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UK Board 9th Class Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 23 मौसम तत्त्व : विवेचन, मापन तथा उपयोगिता

UK Board 9th Class Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 23 मौसम तत्त्व : विवेचन, मापन तथा उपयोगिता

UK Board Solutions for Class 9th Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 23 मौसम तत्त्व : विवेचन, मापन तथा उपयोगिता

• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – मौसम के तत्त्वों की विवेचना कीजिए ।
उत्तर- मौसम के तत्त्व
किसी स्थान की वायुमण्डलीय दशाओं की अल्प अवधि का परिणाम मौसम कहलाता है। मौसम और जलवायु वायुमण्डल की भिन्न अवधियों का निष्कर्ष है। पर्यावरण पर इन दोनों पक्षों का महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण की वर्तमान विभिन्न समस्याएँ इन्हीं दोनों की असन्तुलन दशाओं और मौसम तत्त्वों में उत्पन्न विषम अप्राकृतिक गतिविधियों के कारण ही उत्पन्न हो रही हैं। इसलिए पर्यावरण के सन्दर्भ में इनके अध्ययन का विशेष महत्त्व है।
मौसम के विभिन्न तत्त्व एवं उनकी विवेचना इस प्रकार है-
  1. तापमान — तापमान मौसम का सर्वप्रथम तत्त्व है जिसमें पृथ्वी पर सर्वत्र विभिन्नताएँ मिलती हैं। पर्यावरण पर भी मौसम का प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है। वर्तमान समय में तीव्र औद्योगीकरण के कारण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि से ग्लोबल वार्मिंग की विकट समस्या उत्पन्न हो रही है जिससे मौसम में भी अधिक तीव्रता से परिवर्तन अनुभव किया जा रहा है।
  2. आर्द्रता – वायुमण्डलीय नमी को आर्द्रता कहते हैं। जैसे-जैसे पृथ्वी के धरातल से वाष्प की दूरी बढ़ती जाती है वैसे-वैसे वायु में जल (नमी) की मात्रा कम होती जाती है। वायुमण्डलीय आर्द्रता को तापमान सबसे अधिक प्रभावित करने वाला तत्त्व है जिस स्थान पर तापमान उच्च होता है सामान्यत: वहाँ वायु की नमी तेजी से कम हो जाती है।
  3. वायु की गति एवं दिशा- मौसम पर वायु की गति और दिशा दोनों अपना प्रभाव डालती हैं। प्रायः वायु उच्च दाब वाले स्थानों से निम्न दाब वाले स्थानों की ओर बढ़ती है। वायु के बहने की कुछ निश्चित दिशाएँ हैं; जैसे—वर्षा ऋतु में पूर्वी तथा गर्मियों में पश्चिमी हवाएँ बहती हैं। ये हवाएँ जैसे स्थान से होकर बहती हैं इनमें वैसे ही परिवर्तन होते रहते हैं। पूर्वी हवाओं में पश्चिमी हवाओं की अपेक्षा नमी अधिक होती है। इनके चलने पर वर्षा होती है। परन्तु पश्चिमी हवा उष्ण एवं शुष्क होती हैं। अत: हवाएँ तापमान के बाद मौसम को सबसे अधिक प्रभावित करती हैं।
  4. वायु दाब – वायु में भार होता है, इसलिए वह दबाव डालती है । किसी स्थान पर वायु का दाब उस स्थान की समुद्र तल से ऊँचाई पर निर्भर करता है। कोई स्थान समुद्र तल से जितना ऊँचा होगा वहाँ वायु का दाब उतना ही कम होगा। वायुमण्डलीय दाब का कम या अधिक होना वायु के तापमान व उसमें नमी की मात्रा पर निर्भर करता है। इस कारण मौसम में परिवर्तन अनुभव किया जाता है।
  5. वर्षा की मात्रा – किसी स्थान पर वर्षा की मात्रा तापमान, वायु की दिशा और वायुदाब दशाओं से अधिक प्रभावित होती है। मौसम पर वर्षा की मात्रा का विशेष प्रभाव पड़ता है क्योंकि वर्षा की मात्रा मौसम की अन्य दशाओं और स्थानीय पर्यावरण दोनों को प्रभावित करती है।
  6. बादल – वायु में भाप का सबसे व्यापक रूप बादल है। बादल की दशाएँ वायु की दिशा एवं वायु दाब से प्रभावित होकर वर्षा और तापमान को प्रभावित करके मौसम को प्रभावित करती हैं।
मौसम के उपर्युक्त तत्त्व ऐसे तत्त्व हैं जो मौसम और जलवायु को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। ये तत्त्व पर्यावरण की विभिन्न दशाओं और मौसम के अन्य गौण तत्त्व; जैसे—ओस, ओला और कोहरा आदि की दशाओं को भी उत्पन्न करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अतः मौसम के विभिन्न तत्त्वों में तापमान, वायु की नमी, वायु की गति एवं दिशा, वायुदाब, बादल और वर्षा की मात्रा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। ये सभी तत्त्व मिलकर किसी स्थान के मौसम को तो प्रभावित करते ही हैं वहाँ के वातावरण की दशाओं के लिए भी महत्त्वपूर्ण होते हैं।
