RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 3 विद्युत विभव
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 3 विद्युत विभव
Rajasthan Board RBSE Class 12 Physics Chapter 3 विद्युत विभव
RBSE Class 12 Physics Chapter 3 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उत्तर
RBSE Class 12 Physics Chapter 3 बहुचयनात्मक प्रश्न
RBSE Solutions For Class 12 Physics Chapter 3 प्रश्न 1.
किसी बिन्दु आवेश से नियत दूरी विद्युत क्षेत्र 50 V/m तथा विभव 300 V है, यह दूरी है
(A) 9m
(B) 15m
(C) 6m
(D) 3m
उत्तर:
(C) 6m
Vidyut Vibhav Class 12 प्रश्न 2.
एक वर्ग के कोनों पर आवेश चित्र की भाँति रखे हैं माना इसके केन्द्र पर विद्युत क्षेत्र में तथा विद्युत विभव V है। यदि A तथा B पर रखें आवेश C तथा D पर रखे आवेशों से परस्पर प्रतिस्थापित कर दिये जाते हैं, तो–
(A) E→ अपरिवर्तित रहता है, V बदल जाता है।
(B) E→ तथा V दोनों बदल जाते हैं।
(C) E→ तथा V दोनों अपरिवर्तित रहते हैं।
(D) E→ बदल जाता है तथा V अपरिवर्तित रहता है।
उत्तर:
(D) E→ बदल जाता है तथा V अपरिवर्तित रहता है।
RBSE Solutions For Class 12 Physics Chapter 3 In Hindi प्रश्न 3.
एक विद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पर विभव का मान 200 v है तो एक इलेक्ट्रॉन को वहाँ ले जाने में कार्य करना पड़ेगा
(A) -3.2 × 10-17 जूल
(B) 200 जूल
(C) -200 जूल
(D) 100 जूल
उत्तर:
(A) -3.2 × 10-17
किया गया कार्य W = qV
W = 1.6 × 10-19 × 200
W = 3.2 × 10-17 J
RBSE 12th Physics Solution प्रश्न 4.
r1 तथा r2 त्रिज्या के दो आवेशित चालक गोले समान विभव पर हैं तब उनके पृष्ठ आवेश घनत्वों का अनुपात होगा
उत्तर:
(A)
V1 = V2
RBSE Class 12 Physics Chapter 3 प्रश्न 5.
X- Y निर्देशांक के मूल बिन्दु पर 10C का आवेश स्थित है। बिन्दुओं (a, 0) तथा (a/√2,a/√2) के मध्य विभवान्तर का मान volt में होगा
(A) 9 × 104
(B) शून्य
(C) 9×104/a
(D) 9×104/√2
उत्तर:
(B) शून्य
प्रश्न 6.
2 मीटर त्रिज्या के एक आवेशित खोखले गोलीय चालक के पृष्ठ पर 500 volt विद्युत विभव है। केन्द्र से 115 मीटर दूरी पर विद्युत विभव होगा
(A) 375V
(B) 250V
(C) शून्य
(D) 500V.
उत्तर:
(D) 500V.
आवेशित चालक गोले के अन्दर व पृष्ठ पर विद्युत विभव समान होता है।
प्रश्न 7.
एक α-कण को विरामावस्था में एक बिन्दु जहाँ विभव 70v है, से दूसरे बिन्दु जहाँ विभव 50v है, तक ले जाने पर उसकी गतिज ऊर्जा होगी
(A) 20 ev
(B) 40 eV
(C) 20 MeV
(D) 40 MeV
उत्तर:
(B) 40 eV
कृत कार्य W =qV
W = (2e)[VB – VA]
W = (2e)(20) volt
W = 40 eV
प्रश्न 8.
एक ऐसे क्षेत्र में जहाँ विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E का मान शून्य है तो उस क्षेत्र में विभव के मान में दूरी के साथ परिवर्तन होगा
(A) V ∝ 1/r
(B) V ∝ 1/r2
(C) V= शून्य
(D) V= स्थिरांक
उत्तर:
(D) V = स्थिरांक
प्रश्न 9.
समान पृष्ठ आवेश घनत्व से आवेशित दो चालक गोलों की त्रिज्यायें R1 व R2 हैं। यदि उनके केन्द्र पर विभव क्रमशः V1 व V2 हो तब V1/V2 होगा
उत्तर:
(A)
प्रश्न 10.
एक विद्युत क्षेत्र का विभव फलन V = – 5x + 30 + 15−−√z से परिभाषित हैं। बिन्दु (x, y, z) पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता S.I. मात्रक में होगी
(A) 3√2
(B) 4√2
(C) 5√2
(D) 7
उत्तर:
(D) 7
प्रश्न 11.
एक एकांक आवेश को q आवेश से दूरी r दूरी पर उसके चारों ओर वृत्ताकार पथ पर घुमाया जाता है, तब किया गया कार्य होगा—
(A) शून्य
(B) 1/4πε0 q/r2
(C) 2πrJ
(D) 2πrqJ
उत्तर:
(A) शून्य
वृत्ताकार पथ समविभव पृष्ठ की तरह कार्य करेगा अतः उस पर एकांक आवेश को चलाने पर कार्य शून्य होगा।
प्रश्न 12.
एक इलेक्ट्रॉन को दूसरे इलेक्ट्रॉन की ओर ले जाने पर निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा
(A) बढ़ती है।
(B) घटती है।
(C) उतना ही रहती है
(D) शून्य हो जाती है।
उत्तर:
(A) बढ़ती है।
सजातीय आवेशों को निकट लाने पर निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा बढ़ेगी।
प्रश्न 13.
1000 छोटी-छोटी पानी की बूंदें जिनमें प्रत्येक की त्रिज्या है और प्रत्येक पर आवेश q है, मिलकर एक बड़ी बूंद बनाती है। अधिक बूंद का विभव, छोटी बूंद के विभव से निम्न गुना अधिक होगा
(A) 1000
(B) 100
(C) 10
(D) 1
उत्तर:
(B) 100
Vबड़ी = n2/3 Vछेटी
Vबडी = (103)2/3 Vछेटी
[∵ n = 1000, n = 103]
Vबडी = 102Vछेटी
प्रश्न 14.
