RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 5 प्रजनन स्वास्थ्य एवं यौन सम्बन्धी रोग
RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 5 प्रजनन स्वास्थ्य एवं यौन सम्बन्धी रोग
Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Chapter 5 प्रजनन स्वास्थ्य एवं यौन सम्बन्धी रोग
RBSE Class 12 Home Science Chapter 4 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनें –
(i) भ्रूण का पोषण व विकास निम्न में से कौन-से प्रजनन अंग में होता है?
(अ) डिम्ब ग्रन्थि
(ब) गर्भाशय
(स) योनि
(द) अण्डाशय।
उत्तर:
(स) योनि
(ii) गर्भवती महिला को एक गर्भकाल के दौरान लौह लवण व फोलिक अम्ल युक्त गोलियों का सेवन करना चाहिए –
(अ) 75
(ब) 100
(स) 150
(द) 200.
उत्तर:
(अ) 75
(iii) एड्स रोग है –
(अ) संक्रामक
(ब) असंक्रामक
(स) मानसिक
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं।
(iv) एच. आई. वी. विषाणु से फैलता है –
(अ) हिपेटाइटिस
(ब) एड्स
(स) हपज
(द) डायरिया।
उत्तर:
(ब) एड्स
(v) एच. आई. वी. संक्रमण किस कारण से फैलता है?
(अ) संक्रमित सुई के उपयोग से
(ब) खाँसने से
(स) वायु से
(द) साथ खाना खाने से।
उत्तर:
(अ) संक्रमित सुई के उपयोग से
(vi) सिफिलिस रोग फैलता है –
(अ) ट्रेपोनिमा पेलीडम
(ब) नाइसीरिया गोनेरिये
(स) कोई भी नहीं
(द) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(अ) ट्रेपोनिमा पेलीडम
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. मानव वंशक्रम बनाये रखने के लिए…………आवश्यक है।
2. स्त्री व पुरुष दोनों के प्रजनन अंगों में किसी भी प्रकार का अवरोध, रोग व…………नहीं होना चाहिए।
3. गर्भाशय का मुख्य कार्य…………का है।
4. …………में शुक्राणुओं का निर्माण होता है।
5. अण्डक का शुक्राणु के साथ मेल होने पर…………ठहरता है।
6. एड्स …………के संक्रमण से होता है।
7. एच. आई. वी. संक्रमित व्यक्ति…………वर्ष तक सामान्य जीवन जी सकता है।
8. गोनेरिया से पीड़ित स्त्रियों के मूत्रमार्ग से……………………रंग का स्राव निकलने लगता है।
उत्तर:
1. प्रजनन तन्त्र
2. संक्रमण
3. मासिक चक्र
4. वृषण
5. गर्भ
6. एच. आई. वी.
7. 6 – 10
8. पीले।
प्रश्न 3.
प्रजनन स्वास्थ्य से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
प्रजनन स्वास्थ्य – प्रजनन स्वास्थ्य से अभिप्राय है कि प्रजनन अंगों में किसी प्रकार का अवरोध, रोग व संक्रमण न हो तथा स्त्री व पुरुष दोनों ही मानसिक, शारीरिक व सामाजिक रूप से स्वस्थ हों ताकि इस तन्त्र से सम्बन्धित सभी क्रियाओं को समुचित रूप से सम्पन्न कर सकें।
प्रश्न 4.
स्वस्थ प्रजनन हेतु स्त्री व पुरुषों को किन बिन्दुओं पर ध्यान देना आवश्यक है और क्यों?