प्रश्न 2 – वायुमण्डलीय नमी क्या है? इसके आकलन की विधि स्पष्ट कीजिए ।
अथवा आर्द्रता एवं सापेक्ष आर्द्रता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- आर्द्रता – आर्द्रता से तात्पर्य वायुमण्डल में जलवाष्प की मात्रा से है। आर्द्रता को कई प्रकार से व्यक्त किया जाता है; जैसे—सापेक्ष ‘ आर्द्रता, निरपेक्ष आर्द्रता एवं अधिकतम आर्द्रता। आर्द्रता में क्षैति एवं लम्बवत् अन्तर पाया जाता है; किसी स्थान – विशेष पर किसी विशिष्ट समय में वायु में जलवाष्प की वास्तविक मात्रा को निरपेक्ष आर्द्रता कहते हैं। इसे ग्रेन प्रति घन फुट या ग्राम प्रति घन सेमी द्वारा व्यक्त किया जाता है।
सापेक्ष आर्द्रता – वायु में निरपेक्ष या वास्तविक आर्द्रता एवं वायु के जलवाष्प ग्रहण करने की क्षमता का अनुपात है। यह सदैव प्रतिशत में मापी जाती है।
अर्थात् दिए गए तापमान पर एक स्थान की वायु में जलवाष्प की मात्रा तथा उस वायु की जलवाष्प धारण करने की अधिकतम क्षमता के बीच के अनुपात को सापेक्ष आर्द्रता कहते हैं जिसे उक्त सूत्र से ज्ञात किया जाता है। इसे मापने हेतु आर्द्र बल्ब एवं शुष्क बल्ब तापमापी यन्त्र का प्रयोग किया ‘जाता है।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – वायु की गति से क्या आशय है? यह किस यन्त्र द्वारा मापी जाती है?
उत्तर – वायुमण्डल में प्रवाहित होने वाली हवा का वेग या प्रबलता उसकी गति कहलाती है। वायु की गति को वायुगतिमापी या एनीमोमीटर यन्त्र के द्वारा मापा जाता है।
प्रश्न 2- वर्षा की मात्रा नापने की विधि क्या है?
उत्तर— वर्षा की मात्रा वर्षामापी यन्त्र के द्वारा मापी जाती है। इस यन्त्र में एक विशेष नाप की बनी कीप होती है, जिसमें वर्षा की बूँदें गिरती हैं। कीप की नली द्वारा ये बूँदें एक प्लास्टिक की बोतल में पहुँचती रहती हैं। इस प्रकार वर्षा का कुल पानी उस बोतल में एकत्र हो जाता है। इस बोतल में एकत्र हुए जल को शीशे के बने एक विशेष प्रकार के मापी, जिसे मेजरिंग ग्लास कहते हैं, में डालकर वर्षा की मात्रा मिमी में ज्ञात कर लेते हैं। सामान्यतः 24 घण्टे में एक बार या दो बार पानी नाप कर एक दिन में प्राप्त वर्षा के पानी को उस दिन की वर्षा कहते हैं।
प्रश्न 3 – बादल किसे कहते हैं? इसके प्रकार बताइए।
उत्तर – सामान्यतः वायु में व्याप्त वाष्प जब ऊँचाई पर पहुँच कर सघन रूप धारण कर लेती है तो वह बादल कहलाती है। वायु के ऊपर बढ़ने की गति लगभग 10 सेमी प्रति सेकण्ड होती है। ऊँचाई पर पहुँचने पर जब वायु में ताप ओसांक बिन्दु तक गिर जाता है तो उसमें उपस्थित वाष्प पानी की अदृश्य बूंदों में जमने लगती है। ऊपर जाने वाली वायु अपने साथ इन सूक्ष्म बूँदों को भी ले जाती है। अत: जब इन बूँदों का अर्द्धव्यास 0-001 सेमी हो जाता हैं तो वे दिखाई देती हैं और बादल कहलाती हैं। इसीलिए ऊँचाई और वाष्प की मात्रा के आधार पर बादल विभिन्न प्रकार के होते हैं; जैसे- मेघपुंज, जलद पटल, तीतर पंखी तथा बरसाऊ आदि ।
• उत्तरीय प्रश्न अति लघु
प्रश्न 1 – बादल को किस इकाई में व्यक्त करते हैं?
उत्तर – बादल को ऑक्टा इकाई में व्यक्त करते हैं। पूरा आकाश बादलों से आच्छादित होने पर इसे 8 व स्वच्छ होने पर 0 ऑक्टा कहा जाता है।
प्रश्न 2 – वायु की गति मापने वाले यन्त्र को क्या कहा जाता है?
उत्तर – वायु की गति मापने वाले यन्त्र को वायुगतिमापी या एनीमोमीटर कहते हैं।
प्रश्न 3 – वर्तमान में मौसम सम्बन्धी आँकड़े कैसे संगृहीत किए जाते हैं?
उत्तर – वर्तमान में मौसम सम्बन्धी आँकड़ों का संग्रहण और विश्लेषण कम्प्यूटर के द्वारा किया जाता है क्योंकि इसमें आँकड़े दीर्घ अवधि तक सुरक्षित रहते हैं।

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