चित्र के अनुसार व्यवस्थित आवेशों के कारण एक कूलॉम आवेश को P से Q तक ले जाने के लिये कार्य का मान जूल में होगा
(A) 10
(B) 5
(C) अनन्त
(D) शून्य
उत्तर:
(D) शून्य
WPQ = q0 [VQ – VP]
WPQ = 1 [0 – 0]
WPQ = 0
प्रश्न 15.
एक जैसी 64 पारे की गोलियाँ (प्रत्येक पर विभव 10 वोल्ट) मिलाकर एक बड़ी गोली बनाई जाये, तब बड़ी गोली की सतह पर विभव होगा
(A) 80 वोल्ट
(B) 160 वोल्ट
(C) 640 वोल्ट
(D) 320 वोल्ट
उत्तर:
(B) 160 वोल्ट
Vबडी = n2/3 Vछेटी
Vबडी = (64)2/3 × 10
Vबडी = (43)2/3 × 10
Vबडी = 160 वोल्ट
RBSE Class 12 Physics Chapter 3 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
विद्युत विभव अदिश राशि है अथवा सदिश राशि बताइये।
उत्तर:
अदिश राशि।
प्रश्न 2.
विद्युत विभव की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
परीक्षण एकांक धनावेश की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन किये बिना उसे अनन्त से विद्युत क्षेत्र के निश्चित बिन्दु तक बाहरी स्रोत द्वारा लाने में किया गया कार्य।
प्रश्न 3.
क्या दो समविभव पृष्ठ एक दूसरे को काट सकते हैं ?
उत्तर:
नहीं; क्योंकि यदि ऐसा होगा तो कटान बिन्दु पर विद्युत विभव के दो मान होंगे जो सम्भव नहीं है।
प्रश्न 4.
किसी आवेश के कारण अनन्त पर विभव कितना है ?
उत्तर:
V = KQ/r, r → ∞
V = 0
प्रश्न 5.
क्या निर्वात् में किसी बिन्दु पर विद्युत विभव शून्य हो सकता है जबकि उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र शून्य नहीं है ? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
हाँ सम्भव है।
उदाहरण-
(i) विद्युत द्विध्रुव को मिलाने वाली रेखा के मध्य बिन्दु पर।
(ii) विद्युत द्विध्रुव के निरक्ष पर।
प्रश्न 6.
क्या किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र शून्य हो सकता है जबकि उस बिन्दु पर विद्युत विभव शून्य न हो। उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
हाँ सम्भव है।
- आवेशित गोलीय कोश व आवेशित चालक के अन्दर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है परन्तु विद्युत विभव नहीं।
- समान परिमाण के सजातीय आवेशों को मिलाने वाली रेखा के मध्य बिन्दु पर होता है।
प्रश्न 7.
एक समविभव पृष्ठ पर परस्पर 10 सेमी. दूर स्थित बिन्दुओं के मध्य 200μC आवेश को ले जाने में कितना कार्य करना पड़ेगा ?
उत्तर:
W = q0 [VB – VA]
समविभव पृष्ठ पर
VB = VA
W = 0
प्रश्न 8.
निम्नलिखित के कारण समविभव पृष्ठों की आकृति क्या होती है
(अ) बिन्दु आवेशों के कारण
(ब) एक समान विद्युत क्षेत्र के कारण ?
उत्तर:
(अ)
समविभव पृष्ठ संकेन्द्रीय गोलों के रूप में है।
(ब)
विद्युत क्षेत्र के लम्बवत् समान्तर समतल पृष्ठ।
प्रश्न 9.
जब कोई विद्युत द्विध्रुव किसी विद्युत क्षेत्र के समान्तर रखा जाता है तो इसकी विद्युत स्थितिज ऊर्जा क्या होगी ?
उत्तर;
U = -PE cosθ
θ = 0, cos (0) = 1
U = -pE
प्रश्न 10.
एक 10cm त्रिज्या के चालक गोले को आवेशित करने पर उसकी सतह पर 15V विभव है। इसके केन्द्र पर विभव कितना होगा ?
उत्तर:
चालक गोले को आवेशित करने पर इसकी सतह व अन्दर विद्युत विभव समान होंगे अतः केन्द्र पर विद्युत विभव 15 वोल्ट है।
प्रश्न 11.
एक 5cm त्रिज्या के समरूप आवेशित अचालक गोले की सतह पर 10 वोल्ट विभव है। इसके केन्द्र पर विभव कितना होगा ?
उत्तर:
Vकेन्द्र = 3/2 Vपृष्ठ
Vकेन्द्र = 3/2 × 10
V = 15 वोल्ट
प्रश्न 12.
निर्वात में किसी बिन्दु (x, y, z) (सभी मीटर में) पर विद्युत विभव V = 2x2 वोल्ट है। (1m, 2m, 3m) पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करो।
उत्तर:
प्रश्न 13.
दो बिन्दु आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा का | व्यंजक लिखो।
उत्तर:
प्रश्न 14.
तीन बिन्दु आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक लिखो ?
उत्तर:
प्रश्न 15.
विभव प्रवणता का मात्रक लिखो।
उत्तर:
प्रश्न 16.
एक इलेक्ट्रॉन को दो बिन्दुओं के मध्य जिनमें विभवान्तर 20v है, ले जाने में कितना कार्य करना पड़ेगा ?
उत्तर:
W = q0V
W = 1.6 × 10-19 × 20
W = 32 × 10-19J
प्रश्न 17.
किसी बिन्दु आवेश के कारण किसी बिन्दु पर निर्वात् में | विद्युत विभव 10 वोल्ट है। यदि बिन्दु के चारों ओर 2 परावैद्युतांक वाला पदार्थ रख दिया जाये तब विद्युत विभव क्या होगा ?
उत्तर:
प्रश्न 18.
