्थों का प्रमाणीकरण किया जाए ताकि उनकी किस्म को नियन्त्रित किया जा सके। उपभोक्ता के हितों की सुरक्षा के लिए भारतीय ब्यूरो ने 17,000 से अधिक मानक बनाये हैं और 134 वस्तुएँ अनिवार्य मानकीकरण के दायरे में आती हैं। आमतौर पर यह कहा जाता है कि “मानक उत्पाद द्वारा उपभोक्ता की रक्षा होती है।” वर्तमान में हमारे देश में प्रमुख निम्नलिखित मानक प्रचलित हैं –

(1) एगमार्क (2005):
यह मुख्यत: कृषि उपज खाद्य पदार्थों जैसे-घी, तेल, मसाले, मक्खन, अण्डे, शहद आदि पर लगाया जाता है। एगमार्क के मापदण्ड बनाते समय खाद्य पदार्थों के रंग-रूप, संरचना, वर्णन एवं किस्म आदि के आधार पर उत्तम, अति उत्तम एवं सामान्य किस्म का वर्गीकरण किया जाता है। प्राकृतिक एवं निर्मित वस्तुओं की भौतिक एवं रासायनिक विशेषताओं के आधार पर व्यापारियों को लाइसेन्स दिया जाता है एवं दोषी व्यापारियों के लाइसेंस रद्द किये जाते हैं। .

(2) एफ०पी०ओ० (2005):
इस चिह्न के अन्तर्गत वे सभी पदार्थ आते हैं जो फल एवं सब्जियों से निर्मित हैं तथा उच्च गुणवत्ता के द्योतक हैं। यह वस्तुओं की पैदावार से लेकर बिक्री तक न्यूनतम मापदण्डों को निर्धारित करता है। यह चिह्न अचार, मुरब्बे, चटनी, सॉस, शर्बत, जैम, जैली तथा डिब्बाबन्द खाद्य पदार्थों पर दिखाई देगा।

(ग) आई०एस०आई० (2005):
यह मार्क भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रारम्भ किया गया है। इस प्रचलित मार्क को प्रयोग में लाने हेतु संस्थान उत्पादकों को लाइसेंस देता है। इस योजना के अन्तर्गत वस्तु के पूरे उत्पाद की प्रक्रिया पर नियन्त्रण रखा जाता है। यह संस्थान किसी भी फर्म को लाइसेंस तब देता है, जबकि उसे यह विश्वास हो जाता है कि फर्म उसके द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप उत्पाद को बनाने योग्य है। भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा समय-समय पर आई०एस०आई० मार्क वाली वस्तुओं का परीक्षण किया जाता है एवं यदि कोई उत्पादक मापदण्डों का पालन करते हुए न पाया गया तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है।

प्रश्न 4.
उपभोक्ता को उपभोक्ता सहायता की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर:
उपभोक्ता को उपभोक्ता सहायता की निम्न कारणों से आवश्यकता पड़ती है –

  • यदि उपभोक्ता द्वारा लेबिल लगी हुई वस्तुओं को खरीदने पर भी वे घटिया किस्म की निकलती हैं तो उपभोक्ता सहायता की आवश्यकता पड़ती है।
  • उत्पादकों द्वारा अपने उत्पादों में मानक चिह्नों को गलत ढंग से उपयोग कर बाजार में वस्तुओं को बेचा जा रहा है, जिनके ___ कारण उपभोक्ता ठगे जाते हैं। इस स्थिति में उपभोक्ता सहायता की आवश्यकता होती है।
  •  विभिन्न भ्रामक विज्ञापनों द्वारा उपभोक्ता द्वारा खरीदी गई वस्तु खराब निकल जाने पर अथवा अत्यधिक महँगी वस्तु खरीदने पर उपभोक्ता सहायता की आवश्यकता पड़ती है। 4. घटिया माल देने पर, कम तौलने पर अथवा मिलावटी वस्तु खरीदने पर उपभोक्ता सहायता की आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 5.
एक आदर्श लेबिल में किस प्रकार का विवरण होना चाहिए ?
उत्तर:
किसी भी पदार्थ के बारे में उसके डिब्बे, शीशी, टिन, थैली, ट्यूब अथवा पैकेट आदि पर अंकित विवरण को लेबिल कहते हैं। लेबिल अधिकतम छपे हुए होते हैं परन्तु कई बार ये लिखे हुए, मोहर लगे हुए या खुदे हुए भी हो सकते हैं। एक आदर्श लेबिल पर दिया गया विवरण इस प्रकार होना चाहिए।

