UK Board 10th Class Science – Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक
UK Board 10th Class Science – Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक
UK Board Solutions for Class 10th Science – विज्ञान – Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक
अध्याय के अन्तर्गत दिए गए प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. CO2 सूत्र वाले कार्बन डाइऑक्साइड की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना क्या होगी?
उत्तर : CO2 सूत्र वाले कार्बन डाइऑक्साइड की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना निम्नवत् होगी —
प्रश्न 2. सल्फर के आठ परमाणुओं से बने सल्फर के अणु की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना क्या होगी?
[संकेत – सल्फर के आठ परमाणु एक अँगूठी के रूप में आपस में जुड़े होते हैं ।]
उत्तर : सल्फर अणु ( S8 ) की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना निम्नवत् है –
प्रश्न 3. पेन्टेन के लिए आप कितने संरचनात्मक समावयवों का चित्रण कर सकते हैं?
उत्तर : पेन्टेन (C5H12) के लिए हम तीन संरचनात्मक समावयवों को चित्रित कर सकते हैं। इनकी संरचनाएँ निम्नवत् होंगी-
प्रश्न 4. कार्बन के दो गुणधर्म कौन-से हैं जिनके कारण हमारे चारों ओर कार्बन यौगिकों की विशाल संख्या दिखाई देती है?
उत्तर : कार्बन के दो गुणधर्म जिनके कारण हमारे चारों ओर कार्बन यौगिकों की विशाल संख्या होती है, निम्नलिखित हैं-
(i) शृंखलन (Catenation) – कार्बन में अन्य कार्बन परमाणुओं के साथ आबन्ध बनाने की अद्वितीय क्षमता होती है जिससे दीर्घ अणुओं की प्राप्ति होती है। इन यौगिकों में कार्बन की दीर्घ श्रृंखला, शाखित श्रृंखला अथवा वलयाकार श्रृंखला हो सकती है। कार्बन परमाणुओं का यह विशिष्ट गुण ‘श्रृंखलन’ कहलाता है। अत: श्रृंखलन के कारण कार्बन यौगिकों की संख्या विशालतम होती है।
(ii) चतुःसंयोजकता (Tetravalency) — कार्बन की संयोजकता चार होती है; इसलिए यह चार अन्य कार्बन परमाणुओं अथवा किन्हीं एकलसंयोजी तत्वों के साथ आबन्ध बनाने की क्षमता रखता है। इसके परिणामस्वरूप कार्बन यौगिकों की विशाल संख्या का निर्माण होता है।
प्रश्न 5. साइक्लोपेन्टेन का सूत्र तथा इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना क्या होंगे?
उत्तर : साइक्लोपेन्टेन का सूत्र C5H10 है। इसकी संरचना निम्नवत् है-
प्रश्न 6. निम्न यौगिकों की संरचनाएँ चित्रित कीजिए-
(i) एथेनोइक अम्ल
(ii) ब्रोमोपेन्टेन*
(iii) ब्यूटेनोन
(iv) हेक्सेनल
*क्या ब्रोमोपेन्टेन के संरचनात्मक समावयव सम्भव हैं?
* हाँ, ब्रोमोपेन्टेन के लिए संरचनात्मक समावयव सम्भव हैं।
प्रश्न 7. निम्न यौगिकों का नामकरण कैसे करेंगे-
उत्तर : (i) ब्रोमोएथेन ।
(ii) मेथेन ।
(iii) हेक्साइन।
प्रश्न 8. एथेनॉल से एथेनोइक अम्ल में परिवर्तन को | ऑक्सीकरण अभिक्रिया क्यों कहते हैं?
उत्तर : एथेनॉल से एथेनोइक अम्ल में परिवर्तन एक ऑक्सीकरण अभिक्रिया है क्योंकि एथेनोइक अम्ल, एथेनॉल से ऑक्सीजन के योग द्वारा उत्पन्न होता है। अतः यह एक ऑक्सीकरण अभिक्रिया है।
प्रश्न 9. ऑक्सीजन तथा एथाइन के मिश्रण का दहन वेल्डिंग के लिए किया जाता है। क्या आप बता सकते हैं कि एथाइन तथा वायु के मिश्रण का उपयोग क्यों नहीं किया जाता ?
उत्तर : वेल्डिंग के लिए ऊष्मा की अत्यधिक मात्रा की आवश्यकता पड़ती है। यदि वायु तथा एथाइन का मिश्रण जलाया जाए तो पूर्ण दहन हेतु . ऑक्सीजन की उपलब्धता अपर्याप्त होगी जिससे ऊष्मा की कम मात्रा का उत्पादन होगा। परन्तु जब ऑक्सीजन तथा एथाइन का मिश्रण जलाया जाता है तो पूर्ण दहन होता है तथा वेल्डिंग प्रक्रम हेतु पर्याप्त ऊष्मा का उत्पादन होता है।
प्रश्न 10. प्रयोग द्वारा आप ऐल्कोहॉल एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल में कैसे अन्तर कर सकते हैं?
उत्तर : ऐल्कोहॉल तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल के मध्य विभेद करने के लिए हम निम्नलिखित परीक्षण करेंगे-
प्रश्न 11. ऑक्सीकारक क्या हैं?
उत्तर : वे रासायनिक पदार्थ जो स्वयं अपचयित होकर दूसरे को ऑक्सीकृत करते हैं, उन्हें ऑक्सीकारक कहते हैं; जैसे- KMnO4, K2Cr2O7 ऑक्सीकारक हैं।
प्रश्न 12. क्या आप डिटर्जेण्ट उपयोग कर बता सकते हैं कि कोई जल कठोर है अथवा नहीं?
उत्तर : नहीं।
प्रश्न 13. लोग विभिन्न प्रकार से कपड़े धोते हैं। सामान्यतः साबुन लगाने के बाद लोग कपड़े को पत्थर पर पटकते हैं, डंडे से पीटते हैं, बुश से रगड़ते हैं या वाशिंग मशीन में कपड़े रगड़े जाते हैं। कपड़ा साफ करने के लिए उसे रगड़ने की क्यों आवश्यकता होती है?
उत्तर : साबुन को तेल, धूल-कणों, मैल आदि तक पहुँचाने तथा मिसेल बनाने के लिए, साबुन लगे कपड़ों को हिलाना (agitate) या रगड़ना आवश्यक होता है। मिसेल कपड़ों से तेल तथा धूल के कणों को हटाने में सहायता प्रदान करते हैं।
अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. एथेन का आण्विक सूत्र C2H6 है। इसमें—
(a) 6 सहसंयोजक आबन्ध हैं,
(b) 7 सहसंयोजक आबन्ध हैं,
(c) 8 सहसंयोजक आबन्ध हैं,
(d) 9 सहसंयोजक आबन्ध हैं।
उत्तर : (b) 7 सहसंयोजक आबन्ध हैं।
प्रश्न 2. ब्यूटेनोन चतुः कार्बन यौगिक है जिसका प्रकार्यात्मक समूह –
(a) कार्बोक्सिलिक अम्ल,
(b) ऐल्डिहाइड,
(c) कीटोन,
(d) ऐल्कोहॉल।
उत्तर : (c) कीटोन।
प्रश्न 3. खाना बनाते समय यदि बर्तन की तली बाहर से काली हो रही है तो इसका मतलब है कि-
(a) भोजन पूरी तरह नहीं पका है,
(b) ईंधन पूरी तरह से नहीं जल रहा है,
(c) ईंधन आर्द्र है,
(d) ईंधन पूरी तरह से जल रहा है। .
उत्तर : (b) ईंधन पूरी तरह से नहीं जल रहा है।
प्रश्न 4. CH3Cl में आबन्ध निर्माण का उपयोग कर सहसंयोजक आबन्ध की प्रकृति समझाइए ।
उत्तर : CH3Cl में निम्नवत् आबन्ध निर्मित होते हैं-
स्पष्ट है कि CH3Cl में सहसंयोजक आबन्ध की प्रकृति एकल सहसंयोजक है।
प्रश्न 5. इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना बनाइए—
(a) एथेनोइक अम्ल,
(b) H2S,
(c) प्रोपेनोन,
(d) F2.
उत्तर : (a) एथेनोइक अम्ल (CH3COOH)
(b) हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S)
(c) प्रोपेनोन (CH3COCH3)
(d) फ्लुओरीन अणु (F2)
प्रश्न 6. समजातीय श्रेणी क्या है ? उदाहरण के साथ समझाइए।
उत्तर : समजातीय श्रेणी यौगिकों का एक समूह अथवा परिवार है जिनमें एक ही क्रियात्मक समूह विद्यमान होता है परन्तु श्रृंखला की लम्बाइयाँ भिन्न-भिन्न होती हैं। अतः इन यौगिकों के रासायनिक गुण समान तथा भौगिक गुण भिन्न ( एकसमान रूप से परिवर्तित ) होते हैं। दो क्रमागत सजातों के आण्विक सूत्रों में 1 कार्बन परमाणु तथा 2 हाइड्रोजन परमाणुओं (—CH2) का अन्तर होता है।
उदाहरण – ऐल्केन परिवार एक सजातीय श्रेणी है जिनका सामान्य सूत्र CnH2n + 2 होता है। इस श्रेणी के कुछ सदस्य हैं-
मेथेन (CH4), एथेन (C2H6), प्रोपेन ( C3H8), ब्यूटेन (C4H10 ) आदि।
प्रश्न 7. भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्मो के आधार पर एथेनॉल एवं एथेनोइक अम्ल में आप कैसे अन्तर करेंगे?
उत्तर : एथेनॉल तथा एथेनोइक अम्ल के बीच अन्तर निम्नलिखित है-
प्रश्न 8. जब साबुन को जल में डाला जाता है तो मिसेल का निर्माण क्यों होता है? क्या एथेनॉल जैसे दूसरे विलायकों में भी मिसेल का निर्माण होगा?
