RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 34 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
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Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Chapter 34 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
RBSE Class 12 Home Science Chapter 34 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनें –
(i) औषधियों में निर्धारित स्तर से नीचे गुण पाये जाने पर –
(अ) औषधि बाजार में बिकना बंद हो जाएगी
(ब) उपभोक्ता सतर्क हो जाएगा
(स) निर्माता से निर्माण अधिकार छीन लिया जाएगा
(द) ये सभी
उत्तर:
(स) निर्माता से निर्माण अधिकार छीन लिया जाएगा
(ii) भार एवं माप अधिनियम में कितने कानून हैं –
(अ) दो
(ब) पाँच
(स) तीन
(द) सात
उत्तर:
(स) तीन
(iii) यह अधिनियम सभी प्रकार के भोज्य पदार्थों हेतु न्यूनतम स्तर निर्धारित करता है –
(अ) भारतीय मानक ब्यूरो, 1996
(ब) कृषि उत्पाद के ग्रेडिंग व मार्केटिंग अधिनियम, 1937
(स) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1954
(द) खाद्यान्न मिलावट प्रतिबन्ध अधिनियम, 1954
उत्तर:
(द) खाद्यान्न मिलावट प्रतिबन्ध अधिनियम, 1954
(iv) वस्तुओं को उनके गुणों के आधार पर –
(अ) श्रेणी तथा अंक प्रदान किये जाते हैं
(ब) मानक एवं प्रमाणीकृत किए जाते हैं
(स) चिह्न अंकित किये जाते हैं
(द) ये सभी
उत्तर:
(अ) श्रेणी तथा अंक प्रदान किये जाते हैं
(v) वस्तुओं का माप, आकार, क्षमता आदि इस प्रकार हो कि वह उपभोग में सुविधा प्रदान करे, यह उद्देश्य है –
(अ) श्रेणीकरण का
(ब) मिलावट नियंत्रण का
(स) नियंत्रित व्यापार का
(द) प्रमाणीकरण का
उत्तर:
(द) प्रमाणीकरण का
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. …………अधिनियम व्यापारियों के मध्य स्पर्धा को बढ़ावा देता है।
2. …………प्रमाणित वस्तु में यदि कोई शिकायत या दोष पाया गया तो उसे वह वस्तु व्यापारी द्वारा बदल कर दी जाएगी।
3. वस्तुएँ उपभोग के लिए निम्न आय वाले समूह को आसानी से उचित मूल्य पर मिल सके, इसके लिए सरकार ने…………की दुकानें खोली हैं।
4. कृषि उत्पाद के ग्रेडिंग व मार्केटिंग अधिनियम, 1987 के अन्तर्गत…………चिन्ह के प्रयोग की अनुमति दी जाती है।
5. बाट-माप के मानक में…………करना अपराध है।
6. कोई भी भोज्य पदार्थ अधिनियम के अन्तर्गत दिये गये स्तर के अनुरूप नहीं होता तो उसे…………माना जाता है।
उत्तर:
1. एकाधिकार एवं नियन्त्रित व्यापार अधिनियम, 1969
2. आई. एस. आई.