  • वस्तु का नाम।
  • वस्तु को बनाने में प्रयुक्त सामग्री का विवरण।
  • प्रयोग में लाये गये प्रमुख पदार्थों का चित्र।
  • पदार्थ को तैयार करते समय प्रयोग में लाये गये रासायनिक पदार्थ, कृत्रिम रंग एवं सुगन्ध का विवरण।
  • ब्राण्ड का नाम।
  • व्यापार चिह्न।
  • तैयार पदार्थ का कुल भार सही इकाई में।
  • निर्माता का नाम एवं पता।
  • प्रमाणीकरण की मुहर एवं रजिस्ट्रेशन नम्बर।
  • निर्माण एवं उपयोग की अन्तिम तिथि।
  • पदार्थ का लाइसेन्स नम्बर, बैच नम्बर तथा कोड नम्बर।
  • प्रयोग में लेने एवं सुरक्षित रखने के निर्देश।
  • दवाइयों के सम्बन्ध में उसकी खुराक, मात्रा एवं उपयोग हेतु निर्देश।
  • सभी करों सहित अधिकतम खुदरा मूल्य।
  • यदि कोई चेतावनी हो तो जैसे आँख से दूर आदि।
  • मांसाहारी उत्पाद पर लाल रंग का एवं शाकाहारी वस्तुओं पर हरे रंग का प्रतीक चिह्न अनिवार्य रूप से छपा होना चाहिए।

प्रश्न 6.
उपभोक्ता को संरक्षण प्रदान करने हेतु मानक किस प्रकार सहयोगी है ? उचित उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
उपभोक्ता के हितों की सुरक्षा के लिए भारतीय मानक ब्यूरो ने 17,000 से अधिक मानक बनाये हैं और 134 वस्तुएँ अनिवार्य मानकीकरण के दायरे में आती हैं। उपभोक्ता को संरक्षण प्रदान करने हेतु वर्तमान समय में निम्न मानक प्रचलित हैं –

1. आई०एस०आई० मार्क:
यह मार्क भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रारम्भ किया गया है। इस संस्थान द्वारा वस्तु की गुणवत्ता उसमें उपयोग आने वाले कच्चे माल से लेकर तैयार माल तक बरकरार रखी जाती है जो कि विशेषज्ञों द्वारा तैयार किये गये माल के आधार पर होती है। यह संस्थान किसी भी फर्म को लाइसेंस तब देता है, जबकि उसे यह विश्वास हो जाता है कि फर्म उसके द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप उत्पादन को बनाने में योग्य है।

साथ ही इन मानदण्डों का सदैव पालन करेगी तथा अपनी वस्तु की किस्म हमेशा निर्धारित स्तर के अनुरूप रखेगी तथा ऐसा करने के लिए उसमें आवश्यक सामर्थ्य भी है। भारतीय मानक ब्यूरो आई०एस०आई० मार्क वाली वस्तुओं का समय-समय पर परीक्षण निर्माण के समय एवं बाजार में बेचते समय नमूने लेकर करता है। मापदण्डों का पालन न करने वाले उत्पादकों का लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है।

2. एगमार्क:
उपभोक्ता के हितों के संरक्षण हेतु एगमार्क के मापदण्ड बनाते समय खाद्य पदार्थों के रंग-रूप, संरचना, वर्णन एवं किस्म आदि के आधार पर उत्तम, अति उत्तम, अच्छा एवं सामान्य वर्गीकरण किया जाता है। जिस प्रकार प्रत्येक उत्पादक को आई०एस०आई० जैसी मोहर लगवाना अनिवार्य नहीं है उसी प्रकार एगमार्क का चिह्न लगवाना भी ऐच्छिक होता है। प्राकृतिक एवं निर्मित वस्तुओं की भौतिक तथा रासायनिक विशेषताओं के आधार पर व्यापारियों को लाइसेंस दिया जाता है। समय-समय पर वस्तुओं का निरीक्षण कर दोषी व्यापारियों का लाइसेन्स रद्द कर दिया जाता है।

