UK Board 9th Class Science – Chapter 12 ध्वनि
UK Board 9th Class Science – Chapter 12 ध्वनि
UK Board Solutions for Class 9th Science – विज्ञान – Chapter 12 ध्वनि
अध्याय के अन्तर्गत दिए गए प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है?
उत्तर : जब ध्वनि के कारण किसी माध्यम में कोई विक्षोभ उत्पन्न होता है तो यह विक्षोभ माध्यम के कणों में गति उत्पन्न कर देता है। ये कण अपने समीपवर्ती माध्यम के अन्य कणों में उसी प्रकार की गति उत्पन्न कर देते हैं। यह क्रिया इसी प्रकार माध्यम के अन्य कणों में फैलती जाती है और विक्षोभ हमारे कानों तक पहुँच जाता है।
प्रश्न 2. आपके विद्यालय की घण्टी, ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है ?
उत्तर : जब घण्टी पर हथौड़े से आघात किया जाता है तो घण्टी कम्पित हो उठती है। घण्टी के कम्पित होने से ध्वनि उत्पन्न होती है।
प्रश्न 3. ध्वनि तरंगों को यान्त्रिक तरंगें क्यों कहते हैं?
उत्तर : ध्वनि तरंगों को यान्त्रिक तरंगें इसलिए कहा जाता है; क्योंकि ये माध्यम कणों की कम्पनिक गति के द्वारा संचारित होती हैं, अर्थात् इनके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 4. मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चन्द्रमा पर गए हुए. हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पाएँगे?
उत्तर : किसी स्रोत से उत्पन्न ध्वनि तरंग वायु से होकर हमारे कानों तक पहुँचती है और तब हमें सुनाई पड़ती है। वायु की अनुपस्थिति में ध्वनि तरंगों का हमें सुनाई पड़ना सम्भव नहीं है। चूँकि चन्द्रमा पर वायुमण्डल नहीं है; अत: मैं अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को नहीं सुन पाऊँगा ।
प्रश्न 5. तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है?
(a) प्रबलता (b) तारत्व ।
उत्तर : (a) प्रबलता – किसी ध्वनि तरंग की प्रबलता मूलत: उसके आयाम द्वारा निर्धारित होती है। बड़े आयाम की ध्वनि प्रबल तथा छोटे आयाम की ध्वनि मृदु होती है।
(b) तारत्व – ध्वनि का तारत्व उसकी आवृत्ति द्वारा निर्धारित होता है। उच्च आवृत्ति की ध्वनि का तारत्व ऊँचा तथा निम्न आवृत्ति की ध्वनि का तारत्व नीचा होता है।
प्रश्न 6. अनुमान लगाइए कि निम्नलिखित में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है?
(a) गिटार (b) कार का हॉर्न ।
उत्तर : गिटार की ध्वनि का तारत्व अधिक होता है।
प्रश्न 7. किसी ध्वनि तरंग की तरंग दैर्ध्य, आवृत्ति, आवर्तकाल तथा आयाम से क्या अभिप्राय है?
उत्तर : तरंगदैर्घ्य- माध्यम के किसी कण को एक कम्पन करने में लगे समय के दौरान तरंग द्वारा चली गई दूरी को तरंग-दैर्ध्य कहते हैं।
अथवा अनुप्रस्थ तरंग में किन्हीं दो निकटवर्ती शृंगों अथवा दो निकटवर्ती गर्तों के बीच की दूरी तरंग दैर्ध्य कहलाती है। अनुदैर्घ्य तरंग में, किन्हीं दो निकटवर्ती अधिकतम संपीडन अथवा किन्हीं दो निकटवर्ती अधिकतम विरलन वाले कणों के बीच की दूरी तरंग-दैर्ध्य कहलाती है।
तरंग-दैर्ध्य को ‘λ’ (लैम्डा) से प्रदर्शित करते हैं तथा इसका मात्रक मीटर है।
आवृत्ति – किसी माध्यम में तरंग संचरण के कारण माध्यम के किसी कण द्वारा 1 सेकण्ड में किए गए कम्पनों की संख्या को उस तरंग की ‘आवृत्ति’ कहते हैं। इसे से प्रदर्शित करते हैं। आवृत्ति का SI मात्रक हर्ट्स ( प्रतीक Hz) है।
आवर्तकाल – माध्यम में तरंग संचरण के कारण, माध्यम के किसी कण द्वारा एक कम्पन पूरा करने में लिया गया समय तरंग का ‘आवर्तकाल’ कहलाता है। इसे T से प्रदर्शित करते हैं। इसका S. I. मात्रक सेकण्ड है।
अथवा ध्वनि तरंग के दो क्रमागत संपीडनों या दो क्रमागत विरलनों को एक निश्चित बिन्दु से गुजरने में लगा समय तरंग का ‘आवर्तकाल’ कहलाता है।
आयाम- तरंग संचरण के कारण माध्यम के किसी कण का माध्य स्थिति के एक ओर का अधिकतम विस्थापन तरंग का ‘आयाम’ कहलाता है। ध्वनि तरंग के लिए आयाम का मात्रक दाब अथवा घनत्व का मात्रक होता है।
प्रश्न 8. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति उसके वेग से किस प्रकार सम्बन्धित हैं?
उत्तर : अभीष्ट सम्बन्ध निम्नलिखित हैं-

प्रश्न 9. किसी दिए हुए माध्यम में एक ध्वनि तरंग की आवृत्ति 220 हर्ट्स तथा वेग 440 मीटर / सेकण्ड है। इस तरंग की तरंग-दैर्ध्य की गणना कीजिए ।
हल : तरंग की आवृत्ति v = 220 हर्ट्स, तरंग वेंग v = 440 मीटर/सेकण्ड

प्रश्न 10. किसी ध्वनि स्रोत से 450 मीटर की दूरी पर बैठा हुआ कोई मनुष्य 500 हर्ट्स की ध्वनि सुनता है । स्रोत से मनुष्य के पास तक पहुँचने वाले दो क्रमागत संपीडनों में कितना समयान्तराल होगा?

प्रश्न 11. ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अन्तर बताइए ।
उत्तर : प्रबलता तथा तीव्रता में अन्तर
क्र०सं० | तीव्रता | प्रबलता |
1. | ध्वनि की तीव्रता का सम्बन्ध उसकी ऊर्जा से है। | ध्वनि की प्रबलता तरंग की ऊर्जा की तुलना में हमारे कानों की संवेदनशीलता पर अधिक निर्भर करती है। |
2. | ध्वनि की तीव्रता को नापा जा सकता है। | ध्वनि की प्रबलता को नापा नहीं जा सकता। |
3. | ध्वनि की तीव्रता सभी प्रेक्षकों के लिए समान होती है। | एक ही ध्वनि की प्रबलता अलग-अलग प्रेक्षकों के लिए अलग-अलग हो सकती है। |
4. | अवश्रव्य तथा पराश्रव्य तरंगों में पर्याप्त तीव्रता हो सकती है। | अवश्रव्य तथा पराश्रव्य तरंगों की प्रबलता शून्य होती है; क्योंकि वे हमें सुनाई नहीं पड़ती। |
प्रश्न 12. वायु, जल या लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि सबसे तेज चलती है ?
उत्तर : लोहे में सबसे तेज चलती है।
प्रश्न 13. कोई प्रतिध्वनि 3 सेकण्ड पश्चात् सुनाई पड़ती है । यदि ध्वनि की चाल 342 मीटर/सेकण्ड हो तो स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच कितनी दूरी होगी?