उत्तर:
स्वस्थ प्रजनन (Healthy reproduction):
स्वस्थ प्रजनन के लिए स्त्री व पुरुष को अग्रलिखित बिन्दुओं पर ध्यान देना आवश्यक है –
1. विवाह की उम्र:
स्वस्थ प्रजनन के लिए यह आवश्यक है कि लड़का व लड़की दोनों ही शारीरिक एवं मानसिक रूप से परिपक्व हों। यह परिपक्वता लड़कों में प्राय: 21 वर्ष तथा लड़कियों में प्रायः 18 वर्ष की उम्र तक आती है। अत: लड़के व लड़की का विवाह क्रमश: 21 व 18 वर्ष के बाद ही करना चाहिए।
2. शारीरिक स्वच्छता:
प्रजनन स्वास्थ्य हेतु पुरुष / लड़के तथा महिला/लड़की को अपने प्रजनन अंगों को नियमित सफाई द्वारा स्वच्छ रखना चाहिए। लड़कियों को विशेष रूप से माहवारी के समय बाहरी अंगों की सफाई रखनी चाहिए। संक्रमित अंग प्रजनन प्रक्रिया में बाधक होते हैं।
3. प्रजनन क्षमता:
जब लड़के और लड़की दोनों ही शारीरिक रूप से परिपक्व हो जाते हैं तो वे सन्तान सुख प्राप्त करने में सक्षम होते हैं। कुछ युगल यह सुख प्राप्त करने में सक्षम नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में पुरुष व महिला दोनों को ही डॉक्टरी जाँच के आधार पर सलाह व इलाज कराना चाहिए। यदि किसी एक को भी प्रजनन स्वास्थ्य कमजोर या सही नहीं होगा तो गर्भधारण नहीं हो सकेगा। अत: स्त्री व पुरुष दोनों में ही प्रजनन क्षमता आवश्यक है।
4. मानसिक स्वास्थ्य:
गर्भधारण के लिए स्त्री व पुरुष दोनों को ही मानसिक रूप से तैयार होना आवश्यक है। आजकल अधिकतर महिलाएँ भी पुरुषों के साथ-साथ घर के बाहर नौकरी करती हैं। पति व पत्नी दोनों अपनी नौकरी व कैरियर को प्राथमिकता देते हैं। अत: उनके बीच प्रजनन सम्बन्धों में कमी व अस्थिरता आने लगती है। कई युगलों में समयाभाव के कारण पारिवारिक, सामाजिक व आर्थिक उत्तरदायित्व न निभा पाने के कारण तनाव रहता है। यह तनाव उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और इसका सीधा प्रभाव प्रजनन क्रिया पर पड़ता है।
5. सन्तुलित आहार:
शारीरिक स्वास्थ्य के लिए पति व पत्नी दोनों को ही अपनी आवश्यकतानुसार सन्तुलित आहार का सेवन करना चाहिए। आहार में पौष्टिक तत्त्वों की कमी से हीनताजनित रोग हो जाते हैं। हमारे देश में गर्भावस्था के दौरान 70 – 90% महिलाएँ रक्ताल्पता (Anaemia) से ग्रसित होती हैं। रक्ताल्पता महिला के स्वास्थ्य एवं गर्भावस्था दोनों को ही प्रभावित करती है। रक्ताल्पता से ग्रस्त गर्भवती महिलाओं में गर्भपात, मातृ मृत्यु – दर आदि समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।
अतः किशोरियों व महिलाओं को अपने आहार में सस्ते व उपलब्ध लौह लवण से भरपूर भोज्य पदार्थ; जैसे-हरी पत्तेदार सब्जियाँ, साबुत अनाज, दालें, तिल तथा माँसाहारी लोगों को माँस, अण्डा, मछली आदि का सेवन अधिक करना चाहिए। गर्भवती महिला को गर्भकाल में लौह लवण व फोलिक अम्ल युक्त 100 गोली (1 गोली प्रतिदिन) खानी चाहिए।
6. गर्भधारण अन्तराल:
गर्भधारण के बीच उचित अन्तराल प्रजनन स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। दो बालकों के बीच कम-से-कम तीन साल का अन्तराल होना चाहिए। इस अन्तराल से महिला के प्रजनन अंग अगले गर्भधारण के लिए फिर से तैयार हो जाते हैं। अस्थायी परिवार नियोजन के उपायों के प्रयोग से गर्भधारण के बीच अन्तराल रखा जा सकता है।
7. गर्भावस्था में नियमित जाँच:
गर्भावस्था के समय महिला की नियमित जाँच आवश्यक है। डॉक्टरी सलाह के अनुसार महिला को इलाज कराना चाहिए ताकि माता एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सके।
प्रश्न 5.