उत्तर— साबुन दीर्घ श्रृंखला के कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम अथवा पोटैशियम लवणों का एक अणु होता है। साबुन का आयनिक सिरा जल में विलेय अर्थात् जल-स्नेही होता है जबकि कार्बन श्रृंखला जल में अविलेय अर्थात् जल-विरोधी होती है। जब साबुन जल की सतह पर होता है तो साबुन की जल-विरोधी ‘पुच्छ’ जल में विलेय नहीं होती तथा साबुन जल की सतह पर ही रहता है। इस स्थिति में साबुन का जल-स्नेही आयनिक सिरा जल में रहता है तथा हाइड्रोकार्बन ‘पुच्छ’ जल के बाहर रहती है।
जल के भीतर ये अणु एक विशिष्ट विन्यास में रहते हैं जिसमें हाइड्रोकार्बन भाग जल के बाहर रहता है। ऐसा अणुओं के गुच्छे (clusters) बनाकर सम्भव होता है जिनमें जल-विरोधी ‘पुच्छ’ गुच्छे के भीतर रहती है तथा आयनिक सिरा (जल-स्नेही) गुच्छे की सतह पर रहता है। इस प्रकार साबुन के अणु मिसेल का निर्माण करते हैं।
अन्य किसी विलायक; जैसे— एथेनॉल में मिसेल का निर्माण नहीं होता ।
प्रश्न 9. कार्बन एवं उसके यौगिकों का उपयोग अधिकतर अनुप्रयोगों में ईंधन के रूप में क्यों किया जाता है?
उत्तर : कार्बन एवं उसके यौगिकों का अधिकतर अनुप्रयोगों में ईंधन रूप में प्रयोग करने के कारण निम्नलिखित हैं-.
(i) ये स्वच्छ ईंधन होते हैं।
(ii) ये धुआँ उत्पन्न नहीं करते ।
(iii) इन्हें जलाने से कोई अवशेष नहीं बचता।
(iv) इनका ज्वलन ताप मध्यम (medium) होता है।
(v) इनका कैलोरीमान उच्च होता है।
(vi) ये जलाने पर हानिकारक गैसें उत्पन्न नहीं करते।
प्रश्न 10. कठोर जल को साबुन से उपचारित करने पर झाग के निर्माण को समझाइए ।
उत्तर : जल की कठोरता कैल्सियम तथा मैग्नीशियम लवणों की उपस्थिति के कारण होती है। जब कठोर जल साबुन से अभिक्रमित होता है तो साबुन कैल्सियम तथा मैग्नीशियम लवणों के साथ अभिक्रिया करके अविलेय पदार्थ बना देता है। ये अविलेय पदार्थ जल में झाग की परत (scum) बनाते हैं।
प्रश्न 11. यदि आप लिटमस पत्र (लाल एवं नीला) से साबुन की जाँच करें तो आपका प्रेक्षण क्या होगा?
उत्तर : साबुन की प्रकृति क्षारीय होती है। अत: यह लाल लिटमस पत्र को नीला कर देता है तथा नीले लिटमस पत्र पर इसका कोई प्रभाव नहीं होता।
प्रश्न 12. हाइड्रोजनीकरण क्या है? इसका औद्योगिक अनुप्रयोग क्या है?
उत्तर : किसी असंतृप्त हाइड्रोकार्बन के द्वि- अथवा त्रि-बन्ध के दोनों ओर हाइड्रोजन का योग, हाइड्रोजनीकरण कहलाता है; जैसे—
औद्योगिक स्तर पर इस योगात्मक अभिक्रिया का प्रयोग ‘वनस्पति घी’ बनाने में किया जाता है। वनस्पति तेलों; जैसे—मूँगफली का तेल तथा बिनौले का तेल, में द्वि-आबन्ध (C=C) होते हैं। निकिल उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजनीकरण पर ये वनस्पति घी देते हैं (उत्प्रेरकीय हाइड्रोजनीकरण) ।
प्रश्न 13. दिए गए हाइड्रोकार्बन C2H6, C3H8, C3H6, C2H2 एवं CH4 में किसमें संकलन अभिक्रिया होती है?
उत्तर : संकलन अभिक्रिया दर्शाने वाले हाइड्रोकार्बन हैं – C3H6 तथा C2H2 |
प्रश्न 14. मक्खन एवं खाना बनाने वाले तेल के बीच | रासायनिक अन्तर समझने के लिए एक परीक्षण बताइए।
उत्तर : मक्खन एवं खाना बनाने वाले तेल के बीच रासायनिक रूप से अन्तर स्पष्ट करने के लिए, इन दोनों को निकिल (उत्प्रेरक) की उपस्थिति में हाइड्रोजन गैस के साथ अभिक्रमित करते हैं। इससे निम्नलिखित परिणाम प्राप्त होते हैं-
(i) द्विआबन्धयुक्त खाना पकाने का तेल हाइड्रोजन के साथ 473 K पर वनस्पति घी देता है।
(ii) एकल आबन्धयुक्त मक्खन हाइड्रोजन गैस से अभिक्रिया नहीं करता।
प्रश्न 15. साबुन की सफाई प्रक्रिया की क्रियाविधि समझाइए ।
उत्तर : कपड़ों में गन्दगी सामान्यतया तेलीय पदार्थ के रूप में अवशोषित रहती है। इसे जल से नहीं हटाया जा सकता क्योंकि यह तेलीय गन्दगी जल के साथ भली-भाँति मिश्रित नहीं होती। परन्तु जब एक गन्दे कपड़े को साबुन के घोल में डाला जाता है तो गन्दगी तथा चिकनाई स्वयं ही साबुन के अणु के हाइड्रोकार्बन घटक से जुड़ जाती है। साबुन का आयनिक सिरा (–COONa) जो जल के अणुओं से जुड़ा रहता है, हाइड्रोकार्बन घटक को गन्दगी के साथ कपड़े की सतह से दूर धकेल देता है तथा कपड़ा साफ हो जाता है।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
- विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. अपररूपता किसे कहते हैं? कार्बन के दो अपररूपों नाम बताइए। इनमें से एक अपररूप के गुण तथा उपयोग लिखिए-
उत्तर : अपररूपता
किसी तत्व का दो या दो से अधिक मुक्त रूपों में पाया जाना, जिनके रासायनिक गुण तो एकसमान हों परन्तु भौतिक गुण अत्यधिक भिन्न हों, अपररूपता कहलाता है। एक ही तत्व के इन विभिन्न रूपों को अपररूप कहते हैं। कार्बन के दो अपररूप हैं – हीरा तथा ग्रेफाइट । हीरा तथा ग्रेफाइट रासायनिक रूप से एकसमान हैं परन्तु उनके भौतिक गुण अत्यधिक भिन्न हैं। कार्बन की अपररूपता, हीरे तथा ग्रेफाइट के क्रिस्टलों में कार्बन परमाणुओं की भिन्न-भिन्न व्यवस्थाओं ( different arrangements) के कारण है।
हीरा
गुण— (i) हीरा एक पारदर्शक पदार्थ है जिसकी एक अद्वितीय चमक होती है।
(ii) हीरा एक अत्यधिक कठोर पदार्थ है। वास्तव में हीरा, ज्ञात प्राकृतिक पदार्थों में से सबसे कठोर है।
(iii) हीरा काफी भारी होता है। हीरे का विशिष्ट घनत्व 3:52 है।
(iv) हीरा, ऊष्मा तथा विद्युत का कुचालक है।
(v) हीरा सभी विलायकों में अघुलनशील है।
(vi) हीरा, रासायनिक दृष्टि से बहुत निष्क्रिय होता है और लाल-तप्त करने पर ही ऑक्सीजन में जलता है जिससे केवल कार्बन डाइऑक्साइड बनती है।
(vii) हीरे का अपवर्तनांक (Refractive index) उच्च होता है इसलिए हीरे में बहुत अधिक चमक होती है। हीरे का यह गुण उसे आभूषणों में लगने वाला बहुमूल्य रत्न बना देता है।
उपयोग — (i) हीरे का उपयोग काटने के औजार (cutting tools) बनाने के लिए; चट्टानों में छेद करने के लिए वेधन उपकरण (drilling equipment) बनाने के लिए तथा पिसाई के यन्त्र (grinding machines) बनाने के लिए किया जाता है। हीरे के ये सब उपयोग उसकी अत्यधिक कठोरता के कारण हैं।
(ii) नुकीले सिरों वाले हीरों का उपयोग आँखों के शल्यचिकित्सकों द्वारा आँखों मोतियाबिन्द निकालने के लिए एक औजार के रूप में किया जाता है। हीरे के उपयोग से मोतियाबिन्द के ऑपरेशन अत्यधिक दक्षता तथा सूक्ष्मता से सम्पन्न किए जा सकते हैं।
(iii) हीरों का उपयोग आभूषण बनाने में किया जाता है। हीरों का यह उपयोग उनके इस गुण के कारण है कि उनमें प्रकाश का अपवर्तन तथा परावर्तन करने की अद्भुत क्षमता होती है जिससे उन्हें अद्वितीय चमक प्राप्त हो जाती है।
प्रश्न 2. ग्रेफाइट क्या होता है? ग्रेफाइट के महत्त्वपूर्ण गुण तथा उपयोग लिखिए।
उत्तर : ग्रेफाइट
ग्रेफाइट कार्बन का एक अपररूप है।
गुण- (i) ग्रेफाइट, काले रंग का अपारदर्शक तथा चमकदार पदार्थ होता है।
(ii) ग्रेफाइट, मुलायम तथा परतदार पदार्थ होता है जो स्पर्श करने पर साबुन जैसा चिकना प्रतीत होता है।
(iii) ग्रेफाइट, हीरे से बहुत हल्का होता है। ग्रेफाइट का विशिष्ट घनत्व 2 ·3 है।
(iv) ग्रेफाइट, ऊष्मा तथा विद्युत का सुचालक है।
(v) ग्रेफाइट कागज पर काला निशान बना देता है। इसी कारण ग्रेफाइट को काला सीसा (black lead) भी कहते हैं।
(vi) रासायनिक दृष्टि से ग्रेफाइट, हीरे की तुलना में कम निष्क्रिय होता है। ग्रेफाइट वायु या ऑक्सीजन में सख्त गर्म करने पर जलता है और जलने पर केवल कार्बन डाइऑक्साइड बनाता है।
(vii) जब ग्रेफाइट को कुछ उत्प्रेरकों की उपस्थिति में अत्यधिक उच्च दाब पर गर्म किया जाता है तो वह हीरे में परिवर्तित हो जाता है।
उपयोग — (i) ग्रेफाइट का उपयोग शुष्क सेलों (dry cells) तथा विद्युत आर्क (electric arc) में इलेक्ट्रोड के रूप में होता है। ग्रेफाइट का यह उपयोग उसके इस गुण पर आधारित है कि ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक है। विद्युत मोटरों के कार्बन ब्रुश भी ग्रेफाइट के ही बने होते हैं।
(ii) ग्रेफाइट का उपयोग ग्रेफाइट क्रुसिबिल (graphite erucible) बनाने में होता है जो उद्योगों में धातुओं को पिघलाने के लिए इस्तेमाल की जाती है। प्रेफाइट का यह उपयोग उसके उच्च गलनांक के कारण है।
(iii) ग्रेफाइट चूर्ण, भारी मशीनों में स्नेहक (lubricant) के रूप में उपयोग किया जाता है जहाँ पर उच्च ताप के कारण अन्य स्नेहक अनुपयुक्त होते हैं। ग्रेफाइट का स्नेहक के रूप में यह उपयोग उसके मुलायम तथा चिकना होने के कारण है।
(iv) ग्रेफाइट का उपयोग काले रंग के पेण्ट (black paint) बनाने में होता है।
(v) प्रेफाइट का उपयोग पेंसिल के सिक्के बनाने के लिए किया जाता हैं जिन्हें ‘पेंसिल लेड’ कहते हैं। ग्रेफाइट का यह उपयोग इस गुण पर आधारित है कि वह काला तथा मुलायम होने के कारण, कागज पर काली लाइनें लगा देता है।