विद्युत द्विध्रुव को बाहरी समरूप विद्युत क्षेत्र E में शून्य (0°) से 180° तक घुमाने में किये गये कार्य का मान लिखो।
उत्तर:
W = pE [cos θ1 – cos θ2]
θ1 = 0°
θ2 = 180°
W = pE [cos 0°- cos 180°]
W = pE [1 – (-1)]
W = pE[2]
W = 2pE J.
प्रश्न 19.
पृथ्वी का विद्युत विभव कितना माना जाता है ?
उत्तर:
शून्य माना जाता है।
प्रश्न 20.
यदि विभव फलन V = (4x + 3y) वोल्ट हो तो (2, 1) बिन्दु (सभी मीटर में) पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का परिमाण ज्ञात करो।
उत्तर:
RBSE Class 12 Physics Chapter 3 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
विद्युत विभव किसे कहते हैं ? इसका सूत्र एवं मात्रक लिखो।
उत्तर:
किसी बिन्दु पर बिन्दु आवेश के कारण विद्युत् विभव (Electric Potential at a Point due to Point Charge)
विद्युत् विभव की परिभाषा के अनुसार किसी बिन्दु पर विद्युत् विभव ज्ञात करने के लिए एकांक धनावेश को अनन्त से उस बिन्दु तक लाने में कृत कार्य ज्ञात करना होता है।
माना एक बिन्दु आवेश +q बिन्दु O पर रखा है और इससे r दूरी पर । स्थित बिन्दु P पर विद्युत् विभव ज्ञात करना है। इसके लिए एकांक धनावेश को अनन्त (infinite) से P बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य ज्ञात करना होगा और यह कार्य ज्ञात करने के लिए बिन्दु P के आगे OP
दिशा में ही एक अन्य बिन्दु A चुन लेते हैं जिसकी O बिन्दु से दूरी x है। इस बिन्दु A पर धंन परीक्षण आवेश (+qo) पर लगने वाला विद्युत बल
F = 1/4πε0 qq0/x2
इस बल के विरुद्ध परीक्षण आवेश को dr विस्थापन देने में कृत कार्य
अतः +qo आवेश को अनन्त से P बिन्दु तक लाने में कृत कार्य
प्रश्न 2.
सिद्ध कीजिये कि आवेशित गोलीय कोश के अन्दर विभव का मान उतना ही है जितना पृष्ठ पर।
उत्तर:
प्रश्न 3.
समविभव पृष्ठ किसे कहते हैं ? बिन्दु आवेश के कारण समविभव पृष्ठ बनाइये।
उत्तर:
समविभव पृष्ठ (Equipotential Surface)
“ऐसा पृष्ठ जिसके प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत् विभव का मान समान होता है, समविभव पृष्ठ कहलाता है।”
समविभव पृष्ठ की विशेषताएँ- विभवान्तर की परिभाषा के अनुसार किन्हीं दो बिन्दुओं के मध्य विभवान्तर उस कार्य के बराबर होता है जो एकांक धनावेश को निम्न विभव के बिन्दु से उच्च विभव के बिन्दु तक ले जाने में करना पड़ता है अर्थात् A व B बिन्दुओं के मध्य विभवान्तर
VB – VA = WAB
यदि A व B दोनों बिन्दु एक समविभव पृष्ठ पर स्थित हैं, तो VB = VA
WAB = VB – VA = 0
अर्थात् “समविभव पृष्ठ पर किन्हीं दो बिन्दुओं के मध्य परीक्षण आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में कोई कार्य नहीं किया जाता है।” समविभव पृष्ठ के किन्हीं भी दो बिन्दुओं के बीच कोई विभवान्तर नहीं होता।
एकांक धनावेश को किसी समविभव पृष्ठ पर एक सूक्ष्म विस्थापन al देने में किया गया कार्य
dW = ⋅ = E dl cos θ = 0
∴ cos θ = 0 ⇒ θ = 90° अर्थात् ⊥
स्पष्ट है कि विद्युत् क्षेत्र सदैव समविभव पृष्ठ के लम्बवत् होता है। एक बिन्दु आवेश के कारण इससे । दूरी पर उत्पन्न विभव
V = 1/4πε0 q/r ………….. (1)
स्पष्ट है कि यदि का मान नियत हो जाये, तो V का मान भी नियत (constant) हो जायेगा।
प्रश्न 4.
तीन बिन्दु आवेशों से निर्मित किसी तन्त्र की विद्युत स्थितिज ऊर्जा ज्ञात करो।
उत्तर:
(i) अनन्त से q2 आवेश को बिन्दु A तक लाते हैं तो किया गया कार्य
W1 = 0
(ii) अनन्त से q2 आवेश को बिन्दु B तक लाते हैं तो किया गया कार्य
(iii) अनन्त से q3 आवेश को बिन्दु C लाते हैं तो किया गया कार्य
समीकरण (i), (ii) व (i) को जोड़ने पर
तीनों आवेशों के निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा किया गया कार्य होगा
प्रश्न 5.
आवेशित चालक के पूर्ण आयतन में स्थिर विद्युत विभव उसके पृष्ठ पर स्थिर विद्युत विभव के तुल्य होता है, क्यों ?
उत्तर:
आवेशित चालक के अन्दर पूर्ण आयतन में विद्युत क्षेत्र शून्य है।
E = −dV/dr
E = 0 ⇒ V = नियत {सम्पूर्ण आयतन में विद्युत विभव समान है।}
यदि चालक के अन्दर किसी भी बिन्दु से परीक्षण आवेश को उस बिन्दु से चालक पृष्ठ के किसी भी बिन्दु तक लाते हैं तो लाने में किया गया कार्य शून्य होगा।
W = q0 (VB – VA)
VB – VA = 0
VA = VB
अत: उन दोनों बिन्दुओं का विद्युत विभव समान होगा।
नोट-चालक पृष्ठ समविभव पृष्ठ होता है तथा चालक के अन्दर सम्पूर्ण आयतन में विभव समान रहता है अतः स्पष्ट है। चालक के अन्दर सम्पूर्ण आयतन में तथा चालक पृष्ठ पर विभव समान होगा।
प्रश्न 6.
