RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 विद्युत धारा
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 विद्युत धारा
Rajasthan Board RBSE Class 12 Physics Chapter 5 विद्युत धारा
RBSE Class 12 Physics Chapter 5 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उत्तर
RBSE Class 12 Physics Chapter 5 बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
किसी चालक की प्रतिरोधकता एवं चालकता का गुणनफल निर्भर करता है
(अ) काट क्षेत्रफल पर
(ब) ताप पर
(स) लम्बाई पर
(द) किसी पर नहीं।
उत्तर:
(द) किसी पर नहीं।
प्रश्न 2.
दो समान आकार के तारों, जिनकी प्रतिरोधकता ρ1 एवं ρ2, है, को श्रेणीक्रम में जोड़ा गया है। संयोजन की तुल्य प्रतिरोधकता होगी
प्रश्न 3.
एक चालक प्रतिरोध को बैटरी से जोड़ा गया है। शीतलन प्रक्रिया से चालक के ताप को कम किया जाए तो प्रवाहित धारा का मान
(अ) बढ़ेगा।
(ब) घटेगा।
(स) स्थिर रहेगा।
(द) शून्य होगा
उत्तर:
(अ) बढ़ेगा।
चालक तार का प्रतिरोध (Rt) = R0 (1 + αΔt) के अनुसार प्रतिरोध
घटेगा जिसके कारण ओम के नियम I = V/R से धारा बढ़ेगी।
प्रश्न 4.
2.1V का एक सेल 0.2A की धारा देता है। यह धारी 10Ω के प्रतिरोध से गुजरती है। सेल को आन्तरिक प्रतिरोध है
(अ) 0.2Ω
(ब) 0.5Ω
(स) 0.8Ω
(द) 1.0Ω
उत्तर:
(ब) 0.5Ω
प्रश्न 5.
चित्र में दो भिन्न-भिन्न तापों पर एक चालक के V – I वक्रों को दर्शाया गया है। यदि इन तापों के संगत प्रतिरोध क्रमशः R1 एवं R2 हों तो निम्न में से कौन-सा कथन सत्य है?
(अ) T1 = T2
(ब) T1 > T2
(स) T1 < T2
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) T1 > T2
ग्राफ की प्रवणता, tan θ = 1/R=I/V लेकिन Rt =R0 (1 + ∝t) के अनुसार T1 > T2
प्रश्न 6.
एक नगर से विद्युत शक्ति को 150 किमी. दूर स्थित एक अन्य नगर तक ताँबे के तारों से भेजा जाता है। प्रति किलोमीटर विभवपात 8 वोल्ट है तथा प्रति किलोमीटर औसत प्रतिरोध 0.5Ω है, तो तार में शक्ति क्षय है
(अ) 19.2 वाट
(ब) 19.2 किलोवाट
(स) 19.2 वाट
(द) 12.2 किलोवाट
उत्तर:
(ब) 19.2 किलोवाट
प्रश्न 7.
R Ω के पाँच प्रतिरोध लिए गए। पहले तीन को समान्तर क्रम तथा बाद में इनके साथ दो प्रतिरोध को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है तब तुल्य प्रतिरोध होगा
(अ) 3/7 R Ω
(ब) 7/3 R Ω
(द) 7/8 R Ω
(स) 8/7 R Ω
उत्तर:
(ब) 7/3 R Ω
प्रश्न 8.
अपवाह वेग vd की विद्युत क्षेत्र E पर निम्नलिखित में से कौन-सी निर्भरता में ओम के नियम का पालन होता है ?
(अ) vd ∝ E2
(ब) vd ∝ E
(स) vd ∝ E1/2
(द) vd = स्थिरांक
उत्तर:
(ब) vd ∝ E
प्रश्न 9.
एक कार्बन प्रतिरोध पर क्रमशः नीला, पीला, लाल एवं चाँदी सा (Silver) वलय है। प्रतिरोधक का प्रतिरोध है
(अ) 64 × 102Ω
(ब) (64 × 102 ± 10%)Ω
(स) 642 × 104Ω
(द) (26 × 103 ± 5%)Ω
उत्तर:
(ब) (64 × 102 ± 10%)Ω
प्रश्न 10.
जब बैटरी से जुड़ा तार धारा के कारण गर्म हो जाता है, तो निम्नलिखित में से कौन-सी राशियाँ नहीं बदलती है
(अ) अपवाह वेग
(ब) प्रतिरोधकता
(स) प्रतिरोध
(द) मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या।
उत्तर:
(द) मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या।
मुक्त इलेक्ट्रॉन की संख्या ताप पर निर्भर नहीं करती है।
RBSE Class 12 Physics Chapter 5 अति लघूत्तरात्गक प्रश्न
प्रश्न 1.