3. राशन
4. एगमार्क
5. परिवर्तन
6. मिलावटी।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये –
(1) उपभोक्ता संरक्षण हेतु कानून
(2) आवश्यक वस्तुओं का वितरण एवं नियंत्रण
(3) वस्तुओं का श्रेणीकरण
(4) उच्च स्तरीय वस्तुएँ
उत्तर:
(1) उपभोक्ता संरक्षण कानून:
सरकार ने उपभोक्ताओं को संरक्षण प्रदान करने हेतु विभिन्न कानूनों एवं नियमों की स्थापना की तथा समय की माँग के साथ इनमें परिवर्तन किये। इन कानूनों के कारण यह सोचा गया था कि उपभोक्ता का शोषण नहीं होगा और उत्पादक एवं उपभोक्ताओं के मध्य एक अच्छा सामंजस्यं रहेगा। हालांकि इन कानूनों के अन्तर्गत व्यापारियों द्वारा गलत नीतियाँ अपनाने पर कारावास, जुर्माना या लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान तो है, परन्तु उपभोक्ता को किसी प्रकार की राहत नहीं मिलती।
उसके द्वारा व्यय किया गया धन तो व्यर्थ हो ही जाता है तथा कई बार दोषपूर्ण वस्तु या सेवा से उन्हें शारीरिक आघात भी पहुँचता है। ऐसी स्थिति से छुटकारा पाने हेतु सरकार ने इन सभी कानूनों के अलावा एक और कानून ‘उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986’ (Consumer Protection Act-1986) लागू किया। इस कानून के अन्तर्गत उपभोक्ता के अधिकार, उद्देश्य तथा क्षतिपूर्ति के बारे में ज्ञान प्रदान किया जाता है।
(2) आवश्यक वस्तुओं का वितरण एवं नियंत्रण:
इस अधिनियम में सरकार द्वारा उन सभी आवश्यक सामग्री; जैसे-नमक, शक्कर, अनाज, तेल, कपड़ा, माचिस इत्यादि के उत्पादन एवं वितरण पर नियंत्रण का प्रावधान है जिससे वे वस्तुएँ जिनकी कमी हो उपभोग के लिए निम्न आय वाले समूह को आसानी से उचित मूल्य पर मिल सकें। इसके अन्तर्गत प्रत्येक वार्ड में राशन की दुकानें खोली जाती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि समस्त देश में जनता को सभी आवश्यक उपभोग की वस्तुएँ अच्छी गुणवत्ता वाली और कम कीमत में मिल सकें। इसमें व्यापारियों को उन वस्तुओं की सूची तथा मूल्य सूची लगाना अनिवार्य कर दिया गया है जो सरकार द्वारा आवश्यक वस्तु अधिनियम में निर्धारित की गई हैं।
(3) वस्तुओं का श्रेणीकरण:
यह अधिनियम भारत सरकार ने विशेष रूप से फल, फल से निर्मित पदार्थ, आलू, चावल, कॉफी, मक्खन, गेहूँ, गेहूँ का आटा, गुड़, वनस्पति तेल, कपास, जूट, लाख, तम्बाकू, ऊन, चन्दन की लकड़ी आदि कई पदार्थों पर लागू किया है। इस कानून के अन्तर्गत वस्तुओं के उनके गुणों के अनुसार श्रेणी तथा अंक प्रदान किये जाते हैं। वस्तु के पैकेट पर A, B, C या 1, 2, 3 या एक्सपोर्ट क्वालिटी अंकित किया जाता है।
(4) उच्चस्तरीय वस्तुएँ:
भारतीय मानक संस्थान वस्तुओं की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए कार्यरत है। इस अधिनियम के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का स्तर क्या होना चाहिए तथा उच्च स्तर की वस्तु है अथवा निम्न स्तर की; जाँच की जाती है। संस्थान उच्चस्तर की वस्तुओं के लिए प्रमाणित चिह्न आई. एस. आई. प्रदान करता है। संस्थान सिर्फ उन्हीं निर्माताओं को इस चिह्न को अंकित करने का लाइसेंस देता है जो सामान्यतः उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करते हैं।
प्रश्न 4.
उपभोक्ताओं को कानून का सहारा क्यों लेना पड़ता है?
उत्तर:
उत्पादक विभिन्न तरकीबें अपनाकर बाजार में मिलावटी खाद्य पदार्थ, दोषपूर्ण उपकरण, गलत माप-तौल का प्रयोग, नकली मानक चिह्न का प्रयोग आदि द्वारा उपभोक्ताओं को आसानी से धोखा देता है। इन सभी गलत प्रवृत्तियों पर नियन्त्रण रखने के लिए उपभोक्ताओं को कानून का सहारा लेना पड़ता है।
प्रश्न 5.