प्रश्न 14. कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं?
उत्तर : कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार इसलिए बनाई जाती हैं जिससे कि छत से परावर्तन के पश्चात् ध्वनि हाल के सभी भागों में समान रूप से फैल जाए।
प्रश्न 15. एक पनडुब्बी सोनार स्पन्द उत्सर्जित करती है, जो पानी के अन्दर एक खड़ी चट्टान से टकराकर 1.02 सेकण्ड के पश्चात् वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 मीटर / सेकण्ड हो तो चट्टान की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल: पानी में ध्वनि की चाल v = 1531 मीटर/सेकण्ड
लिया गया समय t = 1.02 सेकण्ड
माना कि चट्टान की दूरी s है तो तरंगें 1.02 सेकण्ड में 2 s दूरी तय करेंगी।

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न की जाती है?
उत्तर : ध्वनि एक प्रकार की ऊर्जा है जो हमारे कान में श्रवण संवेदना उत्पन्न करती है। ध्वनि, वस्तु के कम्पन अथवा दोलन करने से उत्पन्न होती है।
प्रश्न 2. एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्त्रोत के निकट वायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं?
उत्तर :

हम जानते हैं कि ध्वनि किसी वस्तु की कम्पनिक गति के कारण उत्पन्न होती है। मान लीजिए यह कम्पन करने वाली वस्तु एक स्पीकर का पर्दा है (चित्र-1 ) ।
जब स्पीकर का पर्दा बाहर की ओर गति करता है तो अपने सामने वाली वायु की पर्तों को दबाता है। इससे वायु की पर्तों में संपीडन होता है और यह संपीडन वायु की आगे वाली पर्तों में ऐसे ही आगे बढ़ जाता है। अब स्पीकर का पर्दा पीछे की ओर गति करता है और सामने वाली वायु की पर्तों में दबाव कम हो जाता है। एक विरलन उत्पन्न हो जाता है। यह विरलन भी इसी रूप में आगे की पर्तों में गति कर जाता है। इस समय तक स्पीकर का पर्दा पुनः बाहर की ओर गति करता है। इससे एक संपीडन उत्पन्न होता है और आगे की वायु की पर्तों में इसी रूप में आगे बढ़ जाता है। इसी समय तक पर्दा पुनः पीछे की ओर गति करता हुआ एक नया विरलन उत्पन्न करता है जो आगे की वायु की पर्तों में इसी प्रकार गति करता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि स्पीकर के पर्दे की आगे पीछे की गति के कारण, स्पीकर के सामने संपीडन तथा विरलन की दशाएँ एकान्तर क्रम से उत्पन्न होती हैं और इसी रूप में आगे बढ़ता जाती हैं।
प्रश्न 3. किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि ‘संचरण के लिए द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है?
उत्तर : ध्वनि संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है : प्रायोगिक प्रदर्शन – इस प्रयोग के लिए काँच का एक बेलजार, एक विद्युत घण्टी तथा एक कॉर्क लेते हैं। विद्युत घण्टी को बेलजार के भीतर लटका देते हैं। घण्टी के तारों को कॉर्क से गुजारकर बेलजार को कॉर्क की सहायता से बन्द कर देते हैं। बेलजार को चित्रानुसार निर्वात पम्प से जोड़ देते हैं। घण्टी के तारों को विद्युत मेन्स से • जोड़कर स्विच दबाते हैं तो घण्टी की आवाज सुनाई देने लगती है। अब निर्वात पम्प की सहायता से बेलजार के भीतर भरी वायु को धीरे-धीरे बाहर निकालते जाते हैं। अब घण्टी की आवाज पहले की तुलना में धीमी सुनाई पड़ने लगती है, यद्यपि घण्टी में अभी भी उतनी ही धारा बह रही होती है। वायु के लगातार बाहर निकलने के साथ-साथ घण्टी की आवाज धीमी और धीमी होती चली जाती है। इससे स्पष्ट होता है कि यदि बेलजार की सम्पूर्ण वायु निकाल दी जाए तो हमें घण्टी की आवाज सुनाई नहीं देगी। इससे स्पष्ट होता है कि ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 4. ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्घ्य क्यों हैं?
उत्तर : चूँकि ध्वनि तरंगों में माध्यम के कण तरंग संचरण की दिशा में ही कम्पन करते हैं; अतः ध्वनि तरंगें अनुदैर्घ्य तरंगें हैं।
प्रश्न 5. ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अँधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है?
उत्तर : ध्वनि की गुणता, अँधेरे कमरे में बैठे मित्र की आवाज़ पहचानने में सहायता करती है।
प्रश्न 6. तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं, लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ समय पश्चात् गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है?
उत्तर : वायु में प्रकाश की चाल, ध्वनि की चाल की तुलना में बहुत अधिक है; इस कारण साथ-साथ उत्पन्न होने पर भी प्रकाश की चमक, गर्जन से कुछ क्षण पहले ही प्रेक्षक तक पहुँच जाती है।
प्रश्न 7. किसी व्यक्ति का औसत श्रव्य परास 20 हर्ट्स से 20 किलोहर्ट्स है। इन दो आवृत्तियों के लिए ध्वनि तरंगों की तरंग-दैर्ध्य ज्ञात कीजिए। वायु में ध्वनि का वेग 344 मीटर/सेकण्ड लीजिए।

प्रश्न 8. दो बालक किसी ऐलुमिनियम पाइप के दो सिरों पर हैं। एक बालक पाइप के एक सिरे पर पत्थर से आघात करता है। दूसरे सिरे पर स्थित बालक तक वायु तथा ऐलुमिनियम से होकर जाने वाली ध्वनि तरंगों द्वारा लिए गए समय का अनुपात ज्ञात कीजिए ।
दिया है : वायु में ध्वनि की चाल v1 = 346 मीटर/सेकण्ड, ऐलुमिनियम में ध्वनि की चाल v2 = 6420 मीटर / सेकण्ड ।

प्रश्न 9. किसी ध्वनि स्रोत की आवृत्ति 100 हर्ट्स है । एक मिनट में यह कितनी बार कम्पन करेगा?
हल : स्रोत द्वारा 1 सेकण्ड में किए गए कम्पनों की संख्या = 100
∴ 1 मिनट अर्थात् 60 सेकण्ड में किए गए कम्पनों की संख्या = 60 × 100 = 6000
प्रश्न 10. क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं? इन नियमों को बताइए ।
उत्तर : हाँ, ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है. जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं। ये नियम निम्नलिखित हैं-
नियम 1 – परावर्तक तल के किसी बिन्दु पर आपतित ध्वनि तरंग तथा अभिलम्ब के बीच का कोण तथा परावर्तित ध्वनि तरंग व अभिलम्ब के बीच का कोण परस्पर बराबर होते हैं।
नियम 2 – आपतित ध्वनि तरंग, अभिलम्ब तथा परावर्तित ध्वनि तरंग तीनों एक ही तल में होते हैं।
प्रश्न 11. ध्वनि का एक स्रोत किसी परावर्तक सतह के सामने रखने पर उसके द्वारा प्रदत्त तरंग की प्रतिध्वनि सुनाई देती है । यदि स्रोत तथा परावर्तक सतह की दूरी स्थिर रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी — (i) जिस दिन तापमान अधिक हो ? (ii) जिस दिन तापमान कम हो ?
उत्तर : जिस दिन तापमान अधिक होगा उस दिन वायु में ध्वनि की चाल अधिक होगी; अतः उस दिन प्रतिध्वनि शीघ्र सुनाई देगी।
प्रश्न 12. ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखिए।
उत्तर : ध्वनि तरंगों के दो व्यावहारिक उपयोग निम्नलिखित हैं-
(1) ध्वनि पट्ट तथा (2) सोनार ।
प्रश्न 13. 500 मीटर ऊँची किसी मीनार की चोटी से एक पत्थर मीनार के आधार पर स्थित एक पानी के तालाब में गिराया जाता है। पानी में इसके गिरने की ध्वनि चोटी पर कब सुनाई देगी?
(g = 10 मीटर / सेकण्ड तथा वायु में ध्वनि की चाल v = 340 मीटर / सेकण्ड )

प्रश्न 14. एक ध्वनि तरंग 339 मीटर / सेकण्ड की चाल से चलती है। यदि इसकी तरंग दैर्ध्य 1.5 सेमी हो तो तरंग की आवृत्ति कितनी होगी? क्या ये श्रव्य होंगी?