एड्स और एच. आई. वी. पॉजिटिव में क्या अन्तर है?
उत्तर:
विषाणुओं (Viruses) से संक्रमित व्यक्ति को एच. आई. वी. पॉजिटिव (HIV+ VE) कहते हैं। एच. आई. वी. पॉजिटिव व्यक्ति 6 -10 वर्षों तक सामान्य प्रतीत हो सकता है एवं सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है। एच. आई. वी. पॉजिटिव का मतलब एड्स नहीं है, लेकिन इसके विषाणु द्वारा संक्रमण शरीर में पहुँच चुका है एवं 6-10 वर्षों के समय में एड्स विकसित होने लगता है। अर्थात् व्यक्ति में जब मिश्रित बीमारियों के लक्षण नजर आने लगे तब इस अवस्था को एड्स कहते हैं।
प्रश्न 6.
एच. आई. वी. संक्रमण कैसे फैलता है? इस संक्रमण से बचने के तरीके लिखिए।
उत्तर:
एच. आई. वी. संक्रमण से बचने के उपाय (Protective measures of HIV infections):
- सुई एवं सीरिंज का साझा प्रयोग मादक औषधियों के आदी व्यक्तियों द्वारा नहीं किया जाना चाहिए।
- सम्भोग के समय नियमित कन्डोम का प्रयोग करना चाहिए।
- जीवनसाथी के अतिरिक्त किसी अन्य के साथ यौन सम्बन्ध स्थापित नहीं करना चाहिए।
- यौन रोगियों के साथ यौन सम्बन्ध स्थापित नहीं करना चाहिए।
- कम – से – कम 20 मि. तक पानी में उबली हुई सिरिंज का उपयोग करना चाहिए।
- एड्स से पीड़ित महिलाओं को गर्भधारण नहीं करना चाहिए।
- रक्त की आवश्यकता पड़ने पर एच. आई. वी. की जाँच किया हुआ एच. आई. वी. रहित रुधिर ही प्रयोग करना चाहिए।
- किसी का प्रयोग किया हुआ ब्लेड प्रयोग में नहीं लाना चाहिए।
- शरीर में गोदना गोदने एवं नाक-कान छिदवाने वाले उपकरणों को भी कीटाणुरहित करके ही प्रयोग में लाना चाहिए।
- संदेह अथवा शंका होने पर एच. आई. वी. की जाँच सरकारी अस्पतालों में 10 का शुल्क देकर करवा लेनी चाहिए।
प्रश्न 7.
यौन रोग की रोकथाम कैसे करेंगे?
उत्तर:
यौन रोगों की रोकथाम के उपाय –
- वेश्यावृत्ति पर पूर्ण रूप से सरकार को रोक लगानी चाहिए।
- समय – समय पर चिकित्सकीय जाँच करवाते रहना चाहिए।
- रोगी व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध स्थापित नहीं करने चाहिए।
- विद्यालयों व महाविद्यालयों में यौन शिक्षा देने की व्यवस्था होनी चाहिए।
- रोगों से बचाव ही वास्तव में उपचार होता है। यह कथन यौन रोगों पर मुख्य रूप से चरितार्थ होता है।
- संक्रमित सुई व सिरिंज का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- अधिकतर यौन रोग के जीवाणु पेनिसिलीन के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं तथा एन्टी बायोटिक दवाओं से मर जाते हैं।
अतः इनका प्रयोग रोग होने पर करना चाहिए।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 5 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 12 Home Science Chapter 5 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1
……..युगल के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है जिसका सीधा असर प्रजनन प्रक्रिया पर पड़ता है –
(अ) परिवार
(ब) तनाव
(स) आर्थिक स्थिति
(द) नौकरी।
उत्तर:
(अ) परिवार
प्रश्न 2.
दो बालकों के बीच कम – से – कम……..साल का अन्तराल होना चाहिए।
(अ) एक
(ब) दो
(स) तीन
(द) पाँच।
उत्तर:
(स) तीन
प्रश्न 3.