विद्युत विभव एवं विद्युत क्षेत्र की तीव्रता में सम्बन्ध स्थापित करो।
उत्तर:
प्रश्न 7.
समरूप विद्युत क्षेत्र में विद्युत द्विध्रुव को घुमाने में किये गये कार्य का व्यंजक व्युत्पन्न करो।
उत्तर:
एकसमान वैद्युत क्षेत्र में विद्युत द्विधुव को घुमाते में किया गया कार्य (Work Done in Rotating Electric Dipole in an Uniform Electric Field)
यदि कोई विद्युत द्विध्रुव समरूप विद्युत क्षेत्र में क्षेत्र के साथ 6 विक्षेप की स्थिति में रखा है तो उस पर लगने वाले बलयुग्म का आघूर्ण
τ = pE sin θ
इस स्थिति से dθ कोंणीय विस्थापन (angular displacement) देने में किया गया कार्य
dW = τdθ
प्रश्न 8.
प्रदर्शित कीजिये कि समविभव पृष्ठ पर किसी परीक्षण आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में कोई कार्य नहीं करना पड़ता है।
उत्तर:
समविभव पृष्ठ (Equipotential Surface)
“ऐसा पृष्ठ जिसके प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत् विभव का मान समान होता है, समविभव पृष्ठ कहलाता है।”
समविभव पृष्ठ की विशेषताएँ- विभवान्तर की परिभाषा के अनुसार किन्हीं दो बिन्दुओं के मध्य विभवान्तर उस कार्य के बराबर होता है जो एकांक धनावेश को निम्न विभव के बिन्दु से उच्च विभव के बिन्दु तक ले जाने में करना पड़ता है अर्थात् A व B बिन्दुओं के मध्य विभवान्तर
VB – VA = WAB
यदि A व B दोनों बिन्दु एक समविभव पृष्ठ पर स्थित हैं, तो VB = VA
WAB = VB – VA = 0
अर्थात् “समविभव पृष्ठ पर किन्हीं दो बिन्दुओं के मध्य परीक्षण आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में कोई कार्य नहीं किया जाता है।” समविभव पृष्ठ के किन्हीं भी दो बिन्दुओं के बीच कोई विभवान्तर नहीं होता।
एकांक धनावेश को किसी समविभव पृष्ठ पर एक सूक्ष्म विस्थापन al देने में किया गया कार्य
dW = ⋅ = E dl cos θ = 0
∴ cos θ = 0 ⇒ θ = 90° अर्थात् ⊥
स्पष्ट है कि विद्युत् क्षेत्र सदैव समविभव पृष्ठ के लम्बवत् होता है। एक बिन्दु आवेश के कारण इससे । दूरी पर उत्पन्न विभव
V = 1/4πε0 q/r ………….. (1)
स्पष्ट है कि यदि का मान नियत हो जाये, तो V का मान भी नियत (constant) हो जायेगा।
प्रश्न 9.
विद्युत स्थितिज ऊर्जा से क्या तात्पर्य है ? आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक उत्पन्न करो।
उत्तर:
दो से अधिक आवेशों के निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा– n आवेशों के निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा उस कार्य के बराबर होती है जो निकाय के सभी आवेशों को अनन्त से उनकी स्थिति तक लाने में करना पड़ता है।
पहले आवेश q1 को अनन्त से उसकी स्थिति P1 तक लाने में कोई कार्य नहीं करना पड़ेगा क्योंकि शेष सभी आवेश अनन्त पर होंगे, अत: पहले आवेश के आने का विरोध नहीं होगा।
∴ W1 = 0
जब दूसरा आवेश q2 उसकी स्थिति P2 2→ तक लाते हैं, तो पहला आवेश q1 उसके आने का विरोध करेगा। अत: q2 को लाने में कृत कार्य
W2 = (q1) के कारण P2 स्थिति में विभव) × q2
=1/4πε0 q1/r12 q2=1/4πε0 q1q2/r12
जब तीसरा आवेश q3 अनन्त से P3 3 तक लाते हैं, तो कृत कार्य
इसी प्रकार चौथे आवेश q4 को P4 4 स्तिथि तक लाने में कृत कार्य
इसी प्रकार अन्य आवेशों को लाने में कृत कार्य ज्ञात करके उन्हें जोड़ने पर,
इस योग को ज्ञात करने में हमें आवेशों के प्रत्येक युग्म का एक बार ही प्रयोग करना पड़ता है अतः उक्त समीकरण को निम्न प्रकार लिख सकते हैं
यहाँ 1/2 का गुणा इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि इस योग में आवेशों के प्रत्येक युग्म को दो बार लेते हैं। उदाहरण के लिए जब j = 1, k = 2 और j = 2, k = 1, लेने पर आवेशों का एक ही युग्म दो बार (q1q2 और q2q1) आता है। हमें एक युग्म केवल एक ही बार प्रयोग करना है, अतः 1/2 का प्रयोग अत्यन्त आवश्यक है।
प्रश्न 10.