प्रश्न 3. सजातीय श्रेणी क्या होती है? किसी सजातीय श्रेणी के प्रमुख लक्षण बताइए। ऐल्कीन की सजातीय श्रेणी का भी वर्णन कीजिए ।
उत्तर : सजातीय श्रेणी
सजातीय श्रेणी, कार्बन के यौगिकों का एक ऐसा समूह होता है जिनकी संरचनाएँ तथा रासायनिक गुण एकसमान होते हैं तथा जिनके साथ वाले किन्हीं दो यौगिकों के आण्विक सूत्रों में एक निश्चित अन्तर होता है । किसी भी सजातीय श्रेणी के विभिन्न कार्बन यौगिकों (या सदस्यों) को सजात कहते हैं। स्पष्ट है कि दो निकटवर्ती सजातों में CH2 ग्रुप का अन्तर होता है अर्थात् एक कार्बन परमाणु तथा दो हाइड्रोजन परमाणुओं का अन्तर होता है।
उदाहरण – सभी ऐल्केनों की संरचनाएँ एक प्रकार की होती हैं क्योंकि इन सभी में एकल आबन्ध होते हैं तथा सभी ऐल्केनों के रासायनिक गुण भी एकसमान होते हैं, इसलिए उन्हें एक सजातीय श्रेणी के रूप में एक साथ रखा जा सकता है। अतः मेथेन, एथेन, प्रोपेन, ब्यूटेन, पेन्टेन तथा हेक्सेन जैसे संतृप्त हाइड्रोकार्बन, ऐल्केनों की सजातीय श्रेणी बनाते हैं। ऐल्केनों की सजातीय श्रेणी के पहले छह सदस्यों के नाम तथा उनके आण्विक सूत्र निम्नलिखित हैं-
ऐल्केन की सजातीय श्रेणी ( सजातीय श्रेणी या होमोलोगस श्रेणी) का सामान्य सूत्र (general formula) CnH2n + 2 हैं जहाँ n ऐल्केन के एक अणु में कार्बन परमाणुओं की संख्या दर्शाता है। मेथेन में 1 कार्बन परमाणु है, इसलिए मेथेन के लिए n का मान 1 है। एथेन में 2 कार्बन परमाणु हैं, इसलिए एथेन के लिए n = 2. इसी प्रकार प्रोपेन के लिए n = 3, ब्यूटेन के लिए n = 4, पेन्टेन के लिए n = 5 तथा हेक्सेन के लिए = 6 है।
सजातीय श्रेणी के प्रमुख लक्षण
किसी भी सजातीय श्रेणी के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-
(i) किसी भी सजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों को एक ही सामान्य सूत्र द्वारा निरूपित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए – ऐल्केन सजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों को एक ही सामान्य सूत्र CnH2n + 2 द्वारा दर्शाया जा सकता है (जहाँ, 7 ऐल्केन के अणु में कार्बन परमाणुओं की संख्या दर्शाता है। ) ।
(ii) किसी भी सजातीय श्रेणी के दो साथ-साथ वाले (या निकटवर्ती) सजातों में एक कार्बन परमाणु तथा दो हाइड्रोजन परमाणुओं का अन्तर होता है (अर्थात् CH2 ग्रुप का अन्तर होता है) । उदाहरण के लिए—मेथेन (CH4) तथा एथेन (C2H6) में कार्बन परमाणु तथा दो हाइड्रोजन परमाणुओं का अन्तर होता है अर्थात् CH2 समूह का अन्तर होता है।
(iii) किसी भी सजातीय श्रेणी के सदस्यों के भौतिक गुणों में आण्विक द्रव्यमान बढ़ने के साथ-साथ क्रमिक परिवर्तन होता है।
(iv) किसी भी सजातीय श्रेणी के सभी सदस्य एक से रासायनिक गुण प्रदर्शित करते हैं।
(v) किसी भी सजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों को लगभग एकंसमान विधियों से बनाया जा सकता है।
ऐल्कीनों की सजातीय श्रेणी
सभी ऐल्कीनों में कार्बन – कार्बन द्वि-आबन्ध होता है तथा वे एक सजातीय श्रेणी बनाती हैं। ऐल्कीनों की सजातीय श्रेणी का सामान्य सूत्र CnH2n होता है जहाँ, n ऐल्कीन के एक अणु में कार्बन के परमाणुओं की संख्या दर्शाता है। सरलतम ऐल्कीन में 2 कार्बन परमाणु होते हैं इसलिए ऐल्कीनों के लिए ” का मान कम-से- -कम 2 होता है। ऐल्कीनों की समजातीय श्रेणी के पहले पाँच सदस्यों के नाम हैं- एथीन, प्रोपीन, ब्यूटीन पेन्टीन तथा हेक्सीन । इनके आण्विक सूत्र आगे दिए गए हैं-
प्रश्न 4. समावयवता से आप क्या समझते हैं? एक उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर : समावयवता
दो या दो से अधिक ऐसे कार्बन यौगिकों की उपस्थिति, जिनके आण्विक सूत्र एकसमान होते हैं परन्तु संरचनाएँ भिन्न-भिन्न होती हैं कहलाती है। उदाहरण के लिए-ब्यूटेन हाइड्रोकार्बन (C4H10) अर्थात् परमाणुओं की व्यवस्थाएँ भिन्न-भिन्न होती हैं, समावयवता समावयवता दर्शाता है। इसके दो समावयव (isomers) होते हैं जिनके नाम ‘नॉर्मल-ब्यूटेन’ तथा ‘आइसो – ब्यूटेन’ हैं। ब्यूटेन इन दोनों समावयवों का आण्विक सूत्र C4H10 होता है परन्तु उनके परमाणु की व्यवस्थाएँ ( arrangements) भिन्न-भिन्न होती हैं अर्थात् उनकी संरचनाएँ (structures) भिन्न-भिन्न होती हैं जैसा कि निम्नवत् दर्शाया गया है—
n- -ब्यूटेन की सीधी श्रृंखला वाली संरचना होती है जिसमें उसके चारों कार्बन परमाणु एक ही लाइन में हैं। परन्तु आइसो – ब्यूटेन की संरचना शाखित श्रृंखला वाली है जिसमें तीन कार्बन परमाणु तो सीधी लाइन में हैं परन्तु चौथा कार्बन परमाणु एक शाखा के रूप में लगा है। यद्यपि n-ब्यूटेन तथा आइसो – ब्यूटेन का आण्विक सूत्र समान है परन्तु उनके भौतिक गुण भिन्न-भिन्न होते हैं।
प्रश्न 5. पेन्टेन के कितने समावयव सम्भव हो सकते हैं? उन सभी के नाम तथा संरचना सूत्र लिखिए ।
उत्तर : पेन्टेन के तीन समावयव सम्भव हो सकते हैं। इनके नाम हैं—n – पेन्टेन, आइसो पेन्टेन तथा नीओ-पेन्टेन । पेन्टेन का आण्विक सूत्र C5H12 है जिससे ज्ञात होता है कि पेन्टेन के एक अणु में पाँच कार्बन परमाणु हैं। पेन्टेन के पाँच कार्बन परमाणुओं को हम तीन भिन्न-भिन्न ढंगों से व्यवस्थित करके तीन भिन्न-भिन्न संरचनाएँ बना सकते हैं—
(i) सबसे पहले हम पेन्टेन के पाँचों कार्बन परमाणुओं को एक ही सीधी श्रृंखला में रखते हैं। इससे हमें n- पेन्टेन समावयव प्राप्त होता है।
(ii) दूसरे प्रकार में हम पेन्टेन के पाँच कार्बन परमाणुओं में से चार कार्बन परमाणुओं को तो एक सीधी श्रृंखला में रखते हैं परन्तु पाँचवें कार्बन परमाणु को एक शाखा के रूप में लगा देते हैं। इस प्रकार हमें आइसो- पेन्टेन समावयव प्राप्त होता है।
(iii) अन्त में हम पेन्टेन के पाँच कार्बन परमाणुओं में से तीन कार्बन परमाणुओं को तो एक सीधी श्रृंखला में रखते हैं परन्तु शेष दो कार्बन परमाणुओं को दो शाखाओं के रूप में जोड़ देते हैं। इस प्रकार हमें नीओ-पेन्टेन समावयव प्राप्त होता है।
प्रश्न 6. एथेनॉल के रासायनिक गुणधर्म एवं दो उपयोग बताइए
उत्तर : एथेनॉल के रासायनिक गुणधर्म
(i) दहन – एथेनॉल अत्यन्त ज्वलनशील द्रव है। यह नीली लौ के रूप में जलकर कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल देता है।
(ii) सोडियम से क्रिया – एथेनॉल, सोडियम से क्रिया करके सोडियम एथॉक्साइड तथा हाइड्रोजन गैस देता है।
(iii) क्रोमिक ऐनहाइड्राइड से क्रिया – क्रोमिक ऐनहाइड्राइड (Cr2O3) द्वारा एथेनॉल का एथेनल (ऐसीटेल्डिहाइड ) में ऑक्सीकरण हो जाता है।
(iv) पोटैशियम परमैंगनेट से क्रिया – क्षारीय पोटैशियम परमैंगनेट, एथेनॉल को ऐसीटिक अम्ल (एथेनोइक अम्ल) में ऑक्सीकृत कर देता है।
(v) ऐसीटिक अम्ल से क्रिया (एस्टरीकरण ) – एथेनॉल और ऐसीटिक अम्ल सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में, क्रिया करके एथिल ऐसीटेट (एथिल एथेनोएट) तथा जल देता है। एथिल ऐसीटेट यौगिक को एस्टर कहते हैं। अतः इस अभिक्रिया को एस्टरीकरण (esterification) कहते हैं।
एथेनॉल के उपयोग
(i) प्रलाक्ष (lacquers), वार्निश, सुगन्ध तथा औषधि उद्योग में, एथेनॉल एक विलायक के रूप में प्रयुक्त होता है।
(ii) पूतिरोधी के रूप में घावों को रोगाणुरहित करने के लिए।
प्रश्न 7. एथेनोइक अम्ल के गुण तथा उपयोग लिखिए।
उत्तर : एथेनोइक अम्ल के भौतिक गुणधर्म
(i) एथेनोइक अम्ल एक रंगहीन तथा तीक्ष्ण गन्ध वाला द्रव है।
(ii) इसका क्वथनांक 391 K है ।
(iii) यह जल में सभी अनुपातों में विलेय है।
एथेनोइक अम्ल के रासायनिक गुणधर्म
(i) सोडियम से क्रिया- एथेनोइक अम्ल सोडियम से क्रिया करके सोडियम एथेनोएट तथा हाइड्रोजन बनाता है।
(ii) सोडियम कार्बोनेट तथा सोडियम हाइड्रॉक्साइड से क्रिया – इससे सोडियम एथेनोएट लवण बनता है।
उपर्युक्त अभिक्रियाओं से सिद्ध हो जाता है कि कार्बोक्सिलिक समूह (—COOH) की अम्लीय प्रकृति होती है।
(iii) ऐल्कोहॉल से क्रिया (एस्टरीकरण ) – एथेनोइक अम्ल, सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में ऐल्कोहॉल से क्रिया करके एस्टर ( एथिल एथेनोएट) देता है।
किसी कार्बोक्सिलिक अम्ल की ऐल्कोहॉल से अभिक्रिया के फलस्वरूप एस्टर (लवण) का बनना एस्टरीकरण कहलाता है।
(iv) विकार्बोक्सिलीकरण – एथेनोइक अम्ल के सोडियम लवण (सोडियम एथेनोएट) को सोडा लाइम (1 भाग CaO + 3 भाग NaOH) के साथ गर्म करने पर मेथेन गैस बनती है।
इस अभिक्रिया में, कार्बोक्सिलिक समूह (—COOH) से एक CO2 अणु निकल जाता है। अतः इस अभिक्रिया को विकार्बोक्सिलीकरण कहते हैं। .
