UK Board 9th Class Science – Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण
UK Board 9th Class Science – Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण
UK Board Solutions for Class 9th Science – विज्ञान – Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण
अध्याय के अन्तर्गत दिए गए प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम बताइए ।
उत्तर : गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम
इस नियम के अनुसार, विश्व का प्रत्येक पिण्ड प्रत्येक अन्य पिण्ड को अपनी ओर आकर्षित करता है। “दो पिण्डों के बीच कार्य करने वाला यह आकर्षण बल, पिण्डों के द्रव्यमानों m1 तथा m2 के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके केन्द्रों के बीच की दूरी d के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।”


यहाँ G सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक है, इसका मान 6.673 × 10-11 न्यूटन-मीटर2/किग्रा2 है।
प्रश्न 2. पृथ्वी तथा उसकी सतह पर रखी किसी वस्तु के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का परिमाण ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर : पृथ्वी तथा उसकी सतह पर रखी वस्तु के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का परिमाण निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्राप्त होता है—

जहाँ, M = पृथ्वी का द्रव्यमान,
m = वस्तु का द्रव्यमान
R = पृथ्वी की त्रिज्या ।
प्रश्न 3. मुक्त पतन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : मुक्त पतन — जब किसी वस्तु को किसी मीनार या मकान की छत से मुक्त रूप से छोड़ा जाता है तो वस्तु पृथ्वी के आकर्षण के कारण बढ़ते हुए वेग से पृथ्वी तल की ओर गिरती है। पृथ्वी के आकर्षण के कारण किसी वस्तु का मुक्त रूप से पृथ्वी तल की ओर गिरना ‘मुक्त पतन’ कहलाता है।
प्रश्न 4. गुरुत्वीय त्वरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : गुरुत्वीय त्वरण – पृथ्वी के आकर्षण के कारण पृथ्वी तल की ओर गिरती हुई किसी वस्तु का त्वरण ‘गुरुत्वीय त्वरण’ कहलाता है, जिसे g से प्रदर्शित करते हैं। पृथ्वी तल पर गुरुत्वीय त्वरण का मान 9.8 मीटर/सेकण्ड2 है।
प्रश्न 5. किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा भार में क्या अन्तर है?
उत्तर : द्रव्यमान तथा भार में अन्तर
क्र०सं० | द्रव्यमान | भार |
1. | किसी वस्तु में उपस्थित पदार्थ की मात्रा ही उसका द्रव्यमान होती है। | किसी वस्तु का भार उस बल के बराबर होता है जिससे पृथ्वी उस वस्तु को आकर्षित करती है। |
2. | द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम है। | भार का मात्रक न्यूटन या किलोग्राम भार है। |
3. | किसी वस्तु के द्रव्यमान का मान प्रत्येक स्थान पर समान रहता है। | वस्तु का भार (mg) गुरुत्वीय त्वरण g के परिवर्तन के कारण भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होता है। |
4. | द्रव्यमान अदिश राशि है। | भार सदिश राशि है। |
5. | द्रव्यमान को भौतिक तुला से तौला जाता है। | भार को कमानीदार तुला से तौला जाता है। |
प्रश्न 6. किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार पृथ्वी पर इसके भार का 1/6 गुना क्यों होता है?
उत्तर : चन्द्रमा का द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान की तुलना में काफी कम है, इस कारण चन्द्रमा की सतह पर चन्द्रमा के कारण गुरुत्वीय त्वरण का मान, पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण के मान का 1/6 होता है। अब चूँकि किसी स्थान पर किसी वस्तु का भार उस स्थान पर गुरुत्वीय त्वरण के समानुपाती होता है; अत: चन्द्रमा पर किसी वस्तु का भार पृथ्वी पर उसके भार का 1/6 गुना होता है।
प्रश्न 7. एक पतली तथा मजबूत डोरी से बने पट्टे की सहायता से स्कूल बैग को उठाना कठिन होता है, क्यों ?
उत्तर : यदि स्कूल बैग को पतली तथा मजबूत डोरी से बने पट्टे की सहायता से हाथ से उठाया जाए अथवा कन्धे से लटकाया जाए तो यह पट्टा’ हाथ अथवा कन्धे के छोटे से क्षेत्रफल के सम्पर्क में होगा । तब बैग का सम्पूर्ण भार इस छोटे से क्षेत्रफल पर लगेगा जिसके फलस्वरूप इस क्षेत्रफल पर दाब बहुत अधिक होगा और पट्टा हाथ या कन्धे में गड़ जाएगा।
प्रश्न 8. उत्प्लावकता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : उत्प्लावकता – किसी द्रव का वह गुण जिसके कारण वह द्रव में छोड़ी गई किसी वस्तु पर ऊपर की ओर एक बल लगाता है, ‘उत्प्लावकता’ कहलाता है।
प्रश्न 9. पानी की सतह पर रखने पर कोई वस्तु क्यों तैरती या डूबती है?
उत्तर : जब किसी वस्तु को पानी की सतह पर रखा जाता है तो उस वस्तु पर दो बल कार्य करते हैं-
प्रथम वस्तु पर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल (वस्तु का भार ) नीचे की ओर तथा
द्वितीय वस्तु पर पानी का उत्प्लावन बल, ऊपर की ओर ।
किसी वस्तु का पानी में डूबना या तैरना उपर्युक्त दोनों बलों के आपेक्षिक मानों पर निर्भर करता है-
(1) यदि वस्तु का भार, उत्प्लावन बल से अधिक है तो वस्तु पानी डूब जाएगी।
(2) यदि वस्तु का भार, उत्प्लावन बल से कम है तो वस्तु पानी में तैरेगी।
(3) यदि वस्तु का भार, उत्प्लावन बल के बराबर है तो वस्तु पानी में पूरी डूबकर तैरती रहेगी।
किसी वस्तु के जल में तैरने या डूबने का ज्ञान उस वस्तु के घनत्व से प्राप्त किया जा सकता है। यदि वस्तु का घनत्व जल के घनत्व से कम है तो वह वस्तु जल में तैरेगी। इसके विपरीत यदि वस्तु का घनत्व, जल के घनत्व से अधिक है तो वह वस्तु जल में डूब जाएगी।
प्रश्न 10. एक तुला पर आप अपना द्रव्यमान 42 किग्रा नोट करते हैं। क्या आपका द्रव्यमान 42 किग्रा से अधिक है या कम ?
उत्तर : चूँकि हम किसी वस्तु का द्रव्यमान वायु में मापते हैं; अत: वायु की उत्प्लावकता के कारण तुला का पाठ्यांक सदैव ही वस्तु के वास्तविक द्रव्यमान से कम होता है। अतः हमारा वास्तविक द्रव्यमान 42 किग्रा से अधिक होगा, यद्यपि यह अन्तर अत्यन्त कम होगा।
प्रश्न 11. आपके पास एक रुई का बोरा तथा एक लोहे की छड़ है । तुला पर मापने पर दोनों 100 किग्रा द्रव्यमान दर्शाते हैं। वास्तविकता में एक दूसरे से भारी है। क्या आप बता सकते हैं कि कौन-सा भारी है और क्यों?
उत्तर : वायु की उत्प्लावकता के कारण तुला दोनों का ही द्रव्यमान कम मापती है। चूँकि समान द्रव्यमान की रुई का आयतन, लोहे की तुलना में अधिक है। अतः रुई पर उत्प्लावकता का प्रभाव अधिक होगा अर्थात् रुई के वास्तविक द्रव्यमान तथा प्रेक्षित द्रव्यमान में अन्तर, लोहे के वास्तविक तथा प्रेक्षित द्रव्यमानों में अन्तर की तुलना में अधिक होगा। अतः रुई का वास्तविक द्रव्यमान, लोहे के वास्तविक द्रव्यमान से अधिक होगा।
अर्थात् रुई, लोहे की तुलना में भारी होगी।
अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. यदि दो वस्तुओं के बीच की दूरी को आधा कर दिया जाए तो उनके बीच गुरुत्वाकर्षण बल किस प्रकार बदलेगा?

