UK Board 9th Class Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 19 ठोस कचरा प्रबन्धन में सरकारी अभिकरणों का योगदान
UK Board 9th Class Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 19 ठोस कचरा प्रबन्धन में सरकारी अभिकरणों का योगदान
UK Board Solutions for Class 9th Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 19 ठोस कचरा प्रबन्धन में सरकारी अभिकरणों का योगदान
• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1-कचरा प्रबन्धन हेतु कानूनी प्रावधान क्यों आवश्यक है ? विवेचना कीजिए ।
उत्तर- कचरा प्रबन्धन हेतु कानूनी प्रावधानों की आवश्यकता
वर्तमान समय में भारत की जनसंख्या 1 अरब 2 करोड़ से भी अधिक है। यह जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की और तेजी से पलायन करती रहती है। इसलिए नगरों में जनसंख्या सघनता अधिक होती जाती है। भारत के अधिकांश नगर अभी भी अनियोजित ढंग से अवस्थित हैं। इन सबके परिणामस्वरूप शहरों के कूड़े-कचरे की मात्रा में वृद्धि भी अधिक तेजी होती है। दूसरे आधुनिक भौतिक सुख-सुविधाओं का विस्तार होने से भी कचरे में अधिक वृद्धि होती है। फलस्वरूप नगर एवं गाँवों में विभिन्न प्रकार के कचरे का समुचित विधियों से निस्तारण नहीं करते हैं। सरकारी, अर्द्ध-सरकारी एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के पास कचरा प्रबन्धन हेतु पर्याप्त साधनों का भी अभाव है। दूसरे यदि साधन उपलब्ध भी हैं तो सरकारी या कानूनी दबाव अथवा प्रावधान न होने के कारण कचरा प्रबन्धन को उतनी गम्भीरता से नहीं लिया जाता जितनी गम्भीरता से लेना चाहिए । इसलिए कचरा प्रबन्धन हेतु देश में कठोर कानूनी प्रावधान होने चाहिए क्योंकि – कचरा सभी प्रकार के प्रदूषण की जड़ है। प्रदूषण के विस्तार से पर्यावरण का प्रत्येक संसाधन प्रभावित होता है और धीरे-धीरे हमारे संसाधनों का ह्रास होते रहने से जन-सामान्य की मूलभूत आवश्यकताएँ एवं देश का सतत आर्थिक और सामाजिक विकास अवरुद्ध होने लगता है।
राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं अपितु राज्य स्तर पर भी ऐसे कानूनी प्रावधान आवश्यक रूप से होने चाहिए जो सम्बन्धित संस्था, समाज एवं व्यक्ति को कचरा प्रबन्धन हेतु तैयार कर सकें।
प्रश्न 2 – पर्यावरण संरक्षण हेतु सम्पूर्ण विश्व क्यों आकर्षित ?
उत्तर- पर्यावरण संरक्षण हेतु विश्व का आकर्षण
पर्यावरण ह्रास, प्रदूषण या असन्तुलन स्थानीय या राष्ट्रीय समस्या ही नहीं है बल्कि वर्तमान में यह अन्तर्राष्ट्रीय समस्या के रूप में सम्पूर्ण विश्व कों प्रभावित कर रही है। वास्तव में, पर्यावरण की कोई प्रत्यक्ष सीमा नहीं होती। यदि किसी देश की वायु प्रदूषित हो जाती है या किसी क्षेत्र में वनों का विनाश चरम सीमा तक हो गया तो निश्चित रूप से इसका पर्यावरणीय प्रभाव अन्य समीपवर्ती एवं दूरवर्ती देशों पर भी अवश्य पड़ता है। इसलिए . पर्यावरण संरक्षण के लिए सम्पूर्ण विश्व के देशों का ध्यान आकर्षित होना स्वाभाविक है। इस उद्देश्य को सफल बनाने के लिए पर्यावरण सुरक्षा विषय पर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा स्टॉकहोम (स्वीडन) में पर्यावरण संरक्षण सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि पर्यावरण प्रदूषण के कारण विश्व का वातावरण गर्म हो रहा है, जिसका कारण हरित गृह प्रभाव उत्पन्न करने वाली गैसों की मात्रा में वृद्धि होना है।