·.· तरंग की आवृत्ति 20 किलोहर्ट्स से अधिक है; अतः ये तरंगें श्रव्य नहीं, पराश्रव्य हैं।
प्रश्न 15. अनुरणन क्या है? इसे कैसे कम किया जा सकता है?
उत्तर : अनुरणन-किसी बड़े हाल (कंसर्ट हाल आदि) में ध्वनि का बारम्बार परावर्तन के कारण लम्बे समय तक बने रहना ‘अनुरणन’ कहलाता है। इसके कारण हमारे कानों पर ध्वनि का असर काफी देर तक बना रहता है और भाषण, संगीत आदि में अस्पष्टता उत्पन्न होती है; अतः अनुरणन को यथासम्भव कम करने का प्रयास किया जाता है।
अनुरणन को कम करने के लिए कंसर्ट हॉल की छतों तथा दीवारों में ध्वनि अवशोषक पदार्थों; जैसे— संपीडित फाइबर बोर्ड, खुरदरे प्लास्टर तथा मोटे पर्दों का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 16. ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है? यह किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर : ध्वनि की प्रबलता – ध्वनि की प्रबलता, हमारे कानों की आपेक्षिक संवेदनशीलता की माप है।
ध्वनि की प्रबलता, ध्वनि तरंग की ऊर्जा के साथ ही हमारे कानों की संवेदनशीलता पर भी निर्भर करती है। एक ही ध्वनि किसी व्यक्ति के लिए कम प्रबल हो सकती है और किसी अन्य व्यक्ति के लिए अधिक प्रबल हो सकती है।
प्रश्न 17. चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर : चमगादड़ अन्धकार में उड़ते समय अपने शिकार को पकड़ने के लिए उच्च आवृत्ति की पराध्वनिक तरंगें उत्सर्जित करता है। जब ये तरंगें उसके सामने स्थित अवरोध या शिकार से टकराकर परावर्तित होती हैं और उसके कानों में पहुँचती हैं तो वह इन परावर्तित स्पन्दों की प्रकृति से अपनेशिकार या अवरोध की स्थिति तथा प्रकृति का ज्ञान प्राप्त कर लेता है और तत्पश्चात् शिकार पर झपटकर उसे वश में कर लेता है।
प्रश्न 18. वस्तुओं को साफ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं?
उत्तर : वस्तुओं को साफ करने में पराध्वनि का उपयोग – पराध्वनि का उपयोग ऐसी वस्तुओं को साफ करने के लिए किया जाता है जिनके भीतरी भागों तक ब्रश आदि का पहुँचना सम्भव नहीं होता । इसके लिए वस्तुओं को अपमार्जक विलयन में डुबोकर रखते हैं तथा विलयन में उच्च आवृत्ति की पराध्वनि तरंगें भेजते हैं। इससे विलयन में उच्च आवृत्ति के कम्पन्न उत्पन्न हो जाते हैं और वस्तुओं से चिपके हुए चिकनाई तथा ग्रीस आदि छूटकर अलग हो जाते हैं।
प्रश्न 19. सोनार की कार्यविधि तथा उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर : सोनार (SONAR ) – सोनार शब्द Sound Navigation and Ranging वाक्य का संक्षिप्त रूप हैं। सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसका प्रयोग समुद्र की गहराई को नापने तथा समुद्र में स्थित किसी चट्टान आदि की स्थिति का ज्ञान प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

सोनार की कार्यविधि प्रतिध्वनि के सिद्धान्त पर आधारित है। सोनार में दो यन्त्र होते हैं – एक प्रेषी तथा दूसरा संसूचक। प्रेषी उच्च आवृत्ति की पराध्वनि तरंगों की स्पन्द उत्पन्न करता है तथा उन्हें समुद्र में प्रेषित करता है। ये तरंगें समुद्र की तली से अथवा समुद्र में स्थित चट्टान आदि से टकराकर वापस लौटती हैं तो संसूचक उन्हें ग्रहण कर लेता है। संसूचक इन तरंगों को विद्युत संकेतों के रूप में बदल देता है तत्पश्चात् इनका विश्लेषण किया जाता है। प्रेषण तथा अभिग्रहण के बीच के समयान्तराल को नापकर तथा जल में तरंगों की चाल ज्ञात होने पर समुद्र की गहराई अथवा अवरोध की दूरी की गणना कर ली जाती है।
सोनार के उपयोग – (1) समुद्र की गहराई ज्ञात करने में ।
(2) समुद्र में स्थित घाटियों, छिपी हुई शत्रु पनडुब्बियों तथा चट्टानों का पता लगाने में।
(3) जल में तैरते हिमशैल तथा डूबे हुए जहाजों का पता लगाने में किया जाता है।
प्रश्न 20. एक पनडुब्बी पर लगी एक सोनार युक्ति संकेत भेजती है और उनकी प्रतिध्वनि 5 सेकण्ड पश्चात् ग्रहण करती है। यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 3625 मीटर हो तो समुद्र जल में ध्वनि की चाल की गणना कीजिए ।
हल: ·.· वस्तु की दूरी s = 3625 मीटर
∴ तरंगों द्वारा तय दूरी = 2 s = 2 × 3625 मीटर
लिया गया समय t = 5 सेकण्ड ।

प्रश्न 21. किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर : धातु के बड़े ब्लॉकों में दरारों का पता लगाने के लिए ब्लॉक के एक ओर पराध्वनि उत्पादक तथा प्रेषक रखा जाता है तथा ब्लॉक के दूसरी ओर संसूचक लगाए जाते हैं। प्रेषक पराध्वनि तरंगों को प्रेषित करता है जो धातु के ब्लॉक से गुजरकर दूसरे संसूचक तक पहुँच जाती हैं। जहाँ कहीं तरंगों के मार्ग में दरार आ जाती है। तरंगें वहाँ से परावर्तित हो जाती हैं और दूसरी ओर स्थित संसूचक तक नहीं पहुँच पातीं। इससे ब्लॉक में उपस्थित दरार की स्थिति का पता चल जाता है।