अतः दूरी को आधा करने पर गुरुत्वाकर्षण बल चार गुना हो जाएगा।
प्रश्न 2. सभी वस्तुओं पर लगने वाला गुरुत्वीय बल उनके द्रव्यमान के समानुपाती होता है। फिर एक भारी वस्तु, हल्की वस्तु के मुकाबले तेजी से क्यों नहीं गिरती ?

इससे स्पष्ट होता है कि भले ही गुरुत्वीय बल वस्तु के द्रव्यमान के समानुपाती होता है, परन्तु वस्तुओं के मुक्त पतन का त्वरण सभी वस्तुओं लिए नियत है। अब चूँकि कोई वस्तु कितनी तेजी से गिरेगी यह वस्तु के ‘त्वरण पर निर्भर करता है ( न कि गुरुत्वीय बल पर ); अतः त्वरण के नियत होने के कारण हल्की तथा भारी, सभी वस्तुएँ समान तेजी से गिरती हैं।
प्रश्न 3. पृथ्वी तथा उसकी सतह पर रखी 1 किग्रा की वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल का परिमाण क्या होगा ? (पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 × 1024 किग्रा है तथा पृथ्वी की त्रिज्या = 6.4 × 106 मीटर है )।

प्रश्न 4. पृथ्वी तथा चन्द्रमा एक-दूसरे को गुरुत्वीय बल से आकर्षित करते हैं। क्या पृथ्वी जिस बल से चन्द्रमा को आकर्षित करती है वह बल, उस बल से जिससे चन्द्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है बड़ा है या छोटा है या बराबर है? बताइए क्यों?
उत्तर : क्रिया-प्रतिक्रिया के नियम से पृथ्वी का चन्द्रमा पर आकर्षण बल, चन्द्रमा के पृथ्वी पर आकर्षण बल के बराबर है।
प्रश्न 5. यदि चन्द्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है तो पृथ्वी चन्द्रमा की ओर गति क्यों नहीं करती?
उत्तर : चन्द्रमा और पृथ्वी दोनों एक-दूसरे पर समान परिमाण का आकर्षण बल लगाते हैं, परन्तु चन्द्रमा का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान की तुलना में बहुत कम होने के कारण, समान बल होने पर भी चन्द्रमा का पृथ्वी की ओर त्वरण, पृथ्वी के चन्द्रमा की ओर त्वरण से बहुत अधिक है। इसीलिए चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर गति करता है, पृथ्वी चन्द्रमा की ओर गति करती प्रतीत नहीं होती।
प्रश्न 6. दो वस्तुओं के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का क्या होगा, यदि-
(i) एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाए ?
(ii) वस्तुओं के बीच की दूरी दोगुनी अथवा तीन गुनी कर दी जाए?
(iii) दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दोगुने कर दिए जाएँ?
उत्तर : (i) ·.· F ∝ m1 m2
·.· एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर देने पर बल भी दोगुना हो जाएगा।

∴ दूरी दोगुनी करने पर बल एक-चौथाई रह जाएगा।
जबकि दूरी तीन गुनी कर देने पर बल 9वाँ भाग रह जाएगा।
(iii) दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दोगुने करने पर बल चार गुना हो जाएगा।
प्रश्न 7. गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के क्या महत्त्व हैं?
उत्तर : गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का महत्त्व – यह नियम अनेक ऐसी परिघटनाओं की व्याख्या करता है, जो प्राचीनकाल में असम्बद्ध मानी जाती थीं; जैसे-
(1) यह नियम सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति की व्याख्या करता है।
(2) यह नियम पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की गति की व्याख्या करता है।
(3) यह नियम वस्तुओं के पृथ्वी की ओर गिरने की व्याख्या करता है।
(4) यह नियम समुद्र में आने वाले ज्वार-भाटा की व्याख्या करता है ।
पृथ्वी की कक्षा में कृत्रिम उपग्रह स्थापित करना, चन्द्रमा तथा अन्य ग्रहों तक खोजी – यान भेजना तथा अन्तरिक्ष स्टेशन स्थापित करना आदि इसी नियम का ज्ञान प्राप्त होने के बाद ही सम्भव हो पाया है।
प्रश्न 8. मुक्त पतन का त्वरण क्या है?
उत्तर : मुक्त पतन का त्वरण – किसी ऊँची मीनार या ऊँचे मकान की छत से छोड़ी गई किसी वस्तु का पृथ्वी की ओर त्वरण, मुक्त पतन का त्वरण कहलाता है, जिसे g से प्रदर्शित करते हैं। पृथ्वी तल पर मुक्त पतन के त्वरण का मान 9.8 मीटर/सेकण्ड2 है।
प्रश्न 9. पृथ्वी तथा किसी वस्तु के बीच लगने वाले गुरुत्वीय बल को हम क्या कहेंगे?
उत्तर : उस वस्तु का भार कहेंगे।
प्रश्न 10. एक व्यक्ति A अपने मित्र के निर्देश पर ध्रुवों पर कुछ ग्राम सोना खरीदता है। वह इस सोने को विषुवत् वृत्त पर अपने मित्र को देता है। क्या उसका मित्र इस खरीदे हुए सोने के भार से सन्तुष्ट होगा? यदि नहीं तो क्यों?
उत्तर : मित्र सोने के भार से सन्तुष्ट नहीं होगा। इसका कारण यह है कि विषुवत् वृत्त पर तौलने पर सोने का भार, ध्रुवों पर उसके भार की तुलना में कम होगा (g के मान में कमी के कारण) ।
प्रश्न 11. एक कागज की शीट, उसी प्रकार की शीट को मोड़कर बनाई गई गेंद से धीमी क्यों गिरती है ?
उत्तर : ऐसा वायु के प्रतिरोध के कारण होता है। वायु कागज की शीट पर, गेंद की अपेक्षा अधिक प्रतिरोध लगाती है; अतः कागज की शीट, गेंद की तुलना में धीमी गिरती है।
प्रश्न 12. चन्द्रमा की सतह पर गुरुत्वीय बल, पृथ्वी की सतह पर गुरुत्वीय बल की अपेक्षा 1/6 गुना है। एक 10 किग्रा द्रव्यमान की वस्तु का चन्द्रमा पर तथा पृथ्वी पर न्यूटन में भार कितना होगा?
हल: दिया है : वस्तु का द्रव्यमान m = 10 किग्रा,
पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण g = 9.8 मीटर/सेकण्ड2
∴ पृथ्वी पर वस्तु का भार W1 = m g
= 10 × 9·8 = 98 न्यूटन
अब चूँकि चन्द्रमा पर गुरुत्वीय बल : = 1/6 × पृथ्वी पर गुरुत्वीय बल

