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RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 36 गृह विज्ञान पारिवारिक एवं व्यावसायिक शिक्षा

RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 36 गृह विज्ञान पारिवारिक एवं व्यावसायिक शिक्षा

Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Chapter 36 गृह विज्ञान पारिवारिक एवं व्यावसायिक शिक्षा

RBSE Class 12 Home Science Chapter 36 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर चुनें –
(i) गृह विज्ञान विषय में कितने विभाग हैं –
(अ) चार
(ब) तीन
(स) पाँच
(द) छ:
उत्तर:
(स) पाँच

(ii) निम्न में से कौन-सा विषय भूमि चुनाव में सहायता करता है –
(अ) खाद्य एवं पोषण
(ब) मानव विकास एवं पारिवारिक अध्ययन
(स) वस्त्र एवं परिधान
(द) पारिवारिक संसाधन प्रबंधन
उत्तर:
(द) पारिवारिक संसाधन प्रबंधन

(iii) वस्त्र एवं परिधान में निम्न विषय नहीं आते हैं –
(अ) सिलाई
(ब) बुनाई
(स) बन्धेज
(द) नर्सरी स्कूल खोलना
उत्तर:
(द) नर्सरी स्कूल खोलना

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. गृह विज्ञान शिक्षा के द्वारा पारिवारिक जीवन के विभिन्न क्रिया-कलापों के सम्पादन में कलात्मक दृष्टिकोण के साथ-साथ ………….. आधार को भी प्राथमिकता दी जाती है।
2. एक अच्छा घर धरती पर स्वर्ग के समान होता है क्योंकि अच्छे घर में ही व्यक्ति का ………… विकास होता है।
3. पारिवारिक शिक्षा के साथ-साथ गृह विज्ञान शिक्षा की ……… उपयोगिता भी है।
उत्तर:
1. वैज्ञानिक
2. सर्वांगीण
3. व्यावसायिक।

प्रश्न 3.
निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए –
(1) गृह विज्ञान एक व्यावसायिक शिक्षा
(2) स्वरोजगार,
(3) गृह विज्ञान एवं स्वरोजगार।
उत्तर:
(1) गृह विज्ञान एक व्यावसायिक शिक्षा:
गृह विज्ञान का व्यावसायिक महत्व भी है। गृह विज्ञान का पर्याप्त ज्ञान प्राप्त करने के बाद गृहिणी विभिन्न प्रकार के व्यवसाय अपना सकती है; जैसे-शिक्षिका, बालबाड़ी, समाज-सेविका, ग्राम-सेविका, प्राथमिक चिकित्सा निर्देशिका, नियोजन निर्देशिका, गृह विज्ञान शिक्षिका, पोषण विशेषज्ञ आदि के कार्य उचित प्रकार से कर सकती है। गृह विज्ञान के ज्ञान से बालिकायें अपना व्यवसाय भी चला सकती हैं।

कुछ व्यवसाय ऐसे हैं जिनका ज्ञान गृह विज्ञान शिक्षण के समय उनको हो जाता है, जैसे-लॉण्ड्री का कार्य, सिलाई-कटाई का कार्य, कढ़ाई का कार्य, मॉडर्न ड्रेसेज बनाने का कार्य, बेकरी उद्योग, खाद्य संरक्षण सम्बन्धी कार्य आदि। बालिकायें आवश्यकता पड़ने पर कुछ गृह लघु उद्योग भी चला सकती हैं, जैसे-मोमबत्ती बनाना, साबुन बनाना, अगरबत्ती बनाना आदि।

(2) स्वरोजगार:
किसी भी विषय में व्यावसायिक कौशल अर्जित कर स्वयं का औद्योगिक संस्थान स्थापित करना ही स्वरोजगार है। भारतवर्ष में बेरोजगारी की समस्या के लिए स्वरोजगार एक उत्तम साधन है। स्वरोजगार के लाभ-स्वरोजगार स्थापित करने के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं –

  • कम पूँजी की लागत
  • व्यापार चक्रों से मुक्ति
  • परिवारीजनों का सहयो
  • मानवीय मूल्यों में वृद्धि
  • सरल संचालन।

सरकार स्वरोजगार स्थापित करने के लिए, प्रशिक्षण एवं वित्तीय सहायता का लाभ उद्यमियों को देती है।

(3) गृह विज्ञान एवं स्वरोजगार:
गृह विज्ञान विषय वस्त्रों को सिलना, अचार डालना, मुरब्बों का डालना, विभिन्न प्रकार की चटनी बनाना, बुनाई-कढ़ाई करना, चटाई बुनना आदि अनेक प्रकार के ज्ञान प्रदान करता है। इन विषयों में से अपनी-अपनी रुचि के अनुसार प्रशिक्षण प्राप्त कर विद्यार्थी घर पर ही व्यवसाय प्रारम्भ कर सकता है तथा विक्रय कर परिवार को आर्थिक सहयोग प्रदान कर सकता है। यही स्वरोजगार है।

प्रश्न 4.
पारिवारिक जीवन में गृह विज्ञान शिक्षा का क्या महत्व है?
उत्तर:
गृह विज्ञान विषय परिवार के विभिन्न पक्षों से सम्बन्ध रखता है। इसका प्रमुख उद्देश्य घरेलू जीवन को सुखमय बनाना है। गृह विज्ञान परिवार के मूल्य एवं उद्देश्यों तथा लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ाता है तथा पारिवारिक सदस्यों के सुख एवं स्वास्थ्य तथा कार्यकुशलता के लिए यह आधार प्रदान करता है।

गृह विज्ञान परिवार के सदस्यों की शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक, नैतिक, आध्यात्मिक आवश्यकताओं की भी पूर्ति में महत्वपूर्ण सम्बन्ध बनाये रखता है। यह व्यक्ति को उसके घर तथा समाज के प्रति कर्तव्यों के विषय में बताता है। इसलिए गृह विज्ञान में वही विषय सम्मिलित होते हैं जो पारिवारिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आवश्यक होते हैं। बालिका के लिए गृह विज्ञान शिक्षा का महत्व निम्न प्रकार से है –

1. आदर्श गृहिणी:
गृह विज्ञान एक बालिका को भावी गृहिणी के रूप में देखकर, उसे गृहिणी बनाने का पाठ पढ़ाता है। आज महिलाओं का कार्य-क्षेत्र केवल घर तक ही सीमित नहीं है बल्कि विस्तृत हो गया है। आज की गृहिणी को घरेलू उत्तरदायित्वों के अतिरिक्त धनोपार्जन भी करना पड़ता है। इस प्रकार उस पर दोहरी जिम्मेदारी आ जाती है। वह गृह-क्षेत्र के प्रति उदासीन न हो, इसके लिए उसे व्यावहारिक तथा सैद्धान्तिक ज्ञान दिया जाता है और उससे यह आशा की जाती है कि वह इस दोहरे उत्तरदायित्व को भी कुशलता से निभाये, फिर भी आदर्श गृहिणी बनी रहे।

2. परिवार नियोजन का ज्ञान:
गृह विज्ञान शिक्षण से छात्राओं को जनसंख्या शिक्षा का भी ज्ञान दिया जाता है। परिवार नियोजन के साधनों, परिवार नियोजन का महत्व, परिवार नियोजन का जीवन-स्तर से सम्बन्ध तथा कल्याण सम्बन्धी योजनाओं का ज्ञान गृह विज्ञान के शिक्षण द्वारा ही दिया जाता है। यह समस्त ज्ञान गृहिणी बनने के बाद उनके काम आता है।