दिए गए V – I ग्राफ से प्रतिरोधक के प्रतिरोध का मान ज्ञात करो।
उत्तर:
रेखा की प्रवणता (R) = tan θ = V/I=6/0.3
= 20Ω
प्रश्न 2.
धारा घनत्व का S.I. मात्रक लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
धातु की चालकता एवं धारा घनत्व में सम्बन्ध लिखो।
उत्तर:
धातु की चालकता निम्न सूत्र पर निर्भर करती है
J = σE
प्रश्न 4.
अन-ओमीय प्रतिरोधों के दो उदाहरण बताइये।
उत्तर:
डायोड तथा विद्युत अपघट्य ।
प्रश्न 5.
किसी धातु की प्रतिरोधकता की ताप पर निर्भरता बताइये।
उत्तर:
धातु की चालकता निम्न सूत्र पर निर्भर करती है।
ρ = ρ0 (1 + αΔt)
प्रश्न 6.
ऐसे दो पदार्थों के नाम लिखिए जिनकी प्रतिरोधकता ताप बढ़ने पर घटती है।
उत्तर:
जर्मेनियम तथा सिलीकॉन
प्रश्न 7.
40W 220V के बल्ब में प्रवाहित विद्युत धारा का मान लिखिए।
उत्तर:
P = VI ⇒ I = P/V=40/220
=0.1818 amp.
RBSE Class 12 Physics Chapter 5 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
एक चालक में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर उसमें कितना आवेश होता है ?
उत्तर:
एक चालक में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर वह आवेशित नहीं होता है अत: कुल आवेश शून्य होता है।
प्रश्न 2.
चित्र में एक ही धातु के चालकों की प्रतिरोधकता ρ1 एवं ρ0 × m है। ρ1 एवं ρ2 के अनुपात का मान लिखो।
उत्तर:
किसी पदार्थ की प्रतिरोधकता लम्बाई तथा अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करती है।
ρ1 : ρ12 = 1 : 1
प्रश्न 3.
चित्र में दो सर्वसम सेल जिनके वि.वा.बल समान हैं। तथा आन्तरिक प्रतिरोध नगण्य हैं, समान्तर क्रम में जुड़े हैं। प्रतिरोध R से प्रवाहित विद्युत धारा का मान क्या होगा।
उत्तर:
समान्तर क्रम में विभवान्तर समान होता है।
V = E, अत: प्रवाहित धारा I = V/R
I = E/R
प्रश्न 4.
सेल की टर्मिनल वोल्टता एवं विद्युत वाहक बल में अन्तर लिखो।
उत्तर:
सेल, विद्युत वाहक बल, टर्मिनल वोल्टता एवं आन्तरिक (Cell, Electrotive Force, Terminal Voltage and Internal Resistance)
विद्युत सेल (Electric Cell)
“विद्युत सेल वह युक्ति (device) है जो किसी परिपथ के किन्हीं । दो बिन्दुओं के मध्य विभवान्तर बनाये रखती है अर्थात् परिपथ में धारा के प्रवाह को बनाये रखती है।” सभी सेले धारा देते समय रासायनिक ऊर्जा (chemical energy) को विद्युत ऊर्जा में बदलती हैं। इस प्रकार सेल की परिभाषा निम्न प्रकार भी कर सकते हैं। “विद्युत सेल वह युक्ति है जो रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलती है। यह ध्यान रखने योग्य तथ्य है कि सेल आवेश अथवा इलेक्ट्रॉनों का स्रोत नहीं है, बल्कि ऊर्जा का स्रोत है। सेल केवल ऊर्जा देता है, बहने वाला आवेश तो परिपथ में मौजूद रहता है। समझने के लिए सेल की तुलना एक पानी निकालने वाले पम्प से की जा सकती है। पम्प भी सेल की तरह केवल ऊर्जा का स्रोत है, पानी का नहीं।
सेल में विभिन्न धातुओं की दो छड़े होती हैं जिन्हें इलेक्ट्रोड’ अथवा ‘प्लेटें’ कहते हैं। ये एक द्रव में डूबी रहती हैं, जिसे ‘विद्युतअपघट्य’ (electrolytes) कहते हैं। विद्युत अपघट्य में प्लेटों को डुबोने (dip) पर एक प्लेट धनावेशित हो जाती है तथा दूसरी ऋणावेशित हो जाती है। जब दोनों प्लेटों को किसी तार से जोड़ देते हैं तो तार में आवेश प्रवाहित होने लगता है। सेल के भीतर विद्युत –अपघट्य में ऐसी रासायनिक क्रिया (chemical reaction) होती है जिससे प्लेटों पर आवेशों की पूर्ति होती रहती है तथा तार में आवेश-प्रवाह (विद्युत धारा) बना रहता है। इस प्रकार सेल रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता रहता है।
क्या आप जानते हैं कि ?