भ्रूण का पोषण व विकास निम्न में से कौन-से प्रजनन अंग में होता है?
(अ) डिम्ब ग्रन्थि
(ब) गर्भाशय
(स) योनि
(द) अण्डाशय।
उत्तर:
(ब) गर्भाशय
प्रश्न 4.
गर्भाशय के नीचे वाला भाग कहलाता है –
(अ) ग्रीवा
(ब) शरीर
(स) शिखा
(द) डिम्ब ग्रन्थियाँ
उत्तर:
(अ) ग्रीवा
प्रश्न 5.
गर्भवती महिला को एक गर्भकाल में फौलिक अम्ल युक्त कितनी गोलियाँ खानी चाहिए।
(अ) 50
(ब) 100
(स) 80
(द) 120
उत्तर:
(ब) 100
प्रश्न 6.
भारत में आधे से अधिक HIV से संक्रमित लोग कितनी उम्र के बीच के हैं?
(अ) 10 -15 वर्ष
(ब) 20 – 30 वर्ष
(स) 15 से 24 वर्ष
(द) 25 – 30 वर्ष
उत्तर:
(ब) 20 – 30 वर्ष
प्रश्न 7.
एच. आई.वी.पॉजीटिव व्यक्ति कितने वर्ष तक सामान्य प्रतीत होता है –
(अ) 1 – 4 वर्ष
(ब) 10 -15 वर्ष
(स) 8 – 10 वर्ष
(द) 6 – 10 वर्ष
उत्तर:
(द) 6 – 10 वर्ष
प्रश्न 8.
गोनोरिया के जीवाणु का विकास काल होता है –
(अ) 1 – 5 दिनों तक
(ब) 2 – 10 दिनों तक
(स) 2 – 6 दिनों तक
(द) 1 – 2 दिनों तक
उत्तर:
(ब) 2 – 10 दिनों तक
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. सन्तति को…………देना मानव को स्वाभाविक कर्म है।
2. गर्भाशय को ग्रीवा……………एवं शिखर में विभक्त किया जाता है।
3. गर्भाशय में भ्रूण का…………तथा विकास होता है।
4. लड़के व लड़की का विवाह क्रमशः 21 वे…………वर्ष के बाद ही करना चाहिए।
5. H.I.V. नामक वायरस…………रक्त कणिकाओं पर आक्रमण करता है।
6. सिफलिस रोग एक…………अवधि का रोग है जो एक…………से फैलता है।
उत्तर:
1. जन्म
2. शरीर
3. पोषण
4. 18
5. श्वेत
6. लम्बी, जीवाणु
RBSE Class 12 Home Science Chapter 5 अति लघूत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
स्वस्थ प्रजनन तन्त्र से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
स्वस्थ प्रजनन तन्त्र से तात्पर्य यह है कि स्त्री व पुरुष दोनों के सभी प्रजनन अंग अपना कार्य नियमित रूप से करते हुए एक स्वस्थ बालक को जन्म दें।
प्रश्न 2.
नवजात शिशु लड़के / लड़की की पहचान कैसे होती है ?
उत्तर:
नवजात शिशु में लड़के / लड़की की पहचान नर या मादा जनन अंग की उपस्थिति (योनि या शिश्न) से होती
प्रश्न 3.
गर्भाशय का मुख्य कार्य क्या है ?
उत्तर:
गर्भाशय गर्भधारण करता है। गर्भाशय का मुख्य कार्य ‘मासिक चक्र’ का है।
प्रश्न 4.
भ्रूण का पोषण व विकास कहाँ होता है ?
उत्तर:
भ्रूण का पोषण व विकास गर्भाशय में होता है।
प्रश्न 5.
यदि अण्डक निषेचित न हो पाए तो क्या होगा ?
उत्तर:
यदि अण्डक निषेचित न हो पाए तो गर्भ नहीं ठहरेगा और अगले मासिक चक्र के पहले शोषित हो जायेगा।
प्रश्न 6.
