UK 9th Math

UK Board 9th Class Math – Chapter 1 संख्या पद्धति

UK Board 9th Class Math – Chapter 1 संख्या पद्धति

UK Board Solutions for Class 9th Math – गणित – Chapter 1 संख्या पद्धति

प्रश्नावली 1.1
प्रश्न 1. क्या शून्य एक परिमेय संख्या है? क्या आप इसे p/q के रूप में लिख सकते हैं, जहाँ p और q पूर्णांक हैं और q ≠ 0 है?
हल : हाँ, शून्य एक परिमेय संख्या है।
इसे p/q के रूप में लिखा जा सकता है।
प्रश्न 2. 3 और 4 के बीच 6 परिमेय संख्याएँ ज्ञात कीजिए ।
हल : ⋅.⋅ 6 परिमेय संख्याएँ ज्ञात करना है। इसलिए 3 और 4 को (6 + 1) = 7 से गुणा और भाग की संख्या द्वारा हम P/q के रूप में लिखें।
प्रश्न 3. 3/5 और 4/5 के बीच पाँच परिमेय संख्याएँ ज्ञात कीजिए ।
नोट – प्रश्न 2 व 3 में हमने निर्देश के अनुसार केवल 6 या 5 संख्याएँ ही ज्ञात की हैं जबकि इनके बीच अनेक संख्याएँ सम्भव हैं। अतः उत्तर इन उत्तरों से भिन्न भी होना सम्भव है।
प्रश्न 4. नीचे दिए गए कथन सत्य हैं या असत्य ? कारण के साथ अपने उत्तर दीजिए-
(i) प्रत्येक प्राकृत संख्या एक पूर्ण संख्या होती है।
(ii) प्रत्येक पूर्णांक एक पूर्ण संख्या होती है।
(iii) प्रत्येक परिमेय संख्या एक पूर्ण संख्या होती है।
हल : (i) यह कथन सत्य है क्योंकि सभी प्राकृत संख्याएँ (1, 2, 3, 4, ……) पूर्ण संख्याओं के संग्रह (0, 1, 2, 3, 4, ….) में समाहित हैं।
प्रश्नावली 1.2
प्रश्न 1. नीचे दिए गए कथन सत्य हैं या असत्य ? कारण के साथ अपने उत्तर दीजिए।
(i) प्रत्येक अपरिमेय संख्या एक वास्तविक संख्या होती है।
(ii) संख्या रेखा का प्रत्येक बिन्दु √m के रूप का होता है, जहाँ एक प्राकृत संख्या है।
(iii) प्रत्येक वास्तविक संख्या एक अपरिमेय होती है।
हल : (i) यह कथन सत्य है क्योंकि अपरिमेय और परिमेय संख्याएँ मिलकर वास्तविक संख्याओं का संग्रह बनाती हैं। अतः प्रत्येक अपरिमेय संख्या वास्तविक संख्या होती है।
(ii) यह कथन असत्य है क्योंकि संख्या रेखा पर सभी वास्तविक संख्याएँ निरूपित की जा सकतीं हैं। यहाँ m. एक प्राकृतिक संख्या जो यह इंगित करता है कि √1, √2, √3, √4, √5, …… बिन्दु ही संख्या – रेखा पर स्थित हैं तथा अन्य बिन्दु संख्या – रेखा पर स्थित नहीं होना चाहिए जबकि वास्तविकता यह है कि दी हुई किन्हीं दो क्रमिक संख्याओं को निरूपित करने वाले बिन्दुओं के मध्य विस्तृत अन्तराल होता है; जैसे : √2 = 1.41 और √3 = 1.73 तब 1.41 और 1.73 के मध्य पड़ने वाली संख्याओं को भी संख्या – रेखा पर स्थान प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त ऋणात्मक संख्याएँ संख्या – रेखा पर स्थित होती हैं। अतः संख्या – रेखा का प्रत्येक बिन्दु √m से व्यक्त नहीं किया जा सकता (जबकि m = एक प्राकृतिक संख्या हो) ।
(iii) यह कथन असत्य है क्योंकि परिमेय संख्याओं और अपरिमेय संख्या के संग्रह से वास्तविक संख्याओं के समुच्चय का निर्माण होता है। अतः प्रत्येक अपरिमेय संख्या तो वास्तविक संख्या हो सकती है परन्तु प्रत्येक वास्तविक संख्या का अपरिमेय होना आवश्यक नहीं है जैसे 2 एक वास्तविक संख्या है परन्तु यह अपरिमेय नहीं है।
प्रश्न 2. क्या सभी धनात्मक पूर्णांकों के वर्गमूल अपरिमेय होते हैं? यदि नहीं, तो एक ऐसी संख्या के वर्गमूल का उदाहरण दीजिए जो एक परिमेय संख्या है।