बाह्य विद्युत क्षेत्र में विद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक ज्ञात करो।
उत्तर:
बाह्य क्षेत्र में किसी विद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy of an Electric Dipole in External Electric Field)
“विद्युत क्षेत्र में किसी विद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा उस कार्य के तुल्य है जो द्विध्रुव के अनन्त से उस स्थिति तक लाने में करना पड़ता है।”
या
“विद्युत क्षेत्र में शुन्य ऊर्जा की स्थिति से किसी स्थिति विशेष तक द्विध्रुव को ले जाने में अर्थात् घुमाने में किया गया कार्य उस स्थिति में द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा के बराबर होता है।”
चित्र 3.32 से स्पष्ट है जब विद्युत द्विध्रुव को अनन्त से विद्युत क्षेत्र में लाया जाता है तो +q पर बाहरी स्रोत तथा -q पर विद्युत क्षेत्र कार्य करता है। यहाँ -q चूँकि 2l दूरी अधिक तय करता है अतः -q पर विद्युत क्षेत्र द्वारा किया गया अतिरिक्त कार्य
W = {(-q) पर बल} {2l}
W =-qE (2l) [विद्युत द्विध्रुव अघूर्ण p = q × 2l]
W = -(q × 2l) E
W = -pE यह कार्य विद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा है। U1 = – pE यहाँ द्विध्रुव विद्युत क्षेत्र के समान्तर है।
यदि अनन्त से द्विध्रुव को इस प्रकार लाया जाता कि वह विद्युत क्षेत्र से कोंण θ पर स्थित होता तो इस स्थिति पर विचार करने के लिये, द्विध्रुव को विद्युत क्षेत्र के समान्तर स्थिति से θ कोंण घुमाने पर किये गये अतिरिक्त कार्य पर विचार करते हैं यह कार्य W2 है।
W2 = pE (cos θ1 – cos θ2)
W2 =pE [cos (0)-cos (θ)]
θ1 = 0 समान्तर स्थिति θ2 = 0]
W2 = pE [1 – cos (θ)]
यह कार्य द्विध्रुव की अतिरिक्त विद्युत स्थितिज ऊर्जा U2 लेते हैं।
U2 = pE [1 – cos θ]
विद्युत क्षेत्र में θ कोंण पर स्थित विद्युत द्विध्रुव की वास्तविक स्थितिज ऊर्जा
U = U1 + U2
U = -pE + pE (1 – cosθ)
U = -pE + pE – pE cos (θ)
U = -pE cos (θ)
सदिश रूप में | U = −
प्रश्न 11.
समरूप बाह्य विद्युत क्षेत्र में 1 व 2 स्थिति सदिश पर रखे बिन्दु आवेशों q1 व q2 के स्थिर विद्युत स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक ज्ञात करो।
उत्तर:
माना दो आवेश q1 तथा q2 किसी बाह्य विद्युत् क्षेत्र में क्रमशः 1 व 2 स्थितियों पर स्थित हैं। हमें इस बाह्य क्षेत्र (external field) में दोनों आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा ज्ञात करनी है। इसके लिए सर्वप्रथम हम आवेश q1 को अनन्त से 1 तक लाते हैं, इस चरण (step) में किया गया कार्य q1V( 1) है।
अब आवेश q2 को 2 तक लाने में किए जाने वाले कार्य पर विचार करते हैं। इस चरण में केवल बाह्य क्षेत्र E के विरुद्ध ही नहीं कार्य होता, बल्कि q2 के कारण क्षेत्र के विरुद्ध भी कार्य करना होता है। अतः q2 पर बाह्य क्षेत्र (external field) के विरुद्ध किया गया कार्य =q2V ( 2) आवेश q2 पर q1 के कारण क्षेत्र के विरुद्ध किया गया कार्य
क्षेत्रों के लिए अध्यारोपण सिद्धान्त (principle of superposition) द्वारा हम q2 पर दो क्षेत्रों ( तथा q1 के कारण क्षेत्र) के विरुद्ध किए गए कार्यों को जोड़ते हैं, अतः
q2 को 2 तक लाने में किया गया कार्य
प्रश्न 12.
समविभव पृष्ठ के दो गुण लिखो।
उत्तर:
समविभव पृष्ठ के गुणधर्म (Properties of Equipotential Surface )
- समविभव पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विभव समान होता है। अतः समविभव पृष्ठ पर किसी बिन्दु आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किया गया कार्य शून्य होता है।
- विद्युत क्षेत्र की दिशा सदैव समविभव पृष्ठ के तल के लम्बवत् होती है।
- दो समविभव पृष्ठ परस्पर एक-दूसरे को नहीं काटते क्योंकि यदि काटेंगे तब कटान बिन्दु पर विद्युत विभव के दो मान होंगे जो सम्भव नहीं है।
- समविभव पृष्ठ प्रबल व दुर्बल विद्युत क्षेत्र के भाग को व्यक्त करता है।
- चालक सतह सदैव समविभव पृष्ठ होती है।
प्रश्न 13.
सिद्ध कीजिये कि किसी बिन्दु आवेश के चारों ओर । पराविद्युत माध्यम होने पर उसके कारण विद्युत विभव निर्वात की । तुलना में – गुना कम होता है।
उत्तर:
यदि बिन्दु आवेश निर्वात में स्थित है तो
+q आवेश से r दूरी पर विद्युत विभव V = 1/4πε0 q/r है यदि बिन्दु आवेश के चारों ओर εr परावैद्युतांक का परावैद्युत माध्यम है तो P पर विद्युत विभवे
प्रश्न 14.
सिद्ध कीजिये की समरूप आवेशित अचालक गोले के केन्द्र पर विद्युत विभव उसकी सतह पर विद्युत विभव की तुलना में 1.5 गुना होता है।
उत्तर:
अचालक गोले के अन्दर स्थित बिन्दु (r < R) पर विद्युत विभव
अनन्त से परीक्षण एकांक धनावेश को P तक लाते हैं तो P पर विद्युत विभव अनन्त व बिन्दु P के मध्य के विद्युत क्षेत्र की तीव्रता के रेखीय समाकलन के ऋणात्मक मान के समान है।
प्रश्न 15.
10μC तथा 5μC के दो आवेश परस्पर 1m दूरी पर स्थित हैं। इन आवेशों के मध्य दूरी 0.5m करने के लिये कितना कार्य करना पड़ेगा ?
उत्तर:
प्रश्न 16.