3. एफ०पी०ओ०:
एफ०पी०ओ० वस्तुओं की पैदावार से लेकर बिक्री होने तक पदार्थों के न्यूनतम मानदण्डों को निर्धारित करता है। यह फूड प्रोडक्ट आर्डर के नाम से जाना जाता है तथा उच्च गुणवत्ता का द्योतक है। यह चिह्न अचार, मुरब्बे, सॉस, चटनी, शर्बत, जैम, जैली तथा डिब्बाबन्द खाद्य पदार्थों पर दिखाई देगा। इस प्रकार मानकों द्वारा उपभोक्ता के हितों की रक्षा होती है, उपभोक्ताओं में विश्वास पैदा होता है एवं उन्हें अपने धन का पूरा लाभ मिलता है।

प्रश्न 7.
“विज्ञापन उपभोक्ताओं को जानकारी देने का एक सशक्त माध्यम है।” कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
विज्ञापन उपभोक्ताओं को जानकारी देने का सशक्त माध्यम है क्योंकि उत्पादक उपभोक्ता से मीलों दूर होता है तथा उसके साथ प्रत्यक्ष सम्पर्क रखने में असमर्थ होता है। वस्तुओं के मध्य बढ़ती स्पर्धा के कारण प्रतिदित वह उत्पाद की कोई नई किस्म तैयार करता है तथा उसके बारे में अधिक-से-अधिक उपभोक्ताओं को सूचित करना चाहता है। ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं को जानकारी देने का सबसे सरल एवं सबसे सशक्त माध्यम विज्ञापन ही है जिसकी वजह से वह अपने उपभोक्ताओं के बीच सम्पर्क रख सकता है।

प्रश्न 8.
आप भ्रामक विज्ञापनों से अपने आपको किस प्रकार सुरक्षित रखेंगे ?
उत्तर:
उपभोक्ता को भ्रामक विज्ञापनों; जैसे – इस टॉनिक को पीने से आप में शेर जैसी ताकत आ जायेगी, इस साबुन से एक सप्ताह में आपका रंग गोरा हो जायेगा तथा आप सुंदरी का खिताब जीने में सक्षम हो जायेंगी, साबुन के साथ सोना, कौन बनेगा लखपति, इस उत्पाद के साथ एक अन्य उत्पाद मुफ्त आदि विज्ञापनों को पढ़कर तुरन्त वस्तुओं को खरीद लेते हैं तथा उपभोग में लेने पर ज्ञात होता है कि निर्माता ने अपने उत्पाद का कुछ ज्यादा ही ऊँचा आकलन कर उपभोक्ताओं को बेवकूफ बनाया है। उपभोक्ता को भ्रामक विज्ञापनों की ओर ध्यान न देकर उपभोग में लाने योग्य वस्तुओं को क्रय करते समय उन पर लगे हुए लेबिल पर ध्यान देना चाहिए एवं वस्तुओं में मिलावट के कुप्रभावों से बचने के लिए मानकीकरण का ध्यान रखना चाहिए।

प्रश्न 9.
प्रतिस्पर्धा का लाभ किस प्रकार उपभोक्ताओं को मिलता है? समझाइये।
उत्तर:
प्रतिस्पर्धा का लाभ उपभोक्ताओं को इस प्रकार मिलता है कि व्यापारी अपने प्रतिद्वन्द्वी से मुकाबला करने के कारण उपभोक्ता को सबसे सुरक्षित, उत्तम गुणवत्ता वाली वस्तु देना चाहता है, ताकि उपभोक्ता को उसके उत्पाद से किसी भी प्रकार की हानि न पहुँचे तथा वह हमेशा उसी के द्वारा निर्मित उत्पाद का ही सेवन करें। ऐसा करने के लिए वह अपने ग्राहक को उच्चकोटि की वस्तु देकर हमेशा के लिए नाता जोड़ लेता है। यदि प्रतिस्पर्धा नहीं होगी तो उत्पादक उपभोक्ताओं के संरक्षण का ध्यान नहीं रखेगा।

प्रश्न 10.
बुद्धिमत्तापूर्ण खरीददारी से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
बुद्धिमत्तापूर्ण खरीददारी से अभिप्राय है कि उपभोक्ता को वस्तुओं की खरीददारी करते समय निम्न बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए –

  • मिलावटी एवं घटिया किस्म के माल से बचने के लिए खुली वस्तु न खरीदकर लेबिल लगी हुई पैकेटबन्द वस्तुएँ ही खरीदनी चाहिए जिन पर वस्तु का पूरा विवरण; जैसे – मूल्य, मात्रा, कम्पनी का नाम, पता आदि साफ-साफ लिखा हो।
  • मिलावटी वस्तुओं के कुप्रभाव से बचने के लिए मानकीकरण के दायरे में आने वाली वस्तुओं को ही खरीदना चाहिए।
  • लुभावने विज्ञापनों से बचना चाहिए।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 33 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (PART-II)