अतः पृथ्वी पर वस्तु का भार = 98 न्यूटन
तथा चन्द्रमा पर वस्तु का भार = 16.33 न्यूटन
प्रश्न 13. एक गेंद ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर 49 मीटर/सेकण्ड के वेग से फेंकी जाती है। परिकलन कीजिए-
(i) अधिकतम ऊँचाई जहाँ तक कि गेंद पहुँचती है।
(ii) पृथ्वी की सतह पर वापस लौटने में लिया गया समय।

हल: दिया है, गेंद का वेग
u = 49 मीटर/सेकण्ड ऊपर की ओर
गुरुत्वीय त्वरण
g = 9.8 मीटर/सेकण्ड2 नीचे की ओर
माना कि गेंद h ऊँचाई तक ऊपर जाती है तथा ऊपर तक जाने में t समय लेती है।
ऊपर की दिशा को धनात्मक तथा नीचे की दिशा को ऋणात्मक मानने पर,

कोई वस्तु जितना समय उच्चतम बिन्दु तक जाने में लेती है, उतना ही समय पृथ्वी तल तक आने में लेती है।
∴ पृथ्वी की सतह तक लौटने में लगा समय
= 2 × उच्चतम बिन्दु तक जाने में लगा समय
= 2 × 5 = 10 सेकण्ड
∴ अधिकतम ऊँचाई h = 122.5 मीटर
कुल समय = 10 सेकण्ड ।
प्रश्न 14. 19.6 मीटर ऊँची मीनार की चोटी से एक पत्थर छोड़ा जाता है। पृथ्वी पर पहुँचने से पहले उसका अन्तिम वेग ज्ञात कीजिए।
हल : दिया है : मीनार की ऊँचाई h = 19.6 मीटर,
पत्थर छोड़ते समय वेग u = 0,

प्रश्न 15. कोई पत्थर ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर 40 मीटर/सेकण्ड के प्रारम्भिक वेग से फेंका गया है। g = 10 मीटर / सेकण्ड2 लेते हुए ग्राफ की सहायता से पत्थर द्वारा पहुँची अधिकतम ऊँचाई ज्ञात कीजिए । नेट विस्थापन तथा पत्थर द्वारा चली गई कुल दूरी कितनी होगी?
हल : दिया है : प्रारम्भिक वेग u = 40 मीटर/सेकण्ड ऊपर की ओर
गुरुत्वीय त्वरण g = 10 मीटर / सेकण्ड2 नीचे की ओर
माना कि पत्थर को उच्चतम बिन्दु तक जाने में t सेकण्ड लगते हैं
जहाँ उसका वेग v = 0 हो जाता है। तब v = u – gt से,

अर्थात् अधिकतम ऊँचाई तक पहुँचने में पत्थर को 4 सेकण्ड लगते हैं।
पुन: सूत्र v = u – gt में, g = 10 मीटर/सेकण्ड2 तथा क्रमश: t = 0, 1, 2, 3, 4 सेकण्ड रखने पर निम्नांकित सारणी प्राप्त होती है—
t (सेकण्ड में ) | 0 | 1 | 2 | 3 | 4 |
v (मीटर / सेकण्ड में ) | 40 | 30 | 20 | 10 | 0 |

पत्थर उच्चतम बिन्दु पर क्षणिक विराम की अवस्था में आता है और फिर नीचे की ओर गिरता हुआ अपने प्रारम्भिक बिन्दु पर वापस पहुँच जाता है।
∴ पत्थर का कुल विस्थापन = प्रारम्भिक व अन्तिम बिन्दु के बीच सरल रेखीय दूरी

प्रश्न 16. पृथ्वी तथा सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण बल का परिकलन कीजिए।

प्रश्न 17. कोई पत्थर 100 मीटर ऊँची मीनार की चोटी से गिराया गया और उसी समय कोई दूसरा पत्थर 25 मीटर/सेकण्ड के वेग से ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंका गया। परिकलन कीजिए कि दोनों पत्थर कब और कहाँ मिलेंगे?

हल : माना कि दोनों पत्थर, छोड़े जाने के क्षण से h सेकण्ड बाद, पृथ्वी तल से t ऊँचाई पर मिलते हैं, तब मिलते क्षण तक नीचे से फेंका गया पत्थर ऊपर की ओर h ऊँचाई तय कर चुका होगा; अत:

जबकि मीनार की चोटी से छोड़ा गया पिण्ड नीचे की ओर (100-h) दूरी गिर चुका होगा; अतः

t = 4 सेकण्ड तथा g = 10 मीटर / सेकण्ड ‘ समीकरण (2) में रखने पर,

अत: पत्थर, प्रारम्भिक क्षण से 4 सेकण्ड बाद, पृथ्वी तल से 20 मीटर की ऊँचाई पर मिलेंगे।
प्रश्न 18. ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंकी गई एक गेंद 6 सेकण्ड पश्चात् फेंकने वाले के पास लौट आती है। ज्ञात कीजिए-
(a) यह किस वेग से ऊपर फेंकी गई?
(b) गेंद द्वारा प्राप्त की गई अधिकतम ऊँचाई तथा
(c) 4 सेकण्ड बाद गेंद की स्थिति ।
हल : (a) माना कि गेंद u वेग से ऊपर की ओर फेंकी गई थी।
चूँकि गेंद 6 सेकण्ड पश्चात् प्रारम्भिक बिन्दु पर लौट आती है;
अतः t = 6 सेकण्ड में, गेंद का विस्थापन s = 0
जबकि त्वरण a = – g = 9.8 मीटर/सेकण्ड2

अतः 4 सेकण्ड बाद गेंद पृथ्वी तल से 39.2 मीटर ऊपर होगी।
प्रश्न 19. किसी द्रव में डुबोई गई वस्तु पर उत्प्लावन बल किस दिशा में कार्य करता है?
उत्तर : उत्प्लावन बल सदैव भार के विपरीत दिशा में अर्थात् ऊपर की ओर कार्य करता है।
प्रश्न 20. पानी के भीतर किसी प्लास्टिक के गुटके को छोड़ने पर यह पानी की सतह पर क्यों आ जाता है ?
उत्तर : चूँकि प्लास्टिक का घनत्व, पानी के घनत्व से कम होता है, इस कारण प्लास्टिक के गुटके को जल में डुबोने पर उस पर लगने वाला उत्प्लावन बल गुटके के भार से अधिक होगा। अत: गुटका पानी की सतह पर आ जाता है।
प्रश्न 21. 50 ग्राम के किसी पदार्थ का आयतन 20 सेमी3 है। यदि पानी का घनत्व 1 ग्राम / सेमी हो तो पदार्थ तैरेगा या डूबेगा ?