विद्युत विभवान्तर की परिभाषा दीजिये। विद्युत विभवान्तर एवं विद्युत विभव में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
स्थिर विद्युत तिशत त। विवान्तर (Electrostatic Potential and Potential Difference)
चित्र 3.1 में दिखाया गया है कि आवेशों के एक विन्यास के कारण उत्पन्न विद्युत् क्षेत्र में किसी परीक्षण आवेश (+q0) को बिन्दु A से B
तक ले जाने में कृत कार्य केवल प्रारम्भिक एवं अन्तिम बिन्दुओं की। स्थिति पर निर्भर करता है, इस बात पर नहीं कि परीक्षण आवेश को किस मार्ग से ले जाया गया है अर्थात् कृत कार्य मार्ग पर निर्भर नहीं करता है।
यदि बिन्दुओं A व B पर विद्युत् विभव क्रमशः VA व VB हों, तो उनके मध्य विभवान्तर की परिभाषा निम्न प्रकार से की जायेगी
VB – VA = WAB/q0 ………….(1)
जहाँ WAB = +q0 को A से B तक ले जाने में बाहरी स्रोत । द्वारा किया गया कार्य है।
WAB = UB – UA = ∆U
स्थिर विद्युत क्षेत्र में परीक्षण एकांक धनावेश की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन किये बिना उसे एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में बाहरी स्रोत द्वारा किया गया कार्य उन दोनों बिन्दुओं के मध्य का विद्युत विभवान्तर कहलाता है।
“अर्थात् एकांक बनावे (unit positive eisarge) को यदि एक बिन्दु से भो बिन्दु तक ले जाने में न कार्य 1 J हो, तो उन बिन्दुओं के मध्ये विविन्दर 1 V हो”
यदि जिन्दु A को बिन्दु B से दूर कर जायें तो का म; घटता जा और अनन्त पर शून्य हो जाये!! अत: यदि अन्दु A अन पर है, तो
VA = 0)
विद्युत विभव
परीक्षण एकांक धनावेश की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन किये बिना उसे अनन्त से विद्युत क्षेत्र के निश्चित बिन्दु तक ले जाने में बाहरी स्रोत द्वारा किया गया कार्य उस बिन्दु का विद्युत विभव कहलाता है।
मात्रक एवं विमीय सूत्र-किसी बिन्दु पर विद्युत् विभव
यदि q0 = + 1 C, W = 1J, तो V= 1 वोल्ट
अर्थात् यदि +1C आवेश को अनन्त से किसी बिन्दु तक लाने में 1J कार्य करना पड़ता है, तो उस बिन्दु पर विद्युत् विभव 1 वोल्ट होता है।”
• विमीय सूत्र के लिए
RBSE Class 12 Physics Chapter 3 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
किसी बिन्दु आवेश के कारण किसी बिन्दु पर विद्युत भिव का व्यंजक व्युत्पन्न कीजिये।
उत्तर:
किसी बिन्दु पर बिन्दु आवेश के कारण विद्युत् विभव (Electric Potential at a Point due to Point Charge)
विद्युत् विभव की परिभाषा के अनुसार किसी बिन्दु पर विद्युत् विभव ज्ञात करने के लिए एकांक धनावेश को अनन्त से उस बिन्दु तक लाने में कृत कार्य ज्ञात करना होता है।
माना एक बिन्दु आवेश +q बिन्दु O पर रखा है और इससे r दूरी पर । स्थित बिन्दु P पर विद्युत् विभव ज्ञात करना है। इसके लिए एकांक धनावेश को अनन्त (infinite) से P बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य ज्ञात करना होगा और यह कार्य ज्ञात करने के लिए बिन्दु P के आगे OP
दिशा में ही एक अन्य बिन्दु A चुन लेते हैं जिसकी O बिन्दु से दूरी x है। इस बिन्दु A पर धंन परीक्षण आवेश (+qo) पर लगने वाला विद्युत बल
F = 1/4πε0 qq0/x2
इस बल के विरुद्ध परीक्षण आवेश को dr विस्थापन देने में कृत कार्य
अतः +qo आवेश को अनन्त से P बिन्दु तक लाने में कृत कार्य
प्रश्न 2.
किसी विद्युत द्विध्रुव के कारण किसी बिन्दु (r, o) पर विद्युत विभवे का व्यंजक व्युत्पन्न कीजिये। सिद्ध कीजिये कि अक्ष पर स्थित बिन्दु पर विद्युत विभव अधिकतम तथा निरक्ष पर विद्युत विभव शून्य होता है।
उत्तर:
प्रश्न 3.
आवेशित गोलीय कोश द्वारा इसके बाहर पृष्ठ पर तथा अन्दर स्थित बिन्दुओं के लिये विभव के सूत्र व्युत्पन्न कीजिये। दूरी के साथ विभव में परिवर्तन का आलेख खींचिये।
उत्तर:
विद्युत विभाव का परिकलन (Calculation of Electric Potential)
आवेशित गोलीय कोश के कारण विद्युत विभव (Electric Potential due to charged spherical shell)
गोलीय कोश के बाहर स्थित बिन्दु पर विद्युत : विभव अनन्त से परीक्षण एकांक धनावेश को P बिन्दु तक लाते हैं तो P पर विद्युत विभव अनन्त व P के मध्य के विद्युत क्षेत्र की तीव्रता के रेखीय समाकलन के ऋणात्मक मान के समान होता है।
प्रश्न 4.
आवेशित अचालक गोले के द्वारा इसके बाहर, पृष्ठ तथा अन्दर स्थित बिन्दुओं के लिये विभव या सूत्र व्युत्पन्न कीजिये।
उत्तर:
आवेशित अचालक गोले के कारण विद्युत विभुः
(Electric Potential due to Charged Non Conducting Sphere)
(अ) अचालक गोले के बाहर स्थित बिन्दु (r> R) पर विभ अनन्त से परीक्षण एकांक धनावेश के बिन्दु P तक लाते हैं।
बिन्दु P पर विद्युत विभव अनन्त व P बिन्दु के मध्य के विद्युत क्षे | की तीव्रता के रेखीय समाकलन के ऋणात्मक मान के समान है।
प्रश्न 5.
विद्युत स्थितिज ऊर्जा की परिभाषित कीजिये। एक समान विद्युत क्षेत्र में किसी द्विध्रुव की विद्युत स्थितिज ऊर्जा को व्यंजक प्राप्त कीजिये। स्थाई एवं अस्थाई सन्तुलन की अवस्थायें किन स्थितियों में प्राप्त होगी?