RBSE Class 12 Home Science Chapter 33 अतिलघूत्तरीय प्रश्न (PART-II)

प्रश्न 1.
मुख्य उपभोक्ता सहायताएँ कौन-कौनसी हैं
उत्तर:
लेबल, मानक, विज्ञापन, प्रतिस्पर्धा एवं उपभोक्ता संरक्षण कानून।

प्रश्न 2.
लेबिल किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी भी पदार्थ के बारे में उसके डिब्बे, टिन, थैली, ट्यूब अथवा पैकेट आदि पर अंकित विवरण को ‘लेबिल’ कहते हैं।

प्रश्न 3.
लेबिल लगाने से उपभोक्ता को क्या लाभ होता है?
उत्तर:
लेबिल लगाने से प्रमुख लाभ यह है कि उपभोक्ता को पैकेट में रखे गये पदार्थों के बारे में विभिन्न जानकारी रहती है तथा वस्तुओं को पहचानने में सरलता रहती

प्रश्न 4.
उत्पादक किस संस्था द्वारा अपने उत्पाद को प्रमाणित करवाता है?
उत्तर:
उत्पादक ‘मानक’ संस्था द्वारा अपने उत्पाद को प्रमाणीकृत करवाता है।

प्रश्न 5.
डिब्बाबन्द वस्तु अधिनियम कब जारी किया गया?
उत्तर:
डिब्बाबन्द वस्तु अधिनियम (Package commodity act) सन् 1977 में जारी किया गया।

प्रश्न 6.
वर्तमान में हमारे देश में कौन-से मानक प्रचलित हैं?
उत्तर:
वर्तमान में हमारे देश में निम्न मानक प्रचलित हैं –

  • आई०एस०आई० मार्क
  • एगमार्क
  • एफ०पी०ओ० मार्क।

प्रश्न 7.
बिजली की प्रेस पर कौन-सा मानक चिह्न होना चाहिए?
उत्तर:
बिजली की प्रेस पर आई०एस०आई मानक चिह्न होना चाहिए।

प्रश्न 8.
विज्ञापनों द्वारा उपभोक्ता भ्रमित कैसे हो जाता है?
उत्तर:
निर्माता द्वारा लुभावने, आकर्षक एवं एक ही विज्ञापन बार-बार दिखाने पर उपभोक्ता भ्रमित हो जाता है।

प्रश्न 9.
प्रतिस्पर्धा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
प्रतिस्पर्धा ऐसी गतिविधि है जिसके जरिए व्यक्ति या विक्रेता अपनी सर्वोच्चता अथवा श्रेष्ठता सिद्ध करने का प्रयास करता है।

प्रश्न 10.
किसी बन्द खाद्य पदार्थ के पैकेट को देखकर आप कैसे पता करेंगे कि इसमें उपस्थित पदार्थ शाकाहारी है या मांसाहारी?
उत्तर:
पैकेट पर एक चौकोर बॉक्स में लाल बूंद मांसाहारी खाद्य पदार्थ का तथा हरी बूंद शाकाहारी खाद्य पदार्थ का प्रतीक होता है। ऐसे चिह्न को देखकर पता करेंगे।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 33 लघु उत्तरीय प्रश्न (PART-II)

प्रश्न 1.
सरकार ने बाजार में बेची जाने वाली बन्द पैकेट वाली वस्तुओं पर लेबिल लगाना क्यों प्रारम्भ किया?
उत्तर:
विक्रेताओं ने बढ़ती हुई जनसंख्या, खाद्य पदार्थों की उपलब्धि में कमी तथा महिलाओं की दोहरी भूमिका के फलस्वरूप पदार्थों में मिलावट करना एवं घटिया किस्म का माल उच्च दामों में बेचना प्रारम्भ कर दिया। परिणामस्वरूप सरकार ने बाजार में बेची जाने वाली बन्द पैकेट वाली वस्तुओं पर लेबिल लगाना प्रारम्भ कर दिया।

प्रश्न 2.
मानक कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
मानक तीन प्रकार के होते हैं –