हल : ⋅.⋅ √m = एक असान्त दशमलव संख्या अथवा पूर्ण संख्या
जहाँ m एक धन पूर्णांक है।
जैसे √1 = ±1 जो कि एक परिमेय संख्या है।
अतः सभी धन पूर्णांकों के वर्गमूल अपरिमेय नहीं होते । उदाहरण के लिए, √4 = ±2, √4 = ±3, ……… इत्यादि परिमेय संख्याएँ हैं।
प्रश्न 3. दिखाइए कि संख्या रेखा पर √5 को किस प्रकार निरूपित किया जा सकता है।
हल : √5 को संख्या – रेखा पर निरूपित करने की विधि
(i) संख्या -रेखा खींची। इस पर शून्य तथा धन और ऋण पूर्णांक अंकित किए। शून्य पर बिन्दु O लिया ।
(ii) संख्या-रेखा पर OA = 1 मात्रक लेकर बिन्दु A अंकित किया ।
प्रश्नावली 1.3
प्रश्न 1. निम्नलिखित भिन्नों को दशमलव रूप में लिखिए और बताइए कि प्रत्येक का दशमलव प्रसार किस प्रकार का है :
प्रश्नावली 1.4
प्रश्न 1. उत्तरोत्तर आवर्धन करके संख्या – रेखा पर 3.765 को देखिए ।
हल: पहले संख्या – रेखा पर 3.0 और 4.0 के बीच 3.7 व 3.8 देखिए ।
फिर 3.70 व 3.80 के बीच 3.76 और 3.77 देखिए ।
तब 3.760 व 3.770 के बीच 3.765 को देखिए ।
प्रश्न 2. 4 दशमलव स्थानों तक संख्या- रेखा पर 4.26 को देखिए ।
हल : 4.26 = 4.2626
(i) पहले 4.2 व 4.3 के बीच 4.26 व 4.27 देखिए ।
(ii) फिर 4.260 व 4.270 के बीच 4.262 व 4.263 देखिए ।
(iii) पुन: 4.2620 और 4.2630 के बीच 4.2626 देखिए ।
प्रश्नावली 1.5
प्रश्न 1. बताइए नीचे दी गई संख्याओं में कौन-कौन परिमेय हैं और कौन-कौन अपरिमेय हैं :
प्रश्न 2. निम्नलिखित व्यंजकों में से प्रत्येक व्यंजक को सरल कीजिए :
प्रश्न 3. आपको याद होगा कि π को एक वृत्त की परिधि (c) और उसके व्यास (d) के अनुपात से परिभाषित किया जाता है अर्थात् π = c/d है। यह इस तथ्य का अन्तर्विरोध करता हुआ प्रतीत होता है कि π अपरिमेय है। इस अन्तर्विरोध का निराकरण आप किस प्रकार करेंगे?
जब हम c अथवा d को किसी स्केल से नापते हैं तो हमें c या d की केवल सन्निकट माप (approximate value) ही प्राप्त होती है जिससे यह पता नहीं चल पाता कि c या d परिमेय संख्याएँ हैं या अपरिमेय संख्याएँ हैं। इसी कारण हमें c और d को परिमेय संख्याएँ समझने का भ्रम उत्पन्न होता है और हम c व d के अनुपात π को परिमेय संख्या समझने की ओर अग्रसर होते हैं और अन्तर्विरोध उत्पन्न होता है।
वास्तव में कोई अन्तर्विरोध है ही नहीं; वस्तुत: परिधि (c) और व्यास (d) की माप के भ्रम से हमें अन्तर्विरोध की मात्र अनुभूति ही होती है।
प्रश्न 4. संख्या – रेखा पर √9.3 को निरूपित कीजिए ।
हल : √9.3 का संख्या- रेखा पर निरूपण
विधि : (1) रेखाखण्ड AB = 9.3 सेमी खींचा।
(2) इसे किसी बिन्दु X तक आगे बढ़ाया और BX पर एक बिन्दु C इस प्रकार लिया कि BC = 1 सेमी ।
(3) AC का मध्य बिन्दु M ज्ञात किया और व्यास AC का अर्धवृत्त खींचा।
(4) AC के बिन्दु B से AC पर लम्ब BD खींचा जो अर्धवृत्त को D पर काटे ।
(5) केन्द्र B से BD त्रिज्या का चाप खींचा जो BX को P पर काटे ।
(6) BP के समान्तर एक संख्या-रेखा खींचकर इस पर BP को निरूपित किया।
तब, √9.3 = BP = 3.04 या 3.05 लगभग                              उत्तर
प्रश्न 5 : निम्नलिखित के हरों का परिमेयकरण कीजिए : 
प्रश्नावली 1.6

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