RB 12 Sociology

RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 3 सामाजिक असमानता एवं अपवर्जन के प्रतिरूप, जाति पूर्वाग्रह, अनुसूचित जातियाँ, राजस्थान की जनजातियाँ एवं अन्य पिछड़े वर्ग, महिला समानता का संघर्ष धार्मिक अल्पसंख्यकों को संरक्षण, नि:शक्तजनों की देखभाल

RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 3 सामाजिक असमानता एवं अपवर्जन के प्रतिरूप, जाति पूर्वाग्रह, अनुसूचित जातियाँ, राजस्थान की जनजातियाँ एवं अन्य पिछड़े वर्ग, महिला समानता का संघर्ष धार्मिक अल्पसंख्यकों को संरक्षण, नि:शक्तजनों की देखभाल

RBSE Class 12 Sociology Chapter 3 अभ्यासार्थ प्रश्न

RBSE Class 12 Sociology Chapter 3 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
‘हिस्ट्री ऑफ कास्ट इन इण्डिया’ पुस्तक के लेखक का नाम क्या है?
(अ) केतकर
(ब) दुबे
(स) मजूमदार
(द) मदान
उत्तरमाला:
(अ) केतकर

प्रश्न 2.
जातीय पूर्वाग्रह से सम्बन्धित सैकड़ों कहावतों की चर्चा की है –
(अ) केतकर
(ब) नर्मदेश्वर प्रसाद
(स) श्रीनिवास
(द) मजूमदार
उत्तरमाला:
(ब) नर्मदेश्वर प्रसाद

प्रश्न 3.
भारत की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति की जनसंख्या है?
(अ) 14.6%
(ब) 15.6%
(स) 16.6%
(द) 17.6%
उत्तरमाला:
(स) 16.6%

प्रश्न 4.
संविधान की कौन – सी धारा में अनुसूचित जातियों को अधिसूचित किया गया है?
(अ) धारा 339
(ब) धारा 340
(स) धारा 342
(द) धारा 341
उत्तरमाला:
(द) धारा 341

प्रश्न 5.
संविधान की कौन – सी धारा में अनुसूचित जनजातियों को अधिसूचित किया गया है?
(अ) धारा 332
(ब) धारा 342
(स) धारा 352
(द) धारा 362
उत्तरमाला:
(ब) धारा 342

प्रश्न 6.
राजस्थान में कितने जनजातीय समूह निवास करते हैं?
(अ) 9
(ब) 101
(स) 12
(द) 14
उत्तरमाला:
(स) 12

प्रश्न 7.
संविधान की कौन – सी धारा में पिछड़े वर्गों की स्थिति का जायजा लेने का अधिकार राष्ट्रपति को दिया गया है?
(अ) धारा 370
(ब) धारा 340
(स) धारा 15(4)
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(ब) धारा 340

प्रश्न 8.
मण्डल आयोग के अध्यक्ष कौन थे?
(अ) वी.पी. सिंह
(ब) वी. पी. मण्डल
(स) प्रो. गाडगिल
(द) उपर्युक्त से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(ब) वी. पी. मण्डल

प्रश्न 9.
मण्डल आयोग का गठन कब किया गया?
(अ) 1977 चुनाव के बाद
(ब) 1975 आपातकाल में
(स) 1984 आम चुनाव के बाद
(द) उपर्युक्त से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(अ) 1977 चुनाव के बाद

प्रश्न 10.
मण्डल आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को कब दी?
(अ) 1980
(ब) 1981
(स) 1982
(द) उपर्युक्त से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(स) 1982

प्रश्न 11.
संविधान की धारा 15(4) व 16(4) के अनुसार कितने प्रतिशत से अधिक स्थान आरक्षित नहीं किया जा सकता?
(अ) 50%
(ब) 60%
(स) 40%
(द) उपर्युक्त से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(अ) 50%

प्रश्न 12.
भारतीय संविधान की धारा 30 में अल्पसंख्यकों की कितनी श्रेणियों का उल्लेख किया गया?
(अ) एक
(ब) दो
(स) तीन
(द) चार
उत्तरमाला:
(ब) दो

प्रश्न 13.
जैन समुदाय को अल्पसंख्यक समुदाय की श्रेणी में किस सन् में सम्मिलित किया गया?
(अ) 2014
(ब) 2010
(स) 2011
(द) 2015
उत्तरमाला:
(अ) 2014

प्रश्न 14.
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग किस वर्ष में अधिनियमित किया गया है?
(अ) 1992
(ब) 1986
(स) 1984
(द) 1989
उत्तरमाला:
(अ) 1992

प्रश्न 15.
कौन – से समाजशास्त्री पुरुष और स्त्री में विद्यमान जैविक भेदों को समाज में श्रम के लैंगिक विभाजन पर आधार
मानते हैं?
(अ) एम.एन. श्रीनिवास
(ब) इरावती कर्वे
(स) जार्ज पीटर मुरडोक
(द) ऐन ओकले
उत्तरमाला:
(स) जार्ज पीटर मुरडोक

प्रश्न 16.
आई. पी. यू. की रिपोर्ट 2015 के मुताबिक, महिला जनप्रतिनिधियों के संदर्भ में वैश्विक स्तर पर भारत का कौन – सा
स्थान है?
(अ) 108वाँ
(ब) 103वाँ
(स) 110वाँ
(द) 105वाँ
उत्तरमाला:
(ब) 103वाँ

प्रश्न 17.
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल निःशक्तजनों (विशेष योग्यजनों) की कितनी जनसंख्या है?
(अ) 3 करोड़
(ब) 205 करोड़
(स) 2.68 करोड़
(द) 5 करोड़
उत्तरमाला:
(स) 2.68 करोड़

RBSE Class 12 Sociology Chapter 3 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
नर्मदेश्वर प्रसाद की पुस्तक का नाम बताइए।
उत्तर:
नर्मदेश्वर प्रसाद की पुस्तक का नाम “The Myth of Caste System” है।

प्रश्न 2.
अनुसूचित जातियों की निर्योग्यताएँ किस काल की सामाजिक व्यवस्था का भाग थीं?
उत्तर:
अनुसूचित जातियों की निर्योग्यताएँ किस काल की सामजिक व्यवस्था का भाग थीं।

प्रश्न 3.
राजस्थान में कितने अनुसूचित जातीय समूह निवास करते हैं?
उत्तर:
राजस्थान में 59 अनुसूचित जातीय समूह निवास करते हैं।

प्रश्न 4.
जनगणना 2011 के अनुसार राजस्थान में जनजातीय आबादी का प्रतिशत कितना है?
उत्तर:
जनगणना 2011 के अनुसार राजस्थान में जनजातीय आबादी का कुल 13.48 प्रतिशत है।

प्रश्न 5.
राजस्थान में कितने जनजातीय समूह निवास करते हैं?
उत्तर:
राजस्थान में कुल 12 जनजातीय समूह निवास करते हैं।

प्रश्न 6.
पिछड़े वर्ग का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पिछड़े वर्गों से आशय समाज में निवास करने वाले उन वर्गों से है, जो सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक निर्योग्यताओं के कारण समाज में अन्य वर्गों की तुलना में नीचे स्तर पर है।

प्रश्न 7.
आंद्रे बिताई कृषक वर्ग को पिछड़े वर्गों का सार क्यों मानते हैं?
उत्तर:
आंद्रे बिताई कृषक वर्ग को पिछड़े वर्गों का सार इसलिए मानते हैं क्योंकि उनके अनुसार जाति के संदर्भ पिछड़े वर्ग मध्यय कृषक एवं व्यवसायी जातियाँ हैं, जो शिक्षा व नौकरियों में उच्च जातियों से समाज में पीछे रह गए हैं।

प्रश्न 8.
भारत को लोकतंत्रात्मक भावनाओं का संरक्षण क्यों माना जाता है?
उत्तर:
भारत को लोकतंत्रात्मक भावनाओं का संरक्षण इसलिए माना जाता है क्योंकि यह भेदभाव तथा अपवर्जन के किसी भी रूप को स्वीकार नहीं करता है।

प्रश्न 9.
भारतीय संविधान की किन धाराओं में अल्पसंख्यकों का विवरण दिया गया है?
उत्तर:
भारतीय संविधान की धारा (29 – 30) तथा (35A – 35B) में अल्पसंख्यकों का स्पष्ट विवरण दिया गया है।

प्रश्न 10.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में, 1992 में किन दो योजनाओं को जोड़ा गया है?
उत्तर:
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में 1992 में दो योजनाओं का समावेश किया गया है, जो निम्न प्रकार से हैं –

  • शैक्षिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यकों के लिए गहन क्षेत्रीय कार्यक्रम लागू किए गए।
  • मदरसा शिक्षा आधुनिकीकरण वित्तीय सहायता योजना 1993 – 94 के मध्य आरंभ की गयी।

प्रश्न 11.
अर्थशास्त्री सिलिव्या ने महिला असमानता के संदर्भ में क्या कहा?
उत्तर:
अर्थशास्त्री सिलिव्या एन हॉलिट ने अमेरिका में कामकाजी महिलाओं के समक्ष क्रूर दुविधा’ की अनेक परतें खोली थीं।

प्रश्न 12.
1882 में किस भार स्त्री ने महिला सामाजिक असमानता पर पुस्तक लिखी और उन्होंने उसमें क्या कहा था?
उत्तर:
1882 में ताराबाई शिंदे ने महिला सामाजिक असमानता पर “स्त्री पुरुष तुलना” नामक पुस्तक में पुरुष प्रधान समाज द्वारा अपनाये गये दोहरे मापदंडों का विरोध किया था।

प्रश्न 13.
निःशक्तजन अधिनियम, 1995 की धारा (न) में निःशक्तजनों की क्या परिभाषा दी गई है?
उत्तर:
नि:शक्तजन को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है जो किसी चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा यथा प्रमाणित किसी विकलांगता से न्यूनतम 40 प्रतिशत पीड़ित हो।

RBSE Class 12 Sociology Chapter 3 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जातीय पूर्वाग्रह पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
प्रत्येक जाति के सदस्य दूसरी जातियों के विषय में कुछ पूर्वाग्रह या धारणाएँ रखते हैं व उसका पालन भी इन्हीं धाराओं के आधार पर करते हैं। यद्यपि इनका कोई आनुभाविक सत्यापन नहीं होता है तथा पूर्वाग्रह या यही विचारधाराएँ समाज में चलकर जातिवाद का रूप धारण कर लेती हैं। जाति से संबंधित समाज में अनेक पूर्वाग्रह प्रचलित हैं जो निम्न प्रकार से हैं, जैसे –

  • ऋग्वेद पुरुषसूक्त में कहा गया है, विराट पुरुष के मुख से ब्राह्मण, भुजा से क्षत्रिय, जंघा से वैश्य तथा पैरों से शूद्रों की उत्पत्ति हुई है।
  • अनेक स्थानों पर नाई जाति के लोगों को चालाक, बनिया को कंजूस व कायस्थों को झूठा माना जाता है। इसी प्रकार से विभिन्न जातियों के संदर्भ में इस तरह के पूर्वाग्रह हमें आज भी समाज में देखने व सुनने को मिलते हैं।

प्रश्न 2.
अनुसूचित जातियों की मध्यकालीन सामाजिक व्यवस्था में निर्योग्यताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
समाज द्वारा अनेक निर्योग्यताएँ अनुसूचित जातियों पर लगायी गई हैं जो निम्न प्रकार से हैं –