एथेनोइक अम्ल के उपयोग
(i) कृत्रिम सिरका बनाने में।
(ii) प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।
(iii) सफेद लेड [2PbCO3. Pb(OH)2] के निर्माण में।
प्रश्न 8. साबुन का सफाई कार्य समझाइए ।
उत्तर : साबुन का सफाई कार्य
साबुन का अणु दो भागों का बना होता है। साबुन के अणु का एक भाग तो लम्बी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला होती है जो अनायनिक होती है तथा साबुन के अणु का दूसरा भाग छोटा कार्बोक्सिलिक ग्रुप (COO−Na+) होता है जो आयनिक होता है। साबुन के अणु को चित्र 4.9 द्वारा दर्शाया जाता है जिसमें टेढ़ी-मेढ़ी लम्बी रेखा तो हाइड्रोकार्बन श्रृंखला को निरूपित करती है जबकि काला गोलीय भाग आयनिक समूह (COO−) को निरूपित करता है।
साबुन के अणु का हाइड्रोकार्बन श्रृंखला वाला भाग जल को प्रतिकर्षित करने वाला होता है (या जलविरोधी होता है) परन्तु वह धूल तथा चिकनाई जैसे मैल के कार्बनिक कणों को अपने साथ जोड़ लेता है। इसलिए मैले कपड़ों की सतह पर उपस्थित धूल तथा चिकनाई के कण साबुन के अणु के हाइड्रोकार्बन वाले भाग से जुड़ जाते हैं। साबुन के अणु का आयनिक भाग (COO−) जलस्नेही होता है जो जल के अणुओं की ओर आकर्षित होता है और अपने हाइड्रोकार्बन भाग में चिपके धूल तथा चिकनाई के कणों को अपने साथ खींचकर जल में ले आता है। इस प्रकार मैले कपड़े की सतह पर लगे धूल तथा चिकनाई के सारे कण साबुन के अणुओं के साथ लगकर जल में आ जाते हैं तथा मैला कपड़ा साफ हो जाता है। |
जब साबुन को जल में घोलते हैं तो वह मिसेल (micelles) बनाती है [चित्र-4.10(a)]। इस मिसेल में साबुन के अणु अरीय (radially) ढंग से व्यवस्थित होते हैं जिसमें हाइड्रोकार्बन श्रृंखला वाला भाग केन्द्र की ओर होता है तथा जल को आकर्षित करने वाला कार्बोक्सिलिक भाग बाहर की ओर रहता है जैसा कि [ चित्र 4. 10 (a)] में दिखाया गया है।
ज़ब साबुन के पानी में धूल तथा चिकनाई लगा मैला कपड़ा डालते हैं तो मिसेलों के हाइड्रोकार्बन श्रृंखलाओं वाले सिरे मैले कपड़े की सतह पर उपस्थित धूल तथा चिकनाई के कणों के साथ जुड़ जाते हैं तथा उन्हें अपने बीच फँसा लेते हैं। इसके बाद मिसेलों के बाहर की ओर वाले आयनिक सिरे जल के अणुओं की ओर आकर्षित होते हैं जिससे हाइड्रोकार्बन वाले सिरों में फँसे मैले के कण कपड़े की सतह से खिंचकर जल में आ जाते हैं तथा कपड़ा साफ हो जाता है।
- लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. सहसंयोजक यौगिक अल्प गलनांक तथा क्वथनांक प्रदर्शित क्यों करते हैं?
उत्तर : सहसंयोजक यौगिकों के अणु आयनिक यौगिकों के अणुओं की तुलना में अपेक्षाकृत दुर्बल बलों से जुड़े रहते हैं; अत: सहसंयोजक यौगिकों के गलनांक तथा क्वथनांक कम होते हैं चूँकि इन दुर्बल बलों को हटाने के लिए कम ऊर्जा की ही आवश्यकता पड़ती है।
प्रश्न 2. हाइड्रोजन परमाणु अपना K कोश किस प्रकार भरता है?
उत्तर : दो हाइड्रोजन परमाणु अपने इलेक्ट्रॉनों का साझा करके K कोश भरते हैं तथा हाइड्रोजन का एक अणु (H2) बनाते हैं।
प्रश्न 3. H2 तथा HCl अणु दोनों में एकल सहसंयोजी आबन्ध होता है परन्तु ये एक-दूसरे से भिन्न होते हैं, क्यों?
उत्तर : H2 तथा HCl दोनों में सहसंयोजक बन्ध होता है परन्तु H2 में, समान तत्व के परमाणुओं के बीच आबन्ध बनता है; अत: H2 अणु समनाभिकीय द्विपरमाणुक अणु है जबकि HCl में यद्यपि H तथा Cl दोनों अधातुएँ हैं परन्तु ये भिन्न तत्व हैं। इस प्रकार के अणु विषमनाभिकीय द्विपरमाणुक अणु कहलाते हैं।
प्रश्न 4. अमोनिया (NH3) के लिए इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना. खींचिए तथा प्रदर्शित कीजिए कि चारों परमाणु किस प्रकार उत्कृष्ट गैस विन्यास प्राप्त करते हैं? अणु में एकल, द्वि अथवा त्रि-आबन्ध में से कौन-सा बन्ध होगा?
उत्तर :
अणु में एकल आबन्ध होंगे।
प्रश्न 5. ग्रेफाइट की संरचना की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर : ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु तीन अन्य कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक आबन्ध द्वारा जुड़ा होता है जिनमें से एक आबन्ध द्वि-आबन्ध होता है। ग्रेफाइट क्रिस्टल परतों में उपस्थित होते हैं। प्रत्येक परत कार्बन परमाणुओं के एक षट्कोणीय संजाल से मिलकर बनी होती है। ये परतें सहसंयोजक बन्धों द्वारा नहीं जुड़ी होतीं अपितु ये दुर्बल बलों द्वारा परस्पर जुड़ी रहती हैं।
प्रश्न 6. ग्रेफाइट के गुण लिखिए।
उत्तर : ग्रेफाइट के निम्नलिखित गुण हैं-
(i) ग्रेफाइट एक कोमल, स्लेटी-काला क्रिस्टलीय पदार्थ है जिसका स्पर्श चिकना, फिसलनयुक्त होता है तथा इसमें धात्विक चमक होती है।
(ii) इसे कागज पर फिराने से यह काला धब्बा छोड़ता है।
(iii) यह ऊष्मा तथा विद्युत का अच्छा चालक है।
(iv) इसका विशिष्ट घनत्व 2.3 होता है।
(v) यह षट्कोणीय क्रिस्टलों के रूप में पाया जाता है तथा साधारण विलायकों में अविलेय होता है।
(vi) यह अक्रिय होता है।
(vii) लगभग 700°C पर यह शुद्ध ऑक्सीजन के साथ जलकर कार्बन डाइऑक्साइड बनाता है।
प्रश्न 7. ग्रेफाइट फिसलनयुक्त (slippery ) क्यों होता है?
उत्तर : ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु तीन समीपवर्ती कार्बन परमाणुओं से एक ही तल में जुड़ा रहता है। अत: यह षट्कोणीय संजाल (hexagonal network ) बनाता है। इस प्रकार की अनेक परतें एक-दूसरे पर मुक्त रूप से रहती हैं तथा एक-दूसरे पर सरलता से फिसल जाती हैं। इसी कारण ग्रेफाइट फिसलनयुक्त होता है।
प्रश्न 8. डायमण्ड की संरचना स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : डायमण्ड में प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक आबन्ध द्वारा चतुष्फलकीय ढंग से जुड़ा रहता है। यह व्यवस्था एक त्रिविमीय दृढ़ संरचना देती है।
प्रश्न 9. डायमण्ड के गुण लिखिए।
उत्तर : डायमण्ड के गुण निम्नलिखित हैं-
(i) डायमण्ड पारदर्शी, चमकदार, रंगहीन अथवा रंगीन होते हैं। इनका रंग अशुद्धियों की उपस्थिति के कारण होता है। ब्लैक डायमण्ड में ग्रेफाइट के अंश होते हैं।
(ii) यह सभी ज्ञात पदार्थों में कठोरतम पदार्थ है।
(iii) यह कार्बन का सघनतम रूप है (विशिष्ट ऊष्मा = 3.52) ।
(iv) डायमण्ड प्रकाश में चमकता है।
(v) डायमण्ड ऊष्मा तथा प्रकाश का कुचालक है।
(vi) यह वायु, जल, अम्लों तथा क्षारों के प्रति स्थायी होता है।
(vii) यह 900°C पर वायु में जलकर कार्बन डाइऑक्साइड देता है।
प्रश्न 10. फुलरीन्स क्या हैं? उदाहरण दीजिए ।
उत्तर : फुलरीन्स, कार्बन अपररूपों का एक संवर्ग है। उदाहरण – C-60, इसमें कार्बन परमाणु एक फुटबाल के आकार में व्यवस्थित रहते हैं।
प्रश्न 11. कार्बन मुख्यतया सहसंयोजी आबन्धों द्वारा यौगिक क्यों बनाता है?