(1) जब तक किसी सेल के टर्मिनलों को किसी बाह्य विद्युत परिपथ से नहीं जोड़ा जाता है तो सेल से कोई धारा प्रवाहित नहीं होती है। यह परिपथ खुला परिपथ (open circuit) कहलाता है।
(2) जब किसी सेल के टर्मिनलों को किसी बाह्य विद्युत परिपथ से जोड़ा जाता है, तो सेल से धारा प्रवाहित होती है। यह परिपथ बन्द परिपथ (closed circuit) कहलाता है।
सेलों के प्रकार-सेल मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं
(i) प्राथमिक सेल (Primary Cell), (ii) द्वितीयक सेल (Secondary Cell)
(i) प्राथमिक सेल- वे सेल जो सीधे-सीधे रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलते हैं और जिन्हें दोबारा चार्ज नहीं किया जा सकता है। (not rechargeable), प्राथमिक सेल (primary cells) कहलाते हैं; जैसे-लेक्लांशी सेल, डेनियल सेल, शुष्क सेल आदि।
(ii) द्वितीयक सेल- वे सेल जिनमें विद्युत ऊर्जा को पहले रासायनिक ऊर्जा के रूप में एकत्र (stored) किया जाता है और फिर आवश्यकता पड़ने पर इसी रासायनिक ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा प्राप्त करते हैं। इन्हें बार-बार चार्ज किया जा सकता है; जैसे-सीसी संचायक सेल (lead storage cells)
सेल का आन्तरिक प्रतिरोध (Internal Resistance of Cell)सेल के अन्दर धारा के मार्ग में आने वाली रुकावट (hinderance) को सेल को आन्तरिक प्रतिरोध कहते हैं।” इसे । से व्यक्त करते हैं। इसका मात्रक ओम (Ω) होता है। सेल का आन्तरिक प्रतिरोध निम्न बातों पर निर्भर (depend) करता है
(i) विद्युत- अपघट्य की प्रकृति (nature of the electrolyte), ताप व सान्द्रता पर।
(ii) प्लेटों के मध्य दूरी पर ।।
(iii) प्लेटों के (विद्युत अपघट्य में) डूबे (immersed) हुए भाग पर
एक निश्चित ताप पर सेल का आन्तरिक प्रतिरोध प्लेटों के बीच की दूरी ()l के अनुक्रमानुपाती एवं प्लेटों के डूबे हुए भाग के क्षेत्रफल A के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात्;
जहाँ K एक नियतांक है जो सेल के विद्युत-अपघट्य की प्रकृति एवं सान्द्रता पर निर्भर करता है। प्राथमिक सेलों का आन्तरिक प्रतिरोध अधिक होता है, जबकि द्वितीयक सेलों का आन्तरिक प्रतिरोध कम होता है। इसीलिए समान विद्युत वाहक बल (electromotive force) वाली द्वितीयक सेल प्राथमिक सेल की अपेक्षा अधिक धारा देती है।
प्रश्न 5.