3. व्यावसायिक ज्ञान:
गृह विज्ञान शिक्षण से छात्राओं को कई उद्योगों का ज्ञान प्राप्त होता है। विषय का पूर्ण ज्ञान होने पर गृहिणी अपना व्यवसाय भी चला सकती है। गृह विज्ञान के ज्ञान द्वारा वह सिलाई, बुनाई-कढ़ाई से सम्बन्धित व्यवसाय, खाद्य संरक्षण, पाक कला से सम्बन्धित व्यवसाय, बालबाड़ी, शिक्षिका, लॉण्ड्री से सम्बन्धित व्यवसाय, समाज-सेविका, चिकित्सा-निर्देशिका, नियोजन निर्देशिका, ग्राम विकास अधिकारी, बाल विकास अधिकारी, आँगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आँगनबाड़ी सुपरवाइजर आदि प्रकार के कार्यों से किसी एक कार्य को अपनाकर अपनी जीविका का साधन बना सकती है।

4. मितव्ययता का ज्ञान:
गृह विज्ञान शिक्षण से गृहिणी को मितव्ययता का ज्ञान होता है। गृहिणी को पोषण का भी ज्ञान मिलता है। कौन-से भोज्य पदार्थ सस्ते एवं पौष्टिक हैं? महँगे खाद्य पदार्थ खरीदकर ही परिवार को पोषण उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है। सस्ता एवं पौष्टिक भोजन कम कीमत में भी प्राप्त किया जा सकता है। इसका ज्ञान उसे गृह विज्ञान से ही होता है और वह महंगे भोज्य पदार्थों की तरफ नहीं भागती है। आटे से चोकर फेंक देना, फलों तथा सब्जियों के छिलके फेंक देना, चावल के पानी को फेंक देना आदि ऐसी क्रियाएँ जो अपव्यय को इस विज्ञान के ज्ञान द्वारा सीमित कर देती हैं। इस विज्ञान के द्वारा गृहिणी को पौष्टिक भोज्य पदार्थों का ज्ञान हो जाता है।

5. वैज्ञानिक ज्ञान-वर्तमान समय में गृह विज्ञान शिक्षा में वैज्ञानिक दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगता है। छात्राओं को इस बात का ज्ञान कराया जाता है कि उनके जीवन को सुखमय तथा उत्तम बनाने के लिए ही गृह विज्ञान का प्रयोग किया जाता है। गृह विज्ञान में बालिकाओं को प्राथमिक चिकित्सा, आहार एवं पोषण, स्वच्छता, शरीर-रचना एवं स्वास्थ्य, शिशु कल्याण आदि का ज्ञान कराया जाता है। यह ज्ञान आकस्मिक परिस्थितियाँ आने पर उनके लिए उपयोगी सिद्ध होता है।

6. बालकों के उचित पालन:
पोषण का ज्ञान-गृह विज्ञान के ज्ञान से बच्चों के उचित पालन-पोषण तथा उनके मनोविज्ञान को समझने में छात्राओं को सहायता मिलती है। गृह विज्ञान ही छात्राओं को यह सिखाता है कि उन्हें शिशुओं को किस प्रकार नहलाना चाहिए तथा किस प्रकार दूध पिलाना चाहिए? उनके लिए किस प्रकार के वस्त्रों का चयन करना चाहिए और किस अवस्था में उनकी क्या शारीरिक एवं मानसिक आवश्यकताएँ होती हैं? इन सब बातों का ज्ञान अर्जित करके गृहिणी बच्चों का बेहतर रूप से पालन-पोषण कर सकती हैं।

7. विभिन्न आन्तरिक प्रवृत्तियों का विकास:
गृह विज्ञान शिक्षण से छात्राओं में सौन्दर्यात्मक प्रवृत्ति का विकास होता है। छात्राओं को सौन्दर्यात्मक प्रवृत्ति के विकास द्वारा सुन्दर एवं रुचिकर आहार बनाने के साथ-साथ उसे उचित प्रकार से परोसने का भी ज्ञान दिया जाता है। गृह विज्ञान से गृहसज्जा, कला के तत्वों तथा रसोईघर के महत्व को भी समझाया जाता है।

8. रोग एवं बचाव की जानकारी:
गृह विज्ञान समस्त प्रकार के रोगों की पूर्ण जानकारी देता है एवं बीमारियों से बचाव के उपाय भी बताता है जिससे छात्राओं को सामान्य रोगों, विशेष रोगों तथा संक्रामक रोगों की जानकारी होती है तथा वह गृहिणी बनकर परिवार के स्वास्थ्य को ठीक प्रकार से रख सकती है।