प्रश्न 22. 500 ग्राम के एक मुहरबन्द पैकेट का आयतन 350 सेमी है। पैकेट 1 ग्राम / सेमी3 घनत्व वाले पानी में तैरेगा या डूबेगा? इस पैकेट द्वारा विस्थापित पानी का द्रव्यमान कितना होगा?

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम तथा सूत्र लिखिए।
उत्तर : न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम- न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम के अनुसार, “किन्हीं दो पिण्डों के बीच कार्य करने वाला गुरुत्वाकर्षण बल, उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। इस बल की दिशा दोनों पिण्डों को मिलाने वाली रेखा की सीध में होती है। “

माना, दो पिण्डों के द्रव्यमान क्रमश: m1 व m2 हैं तथा उनके केन्द्रों के बीच की दूरी है तो उनके बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल

जहाँ, G एक अनुक्रमानुपाती नियतांक है।
G का मान पिण्डों की प्रकृति, स्थान, समय, माध्यम, ताप आदि पर निर्भर नहीं करता है, इसलिए इसे सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक कहते हैं।
प्रश्न 2. सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक G की परिभाषा लिखिए। इसका मान तथा मात्रक भी लिखिए ।
उत्तर : सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक की परिभाषा तथा मात्रक — न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियमानुसार,

अतः गुरुत्वाकर्षण नियतांक परिमाण में उस गुरुत्वाकर्षण बल के बराबर होता है जो एकांक दूरी पर रखे एकांक द्रव्यमान वाले दो पिण्डों के बीच कार्य करता है। इसका मात्रक न्यूटन-मीटर2/ किग्रा2 है।
प्रयोगों द्वारा G का मान 6.67 × 10-11 न्यूटन मीटर2 / किग्रा2 प्राप्त होता है।
प्रश्न 3. सिद्ध कीजिए यदि दो वस्तुओं पर पृथ्वी द्वारा आरोपित गुरुत्वीय बल बराबर हैं तो उन दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान भी बराबर होंगे।
उत्तर : माना दो वस्तुओं के द्रव्यमान m1 व m2 हैं तथा ये दोनों वस्तुएँ पृथ्वी के केन्द्र से समान दूरी R पर रखी हैं। यदि पृथ्वी के द्रव्यमान M तथा वस्तु के द्रव्यमान m1 के बीच आकर्षण बल F1 हो तो

इसी प्रकार, यदि पृथ्वी के द्रव्यमान M तथा वस्तु के द्रव्यमान m2 के बीच आकर्षण बल F2 हो तो

अर्थात् दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान बराबर हैं।
प्रश्न 4. गुरुत्वीय त्वरण g तथा गुरुत्वाकर्षण नियतांक G में सम्बन्ध स्थापित कीजिए ।
उत्तर : g तथा G में सम्बन्ध – माना पृथ्वी का द्रव्यमान M तथा त्रिज्या R है। यदि m द्रव्यमान की कोई वस्तु पृथ्वी तल पर अथवा उसके निकट स्थित हो तो गुरुत्वाकर्षण के नियमानुसार,

यही g तथा G में सम्बन्ध है। चूँकि इस सूत्र में m नहीं है; अत: गुरुत्वीय त्वरण (g) का मान वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है ।
प्रश्न 5. पृथ्वी की घूर्णन गति का गुरुत्वीय त्वरण g पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर : पृथ्वी की घूर्णन गति का g पर प्रभाव – पृथ्वी अपनी अक्ष के परितः एक निश्चित कोणीय वेग ω से घूमती है जिससे पृथ्वी तल पर स्थित प्रत्येक वस्तु भी ω कोणीय वेग से r त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर घूमती रहती है। इसके लिए आवश्यक अभिकेन्द्र त्वरण a = r ω2 पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण g से प्राप्त होता है। अतः गुरुत्वीय त्वरण g का प्रभावी मान घटकर g हो जाता है ।
अत: g’ = g – ω2 r
भूमध्य रेखा पर गुरुत्वीय त्वरण का मान सबसे कम होता है तथा ध्रुवों पर गुरुत्वीय त्वरण का मान सबसे अधिक होता है।
भूमध्य रेखा पर r = पृथ्वी की त्रिज्या (R) महत्तम
अत: g’ = g – R ω2 (न्यूनतम)
ध्रुवों पर r = 0; अत: g’ = g (अधिकतम)
यदि पृथ्वी अपनी अक्ष के परितः घूमना बन्द कर दे तो ध्रुवों के अतिरिक्त प्रत्येक स्थान पर g के मान में वृद्धि हो जाएगी, जिसके कारण वस्तु के भार mg में भी वृद्धि हो जाएगी। यह वृद्धि भूमध्य रेखा पर सबसे अधिक तथा ध्रुवों की ओर कम होती जाएगी। इसके विपरीत, यदि कोणीय वेग बढ़ जाए तो ध्रुवों के अतिरिक्त प्रत्येक स्थान पर g का मान और कम हो जाएगा।
प्रश्न 6. सिद्ध कीजिए कि किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार, पृथ्वी पर उसके भार का 1/6 भाग होता है।
उत्तर : पृथ्वी द्वारा वस्तु पर लगा बल

अतः किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार, पृथ्वी पर उसके भार का 1/6 भाग होता है।
प्रश्न 7. उत्क्षेप अथवा उत्प्लावन बल से क्या तात्पर्य है? उत्प्लावन के नियम चित्र की सहायता से समझाइए ।
उत्तर: उत्क्षेप अथवा उत्प्लावन बल – प्रत्येक द्रव अपने अन्दर पूर्ण अथवा आंशिक रूप से डूबी हुई वस्तु पर ऊपर की ओर एक बल लगाता है, इस बल को ही उत्क्षेप अथवा उत्प्लावन बल कहते हैं। इसी बल के कारण ही द्रव में डूबी वस्तुएँ अपने वास्तविक भार से हल्की लगती हैं। यह बल वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के गुरुत्व केन्द्र पर कार्य करता है, जिसे उत्प्लावन केन्द्र कहते हैं।
प्लवन (तैरने ) अथवा उत्प्लावन का सिद्धान्त – जब किसी वस्तु को किसी द्रव में पूर्णत: अथवा आंशिक रूप से डुबोया जाता है तो वस्तु पर दो बल कार्य करते हैं-
(i) वस्तु का भार (W) जो वस्तु के गुरुत्व केन्द्र पर ऊर्ध्वाधर दिशा में नीचे की ओर कार्य करता है।
(ii) वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के उत्प्लावन केन्द्र पर ऊर्ध्वाधर दिशा . में ऊपर की ओर कार्य करने वाला द्रव का उत्क्षेप-बल (F)|
वस्तु का तैरना अथवा डूबना इन दोनों बलों W तथा F के आपेक्षिक मान पर निर्भर करता है। इन दोनों बलों का परिणामी बल जिस दिशा में कार्य करेगा, वस्तु उसी दिशा में गति करेगी। इसकी तीन अवस्थाएँ सम्भव हैं-