रक्ताल्पता ग्रसित गर्भवती महिलाओं में क्या समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं ?
उत्तर:
रक्ताल्पता ग्रसित गर्भवती महिलाओं में गर्भपात व मातृ मृत्यु-दर में वृद्धि आदि समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।
प्रश्न 7.
दो बालकों के बीच में कम से कम कितना अन्तराल होना चाहिए?
उत्तर:
दो बालकों के बीच में कम से कम तीन साल का अन्तराल होना चाहिए।
प्रश्न 8.
निषेचन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब एक शुक्राणु डिम्ब या अण्डक में प्रवेश करता है तो यह क्रिया निषेचन कहलाती है।
प्रश्न 9.
एड्स का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
एड्स यानि कि उपार्जित प्रतिरक्षा नाशक रोग। समूह, जिसका अर्थ यह है कि एड्स मनुष्य जाति में स्वाभाविक रूप से शुरू नहीं हुआ बल्कि मनुष्य जाति के अपने ही कुछ कर्मों के कारण उपार्जित हुआ। यह एक संक्रामक रोग है जो कि एच. आई. वी. नामक विषाणु के संक्रमण के फलस्वरूप होता है।
प्रश्न 10.
HIV का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर:
HIV का पूरा नाम है – ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेन्सी वायरस (Human Immuno Deficiency vires)।
प्रश्न 11.
सबसे अधिक एच. आई. वी. से संक्रमित लोग किस पीढी के होते हैं ?
उत्तर:
सबसे अधिक एच. आई. वी. से संक्रमित युवा पीढ़ी है क्योंकि आधे से अधिक एच. आई. वी. से संक्रमित लोग 15 से 24 साल के बीच की उम्र के हैं।
प्रश्न 12.
एड्स रोग की महत्त्वपूर्ण परिचर्या बताइए।
उत्तर:
एड्स रोग की चिकित्सा व बचाव का टीका अभी तक विकसित नहीं हो पाया है। हालाँकि इस दिशा में विश्व भर में अनुसंधान चल रहे हैं। यदि इस रोग पर काबू नहीं पाया गया तो समस्त मानव जाति नष्ट हो सकती है। अत: इस रोग को समझना, समझाना, बचना व दूसरों को बचाना ही महत्त्वपूर्ण परिचर्या है।
प्रश्न 13.
एड्स – रोगी में कौन-कौन-सी बीमारियों के लक्षण देखे जा सकते हैं ?
उत्तर:
एड्स के रोगी में वजन घटना, बुखार, दस्त लगना, खाँसी, चर्म रोग तथा अनेक प्रकार की बीमारियाँ जैसे टी. बी., निमोनिया, कैन्सर इत्यादि रोगों के लक्षण देखे जा सकते हैं।
प्रश्न 14.
एड्स का अंत दर्दनाक मौत क्यों है ?
उत्तर:
एड्स का अंत दर्दनाक इसलिए है क्योंकि इस रोग की न तो कोई दवा है, न कोई टीका और न ही इसका कोई इलाज। एड्स से बचाव ही इसका उपचार है।
प्रश्न 15.
एच. आई. वी. से संक्रमित व्यक्ति को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
एच. आई. वी. से संक्रमित व्यक्ति को एच. आई. वी. पॉजिटिव कहते हैं।
प्रश्न 16.
सिफलिस रोग किस जीवाणु द्वारा फैलता
उत्तर:
सिफलिस रोग ट्रेपोनिमा पैलीडम नामक जीवाणु द्वारा फैलता है।
प्रश्न 17.
गोनोरिया के जीवाणु का विकास काल कितने दिन का होता है?
उत्तर:
गोनोरिया के जीवाणु का विकास काल 2 – 10 दिन तक का होता है।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 5 लघूत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
गर्भवती महिलाओं के लिए सरकार ने क्या उपाय किये हैं ?
