UK 9th Science

UK Board 9th Class Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 14 अपशिष्टों का वर्गीकरण

UK Board 9th Class Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 14 अपशिष्टों का वर्गीकरण

UK Board Solutions for Class 9th Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 14 अपशिष्टों का वर्गीकरण

• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1– निम्नीकरण योग्य तथा गैर-निम्नीकरण योग्य अपशिष्ट क्या है? इसका पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर— जन-स्वास्थ्य एवं पर्यावरण सन्तुलन के लिए अपशिष्टों से उत्पन्न प्रदूषण हानिकारक है। यह आश्चर्यजनक तथ्य है कि आज विश्व में प्रतिवर्ष दस अरब ठोस अपशिष्ट उत्पन्न होता है। यह ठोस अपशिष्ट दो मुख्य वर्ग निम्नीकरण योग्य एवं गैर-निम्नीकरण योग्य में विभक्त किया जाता है इसका विवरण इस प्रकार है-
(1) निम्नीकरण योग्य अपशिष्ट – इस वर्ग में कूड़ा-करकट मल-मूत्र, विभिन्न जीव-जन्तुओं के उत्सर्जक पदार्थ तथा पेड़-पौधों के हरे या सूखे कार्बनिक पदार्थ सम्मिलित हैं। इन पदार्थों का जीवाणुओं के समूह अपघटक के रूप में निरन्तर अपघटन करते रहते हैं।
(2) गैर-निम्नीकरण योग्य अपशिष्ट विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ जो औद्योगिक संस्थानों से अपशिष्ट के रूप में प्राप्त होते हैं गैर-निम्नीकरण अपशिष्ट पदार्थ कहलाते हैं। ये पदार्थ सरलता से अपघटित नहीं किए जा सकते हैं । इस प्रकार के रासायनिक पदार्थों का या तो अपघटन होता ही नहीं और यदि होता भी है तो अपघटन बहुत धीमी गति से सम्पन्न होता है।
पर्यावरण पर प्रभाव
निम्नीकरण योग्य एवं गैर-निम्नीकरण योग्य अपशिष्ट पदार्थ पर्यावरण और जन-स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यन्त घातक होते हैं। निम्नीकरणीय अपशिष्टों जिसमें मुख्यत: कार्बनिक पदार्थ सम्मिलित किए क्योंकि इनकी मात्रा अधिक हो जाने पर इनकी अपघटन की दर कम हो जाते हैं; जल, मिट्टी तथा हवा में सम्मिलित होकर इन्हें प्रदूषित कर देते हैं. लगते हैं। गैर-निम्नीकरण पदार्थ भी पानी हवा आदि के माध्यम से खाद्य जाती है इसलिए कार्बनिक पदार्थ शीघ्रता से पर्यावरण को प्रदूषित करने पदार्थों की श्रृंखला में प्रवेश कर जाते हैं और जन – स्वास्थ्य को हानि पहुँचाते हैं। इन पदार्थों में डी०डी०टी०, प्लास्टिक, ऐलुमिनियम, आर्सेनिक, पारा के यौगिक तथा कुछ अन्य धातुएँ पर्यावरण को सबसे अधिक दुष्प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 2 – प्लास्टिक अपशिष्टों का निस्तारण क्यों कठिन है? इनसे पर्यावरण को क्या हानि होती हैं?
उत्तर- प्लास्टिक अपशिष्टों का निस्तारण
पॉलीथीन व प्लास्टिक का उपयोग अब व्यापक रूप से बढ़ता जा रहा है। अस्सी के दशक तक हाट-बाजार से उपभोक्ता वस्तुएँ कागज के लिफाफों अथवा हल्के कपड़े के थैलों में उपलब्ध होती थीं, परन्तु बढ़ती भौतिकता एवं शोखपन के कारण इनका स्थान पॉलीथीन ने ले लिया है। संश्लेषित प्लास्टिक एवं पॉलीथीन जैव निम्नीकरण (Bio-degradation) योग्य न होने के कारण वर्षों तक पारिस्थितिक – तन्त्र के लिए खतरा बनी रहेंगी। नगरीय पर्यावरण में पॉलीथीन का उपयोग एक बड़ी समस्या है। इनके उपयोग के बाद इन्हें नाले-नालियों, नदियों, तालाबों, खुले स्थानों एवं उपजाऊ मृदा पर स्वतन्त्र विचरण के लिए छोड़ दिया जाता है। फलस्वरूप नालियाँ अवरुद्ध हो जाती. ए हैं जिससे अनेक प्रकार के जीवाणुओं की उत्पत्ति होती है। वर्तमान समय में किए गए एक अध्ययन के अनुसार महानगरों में प्रतिदिन 250 टन भार की पॉलीथीन थैलियों का कचरा निकलता है जिससे गन्दे जल के निकास एवं सीवर व्यवस्था में बाधा पड़ती है। सड़कों, गलियों एवं खुले स्थानों में चारों ओर गन्दा जल-मल फैला रहता है जिससे आवागमन बाधित हो जाता है। इससे नगरीय जीवन नारकीय हो गया है तथा जल निकास को सुचारु करने के लिए लाखों-करोड़ों रुपये व्यय करने पड़ते हैं, जिसने नगर – प्रशासन के आर्थिक ढाँचे को जर्जर कर दिया है।