9. समायोजन पर बल:
गृह विज्ञान के ज्ञान से छात्राएँ समायोजन के महत्व को सीखती हैं। पारिवारिक सदस्यों के साथ किस प्रकार व्यवहार करना चाहिए? प्रेम, स्नेह, सहयोग, स्पर्धा, त्याग आदि के द्वारा छात्राओं में समायोजन की प्रवृत्ति का विकास होता है।

प्रश्न 5.
“गृह विज्ञान शिक्षा स्वरोजगार हेतु एक उत्तम विषय हैं” पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
गृह विज्ञान शिक्षा स्वरोजगार हेतु एक उत्तम विषय है –
गृह-‘गृह’ वह स्थान होता है जहाँ पर व्यक्ति अपने जीवन के सभी कार्यों को पूरा करता है। गृह ही में व्यक्ति को शान्ति तथा आराम मिलता है तथा उसे घर में ही शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, धार्मिक सुरक्षा तथा सम्मान एवं सन्तुष्टि की प्राप्ति होती है। सेवाओं एवं वस्तुओं का मानवीय आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए उपयोग करना ही उपभोग कहलाता है। उपभोग समस्त प्रकार के उत्पादन का कारण एवं उद्देश्य दोनों है। उपभोग का आर्थिक क्रियाओं में महत्वपूर्ण स्थान होता है।

उद्योग:
उद्योग उस क्रिया को कहा जाता है जिसे व्यक्ति अपने प्रयासों से पूरा करता है। उद्योग को दो वर्गों में बाँट सकते हैं –

  • लघु उद्योग
  • वृहद् उद्योग।

उद्योग चाहे छोटा हो अथवा बड़ा, उसका रहना या न रहना इस बात पर निर्भर रहता है कि वह उपभोक्ता की आवश्यकताओं की पूर्ति किस सीमा तक कर सकता है? आवश्यकताएँ दो प्रकार की होती हैं, जो निम्नलिखित हैं –

(1) व्यक्तिगत आवश्यकताएँ:
वे जन्मजात प्रवृत्तियाँ जो आवश्यकताओं का रूप ले लेती हैं, व्यक्तिगत आवश्यकताएँ कहलाती हैं, जो निम्नलिखित हैं –

  • भोजन
  • सुरक्षा, घर तथा वस्त्र
  • शारीरिक सुख तथा परिवार,
  • सामाजिक क्रियाएँ।

2. सामूहिक जीवन द्वारा प्रेरित आवश्यकताएँ:
ये आवश्यकताएँ सामूहिक जीवन से प्रेरित होती हैं। जैसे –

  • रीति-रिवाज,
  • उत्पादकों द्वारा निर्मित आवश्यकताएँ,
  • विज्ञापनों द्वारा यान्त्रिक विकास।

गृह विज्ञान के विद्यार्थी उन तथ्यों का पूर्व में ही अध्ययन कर चुके होते हैं, जिनसे कि वे स्वरोजगार प्राप्त कर सकें। गृह विज्ञान का प्रत्येक विभाग स्वरोजगार के लिए प्रेरित करता है –

RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 36 गृह विज्ञान पारिवारिक एवं व्यावसायिक शिक्षा-1

इन सभी प्रकार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नित्य नये-नये उद्योग स्थापित किये जाते हैं तथा उनमें विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है। जिन देशों ने उपभोग का स्तर उत्तम होता है वहाँ पर स्वास्थ्य का स्तर भी उत्तम होता है और व्यक्ति में कार्य-क्षमता अधिक पायी जाती है। अवकाश काल का सदुपयोग गृहिणी घर पर लघु उद्योग प्रारम्भ करके कर सकती है। जैसे-पापड़, बड़ियाँ, मुगौड़ी बनाना, सिलाई-कढ़ाई तथा बुनाई करना, चटाई बनाना, रस्सी बुनना, टोकरी बनाना, मोमबत्ती बनाना, बन्धेज आदि का कार्य कर सकती है।