प्रश्न 22. मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है? विवेचना कीजिए।
उत्तर : मनुष्य का बाहरी कान, जिसे कर्णपल्लव कहते हैं, वातावरण से ध्वनि को एकत्र करके उसे श्रवण नलिका से होकर, मध्य कर्ण की ओर प्रेषित कर देता है। ध्वनि तरंगों के संपीडन तथा विरलन श्रवण नलिका से होकर कर्णपटह तक पहुँच जाते हैं। संपीडन कर्णपटह पर भीतर की ओर दाब डालता है और विरलन के कारण कर्णपटह बाहर की ओर गति करता है। इस प्रकार ध्वनि तरंगों के कारण कर्णपटह कम्पन करने लगता है । मुग्दरक, निहाई तथा वलयक नामक हड्डियाँ इन कम्पनों को कई गुना बढ़ा देती हैं। मध्य कर्ण इन दाब परिवर्तनों को आन्तरिक कर्ण में स्थित कर्णावर्त पर भेजता है जो इन दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में बदल देता है और श्रवण तन्त्रिका द्वारा मस्तिष्क को भेज देता है। मस्तिष्क इन विद्युत संकेतों की ध्वनि के रूप में व्याख्या कर लेता है।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. तरंग – गति से क्या तात्पर्य है? उदाहरण सहित स्पष्ट रूप से समझाइए |
उत्तर : तरंग – गति — “तरंग किसी माध्यम में उत्पन्न एक प्रकार का विक्षोभ है, जो बिना अपना रूप बदले माध्यम में एक निश्चित वेग से आगे बढ़ता है। विक्षोभ के आगे बढ़ने की इस प्रक्रिया को तरंग-गति कहते हैं। “
तरंग – गति के उदाहरण-
(1) यदि किसी रस्सी के एक सिरे को किसी खूँटी से बाँधकर तथा दूसरे सिरे को हाथ में लेकर ऊपर-नीचे झटका दिया जाता है तो रस्सी में श्रृंग अथवा गर्त उत्पन्न होते हैं, जो आगे बढ़ते हैं, परन्तु रस्सी के कण अपने ही स्थान पर ऊपर-नीचे कम्पन करते हैं। इस प्रकार श्रृंग अथवा गर्त . के आगे बढ़ने की प्रक्रिया को ही तरंग गति करते हैं।
(2) यदि किसी तालाब के शान्त जल में एक पत्थर फेंकें तो जिस स्थान पर पत्थर जल में गिरता है, वहाँ पर एक विक्षोभ उत्पन्न हो जाता है, जो वृत्ताकार फैलकर तालाब के किनारों तक पहुँच जाता है। यह प्रक्रिया भी तरंग-गति कहलाती है।
प्रश्न 2. ध्वनि तरंगों का आवृत्ति परास के आधार पर वर्गीकरण करके समझाइए |
उत्तर : ध्वनि तरंगों का आवृत्ति परास के आधार पर वर्गीकरण
ध्वनि तरंगें आवृत्ति परास के अनुसार तीन प्रकार की होती हैं-
(1) श्रव्य तरंगें – वे ध्वनि तरंगें जिन्हें हमारा कान सुन सकता है, श्रव्य तरंगें कहलाती हैं। इन तरंगों की आवृत्ति 20 हर्ट्स से 20 किलोहर्ट्स के मध्य होती है। ये निम्नतम तथा उच्चतम आवृत्तियों की श्रव्यता की सीमाएँ कहलाती है। ये तरंगें कम्पित वायु स्तम्भ, स्वरित्र द्विभुज, वायलिन आदि से उत्पन्न होती है।
(2) अवश्रव्य तरंगें – वे ध्वनि तरंगें जिनकी आवृत्ति 20 हर्ट्स से कम होती हैं अवश्रव्य तरंगें कहलाती हैं। इन तरंगों को सुना नहीं जा सकता है। ये तरंगें भूकम्प के समय, ज्वालामुखी विस्फोट व व्हेल और हाथी जैसे प्राणियों में उत्पन्न होती हैं।
(3) पराश्रव्य तरंगें—वे ध्वनि तरंगें जिनकी आवृत्ति 20,000 हर्ट्स (20 किलोहर्ट्स) से अधिक होती है, पराश्रव्य तरंगें कहलाती हैं। इन तरंगों को क्वार्ट्ज के क्रिस्टल के कम्पनों से उत्पन्न कर सकते हैं। चमगादड़, बिल्लियाँ, कुत्ते, पॉरपॉइज जैसे कुछ प्राणी, कुछ पक्षी तथा कीट भी पराश्रव्य तरंगे उत्पन्न करते हैं। ये प्राणी इन तरंगों को सुन भी सकते हैं। पराश्रव्य तरंगों का प्रयोग संकेत भेजने, समुद्र की गहराई ज्ञात करने, चिकित्सा के क्षेत्र में तथा हवाई अड्डों पर धुंध को दूर करने में करते हैं। वायु में इन तरंगों की तरंग दैर्ध्य 1-6 सेमी से कम होती है।
प्रश्न 3. यान्त्रिक तरंगें कितने प्रकार की होती हैं? प्रत्येक को उदाहरण देकर समझाइए तथा इनके प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर : यान्त्रिक तरंगें – वे तरंगें जो किसी (ठोस, द्रव अथवा गैस) पदार्थ के कणों के दोलनों द्वारा उत्पन्न होती हैं तथा आगे बढ़ती हैं यान्त्रिक तरंगें कहलाती हैं; जैसे – वायु में ध्वनि तरंगें, जल में गिरे पत्थर के कारण उत्पन्न तरंगें, रस्सी में दोलनों के द्वारा उत्पन्न तरंगें आदि ।
माध्यम के कणों के कम्पन करने की दिशा के आधार पर यान्त्रिक तरंगें दो प्रकार की होती हैं-
(1) अनुप्रस्थ तरंगें— जब किसी तरंग में माध्यम के कण तरंग के चलने की दिशा के लम्बवत् कम्पन करते हैं तो उत्पन्न तरंग अनुप्रस्थ तरंग कहलाती है। यह तरंग श्रृंग तथा गर्त के मिलने से बनती है। जब तालाब के जल में पत्थर फेंकते हैं तो अनुप्रस्थ तरंगें उत्पन्न होती हैं। तालाब में पत्थर फेंकने से उत्पन्न अनुप्रस्थ तरंग के उठे हुए भाग को श्रृंग (crest) तथा दबे हुए भाग को गर्त (trough) कहते हैं (चित्र – 5 ) ।

उदाहरण-वायलिन, सितार आदि की तनी हुई डोरियों में उत्पन्न तरंगें तथा जल की सतह पर उत्पन्न तरंगें ।
गुण- इस प्रकार की तरंगें केवल ठोस तथा द्रव की सतह पर ही उत्पन्न की जा सकती हैं, जिनमें दृढ़ता होती है। ये तरंगें गैसों में उत्पन्न नहीं की जा सकती हैं; क्योंकि गैसों में दृढ़ता नहीं होती हैं।
(2) अनुदैर्घ्य तरंगें — जब किसी तरंग में माध्यम के कण तरंग के चलने की दिशा में ही कम्पन करते हैं तो उत्पन्न तरंग अनुदैर्घ्य तरंग कहलाती हैं। यह तरंग संपीडन एवं विरलनों के मिलने से बनती हैं। जब स्वरित्र को कम्पित कराते हैं और स्वरित्र की भुजाएँ बाहर की ओर जाती हैं तो संपीडन तथा जब भुजाएँ अन्दर की ओर जाती हैं तो विरलन उत्पन्न होता है (चित्र – 6)।

उदाहरण – वायु में चलने वाली ध्वनि तरंगें, हुक से लटके एक स्प्रिंग के सिरे से बाँट बाँधकर खींचकर छोड़ने से उत्पन्न तरंगें, जल के अन्दर चलने वाली तरंगें।
गुण-इस प्रकार की तरंगें ठोस, द्रव तथा गै तीनों ही माध्यमों में उत्पन्न होती हैं। वायु में ध्वनि इन्हीं तरंगों द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाती है।
प्रश्न 4. अनुप्रस्थ तथा अनुदैर्घ्य तरंगों में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : अनुप्रस्थ तथा अनुदैर्घ्य तरंगों में अन्तर
क्र०सं० | अनुप्रस्थ तरंगें | अनुदैर्घ्य तरंगें |
1. | इसमें माध्यम के कण तरंग के चलने की दिशा के लम्बवत् कम्पन करते हैं। | इसमें माध्यम के कण तरंग के चलने की दिशा के समान्तर कम्पन करते हैं। |
2. | ये तरंगें शृंगों तथा गर्तों के रूप में संचरित होती हैं। एक श्रृंग तथा एक गर्त से मिलकर एक अनुप्रस्थ तरंग बनती हैं। | ये तरंगें संपीडनों तथा विरलनों के रूप में संचरित होती हैं। एक संपीडन तथा एक विरलन से मिलकर एक अनुदैर्घ्य तरंग बनती हैं। |
3. | ये तरंगें केवल ठोस माध्यमों में तथा द्रवों के ऊपरी तल पर उत्पन्न होती हैं. द्रवों के अन्दर तथा गैसों मे नहीं। | ये तरंगें ठोस, द्रव तथा गैस तीनों प्रकार के माध्यमों में उत्पन्न हो सकती हैं। |
4. | इनके संचरित होने से माध्यम में दाब तथा घनत्व में परिवर्तन नहीं होते हैं। | इनके संचरित होने से माध्यम में दाब तथा घनत्व में परिवर्तन होते हैं। |
प्रश्न 5. तरंग – चाल, आवृत्ति तथा तरंग दैर्ध्य में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
अथवा किसी तरंग की चाल, तरंग दैर्ध्य तथा आवर्तकाल में सम्बन्ध का सूत्र स्थापित कीजिए ।
उत्तर : तरंग – चाल, आवृत्ति तथा तरंग दैर्ध्य में सम्बन्ध – माना कम्पन करती हुई किसी वस्तु का आवर्तकाल T, आवृत्ति v तथा तरंग-दैर्ध्य λ है। इस वस्तु द्वारा उत्पन्न तरंग, T सेकण्ड में λ दूरी तय करेगी।