उत्तर : कार्बन परमाणु में चार संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं। यह इन चार इलेक्ट्रॉनों को त्यागकर अथवा चार अन्य इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करके स्थायी विन्यास प्राप्त कर सकता है। यद्यपि ऊर्जा सम्बन्धी तथ्यों के अनुसार कार्बन किसी रासायनिक अभिक्रिया में चार इलेक्ट्रॉनों को न तो ग्रहण कर सकता है और न ही इनका त्याग कर सकता है। इस प्रकार, कार्बन के लिए स्थायी विन्यास प्राप्त करने हेतु केवल एक ही विकल्प शेष रहता है कि यह यौगिक निर्माण में इलेक्ट्रॉनों का साझा करे अर्थात् सहसंयोजक आबन्ध बनाएँ। अत: कार्बन मुख्यतया सहसंयोजी आबन्धों द्वारा ही यौगिक बनाता है।
प्रश्न 12. संतृप्त कार्बन यौगिक क्या होते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर : संतृप्त यौगिक में कार्बन परमाणुओं की सीधी अथवा शाखित श्रृंखलाएँ होती हैं जिनमें कार्बन तथा हाइड्रोजन परमाणु केवल एकल सहसंयोजी आबन्धों द्वारा जुड़े रहते हैं। संतृप्त कार्बन यौगिक अधिक क्रियाशील नहीं होते; जैसे-
प्रश्न 13. सरल कार्बन यौगिकों की संरचना खींचने की विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर : सरल कार्बन यौगिकों की संरचना खींचने की विधि के अन्तर्गत निम्नलिखित दो पदों का अनुसरण करते हैं-
(i) सभी कार्बन परमाणुओं को एकल आबन्ध के साथ जोड़ा जाता है।
(ii) हाइड्रोजन परमाणुओं का प्रयोग कार्बन की शेष संयोजकता को सन्तुष्ट करने के लिए किया जाता है।
उदाहरण – प्रोपेन की संरचना खींचने के लिए,
(i) तीनों कार्बन परमाणुओं को निम्नवत् दर्शाया जाता है-
—C— C — C—
(ii) हाइड्रोजन परमाणुओं के साथ कार्बन की संयोजकता सन्तुष्ट की जाती है-
प्रश्न 14. एथाइन की संरचना तथा इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना खींचिए।
उत्तर : एथाइन की संरचना (C2H2)
H — C ≡≡ C — H
एथाइन की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना
प्रश्न 15. मेथेन, एथेन तथा प्रोपेन के समावयवी क्यों सम्भव नहीं हैं?
उत्तर : मेथेन, एथेन तथा प्रोपेन में परमाणुओं को किसी भी प्रकार व्यवस्थित किया जाए, इनके संरचनात्मक सूत्र सदैव एकसमान ही रहते हैंअर्थात् ये तीनों यौगिक समावयवता प्रदर्शित नहीं करते ।
प्रश्न 16. निम्नलिखित के संरचना सूत्र दीजिए-
(i) 1 – ब्यूटाइन
(ii) 2 – ब्यूटाइन
क्या ये समावयवी हैं?
1-ब्यूटाइन में कार्बन परमाणु -1 तथा 2 के बीच त्रिबन्ध उपस्थित है जबकि 2 – ब्यूटाइन में कार्बन परमाणु 2 तथा 3 के बीच त्रिबन्ध उपस्थित है।
1-ब्यूटाइन तथा 2-ब्यूटाइन के समान आण्विक सूत्र C4H6 हैं परन्तु संरचनात्मक सूत्र भिन्न हैं। इसलिए ये समावयवी हैं।
प्रश्न 17. हाइड्रोकार्बनों से अन्य कार्बनिक यौगिक भिन्न क्यों होते हैं?
उत्तर : हाइड्रोकार्बनों से भिन्न कार्बनिक यौगिकों में अतिरिक्त तत्व; जैसे-ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सल्फर, फॉस्फोरस इत्यादि होते हैं तथा ये यौगिक हाइड्रोकार्बनों के व्युत्पन्न कहलाते हैं। ये व्युत्पन्न हाइड्रोजन परमाणुओं ( एक या अधिक) के अन्य तत्वों के परमाणुओं, जिन्हें विषम अणु कहते हैं, के प्रतिस्थापन के फलस्वरूप बनते हैं। इन तत्वों का हाइड्रोकार्बनों में प्रतिस्थापन, यौगिकों में विशिष्ट गुणों को समायोजित करता है।
उदाहरणार्थ, यदि मेथेन (CH4) में एक हाइड्रोजन परमाणु किसी समूह; जैसे —CI, —OH, —NH2 आदि से प्रतिस्थापित हो जाए तो मेथेन से भिन्न गुणों वाला यौगिक प्राप्त होगा ।
इस प्रकार जनक हाइड्रोकार्बन तथा प्रतिस्थापित समूह की प्रवृत्ति के आधार पर हाइड्रोकार्बनों से भिन्न असंख्य कार्बनिक यौगिक प्राप्त किए जा सकते हैं जिनके गुण भिन्न-भिन्न होंगे।
प्रश्न 18. कार्बनिक यौगिक के क्रियात्मक समूह से क्या तात्पर्य है ? (i) ऐसीटिक अम्ल तथा (ii) एथिल ऐल्कोहॉल के क्रियात्मक समूहों के संरचनात्मक सूत्र लिखिए।
उत्तर : किसी कार्बनिक यौगिक में परमाणु या परमाणुओं का समूह या यौगिक का सक्रिय भाग जो कार्बनिक यौगिक में भौतिक तथा रासायनिक गुणों के लिए उत्तरदायी होता है, क्रियात्मक समूह कहलाता है।
ऐसीटिक अम्ल तथा एथिल ऐल्कोहॉल में क्रियात्मक समूहों के संरचनात्मक सूत्र
प्रश्न 19. ऐल्कोहॉलों का नामकरण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर : ऐल्कोहॉल का नामकरण – ऐल्केन के अंग्रेजी भाषा में नाम के सिरे पर स्थित ―e (ई) के स्थान पर –ol (ऑल) अनुलग्न लगाने से संगत ऐल्कोहॉल का नाम प्राप्त होता है। हिन्दी भाषा में ऐल्कोहॉल का नाम उसके मौलिक ऐल्केन के अन्त में ‘ऑल’ जोड़ने से प्राप्त होता है; जैसे – मेथेन (CH4) के एक हाइड्रोजन को हाइड्रॉक्सिल समूह (—OH) द्वारा प्रतिस्थापित करने से संगत ऐल्कोहॉल का नाम मेथेनॉल (CH3OH) प्राप्त होता है।
प्रश्न 20. ऐल्डिहाइड तथा कीटोन क्या होते हैं? इनका नामकरण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर : ऐल्डिहाइड तथा कीटोन – ऐल्डिहाइड तथा कीटोन कार्बन के वे यौगिक हैं जिनमें कार्बोनिल समूह उपस्थित होता है। ऐल्डिहाइड में ऑक्सीजन के अतिरिक्त कार्बोनिल समूह एक ओर ऐल्किल समूह से तथा दूसरी ओर हाइड्रोजन समूह से जुड़ा रहता है। कीटोन में कार्बोनिल समूह दो ऐल्किल समूहों से जुड़ा रहता है। दोनों ऐल्किल समूह समान या भिन्न हो सकते हैं; जैसे-
ऐल्डिहाइड तथा कीटोन का नामकरण – अंग्रेजी भाषा में ऐल्केन (alkane) के नाम के सिरे पर स्थित —e (ई) के स्थान पर ―al (अल) अनुलग्न लगाने से ऐल्डिहाइड का नाम प्राप्त होता है। हिन्दी भाषा में ऐल्डिहाइड का नाम उसके मौलिक ऐल्केन के नाम के अन्त में ‘ल’ जोड़ने से प्राप्त होता है; जैसे – फॉर्मेल्डिहाइड, मेथेन से व्युत्पन्न होता है। अत: इसको मेथेनल (methanal) कहते हैं।
अंग्रेजी भाषा में ऐल्केन नाम के सिरे पर स्थित —e (ई) के स्थान पर —one (ओन) अनुलग्न लगाकर संगत कीटोन का नाम प्राप्त होता है। हिन्दी भाषा में कीटोन का नाम उसके मौलिक ऐल्केन के नाम के अन्तर में ‘न’ के स्थान पर ‘नोन’ जोड़ने से प्राप्त होता है। ऐसीटोन (acetone) एक सरलतम कीटोन है जो प्रोपेन से व्युत्पन्न होता है। अतः इसको प्रोपेनोन (propanone) कहते हैं।
प्रश्न 21. कार्बोक्सिलिक अम्लों का नामकरण किस प्रकार किया जाता है? दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर : कार्बोक्सिलिक अम्ल का नामकरण – अंग्रेजी भाषा में कार्बोक्सिलिक अम्ल का नाम ऐल्केन नाम के सिरे पर स्थित ‘e’ (ई) के स्थान पर ओइक ऐसिड ( oic acid) अनुलग्न लगाने से प्राप्त होता है। हिन्दी भाषा में मौलिक ऐल्केन के नाम के अन्त में ओइक अम्ल लगाया जाता है। कार्बोक्सिलिक अम्ल में कार्बोक्सिल समूह (—COOH) होता है; जैसे-
मौलिक ऐल्केन का नाम | ऐल्केन का सूत्र | कार्बोक्सिलिक अम्ल का नाम | कार्बोक्सिलिक अम्ल का सूत्र |
मेथेन
एथेन
|
CH4
C2H6
|
एथेनोइक अम्ल
प्रोपेनोइक अम्ल
|
CH3 — COOH
C2H5 — COOH
|
प्रश्न 22. कोयले की उत्पत्ति किस प्रकार होती है?