  • धार्मिक निर्योग्यताएँ: इन जातियों को समाज में अनेक प्रकार के संस्कारों से दूर रखा गया तथा पूजा व अराधना के अधिकार से भी वंचित रखा गया।
  • सामाजिक निर्योग्यताएँ: इन जातियों को शिक्षा से वंचित रखा गया, खान – पान व रहन – सहन आदि पर प्रतिबंध लगाया गया।
  • आर्थिक निर्योग्यताएँ: इन जातियों के सदस्यों को समाज में बंधुआ मजदूरी करने पर विवश किया जाता था तथा अन्य व्यवसायों को करने पर भी प्रतिबंध लगाया गया था।
  • राजनीतिक निर्योग्यताएँ: इन जाति के सदस्यों को समस्त राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा गया था तथा चुनाव लड़ने व पंचायतों में भी कोई स्थान नहीं दिया गया था।

प्रश्न 3.
राजस्थान में जनजातियों की जनसंख्या पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान में जनजातियों की जनसंख्या की स्थिति को निम्न बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट कर सकते हैं, जो इस प्रकार से हैं –

  • भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार राजस्थान में जनजातियों की संख्या 92,38,534 पायी गयी है।
  • राजस्थान में कुल आबादी का 13.48 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जनजातियों की है।
  • राजस्थान में सर्वाधिक जनजातीय आबादी उदयपुर जिले में पायी जाती है।
  • राजस्थान में मीणा जनजाति सर्वाधिक पायी जाती है।
  • राजस्थान में कुल 12 जनजातीय समूह पाये जाते हैं।
  • जनजातियों की संख्या की दृष्टि से राजस्थान का भारत में पाँचवाँ अधिक जनजाति वाला राज्य है।

प्रश्न 4.
राजस्थान में जनजातीय निवास का भौगोलिक दृष्टि से विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
भौगोलिक दृष्टि से जनजातियों में निम्न तथ्य पाये जाते हैं, जो इस प्रकार से हैं –

  • राजस्थान में जनजाति सदस्य रियासतों के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहते हैं।
  • जनजातियाँ क्षेत्र यातायात के साधनों से वंचित रहे हैं।
  • ये जनजातियाँ अन्य लोगों से दूरी बनाए रखते हैं।

राजस्थान में तीन जनजातीय निवास क्षेत्र हैं –

  • दक्षिणी राजस्थान: यहाँ 45% जनजाति निवास करती हैं। इनमें भील, मीणा, डामोर आदि जनजातियाँ पायी जाती हैं। प्रतापगढ़, उदयपुर व सिरोही आदि जिले इसमें शामिल हैं।
  • पश्चिमी राजस्थान: यहाँ 7% जनसंख्या पायी जाती है। इसमें बीकानेर, गंगानगर, जोधपुर व जालौर जैसे जिले सम्मिलित हैं।
  • उत्तर पूर्वी राजस्थान: अलवर, भरतपुर, करौली, कोटा व जयपुर आदि जिलों में पायी जाती हैं।

प्रश्न 5.
आप कैसे स्पष्ट करेंगे कि पिछड़े वर्ग का निर्धारण जन्म या जाति के आधार पर न होकर अन्य कारणों से होता है?
उत्तर:
आन्द्रे बिताई ने कृषक वर्ग को पिछड़ा वर्ग माना है जो शिक्षा व नौकरियों में उच्च जातियों से पीछे है। भारत में कृषि करने वाली जातियाँ मध्यम श्रेणी की हैं। भारत में पिछड़े वर्ग का निर्धारण जन्म या जाति के आधार पर न होकर कृषि व अन्य व्यवसायों में लगा हुआ माना गया है। पिछड़ा वर्ग में उन सभी जातियों एवं समूहों को सम्मिलित किया गया है, जो जाति एवं व्यवसाय दोनों ही स्तर पर निम्न माने जाते हैं।
अतः उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि पिछड़ा वर्ग के लोग जाति में व व्यवसायों में दोनों ही दृष्टिकोणों से पिछड़े हुए हैं। ये मध्यम स्तर के सदस्य हैं जिन्हें विकास के अवसर नहीं मिले हैं।

प्रश्न 6.
उच्च वर्ग एवं निम्न वर्ग के मध्य पाये जाने वाले वर्ग को पिछड़ा कहेंगे। स्पष्ट करें।
उत्तर:
समाज में सामाजिक स्तरीकरण की एक व्यवस्था पायी जाती है जिसके आधार पर सदस्यों को उच्चता व निम्नता के श्रेणी में विभाजित किया जाता है। भारतीय इतिहास में पिछड़ा वर्ग उसे माना गया है, जो सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े हुए हैं। भारतीय संविधान की धारा 340 में राष्ट्रपति को अधिकार है कि वह एक आयोग को नियुक्त कर देश में पिछड़े वर्ग की स्थिति का सही मूल्यांकन करे। जाति के संदर्भ में पिछड़ा वर्ग में मध्यम कृषक एवं व्यवसायी जातियाँ होती हैं, जो उच्च जातियों से शिक्षा, नौकरियों व व्यवसाय के क्षेत्र में पीछे रह गयी हैं। अतः पिछड़े वर्ग की स्थिति समाज में उच्च वर्ग व निम्न वर्ग से भिन्न होती है।

प्रश्न 7.
मंडल आयोग को कौन – कौन से कार्य दिये गये?
उत्तर:
सन् 1977 में जनता पार्टी ने पिछड़ी जातियों के विकास के लिए V.P. Mandal की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया, इसे मंडल आयोग के नाम से संबोधित किया गया प्रमुख कार्य –

  • पिछड़े वर्गों के उत्थान हेतु सुझाव देना।
  • पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए अनेक लाभकारी नीतियों का क्रियान्वयन करना।
  • सामाजिक एवं शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की परिभाषा हेतु कसौटियों को निर्धारित करना।
  • पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की नीतियों को निर्धारित करना।
  • संकलित तथ्यों के आधार पर प्रतिवेदन प्रस्तुत करना एवं सिफारिशें करना।

प्रश्न 8.
समाजशास्त्र में अल्पसंख्यकों के संदर्भ में क्या परिभाषा दी गई है?
उत्तर:
अल्पसंख्यक का अर्थ व उसकी परिभाषा अल्पसंख्यक दो शब्दों से मिलकर बना है। अल्प + संख्यक का अर्थ कम एवं संख्यक से तात्पर्य संख्या से है। अर्थात् जिनकी संख्या कम हो, उसे अल्पसंख्यक कहा जाता है।
अल्पसंख्यक समूहों को समाजशास्त्र में व्यापक अध्ययन के रूप में प्रयुक्त हुआ है। अल्पसंख्यक की परिधि में संख्यात्मक ही नहीं बल्कि इसकी व्यापकता, हानि व असुविधा आदि के भाव भी शामिल किये जाते हैं। अल्पसंख्यक शब्द का अपना अलग ही महत्त्व है, समाजशास्त्र में जो लोगों की स्थिति को दर्शाता है।
गिडिंग्स के अनुसार – अल्पसंख्यक वर्ग के सदस्य एक सामूहिकता का निर्माण करते हैं अर्थात् उनमें अपने समूह के प्रति एकात्मकता व एकजुटता के भाव होते हैं।

प्रश्न 9.
भारत में कौन – से समुदाय अल्पसंख्यक माने जाते हैं?
उत्तर:
भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के तौर पर पाँच धार्मिक समुदाय – मुस्लिम, ईसाई, सिक्ख, बौद्ध तथा पारसी समुदायों को अल्पसंख्यक माना गया है। अल्पसंख्यक आयोग कानून 1992 की धारा 2 (ग) के अंतर्गत जैन समुदाय को अल्पसंख्यकों की सूची में शामिल किया गया है।
भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिमों की संख्या 17.22 करोड़ (14.2 प्रतिशत), ईसाइयों की संख्या 2.78 करोड़ (2.3 प्रतिशत), सिक्ख 2.08 (1.7 प्रतिशत), बौद्ध 84 लाख (0.7 प्रतिशत), जैन समुदाय की 45 लाख (0.4 प्रतिशत) तथा अन्य समुदायों की 78 लाख (0.7 प्रतिशत) है।

प्रश्न 10.
संयुक्त राष्ट्र के प्रतिवेदक फ्रेंसिस्को कॉपोटोर्टी ने अल्पसंख्यकों की क्या परिभाषा दी है?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र के एक विशेष प्रतिवेदक फ्रेंसिस्को कॉपोटोर्टी ने एक वैश्विक परिभाषा दी है, उनके अनुसार, “किसी राष्ट्र-राज्य में रहने वाले समुदाय जो संख्या में कम हों और सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से कमजोर हों एवं जिनकी प्रजाति, धर्म, भाषा आदि बहुसंख्यकों से अलग होते हुए भी राष्ट्र के निर्माण, विकास, एकता, संस्कृति, परंपरा व राष्ट्रीय भाषा को बनाये रखने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देते हों, तो ऐसे समुदायों को उस राष्ट्र-राज्य में अल्पसंख्यक माना जाना चाहिए।

प्रश्न 11.
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग क्या है?
उत्तर:
सरकार ने अल्पसंख्यक समुदायों के सामाजिक तथा आर्थिक विकास के लिए समय – समय पर अनेक कार्यक्रम एवं योजनाएँ संचालित की हैं। भारत सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय के सशक्तिकरण करने और उन्हें अपनी संस्कृति, भाषा एवं धार्मिक स्वरूप को बनाये रखने के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम का 1992 पारित किया। इस अधिनियम के अंतर्गत अल्पसंख्यक वर्ग उस समुदाय को माना गया है, जिसे केन्द्र सरकार अधिसूचित करे।
अल्पसंख्यक अधिनियम, 1982 के सफल क्रियान्वयन हेतु सरकार ने मई 1993 में एक अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया है।

प्रश्न 12.
महिलाओं के उत्थान के लिए, औपचारिक समानता की संवैधानिक गारण्टी क्या है?
उत्तर:
महिलाओं के उत्थान के लिए अनेक संवैधानिक प्रावधानों को निर्मित किया गया है –

  • भारतीय संविधान में सामाजिक लिंग समानता का प्रावधान है।
  • हिंदू कानून महिलाओं को संबंध – विच्छेद और पुनर्विवाह का अधिकार प्रदान करता है।
  • उत्तराधिकार अधिनियम महिलाओं को अपने पिता की संपत्ति में बराबरी का हिस्सा या अधिकार देता है।
  • भारत सरकार ने 1953 में महिला कल्याण और वंचित समूहों के विकास के लिए केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड की स्थापना की। इस बोर्ड द्वारा अनेक महिला संगठनों के विकास को बढ़ावा दिया, जिससे सामाजिक और राजनैतिक महिला कार्यक्रमों की शुरुआत हुई है।

प्रश्न 13.
1946 में संयुक्त राष्ट्र के द्वारा गठित आयोग के प्रमुख कार्यों की चर्चा करें।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि विकास के लिए समाज में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण अनिवार्य है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा गठित आयोग के निम्नलिखित कार्य हैं, जो इस प्रकार से हैं –

  • संघ एवं राज्यों के अधीन अल्पसंख्यकों के लिए किये गये विकास कार्यों का मूल्यांकन करना।
  • अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकारों को अपने सुझाव देना।
  • अल्पसंख्यकों के विरुद्ध भेदभाव की समस्या का अध्ययन कर उसे दूर करने के उपाय खोजना।
  • अल्पसंख्यकों से संबंधित निवेशों पर, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा दिये गये हैं, उस पर कार्यवाही करना।
  • अल्पसंख्यकों के आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षिक विकास के मुद्दे पर अध्ययन कर विश्लेषण करना।

प्रश्न 14.
भारतीय पुनर्वास परिषद् अधिनियम, 1992 के संबंध में लिखें।
उत्तर:
भारतीय पुनर्वास परिषद् अधिनियम 1992 के कार्य निम्न प्रकार से हैं –