प्रश्न 6. ध्वनि के संचरण से क्या तात्पर्य है? इसे स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : ध्वनि का संचरण
ध्वनि एक प्रकार की तरंग है जो किसी कम्पायमान स्त्रोत से उत्पन्न होती है तथा द्रव्यात्मक माध्यम में एकान्तर क्रम में उत्पन्न होने वाले संपीडनों तथा विरलनों के रूप में एक स्थान से दूसरे स्थान को गति करती है। ध्वनि का किसी माध्यम में एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर चलना ध्वनि का संचरण कहलाता है। ध्वनि हमारे कानों में श्रवण का संवेदन उत्पन्न करती हैं। चूँकि ध्वनि तरंगें संपीडन तथा विरलन से सम्बन्धित होती हैं और संपीडन तथा विरलन केवल द्रव्यात्मक माध्यम में ही उत्पन्न हो सकते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि ध्वनि केवल द्रव्यात्मक माध्यम से ही अनुदैर्घ्य तरंगों के रूप में संचरित हो सकती है। निर्वात में किसी भी ध्वनि का संचरण नहीं हो सकता; क्योंकि निर्वात में द्रव्यात्मक माध्यम नहीं होता है।
अनुदैर्घ्य तरंगों का संचरण संपीडन तथा विरलन के रूप में होता है। संपीडन तथा विरलन का बनना माध्यम के घनत्व तथा आयतन में परिवर्तन से सम्बद्ध होता है। इसी कारण अनुदैर्घ्य तरंगों का संचरण उन सभी माध्यमों से होता है जो अपने आयतन में होने वाले परिवर्तन का विरोध कर सकें। चूँकि सभी माध्यमों — ठोस, द्रव तथा गैस में यह गुण पाया जाता है; अत: अनुदैर्घ्य तरंगों का संचरण सभी माध्यमों से हो सकता है।
समुद्रों में पनडुब्बियों का पता उनके नोदकों (propellers) द्वारा पानी के अन्दर उत्पन्न ध्वनि तरंगों द्वारा लगाया जा सकता है। बहुत दूरी से आती हुई ट्रेन का पता, हम ट्रेन की ध्वनि तथा वायु में संचरित ध्वनि तरंगों के साथ-साथ लोहे की पटरियों से आने वाली तरंगों से सुनकर लगाते हैं, जब ट्रेन बहुत अधिक दूरी पर होती है तो उसकी ध्वनि लोहे की पटरियों से होकर ही हमारे कानों तक पहुँचती है। शोध से यह तथ्य भी निकलकर सामने आया है कि कुछ अस्थियाँ भी ध्वनि का चालन हमारे कानों तक कर सकती हैं। बहुत बार बहरेपन में, इसी गुण का उपयोग श्रवण सहायों (hearing aids) में करते हैं। विस्फोटक पदार्थों के विस्फोट उत्पन्न ध्वनि तरंगों का उपयोग पृथ्वी के अन्दर उपस्थित तेल भण्डारों के सर्वेक्षण में करते हैं। है
प्रश्न 7. सोनार से क्या तात्पर्य है? इसके द्वारा किस प्रकार समुद्र की गहराई मापी जा सकती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : सोनार (SONAR)— सोनार शब्द Sound Navigation and Ranging का संक्षिप्त रूप है। इसका अर्थ है- ध्वनि द्वारा संचालित तथा परिसर निर्धारण करना। यह एक युक्ति है जिसके द्वारा गहरे जल में स्थित अदृश्य पिण्डों; जैसे—जहाज, चट्टान, पनडुब्बी, छुपे हुए प्लावी बर्फ अथवा हिमशैल (iceberg ) आदि के स्थान की यथार्थ जानकारी प्राप्त की जाती है। इसके द्वारा समुद्र की गहराई भी मापी जा सकती है।

सोनार में पराश्रव्य तरंगों का उपयोग किया जाता है। जब जहाज पर लगे प्रेषित्र (transmitter) द्वारा नियमित समयान्तरालों पर जब पराश्रव्य तरंगों के शक्तिशाली स्पन्द अर्थात् सिग्नल समद्र के अन्दर स्थित किसी तली अथवा पिण्ड से टकराते हैं तो वे चित्र -7 के अनुसार परावर्तित होते हैं। इन परावर्तित स्पन्दों का संसूचन जहाज की पेंदी में लगे अभिग्राही (receiver) द्वारा किया जाता है। इसी युक्ति में लगे टाइमर द्वारा पराश्रव्य तरंगों के प्रेषण तथा अभिग्रहण के बीच के समयान्तराल को t भी नोट कर लेते हैं। यदि समुद्री जल में पराश्रव्य तरंगों की चाल v मीटर/सेकण्ड तथा किसी बिन्दु से इन तरंगों के प्रेषण व उसी बिन्दु पर उसी प्रतिध्वनि के अभिग्रहण के बीच का समय t सेकण्ड ज्ञात है तो उस बिन्दु से समुद्र तल की गहराई h को सूत्र h = v×t/2 मीटर से परिकलित कर लेते हैं।
सोनार में लगभग 50,000 हर्ट्स आवृत्ति की पराश्रव्य तरंगों को उपयोग में लाते हैं। सोनार के सिद्धान्तों का उपयोग विभिन्न उद्योगों में धातु के विशाल गर्डरों, शीटों अथवा ब्लॉकों में सम्भावित दरारों तथा उनके दूसरे दोषों को ज्ञात करने में करते हैं। सोनार से धातु के इन गर्डरों, शीटों अथवा ब्लॉकों को कोई क्षति नहीं पहुँचती हैं।
चमगादड़ सोनार के सिद्धान्तों का उपयोग प्राकृतिक रूप में करता है । यह 1.2 × 105 हर्ट्स तक की उच्च आवृत्ति वाली पराश्रव्य तरंगों को उत्पन्न कर सकता है एवं उन्हें सुन भी सकता है। चमगादड़ के शरीर में उच्चकोटि के अभिग्राही जैसी संरचना होती है। इसी के द्वारा वह अपने समीप के पिण्डों इत्यादि की उपस्थिति तथा अवस्थितियों का संसूचन कर लेता है। चमगादड़ द्वारा उत्पन्न उच्च आवृत्तियों की संगत पराश्रव्य तरंगों की वायु में तरंगदैर्घ्य बहुत कम 0.29 सेमी होती है। वास्तव में चमगादड़ दृष्टिहीन होता है, परन्तु वह गहन अँधेरे में पराश्रव्य तरंगों की मदद से ही उड़ते समय अवरोधों से आसानी से बचता हुआ चलता है। चमगादड़ दृष्टिहीन होते हुए भी ऐसा इसलिए कर पाता है; क्योंकि वह पराश्रव्य तरंगों द्वारा किसी पिण्ड से परावर्तित होकर वापस लौटने में लगे समय का संसूचन कर लेता है। इस प्रकार चमगादड़ अँधेरे में भी उड़ जाता है तथा अपने भोजन की खोज कर लेता है। पॉरपॉइज भी सोनार के ही समान एक संरचना का उपयोग कर जल के भीतर संचालन तथा अवस्थितियों का निर्धारण कर पाता है।
प्रश्न 8. प्रतिध्वनि से क्या तात्पर्य है? प्रतिध्वनि सभी कमरों में क्यों नहीं सुनाई पड़ती ? किसी कमरे में प्रतिध्वनि सुनने के लिए कमरे की न्यूनतम लम्बाई कितनी होनी चाहिए?
उत्तर : प्रतिध्वनि
जब हम स्वयं से कुछ दूरी पर स्थित किसी दीवार के सामने (अथवा जल से भरे कुएँ के भीतर की ओर मुँह करके) बोलते हैं तो हमें अपनी ध्वनि दो बार सुनाई पड़ती है, पहली बार सीधे मुख से आने वाली ध्वनि तथा दूसरी बार दीवार (कुएँ के जल) से टकराकर लौटने वाली ध्वनि । किसी वस्तु से परावर्तन के पश्चात् सुनी गई ध्वनि को ‘प्रतिध्वनि’ कहते हैं।
हमारे कान में किसी ध्वनि का प्रभाव 1/10 सेकण्ड तक बना रहता है। यदि किसी वस्तु से टकराकर लौटने वाली ध्वनि 1/10 सेकण्ड से पूर्व ही हमारे कान तक पहुँच जाती है तो हमारा कान दोनों ध्वनियों (सीधे पहुँचने वाली तथा परावर्तन के पश्चात् पहुँचने वाली) में विभेद नहीं कर पाता, अपितु दोनों ध्वनियों को एक के रूप में ग्रहण करता है । अब यदि किसी कमरे की लम्बाई इतनी कम है कि दीवारों से टकराकर हम तक पहुँचने वाली ध्वनि को 1/10 सेकण्ड से कम समय लगता है तो हमें प्रतिध्वनि नहीं सुनाई देगी। यही कारण है कि सभी कमरों में प्रतिध्वनि सुनाई नहीं पड़ती।
इसके अतिरिक्त यदि किसी कमरे में पर्दे, सोफे, गद्दे तथा फाइबर की छत आदि ध्वनि अवशोषक पदार्थों का प्रयोग किया गया है तो भी उस कमरे में प्रतिध्वनि सुनाई नहीं पड़ती।
प्रतिध्वनि सुनने के लिए कमरे की न्यूनतम लम्बाई
माना कि कमरे की न्यूनतम लम्बाई s है तथा वायु में ध्वनि की चाल v है । स्पष्ट है कि श्रोता से चलकर दीवार तक जाने में तथा वापस लौटने में ध्वनि 2S के बराबर दूरी तय करेगी।
यह भी स्पष्ट है कि प्रतिध्वनि सुनने के लिए ध्वनि को 2s दूरी तय करने में न्यूनतम 1/10 सेकण्ड का समय लगना चाहिए।