उत्तर : कोयला करोड़ों वर्ष पहले, पृथ्वी के नीचे विशाल पेड़-पौधों के दब जाने से तथा उनके अपघटन के फलस्वरूप बना है। ऐसा माना जाता है कि कोयले के भण्डार उन विशाल पेड़-पौधों के अवशेषों से बने हैं जो लगभग 300 करोड़ वर्ष पहले पृथ्वी के विशाल उथले दलदलों में पाए जाते थे। पृथ्वी के अन्दर उच्च ताप एवं दाब होने के कारण, वायु की अनुपस्थिति में विशाल पेड़ों के अवशेष (लकड़ी) कोयले में परिवर्तित हो गए। लकड़ी के कोयले में परिवर्तन के मन्द रासायनिक प्रक्रम को ‘कार्बनीकरण’ कहते हैं।
प्रश्न 23. क्या होता है जब ग्लेशियल एथेनोइक अम्ल में क्रोमियम ऐनहाइड्राइड के विलयन को बूँद-बूँद करके एथेनॉल में मिलाया जाता है?
उत्तर : अभिक्रिया; मिश्रण की गन्ध अभिक्रिया के पश्चात् एथेनॉल का एथेनल में ऑक्सीकरण होने पर परिवर्तित हो जाती है तथा कुछ समय पश्चात् क्रोमिक ऐनहाइड्राइड का रंग उड़ जाता है।
प्रश्न 24. क्या होता है जब सोडियम हाइड्रॉक्साइड में पोटैशियम परमैंगनेट का जलीय विलयन एथेनॉल में बूंद-बूंद करके मिलाया जाता है तथा मिश्रण को गर्म वाटर बाथ पर गर्म किया जाता है?
उत्तर : सर्वप्रथम पोटैशियम परमैंगनेट का गुलाबी – बैंगनी रंग उड़ जाता है। जब सम्पूर्ण एथेनॉल प्रयुक्त हो जाता है, अभिक्रिया रुक जाती है तथा गुलाबी – बैंगनी रंग पुनः आ जाता है। परखनली को गर्म वाटर बाथ पर धीरे-धीरे गर्म करने पर पोटैशियम परमैंगनेट एथेनॉल को एथेनोइक अम्ल में ऑक्सीकृत कर देता है।
प्रश्न 25. निम्नलिखित पदों की व्याख्या कीजिए-
(i) एस्टरीकरण, (ii) साबुनीकरण, (iii) विकार्बोक्सिलीकरण ।
उत्तर : (i) एस्टरीकरण – ऐल्कोहॉल तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल की परस्पर अभिक्रिया के फलस्वरूप जल के अतिरिक्त जो यौगिक बनता है, उसे एस्टर कहते हैं तथा इस अभिक्रिया को एस्टरीकरण कहते हैं।
(ii) साबुनीकरण – जब किसी तेल या वसा (ग्लिसराइड) को सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन के साथ गर्म करते हैं तो तेल या वसा संगत अम्ल के सोडियम लवण (साबुन) तथा ग्लिसरॉल में बदल जाते हैं। इस अभिक्रिया को साबुनीकरण कहते हैं।
(iii) विकार्बोक्सिलीकरण – एथेनोइक अम्ल के सोडियम लवण (सोडियम एथेनोएट) को सोडालाइम ( 3 भाग NaOH + 1 भाग CaO) के साथ गर्म करने पर मेथेन गैस बनती है। चूँकि इस अभिक्रिया में कार्बोक्सिलिक समूह (—COOH) से एक CO2 अणु निकल जाता है; अतः इस अभिक्रिया को विकार्बोक्सिलीकरण कहते हैं।
प्रश्न 26. निम्नलिखित पदार्थों के साथ एथेनोइक अम्ल से अभिक्रियाओं की रासायनिक समीकरण लिखिए-
(i) सोडियम, (ii) सोडियम कार्बोनेट, (iii) सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में एथेनॉल एवं (iv) सोडालाइम |
अथवा क्या होता है जब एथेनोइक अम्ल निम्न से अभिक्रिया करता है (केवल रासायनिक समीकरण दीजिए)—
(i) एथेनॉल (ii) सोडियम हाइड्रॉक्साइड (iii) सोडियम कार्बोनेट
प्रश्न 27. निम्नलिखित कार्बनिक यौगिकों के आई० यू० पी० ए० सी० नाम तथा उनके प्रकार्यात्मक समूह लिखिए-
(i) CH3CHO (ii) CH3COOH (iii) CH3CH2OH
उत्तर : (i) आई० यू० पी० ए० सी० नाम- एथेनल
प्रकार्यात्मक समूह—ऐल्डिहाइड (—CHO)
(ii) आई० यू० पी० ए० सी० नाम – एथेनोइक अम्ल
प्रकार्यात्मक समूह — कार्बोक्सिलिक अम्ल (—COOH)
(iii) आई० यू० पी० ए० सी० नाम – एथेनॉल
प्रकार्यात्मक समूह — ऐल्कोहॉल (—OH)
प्रश्न 28. रासायनिक समीकरण की सहायता से बताइए कि क्या होता है जब-
(i) एथेनॉल को वायु में जलाया जाता है?
(ii) सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में एथेनोइक अम्ल के साथ एथेनॉल क्रिया करता है?
(iii) एथेनॉल की सोडियम से क्रिया होती है ?
(iv) एथेनॉल का ग्लेशियल ऐसीटिक अम्ल की उपस्थिति में ऑक्सीकरण किया जाता है?
(v) एथेनॉल का क्षारीय KMnO4 की उपस्थिति में ऑक्सीकरण किया जाता है?
प्रश्न 29. ऐल्कोहॉल पीने के हानिकारक प्रभाव क्या हैं?
उत्तर : ऐल्कोहॉल पीने के हानिकारक प्रभाव निम्नलिखित हैं-
(i) व्यक्ति इसे पीकर चेतनाशून्य हो जाता है।
(ii) व्यक्ति का शरीर नियन्त्रण में नहीं रहता है।
(iii) व्यक्ति का यकृत खराब होने लगता है तथा अन्त में यह मृत्यु का कारण भी बन सकती है।
प्रश्न 30. ऐथेनोइक अम्ल अथवा ऐसीटिक अम्ल (CH3COOH) की अम्लीय प्रवृत्ति प्रदर्शित करने वाले परीक्षण लिखिए।
उत्तर : एथेनोइक अम्ल की जाँच ( या कार्बोक्सिलिक समूह की जाँच) निम्नलिखित परीक्षणों द्वारा की जा सकती है-
(i) लिटमस के साथ परीक्षण – एथेनोइक अम्ल (या कार्बोक्सिलिक समूह वाले यौगिक), नीले लिटमस को लाल कर देते हैं।
(ii) सोडियम बाइकार्बोनेट परीक्षण — एथेनोइक अम्ल ( या कार्बोक्सिलिक समूह वाले यौगिक), सोडियम बाइकार्बोनेट के घोल के साथ तीव्र बुदबुदाहट (brisk effervescence) देते हैं जो कार्बन डाइऑक्साइड गैस बनने के कारण होती है।
(iii) एस्टर परीक्षण – एथेनोइक अम्ल ( या कार्बोक्सिलिक समूह वाले यौगिक), सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में ऐल्कोहॉल के साथ गर्म करने पर फलों के समान मीठी सुगन्ध वाले एस्टर बनाते हैं।
प्रश्न 31. साबुन क्या होता है?
उत्तर : साबुन, लम्बी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों (या वसा अम्लों) का सोडियम लवण होता है। साधारण साबुन, स्टिऐरिक अम्ल, ओलिइक अम्ल तथा पामिटिक अम्ल के सोडियम लवण होते हैं। साबुनों के उदाहरण हैं-
(i) सोडियम स्टिऐरेट, C17H35COO−Na+
(ii) सोडियम ओलिएट, C17H33COO−Na+
(iii) सोडियम पामिटेट, C15H31 COO−Na+
साबुन के अणु में एक बड़ा अनायनिक (non-ionic) हाइड्रोकार्बन समूह होता है (जैसे – C17H35, C17H33 तथा C15H31) तथा एक छोटा आयनिक (COO−Na+) समूह होता है जिसे कार्बोक्सिलेट समूह कहते हैं।
प्रश्न 32. अपमार्जक क्या होते हैं? क्या साबुन भी एक अपमार्जक है?
उत्तर : कपड़े धोने तथा अन्य वस्तुओं की सफाई करने के लिए उपयोग किए जाने वाले पदार्थों को अपमार्जक कहते हैं। अपमार्जक का शाब्दिक अर्थ है ‘साफ करने वाला’ या ‘मैल हटाने वाला’। इस परिभाषा के अनुसार साबुन भी एक अपमार्जक है । परन्तु आजकल अपमार्जक शब्द का प्रयोग सामान्यतया संश्लिष्ट अपमार्जकों (synthetic detergents) के लिए किया जाता है न कि साधारण साबुन के लिए।
प्रश्न 33. रासायनिक संरचना के आधार पर साबुन एवं अपमार्जक में विभेद कीजिए ।
उत्तर : उच्च वसीय अम्लों के सोडियम या पोटैशियम लवण साबुन होते हैं; जैसे – सोडियम ओलिएट (C17H33 COONa), सोडियम स्टिऐरेट (C17H35COONa) आदि।
लम्बी हाइड्रोकार्बन श्रृंखलायुक्त सल्फोनिक अम्ल के सोडियम लवण अपमार्जक होते हैं।
प्रश्न 34. कारण सहित समझाइए कि क्यों साबुन कठोर जल में शोधन अभिकर्मक का कार्य प्रभावी रूप से सम्पन्न नहीं करता है?