किसी एक अधिनियम के बारे में विस्तार से लिखिए।
उत्तर:
खाद्यान्न मिलावट प्रतिबन्ध अधिनियम:
यह अधिनियम विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थों हेतु न्यूनतम स्तर का निर्धारण करता है। कोई भी भोज्य पदार्थ यदि इस अधिनियम के अन्तर्गत बनाये गये स्तर के अनुरूप नहीं होता है तो उसे मिलावटी माना जाता है। इस अधिनियम के द्वारा सरकार निम्नलिखित कार्यवाही करती है –
- मिलावटी एवं गलत प्रस्तुतीकरण पर प्रतिबन्ध लगाना।
- उपभोक्ता को वस्तु के उपभोग सम्बन्धी पूर्ण जानकारी दिलाना।
- उपभोक्ता के लिए शुद्ध खाद्य पदार्थों की व्यवस्था करवाना।
- मिलावट करने वाले व्यापारियों को दण्ड देना।
- उपभोक्ता को मिलावटी वस्तुओं के प्रयोग से बचाना।
- खाद्य पदार्थों का न्यूनतम स्तर बनाये रखना।
इस अधिनियम में 1968 तथा 1973 में संशोधन किये गये। केन्द्रीय सरकार ने खाद्यान्नों के स्तर को प्रमाणित करने के लिए समितियों, केन्द्रीय खाद्यान्न प्रयोगशाला एवं अखिल भारतीय स्वच्छता एवं स्वास्थ्य संस्थाओं की स्थापना की गई है। इनका मुख्य कार्य खाद्यान्नों के नमूनों का विश्लेषण करना तथा उन्हें प्रमाणित करना है। प्रत्येक जिला स्तर पर खाद्यान्न प्रयोगशाला स्थापित है। जहाँ पर विश्लेषणकर्ता नियुक्त हैं, ताकि कोई भी व्यक्ति खाद्यान्न नमूनों की जाँच करवा सके।
प्रश्न 6.
यदि किसी भोज्य पदार्थ में मिलावट है, तो उसका पता कैसे लगाया जाए?
उत्तर:
यदि किसी भोज्य पदार्थ में मिलावट है तो उसका पता निम्नलिखित प्रकार से लगायेंगे –
- भोज्य पदार्थों पर लगे लेबिल द्वारा
- मानक चिह्नों द्वारा।
खाद्य पदार्थों में सस्ता एवं घटिया किस्म का कोई भी मिलता-जुलता पदार्थ मिलाने या उसमें से कोई तत्व निकालने या फिर उसमें कोई हानिकारक तत्व मिलाने से खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता एवं शुद्धता में कमी आने को मिलावटी भोज्य पदार्थ कहते हैं। भोज्य पदार्थ में सस्ते एवं घटिया किस्म के तत्व मिला देने से खरीदे गये भोज्य पदार्थ की गुणवत्ता कम हो जाती है।
जैसे – अनाज में घटिया किस्म का अनाज, कंकड़, पत्थर मिलाकर अनाज का वजन बढ़ाना, दूध में पानी मिलाना, लड्ड, बर्फी, हल्दी आदि के रंग को उभारने एवं आकर्षक बनाने के लिए उसमें पीला रंग (मेटानिल यलो) मिला देना, सरसों के तेल में आरजीमोन घास के बीजों का तेल मिला देना इत्यादि।
प्रश्न 7.
एक पैकेट पर कौन-कौन-सी सूचनाएँ आवश्यक हैं?
उत्तर:
एक पैकेट पर निम्नलिखित सूचनाएँ आवश्यक है –
- वस्तु का नाम।
- पदार्थ को बनाने में प्रयोग की गई सामग्री का विवरण।
- प्रयोग में लाये गये प्रमुख पदार्थों का चित्रा
- ब्रान्ड का नाम।
- व्यापार चिह्न।
- तैयार पदार्थ का कुल भार सही इकाई में।
- निर्माता का नाम व पता।
- प्रमाणीकरण की मुहर एवं रजिस्ट्रेशन नम्बर।
- निर्माण एवं उपयोग की अंतिम तिथि।
- पदार्थ का लाइसेन्स नम्बर, कोड नम्बर।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 34 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 12 Home Science Chapter 34 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
इस अधिनियम में व्यापारियों को उन सभी वस्तुओं की सूची तथा मूल्य की सूची लगाना आवश्यक है, जो सरकार द्वारा निर्धारित की गई है-
(अ) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986
(ब) आवश्यक वस्तुएँ अधिनियम, 1955
(स) औषधि एवं मादक पदार्थ अधिनियम, 1940
(द) बाजार एवं श्रेणीकरण अधिनियम, 19371
उत्तर:
(ब) आवश्यक वस्तुएँ अधिनियम, 1955
प्रश्न 2.
