UK Board 9th Class Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 16 अपशिष्ट पदार्थों के प्रबन्ध की आवश्यकता
UK Board 9th Class Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 16 अपशिष्ट पदार्थों के प्रबन्ध की आवश्यकता
UK Board Solutions for Class 9th Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 16 अपशिष्ट पदार्थों के प्रबन्ध की आवश्यकता
• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1- अपशिष्ट प्रबन्धन की आवश्यकता का वर्णन कीजिए ।
उत्तर- अपशिष्ट प्रबन्धन की आवश्यकता
बढ़ती जनसंख्या एवं तीव्र नगरीयकरण के आँकड़ों को देखने एवं मानव के प्रकृति विरुद्ध कार्यों के कारण अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा में बहुत अधिक वृद्धि हो रही है। एक अनुमान के अनुसार देश के प्रथम श्रेणी के शहरों से प्रतिवर्ष औसतन 2 मिलियन टन से भी अधिक ठोस अपशिष्ट उत्पन्न होते हैं जबकि द्वितीय श्रेणी के शहरों से प्रतिवर्ष लगभग 0.25 मिलियन टन कचरा उत्पन्न होता है। इसके मूल कारणों की ओर यदि ध्यान दिया जाए तो ज्ञात होता है कि मानव अपनी सुविधा के लिए जितनी भी प्रकार की चीजों का उत्पादन, उत्खनन या निर्माण करता है उनके साथ ही वह विविध प्रकार के कचरों का भी उत्पादन करता है ।
उत्खनन के द्वारा विभिन्न प्रकार के खनिजों के साथ अपशिष्ट पदार्थ भी साथ निकलते हैं। यदि कोयले का उत्पादन होता है तो उसके साथ मिट्टी और विभिन्न प्रकार की चट्टानों के अपशिष्ट पदार्थ भी प्राप्त होते हैं। खनिज तेल का उत्पादन होता है तो उसके साथ अनेक प्रकार के गैसें भी निकलती हैं। यह पदार्थ पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं।
वर्तमान समय में प्लास्टिक के आविष्कार ने इस समस्या को अधिक हैविकट बना दिया है। आधुनिक समय में विभिन्न उपकरणों की पैकिंग के. लिए नायलॉन, पी०वी०सी० और पॉलिस्टाइरीन जैसे प्लास्टिक उत्पादों की आवश्यकता पड़ती है। इनकी उपयोगिता की अवधि बहुत छोटी होती हैं किन्तु फिर इनके फेंकने पर पर्यावरण के लिए भारी समस्या खड़ी हो जाती है। इस प्रकार के कचरे की मात्रा अब देखी जाती है। ।
अतः आधुनिकीकरण के कारण वातावरण में अपशिष्टों की वृद्धि अधिक देखी जा रही है; जिससे पर्यावरण प्रदूषण का विस्तार हो रहा है। प्रदूषण के कारण पृथ्वी पर समस्त जीवन तन्त्र को खतरे का अनुभव होने लगा है। अपशिष्ट प्रदूषण विस्तार की जड़ है, इसलिए इस पर अंकुश लगाना नितान्त आवश्यक है अन्यथा उस दिन को दूर नहीं समझना चाहिए जल पृथ्वी पर जीवन असहनीय हो जाएगा। इस प्रकार पर्यावरण को बनाए रखने के लिए अपशिष्टों का उचित निस्तारण अत्यन्त आवश्यक है।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – गाँवों में गन्दगी फैलने के क्या कारण हैं?