स्पष्ट है कि प्रतिध्वनि सुनने के लिए कमरे की न्यूनतम लम्बाई वायु में ध्वनि की चाल की 1/20 गुनी होनी चाहिए।
यदि 25°C पर वायु में ध्वनि की चाल v = 344 मीटर/सेकण्ड ली जाए तो कमरे की न्यूनतम लम्बाई

अतः प्रतिध्वनि सुनने के लिए कमरे की न्यूनतम लम्बाई 17.2 मीटर होनी चाहिए।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. आवर्ती गति तथा आवर्तकाल से क्या तात्पर्य है? उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर : आवर्ती गति तथा आवर्तकाल – जब कोई पिण्ड एक निश्चित समयान्तराल में एक निश्चित पथ पर अपनी गति को बार-बार दोहराता है तो उसकी गति आवर्ती गति कहलाती है तथा वह निश्चित समयान्तराल उस पिण्ड का आवर्तकाल अथवा दोलन काल कहलाता है। इसेT से प्रदर्शित करते हैं।
उदाहरण 1 – पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर निश्चित कक्षा में चक्कर लगाना। यहाँ पृथ्वी का सूर्य के परितः आवर्तकाल 1 वर्ष है।
उदाहरण 2 – पृथ्वी का अपनी अक्ष पर घूमना । यहाँ पृथ्वी का अपनी अक्ष के परितः आवर्तकाल 24 घण्टे है।
प्रश्न 2. दोलनी गति से क्या तात्पर्य है ? उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर : दोलनी गति – आवर्ती गति में, जब कोई पिण्ड एक ही पथ पर, किसी निश्चित बिन्दु से इधर-उधर गति करता है तो पिण्ड की गति दोलनी गति अथवा कम्पनिक गति कहलाती है। स्पष्टत: दोलनी गति ही आवर्ती गति है।
उदाहरण – दीवार घड़ी के लोलक की गति, सरल लोलक में गोलक की गति, झूला झूलती लड़की की गति ।
प्रश्न 3. आवर्तकाल तथा आवृत्ति में क्या सम्बन्ध है? स्थापित कीजिए ।
उत्तर : आवर्तकाल तथा आवृत्ति में सम्बन्ध – माना किसी वस्तु की आवृत्ति v है। इसका अर्थ यह है कि वह वस्तु 1 सेकण्ड में v दोलन करती है।

प्रश्न 4. विद्युत चुम्बकीय तरंगें तथा भूकम्पीय तरंगें क्या हैं?
उत्तर : विद्युत-चुम्बकीय तरंगें– वे तरंगें, जिनके संचरण के लिए भौतिक माध्यम आवश्यक नही होता, विद्युत चुम्बकीय तरंगें कहलाती हैं। उदाहरणार्थ – प्रकाश तरंगें, रेडियो तरंगें, गामा किरणें आदि। विद्युतचुम्बकीय तरंगों में विद्युत क्षेत्र तथा चुम्बकीय क्षेत्र परस्पर लम्बवत् तलों में कम्पन करते हैं तथा रिक्त स्थान में प्रकाश की चाल से आगे बढ़ते जाते हैं। इस प्रकार विद्युत चुम्बकीय तरंग सदैव अनुप्रस्थ होती है।
भूकम्पीय तरंगें – कभी-कभी पृथ्वी के अन्दर विक्षोभ होते हैं जिससे सब दिशाओं में तरंगें गति करने लगती हैं। ये तरंगें भूकम्पीय तरंगें कहलाती हैं। इन्हीं तरंगों के कारण भूकम्प आते हैं कभी-कभी भूकम्प इतने प्रबल होते हैं कि ये बहुत क्षति पहुँचाते हैं।
प्रश्न 5. प्रत्यास्थ तरंगों के संचरण के लिए माध्यम में क्या गुण होने चाहिए?
उत्तर : प्रत्यास्थ तरंगें तभी संचरित होती हैं, जब माध्यम निम्नलिखित गुण होते हैं-
(1) माध्यम प्रत्यास्थ होना चाहिए अर्थात् माध्यम के कणों में विक्षोभ के बाद प्रारम्भिक स्थिति में लौटकर आने की प्रवृत्ति होनी चाहिए।
(2) माध्यम में जड़त्व होना चाहिए। जड़त्व होने से कणों में ऊर्जा एकत्रित करने की क्षमता होती है।
(3) माध्यम का घर्षण प्रतिरोध नगण्य होना चाहिए। घर्षण प्रतिरोध नगण्य होने पर तरंगें माध्यम में स्वतन्त्रतापूर्वक आगे बढ़ती हैं।
प्रश्न 6. ध्वनि की तीव्रता तथा प्रबलता का क्या अर्थ है?
उत्तर : ध्वनि की तीव्रता – “किसी स्थान पर ध्वनि की तीव्रता, ऊर्जा की वह मात्रा है जो ध्वनि तरंगों के साथ उस स्थान पर ध्वनि संचरण की दिशा के लम्बवत्, माध्यम के एकांक क्षेत्रफल में से प्रति सेकण्ड गुजरती है।” अतः ध्वनि की तीव्रता एक निश्चित भौतिक राशि है तथा इसे मापा जा सकता है। इसका SI मात्रक जूल / मीटर2 – सेकण्ड अथवा वाट / मीटर2 है।
ध्वनि की प्रबलता – ध्वनि का वह लक्षण जिसके कारण ध्वनि कान को धीमी (मृदु) अथवा जोरों की (प्रबल) सुनाई देती है, ध्वनि की प्रबलता कहलाती है। प्रबलता, ध्वनि की तीव्रता के साथ कान की सुग्राहिता पर भी निर्भर करती है।
प्रश्न 7. ध्वनि पट्ट क्या होता है? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : ध्वनि पट्ट- ध्वनि पट्ट एक अवतल पृष्ठ (वक्राकार पृष्ठ ) होता है जिसे बड़े हॉलों इत्यादि में स्पीकर के पीछे रख देते हैं। इसका प्रयोग ध्वनि को पूरे हॉल में समान रूप से फैलाने में किया जाता हैं। वक्ता S चित्र – 8 के अनुसार ध्वनि-पट्ट के फोकस पर अवस्थित है। अवतल परावर्तक ध्वनि पट्टों को चित्रानुसार वक्ता (स्पीकर) के पीछे रखते हैं जिससे ध्वनि विभिन्न दिशाओं में फैलने से रुकती है। ध्वनि पट्ट फोकस पर स्थित वक्ता की ध्वनि की तरंगों को श्रोताओं की ओर परावर्तित करता है, इनसे दूर बैठे श्रोतागण भी वक्ता का भाषण स्पष्ट सुन पाते हैं। अतः ध्वनि पट्ट की कार्यविधि ध्वनि के परावर्तन पर आधारित है।