उत्तर:
आवेश समूह की विद्युत स्थितिज ऊर्जा (Electric Potential Energy of a Group of Charges)
किन्हीं दो अथवा दो से अधिक आवेशों को अनन्त से एक-दूसरे के समीप लाकर निकाय की रचना करने में किया गया कार्य उन आवेशों से बने निकाय (System) में स्थितिज ऊर्जा के रूप में एकत्र हो जाता है। इस संचित (stored) ऊर्जा को ही निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा कहते हैं। इसे U से व्यक्त करते हैं।
अत: “दो या दो से अधिक बिन्दु आवेशों के किसी निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा उस कार्य के बराबर होती है जो उन आवेशों को अनन्त से परस्पर निकट लाकर निकाय की रचना करने में किया जाता है।”
(a) दो आवेशों के निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा-माना दो आवेशों के निकाय में q1 व q2 आवेश दूरी पर क्रमश: A व B पर स्थित हैं (चित्र 3.28)
+ q1 के कारण बिन्दु B पर उत्पन्न विभव
चूँकि किसी बिन्दु पर विद्युत् विभव उस कार्य के बराबर होता है। जो एकांक धनावेश को अनन्त से उस बिन्दु तक लाने में करना पड़ता है।
अतः + q2 आवेश को अनन्त से B बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य अर्थात् दोनों आवेशों के निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा
यदि दोनों आवेश समान प्रकृति (equal nature) के हैं, तो U का मान धनात्मक होगा और यदि एक आवेश धनात्मक एवं दूसरा ऋणात्मक है, तो U का मान ऋणात्मक होगा, अतः U का मान निकालते समय आवेशों के मान चिह्न सहित (proper sign) रखने चाहिए।
बाह्य क्षेत्र में किसी विद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy of an Electric Dipole in External Electric Field)
“विद्युत क्षेत्र में किसी विद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा उस कार्य के तुल्य है जो द्विध्रुव के अनन्त से उस स्थिति तक लाने में करना पड़ता है।”
या
“विद्युत क्षेत्र में शुन्य ऊर्जा की स्थिति से किसी स्थिति विशेष तक द्विध्रुव को ले जाने में अर्थात् घुमाने में किया गया कार्य उस स्थिति में द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा के बराबर होता है।”
चित्र 3.32 से स्पष्ट है जब विद्युत द्विध्रुव को अनन्त से विद्युत क्षेत्र में लाया जाता है तो +q पर बाहरी स्रोत तथा -q पर विद्युत क्षेत्र कार्य करता है। यहाँ -q चूँकि 2l दूरी अधिक तय करता है अतः -q पर विद्युत क्षेत्र द्वारा किया गया अतिरिक्त कार्य
W = {(-q) पर बल} {2l}
W =-qE (2l [विद्युत द्विध्रुव अघूर्ण p = q × 2l]
W = -(q × 2l) E
W = -pE यह कार्य विद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा है। U1 = – pE यहाँ द्विध्रुव विद्युत क्षेत्र के समान्तर है।
यदि अनन्त से द्विध्रुव को इस प्रकार लाया जाता कि वह विद्युत क्षेत्र से कोंण θ पर स्थित होता तो इस स्थिति पर विचार करने के लिये, द्विध्रुव को विद्युत क्षेत्र के समान्तर स्थिति से θ कोंण घुमाने पर किये गये अतिरिक्त कार्य पर विचार करते हैं यह कार्य W2 है।
W2 = pE (cos θ1 – cos θ2)
W2 = pE [cos (0)-cos (θ)]
θ1 = 0 समान्तर स्थिति θ2 = 0]
W2 = pE [1 – cos (θ)]
यह कार्य द्विध्रुव की अतिरिक्त विद्युत स्थितिज ऊर्जा U2 लेते हैं।
U2 = pE [1 – cos θ]
विद्युत क्षेत्र में θ कोंण पर स्थित विद्युत द्विध्रुव की वास्तविक स्थितिज ऊर्जा
U = U1 + U2
U = -pE + pE (1 – cosθ)
U = -pE + pE – pE cos (θ)
U = -pE cos (θ)
सदिश रूप में | U = −
RBSE Class 12 Physics Chapter 3 आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
दो बिन्दुओं के मध्य 3C आवेश को ले जाने में 6 जूल कार्य करना पड़ता है। इन बिन्दुओं के मध्य विद्युत विभवान्तर ज्ञात कीजिये।
हल:
A व B के मध्य विभवान्तर
प्रश्न 2.
यदि दो बिन्दुओं A तथा B पर विद्युत विभव क्रमश: 2v तथा 4V है तब 8μC के बिन्दु आवेश को बिन्दु A से बिन्दु B तक ले जाने में कितना कार्य करना होगा ?
हल:
q0 = 8μC
q0 = 8 × 10-6C.
अतः A व B के बीच विभवान्तर
प्रश्न 3.
√2m भुजा के वर्ग के कोनों पर 100μC, -50μC, 20μC तथा – 60μC के चार आवेश क्रमशः रखे हैं। वर्ग के केन्द्र पर विद्युत विभव ज्ञात करो।
हल:
चित्रानुसार
प्रश्न 4.
3 × 10-6C तथा -2 × 10-8C के दो आवेश परस्पर 15cm | दूर है। इन दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के किस बिन्दु पर विद्युत विभव शून्य होगा? अनन्त पर विद्युत विभव शून्य मान लो।
हल:
विजातीय आवेशों को एक रेखा पर निश्चित दूरी पर रखने पर कम परिमाण के आवेश के दोनों ओर (बायीं ओर व दायीं ओर) एक-एक बिन्दु ऐसा होगा जहाँ निकाय का नेट विभव शून्य होगा। बिन्दु P पर
प्रश्न 5.
एक वर्ग की प्रत्येक भुजा 0.9m लम्बी है। इसके कोनों पर क्रमशः -2μC, +3μC, -4μC तथा +5uC आवेश रखे हैं। वर्ग के केन्द्र पर विद्युत विभव ज्ञात करो।
हल:
प्रश्न 6.