उत्तर:
सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं में रक्ताल्पता (Anaemia) रोग की रोकथाम व निदान के लिए आँगनवाड़ी केन्द्रों की लाभार्थी किशोरियों व गर्भवती महिलाओं, सरकारी स्कूलों की किशोरियों तथा सरकारी चिकित्सालयों में गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य परीक्षण के लिए गई महिलाओं को लौह लवण (आयरन टैबलेट) व फोलिक अम्ल युक्त गोलियाँ मुफ्त दी जाती हैं।
प्रश्न 2.
प्रजनन स्वास्थ्य का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
मानव संतति समाज की आधारशिला है। मातृत्व पितृत्व की भावना से प्रेरित होकर मानव सन्तानोत्पत्ति करता है। सन्तानोत्पत्ति से वंशक्रम बना रहता है। सजीव सृष्टि का विशेष गुण है कि वह अपने जैसा जीव उत्पन्न कर प्रजाति को शाश्वत बनाए रखे। स्वस्थ प्रजनन (Reproductive health) से अभिप्राय – ”स्त्री व पुरुष दोनों के सभी प्रजनन अंग अपना कार्य नियमित रूप से करते हुए स्वस्थ बालक को जन्म दें।”
प्रजनन स्वास्थ्य से तात्पर्य है – मनुष्य के प्रजनन अंगों में किसी प्रकार का अवरोध, रोग एवं संक्रमण न हो तथा स्त्री व पुरुष दोनों ही मानसिक सामाजिक रूप से स्वस्थ रहकर सभी क्रियाओं को सफल व पूर्ण बना सकें और वह एक स्वस्थ बालक को जन्म दे सकें। स्वस्थ प्रजनन के लिए विवाह के समय लड़के की उम्र 21 वर्ष तथा लड़कियों की 18 वर्ष होनी चाहिए। प्रजनन स्वास्थ्य शारीरिक स्वच्छता, नियमित डॉक्टरी जाँच, संतुलित आहार, गर्भधारण में अन्तराल आदि आयामों का अनुसरण कर हासिल किया जा सकता है।
प्रश्न 3.
एच. आई. वी. किन कारणों से नहीं फैलता है?
उत्तर:
एच. आई. वी. निम्न कारणों से नहीं फैलता है –
- सार्वजनिक स्नानागार या शौचालय का प्रयोग करने से नहीं फैलता है।
- हवा में खाँसने, छींकने के कारण नहीं फैलता है।
- एक ही कारखाने, ऑफिस अथवा घर में मिलकर कार्य करने के कारण नहीं फैलता है।
- साथ – साथ खाने – पीने तथा गिलास – प्लेट एवं अन्य बर्तनों का मिलकर प्रयोग करने से नहीं फैलता है।
- कीट – पतंगों, मच्छर, जें, खटमल के काटने व मक्खी आदि के कारण नहीं फैलता है।
- एच. आई. वी. संक्रमित व्यक्ति के साथ प्रतिदिन प्रयोग में आने वाली वस्तुओं; जैसे – टेलीफोन, किताबें, पैन आदि का मिलकर प्रयोग करने से नहीं फैलता है।
- संभोग रहित शारीरिक स्पर्श; जैसे – हाथ मिलाना, छूना, साथ – साथ उठना – बैठना एवं आस – पास खड़े होने के कारण एड्स नहीं फैलता है।
प्रश्न 4.
जन्मजात सिफिलिस रोग के बारे में लिखिए।
उत्तर:
जन्मजात सिफिलिस (Congenital syphilis) रोग:
जन्मजात सिफिलिस रोगी में प्रारम्भिक अवस्था उत्पन्न नहीं होती है। यह बीमारी संक्रमित माता के गर्भाशय से शिशु में प्रवेश कर जाती है। यह रोग अत्यधिक उग्र प्रकृति का होता है तथा कई बार शिशु की गर्भाशय में ही मृत्यु हो जाती है। यदि शिशु बच जाता है तो कुछ ही दिनों में उसके शरीर में व्रण उत्पन्न होने लगते हैं तथा उसकी हड्डियाँ, गुर्दा, यकृत सभी प्रभावित होने लगते हैं। त्वचा, मुंह, दाँत, हड्डियों की सन्धियों पर सूखे घाव होने लगते हैं और अन्त में उसे लकवा हो जाता है।
प्रश्न 5.