  • विकलांगों के कल्याण एवं सशक्तिकरण को ध्यान में रखकर नीतियों को क्रियान्वित करना।
  • पुनर्वास व्यवसायियों और कर्मिकों के प्रशिक्षण का नियमन करना।
  • सदस्यों, व्यवसायों व कार्मिकों की देखभाल करना।
  • इनके पुनर्वास व विशेष शिक्षा में शोध को प्रोत्साहित करना।

RBSE Class 12 Sociology Chapter 3 निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में अनुसूचित जातियों की समकालीन स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राचीन काल में भारत में अनुसूचित जातियों के साथ भेदभावपूर्ण व असमानता का व्यवहार किया जाता रहा है। ये जातियाँ समाज की मुख्य धारा से कटी हुई अवस्था में पायी जाती हैं। इन्हें समाज में आगे बढ़ने व विकास करने के उचित अवसर प्रदान नहीं किये गये हैं, इन्हें समाज में निम्न कार्य जैसे सफाई का कार्य व चमड़े का कार्य आदि करने को मजबूर किया जाता था। इन्हें अनेक अधिकारों से वंचित रखते हुए कई प्रतिबंध भी लगाए गए हैं, जो अग्र प्रकार से हैं –
(अ) सामाजिक प्रतिबंध:

  • उच्च जातियों के साथ संपर्क रखने पर प्रतिबंध।
  • शिक्षा प्राप्त करने पर प्रतिबंध।
  • कुओं से पानी, अच्छे वस्त्र पहनने तथा छात्रावास में साथ रहने पर प्रतिबंध।
  • उत्सवों, समारोह व पंचायतों में भाग लेने पर प्रतिबंध।

(ब) धार्मिक प्रतिबंध:

  • धार्मिक कार्यों को करने पर प्रतिबंध।
  • मंदिरों में जाने पर प्रतिबन्ध।
  • पूजा – अर्चना की विधियों में प्रतिबंध।
  • हिंदू संस्कारों में होने वाले प्रमुख संस्कारों पर प्रतिबंध।

(स) आर्थिक प्रतिबंध:

  • समाज में अन्य व्यवसायों को करने पर प्रतिबंध।
  • इन्हें धन संग्रह एवं भूमि पर अधिकार से वंचित रखा गया।
  • इन्हें समाज में घृणित कार्य करने पर विवश किया गया।
  • इन्हें अपनी मजदूरी के लिए दूसरों पर आश्रित रहना पड़ता था।

(द) राजनीतिक प्रतिबंध:

  • इन्हें राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा गया।
  • इनको मतदान को करने पर प्रतिबंध लगाया गया।
  • पंचायतों में भाग लेने पर प्रतिबंध।
  • इन्हें राजनीतिक सुरक्षा प्राप्त करने का भी अधिकार प्राप्त नहीं था।

भारत में यह सभी निर्योग्यताएँ या प्रतिबंध मध्यकालीन सामाजिक व्यवस्था के अंतर्गत पायी जाती थीं। आजादी के पश्चात् इन सभी प्रतिबंधों को संविधान के निर्माण के बाद समाप्त कर दिया गया।

प्रश्न 2.
राजस्थान में अनुसूचित जनजातियों पर निबंध लिखिए।
उत्तर:
राजस्थान में निवास करने वाली अनुसूचित जनजातियों से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य –

  1. राजस्थान में 2001 में 12.56 प्रतिशत जनजातियाँ निवास करती थीं।
  2. राजस्थान में भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार कुल भारत की आबादी का 8.61 प्रतिशत जनजातियों का यहाँ पर निवास करता है।
  3. राजस्थान में जनजातियों की संख्या 92,38,534 है।
  4. राजस्थान में राजस्थान की कुल आबादी का 13.48 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जनजातियों की है।
  5. राजस्थान में सर्वाधिक जनजातियों की संख्या उदयपुर में निवास करती है।
  6. राजस्थान में भील जनजाति की संख्या सर्वाधिक है।
  7. राजस्थान में 12 जनजातीय समूह पाये जाते हैं।
  8. जनसंख्या की दृष्टि से राजस्थान भारत का पाँचवाँ जनजातीय वाला राज्य है।
  9. जनजातीय क्षेत्र के लोग सदैव यातायात व संपर्क से वंचित रहे हैं।
  10. उदारीकरण व वैश्वीकरण जैसी प्रतिक्रियाओं का इन पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ा है।
  11. ये जनजातीय क्षेत्र नगरीकरण के प्रभाव से दूर रहे हैं।
  12. सरकारी योजनाओं में इन जनजातियों की भूमिका नकारात्मक रही है।

राजस्थान में जनजातीय समूह की बसावट के भौगोलिक कारण –

  1. दक्षिणी राजस्थान: राजस्थान की जनजातीय आबादी की लगभग 45% जनसंख्या इन क्षेत्रों जैसे – उदयपुर, सिरोही व बांसवाड़ा में निवास करती है। दक्षिणी राजस्थान में प्रमुखतः भील, मीणा व डामोर जनजातियाँ पायी जाती हैं।
  2. पश्चिमी राजस्थान: राजस्थान की जनजातीय आबादी का लगभग 7.1 जनसंख्या इन क्षेत्रों जैसे – जैसलमेर, चुरू, सीकर व झुंझुनू आदि में निवास करती है। यहाँ मुख्य रूप से भील व मीणा आदि जनजातियाँ पायी जाती हैं।
  3. उत्तर: पूर्वी राजस्थान – राजस्थान की आधी जनजातियों की संख्या अलवर, भरतपुर, करौली, अजमेर, टोंक, बारा, कोटा, धौलपुर आदि जिलों में निवास करती है। यहाँ मुख्य रूप से भील, मीणा तथा सहरिया जनजातियाँ पायी जाती हैं।
    राजस्थान में इन जनजातियों की आर्थिक व सामाजिक स्थिति तथा रहन – सहन को ध्यान में रखकर सरकार ने अनेक विकास एवं शिक्षा के लिए योजनाएँ बनायी हैं। इन योजनाओं के कारण इनकी शैक्षिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है। मीणा जाति इस विकास के क्रम में सबसे अधिक लाभान्वित हुई है।

प्रश्न 3.
मंडल आयोग की रिपोर्ट के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
1977 में पिछड़ी जातियों की स्थिति को सुधारने के लिए V.P. Mandal की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया गया, जिसे मंडल आयोग कहते हैं। इस आयोग का प्रमुख कार्य भारत में सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ी हुई जातियों के आर्थिक विकास की गति को तेज करना था।
मंडल आयोग की रिपोर्ट के कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य:

  • 3 अप्रैल, 1982 को आयोग ने अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सौंपी।
  • आयोग ने सरकारी एवं गैर-सरकारी सेवाओं में पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए 27% स्थान आरक्षित करने का सुझाव भारत सरकार को दिया था।
  • आयोग ने देश की 3,743 जातियों को पिछड़ी जातियाँ घोषित किया।
  • पिछड़ी जातियों की संख्या देश की कुल जनसंख्या की 52% है।
  • आयोग ने पिछड़ी जातियों के लिए सभी स्थानों पर पदोन्नति के लिए 27% आरक्षित किये।
  • आयोग ने पिछड़े वर्ग के लिए प्रौढ़ शिक्षा का प्रसार करने एवं इन वर्गों के छात्रों को आवासीय छात्रावास बनाने की भी सिफारिश की थी।

मंडल आयोग की रिपोर्ट के कुछ सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव:

  1. हड़तालों का होना: इस रिपोर्ट के पश्चात् स्कूल तथा कॉलेजों में एक महीने तक हड़ताल जारी रही तथा काफी लोगों की जानें भी गयीं।
  2. विरोध: इस रिपोर्ट के पश्चात् लोगों में विरोध की स्थिति पैदा हो गई थी।
  3. आयु सेवा में छुट: 13, अक्टूबर 1994 से अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों को सरकारी सेवाओं में पात्रता की ऊपरी आयु सीमा में 3 वर्ष की छूट भी दे दी।
  4. परीक्षाओं में छूट: पिछड़ी जातियों के अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार के मानदंडों में भी छूट प्रदान की गई।
  5. अन्य जाति को शामिल: अन्य पिछड़े वर्गों में जाटों को भी सम्मिलित किया गया।

राजस्थान सरकार ने अपने राज्य में क्रीमीलेयर की आय सीमा ढाई लाख रुपये तक कर दी है। राजस्थान सरकार ने सरकारी नौकरियों, स्थानीय निकायों व पंचायतीराज व्यवस्था में 21% आरक्षण देने की व्यवस्था की है, जिनके अंतर्गत राज्य की लगभग 42.5% पिछड़ी जातियों की संख्या को शामिल किया गया है।

प्रश्न 4.
राजस्थान के परिप्रेक्ष्य में मंडल आयोग की सिफारिशों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वी.पी. मंडल की अध्यक्षता में 1977 में मंडल आयोग का गठन किया गया, जिसका उद्देश्य पिछड़ी जातियों की आर्थिक स्थिति की समीक्षा करके उनके सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए उचित कदम उठाना था। 3 अप्रैल, 1982 को मंडल आयोग ने अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को सौंप दी थी।
मंडल आयोग के द्वारा की जाने वाली सिफारिशों का वर्णन अग्रांकित प्रकार से है –
1. 7 अगस्त, 1990 में प्रधानमंत्री वी. पी. सिंह ने मंडल आयोग लागू करने के लिए संसद में पिछड़े वर्गों के लिए उनकी सामाजिक स्थिति एवं आर्थिक स्थिति का हवाला देकर उन्हें 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की तथा इसके लिए सरकारी अधिसूचना भी जारी की गई थी।

2. 16 नवम्बर, 1992 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पिछड़ी जातियों के लिए 27% आरक्षण को सही बताते हुए इस आयोग की सिफारिशों को लागू करने का आदेश दिया।

3. सिफारिश के आधार पर 8 सितंबर, 1993 से केन्द्र सरकार ने पिछड़ी जातियों के लिए 27.1 आरक्षण को लागू कर दिया।

4: राजस्थान सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के दिशा-निर्देशन में राजस्थान में पायी जाने वाली 52 पिछड़ी जातियों के उत्थान के लिए 21% आरक्षण दिया।

5. सिफारिश के आधार पर ही पिछड़ी जातियों के लिए लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार के मापदंडों में रियायत प्रदान की गयी।

6. राजस्थान सरकार ने आयोग की सिफारिश पर इन जातियों को सरकारी नौकरियों में 21% आरक्षण प्रदान किया, जिससे ये जातियाँ अपना शैक्षिक स्तर ऊँचा उठा सकें।

7. सिफारिश के आधार पर स्थानीय निकायों जैसे नगर पालिका व नगर निगम आदि में इन जातियों को आरक्षण दिया गया है।

8. सिफारिश के आधार पर इन जातियों की संख्या का पता लगाया गया।
अतः उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि राजस्थान सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिश के आधार पर इन जातियों के लिए अनेक कार्यों का संचालन किया तथा राजस्थान सरकार ने सभी सरकारी नौकरियों, महाविद्यालयों एवं अन्य संस्थाओं में पिछड़ी जाति के सदस्यों के लिए आरक्षण प्रदान किया है।