(i) W > F, अर्थात् जब वस्तु का भार वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के भार से अधिक है। इस स्थिति में, वस्तु पर कार्य करने वाला परिणामी बल (WF) नीचे की ओर लगेगा जिसके कारण वस्तु द्रव में नीचे को डूबती जाएगी तथा बर्तन की तली पर जाकर टिक जाएगी; जैसे- लोहे का टुकड़ा जल में डूब जाता है [ चित्र – 7 (a)] ।
(ii) W = F, अर्थात् जब वस्तु का भार वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर है। इस स्थिति में, वस्तु पर कार्य करने वाला परिणामी बल (W – F’) शून्य होगा; अतः वस्तु द्रव में पूरी डूबी हुई तैरेगी – अर्थात् वस्तु द्रव में जिस स्थान पर होगी वहीं पर बनी रहेगी [ चित्र – 7 (b)] । यह वस्तु की द्रव में उत्प्लावन अथवा तैरने की अवस्था है।
(iii) W < F, अर्थात् जब वस्तु का भार वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के भार से कम है। इस स्थिति में, वस्तु पर कार्य करने वाला परिणामी बल (F-W) ऊपर की ओर लगेगा जिसके कारण वस्तु आंशिक रूप से डूबी हुई तैरेगी अर्थात् वस्तु को स्वतन्त्र छोड़ देने पर वस्तु ऊपर की ओर उठने लगेगी [चित्र 7 (c) ] |
जैसे ही वस्तु द्रव की सतह से बाहर निकलने लगेगी, उत्क्षेप बल F घटते-घटते वस्तु के भार W के बराबर हो जाएगा तो वस्तु वहीं पर ठहर जाएगी [चित्र-7(d)]। सन्तुलन की स्थिति में (W = F) वस्तु का कुछ भाग द्रव के भीतर` तथा शेष भाग द्रव के बाहर रहेगा। यह भी वस्तु के तैरने की अवस्था है। इस अवस्था में वस्तु पर परिणामी बल अर्थात् वस्तु का आभासी भार शून्य होता है; अत: तैरने के लिए आवश्यक है कि वस्तु का भार द्रव के उत्क्षेप-बल से कम होना चाहिए। यही ‘प्लवन का सिद्धान्त’ अथवा ‘तैरने का सिद्धान्त’ है। यदि किसी तैरती हुई वस्तु का आकार इस प्रकार है कि उस पर लगने वाले दोनों बल एक रेखा में नहीं हैं तो ये बल, एक बल-युग्म बनाएँगे जिससे वस्तु घूमने लगेगी। ऐसा तब ही होता है, जब वस्तु का घनत्व द्रव के घनत्व से कम हो; अतः वस्तु के सन्तुलन में तैरने के लिए दोनों भार एक ही ऊर्ध्वाधर रेखा में कार्य करने चाहिए।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. गुरुत्वीय त्वरण g का मान कहाँ न्यूनतम तथा कहाँ अधिकतम होता है? कारण सहित बताइए।

अतः भूमध्य रेखा पर R का मान अधिक होने के कारण वहाँ गुरुत्वीय त्वरण का मान न्यूनतम होता है। ध्रुवों पर R का मान कम होने के कारण वहाँ गुरुत्वीय त्वरण g का मान अधिकतम होगा।
प्रश्न 2. g तथा G में क्या अन्तर है?
उत्तर : g तथा G में अन्तर

प्रश्न 3. प्रक्षेप्य क्या है ? उदाहरण दीजिए।
उत्तर : प्रक्षेप्य – जब किसी पिण्ड को ऊपर की ओर ऊर्ध्वाधर दिशा से भिन्न दिशा में किसी प्रारम्भिक वेग से फेंका जाता है तो वह गुरुत्वीय त्वरण के अन्तर्गत ऊर्ध्वाधर तल में एक वक्र पथ पर गति करता है। पिण्ड द्वारा तय किए गए वक्र पथ को प्रक्षेप्य पथ कहते हैं तथा फेंके गए पिण्ड को प्रक्षेप्य कहते हैं। पिण्ड की गति को प्रक्षेप्य गति कहते हैं।
उदाहरण – क्षैतिज से किसी कोण पर फेंकी गई गेंद की गति, हवाई जहाज से गिराए गए बम की गति आदि ।
प्रश्न 4. ” चन्द्रमा पृथ्वी की ओर गिरता रहता है।” इसका क्या तात्पर्य है? यह पृथ्वी तल पर क्यों नहीं गिर जाता?
उत्तर : बल के अभाव में प्रत्येक गतिमान वस्तु की प्रवृत्ति सरल रेखा में नियत वेग से गति करते रहने की होती है। यदि चन्द्रमा पर पृथ्वी का आकर्षण बल कार्य न करे, तो चन्द्रमा भी एक सरल रेखा के अनुदिश गति करता । परन्तु पृथ्वी के आकर्षण बल के कारण यह सदैव पृथ्वी के केन्द्र की ओर गिरता रहता है और इसीलिए वृत्तीय पथ पर गति करता है।

चन्द्रमा पृथ्वी तल पर इसीलिए नहीं गिर पाता; क्योंकि चन्द्रमा पर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल उसे पृथ्वी तल तक खींचने के लिए पर्याप्त नहीं है, वह उसे केवल वृत्तीय पथ पर गति कराने के लिए ही पर्याप्त है।
प्रश्न 5. आपने दो प्रकार की तुलाएँ अवश्य देखी होंगी। इनमें से एक दो पलड़ों वाली होती है, जो सामान्यतः पंसारी द्वारा उपयोग की दूसरी, कबाड़ी द्वारा पुराने अखबार तौलने के लिए उपयोग की जाने जाती है जिसमें एक संकेतक किसी स्केल के इर्द-गिर्द घूमता है। वाली कमानीदार तुला । मान लीजिए पृथ्वी तल पर किसी वस्तु के लिए दोनों की माप समान हैं। यदि दोनों तुलाओं को चन्द्रमा पर ले तो क्या तब भी उनकी माप समान होंगी? अपने उत्तर को कारण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : नहीं, दो पलड़ों वाली तुला द्रव्यमान नापती है जो कि पृथ्वी से चन्द्रमा पर जाने पर अपरिवर्तित रहेगी। कमानीदार तुला वस्तु का भार नापती है। चन्द्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण का मान कम होने से भार कम हो जाएगा; अतः कमानीदार तुला की माप घट जाएगी।
प्रश्न 6. उत्प्लावन बल तथा उत्प्लावन केन्द्र से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर : उत्प्लावन बल अथवा उत्क्षेप तथा उत्प्लावन केन्द्र—प्रत्येक द्रव अपने अन्दर पूर्ण अथवा आंशिक रूप से डूबी वस्तु पर ऊपर की ओर एक बल लगाता है। इस बल को उत्प्लावन बल अथवा उत्क्षेप कहते हैं। यह बल वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के गुरुत्व – केन्द्र पर कार्य करता है, इसे उत्प्लावन केन्द्र कहते हैं। उत्प्लावन बल के कारण ही द्रव में डूबी वस्तुएँ अपने वास्तविक भार से हल्की लगती हैं।
प्रश्न 7. प्लवन (तैरने ) के नियम लिखिए।
अथवा किसी वस्तु के सन्तुलन में तैरने के लिए आवश्यक शर्तें हैं?
अथवा कोई वस्तु किसी द्रव में कब तक तैरती है?
उत्तर : प्लवन ( तैरने ) के नियम – किसी वस्तु के सन्तुलन में तैरने की दो शर्तें हैं-
(1) तैरने वाली वस्तु का भार, वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर होना चाहिए।
(2) वस्तु का गुरुत्व केन्द्र तथा हटाए गए द्रव का उत्प्लावन केन्द्र एक ही ऊर्ध्वाधर रखा में होने चाहिए।
उपर्युक्त दोनों शर्तों के पूर्ण होने पर ही वस्तु द्रव में तैरती है।
प्रश्न 8. विशाल बाँधों की दीवारें नीचे मोटी व ऊपर पतली क्यों बनाई जाती हैं?
उत्तर : बाँध की दीवारों का नीचे मोटी व ऊपर पतली होना – विशाल बाँधों की गहराई बहुत अधिक होती है, चूँकि द्रव के अन्दर किसी बिन्दु पर दाब, उस बिन्दु की मुक्त तल से गहराई के अनुक्रमानुपाती होता है; अतः बाँध की तली में जल का दाब सर्वाधिक होता है। दाब क्योंकि एक ही क्षैतिज तल में सब बिन्दुओं पर सभी दिशाओं में समान होता है; अतः बाँध की दीवार पर सबसे अधिक दाब नीचे होता है; जैसे-जैसे ऊपर आते हैं दाब भी घटता जाता है; अतः बाँध की दीवार नीचे से मोटी बनाई जाती है, जिससे वह अधिक दाब – बल को सहन कर सके। ऊपर जाने पर, क्योंकि दाब घटता जाता है; अतः दीवारों की मोटाई भी कम करते जाते हैं, जैसा कि चित्र – 9 में दिखाया गया है।