गोनोरिया रोग का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गोनोरिया (Gonorrhoea) रोग:
यह रोग ग्रेम नैगेटिव बैक्टीरिया (Gram -ve’ Bacteria) नाइसिरिया गोनेरिया (Neissertia gonorrhoea) के कारण होता है। इस जीवाणु का विकास काल 2 – 10 दिनों का रहता है। इस रोग में मूत्र मार्ग की श्लेष्मिक कला, आँखों तथा स्वर यन्त्र पर व्रण उत्पन्न होना, मूत्र त्याग करते समय असहनीय जलन, घाव में मवाद भर जाना, बुखार आना आदि प्रमुख लक्षण हैं। इस रोग में स्त्रियों के मूत्र मार्ग से एक पीले रंग का स्राव निकलने लगता है। कुछ समय बाद बिना उपचार के ही सभी लक्षण समाप्त हो जाते हैं, किन्तु जीवाणु धीरे-धीरे स्त्री के गर्भाशय व फैलोपियन ट्यूब में प्रवेश कर संक्रमण फैला देते हैं जिससे स्त्रियों में बाँझपन (Sterility)) हो जाता है।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्त्री एवं पुरुष के प्रजनन अंगों एवं उसकी प्रक्रिया के बारे में लिखिए।
उत्तर:
स्त्री प्रजनन अंग:
(1) बाह्य प्रजनन अंग:
लघु तथा वृहत् भगोष्ठ (Major and minor labia), बार्थोलिन ग्रन्थियाँ (Bartholin glands), भगशिश्निका (Clitoris) व मूत्र छिद्र (Urethra) बाह्य प्रजनन अंग हैं। इन सभी अंगों के सम्मिलित रूप को भग प्रदेश (Vulva) कहते हैं। बाल्यावस्था में यह अंग छोटा, थोड़ा सपाट और बाल रहित होता है। शरीर के विकास के साथ-साथ भग प्रदेश बढ़ता व उभरता है और इस पर बाल उगने लगते हैं।
(2) आन्तरिक प्रजनन अंग:
योनिच्छेद (Hymen), योनि (Vagina), गर्भाशय (Uterus), डिम्ब ग्रन्थियाँ (Fallopian Tube), अण्डाशय (Ovary) आन्तरिक प्रजनन अंग हैं। योनिच्छेद एक महीन, पतली झिल्ली जैसा आवरण है। जो योनि मार्ग पर स्थित रहता है। योनि से एक प्रकार का स्राव निकलता है जो योनिच्छेद को गीला रखता है। योनिच्छेद का मुख्य कार्य शिशु प्रसव, मासिक चक्र और सम्भोग क्रिया कराना है। गर्भाशय ग्रीवा (Cervix), शरीर (Corpus) एवं शिखा (Fundus) में विभक्त होता है। गर्भाशय के नीचे वाले भाग को ग्रीवा, बीच वाले चौड़े भाग को शरीर एवं सबसे ऊपरी भाग को शिखा कहते हैं। डिम्ब ग्रन्थियाँ गर्भाशय को अण्डाशय से जोड़ने वाली नलिकाएँ हैं।
इनका एक सिरा गर्भाशय से तथा दूसरा सिरा अण्डाशय से जुड़ा रहता है। गर्भाशय के दोनों ओर एक-एक अण्डाशय होता है। इनका मुख्य कार्य अण्डाणु (Ovum) का निर्माण कर अण्डवाहिनी (Oviduct) तक पहुँचाना है। गर्भाशय का मुख्य कार्य मासिक चक्र (Menstrual cycle) का है। गर्भाशय में प्रत्येक माह एक अण्डक (Ova) परिपक्व होकर पहुँचता है। एक अण्डक का शुक्राणु (Sperm) के साथ मेल होने पर गर्भ ठहरता है। गर्भाशय में भ्रूण का विकास होता है। यदि अण्डाणु निषेचित न हो पाये तो अगले मासिक चक्र के पहले शोषित हो जाता है।
पुरुष प्रजनन अंग:
पुरुष प्रजनन अंग (Male reproductive organs)-वृषण (Testes), शुक्रवाहिका (Vasdeferens), शुक्राशय (Seminal vesicle), पुरस्थ (Prostrate), शिश्न (Penis) पुरुष के प्रजनन अंग हैं। वृषण में शुक्राणुओं (Sperms) का निर्माण होता है। मूत्राशय के दोनों ओर एक-एक शुक्रवाहिका होती है। यह मूत्राशय व मलाशय के निचले भाग में मध्य से होकर प्रोस्टेट ग्रन्थि के निचले भाग तक जाती है।
शुक्राशय (Seminal vescicle), मूत्राशय के पीछे स्थित दो थैलीनुमा रचनाएँ होती हैं, जो एक गाढ़ा द्रव्य निकालती हैं। प्रोस्टेट ग्रन्थि बड़ी एवं गोलाकार होती है जिससे एक तरल द्रव्य स्रावित होता है। शिश्न पुरुष में मूत्रीय व प्रजनन दोनों का कार्य करता है। वृषण, शुक्राशय व प्रोस्टेट ग्रन्थि से निकले स्राव वीर्य (Semen) में शुक्राणु (Sperms) होते हैं। एक ही शुक्राणु डिम्ब या अण्ड में प्रवेश करता है और इसी को निषेचन (Fertilization) कहते हैं।
प्रश्न 2.
एड्स से क्या आशय है ? एड्स के लक्षण व उसके बचाव के उपाय बताइये।
उत्तर:
एड्स (AIDS – Acquired Immuno Deficiency Syndrome):
एड्स अर्थात् उपार्जित प्रतिरक्षा नाशक रोग समूह, यह एक संक्रामक रोग है जो एच. आई. वी. (ह्यूमन इम्यूनो डिफिशियेन्सी वायरस) नामक विषाणु के संक्रमण से फैलता है। यह विषाणु शरीर में प्रवेश कर रक्त में उपस्थित सफेद रुधिर कणों से मिलकर डी. एन. ए. में पहुँच जाता है और धीरे-धीरे सफेद रुधिर कणों पर आक्रमण कर उनकी संख्या बहुत कम कर देता है। सफेद रुधिर कणों की कमी से शरीर में रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
खून के परीक्षण (Blood test) से एच. आई. वी. के संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। विषाणु से संक्रमित व्यक्ति को एच. आई. वी. पॉजिटिव (HIV positive) कहते हैं। यह व्यक्ति 6 -10 वर्ष तक सामान्य प्रतीत होता है किन्तु बाद में व्यक्ति में मिश्रित बीमारियों के लक्षण नजर आने लगते हैं, ऐसी अवस्था को एड्स कहा जाता है।
एड्स के लक्षण:
एच. आई. वी. से संक्रमिक व्यक्ति में जब कई बीमारियों के लक्षण एक साथ दिखाई दें तो उसे एड्स कहते हैं। एड्स के रोगी में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं –
- वजन घटना
- बुखार रहना
- खाँसी रहना
- दस्त लगना
- रात्रि के समय पसीना आना
- चर्म रोग तथा अनेक बीमारियाँ; जैसे – टी. बी., निमोनिया, कैंसर इत्यादि हो जाना।
एड्स से बचाव:
एड्स रोग के कारणों से बचकर रहना ही इसका सबसे बड़ा उपाय है –
- जीवनसाथी के अलावा अन्य से यौन सम्बन्ध स्थापित न करना अर्थात् सुरक्षित यौन सम्बन्ध।
- निसंक्रमित (Sterilised) सूई व सिरिंज प्रयोग नहीं करना।
- केवल जाँच किया गया रक्त ग्रहण करना।
- एड्स पीड़ित महिला द्वारा गर्भधारण व स्तनपान न कराना।
- यौन सम्पर्क के समय नियमित निरोध का प्रयोग करना।
अत: स्पष्ट है कि एड्स के लिए न दवा है, न उपचार अर्थात् कहा जा सकता है कि एड्स से बचाव ही उपचार है।