विद्युतीय उपकरण (गुणवत्ता नियंत्रण)आर्डर, 1976 के अन्तर्गत कोई भी व्यापारी ऐसे उपकरण का निर्माण, विक्रय तथा वितरण नहीं कर सकता, जिस पर निम्नलिखित न हो –
(अ) आई. एस. आई. की मुहर
(ब) श्रेणी का अंक
(स) निर्धारित मूल्य
(द) निर्धारित क्षमता।
उत्तर:
(अ) आई. एस. आई. की मुहर
प्रश्न 3.
यह सर्वाधिक प्रगतिशील एवं व्यापक कानून है –
(अ) खाद्यान्न एवं मादक पदार्थ अधिनियम, 1940
(ब) आवश्यक वस्तुएँ अधिनियम, 1955
(स) भारतीय मानक संस्थान अधिनियम, 1952
(द) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986।
उत्तर:
(द) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986।
प्रश्न 4.
एक लेबिल पर निम्न में से क्या अंकित नहीं होता?
(अ) अधिकतम खुदरा मूल्य
(ब) थोक मूल्य
(स) सभी प्रकार के कर सहित
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) थोक मूल्य
प्रश्न 5.
पैकेट पर घोषणाएँ अंकित न होने पर दोषी कौन होगा?
(अ) निर्माता जो. इसे बनाता है।
(ब) थोक व्यापारी जो एक साथ कई मात्रा में खरीदता है।
(स) खुदरा व्यापारी जो इसे ग्राहकों को बेचता है।
(द) ये सभी।
उत्तर:
(द) ये सभी।
प्रश्न 6.
मानक द्वारा किसी वस्तु के किस बिन्द पर सर्वाधिक ध्यान दिया जाता है?
(अ) सुन्दरता
(ब) मात्रा
(स) गुणवत्ता
(द) ये सभी।
उत्तर:
(स) गुणवत्ता
प्रश्न 7.
आचार या मुरब्बे पर कौन-सा मानक चिन्ह लगाया जाता है?
(अ) आई. एस. आई.
(ब) एगमार्क
(स) एफ. पी. ओ.
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) एफ. पी. ओ.
प्रश्न 8.
बिस्कट के पैकेट पर कौन-सा मानक चिन्ह लगाया जाता है?
(अ) एगमार्क
(ब) आई. एस. आई.
(स) एफ. पी. ओ.
(द) कोई भी एक।
उत्तर:
(ब) आई. एस. आई.
प्रश्न 9.
एगमार्क का चिन्ह लगाया जाता है –
(अ) फर्नीचर पर
(ब) भोज्य पदार्थों की पैकिंग पर
(स) विद्युत उपकरणों पर
(द) कम्प्यू टर पर
उत्तर:
(ब) भोज्य पदार्थों की पैकिंग पर
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. कृषि उपज वर्गीकरण एवं विपणन अधिनियम 1937 के अन्तर्गत…………चिह्न के प्रयोग की अनुमति दी जाती है।
2. प्रत्येक…………पर खाद्यान्न प्रयोगशाला स्थापित की गई है।
3. ………के अन्तर्गत पत्थर एवं सिक्कों का प्रयोग अपराध है।
4. ……….पर पूरी जानकारी न देना कानूनन अपराध है।
5. डिब्बाबन्द वस्तुओं पर सम्पूर्ण जानकारी……के माध्यम से दी जाती है।
6. भार एवं माप अधिनियम…………में पारित किया गया।
7. ………… अधिनियम में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं की शुद्धता व गुणवत्ता के अनुसार श्रेणी तथा अंक प्रदान किए जाते हैं।
उत्तर:
1. एगमार्क
2. जिला स्तर
3. भार एवं माप अधिनियम-1956
4. पैकेट
5. लेबल
6. 1956
7. बाजार एक श्रेणीकरण।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 34 अति लघूत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
औषधियों से सम्बन्धित सम्पूर्ण सूचना किस अधिनियम के अन्तर्गत आती है?
उत्तर:
देश में निर्मित या आयातित औषधियों से सम्बन्धित सम्पूर्ण सूचना औषधि एवं मादक पदार्थ अधिनियम के अन्तर्गत आती है।
प्रश्न 2.
खाद्यान्न मिलावट प्रतिबन्ध अधिनियम कब और किसके लिये बनाया गया है ?
उत्तर:
सन् 1954 में यह अधिनियम विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थों हेतु न्यूनतम मानक स्तर का निर्धारण करता है।
प्रश्न 3.