अपवाह वेग की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
अपवाह या अनुगगन वेग तथा गतिशीलता (Drift Velocity and Mobility)
अपवाह वेग (Drift Velocity)
जब किसी चालक के सिरों के मध्य विभवान्तर लगाया जाता है तो चालक के अन्दर एक विद्युत क्षेत्र (धन सिरे से ऋण सिरे की ओर) उत्पन्न हो जाता है और प्रत्येक मुक्त इलेक्ट्रॉन पर एक विद्युत बल (F = – eE) लगने लगता है। इस बल के प्रभाव में इलेक्ट्रॉन त्वरित (a=f/m) होता है और वह चालक के धनात्मक सिरे की ओर गति करने लगता है। गति के दौरान वह अन्य इलेक्ट्रॉनों एवं चालक के धन आयनों से टकराता हुआ वेग में परिवर्तन करता हुआ चलता है। इलेक्ट्रॉन की इस गति को अपवाह गति (Drift motion) कहते हैं और दो उत्तरोत्तर टक्क रों (Successive collisions) के मध्य इलेक्ट्रॉन के औसत वेग को अपवाह वेग (Drift velocity) या अनुगमन वेग कहते हैं। इसे vd से व्यक्त करते हैं।
अर्थात् आरोपित विद्युत क्षेत्र (imposed electric field) के कारण इलेक्ट्रॉनों द्वारा प्राप्त अधिकतम वेग जिससे इलेक्ट्रॉन अन्य आयनों से टकराते हैं, को अपवाह वेग (drift velocity) कहते हैं। टकराने में लगे समय को श्रांतिकाल कहते हैं। अधिकतर चालकों के लिए श्रांतिकाल 10-14s कोटि का होता है।
किसी आयन से टकराने के ठीक पहले इलेक्ट्रॉनों का वेग अधिकतम (maximum) तथा टकराने के ठीक बाद क्षणभर के लिए वेग शून्य हो जाता है। पुन: इलेक्ट्रॉन विद्युत क्षेत्र में त्वरित होता है और आयनों से टकराने वाली पूर्व स्थिति (previous position) को दोहराता है। इस प्रकार बैटरी का विभवान्तर इलेक्ट्रॉनों को त्वरित (accelerated) गति प्रदान नहीं कर पाता है बल्कि यह उन्हें चालक की लम्बाई के अनुदिश (along) एक छोटा नियत वेग ही दे पाता है जो कि इलेक्ट्रॉनों की अनियमित गति के ऊपर आरोपित रहता है। इलेक्ट्रॉनों के इस नियत वेग को ही अपवाह वेग कहते हैं।” अपवाह वेग का कोटि माने 10-4ms-1 होता है।
अपवाह वेग के कम होने का कारण- चित्र 5.6 में विद्युत क्षेत्र आरोपित करने पर मुक्त इलेक्ट्रॉनों की अनियमित गति (मोटी रेखा) के साथ उसका अनुगमन (बिन्दुवत्) भी दिखाया गया है। चित्र से स्पष्ट है कि विद्युतक्षेत्र की अनुपस्थिति में इलेक्ट्रॉन 8 टक्करों के पश्चात् स्थिति 1 से X तक अनियमित गति करता हुआ पहुँचता है, जबकि विद्युत क्षेत्र आरोपित करने पर इलेक्ट्रॉन की अन्तिम स्थिति X के बजाय X’ हो जाती है। इस प्रकार विद्युतक्षेत्र द्वारा नैट विस्थापन XX’ हो जाता है जिसका मान काफी कम होता है। इसीलिए अपवाह वेग भी कम होता है।
श्रांतिकाल (Relaxation Time)-“मुक्त इलेक्ट्रॉन की धातु के परमाणुओं से हुई दो क्रमागत टक्करों के बीच लगे औसत समय को श्रान्तिकाल कहते हैं।” इसे τ से व्यक्त करते हैं। यदि दो उत्तरोत्तर टक्करों के बीच औसत दूरी अर्थात् माध्य मुक्त पथ (mean free path) λ हो तथा उसकी औसत चाल या वर्ग माध्य मूल चाल (root mean square speed) vr हो तो
λ का मान 10-9m तथा τ का मान 10-14 सेकण्ड की कोटि का होता
प्रश्न 6.
8R प्रतिरोध का कोई तार वृत्त के रूप में मोड़ा गया है। इसके किसी व्यास के सिरों के मध्य प्रभावी प्रतिरोध का मान क्या होगा ?
उत्तर:
प्रतिरोध को वृत्ताकार आकृति में बदलने पर जब व्यास के परितः तुल्य प्रतिरोध के लिये आकृति दो बराबर भागों में बँट जाती है। इसलिये प्रतिरोध भी प्रत्येक भाग का आधा हो जाता है
प्रश्न 7.
एक पदार्थ की आकृति में विकृति उत्पन्न करने पर उसके प्रतिरोध एवं प्रतिरोधकता के मान पर क्या प्रभाव पड़ता है।
उत्तर:
प्रतिरोध अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। जबकि प्रतिरोधकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
प्रश्न 8.