प्रश्न 9. एक तख्ते पर कुछ पुस्तकें फैलाकर रखने की अपेक्षा वही पुस्तकें एक जगह पर ऊपर-नीचे रखने पर तख्ता अधिक नीचे को झुक जाता है, ऐसा क्यों?
उत्तर : तख्ते पर पुस्तकों को फैलाकर रखने से, उनके द्वारा घिरा क्षेत्रफल (A) अधिक होगा, जिसके कारण तख्ते पर दाब ( P = F | A) कम लगेगा। पुस्तकों को एक ही स्थान पर ऊपर नीचे रखने से उनके द्वारा घिरा क्षेत्रफल (A) कम होगा, इस कारण तख्ते पर दाब बढ़ जाएगा और तख्ता झुक जाएगा।
प्रश्न 10. लोहे से बना जहाज समुद्र में तैरता है, परन्तु लोहे का ठोस टुकड़ा (कील) डूब जाता है, क्यों? सम्बन्धित नियम देते हुए इस कथन की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर : लोहे से बने जहाज का जल पर तैरना – लोहे की कील की बनावट इस प्रकार की होती है कि उसका भार, उसके द्वारा हटाए गए जल . के भार से बहुत अधिक होता है। इसी कारण वह जल में डूब जाती है। इसके विपरीत, लोहे का जहाज तैरता रहता है। इसका कारण यह है कि जहाज का ढाँचा अवतल होता है तथा अन्दर से खोखला बनाया जाता है। जैसे ही जहाज समुद्र में प्रवेश करता है तो उसके द्वारा (उसकी बनावट के कारण) इतना जल हटा दिया जाता है कि उसके द्वारा हटाए गए जल का भार, जहाज (जहाज व उसके समस्त समान सहित) के कुल भार के बराबर हो जाता है। इसी कारण प्लवन के सिद्धान्त के अनुसार जहाज जल में तैरता रहता है।
प्रश्न 11. कुएँ से जल खींचते समय जल से भरी बाल्टी जल की सतह से ऊपर आने पर धीरे-धीरे भारी क्यों प्रतीत होने लगती है?
उत्तर : जब बाल्टी जल में डूबी होती है, तब उस पर उसके द्वारा हटाए गए जल के भार के बराबर उत्क्षेप – बल लगता है। जैसे-जैसे बाल्टी को जल से बाहर निकालते हैं, उस पर लगने वाले उत्क्षेप-बल का मान कम होने लगता है और बाल्टी भारी लगने लगती है।
• अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. दो वस्तुओं के द्रव्यमान क्रमश: m1 व m2 हैं तथा उनके बीच की दूरी r है तो उनके मध्य लगने वाला बल कितना होगा?