उत्तर : कठोर जल में Ca2+ तथा Mg2+ आयन होते हैं। साबुन इन आयनों के साथ क्रिया करके अवक्षेप देते हैं। अतः साबुन अवक्षेपित | होकर मार्जन विलयन से बाहर हो जाता है। इस कारण कठोर जल में साबुन प्रभावशाली शोधन अभिकर्मक नहीं होता है।
प्रश्न 35. साबुन तथा संश्लिष्ट अपमार्जक में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : साबुन तथा संश्लिष्ट अपमार्जकों में मुख्य अन्तर निम्नलिखित हैं-
क्र० सं० | साबुन | संश्लिष्ट अपमार्जक |
1. | साबुन लम्बी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों (या वसा अम्लों) के सोडियम लवण होते हैं। साबुन में उपस्थित आयनिक समूह कार्बोक्सिलेट समूह COO−Na+ होता है। | संश्लिष्ट अपमार्जक लम्बी श्रृंखला वाले बेन्जीन सल्फोनिक अम्ल या ऐल्काइल हाइड्रोजन सल्फेट के सोडियम लवण होते हैं। संश्लिष्ट अपमार्जकों में उपस्थित आयनिक समूह, सल्फोनेट समूह SO3−Na+ या सल्फेट समूह SO4−Na+ होता है। |
2. | साबुन कठोर जल के साथ धुलाई करने के लिए उपयुक्त नहीं होते। | संश्लिष्ट अपमार्जक कठोर जल के साथ धुलाई करने के लिए भी उपयुक्त होते हैं। |
3. | सभी साबुन जैव – निम्नीकरणीय होते हैं तथा जल प्रदूषण उत्पन्न नहीं करते। | कुछ संश्लिष्ट अपमार्जक जैव-अनिम्नीकरणीय होते हैं तथा जल प्रदूषण उत्पन्न करते हैं। |
4. | साबुन वनस्पति तेलों या जन्तु वसा से बनाए जाते हैं। | संश्लिष्ट अपमार्जक कोयले तथा पेट्रोलियम से प्राप्त हाइड्रोकार्बनों से बनाए जाते हैं। |
5. | साबुन की शोधन – क्षमता अपेक्षाकृत कम होती है। | संश्लिष्ट अपमार्जकों की शोधन-क्षमता बहुत अधिक होती है। |
प्रश्न 36. निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए
(i) विकृतिकृत ऐल्कोहॉल, (ii) मिसेल।
उत्तर : (i) विकृतिकृत ऐल्कोहॉल – मेथेनॉल, पिरिडीन या कॉपर सल्फेट जैसे विषाक्त पदार्थ एथेनॉल में मिलाने से प्राप्त ऐल्कोहॉल को विकृतिकृत ऐल्कोहॉल (denatured alcohol) या विकृतिकृत स्पिरिट कहते हैं। ऐल्कोहॉल को विकृतिकृत करने की आवश्यकता इसलिए पड़ती है ताकि लोग इसको पीने के लिए उपयोग न कर सकें; क्योंकि ऐल्कोहॉल एक मादक द्रव है। इसके लगातार सेवन करने से मनुष्य अपना नियन्त्रण खो बैठता है, यकृत खराब हो जाता है और अन्त में मृत्यु भी हो जाती है।
(ii) मिसेल – साबुन तथा अपमार्जक में एक लम्बी हाइड्रोकार्बन ‘पूँछ’ (tail) और एक ऋणात्मक ‘सिर’ (head) होता है। जब साबुन या अपमार्जक अणु जल में घुल जाते हैं तो इनके अणु परस्पर एकत्रित होकर गुच्छों (clusters) का रूप धारण कर लेते हैं। इनको मिसेल (micelles) कहते हैं। इसमें ‘पूँछ’ अन्दर की ओर चिपक जाती है और ‘सिर’ बाहर की ओर इंगित होते हैं (चित्र – 4.17)।
- अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. सहसंयोजक यौगिक विद्युत के दुर्बल चालक क्यों होते हैं?
उत्तर : सहसंयोजक यौगिक विद्युत के दुर्बल चालक इसलिए होते हैं. क्योंकि इनमें आय़न अथवा मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते जो विद्युत चालन में अनिवार्य हैं।
प्रश्न 2. तत्वों की क्रियाशीलता किस प्रकार स्पष्ट की जा सकती है?
उत्तर : तत्वों की क्रियाशीलता उनकी बाह्यतम कोश को पूर्ण करने की प्रवृत्ति अर्थात् उत्कृष्ट गैस विन्यास प्राप्त करने की प्रवृत्ति के आधार पर स्पष्ट की जा सकती है।
प्रश्न 3. मेथेन की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना क्या होगी?
उत्तर : मेथेन की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना अग्रवत् है-
प्रश्न 4. अपररूप क्या होते हैं?
उत्तर : जब एक तत्व अपनी अवस्था को परिवर्तित किए बिना दो या अधिक रूपों में पाया जाता है जिनके भौतिक गुण भिन्न-भिन्न परन्तु रासायनिक गुण एकसमान हों, तब तत्व के ये रूप उसके अपररूप कहलाते हैं।
प्रश्न 5. हीरा अत्यन्त कठोर क्यों होता है?
उत्तर : हीरे में कार्बन परमाणुओं का व्यवस्थापन पूर्णतया भिन्न होता है। इसमें प्रत्येक कार्बन परमाणु त्रिविमीय विन्यास में चार अन्य कार्बन परमाणुओं से जुड़ा रहता है। इस विन्यास के कारण ही हीरा अत्यन्त कठोर होता है।
प्रश्न 6. डायमण्ड को किस प्रकार संश्लेषित किया जाता है?
उत्तर : शुद्ध कार्बन पर अत्यन्त उच्च ताप तथा दाब आरोपित करके डायमण्ड को संश्लेषित किया जाता है। संश्लेषित डायमण्ड का आकार छोटा होता है।
प्रश्न 7. C-60 अणु फुलरीन क्यों कहलाता है?
उत्तर : C-60 अणु यू०एस० आर्कीटेक्ट बकमिन्सटर फुलरीन द्वारा तैयार किया गया है। उन्हीं के नाम पर इसे फुलरीन कहा जाता है।
प्रश्न 8. श्रृंखलन क्या है?
उत्तर : कार्बन तत्व का वह गुण जिसके कारण इसके परमाणु एक-दूसरे से जुड़कर एक दीर्घ कार्बन श्रृंखला बना सकते हैं, श्रृंखलन कहलाता है।
प्रश्न 9. क्या सिलिकन हाइड्रोजन के साथ यौगिक बनाता है?
उत्तर : हाँ, सिलिकन हाइड्रोजन के साथ यौगिक बनाता है जिनमें सात या आठ परमाणुओं की श्रृंखला होती है परन्तु ये यौगिक अत्यन्त क्रियाशील होते हैं।
प्रश्न 10. एथेन की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना बनाइए।
उत्तर :
प्रश्न 11. प्रोपेन की संरचना दीजिए।
उत्तर :
प्रश्न 12. एथीन की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना बनाइए ।
उत्तर :
प्रश्न 13. यदि दो यौगिकों में समान क्रियात्मक समूह उपस्थित हों तो क्या वे समान भौतिक अथवा रासायनिक गुण प्रदर्शित करेंगे?
उत्तर : समान क्रियात्मक समूह वाले यौगिक समान रासायनिक गुण प्रदर्शित करेंगे तथा इनके भौतिक गुण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं।
प्रश्न 14. क्रियात्मक समूह से क्या तात्पर्य है? उदाहरण दीजिए।
उत्तर : एक परमाणु अथवा परमाणुओं का वह समूह जो किसी कार्बनिक यौगिक की रासायनिक प्रवृत्ति निर्धारित करता है, क्रियात्मक समूह कहलाता है। उदाहरणार्थ – CH3 Cl में Cl, C2H5OH में OH क्रियात्मक समूह हैं।
प्रश्न 15. किसी कार्बनिक यौगिक में इसका कौन-सा भाग भौतिक तथा रासायनिक गुणों का सर्वाधिक निर्धारण करता है?
उत्तर : किसी कार्बनिक यौगिक में इसका क्रियात्मक समूह इसके रासायनिक गुणों का निर्धारण करता है तथा शेष हाइड्रोकार्बन भाग इसके भौतिक गुणों को निर्धारित करते हैं।
प्रश्न 16. ऐल्कोहॉलों को सजातीय श्रेणी लिखिए।
उत्तर : ऐल्कोहॉलों की सजातीय श्रेणी है-
CH3 OH, C2H5OH, C3 H7 OH, C4H9 OH
प्रश्न 17. क्या होता है जब कार्बन ऑक्सीजन (वायु) में जलाया जाता है?
उत्तर : कार्बन को ऑक्सीजन में जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त होती है और ऊष्मा तथा प्रकाश का उत्सर्जन होता है।
प्रश्न 18. क्या होता है जब एक संतृप्त हाइड्रोकार्बन ( ऐल्केन) को वायु की अपर्याप्त मात्रा में जलाया जाता है?
उत्तर : जब एक संतृप्त हाइड्रोकार्बन को वायु की अपर्याप्त मात्रा में जलाया जाता है तो अपूर्ण दहन होता है तथा कार्बन मोनोक्साइड, जलवाष्प, ऊष्मा तथा प्रकाश उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 19. कोयले तथा पेट्रोलियम का दहन वायुमण्डल में एक प्रमुख प्रदूषक क्यों उत्पन्न करता है?
उत्तर : ईंधन जैसे कोयला तथा पेट्रोलियम में कुछ मात्रा नाइट्रोजन तथा सल्फर की भी होती है। इनके दहन के परिणामस्वरूप नाइट्रोजन तथा सल्फर के ऑक्साइडों का निर्माण भी होता है जो वायुमण्डल में प्रमुख प्रदूषक की भाँति उपस्थित होते हैं।
प्रश्न 20. दहन तथा ऑक्सीकरण में समानता तथा असमानता बताइए |
उत्तर : समानता—दोनों स्थितियों में परिवर्तन के दौरान इलेक्ट्रॉनों का ह्रास (loss) होता है।
असमानता – दहन में सदैव ऊष्मा तथा प्रकाश उत्पन्न होते हैं तथा यह ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है जबकि ऑक्सीकरण में ऊष्मा तथा प्रकाश का विमुक्तन तथा उपस्थिति अनिवार्य नहीं होती अर्थात् ऐसा हो भी सकता है और नहीं भी।
प्रश्न 21. लकड़ी अथवा चारकोल को जलाने पर पहले ज्वाला निकलती है परन्तु फिर बुझ जाती है, ऐसा क्यों?
उत्तर : जब लकड़ी अथवा चारकोल को जलाया जाता है तो इसमें उपस्थित वाष्पशील पदार्थ वाष्पित होते हैं तथा ज्वाला के साथ जलते हैं। इनके वाष्पित हो जाने के पश्चात् ज्वाला बुझ जाती है।
प्रश्न 22. जीवाश्म ईंधन क्या हैं? इनका एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर : वे ईंधन जो विभिन्न जीवों (जन्तु तथा पौधों) के अवशेषों के भूमि के भीतर दब जाने के बाद ताप व दाब की विशेष परिस्थितियों के अन्तर्गत तथा सूक्ष्म जीवों के प्रभाव से करोड़ों वर्षों पश्चात् निर्मित होते हैं, जीवाश्म ईंधन कहलाते हैं। कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस जीवाश्म ईंधन के उदाहरण हैं।
प्रश्न 23. क्या होता है जब एथेनॉल को अम्लीकृत पोटैशियम डाइक्रोमेट विलयन में मिलाकर गर्म किया जाता है?