प्रश्न 8. ध्वनि के परावर्तन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : ध्वनि का परावर्तन – प्रकाश की भाँति ध्वनि भी अपनी दिशा बदल सकती है तथा वापस हो सकती है। ध्वनि का दीवारों से टकराकर वापस लौटना ही ध्वनि का परावर्तन कहलाता है; जैसे—कुएँ, धातु की चादर, प्लाईवुड इत्यादि से ध्वनि तरंगें परावर्तित हो जाती हैं। ध्वनि, प्रकाश की ही भाँति परावर्तित होती है तथा प्रकाश के परावर्तन के नियम ध्वनि के लिए भी लागू होते हैं, परन्तु ध्वनि के परावर्तन के लिए चिकनी तथा चमकीली सतह की आवश्यकता नहीं होती है। ध्वनि तरंगों के परावर्तन के लिए बड़े. आकार के अवरोधों की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 9. सोनार में पराश्रव्य तरंगों का उपयोग क्यों करते हैं?
उत्तर : सोनार में पराश्रव्य तरंगों का उपयोग इसलिए करते हैं; क्योंकि साधारण तरंगों की तुलना में पराश्रव्य तरंगों के निम्नलिखित लाभ हैं-
(i) पराश्रव्य तरंगों की आवृत्ति बहुत उच्च होती है जिसके कारण ये समुद्र को अति गहराई तक भेद सकती हैं।
(ii) पराश्रव्य तरंगों को इंजन की ध्वनि अथवा इससे उत्पन्न किसी दूसरी ध्वनि से कोई भ्रम नहीं होता है।
• अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. तरंग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : तरंग – किसी माध्यम में उत्पन्न वह विक्षोभ, जो बिना अपना स्वरूप बदले माध्यम में एक निश्चित वेग से लगातार आगे बढ़ता है, ‘तरंग’ कहलाता है।
प्रश्न 2. स्पन्द से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : किसी माध्यम में छोटे समयान्तराल के लिए उत्पन्न होने वाला विक्षोभ ‘स्पन्द’ कहलाता है।
प्रश्न 3. तरंगें कितने प्रकार की होती हैं?
उत्तर : तरंगें दो प्रकार की होती हैं – (1) अनुप्रस्थ तरंगें तथा (2) अनुदैर्घ्य तरंगें।
प्रश्न 4. अनुदैर्घ्य तरंग से क्या तात्पर्य है? उदाहरण दीजिए।
उत्तर : अनुदैर्घ्य तरंग – ‘वह तरंग जिसमें माध्यम के कण तरंग के चलने की दिशा के समान्तर कम्पन करते हैं, अनुदैर्घ्य तरंग कहलाती है। उदाहरण – वायु में चलने वाली ध्वनि तरंगें, स्प्रिंग में उत्पन्न तरंगें ।
अनुदैर्ध्य तरंगें, ठोस, द्रव व गैस तीनों में उत्पन्न की जा सकती हैं।
प्रश्न 5. साम्य स्थिति से क्या तात्पर्य है?
उत्तर : साम्य स्थिति – कम्पन करने वाली वस्तु जिस बिन्दु के इधर-उधर दोलन करती है, उस बिन्दु को उस वस्तु की साम्य स्थिति अथवा माध्य स्थिति कहते हैं।
प्रश्न 6. किसी तरंग के सन्दर्भ में विस्थापन का अर्थ बताइए ।
उत्तर : विस्थापन — किसी क्षण तरंग संचरण के कारण माध्यम के किसी कण की अपनी साम्य स्थिति से दूरी उस क्षण कण का विस्थापन कहलाती है।
प्रश्न 7. किसी तरंग के आयाम से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : आयाम— तरंग संचरण के कारण माध्यम के कणों का अपनी साम्य स्थिति के एक ओर अधिकतम विस्थापन तरंग का आयाम कहलाता है। इसे ‘a‘ से प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न 8. तरंग दैर्ध्य से क्या तात्पर्य है?
उत्तर : तरंग दैर्ध्य — किसी अनुप्रस्थ तरंग में दो क्रमागत श्रृंगों अथवा दो क्रमागत गर्तों के बीच की दूरी उस तरंग की तरंग दैर्ध्य कहलाती है।
अथवा
किसी अनुदैर्घ्य तरंग में दो क्रमागत संपीडनों अथवा दो क्रमागत विरलनों के बीच की दूरी उस तरंग की तरंग दैर्ध्य कहलाती है।
प्रश्न 9. समुद्र की गहराई किस प्रकार नापी जाती है?
उत्तर : जहाज में लगे सोनार नामक यन्त्र से पराध्वनि तरंगें भेजी जाती हैं, जो समुद्र की तली से परावर्तित होकर लौटती हैं तो इन्हें ग्रहण कर लिया जाता है। इस बीच गुजरे समय को नापकर, ध्वनि की जल में चाल का उपयोग करके समुद्र की गहराई की गणना कर ली जाती है।
प्रश्न 10. पराध्वनिक तथा पराश्रव्य में क्या अन्तर है?
उत्तर: वायु में ध्वनि की चाल से भी अधिक तेज चलने वाली वस्तु को पराध्वनिक कहते हैं, जबकि पराश्रव्य तरंगें वे तरंगें हैं जिनकी आवृत्ति 20 किलोहर्ट्स से अधिक है।
• एक शब्द या एक वाक्य वाले प्रश्न
प्रश्न 1. ध्वनि किस प्रकार उत्पन्न होती है?
उत्तर : वस्तुओं की कम्पनिक गति के कारण।
प्रश्न 2. किसी माध्यम में गतिशील कोई तरंग अपने साथ क्या लेकर जाती है?
उत्तर : तरंगें ऊर्जा लेकर जाती हैं।
प्रश्न 3. ध्वनि तरंगों के संचरण के लिए किसी माध्यम में कौन-से दो गुण होने चाहिए?
उत्तर : (1) प्रत्यास्थता तथा (2) जड़त्व ।
प्रश्न 4. ध्वनि तरंगों तथा प्रकाश तरंगों की प्रकृति बताइए ।
उत्तर : यान्त्रिक, अनुदैर्घ्य तरंगें, विद्युत चुम्बकीय तथा अनुप्रस्थ तरंगें।
प्रश्न 5. एक यान्त्रिक तरंग क्षैतिज दिशा में गति कर रही है । माध्यम के कण किस दिशा के कम्पन करेंगे, यदि तरंग (i) अनुप्रस्थ है, (ii) अनुदैर्घ्य है ?
उत्तर : (i) ऊर्ध्वाधर दिशा में, (ii) क्षैतिज दिशा में।
प्रश्न 6. अनुप्रस्थ तथा अनुदैर्घ्य तरंगों का तरंग रूप चित्र में दर्शाइए।
उत्तर :