प्रश्न 2. G को सार्वत्रिक नियतांक क्यों कहते हैं?
उत्तर : क्योंकि G का मान कणों की प्रकृति, माध्यम, समय, ताप तथा स्थान आदि पर निर्भर नहीं करता है, इसीलिए इसे सार्वत्रिक नियतांक कहते हैं।
प्रश्न 3. पृथ्वी ध्रुवों पर चपटी क्यों है?
उत्तर : अपने ध्रुवीय अक्ष (कीली) के परित: घूमने के कारण।
प्रश्न 4. पृथ्वी के अपनी अक्ष के परितः घूमने के कारण g पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर : पृथ्वी के अपनी अक्ष के परितः घूमने के कारण g का मान पृथ्वी के भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होता है।
प्रश्न 5. भूमध्य रेखा पर किसी वस्तु का भार ध्रुवों पर उसी वस्तु के भार से कम क्यों होता है ?
उत्तर : क्योंकि भूमध्य रेखा पर g का मान ध्रुवों की अपेक्षा कम होता है।
प्रश्न 6. एक पत्थर को पृथ्वी की सतह के समान्तर फेंका जाता है तथा उसी समय दूसरा पत्थर उसी ऊँचाई से स्वतन्त्रतापूर्वक गिराया जाता है। कौन-सा पत्थर पृथ्वी तल पर पहले पहुँचेगा?
उत्तर : दोनों पत्थर एकसाथ पृथ्वी तल पर पहुँचेंगे; क्योंकि दोनों पत्थर समान गुरुत्वीय बल के कारण समान ऊर्ध्व दूरी तय करते हैं।
प्रश्न 7. आप विषुवत् रेखा पर स्थित किसी स्थान से W भार की चीनी खरीदते हैं और उसे अंटार्कटिका पर ले जाते हैं। क्या वहाँ उसका भार वही रहेगा? यदि नहीं, तो यह कम होगा अथवा अधिक ?
उत्तर : नहीं। ध्रुवों (अंटार्कटिका) पर गुरुत्वीय त्वरण का मान अधिक होने से चीनी का भार अधिक हो जाएगा।
प्रश्न 8. आर्किमिडीज का सिद्धान्त क्या है?
उत्तर : आर्किमिडीज का सिद्धान्त – ” जब कोई वस्तु किसी द्रव में पूर्ण अथवा आंशिक रूप से डुबोई जाती है तो वस्तु के भार में कमी का आभास होता है। वस्तु के भार में यह आभासी कमी उस वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर होती है।” यही आर्किमिडीज का सिद्धान्त है।
प्रश्न 9. समान व्यास के लोहे तथा ऐलुमिनियम के गोलों को जल में डुबोया जाता है। किस गोले पर जल का उत्क्षेप अधिक लगेगा?
उत्तर : दोनों गोलों पर जल का उत्क्षेप समान लगेगा, क्योंकि दोनों गोलों के आयतन बराबर हैं; अत: उनके द्वारा हटाए गए जल का आय तथा भार भी बराबर होंगे।
• एक शब्द या एक वाक्य वाले प्रश्न
प्रश्न 1. गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक G का संख्यात्मक मान मात्रक सहित लिखिए।
उत्तर : G का संख्यात्मक मान 6.67 × 10-11
प्रश्न 2. पृथ्वी की सतह पर G का मान 6.67 × 10-11 न्यूटन मीटर2 / किग्रा2 है। चन्द्रमा पर इसका मान कितना होगा?
उत्तर : चन्द्रमा पर G का मान 6.67 × 10-11 न्यूटन-मीटर2 / किग्रा ।
प्रश्न 3. उस वैज्ञानिक का नाम बताइए जिसने सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक G का मान ज्ञात किया था ?
उत्तर : हेनरी कैवेन्डिश ।
प्रश्न 4. g का मान मात्रक सहित लिखिए |
उत्तर : g का मान 9.8 मीटर/सेकण्ड 2 तथा 9.8 न्यूटन / किग्रा भी लिखा जा सकता है।
प्रश्न 5. पृथ्वी तल से ऊपर जाने पर g के मान पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर : पृथ्वी तल से ऊपर जाने पर g का मान घटता है।
प्रश्न 6. क्या g तथा G दोनों सार्वत्रिक नियतांक हैं?
उत्तर : नहीं, केवल G सार्वत्रिक नियतांक है।
प्रश्न 7. निम्नलिखित में से किस स्थान पर g का मान अधिकतम होगा –
(a) ऐवरेस्ट पर्वत पर ।
(b) कुतुबमीनार की चोटी पर ।
(c) विषुवत् वृत्त के किसी बिन्दु पर ।
(d) अंटार्कटिका के किसी स्थान पर ।
उत्तर : (d) अंटार्कटिका के किसी स्थान पर ।
प्रश्न 8. समुद्र में ज्वार-भाटा क्यों आते हैं?
उत्तर : सूर्य तथा चन्द्रमा के एक रेखा में आने के कारण दोनों के संयुक्त गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव से ज्वार-भाटा आते हैं।
प्रश्न 9. किसी वस्तु का द्रव्यमान किस तुला द्वारा मापा जाता है ?
उत्तर : किसी वस्तु का द्रव्यमान भौतिक तुला द्वारा मापा जाता है।
प्रश्न 10. किसी पिण्ड का भार 5 न्यूटन है। पृथ्वी उस पिण्ड को कितने बल से अपनी ओर खींच रही है?
उत्तर : 5 न्यूटन के बल से खींचेगी।
प्रश्न 11. यदि पृथ्वी अपनी अक्ष पर घूमना बन्द कर दे तो वस्तुओं के द्रव्यमान तथा भार पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर : यदि पृथ्वी अपनी अक्ष पर घूमना बन्द कर दे तो ध्रुवों के अतिरिक्त प्रत्येक स्थान पर g का मान बढ़ जाएगा। इस कारण वस्तु के द्रव्यमान तथा भार में वृद्धि हो जाएगी।
प्रश्न 12. किसी वस्तु का भार पृथ्वी की सतह पर कहाँ न्यूनतम होगा तथा कहाँ महत्तम?
उत्तर : विषुवत् वृत्त पर न्यूनतम तथा ध्रुवों पर महत्तम ।
प्रश्न 13. 10 किलोग्राम की एक वस्तु को पृथ्वी के केन्द्र पर ले जाने पर उसका भार कितना होगा?
उत्तर : शून्य; क्योंकि पृथ्वी के केन्द्र पर g का मान शून्य होता है।
प्रश्न 14. किसी वस्तु को ऊपर की ओर फेंकने पर वह लौटकर पृथ्वी पर क्यों आ जाती है?
उत्तर : पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण।
प्रश्न 15. क्या दाब एक सदिश राशि है ?
उत्तर : नहीं, दाब एक सदिश राशि नहीं है।
प्रश्न 16. किसी वस्तु को काटने के लिए तीक्ष्ण (पैना, sharp ) चाकू का प्रयोग करना अधिक सुविधाजनक रहता है, क्यों?
उत्तर : तीक्ष्ण चाकू का प्रयोग करने से काटी जाने वाली वस्तु पर अधिक दाब पड़ता है और वह आसानी से कट जाती है।
प्रश्न 17. किसी द्रव में डुबोने पर कोई वस्तु हल्की क्यों प्रतीत होती है?
उत्तर : द्रव द्वारा वस्तु पर लगाए गए उत्प्लावन बल के कारण।
प्रश्न 18. जब किसी तैरती हुई वस्तु को थोड़ा नीचे की ओर दबाया जाता है तो दोनों में से कौन सी राशि बढ़ती है, वस्तु का भार या द्रव का उत्प्लावन बल?
उत्तर : द्रव का उत्प्लावन बल।
प्रश्न 19. 10 न्यूटन भार की किसी वस्तु को एक द्रव में पूर्णतः डुबोने पर, उस पर 12 न्यूटन का उत्क्षेप लगता है। वस्तु द्रव में डूबेगी या तैरेगी?
उत्तर : ·.· उत्क्षेप वस्तु के भार से अधिक है; अतः वस्तु द्रव में तैरेगी।
प्रश्न 20. समुद्री जल तथा नदी के जल में से कौन वस्तु पर अधिक उत्क्षेप लगाएगा?
उत्तर : नमक घुला होने के कारण समुद्र के जल का घनत्व अधिक होता है; अतः यह अधिक उत्क्षेप लगाएगा।
प्रश्न 21. एक ही ऊँचाई से एक पत्थर का टुकड़ा तथा एक कागज का टुकड़ा गिराने पर वे एक साथ पृथ्वी पर क्यों नहीं आते?
उत्तर : वायु के घर्षण के कारण।
प्रश्न 22. कमानीदार तुला से 5 किग्रा का एक पिण्ड लटका है। पिण्ड तथा तुला दोनों एकसाथ स्वतन्त्रतापूर्वक नीचे गिरते हैं, अब कमानीदार तुला का पाठ क्या होगा?
उत्तर : पिण्ड और तुला दोनों भारहीनता की स्थिति में हैं; अत: कमानीदार तुला का पाठ शून्य होगा।
• आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1. पृथ्वी का द्रव्यमान 6 × 1024 किग्रा है तथा चन्द्रमा का द्रव्यमान 7.4 × 1022 किग्रा है। यदि पृथ्वी तथा चन्द्रमा के बीच की दूरी 3.84 × 105 किमी है तो पृथ्वी द्वारा चन्द्रमा पर लगाए गए बल का परिकलन कीजिए ।

प्रश्न 2. कल्पना कीजिए कि आप व आपके मित्र, प्रत्येक का द्रव्यमान 50 किग्रा है। मान लीजिए कि आप इस प्रकार खड़े हैं कि आप दोनों के गुरुत्व केन्द्रों के बीच की दूरी 1 मीटर है। अपने व अपने मित्र के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल की गणना कीजिए। अपने पर लगने वाले गुरुत्वीय बल की गणना भी समीकरण mg = G (m M) | R2 का उपयोग करते हुए कीजिए ।

प्रश्न 3. किसी वस्तु को विषुवत् रेखा से ध्रुवों तक ले जाने पर, उसके भार में होने वाले परिवर्तन को प्रतिशत में व्यक्त कीजिए। ध्रुवों पर पृथ्वी की त्रिज्या 6357 किमी व विषुवत् रेखा पर 6378 किमी है।


प्रश्न 4. सूर्य तथा चन्द्रमा द्वारा पृथ्वी पर लगाए गए गुरुत्वाकर्षण बलों की तुलना कीजिए। इनमें से पृथ्वी पर कौन अधिक बल लगाता है और कितने गुना?