उत्तर – स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् से ही भारत का ग्रामीण क्षेत्र विभिन्न प्रकार की समस्याओं से त्रस्त रहा है। अभी तक भारत के ग्रामों के. आर्थिक और सामाजिक विकास के पिछड़ेपन की चर्चा होती रहती थी, किन्तु वर्तमान समय में कृषि से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के कारण एवं विभिन्न प्रकार की आधारभूत सुविधाओं के अभाव के कारण प्रदूषण एवं गन्दगी की समस्या भी विकट होती जा रही है। गाँवों में गन्दगी फैलने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
(1) गाँवों में विभिन्न प्रकार की आधारभूत सुविधाओं का अभाव पाया जाता है।
(2) गाँवों में वातावरण की स्वच्छता के साधनों की उचित व्यवस्था नहीं होती है।
(3) गाँवों में शिक्षा का अभाव होता है इसलिए ग्रामीण जनसंख्या स्वच्छता के प्रति जागरूक नहीं होती है।
(4) ग्रामीण प्रशासन देश में व्यवस्थित नहीं है। इस प्रशासन को गन्दगी हटाने या स्वच्छता रखने के सम्बन्ध में कर्त्तव्यों का पर्याप्त बोध नहीं कराया जाता ।
(5) ग्रामीण क्षेत्र विभिन्न प्रकार के प्राथमिक व्यवसायों के क्षेत्र होते हुए भी इनको वैज्ञानिक ढंग से कार्य करने का प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है। उदाहरण के लिए – पशुशाला की उचित व्यवस्था, मत्स्य पालन या मुर्गी फार्म का वैज्ञानिक प्रबन्ध न होने के कारण सम्बन्धित उत्पादन कार्यों से उत्पन्न गन्दगी के निपटाने की उचित व्यवस्था नहीं होती है।
अतः ऐसे कारणों से भारत के ग्रामों में गन्दगी एवं प्रदूषण का वातावरण देखने को मिलता है। जिसे सरकारी सहयोग और स्थानीय जनसंख्या का स्वच्छता के प्रति जागरूक होने पर काबू किया जा सकता है।
प्रश्न 2 – अपशिष्ट पदार्थों की क्या-क्या श्रेणियाँ हैं ?
उत्तर — अपशिष्ट पदार्थों को सामान्यतः तीन श्रेणियों में रखा जाता है-
(1) मल-मूत्र, (2) गन्दा पानी तथा (3) कूड़ा-कचरा
नगरों में मानव मूल-मूत्र तथा ग्रामों में पशु मल-मूत्र अपशिष्टों की उपले प्रधानता होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में पशु मल-मूत्र से कम्पोस्ट खाद, (कण्डे) तथा गोबर गैस बनाने में इस मल-मूत्र का निस्तारण किया जा सकता है। नगरीय क्षेत्रों में अभी तक मानव मल-मूत्र का उचित निस्तारण और ऊर्जा उत्पादन की समुचित व्यवस्था नहीं है। गन्दा पानी गाँवों में उचित निकास व्यवस्था न होने के कारण गन्दगी और प्रदूषण का वाहक बना हुआ है। नगरों में भी इसकी पर्याप्त व्यवस्था देखने को नहीं मिलती है। कूड़ा-कचरा ग्रामों में कृषि और वानिकी से सम्बन्धित अधिक होता है जिसको ईंधन या जैविक स्वाद के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है जबकि नगरों में जनसंख्या सघनता के कारण व्यापारिक, औद्योगिक और घरेलू कूड़ा-कचरा अधिक मात्रा में उत्पादित होता है तथा इसके निपटारे की भी समुचित व्यवस्था न होने के कारण गन्दगी और प्रदूषण का वातावरण बना रहता है।
• अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – मेलों तथा हाटों में प्रदूषण फैलने के क्या कारण हैं?
उत्तर – गाँव के मेलों में दुकानें लगाने का कोई उचित विधान नहीं होता है। अतः खाद्य पदार्थों की दुकानें, चाट, फल, मिठाई आदि खाने के बाद अपशिष्ट पदार्थों का उचित निरस्तारण नहीं किया जाता है। इसलिए यहाँ फैले इन अपशिष्टों के सड़ने- गलने से प्रदूषण फैलने लगता है।
प्रश्न 2 – मृत पशुओं द्वारा वायु पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर – ग्रामीण क्षेत्रों में मृत पशुओं को खुले स्थानों में ऐसे ही डाल दिया जाता है। पशु के इस मृत शरीर को गिद्ध, कौए, गीदड़ आदि खाते रहते हैं और कई दिनों तक यह सड़ता रहता है। अतः मृत पशु में उत्पन्न दुर्गन्ध और जीवाणु वायु द्वारा दूर तक फैलकर अनेक रोगों का वाहक बन जाते हैं।
प्रश्न 3 – अपशिष्ट प्रबन्धन से पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर — अपशिष्ट प्रबन्धन से पर्यावरण सन्तुलित अधिक स्वच्छ रहता है। पर्यावरण में निहित प्राकृतिक संसाधन भी दीर्घ अवधि तक बने रहते हैं।
प्रश्न 4- खनिज तेल के साथ किस अपशिष्ट का उत्पादन होता है?
उत्तर- खनिज तेल के साथ विभिन्न प्रकार की विषैली गैसों का उत्पादन होता है।