क्या किसी सेल की प्लेटों के मध्य विभवान्तर उसके वि.वा.बल से अधिक हो सकता है।
उत्तर:
हाँ, जब सेल चार्जिग की स्थिति में होना है।
RBSE Class 12 Physics Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अपवाह वेग किसे कहते हैं ? अपवाह वेग के आधार पर ओम के नियम का समीकरण =σ प्राप्त कीजिए। जहाँ संकेतों के सामान्य अर्थ है।।
उत्तर:
ओम के नियम कीव्युत्पत्ति(DeductionofOhm’s Law)
इस अध्याय में हम अनुच्छेद संख्या 5.4.3 में विद्युत धारा तथा | अपवाह वेग के बीच सम्बन्ध का विस्तृत अध्ययन कर चुके हैं। जिसके अनुसार
अनुच्छेद संख्या 5.4.5 के अनुसार-विभवान्तर तथा अपवाह वेग सम्बन्ध
जहाँ ρ = m/ne2τ, चालक के पदार्थ की विशेषता (characteristic) है, अतः इसे चालक के पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध (specific resistance) कहते हैं। इसका मान एक पदार्थ के लिए नियत होता है।
यदि चालक की भौतिक अवस्थाएँ (physical conditions) न बदलें तो l व A भी नियत रहेंगे, अतः
ρ l/A= = नियतांक = R (चालक का प्रतिरोध)
∴ V= Ri
या V ∝ i या i ∝ V ………….. (5)
अर्थात् “किसी चालक में बहने वाली धारा उस पर लगाये गये विभवान्तर के अनुक्रमानुपाती (proportional) होती है बशर्ते कि चालक की भौतिक अवस्थाएँ (physical conditions) न बदलें।” यही ओम का नियम है।
ओम के नियम का सदिश रूप(Vector Form of Ohm’s Law)
समीकरण (3) से,
यही ओम के नियम का सदिश रूप तथा धारा घनत्व और विद्युत क्षेत्र में सम्बन्ध है।
“चालक के भीतर किसी बिन्दु पर उत्पन्न विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E एवं धारा घनत्व (J) के अनुपात (ratio) को चालक के पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध कहते हैं। इसे ρ से व्यक्त किया जाता है। अत:
“किसी पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध उस पदार्थ के एकांक लम्बाई (unit length) एवं एकांक अनुप्रस्थ क्षेत्रफल (unit crosssectional area) वाले चालक के प्रतिरोध के बराबर होता है।” विशिष्ट प्रतिरोध का मान निम्नांकित सूत्र से भी ज्ञात किया जा सकता है
ρ = m/ne2τ ……………… (9)
जहाँ m इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान; n एकांक आयन में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या, e इलेक्ट्रॉन का आवेश एवं τ श्रांतिकाल (relaxation time) है।
प्रश्न 2. अपवाह वेग तथा विद्युत क्षेत्र के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए। एतिशीलता क्या है ? गतिशीलता एवं अपवाह वेए की परस्पर निर्भरता की व्याख्या कीजिये ।।
उत्तर:
गतिशीलता (Mobility)
हम जानते हैं कि चालकता गतिमान आवेश वाहकों से उत्पन्न होती है। धातुओं में ये गतिमान आवेश वाहक इलेक्ट्रॉन होते हैं, आयनित गैस में ये इलेक्ट्रॉन तथा धनावेशित आयन होते हैं, विद्युत अपघट्य में ये धनायन तथा ऋणायन दोनों हो सकते हैं।
एक महत्वपूर्ण राशि गतिशीलता (mobility) है जिसे प्रति एकांक विद्युत क्षेत्र के अपवाह वेग के परिमाण के रूप में परिभाषित करते हैं।
अपवाह वेग एवं विद्युत धारा में सम्बन्ध
(Relation between Drift Velocity and Electric Current)
माना A अनुप्रस्थ परिच्छेद एवं l लम्बाई का PQ चालक है। इसके सिरों के मध्य चित्र 5.8 की भाँति विभवान्तर लगाते हैं। जैसे ही विभवान्तर लगाया जाता है, चालक का प्रत्येक मुक्त इलेक्ट्रॉन अनुगमन वेग 4 से धनात्मक सिरे Q की ओर गति करने लगता है। सबसे पहले Q सिरे पर स्थित इलेक्ट्रॉन चालक को छोड़ेगा (release) और उसके बाद क्रमशः उसके पीछे वाले इलेक्ट्रॉन Q सिरे को छोड़ते रहेंगे।
जिस समय P सिरे का इलेक्ट्रॉन Q सिरे को पार कर रहा होगा, तब तक चालक के समस्त मुक्त इलेक्ट्रॉन Q सिरे को पार कर चुके होंगे। इस क्रिया में लगा समय
t = l/vd
यदि चालक के एकांक आयतन में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या अर्थात् इलेक्ट्रॉन घनत्व (electron density) n हो तो चालक का प्रवाहित होने वाला आवेश
q = इलेक्ट्रॉनों की संख्या × इलेक्ट्रॉन का आवेश
= आयतन × इलेक्ट्रॉन घनत्व × इलेक्ट्रॉन आवेश
q = Alne
∴ चालक में प्रवाहित धारा
यही अपवाह वेग एवं विद्युत धारा में सम्बन्ध है। किसी धात्विक चालक में नियत धारा के लिये–
i = neAvd = नियत
∴ ∵ तथा = धात्विक चालक के लिये नियत होते हैं।
∴ Avd = नियत
अत: A1vd2, = A2vd2
अर्थात् किसी चालक की असमान काट के क्षेत्र में जहाँ क्षेत्रफल कम होता है वहाँ अपवाह वेग अधिक होता है तथा जहाँ क्षेत्रफल अधिक होता है। वहाँ अपवाह वेग कम होता है।
प्रश्न 3.