अर्थात् सूर्य द्वारा पृथ्वी पर आरोपित वल, चन्द्रमा द्वारा पृथ्वी पर आरोपित बल से 180 गुना बड़ा है।
प्रश्न 5. 10 किग्रा तथा 25 किग्रा द्रव्यमान के दो गोलों के केन्द्रों के बीच की दूरी 5 मीटर है। दोनों गोलों के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल की गणना कीजिए ।

प्रश्न 6. 40 किग्रा तथा 80 किग्रा द्रव्यमान के दो पिण्ड एक-दूसरे से 0.15 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। इनके बीच लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल 10-5 न्यूटन है। गुरुत्वाकर्षण नियतांक G की गणना कीजिए।

प्रश्न 7. एक वस्तु का द्रव्यमान 10 किग्रा है। पृथ्वी पर इसका भार कितना होगा?
हल : दिया है : द्रव्यमान m = 10 किग्रा, पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण g = 9.8 मीटर/सेकण्ड2
∴ वस्तु का पृथ्वी पर भार W = mg
= 10 किग्रा × 9.8 मीटर/सेकण्ड2
= 98 न्यूटन।
प्रश्न 8. एक लड़के का द्रव्यमान 50 किग्रा है। इसका पृथ्वी पर भार कितना होगा? चन्द्रमा पर इसके द्रव्यमान तथा भार में क्या परिवर्तन होगा?
हल : दिया है : m = 50 किग्रा, पृथ्वी पर g = 9.8 मीटर/सेकण्ड2
∴ पृथ्वी पर लड़के का भार We = mg
= 50 किग्रा × 98 मीटर/सेकण्ड2
= 490 न्यूटन।
चन्द्रमा पर लड़के के द्रव्यमान में कोई परिवर्तन नहीं होगा अर्थात् उसका द्रव्यमान 50 किग्रा ही रहेगा।

प्रश्न 9. यदि किसी वस्तु का भार 49 न्यूटन है तो उसका द्रव्यमान क्या होगा?

प्रश्न 10. किसी व्यक्ति का पृथ्वी पर द्रव्यमान 70 किग्रा है। उसका चन्द्रमा पर भार तथा द्रव्यमान क्या होगा? चन्द्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण, पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण g = 9.8 मीटर/सेकण्ड2 का 1/6 है।

प्रश्न 11. एक गेंद 98 मीटर/सेकण्ड के वेग से ऊर्ध्वाधरत: ऊपर की ओर फेंकी जाती है । बताइए-
(i) गेंद कितनी महत्तम ऊँचाई तक जाएगी ?
(ii) कितने समय पश्चात् लौटना प्रारम्भ करेगी?
(iii) कितनी देर तक वायु में रहेगी?

प्रश्न 12. कोई रॉकेट 20 मीटर/सेकण्ड के एकसमान वेग से ऊर्ध्वाधर दिशा में प्रचालित किया गया है। 35 सेकण्ड तक यात्रा करने के पश्चात् रॉकेट में कुछ गड़बड़ी के कारण उसमें ईंधन की आपूर्ति बन्द हो गई, तब रॉकेट एक स्वतन्त्र वस्तु की भाँति गति करने लगता है। यह कितना ऊपर जाएगा? प्रमोचन के कितने समय पश्चात् यह वापस पृथ्वी पर आएगा?
हल: दिया है : प्रथम 35 सेकण्ड के लिए रॉकेट का वेग u = 20 मीटर/सेकण्ड (अचर),

इसके बाद यात्रा के लिए u = 20 मीटर/सेकण्ड, ऊपर की ओर रॉकेट का प्रारम्भिक वेग होगा जबकि रॉकेट पर गुरुत्वीय त्वरण g = 10 मीटर/सेकण्ड2 नीचे की ओर कार्य करेगा। माना यह h2 ऊँचाई ऊपर उठता है जहाँ इसका वेग v = 0 हो जाता है।

माना ईंधन आपूर्ति बन्द होने के t सेकण्ड बाद रॉकेट जमीन पर गिर जाता है। इस दौरान इसका विस्थापन h = – 700 मीटर (नीचे की ओर) होगा।

प्रश्न 13. कोई हेलीकॉप्टर किसी स्थिर नाव में फँसे हुए लोगों के लिए भोजन के पैकेट गिराने भेजा गया। यह 20 मीटर की ऊँचाई पर 2 मीटर/सेकण्ड के एकसमान क्षैतिज वेग से चल रहा है। जब नाव का सबसे निकट वाला सिरा हेलीकॉप्टर के ठीक नीचे है तभी भोजन के पैकेट गिराए जाते हैं। यदि नाव 5 मीटर लम्बी है तो क्या नाव में उपस्थित लोगों को पैकेट मिलेंगे?
हल : दिया है : गिराते समय पैकेट का नीचे की ओर वेग = 0
जबकि क्षैतिज दिशा में वेग u = हेलीकॉप्टर का वेग = 2 मीटर/सेकण्ड
पैकेट की ऊँचाई h = 20 मीटर, नाव की लम्बाई x = 5 मीटर
माना पैकेट को नाव तक गिरने में t सेकण्ड लगते हैं तो

सूत्र x = ut से,
2 सेकण्ड में पैकेट द्वारा तय क्षैतिज़ दूरी x = 2 × 2 = 4 मीटर
चूँकि पैकेट द्वारा नाव तक गिरने में तय क्षैतिज दूरी 4 मीटर, नाव की लम्बाई से कम है; अतः नाव में उपस्थित लोगों को पैकेट मिलेंगे।
प्रश्न 14. किसी कण को 180 मीटर ऊँची मीनार से गिराया जाता है। इसे भूमि तक पहुँचने में कितना समय लगेगा? यह कितने वेग भूमि से टकराएगा? सारणी बनाकर इन आँकड़ों से दूरी-समय, वेग समय तथा त्वरण-समय ग्राफ बनाइए ।


प्रश्न 15. चाँदी का आपेक्षिक घनत्व 10.8 है। पानी का घनत्व 103 किग्रा/मीटर3 है। S. I. मात्रक में चाँदी का घनत्व क्या होगा ?