वस्तुओं को किस कानून के अन्तर्गत उनके गुणों के अनुसार श्रेणी तथा अंक प्रदान किये जाते हैं?
उत्तर:
बाजार एवं श्रेणीकरण अधिनियम के अन्तर्गत वस्तुओं को उनके गुणों के अनुसार श्रेणी तथा अंक प्रदान किये जाते हैं।
प्रश्न 4.
प्रमाणीकरण का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
प्रमाणीकरण का मुख्य उद्देश्य यह है कि वस्तुओं का माप, आकार, क्षमता आदि इस प्रकार की हो जो उपभोग में सुविधा प्रदान करे।
प्रश्न 5.
विद्युतीय उपकरण (गुणवत्ता नियंत्रण) अधिनियम कब बनाया गया तथा कब लागू किया गया?
उत्तर:
विद्युतीय उपकरण (गुणवत्ता नियंत्रण) आर्डर 1976 में बनाया गया तथा इसे 1981 में लागू किया गया।
प्रश्न 6.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कब अस्तित्व में आया?
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में अस्तित्व में आया।
प्रश्न 7.
भारतीय मानक संस्थान अधिनियम का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
भारतीय मानक संस्थान अधिनियम का मुख्य उद्देश्य है। गुणवत्ता नियन्त्रण एवं पदार्थ के मानक को बनाए रखना।
प्रश्न 8.
ISI चिन्ह क्या है?
उत्तर:
भारतीय मानक संस्थान निर्धारित स्तर की वस्तुओं को जांच के बाद प्रमाणित चिन्ह ISI प्रदान करता है।
प्रश्न 9.
एगमार्क क्या है?
उत्तर:
भोज्य पदार्थों की गुणवत्ता एवं पौष्टिकता के निश्चित मानकों पर खरा उतरने वाला खाद्य उत्पादों की पैंकिग पर एगमार्क चिन्ह दिया जाता है।
प्रश्न 10.
एकाधिकार एवं नियन्त्रित व्यापार अधिनियम का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
एकाधिकार एवं नियन्त्रित व्यापार अधिनियम को बनाने का उद्देश्य है कि किसी भी विक्रेता / निर्माता / उत्पादक का बाजार पर एकाधिकार न रहे और वह मनमाने ढंग से उपभोक्ता से पैसे ने ऐंठ सके।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 34 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कृषि उपज वर्गीकरण एवं विपणन अधिनियम को समझाइए।
उत्तर:
यह अधिनियम 1937 में लागू किया गया। इसके तहत, भारत सरकार के विपणन एवं निरीक्षण विभाग द्वारा कृषि उपज की वस्तुएँ; जैसे-मसाले, तेल, वनस्पति घी आदि की गुणवत्ता का स्तर तय किया गया। वस्तुओं की शुद्धता एवं गुणवत्ता के आधार पर उन्हें श्रेणीबद्ध किया जाता है। जिन व्यापारियों को इस स्तर को उपयोग में लाने की अनुमति दी जाती है वे अपनी वस्तुओं पर तथा पैकिंग पर एगमार्ग (AGMARK) का प्रयोग करते हैं।
प्रश्न 2.
एकाधिकार एवं नियंत्रित व्यापार अधिनियम क्या है?
उत्तर:
एकाधिकार एवं नियंत्रित व्यापार अधिनियम (1959) व्यापारियों के एकाधिकार को नियंत्रित करने तथा इससे उपभोक्ता को होने वाली समस्याओं के निराकरण के लिए बनाया गया अधिनियम है। यदि कोई व्यापारी किसी दूसरे व्यापारी को किसी एक क्षेत्र में व्यापार न करने दे या फिर ऐसी व्यापार नीतियों का प्रयोग करे जिससे वस्तुओं के बीच प्रतिस्पर्धा न हो सके तो उपभोक्ताओं को कई समस्याएँ हो सकती हैं। इसी प्रक्रिया को खत्म करने हेतु एकाधिकार जाँच आयोग की अनुशंसा के बाद इस अधिनियम को लागू किया गया।
प्रश्न 3.