इसी प्रकार पुरुष वर्ग भी कई प्रकार के कार्य, जैसे-बूट पॉलिश बनाना, क्रीम, स्याही बनाना, मुर्गी – पालन, रेशम उत्पादन के लिए कीट पालना, डिटरजेण्ट बनाना, मधुमक्खी पालन आदि कार्य भी कर सकते हैं। इस प्रकार पुरुष भी अपने जीवन – यापन के साधन जुटा सकता है। इन कार्यों को व्यक्ति अपनी नौकरी के साथ-साथ अतिरिक्त आय अर्जन के लिए भी कर सकता है।

लघु उद्योग-धन्धों की स्थापना के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकारें भी सहायता प्रदान करती हैं। लघु उद्योगों द्वारा निर्मित वस्तुओं की बिक्री कई केन्द्रों में की जाती है। छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए ही ‘ग्रामोद्योग’ की स्थापना की गई है। ग्रामोद्योग में खादी की साड़ियाँ, गलीचे, कालीन आदि विभिन्न प्रकार के वस्त्र तैयार किये जाते हैं।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 36 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Home Science Chapter 36 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर चुनें –
(i) भारत में कितने प्रतिशत निरक्षरता है?
(अ) 30-35 प्रतिशत
(ब) 20-30 प्रतिशत
(स) 10-20 प्रतिशत
(द) 50-60 प्रतिशत
उत्तर:
(अ) 30-35 प्रतिशत

(ii) निम्न में से कौन-सा प्रशिक्षण कार्यक्रम गृह विज्ञान से सम्बन्धित नहीं है –
(अ)इंटीरियर डेकोरेशन
(ब) खाद्य एवं बाल देखभाल
(स) उपभोक्ता संरक्षण
(द) इलेक्ट्रीकल फिटिंग
उत्तर:
(द) इलेक्ट्रीकल फिटिंग

(iii) टेक्सटाइल डिजाइनिंग का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद आप निम्न में से कौन-सा कार्य कर सकती हैं?
(अ) ब्लॉक एवं स्क्रीन प्रिंटिंग
(ब) वस्त्रों पर कशीदा
(स) पोषाक निर्माण
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

(iv) यदि आप स्वयं का होटल स्थापित करना चाहते हैं तो निम्न में से कौन-सा व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे?
(अ) हाउस कीपिंग
(ब) कुकरी
(स) होटल प्रबन्धन
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(स) होटल प्रबन्धन

(v) एक सफल उमी बनने हेतु निम्न में से कौन-सा गुण होना आवश्यक है?
(अ) जोखिम उठाने का साहस
(ब) नये-नये विचारों की उत्पत्ति
(स) परिश्रमी
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. कौशल अर्जित कर स्वयं के औद्योगिक संस्थान की स्थापना करना तथा परिवार को आर्थिक सहयोग प्रदान करना ही…….. है।
2. स्वरोजगार द्वारा, हमारे देश की एक ज्वलंत समस्या …….. का निवारण किया जा सकता है।
3. स्वरोजगार हेतु सरकार कई ……… एवं……… सुविधाएँ उधमियों को उपलब्ध करवाती है।
4. एक अच्छा पालनाघर खोलने हेतु व्यक्ति को ……. नामक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त कर लेना चाहिए।
उत्तर:
1. स्वरोजगार
2. बेरोजगारी,
3. प्रशिक्षण, वित्तीय,
4. पोषण एवं बाल देखभाल।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 36 लघुत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सभ्यता के विकास के साथ गृह-व्यवस्था तथा परिवार में हुए परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्राचीन युग में मानव के साधन तथा आवश्यकताएँ सीमित होने के कारण उसका घर चलाने का एक अपना ही तरीका था। जो सीमित तथा सुविधाजनक होता था लेकिन सभ्यता के विकास के साथ-साथ परिवार की आवश्यकताओं में भी वृद्धि हुई है तथा पारिवारिक लक्ष्यों की संख्या बढ़ गई है। समस्त लक्ष्यों की पूर्ति साधनों की सीमितता के कारण सम्भव नहीं है। अतः गृहिणी को खूब सोच-समझकर साधनों का चुनाव करना चाहिए। आधुनिक समय में सभ्यता का विकास उसकी चरम सीमा तक हो गया है। इससे यातायात के साधन, जीवन की जटिलताओं के कारण गृह-व्यवस्था, जीवन-पद्धति तथा पारिवारिक स्वरूप में भी परिवर्तन आये हैं।