प्रश्न 5.
धार्मिक अल्पसंख्यकों से आप क्या समझते हैं? उनके संरक्षण के लिए क्या उपाय किए गए हैं?
उत्तर:
अल्पसंख्यक शब्द दो शब्दों अल्प + संख्यक से मिलकर बना है। ‘अल्प’ का अर्थ है ‘कम’ तथा ‘संख्यक’ शब्द का अर्थ है ‘संख्या’ अर्थात् जिन जातियों या समूहों की संख्या कम हो, उन्हें अल्पसंख्यक कहा जाता है।
फ्रेंसिस्को कॉपटोर्टी के अनुसार, “किसी राष्ट्र/राज्य में रहने वाले समुदाय, जो संख्या में कम हों तथा सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से कमजोर हों एवं उनकी प्रजाति, धर्म, भाषा आदि बहुसंख्यकों से अलग होते हुए भी राष्ट्र के निर्माण, विकास, एकता, संस्कृति, परंपरा आदि को बनाये रखने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देते हों, तो ऐसे समुदायों को उस राष्ट्र – राज्य में अल्पसंख्यक माना जाना चाहिए”।
भारतीय संविधान में धारा 29 से 30 तक तथा 350 A से 350 B तक में अल्पसंख्यक शब्द का विवरण प्रस्तुत किया गया है। धार्मिक अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए भारतीय संविधान में विभिन्न अनुच्छेदों में प्रावधान किये गए हैं, जो निम्न प्रकार से हैं –
(1) अल्पसंख्यकों के लिए प्रावधान: भारतीय संविधान के भाग 111 के अनुच्छेद 29 और 30 में अल्पसंख्यक वर्गों के लिए कुछ विशेष प्रावधान किए गए हैं –

  • संविधान में सभी अल्पसंख्यकों को धार्मिक स्वतंत्रता दी गई है।
  • राज्य के प्रत्येक नागरिक को अपनी भाषा, लिपि व संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार है।
  • अनुच्छेद 30 में सभी अल्पसंख्यकों को अपनी शिक्षण संस्थाएँ स्थापित करने का अधिकार है।

(2) राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग: भारत सरकार ने अल्पसंख्यकों के समुदायों के सशक्तिकरण व उनकी भाषा आदि को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 पारित किया गया।

(3) 15 सूत्रीय कार्यक्रम: प्रधानमन्त्री ने जून 2006 में इनके लिए शिक्षा व रोजगार में समान अवसर देने के लिए 15 सूत्रीय कार्यक्रम की घोषणा की।

(4) शिक्षा व्यवस्था: राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समानता के लिए इन समुदायों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया।

(5) मदरसा शिक्षा के आधुनिकीकरण के लिए वित्तीय सहायता देना।

(6) अल्पसंख्यकों की शिक्षा के लिए संसाधन उपलब्ध कराना।

(7) अल्पसंख्यकों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग की व्यवस्था करना।

(8) अरबी तथा फारसी भाषा के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं को वित्तीय सहायता देना।

प्रश्न 6.
स्त्री समानता संघर्ष पर भारतीय दृष्टिकोण की चर्चा करें।
उत्तर:
भारतीय दृष्टिकोण किसी समाज के अध्ययन के अंग के रूप में स्त्री और पुरुष समान रूप से आते हैं। भारत में परिवार तथा नातेदारी की संरचना और प्रक्रिया को पुरुष प्रधान मानकर अध्ययन किया जाता है।
आज यदि हम भारतीय ग्रामीण परिवेश के संदर्भ में देखें, तो यह स्पष्ट होगा कि महिलाएँ परिवार के दायित्वों को जितनी अच्छी प्रकार से निभाती हैं, उसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कार्य से लेकर शारीरिक श्रम, मजदूरी एवं अन्य कार्य को भी करती हैं।
भारतीय दृष्टिकोण के संदर्भ में स्त्री समानता संघर्ष को निम्न माध्यमों के आधार पर दर्शाया जा सकता है –
1. मैलिनोवस्की एवं नाऊन जैसे अनेक मानवशास्त्री ने स्त्रियों की भूमिका को काफी कम आंका है, इनका अध्ययन का केन्द्रबिंदु प्रमुख रूप से पुरुष ही है।

2. महिलाओं द्वारा किये जाने वाले आर्थिक कार्यों को पुरुष समाज कोई महत्त्व न देकर उनके कार्य को घरेलू कार्य ही मानता है।

3. आज तक जितनी भी सामाजिक प्रक्रियाएँ व नीतियाँ हैं वे केवल स्त्री-पुरुष के बीच केवल भेद उत्पन्न करती हैं, स्त्री – पुरुष में समानता को स्पष्ट नहीं करती हैं।

4. भारत में आज भी स्त्रियों को दो पल दर्जे का जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है, इससे मुक्ति प्राप्त करने के लिए महिलाओं को संघर्ष भी करना पड़ रहा है।

5. जार्ज पीटर मुरडोल स्त्री और पुरुष में पाए जाने वाले भेदों को समाज में श्रम के लैंगिक विभाजन का आधार मानते हैं।

6. आज भी महिलाओं को समानता का अधिकार प्रदान नहीं किया गया है, उनके साथ आज भी भेदभाव किया जाता है।

7. भारत में महिलाओं की प्रस्थिति को नकारा गया है व पुरुषों की प्रस्थिति को अधिक महत्त्व दिया गया है। आज भी समाज में महिलाएं पुरुषों के ही अधीन पायी जाती हैं।

प्रश्न 7.
निःशक्तजनों (विशेष योग्य जनों) की देखभाल हेतु सरकार की क्या नीतियाँ हैं?
उत्तर:
नि:शक्तजनों से अभिप्राय उस समूह या व्यक्तियों से होता है जो शारीरिक या मानसिक रूप से बाधित होते हैं। सरकार ने नि:शक्तजनों की देखभाल हेतु अनेक नीतियों का क्रियान्वयन किया है जो निम्न प्रकार से है –
1. अनुच्छेद 41 में राज्य अपनी सामर्थ्य व विकास की सीमाओं के भीतर काम पाने, शिक्षा व बेकारी में तथा बुढ़ापे में नि:शक्तजनों को लोक सहायता पाने के अधिकार को उपलब्ध कराएगा।

2. भारतीय पुर्नवास परिषद् अधिनियम 1992 के अंतर्गत व्यावसायिकों व श्रमिकों के प्रशिक्षण का नियमन तथा उसकी देखभाल करने व विशेष शिक्षा में शोध को प्रोत्साहित करता है।

3. केन्द्र सरकार ने विकलांग जन को समान अवसर, अधिकार, संरक्षण व भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए विकलांगता अधिनियम 1995 को लागू किया गया है जिससे इन जनों को समानता का अधिकार प्रदान किया गया है।

4. राष्ट्रीय नीति 2006 में विकलांगजनों को अधिकार प्रदान किये गये हैं। इसमें उनके पुर्नवास, शिक्षा व सुरक्षा का प्रावधान किया गया है।

5. विकलांग छात्रों को मैट्रिक पूर्व एवं मैट्रिक उपरांत वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

6. विदेशी छात्रवृत्ति योजना स्नातकोत्तर तथा पी.एच.डी. कर रहे छात्रों को विदेशों में अध्ययन करने पर विकलांग छात्रों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है, प्रत्येक वर्ष 20 छात्रवृत्तियाँ दी जाती हैं।

7. जागरूकता विकास एवं प्रचार योजना सितंबर, 2014 में चलायी गयी थी, इस योजना का उद्देश्य विकलांगजनों को सशक्त बनाना था।

8. 21 मार्च, 2015 को कौशल विकास व उद्यम वृत्ति मंत्रालय के सहयोग से विकलांगजनों के कौशल प्रशिक्षण की राष्ट्रीय कार्य योजना की शुरुआत की गई। इसका मुख्य उद्देश्य इन लोगों को प्रशिक्षण एवं रोजगार के अवसरों में सुधार करना है।

RBSE Class 12 Sociology Chapter 3 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

RBSE Class 12 Sociology Chapter 3 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सामाजिक असमानता कैसी अवधारणा है?
(अ) सापेक्ष
(ब) निरपेक्ष
(स) दोनों
(द) कोई भी नहीं
उत्तरमाला:
(अ) सापेक्ष

प्रश्न 2.
‘कास्टा’ किस भाषा का शब्द है?
(अ) स्पेनिश
(ब) पुर्तगाली
(स) ग्रीक
(द) लैटिन
उत्तरमाला:
(ब) पुर्तगाली

प्रश्न 3.
किस वेद में जाति के उत्पत्ति का वर्णन किया गया है?
(अ) सामवेद
(ब) यर्जुवेद
(स) ऋग्वेद
(द) अथर्ववेद
उत्तरमाला:
(स) ऋग्वेद

प्रश्न 4.
“जाति को एक सामाजिक समूह” किसने माना है?
(अ) मजूमदार
(ब) मदान
(स) कर्वे
(द) केतकर
उत्तरमाला:
(द) केतकर

प्रश्न 5.
कौन – सी पार्टी दलित राजनीति को केन्द्र बनाती है?
(अ) कांग्रेस पार्टी
(ब) भाजपा
(स) बहुजन समाजवादी पार्टी
(द) कोई भी नहीं
उत्तरमाला:
(स) बहुजन समाजवादी पार्टी

प्रश्न 6.
“जाति एक बंद वर्ग है” यह परिभाषा किसकी है?
(अ) मजूमदार व मदान
(ब) केतकर
(स) कर्वे
(द) कोई भी नहीं
उत्तरमाला:
(अ) मजूमदार व मदान

प्रश्न 7.
‘डाँस ऑफ डेमोक्रेसी’ किसका लेख है?
(अ) आशीष त्रिपाठी
(ब) श्रीनिवास
(स) योगेन्द्र सिंह
(द) मदान
उत्तरमाला:
(अ) आशीष त्रिपाठी

प्रश्न 8.
“भारतीय जनजातियों को पिछड़े हिंदू” किसने माना है?
(अ) नर्मदेश्वर
(ब) मजूमदार
(स) घुरिये
(द) कर्वे
उत्तरमाला:
(स) घुरिये

प्रश्न 9.
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में जनजातियों का कितना प्रतिशत है?
(अ) 8.61 %
(ब) 8.0 %
(स) 7.6%
(द) 10 %
उत्तरमाला:
(अ) 8.61 %

प्रश्न 10.
राजस्थान में सर्वाधिक आबादी किस जनजाति की है?
(अ) भील
(ब) डामोर
(स) मीणा
(द) सहरिया
उत्तरमाला:
(स) मीणा

प्रश्न 11.
संविधान की किस धारा के अंतर्गत अनुसूचित जातियों को अधिसूचित किया गया है –
(अ) 339
(ब) 341
(स) 340
(द) 344
उत्तरमाला:
(ब) 341

प्रश्न 12.
राजस्थान में सर्वाधिक जनजातीय आबादी किस जिले में पायी जाती है?
(अ) अलवर
(ब) भरतपुर
(स) जयपुर
(द) उदयपुर
उत्तरमाला:
(द) उदयपुर

प्रश्न 13.
अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग महासभा की स्थापना कब हुई?
(अ) 1950
(ब) 1951
(स) 1947
(द) 1948
उत्तरमाला:
(अ) 1950

प्रश्न 14.
मंडल आयोग ने पिछड़े वर्गों के लिए प्रतिशत स्थान आरक्षित करने का सुझाव दिया था।
(अ) 33%
(ब) 25 %
(स) 27%
(द) 30%
उत्तरमाला:
(स) 27%

प्रश्न 15.
राजा राममोहन राय ने किस प्रथा का विरोध किया था?
(अ) विधवा विवाह
(ब) सती प्रथा
(स) जाति – प्रथा
(द) सभी का
उत्तरमाला:
(ब) सती प्रथा

प्रश्न 16.
“सुल्तानाज ड्रीम” नामक पुस्तक किसने लिखी?
(अ) बेगम रोकेया
(ब) ताराबाई शिंदे
(स) जोकोविच
(द) मूरे
उत्तरमाला:
(अ) बेगम रोकेया