भार एवं माप अधिनियम को समझाइये।
उत्तर:
भार एवं माप अधिनियम 1956 एवं 1976 के अन्तर्गत विभिन्न राज्यों में माप – तौल के लिए प्रमाणित वजन तैयार किये गये हैं। व्यापारी को प्रमाणित वजन को ही काम में लेना चाहिए। इस अधिनियम में पत्थर के बाट, सिक्कों आदि का प्रयोग अपराध है। प्रत्येक उत्पादक को अपने उत्पादन पर सही नाप-तौल अंकित करना आवश्यक है। बाट-माप के तीन अधिनियम हैं –
- बाट तथा माप अधिनियम – 1976
- बाट तथा माप मानक (पैकेज वस्तुएँ नियम) 1977
- बाट तथा मानक (प्रवर्तन) अधिनियम 1985
प्रश्न 4.
विद्युतीय उपकरण अधिनियम क्या है?
उत्तर:
‘विद्युत उपकरण यदि निम्न स्तर के होते हैं तो दुर्घटना की संभावनाएँ बहुत बढ़ जाती हैं। इस बिन्दु को ध्यान में रखते हुए उपभोक्ता संरक्षण हेतु विद्युतीय उपकरण अधिनियम लागू किया गया। इसके अन्तर्गत निर्माता ऐसे घरेलू विद्युतीय उपकरणों का निर्माण विक्रय अथवा वितरण नहीं कर सकते हैं जो मानक पूरे नहीं करते हैं।
प्रश्न 5.
आवश्यक वस्तु अधिनियम क्या है?
उत्तर:
आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 द्वारा आवश्यक सामग्री के उत्पादन एवं वितरण पर नियन्त्रण का प्रावधान है। जिससें निम्न आय वाले समूह को ये रोजमर्रा की आवश्यक वस्तु आसानी से उचित मूल्य पर मिल सकें। ये आवश्यक वस्तुएँ हैं-गेहूँ, तेल, अनाज, शक्कर, कपड़ा आदि। इस अधिनियम के अन्तर्गत प्रत्येक वार्ड/गाँव में राशन की दुकान खोली जाती हैं तथा रियायती दरों पर वस्तुएँ जनता को उपलब्ध कराई जाती हैं।
प्रश्न 6.
बाजार एवं श्रेणीकरण अधिनिमय 1937 क्या है?
उत्तर:
बाजार एवं श्रेणीकरण अधिनियम 1937 में पारित किया गया। इसके अन्तर्गत उपभोग की जाने वाली वस्तुओं की शुद्धता, गुणवत्ता व उनके गुणों के अनुसार उन्हें श्रेणी अंक प्रदान किए जाते हैं। ये वस्तुएँ विशेष रूप से फल, फूल से निर्मित आलू, चावल, कॉफी, ऊन, चन्दन की लकड़ी, तम्बाकू, वनस्पति तेल, मक्खन, कच्चा चमड़ा आदि हैं। इन वस्तुओं के पैकेट पर A, B, C या 1, 2, 3 या एक्सपोर्ट क्वालिटी अंकित होती है।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 34 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मानक से क्या अभिप्राय है? हमारे देश में कौन-कौन से मानक मुख्यतया प्रचलित हैं ?