10 cm भुजा के समषट्भुज के प्रत्येक शीर्ष पर 5C का आवेश है समषट्भुज के केन्द्र पर विद्युत विभव ज्ञात करो।।
हल:
षट्भुज की ज्यामितीय (geometrical) संरचना से स्पष्ट हो जाता है कि सम-षट्भुज के केन्द्र 0 से प्रत्येक शीर्ष की दूरी षट्भुज की भुजा के बराबर होती है।
प्रश्न 7.
2√2cm भुजा वाले वर्ग ABCD के प्रत्येक कोने पर 2uC के आवेश रखे गये है। वर्ग के केन्द्र पर विद्युत विभव की गणना करो।
हल:
q1 = q2 = q3 = q4 = 2μC = 2 × 10-6C
a = 2√2cm = 2√2 × 10-2m
प्रश्न 8.
किसी समबाहु त्रिभुज की भुजा 100 सेमी. है। इसके तीनों कोनों पर क्रमशः 1μC, 2μC तथा 3μC आवेश रखे हैं। त्रिभुज के तीनों कोनों से समान दूरी (केन्द्र) पर स्थित बिन्दु पर विभव की | गणना कीजिये।
हल:
दिया है- h = 100 सेमी. = 100 × 10-2 मी., r का मान ज्ञात करने के लिये AB पर अभिलम्ब OD की रचना की। ∆ODB में
प्रश्न 9.
एक विद्युत द्विध्रुव के आवेशों -1μC तथा + 1μC के मध्य दूरी 4 × 10-14m है। द्विध्रुव के केन्द्र से 2 × 10-6 m दूरी पर स्थित किसी अक्षीय बिन्दु पर विभव ज्ञात करो।
हल:
प्रश्न 10.
(अ) आवेश 4 × 10-7C के कारण इससे 9cm दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर विभव ज्ञात करो।
(ब) अब आवेश 2 × 10-9C को अनन्त से इस बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य ज्ञात करो। क्या यह कार्य उस पथ पर निर्भर करता है, जिसके अनुदिश उसे लाया गया है ?
हल:
(अ) बिन्दु P पर विभव
= 9 × 10Nm-CX 0.09 m
=4 × 104V
(ब) आवेश 2 × 10-9C को अनन्त से बिन्दु P तक लाने में किया गया कार्य
W = qV
= 2 × 10-9C × 4 × 104V
= 8 × 105J
कार्य जिस पथ के अनुदिश आवेश को लाया गया है उस पर निर्भर नहीं करता है।
प्रश्न 11.
30μC का आवेश x – y निर्देश तन्त्र के मूल बिन्दु पर स्थित है। a/√2,a/√2 तथा (a, 0) बिन्दुओं के मध्य विभवान्तर ज्ञात करो
हल:
VB – VA = kq/a−kq/a
VB – VA = 0
विभवान्तर = 0
प्रश्न 12.
तीन आवेश -q, +q तथा +q क्रमशः X – Y तल में (0, a), (0, 0) तथा (0,-a) बिन्दुओं पर स्थित है। अक्ष से 6 कोंण बनाने वाली रेखा पर r दूरी पर सिद्ध कीजिये कि विभव v निम्न होगा
हल:
यहाँ (0, a) तथा (0, – a) पर स्थित आवेश क्रमशः -q तथा +q आवेश विद्युत द्विध्रुव का निर्माण करते हैं अत: बिन्दु P पर इस द्विध्रुव के । कारण विद्युत विभव V2 है।
प्रश्न 13.
आवेशों +q, + 2q तथा + 4q को a मीटर भुजा वाले समबाहु त्रिभुज के कोनों पर रखने पर कितना कार्य करना पड़ेगा ?
हल:
प्रश्न 14.
(अ) दो आवेशों + 7μC तथा – 2μC जो क्रमशः (-9cm, 0, 0) तथा (+ 9cm, 0, 0) पर स्थित है, के निकाय पर कोई बाह्य क्षेत्र आरोपित नहीं है। इस निकाय की स्थिर विद्युत स्थितिज ऊर्जा ज्ञात करो।
(ब) दोनों आवेशों को परस्पर अनन्त दूरी तक अलग करने के लिये कितना कार्य करना होगा ?
हल:
(ब) अनन्त पर स्थितिज ऊर्जा
U2 = 0 दी गई स्थिति में स्थितिज ऊर्जा
U1 = -0.7J
दोनों आवेशों को परस्पर अनन्त दूरी तक अलग करने के लिये कृत कार्य
W = U2 – U1
⇒ W = 0 – (-0.7)
W = 0.7J.
प्रश्न 15.
किसी विद्युत क्षेत्र में (x, y) बिन्दु पर विद्युत विभव का मान निम्न है
V = 6xy + y2 – x2
इस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र के मान का परिकलन कीजिये।
हल:
प्रश्न 16.
0.2m त्रिज्या के खोखले धातु के गोले को + 15μC को आवेश दिया जाता है। ज्ञात कीजिये (i) गोले के पृष्ठ पर विद्युत विभव (ii) गोले के केन्द्र पर विद्युत विभव (ii) गोले के केन्द्र से 0.1m दूरी पर विद्युत विभव (iv) गोले के केन्द्र से 0.3m दूरी पर विद्युत विभव।
हल:
(ii) गोले के केन्द्र पर
गोले के केन्द्र पर विद्युत विभव = गोले के पृष्ठ पर विद्युत विभव
V केन्द्र = 6.75 × 105 वोल्ट
(ii) गोले के केन्द्र से 0.1m दूरी पर|
आवेशित चालक गोले के पृष्ठ पर तथा अन्दर विद्युत विभव समान होता है।
V अन्दर = 6.75 × 105 वोल्ट
(iv) गोले के केन्द्र से 0.3m दूरी पर
प्रश्न 17.
r भुजा वाली समबाहु त्रिभुज के कोनों पर तीन बिन्दु आवेश + q, + 2q तथा xq रखे हैं। निकाय की स्थितिज ऊर्जा शून्य होने के लिये x का मान ज्ञात करो ?
हलः