  • आई०एस०आई० – उदाहरण – खाद्य पदार्थों, बिजली के उपकरण, पाठ्य सामग्री आदि पर।
  • एगमार्क-कृषि उपज वाले खाद्य पदार्थों पर।
  • एफ०पी०ओ० – खाद्य उत्पादों जैसे – शर्बत, जैम आदि।

प्रश्न 3.
आई० एस० आई० तथा एग मार्क दिए जाने वाली कुछ वस्तुओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
आई० एस० आई०. मार्क – बिस्कुट, बल्ब, पानी गर्म करने का हीटर, पैंसिल। एगमार्क-मसाले, वनस्पति घी, शहद, तेल।

प्रश्न 4.
आधुनिक युग में विज्ञापन के प्रचलित माध्यमों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
आधुनिक युग में विज्ञापन के प्रचलित माध्यम निम्न प्रकार हैं –

  • समाचार पत्रिकायें,
  • प्रतिपर्ण
  • पोस्टर, चार्ट, होर्डिंग
  • रेडियो, लाउडस्पीकर
  • दूरदर्शन, सिनेमाघर
  • प्रदर्शनी एवं सेल द्वारा।

प्रश्न 5.
एक आदर्श लेबल के चार गुण लिखिए।
उत्तर:
एक आदर्श लेबल के चार गुण निम्न प्रकार हैं –

  • व्यापार का चिह्न।
  • ब्राण्ड का नाम।
  • प्रयोग में लाये प्रमुख पदार्थों का चित्र।
  • वस्तु का नाम।

प्रश्न 6.
कुछ व्यापारी आई० एस० आई० मार्क का दुरुपयोग कैसे करते हैं?
उत्तर:
कुछ व्यापारी अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए निम्न प्रकार आई० एस० आई मार्क का दुरुपयोग करते हैं –

  • चिह्न का उपयोग ऐसी वस्तुओं पर करते हैं जो निर्धारित मापदण्डों के अनुकूल नहीं है।
  • चिह्न का प्रयोग बिना लाइसेंस कर लेते हैं।
  • इस चिह्न की हूब-हू नकल करते हैं।
  • भारतीय मानक ब्यूरो के अनुरूप होने का दावा करते हैं।
  • आई० एस० आई० के नाम पर भ्रम फैलाते हैं।
  • उपभोक्ता से झूठ बोलते हैं कि वह आई० एस० आई० लाइसेंसधारी है।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 33 निबन्धात्मक प्रश्न (PART-II)

प्रश्न 1.
उपभोक्ता संगठन क्या है ? इसके उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
उपभोक्ता संगठन (Consumer organization):
उपभोक्ता को सशक्त बनाने के लिए इस बात पर बल दिया गया है कि उपभोक्ताओं को मिलजुल कर एक उपभोक्ता संगठन बनाना चाहिए। जिससे वे अपनी समस्याओं का समाधान कर सकें। कोई भी उपभोक्ता, एक उपभोक्ता संगठन द्वारा अपने अधिकारों के लिए लड़ सकता है। साथ अपने आपको एक सुरक्षित उपभोक्ता बना सकता है।

उपभोक्ता सहायता हेतु ही विश्वभर में अनेक उपभोक्ता संगठनों का गठन हुआ है। उपभोक्ता हितों की रक्षा करने एवं उपभोक्ता शिकायतों के निवारण में इन संगठनों की अहम् भूमिका होती है। भारत जैसे देश में जहाँ अत्यधिक जनसंख्या एवं अज्ञानता है, उपभोक्ता संगठनों की आवश्यकता अधिक है।

उपभोक्ता संगठन के उद्देश्य:

  • उपभोक्ता के संरक्षण एवं हितों से सम्बन्धित सभी गतिविधियों की सहकारिता एवं सहभागिता को बढ़ावा देना।
  • उपभोक्ता शिक्षा प्रदान करना।
    उपभोक्ता सम्बन्धी जानकारी का आदान-प्रदान करना।
  • प्रत्येक उपभोक्ता की मूलभूत आवश्यकताएँ, जैसे-खाद्य पदार्थ, आवास, स्वास्थ्य, शुद्ध वातावरण आदि के अधिकारों को सुरक्षित करना।
  • उत्पाद परीक्षण एवं अनुसंधान करना।
  • उपभोक्ता का शोषण करने वालों के विपक्ष में उपभोक्ता अपने केस का प्रतिनिधित्व करने हेतु आत्मविश्वास जाग्रत करना।

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