किसी चालक पदार्थ के प्रतिरोध एवं प्रतिरोधकता के मध्य सम्बन्ध ज्ञात करो। प्रतिरोधकता ताप पर किस प्रकार निर्भर करती है? चालक, विद्युतरोधी एवं अर्द्धचालकों के सन्दर्भ में व्याख्या करो।
उत्तर:
प्रतिरोध की ज्यामितीय संरचन
चालक के प्रतिरोध का कारण-चालक में उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉनों के संघट्ट के कारण उनके मार्ग में अवरोध होता है, इसे ही प्रतिरोध कहते हैं।
किसी चालक के प्रतिरोध की ज्यामितीय संरचना पर निर्भरता (Dependence on Geometrical Structure)- किसी चालक का प्रतिरोध (R), उसकी लम्बाई (l), अनुप्रस्थ परिच्छेद (A) व चालक के पदार्थ के विशिष्ट प्रतिरोध (ρ) में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है
R = ρ l/A ………….(1)
अतः स्पष्ट है कि
(i) R ∝ l
अर्थात् चालक का विद्युत प्रतिरोध उसकी लम्बाई के अनुक्रमानुपाती। होता है।
(ii) R ∝ 1/A
अर्थात् चालक को विद्युत प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
(iii) R ∝ ρ
अर्थात् चालक का प्रतिरोध उसके पदार्थ के विशिष्ट प्रतिरोध या पदार्थ । की प्रकृति (nature of substance) के अनुक्रमानुपाती होता है।
महत्वपूर्ण बिन्दु
जिन पदार्थों की प्रतिरोधकता (resistivity) बहुत कम (चाँदी, ताँबा, ऐलुमिनियम) होती है, उनसे संयोजक-तार (connection wires) बनाये जाते हैं क्योंकि इनके प्रतिरोध को नगण्य (negligible) माना जाता है। इसके विपरीत जिन पदार्थों की प्रतिरोधकता बहुत अधिक (नाइक्रोम, मैंगनिन, कॉन्स्टेन्टन आदि) होती है, उनसे प्रतिरोधक- तार (resistance wires) बनाये जाते हैं।
प्रतिरोधकता (Resistivity)— प्रयोगों के आधार पर यह पाया गया कि प्रतिरोध चालक के लम्बाई, अनुच्छेद काट के क्षेत्रफल पर निर्भर करता है। प्रतिरोध का यह सम्बन्ध निम्न प्रकार प्रदर्शित है
R ∝ l/A
R ∝ ρ l/A
जहाँ ρ = विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता है जोकि चालक पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है।
विशेष तथ्य- प्रतिरोधकता चालक की लम्बाई तथा अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करती है।
प्रश्न 4.