प्लास्टिक अपशिष्ट पदार्थों का निस्तारण अत्यन्त कठिन एवं व्यय साध्य है। यह अपनी प्रकृति के कारण न सड़ता है और न गलता है। इसलिए इसके निस्तारण में कठिनाई अनुभव होती है और इसी कारण इसकी मात्रा बहुत अधिक होकर पर्यावरण को हानि पहुँचाती है।
प्लास्टिक अपशिष्ट से पर्यावरण को हानि
पॉलीथीन एवं रैपर भार में बड़े ही हल्के होते हैं तथा वायु द्वारा इन्हें दूरवर्ती भागों तक उड़ा दिया जाता है। इनका एकत्रीकरण ऐसे स्थानों पर हो जाता है, जहाँ या तो कीचड़ एवं गन्दा जल एकत्र हो अथवा वर्षा का जल एकत्र हो। पॉलीपैक ने न केवल भोज्य पदार्थों बल्कि मृदा की उर्वरा शक्ति को भी क्षीण कर दिया है। पॉलीथीन वर्षा के जल एवं ह्यूमस को मृदा में जाने से रोकते हैं। यह एक ऐसा पदार्थ जो मृदा में भी नष्ट नहीं होता है तथा उर्वर भृदा पर फैलकर उसकी उर्वरा शक्ति को घटा देता है। इससे पेड़-पौधों की वृद्धि अवरुद्ध हो जाती है तथा उनकी हरियाली (Greenery ) भी प्रभावित हो है। यदि पॉलीथीन को नष्ट करने हेतु जलाया जाए तो इनसे विषैली गैस निकलती है जो पर्यावरण के लिए तो हानिकारक है ही, अपितु पृथ्वी के सुरक्षा कवच – ओजोन परत, जो सूर्य से आने वाली हानिकारक एवं तीक्ष्ण पराबैंगनी किरणों के दुष्प्रभाव को रोकती है, को भी हानि पहुँचाती है।
पॉलीपैक्ड वस्तुओं के उपभोग से नागरिकों के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता है, क्योंकि इनमें गुणवत्ता की वस्तुएँ नहीं होती हैं। केवल चमचमाते, सुनहरे व मनभावन पॉलीपैक का आकर्षण हमें उन्हें क्रय करने के लिए प्रेरित करता है। आज निर्माता एवं विक्रेता उपभोक्ताओं को खुले हाथों लूट रहे हैं तथा उनका शोषण कर रहे हैं। अब से कुछ वर्षों पूर्व हमारी माताएँ-बहनें रसोईघर में प्रयुक्त विभिन्न उपभोक्ता वस्तुओं को उनके मूल प्राकृतिक रूप में क्रय कर कूट-पीसकर तैयार करती थीं, तभी उनका प्रवेश उपभोग किया जाता था । बहुत-से घर-परिवारों में बाजारी वस्तुओं का पूर्णतया प्रतिबन्धित था। अतः इन वस्तुओं के उपभोग का मानव स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ता था तथा वह हृष्ट-पुष्ट एवं स्वस्थ रहता था। परन्तु आज उस इच्छा-शक्ति का लोप हो गया है। हमारा प्रशासनतन्त्र भी इस ओर आँखें बन्द किए बैठा है। उपभोक्ता निडर होकर पॉलीपैक्ड वस्तुओं का उपभोग कर अपने स्वास्थ्य के प्रति खिलवाड़ कर रहे हैं। उनका स्वास्थ्य निरन्तर गिरावट की ओर है तथा वह अनेक रोगों से ग्रस्त हैं।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – पॉलीथीन के बढ़ते उपयोग की रोकथाम के लिए कौन से उपाय कारगर सिद्ध हो सकते हैं?
उत्तर- पॉलीथीन के बढ़ते उपयोग को रोकने के उपाय
पॉलीथीन के कुप्रभावों को देखते हुए उसके उपयोग पर प्रभावी नियन्त्रण की आवश्यकता है। श्रीलंका सरकार ने अपने देश में पॉलीपैक का उपयोग बिल्कुल निषेध घोषित कर दिया है। एक छोटे-से देश श्रीलंका में उसके नागरिक इसे प्लेगरूपी महामारी के नाम से पुकारते हैं। कोई भी उपभोक्ता पॉलीपैक वस्तुओं को किसी भी मूल्य पर स्वीकार नहीं करता । श्रीलंका के नागरिक अपनी घरेलू उपभोक्ता वस्तुओं को सस्ते कपड़े के थैलों में लाना पसन्द करते हैं। सरकार ने इसके विरुद्ध कठोर नियम एवं कानून बनाए हैं तथा उनका कठोरता से ही पालन किया जाता है। क्या भारत में ऐसा करना सम्भव नहीं है?