उत्तर:
वस्तुओं में बढ़ती हुई मिलावट, नकली उत्पादन आदि से उपभोक्ता को बचाने के लिए एवं उसके स्वास्थ्य की हानि को रोकने के लिए यह आवश्यक हो गया कि बाजार में बिकने वाले पदार्थों का प्रमाणीकरण किया जाए ताकि इन सब को नियन्त्रित किया जा सके। उपभोक्ता के हितों की सुरक्षा के लिए भारतीय मानक ब्यूरो ने 17,000 से अधिक मानक बनाये हैं और 134 वस्तुएँ अनिवार्य मानकीकरण के दायरे में आती हैं। उपभोक्ता को संरक्षण प्रदान करने हेतु वर्तमान समय में निम्न मानक प्रचलित हैं
(1) आई. एस. आई. मार्क:
यह मार्क भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रारम्भ किया गया है। इस संस्थान द्वारा वस्तु की गुणवत्ता उसमें उपयोग आने वाले कच्चे माल से लेकर तैयार माल तक बरकरार रखी जाती है जो कि विशेषज्ञों द्वारा तैयार किये गये माल के आधार पर होती है। यह संस्थान किसी भी फर्म को लाइसेंस तब देता है, जबकि उसे यह विश्वास हो जाता है कि फर्म उसके द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप उत्पाद को बनाने में सक्षम है।
साथ ही इन मानदण्डों का सदैव पालन करेगी तथा अपनी वस्तु की किस्म हमेशा निर्धारित स्तर के अनुरूप रखेगी तथा ऐसा करने के लिए उसमें आवश्यक सामर्थ्य भी है। भारतीय मानक ब्यूरो आई. एस. आई. मार्क वाली वस्तुओं का समय-समय पर परीक्षण निर्माण के समय एवं बाजार में बेचते समय नमूने लेकर करता है। मापदण्डों का पालन न करने वाले उत्पादकों का लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है।
(2) एगमार्क:
उपभोक्ता के हितों के संरक्षण हेतु एगमार्क के मापदण्ड बनाते समय खाद्य पदार्थों के रंग-रूप, संरचना, वर्णन एवं किस्म आदि के आधार पर उत्तम, अति उत्तम, अच्छा एवं सामान्य वर्गीकरण किया जाता है। जिस प्रकार प्रत्येक उत्पादक को आई. एस. आई. जैसी मोहर लगवाना अनिवार्य नहीं है उसी प्रकार एगमार्क का चिह्न लगवाना भी ऐच्छिक होता है। प्राकृतिक एवं निर्मित वस्तुओं की भौतिक तथा रासायनिक विशेषताओं के आधार पर व्यापारियों को लाइसेंस दिया जाता है। समय-समय पर वस्तुओं का निरीक्षण कर दोषी व्यापारियों का लाइसेन्स रद्द कर दिया जाता है।
(3) एफ. पी. ओ:
एफ. पी. ओ. वस्तुओं की पैदावार से लेकर बिक्री होने तक पदार्थों के न्यूनतम मानदण्डों को निर्धारित करता है। यह फूड प्रोडक्ट आर्डर के नाम से जाना जाता है तथा उच्च गुणवत्ता का द्योतक है। यह चिह्न अचार, मुरब्बे, सॉस, चटनी, शर्बत, जैम, जैली तथा डिब्बाबन्द खाद्य पदार्थों पर प्रयुक्त होता है। इस प्रकार मानकों द्वारा उपभोक्ता के हितों की रक्षा होती है, उपभोक्ताओं में विश्वास पैदा होता है एवं उन्हें अपने धन का पूरा लाभ मिलता है।
प्रश्न 2.
भारतीय मानक संस्थान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भारतीय मानक संस्थान देश का एक अतिमहत्त्वपूर्ण संस्थान है। इसका उद्देश्य गुणवत्ता नियन्त्रण एवं उत्पादों के मानक बनाए रखना है। इसके अन्तर्गत खाद्य पदार्थ, पीने का पानी, विद्युत सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुएँ, बर्तन, साइकिल आदि सम्मिलित हैं। वस्तुओं की गुणवत्ता का स्तर क्या है, वस्तु निर्धारित मानक पूरे करती है या नहीं। इसकी जाँच इस अधिनियम के अन्तर्गत की जाती है। संस्थान इस जाँच के पश्चात् निर्धारित स्तर की वस्तुओं के लिए प्रमाणित चिह्न ISI प्रदान करता है। यह संस्था केवल उन्हीं निर्माताओं को इस चिह्न को अंकित करने का लाइसेंस देती है जो उपभोक्ता के हितों की रक्षा करता है। मादक पदार्थ तथा नशीली दवाओं पर इसका प्रयोग नहीं किया जाता है।
प्रमाणीकरण उन्हीं उत्पादों को प्राप्त होता है जो कच्चे माल से लेकर अन्तिम तैयार पदार्थों तक गुणवत्ता के मानकों का अनुपालन करते हैं तथा गुणवत्ता नियन्त्रण पर पूरा ध्यान देते हैं। प्रमाणीकरण के लिए समय-समय पर निरीक्षकों द्वारा जाँच की जाती है। वस्तु में दोष पर शिकायत पाये जाने पर लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है। यह अधिनियम उपभोक्ता को इस बात की गारंटी देता है कि यदि ISI प्रमाणित वस्तु में कोई दोष अथवा शिकायत पाई गई तो वह वस्तु क्रेता निर्माता द्वारा बदली जाएगी।