इस सम्मेलन में विश्व के लगभग 120 देशों ने भाग लिया तथा पर्यावरणीय खतरों की गम्भीरता को देखते हुए अपनी चिन्ता प्रकट की । इसके बाद पर्यावरण संरक्षण के लिए विश्व स्तर पर अनेक सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं।
प्रश्न 3 – पर्यावरण संरक्षण अधिनियम क्या है? इसके प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम
प्रकृति द्वारा प्रदत्त विभिन्न प्राकृतिक संसाधन पर्यावरण के ही अंग है; अतः इनके संरक्षण हेतु कानूनी नियम बनाए गए हैं। यही कानून पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कहलाता है। यह अधिनियम 1986 में बनाया गया है तथा सम्पूर्ण भारत में लागू हुआ है। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं—
(1) राज्य सरकार प्रदूषण के निवारण, नियन्त्रण और उपशमन के लिए कार्यक्रम बनाएगी तथा उसका निष्पादन करेगी।
(2) प्रदूषकों के उत्सर्जन का मानक निर्धारित होगा ।
(3) किसी उपस्कर, संयन्त्र, अभिलेख – रजिस्टर, दस्तावेज आदि की जाँच कराने के लिए किसी भी स्थान, भवन आदि की तलाशी कर सकते हैं।
(4) इस धारा के अन्तर्गत किसी भी दुकान, प्रतिष्ठान, उद्योग आदि स्थान से नमूने लेने का अधिकार है। इसके लिए व्यवधान खड़ा करने वाला व्यक्ति अपराधी माना जाएगा।
(5) इस अधिनियम की धाराओं का उल्लंघन दण्डनीय है।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – भारतीय संविधान की कौन-सी धाराओं में पर्यावरण संरक्षण का प्रावधान किया गया है?
उत्तर – विश्व में भारत ही ऐसा प्रथम देश है, जिसके संविधान में पर्यावरण संरक्षण प्रावधानों को सम्मिलित किया गया है। भारतीय संविधान में वर्ष 1976 में एक नया अनुच्छेद जोड़ा गया जिसमें पर्यावरण संरक्षण का दायित्व राज्य को सौंपा गया है। अनुच्छेद 48 (क) के अनुसार राज्य सरकार का यह दायित्व होगा कि वह पर्यावरण के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए लगातार प्रयास करें। मूल कर्त्तव्य के क्रमांक 7 में नागारिकों से अपेक्षा की गयी है कि वे प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करेंगे।
• अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – वन्य जीवों हेतु कौन-सा अधिनियम बनाया गया है?
उत्तर— वन्य जीवों के संरक्षण हेतु वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 बनाया गया है। इस अधिनियम में 1991 में संशोधन भी किया गया है।
प्रश्न 2 – जल तथा वायु संरक्षण हेतु अधिनियम का नाम बताइए ।
उत्तर – जल तथा वायु संरक्षण हेतु अधिनियम के नाम निम्नलिखित हैं-
1. जल प्रदूषण निवारण तथा नियन्त्रण अधिनियम, 1974.
2. वायु प्रदूषण नियन्त्रण अधिनियम, 1981.
उपर्युक्त दोनों अधिनियमों में 1988 में कुछ संशोधन भी किया गया है।
प्रश्न 3 – राष्ट्रीय कचरा प्रबन्धन परिषद् का क्या कार्य है?
उत्तर – राष्ट्रीय कचरा प्रबन्धन परिषद् की स्थापना 1990 में की गई थी। इसका प्रमुख कार्य नगरपालिकाओं द्वारा एकत्रित कचरे के प्रबन्धन हेतु वित्तीय एवं तकनीक सहयोग देना है।
प्रश्न 4- फ्लाई ऐश कहाँ से निकलती है?
उत्तर- फ्लाई ऐश ताप बिजलीघरों से निकलती है।
प्रश्न 5 – केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड की स्थापना कब की गई?
उत्तर – केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड की स्थापना सितम्बर 1974 में की गई थी।
प्रश्न 6 – प्रो० जे० एस० बजाज किस समिति के अध्यक्ष थे?
उत्तर- प्रो० जे०एस० बजाज कचरा प्रबंधन से सम्बन्धित ‘उच्चाधिकार समिति’ के अध्यक्ष थे।
प्रश्न 7 – नीतिगत दस्तावेज किस मन्त्रालय द्वारा तैयार किया गया है?
उत्तर – नीतिगत दस्तावेज शहरी विकास मन्त्रालय द्वारा तैयार किया गया है।