प्रश्न 7. अनुदैर्घ्य तरंगें किस प्रकार के माध्यम में उत्पन्न की जा सकती हैं?
उत्तर : ठोस, द्रव तथा गैस तीनों माध्यमों में।
प्रश्न 8. जल में पत्थर फेंकने से जल की सतह पर उत्पन्न तरंगें किस प्रकार की होती हैं?
उत्तर : अनुप्रस्थ तरंग ।
प्रश्न 9. वायु में उत्पन्न ध्वनि तरंगें किस प्रकार की होती हैं?
उत्तर : अनुदैर्घ्य तरंगें ।
प्रश्न 10. किसी तार को दो खूँटियों के बीच तानकर लम्बाई के लम्बवत् खींचकर छोड़ दिया जाता है तो तार में उत्पन्न तरंग का नाम बताइए |
उत्तर : अनुप्रस्थ तरंगें ।
प्रश्न 11. अनुप्रस्थ तरंग के कारण जिस क्षण तालाब का जल नीचे की ओर दबा होता है, उस दबे भाग को क्या कहते हैं?
उत्तर : गर्त (trough)।
प्रश्न 12. अनुदैर्घ्य तरंगों में दो क्रमागत संपीडनों (दो क्रमागत विरलनों) के बीच की दूरी कितनी होती हैं?
उत्तर : तरंग दैर्ध्य के बराबर ।
प्रश्न 13. आवृत्ति का मात्रक क्या है?
उत्तर : आवृत्ति का मात्रक हर्ट्स अथवा प्रति सेकण्ड है।
प्रश्न 14. आवर्तकाल तथा आवृत्ति में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर : आवर्तकाल × आवृत्ति = 1.
प्रश्न 15. तरंग दैर्ध्य का मात्रक क्या है?
उत्तर : मीटर अथवा ऐंग्स्ट्रम ।
प्रश्न 16. तरंग दैर्ध्य, आवृत्ति तथा तरंग वेग के बीच सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर : तरंग वेग (v) = आवृत्ति (ν) × तरंग दैर्ध्य (λ).
प्रश्न 17. श्रव्य तरंगों का आवृत्ति परास बताइए ।
उत्तर : श्रव्य तरंगों का आवृत्ति परास 20 हर्ट्स से 20 किलोहर्ट्स तक है।
प्रश्न 18. आप तथा आपका मित्र चन्द्रमा पर पहुँचे हुए हैं। बातचीत करने के लिए आप किस प्रकार की तरंगों का प्रयोग करेंगे?
उत्तर : रेडियो तरंगों का ।
प्रश्न 19. वायु में ध्वनि की चाल पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर : वायु में ध्वनि की चाल ताप बढ़ने पर बढ़ती हैं।
प्रश्न 20. ठोसों, द्रवों तथा गैसों में ध्वनि की चाल किसमें सबसे अधिक तथा किसमें सबसे कम होती हैं?
उत्तर : ठोसों में सबसे अधिक तथा गैसों में सबसे कम होती है।
प्रश्न 21. प्रतिध्वनि सुनाई देने का क्या कारण है?
उत्तर : प्रतिध्वनि सुनाई देने का कारण ध्वनि का परावर्तन है।
प्रश्न 22. हम छोटे कमरों में प्रतिध्वनि क्यों नहीं सुन पाते?
उत्तर : क्योंकि प्रतिध्वनि सुनने के लिए दीवारों के बीच न्यूनतम 17.2 मीटर की दूरी होनी चाहिए।
प्रश्न 23. पराध्वनिक वस्तु किसे कहते हैं?
उत्तर : वायु में ध्वनि की चाल की अपेक्षा, अधिक चाल से चलने वाली वस्तु को पराध्वनिक वस्तु कहते हैं।
प्रश्न 24. (i) 20 हर्ट्स से कम तथा (ii) 20,000 हर्ट्स से अधिक आवृत्ति की तरंगों के नाम बताइए ।
उत्तर : (i) अवश्रव्य तरंगें, (ii) पराश्रव्य तरंगें ।
प्रश्न 25. SONAR किस वाक्य का संक्षिप्त रूप है? उसे लिखिए ।
उत्तर : SONAR, Sound Navigation and Ranging वाक्य का संक्षिप्त रूप है।
प्रश्न 26. SONAR में प्रयुक्त होने वाली दो युक्तियों के नाम बताइए।
उत्तर : प्रेषक तथा ग्राही ।
प्रश्न 27. SONAR के दो उपयोग बताइए ।
उत्तर : (i) समुद्र की गहराई ज्ञात करना, (ii) शत्रु पनडुब्बी की स्थिति का ज्ञान प्राप्त करना।
प्रश्न 28. पराध्वनि तरंगों के दो उपयोग बताइए ।
उत्तर : (1) मनुष्य के पेट में किसी प्रकार की अनियमितता की जानकारी प्राप्त करना ।
(2) धातु के ब्लॉक में दरारों का पता लगाना ।
प्रश्न 29. सेस्मोग्राफ क्या है?
उत्तर : सेस्मोग्राफ भूकम्प की तीव्रता नापने वाला उपकरण है।
प्रश्न 30. भूकम्पीय तरंगें क्या होती हैं?
उत्तर : भूकम्प के समय पृथ्वी में उत्पन्न होने वाली तरंगें ‘भूकम्पीय तरंगें’ कहलाती हैं।
प्रश्न 31. भूकम्प की तीव्रता के मापन हेतु कौन-से पैमाने का. प्रयोग किया जाता है?
उत्तर : रिक्टर पैमाने का प्रयोग किया जाता है।
• आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1. मानव हृदय औसत रूप से, एक मिनट में 75 बार धड़कता है। उसकी आवृत्ति परिकलित कीजिए ।

प्रश्न 2. एक स्वरित्र की आवृत्ति 400 हर्ट्स है। इसका आवर्तकाल कितना होगा?

प्रश्न 3. एक स्वरित्र का दोलनकाल 1/40 सेकण्ड है। स्वरित्र की आवृत्ति ज्ञात कीजिए ।

प्रश्न 4. एक तरंग की चाल 100 मीटर/सेकण्ड तथा तरंग दैर्ध्य 50 सेमी है। तरंग की आवृत्ति ज्ञात कीजिए।

प्रश्न 5. किसी ध्वनि तरंग की आवृत्ति 2 किलोहर्ट्स है और उसकी तरंग दैर्ध्य 35 सेमी है। यह 1.5 किमी दूरी चलने में कितना समय लेगी?

प्रश्न 6. यदि प्रकाश तरंग की चाल 3 × 108 मीटर/सेकण्ड तथा उसकी आवृत्ति 5 × 1014 हर्ट्स हो तो तरंग-दैर्ध्य ज्ञात कीजिए।

प्रश्न 7. किसी तरंग की तरंग-दैर्ध्य 10-4 माइक्रोमीटर तथा आवृत्ति 3 × 108 हर्ट्स है। तरंग की चाल ज्ञात कीजिए ।

प्रश्न 8. एक तरंग की आवृत्ति 120 हर्ट्स है। यदि तरंग की चाल 480 मीटर/सेकण्ड हो, तो तरंग की तरंगदैर्घ्य का मान क्या होगा?

प्रश्न 9. एक रेडियो प्रसारण केन्द्र से 40 मेगा हर्ट्स आवृत्ति की विद्युत चुम्बकीय तरंगें प्रसारित होती हैं। यदि विद्युत-चुम्बकीय तरंग की चाल 3.0 × 108 मीटर/सेकण्ड हो तो इन तरंगों की तरंग दैर्ध्य क्या होगी?

प्रश्न 10. कोई तरंग-स्रोत 0.4 सेकण्ड में 40 शृंग और 40 गर्त उत्पन्न करता है। तरंग की आवृत्ति ज्ञात कीजिए ।
हल : ·.· एक श्रृंग एवं एक गर्त मिलाकर एक तरंग पूर्ण होती है; अत: 40 श्रृंग तथा 40 गर्त मिलाकर 40 तरंग पूर्ण होंगी ।
प्रश्नानुसार 0-4 सेकण्ड में निकलती हैं = 40 तरंग
∴ 1 सेकण्ड में निकलेंगी = 40 तरंग/0.4 = 100 तरंगें
अत: तरंग की आवृत्ति = 1 सेकण्ड में निकली तरंगों की संख्या = 100 हर्ट्स।
प्रश्न 11. किसी व्यक्ति का श्रव्य परास 20 हर्ट्स से 20 किलोहर्ट्स है। इन दोनों आवृत्तियों के तदनुरूपी वायु में ध्वनि तरंगों की प्रारूपी तरंग दैर्ध्य ज्ञात कीजिए। वायु में ध्वनि का वेग 344 मीटर/सेकण्ड है।

प्रश्न 12. एक मनुष्य किसी खड़ी चट्टान के पास ताली बजाता है और उसकी प्रतिध्वनि 5 सेकण्ड पश्चात् सुनाई देती है । यदि ध्वनि की चाल 346 मीटर/सेकण्ड ली जाए तो चट्टान तथा मनुष्य के बीच की दूरी कितनी होगी?
हल : दिया है : ध्वनि की चाल v = 346 मीटर/सेकण्ड, प्रतिध्वनि में लगा समय t = 5 सेकण्ड
माना कि चट्टान तथा मनुष्य के बीच की दूरी s है, तब 5 सेकण्ड में ध्वनि दोगुनी दूरी अर्थात् 2s दूरी तय करेगी।

प्रश्न 13. सोनार द्वारा पानी के पृष्ठ पर ध्वनि स्पन्द उत्सर्जित किए जाते हैं। ये स्पन्द पानी की तली से परावर्तन के पश्चात् संसूचित किए जाते हैं। यदि उत्सर्जित होने व संसूचन के बीच समय अन्तराल 2 सेकण्ड है तो पानी की गहराई कितनी है ? ( पानी में ध्वनि की गति = 1498 मीटर/सेकण्ड )

प्रश्न 14. कोई पत्थर 44.1 मीटर गहरे कुएँ में डाला जाता है। यदि पत्थर के पानी से टकराने की ध्वनि, पत्थर गिराने के 3.13 सेकण्ड बाद सुनाई देती है तो ध्वनि का वायु में वेग ज्ञात कीजिए।
हल : दिया है : कुएँ की गहराई h = 44.1 मीटर,
g = 9.8 मीटर/सेकण्ड2
पत्थर को जल के तल तक जाने में तथा ध्वनि को ऊपर तक आने में लगा समय t = 3.13 सेकण्ड
माना पत्थर को जल के तल तक जाने में t1 समय लगता है तो
