UK 9th Science

UK Board 9th Class Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 15 अपशिष्टों के संग्रह का प्रभाव : प्रदूषण, स्वास्थ्य के लिए खतरा, भू-दृश्य का विनाश तथा समुद्रतटीय जीवन

UK Board 9th Class Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 15 अपशिष्टों के संग्रह का प्रभाव : प्रदूषण, स्वास्थ्य के लिए खतरा, भू-दृश्य का विनाश तथा समुद्रतटीय जीवन

UK Board Solutions for Class 9th Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 15 अपशिष्टों के संग्रह का प्रभाव : प्रदूषण, स्वास्थ्य के लिए खतरा, भू-दृश्य का विनाश तथा समुद्रतटीय जीवन

• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – प्रदूषण से स्वास्थ्य के लिए सम्भावित खतरों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – प्रदूषण का स्वास्थ्य पर प्रभाव
स्वास्थ्य पर प्रदूषणों के दुष्प्रभावों एवं सम्भावित खतरों को निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है-
वायु प्रदूषण का मानव-जीवन पर प्रभाव
वायु-प्रदूषण का मानव के स्वास्थ्य पर गम्भीर प्रभाव पड़ता है। सल्फर डाइ-ऑक्साइड से फेफड़ों के रोग, कैडमियम जैसे पदार्थों से हृदय रोग, कार्बन मोनो-ऑक्साइड से कैंसर, श्वास आदि अनेक रोगों का कारण वायु प्रदूषण हो सकता है। आँखों में, श्वसन मार्ग व गले से जलन आदि तो वायु प्रदूषण द्वारा उत्पन्न साधारण प्रकार के रोग हैं।
कुछ पदार्थ पर्यावरण में आने पर अन्य पदार्थों से क्रिया करके इस प्रकार के विषैले पदार्थ बना लेते हैं जो स्वास्थ्य पर अत्यधिक हानिकारक प्रभाव डालते हैं। उदाहरण के लिए – स्वचालित निर्वातक में निकलने वाले अदग्ध हाइड्रोकार्बन तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड सूर्य के प्रकाश में प्रतिक्रिया कर लेते हैं तथा प्रकाश संश्लेषी स्मॉग का निर्माण करते हैं। इनमें पैरॉक्सी एसीटिल नाइट्रेट एवं ओजोन होते हैं। इस प्रकार बनने वाले पदार्थ विषैले होते हैं। पैरॉक्सी एसीटिल नाइट्रेट का प्रभाव विशेष रूप से मनुष्य की आँखों तथा श्वास नली पर पड़ता है।
जल प्रदूषण का प्रभाव
जल- प्रदूषण का जन-जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे हैजा, टाइफॉयड, पेचिश व पोलियो जैसे रोग फैलते हुए महामारी का रूप धारण कर लेते हैं। प्रदूषित जल के जीवाणु मानव शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
जलभण्डारों में जलीय जीवों के नष्ट होने से खाद्य पदार्थों की हानि होती है। बड़ी संख्या में मछलियाँ नष्ट हो जाती हैं तथा आर्थिक समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। जलीय पौधों आदि के नष्ट होने से पर्यावरण के नितान्त आवश्यक पदार्थ; जैसे— ऑक्सीजन आदि की कमी होने लगती है। इस प्रकार पर्यावरण के विनष्ट होने से सम्पूर्ण पारिस्थितिक तन्त्र ही असन्तुलित हो जाता है। निःसन्देह जल प्रदूषण मानव जीवन को व्यापक रूप से प्रभावित करता है।
मृदा प्रदूषण का प्रभाव
जीवन के सभी खाद्य पदार्थ मिट्टी में ही उत्पन्न होते हैं किन्तु जब अपशिष्ट पदार्थ मिट्टी में सम्मिलित हो जाते हैं तो मिट्टी कृषि उत्पादन के योग्य नहीं रहती । इसलिए उस क्षेत्र में खाद्य पदार्थों का अकाल उत्पन्न हो जाता है; अत: जन-सामान्य कुपोषण या खाद्य पदार्थों के संकट से प्रभावित होने लगता है जिसका स्वास्थ्य पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – अपशिष्ट पदार्थों के कुछ समय तक खुले स्थान में पड़े रहने का क्या असर होता है?
उत्तर – एक ही स्थान पर लम्बे समय तक अपशिष्ट पदार्थों के पड़े रहने से उसमें दुर्गन्ध तथा जीवाणु उत्पन्न हो जाते हैं, जो पर्यावरण को प्रदूषित करते रहते हैं। कचरों के इन ढेरों को घुमन्तू पशु, सुअर, चूहे आदि विभिन्न स्थानों पर फैलाते रहते हैं जिससे स्वच्छ स्थान भी प्रदूषित हो जाता है। इससे इन लोगों को विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ हो जाती हैं तथा निस्तारण का समुचित प्रबन्ध आवश्यक है। प्रदूषण क्षेत्र भी विस्तृत होता जाता है। इसलिए अपशिष्ट पदार्थों के
प्रश्न 2 – प्रदूषित जल के प्रयोग से लोगों के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर – प्रदूषित जल का स्वास्थ्य पर प्रभाव
प्रदूषित जल का सबसे अधिक प्रभाव मानव समुदाय तथा जीवों पर पड़ता है। प्रदूषित जल के प्रयोग से लोग अनेक प्रकार के संक्रामक तथा खतरनाक रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं। इन रोगों में हैजा, तपेदिक, पीलिया, अतिसार, मियादी बुखार, पैराटाइफॉयड, पेचिस, आदि मुख्य हैं। एस्बेस्टस के रेशों से युक्त जल का सेवन करने से अस्बेस्टोसिस नामक प्राणघातक बीमारी हो जाती है। इसके द्वारा फेफड़ों का कैंसर तथा पेट के रोग उत्पन्न हो जाते हैं। पारायुक्त जल के प्रयोग से मिनामाता रोग हो जाता है। अत: प्रदूषण जैव-जगत के लिए अत्यन्त खतरनाक है।
• अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – विषैले रसायनयुक्त जल का जलीय पौधों तथा जन्तुओं पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर – विषैले रसायनयुक्त पदार्थ जल में घुल जाने पर जल प्रदूषित हो जाता है। इससे जलीय पौधों और जन्तुओं का विकास रुक जाता है और वह नष्ट हो जाते हैं।
प्रश्न 2 – कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी विषैली गैसों का श्वसन क्रिया पर क्या असर होता है?
उत्तर— कार्बन मोनो-ऑक्साइड जैसी विषैली गैसें मनुष्य के रक्त के हीमोग्लोबिन अणुओं से ऑक्सीजन की तुलना में दो सौ गुना अधिक मिल जाती हैं। उससे श्वसन क्रिया में अवरोध उत्पन्न होता है और दम घुटने लगता है।
प्रश्न 3 – लोग सुरक्षित विद्युत शव दाहगृहों का प्रयोग करने से क्यों कतराते हैं?
उत्तर – लोग सुरक्षित विद्युत शव दाहगृहों का प्रयोग इसलिए नहीं करते क्योंकि शवदाह संस्कार के पीछे धार्मिक आस्थाएँ निहित है; अत: सभी धार्मिक समुदाय अपने-अपने धर्म के अनुसार ही मृत संस्कार में विश्वास रखते हैं।

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