E1 एवं E2 वि.वा.बल एवं r1 तथा r2 आन्तरिक प्रतिरोधों के दो सेल समान्तर क्रम में जुड़े हैं, इस संयोजन का तुल्य वि.वा. बल एवं तुल्य आन्तरिक प्रतिरोध ज्ञात करो। यदि इस संयोजन को किसी बाह्य प्रतिरोध R से जोड़ दिया जाए तो R में प्रवाहित विद्युत धारा का मान भी ज्ञात करो।
उत्तर
प्रतिरोधों का श्रेणी एवं समान्तर क्रम संयोजन (Series and Parallel Combination of Resistances)
विभिन्न विद्युत परिपथों में आवश्यकतानुसार विद्युत धारा प्राप्त करने के लिये प्रतिरोधों के संयोजन की आवश्यकता होती है। अत: उपलब्धता के अनुसार प्रतिरोधों का संयोजन कर उचित मान का प्रतिरोध प्राप्त कर लिया |. जाता है। प्रतिरोधों को मुख्यत: श्रेणीक्रम या समान्तर क्रम या मिश्रित क्रम में जोड़ा जाता है।
(A) श्रेणीक्रम संयोजन (Series Combination)
इस प्रकार के संयोजन में चित्र 5.18 की तरह एक प्रतिरोध का दूसरा सिरा दूसरे प्रतिरोध के पहले सिरे से और दूसरे का दूसरा सिरा तीसरे के पहले सिरे से तथा इसी प्रकार क्रमशः जोड़ते जाते हैं। इस संयोजन को E वि. वा. बल एवं नगण्य आन्तरिक प्रतिरोध वाली बैटरी से जोड़ देते हैं। प्रतिरोधों के सिरों के विभवान्तर क्रमशः V1 V2, V3 हैं।
अत: चित्र 5.18 में प्रदर्शित परिपथ में कुल विभवान्तर
E = V1 + V2 + V3
या E = iR1 + iR2 + iR3
या E =i (R1 + R2 + R3) ……………… (1)
यदि संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R मान लें तो तुल्य परिपथ चित्र 5.19 के अनुसार होगा। अत: इस परिपथ से,
E = i R ……………… (2)
समी. (1) व (2) की तुलना करने पर,
i R =i (R1 + R2 + R3)
या R = R1 + R2 + R3
इसी प्रकार n प्रतिरोधों के श्रेणीक्रम संयोजन का तुल्य प्रतिरोध
R = R1 + R2 + R3 + ……+ Rn …………. (3)
अत: श्रेणीक्रम में सभी प्रतिरोधों का योग हो जाता है। निष्कर्ष-अत: तुल्य (equivalent) प्रतिरोध सबसे बड़े प्रतिरोध से भी बड़ा होता है।
उपयोग-श्रेणीक्रम संयोजन में तुल्य प्रतिरोध का उपयोग अधिकतम प्रतिरोध तथा धारा न्यूनतम प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
(B) समान्तर क्रम संयोजन (ParallelCombination)
इस संयोजन में सभी प्रतिरोधों का एक-एक सिरा एक संधि पर और दूसरे सिरे दूसरी संधि पर जोड़ दिये जाते हैं। चित्र 5.20 में तीन प्रतिरोधों का समान्तर क्रम संयोजन दिखाया गया है। संधि A पर परिणामी धारा
i = i1 + i2 + i3 …………… (4)
सभी प्रतिरोध A व B के मध्य जुड़े हैं, अत: सबका विभवान्तर समान (V) होगा।
∴ V = i1R1 = i2R2 = i3R3
∴ i1 = V/R1 , i2 = V/R2 , i3 = V/R3
“समान्तर क्रम में संयोग की तुल्य चालकता (equivalent conductivity) सभी प्रतिरोधों की चालकताओं के योग के बराबर होती है।”
निष्कर्ष- तुल्य या परिणामी प्रतिरोध सबसे छोटे प्रतिरोध से भी छोटा होता है।
उपयोग-समान्तर क्रम संयोजन में तुल्य प्रतिरोध का उपयोग प्रतिरोध को कम तथा धारा अधिकतम करने के लिए किया जाता है।
RBSE Class 12 Physics Chapter 5 आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
एक बेलनाकार धातु (ताँबे) की छड़ की लम्बाई 1 सेमी. एवं त्रिज्या 2.0mm है। छड़ के सिरों पर 120V विभवान्तर आरोपित करने पर छड़ में प्रवाहित धारा का मान ज्ञात कीजिये। (ताँबे की प्रतिरोधकता 1.7 × 10-8Ωm है)
हल:
लम्बाई (l) = 1cm = 1 × 10-2 मी.
त्रिज्या (r) = 2mm = 2 × 10-3 मी.
अत: अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल (A) = πr2 = π × (2 × 10-3)2
= 4π × 10-6m2
सिरों पर विभवान्तर (V) =120V
धारा (I) = ?
ओम के नियम से
प्रश्न 2.
चित्र में बिन्दु a एवं b के मध्य तुल्य प्रतिरोध का मान ज्ञात कीजिये।
हल:
R1 तथा R2 श्रेणीक्रम में जोड़ने पर
R’ = R1 + R2 = 6Ω
R’ तथा R0 को समान्तर क्रम में जोड़ने पर
प्रश्न 3.
चित्र में दर्शाये गए अनन्त श्रेणी के विद्युत परिपथ को बिन्दु a एवं b के मध्य तुल्य प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
हल:
माना प्रथम दो प्रतिरोधों को छोड़कर सभी प्रतिरोध का तुल्य प्रतिरोध x हैं। तब परिपथ निम्न प्रकार बनता है
भुजा DG तथा EF के प्रतिरोध समान्तर क्रम में जोड़ने पर
प्रश्न 4.