प्रश्न 17.
संविधान का अनुच्छेद 14 किससे संबंधित है?
(अ) समानता
(ब) भेदभाव
(स) असमानता
(द) रंग – भेद
उत्तरमाला:
(अ) समानता

प्रश्न 18.
सच्चर समिति के अध्यक्ष कौन थे?
(अ) गजेन्द्र सच्चर
(ब) राजेन्द्र सच्चर
(स) राकेश
(द) महेन्द्र सच्चर
उत्तरमाला:
(ब) राजेन्द्र सच्चर

प्रश्न 19.
15 सूत्रीय कार्यक्रम की घोषणा कब हुई थी?
(अ) जून 2006
(ब) जुलाई 2007
(स) जून 2004
(द) जून 2005
उत्तरमाला:
(अ) जून 2006

प्रश्न 20.
राजस्थान में अनुसूचित जातियों की संख्या कितनी है?
(अ) 59
(ब) 60
(स) 61
(द) 65
उत्तरमाला:
(अ) 59

प्रश्न 21.
मृच्छकटिकम् किसकी रचना है?
(अ) कौटिल्य
(ब) शूद्रक
(स) कबीर
(द) कोई भी नहीं
उत्तरमाला:
(ब) शूद्रक

प्रश्न 22.
जनजातीय जनसंख्या की दृष्टि से राजस्थान का देश में कौन – सा स्थान है?
(अ) पाँचवाँ
(ब) तीसरा
(स) चौथा
(द) दूसरा
उत्तरमाला:
(अ) पाँचवाँ

प्रश्न 23.
‘अन्य पिछड़े वर्गों’ शब्द का प्रयोग संविधान के किस भाग में हुआ है?
(अ) भाग 14
(ब) भाग 15
(स) भाग 16
(द) भाग 17
उत्तरमाला:
(स) भाग 16

प्रश्न 24.
आंद्रे बिताई किस वर्ग को पिछड़े वर्गों का सार मानते थे?
(अ) श्रमिक वर्ग
(ब) पूँजीपति वर्ग
(स) कृषक वर्ग
(द) कोई भी नहीं
उत्तरमाला:
(स) कृषक वर्ग

प्रश्न 25.
मंडल आयोग ने सरकार को अपनी रिपोर्ट कब सौंपी?
(अ) 3 अप्रैल, 1982
(ब) 4 अप्रैल, 1982
(स) 5 अप्रैल, 1982
(द) 6 अप्रैल 1982
उत्तरमाला:
(अ) 3 अप्रैल, 1982

RBSE Class 12 Sociology Chapter 3 अति लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सामाजिक समानता किसे कहते हैं?
उत्तर:
सामाजिक समानता एक ऐसी स्थिति है जहाँ व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के अपने जीवन के विकास लिए समान अवसर प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 2.
सामाजिक असमानता किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब दो इकाइयाँ किसी भी आधार पर समान न हों तो ऐसी स्थिति को असमानता कहा जाता है।

प्रश्न 3.
सामाजिक अपवर्जन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जहाँ कोई समूह समाज की मुख्य धारा से अलग हो, तो ऐसी स्थिति या दशा को सामाजिक अपवर्जन कहते हैं।

प्रश्न 4.
‘जाति’ का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर:
जाति की उत्पत्ति पुर्तगाली भाषा के ‘कोस्टा’ से हुई है जिसका अर्थ है मत, विभेद या जन्म।

प्रश्न 5.
‘History of Caste in India’ किसकी पुस्तक है?
उत्तर:
यह पुस्तक प्रसिद्ध समाज शास्त्री केतकर के द्वारा लिखी गई है।

प्रश्न 6.
नर्मदेश्वर प्रसाद की पुस्तक का नाम बताइए।
उत्तर:
‘The Myth of the Caste System’ नामक पुस्तक नर्मदेश्वर प्रसाद द्वारा रचित है।

प्रश्न 7.
भारत की कुल आबादी में अनुसूचित जातियों की संख्या कितनी है?
उत्तर:
16.6 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जातियों की है जो भारत में निवास करती है।

प्रश्न 8.
‘National Park’ के प्रतिपादक कौन हैं?
उत्तर:
वेरियर एल्विन ‘National Park’ की नीति के प्रतिपादक हैं।

प्रश्न 9.
जवाहर लाल नेहरू ने किस नीति का क्रियान्वयन किया है?
उत्तर:
जवाहर लाल नेहरू ने ‘एकीकरण की नीति’ का क्रियान्वयन किया है।

प्रश्न 10.
राजस्थान में जनजातियों की संख्या कितनी है?
उत्तर:
92,38,534 जनसंख्या जनजातियों की है, जो राजस्थान में पायी जाती है।

प्रश्न 11.
राजस्थान में कौन – सी जनजाति सर्वाधिक पायी जाती है?
उत्तर:
मीणा जनजाति राजस्थान में सर्वाधिक पायी जाती है।

प्रश्न 12.
पिछड़े वर्ग का क्या अर्थ है?
उत्तर:
पिछड़ा वर्ग शब्द समाज के कमजोर वर्गों विशेषकर अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़े वर्गों के लिए प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 13.
किस वर्ष पिछड़े वर्ग शब्द का प्रयोग किया गया था?
उत्तर:
सन् 1917 – 18 में पिछड़े वर्ग शब्द का प्रयोग किया गया था।

प्रश्न 14.
किन राज्यों की सरकारों ने अपनी सूची में गैर – ब्राह्मण उच्च जातियों को सम्मिलित नहीं किया था?
उत्तर:
महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु ने अपनी सूची में गैर – ब्राह्मण उच्च जातियों को शामिल नहीं किया था।

प्रश्न 15.
राजस्थान सरकार ने पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था कब लागू की थी?
उत्तर:
राजस्थान सरकार ने पिछड़े वर्गों के लिए 1994 में 21 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था लागू की थी।

प्रश्न 16.
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की संख्या कितनी थी?
उत्तर:
2011 की जनगणनानुसार भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की संख्या लगभग 17.22 करोड़ थी।

प्रश्न 17.
सच्चर समिति को कौन – सा कार्य सौंपा गया था?
उत्तर:
सच्चर समिति को मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के आर्थिक एवं शैक्षिक स्तर के अध्ययन का प्रमुख कार्य सौंपा गया था।

प्रश्न 18.
सच्चर समिति ने भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट कब दी थी?
उत्तर:
सच्चर समिति ने 8 जून, 2006 को भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

प्रश्न 19.
भारत में विकलांगजनों की संख्या कितनी है?
उत्तर:
भारत में विकलांगजनों की संख्या 2.68 करोड़ है।

प्रश्न 20.
अन्तर्राष्ट्रीय निःशक्तजन दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर:
3 दिसंबर को अन्तर्राष्ट्रीय नि:शक्तजन दिवस मनाया जाता है।

प्रश्न 21.
भारत में जागरूकता विकास व प्रचार योजना की शुरुआत कब हुई थी?
उत्तर:
भारत में जागरूकता विकास व प्रचार योजना की शुरुआत सितंबर 2014 में हुई थी।

प्रश्न 22.
विधवाओं के पुनर्विवाह के लिए आंदोलन किसने चलाया?
उत्तर:
समाज सुधारक रानाडे ने विधवाओं के पुनर्विवाह के लिए आंदोलन चलाया।

प्रश्न 23.
लैंगिक अत्याचारों के विरुद्ध किसने आवाज उठाई थी?
उत्तर:
ज्योतिबा फुले ने लैंगिक अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाई थी।

प्रश्न 24.
‘स्त्री पुरुष तुलना’ पुस्तक किस वर्ष प्रकाशित हुई थी?
उत्तर:
1882 में ‘स्त्री पुरुष तुलना’ पुस्तक प्रकाशित हुई थी।

प्रश्न 25.
देश की पहली हाईकोर्ट महिला चीफ जिस्टस कौन थीं?
उत्तर:
देश की पहली हाईकोर्ट महिला चीफ जिस्टस लीला सेठ थीं।

RBSE Class 12 Sociology Chapter 3 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सामाजिक समानता की धारणा का समाज में उद्देश्य है?
उत्तर:
सामाजिक समानता एक ऐसी भावना या स्थिति है जो समाज में हर व्यक्ति को अपने जीवन में विकास के लिए समान अवसर उपलब्ध कराती है। समानता की धारणा के उद्देश्य –

  • समाज में लोगों को अवसर उपलब्ध कराना।
  • समाज में व्याप्त भेदभाव को दूर करना।
  • सभी को विकास व अपने कल्याण के लिए प्रोत्साहित करना।
  • अपने कार्यों व अधिकारों के प्रति सजग बनाना।

प्रश्न 2.
सामाजिक असमानता के प्रमुख आधारों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक असमानता भिन्नता की वह स्थिति हैं जिसके अंतर्गत दो या अधिक इकाइयों के मध्य तुलना की जाती है। जहाँ पर इकाइयाँ कुछ आधारों पर समान न हों, वहाँ असमानता की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
सामाजिक असमानता के प्रमुख आधार:

  • व्यवसाय: समाज में सभी व्यक्तियों का व्यवसाय समान नहीं होता, जिसके आधार पर उनमें असमानता पायी जाती है।
  • भाषा: भाषा के आधार पर हमारे समाज में काफी विषमता देखने को मिलती है जो असमानता को बढ़ावा देती है। 3. जाति: जाति के आधार पर संपूर्ण समाज असमान रूप से विकसित है।

इन आधारों के अलावा संस्कृति, शिक्षा, परिवार की स्थिति व प्रस्थिति आदि ऐसे अनेक आधार हैं जिनके आधार पर असमानता को दर्शाया जा सकता है।

प्रश्न 3.
सामाजिक असमानता के दोष बताइए।
उत्तर:
सामाजिक असमानता के दोषों को निम्न बिंदुओं के माध्यम से स्पष्ट कर सकते हैं।

  • सामाजिक असमानता की भावना ने लोगों के मध्य दूरी उत्पन्न की है।
  • इससे समाज में भेदभाव की नीति को बढ़ावा मिला है।
  • इससे समाज में अनेक समस्याओं को बल मिला है।
  • सामाजिक असमानता की भावना लोगों में हीनता की प्रवृत्ति को उत्पन्न करती है।

प्रश्न 4.
जाति की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जाति शब्द की उत्पत्ति पुर्तगाली भाषा के शब्द ‘Casta’ से हुई है, जिसका अर्थ मत, विभेद व जन्म से लगाया जाता है। जाति शब्द का संबंध व्यक्ति के गुणों व स्वभाव से रहा है।
जाति शब्द की उत्पत्ति का पता व समाजशास्त्र में प्रथम बार उपयोग ग्रेसिया – डी – आरेटा ने 1665 में किया था। इसके पश्चात् अब्बे द्रुबाय ने इसका प्रयोग ‘प्रजाति’ के संदर्भ में किया था।
जाति भारतीय सामाजिक संरचना का एक प्रमुख आधार रही है जो प्राचीन काल से चली आ रही है। जाति के आधार पर ही समाज चार भागों में विभाजित है – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र।
आज वर्तमान में अनेक जातियाँ व उनकी उपजातियाँ पायी जाती हैं। जिन्हें सरकार के माध्यम से व प्रजातांत्रिक प्रणाली से अनेक सुविधाओं व आरक्षण की प्राप्ति हुई है जिससे उनकी स्थिति में पूर्व की अपेक्षा काफी सुधार हुआ है।

प्रश्न 5.
अनुसूचित जातियों की सामाजिक निर्योग्यताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
प्राचीन काल में समाज में अनुसूचित जातियों को अनेक सामाजिक निर्योग्यताओं का सामना करना पड़ता था, जिसे निम्न बिंदुओं के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –

  1. खान – पान पर प्रतिबंध: इन जातियों के सदस्यों पर अनेक प्रकार से उनके खान – पान पर प्रतिबंध लगाया जाता था। उनके हाथों से पानी ग्रहण करना घोर पाप माना जाता था।
  2. धार्मिक क्रियाओं पर प्रतिबंध: इन जातियों के सदस्यों को धार्मिक क्रियाओं के संपादन पर भी रोक लगाई गयी थी। उन्हें मंदिरों में जाने, पूजा – अर्चना करने आदि में भाग लेने पर सख्त कड़ाई का पालन किया जाता था।
  3. छुआछूत या भेदभाव की नीति: इन जातियों के सदस्यों को देखना भी घोर अनर्थ समझा जाता था। समाज में इन्हें घृणित कार्यों जैसे सफाई व चमड़े का कार्य करने को विवश किया जाता था। इन कार्यों के परिणामस्वरूप लोगों ने इनके प्रति भेदभाव की नीति को अपना लिया जिसके फलस्वरूप समाज में अस्पृश्यता की भावना को बल मिला।

प्रश्न 6.
राजस्थान की जनजातियों की भौगोलिक बसावट की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान की जनजातियों की भौगोलिक बसावट की स्थिति को निम्न तथ्यों के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –

  • जनजातियों के निवास के क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों का संपर्क यातायात एवं आवागमन के साधनों से परंपरागत रूप से वंचित रहे हैं।
  • जनजातीय क्षेत्र नगरीकरण के प्रभाव से अंशत: ही प्रभावित हुए हैं।
  • जनजातीय क्षेत्र के सदस्यों को सरकार के द्वारा चलायी जाने वाली योजनाओं का लाभ मिलने का भी अभाव पाया जाता है।
  • जनजातीय क्षेत्र तकनीकी विकास से आज भी कोसों दूर हैं।

प्रश्न 7.
समाज में पिछड़ा वर्ग किसे माना जाता है?
उत्तर:
पिछड़ा वर्ग समाज का वह भाग है, जो सामाजिक शैक्षणिक व आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है। भारतीय इतिहास में भी पिछड़ा वर्ग उसे ही माना गया है जो सामाजिक व शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हैं।
समाज में रहने वाला यह वर्ग मुख्यतः कृषि द्वारा अपना जीवन – यापन करता है। इनमें मध्यम श्रेणी की वह समस्त जातियां आती हैं जो ब्राह्मणों से निम्न तथा अछूतों से उच्च समझी जाती हैं।
समाज में इस वर्ग की बहुलता पायी जाती है। इस वर्ग का पिछड़ापन व्यक्ति का नहीं अपितु समूह का एक लक्षण माना जाता है। संविधान में भी धारा 15(4) व 16 के अंतर्गत राज्य सरकारें भी आयोग का गठन कर रिपोर्टों के आधार पर सरकारी सेवाओं एवं शैक्षिक संस्थाओं में आरक्षण का प्रावधान कर सकती हैं। प्रत्येक राज्य में इनकी स्थिति में अंतर या भिन्नता देखने को मिलती है।

प्रश्न 8.
पिछड़े वर्ग को दिए गए आरक्षण के संदर्भ में विभिन्न राज्यों की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
पिछड़े वर्ग को दिए गए आरक्षण के संदर्भ में विभिन्न राज्यों में पाए जाने वाले तथ्यों को हम निम्न बिंदुओं के आधार पर स्पष्ट कर सकते हैं –

  • मंडल आयोग ने भारत सरकार को पिछड़े वर्गों के आरक्षण के लिए 27 प्रतिशत स्थान को आरक्षित करने का अवसर प्रदान किया था।
  • 16 नवंबर, 1992 को सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में पिछड़ी जातियों को 27 प्रतिशत आरक्षण को सही करार दिया।
  • केन्द्र सरकार ने 8 सितंबर, 1993 से पिछड़ी जातियों की आरक्षण व्यवस्था को लागू कर दिया।
  • उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने राज्य में रह रहे पिछड़ी जातियों के लिए दिसंबर 1993 से 27 प्रतिशत आरक्षण लागू कर दिया।
  • मध्य प्रदेश सरकार ने पिछड़े वर्गों के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण को लागू किया है।
  • राजस्थान सरकार ने इसमें 52 पिछड़ी जातियों को शामिल किया व 1994 में पिछड़े वर्ग के लिए 21 प्रतिशत आरक्षण को लागू किया।

विभिन्न राज्यों में पिछड़े वर्गों की आरक्षण की स्थिति अलग – अलग है। कर्नाटक में 40%, आंध्र प्रदेश में 25%, केरल में 25%, बिहार में 26%, महाराष्ट्र में 14 आदि राज्यों में आरक्षण की व्यवस्था भिन्न ही है।

प्रश्न 9.
समाज में महिलाओं को किन समस्याओं का सामना करना पड़ा है?
उत्तर:
समाज में महिलाओं को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा है। जो निम्न प्रकार से हैं –

  1. सती – प्रथा: प्राचीन समाज में महिलाओं को पति की मृत्यु होने पर उसकी चिता पर जलकर अपने जीवन का अंत कर देना होता था। समाज सुधारकों में राजा राममोहन राय ने सती – प्रथा का विरोध किया था।
  2. विधवा: विवाह पर रोक – समाज में विधवा विवाहों पर रोक लगायी गयी, उन्हें दोबारा विवाह करने का हक नहीं था। महाराष्ट्र में रानाडे ने विधवा पुनर्विवाह के लिए आंदोलन चलाया।
  3. लैंगिक अत्याचार: समाज में लिंग के आधार पर पुरुष व स्त्री में भेद किया जाता था। उन्हें कई प्रकार से शोषण का शिकार होना पड़ता था। इसी संदर्भ में ज्योतिबा फुले ने इसमें विरुद्ध आवाज़ उठाई व आंदोलन चलाया।

प्रश्न 10.
समाज में महिलाओं के साथ किन आधारों पर भेदभाव किया जाता था।
उत्तर:
समाज में महिलाओं के साथ अनेक आधारों पर भेदभाव किया जाता था –

  1. लिंग के आधार पर:
    समाज में महिलाओं को लिंग के आधार पर पुरुषों से कम आँका जाता था। वर्तमान भारतीय समाज हमारा एक पुरुष प्रधान समाज है जहाँ केवल पुरुषों के वर्चस्व को महत्त्व दिया जाता है। क्योंकि पुरुषों का जीवन सार्वजनिक होता है जबकि महिलाओं का निजी।
  2. काम के आधार पर भेदभाव:
    बचपन से महिलाओं की परवरिश यह बताकर की जाती है कि उन्हें अपने जीवन में घरेलू कार्यों को ही प्राथमिकता देनी है, पति को ही परमेश्वर मानना है तथा घर की चारदीवारी के भीतर ही अपना जीवन यापन करना है। इन आधारों पर महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है।

प्रश्न 11.
भारत सरकार ने महिलाओं के कल्याण के लिए किन नीतियों का क्रियान्वयन किया है?
उत्तर:
भारत सरकार ने महिलाओं के कल्याण के लिए अनेक नीतियों का क्रियान्वयन किया, जो निम्नलिखित हैं –

  • 1971 में महिलाओं की स्थिति को ध्यान में रखते हुए एक समिति का गठन किया गया।
  • समाज में महिला समानता की अवधारणा की उत्पत्ति हुई, जिससे महिलाओं की शक्ति, क्षमता व योग्यता में वृद्धि हुई।
  • महिलाओं के जीवन-स्तर में सुधार हुआ।
  • राजनीतिक दलों में महिलाओं के लिए कोटा निर्धारित किया गया।
  • संविधान में 1993 में 73वें व 74वें संविधान संशोधन द्वारा पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की व्यवस्था की गई।

प्रश्न 12.
महिलाओं के विकास के लिए दसवीं पंचवर्षीय योजना में कौन – कौन कदम उठाए गए?
उत्तर:
महिलाओं के विकास के लिए भारत में दसवीं पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल, 2002 से 31 मार्च, 2007 में अनेक कदम उठाए गए, जिसे निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से स्पष्ट कर सकते हैं –

  • महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए सकारात्मक रूप से आर्थिक एवं सामाजिक नीतियों का निर्माण करना।
  • महिलाओं के विकास के लिए उन्हें सामाजिक व आर्थिक रूप से सशक्त करना।
  • समाज में उनके विरुद्ध होने वाले हर प्रकार के भेदभाव को समाप्त करना।
  • महिलाओं को न्याय देने के लिए लैंगिक न्याय प्रदान करना।

प्रश्न 13.
अल्पसंख्यकों के हितों को बढ़ावा देने के लिए संविधान में किन प्रावधानों का निर्माण किया गया है?
उत्तर:
संविधान के भाग 111 व अनुच्छेद 29-30 में अल्पसंख्यकों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। संविधान में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा हेतु अनेक प्रावधानों को निर्मित किया है, जो निम्न प्रकार से हैं –

  • संविधान में अल्पसंख्यकों को किसी भी धर्म को मानने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
  • उन्हें अपनी भाषा, संस्कृति व लिपि को बनाए रखने का अधिकार प्राप्त है।
  • उन्हें अपनी इच्छानुसार शिक्षण संस्थाओं को स्थापित करने का अधिकार प्राप्त है।
  • राज्य किसी भी शिक्षण संस्थाओं को सहायता देने के लिए मना नहीं करेगा।

प्रश्न 14.
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, 1997 पर टिप्पणी कीजिाए।
उत्तर:
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, 1997 में अल्पसंख्यकों के लिए अनेक उपबंध निर्मित किए गए हैं –

  • अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा के उपायों का मूल्यांकन करना।
  • सरकार के अन्य विभागों को अल्पसंख्यकों की समस्याओं से संबंधित सुझाव देना।
  • अल्पसंख्यकों की सुरक्षा व दिए गए अधिकारों से वंचित करने संबंधी शिकायतों पर विचार करना।
  • समय – समय पर सरकार को अल्पसंख्यकों की समस्या से संबंधित जानकारी प्रदान करना।

प्रश्न 15.
अल्पसंख्यकों की शिक्षा नीति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 में अल्पसंख्यक समुदाय के पिछड़े अल्पसंख्यकों में समानता और सामाजिक न्याय के लिए शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है तथा साथ ही इसमें 1992 के अंतर्गत कुछ नवीन योजनाएँ भी जोड़ दी गई हैं –

  • शैक्षिक रूप से पिछड़े हुए अल्पसंख्यक समुदायों के लिए विशेष क्षेत्रीय कार्यक्रमों को निर्धारित किया गया है।
  • मदरसों में शिक्षा के आधुनिकीकरण में वित्तीय सहायता संबंधी योजना को प्रारंभ किया गया है।
  • इनको शिक्षा की समुचित व्यवस्था मुहैया कराने हेतु शैक्षिक संस्था आयोग का गठन 2004 में किया गया।
  • अल्पसंख्यक छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी हेतु निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था करना।

प्रश्न 16.
निःशक्तजनों के लिए संविधान में क्या प्रावधान किये गए हैं?
उत्तर:
नि:शक्तजनों के लिए संविधान में अनेक प्रावधानों को निर्मित किया गया है, जो निम्न प्रकार से हैं –

  1. संविधान के अनुच्छेद 41 में यह सदस्य बेकारी, शिक्षा व बुढ़ापे जैसी स्थिति में राज्य से लोक सहायता प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है।
  2. इनके सर्वांगीण विकास हेतु इनकी सामाजिक, आर्थिक व शैक्षिक स्थिति को सशक्त बनाने के लिए अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया है।
  3. अनुच्छेद 243 – छ की अनुसूची 11वीं व 243 – ब की 12वीं अनुसूची में इनके सामाजिक विकास हेतु पंचायतों व नगर पालिकाओं में व्यवस्था की गई है।