प्रश्न 2.
गृह विज्ञान विषय का ज्ञान किस प्रकार कार्य सरलीकरण में सहायता प्रदान करता है?
उत्तर:
गृह के समस्त कार्यों को कम समय एवं शक्ति व्यय करके उचित प्रकार से करने के लिए कार्य सरलीकरण की विभिन्न विधियों का ज्ञान दिया जाता है। इसके अन्तर्गत कम समय, धन तथा शक्ति व्यय किये अधिकतम कार्य करने का सरल तरीका सिखाया जाता है। वर्तमान समय में बाजार में कई प्रकार के नये-नये उपकरण आ गये हैं, जिन्हें प्रयोग करने से कार्य के सरलीकरण में सहायता मिलती है। ऐसे यन्त्रों का उपयोग करके समय की बचत की जा सकती है। शारीरिक परिश्रम वाले अधिकांश कार्य अब मशीनों द्वारा किये जाने लगे हैं।

प्रश्न 3.
एक सफल उद्यमी की कौन-कौन सी मूलभूत विशेषताएँ होती हैं?
उत्तर:
एक सफल उद्यमी की मूलभूत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  • विचारवान,
  • जोखिम उठाने का साहस,
  • धैर्यवान,
  • परिश्रमी,
  • आत्मविश्वासी,
  • कुशल प्रबन्धक आदि।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 36 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उद्योग प्रधान देशों में गृह विज्ञान विषय का क्या महत्व है?
उत्तर:
उद्योग प्रधान देशों में गृह विज्ञान विषय का निम्नलिखित महत्व है –

  • गृह विज्ञान विषय की शिक्षा अर्जित करके स्त्रियाँ भी अब धनोपार्जन करने लगी हैं। पहले स्त्रियाँ अप्रत्यक्ष रूप से ही पारिवारिक आय में वृद्धि करती थीं; जैसे-खेतों में शारीरिक परिश्रम द्वारा लेकिन आज वे नौकरी द्वारा आय में प्रत्यक्ष रूप से वृद्धि करती हैं।
  • गृह विज्ञान विषय के अन्तर्गत छात्राओं को व्यवस्था सम्बन्धी ज्ञान दिया जाता है, जिससे घर तथा उद्योगों में दूरगामी परिणाम प्राप्त होते हैं।
  • दैनिक जीवन में प्रयोग में आने वाले विभिन्न यन्त्र भौतिक विज्ञान की देन हैं। गृह विज्ञान शिक्षण द्वारा इन यन्त्रों की देख-रेख, कार्यविधि और रचना आदि के विषय में जानकारी दी जाती है।
  • घर के समस्त कार्यों को कम समय में भली प्रकार से करने के लिए इस विषय के अनतर्गत कार्य सरलीकरण की विभिन्न प्रविधियों का ज्ञान कराया जाता है।
  • गृह विज्ञान में अनुपयोगी पदार्थों के उपयोग की भी शिक्षा दी जाती है।

प्रश्न 2.
ऐसे विषयों की तालिका बनाइये जिनसे स्वरोजगार प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
ऐसे विषयों की तालिका जिनमें कौशल प्राप्त कर आप स्वरोजगार प्राप्त कर सकते हैं, निम्न प्रकार हैं –
RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 36 गृह विज्ञान पारिवारिक एवं व्यावसायिक शिक्षा-2प्रश्न 3.
स्वरोजगार स्थापित करने के लाभ-हानि बताइये।
उत्तर:
स्वरोजगार स्थापित करने के लाभ –