ऐसा नहीं है कि भारतीय पर्यावरणविद् इस समस्या से परिचित नहीं हैं, परन्तु इस ओर किसी ने भी प्रभावी कदम नहीं उठाए हैं। सामाजिक संस्थाओं को इस ओर अग्रसर होना चाहिए तथा समाज में इसके विरुद्ध जागरूकता लानी चाहिए। महिला शिक्षा केन्द्रों को चाहिए कि उनके प्रतिनिधि समूह बनाकर सड़कों पर उतर आएँ और घर-घर जाकर लोगों को पॉलीपैक के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभावों के प्रति सजग करें। स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वह उपयोग में लाए गए पॉलीथीन, पॉलीपैक तथा प्लास्टिक वस्तुओं का एकत्रण कर उनका पुनः चक्रण करें अथवा इस पुनः चक्रण पदार्थ को कोलतार के साथ मिलाकर उसका उपयोग सड़क बनाने ‘में करें। इसके उपयोग से सड़कें मजबूत एवं टिकाऊ बनती हैं।
प्लास्टिक के उपयोग के पूर्णरूप से प्रतिबन्धित करने के लिए सरकार व प्रशासन को कठोर कदम उठाने चाहिए और श्रीलंका सरकार से इस सम्बन्ध में प्रेरित होना चाहिए।
प्रश्न 2 – विषैले एवं गैर विषैले अपशिष्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर – सभी अपशिष्ट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं किन्तु इनके प्रभाव की तीव्रता में अन्तर होता है। प्रभाव तीव्रता के आधार पर ही इनको विषैले अपशिष्ट एवं गैर विषैले अपशिष्ट में विभक्त किया जाता हैं-
विषैले अपशिष्ट – स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की दृष्टि से अत्यन्त घातक अपशिष्ट पदार्थों को इस वर्ग में रखा जाता है। विभिन्न प्रकार के औद्योगिक बहि:स्राव, कृषि विसर्जन, औद्योगिक ठोस कचरा, धातुकण, विषैली गैस, धुआँ तथा मर्करी और सीसा प्रदूषक विषैल अपशिष्ट होते हैं जो खाद्य पदार्थों एवं पर्यावरण में सम्मिलित होकर जन-स्वास्थ्य को हानि पहुँचाते हैं।
गैर विषैले अपशिष्ट — जो अपशिष्ट स्वास्थ्य को गम्भीर खतरा नहीं पहुँचाते हैं उन्हें गैर विषैल अपशिष्ट कहते हैं। इनमें ठोस, द्रव तथा गैस तीनों अवस्था के अपशिष्ट सम्मिलित होते हैं। फ्लोराइड, रेड-मड (विशेष प्रकार की मिट्टी), राख, तेल आदि गैर विषैले अपशिष्ट माने जाते हैं।
• अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – सीसा प्रदूषण से शरीर के किन अंगों को क्षति पहुँचती है?
उत्तर – सीसा प्रदूषण से शरीर के यकृत एवं वृक्क को भारी क्षति पहुँचती है। इसके प्रदूषण के द्वारा शरीर में हीमोग्लोबिन बनने की गति धीमी हो जाती है। ‘
प्रश्न 2 – औद्योगिक बहिःस्रात के स्रोत क्या हैं?
उत्तर – चर्म संस्कारशाला, रँगाई टैक्सटाइल, कागज और लुगदी, कारखानों से निकलने वाले द्रव पदार्थ औद्योगिक बहिःस्राव के प्रमुख स्रोत हैं।
प्रश्न 3 – कृषि विसर्जन से जलाशयों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर – कृषि विसर्जन से जल स्त्रोत – नदियाँ, झीलें, तालाबों आदि का जल प्रदूषित हो जाता है जो इनके पारिस्थितिक तन्त्र को अव्यवस्थित कर देता है।
प्रश्न 4 – प्लास्टिक की वस्तुएँ खाने से पशु क्यों मर जाते हैं?
उत्तर – प्लास्टिक की बनी थैलियाँ खाने से वे पशुओं के पेट में इकट्ठा हो जाती हैं। ये पच नहीं पाती हैं इसलिए पशुओं की मृत्यु हो जाती है।
प्रश्न 5- क्या पॉलीथीन का जैव निम्नीकरण किया जा सकता है?
उत्तर – संश्लेषित प्लास्टिक एवं पॉलीथीन द्वारा जैव निम्नीकरण (Bio-degradation) नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न 6 – पॉलीथीन का मृदा पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है?
उत्तर – पॉलीथीन न केवल भोज्य पदार्थों बल्कि मृदा की उर्वरा शक्ति को भी क्षीण करती है। पॉलीथीन वर्षा के जल एवं ह्यूमस को मृदा में जाने से रोकती है। यह एक ऐसा पदार्थ है जो मृदा में भी नष्ट नहीं होता है तथा उर्वर मृदा पर फैलकर उसकी उर्वरा शक्ति को घटा देता है।

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