1Ω, 2Ω एवं 3Ω के तीन प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में संयोजित हैं। प्रतिरोधों के संयोजन का कुल प्रतिरोध क्या है ? यदि प्रतिरोधकों का संयोजन किसी 12V की बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध नगण्य है, से कर दिया जाता है तो प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों पर वोल्टता ज्ञात कीजिये।
हल:
1Ω, 2Ω तथा 3Ω को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर
Rतुल्य = R1 + R1 + R1
= 1 + 2 + 3
= 6Ω
परिपथ में प्रवाहित धारा–
प्रश्न 5.
कमरे के ताप (27°C) पर किसी तापन अवयव का प्रतिरोध 100Ω है। यदि तापन अवयव का प्रतिरोध 117Ω हो तो अवयव का ताप क्या होगा ? प्रतिरोधक के पदार्थ का प्रतिरोधक ताप गुणांक 1.70 × 10-4 °C-1 है।
हुल:
Rt1 = 100Ω जहाँ t = 27°C
तापन अवयव का प्रतिरोध
Rt2 = 117Ω
हम जानते हैं कि–
प्रश्न 6.
15m लम्बे एवं 6.0 × 10-7m2 अनुप्रस्थ काट वाले तार से नगण्य धारा प्रवाहित की गई एवं इसका प्रतिरोध 5.0Ω मापा गया। प्रायोगिक ताप पर तार के पदार्थ को प्रतिरोधकता क्या होगी ?
हल:
तार की लम्बाई (/) = 15m
अनुप्रस्थ काट का क्षे. (A) = 6.0 × 10-7m2
प्रतिरोध (R) = 5.0Ω
प्रश्न 7.
एक ताँबे का तार जिसका काट क्षेत्रफल 1mm2 है, में 0.5A की धारा प्रवाहित हो रही है। यदि एकांक आयतन में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या 8.5 × 1022/cm3 हो तो इलेक्ट्रॉनों का अपवाह वेग ज्ञात कीजिए।
हल:
अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल = 1min
= 1 × (10-3)2 = 1 × 10-6m3
मुक्त इलेक्ट्रॉन की संख्या (n) = 8.5 × 1022/cm3
धारा (I) = 0.5amp
प्रश्न 8.
किस ताप पर ताँबे के एक तार का प्रतिरोध उसके 0°C ताप पर प्रतिरोध का दुगुना हो जाएगा ? (ताँबे के लिए प्रतिरोध ताप गुणांक 4.0 × 10-3 °C-1 है)
हल:
प्रश्न 9.
किसी कार की संचायक बैटरी का विद्युत वाहक बल 12V है। यदि बैटरी को आन्तरिक प्रतिरोध 0.4Ω है तो बैटरी से ली | जाने वाली अधिकतम धारा को मान क्या है ?
हल:
विद्युत वाहक बल (E) = 12V
आन्तरिक प्रतिरोध (r) = 0.4Ω
प्रश्न 10.
एक कुण्डली जिसका प्रतिरोध 4.2Ω है, पानी में डूबी हुई है। यदि इसमें 2A की धारा 10 मिनट के लिए प्रवाहित की जाए तो कुण्डली में कुल कितने कैलोरी ऊष्मा उत्पन्न होगी ? (J = 4.2 J/cal)
हल:
कुण्डली में उत्पन्न ऊष्मा (H) = I-Rt
H = (2)2 × 4.2 × 10 × 60 Joule
H = 4×4.2×600/4.2 कैलोरी
= 2400 cal.
प्रश्न 11.
एक बेलनाकार नलिका की लम्बाई l व आन्तरिक तथा बाह्य त्रिज्याओं के मान क्रमशः a एवं b है। यदि पदार्थ की प्रतिरोधकता का मान ρ है तो नलिका के सिरों के मध्य प्रतिरोध का मान ज्ञात करो।
हल:
नलिका का प्रतिरोध
प्रश्न 12.
एक मकान में 100 वाट के चार बल्ब एवं 40 वाट के चार बल्ब प्रतिदिन क्रमशः 4 एवं 6 घण्टे जलते हैं। दो पंखे 60 वाट के प्रतिदिन 8 घण्टे चलते हैं। 30 दिन के एक माह के लिए विद्युत ऊर्जा के खर्च की गणना करो। यदि विद्युत दर प्रति यूनिट 5 रुपये है।
हल:
100 वाट 4 बल्ब के लिये व्यय ऊर्जा