  • स्वरोजगार से राष्ट्रीय और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है।
  • स्वरोजगार के माध्यम से व्यक्ति में कार्य-कौशल का विकास होता है।
  • इसके माध्यम से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है।
  • स्वरोजगार पारिवारिक सदस्यों और मित्रों की सहायता से खोला जा सकता है।
  • स्वरोजगार संचालन के लिए किसी विशिष्ट ज्ञान एवं प्रशिक्षण की जरूरत नहीं होती है।
  • गाँवों में भी स्वरोजगार से छोटे-छोटे उद्योग लगाये जा सकते हैं, क्योंकि बड़े उद्योग केवल शहरों में ही लगाये जाते हैं।
  • वस्तुओं का निर्यात भी बढ़ता है।
  • सरकार के द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

स्वरोजगार स्थापित करने की हानि –

  • यह व्यक्ति केन्द्रित होता है, जिससे उस व्यक्ति के अभाव में हानि उठानी पड़ती है।
  • व्यक्ति के बीमार होने पर इससे उत्पादन ठप्प पड़ जाता है।
  • व्यक्ति की प्रतिभा तथा परिश्रम पर ही इसका विकास सम्भव है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रशिक्षण विषयों को स्पष्ट कीजिए –
(1) टेक्सटाइल डिजाइनिंग,
(2) महिला सशक्तिकरण,
(3) फूड एण्ड बेबरेज सर्विस,
(4) हाउसकीपिंग।
उत्तर:
(1) टेक्सटाइल डिजाइनिंग:
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से निम्नलिखित उद्यमों में सफल उद्यमी बना जा सकता है –

  • टैक्सटाइल डिजाइन मिल्स में टैक्सटाइल डिजाइनर के रूप में।
  • स्वयं उद्यमी के रूप में लघु उद्योग स्थापित कर स्वरोजगार अपनाने में।
  • हथकरघा व खादी के टैक्सटाइल डिजाइनर के रूप में।
  • ब्लॉक, स्क्रीन और रॉलर प्रिन्टर्स के डिजाइनर के रूप में।
  • फ्लोर कवरिंग डिजाइनर के रूप में।
  • हथकरघा, हैण्डलूम, हैण्डप्रिन्टेड टैक्सटाइल डिजाइनर के रूप में।
  • कशीदे के डिजाइनर के रूप में।

(2) महिला सशक्तिकरण एवं विकास:
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने के विभिन्न अवसर प्राप्त होते हैं जो निम्न हैं –

  • महिलाओं के लिए जागृति केन्द्र की स्थापना करने में।
  • महिला विकास के लिए प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने में।
  • सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाओं में महिला सशक्तिकरण एवं विकास सलाहकार के रूप में।

(3) फूड एण्ड बेवरेज सर्विस:
इस कार्यक्रम के अन्तर्गत निम्नलिखित अवसर प्राप्त होते हैं –

  • रेस्टोरेन्ट में सर्विस बॉय/गर्ल के रूप में।
  • क्लब में सर्विस बॉय/गर्ल के रूप में।
  • आउट डोर केटरिंग व्यवस्थापक के रूप में।
  • विशेष पर्वो (विवाहए त्योहार, जन्मदिन आदि) के लिए केटरिंग सर्विसेज देकर
  • केटरिंग प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने में।

(4) हाउसकीपिंग-इसके माध्यम से निम्नलिखित कार्यों में दक्षता प्राप्त होती है –

  • होटल में इंटीरियर डेकोरेटर के पद पर।
  • गेस्ट हाउस, सर्किट हाउस में इंटीरियर डेकोरेटर के पद पर।
  • विभिन्न संस्थानों में हाउसकीपर के रूप में।
  • हाउसकीपिंग प्रशिक्षण अधिकारी के रूप में।
  • हाउसकीपिंग प्रशिक्षण प्रोग्रामर के रूप में।

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