प्रश्न 17.
राष्ट्रीय न्यास पर समुचित टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय न्यास बहु विकलांगताओं से ग्रसित व्यक्तियों के कल्याण के लिए 1999 में संसद में एक अधिनियम द्वारा गठित एक संवैधानिक निकाय है। राष्ट्रीय न्यास के उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

  • विकलांगों को अपने स्वयं के परिवार में रहने हेतु सहायता प्रदान करना।
  • विकलांगों को अपने जीवन – यापन करने में समर्थ व सशक्त बनाना।
  • विकलांगों के माता – पिता की मृत्यु होने पर उनका संरक्षण एवं देखभाल के उपाय करना।

प्रश्न 18.
विकलांगजनों के पुनर्वास संबंधी उपायों को विवेचित कीजिए।
उत्तर:
विकलांगजनों के पुनर्वास संबंधी उपायों को निम्नलिखित आधारों पर स्पष्ट कर सकते हैं –

  • विकलांगजनों को स्व – रोजगार के लिए प्रेरित करना।
  • निजी क्षेत्रों में इनके लिए रोजगार की व्यवस्था करना।
  • इन लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना।
  • विकलांगजनों के विकास के लिए आर्थिक पुनर्वास नीति पर बल देना।
  • इनके समुचित पुनर्वासों की व्यवस्था करना।

प्रश्न 19.
विकलांग छात्रों के लिए निर्धारित की गई छात्रवृत्ति योजना के प्रमुख उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विकलांग छात्रों के लिए मैट्रिक पूर्व छात्रवृत्ति एवं मैट्रिक उपरांत छात्रवृत्ति देने का प्रावधान किया गया है, जिसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

  • छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता विकलांग जनों को मुहैया कराता है।
  • वित्तीय सहायता में पुस्तक, अनुदान व रीडर भत्ता आदि शामिल है।
  • दो छात्रवृत्ति योजनाओं के अंतर्गत लाभार्थियों का चयन राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों की मेरिट के आधार पर किया जाता है।

प्रश्न 20.
विकलांगजन सशक्तिकरण विभाग के प्रमुख उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विकलांगजन सशक्तिकरण विभाग का मुख्य उद्देश्य एक ऐसी समाजवेशी समाज बनाना है, जिसमें विकलांगजनों की उन्नति और विकास के समान अवसर प्रदान किये जाते हैं, जिसमें वे सुरक्षित, उपयोगी व सम्मानजनक रूप से अपना जीवन व्यतीत कर सकें। इस विभाग के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं –

  • शारीरिक पुनर्वास व चिकित्सा परामर्श प्रदान करना।
  • पुर्नवास कर्मियों को तैयार करना।
  • उनके सेवा प्रदायगी में सुधार करना।
  • उन्हें समाज में सजग व जागरूक बनाना।
  • उनके लिए सशक्तिकरण का समर्थन करना।

RBSE Class 12 Sociology Chapter 3 निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अनुसूचित जतियों की आर्थिक समस्याएँ या निर्योग्यताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-19वीं सदी के अंत तक अनुसूचित जातियों की अनेक निर्योग्यताएँ रही हैं। निर्योग्यताओं का तात्पर्य है – किसी वर्ग अथवा समूह को कुछ अधिकारों या सुविधाओं को प्राप्त करने के अयोग्य मान लेना। भारत में अस्पृश्य या अनुसूचित जातियों की अनेक समस्याएँ रही हैं। इन समस्याओं के कारण इन्हें जीवन में आगे बढ़ने व अपने व्यक्तित्व के विकास का अवसर नहीं दिया गया। अनुसूचित जातियों की प्रमुख आर्थिक समस्याएँ निम्नांकित हैं –
आर्थिक समस्याएँ:

आर्थिक समस्याओं के कारण अनुसूचित जातियों की आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि इन्हें विवश होकर, सवर्णों के झूठे भोजन, फटे – पुराने वस्त्रों एवं त्याज्य वस्तुओं से ही अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करनी पड़ी। अनुसूचित जातियों के लोगों को मल – मूत्र उठाने, सफाई करने, मरे हुए पशुओं को उठाने और उनके चमड़े से वस्तुएँ बनाने का कार्य ही सौंपा गया। इन्हें खेती करने, व्यापार चलाने या शिक्षा प्राप्त कर नौकरी करने का अधिकार नहीं दिया गया।

इन्हें भूमि – अधिकार तथा धन – संग्रह की आज्ञा नहीं दी गयी। इन लोगों को दासों के रूप में अपने स्वामियों की सेवा करनी पड़ती थी। अनुसूचित जातियों का आर्थिक दृष्टि से काफी शोषण हुआ है। उन्हें घृणित से घृणित पेशों को अपनाने के लि बाध्य किया गया व बदले में इतना भी नहीं दिया गया कि वे भर – पेट भोजन भी कर सकें। हिंदुओं ने धर्म के नाम पर अपने इस व्यवहार को उचित माना तथा अनुसूचित जातियों को इस व्यवस्था से संतुष्ट रहने के लिए बाध्य किया।

इन लोगों को शासन के काम में किसी भी प्रकार का कोई हस्तक्षेप करने, कोई सुझाव देने, सार्वजनिक सेवाओं के लिए नौकरी प्राप्त करने या राजनीतिक सुरक्षा प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं दिया गया। उपर्युक्त समस्याएँ मध्यकालीन सामाजिक व्यवस्था से विशेष रूप से संबंधित हैं। वर्तमान में अस्पृश्यों एवं अनुसूचित जातियों की समस्याएँ प्रमुखतः सामाजिक व आर्थिक हैं न कि धार्मिक व राजनीतिक। इन लोगों की निर्योग्यताएँ नगरों में समाप्त होती जा रही है परंतु गांवों में आज भी दिखलायी पड़ती हैं।

आजादी के बाद अनुसूचित जातियों के लोगों की समस्याएँ दूर हुई हैं। किंतु साथ ही किये गये कल्याण – कार्यों के परिणामस्वरूप अनेक नवीन समस्याएँ भी उत्पन्न हुई हैं।

प्रश्न 2.
अनुसूचित जातियों के संबंध में संवैधानिक व्यवस्थाओं का सविस्तार उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संविधान में अनुसूचित जातियों के लिए विशेष संरक्षण की व्यवस्था की गयी है, जो इस प्रकार है –
(1) संवैधानिक प्रावधान:

  • अनुच्छेद 17 के अनुसार अस्पृश्यता का अंत कर उसका किसी भी रूप में प्रचलन निषिद्ध कर दिया गया है।
  • अनुच्छेद 19 के आधार पर अस्पृश्यों की व्यावसायिक निर्योग्यता को समाप्त किया जा चुका है।
  • अनुच्छेद 25 में हिंदुओं के सार्वजनिक धार्मिक स्थानों के द्वार सभी जातियों के लिए खोल देने की व्यवस्था की गयी है।
  • अनुच्छेद 146 एवं 338 के अनुसार अनुसूचित जातियों के कल्याण एवं हितों की रक्षा के लिए राज्य में सलाहकार परिषदों एवं पृथक् – पृथक् विभाग की स्थापना का प्रावधान किया गया है।

(2) कल्याण एवं सलाहकार संगठन:

  • केन्द्र एवं राज्यों में अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं पिछड़े वर्गों के कल्याण हेतु अलग – अलग विभागों की व्यवस्था की गयी है।
  • कई राज्यों में अनुसूचित जातियों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए पृथक् मंत्रालय भी स्थापित किये गए हैं।
  • इसके साथ ही विशेष अधिकारी, जिसे अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के कमिश्नर के नाम से पुकारते हैं की व्यवस्था भी की गयी है।

(3) आर्थिक उन्नति हेतु प्रयास:

  • जनवरी 1976 में सरकार द्वारा पारित बंधक श्रमिक उन्मूलन कानून का विशेष लाभ अनुसूचित जाति के लोगों को ही मिला है।
  • सन् 1978 में सरकार द्वारा इस उद्देश्य से एक उच्चाधिकार समिति का गठन किया गया है जिससे कि अस्पृश्य जातियों की आर्थिक स्थिति एवं नौकरी संबंधी सुविधाओं की सही जानकारी मिल सके।
  • सरकारी नौकरी प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से अनुसूचित जातियों के सदस्यों की आयु सीमा तथा योग्यता मानदंड में भी विशेष छूट की व्यवस्था की गयी है।

अतः सरकार द्वारा चलाए जाने वाली अनेक योजनाओं से इनकी सामाजिक व आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।

प्रश्न 3.
महिलाओं के उत्थान के लिए किए गये प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में महिलाओं की असमानता को समाप्त करने के लिए एवं महिलाओं की समानता के लिए समय – समय पर अनेक आंदोलन चलाये गए हैं। राजा राममोहन राय, रानाडे व ज्योतिबा फुले जैसे अनेक समाज सुधारकों ने महिलाओं के उत्थान के लिए अनेक कार्य किये हैं। स्वतंत्रता के पश्चात् महिलाओं के लिए किए जने वाले प्रयास निम्नलिखित हैं –
1. समानता का अधिकार:
समानता का अधिकार संविधान में मौलिक अधिकार के अंतर्गत आता है। भारतीय संविधान सभी देशवासियों को समानता का अधिकार प्रदान करता है। इस प्रकार महिलाओं को भी पुरुषों की भाँति समान समझते हुए, समानता का अधिकार दिया गया है।

2. केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड की स्थापना:
भारत संचार ने 1953 में महिला कल्याण और वंचित समूहों के विकास के लिए भारत में केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड की स्थापना की है। यह बोर्ड महिला संगठनों के विकास को बढ़ावा देता है, जिससे महिला कार्यकर्ताओं में वृद्धि हो सके।
इससे समाज में महिलाओं की सामाजिक प्रस्थिति में बदलाव होगा व साथ ही उनकी भूमिका भी सशक्त होगी।

3. महिला कल्याण नीतियाँ:

  • आर्थिक स्वतन्त्रता संबंधी नीति: महिलाओं को अपना रोजगार लगाने व व्यापार करने के लिए छूट प्रदान की गयी है, जिससे वे आर्थिक रूप से समाज में सशक्त हो सकें।
  • शैक्षिक विकास नीति: महिलाओं की प्रस्थिति में सुधार करने के लिए उन्हें उच्च शिक्षा में छूट दी गयी व वित्तीय सहायता भी उपलब्ध करायी गयी।
  • स्वास्थ्य सुधार संबंधी नीति: महिलाओं के स्वास्थ्य की देख – रेख के लिए अनेक परामर्श केन्द्र बनाये गए हैं, जहाँ वे अपनी स्वास्थ्य संबंधी जाँच निःशुल्क करा सकती हैं।
  • संपत्ति अधिनियम नीति का क्रियान्वयन: महिलाओं को उत्तराधिकार अधिनियम में पिता की संपत्ति में बराबरी का हिस्सा प्रदान किया जाता है।
  • विवाह विच्छेद व पुनर्विवाह नीति: हिंदू कानून महिलाओं को संबंध – विच्छेद करना तथा पुनर्विवाह का अधिकार प्रदान करता है।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की संवैधानिक अवधारणा – भारत सरकार द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के सामाजिक, आर्थिक विकास के लिए, इन समुदायों को सशक्त करने, उनकी संस्कृति, भाषा व धार्मिक स्वरूप को बनाये रखने के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग 1992 में अधिनियमित किया गया। अधिनियम 1992 के अंतर्गत अल्पसंख्यक वर्ग उस समुदाय को माना गया, जिसको केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया, क्योंकि देश में सामाजिक एवं आर्थिक विकास में अल्पसंख्यक समुदाय की एक अहम् भूमिका रही है।