उत्तर : जब एथेनॉल; पोटैशियम डाइक्रोमेट तथा तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के मिश्रण में मिलाया जाता है तो इसका पूर्ण ऑक्सीकरण हो जाता है तथा एथेनोइक अम्ल उत्पन्न होता है।
प्रश्न 24. जन्तु – वसा की तुलना में वनस्पति तेलों को खाना पकाने हेतु स्वास्थ्यवर्धक क्यों माना जाता है?
उत्तर : जन्तु – वसा में संतृप्त वसीय अम्ल होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं जबकि वनस्पति तेलों में विद्यमान असंतृप्त वसीय अम्ल स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। अत: वनस्पति तेलों का प्रयोग खाना पकाने हेतु सर्वोत्तम है।
प्रश्न 25. क्या होता है जब सोडियम एथेनॉल से अभिक्रिया करता है?
उत्तर : एथेनॉल सोडियम से अभिक्रिया करके सोडियम एथॉक्साइड तथा हाइड्रोजन गैस बनाता है।
प्रश्न 26. क्या होता है जब एथेनॉल को सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की अधिकता में 443K पर गर्म किया जाता है?
उत्तर : एथेनॉल का निर्जलीकरण होकर एथीन प्राप्त होती है।
प्रश्न 27. ऐल्कोहॉल को पीने के अयोग्य किस प्रकार बनाया जाता है?
उत्तर : ऐल्कोहॉल में मेथेनॉल, पिरिडीन, कॉपर सल्फेट जैसे विषाक्त पदार्थ मिलाकर इसे पीने के अयोग्य बनाया जाता है।
प्रश्न 28. विकृतिकृत स्पिरिट अथवा ऐल्कोहॉल क्या है?
उत्तर : एथेनॉल जिसमें कुछ विषाक्त रसायन जैसे मेथेनॉल या ऐसीटोन या पिरिडीन या कॉपर सल्फेट मिले रहते हैं, विकृतिकृत स्पिरिट अथवा ऐल्कोहॉल कहलाता है। यह पीने योग्य नहीं होता।
प्रश्न 29. मेथेनॉल की अत्यन्त कम मात्रा पीने पर मृत्यु हो सकती है, क्यों?
उत्तर : मेथेनॉल की अत्यन्त कम मात्रा पीने पर मृत्यु हो सकती है, क्योंकि मेथेनॉल का यकृत में मेथेनल में ऑक्सीकरण हो जाता है। मेथेनल अत्यन्त तीव्रता से कोशिकाओं के घटकों से क्रिया करता है। इस कारण प्रोटोप्लाज्म स्कन्दित हो जाता है। जैसे अण्डा उबलने के पश्चात् स्कन्दित हो जाता है। मेथेनल प्रकाशिक कोशिकाओं को भी प्रभावित करता है जिससे अन्धता आ जाती है।
प्रश्न 30. एथेनोइक अम्ल का साधारण नाम क्या है? इसके जल ‘तनु विलयन (5-8%) का नाम बताइए।
उत्तर : एथेनोइक अम्ल का साधारण नाम ऐसीटिक अम्ल है। इसका जल में तनु विलयन (5-8%) ‘सिरका’ कहलाता है।
प्रश्न 31. आप कठोर तथा मृदु जल की पहचान कैसे करेंगे?
उत्तर : कठोर तथा मृदु जल की पहचान साबुन को इनमें घोलने पर की जा सकती है। कठोर जल में साबुन अत्यधिक कठिनाई से बहुत कम झाग उत्पन्न करता है जबकि मृदु जल में यह भरपूर झाग देता है।
प्रश्न 32. किस प्रकार से मेथेनॉल से वाणिज्यकीय स्तर पर एथेनोइक अम्ल प्राप्त करते हैं?
उत्तर : मेथेनॉल, कार्बन मोनोक्साइड के साथ आयोडीन – रोडियम (I2-Rh) उत्प्रेरक की उपस्थिति में क्रिया करके एथेनोइक अम्ल देता है।
प्रश्न 33. एस्टर किस प्रकार बनते हैं? इस प्रकार का एक समीकरण लिखिए। एस्टर का एक उपयोग लिखिए ।
उत्तर : किसी कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा ऐल्कोहॉल की सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में क्रिया से एस्टर बनता है ।
एस्टर का उपयोग सुगन्धित चीजों के बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 34 एथेनोइक अम्ल के विकार्बोक्सिलीकरण की रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर :
प्रश्न 35. एस्टर को इसके घटकों ऐल्कोहॉल तथा अम्ल के सोडियम लवण में किस प्रकार परिवर्तित किया जा सकता है?
उत्तर : एस्टर को किसी क्षारीय विलयन; जैसे— सोडियम हाइड्रॉक्साइड से अभिक्रमित करके इसके घटकों में परिवर्तित किया जा सकता है।
CH3COOC2H5 + NaOH → CH3 COONa + C2H5OH
- एक शब्द या एक वाक्य वाले प्रश्न
प्रश्न 1. कार्बन डाइऑक्साइड के लिए एक परीक्षण दीजिए।
उत्तर : कार्बन डाइऑक्साइड चूने के पानी को दूधिया कर देती है।
प्रश्न 2. वायुमण्डल में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा क्या है ?
उत्तर : 0.03%.
प्रश्न 3. सहसंयोजक आबन्ध द्वारा बने सरलतम अणु का नाम बताइए |
उत्तर : हाइड्रोजन |
प्रश्न 4. हाइड्रोजन अणु के बनने में, प्रत्येक हाइड्रोजन परमाणु किस उत्कृष्ट गैस का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त कर लेता है?
उत्तर : हीलियम ।
प्रश्न 5. कार्बन द्वारा बने सरलतम यौगिक का नाम बताइए ।
उत्तर : मेथेन ।
प्रश्न 6. उस ईंधन का नाम बताइए जिसमें मेथेन प्रमुख घटक है।
उत्तर : बायोगैस तथा संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG)।
प्रश्न 7. कार्बन के दो अपररूपों के नाम बताइए।
उत्तर : ग्रेफाइट तथा डायमण्ड ।
प्रश्न 8. क्या कार्बन के अतिरिक्त कोई अन्य तत्व भी शृंखलन का गुण प्रदर्शित करता है?
उत्तर : नहीं।
प्रश्न 9. सांश्लेषिक रूप से तैयार किया गया प्रथम कार्बन यौगिक कौन-सा था ?
उत्तर : अमोनियम सायनेट से तैयार यूरिया ( 1828 में फ्रेडरिक वोहलर द्वारा )
प्रश्न 10. कार्बनिक यौगिकों में उपस्थित हाइड्रोकार्बन भाग के अतिरिक्त अन्य समूह क्या होता है?.
उत्तर : क्रियात्मक समूह |
प्रश्न 11. क्या एक सजातीय श्रेणी में यौगिकों के रासायनिक गुण एकसमान होते हैं?
उत्तर : हाँ।
प्रश्न 12. ऐल्काइनों के प्रथम सदस्य का नाम तथा सूत्र लिखिए।
उत्तर : एथाइन ( ऐसीटिलीन) C2H2 (HC≡≡CH]|
प्रश्न 13. CH3OH का नाम बताइए ।
उत्तर : मेथेनॉल |
प्रश्न 14. एथेनॉल का सूत्र लिखिए।
उत्तर : C2H5OH.
प्रश्न 15. क्या होता है जब ऐल्कोहॉल को वायु में जलाया जाता है?
उत्तर : ऐल्कोहॉल वायु में जलकर कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प, ऊष्मा तथा प्रकाश देता है।
प्रश्न 16. एक संतृप्त हाइड्रोकार्बन को जलाने पर उत्पन्न ज्वाला की प्रकृति क्या होती है?,
उत्तर : संतृप्त हाइड्रोकार्बन एक स्वच्छ नीली ज्वाला के साथ जलता है।
प्रश्न 17. संतृप्त हाइड्रोकार्बनों को वायु की अपर्याप्त मात्रा में जलाने पर उत्पन्न होने वाली ज्वाला कैसी होती है?
उत्तर : ज्वाला में कालापन (soot) होता है।
प्रश्न 18. घरों में प्रयोग होने वाले गैस तथा किरोसीन के स्टोवों में वायु लिए प्रवेश छिद्र क्यों होते हैं।
उत्तर : जिससे ईंधन का दहन ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा के साथ हो सके तथा एक स्वच्छ नीली ज्वाला प्राप्त हो ।
प्रश्न 19. खाना पकाने के बर्तनों का तल कब काला पड़ जाता है?
उत्तर : जब प्रयुक्त होने वाला ईंधन वायु की अपर्याप्त मात्रा के साथ जलता है।
प्रश्न 20. उन पदार्थों के नाम बताइए जिनमें एथेनॉल एक महत्त्वपूर्ण घटक होता है?
उत्तर : बीयर, वाइन, व्हिस्की, कफ सीरप, पाचन सीरप आदि ।
प्रश्न 21. परिष्कृत स्पिरिट क्या है?
उत्तर : पाँच प्रतिशत जलयुक्त एथेनॉल |
प्रश्न 22. परम ऐल्कोहॉल क्या है?
उत्तर : एथेनॉल जिसमें अंशमात्र भी जल उपस्थित न हो, परम ऐल्कोहॉल कहलाता है।
प्रश्न 23. पॉवर ऐल्कोहॉल क्या है? यह कहाँ प्रयुक्त होता है?
उत्तर : 80% परिष्कृत स्पिरिट तथा 20% पेट्रोल का मिश्रण जो वाहनों में प्रयोग किया जाता है, पावर ऐल्कोहॉल कहलाता है।
प्रश्न 24. मादक द्रव के रूप में पीने हेतु प्रयोग किया जाने वाला ऐल्कोहॉल कौन-सा है?
उत्तर : एथेनॉल |
प्रश्न 25. उस ऐल्कोहॉल का नाम बताइए जिसके अल्प मात्रा में सेवन से गम्भीर विषाक्तता तथा अन्धता आ जाती है। ‘
उत्तर : मेथेनॉल अथवा प्रोपॉन-1-ऑल।
प्रश्न 26. कार्बोक्सिलिक अम्ल दुर्बल अम्ल है अथवा प्रबल अम्ल ?
उत्तर : दुर्बल अम्ल |
प्रश्न 27. एस्टरों के उपयोग बताइए ।
उत्तर : ठण्डे – पेयों, आइसक्रीम, मिठाई तथा इत्रों में एस्टर प्रयुक्त किए जाते हैं।
प्रश्न 28. डिटर्जेण्ट क्या हैं?
उत्तर : सल्फोनिक अम्ल के सोडियम लवण |
प्रश्न 29. एक घरेलू डिटर्जेण्ट का नाम बताइए ।
उत्तर : सोडियम n– डोडेसिल बेन्जीन सल्फोनेट ।