सरकार ने इन समुदायों के आर्थिक, सामाजिक उत्थान के लिए समय-समय पर अनेक योजनाएँ एवं कार्यक्रम संचालित किये हैं। केन्द्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1982 को सफल बनाने के लिए मई 1993 में एक अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया है। अल्पसंख्यक आयोग की भूमिका या महत्त्व –

  1. अल्पसंख्यक आयोग द्वारा संघ और राज्यों के अधीन अल्पसंख्यकों की उन्नति के लिए किये गये कार्यों का मूल्यांकन करना।
  2. अल्पसंख्यक समुदायों के सामाजिक, आर्थिक तथा शैक्षिक विकास के विभिन्न मुद्दों पर अध्ययन करना व उनका विश्लेषण करना।
  3. अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित कोई भी दिशा निर्देश, जो केन्द्र सरकार द्वारा दिये गए हों, उन पर कार्यवाही को सुनिश्चित करना।
  4. अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित किसी भी समस्या पर समय – समय पर अपना प्रतिवेदन तैयार करना व उसे केन्द्र सरकार के सामने प्रस्तुत करना।
  5. अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के उपायों का मूल्यांकन करना।
  6. सरकार के अन्य विभागों को अल्पसंख्यकों से संबंधित सुझाव देना।
  7. अल्पसंख्यक समुदाय को अधिकार एवं सुरक्षा उपायों से वंचित करने पर मिलने वाली शिकायतों पर गंभीरतापूर्वक विचार करना।
  8. आयोग को दिये गए कार्यों व विषयों पर विचार करना।
  9. अल्पसंख्यकों के लिए बनाये गए रोजगार कार्यक्रमों की समीक्षा करना।
  10. अल्पसंख्यकों की हितों की रक्षा के लिए राज्य सरकारों को अपने सुझाव देना।

प्रश्न 5.
सच्चर समिति की प्रमुख सिफारिशों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सच्चर समिति का गठन:
दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश राजेन्द्र सच्चर की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन 9 मार्च, 2005 को किया गया था। इस समिति को भारत के अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदायों के आर्थिक एवं शैक्षिक स्तर के अध्ययन का प्रमुख कार्य सौंपा गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों की आर्थिक स्थिति एवं शैक्षिक स्थिति का सही आकलन करना था। इस समिति ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों की आर्थिक एवं शैक्षिक स्थिति की रिपोर्ट 8 जून, 2006 को भारत सरकार को सौंपी थी। इस समिति ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों के लिए निम्नलिखित मुख्य सिफारिशें की हैं –
1. रोजगार के अवसरों का सृजन की सिफारिश – मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए आवश्यक उपाय किए जाएँ।

2. प्रतिनिधित्व के लिए समान अवसर की सिफारिश – छूटे हुए अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के हितों पर विचार करके उनके प्रतिनिधित्व के लिए एक समान अवसर आयोग का गठन किया जाये।

3. राष्ट्रीय डाटा बैंक का सृजन करने की सिफारिश – विभिन्न सामाजिक – धार्मिक वर्गों के लिए एक राष्ट्रीय डाटा बैंक का सृजन किया जाये।

4. विद्यालयों से जोड़ने की सिफारिश – सभी मदरसों को सीनियर सैकण्डरी विद्यालयों से जोड़ा जाए। इनके द्वारा निर्गमित उपाधियों की रक्षा एवं अन्य परीक्षाओं की अर्हता हेतु मान्यता किये जाने के लिए सिफारिशें करना।

5. धार्मिक भावना को बढ़ावा देने की सिफारिश – धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए पाठ्य – पुस्तकों के उचित सामाजिक मूल्यों को सुनिश्चित किया जाये।

6. अन्य सिफारिशें:

  • अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा संबंधी योजनाएँ लागू करने की सिफारिश की थी।
  • माध्यमिक स्तर तक गुणवत्ता युक्त शिक्षा की पहुँच के लिए राष्ट्रीय/माध्यमिक शिक्षा अभियान को पूरे देश में लागू करना।

प्रश्न 6.
अल्पसंख्यकों की समस्याओं के समाधान हेतु सरकार द्वारा किये जाने वाले प्रयासों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यकों की समस्याओं के समाधान हेतु सरकार ने अनेक प्रयास किये हैं। भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए अनेक प्रावधान किये गए हैं, जो इस प्रकार से हैं –
1. संविधान के अनुच्छेद 14, 15 व 16 में कानून के समक्ष समानता और विधि के समान संरक्षण का आश्वासन दिया गया है। किसी भी व्यक्ति के साथ धर्म, जाति आदि के आधार पर भेद – भाव नहीं किया जाएगा।

2. अनुच्छेद 25 में प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी धर्म को स्वीकार करने व प्रचार करने की छूट दी गई है।

3. अनुच्छेद 26 धार्मिक मामलों का प्रबंध करने, अनुच्छेद 27 धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु कर वसूल करने तथा अनुच्छेद 28 में सरकारी शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक उपासना में भाग न लेने की छूट दी गई है।

4. अनुच्छेद 29 में नागरिकों को अपनी विशेष भाषा, लिपि एवं संस्कृति को बनाये रखने, सरकारी शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश पर धर्म, मूलवंश व जाति के आधार पर भेदभाव न बरतने का प्रावधान किया गया है।

5. अनुच्छेद 30 धर्म व भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यकों को शिक्षण संस्थाएँ स्थापित करने एवं उनका प्रशासन करने का अधिकार देता है।

6. सन् 1978 में ‘अल्पसंख्यक आयोग’ की स्थापना की जिसका एक अध्यक्ष एवं सदस्य अल्पसंख्यक समुदायों में से होते हैं। यह कमीशन अन्य कार्यों के अतिरिक्त संविधान में किये गए संरक्षण प्रावधानों का मूल्यांकन करने, केन्द्र एवं राज्य सरकारों की नीतियों को लागू करने, सर्वेक्षण तथा अल्पसंख्यकों के कल्याण हेतु समय – समय पर रिपोर्ट देने का कार्य करता है।

7. सन् 1983 में केन्द्रीय सरकार ने पृथक से एक ‘अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ’ की स्थापना की जो प्रधानमन्त्री के 15 सूत्री कार्यक्रम का एक भाग है।

8. भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए पृथक् से एक कमीशन है जो संविधान में भाषायी अल्पसंख्यकों के लिए दिये गये प्रावधानों के बारे में जाँच पड़ताल करता है, उनसे संबंधित शिकायतों को सुनता है व उन्हें दूर करने का प्रयास करता है।

प्रश्न 7.
पिछड़े वर्गों की समस्याएँ एवं संवैधानिक प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पिछड़े वर्गों की समस्याएँ भी अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों से बहुत कुछ मिलती – जुलती हैं। यद्यापि अनुसूचित जातियों की भाँति उनसे अस्पृश्यता नहीं बरती जाती और उन्हें धार्मिक स्थानों, सार्वजनिक कुओं, उद्यानों, तालाबों एवं स्थानों के उपयोग की मनाही नहीं है, फिर भी अनेक सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक समस्याएँ उनके समान ही हैं। जाति संस्तरण में पिछड़े वर्गों का स्थान भी निम्न स्तर पर ही है। इन वर्गों में शिक्षा का अभाव है, अतः राजकीय सेवा में और विशेष रूप से उच्च पदों पर इस वर्ग के लोगों की संख्या बहुत कम है।
अधिकांशतः पिछड़े वर्गों के लोग परंपरागत व्यवसायों में लगे हुए हैं, अत: आधुनिक व्यवसायों, उद्योगों एवं व्यापार में इनका प्रतिनिधित्व अपर्याप्त है। गरीबी की मात्रा भी इन लोगों में अधिक है। इन्हें शासन करने का अधिकार भी नहीं था, अतः ये राजनीतिक सहभागिता से भी वंचित रहे हैं। इनकी समस्याओं के समाधान हेतु संविधान में जो प्रावधान किए गए हैं, वे इस प्रकार हैं –

  1. अनुच्छेद 16(4) के अंतर्गत राज्यों को पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में स्थान आरक्षित करने की शक्ति प्राप्त है।
  2. अनुच्छेद 15(4) के अंतर्गत राज्य को सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान किए जाने की शक्ति प्रदान की गई है।
  3. अनुच्छेद 340(1) के अंतर्गत राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया गया है कि वह सामाजिक व शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े हुए वर्गों की दशाओं एवं उनकी कठिनाइयों को ज्ञात करने के लिए एक आयोग की नियुक्ति करेगा जो उन कठिनाइयों को दूर करने हेतु उपायों के बारे में या उनके लिए दिए जाने वाले अनुदान या अनुदान की शर्तों आदि के बारे में केन्द्र या राज्य सरकारों को अपनी सिफारिश भेजेगा। आयोग अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को देगा और राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों में इसे रखेगा।

प्रश्न 8.
समाज में होने वाले सामाजिक आंदोलनों की विशेषता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
समाज में होने वाले सामाजिक आंदोलन की विशेषता निम्न प्रकार से है –
1. सामूहिक प्रयत्न: किसी भी आंदोलन को सामाजिक आंदोलन उसी समय कहा जाएगा जब उसमें समाज के अनेक व्यक्ति सम्मिलित हों। एक, दो या कुछ व्यक्तियों द्वारा समाज में सुधार लाने के प्रयासों को सामाजिक आंदोलन नहीं कहा जा सकता।

2. संकट अथवा समस्या: जब समाज में कोई ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिसे लोग और अधिक सहन नहीं कर सकते तो उसे हटा देने तथा उसके स्थान पर नयी व्यवस्था लाने के लिए सामाजिक आंदोलन किया जाता है।

3. अनौपचारिक संगठन: प्रत्येक सामाजिक आंदोलन का एक अनौपचारिक संगठन होता है। इस संगठन के द्वारा ही आंदोलन के लक्ष्यों को प्राप्त करने की योजना बनायी जाती है, साधन जुटाए जाते हैं, धन एकत्रित किया जाता है तथा लोगों को समय – समय पर दिशा – निर्देश दिए जाते हैं। इस प्रकार से अनौपचारिक संगठन सामाजिक आंदोलन की एक मुख्य विशेषता है।

4. विकास: कोई भी सामाजिक आंदोलन एक निर्मित वस्तु नहीं होता वरन् उसका धीरे – धीरे विकास होता है। उदाहरण के लिए, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन एक दिन या एक घटना की ही देन नहीं वरन् उसका एक लंबा इतिहास है और समय – समय पर उसमें अनेक प्रकार के कारकों ने योग दिया है।

5. नियोजित प्रयत्न: सामाजिक आंदोलन के लिए निश्चित योजना बनायी जाती है और विभिन्न चरणों में उसे पूरा करने का सामूहिक प्रयास किया जाता है।

6. अन्य विशेषताएँ:

  • सामाजिक आंदोलन में परिवर्तन की एक दिशा तय होती है।
  • सामाजिक आंदोलन के कुछ निश्चित उद्देश्य होते हैं, जिन्हें पाने के लिए ही आंदोलन किया जाता है।
  • प्रत्येक सामाजिक आंदोलन का कोई न कोई नेता अवश्य होता है, उसके अभाव में आंदोलन चल नहीं सकता। वही आंदोलन की योजना बनाता है। उसे क्रियान्वित करता है व उसका मार्ग प्रशस्त करता है।
  • वैचारिंकी ही सामाजिक आंदोलन के लक्ष्य एवं साधन निर्धारित करती है और उसके औचित्य को सिद्ध करती है। वैचारिकी ही आंदोलन को प्रेरित करती है, लोगों में आशा का संचार करती है।

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